मणिपुर समस्या का ऐतिहासिक संदर्भ और वर्तमान स्थिति
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
1850-60 दशक: ब्रिटिश भारत में आये, मणिपुर मेती समुदाय के नियंत्रण में था।
ब्रिटिश नीतियां: चाय प्लांटेशन के लिए नौर्थीस्ट में आये, मेती हिंदू समुदाय को नीचा दिखाया।
कूकी व नागा जनजाति: प्रकृति पूजा करने वाले, ब्रिटिशों ने इन्हें नौकरी और शिक्षा का लालच देकर ईसाई धर्म में बदल दिया।
सामाजिक-धार्मिक परिवर्तन
ईसाई धर्म में परिवर्तन: कूकी और नागा, चिन समुदाय का धर्म परिवर्तन।
जन्मजात वर्ग की स्थिति: 1920-30 में मेती समुदाय को शेड्यूल ट्राइब का दर्जा नहीं मिला।
राजनीतिक घटनाक्रम
1942: Reginald Coupland ने नौर्थीस्ट में ईसाई राज्य बनाने का प्रयास किया।
भारत की आजादी: मणिपुर के बोध चंदर सिंह ने भारत में शामिल होने की इच्छा जताई लेकिन शेड्यूल ट्राइब का स्टेटस नहीं मिला।
मणिपुर की स्थिति और समस्याएं
1950 के बाद: मेती समुदाय के खिलाफ भेदभाव, शेड्यूल ट्राइब स्टेटस न मिलने से निराशा।
1960 के दशक: शेड्यूल ट्राइब स्टेटस का मामला, मेतीों को पहाड़ी इलाकों में जमीन खरीदने से रोका गया।
वर्तमान संकट
ड्रग इकानॉमी: कुकी, चिन समुदाय ने मणिपुर के पहाड़ी क्षेत्रों में ड्रग्स की खेती शुर ू की।
मुख्यमंत्री एन. बिरेन सिंह के कदम: 2023 में, अवैध चिन लोगों को पहचान कर वापस भेजने और ड्रग्स के खिलाफ कार्रवाई की घोषणा।
अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप और अमेरिकी रुख: अमेरिका ने भारत को धमकाया, भारत ने कार्रवाई जारी रखी।
समापन
समाधान के प्रयास: अवैध नागरिकता और ड्रग्स को खत्म करने की जरूरत।
भविष्य की दिशा: भारत-अमेरिका संबंध में गहराई और डिप स्टेट्स को नियंत्रित करने की आवश्यकता।
मनिपुर की समस्या केवल क्षेत्रीय नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति का हिस्सा है, जिसका हल न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि वैश्विक परिप्रेक्ष्य में आवश्यक है।