एयरपोर्ट प्राइवेटाइजेशन की चर्चा

Sep 21, 2024

एयरपोर्ट प्राइवेटाइजेशन का विषय

रिलायंस और अडानी समूह का एवालियोशन

  • एंक्वाइरी में पाया गया कि रिलायंस को जानबूझकर अधिक पॉइंट दिए गए थे।
  • दुबारा एवालियोशन में रिलायंस के पॉइंट्स कम हो गए।
  • अडानी ने पहले से ही बिडवेस्ट और एसी एसे के साथ डील कर ली थी।
  • 6 एयरपोर्ट की बिडिंग से पहले नियमों को बदला गया।
  • प्राइवेट खिलाड़ियों को दी गई सुविधाओं के बावजूद सरकार की क्षमताएँ अधिक हैं।

एयरपोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) का नियंत्रण

  • 1999 से पहले सभी एयरपोर्ट AAI द्वारा नियंत्रित थे।
  • 1999 में पहली बार प्राइवेट कंपनियों को एयरपोर्ट्स का प्रबंधन सौंपने का विचार।

PPP (Public Private Partnership) मॉडल

  • PPP मॉडल में सरकार और प्राइवेट कंपनियाँ मिलकर एयरपोर्ट का प्रबंधन करती हैं।
  • इसके उदाहरण में मुंबई एयरपोर्ट और अन्य शामिल हैं।

एयरपोर्ट प्राइवेटाइजेशन के फायदे और नुकसानों पर बहस

  • कुछ लोग प्राइवेट कंपनियों के पक्ष में हैं, जबकि अन्य इसके खिलाफ।
  • प्राइवेट प्लेयर्स के लिए निगरानी में कमी और राष्ट्रीय सुरक्षा का खतरा।

गवर्नमेंट के द्वारा किए गए नियम परिवर्तन

  • 2000 के दशक में डेली और मुंबई एयरपोर्ट को प्राइवेटाइज किया गया।
  • 2004-2005 में डेली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड और मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड का गठन।
  • Reliance और GMR के बीच बिडिंग प्रक्रिया और विवाद।

GVK समूह और अन्य प्राइवेट खिलाड़ियों की समस्याएँ

  • GVK समूह पर मनी लॉंडरिंग और अन्य आरोप।
  • अडानी समूह ने कई एयरपोर्टों की बिडिंग जीती है।

नए नियमों का प्रभाव

  • अब एक प्राइवेट कंपनी को कई एयरपोर्ट मिल सकते हैं।
  • बिडिंग प्रक्रिया में केवल वित्तीय पहलुओं पर ध्यान दिया जा रहा है।

वर्तमान स्थिति और भविष्य की संभावनाएँ

  • GMR समूह अभी भी प्रमुख है, लेकिन अडानी समूह तेजी से बढ़ रहा है।
  • सरकार अगले दौर के लिए और एयरपोर्ट प्राइवेटाइजेशन की योजना बना रही है।
  • अगर अडानी समूह बिड जीतता है, तो वे जीएमआर से आगे निकल सकते हैं।

निष्कर्ष

  • प्राइवेटाइजेशन से आम जनता को नुकसान हो सकता है।
  • पहले सरकारी एयरपोर्ट व्यवस्थाएँ अधिक जवाबदेह थीं।
  • वर्तमान में कुछ प्राइवेट कंपनियों की मोनोपॉली हो सकती है।
  • टेलीकॉम सेक्टर की स्थिति से समानताएँ।