Transcript for:
इकोनॉमिक्स रिफॉर्म्स 1991 (LPG पॉलिसी)

हेलो भाई मैं आपका भाई दोस्त एजुकेट और अभी इकोनॉमिक्स लव कौशिक स्वागत करता हूं आपका कॉमर्स वाला में और दोस्तों आज की क्लास में इंडियन इकोनॉमिक डेवलपमेंट वाली बुक से मैं लेकर आया हूं आपके लिए चैप्टर नंबर थ्री जिसका नाम है इकोनॉमिक्स रिफॉर्म्स साइंस 1991 प्यार से बच्चे इसको एलपीजी पॉलिसी वाले चैप्टर के नाम से जानते हैं और बहुत सारी रेफरेंस बुक में इस चैप्टर का नाम लिखा हुआ है न्यू इकोनॉमिक पॉलिसी इंडिया इकोनॉमिक डेवलपमेंट का धाकड़ लेवल का चैप्टर है ये चैप्टर बच्चों को बहुत लंबा लगता है इस वीडियो को देखने के बाद आपको ये चैप्टर बिल्कुल आसान लगेगा इस चैप्टर रोड मैप आपके दिमाग में क्लियर हो जाएगा जिन बच्चों ने पहले कभी ये चैप्टर पढ़ रखा है उसके लिए तो सोने पे सुहाग है वीडियो जिन बच्चों ने बिल्कुल भी पढ़नी है ना चैप्टर तो इस वीडियो के साथ वो चैप्टर को अच्छे से दिमाग में मैपिंग कर सकते हैं की चैप्टर के अंदर ये है और एग्जाम टाइम में आपके लिए इससे बड़ी चीज कोई नहीं है एक तरीके से संजीवनी बूटी की तरह ये चैप्टर आपके लिए मतलब ये वीडियो इस चैप्टर के लिए आपके लिए इंपॉर्टेंट है तो दोस्तों आपको मोटे-मोटे तौर पे बताऊं की जो चैप्टर है पूरा का पूरा इकोनॉमिक रिफॉर्म्स इसको ध्यान रखना रिफॉर्म जो वर्ड है इसको दिमाग में क्लियर करना रिफॉर्म का मतलब होता है सुधार यानी इंप्रूवमेंट कोई कमी थी तो उसको इंप्रूव किया गया तो 1991 में हमारे देश के अंदर बहुत सारी कमी थी उनको इंप्रूव किया गया उनको इंप्रूव कैसे किया गया वो पूरा इस चैप्टर में है तो इस चैप्टर के अंदर आपको मोटे-मोटे तौर पर चार चीज भरनी है हमने अपने देश को रिफॉर्म में इंप्रूव किया तो वह इंप्रूव क्यों किया क्या कारण द की हमें अपने देश के अंदर सुधार लाने पड़े इकोनॉमिक्स रिफॉर्म लाने पड़े पहली बात वो पढ़ेंगे दूसरे नंबर पे की जब रिफॉर्म करना स्टार्ट किया सुधार करना स्टार्ट किया तो कौन-कौन से कॉम्पोनेंट्स द यानी कौन-कौन सी चीजों के थ्रू हमने अपनी इकोनॉमी को सुधार तीन चीजों के थ्रू सुधार या नाम तो लिख ही देता हूं तो पहले से जानते हो पहली चीज का नाम लिबरलाइजेशन ठीक है इसको पढ़ना है फिर दीपाली दूसरी चीज का नाम प्राइवेटाइजेशन और तीसरी चीज का नाम है ग्लोबलाइजेशन ग्लोबलाइजेशन तो भैया इन तीनों के ऊपर चैप्टर इन तीनों को जोड़कर हमने अपने देश की नई इकोनॉमी पॉलिसी बनाई एलपीजी पॉलिसी बोलते हैं उसको या न्यू इकोनॉमिक पॉलिसी बोलते हैं उसको ही इकोनॉमी रिफॉर्म बोलते हैं उसका रिजल्ट क्या रहा मतलब इन्होंने वाक्य में ही देश को सुधार दिया या सुधार नहीं पाए तो इसका एक क्रिटिकल अप्रेजल आपको करना है इसके प्लस और माइंस वाले पॉइंट बनाने हैं अलग-अलग रेफरेंस बुक में इसका अलग-अलग आंसर लिखा है आप मोटे-मोटे तौर पे ये ध्यान रखना की जो भी हमारे इकोनॉमी में गिरफ्तार से उसका इकोनॉमिक ग्रोथ यानी जीडीपी पे क्या इफेक्ट पड़ा आप ये बात ध्यान रखना की एग्रीकल्चर ग्रोथ पे उसका क्या इफेक्ट पड़ा एग्रीकल्चर को तो यार नेगलेक्टिंग कर दिया था इंडस्ट्री इस पे उसका क्या इफेक्ट पड़ा इंडस्ट्रियल ग्रुप पे और फिर चौथे नंबर पर आपको ध्यान रखना है एंप्लॉयमेंट पर क्या फर्क पड़ा एंप्लॉयमेंट अपॉर्चुनिटी बड़ी या कम हो गई मोटे मोटे तौर पर बताया तो एंप्लॉयमेंट अपॉर्चुनिटी तो पहले ही बढ़ रही थी ये यहां पर भी बड़ी है लेकिन जिस रेट से पहले बढ़ रही थी उसे रेट से नहीं बढ़ रही थी तो नेगेटिव इंपैक्ट पढ़ा है लेकिन इस बात को डिस्कस नहीं कर रहा अभी इस पॉइंट में आपके दिमाग के अंदर मैपिंग चल रही है फिर दोस्तों कुछ अब आदर टर्म पढ़नी है ना तो उसमें तुम्हें में में तौर पे पैन का कलर पतला करता हूं फिर यहां पर चीज आसानी से आएंगे देखो यहां पर पढ़ना है आपको स्ट्रैटेजिक सेल और माइनॉरिटी सेल क्या होती है जब सरकार अपनी कंपनी का 49% तक हिस्सा बेच देती है तो वह माइनॉरिटी सेल होती है सरकार के हाथ में कंट्रोल रहता है जब 51% या उससे ज्यादा हिस्सा बेच देती है तो उसको स्ट्रैटेजिक सेल बोलते हैं सरकार अपने हाथ से कंट्रोल लूज कर देती है दूसरा तारीफ बैरियर क्या होती है और नॉन ट्रिक बैरियर क्या होती है पहली बात तो टैरिफ का मतलब होता है जो इंपोर्ट पर टैक्स लगता हो तो विदेशों से अगर हमें इंपोर्ट रोकना है टैक्स के थ्रू तो उसको टैरिफ बैरियर बोलते हैं और टैक्स के अलावा दूसरी रिस्ट्रिक्शन लगाते हैं विदेशों के इंपोर्ट पे तो उसको नॉन टैरिफ बैरियर बोलते हैं और थर्ड नंबर की टर्म है बिलैटरल ट्रेड और मल्टीलेटरल ट्रेड क्या होता है पहली बात तो 2 लीटर का मतलब ही समझ लो दो होता है मल्टीलेटरल का मतलब दो से ज्यादा तो दो देशों के बीच में ट्रेड हो रहा है तो बिलैटरल ट्रेड है और दो देशों से ज्यादा देशों के बीच में ट्रेड हो रहा है तो मल्टीलेटरल ट्रेड बोलते हैं तो यहां जब भी ये बात आती है तो टो को समझना है वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन इसको पहले 1948 में जनरल एग्रीमेंट ऑन टैरिफ एंड ट्रेड बोलते द 48 में इसको 1995 टो नया बनाया गया तो यह अब इंटरनेशनल ट्रेड में बहुत जो-जो इसकी मेंबर है कंट्रीज उनके बीच में ट्रेड को रेगुलेट करता है प्रमोट करता है और फेर ट्रेड की गारंटी देता है हर एक कंट्री को इक्वल अपॉर्चुनिटी दिलाता है ट्रेड के मामले में चाहे बांग्लादेश और अमेरिका में ट्रेड हो रहा हो तो ये फुल नहीं होने देता की अमेरिका का लेवल हाई है भाई इक्वल अपॉर्चुनिटी दोनों के लिए वहां पर equalate करता है फेयरनेस यहां पर रहती है कोई डिस्प्यूट होता तो उसको भी सॉल्व करता है तो टो के बारे में आपको जानना जरूरी है तो मोटे मोटे तौर पर ये पुरी रूप रेखा बन गई अब मुझसे पूछ लो ईश्वर यहां से शुरू करो क्या समस्या थी की यह 1991 में हमारी कंट्री का टर्निंग पॉइंट हो गया आपको एक बात बताता हूं 1991 में पहली बात तो हमने जानबूझकर अपनी मर्जी से एक और भी girfforms स्टार्ट नहीं किए इकोनॉमिक रिफॉर्म्स स्टार्ट करने के पीछे आईएमएफ और वर्ल्ड बैंक का बहुत बड़ा था हमारे देश के गवर्नमेंट ने उनसे लोन की डिमांड की थी लोन का अमाउंट था लगभग दे देंगे लेकिन बोला की जैसी पॉलिसी तो हमारे देश में चल रही है वैसी चलती रही तो फिर से तुम प्रॉब्लम में ए जाओगे तो आपको कुछ रिफॉर्म्स लाने की जरूरत है आप रिफॉर्म लेकर आओ तो हमारे देश के फाइनेंस मिनिस्टर द उसे टाइम दो मनमोहन सिंह जो की बाद में हमारे देश के प्राइम मिनिस्टर भी रह चुके द और आपको बताऊं तो इंदिरा गांधी के टाइम पे वो हमारे देश के सेंट्रल बैंक के गवर्नर भी रह चुके द तो बहुत बड़ी इकोनॉमिस्ट है हल्का मैटर नहीं द बहुत हैवी मैटर द वो तो मनमोहन सिंह जी ने लिबरलाइजेशन प्राइवेटाइजेशन और ग्लोबलाइजेशन की पॉलिसी बनाकर नई इकोनॉमिक पॉलिसी याद हमारे देश में राखी आज हमारा देश बहुत आगे है तो एक बात मैन सकते हैं की मनमोहन सिंह जी का उसके अंदर बहुत बड़ा कंट्रीब्यूशन है तो उसे चीज को बुलाया नहीं जा सकता लेकिन फिर भी क्वेश्चन ये उठाता है की प्रॉब्लम क्या थी जो 1991 में हम लोन लेने पहुंच गए क्या प्रॉब्लम थी की हमें ये कौन भी रिफॉर्म्स उसे करने पद गए एब्सलूट था क्या आप मेरी बात सुनो हर एक चीज हर एक देश में नहीं बनती तो हर एक देश बहुत सारे समान के लिए विदेशी कंट्री के ऊपर डिपेंडेंट रहता है तो हमारे देश को विदेशी कंट्री से जब समान खरीदना होता है तो फौरन करेंसी के तौर पर पेमेंट करनी होती है उनको यानी अगर हम किसी भी कंट्री समान खरीदेंगे तो हमें फॉरेन करेंसी अगर उसे देश की करेंसी हमारे पास नहीं है तो हम डॉलर की टर्म्स में पेमेंट कर सकते हैं डॉलर यूनिवर्सल करेंसी है वो कॉमन करेंसी चलती है तो डॉलर की शॉर्टेज यानी फॉरेन करेंसी का जो स्टॉक था हमारे पास वो बहुत कम हो गया था तो सबसे बड़ा रीजन यही था तो ए ए में हम बोलेंगे दृष्टिक फॉल इन 4 एंड एक्सचेंज रिज़र्व अब इस बात को समझना कुछ लोग बोलते हैं की हमारे देश के पास सात दिन यानी 1 हफ्ते का फॉरेन एक्सचेंज रिज़र्व भी नहीं पड़ा था की हम एक हफ्ते का इंपोर्ट बिल पे कर सके इतना नहीं पड़ा था कुछ बोलते 10 दिन का नहीं पढ़ा था कुछ बोलते 14 दिन का ही पढ़ा था वो तो जब पड़ा था नहीं पढ़ा था तब सच का पता लग पता जब वो दिन इस्तेमाल हो जाते हैं है ना उससे पहले हमारे पास फंड ए गया था इस टाइम हमारे देश के थोड़े समय के लिए प्राइम मिनिस्टर में द चंद्रशेखर जी उसे टाइम हमें अपने देश का सारा सोना गिरवी भी रखना पद गया था आईएमएफ वर्ल्ड बैंक के पास वो बड़े दुख की बात थी लेकिन उन्होंने हमें लोन ग्रांड कर दिया हमने रिकवर किया तो हमारा सोना हमारे पास ये कोई दिक्कत वाली बात नहीं है दूसरा पहला कारण ये है की देश के अंदर फौरन करेंसी खत्म हो रही थी दूसरा गवर्नमेंट का फिसल डेफिसिट बहुत हाई लेवल पे पहुंच गया था तो गवर्नमेंट वैसे अलसो सफरिंग फ्रॉम फिजिकल डेफिसिट हाई लेवल मैं इसको इतना बोल डन की पहाड़ की तरह तो इसके लिए वर्ड उसे कर डन माउंटिंग से इसका डेफिसिट माउंटिंग फिजिकल डेफिनेट अब फौरन करेंसी का आना जाना लिखा होता है बी ओ पी अकाउंट में तो बाप अकाउंट में भी एडवर्स बैलेंस दिखा रहा था तो मैं उसको एडवर्स बी ओ सी बोल देता हूं एडवर्स का मतलब होता है नेगेटिव अबी आप वाला चैप्टर मैक्रोइकॉनॉमिक्स में लास्ट में पढ़ते हैं तब यह टर्म अच्छे से समझ में आती है ठीक है चौथे नंबर पे कमर तोड़ महंगाई हमारे देश को खारी थी उसे टाइम लोग परेशान द भाई साहब दिक्कत में देखो कितनी चल रहा था देश ठीक है गर्ल्स कंट्री के बीच में जो क्राइसिस चल रहा था गल्फ खड़ी देश है छह देश है ये यूएई के पास जो खड़ी बनी है उसके आसपास के जो ओमान वगैरा कंट्रीज हैं उनमें लड़ाई चल रही थी उनमें लड़ाई चल रही थी तो वहां से हमारे देश में क्रूड ऑयल यानी पेट्रोल डीजल को बनाने वाला तेल आता था अब वहां महंगाई लड़ाई चल रही है वो हमारी कंट्री में सप्लाई नहीं कर सकते सप्लाई नहीं कर सकते तो ऑयल की शॉर्टेज हो रही है ऑयल की शॉर्टेज हो रही है तो ऑयल महंगा हो रहा है ऑयल महंगा हो तो ट्रांसपोर्टेशन की कॉस्ट थी तो हर चीज महंगाई में जा रही थी इसी की वजह से तो गल्फ क्राइसिस वैन ऑफ डी में रीजन और सिक्स नंबर पे बोलूं है तो यहां पर प्रॉब्लम क्रिएट करने वाले एक में चीज थी सरकारी कंपनियों थी ना उनकी परफॉर्मेंस अच्छी नहीं थी तो यहां बोल देते हैं पुर परफॉर्मेंस ऑफ पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइजेज या पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग कुछ भी लिख लो शॉर्ट के अंदर कोई दिक्कत वाली बात नहीं है तो भैया छह रीजन द सबसे बड़ा और सबसे महंग खतरनाक रीजन पूछा जाए तो यही वाला रीजन तो सबसे खतरनाक फॉरेन करेंसी की वैल्यू का कम होना ठीक है इस वजह से हमें इकोनॉमिक रिफॉर्म्स लेने पद गए इकोनॉमिक रिफॉर्म्स के तौर पर कहते हैं हमने दो मेजर लिए एक स्टेबलाइजेशन मेजर एक स्ट्रक्चरल मेजर स्टेबलाइजेशन मेजर होते हैं जो लंबे समय के लिए होते हैं जो स्टेबिलिटी लाने के लिए गवर्नमेंट और स्ट्रक्चरल मेजर जो इकोनॉमिक स्ट्रक्चर को बदल देंगे स्ट्रक्चरल मेजर के तीन खास बात थी लिबरलाइजेशन प्राइवेटाइजेशन ग्लोबलाइजेशन इन तीनों के अंदर का स्टॉप करोगे तो चैप्टर 80% तक खत्म हो जाएगा उसके बाद इन्होंने सही किया है गलत किया इन चारों पर इंपैक्ट एग्रीकल्चर सेक्टर को तो कंपलीटली नेगलेक्ट कर दिया था जीडीपी ग्रोथ हो गई थी प्लस पॉइंट राय इंडस्ट्रियल सेक्टर में कोई खास फर्क नहीं पड़ा एंप्लॉयमेंट में कोई खास फर्क नहीं पड़ा ठीक है इसका डाटा पढ़ना है और फिर ये तीन टर्म्स मैंने आपको पढ़ा दिया है में मुद्दा बचत है की इनके अलावा लिब्रा खत्म हो जाएगा कैसे चैप्टर खत्म होगा ये तो मैं जानना है पहले समझो लिप रिलाइजेशन में आते हैं पैन का कलर चेंज करते हुए ये लो जी लिख दिया मैंने मेजर्स ऑफ लिबरलाइजेशन लिबरलाइजेशन का मतलब क्या होता है छूट प्रोवाइड करना लिबरलाइजेशन का मतलब फ्रीडम आजादी प्रोवाइड करना मतलब 1991 से पहले हमारे देश के अंदर आजादी नहीं थी क्या आजादी थी लेकिन इंडस्ट्रियल आजादी की बात कर रहा हूं पहले बोल रखा था की कोई भी कम धंधा खोलोगे कोई भी इंडस्ट्री कोई भी फैक्ट्री सेटअप करोगे तो आपको सरकार से लाइसेंस लेना ही होगा यहां पर वह लाइसेंस की आजादी दे दी गई है मतलब हर चीज के लिए लाइसेंस लेना जरूरी नहीं है सिर्फ पंच चीजों के लिए लाइसेंस लेना जरूरी है इंडस्ट्री से कुछ हजारों स्पेस और डिफेंस की चीज ठीक है इन सब के लिए लाइसेंस लेना जरूरी है और बाल बाकी चीजों के लेसन लेना जरूरी नहीं है तो उन चीजों को छोड़ दो अब बहुत पहले तो हर चीज के लिए लाइसेंस लेना जरूरी था तो ये कर दिया अब इससे पहले सरकार बोल रही थी की 17 बड़ी-बड़ी इंडस्ट्री सरकार के हाथ में रहेगी अगर आपको याद हो तो इंडस्ट्रियल पॉलिसी रेजोल्यूशन 1956 में गवर्नमेंट ने बोला 17 इंडस्ट्रीज एक कैटिगरी में आएगी और सारी सरकार के से होगी अब यहां से सरकार ने 17 जो इंडस्ट्रीज थी उसको कम कर दिया कम कर दिया और कम करते करते आज के टाइम में सरकार का होल्ड सिर्फ तीन इंडस्ट्री पे है रेलवे 100% गवर्नमेंट प्राइवेट नहीं है जितना मर्जी न्यूज़ में आता है वो सन लेना 100% गवर्नमेंट है एटॉमिक पावर पर जो कम होता है वो सरकारी है और जितना भी यह बम गोला बारूद से रिलेटेड डिफेंस प्रोडक्ट्स का कम होता है सारा सरकार ही है इसको आर्म से dembination बोल सकते हो ये तीन कम सरकारी है बाकी सारे कम प्राइवेट सेक्टर कर सकते हैं इंडिया के अंदर ठीक है तो हर जगह प्राइवेट सेक्टर को आउट कर दिया तो किया क्या सुधार शुरू किया इंडस्ट्री के मामले में तो उसको बोलते हैं यहां पर गवर्नमेंट ने इंडस्ट्रियल रिफॉर्म्स स्टार्ट किए इंडस्ट्रियल सेक्टर रिफॉर्म स्टार्ट कर दिए सबको लाइसेंस लेना जरूरी नहीं है फिर ऐसे ही कुछ बैंकिंग सेक्टर फॉर्म किए द बैंकिंग सेक्टर रिफॉर्म को हम फाइनेंशियल यानी फाइनेंशियल सेक्टर रिफॉर्म बोलते हैं यानी बैंकों को भी सुधार की जरूरत थी क्या सुधार की जरूरत थी अभी देख लेना फिर कुछ सरकारी सेक्टर में फिसल सेक्टर या फिर टैक्स रिफॉर्म बोलते हैं यह स्टार्ट किए कुछ किया सरकार ने फोन करेंसी से रिलेटेड रिफॉर्म इसको बोलते हैं यानी एक्सपोर्ट इंपोर्ट से रिलेटेड रिपोर्ट ये पंच सेक्टर में सरकार ने आजादी प्रोवाइड की बहुत सारी समस्याओं का समाधान किया रिफॉर्म्स क्या द इंडस्ट्रियल सेक्टर की बात सन लो गवर्नमेंट ने पहले बोल दिया की हम 17 इंडस्ट्री कंट्रोल कर रहे द अब तीन करेंगे 17 से पहले आठ पे आए द फिर तीन पे आए द ठीक है अब हर एक चीज के लिए लाइसेंस लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी तो 17 से तीन पे आना इसको बोलते हैं दी रेगुलेशन गवर्नमेंट पहले रेगुलेट करती थी सारी इंडस्ट्रीज को अब गवर्नमेंट डी रेगुलेशन ऑफ इंडस्ट्रीज कर दिया और हर चीज के लिए लाइसेंस नहीं लेना पड़ेगा तो अब सरकार ने बोल दिया दी लाइसेंस सिंह लाइसेंस सिंह की प्रथा को खत्म करते हैं और बता डन एम आर टी पी एक्ट 1969 में बनाया था ठीक है इसको खत्म कर दिया और मतलब खत्म कर दिया यह मोनोपोली एंड रिस्ट्रिक्टिव ट्रेड प्रैक्टिस एक्ट था इसको इंप्रूव करके कंपटीशन एक्ट कर दिया था 2002 में इसके बारे में जान जाने की जरूरत नहीं है ऊपर के दो पॉइंट काफी है इतनी बस में नहीं फसना आपने जितना आपके कम की चीज नंबर मिल जाएंगे यहां से बैंकिंग और फाइनेंशियल सेक्टर रिफॉर्म मतलब बैंकों के अंदर कुछ रिफॉर्म किए द तो सन लो पहले रिफॉर्म के द उसे टाइम पर क्या होता था की जितने भी जैसे शेयर मार्केट है बैंक से इंश्योरेंस मार्केट है सबका हेड आरबीआई होता था तो रब सब को कंट्रोल करता था तो गवर्नमेंट ने बोला अब आरबीआई सब का कंट्रोलर नहीं है पहली बात तो सिर्फ वो बैंकिंग सेक्टर का कंट्रोलर है बैंकिंग सेक्टर में बैंक्स हो गए और फॉरेन एक्सचेंज की मार्केट भी ए गई बैंक और फॉरेन एक्सचेंज मार्केट का कंट्रोलर है और वे कंट्रोलर भी बेसिकली कंट्रोलर भी नहीं है फैसिलिटेटर है तो आरबीआई का रोल चेंज हो गया फ्रॉम रेगुलेटर फैसिलिटेटर वो होता है जो फैसिलिटी प्रोवाइड करें तो आरबीआई पहले हर चीज पर मॉनिटर नहीं होता जैसे क्लास के अंदर वो परेशान करता है बच्चों को तो ऐसे लगता था बैंक्स को ग्रोथ करने में प्रॉब्लम ए रही है तो आगे का रोल ही बदल दिया वहां पर पहले क्या होता था हर छोटी-छोटी चीज के लिए बैंक को पूछना पड़ता था आरबीआई से अब 91 के बाद नहीं पूछना पड़ता अगर बैंक को नई ब्रांच खोलने है तो पहले पूछना पड़ता था अब बैंक को नहीं ब्रांच खोलने है तो अब नहीं पूछना पड़ता इस बात को ध्यान रखना ठीक है तो यहां से बैंकिंग सेक्टर रिफॉर्म के अंदर बोलेंगे तो एक में रिफॉर्म आता है चेंज इन रोल ऑफ आरबीआई कैसा रोल आ रेगुलेटर था पहले एनसीईआरटी के अंदर लाइन लिखी हुई है रेगुलेटर से बन गया फैसिलिटेटर इसमें एक लाइन लिख सकते हो की नई ब्रांच खोलने के लिए बैंकों को पूछना नहीं पड़ता किसी और से ठीक है जी दूसरी बात बैंक्स के अंदर रिफॉर्म्स किए द की इंटरेस्ट रेट को कम कर दिया गया इंटरेस्ट रेट बहुत सारी कम कर दी जिसमें रेपो रेट रिवर्स रेपो रेट आती है crrslr जैसी रेट्स को भी कम कर दिया गया था तो लोगों को लोन मिलने स्टार्ट हो गए द ठीक है मणि सप्लाई देश के अंदर बढ़ाने लगी थी और ज्यादा बात करना चाहते हो तो थर्ड नंबर बताएंगे प्राइवेट बैंक्स 91 के बाद आने शुरू हुए प्राइवेट बैंक्स को अलाउ कर दिया इससे पहले क्या था ना जितने भी बैंक द देश के अंदर वो सारे सरकारी द 1969 में गवर्नमेंट ने सभी प्राइवेट बैंक को सरकारी करने की कोशिश की तो 14 बैंक्स को सरकारी कर दिया फिर 1979 या 80 के आसपास छह बैंकों को और कर दिया तो सारे बैंक सरकारी हो गए द देश में 91 में फिर से प्राइवेट बैंक बोला की ए जाएंगे तो 91 के बाद आईसीआईसीआई बैंक एचडीएफसी बैंक जैसे प्राइवेट बैंक इंडिया में कम करना शुरू किए एक्सिस बैंक वगैरा ये सब 91 के बाद ठीक है ना 91 के बाद यह अब की बात कर लो गवर्नमेंट ने काफी हद तक टैक्स का सेट बांदा टैक्स भरना भी चाह रहा है तो टैक्स भरने के लिए उसको बहुत सारी कासन का सामना करना पड़ता था बहुत सारे फॉर्म भरने पड़ते द तो सिंपलीफिकेशन कर दिया टैक्स का सिस्टम टैक्स को आसान बनाया और बहुत सारी टैक्स रेट्स कम कर दी ताकि लोग टैक्स भर भी सकें टैक्स रेट्स को कम करने के पीछे पर्पस ये था की लोग टैक्स से भर भी सके चोरी ना करें टैक्स टैक्स चोरी करने को evijan बोलते हैं और एक नया रिसेंट टैक्स रिफॉर्म्स 2017 में किया गया है तो जीएसटी जिसको बोलते हैं 1 जुलाई 2017 को जीएसटी लॉन्च हुआ है ध्यान रखना हमारे देश के अंदर वैसे पार्लियामेंट में इसका एक्ट 29 मार्च को पास हो गया था 29 मार्च 2017 को एक्ट पास हुआ था पार्लियामेंट में ये दोनों अलग-अलग डेट है ठीक है ना यह बात ध्यान रखना की लॉन्च जब होता है हम उसको देखते हैं अब ये जीएसटी का सिस्टम सबसे पहले पूरे वर्ल्ड में फ्रांस में लॉन्च किया गया था लेकिन हमने कनाडा वाला कॉपी किया है कनाडा वाला कॉपी किया भाई सही बात है कोई दिक्कत नहीं फॉरेन एक्सचेंज में क्या-क्या रिफॉर्म की है तो फौरन करेंसी में सबसे पहले हमने अपने देश के रुपए को devaluate कर दिया डी वैल्यूएशन ऑफ रुपीस रुपए को devaluate करते ही रुपए की वैल्यू कम हुई और फॉरेन कंट्री के लोग हमारे देश का समान खरीदने लगे क्योंकि हमारे देश के समान सस्ता हो गया था ना तो इससे एक्सपोर्ट बढ़ाने लगता है तो इसलिए रुपीस को डिवेलप किया गया और है और हम शिफ्ट हो गए फिक्स एक्सचेंज रेट सिस्टम से फ्लेक्सिबल एक्सचेंज रेट सिस्टम पर इसका मतलब सरकार डिसाइड करती थी पहले एक्सचेंज सिस्टम और फिर 91 के बाद मार्केट डिसाइड करने लगी फ्लोटिंग एक्सचेंज रेट सिस्टम ए गया तो ध्यान रखना फिर शिफ्ट किया है रेट ठीक है और फॉरेन ट्रेड यानी एक्सपोर्ट इंपोर्ट की अगर बात की जाए तो जो हम विदेशों में समान बेचते द उसे पर एक्सपोर्ट ड्यूटी लगाते द है ना एक्सपोर्ट ड्यूटी को खत्म ही कर दिया ठीक है खत्म जो जो विदेशों में समान बेचना चाहता है बेच लो और विदेशों से जो हमारे साथ देश में समान आता है उसे पर जो टैक्स लगता है उसको इंपोर्ट ड्यूटी बोलते हैं तो काफी सारी चीजों पर इंपोर ड्यूटी कम कर दी गई थी तो फॉरेन ट्रेड को बहुत आसान बना दिया गया था इस बात पर ध्यान रखना तो ये रिफॉर्म द सारे के सारे लिबरलाइजेशन में मतलब बहुत सारे छूट प्रोवाइड कर दी थी तो आपसे पांचो में से किसी भी एक के बारे में पूछ सकता है अलग से अब किसी किसी बुक में पंच नहीं लिखे हुए चार रिफॉर्म लिखे हुए हैं तो उसे बुक में इन दोनों पॉइंट को मिला के बोल रखा है ये फौरन सेक्टर रिफॉर्म है हान तो बोल लो कोई दिक्कत नहीं है फौरन सेक्टर 4 में तो जैसी लिबरलाइजेशन कर लोग आपके सामने टॉपिक खड़ा रहेगा प्राइवेट डाइजेशन का इसके अंदर ज्यादा बातें नहीं है प्राइवेट ijjation को यहां पर एनसीईआरटी में डिसइनवेस्टमेंट भी बोल रखा है और दी नेशनलाइजेशन भी बोल रखा है इसका मतलब इंक्रीस इन डी रोल ऑफ प्राइवेट सेक्टर है गवर्नमेंट दो तरीके से प्राइवेट सेक्टर का रोल इंक्रीज करना चाहती थी या तो जो गवर्नमेंट के पास कम धंधे हैं गवर्नमेंट पूरा का पूरा कंट्रोल प्राइवेट सेक्टर के हाथ में कर देती थी इसको बोलते द अगर लिखूं तो ट्रांसफर ऑफ ओनरशिप तू प्राइवेट सेक्टर कुछ चीज पुरी प्राइवेट सेक्टर को ट्रांसफर कर दी और कुछ चीजों का हिस्सा प्राइवेट सेक्टर को भेज दिया सेल ऑफ शेयर इन पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग तू प्राइवेट सेक्टर ग्लोबलाइजेशन भाई इसको इंटरनेशनल बोलते हैं ग्लोबलाइजेशन की कोई तुमसे डेफिनेशन पूछ ले तो इट इसे इंटीग्रेशन ऑफ वैन इकोनॉमी विद रेस्ट ऑफ डी वर्ल्ड एक देश का दूसरे देशों के साथ जुड़ना ग्लोबलाइजेशन कहलाता है ग्लोबल लेवल पे इंटरनेशनल लेवल पे ट्रेड करना अगर कोई देश विदेशी कंट्री उसे ट्रेड नहीं कर रहा है भाई अगर कोई देश विदेशी कंट्री उसे ट्रेड नहीं कर रहा तो मतलब उसने ग्लोबलाइजेशन का मेजर नहीं अपनाया हुआ कंप्यूटर जी से बोल रहा हूं ठीक है लेकिन अगर कोई देश विदेशी कंट्री उसे ट्रेड कर रहा है तो उसने ग्लोबलाइजेशन का मेजर अपनाया हुआ है तो यहां पर बहुत सारे मेजर ग्लोबलाइजेशन में लिया गए इसी का रिजल्ट इसको ज्यादा डिप्ली नहीं बता रहा मैं ठीक है इसी का रिजल्ट था हमारे देश के अंदर आउटसोर्सिंग आउटसोर्सिंग इस वेरी इंपॉर्टेंट कॉन्सेप्ट अब देखो आउटसोर्सिंग क्या होता है एक टेस्ला कंपनी है अमेरिका की ऐलान मस्क जी ध्यान आएंगे यहां से वो कर बनाने बेंगलुरु के अंदर ए रहे हैं मतलब का रहे हैं की इंडिया के अंदर बेंगलुरु में कर बनाएंगे टेस्ला की और बेचेंगे तो यार ये कर बनाने के लिए जो जरूरी बंदे हैं ना वो लेकर आएंगे इंजीनियर वगैरा अब जहां पर ये अपना ऑफिस बनाएंगे कंपनी बनाएंगे वहां पर उन engineeris के अलावा मैनेजर चाहिए होंगे सिक्योरिटी गार्ड चाहिए होंगे अकाउंटेंट चाहिए होंगे लॉयर चाहिए होंगे और बहुत सारे इंटीरियर डिजाइनर चाहिए होंगे वो सब अमेरिका से लेकर आते हैं जब भी कोई कंपनी बाहर से इंडिया में आती है वो बहुत सारे कम इंडियन को दे देती है तो जितने भी कम उन्होंने इंडियन को दिए हैं तो बोलते हैं उन्होंने अपने कम को आउटसोर्स किया है तो इंडिया में वैसे बताऊं तो अकाउंटिंग सर्विसेज का बहुत ज्यादा आउटसोर्सिंग होता है मतलब बाहर से जो लोग आते हैं इंडिया के काउंटिंग सर्विसेज परचेज करते हैं कॉल सेंटर में बीपीओ बोलते हैं बिजनेस प्रक्रिया आउटसोर्सिंग कॉल मिलते हैं वहां पर मार्केटिंग वगैरा करते हैं इन चीज का आउटसोर्सिंग बहुत होता है तो इंडिया से सिक्योरिटी सर्विसेज होगा लॉ सर्विसेज का बहुत सारा मतलब आउटसोर्स किया जाता है तो इंडिया अब आउटसोर्सिंग के लिए एक फेवरेट डेस्टिनेशन बनी हुई है यह पेपर में ए जाता है क्वेश्चन फेवरेट डेस्टिनेशन क्यों बनी हुई है पूरे विश्व की क्योंकि इंडिया के अंदर कंपनी खोलना आसान है कोई दिक्कत नहीं है प्लस इंडिया के अंदर लेबर बहुत सस्ती है सस्ते रेट पर कम कर देते हैं लोग और कम भी सस्ते रेट पर करते हैं और ये सारे क्वालिफाइड हैं क्वालिफाइड है पढ़े-लिखे भी समझदार भी इंडिया के अंदर ठीक है कोई लल्लू पंजू नहीं घूमता इंडिया के अंदर बेस्ट क्वालिटी के लोग मिलते हैं सबको समझ में आता है तो बढ़िया लोग सस्ते रेट में मिलते हैं इसलिए इंडिया के अंदर आउटसोर्सिंग की फेवरेट डेस्टिनेशन बनी हुई है साथ में इंडिया का एक स्टेबल पॉलिटिकल एनवायरनमेंट है यानी यहां पे पाकिस्तान की तरह ये नहीं होता की कभी भी आर्मी ने अटैक कर दिया सरकार के ऊपर सरकार बदल गई सर जो सरकार ने कंपनियों खोली थी आर्मी ने सारी भाग दी यह नहीं होता इंडिया के अंदर स्टेबल रहता है पॉलिटिकल एनवायरनमेंट सरकार एक दूसरे की इज्जत करती है और कंपनी की भी इज्जत करती है तो इस वजह से कंपनी इंडिया में कम करना पसंद कर रही है सबसे इंपॉर्टेंट बात आपको बता डन सबसे इंपॉर्टेंट बात इस चैप्टर की सबसे इंपॉर्टेंट बात जो आपसे पूछी जा सकती है देखो छह छह नंबर के क्वेश्चन पूछे जा सकते हैं पहला ये जो इकोनॉमिक रिफॉर्म्स द वो केवल लॉन्च किए गए तो मतलब उसके कॉसेस स्टार्टिंग में बताए द छह कॉसेस ये रहे दूसरे नंबर पे क्रिटिकल अप्रिशिएसन मुझे पसंद है ठीक है तो यह क्रिटिकल अप्रेजल बोल देता हूं यह लोग आंसर क्वेश्चन पेपर ए जाता है टो और यही आदर टर्म्स पढ़ाया था ना बिलैटरल ट्रेड और ये वाला देखो ध्यान रखो यह वाला स्ट्रैटेजिक टैरिफ का कोई और दिक्कत डाउट परेशानी है तो कमेंट सेक्शन में बता दो उसको भी समाधान कर देंगे तो भाई ये जो कॉन्सेप्ट मैपिंग का चक्कर है आपका छोटे-छोटे डाउट है ना वो कमेंट सेक्शन में लिखते हो मेरे को बड़ा मजा आता है उसका जवाब देने में मतलब ए रहा है एक रिलेशनशिप बिल्ड होता है है ना एक विश्वास एक ट्रस्ट डेवलपमेंट होता है तो इसी तरीके से आप जुड़े रहोगे आप पूछते रहोगे आपके समस्या का समाधान करते रहेंगे और कॉन्सेप्ट नवीन का जो रक्त चलाया हुआ है इस रथ पे सवार हो चुकी है और सब बच्चों के लिए कॉन्सेप्ट जारी है आपको अच्छा लग रहा है तो प्लीज बताओ आज की क्लास में इतना ही जय हिंद जय भारत नमस्कार धन्यवाद