नोट्स: नियोप्लाजिया और उससे संबंधित वायरस
1. नियोप्लाजिया के विषय में
- नियोप्लाजिया के पिछले टॉपिक्स पर चर्चा की गई।
- कई वायरस कार्सीनोजेनेसिस की प्रक्रिया को बढ़ावा देते हैं।
2. वायरस और कैंसर
- Human T-cell ल्यूकीमिया वायरस (HTLV-1):
- यह मानव में T-cell ल्यूकीमिया का कारण बनता है।
- ल्यूकीमिया की प्रक्रिया को समझने के लिए विशेष पैथोलॉजी की आवश्यकता है।
3. ल्यूकीमिया और लिंफोमा
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ल्यूकीमिया:
- WBCs का अत्यधिक उत्पादन या प्रोलिफरेशन।
- डिफ्यूज इन्कल्वमेंट होती है और सर्कुलेटिंग रक्त में फैली होती है।
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लिंफोमा:
- यह एक ठोस मास के रूप में उपस्थित होता है।
- WBCs का डिपॉजिट विभिन्न क्षेत्रों में होता है।
4. HTLV-1 का प्रभाव
- HTLV-1 वायरस CDA4 T-cells को प्रभावित करता है।
- संक्रमण के बाद केवल 3-5% लोग ल्यूकीमिया विकसित करते हैं।
- ल्यूकोजेनिसिस के लिए इस वायरस का होना आवश्यक है।
5. वायरल इंटीग्रेशन और ट्रांसफॉर्मेशन
- HTLV-1 का क्रोमोसोम में इंटीग्रेशन यादृच्छिक होता है।
- वायरस मानव कोशिकाओं को ट्रांसफॉर्म करता है और कैंसर के विकास में योगदान देता है।
6. टैक्स प्रोटीन का कार्य
- टैक्स प्रोटीन वायरस की रेप्लिकेशन और होस्ट सेल्स को ट्रांसफॉर्म करने में सहायता करता है।
- यह P53 ट्यूमर सप्रेसर जीन में म्यूटेशन करता है।
- Cyclin D के स्तर को बढ़ाता है, जिससे प्रोलिफरेशन बढ़ती है।
7. जैविक अस्थिरता
- HTLV-1 संक्रमण से जैविक अस्थिरता उत्पन्न होती है।
- DNA मरम्मत जीन कार्य करना बंद कर देते हैं, जिससे कैंसर का खतरा बढ़ता है।
8. निष्कर्ष
- HTLV-1 संक्रमण के परिणामस्वरूप टी-सेल्स की अत्यधिक प्रोलिफरेशन होती है।
- मानव टी-सेल ल्यूकीमिया वायरस की समझ विकसित करना आवश्यक है।
ये नोट्स नियोप्लाजिया और उससे संबंधित वायरस के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं, जिसमें HTLV-1 की विशेष भूमिका और इसके प्रभावों का उल्लेख है।