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प्रिंसिपल्स ऑफ मैनेजमेंट

कि अ हुआ है कर दो कि चलो बच्चों तो आज हम लोग उसी में सेकंड चैप्टर शुरू करना जिसका नाम है प्रिंसिपल्स आफ मैनेजमेंट प्रिंसिपल्स आफ मैनेजमेंट हम लोग सबसे पहले समझें प्रिंसिपल मींस कि आप उसका कांसेप्ट क्लीयर करें तो आगे कौन सा ऐप को जल्दी से समझ में आएंगे कि प्रिंसिपल्स मतलब क्या कहते हैं सिंपल लैंग्वेज में प्रिंसिपल मतलब सिद्धांत के लाता है गुजराती हिंदी में उसे सिद्धांत कहते हैं या नॉर्मल सीक्वेंस का हो तो रूल्स रेगुलेशंस कहा जाता है उसे भी प्रिंसिपल्स कहते हैं हम लोग यह प्रिंसिपल्स वह कैसे तैयार होते हैं कि दिन कोई भी एक्टिविटी कोई भी तरह की एक्टिविटी अगर कोई पर्सन है एक्टिविटी क्वांटिटी यूज नहीं करता जा रहा है और उससे बहुत सारे लोगों को भी फायदा मिलता जा रहा है तो वह एक्टिविटी आगे चलकर एक प्रिंसिपल बन जाती है सिद्धांत बन जाती है कि जैसे एग्जांपल समझा दो सिंपल अकाउंट में एग्जांपल समझाता हूं मैं यह जैसे कि आपके क्लास में किसी का फर्स्ट टाइम जाता हूं तो बाकी जरूर यह सोचते होंगे कि और वह कैसे पढ़ाई कर रहा है कि आप पढ़ाई कर रहा है कि उसकी जगह फर्स्ट टाइम जाता है कितनी टाइम में वह पढ़ाई कर रहा है ऐसे माइंड में क्वेश्चन आता है ना अब जैसे उसे जिसका फर्स्ट टाइम आया ना उससे पूछा गया उससे पूछा गया कि भई तुम क्या करते हो तो उसने कहा कि वे मैं सुबह जल्दी उठकर पढ़ाई करता हूं और जो है वह सब चीजों के नोट्स बनाता हूं इसलिए मेरा फर्स्ट टाइम गाया बराबर उसने ऐसा कहा कि मैं जल्दी उठकर पढ़ाई करता हूं और मैं नोट्स बनाता हूं इसलिए मेरा फर्स्ट टाइम गाया ठीक है तो ठीक है किसी और स्कूटर ने दुसरे स्टूडेंट ने यह बात सुनकर उसने भी अप्लाई करना शुरू किया कि उसने भी है वह सुबह जल्दी उठकर पढ़ना शुरू किया और हर चीज के नोट्स बनाना शुरू किया कुछ टाइम बाद उसे भी फायदा हुआ मतलब उसके भी अच्छे मार्क्स आगे पर वह तो उसे देखकर किसी और ने भी यही चीज अपनाई यही एक्टिविटी किसी और ने भी अपनाई कि जो है वह तो जल्दी उठकर पढ़ाई कि और हर चीजों के नोट्स बनाते गया उसे फायदा हुआ किसी और ने भी दूसरे चूर्ण ने भी अपना ऐप धीरे-धीरे करके जो है वह क्लास में ऑलमोस्ट स्टूडेंट से अपनाने लगे गर्वनर सब स्कूटर यही एक्टिविटी अपनाने लगे कि यार अच्छे मार्क्स लाने ना तो सुबह जल्दी उठकर पढ़ाई करो हर चीजों के नोट्स बनाते जाओ जब सब अपनाने लगे सबको फायदा हुआ सबको पैदा हुआ यह तो आगे चलकर कुछ टाइमिंग बाद 18 साल बाद यह एक्टिविटी फॉर ए रूल बन गई एक रोल्स बन गया यह कि अगर आपको अच्छे मार्क्स लाने हैं मतलब सुबह जल्दी उठकर पढ़ाई करो और हर चीजों के नोट्स बनाएं तो आपके अच्छे मार्क्स आ जाएंगे यह रूल बन गया था और ऐसे ही रूल को हम लोग प्रिंसिपल कहते हैं अगर इस तरह से यह प्रिंसिपल यह सिद्धांत यह दूसरा क्वेश्चंस तैयार होते हैं केवल कोई एक ने किया यह एक्टिविटी उसे फायदा हुआ उसे देखकर दूसरे ने किया उसे में फायदा वह तीसरे को विश्वास है जो भी आप सबको उससे फायदा हो रहा है मतलब एक रूम बन गया क्या कि अगर बेनिफिट लेना है मतलब ऐसी एक्टिविटी करो मैं अरीबा समझ में तो यह प्रिंसिपल से प्रिंसिपल्स मतलब कहलाते एक करके रूल्स रेगुलेशंस जो काफी लोगों ने अपना हैं काफी लोगों ने उसके ऊपर एक्सपेरिमेंट किया है और उनको सक्सेस मिला भी है लेकिन एक चीज ध्यान रखो प्रिंसिपल जरूरी नहीं है कि सबके लिए सेम हो जैसे स्टूडेंट ने कहा कि सुबह जल्दी उठकर पढ़ाई करो और नोट्स बनाओ तो आपके अच्छे मार्क्स आएंगे लेकिन ऐसा जरूरी नहीं है कि सभी स्टूडेंट है यह चीज अप्लाय होती हो यह कोई साइंस के रूल्स नहीं है साइंस के रूस रेगुलेशंस होता है ना वह फिक्स होते हैं साइंस के प्रिंसिपल होता है ना वह वृक्ष होते हैं यह चीज वैसे ही रहेगी कोई भी सिचुएशन में बदलेगी नहीं कोई भी चीज ऊपर से फेंक तो वह नीचे जाकर गिरेगी कभी वापिस ऊपर नहीं जाएगी यह साइंस का रूल है बराबर तो वह साइंस के प्रिंसिपल लेग होते हैं लेकिन यह जो प्रिंसिपल से एक्सपेरिमेंट और एक्टिविटीज से बंधा हुआ था ऐसा जरूरी नहीं कि सबके लिए यही प्रिंसिपल इक्वल होते हो कि आपके क्लास में 50 स्टूडेंट हो सकता है 50 में से 40 स्टूडेंट को इसी एक्टिविटी से फायदा मिला तुम्हें सुबह जल्दी उठकर पढ़ाई की और नोट्स बनाएं तो उनके अच्छे मार्ग से आगे बढ़ना तो उनके लिए यह प्रिंसिपल्स होंगे लेकिन जरूरी नहीं कि सबको यह फायदा होगा कि के 10 फूड को शायद फायदा नहीं हुआ उनकी सिचुएशन अलग पिछले कि मैं उन्हें कुछ प्रॉब्लम है वह सुबह जल्दी नहीं उठ पाते यह उन्हें और कोई प्रॉब्लम है वह बराबर नोट्स नहीं बना पाते या और कुछ कि उन्हें जो है वह जल्दी से याद नहीं रहता है या जो भी सिचुएशन उनकी हो जो भी सिचुएशन हो तो उनके हिसाब से उन्हें थोड़ा सा चेंज करना पड़ेगा कि मैं मुझे संडे सुबह जल्दी नहीं उठा जाता लेकिन मैं जो है वह रात को देर तक पढ़ाई करके कवर कर सकता हूं है तो प्रिंसिपल वही है लेकिन सुबह इसकी जगह जगह उसने रात को पढ़ाई की है कि मुझे नोट्स नहीं बनाया जाता है लिखना मुझे नहीं समझ में आता है लेकिन मैं पर ज़रूर सकता हूं पड़ गए अच्छी तरह से याद हो जाता है तो मेक्सिको अच्छे लाने है लेकिन जरूरी नहीं यही प्रिंसिपल उसके लिए हो उसमें उसको थोड़ा सा अलग तरह से अपनाया समझदार है तो प्रिंसिपल्स मतलब लोगों की हुई एक्टिविटी है लोगों के लिए हुए एक्सपेरिमेंट से जो दूसरों को भी फायदा देते हैं वह प्रिंसिपल्स लेकिन जरूरी नहीं है यह प्रिंसिपल सबको ही फायदा देते हो सिचुएशन के हिसाब से यह सब चीजों अलग-अलग होती है है तो प्रिंसिपल्स मींस क्या वह क्लियर हुआ था अब हमें समझना प्रिंसिपल्स आफ मैनेजमेंट मैनेजमेंट है इसके बारे में बताया है पहले चैप्टर में पूरा मैनेजमेंट के बारे में आपने समझा है है कि बैग मैनेजमेंट अ ऑलमोस्ट हर एक्टिविटी के लिए और हमेशा से चलता है पहले के टाइम में बिजनस में नहीं तो दूसरी चीज में भी मैनेजमेंट होता है कि पहले राजा महाराजा लड़ाई करते थे ना तो लड़ाई करते वक्त भी वह कैसी लड़ाई करनी है कैसे जो युद्ध लड़ना है कैसे सामने वाले को हराना है कौन से व्यवहार में बनाना है तो इन सब के लिए भी वह मैनेजमेंट करते थे गर्वनर कोई राजा जो आपने देश को कैसे चलाना है कितना लोगों से टैक्स लेना है कितना उनको फायदा देना है इसके लिए भी वह मैनेजमेंट करते थे पर वह और आज के टाइम में आज के टाइम में जो है वह यह अलग-अलग एक्टिविटीज में और बिजनस में भी मैनेजमेंट होता है सबसे ज्यादा मैनेजमेंट हम लोग बिजनेस में मानते हैं हमारे चैप्टर में तो बिजनेस के हिसाब से चलता है लेकिन मैनेजमेंट तो हर एक्टिविटी में होता है ना कि अरविंद मैनेजमेंट में भी ऐसे ही प्रिंसिपल्स तैयार होते हैं ऐसे ही प्रिंसिपल्स तैयार होता है कि मैनेजमेंट में पहले के टाइम में आसक्त काफी सालों पहले बहुत सारे मैनेजमेंट गुरु हो चुके हैं कि जिन्होंने अपने बिजनस का एकदम सक्सेसफुल मैनेजमेंट किया है में बहुत सारे ऐसे मैनेजमेंट गुरु हैं जिन्होंने अपने बिजनेस में सक्सेस फुल मैनेजमेंट किया है इसी वजह से वह मैनेजमेंट गुरु बन गए लेकिन अ और वह जो उन्होंने मैनेजमेंट किया हुआ था वह मैनेजमेंट के बहुत सारी मेथड बहुत सारे ट्रिक वाउचर एक्सपेरिमेंट बहुत सारे डिसीजंस वह आगे चलकर जो है वह सब के लिए प्रिंसिपल्स बन गए आगे चलकर सबके लिए प्रिंसिपल्स बन गए इनका एग्जांपल बता दूं जैसे मैंने स्टूडेंट का एक्सांपल बताया वैसे एग्जांपल कि बहुत टाइम पहले ऐसा हुआ था कि हमें बिजनेस की सेल बढ़ानी है सेल बढ़ाने के लिए क्या किया जाए तो किसी ने एक्सपेरिमेंट किया है अगर आपको बिजनेस की सेल बड़ा नहीं होना तो उसके लिए एडवर्टाइजमेंट बढ़ाओ कि आप एडवरटाइजमेंट जाएगा तो रोशेल खुद-ब-खुद ज्यादा हो जाएगी व एडवर्टाइजमेंट देखकर लोग जो है वह आएंगे आपके पास कोई एक मैनेजमेंट गुरु ने यह एक्टिविटी अपना के देखी है है कि मुझे सेल बढ़ाने है मैं एडवर्टाइजमेंट करूंगा किसी मैनेजमेंट गुरु ने यह अपना के देखा उसे फायदा हुआ उसकी सेल बढ़ गई तो उसे देखकर किसी और बिजनेस वाले ने भी अपनाया क्या मैं भी एडवर्टाइजमेंट करता हूं वह जब भी फायदा होगा उसे भी फायदा हुआ था आगे चलकर किसी और ने भी यही चीज अपनाई दूसरे बिजनेस में भी चौथे बिजनेस में विपक्ष में बिजनेस में भी हर कोई यही चीज अपनाने लगा कि मैं एडवर्टाइजमेंट करूंगा तो मेरी सेल बढ़ जाएगी और यह चीज आगे चलते चलते चलते चलते कुछ सालों बाद यह प्रिंसिपल बन गई यह बिजनेस का रूल बन गया बिजनस का प्रिंसिपल बन गया कि अगर बिजनस में सेल बढ़ानी है मतलब एडवरटाइजमेंट करो कि एडवर्टाइजमेंट करो तो आपकी सेल खुद-ब-खुद बढ़ जाएगी सही बाद न तो ऐसे यह तो चलिए एग्जांपल हुआ बिजनस के लिए ऐसे तो बहुत सारी चीज है बहुत सारी चीजें हैं जो पहले के मैनेजमेंट गुरु जी ने हमें समझाइए है उन्होंने अपने बिजनेस में वह लाइक की थी और वह लाइक करके उन्हें जितना फायदा हुआ उसे देखकर दुश्मनों ने चीज सप्लाई की और उन्हें फायदा हुआ तो आगे चलकर उनकी एक्टिविटीज अरे आज प्रिंसिपल बन चुकी है क्लियर हो रहा है पंच अपडेट तो प्रिंसिपल ऑफ मैनेजमेंट यही चहते एक सिंपल से अगर कांसेप्ट वापिस समझें तो ऐसा कहते हैं कि इन सब बिजनेस यूनिट सम रूल्स प्रिंसिपल माइट बी फॉर्म इन रिलेशन टू ह्यूमन बिहेवियर वे ह्यूमन बिहेवियर को देखकर तुम्हें गोवंश सिचुएशन आती है तो लोग कैसा डिसीजन लेते हैं यह सिचुएशन गई तो लोग क्या डिसीजन लेता है यह सिचुएशन यह सिचुएशन हुई तो लोग क्या करेंगे ह्यूमन बिहेवियर को देखकर लोग अलग-अलग तरह का डिसीजंस लेते हैं शॉर्ट टर्म प्रिंसिपल्स माइट बे फॉर्म्ड कुछ रूल्स कुछ प्रिंसिपल्स तैयार हुए इन रिलेशन टो ह्यूमन बिहेवियर सौदा अचीवमेंट आफ गोल भी Amazing कि जिससे जो है वह हमारा बोल मतलब जो हमारा लक्ष्य है वह इजीली हमें हासिल हो सके अचीवमेंट आफ बोल बेगम इजी एंड थिस प्रिंसिपल और फोल्डर प्रिंस यह सब मैनेजमेंट ऐसे प्रिंसिपल्स को प्रिंसिपल ऑफ मैनेजमेंट हम लोग कहते हैं ऐसे रूल्स रेगुलेशंस के जिनकी वजह से हमारा बोल इजीलि कंपलीट हो सके हमें आसानी से हमारा लक्ष्य हासिल हो सके तो वह रूल्स रेगुलेशंस वह जो है वह एक्टिविटीज इन वह मैनेजमेंट के प्रिंसिपल्स कहलाती है कि अब क्लियर हो रहा है कि प्रिंसिपल ऑफ मैनेजमेंट हम लोग किसे कहते हैं पहले के बनाए हुए रूल्स रेगुलेशंस लेकिन फिर से वही बाद आपको बताता हूं कि यह जो रूल्स एंड रेगुलेशंस यह जो प्रिंसिपल संघ यह सिर्फ गाइड लाइन से यह क्या देता है हमें सिर्फ गाइडलाइंस कि देखो ऐसे अगर सिचुएशन आ जाना तो आप यह काम करना ऐसे ज्यादा सिचुएशन है तो यह काम करना यह गाइडलाइंस पर वर्क यह जाएगा इन सबके लिए एप्लीकेबल हो ऐसा जरूरी नहीं है जो मैंने आपको एडवर्टाइजमेंट कभी एग्जांपल दिया ना कि अगर सेल बढ़ानी है तो एडवर्टाइजमेंट करो सेल खुद-ब-खुद बढ़ जाएगी लेकिन जरूरी नहीं है हर एक बिजनेस में जो है वह यही प्रिंसिपल अप्लाइज होता हो कि जैसे एक Simple सा एक्सांपल आपको देता हूं माचिस की डिब्बी आती है ना माचिस की डिब्बी हर किसी के घर में यूज होती है सबसे ज्यादा यूज्ड ऑयल प्रोडक्ट है लेकिन अगर उसका एडवर्टाइजमेंट ज्यादा करेंगे तो क्या सेल्स ज्यादा होगी उसकी पॉसिबिलिटीज है नहीं है कि माचिस की डिब्बी कि अगर एडवर्टाइजमेंट करें कभी देखी नहीं होगी आप लोगों ने कि टीवी में कभी माचिस की डिब्बी की एडवर्टाइजमेंट आती हो नहीं आती ना सिर्फ क्योंकि उसके अंदर एडवर्टाइजमेंट करो तो क्या लोग झुकें के दो डिब्बे खरीदने लग जाएंगे यह ज्यादा करेंगे इधर पर स्टॉक भरकर रखें कि भई जो है वह अच्छी एडवर्टाइजमेंट इसकी आ रही है नहीं ना तो सेल बढ़ानी है तो एडवर्टाइजमेंट करनी पड़ेगी यह रूल है सही रूल है यह मैनेजमेंट प्रिंसिपल है लेकिन सबके लिए एप्लीकेबल हो ऐसा जरूरी नहीं है अब जैसे माचिस का किसी का बिजनेस हो तो उसे सेल बढ़ाने के लिए और कुछ एक्टिविटी करनी पड़ेगी जरूरी नहीं है कि एडवर्टाइजमेंट करें वह दूसरी एक्टिविटीज आती है उसे वह करना पड़ेगा सोएंगे शॉट कहने का मतलब यह है मैनेजमेंट के प्रिंसिपल से वह गाइडलाइंस देते हैं आपको रास्ता बताता है ऑलमोस्ट हर बिजनस में यह गाइडलाइंस अप्लाई कर सकते हैं अच्छा ठीक है ना हंड्रेड में से नौ सेंटेंस बिजनेस में यह प्रिंसिपल्स काम आ जाते हैं यह जिससे बिजनेस को सक्सेस मिले लेकिन एकाध बिजनस 18 परसंटेज के बिजनस ऐसे भी होते हैं कि जिसमें यह प्रिंसिपल सिम नहीं चलता हूं से थोड़ा सा चेंज करना पड़ता है ऐसे प्रिंसिपल सा लोग इस चैप्टर में सीखोगे इन प्रिंसिपल के बारे में है कि डिटेल में समझोगे कैसे-कैसे प्रिंसिपल से और यह प्रिंसिपल भी आप लोग भी फ्यूचर में अपने बिजनेस में अगर आप लाइक करो यह आपके पेरेंट्स का अभी कोई बिजनेस कर रहा हूं उन बिजनस में अगर ऐसी चीज है अप्लाई करो यह प्रिंसिपल आप लाइक करो तब उस वक्त सक्सेस के चांसेस बहुत बढ़ जाते हैं बिजनेस में सक्सेस के चांसेस बहुत बढ़ जाता है अगर ऐसी चीजें अप्लाई की जाए तो हां यार ये बात समझ में आती है ना तो यह प्रिंसिपल ऑफ मैनेजमेंट हुए अब इनके बारे में थोड़ा और डिटेल में समझना हो तो उसका नेचर समझें नेचर मतलब उसके करैक्टेरिस्टिक्स प्रिंसिपल्स आफ मैनेजमेंट कैसे हैं क्या है उसके बारे में औरत और थोड़ा डिटेल में पता चलेगा कि है तो नेचर में सबसे पहला का यूनिवर्सल एक्सेप्टेंस यह प्रिंसिपल्स आफ मैनेजमेंट एंड यूनिवर्सल एक्सेप्टेंस इसका मतलब यह हर जगह पर वर्ल्ड के हर जगह पर हर एक्टिविटी यह कह कर बिजनस में यह प्रिंसिपल अप्लाइज हो सकते हैं छोटा बिजनस हो या बड़ा बिजनेस हो मैं भले जो यहां पर क्लास चलाता हूं कि कोई स्कूल चलता हो कोई कपड़े का बिजनेस हो कि पोज है वह आयरन और स्टील की कंपनी हो हर एक बिजनेस के लिए यह प्रिंसिपल ऑफ मैनेजमेंट ऑलमोस्ट सेम होते हैं गर्वनर यह ऑलमोस्ट सिंह होते हैं हर बिजनस में अप्लाई होते हैं हां लेकिन जैसे मैंने पहले बताया कि हर बिजनेस के हिसाब से इन्हें थोड़ा थोड़ा चेंज कर सकते हैं थोड़ा थोड़ा चेंज सारे इसमें आता है लेकिन यह प्रिंसिपल ऑफ मैनेजमेंट नोएडा इस बिजनेस में अप्लाई हो जाता है इसी वजह से कहते है कि यूनिवर्सल एक्सेप्टेंस है और दूसरा बड़ी फ्लैक्सिबल किसी के हिसाब में आता है फ्लैक्सिबल यह प्रिंसिपल ऑफ मैनेजमेंट फ्लैक्सिबल है फ्लैक्सिबल मतलब टाइम टू टाइम है सच क्लिक कर सकते हैं सिचुएशन टू सिचुएशन चेंज कर सकते हैं हम लोग जरूरी नहीं कि उस बिजनेस में यह सिचुएशन थी तो उन्होंने यह प्रिंसिपल यह रूल अपनाया तो हम भी वही रोल अपना है नहीं अगर हमारे सिचुएशन अलग है तो हमको चल अपना सकते हैं जो मैंने आपको एग्जाम बल दिया कि वह उसे सेल बड़ा नहीं थी तो उसने एडवर्टाइजमेंट ही जरूरी नहीं है कि मैं एडवरटाइजमेंट करूं तो ही सेल बढ़ेगी मैं कोई और एक्टिविटी करना चाहता हूं मेन तो बोल यही होता है ना कि सेल बड़ा नहीं है हमें बल एडवर्टाइजमेंट डार्क करके और कुछ काम करो मुझे तो मेन सेल बढ़ानी है जो समझदार है ना बात है तो यह चीज फ्लैक्सिबल है यह प्रिंसिपल कोई साइंस के प्रिंसिपल की तरफ साइंस के रोज की तरह ब्रिगेड नहीं है रीड मतलब फिक्स नहीं है कि साइंस में रूसा है उसे बदल नहीं सकते हम लोग इन चीजों को सिचुएशन के हिसाब से कंडीशन के हिसाब से बदल सकते हैं इसलिए यह प्रिंसिपल्स आफ मैनेजमेंट फ्लैक्सिबल आते हैं दूसरा जनरल गाइडलाइंस यह प्रिंसिपल ऑफ मैनेजमेंट गाइडलाइंस यह कोई फिक्स या फोर्स के लिए अप्लाई करने वाली चीज नहीं है यार देखो बिजनेस में सक्सेस चाहिए मतलब तो मैं यही करना पड़ेगा कंपलसरी करना पड़ेगा ऐसा नहीं होता है यह गाइडलाइंस पर व के जरिए जो मैंने पहले आपको एग्जांपल दिया कि अगर आपको अच्छे मार्क्स लाने मतलब सुबह जल्दी और नोट्स बनाएं यही करना पड़ेगा नहीं तो अच्छे मार्क्स आएंगे ही नहीं आपके ऐसा नहीं यह गाइडलाइंस है यह फोर्स के लिए अप्लाई नहीं होता आपको गाइडलाइंस मिलती है कि देखो मैं अच्छे मार्क्स यह तो यह आपके पास रास्ता है सुबह जल्दी और अच्छे खास नोट्स बनाएं हर चीज के तो आपके अच्छे मार्क्स आएंगे आएंगे यह पैसे फिर बनाओ ना बनाओ मानो ना मानो कि तो आपकी मर्जी न बरनत वैसे ही बिजनस में भी यह जो प्रिंसिपल ऑफ मैनेजमेंट है वह हर एक बिजनेसमैन को गाइडलाइंस देते हैं रास्ता बताते हैं कि देखो यह आपके लिए रास्ता है सक्सेस के लिए फिर मानो ना मानो यह तो आपकी मर्जी है दूर तो यह जनरल गाइडलाइंस और दिया सबके लिए कि जिसकी वजह से बिजनेस में फ्यूचर में कभी अगर हम कोई जगह पर अटके भी ना तो यह गाइडलाइंस काम आती है कि अगर यह सब कुछ शबर नहीं चल रहा है लांच जा रहा है बिजनस में आप क्या करें तब उस वक्त ऐसे प्रिंसिपल ऐसे गाइडलाइंस काम आती है हमें कि जिससे हम बिजनेस को बचा सकते हैं के लिए बेस्ट नॉन ह्यूमन बिहेवियर प्रिंसिपल ऑफ मैनेजमेंट में ह्यूमन हमेशा सेंटर में आता है प्रिंसिपल्स आफ मैनेजमेंट बनाया किसने वूमंस में अप्लाई कौन करेगा वूमंस किस पर अप्लाई होगा वूमंस पहला का या तो मतलब प्रिंसिपल्स आफ मैनेजमेंट की हर एक्टिविटी में जो मनी सेंटर में आता है ना यह प्रिंसिपल्स आफ मैनेजमेंट मशीन तो बनाती नहीं है मशीन के ऊपर से अप्लाई करेंगे नहीं हम लोग लोगों के ऊपर ही अप्लाई करने होते यह प्रिंसिपल्स बराबर है तो इसी लिए यह टोटली ह्यूमन बिहेवियर के ऊपर भेज दो है ड्रॉप कि मैं अगर कोई सिचुएशन आई तब उस वक्त ह्यूमन या कोई इंसान कैसा बिहेवियर करता है कैसा डिसीजन लेता है इसके ऊपर से ही प्रिंसिपल बन रहे हैं कि जैसे अगर जो है वह मैं यहां पर इस साल हमारे यहां पर बाढ़ आ गई एग्जांपल बता दूं कि इस साल हमारे यहां पर बाढ़ आई अगर जोड़ से और बाढ़ की वजह से मेरे बिजनेस में बहुत बड़ा नुकसान हुआ अब क्या करूं अब क्या हाथ पर हाथ रखकर बैठ जाओ कि मैं बिजनेसमैन हूं है तो आप यूज करें फिर तब उस वक्त ऐसे प्रिंसिपल का मानते हैं कि आज से 50 साल पहले सेम ऐसे ही बाढ़ आई थी और उस वक्त वह जो बिजनेस मैन थे ना जिसे आज मैनेजमेंट गुरु कह सकते हैं हम लोग कि वह जो मैनेजमेंट गुरु थाना उन्होंने ऐसे डिसीजन लिए थे कि मैं ऐसे डिसीजन लिए थे उसकी वजह से उनका बिजनस बाढ़ में डूब गया था फिर भी कुछ टाइमिंग में वह फिर से नंबर वन पर आ गया तो आज यहां पर फिर से वैसे ही बाढ़ आई है तो आप 50 साल पहले उन्होंने जो डिसीजन लिया था हम भी अगर वैसा ही डिसीजन ले वैसे अगर चीजें अप्लाई करें तो हमारा बिजनस भी फिर से आगे बढ़ सकता है नंबर वन पर पहुंच सकता है वरना इसलिए यह कहते हैं यह प्रिंसिपल ऑफ मैनेजमेंट ऐसी सिचुएशन में काम आता है यह देखो आज फट चुके हैं अच्छे सालों पहले वह बिजनेसमैन भी ऐसी कंडीशन में फंसा था उसने क्या किया था हम भी ऐड कर सकते हैं इसलिए प्रिंसिपल्स आफ मैनेजमेंट गाइडलाइंस देते हैं कि देखो है का रास्ता है यह चीज अप्लाई कर सकते हैं और यह ह्यूमन बिहेवियर के ऊपर बेस्ट है कि वह उस टाइम उसने कैसा डिसीजन लिया था कि 50 साल पहले जब बाढ़ आई थी तो क्या वह बिजनेसमैन भी हाथ पर हाथ रखकर बैठ गया था कि कुछ नहीं करना है कि उसने भी कुछ डिसीजन लिया है एक तो वैसे ही डिसीजन हम भी ले सकते हैं ना बराबर न इसलिए कहते हैं प्रिंसिपल ऑफ मैनेजमेंट भेज नॉन ह्यूमन बिहेवियर एंड कंटिंजेंसी प्रिंसिपल ऑफ मैनेजमेंट में कंटिंजेंसी आती है कंटिंजेंसी मतलब क्या लगता है कि वह इस टीचर में क्या होने वाला है उसके बारे में जो है वह पहले सोच कर रखना ट्यूटर में ऐसा हो कि अगर हम लिए एक्टिविटी कर रहे हैं तो शायद यह में ऐसा हो जाएगा यह धर्म यह करेंगे तो क्षेत्र में यह चेंजेस आएंगे वर्षीय के बारे में पहले से ही सोच कर रखना है यह प्रिंसिपल ऑफ मैनेजमेंट बताते हैं कि हम जो मैंने पहले भी आपको इतने सारे एक्सांपल दिए कि अगर हम कोई सिचुएशन में फंस जाते हैं तब ऐसे प्रिंसिपल्स काम आते हैं यार उस वक्त तो उसने ऐसा डिसीजन लिया था तो हम भी ऐसा डीसी अच्छी तरह के जिससे फ्यूचर में यह चीजें बदलेंगी आज हम लॉस हो रहा है तो जब लॉस हो रहा है तो क्यों हो रहा है उसका रिवीजन फाइंड करें और उसके रिलेटिड डिसीजन लें वह डिसीजन ऐसे प्रिंसिपल्स अकॉर्डिंग कि आप सालों पहले उस कंपनी में भी पहले लॉस्ट था तो उसने भी ऐसे डिसीजन लिया ना तो लास्ट का प्रॉफिट हो गया उसे तो आज मैं भी उसी कोई देखकर उसी की तरह मैं भी डिसीजन लेना शुरू करूं तो मेरे भी लांच जो है वह प्रॉफिट में कन्वर्ट हो जाएगा विचार में यह फैक्ट होगा इसलिए कहते हैं कि बाइक प्रिंसिपल ऑफ मैनेजमेंट में कंटिंजेंसी होती है फ्यूचर के बारे में इजीली पहले हम लोग सोच सकते हैं है तब और क्लियर हुआ होगा कि प्रिंसिपल्स आफ मैनेजमेंट का नेचर क्या है मींस क्या वह और क्लियर हुआ होगा हर एक पॉइंट से कहा कि प्रिंसिपल ऑफ मैनेजमेंट की इंपॉर्टेंस किया है दूसरा पॉइंट आता है उसकी इंपोर्टेंट कि अगर यह प्रिंसिपल्स आफ मैनेजमेंट आप लोग अपने बिजनस में अप्लाइड करो तो क्या फायदे होंगे तो क्या फायदे होंगे वह ऑलमोस्ट देखा दोस्तों यह हमने लेकिन फिर भी अगर पॉइंट वाइज समझे उसे सबसे पहले इनक्रीज मैनेजरियल एडिशन सी सबसे पहला फायदा कि अगर प्रिंसिपल ऑफ मैनेजमेंट अप्लाई कर रहे हैं बिजनस में तो उसकी वजह से मैनेजरियल एडिशन सी बढ़ेगी मतलब मैनेजर की काम करने की क्षमता बढ़ेगी मैनेजर सही डिसीजन ले पाएगा सही काम कर पाएगा कि मैं कोई भी तरह का फोल्ड नहीं होगा उसके काम में और इसकी वजह से इसकी वजह से उसकी ऐसी बढ़ेगी नाकाम करने की क्षमता बढ़ेगी कि ब्राह्मण उसे एक एक्सपीरियंस मिलेगा मैं अगर कोई नए बिजनस में जाऊं मुझे कोई भी एक्सपीरियंस नहीं है फिर भी अगर इन प्रिंसिपल्स का आप लाइक करो ना तो वह समझो मेरे साथ मेरा एक्सपीरियंस जुड़ा हुआ है कोई नया बिजनेस में जाकर मैं मैनेजमेंट करने जाऊं है जब मैनेजर तो उसमें अगर कोई सिचुएशन आ गई कि अब क्या करूं मैं मैं तो पहली बार मैनेजमेंट रहूं पता ही नहीं है अब क्या करूं लेकिन उस वस्त्र अगर प्रिंसिपल ऑफ मैनेजमेंट को अप्लाई किया जाए ना तो मैं घबरा लूंगा नहीं तो फिर ध्यान रहेगा नहीं भाई ऐसी सिचुएशन आती है ना तो ज्यादातर लोग यह चीज अपनाते हैं मैं भी यही अपनाकर देखता हूं पर वह मैनेजर बिना डरे काम करेगा भले पहली बार भी वह काम करता हो तो अगर यह सिचुएशन है कमेंट डरना नहीं है लोग यही चीज अप्लाई करते हैं मैं भी ऐसी चीज अप्लाई करूंगा इस सिचुएशन में अच्छा ठीक है तो इसी वजह से अगर प्रिंसिपल्स आफ मैनेजमेंट अपना सेट करें ना तो जिससे मैनेजरियल एडिशनल चीफ मैनेजर की काम करने की क्षमता बढ़ती है इसके अलावा मैक्सिमम यूसेज एंड इफेक्टिव एडमिनिस्ट्रेशन आफ रिसोर्सेस के प्रिंसिपल ऑफ मैनेजमेंट की मेज़ और सिस्टम इफेक्टिव एडमिनिस्ट्रेशन होता है मतलब परफेक्ट मैनेजमेंट हो पाता है रिसोर्सेज़ मतलब रिसोर्सेस मतलब जिनके थ्रू हमारा बिजनेस चल रहा है बिजनेस में यूज होने वाली हर एक चीज वह रिसोर्सेस व्वे रॉ मटीरियल हो मशीन हो फर्नीचर हो ह्यूमन पावर हो कुछ भी हो यह सब रिसोर्सेस होते हैं बिजनेस के अ कि दादा प्रिंसिपल्स आफ मैनेजमेंट अप्लाई करना तो रिसोर्सेस का इफेक्टिव एडमिनिस्ट्रेशन मतलब परफेक्ट मैनेजमेंट हो पाता है कि कौन सा रिसोर्सेस का यूज कहां करना है कौन से इंसान को कहां काम पर लगाना कितना रोमांटिक जल कहां पर यूज करना है तो उसका सही मैनेजमेंट हो पाएगा एंड अ मैक्सिमम यूज हो पाएगा यूज मैक्सिमम हो पाएगा वेस्टेज होगा नहीं वेस्टेज नहीं होगा यह चीज रमेश हो रही है फालतू जा रही है कि इस इंसान को यहां पर काम पर लगाना चाहिए वहां पर लगा ही नहीं पा रहे हैं1 अभियुक्त जगह मेन पावर यह उसका वूमन पावर वेस्ट जा रहा है ऐसा नहीं यह रॉ मटीरियल में से जितना प्रोडक्शन होना चाहिए उतना ही नहीं रहे काफी रोमांटिक जल वेस्ट और है क्योंकि उसका बरोबर मैनेजमेंट नहीं कर पाते जिसकी वजह से वेस्टेज होता है लेकिन अगर यह प्रिंसिपल सप्लाई करें हम लोग तो जिसकी वजह से वेस्टेज नहीं होगा और रिसोर्ट्स इसका इफेक्टिव एडमिनिस्ट्रेशन सही मैनेजमेंट कर पाएंगे हम लोग अच्छा ठीक है इंडिया लगता है हेल्पफुल इन साइंटिफिक एंड लॉजिकल डिसीजन कि के प्रिंसिपल ऑफ मैनेजमेंट की वजह से डिसीजन हम लोग साइंटिफिक और लॉजिकल ले सकते हैं हमें या अपने बिजनेस में हमेशा डिसीजन लेना जरूरी हो जाए और डिसीजन भी कैसे होने चाहिए तो सही डिसीजन होने चाहिए जो बिजनेस को फायदा दे अंदाजे से धक्के मारकर डिसीजन लेना ऐसा नहीं होना चाहिए तो इसी वजह से जब प्रिंसिपल ऑफ मैनेजमेंट साथ में होंगे ना तो हमें एक रियलिटी पता चलेगी हमें एक कंडीशन शामिल सामने मिलेगी जिसकी वजह से हम सही डिसीजन ले पाएंगे दुकान नहीं मारेंगे इससे पहले भी मैंने का एक्सांपल लिया था कि अगर सपोच मेरे बिजनेस में लॉन्च हो रहा है तो अब लास्ट को ठीक करने के लिए प्रॉफिट में कन्वर्ट करने के लिए क्या करोगे तो उस पर दुकानदार के डिसीजन देना कि चलो छोड़ो में ऐसे करके देखता हूं प्रॉफिट में कन्वर्ट हो जाएगा दुकान चलता है बिजनस में नहीं चलता है तो उस वक्त ऐसे प्रिंसिपल्स काम आते हैं जो मैंने बताया कि आपसे सालों पहले उस कंपनी में भी ऐसा ही लास्ट है उसने क्या डिसीजन लिया था तो मैं भी वैसे डिसीजन नहीं सकता हूं किया उसके ऊपर कम से कम मैं क्या कह सकता है रिसर्च तो कर ही सकता हूं सोच सकता हूं हुआ था क्या रोशनी एडिसन लिया था उसको ऐसे-ऐसे फायदा हुआ था तो मैं भी अपने हिसाब से बने थोड़ा सा चेंज करके डिसीजन लो तो मुझे भी ऐसे फायदा हो सकता है फिर ड्राप तो इसी लिए साइंटिफिक और लॉजिकल डिसीजन ले सकते हैं मतलब सोच समझकर डिसीजन लिया जा सकता है धोखा नहीं मार सकते हैं हम लोग स्कूल प्रिंसिपल ऑफ मैनेजमेंट से जो है वह सही डिसीजन लेने में हेल्प मिलती हैं फिर टो कोप अप विद द चेंजिंग बिजनेस एनवायरमेंट चेंजिंग बिजनेस एनवायरमेंट हमें ध्यान है कि बिजनस हमेशा एक तरह से नहीं चलता बिजनस में चेंजेस होते रहते हैं कभी वह टेक्नोलॉजी बदल जाती है कभी कस्टमर का टेस्ट है वह रेफ्रेंस बदल जाता है आज कस्टमर की डिमांड यह है कल कोई नई चीज की डिमांड करता है गवर्नमेंट पॉलिसीज बदल जाती हैं यह कुछ भी चेंजेस सामने रखते हैं बिजनस में हमेशा चेंज जाते हैं बिजनस कभी भी एक ही जैसा और स्मूथ ही नहीं चलता चेंजेस होते रहते हैं बिजनस में यह तो जो क्या-क्या फिर नैचुरल है है और ऐसे चेंजेस के वक्त बिजनस मिट्टी के रहना वह सबसे ज्यादा जरूरी होता है कितने सारे बिजनेस होता है जरा सा चेंज आ जाता है और वह बिजनेस डूब जाता है फिर यह बिजनेस बंद हो जाकर लास्ट में चला जाता है कि अगर जरा सा जो आपको कस्टमर का टेस्ट बदल गया कस्टमर की डिमांड बदल गई तो वह ऐसी चीज है तो हम बनाते ही नहीं है तो क्या बिजनस बंद करके छोड़ दो ऐसा हो जाता है तो फिर ऐसे में कैसे चलेगा तो बिजनेस के हमेशा ऐसे ही करते रह और बंद करते हैं हम लोग नहीं उस वक्त ऐसे प्रिंसिपल्स आफ मैनेजमेंट हमें काम आते हैं उस वक्त तो बिजनस बंद नहीं कर देना लेकिन यह प्रिंसिपल समय हेल्प करते हैं कि जब भी बिजनेस एनवायरमेंट चेंज होता है यह बिजनेस में कुछ भी चेंजेस होते हो तो उसे कैसे cop-up करें मतलब कैसे उसमें जो है वह टिके रहे हम लोग क्यों चेंज को कैसे हम लोग टैकल करें कैसे टिके रहे हैं वहीं प्रिंसिपल समय हेल्प करता है या इनके अलावा क्या थैंक यू फील सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी यह उन सबको पता है कि बिजनेस का मेन मकसद प्रॉफिट कमाना होता है यह तो ठीक अपने क्यों किया जाता है प्रॉफिट के लिए लेकिन सिर्फ प्रॉफिट कमाना ऐसा जरूरी नहीं है यहां फिर कंपलसरी नहीं है प्रॉफिट के साथ-साथ हमारी सोसाइटी के लिए भी कुछ रिस्पांस मिनट बनती है कि हम सोसाइटी को भी कुछ ना कुछ फायदा देते रहे वरना क्योंकि हमें प्रॉफिट जिसकी वजह से मिल रहा है बता सुसाइड की वजह से लोग हमारी चीजें खरीद रहे हैं लोग हमसे कनेक्ट हो रहे हैं लोगों की हमारा लोगों को हमारा बिजनस अच्छा लग रहा है तो वह हमारे पास आते हैं ना करो बंद नहीं तो क्यों आएंगे नहीं आएंगे फिर तो वह इसी वजह से इसी वजह से कहते हैं कि हमारी सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी भी कुछ होती है कि अगर साइड से हमें फायदा मिल रहा है तो हम उन्हें अच्छी क्वालिटी का प्रोडक्ट दें सही प्राइस पर दें और भले हमें थोड़ा सा प्रॉफिट कम मिले लेकिन कस्टमर खुश हो उसमें ऐसी चीज है यह रिस्पॉन्सिबिलिटी हमारे बनती है ना और यह रिस्पॉस्बिलिटीज़ जो बिजनेस नहीं अपना कान्हा जो बिजनेस है से रिस्पांसिबिलिटी पूरी नहीं करता तो उसकी वजह से जो है वह कि इसमें बहुत बड़ा लॉस्ट फ्यूचर में हो सकता है अगर कोई बिजनेस है सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी पूरी ना करें तो इसीलिए सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी भी कैसे पूरी करनी है किस तरह से सुसाइड को भी फायदा देना है वह यह प्रिंसिपल सही हमें हेल्प देते हैं प्रिंसिपल सही पता चलता है कि कैसे हम लोग साइड को बेनिफिट दें तूफान फिल्म सोशल रिस्पांसिबिलिटी एंड आखिरी में आता है यूज़फुल फॉर रिसर्च ट्रेंनिंग एंड डेवलपमेंट कि यह तो बेसिक चीज है कि बिजनस में हमें कोई नया रिसर्च करना है कोई नई चीज है वह में तैयार करनी हो तो वह भी उस वक्त यह प्रिंसिपल समय हेल्थ देते हैं कि कैसे नई चीज तैयार की जाए कैसे जो है वह थोड़ा सा चेंज किया जाए मैं आपसे सालों पहले उस बिजनेस में ऐसा रिसर्च किया था ऐसे चेंज किया था हम भी वैसा चेंज कर सकते या तो फिर वर्कर को ट्रेनिंग कैसे दे दिया वर्कर को संभालना कैसे हैं यह सभी पॉइंट आकर के चैप्टर में है डिटेल में के वर्कर को कैसे ट्रेनिंग दी जाए बिजनेस का डेवलपमेंट कैसे किया जाए आज मेरी एक ब्रांच और दूसरी नई ब्रांच अगर मैं शुरु करो तो कैसे मैनेजमेंट करूंगा कैसे सब काम कर संभाल लूंगा यह सभी चीजें यह सभी चीजे प्रिंसिपल ऑफ मैनेजमेंट में हेल्प मिलती है मैं इसके दो हेल्प मिलती है यह बिजनेस का डेवलपमेंट कैसे करें युटुब ग्रोथ कैसे करें हम लोग अ कि गर्भवती इसलिए प्रिंसिपल ऑफ मैनेजमेंट बहुत यूजफुल है कि जैसे मैंने पहले भी बताया कि अगर हर एक बिजनस में यह प्रिंसिपल अप्लाई किया जाए ना जो यहां पर हमने देखा है कि इसका यूनिवर्सल एक्सेप्टेंस है हर जगह पर अप्लाई किया जा सकता है और अगर आप लाइक करें ना तो सक्सेस के चांसेस बहुत ज्यादा बढ़ जाते हैं कि मैंने पहले भी कहा आप भी अगर अपने बिजनस में यह लाइक करोगे कि आप भी जो है वह आपके पेरेंट्स का कोई बिजनेस चल रहा है और मैं अगर ऐसे सजेशन दोगे तो जिसकी वजह से सक्सेस के चांसेस बहुत बढ़ जाते हैं अच्छा ठीक है तबीयत पर प्रिंसिपल ऑफ मैनेजमेंट के बारे में कांसेप्ट क्लीयर किया है लेकिन कैसे प्रिंसिपल कौन सी चीज है बिजनस में अप्लाई करने चाहिए कैसे आप पढ़ाई करनी चाहिए उसके बारे में जो पॉइंट्स ना वह हम लोग मेक वीडियोस में देखेंगे चैप्टर का दूसरा पार्ट के रियल मैनेजमेंट प्रिंसिपल्स कौन-कौन से हैं अब उसके बारे में नेक्स्ट वीडियोस में देखेंगे हम लोग ओके थैंक यू