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मणिपुर समस्या का इतिहास और वर्तमान

मनीपूर जो है फिर से आग बबूला हो रखा है मनीपूर जहरखंड आसाम क्या पैटर्न है कुछ कॉमन है आज के इस वीडियो में इसी चीज को समझने की कोशिश करेंगे 1850-60 की बात है कि जब बृतिश भारत में आए उस समय जो मनीपूर का राज्य था वो एक मेती के कंट्रोल में था, मेती समुदाय जो है, वो वहाँ पर हिंदू समुदाय है, वेशनर्मिजम सनातन धरम में मानने वाले मेती लोग वहाँ पर राज करते थे, वहाँ पर रहते थे, और उसी के आसपास के इलाकों में जो जंगल इलाका होता था, वहाँ पर उस समय आदिवासी लोग रहते थे जो की कूकी और नागा थे अब बृतिश जब आये 1850-60 के दर्शक में उनका सबसे पहला उद्देश्य नौर्थीस्ट में जाकर ये था की वो चाई पत्ती के उतपाद के लिए टी प्लांटेशन की अक्टिविटी करने के लिए वहाँ पर गए उस समय जब धर्ती के सर्वे की है प्रदिशर्स के मन में लालच आ गया उनको एक चीज़ समझ आ गई की चाई पत्ती के उतपाद से ब्रिटन में जो उस समय चाइपत्ती की डिमांड थी उससे कहीं न कहीं हम पूरे विश्वत और पर कंट्रोल भी कर पाएंगे चाइपत्ती के उत्पाद पर अपनी जो मुनोपली है उसको मिंटेन भी कर पाएंगे लेकिन उसके साथ सबसे बड़ी बात यह है कि हम लोग अगर नौर्थ के ऊपर अत्याचार करने चालू करें मेतियों के ऊपर अत्याचार कुछ इस प्रकार से हुए कि जब वो सनातन धरम और वेशननविजम में मानते थे तो उनकी प्रक्टिसिस को नीचा दिखाया गया खेर ये नीचा दिखाना सनातन धरम को इसको जब कर रहे थे तो उसी समय कि जो कूकी और नागा हैं नेचर की वर्षिप करते हैं अपना धर्म नहीं था जब उन्होंने ये बात देखी कि कूकी और नागास जो थे क्योंकि ये नेचर वर्षिप वर्स थे ये अपने आपको किसी धर्म से नहीं जोड़ते थे तो उस समय ब्रिटिशर्स ने एक रणनीती के तहत इन लोगों को फोकस किया फोकस ऐसे किया कि प्राशकर के मनीपुर के उस समय के राज्य में जो मेतीज थे उनके वैश्णविजम की जितनी भी प्रक्टिस्टिस थी उनको टार्गेट करना शुरू किया। कुकी और नागस को अलग प्रकार के लालच देके नौकरी का लालच, पढ़ाई का लालच उनको इंप्लॉइमेंट का लालच बेरोजगारी को मिटिगेट करके एक मौडर्न लाइफ जीने के लालच में उन्होंने धीरे करके इन सारे कुकी और नागस को सबसे पहली बात कन्वर्ट कर लिया अब सबसे बड़ी बात क्या है वो केवल एक वर्ग नहीं था कुकी उस समय एक और वर्ग के साथ रहते थे जिसको हम कहते हैं चिन वर्ग चिन वर्ग के जो लोग लोग थे वो भी उस समय इसी particular चीज का शिकार हुए जब कुकीयों को Christianity में convert किया जा रहा था तो Christianity में convert होते उसी समय Chin वर्ग के लोगों को भी Christianity में convert किया गया अब गौर करने वाली बात यह है कि जो ये कुकी Chin थे सबसे पहली बात ये केवल मनीपूर के राज्य में नहीं थे ये मनीपूर से लेके बाकी North East के अन्य अलग-अलग इलाकों से लेकर में अन्मर तक फैले हुए थे एक चीज को खास याद रखियेगा कि जो पूरा North East है वहाँ पर आज की रेट में 1950 के बाद हमने modern times में जो है देश को अजादी के बाद हमने वहाँ पर borders बनाए लेकिन वहाँ पर पहले British के समय कभी भी कोई बहुत बड़े-बड़े borders नहीं हुआ करते थे अलग-अलग समराज्य नहीं हुआ करते थे सारा इलाका एक था क्योंकि वहाँ पर जितने भी लोग थे वह एक जगह से दूसरी जगह पर अराम से travel करते थे अराम से easily रहते थे तो Myanmar का भी जो उस समय Burma का इलाका था वहाँ तक जो है cookie chin फैले हुए थे अब सबसे बड़ी बात यह थी कि Britishers ने cookie chins जो है उनको Christianity में कन्वर्ट कर लिया है लिया नागा जो थे उनको भी क्रिस्ट्रियनिटी में कन्वर्ट कर लिया ब्रिटिशर्स को वहां पर चायपत्ती की उत्पाद भी देखने को मिली ब्रिटिशर्स को वहां पर तेल जो था उसको भी कभजा करने की बात हुई कभजे के अंदर रखने की बात हुई 1920 तक जब अपने लोग पहुंचे तो 1920 तक एक चीज तय हो गई वह यह थी कि वहां पर ब्रिटिशर्स ने जब कास सेंसस विगरा कराए जिसकी परक्रिया ब्रिटिशर्स ने 1910 से ऑलमुस्ट चालू कर दी थी उन सेंसस के बेसिस पे सबसे पहली बात ब्रिटिशर्स ने 1920-30 के समय जो मेती वर्ग के लोग थे खास करके जो मनीपूर के राज्य के आसपास रहते थे और मनीपूर के राज्य में भी रहते थे उन सब को शेडूल ट्राइब का एक दर्जा दे दिया और ये जो ट्राइबल स्टेटस उनको मिला ये ट्राइबल स्टेटस उनके साथ रहा ये tribal लोग हैं, और 1920-30 के वर्ग में एक चीज और हुई, उसी समय अगर आप ध्यान दे, तो 1920-30 का जो समय है, भारत में एक national movement भी चल रही थी, भारत को अजाद कराने की एक लड़ाई भी चल रही थी, इस भारत को अजाद कराने की जो लड़ाई थी, इस समय Britishers के मन में एक ख्याल आया कि देखिए हमारा भारत में रहना long run में तो sustainable नहीं है ऐसा तो हो नहीं सकता है कि हम भारत में बहुत लंबे समय तक अब जो है अपने राज्य को बना के रख पाएंगे एक ना एक दिन ब्रिटिशर्स ने उस समय चर्च की लीडरशिप में 1920 के समय बैठकर एक निर्णय लिया निर्णय यह था कि ब्रिटिश चर्च ने ब्रिटिश की सरकार को एक यह पर्टिकुलर लेवल पर एक अंडरस्टेंडिंग बिठाई की देखिए हमने Christian Missionaries के दूर बहुत काम किया है, Christian Missionaries के दूर खास करके जो काम हम लोगों ने किया है भारत के North East के इलाके में, हमें उस इलाके के अंदर कहीं ना कहीं अपना दबबा बना के रखना होगा, अच्छा 1920-30 में एक समस्या और थी, Soviet Union जो है 1917 में पैदा हो चुका था, 1917 में Soviet Union प मुव्मेंट पैदा हो चुकी थी अब ब्रिडिशर्स को ये बात भी समझ आ रही थी कि आने वाले समय में मान लीजिए जब भी हम कभी भारत को छोड़ के जाएंगे कहीं ऐसा ना हो कि चीन में जो है कम्यूनिस्ट पार्टी जो है जो अभी पॉपुलरिटी गेन कर रही है क की अन्य ट्राइबल ग्रुप्स को कनवर्ट किया है क्रिस्चनिटी में उनका हम क्या करें और तीसरी बात कि जो नौर्थीस्ट के इलाके में बहुत सारा तेल है इस तेल का कहीं ना कहीं कबजा हमें करके रखना है इसी लिए 1930 के आसपास ब्रिटिश की जो चर्च थी जो कि उस समय सारे अफेयर्स नौर्थीस्ट के कंट्रोल कर रही थी उसने जाकर यह बात ब्रिटिश की सरकार को बताई कि देखिए आने वाली परिस्थिति में कभी भी यदि भारत को छोड़ना पड़ जाए तो आप के साथ जुड़े ही ना और यदि अगर मामली जिये कि ऐसी परिस्टिती कभी गंबीर सी हो भी गई कि जो भारत का नौर्थीस्ट का इलाका है यदि वो जुड़ भी गया तो वहाँ पर जो हमारे क्रिस्टियन्स बनाएवे लोग हैं इनका प्रयोग करने के लिए हमें कुछ ना कुछ रणनीती बनानी पड़ेगी पर जो सेकेंड ऑप्शन था वो इतना लूकरेटिव नहीं था बृटिशर्स ने कहा कि हम सेकेंड ऑप्शन के बारे में सोचें क्यों हम अपनी नाकामी के बारे में सोचें क्यों हम सबसे बहले थी उसने Christian Missionary की activities को और बढ़ावा दिया 1942 में अगर मैं आपको बताऊं तो एक व्यक्ति जिसका नाम था Reginald Coupland यह basically Britain से आया Reginald Coupland जो था एक चर्च का बहुत बड़ा अधिकारी था Reginald Coupland जब आया तो यह सीधा North East गया North East में जाने के बाद इस व्यक्ति ने वहां जाकर बहुत ज्यादा चर्च का प्रचार किया बहुत लोगों को Christianity में और convert किया और इसने Reginald Copeland ने एक point पर आके कई सभाओं को जब ये address कर रहा था 1942 में इसने उसी समय एक बात भी बोली और ये बात उसने जो बोली बड़ी महत्वपूर्ण थी उसने कहा कि ब्रिटिश का एक objective है और objective यह है कि हम North East को तोड़ कर North East को अलग करकर यहाँ पर एक Christian Kingdom बनाना चाते हैं आप इस चीज़ को गौर करके याद रखियेगा कि Christian Kingdom North East में बनना और Christian Kingdom को North East में बनाना जो आज की date में हम Bangladesh, Myanmar, भारत अपनाई जा रही हैं CIA की तरफ से यह कोई पहली बार नहीं है पहले बृतिश ने खुदी दिया था तो बृतिश खुदी जो है रेगिनल्ड कुपलेंड के थूरू ये नरेटिव को फिलाने में सक्सेस्फूल रही इसी रीजन से क्या हुआ कि नौर्थीस्ट के लोगों को रेगिनल्ड कुपलेंड ने उस समय इस लेवल का उकसा दिया क कुपलेंड आया था भारत में और जब वो नौर्थीस में जाकर ये हर्केतें कर रहा था तो इसकी रिपोर्ट उस समय हमारे लोग पर ये नेहरू को भी दी गई इंपोर्टन्ट ये था कि मैं परधानम और ये हरकतें, ये activities, ये कतिविदियां चलती रहें, भारत अजाद हो गया, जैसे ही भारत अजाद हुआ, उस समय मनीपुर में जो एक प्रिंसली स्टेट था, महापर एक राजा थे, और वो प्रिंसली स्टेट के राजा जो थे, उनका नाम था बोध चंदर सिंग, बोध च समाज को belong करते थे वो मेती समाज के representative बनके मनीपुर राज्य के representative बनके उस समय नेहरू से मिलने गए नेहरू से मुलकात करके भारत की अजादी के बाद उन्होंने ये बोला कि देखिए मैं मनीपुर से आया हूँ मैं बोधशंदर सिंग हूँ मैं मेतीयों में उनका रिप्रेजेंटिव हूं मेरा मनीपुर पर कंपलीट कमांड और होल्ड है मनीपुर के लोग मुझे मानते हैं मैं उनका राजा हूं मेरी आपसे बस एक रिक्वेस्ट है हम भारत से जुड़ना चाहते हैं हम भारत के साथ रहना चाहते हैं हम चाहते हैं कि मनीपुर का राज्य भारत से जुड़े लेकिन सबसे बड़ी चीज यह है कि हम इस चीज को तभी मानेंगे जब आप एक इंपोर्टेंट काम करें तो नेरू ने कहा क्या तो बोधी चंदर सिंह ने उस समय यह बात बोली कि नए समिधान मना रहा है और यदि अगर भारत एक समिधान मना रहा है तो इस समिधान में हमें भी वो स्टेटस शेडूल ट्राइब का वापिस मिलना चाहिए नेरू को यह बात बोल के बोच चंदर सिंह यह सोचकर वापिस आ गए कि उनकी जब एक ऑर्डर के तहट शेडूल ट्राइब की लिस्ट निकाली गई तो उस लिस्ट में सबसे बड़ा खेला हो गया खेला यह हो एक tribal status था उसको वो tribal status दिया ही नहीं गया और सबसे बड़ी beauty यह थी कि यह tribal status ST status उस समय मनीपूर के राज्ये में दे दिया गया और किसी को नहीं बलकि कुकी और नागा को तो कुकी और नागा जिनको Christianity में convert किया गया था और इनको Christianity में convert करके एक प्रकार का इस तरीके से उस particular समुदाय को जो है सबसे पहले तो schedule tribe का status ले दिया इससे जाहिर सी बात है कि 1950 से मेतियों के खिलाफ discrimination चालू हुआ और तो और सिर्फ यह यही नहीं रुका 1960 में उस समय Congress की सरकार जो मनिपुर में थी उस सरकार ने एक और कानून पास किया कानून में यह बात बोली गई कि जितने भी मेती समाज के लोग हैं, जो मनीपुर के वैली के इलाके में रहते हैं, जो वैली का इलाका है, वो लगबग प्लेन इलाका है, प्लेन इलाका जो है, वो लगबग 10% लैंड है मनीपुर की, वो इलाके में, वो वहीं रहेंगे, यानि कि जो 90% इलाका लैंड का मनीपूर का है, 90% इलाका जो मनीपूर की पहडी इलाका है, इस पहडी इलाके में जो कूकी और नागा रहते हैं, इस इलाके में जो 10% इलाके के रहने वाले लोग हैं, यानि कि जो मैती समाज के लोग हैं, लोग हैं वो वहाँ पर जाकर कभी भी लैंड खरीद नहीं सकते खेल देखिए कितना अजीब शाह सबसे पहले तो 1950 में समिदान मनने के बाद मैती समुदाय को शेडूल ट्राइब का स्टेटस मिला ही नहीं और स्टेटस ना मिलने के बाद दूसरी बड़ी महत्वपूर्ण नहीं केवल सारी जिन्दी रहेंगे आपके आसपास जो 90 प्रतीशत मनीपुर का एरिया है जिसको हम पाड़ी इलाका कहते हैं जहां पर कूकी नागा रहते हैं आप उस इलाके में कभी नहीं जाएंगे और वहाँ जाकर तो आपको लेंड खरीदने के उपर कम्पलीट पावं है जहां पर मेती समुदाई के लोग रहते हैं वहां पर आकर वो लैंड खरीट सकते हैं लेकिन वाइसा वरसा पॉसिबल नहीं है तो यह चीज हुई इस चीज के बाद 1960 में जाहिर सी बात है कि फिर से जो मेती समाज के लोग थे वो बहुत ही जाधा निराश हुए अब सबसे बड़ी बात क्या थी कि 1950 और 60 में जब यह सब चीजें चल रही थी जो इस्ट पाकिस्तान की टेरिटरी थी उसको एक बेस मना रखा था इस पाकिस्तान की टेरिटरी को बेस मना करना पूरे सबवर्जन सेबोर्टाज के ऑपरेशन किये जा रहे थे तो साहिर सी बात है कि जब ये प्रकार के कानून पास किये गए जिसमें कुकी और नागास को फेवर किया गया और कुकी और नागास वो ही थे जो ये कहना गलत नहीं होगा कि जो क्रिस्टियन मिशनरी के द्व 1950 से चल रही थी नागलन्ड की इंसरजेंसी को फंड करने के लिए को की जो इसने थे, साथ में जो basically कुकीओं के साथ जो नागास थे, ये सारे लोगों ने मिलकर इस पूरी इंसरजेंसी को बढ़ाया, अब भारती की Research and Analysis Wing जो है, उसने सरकार को ये समझाया कि देखिये सारा North East की प्रॉब्लम जो है उसका root cause जो है, वो और कोई नहीं बलकि East Pakistan है, East Pakistan को जाना होगा, 1971 में Operation के तयथ East Pakistan गया, महापर Bangladesh बढ़ा और जैसे ही Bangladesh बढ़ा, और बना एक नया देश, इस बढ़लाव जो अंस्थाएं थीं, खास करके खुफियास अंस्थाएं, जो बांगलादेश, जैनी की जो पहले अर्स्ट वाइल इस्ट पाकिस्तान था, जिसको वो लोग अपना बेस बना कर नौर्थीस्ट में सारी इंसरजेंसी ओपरेशन्स को रन कर रहे थे, वो सारा का सारा बेस अब अब सारी समस्या यह थी कि मेयान्मार में जाकर, मेयान्मार के थूरू किस प्रकार से operations को run किया जाए कि भारत के North East को फिर से destabilize किया जाए। ये insurgent groups थे जिनको external support पहले erstwhile east Pakistan से मिल रहा था अब क्योंकि वो shift होके Bangladesh से निकल कर Myanmar चला गया तो और वहाँ से अब वो support नहीं मिल पा रहा था तो एक चीज तो ये तैह हो गई कि उस समय वो लोग भी एकदम बिना funds के बठे हुए थे और जब सरकार ने अपना military might उनके उपर लगाया तो तुरंत जो है 1970 और 1980 के दशक में बहुत सारे agreements होए इन बहुत सारे agreements के तैथ जितने भी erstwhile पुराने insurgents थे इनोंने तुरंत जो है compromise कर लिया और सबसे बड़ी ब्यूटी नौर्थीस्ट की अगर आज भी देखें आप ये है कि नौर्थीस्ट के राज्यों ��ें अलग-अलग जो राज्य हैं वहाँ पर जितने भी अर्स्ट वाइल पुराने इंसरजेंट्स हैं उन सबने पुलिटिकल पार्टियां मनानी पुलिटिकल पार्टियां खेर उस चर्चा पर हम नहीं जा रहे सवाल यह था कि 1970 और 1980 के दशक में जब सारा का सारा बेस इन बागर बंगलादेश से निकाल कर में अन्मार लेकर जाना पड़ा तो मेयानमार में बैठकर अब इन्होंने सोचा कि भाई अब खेल क्या किया रहा जाए। कि कुकी और चिन लोग वह करते थे यह जो चिन लोग वह करते थे जब भरत अजाद हुआ तो यह बहुत सारे चिन लोग जो है इनका बेसिकली क्योंकि इलाका जहां पर यह रहने लग गये थे वो मियानमार और बर्मा में चला गया तो ब्रिटिशर्स ने यह देखा कि यार इनके नाते तो कुकी लोगों के साथ बहुत गहरे हैं, तो Britishers ने 1980-1990 के दशक में ये जो चिन लोग दे, जो Myanmar में रह रहे थे, इनको बार-बार ये बोलना शुरू किया कि देखिए आपके तो जानपिचान के लोग जो कुकी लोग हैं, वो basically रहते हैं Manipur में, Manipur में पाड बहुत भारी मात्रा में चिन लोग जो हैं वहां से छोड़ कर मेयानमार की टरिटरी से वह मनीपुर में गुशने लगे अच्छा अब मनीपुर में गुशने लगे तो सबसे पहली बात वह कहां जाएंगे वह जाएंगे कुटीयों के है कि 1990 के दशक प्रशासन को मैनेज करने के लिए कंप्लीट पावर दी गई थी अब दिक्कत क्या हुई अब सोचके देखिए कि जो पाड़ी इलाके हैं मनीपूर के उन पहड़ी इलाकों में रह रहे हैं कूकी उन पहड़ी इलाकों में कूकीयों के साथ इलिगली आ रहे हैं चिन मेयानमार से और इन कूकी चिन्स को अकॉमडेट करना है किसी न किसी तरह उन पहड़ी इलाकों में पहड़ी इलाकों का सारा प्रशासन जो है हाथ में नहीं बलकि autonomous hill area development committee के हाथ में है इन hill area development committee को जो है उस समय की केंदर सरकार पैसा दिया करती थी आज भी केंदर सरकार इनको अपने विकास कारियों के लिए पैसा देती है उस समय की केंदर सरकार ने क्या निर्णे लिया लिया कि वही यदि मान लीजिए इलीगली ये चिन जो है ये अगर कुकीयों के साथ रहने आ रहे हैं तो इनको आने दो केंदर सरकार के इस रवये से असाम में भी समस्या हुई क्योंकि असाम में भी 1971 के बाद जब बहुत सारे बंगलादेश से इलीगल माइग्रेंट्स भारत आए तो केंदर सरकार और कांग्रेस की उस समय की जो आसाम की सरकार थी उसके निर्ने के तहत उन सारे इलीगल बंगलदेशीज को ग्रेजॉली अब्जॉब करके भारत का सिटिजन और नागरिक बनाया गया और नागरिक बनाने के बाद उनको एक वोड़ चिन को भेजा जा रहा है मान लीजिए म्यानमार से तो चिन को आने दिया जाए लेकिन चिन आ रहे थे अपने आप भेज रहे थे कि कुकीयों के साथ रही है तो यहाँ पर सोने पर सुआगा यह हो रहा था कि वो कुकीयों के साथ रहने जब आ रहे थे तो उनको भारत की नागरिकता भी प्राप्त हो रही थी तो सडनली यह जो बहुत सारे इल्लीगल मातरा में चिन लोग आए अगर मनी मनीपुर के पाड़ी इलाकों में रहेंगे इन पाड़ी इलाकों का प्रशासन अगर हिल एरिया डेवलपमेंट कमिटीज के थूँ होता है हिल एरिया डेवलपमेंट कमिटीज में कुकी लोग ही जो हैं वो डॉमिनेट करते हैं महापर मेतियों जो सरकार है मेती की जो सरकार ह आए यह पहले कुटी होंगे साथ रहना शुरू करने बैठे रहते-रहते इनको नगरिकता की प्रप्त हुई इसके साथ-साथ क्योंकि इनका प्रशासन पूरा इनके खुद के हाथ में था जो यह चेन आए इनको भेजा गया इस प्रपस से कि यह इन पहड़ी आए दूर दराज के इलाकों में जंगलों में जाकर जो है इन लीगल लेवल पर ओपियम कल्टिवेट करेंगे इन लोगों ने ओपियम का कल्टिवेशन चालू किया वह प्रविशन के ऊपर कोई रोक-टोक नहीं थी क्योंकि अटोनोमस हिल एरिया कोई basically सरकार कारवाई कर भी नहीं पारी थी इनको लेके अब इस process में क्या हुआ इस process में जो पूरा पाड़ी इलाका था वहाँ पर एक बहुत बड़ी ड्रग इकाउनमी बननी शुरू हो गई अब एक और चीज़ और 1980 के दशक में खास करके जब भारत की सरकार ने एक insurgent अब सोच के देखिए ये अर्स्ट वाइल इंसरजेंट कौन था ये एक गैंग लीडर था इसके पास एक गुरुप हुआ करता था उस गुरुप में बहुत सारे फॉलूवर हुआ करते थे अब भारत की सरकार ने जो रवया अपनाया वो रवया ये था कि बही हम गुरु� और वो ग्रूप के लीडर को पुलिटिकल प्रोसेसेस में इंटिग्रेट करके उसकी एक पुलिटिकल पार्टी बनाएंगे, पुलिटिकल पार्टी बनाकर उसको मुख्य मंतरी बनाएंगे, वो हुआ, मुख्य मंतरी नहीं बनाएंगे, तो चलो कोई बड़ा मंतरी बना समस्या क्या थी? समस्या या थी कि जितने भी ये सारे लीडर्स थे हर एक लीडर के बहुत सारे followers भी थे इन followers को तो कुछ नहीं मिला उनके leaders जो थे जो insurgent group के heads थे वो सारे तो कहीं ना कहीं politically absorbed हो गए लेकिन जो day to day fighter थे उन insurgent groups के जो लोग थे जो उन लोगों से साथ जुड भेज के कुकीयों के साथ ठहरा के वहाँ पर मनीपूर के पहाड़ी इलाकों में एक ड्रग कल्टिवेशन शुरू कर दिया था तो उन्होंने इस ड्रग को बेचने के लिए एक बहुत बड़ी मार्केट ढूंढी नौर्थीस्ट में और ये मार्केट कौन थी ये मार्केट थी ये वो ही सारे लोग जो पुराने लीडर जो है चुपचाब आज जाकर मुख्यमंत्री और उसने अपने सारे followers को dump कर दिया इन followers को तो कुछ नहीं मिला, जो foot soldiers थे उनको कुछ नहीं मिला, तो ये foot soldiers जिनके पास ना कोई नौकरी थी, ना कोई आमदनी थी, ना कोई पैसा था, ये frustrated lot था, और ये frustrated अकेला नहीं, इसके साथ इन लोगों ने violence की थी, और अब इनको violence करने का मौका नहीं मिल रहा था, चला गया और फाइनली जब 1995 में खालिस्तान का टेररिजिम खत्म हुआ तो उस समय 1995 के बाद अ बारत की सरकार को आइडियली पंजाब की जो ट्रॉमाटिक पॉपुलेशन थी उसको पूरी की पूरी पॉपुलेशन को एक सूधिंग एफेक्ट देने के लिए वहाँ पर उन लोगों के साथ इंगेज करना था पर पॉपुलेशन के साथ कोई सूधिंग एफेक्ट के पॉल 2010 के दशक में ब्रिटन के बदावलत कूकी और साथ में यह जो चिन लोग थे इनके बदा��लत मिलकर पूरे नौर्थीस्ट में हुई तो अब आप खेल समझिए खेल यह हुआ कि बहुत सारे जो पूरे नौर्थीस्ट के अंदर एक ड्रग एकॉनमी बनी हुई थी उसको सस्� जी राये साइड पाकिस्टान को भी बताई तो ग्रेजुअली 2010-2015 तक परिस्थिती कुछ ऐसी हो गई थी कि मनीपूर के जो पाड़ी इलाके हैं वो होट बेट्स आफ ड्रग कल्टिवेशन मन चुके थे अगर मैं एक अनेलेजी के तहत आपको एक्जांपल दूं तो आपको के बड़े सारे beneficiaries थे इसका CIA beneficiary था CIA के साथ इसका सबसे बड़ा beneficiary Britain थी Britain के साथ Pakistan थी और ये लोग सारे के सारे पूरे North East में drug economy को चला रहे थे उन सारे लोगों को drugs दे कर drug addict बना रहे थे और ये drug सिर्फ जो है North East में नहीं ये drug से illegally जो पैसा है वो पश्चिन मंगाल से लेके असाम से लेके जारखण तक पहुँच रहा था तो ये सारा area जो है पूरे के पूरा drug की चपेट में आ रहा था अब दूसरी चीज़ को अब्जर्व कीजिए कि ये तो हो गया जो कूकी चिन लोगों के साथ हो रहा था लेकिन सबसे बड़ी बात है कि हमने बोला कि जो मेतीज थे वो भी तो रहते थे मेतीओं का क्या हुआ मेती तो 10% एरिया में प्लेन एरिया में वैली एरिया में रहत of time 1950 से लेके आज तक मेतियों की population भी तो बड़ी जैसे मेतियों की population बड़ी उनका एक land pressure बड़ा क्योंकि वो तो 10% area में confined थे उनको तो पाबंदी लगाई गई थी 1960 के एक कानून के तैयद की कि आप तो पाड़ी इलाके में मतलब प्रॉपर्टी देख भी नहीं सकते, खरीद भी नहीं सकते, तो लांड का जब प्रेशर बढ़ रहा था, तो जाहिर सी बात है न, कि मेतियों के अंदर जो डिस्क्रिमिनेशन और फ्रस्टेशन था वो बढ़ रहा था, इसी कारण से मेतियों ने डिमांड करना फिर से चालू कर दिया कि हमें शडूल ट्राइब का स्टेटस दिया जाए, वो इस कारण से मांग रहा है क्योंकि उसको ये बात पता है कि भाई जितना भी आज की डेट में लैंड प्रेशर है, एक है कि यदि हमारे को लैंड दी जाएगी और स्टेटस स्टी का मिलेगा तो कम से कम हम पाड़ी इलाकों में जाकर जो है महापर लैंड खरीद के ग्रेजूली अपने घर को बसा सकते हैं भाई मेतियों को आप आज की रेट में क्या सदा देंगे ये कहके कि भाई तुमारे क जो भारत की सरकार की पुरानी नीतियां रही हैं उसके इसाब से तो मेतियों के उपर यही जुनन किया जा रहा था उनको तो यही बात बोली गई होगी कि भाईया आप जो है इस एरिया में रहेंगे यदि आपकी पोपुलेशन बढ़ गई तो भड में जाएए छोड़ के पाबंदी के तैद आप जो है कभी भी लेंड नहीं खरीद सकते इस रीजन से पहली बार समझिए कि मेतियों का जो यह डिमांड स्टी स्टेटस का आया वो इस रीजन से आया खेर यह जो इशू था यह अगेन मैं फिर बोलूंगा यह स्टी स्टेटस का नहीं था इशू सम कीजिए इशु ये था कि दो हजार तैसे के फरवरी के महीने में पिछले साल मनीपुर के जो मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह थे उन्होंने दो बड़े important कदम उठाए सबसे पहला कदम उन्होंने ये उठाया कि उन्होंने ये बोला कि भाई जो मनीपुर के पहाड़ी इलाके जहां पर ये कुकी और चिन रह रहे यहां पर हमें मालूम चला है intelligence reports के तहत की पहली बात तो ये जो चिन है ये बहुत सारे लोग illegal है इन्होंने illegal तक तरीके से नगरिक्ता प्राप्त की है तो मनीपूर के मुख्यमंत्री ने एक important point ये बोला है कि हम एक करवाई करवाईंगे करवाई के तैद ये जो illegally म्यानमार से आयुवे चिन लोग हैं ये जो over a period of time यहाँ पर आके बसे हैं जिन्नोंने illegally नगरिक्ता प्राप्ति कर रही है इनको आइडेंटिफाई करके वापिस मनीपूर से निकाल कर मेयानमार भेजा जाएगा और दूसरा उन्होंने ये बात बहुत महत्वपूर बोली उन्होंने ये कहा कि जितने भी ये लोग कुकीचिन जो पाड़ी इलाकों में रह रहे हैं ये बहुत ब कि जैसे ही ये दो स्टेटमेंट मनीपुर में मुख्यमंतरी ने दिये पिछले साल फरवरी में, उसके तुरंत बाद मार्च एपरल से मनीपुर में आग लग गई। ड्रग को बेच के पूरी नौर्थीस्ट के अंदर ओपरेशन्स रन कर रहे हैं इनको ये चीज समझ आ गई कि अब हमारा धंदा बंद हो गया उस समय अमेरिका ने भारत को जो है बहुत जादा अग्रेसिवली डराया भी और धंकाया भी अमेरिका ने भारत को बोला कि देखिए मनीपुर में आप ये शांत हो जाए वरना बहुत दिक्कत होगी भारत की सरकार ने अमेरिका के हम जो यहाँ आपके चरण चुमबक बन जाएंगे यह पुरानी सरकारों में हुआ करता था भारत की सरकार ने बोला कि जो मनीपुर के मुख्यमंत्री ने बोला है कारवाई होगी इन लोगों को आइडेंटिफाई किया तो भारत की सरकार ने जब एक ख़ोर रभया अपनाया तो जाहिर सी बात है कि अमेरिका को अभी समझ आ गया कि भाई यदी मान लीजिये कि भारत ने कहीं कोई ऐसी गतिविदी कर दी कि कहीं इस गतिविदी के कारण उन्होंने मनीपूर के अंदर यहाँ पर जो है ये प्रकार की हरकत करी कि जिससे की जो ये पूरे के पूरे समाज के लोग हैं अगर इनके उपर कोई यहाँ चा गई तो कल को ये लोग कहीं ऐसा ना हो कि हमारे पूरे गेम को एकस्पोस कर दें तब से मनीपूर के अंदर ये जलता है बार फ्लेर आप होता है और सबसे बड़ी बात अमेरिका का भारत के अंदर एक बहुत बड़ा इकोसिस्टम है जिसको हम लोग एक डीप स्टेट कहते हैं इस डीप स्टेट के बारे में मैं आपके लिए भारत का जो में कैसे सपोर्ट करता है तो उसने क्या किया है कि तुरंत जैसे ही मनीपुर में यह आग लगाने का काम चलू किया परलेली उसने जो है इस डीप स्टेट को एक्टिवेट कर दी और यह डीप स्टेट जो है यह पूरा का पूरा एक्टिव हो गया मनीपुर मनीपूर, जैसे की मतलब ये बस कंडक्टर हैं सुबे से रात खड़े होके, क्योंकि इनका objective सिर्फ ये था, कि अमेरिका के उस interest को बचाया जाए, और उस interest को बचाया जाए, जिससे की ये drug economy expose ना हो, क्योंकि drug economy expose नहीं होगी, drug economy के सारसाथ exposure के साथ, ये expose होगा कि चिन लोगों को illegally नागरिकता कैसे प्राप्त हुई, और जब ये expose होगा, तो इस पूरे ecosystem को activate कर दिया गया, तो मनीपूर की समस्या जो है वो आपके सामने है, मनीपूर में इस समय, सिर्फ भारत की सरकार अकेले कुछ नहीं कर सकती क्योंकि यहाँ पर भारत की सरकार सिर्फ मेती और कुकी समाज के बीच में सम्मन्द बनाने का काम करने का कोई हल नहीं है यहाँ पर हल इसी चीज़ का है कि यह जो चिन लोग हैं इनको बार उठा के फेका जाए और सबसे बड़ी बात की इस ड्रग इकोनमी को तोड़ा जाए आई होप कि अब आपको कम से कम यह चीज़ समझा रही होगी कि जब भारत किसी भी प्रकार का कोई कदम उठाएगा, इल्लीगल जो नागरिक आये हुए हैं, इल्लीगल प्रकार से नगरिकता प्राप्त करके बैठे हुए हैं इनको हटाने की, तब ये ecosystem activate होगा, तब आपको ये flare-ups जो हैं ये देखने को मिलेंगे, आप एक चीज़ को और कोई भी मुख्यमंत्री कोई भी नेता अगर आज की डेट में किसी भी राज्य में जाकर अगर यह बात बोलता है और यह बात बड़ी महत्वपूर्ण है कि वह यह बात बोलता है कि हम इस इलाके में या इस राज्य में जितने भी इलीगली आएवे लोग गुश्चन उस बैठी लोग हैं जिन्होंने इलीगल तरीके से नगरिक्ता प्राप्त की है हम उनको आइडेंटिफाई करके डिपोर्ट करेंगे तो आप देखेगा कि इन लोगों का डीप स्टेट इकोसिस्टम पूरा इमिजेटली अक्टिवेट हो जाता है और तुरंद जो है यह अक् इन सेंसिटिव है भारत की सरकार जो है नगरिक तच्छीनना चाती है हम कागज नहीं दिखाएंगे आप समझ रहे हैं कि यहां पर क्या गेम हो रहा है आपके सामने तो मनीपुर की लड़ाई भी यही है तो आई होप इस वीडियो के बाद आपको यह चीज समझ आ गई होगी कि मनीपुर की लड़ाई मनीपुर की नहीं है यह लड़ाई एक बह� इनकी नगरिकता छीनी नहीं जाएगी वापिस नहीं भेजा जाएगा इस ड्रग एकॉनिमी को डिसमेंटल नहीं किया जाएगा तब तक मजबूरन सिर्फ मनिपूर नहीं है अनफर्चुनेटली ऐसा ना हो कि ये आग दूसरे राज्यों में भी फैले क्योंकि अमेरिका का य अमेरिका का डीप स्टेट दूसरे देशों में स्पॉंसर कर रहा है उनको आइडेंटिफाई किया जाए तो ये बात तो अब तैहे कि जन्वरी में एक बार जब ट्रम्प फाइनली टेक ओवर कर ले एक चीज तैहे कि ट्रम्प के टेक ओवर के बाद जब ट्रम्प डीप स्� टीम को एक्टिव होने दीजिए उसके बाद भारत और अमेरिका मिलकर एट लीस्ट दोनों देशों के बीच की जो डिप स्टेट्स है इनको डिस्मेंटल करना कोई मुश्किल काम नहीं होगा तो ऐप इस वीडियो के बाद आपको मनीपुर की समस्या जो है