प्रिंसिपल्स ऑफ मैनेजमेंट

Jul 28, 2024

प्रिंसिपल्स ऑफ मैनेजमेंट

परिचय

  • सिद्धांत का अर्थ समझाए: नॉर्मल लैंग्वेज में नियम, रेगुलेशंस को सिद्धांत कहते हैं।
  • प्रिंसिपल्स की उत्पत्ति: किसी गतिविधि को बहुसंख्यक लोग अपनाएं और उसे फायदा हो, तो वह नियम बन जाता है।
  • उदाहरण: पढ़ाई में अच्छे नंबरों के लिए सुबह जल्दी उठकर पढ़ाई और नोट्स बनाने की गतिविधि एक प्रिंसिपल बन गई।

प्रिंसिपल्स ऑफ मैनेजमेंट

  • मैनेजमेंट: पहले के समय से लेकर आजतक हर गतिविधि में मैनेजमेंट का उपयोग किया गया है।
  • मैनेजमेंट के गुरुओं ने अपने बिजनेस में सफल प्रिंसिपल्स बनाए, जिन्हें अन्य बिज़नेस ने अपनाया।
  • उदाहरण: बिजनेस की सेल्स बढ़ाने के लिए एडवरटाइजमेंट करना एक प्रिंसिपल बन गया।

मैनेजमेंट की प्रिंसिपल्स की नेचर

  • यूनिवर्सल एक्सेप्टेंस: यह प्रिंसिपल्स हर प्रकार के बिजनेस में उपयोगी होते हैं।
  • फ्लेक्सिबल: सिचुएशन और टाइम के हिसाब से बदल सकते हैं।
  • गाइडलाइंस: यह प्रिंसिपल्स मार्गदर्शन करते हैं, यह कंपलसरी नहीं है।
  • ह्यूमन बिहेवियर बेस्ड: यह प्रिंसिपल्स मानव के व्यवहार और डिसीजन मेकिंग पर आधारित होते हैं।
  • कंटिंजेंसी: भविष्य की सिचुएशंस की पहले से योजना बनाना।

प्रिंसिपल्स ऑफ मैनेजमेंट की इम्पोर्टेंस

  • इंक्रेज़ मैनेजरियल एफिशिएंसी: मैनेजर की काम करने की क्षमता बढ़ती है।
  • मैक्सिमम यूसेज और इफेक्टिव एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ रिसोर्सेस: प्रिंसिपल्स से रिसोर्सेस का बेहतर प्रबंधन और उपयोग होता है।
  • साइंटिफिक और लॉजिकल डिसीजन मेकिंग: अनुमान और धक्का-मुकी से बेहतर, सही और सोचे-समझे निर्णय ले सकते हैं।
  • कोप अप विद चेंजिंग बिजनेस एनवायरमेंट: बदलते बिजनेस वातावरण से निपटने के तरीके।
  • फील सोशल रिस्पांसिबिलिटी: समाज के प्रति जिम्मेदारियां निभाने में मददगार।
  • यूज़फुल फॉर रिसर्च, ट्रेनिंग एंड डेवलपमेंट: रिसर्च और वर्कर ट्रेनिंग में सहायक।

समीक्षा

  • अगले वीडियो में मैनेजमेंट प्रिंसिपल्स के विभिन्न बिंदुओं पर और विस्तार से चर्चा होगी।