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माधवी नाटक: स्त्री और समाज का संघर्ष

May 6, 2025

माधवी नाटक - भीष्म साहनी

परिचय

  • माधवी भीष्म साहनी द्वारा 1984 में लिखा गया नाटक है।
  • यह नाटक समाज की नैतिक और सामाजिक उलझनों को उजागर करता है।
  • नाटक में तीन अंक हैं।

मुख्य विषय

  • नाटक में मानव भावनाओं और रिश्तों की महत्वाकांक्षाओं के साथ की गई अनदेखी पर चोट है।
  • माधवी की कहानी ऐतिहासिक और पौराणिक संदर्भों में लिखी गई है।
  • नारी जीवन की विसंगतियों और पुरूषार्थ के खोखलेपन को उजागर करता है।

पात्र परिचय

  • माधवी: राजा ययाति की पुत्री, आज्ञाकारी और कर्तव्यपरायणी स्त्री।
  • राजा ययाति: माधवी का पिता, दानवीर।
  • गालव: विश्वमित्र का शिष्य, माधवी को तीन राजाओं को सौंपता है।
  • गुरु विश्वमित्र: गालव के गुरु।

नाटक की थीम

  • नाटक में स्त्री के प्रति पुरूष का क्रूर व्यवहार दिखाया गया है।
  • स्त्री को वस्तु के रूप में समझने की प्रवृत्ति का चित्रण।
  • माधवी की सहनशीलता को दर्शाया गया है जो स्थितियों के साथ सामंजस्य स्थापित करती है।
  • माधवी के मातृत्व और प्रेम को प्रतिबिंबित करता है।

समाजिक संदर्भ

  • नाटक में प्राचीन और आधुनिक समाज की स्थिति को तुलना की गई है।
  • ययाति और गालव की महत्वाकांक्षा और अभिमान का चित्रण।
  • स्त्री की स्थिति को पुरुष प्रधान समाज में एक वस्तु के रूप में प्रस्तुत किया गया है।

माधवी की विशेषताएँ

  • माधवी के गर्भ से चक्रवर्ती राजा पैदा होगा और वह अनुष्ठान से पुनः कुमारी बन सकती है।
  • माधवी की महानता और सहनशीलता को दर्शाया गया है।

पुरुष सत्ता और स्त्री की स्थिति

  • ययाति और गालव का माधवी को वस्तु की तरह इस्तेमाल करना।
  • समाज में बेटे को अधिक महत्व देना और बेटियों के प्रति भेदभाव।
  • माधवी के त्याग और समर्पण की कहानी है।

निष्कर्ष

  • नाटक में भीष्म साहनी ने पुरुष प्रधान समाज की स्वार्थी प्रवृत्ति की आलोचना की है।
  • स्त्री की कर्तव्य परायणता और पुरुष की स्वार्थी सोच को उजागर किया गया है।
  • नाटक एक सामाजिक संदेश देता है कि कैसे स्त्रियों का शोषण होता है और उनका त्याग कैसे किया जाता है।