कई बार प्राइविट कंजम्चन बढ़ाने के लिए कंजूमर्स का मूड भी माइने रखते हैं पर अन्फोर्चुरली मूड खराब हो गया क्योंकि एक तो इंकम टैक्स में जाधर चेंज नहीं किया गया उसके अलावा स्टॉक मार्केट में कई और टैक्सेस बढ़ा दिये हैं लोग गुस्सा इसलिए है क्योंकि वो सरकार जिसने का था मैक्सिमम गवर्नेंस, मिनिमम गवर्नेंट उस स्टॉक मार्केट में रीटेल पार्टिसिपेशन को कम क्यों कर रहे हैं और Indexation गरिफिट हटा दिया गया इसके बदले में हमें क्या बोल रहा है पर कुछ criticism जरूर है जिससे मैं बिल्कुल agree नहीं कर चाहता हूँ आजकल social media पर especially एक fashion हो गया सभी के लिए अपने आपको middle class बता रहा है February 2020 में CNBC के एक award function में महराश्या के तबके एक speech दी थी budget के मौके पर जो viral हो गई थी तो क्या finance minister Nirmala Sitharaman ये कर पाएं इस budget में? इस वीडियो में हम बात करेंगे taxes की, लोग बुसा क्यों है इस budget से, और इस budget का क्या असर पड़ेगा हमारी देश में? अब budget के बारे में discuss करने से पहले, सबसे पहले context समझ लेते हैं, कि हमारी Indian economy की situation है क्या? क्या दिक्कत है हमारी economy की?
अगर आपने economics पढ़िये, Consumption, Investment, Government Spending, and Net Exports और इंडियन एकाउनिमी में में दिक्कत है Consumption की यानि कि हमारे देश में लोग खर्चा नहीं कर रहे खर्चा बला वो क्यों नहीं कर रहे? क्योंकि वो कमा नहीं रहे और इसकी वरसे कई प्रॉब्लम्स होते हैं 2018-2022 के बीच 5000 लिस्टिट कंपनी की नेट सेल्स 52% तक बढ़ी है और नेट प्रॉफिट 187% तक और इन companies ने हमारे देश में पैसा कमाया कैसे? मेंली अमीर लोगों से इसे Bata जो एक affordable जूते की brand है चार सालों में उनकी sales 20% बढ़ी है जबकि Metro जो एक premium brand है जूतों की उसकी sales 70% बढ़ी है इसके बारे में मैंने इस वीडियो में बात भी करी थी कि कैसे काई companies का focus बस कुछी शहरों में क्योंकि उधर ही पैसा है Zomato के 5% customers उनके 45% orders के लिए जिम्मदार है अब ये companies अच्छा-खासा पैसा कमातो रही हैं, पर उन्हें अपने profits invest नहीं कर रहें.
क्यूं? क्यूंकि उनको डर है कि investment करने के बाद उनको पैसा मिलेगा नहीं. क्यूंकि अमील लोगों की भी एक limit है हमारे देश में.
अगर आपने उन सब को बेच थी अपना समान, उसके बाद कहां जाओगे? इसी के बारे में इंडिया के ex-chief economic advisor Arvind Subramaniam ने बात करी थी, जब उन्होंने कहा कि Modinomics ने investment increase नहीं कर रही है हमारे देश में. Companies invest तबी करेंगे जब उनको विश्वास होगा.
कि लोग अच्छी पैसा खर्च करेंगे और उनका समान खरीदेंगे। तो हमारी सरकार को इस बज़िट के जरिये मेंली एक चीज़ करनी थी। उनको डॉमेस्टिक कन्जम्चिन बढ़ाना था। यह सकते है दो चीज़ों से। पहला है कि जिसके पास पैसा है आप उनको कुछ और कारण दो कि वो अपना पैसा खर्च करें। और दूसरा कि जिनके पास पैसा नहीं है आप उनको नौकरियां दो ताकि वो आगे जाके अपना पैसा खर्च करें। अब क्योंकि आप context समझ गए हमारी problems का अब देखते की सरकार ने ऐसा करने की कोशिश करी भी या फिर नहीं। अगर आप एक business owner हो तो आपने जरूर budget देखा होगा पिछले कुछ videos में मैंने आपको Odoo के बारे में बताया है Odoo एक all-in-one management software है जिसमें कई सारी apps है जो आपके business को day-to-day manage करने में आपकी मदद करता है दुनिया भर में Odoo के 12 million से जादा uses है और अगर आप Odoo के बारे में और जानना चाहतो तो वो 23rd और 24th ओगस को अपना community days organize कर रहे है Odoo Community Days गांगी देगर के महात्मा मंदर Convention Center में हो रहा है और ये इंडिया के सबसे बड़े Tech Business Events में से एक होगा चाहे आप Odoo के Season User हो या फिर Odoo के बारे में और जानना चाहते हो तो ये Event आपके लिए है इधर आपको Odoo के बारे में तो जानकारी मिलेगी पर आप like-minded entrepreneurs और individuals के साथ network भी कर सकते हो। Odoo के team, उनके global partners और कई industry leaders उधर अपने experiences शेयर करेंगे और शायद उनको सुनकर आपको inspiration मिल जाए अपने business को start करने का। सौ से ज़्यादा exhibitors और 150 से ज़्यादा inspiring sessions planned हैं जहाँ आप अपने projects के बारे में questions पूछ सकते हो। और ये event बिल्कुल free है, description में link है, उधर register कर लो इधर आपको एक global summit attend करने का मौका मिलेगा, जहाँ आप networking भी कर सकते हो और मज़े भी उठा सकते हो live concerts में सबसे पहले बात करते हैं income tax की कई लोगों ने ये उमीद लगाई थी कि income taxes कम होंगे ताकि private consumption kick start होए पर ऐसा हुआ नहीं, दो changes जरूर करी गई पहली बात नई income tax regime में standard deduction कम कर दी गई standard deduction basically वो amount होता है जो आप अपनी income से हटा सकते हो जिस पर आपको बिलकुल भी income tax नहीं देना हो तो वो बढ़ा दिया गया है 50,000 से लेकर 75,000 तक इसके बाद कई income tax labs भी change कर दिये गए तो इससे फायदा क्या मिलेगा लोग को? बहुत कम New Tax Regime के तहट Maximum Benefit आपको साड़े सत्रा हजार रुपे का मिलेगा और Old Tax Regime में कोई चीन नहीं किया गया तो आपको कोई फायदा नहीं मिलने वाले कई बार Private Consumption बढ़ाने के लिए Consumers का मूड भी माइने रखते हैं पर unfortunately mood खराब हो गया क्योंकि एक तो income tax में जाधर change नहीं किया गया, उसके अलावा stock market में कई और taxes बढ़ा दिये गये। Short term gains on certain financial assets shall henceforth attract a tax rate of 20%. Long term gains on all financial and non-financial assets will attract a tax rate of 12.5%. This is short term capital gains tax. जो उन assets पर देना पड़ता है जो आप एक साल से कम समय के लिए hold करते हो उसको 15% से 20% तक कर दिया गया जबकि long term capital gains tax उन assets पर जो आप एक साल से ज्यादा hold करते हो उसको 10-12.5% कर दिया गया अब कई investors naturally खुश नहीं है इसके अलावा securities transaction tax futures और options पर भी बढ़ा दे गया है अब लोग obviously गुस्सा ऐसे changes से पर अगर आपने recent statements पढ़ी हैं सेवी की या फिनांस मिनिस्टी की, तो ये इतना surprising नहीं होना चाहिए। इसके बारे में मैंने एक recent video में बात भी करी थी। In fact, बजट के release होने के एक दिन पहले, सरकार के economic survey ने कहा कि Indian market में over financialization हो गई है। यानि कि Indian परिवार अपनी savings कुछ जादे ही stock market में डाल रहे हैं। और यही सरकार को डर था, उनको लगाये कि जादा overheating हो रही है stock market में। इसके रावा एक ओपन सीकरेट है कि इंडियन मार्केट में आप्शियंस ट्रेडिंग एक पागलपन है। कई लोग आप्शियंस और फ्यूचर्स को अपने ट्रेड की हेज़िंग करने के लिए यूज़ नहीं कर रहे, बल्कि इन पर गैंबल कर रहे हैं क्योंकि वो 10 दिन में 10 करोड कमाना चाहते हैं। लोग गुस्सा इसलिए है क्योंकि वो सरकार जिसने कहा था maximum governance, minimum government वो stock market में retail participation को कम क्यों कर रही है especially जब कई परिवार अब stock market को enter कर रहे है पर अब आपको ज़ादा tax सरकार को बस stock बेशने पर ही नहीं बलकि property बेशने पर भी देना पड़ेगा क्योंकि सरकार ने indexation benefit हटा दिया indexation होता है क्या?
indexation basically एक taxpayer को बचाता है inflation से मानो आपने 15 साल पहले एक घर खरीदे था 10 लाख रुपे का आज आप उसको बेच रहे हो 20 लाख रुपे में अब 15 साल में इंफ्रेशन भी हुई है तो यह मकान का प्राइस डबल हुआ है वो बस उसकी वैल्यू की वर्य से नहीं तो टाक्स आपको 10 लाख पर नहीं बल्कि बस 4 लाख पर देना होगा आपको 10 के 10 लाग पर tax देना पड़ेगा अब ये जरूर है कि tax rate कम हो गया है 20% से 12.5% हो गया है तो आपको decide करना होगा कि tax rate कम होने से या फिर indexation के benefits से हटाने से आपका net फाइदा हुआ या फिर net नुकसान अगर simply बोलूं कि कई सालों से आपने property hold करके रखी है तो आपका net on average नुकसान यूआ होगा तो इस पूरी situation को देखते हुए जो urban taxpayer है वो गुस्से में कि tax rate कम नहीं हुए, capital gains tax बढ़ गया और indexation benefit हटा दिया गया इसके बदले में हमें क्या मिल रहा है अब ऐसी situation में क्या वो खटचा करेंगे और अगर खटचा नहीं करेंगे तो देश का consumption बढ़ेगा कैसे इस गुस्से के पीछे भी दो कारण है जिसके बारे में budget में जिकर नहीं होगा urban taxpayer को tax देने में कोई problem नहीं है दिक्कत है कि उनको return में क्या मिल रहा है mainly quality of life इसके बारे में recently मैंने काई videos बना है इंडियन शेहरों में रोड का इंफरसक्चर, पब्लिक ट्रांसपोर्ट, एर पलूशन और वेस मारिश्मिन सिस्टम इतना खोकला है कि जहां सरकार की इंवॉल्मेंट बिलकुल ना हो, मेंली घर के अंदर, उदर तो जिन्दगी अच्छी है पर जैसे घर के बाहर निकले, उदर दिक्कते चालू दिल्ली अपने कचरे के पहाड के लिए फेमस है, मुंबई में गोखले ब्रिज और बरफी वाला फ्लायोर कनेक्ट नहीं होते और बेंगलूरू में रोड चांत के क्रेटर की तरह है ये प्रॉब्लम पैसे की कमी की वर्षे नहीं है, बलकि अकाउंटिबिलिटी की वर्षे है। वो लोग जो हमारे शहरों के जिम्मेदार हैं, उन पर इतनी कम अकाउंटिबिलिटी है, कि कितना भी कत्सरा हो जाए शहर पर उनसे सवाल अगर urban management improve हो जाए हमारे देश में, तो कई लोग 30% marginal tax देने के लिए राजी होंगे. अब ये भी नहीं कि इसमें बस central सरकार के जिम्मिदारी है, state और local levels को भी role निभाना होगा. पर अभी तक मुझे कोई signal नहीं मिलना है, ना किसी center, ना किसी state government से, कि urban governance उनके एक main priority है. क्योंकि urban governance improve करने के लिए, prime minister और chief ministers को अपनी power reduce करनी होगी, हमें अपने शहरों की situation improve करने के लिए और पैसा और power देनी होगी हमें local level को पर इंडिया में reverse हो रहा है ऐसे इस graph को देख लो US और China में जाज़तर पैसा local government में खर्च किया जाता है पर इंडिया में opposite है जो सरकार का attention होता है वो भी limited ही है उनके भी दिन में 24 घंटे ही है अब अगर वो 24 घंटे इस policy को decide करने में जा रहे है कि क्या किसी Muslim दुकानदार को अपना नाम भार लिखना चाहिए या फिर नहीं तो उसका मतलब है कि अर्बन गवर्नन्स इशूज पर ध्यान दिया ही नहीं जा रहा क्योंकि ऐसी आइडेंटिटी पॉलिटिक्स खेलने से वोट तो मिल जाता है पर शहर इंप्रूव नहीं होते जैसे उन्होंने कहा कि वो शहर को ग्रोथ हब्स बनाना चाते हैं भैतर ट्रांस्पोटेशन से फिर उन्होंने ये भी कहा कि वो सौ बड़े शहरों में बॉटर सप्लाई, सीविज ट्रीटमेंट और वेस मैरेजमेंट इंप्रूव करेंगे अब अनाउंस करना अच्छा कदम है पर आसान कदम है मुश्किल होगा execute करना और उसी से decide हो पाएगा कि taxpayer को अपने return में कुछ मिल भी रहा है या फिर नहीं दूसरा कारण जिसके वरसे urban taxpayer इतना गुस्सा है क्योंकि salary class पर the tax है पर agricultural income पर कुछ नहीं ऐसा क्यों?
और ये सवाल पूछना सही भी है कुछ साल पहले एक RTI से पता चरा था कि जहां agriculture में growth तो 3-5% हो रही है हमारे देश में पर agricultural income जो डिक्लेयर करी जा रही है टाक्स अथॉरिटीज को वो जीडीपी से 20 गुना जादा है तो यानि कि लोग इस सिस्टम को मिस्यूस कर रहे हैं ताकि उनको टाक्स ना देना पड़े इसी वर से राजु अवस्ती जो वोर्ल्ड बैंक में एक स्पेशलिस्ट है उन्होंने कहा हमें अमीर फार्मर्स को टाक्स करना चाहिए जैसे उन किसानों के जिनकी 10 हेक्टर से जादा जमीन है टाक्स तो इंकम की बेसिस पर होना चाहिए चाहे वो आग्रिकल्चर से है या पिरकाई योर से पर कुछ criticism जरूर है जिससे मैं बिल्कुल agree नहीं करता आजकल social media पर especially एक fashion हो गया सबी के लिए अपने आपको middle class बताना इसलिए जो driver गाड़ी चला रहा है वो भी अपने आपको middle class मानता है और जो boss पीछे बैठा है वो भी जबकि average monthly salary इंडिय चेहरों में बस 20,000 है और वो भी जो 2,00,000 कमा रहा है अपने आपको middle class बुलाता है एक चीज़ जो हमें realize करनी चाहिए वो है कि 1991 के reforms के बाद उल्टा हमारी economy ने favor किया है urban elite को इसी वरे से software engineers तो अच्छा खासा पैसा कमा रहे हैं क्योंकि हमारी सरकारों ने service industry पर जादा focus किया और ना कि manufacturing पर इसी वरे से मुझ जैसे लोग का तो फाइदा हुआ है और वो लोग जो actual middle class है इनको manufacturing के जरीए अच्छी खासी jobs मिल सकती थी उनको फाइदा नहीं हुआ है क्योंकि service economy में अंग्रीजी की जरूरत होती है और computers की जो उनको skills नहीं सिखाए गए अगर हमें इस middle class के debate को side में रख दे इस budget की वरे से मोधी सरकार और urban elite जो उनके core supporters है उनके बीच में trust कम हो गया है कि हम taxes दे और हमें return में क्या मिल रहा है जिसकी वरे से ये कहना कि consumption इंडिया का बढ़ेगा या फिर नहीं कहना मुश्किल है अब आते हैं दूसरे रास्ते पर consumption बढ़ाने के लिए अब नौक्रियों के लिए सरकार ने कई announcements करें जैसे एक स्कीम जहाँ सरकार डिरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर करेगी एक माइने की सालरी तीन इंस्टॉल्मेंट्स में उन लोकले जो वोकफर्स में नई हैं और फाइनांस मिर्च से ने कहा कि इसे दो करोड से ज़ादा नौजवानों को फाइदा मिलेगा फिर उनने एक और स्कीम के बारे में बात करे जाए टॉप 500 कंप्रीज में अगले 5 सालों के दरान एक करोड लोग के अगले पांच सालों के दरान पांच से टॉप कंपनी का मतलब है कि हर कंपनी को हर साल कम से कम 4000 लोग को इंटरन्शिप देनी होगी क्या ये फीज़िबल है? अब जॉब्स और स्किलिंग पर फोकस करना सही चीज़ है क्योंकि फाइनाइंचल इंसेंटिव से बस कोई कंपनी 4000 लोग को इंटरन्शिप देगी नहीं एक कंपनी इंटरन्शिप तब देती है जब उनके बेनिफिट में होता है जब कंपनी ग्रू हो रही होती है अगर कंपनी का रेविन्यू नहीं बढ़ रहा तो वो internship भी नहीं देंगी पैसे की वरे से वो internship नहीं दे रही बलकि economic conditions की वरे से वो नहीं दे रही तो सरकार के लिए बैठर होगा कि वो jobs बढ़ाने के लिए infrastructure को improve करें regulation को कम करें और low value manufacturing को promote करें क्योंकि low value manufacturing के एकलोता तरीका है जहाँ जूते और t-shirt बनती हैं पर budget में ऐसे ideas देखने को नहीं मिले जिससे हमें लगे कि job situation तो बहुत बदलने वाली है देश की इसलिए रोहित लामबा जो एकॉनमिस्ट हैं, उन्होंने लिखा कि इस बज़िट में फंडमेंटल स्ट्रक्टुरल चींजिस का वही विज़िन इनही था। उल्टा उनका कहना है कि मोधी सरकार ने कोई नई चीज नहीं करी। उन्होंने बेसिकली उन्ही चीजों पर फोकस किया जिन पर उनका पहला फोकस था। मोधी सरकार ने वादा किया है कि वो एक रेकॉर्ड 11 लाग करोड की, यानि GDP का 3.4% इंफरसक्चर पर खड़च करेंगे. और ऐसा फोकस हमने पिछले 8 सालों के दरान भी देखा है. इसे सरकार ने एलान किया कि वो 26,000 करोड रुपे है. बिहार के रोड नेटवर्क के लिए खर्च करेंगे पत्ना, पूर्णिया और भागलपूर बक्सर जैसे एक्सप्रेस वेस बनाएंगे और बक्सर में गंगा पर एक टू लेन ब्रिज भी बनेगा और ऐसा नहीं उनको में डर है फिसकल डेफिसिट का कि फिसकल डेफिसिट हमें कम करना है इन फाक्ट एक समय जो टार्गिट 5.1% था अब वो 4.9% हो गया है GDP का तो सरकार ने डिसाइड किया कि अभी वो पैसा बचाएंगे और शायद फ्यूचर में खर्च करेंगे क्योंकि उनके हिसाब से इंडिया की कंजम्शन की कहानी इतनी डेस्पिरिट नहीं है आपको क्या लगता है?
क्या वो डेस्पि