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कुरान और इंसान का कलाम

इन 10 दोनों में मैं उसे किताब का खुलासा आपके सामने पेस करना छह रहा हूं और इस एक सवाल के जवाब में ये बात पेस कर रहा हूं मेरे नजदीक कुरान इंसान का कलाम हो ही नहीं सकता क्यों नहीं [संगीत] [संगीत] मैं आपसे इस कोर्स के बड़े में कुछ बातें करता हूं यह कोर्स अल में इसकी शुरुआत हुई थी जब मैं कॉलेज में था और कॉलेज में मैंने कोर्स लिया था कॉपरेटिव और उसमें कुरान का भी कुछ हिस्सा हमारे कोर्स स्टडी का हिस्सा था हमारा प्रोफेसर का और उसमें एक हमें होमवर्क असाइनमेंट दी गई थी मेरा पहले सेमेस्टर था कॉलेज में न्यूयॉर्क में और असाइनमेंट यह थी की बाइबिल में जोसेफ की कहानी जो है स्टोरी ऑफ जोसेफ इन थे बुक का जेनेसिस उसका आपने तकाबुल करना है कुरान में सूरा युसूफ सिम स्टोरी ऑफ जोसेफ और यहां पर बाइबिल की स्टोरी इन दोनों का आपस में क्या था लुक है इनका क्या कंपैरिजन है तो मुझे जब यह असाइनमेंट मिली मैंने पहले दफा और मुझे वो बहुत ही कन्फ्यूजन लगी पहले मैंने बाइबल की स्टोरी पड़ी थी अच्छा बाइबल की स्टोरी में नाम भी है मां का नाम भी है आप का नाम भी है भाइयों का नाम भी है कहां पर रहते थे कौन से गांव में रहते थे मिस्टर कैसे पहुंचे वो जो मिनिस्टर था अजीज उसका क्या नाम था उसकी बीबी का क्या नाम था साड़ी मालूमात थे| और फिर जो बाइबल में हिस्सा है उसमें जगह के नाम यहां पर जगह नहीं वो खास नहीं बस मिश्रा का एक लफ्ज़ का दिया एक दफा बस अब वह मिश्रा का बाकायदा मिनिस्टर है लेकिन उसको भी जिसके पास एक किरदार हो बस इतनी सी बात क्या-क्या आगे बाद चलती उसकी बीबी का नाम नहीं कोई भी नहीं तो लगा ये की कुरान में बहुत साड़ी मालूमात मिसिंग है बाइबल में बहुत ज्यादा मालूमात है और कुरान में बहुत साड़ी चीज मिसिंग है और इस बात से मुझे एक कन्फ्यूजन भी हुई है और गुस्सा भी आया की एक आना होती है ना पैदाइशी मुसलमान है और अब ग ही रहा है की बाइबल जीत रही है मजहब येतवार से भी नहीं लेकिन एक हेरिटेज है हमारी मुसलमान हूं पैदाइशी मुसलमान हूं और हमें कुरान पर समझ आता हो ना हो फक्र जरूर है और बचपन से यह सुना है की इसका एक-एक लव एक-एक मकाम पर बिल्कुल परफेक्ट है उससे आप एक लफ्ज़ को अपनी जगह से हटा नहीं सकते और इसमें कोई चीज ना ज्यादा की जा शक्ति है ना कम की जा शक्ति है है तो उसे गुस्से की वजह से मुझे समझना की ख्वाहिश हुई की मैं कुरान को शायद तर्जुमा में कुछ मिसिंग है शायद अरबी में कोई ऐसी बात हो रही है जो तर्जुमा में मिसिंग है और उसे वक्त से मेरी एक दिलचस्प हुई कुरान को बगैर तर्जुमा के समझना में और जब मैंने अरबी के बाद कुरान का मुटाला शुरू किया तो मेरे जहां में और भी माजिद सवाद आने शुरू हो गए क्योंकि अल्लाह ताला कुरान में जब बात करते हैं आपने किसी भी थोड़ा सा भी कुरान पढ़ा हो तो कुरान में कुछ ऐसी क्वालिटीज हैं जो और किताबें में नहीं है अल्लाह ताला फर्ज करें कभी टेप की बात करते हैं लेकिन एक दफा नहीं करते बार-बार करते हैं दोस्तों से ज्यादा मर्तबा एक ही मजमून पे तक्वे पे जिक्र किया फिर जा रहा है तो उसकी तकरीबन कुछ तो फसिल वह जो पहले भी कहानी जा चुकी हैं तो दोबारा खाने का क्या फायदा आप किसी और किताब को खोलो उसमें अगर कोई पुरानी बात या चैप्टर फाइव पर ए पहुंचे हो पांचवें आप पे पहुंचे हो और उसमें तीसरी आप का कोई हवाला देना होता है तो जो कातिल होता है वो का देता है इस आप फलाने पेस पर चले जैन इस बात का वहां जिक्र हो चुका है वो पुरी बात दोबारा नहीं छपेगा वो सफेद को जय नहीं करेगा और अगर आप मजबूत किया चैप्टर कुछ समझ नहीं आएगी यह क्या हो रहा है लेकिन कुरान के अंदर आप अगर आप सर्च करें कोई सुनो तो लास्ट असर पड़ता है नवी सूरत फिर जाकर सूरत बात फिर भी उसको समझ ए जाएगी यानी वो एक तरह से उनमें से हर एक सूरत इंडिपेंडेंस है वो खुद से ही एक किताब है उसका किसी बाकी हिस से लगता है क्योंकि ताल्लुक है या नहीं है कुछ समझ नहीं ए रही बात और किताबें की तरह नहीं है मैं दीनी एतबार से बात नहीं कर रहा है किसी भी किताब को देखने उसका स्ट्रक्चर उसका निजाम कुरान की तरह का नहीं है उसका स्टाइल तो यह चीज जब मैंने नोट की अरबी में भी तो पहले तो मैं समझ रहा था बात को कर दिया था लेकिन यह सवाल आप मेरे जहां में रहे की कुरान इस तरह क्यों है इस तरह बात क्यों करते हैं और फिर दूसरी बात की सूरत के अंदर भी एक सूरत के अंदर जी तरह किसी किताब में इस पर बात होगी इमरान को खोलें अली इमरान का मतलब है इमरान का घराना कर रहे हैं इमरान के घराने पे बहुत थोड़ी आयत हैं अक्सरियत किसी और चीज के बड़े में बात हो रही सुतल बकरा कोई चैप्टर का नाम पढ़ ले बकरा मुखिया समझेगा क्या बात हनी है इसके अंदर गे के बड़े में बात हो रही है भैंस के बड़े में बात हो रही है और क्या बात हनी है लेकिन जब आप पढ़ने हो तो वहां एक किस का जिक्र तो है लेकिन वहां बहुत साड़ी बातें और हर तरह की बात हो रही है उसके अंदर तो इन सवालात के जवाब की तलाश में मैं निकाला और इनका जवाब मुझे ना तर्जुमा में मिला अपने पास रखें मेरी बुरी आदत है मुझे कोई सवाल से नहीं रॉक सकता और हमारे सर्कल्स में क्या होता है उसमें अगर आपको ऐसा सवाल पूछो जो आपके पढ़ना वाले को अच्छा ना लगे तो आपको का देते मुझे इसका जवाब चाहिए तो मैं इस सफर पर निकाला क्या कुछ लोगों ने हमारी तारीफ में यही सवाल पूछे हैं की नहीं और इन सवालों के जवाब और उसका एक्स्पोज़र अर्बन को खुद भी कम है और उसके अलावा जो बाकी मुसलमान है जो अक्सरियाते उम्मत की जो किताबें हैं जिम इन बटन के बड़े में कुछ बात सिखाई गई है वह ऐसी इलामी किताबें हैं ऐसी टेक्निकल किताबें की अगर मैं आपको उन किताबें का हवाला देना शुरू कर डन तो आपको पहले ही बात समझ नहीं आएगी की वो बात ही इतनी तरीके से बात बयान की जा रही है तो इस कोर्स मैंने कोर्स तैयार किया था 2005 में 2005 में उसका मकसद यह था की तमाम ते की एक वीकेंड में किसी ऐसे मुसलमान के सामने में पेस करूं जो जिसका अरबी में कोई बैकग्राउंड नहीं है उसको बिल्कुल अरबी नहीं आई उसको बिल्कुल तफसीर का कोई इल नहीं है लेकिन उसने कुरान का तर्जुमा आप खोल और पढ़ना शुरू किया उसको कन्फ्यूजन हुई की ये क्या हो रहा है इस किताब के अंदर क्या हो रहा है और मैं उसके सामने यह बात वजह करना छह रहा हूं की मैं इस तहकीक के बाद इस नतीजा पर कैसे पहुंच की यह एक इंसान के लिए मुमकिन है ही नहीं यह कलाम इंसान के लिए मुमकिन नहीं है अब जो शुरू से बचपन वाला दवा में सुनता ए रहा हूं ना की यह कुरान इंसान के लिए इस किम का कलाम कहना मुमकिन नहीं है उसकी बुनियाद थी की मुझे बड़ों ने कहा है मेरे वॉलनट ने कहा है इमामे मस्जिद ने कहा है मैंने बार-बार यह बात सुनिए मैंने मां ली मेरे पास उसकी अपनी कोई जाति डाली नहीं थी किसी की सनी भी बात मैंने मां ली लेकिन अगर मैं सिर्फ इस बुनियाद पर इसका इस्तेमाल करूं की हां कोई चीज हो ही नहीं शक्ति और इसका मुझे कोई फर्स्ट कोई तजुर्बा नहीं है कोई इल नहीं है तो फिर मैं किसी और पर तुम बात करके अपने इनाम का सहारा लिए हुए कुरान बार-बार का रहा है क्यों नहीं सोचते क्यों नहीं सोचते क्यों नहीं और हम का रहे हैं किसी और ने सोच लिया वह हमारे लिए काफी है तो इस सेमिनार का मकसद यह है की वह जो कोर्स मैंने कई साल पहले तैयार किया था फिर उसे उसके बाद वो एक किताब भी बनी अल्हम्दुलिल्लाह वो यूनिवर्सिटी में भी पढ़ाई जा रही है यहां तक के नॉन मुस्लिम यूनिवर्सिटी में जय में भी पढ़ाई जा रही है कुरान एक स्टडीज के अंदर मलेशिया में भी पढ़ाई जा रही है इन 10 दोनों में मैं उसे किताब का खुलासा आपके सामने पेस करना छह रहा हूं और इस एक सवाल का हम जवाब ढूंढ रहे हैं मैं अपने लिए मैं आपके लिए भी नहीं मैं सिर्फ अपने लिए इस एक सवाल के जवाब में ये बात पेस कर रहा हूं मेरे नजदीक कुरान इंसान का कलाम हो ही नहीं सकता क्यों नहीं उसकी कई कई तो यह जो नाम मैंने रखा है ना इसके बड़े में एक दो बातें पहले समझना फिर हम अपना कम आज का शुरू करते हैं वैसे हम आज बिहाइंड हैं मेरा मकसद था आज फातिहा के बड़े में मुकम्मल बात हो जाएगी मुझे नहीं लगता की होगी लेकिन कोशिश करेंगे इंशाल्लाह मैं रास नहीं करूंगा अगर ज्यादा टाइम चाहिए तो कल कर लेंगे अगले दिन कर लेंगे इंशाल्लाह लेकिन मैं मटेरियल को रश नहीं करना छह रहा आप मैं चाहता हूं की आम आराम से एक-एक चीज को आप सही तरह से समझे उसके बड़े में सवाल हो तो आपको सवाल बोलने पूछने का भी मौका मिले कुरान के मोचय के बड़े में अगर कोई समुद्र में होता लगता है गहराई में उतरता है वहां उसको मोती मिलता है और कहता है यह देखो मैंने क्या ढूंढा समुद्र में से और वह यह दवा करें की अल जो समुद्र का खजाना है ना वो मेरे हाथ में है क्या उसका दवा सही होगा समुद्र बहुत बड़ी चीज है आप बहुत छोटी चीज हो आप जितने भी होते लगा लो पुरी जिंदगी बहुत ही लगाते रहो आपके पास इतने से मोती आने आपके हाथ में और बाकी कितने ला मालूम ख़ज़ाने पीछे र गए ना मालूम हजारे आपको पता भी नहीं दुनिया को भी नहीं पता कुरान की मिसल लता ने खुद दी है एक समुद्र की तरह की बल्कि एक नई कई कई समुद्र में कितना मेरे अल्फाज समुद्र की तरह होते इसकी मिसल दिया जाता मैंने अब समुद्र की मिसल से क्या फायदा हुआ हम कुरान में तदबर करते हैं जैसे कोई गोटा लगाने वाला समुद्र में गट लगता है अगर मैं साड़ी जिंदगी समुद्र के अंदर गुर्जर दूंगा अपने तो मेरे जिस पर पूरे जिस पर कुछ खतरे ही लगे होंगे मैंने पूरे समुद्र का तजुर्बा नहीं किया और मैं गहराई में भी उतार जाऊं तो मेरे हाथ में एक-दो मोती आने हैं 500 ए जान हजार जान मैं कभी यह दवा नहीं कर सकता की मेरा पूरे समुद्र पर जुबा कर चुप कर चुका हूं और उसमें जो जो ख़ज़ाने थे वह मेरे हाथ में है यह भी हो सकता है की कोई और खाता लगा है उसको कोई और खजाना मिले और मुझे कोई और मिले और मैं कहूं खजाना यह है और वो कहे अल खजाना यह है किसकी बात सही है एक तरह से दोनों की बात सही है लेकिन दोनों की बात गलत भी है एक खजाना यह है और एक खजाना ये है ये भी हो सकता है की वो मेरे ख़ज़ाने को देखें मेरे मोती को देखें हुए की ये तो बस सही है लेकिन अल चीज ये है मेरे नजदीक बेहतर खजाना ये वाला है ये भी मुमकिन है इस सेमिनार में जिन चीजों के बड़े में मैं कुरान के मुताबिक जो बातें आपके सामने पेस करूंगा उनका ताल्लुक ज्यादातर नब्बे फिस मेरे नजदीक ऐसी चीजों से है जो वक्त के साथ बदलेंगे नहीं जैसे आपको मालूम होगा आजकल कुरान के मोजे की बड़े बड़े में जो बात होती है तो कहा जाता है आपने सुना होगा किसी को मालूम नहीं थी अब साइंस की तरह की वजह से हमें मालूम है तो कुरान का अल मौज क्या बताया जाता है आज से 10 साल बाद कोई नई इजाजत आए और जो थ्योरी हम समझते थे की सही है वो गलत साबित हो जाए एक जमाने में न्यूटन हक था फिर आइंस्टीन हक हुआ इस थ्योरी के साथ है गलत साबित हो गई मसला तो खड़ा हो गया ना ये क्या होता है की हम कुरान का मोजा कुरान से बाहर ढूंढते हैं ठीक है ना तो कुरान के दो तरह के मोजे हैं एक कुरान जो बाहर की बात कर रहा है उससे कभी मोजा साबित हो सकता है मैं उसका इनकार नहीं कर सकता वो हो सकता है लेकिन एक कुरान का मौजूदा है उसके अंदर उसको बाहर जान की जरूर नहीं उसके अंदर ही है और जो उसका है ना वह चाहे पहले साड़ी में हो या 20वीं साड़ी में हो या तीसरी साड़ी में हो उसमें को फर्क ही नहीं आना मेरे नजदीक कुरान का जो अल मोजा है ना वह उसके अंदर है और उसके बाहर आते रहेंगे आते रहेंगे और शायद उनमें कोई बात गलत साबित हो जाए हो सकता है गलती का लेकिन जो अंदरुनी मौजूदा है ना उसमें कोई गलती का इनका नहीं बात अभी तक समझ में ए रही है ठीक है अब थोड़ी सी बात हम आज इस पहले सेशन में मैं आपसे फातिहा के बड़े में कुछ बात करूंगा इस सेशन में सिर्फ अल्हम्दुलिल्लाह अगर मुमकिन हुआ सिर्फ अल्हम्दुलिल्लाह पहले बात यह समझ लेने की हमारे यहां फातिहा के बड़े में इख्तिलाफ है की उसकी पहले आयत या तो बिस्मिल्लाह रहमान रहीम है या अल्हम्दुलिल्लाह सफर करते हैं तो कुछ मजा है नजदीकियों के बिस्मिल्लाह फातिहा का हिस्सा है तो आप किसी मुस्लिम में जाकर मगरिब की नमाज में शिरकत करोगे तो इमाम अल्लाह हूं अकबर खाने के बाद अल्हम्दुलिल्लाह से शुरू नहीं करेगा कहां से शुरू करेगा बिस्मिल्लाह उर्फ रहीम अल्हम्दुलिल्लाह और हमारे देश को लगेगा ये क्या हो रहा है यार बिस्मिल्लाह जोर से की क्योंकि उनके यहां बिस्मिल्लाह फातिहा का हिस्सा है और यह खिलाफ हमारे सरूण में भी था क्या बिस्मिल्लाह फातिहा का हिस्सा है फिर एक औरत ने लता की अब बिस्मिल्लाह हर सूरत का हिस्सा है या हर सूरत से अलग है उसे बहस में बहुत डर ग जाएगी और अगर हमने बिस्मिल्लाह पर आज बात की तो इस में दो-तीन घंटे ग जाएंगे लेकिन मैं अपनी राय आपके सामने रख रहा हूं खोल के मेरे नजदीक ज्यादा कभी डेल लिए है की बिस्मिल्लाह फातिहा का हिस्सा नहीं है और इसकी टाइप में कुछ दलील कुरान के अंदर भी है और उसके बाहर भी एक मशहूर हदीस है जिसमें हदीस कुछ है की जब अल्लाह का बांदा फातिहा पढ़ना है तो एक-एक आयत के बाद अल्लाह ताला उसका जवाब देता है ठीक है बारिक सी दलील मिल गई के शायद कभी दलील यही है की फातिहा कहां से शुरू होती है अल्हम्दुलिल्लाह पे आज थोड़ी सी बात करते हैं हम का मतलब क्या है किसी को पता है आप लोगों से पूछ रहा हूं कोई हाथ उठाने की जरूर नहीं है तारीफ लेकिन अल में दो चीज हैं तारीफ आप सही का रहे हो तारीफ और दो चीज हैं अच्छा अरबी में तारीफ के लिए शुक्र राजा था लेकिन अब इन दोनों का फर्क भी थोड़ा सा समझना फिर आगे बात करते अगर आपने किसी का खूबसूरत घर देखा चलते चलते आपके बड़ा खूबसूरत घर है अपने शुक्र किया तारीफ की है तारीफ पाकिस्तान क्रिकेट टीम कोई अच्छी गाड़ी अच्छी इंसान तारीफ करता है कोई प्यार सा बच्चा देखा इंसान तारीफ करता है कोई अच्छे कपड़े देखें अच्छा खाना खाया तो आप बच्चे का शुक्रिया करते हैं लेकिन वह तारीफ के लायक नहीं होता ऐसा भी हो सकता है की नहीं के अंदर और बाद में अपना एहसान भी जाता था यानी उन्होंने इस बात का शुक्र किया आपने मुझमें पर एहसान किया यानी मूसा अली सलाम ने फिरौन तक का शुक्र तो किया है लेकिन कभी क्या नहीं करेंगे बाद में ये कहना छह रहा हूं की आमतौर पर ये दोनों चीज अलग-अलग होती हैं शुक्र कहानी और जाता है तारीफ कहानी और जाति है इन दोनों को इकट्ठा नहीं किया जा सकता आम तोर पे फिर सवाल पैदा ये होता है की जब पता चला ने कहा है ना अल्हम्दुलिल्लाह और इन दोनों को एक साथ मिला दिया है तो इसका मतलब है जब भी मेरे मुंह से अल्फाज देख लेंगे तुम मेरे जज्बात से दो मुतलबी किया जा रहे हैं जो भी हो रहा है मुझे किसी ना किसी तरह उसकी तारीफ करनी है और फिर जो भी हो रहा है उसकी बुनियाद पर मुझे खुदा का शुक्र करना है अब होता क्या है अल्हम्दुलिल्लाह ठीक है लेकिन होना क्या चाहिए मुश्किल के अगर अल्लाह ने मुझे इस मुश्किल में डाला है तो यह मुश्किल भी तारीफ के लायक है और अगर मैं इस मुसीबत से गुर्जर रहा हूं तो इसमें अल्लाह की कोई ना कोई नेमत है वो फिर भी मैं उसका शुगर करूंगा