चलिए स्टार्ट करते हैं विद दी बैटल ऑफ प्लासी ठीक है तो बैटल ऑफ प्लासी वाज द मेजर बैटल जहां से एक तरह से ईस्ट इंडिया कंपनी या फिर ब्रिटिशर्स का रूल मेनली स्टार्ट होता है एंड न वाई सेड ईस्ट इंडिया कंपनी बिकॉज ईस्ट इंडिया कंपनी वाज यह कंपनी थी जो पहले इंडिया में रूल करने आई ठीक है ऐसा नहीं कि डायरेक्टली पहले ब्रिटिश गवर्नमेंट का रूल था जैसे कि फॉर एग्जांपल मान लेते हैं कि कोई इंडियन कंपनी किसी अफ्रीकन कंट्री में ट्रेड करने के लिए जाए व्यापार करने के लिए जाए और वो धीरे-धीरे रूल करने लगे तो इस तरह से इंडिया में रूल चालू हुआ ब्रिटिशर्स का बहुत सारी हमारी कंपनीज आई और इससे देखिए बहुत सारे क्वेश्चंस आते नहीं है अगर मैं बात करूं जैसे पोर्तुगीज डच यह सब काफी कंपनीज अ इंडिया में आई लेकिन जो फाइनली एट दी एंड जिसने कि रूल किया इंडिया में दैट वाज ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी उसके पीछे के रीजंस क्या थे वो अ यहां पे जानने वाले हैं तो सबसे पहले जो मेजर बैटल था यहां पे जो कि काफी डिसाइसिव प्रूव ट दैट वाज बैटल ऑफ प्लासी ऑफ 1757 1757 प्रीलूड टू दी बैटल समझते हैं कि बैटल हुआ क्यों बैटल ऑफ़ प्लेसी जो पलासी का युद्ध है जो बंगाल है ठीक है बंगाल एक तरह से बोल सकते हैं वास द नर्फ सेंटर और बोल सकते हैं बंगाल एकदम रिच और काफी बड़ा स्टेट हुआ करता था ब्रिटिशर्स के टाइम पर इस परे कंट्रोल मतलब कि बहुत एक मेजर पूरे इंडिया पर बोल सकते थे कंट्रोल और उस समय बंगाल का जो 1750 के टाइम पर नवाब हुआ करता था वह था अली वर्दी खान ठीक है अली वर्दी खान के डेथ के बाद इसका जो बोल सकते हैं इसकी लड़की का जो बेटा था ठीक है इसके लड़की का बेटा था उसका नाम था सिराजुद्दौला ठीक है सिराज उद दौला यह राजगद्दी पर आया इसकी एज बहुत ज्यादा नहीं थी ठीक है मीर जाफर करके कमांडर जनरल था इसी के सिराज दौला के कोर्ट में बोल सकते हैं ठीक है यह मीर जाफर चाहता था कि यह बने नवाब ऑफ बंगाल फर्स्ट रीजन सेकंड रीजन ये प्रल टू द बैटल हम लोग समझ रहे हैं सेकंड रीजन बिकॉज यहां पे जो ब्रिटिशर्स थे या फिर जो ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी थी उनको कुछ ट्रेड राइट्स मिल रखे थे उसको वह ब्रीज कर रहे थे करप्शन कर रहे थे फोर्टिफिकेशन कर रहे थे यानी कि दीवाल बना रहे थे ठीक है तो जो यह सारे कुछ फैक्टर्स थे इसकी वजह से सिराजुद्दौला जो है उसको यह चीज काफी सही नहीं लगी अब सही नहीं लगी तो इसने सोचा कि अब ब्रिटिशर्स के खिलाफ कुछ ना कुछ करने की जरूरत है और एक और इंसीडेंस बोला जाता हैट वा दैट इज कॉल्ड एस ब्लैक होल ट्रेजेडी जिसमें कि यह माना जाता है कि राज दल ये माना जाता है इसलिए बिकॉज ये कंफर्म नहीं है ठीक है मतलब पूरी तरह से क्योंकि ब्लैक होल ट्रेजेडी में काफी सारे डिफरेंस ऑफ ऑपिनियंस है कि ब्रिटिशर्स बोलते हैं कि यहां पे काफी सारे ब्रिटिशर्स को बंद कर दिया गया एक काल कोठरी के अंदर जिसकी वजह से उनको दम घुटने की वजह से उनकी मौत हुई लेकिन कुछ हिस्टोरियंस बोलते हैं कि इतने लोगों की डेथ नहीं हुई तो एक तरह की ब्लैक होल ट्रेजेडी हुई थी ये भी एक प्रीलूड टू दी बैटल में आप ऐड कर सकते हैं जिसकी वजह से ये टेंशंस और स्ट्राइफ बिटवीन द ब्रिटिशर्स और जो नवाब उस समय था बंगाल का दैट वास सिराज उ दौला उनके बीच में स्ट्राइफ इंक्रीज हुआ और इसकी वजह से यहां पर बैटल ऑफ प्लास हुआ और यहां पर विनर वाज द ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी व यहां पर जीत जाती है और मीर जाफर ने ट्रेचर करी होती धोखा किया किया होता सिराज दौला के साथ ब्रिटिशर्स ने इसको यह प्रॉमिस किया कि अगर तुम हमें हेल्प करोगे सिराज उ दौला को डिफीट करने में तो वी विल मेक यू द नवाब ऑफ बंगाल और जैसा कि ब्रिटिशर्स ने प्रॉमिस किया वैसा ही डिलीवर किया किसको इस मीर जाफर को मीर जाफर को नवाब ऑफ बंगाल बना दिया गया बट यहां पर हुआ क्या अब मीर जाफर को तो बना दिया गया बट उतना ढंग से यह भाई साहब उतना चला नहीं पा रहे थे किसको बंगाल को और जैसा चाहते थे ब्रिटिशर्स वैसा नहीं चला पा रहे थे तो इसी वजह से इन्होंने क्या किया जो मीर कासिम था ठीक है मीर कासिम यह दामाद था किसका मीर जाफर का इसको राजगद्दी पर बिठा दिया बट मीर जा जो मीर कासिम है ये काफी यंग था ठीक है अब ये यंग था तो इसने यह सोचा कि क्यों हम एज अ पपेट रूलर बन के रह जाए ब्रिटिशर्स के तो इसने क्या किया एक एलायंस बनाया एक और इसका हां ठीक है एक अलायंस बनाया किसके साथ नवाब ऑफ अवद ठीक है उस समय जिसको ध बोलते थे और जो मुगल एंपरर था शाह आलम सेकंड ठीक है मुगल एंपरर शाह आलम सेकंड इनके साथ इसने एलायंस बनाया और ब्रिटिशर्स के खिलाफ एक वॉर वेज करी और एक चीज इसमें ध्यान रखिएगा इसमें ब्रिटिश ब्रिटिश फोर्सेस को किसने लीड किया ठीक है ध्यान रखना कि जो ब्रिटिश फोर्सेस हैं वर लेड बाय रॉबर्ट क्लाइव ठीक है रॉबर्ट क्लाइव ने यहां पर ब्रिटिश फोर्सेस को लीड किया बैटल ऑफ प्लासी में शाह आलम सेकंड और यह कौन था नवाब ऑफ अवद उस समय शुजा उद दौला ठीक है उसका नाम था शुजा उद दौला इन तीनों ने अलायंस बनाया और ब्रिटिशर्स के खिलाफ वॉर वेज किया बट यहां पर भी डिफीट किसकी होती है तीनों की कलेक्टिवली और विनर यहां पर कौन निकल के आता है इंग्लिश ईस्ट इंडिया कंपनी या फिर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी अब क्योंकि यहां पे जीत जाते हैं इस पर्टिकुलर वॉर को बैटल ऑफ बक्सर को तो अब यहां पे ट्रीटी ऑफ अलाहाबाद साइन होती है यह साइन करवाने में मेन रोल होता है रॉबर्ट क्लाइव का अगेन रॉबर्ट क्लाइव पिक्चर में आता है जो कि पहला गवर्नर ऑफ बंगाल भी था ठीक है ही वाज द फर्स्ट गवर्नर ऑफ बंगाल इसने दो सेपरेट ट्रीटी साइन करी शुजा उद दौला कौन जो नवाब ऑफ अवद है ठीक है और शाह आलम सेकंड के साथ एक शुजा उद दौला के साथ और एक अ इसके साथ नवाब ऑफ अव ये जो शुजा उद दौला और शाह अलम सेकंड के साथ यह चीज ध्यान रखना कि जैसे मीर जाफर पहले था ठीक है उसको हटाया मीर कासिम आया मीर कासिम ने क्या किया ब्रिटिशर्स के साथ वो ब्रिटिशर्स को पता चल गया कि इसको तो अब हटाना ही पड़ेगा तो फिर से मीर जाफर को फिर से यहां पे रिस्टोर कर दिया गया बाकी यहां पे दो अलग-अलग ट्रीटीज साइन हुई ट्रीटी ऑफ अलाहाबाद एक तरह से य य से डुअल गवर्नमेंट स्टार्ट होता है बंगाल में डुअल गवर्नमेंट इन बंगाल मतलब इसका क्या है मतलब इस का यह है कि इसमें दो तरह के दीवानी जो राइट्स थे या फिर दीवानी फंक्शन हम बोल सकते हैं यानी कि दीवानी फंक्शंस का मतलब है फिर दीवानी राइट्स का मतलब है राइट टू कलेक्ट द टैक्स यह ब्रिटिशर्स ने अपने पास रखा ठीक है यह ब्रिटिशर्स ने अपने पास रखा और जो निजामत फंक्शन थे इमत फंक्शंस का मतलब है जो पुलिस फंक्शंस यानी कि जो पूरा एडमिनिस्ट्रेशन देखना वो दे दिया जो नवाब था उसके हाथ में मतलब कि तुम देखो हमारे नाम पे क्योंकि इनको इससे कुछ लेना देना नहीं था मेन इनको लेना देना था रेवेन्यू से ठीक तो ये ट्रीटी ऑफ अलाहाबाद कंक्लूजन एक तरह से है किसका बैटल ऑफ बक्सर का और क्योंकि यहां पे नवा ये जो मुगल भी हार गए ठीक है जो नवाब ऑफ बंगाल था वो भी हार गया अवध कभी नवा बाहर गया तो यहां से माना जाता है कि कहीं ना कहीं जो ब्रिटिशर्स का रूल है वो एक्चुअल में यहीं से स्टार्ट होता है बैटल ऑफ प्लेसी या फिर बैटल ऑफ बक्सर बोल सकते हैं ठीक अब यहां पे हम पढ़ते हैं कुछ और सीरीज ऑफ वॉर जैसे कि एंग्लो माइसर वॉर तो साउथ इंडिया में अगर हम जाएं तो आपको पता होगा कि यहां पे था फ्लरिज कर रहा था विजयनगर एंपायर जो कि 1336 में एस्टेब्लिश हुआ था बाय हरिहर एंड बुक्का बट बैटल ऑफ तालीकोटा जो हुआ 1556 में उसके थ्रू यह जो विजयनगर एंपायर है जिस में कि डेक्कन सुल्तांस ने अटैक किया और इसको एकदम पूरा बायफर केट कर दिया और यह पूरा यहां पे विजयनगर किंगडम को पूरी तरह से ये बोल सकते हैं कि ये पूरा छोटे-छोटे पार्ट्स से बट गया था बहुत छोटे-छोटे पार्ट्स से बट गया तो इसमें से एक छोटा पार्ट निकल के आया ये मासोर वाले रीजन में जिसको कि हम बोलते हैं वडिया ठीक है वडेर डायनेस्टी एक हिंदू डायनेस्टी थी जिसने कि यहां पे रूल स्टार्ट किया मासोर किंगडम में ये धीरे-धीरे फ्लोरिश करता रहा उसके डिफरेंट रीजंस है बिकॉज किंग्स भी पावरफुल थे और ये रीजन भी काफी अच्छा था मतलब एग्रीकल्चर पर्सपेक्टिव से और लोकेशन जो स्ट्रेटेजिक पर्सपेक्टिव से काफी इंपॉर्टेंट लोकेशन पे था डयार डायनेस्टी यहां पर रूल कर रही थी बट यहां पर आ जाता है हैदर अली हैदर अली एक घुड़सवार के तौर पर जवाइन करता है डयार डायनेस्टी को या फिर मासोर किंगडम को उस समय जो रूलर थे डयार डायनेस्टी के वह कुछ खास कर नहीं पा रहे थे इसी वजह से हैदर अली का जो प्रॉमिनेंस है वो बढ़ता गया और उसने जो वडर डायनेस्टी थी उसको एक तरह से जो रूलर थे ठीक है उनको को हटाया राजगद्दी से और खुद वहां पर बैठ गया हैदर अली तो हैदर अली का एक्चुअल में रोल था इस वुड्यार्ड डायनेस्टी में या फिर इस पूरे मासोर में मासोर क्योंकि काफी इंपॉर्टेंट था और ये जो हैदर अली था ब्रिटिशर्स के डायरेक्ट कॉन्फ्लेट में रहता था ठीक है ब्रिटिशर्स से इसकी बिल्कुल अच्छी नहीं बनती थी मराठा थे वो भी यहां पर रेड करने आते रहते थे टाइम टाइम पे और क्योंकि मराठा बहुत पावरफुल थे इस वजह से वो जब भी रेड करने आते थे तो डिफीट हैदर अली की होती थी और वो कुछ सर्टेन पार्ट ऑफ टेरिटरी एक्वायर करके ले जाते थे अब ब्रिटिशर्स ने क्या क्या सोचा ब्रिटिशर्स ने सोचा कि हम भी अकेले तो हरा नहीं पाएंगे हैदर अली को तो क्यों ना जो मराठा है जो इसके दुश्मन हैं उसको साथ में लेते हैं और इसको हराते हैं बट जब इसके बारे में हैदर अली को चीज को पता चला कि इस तरह से ऐसा कुछ अलायंस बन रहा है ब्रिटिशर्स और मराठा के बीच में तो उसने मराठस को बोला कि ठीक है आपको हम एक क्योंकि आप आते हो अटैक करते हो और कुछ सर्टेन पार्ट ऑफ टेरिटरी हमारा ले जाते हो तो आप क्यों ना हमसे एक फिक्स्ड रेवेन्यू आप हमसे ले लिया करो सर्टेन पार्ट ऑफ टेरिटरी ले लिया करो अटैक करने की क्या ही जरूरत है तो इस तरह से जो हैदर अली उसने न्यूट्रलाइज कर दिया किसको मराठा को बट यहां पर जब इसी वजह से जब फर्स्ट एंग्लो मासोर वॉर होता है ठीक है यहां पे आई थिंक लिखा होगा फर्स्ट जो एंग्लो मासोर वॉर होता है एंग्लो का मतलब है जो अंग्रेज और मासोर मतलब जो मासोर किंगडम में अंग्रेजों ने अटैक किया तो यहां पे डिफीट होती है अंग्रेजों की ब्रिटिश स्कर बहुत भयंकर डिफीट होती है क्योंकि सिर्फ अकेले थे और हैदर अली काफी एक अ एबल बोल सकते हैं जनरल था ठीक है तो उसने 1766 से लेकर 1769 तक के बीच में जो फर्स्ट एंग्लो मासोर वॉर हुआ इसमें डिफीट दी किसको ब्रिटिशर्स को और यहां पर साइन हुई ट्रीटी ऑफ मद्रास यहां पे साइन होती है ट्रीटी ऑफ मद्रास इस ट्रीटी ऑफ मद्रास के तहत यह बोला जाता है कि जो भी हम लोगों ने एक दूसरे की टेरिटरी यानी अंग्रेजों और हैदर अली ने जो एक दूसरे की टेरिटरीज को अगर कुछ ऑक्यूपाइड अली ने किया था लौटा देंगे और इन फ्यूचर अगर एक दूसरे पर कोई भी अटैक करेगा तो व विल प्रोटेक्ट ईच अदर अगर मान लो फॉर एग्जांपल अटैक किया किसी ने इन पे हैदर अली पे तो ब्रिटिशर्स हेल्प के लिए आएंगे और ब्रिटिशर्स पे किसी पे अटक किसी ने अटैक किया हैदर अली हेल्प के लिए जाएंगे बट ऐसा हुआ नहीं जब मराठा ने रेड मारी फिर से किस कहां पे मैसौर में तो इस बार ब्रिटिशर्स नहीं है यानी उन्होंने डायरेक्ट वायलेशन किया ट्रीटी ऑफ़ मद्रास का और यह चीज सही नहीं लगी किसको हैदर अली को और धीरे-धीरे फिर ब्रिटिशर्स ने सोचा फिर हम मासोर पे अटैक करते हैं फिर सेकंड एंग्लो मैसोर वॉर होता है 1780 से लेके 80 34 के बीच में यहां पर भी यहां पर भी ट्रीटी ऑफ बंगलोर साइन होती है और यहां पर एक्चुअल में बैलेंस इन मैच ड्रॉ हो जाता है ड्रॉ इसलिए हो जाता है रीजन उसका यह है कि यह हैदर अली की डेथ हो जाती है इसी सेकंड एंग्लो मासोर वॉर के टाइम पे हैदर अली की डेथ हो जाती है ड्यू टू कैंसर ऐसा नहीं कि वॉर में डेथ हो जाती है ड्यू टू कैंसर और इनके जो बेटे थे टीपू सुल्तान टीपू सुल्तान वो इस वॉर को आगे बढ़ाते हैं बट कोई फाइनल कंक्लूजन वॉर पे नहीं निकल पा रहा तो इसी से दोनों टीम्स ने सोचा कि चलो और मैच ड्रा कर लेते हैं अभी ठीक है और खत्म होता है आपका ट्रीटी ऑफ मैंगलोर से अगेन होता है अब थर्ड एंग्लो मासोर वॉर अब क्योंकि टीपू सुल्तान थे मेन और अब थर्ड एंग्लो जब मासोर वॉर होता है तो यहां पे सिर्फ ब्रिटिशर्स डायरेक्टली अटैक नहीं करते हैं ब्रिटिशर्स के साथ-साथ मराठा भी थे तो यहां पे मराठस और जब इनका ब्रिटिशर्स का और यहां पे एक्चुअल में जो निजाम ऑफ हैदराबाद था वो भी साथ में था इन लोगों के ठीक है इन लोगों के और इन तीनों ने बोला एक दूसरे से कि हम तीनों इसको डिफीट करते हैं मासोर किंगडम को और जितना भी पार्ट हम एक्वायर करेंगे वह आपस में बांट लेंगे थर्ड एंग्लो मैसोर वॉर में डिफीट होती है टीपू सुल्तान की ठीक है डिफीट होती है किसकी टीपू सुल्तान की और ना सिर्फ डिफीट होती है बल्कि जो भी पार्ट्स एक्वायर किए इन सब लोगों ने उठा उठा ले गए ठीक है बांट लिया अपना-अपना जो भी एक्वायर किया और साथ ही साथ इस पे 3 करोड़ का पेनल्टी लगाया भाई साहब के पास थे नहीं डेढ़ करोड़ दे पाए तो इनके जो दो बेटे थे टीपू सुल्तान के उ उ को एज अ कोलेट अंग्रेज ले गए एक तरह से गिरवी कि जब आप यह लौटा होगे तब हम आपको दोनों बच्चों को लौटा देंगे टीपू सुल्तान ने सारा काम किया डेढ़ करोड़ लौटाया और ये जो ये जो थर्ड एंगलो माइसर वर है ट्रीटी ऑफ सेरिंग पटम से खत्म हुआ बिकॉज सेरिंग पटम वाज द वाज द देन कैपिटल ऑफ दी मासोर तो सेरिंग पटम की वहां पे ट्रीटी हुई और इस ट्रीटी के तहत क्या हुआ मैंने आपको बताया ठीक है यानी कि टीपू सुल्तान की हो चुकी थी डिफीट अब टीपू सुल्तान को लेना था बदला ठीक है जो उनकी बेज्जती थी गंगो भी जीती थथ थर्ड एंग्लो माइस वर वॉर में और टीपू सुल्तान ने इसके लिए क्या किया फ्रांसी सियों की हेल्प लेना चाहा जो फ्रेंच थे फ्रेंच ये फ्रेंच डायरेक्ट राइवल थे अंग्रेजों के कारण इसका यह था कारण इंडिया में नहीं था कारण इसका छुपा हुआ था यूएसए में यूएसए भी कॉलोनी थी यूके की यानी ब्रिटिशर्स की क्योंकि उनकी भी कॉलोनी थी और जो फ्रांसीसी थी वो सपोर्ट कर रहे थे यूएसए वालों का उनके वो उसके लिए जो वॉर ऑफ इंडिपेंडेंस वहां छड़ रखे थे ब्रिटिश ब्रिटिशर्स के खिलाफ वहां पे सपोर्ट कर रहे थे ये कौन फ्रांसीसी किसको यूएसए वालों को यानी कि किसके डायरेक्ट में अगेंस्ट में जा रहे थे यूके वालों के ब्रिटिशर्स के इस वजह से यहां पर भी दोनों के बीच में राइवल्री चल रही थी ठीक है और क्योंकि यहां पे इन दोनों के बीच में अ वहां पे राइवल चल रही थी उसका यहां पे डायरेक्टली नतीजा देखने को मिला और जो टीपू सुल्तान थे वो फ्रांसी सियों के करीब जा रहे थे करीब इन द सेंस कि इन्होंने एक वहां पे जैकबिंस क्लब होता है फ्रेंच रेवोल्यूशन वहां पे चल रहा था जो फ्रेंच रेवोल्यूशन वहां पे एक जैकबिंस क्लब की स्थापना हुई थी वहां पे फ्रांस में उसी जैकोबिन क्लब की स्थापना इन्होंने यहां पे करवाई ठीक है एक ट्रीटी ऑफ लिबर्टी सॉरी ट्री ऑफ लिबर्टी यहां पे प्लांट करवाया और नेपोलियन से हेल्प ले रहे थे कौन टीपू सुल्तान कि यहां पे आओ और यहां पे इंडिया को इवेट करो इनको हमें भी हेल्प करो इन ब्रिटिशर्स को यहां से हटाने के लिए और क्योंकि नेपोलियन भी इनके खिलाफ था ब्रिटिशर्स के खिलाफ तो यह बात जो है इनको पता चल गई किसको ब्रिटिशर्स को और जब यह बात पता चली तो इन्होंने तुरंत अगला अटैक मारा किस पे मैसौर पे किसने अंग्रेजों ने और यहां पे पूरी तरह से डेथ हो जाती है तुरंत ही ठीक है विदन आई थिंक सेवन डेज ही टीपू सुल्तान ठीक है टीपू डाइड टीपू सुल्तान की हो जाती है यहां पर डेथ और इसके बाद यह होता है टीपू सुल्तान की डेथ के बाद कि एक पपेट रूलर को यहां बिठा दिया जाता है मासोर किंगडम में और उसे सब्सिडियरी अलायंस साइन करवा लिया जाता है नाउ व्हाट इज दिस सब्सिडियरी अलायंस अभी हम लोग पढ़ेंगे ठीक है आई होप ये एंग्लो मासोर वर्स क्लियर होंगे सीरीज ऑफ एंग्लो मराठा वर्स देखते हैं ठीक है इसके बाद सीरीज ऑफ एंगलो मराठा वस होते हैं तो जो मराठा वस हुए ठीक है इसके पीछे की बड़ी लंबी चौड़ी कहानी है मतलब बड़ी लंबी चौड़ी कहानी तो वो उतनी लंबी चौड़ी कहानी आपको जानने की जरूरत नहीं है बस ये देखिए आपके एग्जाम में ये पूछेगा कि भाई कब हुए और कौन सी ट्रीटी से एंड हुए ठीक है कहानी जान जानने की यहां पे अभी के लिए जरूरत नहीं है ठीक है जब मैं आपको मॉडर्न हिस्ट्री पढ़ाऊंगा तो वहां पे सारी चीजें कहानी पढ़ लेंगे और सारी चीजें अभी के लिए सिर्फ कब हुआ और कौन सी ट्रीटी से खत्म हुआ तो फर्स्ट एंग्लो जो मराठा वॉर होता है वो 1775 से लेकर 1782 के बीच में होता है एंड इट एंडेड विद द ट्रीटी ऑफ सालबाई ट्रीटी ऑफ साल 22 से खत्म हुआ कौन फर्स्ट एंग्लो मराठा वॉर बट बीच में दो और ट्रीटी भी होती हैं ट्रीटी ऑफ सूरत एंड ट्रीटी ऑफ पुरंदर एक्चुअली यहां पे एक रघुनाथ राव करके होते हैं थोड़े से बगावती टाइप होते हैं और वो अलग से सूरत में जाके ट्रीटी साइन कर लेते हैं अंग्रेजों के साथ कि हमें पेशवा बनाने में हेल्प करो क्योंकि इनको पेशवा बनने में बनाया नहीं जा रहा था मतलब इन्होंने सारे जतन प्रयास कर लिए थे अपने भतीजे का मर्डर तक करवा दिया था बट फिर भी ये नवाब बन नहीं पा रहे थे ठीक है न सॉरी पेशवा बन नहीं पा रहे थे और उसमें मेन रोल कहीं ना कहीं नाना फडणवीस जी का भी था क्योंकि वो वो चाहते थे कि यह ना बने ठीक है कौन रघुनाथ राव तो सूरत में रघुनाथ राव ने ठीक है रघुनाथ राव ने ब्रिटिशर्स के साथ ट्रीटी साइन कर ली ठीक है एंड ब्रिटिशर्स ठीक है ये कब साइन हुई वो इंपॉर्टेंट है कि इसके बीच में तो उतना शायद नहीं पूछेगा आपसे मैचिंग में पूछ सकता है कि कब साइन हुई तो 1775 में और जो ट्रीटी ऑफ पुरंदर है ये साइन होती है 1776 में बट फाइनली जो एंग्लो मराठा वॉर एंड होता है वो ट्रीटी ऑफ सालबाई से होता है ठीक है ट्रीटी ऑफ सालबाई से सेकंड एंग्लो मराठा वर की अगर बात करें तो 1803 से लेकर 1805 तक चलता है और ये एंड होता है ट्रीटी ऑफ बसेन से ठीक है ट्रीटी ऑफ बसन से और जो थर्ड एंग्लो मराठा वॉर होता है वो 1817 से लेकर 1817 से लेकर 1819 तक चलता है और यहां पे तीन ट्रीटी साइन होती हैं अलग-अलग ही साइन करते हैं ट्रीटी ऑफ पुना साइन करते हैं जो पेशवा थे ठीक है पेशवास के साथ ट्रीटी ऑफ ग्वालियर साइन किया सिंधिया ठीक है सिंधिया और ट्रीटी ऑफ मंसौर ट्रीटी ऑफ मंसौर साइन किया होलकर के साथ एक्चुअल जैसे होलकर थे इंदौर में रूल कर रहे थे सिंधिया ग्वालियर में रूल कर रहे थे पेशवा मराठा यह सब जो पूरा मराठा एंपायर था उसके डिवीजन थे ये ग्वालियर में ज सिंधिया रूल कर रहे थे होलकर इंदौर में रूल कर रहे थे भोसले नागपुर में रूल कर रहे थे यह सब पूरे मराठा पूरे डिवीजन के सब यूनिट्स हम बोल सकते हैं तो उनके साथ अलग-अलग यहां पे ट्रीटी साइन करी तो तीन एंग्लो वर हुए कब हुए और कौन सी ट्रीटी कब साइन हुई यह आपको यहां पर बस पता होने की जरूरत है फिर आगे बढ़ते हैं व्हाट इज द सब्सिडियरी अलायंस सब्सिडी अलायंस जो है यह एक बोल सकते हैं कांसेप्ट था फ्रेंच गवर्नर जनरल था एक जिसका नाम था डुप्ले डुपले का ये एक तरह से ब्रेन चाइल्ड था बट एक्चुअल में इसको जो यूज किया इंडिया में दैट वाज लॉर्ड वेलेजली ने लॉर्ड तो नहीं लगाना चाहिए इन लोग के नाम के आगे वेलेजली वेलेजली ने इसको इंट्रोड्यूस किया इंडिया में देखिए इंट्रोडक्शन तो हम बोल सकते हैं डुप्ले ने किया बट मेजर इसको यूज किया वेलेजली ने जो कि ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का एक जनरल था वह था फ्रांस का डुप्ले 1798 में लेके आया यह सब्सिडियरी अलायंस अब य सब्सिडियरी अलायंस में था क्या एनी इंडियन रूलर हु सिक्योरिटी वास थ्रेटें वाज एंकरेज टू सीक हेल्प फ्रॉम एंड एंटर इंटू एन अलायंस विद इंडि इंग्लिश द इंग्लिश प्रॉमिस टू प्रोटेक्ट द रूलर फ्रॉम एक्सटर्नल अटैक्स एंड इंटरनल रिवोल्ट द कंडीशंस र द कंडीशंस वर ब्रिटिश ट्रूप्स वर वुड बी परमानेंटली प्लेस इन द टेरिटरी ऑफ़ द सब्सिडियरी स्टेट द रूलर वुड हेल्प वुड हैव टू पे फॉर द मेंटेनेंस ऑफ द ट्रूप्स ही कुड नॉट फॉर्म एन अलायंस विद एनी अदर पावर विदाउट द परमिशन ऑफ द इंग्लिश यानी इसका मतलब यह है कि कोई भी रूलर अगर सब्सिडियरी लायंस साइन कर लेगा तो वो सब्सिडियरी बन जाएगा ब्रिटिशर का वह प्रोटेक्ट करेगा यानी कि अंग्रेज उसको यानी ब्रिटिशर्स उसको प्रोटेक्ट करेंगे अगर उसके खिलाफ कोई भी एक्सटर्नल अटैक होता है फिर इंटरनल रिवोल्ट होता है तो उसको प्रोटेक्ट करेंगे लेकिन फ्री में प्रोटेक्ट नहीं करेंगे कैसे प्रोटेक्ट करेंगे कि एक एक पूरी आर्मी हम स्टेशन करेंगे आपके उसमें आपके टेरिटरी में पूरी एक आर्मी स्टेशन करेंगे उसके लिए उस रूलर को ही पे करना पड़ेगा एक ब्रिटिश का आदमी परमानेंटली अंदर रहेगा कोर्ट में आपके ठीक है उसको भी पे करना पड़ेगा उस रूलर को ही ठीक है और यह किस लिए कर रहे थे सब ये सब ये सब्सिडियरी एलायंस का कांसेप्ट क्यों लेके आया था यह जो वेलेजली है और क्यों यह साइन करवाई जा रही थी क्योंकि इनको थ्रेट था फ्रांसी सियों से थ्रेड था नेपोलियन से इसी वजह से और यह यहां पे एक प्रोविजन रखा गया था कि यह जो सब्सिडियरी स्टेट है जिसने सब्सिडियरी एलायंस साइन किया वह कोई भी किसी भी किसी भी रूलर या फिर किसी भी अ मान लेते हैं किसी दूसरी कंपनी के साथ या फर किसी दूसरे देश की कंपनी के साथ अलायंस में नहीं जा सकते हैं और अगर जाना है तो ब्रिटिशर से पहले पूछेंगे हर चीज के लिए ब्रिटिशर से पूछेंगे किसी भी रूलर के साथ ना तो अलायंस में जा सकते हैं ना ही किसी अदर कंपनी के साथ किसी दूसरे कंट्री की कंपनी के साथ ये इसमें ऐसे प्रोविजंस थे बस इसमें इन लोग को मिल क्या रहा था सब्सिडियरी स्टेट को कि हम बस प्रोटेक्ट करेंगे तुम्हें एक्सटर्नल या फिर इंटरनल अटैक या फिर रिवोल्ट से सब्सिडियरी लायंस की अगर बात करें तो सबसे पहले यहां पर साइन होती है साइन करता है निजाम ऑफ हैदराबाद जो निजाम ऑफ हैदराबाद था यह इसको साइन करता है 1798 में और यही कारण है कि जो निजाम ऑफ हैदराबाद है यह सपोर्ट कर रहा इसने किया फोर्थ एंग्लो मासोर वॉर में किसका ब्रिटिशर्स का क्यों क्योंकि सब्स स्टेट बन चुका था उनका इसलिए उसने सपोर्ट किया क्लियर तो निजाम ऑफ हैदराबाद ने एंड देन मैसौर क्योंकि अभी मैंने आपको बताया जब यह फोथ एंगलो मैसोर र खत्म हो गया 1799 में तो जबरदस्ती जो वहां पर पपेट रूलर बिठाया और उसे सब्सिडियरी अलायंस साइन करवा लिया ठीक है तो मासोर से भी इन लोगों ने उसको साइन करवा लिया यहां पर क्लियर है यहां तक यहां तक सभी को क्लियर कोई किसी को कुछ डाउट तो नहीं है आगे बढ़े डॉक्ट्रिन ऑफ लैप्स एक बार मैं कमेंट्स देख लेता हूं ओके 1798 में ओके बिल्कुल यह लिखा नहीं क्या मैंने य पर लिख देता हूं 1798 में ठीक है 1798 में और मासोर ने कब किया इसने 1799 में बिकॉज जब खत्म हो गया उसके बाद देन आपका तंजौर ने भी 1799 में किया था ध्यान रखना 1799 में और अवध ने यहां लिख देता हूं मैं ठीक है अवध ने इसको साइन किया 1801 में अवध ने साइन किया 1801 में 1801 में फिर आती है डॉक्ट्रिन ऑफ लब जिसको हड़प नीति बोलते हैं यह लाया था डल हाउजी मतलब इस वही है सेम चीज कि कांसेप्ट किसी और का यूज अच्छे से इसको किसने किया डलहौजी ने डलहौजी ने इसको इंट्रोड्यूस किया 1848 के टाइम प और इसके तहत था क्या कि कोई भी किंगडम जिसका कि एक नेचुरल हायर नहीं है ठीक है नेचुरल हायर का मतलब है कि जैसे मान लो रूलर है इनका खुद का कोई सन नहीं है यानी उत्तरदाई नहीं है तो वह जो ब्रिटिशर्स हैं ब्रिटिशर्स हैं वह इसके उत्तरदाई हैं समझ रहे हैं मतलब कि अगर मान लेते हैं अडॉप्टेड सन भी है यह रूलर है इसका कोई सन नहीं और अडॉप्टेड सन है तो ये अडॉप्टेड सन इस पूरे किंगडम का मालिक तभी हो सकता है अगर ब्रिटिशर्स चाहेंगे तो ऐसा था डॉक्ट्रिन ऑफ लैप्स में और अगर नहीं हैं तो ब्रिटिशर उसके उसपे उनका मालिकाना हक है उस रूलर के जाने के बाद ऐसा था डॉक्ट्रिन ऑफ लैप्स इस डॉक्ट्रिन ऑफ लैप्स के तहत धीरे-धीरे काफी सारी टेरिटरीज अ एक्वायर करी लौज ने या फिर ब्रिटिशर्स ने सबसे पहले इसके चंगुल में आया सतारा इन दी ईयर 1848 सतारा देन संबलपुर जैतपुर एंड देन झांसी एंड इट वाज वन ऑफ द रीजंस कि क्यों जो हमारी रानी लक्ष्मीबाई जी है उन्होंने 1857 के रिवोल्ट में पार्टिसिपेट किया ठीक है तो डॉक्ट्रिन ऑफ लैब्स आई होप समझ गए होंगे डल हाउज 1848 और सतारा सबसे पहले इसके तहत एक्वायर हुआ था और डलज के टाइम प कुछ और भी चीजें आपको पता होना चाहिए जैसे कि पोस्टल स्टैंप की सर्विस स्टार्ट हुई थी इसी के टाइम पे ही ठीक है पोस्टल स्टैंप की और जो पहली ट्रेन सर्विस है फर्स्ट ट्रेन सर्विस व भी स्टार्ट हुई थी ल हाउज के टाइम पे इन दी ईयर 18533 7 का जो रिवोल्ट हुआ था उससे पहले कुछ छोटे-छोटे आपके रिवोल्ट हुए थे छोटी-छोटी जगहों में ठीक है जैसे कि सन्यासी रिवोल्ट सबसे पहले हुआ था इन दी ईयर 1763 ये मतलब बहुत ज्यादा इंपॉर्टेंट नहीं हो सकता है कभी मैचिंग में पूछ ले इस वजह से इनको यहां पे मैंने रखा है ठीक है जो पैकर रिबेलियस था 1817 में हुआ था उड़ीसा में ठीक है ब जग बंधु ठीक है जग बंधु विद्याधर ने इसको लीड किया था ठीक है विद्याधर ने पैका रे बेलियन को 18785 40 में हुआ था पंजाब में बाबा राम सिंह ने इसको लीड किया था ठीक है बाबा राम सिंह ने इसको लीड किया था 1840 में हुआ था पंजाब में ठीक इंडिगो रिवोल्ट की अगर बात करें 18 ये तो बाद में हुआ था 1857 रिवोल्ट के बाद में हुआ था बट फिर भी इसको मैंने यहां पे ऐड कर दिया है बिकॉज इंपॉर्टेंट है 18509 में हुआ था यह जो नादिया डिस्ट्रिक्ट है वेस्ट बंगाल की वहां पे और इसको दीन बंधु मित्रा दीन बंधु मित्रा जी ने यह चीज ध्यान रखना जो दीन बंधु मित्रा जी थे उन्होंने अपना एक प्ले लिखा था जिसका नाम था नील दर्पण नील दर्पण उसमें इस चीज को दिखाया था उन्होंने इंडिगो रिवोल्ट को इसमें था क्या कि जो यूरोपियन प्ला टर्स थे व जबरन इंडियंस जो फार्मर्स थे उनको जबरन यह बोल रहे थे कि आप इंडिग यानी नील की खेती करो बिकॉज उ उनको उसमें अच्छा रेवेन्यू मिलता था बट इसी के खिलाफ य पूरा रिवोल्ट था 189 में नादिया डिस्ट्रिक्ट ऑफ वेस्ट बंगाल में जिसको कि नील दर्पण के थ्रू दीनबंधु मित्रा जी ने दिखाया ठीक है मुंडा प्राइजिंग की बात करें हो एंड मुंडा प्राइजिंग जिसको कि उलगुलान प्राइजिंग के नाम से भी जाना जाता है ठीक है इसको उलगुलान अपराइज ंग के नाम से जाना जाता है और ये हुई थी आपकी और आउटसाइडर मेनली थे या तो जो जो जमींदार थे बड़े-बड़े वह इंडियन भी हो सकते थे और जो ब्रिटिशर्स थे उनको इन लोगों ने बोला दूस द कूस का मतलब है आउटसाइडर्स ठीक है तो इनके द कूस के खिलाफ था यह मुंडा प्राइजिंग या फिर उलगुलान अराइजिंग बिकॉज जो बिरसा मुंडा जी थे उन्होंने इसको लीड किया था इसलिए उनके नाम पर इस अराइजिंग का नाम पड़ा ठीक है और संथाल रिबेलियस को कि लीड किया था सिद्धू एंड जो दो भाई थे सिद्धू एंड कन्ह उन्होंने इनको लीड किया था 18552 रिवोल्ट पे इस 1857 रिवोल्ट के काफी सारे रीजंस थे इकोनॉमिक रीजन थे पॉलिटिकल रीजन थे और मिलिट्री रीजंस भी थे ठीक अब इन रीजंस के साथ-साथ एक इमीडिएट रीजन भी था या फिर इमीडिएट कॉज भी था देखिए था क्या कि इनके खिलाफ ब्रिटिशर्स के खिलाफ तो काफी पहले से ही जो एंटी सेंटीमेंट्स ब्रिट एंटी ब्रिटिश सेंटीमेंट्स डेवलप हो रहे थे जैसे कि जो ये कर रहे थे जैसे डॉक्ट्रिन ऑफ लैप्स हो गया ठीक है सब्सिडियरी अलायंस हो गया और कुछ रिलीजियस कॉसेस भी थे जैसे कि फॉर एग्जांपल जो मिलिट्री में लोग सर्व कर रहे थे जो इंडियन सर्व कर रहे थे तो उनको यह था कि आपको विदेश भी यानी बाहर भी भेजा जा सकता है और उस समय हिंदू धर्म में यह मान्यता थी कि अगर आपने ओशन क्रॉस कर लिया तो आपकी प्योरिटी खत्म हो जाएगी और आप फिर हिंदू नहीं रहेंगे तो इस तरह की चीजें थी ठीक है और उसमें फिर ये सारे जो कॉसेस हैं ये डेवलप होते गए और फिर आया आपका इमीडिएट कॉज जो कि था चर्बी वाले कारतूस का प्रयोग यानी कि यूज्ड ऑफ यूज ऑफ ग्रीज कार्टिस ग्रीज कार्टिस यह वहां पे ब बात फैल गई कि जो काटिज है उसमें पोर्क पोर्क आप समझते होंगे जो पिग होता है उसके मीट को पॉक बोलते हैं जो कि मुस्लिम या फिर इस्लाम धर्म में बिल्कुल ही मतलब बहुत ही प्रोहिबिटेड है और यह भी मतलब बात ई कि उसमें बीफ यानी कि जो गाय का मानस है वो ऐड किया जा रहा है और यह हिंदू धर्म में बिल्कुल वो नहीं है इसलिए यह एक मतलब इमीडिएट कॉज था ये सारे ही कॉसेस थे जो धीरे-धीरे धीरे-धीरे डेवलप हो रहे थे और काफ जैसे कि जो मिलिट्री में जो इंडियन पर्सनल सर्व कर रहे थे उनके खिलाफ एक बोल सकते हैं दोहरा व्यवहार किया जा रहा था जो अंग्रेज यानी कि जो ब्रिटिशर्स ब्रिटिश सोल्जर्स थे उनको एक अलग तरह का ट्रीट ट्रीटमेंट मिल रहा था और जो इंग्लिश सोल्जर्स थे उनको अलग तरह जो इंडियन सोल्जर्स थे उनको अलग तरह का ट्रीटमेंट मिल रहा था ठीक है तो यह सारे चीजें डेवलप हो रही थी बट ये जो था आपका इमीडिएट कॉज था इमीडिएट रीजन था यूज ऑफ ग्रीज कार्टेजेस जिसकी वजह से 1857 का रिवॉल्ट होता है और इस 1857 रिवॉल्ट को डिफरेंट जगहों से डिफरेंट लोगों ने लीड किया जैसे दिल्ली से अगर बात करें तो जनरल भक्त खान ने लीड किया ठीक है जनरल भक्त खा ने इसको लीड किया दिल्ली से और अगर यह नहीं होगा तो फिर ऑप्शन में आपको बहादुर शाह जफर ठीक है बहादुर शाह जफर सेकंड ऑप्शन मिलेगा बिकॉज यह इस समय उस समय मुगल शासक था बहादुर शाह जफर सेकंड ठीक है बिकॉज यह उतना एबल रूलर था नहीं तो के बिहाव में जनरल भक्त खान लीड कर रहे थे इस वजह से दोनों ऑप्शन में हो सकते हैं और अगर आपसे पूछ ले उस समय मुगल शासक कौन था 1857 रिवोल्ट के टाइम प तो ही वाज बहादुर शाह जफर सेकंड कानपुर से लीड किया नाना साहेब ने ठीक है नाना साहेब इनकी डेथ के बाद तिया टोपे ने लीड किया फैजाबाद से मौलवी अहमद उल्ला ने लीड किया इसको एंड झांसी से तो आप जानते हैं रानी लक्ष्मीबाई रानी लक्ष्मीबाई जी के बचपन का नाम बताइए क्या था लक्ष्मीबाई ठीक लक्ष्मी बाई और बिहार से लीड किया किसने कुंवर सिंह ने कुंवर सिंह ने लीड किया और बाकी इनके बचपन का नाम था मनी करनेका शॉर्ट में मनु ठीक है अच्छा बरेली से किसने लीड किया जल्दी से बताइए बरेली से तो बरेली खान बहादुर ने लीड किया ठीक है खान बहादुर ने अब बिकॉज यह जो मूवमेंट था 1857 रिवोल्ट यह ऑर्गेनाइज नहीं था ऑर्गेनाइज नहीं था लीडरलेस बोल सकते हैं कोई एक कॉमन लीडर नहीं था ठीक है ना तो ऑर्गेनाइज था ना तो लीडरलेस था मतलब लीडर लीडरलेस था और यह एक ऑल इंडिया मूवमेंट नहीं हुआ ठीक है इट वाज नॉट एन ऑल इंडिया मूवमेंट यह आपका एक ऑल इंडिया मूवमेंट भी नहीं था इस वजह से यह फेल कर गया और बहुत दिनों तक टिक नहीं नहीं पाया और जो ब्रिटिशर्स ने इसको बहुत आसानी से सप्रे कर दिया ब्रिटिशर्स ने सप्रे तो कर दिया बट इसका आफ्टर मैथ भी हमें देखने को मिलता है वो आफ्टर मैथ यह था कि 1857 रिवोल्ट के बाद [संगीत] में यानी कि अब ईस्ट इंडिया कंपनी का रूल नहीं होगा डायरेक्टली जो ब्रिटिश क्राउन है वो लीड करेगा उसके नाम पे यहां पे शासन होगा ये यहां पे हो गया तो ईस्ट इंडिया कंपनी पूरी तरह से खत्म और एक हम लोगों ने देखा था कि सेक्रेटरी ऑफ स्टेट की पोजीशन क्रिएट कर दी गई सेक्रेटरी ऑफ स्टेट जो कि ब्रिटिश में ही बैठ के इंडियन अफेयर्स के लिए मैनेज या इंडियन अफेयर्स को मैनेज करेगा यह ब्रिटिश कैबिनेट का कोई मेंबर ऑफ पार्लियामेंट होगा जो पूरा इंडिया का देखेगा कैसा क्या है और वहां पर ब्रिटिश पार्लियामेंट में रिपोर्ट करेगा ठीक सेक्रेटरी ऑफ स्टेट और और इसको असिस्ट करने के लिए 15 मेंबर की काउंसिल भी दी गई ठीक है 15 मेंबर्ड काउंसिल भी इसको दी गई ठीक है और वॉइस रॉय जो गवर्नर जनरल था उसको वॉइस रॉय बना दिया गया और पहला वॉइस रॉय कौन था कैनिंग बिकॉज यह जो 1857 का जो रिवोल्ट हुआ वो कैनिंग के टाइम पर हुआ था ठीक है कैनिंग उस समय गवर्नर जनरल ऑफ इंडिया था और हमें पता है कि फिर वो चीज आपका वॉइस रॉय में कन्वर्ट हो गया तो पहला वॉइस रॉय कैनिंग बना ठीक अब आते हैं कमेंट्री ऑन दी रिवोल्ट तो वीडी सावरकर ने 1857 रिवोल्ट को फर्स्ट वॉर ऑफ इंडिपेंडेंस बोला ठीक है फर्स्ट वॉर ऑफ इंडिपेंडेंस आरसी मजूमदार ने बोला नीदर इट वाज फर्स्ट नॉर वॉर ऑफ इंडिपेंडेंस मतलब इसको पूरी तरह से जो वीरी सावरकर जी ने बोला उसको पूरी तरह से नेगेट किया नीदर इट वास फर्स्ट नीदर इट वाज द फर्स्ट नॉर दी वॉर ऑफ इंडिपेंडेंस ऐसा आरसी मजूमदार का कहना था और जो एस एन सेन थे उन्होंने बोला इट वाज अ कंपलीटली लीडरलेस एंड न नॉट एन ऑल इंडिया मूवमेंट लीडरलेस या फिर नॉट एन ऑल इंडिया मूवमेंट यह एसएन सेन जी ने बोला था ठीक है इनका थोड़ा सा ज्यादा पूछता है सावरकर जी का जो इन्होंने बोला था कि इट इट वाज द फर्स्ट वॉर ऑफ इंडिपेंडेंस ठीक है यानी आजादी का पहला युद्ध है डिफरेंट लैंड रेवेन्यू सिस्टम समझ लेते हैं और उसके बाद स्टार्ट करते हैं जो मेन हमारी हिस्ट्री इसके बाद जो स्टार्ट होगी फ्रॉम दी कांग्रेस ऑनवर्ड और जो गांधी अनर है मेन जो क्वेश्च है वहां से आपके बनते हैं जो गांधी नेरा है और जो कांग्रेस है वहां से ठीक है तो डिफरेंट लैंड रेवेन्यू सिस्टम्स पढ़ लेते हैं कि तीन मेन लैंड रेवेन्यू सिस्टम आया 1793 में सबसे पहला आया आपका परमानेंट सेटलमेंट ठीक है परमानेंट सेटलमेंट जिसको कि हम जमीदारी के नाम से भी जानते हैं ठीक है फिर आया आपका और ये कौन लाया यह कॉर्नवालिस ने इंट्रोड्यूस किया ठीक है कॉर्नवालिस ने इसको इंट्रोड्यूस किया कहां पर इंट्रोड्यूस किया ये आपका जो बंगाल वाला प्रविश था ठीक है बंगाल एंड एक सेकंड तो बंगाल जो प्रोविंस था और बंगाल एंड बिहार सेकंड फिर 1820 और यहां पे था क्या परमानेंट सेटलमेंट में यह था कि रेवेन्यू को फिक्स कर दिया गया था रेवेन्यू वास फिक्स्ड तभी इसको बोलते हैं स्थाई बंदोबस्त यहां पे लाया गया था इस वाले पर्टिकुलर रीजन में बंगाल एंड बिहार वाले रीजन में कॉर्नवाल से ले आया था 1793 में और यहां पे उसको फिक्स कर दिया गया था रेवेन्यू को और वो रेवेन्यू देना था किसको उस पर्टिकुलर जमींदार को जो भी उस पर्टिकुलर लैंड के लिए हेरेडिटरी राइट्स दे दिए गए थे जहां से उस जमींदार को टैक्स या फिर रेवेन्यू कलेक्ट करना था और ब्रिटिशर्स को देना था और अगर नहीं दिया सनसेट होते हुआ उसमें एक सनसेट क्लॉज था कि अगर सनसेट होते-होते तक नहीं दिया तो आपके जो रिटरी राइट्स हैं उनको छीन लेंगे और वो किसी और को दे देंगे और अगर आप देते रहे तो ये जो आपके हेरेडिटरी राइट्स हैं वो बने रहेंगे बरकरार रहेंगे यानी आपके बेटे के के पास वो सीधे राइट चले जाएंगे इस तरह से सारी चीजें चलेंगी ठीक इसके बाद यानी डायरेक्टली यहां पर जमीदार से डील किया जा रहा था देन 1820 में यहां पर यानी कि जो मद्रास वाला मद्रास वाला रीजन है मद्रास एंड बॉम्बे यहां पर रयत वाड़ी सिस्टम को इंट्रोड्यूस किया गया रयत वाड़ी सिस्टम क्या बोलता था रयत वाली सिस्टम बोलता था कि हम डायरेक्टली रयत से यानी कि जो पेजेंट है जो डायरेक्टली फार्मर्स है उनसे डील करेंगे 1820 में इसको कौन लाया इसको अलेक्जेंडर रीड और मुनरो लेके आया ठीक है एलेग्जेंडर रीड एंड मुनरो मुनरो ने इसको इंट्रोड्यूस किया फिर आते हैं सबसे आखिर में दैट वास इन 1822 महालवाड़ी सिस्टम ठीक है महालवाड़ी सिस्टम इंट्रोड्यूस किया जाता है इन 1822 जहां पर होल्ट मैकेंजी इसको होल्ट मैकेंजी इंट्रोड्यूस करते हैं कहां पर यह आपका यहां पर लिख देता हूं यह वाला य जो एरिया यहां पर ट इज मद्रास और बम्बे वाले एरिया में इसको लाया जा लाया गया ठीक है और यह ध्यान रखना कि इट वाज बेस्ड ऑन द रिकार्डियन थ्योरी ऑफ रेंट ठीक है ये जो है आपका रिकार्डियन थ्योरी ऑफ रेंट पे बेस्ड था ये चीज ध्यान रखिएगा रिकार्डियन थ्योरी ऑफ रेंट महालवाड़ी सिस्टम की बात करें 2 साल बाद 1822 में होल्ट मैकेंजी लेके आए कहां पे ये जो आपका पंजाब वाला और जो एन डब्ल्यूएफपी वाला रीजन है वहां पे ठीक है पंजाब एंड एन डब्ल्यूएफपी वाला जो रीजन है दैट इज नॉर्थ वेस्ट फ्रंट प्रोविंस अभी आते हैं एसोसिएशंस फॉर्म्ड बिफोर दी कांग्रेस तो कांग्रेस जिस तरह से अभी हमने देखा कि जब 1857 का रिवोल्ट हुआ उससे पहले कुछ छोटे-छोटे छोटे रिवोल्ट हुए उसी तरह से जब कांग्रेस बनी कुछ छोटे-छोटे ऑर्गेनाइजेशंस बने जो कि हमें पता होने चाहिए कब बने और किसने बनाए तो ईस्ट इंडिया एसोसिएशन की अगर बात करें तो 1866mhz सार्वजनिक सभा इन द ईयर 186 7 कहीं-कहीं 186 7 आपको देखने को मिल सकता है और कहीं-कहीं पे [संगीत] 18704 करते हैं एम जी रानाडे जी ठीक है एम जी रानाडे इंडियन लीक इन दी ईयर 18753 बाय आनंद मोहन बोस एंड सुरेंद्र नाथ बैनर्जी आनंद मोहन बोस और सुरेंद्रनाथ बैनर्जी सुरेंद्रनाथ बैनर्जी यह इसके मेन इंडियन नेशनल एसोसिएशन के फाउंडर्स थे देन ईस्ट इंडिया ई सेम चीज रिपीट है आई थिंक हां ठीक है देन आपका आता है बॉम्बे प्रेसिडेंसी एसोसिएशन इन दी ईयर 1885 में एस्टेब्लिश होता है और यह मद्रास महाजन सभा भी 18848 5 वही ईयर है जब आपकी कांग्रेस भी बनी ठीक इसमें आपको बस इतना याद रखना है कि बदरुद्दीन तैयब जी मेन इसके फाउंडर थे ठीक है बदरुद्दीन तैयब जी और इसमें याद करने के जरूरत नहीं है कारण इसका ये है कि तीन-चार इसके फाउंडर थे ठीक है एम विराग चै आर करके एक थे ठीक है पी त्यागराज थे वो सबको याद करने के जरूरत नहीं है बिकॉज वो पूछेगा ही नहीं जहां पे मल्टीपल होते हैं वहां पे नहीं पूछता है ठीक है तो और बाकी इनमें जो मैंने आपको बताया ईयर और जो फाउंडर्स थे वो आपको याद करने की जरूरत है ठीक है फिर अभी आते हैं इंडियन नेशनल कांग्रेस प इंडियन नेशनल कांग्रेस कब बनी कौन फाउंडर और इसका पहला सेशन कब हुआ कहां पर हुआ और इसको किसने प्रिसा इड किया तो फाउंडेड इन द ईयर 1885 1885 में बनती इंडियन नेशनल कांग्रेस फाउंडर्स थे इसके मेन फाउंडर फाउंडर थे एलन ऑटोविन ह्यूम जो कि एक ऑर्थोलॉजिस्ट थे इसके साथ-साथ इसके फाउंडिंग टीम में जो इवॉल्व थे वह हमारे सुरेंद्रनाथ बैनर्जी ठीक है सुरेंद्रनाथ बनर्जी थे दादा भाई नरोजी थे आनंद मोहन बोस थे यह लोग इनकी फाउंडिंग टीम में इवॉल्व थे जो कांग्रेस बनी थी उसकी ठीक है फर्स्ट सेशन जो इसका हुआ था 1885 में हुआ था कहां पर यह और किसने प्रेसा इड किया था वेयर एंड हु प्रिसा इडे इट प्रिसा इडेडो गोकुल दास तेजपाल संस्कृत कॉलेज ठीक है गोकुल दास तेजपाल संस्कृत कॉलेज एंड इट वास प्रेसीडेड बाय वमेश चंद्र बैनर्जी इसको प्रेसा इड किसने किया था वमेश चंद्र बैनर्जी जी ने प्रेसा इड किया था इसको ठीक है बाकी कुछ और इंपॉर्टेंट सेश हम देख लेते हैं कांग्रेस को बट बिफोर दैट चलो कांग्रेस के इंपोर्टेंट सेशन है वो बाद में देख लेंगे लेकिन उससे पहले कुछ थ्योरी दी गई थी रिगार्डिंग द फॉर्मेशन ऑफ कांग्रेस जो कांग्रेस बनी थी इसको लेकर सभी लोग खुश नहीं थे मतलब कि जैसे कि लाला राजपत राय हो गए तो व अपोजिशन में थे इसके वो उनका यह बोलना था कि य जो कांग्रेस है ना यह जो प्रेशर बन रहा है धीरे-धीरे इंडिया में ब्रिटिश ब्रिटिशर्स के खिलाफ उसको रिलीज करने का एक माध्यम बना दिया है अंग्रेजों ने ऐसा बोला था किसने लाला लाजपत राय ने अपनी सेफ्टी वॉल थ्योरी इसको बोलते हैं सेफ्टी वॉल थ्योरी ना जिस तरह से जैसे प्रेशर कुकर में नहीं होता एक्सेस जो प्रेशर होता है उसको रिलीज करने के लिए वो होता है आपका ठीक है उसी तरह से ही लाला लाजपत राय जी ने यह बोला कि जो एक्सेस प्रेशर अगेंस्ट ब्रिटिशर्स डेवलप हो रहा है उसको रिलीज करने के लिए इस कांग्रेस का गठन किया गया है कंस्पिरेशन थ्योरी आरपी दत्त जी ने दी किसने आरपी दत्त एंड जो लाइटिंग कंडक्टर थ्योरी है यह गोपाल कृष्ण गोखले जी ने दी लाइटिंग कंडक्टर थ्योरी कांग्रेस के कुछ इंपॉर्टेंट सेशन देख लेते हैं उसके बाद आते हैं जो बंगाल का पार्टीशन हुआ क्योंकि कांग्रेस के कुछ इंपोर्टेंट सेशन है जहां से आपके क्वेश्चन बनते हैं आपके एग्जाम में ठीक है चलिए तो इंपॉर्टेंट सेशंस ऑफ कांग्रेस सबसे पहले तो जो पहला सेशन हुआ हमने देख लिया ठीक है कहां हुआ और सबसे पहले यह क्वेश्चन पूछता है कि सबसे पहला व कौन सा सेशन था कांग्रेस का जहां पे नेशनल सॉन्ग जो है हमारा उसको गाया गया कौन सा सेशन था जहां पर नेशनल एंथम सबसे पहले गाया गया कौन सा कांग्रेस का सेशन था जिसको कि गांधी जी ने एकमात्र कांग्रेस का सेशन था जिसको गांधी जी ने प्रेसा इड किया ठीक है ये क्वेश्चन पूछता है और जो एनी बेसन है शी शी वाज द फर्स्ट मेमन टू प्रेसा इड द कांग्रेस द एनी सेशन ऑफ कांग्रेस या फिर फर्स्ट मेमन प्रेसिडेंट ऑफ कांग्रेस थी एनी बेसन जी फर्स्ट इंडियन मेमन प्रेसिडेंट थी सरोजिनी नायडू ठीक है सरोजिनी नायडू जी थी फर्स्ट इंडियन मेमन प्रेसिडेंट ऑफ द कांग्रेस तो इन्होने कब कौन से सेशन में इनको प्रेसा इड किया तो अगर नेशनल सॉन्ग की अगर बात करें तो 18960 में था बेलगांव कर्नाटका में जो सेशन हुआ था उसको प्रेसा इड किया था और सरोजिनी नायडू जी ने 1925 का जो सेशन हुआ था कानपुर में उसको प्रिसा इड किया था ठीक है तो कुछ इंपॉर्टेंट सेश आपको भी पता होने चाहिए और बाकी पहले मुस्लिम प्रेसिडेंट कांग्रेस के कौन थे बदरुद्दीन तैयब जी थे ठीक है बदरुद्दीन तैयब जी पहले मुस्लिम प्रेसिडेंट थे और जॉर्ज यूल ठीक है जॉर्ज यूल पहले इंग्लिश प्रेसिडेंट थे कांग्रेस के जब कांग्रेस बनी थी तो उस समय वॉइस रॉय कौन था उस समय वॉइस य था डफरिन और डफरिन ने कांग्रेस को बोला था क्या डफरिन ने कांग्रेस को बोला था अ फैक्ट्री ऑफ सेडिस अ फैक्ट्री ऑफ सेडिशन बोला था इसको कांग्रेस को किसने डफरिन ने और डफरिन के टाइम पे ही कांग्रेस बनी थी ठीक है और रुक्मणी देवी अरुण ले ध्यान रखना इन्होंने पहली बार संबोधन किया था पहली विमेन थे जिन्होंने संबोधन किया था कांग्रेस में पहली वमन प्रेसिडेंट तो एनी बेसन थी पहले इंडियन वमन प्रेसिडेंट भी सरोजनी नाडू थी लेकिन संबोधन करने वाली थी हमारी रुक्मणी देवी अरुंडा अभी आते बंगाल पार्टीशन में और यह बहुत इंपॉर्टेंट है आपका बंगाल पार्टीशन इज वेरी इंपॉर्टेंट तो बात करते हैं बंगाल पार्टीशन हुआ क्यों बंगाल का विभाजन हुआ क्यों तो बंगाल एक बहुत बड़ा प्रोविंस था ठीक है बड़ा तो था काफी बड़ा था और नर्व सेंटर भी था जो भी एंटी ब्रिटिश सेंटीमेंट डेवलप हो रहे थे उसका नर्व सेंटर था तो अंग्रेजों ने ये सोचा इस नर्व सेंटर को अगर हम वी कर देंगे तो हमारे खिलाफ जो सेंटीमेंट जो हमें दिक्कतें आ रही है वो दिक्कतें और कम हो जाएंगी तो इन्होंने सोचा कि क्यों ना इसको पार्टीशन कर दिया जाए इससे होगा क्या इससे होगा यह कि हम डिवाइड एंड रूल की पॉलिसी खेल पाएंगे मुस्लिम्स को हिंदू से अलग कर देंगे तो बात यह आती है यह कैसे अलग कर देंगे हिंदू को मुस्लिम्स को बिकॉज यह जो ईस्ट वाला पार्ट ईस्टर्न पार्ट ऑफ बंगाल था यह मुस्लिम बहुल इलाका था जो प्रेजेंट डे में जो बांग्लादेश देखते हो ना उसकी बात मैं कर रहा हूं तो पहले बंगाल ही हुआ करता था ठीक है तो वहां पे मुस्लिम्स रहते थे और यहां पर हिंदू मेजॉरिटी थी और डिफरेंट लैंग्वेज बोली जाती थी हिंदी बंगाली ये सब तो उस लाइंस में य डिवीजन करने का इन लोगों ने सोचा बट रीजन क्या दिया इन्होंने रीजन दिया एडमिनिस्ट्रेटिव रीजन कि हम प्रशासनिक कारणों की वजह से एडमिनिस्ट्रेटिव रीजन की वजह से ये जो बंगाल है उसका विभाजन कर रहे हैं डिवीजन कर रहे हैं बट एक्चुअल में रीजन क्या था यह तो एक थोड़ा छोटा मोटा रीजन था क्योंकि बड़ा था काफी पॉपुलेशन काफी ज्यादा थी लेकिन जो मेन जो कारण था वो था कि हिंदू मुस्लिम्स को डिवाइड किया किया जाए आपस में यह मेन था तो इन्होने बंगाल को ईस्ट बंगाल और वेस्ट बंगाल में बांट दिया इसका जो अनाउंसमेंट है इसका जो अनाउंसमेंट है कि हम बंगाल को बांटेंगे यह किया गया जुलाई 1905 में किसके द्वारा किया गया कर्जन के द्वारा बिकॉज उस समय जो वॉइस रय था वह कर्जन था और इसको एक्चुअल में जो एनफोर्स किया गया इस पार्टीशन को दैट वाज इन द ईयर अक्टूबर 1905 कब हुआ और कब एनफोर्स किया गया यह आपको पता होना चाहिए और क्यों किया गया वो आपको पता होना चाहिए तो आप समझ गए कि भाषा के आधार पे और और धर्म के आधार पे इसको बांट दिया गया अब यह जब इसका पहले अनाउंसमेंट हुआ वैसे ही आप बोल सकते हैं कि मूवमेंट्स चालू हो गए प्रोटेस्ट चालू हो गए और लोग विरोध करने लगे इस ब्र इस अ बंगाल पार्टीशन का और बड़े-बड़े जो लीडर्स थे वह भी इसका प्रोटेस्ट करने लगे अब इसका प्रोटेस्ट किस तरह से हुआ अगर हम बात करें स्प्रेड कैसे हुआ यह मूवमेंट तो जैसे फॉर एग्जांपल यहां पे सॉन्ग थीम सॉन्ग बनके उभरा वंदे मातरम जो वंदे मातरम है थीम सॉन्ग बनके उभरा और यह इतना सॉन्ग इसको गाया गया एंटी जो प्रोटेस्ट ये जो प्रोटेस्ट किया गया उसमें कि इसको ब्रिटिशर्स ने बैन कर दिया इसकी पब्लिक सिंगिंग पे ही बैन बैन लगा दिया ठीक है और यहीं पे आपका इसी के ही मूवमेंट के टाइम पे अमार सुनार बांगला लिखा था किसने रवींद्रनाथ टैगोर जी ने जो कि बाद में बना प्रेजेंट डे बांग्लादेश का नेशनल एंथम लोगों ने एक दूसरे के हाथ में राखी बांधी टू शो द यूनिटी ठीक अब इसका जो स्प्रेड है वो डिफरेंट रीजन से डिफरेंट लोगों ने इसको लीड किया तरह से बोल सकते हैं जैसे कि बॉम्बे और पुना से ठीक है पुना और बॉम्बे से इसको लीड किया बाल गंगाधर तिलक ने दिल्ली से अगर हम बात करें तो दिल्ली से लीड किया इसको सैयद हैदर रजा ने ठीक है सैयद हैदर रजा ने इसको लीड किया वही अगर हम बात करें पंजाब से इसको लीड किया लाला लाजपत राय और अजीत सिंह अजीत सिंह जो भगत सिंह जी थे उनके ही अंकल थे ये ठीक है और ये हो गए और हां मद्रास से मद्रास से लीड किया वीओ चिदंबरम पिल्लई ने ठीक है तमबरम पिल्लई जी ने इसको लीड किया मद्रास से अब आगे जब हम बढ़ते हैं तो हमें देखने को मिलता है कि कांग्रेस के दो इंपॉर्टेंट सेशंस हुए बंगाल पार्टीशन को लेके एक तो बनारस सेशन हुआ 195 में जिसको कि प्रेसा इड किया गोपाल कृष्ण गोखले जो कि हमारे गांधी जी के पॉलिटिकल गुरु भी क जाते हैं उन्होंने और जो कलकट सेशन हैय 1906 में हुआ इसको प्रिसा इड किया दादा भाई नौरोजी जी ने और यह जो कलकाता का सेशन है बहुत इंपॉर्टेंट था क्यों इंपॉर्टेंट था बिकॉज यहां पे गोल जो है कांग्रेस का डिक्लेयर किया जाता है स्वराज पूर्ण स्वराज नहीं सिर्फ स्वराज की बात हो रही है यहां पे पूर्ण स्वराज हम देखेंगे 1929 में जो लाहौर का सेशन हुआ था कांग्रेस का उसमें लाहौर अधिवेशन में यहां पे 1906 में जिसको नरोजी जी ने प्रिसा इड किया यहां पर एक तरह से चार रेजोल्यूशन आते हैं वो चार रेजोल्यूशन में से एक था कि जो जो हमारा गोल है यानी कांग्रेस का गोल है वो स्वराज है दूसरा रेजोल्यूशन फॉर स्वदेशी पास हुआ तीसरा रेजोल्यूशन फॉर बॉयकॉट पास हुआ कि चीजों का जो ब्रिटिश जो विदेशी चीजें उनको बॉयकॉट करना है और वन रेजोल्यूशन वास पास्ड रिगार्डिंग दी नेशनल एजुकेशन ये चार रेजोल्यूशन पास होते हैं ठीक साथ ही साथ यहां पे ध्यान रखना स्प्रेड ऑफ मूवमेंट में आपको एक चीज बता देता हूं यहां पे मैं कि यहां पे कुछ इंडिजन स्टीम नेविगेशन इ मतलब इंडिजन [संगीत] एंटरप्रेन्योर गे उसी को लेके स्वदेशी स्टीम नेविगेशन कंपनी ठीक है स्वदेशी स्टीम नेविगेशन कंपनी डेवलप करी किसने वीओ जिनम पिल्ला ने तमिलनाडु में ठीक है वीओ जि दंबर पिल्लई जी ने स्वदेशी स्टीम नेविगेशन कंपनी डेवलप करी भारत माता का पोट्रे बनाया किसने भारत माता का पोट्रे बनाया अबनींद्रनाथ टैगोर ने ठीक अबनींद्र नाथ टैगोर ने और उसमें उन्होंने दिखाया भारत माता को ठीक है यानी लोगों के दिलों में एक तरह से सेंटीमेंट राउज करने के लिए टुवर्ड्स द एंटी पार्टीशन जो मूवमेंट चल रहा था उसके और यहां पर एक सुब्रमण्य भारती करके थे उन्होने गीत भी लिखा सुदेश गीतम ठीक है सुब्रमण्य फिर सुब्रमण्यम भारती ने लिखा सुदेश गीतम ठीक है सुदेश गीतम अब जब यह यहां पे कलकट सेशन ऑफ कांग्रेस में कांग्रेस का गोल डिक्लेयर किया गया स्वराज कि हमारा गोल स्वराज है कांग्रेस में डिवीजन चालू होने लगा कैसा डिवीजन कांग्रेस में दो हिस्से बटने लगे एक मॉडरेट्स का नरम दल और दूसरा एक्सट्रीमिस्ट गर्म दल अभी 1885 से लेकर 1905 तक क्या था कि मेन डोमिनेंट पोजीशन थी विदन कांग्रेस मॉडरेट की नरम दल की यह नरम दल और गर्म दल है क्या और क्या अंतर इन दोनों में है क्या अंतर क्या है इनमें तो जो मॉडरेट थे वो का उनका बिलीव था कि हम सारी चीजें कॉन्स्टिट्यूशन करेंगे यानी कि संवैधानिक तौर से करेंगे इनका यह मानना था जो मॉडरेट था कि ब्रिटिशर्स जो है हमारे साथ अच्छा करना चाहते हैं उनको पता नहीं है तो हमारे कि हमारी डिमांड क्या है तो हमें उनके अपनी डिमांड उनके सामने रखनी है कांस्टीट्यूशनली रखनी है लॉ को फॉलो करना है जो बोले उस हिसाब से चलना है उस हिसाब से अपनी बात को रखनी है इसी वजह से बहुत ज्यादा लोग इनसे मतलब कनेक्टेड नहीं थे जो अपर मिडिल क्लास हम बोल सकते हैं वो कनेक्टेड था जो जमींदार थे वो कनेक्टेड थे अपर मिडिल क्लास जमींदार यह इनका सोशल बेस था बट इनका मानना था जो एक्सट्रीमिस्ट थे जो बोल सकते हैं जो यंगर सेक्शन था विदन द कांग्रेस जो थोड़े से उग्र टाइप थे उनका माना था कांस्टीट्यूशनली कुछ नहीं सीधे ठीक है आर या पार वाला मामला होगा और इसीलिए क्योंकि आप खुद ही सोचो कि किस किसको ज्यादा सपोर्ट मिलेगा मासस की तरफ से एक्सट्रीमिस्ट को मिलेगा ठीक है इसी वजह से जो लोअर मिडिल क्लास था ठीक है वो इनके पूरे सपोर्ट में था और इनका वाइड सोशल बेस था हम बोल सकते हैं ठीक है लोअर मिडिल क्लास और वाइड सोशल बेस है इनका नरो सोशल बेस है मॉडरेट का ये अपने सारी चीजें कांस्टीट्यूशनली डिमांड कर रहे थे कांस्टीट्यूशनल रिफॉर्म्स चाहते थे लेकिन इनका जो डिमांड था वो स्वराज डिमांड था ठीक है स्वराज इन लोगों का डिमांड था कि हमें स्वराज चाहिए अब दोनों के बीच में सारी चीजें ठीक नहीं थी मॉडरेट और एक्सट्रीमिस्ट के बीच में इनकी कुछ अलग तरह से डिमांड थी इनकी कुछ अलग तरह से डिमांड थी अगर हम बात करें यह जो अभी एंटी यह बंगाल पार्टीशन मूवमेंट चल रहा था एंटी पार्टीशन मूवमेंट इसको लेके भी दोनों में स्ट्राइफ आया मॉडरेट ने बोला कि इसको लिमिटेड रखो बंगाल तक इसको एक्सट्रीमिस्ट ने बोला कि इसको ऑल इंडिया मूवमेंट बनाओ यह बोला एक्सट्रीमिस्ट ने मॉडरेट्स ने यह बोला कि इसमें सभी का यानी कि सभी को पार्टिसिपेट करवाने की इसमें जरूरत नहीं है बट एक्सट्रीमिस्ट ने बोला कि इसमें सभी के पार्टिसिपेशन की जरूरत है यहां पे इन लोगों का जो मॉडरेट का था कि बस हमें कॉन्स्टिट्यूशन अपनी बात कर रखनी है बट इनका यह था कि अब अब हमें स्वराज लेना है ठीक यानी एक तरह से इंडिपेंडेंस लेनी है और मूवमेंट को हर जगह स्प्रेड करना है बट मॉडरेट जो है वह हर जगह मूवमेंट को स्प्रेड नहीं करना चाह रहे थे यही कारण था कि आगे चलके इन दोनों के बीच में हो जाता है स्प्लिट मतलब अगले ही साल स्प्लिट हो जाता है सूरत सेशन सूरत अधिवेशन कांग्रेस में 1907 में एक्सट्रीमिस्ट यह डिमांड कर रहे थे जो अ गर्म दल वाले थे कि कांग्रेस के जो अगले प्रेसिडेंट होंगे सूरत में जो सेशन होगा उसमें प्र साइड या तो लाला लाज राय करेंगे फिर बाल गंगाधर तिलक करेंगे ऐसा बोल रहे थे मॉडरेट्स बोल रहे थे कि नहीं मॉडरेट्स बोल रहे थे राज बिहारी घोष जी प्र साइड करेंगे तो इसको लेक काफी ज्यादा स्ट्राइफ हुआ और फाइनली राज बिहारी घोष ने प्रेसा इड किया सेशन को और रास बिहारी घोष ने प्रेसा इड किया और जो एक्सट्रीमिस्ट थे उनको कांग्रेस से बाहर निकाल दिया बोल सकते हैं या फिर जो एक्सट्रीमिस्ट है वो कांग्रेस से बाहर निकल गया तो यहां पे होता है सूरत स्प्लिट सूरत सेशन ऑफ कांग्रेस में दोनों के बीच में हो जाता है स्प्लिट अब यह जो पार्टीशन है ज्यादा दिन तक चल नहीं पाता है यह एनल हो जाता है और साथ ही साथ एक चीज ध्यान रखना अगर इसमें पूछ ले कि मुस्लिम्स का क्या रोल रहा तो मुस्लिम्स का बहुत ही लिमिटेड पार्टीशन रहा जो थोड़े से हायर मुस्लिम थे हायर इन दी सेंस कि एजुकेटेड मुस्लिम थे और अपर क्लास मुस्लिम से उन्होंने पार्टिसिपेट नहीं किया जो पार्टीशन एंटी पार्टीशन मूवमेंट है उसमें उसका रीजन यह है कि इनको यह बोल दिया अंग्रेजों ने कि आप जो है हमारा सपोर्ट करो और हमारा सपोर्ट करोगे तो हम जो जो मुस्लिम मुस्लिम बहुल इलाका है उसको ढाका को जो है वहां का कैपिटल हम बना देंगे कैपिटल घोषित कर देंगे तो इस वजह से उन लोगों ने सपोर्ट नहीं किया और यहां तक कि यहीं पर जन्म हो जाता है मुस्लिम लीग का ठीक है मुस्लिम लीग का जन्म अब यहीं पर हो जाता है 1906 में 1906 में कहां पर ढाका बांग्लादेश में इसको किसने बनाया नवाब सलीम उल्ला ठीक है नवाब सलीम उल्ला ने इसको बनाया ठीक है और आगा खान ने भी इसका इसमें इवॉल्व थे तो मुस्लिम लीग ने मुस्लिम्स को मना किया कि आप ये जो पार्टीशन मूवमेंट चल र है इसमें आप पार्टिसिपेट ना करो ठीक है बिकॉज जो अंग्रेज हैं वह हमें कुछ ना कुछ देंगे और एक तरह से वो जो सफल हो गए लेकिन फाइनली 1911 आते आते तक यह पार्टीशन चल नहीं पाया 1911 में थर्ड दि दिल्ली दरबार ऑर्गेनाइज करवाया गया तीसरा दिल्ली दरबार ऑर्गेनाइज करवाया गया किसके द्वारा हार्डिंगे सेकंड के द्वारा ठीक है थर्ड दिल्ली दरबार किसने ऑर्गेनाइज करवाया जो उस समय वॉइस र था हार्डिंग के सेकंड किसके लिए ऑर्गेनाइज करवाया ये ऑर्गेनाइज करवाया किंग जॉर्ज फ के कोरोनेशन के लिए बिकॉज़ नए-नए राजा वहां पे बने थे तो इनको यहां पे भी इनवाइट किया गया और कि आप अब यहां से मतलब एक तरह से वहां के राजा हैं तो इंडिया में ब्रिटिशर्स का रूल था कि आप का ब्रिटिश में भी कोरोनेशन किया जाएगा मतलब इंडिया में भी कोरोनेशन किया जाएगा और आप इंडिया को भी एक तरह से इंडिया के भी रूलर आप ही हैं ठीक है तो किंग जॉर्ज फ के कोरोनेशन के लिए दिल्ली दरबार ऑर्गेनाइज करवाया गया हार्डिंगे सेकंड के द्वारा और यहीं पेना अनाउंस किया गया कि जो नई कैपिटल होगी इंडिया की ठीक है इंडिया की जो नई कैपिटल होगी वह होगी अब दिल्ली कोलकाता नहीं दिल्ली होगी और इसको अनाउंस किया गया 1911 में बट एनफोर्स किया गया 1912 में और ये किया क्यों गया दिल्ली को क्यों बिकॉज मुस्लिम्स नाराज थे ब्रिटिशर से कारण इसका यह है कि जो सोच के इन्होंने पार्टीशन मूवमेंट में भाग नहीं लिया था कि यह हमें काफी कुछ देंगे वो उतना कुछ इन्होंने दिया नहीं ब्रिटिशर्स ने इसीलिए जो ल्ली था वो मुस्लिम ग्लोरी से बोल सकते हैं कि वो एक तरह से अटैच था मुस्लिम ग्लोरिफिकेशन से बिकॉज जो मुगल बादशाह बैठता था वो दिल्ली में बैठता था तो इसीलिए दिल्ली को कैपिटल बना दिया गया 1912 में अनाउंस 1911 में किया गया बट इसको जो एनफोर्स किया गया वो 1912 में किया गया क्लियर है यहां तक और अनल मेंट हो गया एलमेंट का मतलब पार्टीशन यहां पे कैंसिल हो जाता है और मरले मिंटो रिफॉर्म्स भी आते हैं आपके इन द ईयर 1909 में पहले यह बताइए यहां तक किसी को कोई डाउट तो नहीं है फिर आगे बढ़ते हैं किसी का यहां तक कोई डाउट मोजिला प्लीज इस तरह कमेंट ना करें है ना यह मॉडलिंग इटू रिफॉर्म्स है क्या तो भारत सरकार अधिनियम आता है गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट 1909 में इसमें कुछ प्रोविजंस थे इसको मोर्ले मिंटो इसलिए बोलते हैं बिकॉज मोर्ले उस समय सेक्रेटरी था और मिंटो वॉइस रय था तो दोनों ने मिलके सेक्रेटरी अभी मैंने बताया 1958 के जो गवर्नमेंट ऑफ इंडिया था उसके थ्रू क्रिएट किया गया वो कोई और नहीं बल्कि एक ब्रिटिश एमपी था और अच्छा ये बताइए कि हमारे पहले इंडियन ब्रिटिश एमपी कौन थे जिनके बारे में हम लोगों ने चर्चा करी भी थी पीछे तो गवर्नमेंट ऑफ इंडिया जो था 1909 का 1909 का उसमें ये प्रोविजन थे सबसे पहला जो सबसे इंपोर्टेंट प्रोविजन था वो यह था कि सेपरेट इलेक्टोरेट्स को सेपरेट इलेक्टोरेट्स यानी पृथक निर्वाचन दिया गया मुस्लिम्स को इसका मतलब यह होता है कि मुस्लिम्स के लिए मुस्लिम कैंडिडेट के लिए सिर्फ मुस्लिम ही वोट कर सकता है हिंदू वोट नहीं कर सकते हैं यह होता है सेपरेट इलेक्टेड पृथक निर्वाचन यहां पर यह बोला गया कि जो वॉइस रॉय की एग्जीक्यूटिव काउंसिल है उसमें एक इंडियन मेंबर हो सकता है और पहले इंडियन यहां पर बने सत्येंद्र प्रसाद सिन्हा उर् सत्तू जी ठीक है सत्येंद्र प्रसाद सिन्हा और यहां पे जो आपकी अ इंडिय लेजिसलेटिव काउंसिल थी और प्रोविंशियल लेजिसलेटिव काउंसिल थी उसमें नंबर ऑफ इलेक्टेड मेंबर्स को इंक्रीज किया गया नंबर ऑफ इलेक्टेड मेंबर्स को इंक्रीज किया गया यहां तक कि इससे जो पहला एक्ट आया था 18929 2 का आया था उसमें भी आईएलसी और पीएलसी के नंबर ऑफ इलेक्टेड मेंबर को इंक्रीज किया गया था और वहां पे ध्यान रखना 18920 इसमें बजट का डिस्कशन का पावर दिया गया था कि आप बजट को डिस्कस कर सकते हैं ठीक है बजट में डिस्कशन अलाउड है सप्लीमेंट्री नहीं पूछ सकते क्रॉस क्वेश्चनिंग नहीं कर सकते बट डिस्कशन कर सकते हैं ठीक है मॉडल मिंटो रिफॉर्म में सेपरेट और इसी वजह से मिंटो को फादर ऑफ इंडियन कम्युनलिज्म के नाम से भी जाना जाता है फादर ऑफ इंडियन कम्युनलिज्म के नाम से भी जाना जाता है वॉइस रॉय एक वॉइस रॉय की जो एग्जीक्यूटिव काउंसिल थी उसमें एक इंडियन हो सकता है तो पहले इंडियन मैंने सत्यंद्र प्रसाद सिन्हा और आईएलसी और पीएलसी के नंबर ऑफ इलेक्टेड मेंबर को इंक्रीज किया गया और जो दादा भाई नरोजी जी थे वो हमारे पहले ब्रिटिश एमपी थे फर्स्ट मतलब इंडियन ब्रिटिश एमपी थे वैसे इनके रिगार्डिंग हम लोग चीजें पहले भी देख चुके हैं कि इन्होंने पॉवर्टी एंड अन ब्रिटिश रूल इन इंडिया नामक बुक लिखी थी ठीक है पॉवर्टी एंड अन ब्रिटिश रूल इन इंडिया जिसमें कि इन्होंने ड्रेन ऑफ वेल्थ थ्योरी दी थी ड्रेन ऑफ वेल्थ की बात करही थी किस तरह से जो अंग्रेज हैं वो ड्रेन कर रहे हैं वेल्थ का यानी लूट रहे हैं इंडिया को इसकी इन्होंने बात कही थी और इन्होंने पहली अनऑफिशियल पॉवर्टी लाइन भी दी थी इस पॉवर्टी एंड ब्रिटिश लल इन इंडिया बुक के थ्रू इन्होंने कांग्रेस के तीन सेशंस को प्रिसा इड किया था दादा भाई नरोजी जी ने आगे बढ़ते हैं और अब आते हैं कुछ रेवोल्यूशन एक्टिविटीज पे यह रेवोल्यूशन एक्टिविटीज चालू होती हैं हम बोल सकते हैं गांधी जी के आने के पहले अनुशीलन समिति बनती है अनुशीलन समिति को बनाते हैं कई लोग और कई जगहों में अनुशीलन समिति बनती है लेकिन जो सबसे पहले प्रमोद मिटर जतिंद्रनाथ बैनर्जी ठीक है जितेंद्र नाथ बैनर्जी और बरिंद्र कुमार घोष ठीक है बरिंद्र कुमार घोष यह इसको बनाते अनुशीलन समिति को देन इन द ईयर 1908 1908 में एक अलीपुर बॉम कंस्पिरेशन केस होती है इसके तहत कुछ लोग ये प्लान करते हैं हमारे जैसे कि प्रफुल्ल चाकी खुर्दी राम बोस ये लोग प्लान करते हैं कि हम जो किंग्सफोर्ड है जो मुजफ्फरपुर का मजिस्ट्रेट है उसको बॉम से उड़ा देंगे राजपाल यादव की तरह एक बार मिल जाए और आगे आप जानते हैं है ना तो किंग्स फर्ड को उड़ा देंगे लेकिन था क्या जो कैरियर जा रहा था हाथी में बैठ के तो उसमें किंग्स फर्ड नहीं थे दो लेडीज अनफॉर्चूनेटली वो मर गई किंग्स नहीं मरे किंग किंग सट बच गए ठीक है और इसमें हुआ यह कि प्रफुल चाकी जी इन्होंने खुद को सुसाइड कर लिया ठी खुद को ही गोली मार ली इन्होंने और जो खुर्दी राम बोस जी थे हमारे ये प्रफुल चाकी और ये दूसरे थे खुर्दी राम बोस खुर्दी राम बोस इनको फांसी में लटका दिया गया और रविंदु घोष के खिलाफ भी चार्जेस इसमें साबित हुए कि और बंदु घोस भी इवॉल्वड है लेकिन बाद में उनके चार्जेस प्रूव नहीं हुए और उनको बरी कर दिया गया और उसके बाद उन्होंने एक्टिव पॉलिटिक्स से रिटायर ले और वो एकदम स्पिरिचुअलिटी की तरफ चले गए और उन्होंने रविले करके फिर सेट अप किया अगर आप इसको सर्च करिएगा ठीक है ग में बढ़िया काफी बढ़िया वहां प बना हुआ है रविल तो अरबिंदो घोष जी का है वो पूरी स्पिरिचुअलिटी की तरफ पूरी उसके बाद चले गया अलीपुर बम कापसी के बाद ठीक है तो 1908 में हुआ था ये चीज ध्यान रखना रामोसी पेजेंट फोर्स को डेवलप किया गया था वासुदेव बलवंत फड़के जी के द्वारा 189 में ध्यान रखना 189 189 में वासुदेव वासुदेव बलवंत फड़के और चापेकर नहीं ठीक है चापेकर से मुझे याद आया कि आप लोग की कुछ लैंग्वेज चलती है ना वह कौन सी लैंग्वेज होती है विधायक जी विधायक जी करके पता नहीं कुछ स्टूडेंट करते रहते हैं सीडीएस बैच में विधायक जीसा कर ठीक है तो चापेकर ब्रदर्स किलिंग रंड तो यह प्लेग कमिश्नर था ब्रंड और इसको चापेकर ब्रदर्स ने इसको मौत के घाट उतारा ठीक है चापेकर ब्रदर्स ने और कब मारा इसको मौत के घाट उतारा 18 18792 में हुआ ठीक है और ये हुआ आपका 18999 के टाइम पे ये हुआ ठीक है चापेकर ब्रदर्स ने मारा इसको रैंड को ठीक है मित्र मेला एक सीक्रेट सोसाइटी का गठन किया गया मित्र मेला का यहां पे एक सेकंड इसको 99 नहीं 97 करिएगा इसको ठीक है चापेकर ब्रदर्स ने जो रैंड को मारा था वो 18971 199 में मित्र मेला का गठन हुआ था में किसने किया था सावरकर ब्रदर्स ने वीडी सावरकर ठीक है वीडी सावरकर मतलब और जो इनके भाई थे ठीक है सावरकर ब्रदर्स बस आप याद रखिएगा इन्होंने इसको गठन किया बाद में इसको इन्होंने चेंज कर दिया या फिर मर्ज कर दिया अभिनव भारत सोसाइटी के साथ 1904 में 1904 में ध्यान रखना या तो आपसे इस तरह से पूछ सकता है कि मित्र मेला को मर्ज कर दिया या फिर मित्र मेला किस रूप में बन गई जैसे अभी सीजीएल अभी जो भी आई थिंक आपको पता नहीं सीपीओ में एमटीएस में इस तरह से पूछा था उसने कि मित्र मेला अभिनव इस तरह से पूछा था कि अभिनव भारत सोसाइटी किस संगठन का एक तरह से एक्स एक्सटेंडेड वर्जन था ठीक है तो 1904 में इसका गठन होता है अभिनव भारत का और सेम वही आपके फाउंडर्स होंगे ठीक है अब आते हैं रेवोल्यूशन एक्टिविटीज अब्रॉड वेरी इंपोर्टेंट अभी हम रेवोलुशन एक्टिविटीज इन इंडिया पढ़ रहे थे अब अब्रॉड पढ़ेंगे तो अब्रॉड यानी कि विदेश में इंडिया होम रोड लुक सोसाइटी और इंडिया हाउस का गठन किया लंडन में किसने श्याम जी कृष्ण वर्मा ने ठीक है श्याम जी कृष्ण वर्मा ने इसका गठन किया लंडन में और कब किया यन्ने गठन किया 1905 में 1905 में और इन्होंने एक जर्नल भी निकाला उस जर्नल का कोई नाम बता सकता उस पत्रिका का बर्लिन कमेटी अगर बात करें 1915 में यह क्या नाम था नका बर्लिन कमेटी वाले क्या कौन थे वीरेंद्रनाथ वीरेंद्रनाथ चट्टोपाध्याय ठीक है वीरेंद्रनाथ चट्टोपाध्याय इसका गठन किया बर्लिन जर्मनी में और जनल इन्होने जो निकाला श्याम जी कृष्णा वर्मा ने उसका नाम था द इंडियन सोशियोलॉजिस्ट ठीक है द इंडियन सोशियोलॉजिस्ट गदर प्रोग्राम इसी हेडिंग के तहत रेवोलुशन एक्टिविटीज अब्रॉड 1905 इंडियन होम रूल लीग सोसाइटी और इंडिया हाउस को डेवलप किया लंडन में श्याम जी कृष्ण वर्मा ने 1915 में बर्लिन कमेटी वीरेंद्रनाथ चट्टोपाध्याय ने और गदर प्रोग्राम स्टार्ट हुआ इन द ईयर 1913 में कैसे 1913 में गठन होता है गदर पार्टी का 19 ईयर 1913 में इसके फाउंडर थे ठीक है यहां पर तो मैं इस तरह से लिखता हूं रुको 1913 में गदर पार्टी बनती है ठीक है गदर पार्टी कौन इसके फाउंडर थे लाला हरदयाल लाला हरदयाल सोहन सिंह भाखन सोहन सिंह भाखन बरकतुल्लाह ठीक है बरका तुल्ला एंड भाई परमानंद भाई परमानंद यह इसके फाउंडर थे गदर पार्टी के जो 1913 1913 में बनती है इसी पार्टी के साथ एक और इसका हेड क्वार्टर कहां पर था इसका हेड क्वार्टर ध्यान रखना इसका हेड क्वार्टर था सैन फ्रांसिस्को नॉर्थ अमेरिका में पार्टी बनती है हेड क्वार्टर सैन फ्रांसिस्को में था इसी पार्टी के साथ एक इंसिडेंट इवॉल्वड है उस इंसिडेंट का नाम है कोम गाटा मारू इंसिडेंट ठीक है कोम गाटा मारू इंसीडेंट कोम गाटा मार एक शिप जापानीज शिप का नाम था जो कि सेल करती फ्रॉम हांगकांग टू कनाडा वैंकूवर कनाडा ठीक है कहीं-कहीं पर हांगकांग की जगह आपको हो सकता है सिंगापुर भी लिखा मिल जाए ठीक है लेकिन दोनों नहीं होगा ऑप्शन में तो चिंता ना करिएगा ठीक है हांगकांग टू वैंकूवर कनाडा कनाडा में सेल किया जहां पर इन लोगों को डिपोर्ट करने से मना कर दिया और वहां पर गोलियां वगैरह चल गई और वो इंसिडेंट हमारी एक इंडियन हिस्ट्री बुक्स में नोट हो गया ठीक है तो कोमागाटा मारू इंसिडेंट कब हुआ 1914 में और 1914 में और यह गदर पार्टी 1913 में बनती है इस पार्टी को दैट इज गदर पार्टी के जो एक तर से हम बोल सकते हैं रेवोल्यूशन एक्टिविटीज हो रही थी इसको सप्रे करने के लिए एक एक्ट पास किया गया टू सप्रे दिस गल राइट्स डिफेंस ऑफ इंडिया एक्ट 1915 डिफेंस ऑफ इंडिया एक्ट 1915 ये एक तरह का टेंपरेरी लॉ था क्योंकि उस समय सेकंड वर्ल्ड सॉरी फर्स्ट वर्ल्ड वॉर भी चालू हो गया था 1914 में तो इसलिए डिफेंस ऑफ इंडिया एक्ट को पास किया गया था 1915 में ये गद राइट्स को सेपरेट सप्रे करने के लिए और साथ ही साथ कोई भी जो इस तरह की एक्टिविटी हो रही है जो एंटी ब्रिटिश एक्टिविटी है उसमें यह था कि आपने रोलेट एक्ट के बारे में पढ़ा होगा नहीं पढ़ा तो हम लोग पढ़ेंगे ठीक है बस वही है ये ये टेंपररी रॉलेट एक्ट था कि मतलब बिना कुछ भी अगर कोई एंटी ब्रिटिश सेंटीमेंट फैलाता हुआ भी पाया गया ना और उसको सीधे जेल में डाल देंगे बिना किसी ट्रायल के ये था डिफेंस ऑफ इंडिया 1915 का अब ये हम अभी हमने मतलब ऑर्डर वाइज चल रहे हैं हम लोग पूरी टाइम लाइन के साथ चल रहे हैं तो हमने अभी पढ़ा 1915 ठीक है अब हम पढ़ेंगे होम रूल लीग गांधी जी भी 1915 में आ लेकिन उस अभी उसके बारे में बाद में पढ़ेंगे गांधी जी के बारे में होम रूल लीग पहले पढ़ेंगे होम रूल लीग बनती है 1916 में 1916 में ठीक है बिकॉज गांधी जी अभी वापस तो आ गए भारत में लेकिन पॉलिटिक्स में अभी एक्टिव नहीं हुए वो ठीक है तो 1916 में होम रूल लीग का गठन होता है बाय दी बाल गंगाधर तिलक और एनी बसंत जी के द्वारा ठीक है एनी बेस 1916 में दोनों लोगों की अलग-अलग होम रूल लिख थी इनकी वाली का हेड क्वार्टर था पुणा में और इनकी वाली का हेड क्वार्टर था मद्रास में दोनों लोग की 1916 में बनी थी लेकिन इनकी पहले बनी थी और कम ब्रांचेस थी इनकी में ज्यादा ब्रांचेस थी एनी बेसन की जो होम रूड लीक थी ठीक है ध्यान रखना ज्यादा ब्रांचेस थी लेकिन थोड़ा बाद में बनी थी बालदार तिलक वाली से ठीक है और ईयर सेम ही है लखनऊ सेशन ऑफ कांग्रेस 1916 में बनती होम रूली और लखनऊ का एक अधिवेशन होता है कांग्रेस का मतलब कांग्रेस का एक अधिवेशन होता है लखनऊ में 1916 में यह बहुत इंपॉर्टेंट है दो मायनों में पहला मायना तो यह है कि इन दोनों लोगों के एफर्ट की वजह से इन दोनों लोगों के एफर्ट की वजह से एक्सट्रीमिस्ट और मॉडरेट में रियूनियन होता है या फिर एक्सट्रीमिस्ट को विद इन द कांग्रेस लिया जाता है तो इतना मैं लिख देता हूं यहां पे कि मॉडरेट्स एंड एक्सट्रीमिस्ट्स रियूनियन री यूनियन यानी कि दोबारा फिर से दोनों एक दूसरे से यूनाइट हो गए एक्चुअल में देखा जाए तो एक्सट्रीमिस्ट को निकाला गया था एक्सट्रीमिस को फिर से अंदर ले लिया गया इस सेशन को प्रिसा इड कौन कर रहा था जैसे कि जो सूरत का सेशन था मैंने वहां पर आपको क्या क्या बताया था यहां पे कौन प्रेसा इड किया था राज बिहारी घोष जी बोस नहीं है ध्यान रखना राज बिहारी घोष है जो बोस है वो इंडियन नेशनल आर्मी 1942 में उसके फाउंडर थे वैसे तो फाउंडर मोहन सिंह थे लेकिन उसके बाद उन्होंने राज बिहारी बोस जीनस को लीड किया था बाद में उनके बाद वो हम पढ़ेंगे आगे अभी ठीक है यह जो सेशन था लखनऊ सेशन ऑफ कांग्रेस इसको प्रेसा इड किया था अंबिका चरण मजूमदार ने ठीक है दूसरा जो सेशन मतलब दूसरा जो क्या इंपॉर्टेंट इसमें हुआ था वो यह था कि जॉइंट पैक्ट या फिर एक पैक्ट साइन किया गया था जिसमें जॉइंट डिमांड रखी गई थी किसके द्वारा एक पैक्ट साइन हुआ था जिसमें कि बिटवीन दी कांग्रेस इंडियन नेशनल कांग्रेस एंड मुस्लिम लीग मुस्लिम लीग के बीच में एक पैक्ट साइन हुआ था जहां पर दोनों ने ब्रिटिशर्स से जॉइंट डिमांड रखी जॉइंट डिमांड कैसे रखी जैसे कि फॉर एग्जांपल कि जो सेक्रेटरी ऑफ स्टेट है जो ब्रिटेन में बैठा हुआ है उसको इंडिया से क्यों पे कर रहे हो वहीं से पे करो ठीक है और हमें स्वराज चाहिए हमें इस तरह की इसमें डिमांड रखी गई जॉइंट डिमांड में अब यह बात य आती कि मुस्लिम लीग क्यों इतना ठीक है कांग्रेस के नजदीकिया कांग्रेस के नजदीकियां बढ़ा रहा था कारण यह था कि अब गुस्सा हो चुका था गुस्सा क्यों था अभी हम लोगों ने देखा कि इसकी कुछ और ही उम्मीदें थी मुस्लिम लीग पार्टी गठन हुआ था बंगाल पार्टीशन के बाद लेकिन उस उम्मीदों पर ब्रिटिशर्स खरा नहीं उतरे इस वजह से मुस्लिम लीग ने फिर कांग्रेस के साथ हाथ मिलाया और अपनी जॉइंट डिमांड रखी लखनऊ सेशन के द्वारा अली हिलाल थोड़ा याद रखना ठीक है अली हिलाल और कॉमरेड दो पत्रिकाएं थी अगर आप बताना चाहे तो बताइए जल्दी से ठीक है मौलाना आजाद ने इसको लिखा था ठीक है और मोहम्मद अली ने इसको लिखा था किसको कॉमरेड को मौलाना आजाद अलीला और मोहम्मद अली कॉमरेड ये ध्यान रखना अगर कभी पूछ ले किसने लिखा तो ये चीज आपको पता होना चाहिए ठीक है अब थोड़ा सा पढ़ लेते हैं मोंटा की चल फॉर रिफॉर्म्स और उसके बाद आते हैं इमरजेंस ऑफ गांधी पे अब यह जो जॉइंट डिमांड रखी 1916 में उन डिमांड को अब ब्रिटिशर्स ने उन डिमांड को उन में से कुछ डिमांड को माना और हमें पता कैसे चला यह गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट आया 1919 का गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट आया 1919 1919 में जिसको कि मोंटेग चल फर्ड रिफॉर्म्स के नाम से जाना जाता है कारण क्या है कारण यह है कि मोंटेग उस समय सेक्रेटरी था और चम्स फॉट जो है वो वॉइस रॉय था तो इसको हम इस नाम से जानते हैं इसमें क्या-क्या प्रोविजंस थे इसमें यह प्रोविजन था सबसे पहले तो जो सेपरेट इलेक्टरेट थे सेपरेट इलेक्टरेट जिसकी अभी मैं चर्चा कर रहा था 1909 का जो एक्ट आया था मरले मिंटो रिफॉर्म उसमें सबसे पहली बार सेपरेट इलेक्टरेट पृथक निर्वाचन को इंट्रोड्यूस किया गया किसको दिया गया मुस्लिम्स को उन सेपरेट इलेक्टरेट को अब और एक्सटेंड किया गया और विस्तार विस्तारित किया गया किसको किसको दिया गया एंग्लो इंडियस को दिया गया क्रिश्चियंस को दिया गया वमन को दिया गया इन सबको भी अब दे दिया गया सेपरेट इलेक्टर रेट ठीक है ये उतना इंपॉर्टेंट नहीं जितना कि ये इंपॉर्टेंट है जो अब यहां पर लिखने जा रहा हूं ये आप मत भूलिए ये आपको जो नहीं भूलना वो यह है कि इट इंट्रोड्यूस्ड इट इंट्रोड्यूस्ड डायर की इन प्रोविंसेस डर्की क्या होती है डर्की का मतलब होता है द्वैध शासन ठीक है द्वैध द्वैध शासन इसको हिंदी में बोलते हैं इसका मतलब यह होता है कि जैसे हम लोगों ने पॉलिटी में सेवंथ शेड्यूल पढ़ा था उसमें सेवेंथ शेड्यूल में क्या था यूनियन लिस्ट थी स्टेट लिस्ट थी और कॉन्करेंट लिस्ट थी तो इसने क्या किया कि इसने अ सेंट्रल सब्जेक्ट और प्रोविंशियल सब्जेक्ट को अलग-अलग कर दिया सेंट्रल सब्जेक्ट और प्रोविंशियल सब्जेक्ट को और जो प्रोविंशियल सब्जेक्ट थे जो प्रोविंशियल सब्जेक्ट थे उनको भी फर्द दो कैटेगरी में बांट दिया रिजर्व्ड और ट्रांसफर्ड में रिजर्व्ड में इंपॉर्टेंट मैटर्स रखे और ट्रांसफर्ड में कम इंपॉर्टेंट मैटर्स रखे तो एक तरह से हम देखें तो प्रोविंशियल सब्जेक्ट्स को जो दो भागों में में फिर से जो बांटा है दिस इज कॉल्ड एज डायर की जिसको कि प्रोविंसेस में लाया गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट 1919 अभी इसको बहुत इंपॉर्टेंट से ध्यान से सुनिए बिकॉज़ 1935 में हम देखेंगे ये अगेन ये बहुत इंपॉर्टेंट रोल प्ले करेगा अगर आप ये समझ गए तो वो वाला भी समझ जाएंगे ठीक है इंट्रोड्यूस डर्किन प्रोविंसेस और इसने इंट्रोड्यूस किया बाय कैमरलिज्म इन सेंटर बाय कैमरलिज्म इन सेंटर बस तीन चीजें आपने याद रखनी है ठीक है दो तो ये भूल ही नहीं सकते डर्किन प्रोविंसेस बाय कलिजमा एट सेंटर और सेपरेट इलेक्टरेट को एक्सटेंड किया जो पहले मुस्लिम्स के लिए था उसको बैंगलोर इंडियन क्रिश्चियंस इन लोगों को भी दिया इसने क्लियर है यहां तक सभी को फिर हम इमरजेंस ऑफ गांधी चालू करें बताइए जल्दी से किसी को कोई डाउट यहां तक वो डायर की वो एक तरह से हम डुअल गवर्नमेंट बोल सकते हैं जो मैंने आपको बताया था कि जो अलाहाबाद में डुअल गवर्नमेंट स्टार्ट हुआ था ना जो क्लाइव लेके आया था और उसको हटाया था वॉरेन हेस्टिंग ने क्लाइव लेके आया था और उसको वरन हेस्टिंग ने हटाया था ठीक है जरा पा सेकंड पा से 10 सेकंड सुगा [संगीत] ठीक उम्मीद करता हूं आ रही पा सेकंड मतलब पा मिनट अच्छा च तो अभी वॉइस आ रही है ना इमरजेंस ऑफ गांधी स्टार्ट करते हैं गांधी जी ने क्या साउथ अफ्रीका में जो एक्टिविटीज करी पहले उनको देखते हैं ठीक है तो गांधी जी ने साउथ अफ्रीका में य एक्टिविटी करी तो उसकी सबसे पहले इन्होने नेटल इंडिया कांग्रेस की स्थापना करी ठीक है नेटल इंडियन कांग्रेस कोन्ने सेट किया गांधी जी ने साउथ अफ्रीका को इन द ईयर 18944 दिस इन द ईयर 1910 और इन्होंने एक पत्रिका भी स्टार्ट करी इन साउथ अफ्रीका जिसका नाम था इंडियन ओपिनियन क्लियर बस इतनी चीज हमें याद रखनी है इनके रिगार्डिंग साउथ अफ्रीका में और भी इन्होंने काम किया था जैसे मैरिज सर्टिफिकेट के खिलाफ कुछ काम किया था लेकिन वो सारी चीजें हम पढ़ने की जरूरत नहीं उसे क्वेश्चन पूछता नहीं है ठीक है अब आते हैं गांधी इन इंडिया तो गांधी जी नाथ जनवरी 1915 को वापस आते हैं भारत में वापस आते हैं इंडिया में जिसको कि हम प्रवासी भारतीय दिवस के रूप में सेलिब्रेट करते हैं जब इंडिया आते हैं तो ये डायरेक्टली इवॉल्व नहीं होना चाहते हैं किसमें जो इंडिया में में पॉलिटिकल सिनेरियो चल रहा है उसमें क्योंकि पहले उसका वो जायजा लेना चाहते हैं यही इनके गोपाल कृष्ण गोखले जो इनके पॉलिटिकल गुरु थे उन्होंने इनको रिकमेंड किया जिसके तहत इन्होंने पहले तो इंडिया को समझा पहले उसके बाद इन्होंने बैक टू बैक तीन मूवमेंट किए चंपारण में चंपारण सत्याग्रह किया 1917 में अहमदाबाद मिल स्ट्राइक करी 1918 में और खेड़ा सत्याग्रह किया 1918 में यह चीज थे क्या मतलब किसके रिगार्डिंग थे चंपारण सत्याग्रह अहमदाबाद खेड़ा तो सबसे पहले चंपारण जगह है वो बिहार में पड़ती है और यहां पे राजकुमार शुक्ला जी जो हैं उन्होंने इनको इनवाइट किया राजकुमार शुक्ला जी इनवाइटेड गांधी जी इन दी चंपारण बिहार क्यों इनवाइट किया कि आइए और हमारी प्रॉब्लम्स के लिए लड़ प्रॉब्लम था क्या प्रॉब्लम था तिनकठिया सिस्टम तिनकठिया सिस्टम क्या था तिनकठिया सिस्टम वाज कि पेशेंट्स को फोर्स किया जा रहा था कि तीन कठी यानी 3 बा 20 पार्ट ऑफ लैंड में आपको इंडिगो का कल्ट वेशन करना है जबरन खेती करवाई जा रही थी इंडिगो कल्ट वेशन 3/2 पार्ट ऑफ़ लैंड में रीजन इसका ये था बिकॉज़ उस समय तक जर्मन सिंथेटिक डाई मार्केट में आ चुकी थी जिसका प्राइस काफी कम था इस वजह से इन लोग को मार्केट में कंपीट करने के लिए ये सारा कुछ काम कर रहे थे ठीक तो यह आपको पता होना चाहिए किसके विरोध में था किसने इनवाइट किया गांधी जी को कब हुआ और यह गांधी जी का पहला सीडीएम बोल सकते हैं हम लोग पहला सिविल डिसऑबेडिएंस मूवमेंट सिविल डिसऑबेडिएंस मूवमेंट सवीना वर्ग्य आंदोलन हम 1930 में पढ़ेंगे लेकिन उसका एक तरह से हम बोल सकते हैं जो झलक है वो इसमें हमें देखने को मिलती है गांधी जी की अहमदाबाद में स्ट्राइक 1918 में होता है यह किसके विरुद्ध होता है यह था आपका प्लेग बोनस जो प्लेग बोनस था वो मिलना था ठीक है इन लोगों को प्लेग बोनस वो नहीं दिया गया साथ ही साथ वेज हाई की डिमांड कर रहे थे वो भी ये लोग डिमांड कर रहे थे जो मिल में वर्कर्स काम कर रहे थे वो बोल रहे थे 50 पर वेज में हाइक्स करो बिकॉज हमारी हालत काफी खराब हो गई इस प्लेग की वजह से ठीक है और वो सारा कुछ कर नहीं रहे थे प्लेग बोनस तक नहीं दे रहे थे कौन ब्रिटिशर्स ठीक है इसके विरुद्ध में था और यहां पर अगर पूछ ले किसने इनवाइट किया तो अनुसूया सारा भाई जो कि एक अनुसूया सारा भाई जो कि एक मिल ओनर की सिस्टर थी उन्होंने यहां पर गांधी जी को इनवाइट किया खेड़ा सत्याग्रह और य यह जो है आपका इसमें गांधी जी के पहले हम बोल सकते हैं हंगर स्ट्राइक देखने को मिलती फर्स्ट हंगर स्ट्राइक खेड़ा सत्याग्रह की बात करें इट वाज रिगार्डिंग द पेमेंट ऑफ टैक्सेस पेमेंट ऑफ टैक्सेस फसल बिल्कुल बर्बाद हो चुकी थी उस पर्टिकुलर साल में 1918 में क्योंकि काफी ड्रॉट पड़ा था सूखा पड़ा था ठीक है तो गवर्नमेंट को कायदे से टैक्स नहीं लेना चाहिए था लेकिन गवर्नमेंट ने टैक्स में कोई छूट नहीं दी और उसी के विरुद्ध में ये था सारी चीजें तो खेड़ा सत्याग्रह वाज रिगार्डिंग द पेमेंट ऑफ टैक्सेस ये पता होना चाहिए इन द यर 1918 और इसमें किसी ने गांधी जी को इनवाइट नहीं किया गांधी जी खुद अपने अपनी तरफ से गए थे ठीक है और ये आपका इसमें गांधी जी के नॉन कोऑपरेशन मूवमेंट यानी असहयोग कि भाई ब्रिटिशर्स के साथ आपको कोऑपरेट नहीं करना है उसकी झलक यहां पर देखने को मिलती है खेड़ा सत्याग्रह में नाउ कमिंग ऑन टू दी नॉन कोऑपरेशन मूवमेंट एंड खिलाफत अब इसके बारे में पढ़ेंगे नॉन कोऑपरेशन मूवमेंट और खिलाफत के बारे में ठीक स्टार्ट करते हैं रलेट एक्ट से यह सबकी हर चीज की मेन जड़ था रलेट एक्ट यह एक्ट था क्या तो यह एक्ट था एनार्क एंड रेवोल्यूशन क्राइम्स एक्ट एनार्क एंड रेवोल्यूशन क्राइम्स एक्ट यह एक्ट आया था 1919 में क्योंकि इस एक्ट में सिडनी रोलेट नाम के एक बंदे ने सारी अपनी एडवाइस दी थी जिनको इसमें एक्वायर किया गया इसलिए इस एक्ट को रोलेट एक्ट के नाम से जाना जाता है इट वाज द हम बोल सकते हैं परमानेंट रिप्लेसमेंट ऑफ डिफेंस ऑफ इंडिया एक्ट ऑफ 1915 जो अभी मैंने आपको बताया था कि गद राइट्स को सेपरेट करने उनको सप्रे करने के लिए जो यह पास किया गया था एक्ट वो टेंपरेरी एक्ट था इसको परमानेंट एक्ट से इन्होंने रिप्लेस करने का सोचा और इस एक्ट का नाम ये था रलेट एक्ट क्यों बोलते हैं आप समझ गए इसमें था यह कि सीधे 2 साल के लिए जेल में डाला जाएगा बिना आपकी अपील बिना वकील बिना दलील के अगर कोई भी एंटी ब्रिटिश सेंटीमेंट फैलाता हुआ मिल गया या फिर कुछ भी एंटी ब्रिटिश एक्टिविटी करता हुआ पाया गया सिर्फ अगर मेयर सस्पेंशन भी हुआ तो भी 2 साल के लिए जेल बिना किसी अपील वकील दलील के ठीक है यह था लेट एक्ट सबने इसका विरोध किया गांधी जी ने इसको काला कानून ब्लैक एक्ट बोला जितने हमारे सब थे जैसे कि मोहम्मद अली जिन्ना हो गए मदन मोहन मालवी हो गए मजरुल हक हो गए इन सब लोग ने रिजाइन कर दिया लेकिन क्योंकि माइनॉरिटी में थे वो लोग काउंसिल्स में इस वजह से उनका रेजिग्नेशन इतना कोई बहुत ज्यादा वो नहीं हुआ ठीक है इस रोलेट एक्ट के खिलाफ रोलेट सत्याग्रह गांधी जी ने स्टार्ट किया रलेट सत्याग्रह अब जो मैंने आपको इंडियन होम रूल लीग बताई थी ये 1916 में जो फॉर्म हुई थी उसी को गांधी जी ने इस पर्टिकुलर उसके जो उसमें एक तरह से उसका नाम चेंज करके सत्याग्रह सभा रखा और उसको यूज किया यहां पर रोलेट सत्याग्रह में उन्होंने ठीक है जलिया वाला बाग मेसे करर यह एक्चुअल में रलेट एक्ट की वजह से हुआ कैसे रलेट सत्याग्रह य इसके रिगार्डिंग प्रोटेस्ट हो रहे थे रलेट एक्ट के खिलाफ उसी प्रोटेस्ट में दो लोगों की अरेस्ट हुई सैफुद्दीन किचलू ठीक है सैफुद्दीन किचलू और डॉक्टर सत्यपाल इन दोनों लोग की होती है अरेस्ट यह अरेस्ट के प्रोटेस्ट में प्लस कुछ लीडर्स ने और प्रोटेस्ट बुलाया कि भाई हमें प्रोटेस्ट करना है और प्लस क्योंकि 13 अप्रैल को बैसाखी का दिन था ठीक है 13th अप्रैल 1919 को इट वाज द डे ऑफ बैसाखी कि लोग जलियावाला बाग में इकट्ठा हुए मेन कारण था बैसाखी का दिन था इसलिए इकट्ठा हुए लेकिन कुछ लोग उसके लिए भी क्योंकि लीडर्स ने बुलाया था कि आपको यहां पे इकट्ठा होना है रिगार्डिंग दी रॉयल टक्ट तो इसलिए भी इकट्ठा थे और उन लोगों को यह नहीं पता था कि इस तरह की जो गैदरिंग है वो प्रोहिबिटेड है अकॉर्डिंग टू जो करंट लॉ ब्रिटिशर्स ने बना रखा है माइक डायर ठीक है ध्यान रखना यहां पे माइकल डायर नहीं सॉरी जनरल आरई एम डायर इसका नाम था जनरल आर ई एम डायर इसने जो ओनली एग्जिट पॉइंट था उसको बंद करके लोगों प गोलियों के आदेश दे दिए कि इन पर पूरी म ओपन फायरिंग कर दो जिसकी वजह से बहुत सारे लोगों की डेथ हुई एग्जैक्ट नंबर किसी के पास नहीं है ठीक है कांग्रेस ने बोला कि अराउंड 1000 लोगों की डेथ हुई इसने बोला ब्रिटिशर्स ने कि नहीं सिर्फ 379 लोगों की डेथ 379 ठीक है फिर भी 379 भी लीजिए तो कितना बड़ा नंबर आप खुद ही सोचिए उनकी डेथ ऑन द स्पॉट तुरंत हो जाना ठीक है तो इसने यह निर्देश दिए थे जनरल आरई एम डायर ने लोगों थे लोगों पे गोली चलाने के जिसकी वजह से इतने लोगों की डेथ हुई उस समय भगत सिंह जी की एज मात्र 11 साल की थी और यह वो इस इवेंट ने उन परे काफी बड़ा एक इंपैक्ट डाला इसकी आफ्टर मैथ देखते हैं क्या आफ्टर मैथ है इसके बाद क्या हुआ इसके बाद यह हुआ कि जो हमारे रबींद्रनाथ टैगोर जी थे उन्होंने अपनी नाइटहुड की उपाधि दे दी ठीक है जो नाइटहुड है उन्होंने रिनाउंस कर दिया त्याग दिया टैगोर जी ने और जो हमारे महात्मा गांधी जी थे ठीक है महात्मा गांधी थे उन्होंने जो कैसरे हिंद की उपाधि थी ठीक है कैसरे हिंद की उपाधि उनको मिली थी साउथ अफ्रीका में बोर वर्स के टाइम प बोर वड्स में उन्होंने सपोर्ट किया होगा ब्रिटिशर्स का उस टाइम पर इनको मिली थी ये इन्होने वापस कर दिया टाइटल ठीक है और यह काफी बड़ा तरह से बोल सकते हैं कि एक इंपॉर्टेंट रीजन था कि क्यों अभी जो नॉन कॉपरेशन मूवमेंट स्टार्ट होगा वो स्टार्ट होता है ठीक है जलिया वाला बाग मे सेखर इस आरएम डायर को तो नहीं लेकिन माइकल डायर को मारते हैं माइकल ओ डायर को मारते हैं कौन उधम सिंह जी हमारे ठीक है उधम सिंह इसकी हत्या करके आते हैं और किस नाम से राम मोहम्मद सिंह आजाद ठीक है राम मोहम्मद सिंह आजाद नाम रख के जाते हैं बात य आती कि आरएम डायर ने मारा था आरएम डायर ने गोलिया वहा पर चलवाई थी तो माइकल डायर को क मारा कंफ्यूजन हो गया क्या डायर डायर में नहीं कंफ्यूजन नहीं हुआ इस डायर के जो हरकतें थी उसको इस डायर ने बहुत ही सराहना की प्रेज किया उनको इस वजह से इसको मार के इसके आफ्टर मैथ में यह भी ध्यान रखना कि एक हंटर कमेटी बनी थी यह जो हंटर कम इसका गठन होता है किस लिए ताकि इस जलिया वाला बाग मैसिक पर देखा जा सके कि इसमें क्या कौन गिल्टी है तो इसमें गिल्टी पाया तो और इसमें सिर्फ इसमें तीन इंडियंस भी थे ध्यान रखना इसमें तीन इंडियंस थे तो इसने जो डायर के जो एक्शन स्न को कंडोनमेंट उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई क्योंकि उससे पहले ही ब्रिटिश पार्लियामेंट ने इंडम निटी एक्ट करके एक एक्ट पास करवा लिया अपने सोल्जर्स को बचाने के लिए इनमिटी एक्ट ठीक है तो इसको कोई सजा वजा कुछ नहीं हुई बस एक्शंस कंडोनमेंट किया यह चीज आपको बतानी चाहिए हंटर कमेटी बाकी इंडिया ने या फिर कांग्रेस ने अपनी खुद की एक कमेटी बिठाई थी लेकिन इसके कुछ ऐसा इंपॉर्टेंट है नहीं आपके लिए याद करने के लिए ठीक है अब आते हैं गुरुद्वारा रिफॉर्म मूवमेंट क्या आई है हुआ क्या कि अरुर सिंह ठीक है अरुर सिंह उस समय महान थे अरुर सिंह कहां पर गुरुद्वारा में जो गोल्डन टेंपल था इन्होंने डायर को संत की उपाधि दे दी समझ रहे हैं आप उन्होने संत की उपाधि दे दी किसको जो डायर था उसको और यह चीज जो है लोगों को बहुत खराब लगी ठीक है तो वह समझ गए कि जो गुरुद्वारा है वहां पर करप्शन बढ़ रहा है ठीक है और इसीलिए गुरुद्वारा रिफॉर्म मूवमेंट स्टार्ट होता है जो महं है जो करप्ट महं हैं उनके खिलाफ कि इन महं को हटाना है यहां से और गुरुद्वारा में रिफॉर्म लेकर आना है ठीक है अब आते हैं द खिलाफ इशू क्या हैय 1919 में 1919 आते-आते तक आपको पता है कि सेकंड सॉरी फर्स्ट वर्ल्ड वॉर खत्म हो चुका था 1914 में स्टार्ट होता 1918 में खत्म होता है जो टर्की था वह ब्रिटिशर्स के खिलाफ था टर्की यह जर्मनी और ऑस्ट्रिया के साथ मिला हुआ था जो कि ब्रिटेन के विरोध विरोध में थे तो जब फर्स्ट वर्ल्ड वॉर जीत गया ब्रिटेन तो उसके बाद क्या किया ब्रिटेन ने टर्की में जो खलीफा होता था जो इस्लाम धर्म का जो सुल्तान होता था खलीफा उसको इन्होंने रिप्लेस कर दिया को गद्दी से हटा दिया टर्की को डिसमेंबर कर दिया और इस बात को लेकर हर जगह ऑल ओवर द वर्ल्ड के जो मुस्लिम्स थे वो खफा थे इंक्लूडिंग इंडियन इंडिया आल्सो इसलिए इन्होंने खिलाफत मूवमेंट स्टार्ट किया जो इंडिया में मुस्लिम्स थे मेन इसमें लीडर्स थे अली ब्रदर्स अली ब्रदर्स मौलाना अली और शौकत अली ठीक है मौलाना अली और शौकत अली यह लीडर्स थे इस पर्टिकुलर खिलाफत मूवमेंट के अली ब्रदर्स उन्होंने लीड किया उसमें और भी थे जैसे हसरत मोहानी अजमल खान ये लोग भी थे ठीक है तो ये इन्होंने लीड किया और बाकी इनको ही पता था कि उ हम इतने जोर या फिर इतने मास मूवमेंट इसको नहीं बना पाएंगे जब हमें तक हमें कांग्रेस का सपोर्ट नहीं मिलेगा गांधी जी ने इन खिलाफत की जो मुस्लिम्स की मीटिंग्स थी इसको एड्रेस किया वो चाहते थे कि कांग्रेस सपोर्ट करे खिलाफत इशू हो लेकिन कांग्रेस अभी नहीं चाहती थी कि सपोर्ट करो बट धीरे-धीरे गांधी जी ने मना लिया कि खिलाफत क्योंकि कांग्रेस का ये माना था जैसे मदन मोहन मालवी जी लोगों का कि या फिर बालगंगा दर तिला कि हमें इस पे इवॉल्व नहीं होना चाहिए जो खिलाफत इशू है यह एक थोड़ा सा सेकुलर या फिर पर्टिकुलर एक रिलीजन से रिलेटेड इशू है तो उसमें हम इवॉल्व नहीं होना चाहिए बट गांधी जी ने फाइनली मना लिया और नॉन कोऑपरेशन मूवमेंट फिर लच होता है 1920 में असहयोग आंदोलन 1920 में यह लॉन्च होता है सबसे पहले तो कलकाता जो सेशन हुआ था कांग्रेस का और उसको एंडोर्स किया जाता है जो नागपुर का सेशन होता है कांग्रेस का वहां पे इस जो जो नॉन कॉपरेशन मूवमेंट है असहयोग आंदोलन इसको एंडोर्स किया जाता है उसको फाइनली लॉन्च किया जाता है और यहां पे एक कांग्रेस वर्किंग कमेटी का भी गठन होता है 15 मेंबर की जो कांग्रेस वर्किंग कमेटी है उसका गठन किया जाता है कि अब से जो भी कांग्रेस के जो मेजर डिसीजन है यह कांग्रेस वर्किंग कमेटी लेगी नागपुर सेशन में कांग्रेस ने बोला कि अब हम एक्स्ट्रा कॉन्स्टिट्यूशन स्ट्रगल करेंगे एक्स्ट्रा कॉन्स्टिट्यूशन स्ट्रगल का मतलब होता है कि हम थोड़ा सा ऐसा नहीं कि सब प्यार प्यार से ऐसे बस बोल होते रहेंगे थोड़ा सा उसके बियोंड भी जाएंगे लेकिन इस यह बात कुछ लोगों को सही नहीं लगी जैसे मोहम्मद अली जिन्ना हो गए आपके सुरेंद्रनाथ बैनर्जी हो गए तो इन लोगों ने कांग्रेस से इस टाइम पे नागपुर सेशन के बाद रिजाइन कर दिया और सुरेंद्र नाथ बनर्जी ने अपनी अलग से पार्टी बना ली इंडियन नेशनल लिबरेशन फेडरेशन ठीक है नॉट दैट मच इंपॉर्टेंट अगर आ जाता इसलिए मैंने आपको बताया कि इंडियन नेशनल लिबरेशन फेडरेशन पार्टी किसने बनाई सुरेंद्र नाथ बनर्जी ने तो अब यहां पे नॉन कोऑपरेशन मूवमेंट लॉन्च होता है अब इसमें होता क्या है कि इसमें बॉयकॉट करना है हर चीज का बॉयकॉट करना है काउंसिल्स का फॉरेन प्रोडक्ट्स का नेशनल स्कूल्स का सॉरी जो बाकी जो ब्रिटिशर्स ने जो स्कूल कॉलेज सेटअप कर रखे उनका सारी चीजें बॉयकॉट करनी है यह यहां पे मेन था यानी और गवर्नमेंट से कोऑपरेट नहीं करना है यह जो नॉन कोऑपरेशन मूवमेंट है कई जगहों में स्प्रेड हुआ जैसे कि छोटे-छोटे जगहों में जैसे अवध में अवध किसान सभा के रूप अवध किसान मूवमेंट के रूप में स्प्रेड हुआ यह ठीक एका मूवमेंट यूपी में चालू हुआ 1921 में एका मूवमेंट 1921 के टाइम पे ही ठीक है कहां यूपी में मोपला रिवोल्ट ठीक है मोपला या फिर मोपला रिवोल्ट इसको बोलते हैं या फिर मालाबार रिवोल्ट के नाम से भी जानते हैं या फिर इसको मालाबार अराइजिंग के नाम से भी जानते हैं यह भी आपकी नॉन कोऑपरेशन मूवमेंट के टाइम प हुई कहां पे ये जो आप मालाबार रीजन देखते हो ना केरल में ये यहां पर हुआ यह यह धीरे-धीरे हिंदू वर्सेस मुस्लिम बनता गया जबकि नॉन कोऑपरेशन मूवमेंट का थीम यही था हिंदू और मुस्लिम में यूनिटी और ये हिंदू मुस्लिम में यूनिटी क्यों थी क्योंकि कि जो मुस्लिम्स ने सपोर्ट नहीं किया था पार्टीशन कैंपेन वो अभी सपोर्ट इसलिए कर रहे थे बिकॉज वो खिलाफत इशू को सही करना चाहते थे तो इस वजह से वो सपोर्ट में थे और यहां पे हिंदू मुस्लिम यूनिटी काफी अच्छी देखने को मिलती है इस पर्टिकुलर मूवमेंट में नॉन कोऑपरेशन मूवमेंट में यह यूनिटी मालाबार जो रिवोल्ट हो रहा था यहां पे यहां पे उतनी ज्यादा धीरे-धीरे वो एंटी मतलब हिंदू वर्सेस मुस्लिम होता गया रीजन इसका ये है कि बिकॉज यहां पे जो जमींदार थे वो थे हिंदू और जो पेजेंट होते मुस्लिम तो जमी मुस्लिम्स का ये बोलना था कि जो हमारे जमीदार हैं वो ऑपरेसिव हो रहे हैं हम पे तो उनके खिलाफ हम ये मूवमेंट कर रहे हैं इसी वजह से पहले तो कांग्रेस का सपोर्ट यहां पर देखने को मिला लेकिन उसके बाद कांग्रेस ने यहां से सपोर्ट विथड्रावल ऑफ महस भी ऐड कर लीजिएगा जो रिमूवल ऑफ मंस जो करप्ट मंस है जिसको हम गुरुद्वारा रिफॉर्म मूवमेंट के नाम से जानते हैं तो यहां पे जो करप्ट मांस थे उनको भी भी रिमूव यहां से किया गया अब आते हैं चौरी चौरा इंसीडेंस पे चौरी चौरा हत्याकांड यह क्या था तो चौरी चौरा इंसिडेंट जो है यह 1922 में हुआ चौरी चौरा जो गांव है गोरखपुर में पड़ता गोरखपुर यूपी में गोरखपुर उत्तर प्रदेश में चौरी चौरा एक विलेज है जहां पे पुलिस थाने में जो लोग प्रोटेस्ट कर रहे थे नॉन कोऑपरेशन मूवमेंट जबी नॉन कोऑपरेशन मूवमेंट असहयोग आंदोलन चल रहा था आपका ठीक है तब लोग काफी लोग इसमें प्रोटेस्ट कर रहे थे ठीक है प्रोटेस्ट के टाइम पे ही एक पुलिस थाने में पुलिस स्टेशन में आग लगा दी गई और उस पुलिस स्टेशन में जितने भी थे पुलिस वाले वो बाहर जैसे निकले तो उनको फिर से वहीं पर अंदर आग में झोंक दिया गया उन सभी की तकरीबन बोला जाता कि 22 पुलिसमैन की वहां प इंस्टेंट डेथ हो गई इसकी वजह से गांधी जी ने इस नॉन कोऑपरेशन मूवमेंट को विथड्रावल क्या था कि गांधी जी पूरी तरह से इसको नॉन वायलेंस नॉन ंट रखना चाहते थे उनका मेन यह कहना था कि अभी भी लोग नॉन वायलेंस अहिंसा का सही मतलब नहीं समझे हैं इस वजह से गांधी जी ने बोला कि खुद को मतलब इन्होंने ब्रिटिशर्स के हला हवाले कर दिया और इनको हो गई जेल ठीक है इनको यहां पे हो जाती है जेल कर दिया जाता है और गांधी जी इस मूवमेंट को वापस ले लेते हैं चौरी चौरा इंसीडेंट के बाद और इसके बाद अब चीजें कुछ चेंज होती हैं जेल चले गांधी जी अब होगा क्या अब होगा ये कि इमरजेंस ऑफ स्वराजिस्ट होगा एक पॉलिटिकल वैक्यूम क्रिएट हो गया गांधी जी के जाने से कि अब करें तो करें क्या बिकॉज़ यहां पे जैसे मोतीलाल नेहरू हो गया जवाहरलाल नेहरू हो गए बोस जी हो गए वो खिलाफ थे किसके ये जो नॉन कोऑपरेशन मूवमेंट विथड्रावल थे कि ये कंटिन्यू रहे बिकॉज़ उनका ये मानना था कि र ये कंटिन्यू रहेगा तो हमें इंडिपेंडेंस मिल जाती और काफी लोगों को ये मानना कि अगर गांधी जी उस समय इसको विथ ड्रॉ ना करते नॉन नॉन वायलेंस का हवाला देते हुए तो शायद हमें पहले ही मिल जाती बट गांधी जी का ये मानना था कि फिर हम जो एक्चुअल मतलब है वो ना समझ पाते नॉन वायलेंस का ठीक है तो हुआ ये कि पॉलिटिकल वैक्यूम क्रिएट हो गया कुछ लोगों ने बोला एक पर्टिकुलर सेक्शन में बोला कि हम जो बॉयकॉट है उसको कंटिन्यू करते हैं उन्होंने बोला कि बॉयकॉट को हम कंटिन्यू करते हैं और जो हम कंस्ट्रक्टिव वर्क है उसको कंटिन्यू रखते हैं जो कंस्ट्रक्टिव वर्क हम कर रहे थे व्हाट इज दिस कंस्ट्रक्टिव वर्क कि मतलब नेशनल स्कूल्स एंड कॉलेजेस सेट अप करना बॉयकॉट को कंटिन्यू रखना ठीक है इंडियन चीजों को ही प्रेफर करना वो कंटिन्यू रखते हैं जो गांधी जी हमें कह के गए थे इनको बोला गया नो चेंजर कि कोई चेंज नहीं करना चाहते हैं अभी जैसा चल रहा था वैसे चलने देते हैं बाकी जो लोग बॉयकॉट को एंड करना चाहते थे और काउंसिल्स में जाकर काउंसिल्स एंड और मेंड एंड और मेंड द काउंसिल्स का सपना संजोए बैठे थे कि या तो हम काउंसिल्स का बॉयकॉट खत्म करते हैं इलेक्शन लड़ते हैं काउंसिल के अंदर जाते हैं अपनी आवाज रखते हैं नहीं आवाज उठाएंगे तो एंड मतलब काउंसिल को खत्म करेंगे या फिर उनको चेंज करेंगे मेंड करेंगे ों को बोला गया प्रो चेंजर्स इन प्रो चेंजर्स ने अपनी एक पार्टी बना ली जिसको बोलते हैं स्वराज पार्टी या फिर खिलाफत स्वराज पार्टी खिलाफत स्वराज पार्टी इन द ईयर 1923 1923 में किसने बनाई है सी आर दास और मोतीलाल नेहरू ठीक है सी आर दास और मोतीलाल नेहरू और इसमें अजमल खान भी इवॉल्व थे ठीक है अजमल भी इसमें यहां तक आपको क्लियर हुआ कि क्यों स्वराज पार्टी बनी कैसे बनी ठीक है तो प्रो चेंजर्स क्या कर रहे थे काउंसिल में जाकर अपनी आवाज रख रहे थे ठीक है और जो नो चेंज थे सिर्फ कंस्ट्रक्टिव वर्क पर पूरी तरह से फोकस कर रहे थे यह था स्वराजिस्ट अभी आते हैं डिवीजन अमंग स्वराजिस्ट स्वराजिस्ट भी दो लाइंस में डिवाइड हो गए एक रेस्पॉन्सिविस्ट्स नॉन रेस्पों सिस्ट यानी कि जो जो ब्रिटिशर्स थे वो इसमें भी स्लाज को भी डिवाइड करने में ठीक है रेस्पॉन्सिविस्ट्स बस्ट वो थे कि इनका ये मानना था जो ब्रिटिशर हमें बोल रहे हैं उसके साथ हमें कोऑपरेट करना चाहिए नॉन रेस्पॉन्सिविस्ट्स गांधी जी इनिशियली अपोज्ड थे सजस के अब गांधी जी को तो पता ही चल रहा होगा जेल में क्या हो रहा है क्या नहीं हो रहा है तो गांधी जी वास इनिशियली अपोज सिस्ट बट हुआ क्या 19 24 आते आते तक ठीक है इन द बेलगाम सेशन ऑफ कांग्रेस आपको पता है 1924 का जो बेलगाम सेशन हुआ था कांग्रेस का इट वास द ओनली सेशन प्रेसीडेड बाय द गांधी जी तो गांधी जी को हेल्थ रीजन से जेल से छोड़ दिया जाता हेल्थ रीजन की वजह से और गांधी जी फिर उसको लीड करते हैं कांग्रेस का जो सेशन होता है बलगांव में उसको और वहां पर व स्वरास को के लिए पूरा सपोर्ट भी दिखाते हैं बट धीरे-धीरे होता क्या है कि 1929 में भी हम देखेंगे लाहौर का सेशन होगा पूर्ण स्वराज गोल डिक्लेयर कर दिया जाएगा उसके बाद स्वरास पार्टी एक तरह से खत्म हो जाती है और ये ध्यान रखना जो स्वरास पार्टी है ये विदन द कांग्रेस काम कर रही थी आउटसाइड द कांग्रेस नहीं थी ठीक है इट वर्क्ड विद इन दी कांग्रेस विद इन द कांग्रेस इसने काम किया और इसका जो गठन है वह कब हुआ कौन से सेशन में हुआ गया सेशन ऑफ कांग्रेस ठीक है जो गया सेशन था कांग्रेस का वहां पर यह ये खिलाफत स्वराज पार्टी बनी अब आते हैं फॉर्मेशन ऑफ सीपीआई देख लेते हैं मतलब पूरा सारी चीजें हमारी क्रोनोलॉजिकल चल रही है तो 1900 जैसे हमने देखा 19 में क्या हुआ खिलाफत मतलब सबसे पहले तो रोलेट आया उसके बाद 1919 में आपका जलियावाला बाग में सखर हुआ फिर 1919 में खिलाफत 1920 में नॉन कॉपरेशन 1922 में चौरी चरा 1923 में स्वराज पार्टी 1924 में अभी हम देखेंगे आगे होगा ई थिंक आगे होगा लेकिन उससे पहले हम देख लेते हैं कि कुछ जो पार्टीज बनी सीपीआई 1920 में बनी ताशकंद उज्बेकिस्तान में ठीक है ताशकंद उज्बेकिस्तान में पार्टी बनती है और फाइनली फॉर्मलाइज होती है 1925 में कहां पर कानपुर में यह फॉर्मलाइज होती है ध्यान रखना फॉर्मेशन ऑफ एआईटीयूसी दैट इज ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस इसका नाम है और यह बनती है 1920 में लाला लाजपत राय लाला लाजपत राय दीवान चमन लाल दीवान चमन लाल नारायण मल्ह जोशी ठीक है ये काफी इंपोर्टेंट नाम है नारायण मल्ह जोशी ठीक है लाला राजपत राय इस एआईटीयूसी के पहले प्रेसिडेंट थे जिस तरह जो स्वराज पार्टी बनी थी उसमें सीआर दास पहले प्रेसिडेंट थे और मोतीलाल नेहरू सेक्रेटरी थे पहले ठीक है और जोसेफ बपतिस्ते भी थे इसमें ठीक है बट उतना इंपॉर्टेंट नाम नहीं बस देख लीजिए कि वो भी थे ठीक है फिर कानपुर बोलशविज्म आपके जैसे कौन थे शौकत उस्मानी शौकत उस्मानी नलिनी गुप्ता यह लोग इसमें इवॉल्व थे नॉट दैट मच इंपोर्टेंट बस पता होना चाहिए कब हुआ 1924 में फिर 1928 में एक मेरठ में भी कंस्पिरेशन होती है ठीक है अब आते हैं कुछ कास्ट मूवमेंट जो इस समय चल रहे थे सेल्फ रिस्पेक्ट मूवमेंट इन द ईयर 1924 बाय ईवी रामा स्वामी नायकर ठीक है ईवी रामा स्वामी एक सेकंड एक सेकंड एक सेकंड यहां पे एक सेकंड ठीक है ईवी रामा स्वामी नायकर 1924 में सेल्फ रिस्पेक्ट मूवमेंट चलाया ईवी केरल वाले जो रीजन है वहां पर रामा स्वामी नायकर जिनको कि हम लोग पेरियार के नाम से जानते हैं जस्टिस पार्टी बनती है 1925 में और महत सत्याग्रह होता है 1927 में 1927 में कौन लीड करते इसको हमारे बाबा साहब अंबेडकर जी यानी कि भीमराव अंबेडकर जी ठीक है महा सत्याग्रह 1927 ये सारे कास्ट मूवमेंट थे ये दोनों साउथ इंडिया में थे मेनली जस्टिस पार्टी तो साउथ इंडिया में था और महा सत्याग्रह ये आपका अंबेडकर जीने 1927 में इसको लीड किया था ठीक है अभी आते हैं कुछ नोवेल्स जो लिखी गई थी इस टाइम पर बंदी जीवन लिखी थी किसने सचिन सान्याल ने ठीक है सचिन सान्याल और पाथर डाबी लिखी थी शरत चंद्र चैटर्जी ठीक है शरत चंद्र चटरजी ठीक 1924 में एक पार्टी का गठन होता है जिसका नाम है होम रूल लीग अस होम रूल लीग बोल रहा हूं हिंदुस्तान रिपब्लिक एसोसिएशन ठीक है हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन रिपब्लिकन एसोसिएशन और यह पार्टी बनती है इन द ईयर 1924 1924 में और उसके फाउंडर कौन-कौन थे राम प्रसाद बिस्मिल ठीक है राम प्रसाद बिस्मिल जोगेश चंद्र चैटर्जी एंड सचिन सान्याल ठीक है सचिन सान्याल यह इसके मेन आचार्य दैट इज आपका हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन था उसके फाउंडर्स य ठीक है यह जो 1924 में पार्टी बनती है अचार्य यह लीड करती है काकरी इंसीडेंट को जो कि एक तरह की ट्रेन रॉबरी थी बट हमारी जो गवर्नमेंट उसको ट्रेन रॉबरी टर्म को यूज नहीं करती है ठीक है इंसिडेंट हम लोग बोलते हैं काकोरी इंसिडेंट 1925 में होता है जहां पे एक ट्रेन जो आर्म्स एंड एम्युनिशंस कैरी करके जा रही थी ब्रिटिशर्स के उनको यहां पे प्लंडर किया गया था एक तरह से हम बोल सकते हैं फिर उसको हमने रोक के वो सारे आर्म्स एंड एनेशन को वो लिया था एंड अगेन रिपीट हमारी गवर्नमेंट ये सारे वर्ड यूज नहीं करती है रॉबरी जैसे ठीक है पहले यूज होते थे बट अभी यूपी गवर्नमेंट ने मना कर दिया ठीक है तो 1925 में काकोरी इंसिडेंट होता है और इसके बाद होता यह है कि काकोरी इंसीडेंट के बाद काफी लोग इसमें से कुछ लोग को पकड़ लिया जाता है फांसी में लटका दिया जाता है कुछ लोग भाग जाते हैं जैसे कि फॉर एग्जांपल रोशन सिंह हो गए ठीक है रोशन सिंह हो गए आपके राम प्रसाद बिस्मिल हो गए यह सब इसमें लोग इवॉल्व थे कुछ लोग इसमें से भाग निकले कुछ लोगों को फांसी हो गई और इसलिए यह पार्टी फाइनली बाद में 1928 में जाके इसका एक बोल सकते हैं मॉडिफाइड वर्जन बनता है हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिक एसोसिएशन वो था हिंदुस्तान रिपब्लिक एसोसिएशन 1924 से बनता है 25 में काकोरी इंसीडेंट होता है 1928 में हिंदुस्तान सोशलिस्ट और रिपब्लिकन एसोसिएशन बनती है यह पार्टी कानपुर में कौन बनाता है चंद्रशेखर आजाद जी भगत सिंह राजगुरु मेन थे चंद्रशेखर आजाद इसमें ठीक है भगत सिंह राजगुरु ये भी इवॉल्व थे ठीक है और कहां बनती है सॉरी कानपुर बोल रहा हूं कानपुर में तो वो आचार्य बनी थी ये फिरोज शाह कोटला में ठीक है इट वास फॉर्म्ड इन दी फिरोज शाह कोटला दिल्ली में फिरोज शाह कोटला दिल्ली में जो एचआरए है वो बनती है आपकी कानपुर में एचआरए वास फॉर्म्ड इन दी कानपुर इस एचएसआरए के जो लीडर्स थे या फिर जो इसमें मेंबर्स थे उन्होंने सांडर्स की हत्या करी मतलब दो तीन इंपॉर्टेंट काम किए तो सांडर्स की हत्या करी 1928 में क्यों करी अभी हम देखेंगे कि साइमन कमीशन एक कमीशन था जो भारत में आया ठीक है उस एंटी साइमन कमीशन प्रोटेस्ट के दौरान प लाला लाजपत राय जी की डेथ हो गई लाठी चार्ज की वजह से और इस डेथ का बदला लेने के लिए भगत सिंह ने सोचा भगत सिंह राजगुरु सुखदेव थापड़ जी ने कि हमें इस सस इसकी हत्या करनी है और उसका नाम था जेम्स स्कॉट लेकिन गलती से मर गया सांडर्स और एक इंडियन पुलिस कांस्टेबल भी मारना चाहते थे जेम्स स्कॉट को लेकिन गलती से डेथ हो गई जेम्स सांडर्स की ठीक फिर बॉम फेंकते हैं और इसी की वजह से इसी घटना की वजह से आपको पता है कि 1931 23 मार्च 1931 1931 को इन तीनों लोगों को यानी कि भगत सिंह सुखदेव जी और सुखदेव थापर जी और राजगुरु जी को फांसी की सजा होती है और इसी लिए हम 23 मार्च को माटायर में सेलिब्रेट करते हैं सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेंबली में बॉम फेंका गया था 1929 के टाइम पे किसने फेंका था भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त किसलिए फेंका था किस लिए फेंका था इट वाजन टू किल एनी वन इट वास टू जस्ट टू मेक द डेफ हेयर बहरे हो गए इन अंग्रेजों को ताकि सुनाई पड़े व किसी को मारने के लिए बम उन्होंने नहीं फेंका था भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त जी ने ठीक है आगे बढ़ते हैं और अब देखते हैं चिट गंग आर्म रेड के बारे में चिट गंग एक जगह पड़ती है प्रेजेंट डे बांग्लादेश में वहां पर सूर्यसेन जो कि एक स्कूल टीचर थे हेड मास्टर थे जिनको मास्टर द के नाम से भी जाना जाता था उन्होंने एक आर्म मतलब जहां असला वगैरह रखा रहता था वहां पर रेड करी विद विद हिज स्टूडेंट्स जिनम की मेनली फीमेल इवॉल्व थी जैसे कि प्रीति लता वड्डे दार ठीक है प्रीति लता वड्डे दार सुनीता चंरी बीना घोष यह सब इसमें इवॉल्व थी चिटा गंग आमरी रेड में सूर्यसेन के साथ 1930 में ये हुई थी 1930 में बट अगेन सूर्यसेन जी को हथे चढ़ गए इन अंग्रेजों के हथे और फाइनली इनको भी जो है हैंग कर दिया गया फांसी की सजा सुना दी गई ठीक है सूर्य सेन जी को क्लियर है यहां तक सभी को एक बार बताइए फिर आगे बढ़ते हैं हम लोग अच्छा ये जल्दी से बताइए फिलॉसफी ऑफ बॉम किसने लिखी और पंजाब नौजवान भारत सभा के फाउंडर कौन थे फिर हम लोग आते हैं साइमन कमीशन पे एंड देन आते हैं सिविल डिसऑबेडिएंस मूवमेंट पे तो फिलॉसफी ऑफ बॉम लिखी भगवती चरण वोहरा जी ने ठीक है किसने भगवती चरण वोहरा और एक चीज जो सोशल लेजस रिफॉर्म मूवमेंट है वो हम सबसे लास्ट में करेंगे जब पूरा सब कर लेंगे 1946 तक 1947 तक उसके बाद हम लोग करेंगे जो सोशल रिलीजस रिफॉर्म मूवमेंट है वो काफी इंपोर्टेंट चैप्टर है ध्यान रखिएगा ठीक है पंजाब नौजवान भारत सभा इसको बनाते हैं 1926 में कौन अच्छा एक चीज मैंने आपको बताई थी पीछे कि नहीं बताई थी चलो अभी बताता हूं आपको 1926 में यह भगत सिंह जी ने बनाई थी ठीक है इसके फाउंडर थे भगत सिंह जी ठीक और यह मैंने आपको बता दिया यहां पर एक बार मुझे चेक करना पड़ेगा एक सेकंड रको यहां पर मैंने आपको यह बताया था ना इसके बारे में एंटी पार्टीशन जो हम लोग मूवमेंट देख रहे थे यहां पर यहां पर एक चीज नोट करिएगा अभी पता नहीं मैंने बताया व चीज कि नहीं अगर नहीं बताया तो इसको नोट करना कि एक मिनट देख लेता हूं मैं हम हम यहां पे नोट करना पंजाब से लाला लाजपत र और अजीत सिंह जो कि भगत सिंह जी के अंकल तो उन्होंने लीड किया और इन्होंने एक पार्टी का गठन किया था दैट वाज अंजुमा ठीक है अंजुमा ए मोहिस बाने वतन ठीक है अंजुमा ए मोहिस बान ए वतन ठीक है इसका इन्होंने गठन किया था ठीक है जो अज अजीत सिंह जी थे ठीक है भगत सिंह जी के अंकल और भगत सिंह जी ने फाउंड किया था किसको फाउंड किया था इन्होंने पंजाब नौजवान भारत सभा को अभी आते हैं साइमन कमीशन पे साइमन कमीशन यह कमीशन क्यों बना क्यों आया इंडिया इस पे पहले डिस्कशन करते हैं हमने अभी पढ़ा था गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट 1919 के बारे में 1919 में इसमें एक प्रोविजन था कि 10 साल बाद 10 इयर्स के बाद एक कमीशन का स्थापना किया जाएगा जो कि यह देखेगा कि गवर्नमेंट ऑफ इंडिया 1919 कितना ग्राउंड लेवल पे उतरा मतलब क्या-क्या जो उसके प्रोविजंस थे एक्चुअल में इंप्लीमेंट किए गए कि नहीं किए गए ये सारी चीजें देखने के लिए कि कितने रिफॉर्म्स हो चुके हैं और कितने ने रिफॉर्म्स नीडेड है इसको लेके 10 साल बाद कमीशन बनना था यानी 1929 में लेकिन 2 साल पहले ही 1927 में यह कमीशन बन जाता है 1927 में सेवन मेंबर्स थे सात सदस्य थे इसमें ऑल वाइट मतलब कि सारे अंग्रेज थे इसलिए इसको वाइट कमीशन बोला गया सारे इसमें नॉन इंडियंस थे फिर सारे ब्रिटिशर्स थे और इसी बात को लेकर विरोध था इंडियंस का कि आप हमारे रिफॉर्म्स के लिए आ रहे हो मतलब हमारे रिफॉर्म के लिए कमीशन बनाया कि हमें क्या रिफॉर्म चाहिए और तुम हम ही से नहीं पूछ रहे हो कि क्या रिफॉर्म चाहिए मतलब वह क्या बात हुई कि मतलब हमारे रिफॉर्म के लिए आ रहे हो कि इनको यह रिफॉर्म चाहिए और हमारा इंडियन ही कोई इस पर्टिकुलर कमीशन में नहीं है तो इसको पूरा सी ने जितने भी कांग्रेस हैं सब सभी पार्टीज ने इसको विरोध किया एक्सेप्शन तो हमेशा होते हैं ठीक है कुछ ने इसको विरोध नहीं किया लेकिन इसको पूरा एक तरह से विरोध किया गया और इसी विरोध इसी एंटी साइमन कमीशन प्रोटेस्ट में लाला राजपत राय जी की डेथ हुई थी ये 19 28 में आता है 1928 में इंडिया में अराइव करता है तब इसका यह प्रोटेस्ट होता है इसको काले झंडे दिखाए गए साइमन गो बैक के साइमन ठीक है मुझे व याद आते हैं है ना हमारे दद्दू जी का य काफी मीम वायरल नहीं होता था चला जा ठीक है तो 1928 में साइमन कमीशन इंडिया था गो साइमन बैक के नारे लगते हैं अब यह जो साइमन कमीशन है इसका विरोध होता है तो फिर बर्किन हेड जो उस समय मिनिस्टर था वह चैलेंज करता है इंडियंस को कि अगर इतना ही सक्षम हो तो बना लो फिर अपना एक हमें बना के दो क्याक रिफॉर्म चाहिए तो फिर इसको इसका चैलेंज एक्सेप्ट करते हुए नेहरू रिपोर्ट ठीक है इसके रिस्पांस में नेहरू रिपोर्ट दी गई नेहरू रिपोर्ट मतलब इसका मतलब यह कि कांग्रेस ने कमेटी खुद की बनाई एक कमीशन खुद का बनाया जिसमें कि मोतीलाल नेहरू ठीक है मोतीलाल नेहरू को इन्होंने इसमें मोतीलाल नेहरू को क्या बनाया मोतीलाल नेहरू को बनाया गया इस कमीशन का चेयरमैन और इसने एक रिपोर्ट रखी ठीक अब इसके रिस्पांस में जिन्ना कैसे पीछे रख रहता तो जिन्ना ने भी अपने 14 पॉइंट दे दिए जिनको हम जिन्ना 14 पॉइंट्स के नाम से जानते हैं ठीक हैसे नेहरू रिपोर्ट पता होना चाहिए कौन थे मोतीलाल नेहरू के नाम पर नेहरू रिपोर्ट का नाम पड़ा साइमन कमीशन के बारे में आपको चीज बता दी है ठीक है यहां तक सभी को क्लियर होगा आई होप सभी को आगे बढ़ते हैं फिर चलिए अभी आते हैं सीडीएम एंड आरटीसी ट इ सिविल डिसऑबेडिएंस मूवमेंट एंड राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस सन अवज्ञ आंदोलन और गोलम सम्मेलन पढ़ते हैं सबसे पहले इरस डिक्लेरेशन आता है और डेली बार मैं कमेंट चेक कर लेता हूं किसी कोई डाउट तो नहीं है ब्लूप्रिंट ऑफ इंडियन कांशन बिल्कुल चलिए तो इरविंस डिक्लेरेशन और डेल्ली मैनिफेस्टो की बात उसी को हम ल्ली मैनिफेस्टो अभी जो देखते हैं डेल्ली मैनिफेस्टो क्या था बट ये ध्यान रखना इसमें से आपको कि जो इरविन ने एक तरह से डिक्लेरेशन किया था क्या डिक्लेरेशन किया था इरविन ने कि ये ये सारी चीजें हम लोग आपको करके देंगे और आप राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस में पार्टिसिपेट करो राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस क्या गोल मैच सम्मेलन होने वाली थी लंडन में ही ठीक है तो यह इरविन ने बोला था ईयर 1929 में 1929 में और यह इरविन कौन था इरविन उस समय वॉइस रॉय था इंडिया में नेगेट कर दिया रिजेक्ट कर दिया और कांग्रेस ने रखे अपने दिल्ली मेनिफेस्टो कि हमारा जो डिमांड है वह यह डिमांड है ठीक है किसने रखा कांग्रेस ने रखा अपना दिल्ली मेनिफेस्टो और इस मेनिफेस्टो को इरविन ने नेगेट कर दिया कि हम नहीं मानते इसको ठीक है तो 1929 में इरविन ने रखे कांग्रेस ने नेगेट करया फिर 1929 में ही गांधी जी ऑन द बिहा ऑफ कांग्रेस उन्होंने रखे अपने मेनिफेस्टो को उसको रिजेक्ट कर दिया तो अब इसके बाद होता है लाहौर सेशन ऑफ कांग्रेस 1929 में य काफी इंपॉर्टेंट सेशन है जिसको कि प्रिसा इड करते हैं जवाहरलाल नेहरू और जिसमें कुछ इंपॉर्टेंट चीजें थी एक तो यह कि सीडीएम लॉन्च होगा अभी ठीक है लॉन्च होगा सीडीएम का सिविल डिसऑबेडिएंस मूवमेंट का आरटीसी दैट इज राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस जो पहले वाली होने वाली 1930 मतलब साल के एंड में 1930 के एंड में उसका बॉयकॉट होगा फर्स्ट आरटीसी का बॉयकॉट होगा कांग्रेस का जो गोल है वो पूर्ण स्वराज होगा यह काफी इंपॉर्टेंट है कि अब गोल जो है अभी तक क्या था डोमिनियन स्टेटस की मांग चल रही थी डोमिनियन स्टेटस दे डोमिनियन स्टेटस दे दो ठीक है और ये लोग भी नेहरू और बोस जी लोग बोल रहे थे कि डोमिन स्टेटस नहीं पूर्ण स्वराज्य की मांग करो तो गांधी जी लोग ये फिर या फिर जो बड़े बुजुर्ग लोग थे वो बोल रहे थे नहीं रुक जाओ पहले डोमिनेंट स्टेटस मांग लेते हैं अगर नहीं देंगे अगर इस बार इन्होंने नहीं दिया एक दो दो एक साल के अंदर तो फिर हम लॉच फिर हमारा अपना गोल होगा पूर्ण स्वराज तो अब गोल होगा पूर्ण स्वराज ऐसा किस कांग्रेस के सेशन में डिक्लेयर किया गया जो लाहौर का सेशन था 1929 जिसको जवाहरलाल नेहरू ने प्रेड किया और यहीं पर 26 जन 1930 को पहला इंडिपेंडेंस डे सेलिब्रेट करने की बात कही गई और यही कारण हैने अपने जो कांस्टिट्यूशन उसको एनफोर्स किया लागू किया 26 जनवरी को है तो 26 जनवरी 1930 को फर्स्ट इंडिपेंडेंस डे सेलिब्रेट करने की बात कही गई और जो रावी नदी है उसके तट पर झंडा भी फहराया गया जवाहरलाल नेहरू जी के द्वारा ठीक अब आते हैं गांधी जी का दांडी मार्च यहां से अब स्टार्ट होता है सिविल डिसऑबेडिएंस मूवमेंट सीडीएम गांधी जी अपना मार्च स्टार्ट करते हैं साबरमती आश्रम से साबरमती आश्रम से डांडी तक अपने 78 यानी 78 डेलिगेट्स के साथ डेलिगेट्स के साथ कब स्टार्ट करते हैं 24 मार्च को 24 मार्च को को स्टार्ट करते हैं और ये जो मार्च है 6 अप्रैल तक चलता है आपका ठीक है ध्यान रखना अ कांग्रेस में 72 डेलीगेट थे जो पहला सेशन हुआ था कांग्रेस का उसमें जब बनी थी कांग्रेस तो 72 डेलीगेट थे ये चीज ध्यान रखना और ये जो गांधी जी ने मार्च किया था इस ये 78 लोगों के साथ मार्च किया था 24 मार्च को ये मार्च स्टार्ट हुआ था और 6 अप्रैल तक चला था फ्रॉम साबरमती टू डांडी जहां पे साल्ट लॉ को वायलेट किया गया था और साल्ट को ही क्यों चुना गया था यहां पे बिकॉज सॉल्ट एक ऐसी चीज थी जो हर किसी हर कोई उससे कनेक्टेड था इसलिए इसको यहां पे एज अ थीम चुना गया था एक बार सीडीएस में इसने क्वेश्चन पूछा कि सॉल्ट डांडी मार्च में किस कंपाउंड का यूज़ किया गया बताइए अच्छा कमेंट में गांधी जी ने किस कंपाउंड का यूज़ किया था डांडी मार्च में बताइए अब यहां पे देखते हैं कि डिफरेंट जगहों से किसने लीड किया ठीक है डिफरेंट जगहों से किसने लीड किया ठीक है और एक यहां पे थोड़ा सा ध्यान रखिएगा अगर स साइमन कमीशन की रिकमेंडेशन पूछेगा नहीं अगर पूछ ले तो इसने एक रिकमेंडेशन दी थी अबोलिशन ऑफ़ डायर की की भी ठीक है अगर पूछ ले तो ठीक है सॉरी यहां पर नहीं लिखना हम लोगों को यहां पर लिखना है ठीक है इसने वो किया था कि जो डायर की आई थी 1919 के एक्ट से उसको अबॉलिश कर दो अबोलिशन ऑफ डायर की इसने रिकमेंड किया था लेकिन इसके को जो भी रिकमेंडेशन थे कोई एनफोर्स हो नहीं पाए थे मतलब कोई लागू ज्यादा हो नहीं पाए थे तब तक 1935 का एक्ट आ गया था और यह तो बस ऐसे ही नाम मात्र का होके रह गया था ठीक है तो सॉल्ट टॉ में ए जो कंपाउंड है उसको यूज किया गया था उसका यूज हुआ था ठीक है डांडी माच के बारे में मैंने आपको बता दिया है अब यहां पर देख लेते हैं कि जो सॉल्ट लॉ है उसको कहां-कहां पे डिफरेंट जगहों ने लीड किया जैसे कि तमिलनाडु में अगर बात करें पहले तो इसको थोड़ा सा डिस्कस कर लेते हैं कि जो रयत वाड़ी जो एरियाज थे यानी कि जो स साउथ इंडिया में वहां पे नॉन पेमेंट ऑफ टैक्सेस यानी टैक्स को पे नहीं किया गया ठीक है वहां पे नॉन पेमेंट ऑफ टैक्सेस किया गया जमीदारी एरियाज में नो चौकीदार टैक्स क कैंपेन चला ठीक है कि हम चौकीदार टैक्स कैंपेन नहीं देंगे मतलब चौकीदार टैक्स नहीं देंगे नो चौकीदार टैक्स कैंपेन सेंट्रल प्रोविंस में वायलेशन हुआ फॉरेस्ट लॉज का ठीक है नी जो फॉरेस्ट लॉज है उनको वायलेट किया गया वायलेशन ऑफ फॉरेस्ट लॉज ठीक फिर डिफरेंट प्लेसेस में डिफरेंट लोगों ने इसको लीड किया जैसे तमिलनाडु में अगर हम बात करें तो सी राजगोपालाचारी ने लीड किया सी राजगोपालाचारी मालाबार में के केलप्पन ने लीड किया इसको के केलप्पन यह वही थे जिन्होंने वैकम सत्याग्रह को भी लीड किया था ठीक है वकम सत्याग्रह कोने लीड किया था उड़ीसा से अगर बात करें तो गोपाल बंधु चौधरी गोपाल बंधु चौधरी जी ने लीड किया और बिहार से लीड किया अंबिका कांत सिन्हा ने ठीक है अंबिका कांत सिन्हा बिहार से और बिहार में नाकस पंड को एक साइट चूज किया गया था सल्ट लॉ वायलेट करने के लिए ठीक है नाकस पंड और वेरी इंपॉर्टेंट फ्रॉम द पेशावर पेशावर से लीड किया था किसने खान अब्दुल गफार खान ने ठीक है खान अब्दुल गफार खान ने लीड किया था फ्रॉम द पेशावर इन्होंने रेड शर्ट मूवमेंट यानी लाल कुर्ती आंदोलन चलाया वहां पर एन डब्ल्यूएफपी जो नॉर्थ वेस्ट फ्रंट प्रोविंस था जो प्रेजेंट डे पाकिस्तान में आता है वहां पर रेड शर्ट मूवमेंट लाल कुर्ती आंदोलन और इन्होंने एक पार्टी भी बनाई या फिर एक तरह से एसोसिएशन बनाया खुदाई खिदमतगार ठीक है खुदाई खिदमत गार और पख्तून करके एक वीकली भी निकाला पख्तून धार साना से अगर बात करें तो धार साना से सरोजिनी नायडू ने ट किया था इसको सरोजनी नायडू और मणिपुर और नागालैंड से रानी गेदन ली ठीक है रा रानी गेदन ल मात्र 11 साल की उम्र थी इनकी जेल में डाल दिया गया आजीवन कारावास लेकिन 1946 में जब इंडिया आजाद हो गया था उसके बाद 19 मतलब 1946 में जो हमारी गवर्नमेंट बनी थी कांग्रेस की प्रोविजनल गवर्नमेंट तो उसने इनको रिलीज कर दिया था जेल से फर्म ऑफ मोबला किस तरह का यहां पर था तो मोबिलाइजेशन वास कैरिड आउट थ्रू प्रभात फेरीज वानर सेना और मंजरी सेना मतलब सीडीएम के टाइम पर यह आपकी सेना बनी थी प्रभात फेरी वानर सेना और मंजरी सेना ठीक है अभी आते हैं गांधी इरविन पैक्ट पे यह पैक्ट साइन होता है 1931 में 1931 दैट 1931 में जहां पे गांधी जी की कुछ डिमांड इरविन ने मानी और इरविन ने गांधी जी की मानी गांधी जी ने बोला या फिर इरविन ने बोला कि इस सीडीएम को सस्पेंड कर दो तो गांधी जी ने सिविल डिस बीड स मूवमेंट को सस्पेंड कर दिया यहां पे गांधी जी ने बोला कि और यह भी इरविन ने बोला कि जो अगली राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस है सेकंड राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस है दूसरा गोलमन सम्मेलन जो 1931 के लास्ट में होगा उसमें आप पार्टिसिपेट करो वो भी गांधी जी ने माना यहां पे गांधी जी के कुछ डिमांड थी जैसे कि इन्होंने यह डिमांड रखी थी इरविन के सामने कि आप एक तो यह काम करोगे कि जिसकी भी प्रॉपर्टी को छीन लिया गया है इस तरह से कर लिया गया है उसको आप उसकी प्रॉपर्टी लौटा आओगे और राइट टू मेक राइट टू मेक सॉल्ट आप दोगे फॉर पर्सनल कंजमेशन के लिए कोई भी सॉल्ट मैन्युफैक्चर कर सकता है और यह तो कुछ डिमांड मानी इरविन ने लेकिन काफ कुछ डिमांड नहीं भी मानी जैसे कि गांधी जी की एक डिमांड थी कि भगत सिंह सुखदेव और राजगुरु जी की जो फांसी है उसको टाला जाए और उसको डेथ सेंटेंस से कम्यूटर के लाइफ इंप्रिजनमेंट किया जाए वो इरविन ने गांधी जी की बात नहीं मानी पहली चीज दूसरी चीज गांधी जी ने यह बोला कि जहां-जहां पुलिस की एक्सेस एक्सेशन हुई यानी कि जहां जहां पुलिस ने फालतू का लॉ को वालेट किया वहां पे इंक्वायरी होनी चाहिए तो वो भी इरविन ने नहीं मानी फाइनली गांधी इरविन पैक्ट साइन होता है 1931 में पैक्ट के तहत गांधी जी अब अब ये 1931 में ही 1931 में ये कराची का रेजोल्यूशन होता है जिसमें कि गांधी इरविन पैक्ट को एंडोर्स किया जाता है कि हां ठीक है हम मानते हैं और इसका सपोर्ट करते हैं गांधीन पैक्ट का और जो इसमें बातें कही गई है उसका हम सपोर्ट करेंगे राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस में पार्टिसिपेट करेंगे सीडीएम को बंद करेंगे इस पर्टिकुलर सेशन को लीड किया था सरदार पटेल जी ने सरदार पटेल जी ने इसको लीड किया था और इसमें गांधी रविन पैक्ट को एंडोर्स किया गया था साथ ही साथ पूर्ण स्वराज का गोल को रिट्रेड किया गया था पूर्ण स्वराज गोल को रिइटरेट किया गया था दैट मीन कि इसका मीनिंग फॉर दी मासेज व्ट व्हाट डज पूर्ण स्वराज वुड मीन फॉर द मासेज यह बताया गया था अभी तक पूर्ण स्वराज्य एक वेग टर्म था जिसका मतलब क्या वो नहीं बताया गया था तो यह मतलब पहले बार बताया गया कराची रेजोल्यूशन 1931 में और साथ ही साथ यहां पे दो रेजोल्यूशन भी पास हुए दो रेजोल्यूशन पास हुए वन ऑन फंडामेंटल राइट्स एंड दूसरा सेकंड ऑन नेशनल इकोनॉमिक पॉलिसी कराची रेजोल्यूशन और कराची रेजोल्यूशन को वही कराची जो सेशन हुआ था कांग्रेस में यहां पे जब कांग्रेस के जब डेलिगेट्स जा रहे थे तो यहां पे काले झंडे भी दिखाए गए थे पंजाब नौजवान भारत सभा के द्वारा जो भगत सिंह ने जीने बनाई थी क्यों क्योंकि वो फांसी डालने में असमर्थ रहे थे फांसी नहीं डलवा पाए थे इसलिए अकॉर्डिंग टू द पैक्ट सेकंड अब यहां पर राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस जो पहली वाली राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस है तीन हुई थी टोटल तीन गोलमन सम्मेलन हुए थे यह 1930 में हुआ था सेकंड वाला हुआ था आपका 1931 सभी लास्ट में होती थी यानी कि साल के अंत में दिसंबर नवंबर इस टाइम पर और जो थर्ड राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस है यह हुई थी 1932 में 1932 में सेकंड राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस वाज द ओनली राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस ओनली जिसमें कि गांधी जी ने पार्टिसिपेट किया था कांग्रेस की तरफ से तो हम बोल सकते हैं गांधी जी और कांग्रेस ने सिर्फ एक ही राउंड टेबल में पार्टिसिपेट किया एंड दैट वाज सेकंड राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस दूसरी गोलमन सम्मेलन अंबेडकर जी ने तीनों में पार्टिसिपेट किया पहली दूसरी और तीनों में पार्टिसिपेट किया सेकंड राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस से आने के बाद फिर से गांधी जी ने सीडीएम लॉन्च कर दिया क्योंकि जो उन लोग की डिमांड थी वो वहां पे नहीं मानी गई इसलिए फिर से जब लॉन्च जैसे इन्होंने किया वैसे इनको जेल में डाल दिया गया जैसे ही लंदन से वापस आए और कहां पे डाला गया यरवदा जेल पुना में यरवदा जेल पुना में इनको डाल दिया गया अब हुआ यह यहां पर मैंने चीज आपको बता दी ठीक है हुआ यह कि जब ये गांधी जी जेल में थे क्योंकि अंबेडकर जी ने तीनों राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस में पार्टिसिपेट किया था और वहां पर इनकी डिमांड थी कि जो दलित हैं जो डिप्रेसेंट इलेक्टरेट दो जैसे तुमने मुस्लिम्स को दिया 1909 में 199 में उसको और एक्सटेंड किया एंगलो इंडियन क्रिश्चियंस को ऐसे ही जो डिप्रेसो भी सेपरेट इलेक्टरेट दो तो रमसे मैकडोनाल्ड जो समय ब्रिटेन का प्राइम मिनिस्टर था उसने अनाउंस किया कि ठीक है हम डिफेस क्लासेस को भी सेपरेट इलेक्टरेट देंगे और वही कहलाया कम्युनल अवार्ड क्या है यह सेपरेट इलेक्टरेट या पृथक निर्वाचन किसको सेपरेट इलेक्टरेट टू डिप्रेस्ड क्लासेस यह बोला जैसे यह बात गांधी जी को पता चली वो फास्ट एंड टू डेथ में चले गए रवादा जेल पुना में की जब तक खाना नहीं खाएंगे जब तक इस को वापस नहीं लिया जाएगा क्यों क्योंकि उनका यह मानना था मतलब दोनों लोग की फिलॉसफी में थोड़ा सा अंतर था गांधी जी और अंबेडकर जी की बात करें कि गांधी जी का यह मानना था कि इंडिया पहले से यूनाइटेड है और सब कोई यूनाइटेड है अंबेडकर जी का ऐसा माना नहीं था उनका ये माना था इंडिया इज नॉन यूनाइटेड गांधी जी का ये मानना है कि अगर हम उनको अलग तरह से ट्रीट करेंगे डिप्रेस्ड क्लासेस को दलित्स को अलग तरह से ट्रीट करेंगे तो और अलग होंगे अंबेडकर जी ने बोला कि वो अलग हैं पहले से ऐसा मतलब उन्हो दोनों लोग के आडलज में डिफरेंस था और इसी वजह से गांधी जी ने जब हरिजन सेवक संघ की स्थापना करी हरिजन सेवक संघ की स्थापना करी कब ईयर 1932 में 1932 में और हरिजन वीकली निकाला इसको लेके काफी गुस्सा हुए अंबेडकर जी कारण इसका यह था उनको उनका यह माना था हरि के जन मतलब भगवान के लोग बोलने से व भगवान के लोग नहीं हो जाएंगे उनको इज्जत नहीं मिल जाएगी उनको आपको राइट्स देना पड़ेगा ऐसा अंबेडकर जी का मानना था अंबेडकर जी ने भी क्लासेस के लिए काफी सारे एसोसिएशंस की स्थापना करी जैसे कि बहिष्कृत बहिष्कृत हित करणी सभा ठीक है बहिष्कृत हित करणी सभा इन द ईयर जल्दी से बताइए किस ईयर में इसको बनाया ऑल इंडिया शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन ठीक है शेड्यूल्ड क्लास्ट सॉरी शेड्यूल नॉट क्लास कास्ट ठीक है शेड्यूल कास्ट फेडरेशन तो बहिष्कृत हित करणी सभा इन्होने बनाया 1924 1924 में ऑल इंडिया शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन बनाया 1942 में 1942 में ठीक है यहां पे कास्ट कर लीजिएगा तो आइडल जिकल कुछ डिफरेंसेस थे इसी वजह से गांधी जी ने विरोध किया कि भाई अगर हम सेपरेट इलेक्टरेट देंगे डिप्रेस्ड क्लासेस को तो और अलग हो जाएंगे किससे हिंदू कम्युनिटी से इसलिए उन्होंने बोला कि यह सेपरेट इलेक्टरेट को वापस लिया जाना चाहिए अब क्योंकि फास्ट इन टू डेथ में थे तो इसलिए अंबेडकर जी का भी दिल पिघल गया क्योंकि उनको काफ मतलब जी लोगों ने मनाया कि ऐसे तो फिर गांधी जी की काफी हालत खराब हो जाएगी तो फिर यरवदा जेल पुना में ही पुना पैक्ट साइन हुआ किसके बीच में बिटवीन गांधी जी एंड अंबेडकर जी ठीक है बिटवीन गांधी जी एंड अंबेडकर जी मतलब गांधी जी के बिहाव पे मदन मोहन मालवी ने इसको साइन किया था बट वो इंपॉर्टेंट नहीं है अगर पूछ लेता तो मैं बता रहा हूं आपको बाकी तो एग्जाम में यही पूछेगा किसके बीच में तो गांधी जी और अंबेडकर जी 1932 ये दोनों आपके जो घटना है वो 1932 में हुई तो हुआ क्या कि अंबेडकर जी एग्री कर गए कि ठीक है हम सेपरेट इलेक्टरेट हमें नहीं चाहिए लेकिन जो भी सीट्स रिजर्व्ड हैं डिप्रेस्ड क्लासेस के लिए उनको और एक्सटेंड किया जाए उसपे गांधी जी एग्री कर गए इसके बाद आता है 1935 में गवर्नमेंट ऑफ इंडिया 1935 जब हम लोग पॉलिटी पढ़ रहे थे तो सोर्सेस ऑफ कॉन्स्टिट्यूशन मैंने बताया था कि इंडिया जो इंडियन कॉन्स्टिट्यूशन है उसमें काफी चीजें हमने काफी कंट्री कॉन्स्टिट्यूशन से लिए यूएसए से यूके से ठीक है बहुत देशों से तो उसमें से जो सबसे मेन इंपॉर्टेंट रोल था या फिर सबसे जो ज्यादा पार्ट है हमने वो गवर्नमेंट ऑफ इंडिया 1935 से लिया ये ठीक है या फिर जो कांस्टिट्यूशन का जो हमारा स्ट्रक्चरल पार्ट है वो हमने गवर्नमेंट ऑफ इंडिया 1935 से लिया है अब इसमें कुछ इंपॉर्टेंट प्रोविजंस थे जैसे कि इसमें एक ऑल इंडिया फेडरेशन बनाने की बात कही गई थी जो कि कभी एक्चुअल में एसिस्टेंसिया इसमें डायर की को अबॉलिश किया गया याद करिए डर्की को अबॉलिश करने को किसने बोला था साइमन कमीशन ने बट को अबॉलिश किया गया यहां से प्रोविंसेस से अब आप याद करिए कि यह डायर की प्रोविंसेस में आई कहां से थी 1919 का जो गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट था उससे जिसको कि हमने मोंटेग चल फड रिफॉर्म्स बोला था तो प्रोविंस से अगर डायर की खत्म हो गई तो प्रोविंस को क्या मिल गई ऑटोनोमी मिल गई स्वायत्ता मिल गई तो यहां पर प्रोविंशियल ऑटोनोमी एस्टेब्लिश हुई और इस डायर की को इंट्रोड्यूस कर दिया गया अब सेंटर में डायर की इंट्रोड्यूस ड एट सेंटर यानी अब सेंट्रल सब्जेक्ट को दो भागों में बांटा जाएगा रिजर्व ट्रांसफर डायरेक इंट्रोड्यूस्ड एट सेंटर वहां पे क्या हुआ था आपका जो ये गवर्नमेंट ऑफ इंडिया था कि बाय कैमरलिज्म इंट्रोड्यूस किया गया था सेंटर में राइट बाय कैमरलिज्म इंट्रोड्यूस किया गया था सेंटर में अब यहां पे बाय कैमरलिज्म इंट्रोड्यूस किया गया प्रोविंसेस में ठीक है बाय कैमरलिज्म इंट्रोड्यूस्ड एट प्रोविंसेस यानी जो 1919 वाले ने किया जस्ट उसका उल्टा बाय कैमरलिज्म एट प्रोविंसेस कितनी प्रोविंसेस सिक्स आउट ऑफ 11 प्रोविंसेस ठीक है सिक्स आउट ऑफ 11 प्रोविंसेस में बाय कैपिट जम को लाया गया 1935 के एक्ट के द्वारा आई होप यहां तक चीजें क्लियर होंगी बस इसमें हमें इतनी ही चीजें याद करने की जरूरत है 1935 वाले में अब आते हैं इलेक्शन एंड कांग्रेस परफॉर्मेंस तो इलेक्शंस हुए 1935 के एक्ट के अकॉर्डिंग और कांग्रेस ने इलेक्शन लले और कांग्रेस को मेजॉरिटी मिली कांग्रेस काफी मेजॉरिटी पार्टी यहां पर बनके उभरी जो 193 सेन में इलेक्शन हुए थे ठीक है और ये पहले तो बताइए यहां तक सभी को चीजें क्लियर है कि नहीं बिकॉज हम लोग अपने लास्ट पार्ट में आ चुके हैं गवर्नमेंट ऑफ इंडिया 1935 इंडियस ने बनाया फिर ब्रिटिशर्स ने बनाया था गवर्नमेंट ऑफ इंडिया का मतलब मत ये ब्रिटिश पार्लियामेंट से ही पास होते थे एक्ट ठीक है बट यह है कि जो रिकमेंडेशंस थी इंडियंस की वो ले ली जाती थी बस इसके बाद खत्म नहीं है ठीक है अभी इसके बाद सोशो रिलीजस रिफॉर्म मूवमेंट भी हम लोगों के है ना सोशो रिलीजियस रिफॉर्म मूवमेंट भी है अभी ठीक है इलेक्शंस और कांग्रेस की परफॉर्मेंस तो कांग्रेस ने काफी अच्छा परफॉर्म किया यहां पर जो इलेक्शंस हुए अब कांग्रेस ने अच्छा तो परफॉर्म किया ठीक है और हां मतलब अच्छा परफॉर्मेंस का मतलब क्या अच्छा परफॉर्मेंस क्या अच्छा परफॉर्मेंस तो इसको हर जगह में मेजॉरिटी मिली एक्सेप्ट कुछ जैसे बंगाल असम पंजाब और यह जो एन डब्ल्यूएफपी रीजन है यहां पे इसको और सिंध वाला जो प्रोविंस है सिंध प्रांत वहां पे इसको मेजॉरिटी नहीं मिली और हर जगह इसको मेजॉरिटी मिली ठीक है बस इतना आपको अभी के लिए इतना याद रखना है ठीक है और उन उन जगहों में ऑफिस एक्सेप्ट कर लिया कांग्रेस ने और बाद में अभी हम आगे देखेंगे कि ऑफिस से रिजाइन भी कर दिया था क्यों वो अभी आगे देखेंगे बट हरिपुरा और त्रिपुरी सेशन आपके इंपॉर्टेंट है हरिपुरा आपका गुजरात में पड़ता हैय ठीक है गुजरात में कांग्रेस के इसमें प्रेसिडेंट थे 1938 में ठीक है कांग्रेस के इसमें प्रेसिडेंट इसको प्रेसा इड किया था कांग्रेस के हरिपुरा सेशन को सुभाष चंद्र बोस जी ने ठीक है और सुभाष चंद्र बोस और गांधी जी की जो आइडल जीी थी उसमें काफी डिफरेंस था आइल कल डिफरेंसेस थे दोनों दोनों लोग की आइडियो में ठीक है तो ये जो स्ट्राइफ है जो टेंशन है वो बढ़ती जा रही थी कांग्रेस में त्रिपुरी सेशन आते आते तक और बढ़ गई बिकॉज जो त्रिपुरी जो मध्य प्रदेश में पढता है वहां पर एक सेशन होना था कांग्रेस में और बोस जी फिर से प्रेसिडेंट शिप के कैंडिडेट के तौर पर सामने आए जीत भी गए काफी बहुमत से जीते और हराया किसको हराया पट्टा भी सीताराम मैया को जो गांधी जी की तरफ से लड़ रहे थे एक तरह से हम बोल सकते हैं क्यों क् गांधी जी ने पट्टा भी सीता रमया क गांधी जी ने यहां पे एक तरह से यह बोला कि ये हमारे एक तरह से रिप्रेजेंटेटिव मतलब हमारी तरफ से यह खड़े हुए हैं ठीक है इनकी डिफीट होती है और गांधी जी ने बोला कि इनकी डिफीट मतलब मेरी डिफीट तो मतलब कांग्रेस में बहुत ज्यादा स्ट्राइफ बढ़ चुकी थी बोस जी और गांधी जी बिकॉज़ गांधी जी का एकदम कांस्टीट्यूशनल मानना था मतलब आइडियो जिकल डिफरेंसेस थे बोस जी का मानना बोस जी बिल्कुल भी गांधी जी की आइडल जीी से बिलीव नहीं करते थे उनको ये लगता था कि अगर इस तरह से चलते रहेंगे तो फिर मिल चुकी है आजादी और मिलेगी भी तो ना जाने कब मिलेगी तो वो एक्शन ओरिएंटेड तो थोड़े से बोस जी ठीक है तो इस वजह से त्रिपुरी सेशन हो आते-आते तक बोस जी ने रिजाइन कर दिया बोस रिजाइंड फ्रॉम दी कांग्रेस और इन्होंने खुद की पार्टी बना ली ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक विद इन दी कांग्रेस ध्यान यह रखना है आपको इट वाजन आउटसाइड द कांग्रेस इट वाज फॉर्म्ड विद इन दी कांग्रेस ठीक है विद इन दी कांग्रेस बनी थी 1939 1939 में इससे पहले बोस जी ने इंडियन इंडिपेंडेंस लीग बनाई इंडियन इंडिपेंडेंस लीग ठीक है और नेशनल प्लानिंग कमेटी जिसकी चर्चा हम लोगों ने इकोनॉमिक्स वाले लेक्चर में भी करी थी अगर आपको याद होगा तो नेशनल प्लानिंग कमटी का भी गठन किया 1938 में जिसके कि पहले चेयरमैन किसको बनाया बोस जी ने नेहरू जी को बनाया ठीक तो ये चीज आपको पता होनी चाहिए देन बोस जी हमारे जाते हैं सेकंड वर्ल्ड वॉर हां तो सेकंड वर्ल्ड वॉर चालू हो जाता है का और सेकंड वर्ल्ड वॉर के टाइम पे जब यह चालू होता है तो लिन लिथ गो इंडिया में वॉइस रय होता है और लिन लिथ गो जो है इंडिया का या फिर जो ब्रिटिशर्स हैं वह इंडिया यह अनाउंस कर देते हैं कि इंडिया भी सेकंड वर्ल्ड वॉर में हमारे साथ है मतलब अपने आप ही कांग्रेस के कांग्रेस से ना पूछा गया किसी से नहीं पूछा गया और इंडियन पार्टिसिपेशन को भी बोल दिया कि इंडिया भी पार्टिसिपेट कर रहा है सेकंड वर्ल्ड वॉर में इसको लेके इसके विरोध में कांग्रेस ने अपने सभी मिनिस्ट्री से रेजिग्नेशन दे दिया तो आपसे अगर पूछ ले क्यों रिजाइन दिया तो कारण इसका ये है कि बिना किसी के एक तरह से सहमति के अप्रूवल के इंडिया का जो कोऑपरेशन है वो अनाउंस कर दिया गया था सेकंड वर्ल्ड वॉर में कि ब जो इंडिया है वो ब्रिटिश के साइड में है ठीक है जबकि ऐसा कुछ था नहीं इसी व से सारी मिनिस्ट्री से रिजाइन कर दिया और एक चीज यहां पे ध्यान रखना है तो नहीं होगा तो चलो आगे हम लोग इसको देख लेंगे ठीक है तो ये ये ऐसा था और हुआ क्या अब 1940 में इंडियन का कोऑपरेशन लेने के लिए 1940 आते-आते तक ब्रिटिश पे दबाव ब्रिटेन पे दबाव बना कि आप इंडिया का कोऑपरेशन लो क्योंकि कांग्रेस तो आपके खिलाफ है तो इसलिए इन्होंने अगस्त ऑफर लेके आया अगस्त ऑफर में इन्होंने बात कही कि ठीक है जब यह वॉर खत्म हो जाएगा तो हम एक कांस्टीट्यूएंट असेंबली बनाएंगे जिसमें मेनली इंडियंस होंगे मेनली इंडियंस का मतलब है कि हां इंडियंस होंगे लेकिन उसमें और भी अंग्रेज भी होंगे मेनली का मतलब यही हुआ कि सिर्फ इंडियंस नहीं इंडियंस के अलावा भी हो सकते हैं इसको पूरी तरह से रिजेक्ट कर दिया इस इट वाज रिजेक्टेड बाय दी कांग्रेस और इसके रिजेक्शन में लॉन्च किया इंडिविजुअल सत्याग्रह यानी व्यक्तिगत सत्याग्रह लॉन्च हुआ इंडिविजुअल सत्याग्रह इसके अपोज में लॉन्च हुआ कब 1940 में और गांधी जी ने पहला इंडिविजुअल सत्याग्रही चुना था आचार्य विनोबा भावे जी को ठीक है आचार्य विनोबा भावे जिन्होंने पोस्ट इंडिपेंडेंस आजादी के बाद भूदान मूवमेंट भी चलाया था और स्टार्ट किया था उन्होने पोचमपल्ली गांव जो प्रेजेंट डे तेलंगाना में पड़ता है वहां से खैर पहले हमारे थे आचार्य विनोबा भावी और दूसरे थे ही वास द फर्स्ट इंडिविजुअल सत्याग्रही और दूसरे हमारे इंडिविजुअल सत्याग्रही थे जवाहरलाल नेहरू इसमें यह था कि अगर ब्रिटिशर्स ने अरेस्ट नहीं किया तो फिर दिल्ली चलो मूवमेंट हो मतलब दिल्ली चलो कैंपेन यानी कि अगर मान लो जैसे आचार्य विनोबा भावे पहले इं इंडिविजुअल ह तक रही है और इनको अगर अरेस्ट नहीं किया गया तो फिर यह दिल्ली की तरफ मार्च करेंगे बाकी सभी अपने एसोसिएट्स को लेके लेकिन इनको अरेस्ट किया गया उसके बाद जवाहरलाल नेहरू यह सेकंड इंडिविजुअल सत्याग्रही त है इसके बाद आता है क्रिप्स मिशन 1942 में 1942 में इसको डिजाइन करता है स्टेफोर्ड क्रिप्स यह भी रिजेक्ट हो जाता है बिकॉज़ यहां पे इंडियंस को कहा जाता है कि हम आपको डोमिनियन स्टेटस चलो दे देंगे लेकिन कांग्रेस के अकॉर्डिंग डोमिनियन स्टेटस वाज डोर डेड एज डोर नेल यानी कि ये तो हम बहुत पहले मांग रहे थे 1929 में तो अब हमारा गोल पूर्ण स्वराज हो चुका है उससे पहले हुआ करता था डोमिनेंट स्टेटस अब नहीं तो अब तो हमें पूर्ण स्वराज ही चाहिए तो इस वजह से इसको भी रिजेक्ट कर दिया उसके रिजेक्शन में लॉन्च क्या हुआ इसके रिजेक्शन में लॉन्च हुआ क्विट इंडिया मूवमेंट भारत छोड़ो आंदोलन 1942 में इसको अप्रूव किया गया स् क्विट इंडिया मूवमेंट को बाय द कांग्रेस इन इट्स सेशन ऑफ गोवालिया टैंक ठीक है गोवालिया टैंक बॉम्बे में एक सेशन हुआ था ठीक है ये आपका एक बॉम्बे में सेशन हुआ था कांग्रेस का जहां पे क्विट इंडिया मूवमेंट को एक्सेप्ट या फिर एंडोर्स किया गया था कि हां कांग्रेस यह लच करेगी जब यह लच हुआ तो पहले दिन ही मेजर लीडर्स की सबकी अरेस्ट हो गई इसी वजह से इट वाज अ लीडरलेस मूवमेंट ध्यान रखना इसको इट वाज अ लीडरलेस मूवमेंट था ये आपका डिफरेंट जगह से डिफरेंट लोग लीड कर रहे थे जैसे यहां पे इस पर्टिकुलर मूवमेंट में पैरेलल गवर्नमेंट सेटअप होती है ठीक है पैरेलल गवर्नमेंट सेटअप होती है जैसे कि तामल में तामल में से लीड कर रहे थे जातीय सरकार करके एक सेटअप होती है जातीय सरकार ठीक है और प्रति सरकार एक बनती है आपकी य सतारा वाला जो रीजन होता है वहा पर प्रति सरकार का गठन होता है ठीक जातीय सरकार और प्रति सरकार बलिया से चिटू पांडे लीड कर रहे थे ठीक है से चिटू पांडे जी लीड कर रहे थे उषा मेहता ने अपना एक अंडरग्राउंड रेडियो चला रखा था ठीक है उषा मेहता ने जो उषा मेहता जी थी उन्होंने एक अपनी रेडियो सर्विस अंडरग्राउंड रेडियो चला रखा था ठीक है क्योंकि मेजर जो लीडर्स थे जैसे गांधीजी हो ग जवाहरलाल नेहरू सब अरेस्ट हो चुके थे तो इस वजह से इन्हीं लोगों को ही वो सारा कुछ करना पड़ रहा था पैरेलल गवर्नमेंट के बारे में मैंने आपको बता दिया है अभी आते हैं व्हाट इज सीआर फार्मूला तो सी राजगोपाला आचार जी ने अपना एक फार्मूला दिया 1944 में इस फॉर्मूला के अकॉर्डिंग यह फॉर्मूला यह बोला था कि कैसे कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच में कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच में एक संगठन हो सकता है क्यों क्योंकि दोनों अब और दोनों के बीच में और स्ट्राइफ बढ़ता जा रहा था क्योंकि जो मुस्लिम लीग थी उसकी सिर्फ एक ही डिमांड थी एंड दैट वाज कि हमें एक सेपरेट देश चाहिए अलग नेशन चाहिए इसीलिए उसने क्रिप्स मिशन का भी विरोध किया बिकॉज उसको यह लगा था कि अगर अगर ऐसा हो गया क्या हो गया कि अगर यह लोग मान लो कि चले गए एकदम से ब्रिटिशर्स छोड़ के इंडिया को तो तो फिर हमें हिंदू उस के अंडर रहना पड़ेगा ऐसा जिन्ना लोग का मतलब ऐसा लोग को भड़का रखा था ठीक है कि हमें अंडर में रहना होगा इसीलिए हमें विरोध करना होगा हमें प्रोटेस्ट करना होगा ऐसी कुछ मांगे लोग कर रहे थे और कांग्रेस ने क्यों रिजेक्ट किया था मैंने आपको बता दिया बिकॉज इसने डोमिनियन स्टेटस दिया था और यह बोला था कि जो प्रोविंसेस मतलब इंडिया में नहीं सम्मिलित होना चाहती तो अपना अलग से भी हमारे साथ उसमें आ सकती हैं हमारे साथ उसमें टॉक्स में आ सक सते और अलग से वो बन सकते हैं तो यह भी एक था कि हमें एक यूनाइटेड इंडिया चाहिए था ठीक तो कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच में एक संबंध अच्छे बनाने के लिए सीआर फॉर्मूला आया जिसको गांधी जी ने सपोर्ट किया बट फेल हो गया ऐसे देसाई लियाकत पैक्ट भी आया वो भी फेल हो गया फिर ठीक है यह भी आपका 1944 में आया देसाई जी और लियाकत लियाकत अली जो ब्रिटेन का सॉरी प्रधानमंत्री का पहला सॉरी प्रधानमंत्री बोल रहा हूं पाकिस्तान का पहला प्रधानमंत्री बनता है लियाकत और जो हमारे देसाई जी थे दोनों लोग के बीच में पैक्ट साइन होता है लेकिन ये भी उतना ज्यादा कोई खास काम आया नहीं देन वेवेल उस समय वॉइस रॉय था इंडिया का जब ये अगस्त ऑफर आया जब ये हमारा क्विट इंडिया मूवमेंट चल रहा था तो लिन लिथ को था लेकिन जब यह वेवल उस समय वॉइस रया था 1945 के टाइम पे 1945 ने उसने क्या किया उसने सभी लीडर्स को जेल से निकलवाया और सभी को शिमला में बुलवाया शिमला में बुलवाया सभी को जेल से निकलवा के और इसने कुछ अपने प्रोविजंस दिए कि इस इस तरह से जैसे कि सारे इंडियंस होंगे जो भी पूरे मतलब उसमें सारे इंडियंस होंगे एक्सेप्ट दी गवर्नर जनरल और जो आपका कमांडर इन चीफ है उसको छोड़ के सभी लोग अब इंडियंस होंगे मतलब ऐसी सारी उसने डिमांड रखी ताकि भाई इंडियंस का कोऑपरेशन सी किया जा सके कारण इसका यह है कि भले सेकंड वर्ल्ड वॉर एक तरह से एंड में आ चुका था बट यहां जो जापान था वो एक थ्रेट था जापान वाज अ थ्रेट टू दी ब्रिटिशर्स बिकॉज़ जापान इसको ये लग रहा था कि जापान ने यहां से अटैक कर दिया तो फिर हमें दिक्कत हो जाएगी इसलिए इंडियंस का सपोर्ट लेना जरूरी है तो इसलिए वेवेल ने सभी को जेल से छुड़वाया और शिमला में मिलवाया इन द ईयर 1945 लेकिन यह भी फेल हो गया और यह भी रिजेक्ट कर दिया और इसके बाद थोड़ा सा इंडियन नेशनल आर्मी के के बारे में पढ़ लेते हैं देन आई ट्रायल्स एंड देन कैबिनेट मिशन प्लान तो इंडियन नेशनल आर्मी एक आर्मी का गठन हुआ एक प्रिजनर्स ऑफ वॉर्स प्रिजनर्स ऑफ वॉर्स का मतलब क्या होता है जब सेकंड वर्ल्ड वॉर चल रहा था तो इंडियन सोल्जर्स भी लड़ रहे थे ब्रिटिश की तरफ से मजबूरन ल लड़ना पड़ रहा था जापान जो है ब्रिटिश के खिलाफ था ठीक है तो इस वजह से कुछ सोल्जर्स को यहां पर भे भेजा जाता था जापान में और यहां पर जब जापान में भेजा जाता था तो जापान वाले बंदी बना लेते थे सोल्जर्स को उन सोल्जर्स को बोलते हैं प्रिजनर्स ऑफ वर्स कैप्टन मोहन सिंह जी ने यह आग्रह किया कैप्टन मोहन सिंह जी ने यह आग्रह किया जापानीज से कि आप हमें यह प्रिजनर्स ऑफ वर्स दो जो हम इंडियस क्योंकि हम खुद परेशान हो चुके ब्रिटिशर्स से और हम खुद बि ब्रिटिश के लड़ रहे हैं वो तो मजबूरी में हमें लड़ना पड़ रहा है बस ठीक है तो आप हमें बिजनस ऑफ आप हमें कुछ प्रिजनर्स ऑफ वॉस दो जिससे कि हम पार्टी का गठन करें और उसको हम यूज करेंगे अगेंस्ट द ब्रिटिशर्स तो यह पार्टी का गठन किया जाता है इन द ईयर 1942 1942 में बाय दी कैप्टन मोहन सिंह बट आगे मोहन सिंह और जापानीज के बीच में स्ट्राइफ बढ़ जाते है मोहन सिंह बोलते हैं और इसको हम बड़ा करना है जापानीज बोलते हैं इतना ही हम देंगे दे पाएंगे इतना ही रखना है तो उसको लेके फिर मोहन सिंह को जेल में डाल दिया जाता है फिर इसको और आगे लीड करते हैं बिहारी बोस कौन लीड करते हैं रास बिहारी बोस जिसको दिन लीड करते हैं ए देन इसके बाद यह कमान चली जाती है सुभाष चंद्र बोस जी के हाथ में नके पॉलिटिकल गुरु कौन थे ज बताइए इनके पॉलिटिकल गुरु कौन थे तो इन्होंने इसको लीड किया और इसमें एक मेमन विंग भी बनाया जिसका नाम रानी लक्ष्मीबाई जी पर रखा ठीक है नी रानी लक्ष्मीबाई रेजीमेंट नाम से एक रेजीमेंट बनाई इस आईन में ठीक है चितरंजन दास ठीक है ध्यान रखना चितरंजन जो दास थे वो इनके गुरु थे किसके पॉलिटिकल गुरु थे सुभाष चंद्र बोस जी के सुभाष चंद्र बोस जी के कुछ टाइटल आपको पता होना चाहिए जैसे कि नेताजी इनका टाइटल था किसने दिया था गांधी जी ने दिया था और जो गांधी जी का जो टाइटल था फादर ऑफ द नेशन फादर ऑफ नेशन वह सुभाष चंद्र बोस ने दिया था इनको रंगून में एक रेडियो संबोधन कर रहे थे उस समय में भले दोनों लोगों में डिफरेंसेस थे आइजल डिफरेंसेस बट एक दूसरे के रिस्पेक्ट रिस्पेक्ट करते थे लोग ठीक है सुभाष चंद्र बोस जी ने नारे दिए जैसे कि जय हिंद दिल्ली चलो तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा या गिव मी ब्लड आई शल गिव यू फ्रीडम ठीक है और इन्होंने बोला कि फ्रीडम शल बी टेकन नॉट गिवन यानी कि जो आजादी है वो छीनी जाती है ठीक है किसी से मांगी नहीं जाती है ऐसा सुभाष चंद्र बोस जी का कहना था ठीक है इन्होंने हिटलर के साथ भी मुलाकात की अपना एक नाम ऑरलैंडो मोजा रख के ठीक है ऑरलैंडो अगर आपसे पूछ ले इनका नाम क्या था जर्मनी में तो ऑरलैंडो मोजता ठीक है मोटा यह का नाम था ज जर्मनी में और जब इन्होंने हिटलर से मुलाकात की तो इसी नाम का यूज करके इन्होंने मुलाकात की उससे ठीक है तो इंडियन नेशनल आर्मी के बारे में ये चीजें हैं देन आईने पहले यह बताइए यहां तक सभी को क्लियर किसी को कोई दिक्कत तो नहीं है किसी को कोई डाउट तो नहीं यहां तक चलिए ओके ठीक है नहीं ओके चलिए तो जो आईन थी इंडियन नेशनल आर्मी अब क्योंकि अ जैसे जैसे टाइम आगे बढ़ रहा था ब्रिटिशर्स की जो पोजीशन है वो थोड़ी सी स्टेबल हो रही थी सेकंड वर्ल्ड वॉर में और धीरे-धीरे जापान जो है हमें पता है रोशमा नागासाकी की बॉम्बिनो में आ गया था पूरी तरह से मतलब जापान को एकदम घुटनों तोले ला दिया था तो अब यहां पर हो क्या रहा था जिन भी जो भी आईएएनए के सब थे इंडियन नेशनल आर्मी के सोल्जर्स इनके खिलाफ अब कारवाई शुरू की करी गई और सबसे पहले जो कारवाई करी गई इसका सिलसिला चालू हुआ वह सिलसिला चालू किया गया रेडफोर्ट से लाल किले से जहां पर आने ट्रायल्स स्टार्ट किए जाए और सबसे पहले तीन जो जो ट्रायल किए गए वह तीन सैनिक थे हमारे उनका नाम था शहनवाज खान ठीक है नवाज खान प्रेम सहगल और गुर भक्ष सिंह ठीक है गुरब सिंह ढिल्लन इनका नाम था इन तीनों लोगों के खिलाफ ट्रायल चले रेडफोर्ट में और क्योंकि आप एक चीज यहां पर देखेंगे मुस्लिम हिंदू और सिख तो काफी ज्यादा यूनिटी देखने को मिली यहां तक कि कांग्रेस और मुस्लिम लीग दोनों ने अपने-अपने एक तरह से एडवोकेट हम बोल सकते हैं कि इनकी एडवोकेसी करी और इनको बचाने में क्योंकि पूरा इंडिया भी यूनाइट कर चुका था क्योंकि अब पता चल गया था ब्रिटिशर्स को भी कि अब यहां से जाने का वक्त आ गया अब ज्यादा दिन तक यहां पे रूल कर नहीं पाएंगे इसलिए हुआ यह कि जो कांग्रेस और मुस्लिम लीग और पूरे देश ने सपोर्ट दिखाया जिसकी वजह से इनको रिलीज कर दिया गया लिब्रेट कर दिया गया और जो ट्रायल्स होने थे वो देन नहीं हुए और जो अगर अगर ऐसा ना होता ठीक है और अगर यह मान लेते हैं सिचुएशन चल रही होती 1930 के टाइम की तो आप जानते हैं इनके साथ क्या ही होता है ना इन तीनों लोगों को फांसी की सजा होती लेकिन ऐसा नहीं हुआ बिकॉज ब्रिटिशर्स को भी पता था कि अब यहां से हमारा जाने का वक्त आ चुका है इसलिए ठीक है अब बढ़ते हैं कैबिनेट मिशन प्लान की तरफ दिस कैबिनेट मिशन प्लान केम इन 1946 एंड 1946 में आया था जिसके बारे हम लोग पॉलिटी में पहले ही पढ़ चुके हैं कि इसमें तीन मेंबर्ड कमीशन था एक तो एवी अलेक्जेंडर थे ठीक है एवी अलेक्जेंडर स्टेफोर्ड क्रिप्स स्टेफोर्ड क्रिप्स एंड पथिक लॉरेंस पथिक लॉरेंस इसमें चेयरमैन थे और इन्होंने इसको इसकी चेयरमैनशिप करी थी ठीक है इस कैबिनेट मिशन प्लान की की और इसमें ग्रुपिंग ऑफ प्रविश का प्रोविजन था ठीक है कि जो प्रोविंसेस इनकी ग्रुपिंग करी जाएगी और इसीलिए जो मुस्लिम लीग ने मुस्लिम लीग है उसने उसका सपोर्ट किया कैबिनेट मिशन प्लान का बिकॉज उसको लगा कि जब प्रोविंस की ग्रुपिंग करी जाएगी तो हम अपना जो पाकिस्तान है सेपरेट पाकिस्तान उसको अलग से आराम से निकाल लेंगे और साथ ही साथ तो इसलिए जो मुस्लिम लीग है उसने इनिशियली तो अपोज किया था लेकिन बाद में सपोर्ट किया और कांग्रेस जो कांग्रेस ने उसने भी इसका सपोर्ट किया बाद में और बिकॉज पहले क्या था ग्रुपिंग जो है कंपलसरी नहीं थी ठीक है बट बाद में इसको कंपलसरी जब यह पता चला मुस्लिम लीग को कि कंपलसरी नहीं है तो उसने फिर डायरेक्ट एक्शन डे ऑब्जर्व करने की बात कही ठीक है डायरेक्ट एक्शन डे जरा बताइए डायरेक्ट एक्शन डे कब ऑब्जर्व किया गया और जो हमारी कंटेंट संविधान सभा है जिसने कि हमारे कंट्री के कांस्टिट्यूशन को बनाया था वो इसी कैबिनेट मिशन प्लान के तहत ही बनी थी ठीक और यहां पर होती है हमारी चीजें खत्म अब हम स्टार्ट करेंगे सोशो रिलीजियस रिफॉर्म मूवमेंट जो कि हमारा आखिरी टॉपिक है आज का और जो इक्का दुक्का चीज जो बची है बीच में व हम लोग लास्ट में देख लेंगे ठीक है अगर ब्रेक लेना है तो थोड़ा सा ब्रेक ले सकते हैं है ना एक दो मिनट का देन फिर आते हैं बाकी इसका आंसर क्या होगा आपका 16 अगस्त 1946 सभी लोगों ने सही आंसर दिया ठीक है ब्रेक ले सकते हैं एक से दो मिनट का ज्यादा लंबा ब्रेक नहीं होगा बिकॉज अब एक ही टॉपिक बचा हैट इ सोशल रिफॉर्म मूवमेंट तो कोई बहुत अब लंबा सेशन नहीं है मात्र आधे घंटे से ज्यादा का तो बिल्कुल नहीं है मैक्स आधे घंटे बता रहा हूं आपको ठीक है तो ब्रेक ले लीजिए एक दो मिनट का जिसको जो करना है वो कर सकता [संगीत] है ब चलिए उम्मीद करता हूं मेरी पप आ रही होगी सभी तक चलिए तो स्टार्ट करते हैं अी सोशल रिलीजस रिफॉर्म मूवमेंट्स और सबसे पहले देखते हैं ब्रह्मो समाज ठीक है तो ये है क्या सोश रिलीजस रिफॉर्म मूवमेंट तो हमारे सोसाइटी में काफी ज्यादा एक तरह से बोल रहे थे बोल सकते हैं इल प्रैक्टिसेस हो रही थी जैसे फॉर एग्जांपल सती प्रथा हो गई ठीक है चाइल्ड मैरिज हो गई यह सारे इल प्रैक्टिसेस हो रही थी तो उसको रिफॉर्म लाने के लिए कुछ रिफॉर्म मूवमेंट स्टार्ट हुए थे उनमें से एक था हमारा ब्रह्मो समाज इसको स्टार्ट किया था राजा राम मोहन रॉय ने ठीक है हु स्टार्टेड इट राजा राम मोहन रॉय इससे से पहले इन्होने आत्मीय सभा का भी गठन किया था आत्मीय सभा का भी गठन किया था 1814 में 1814 में इसका इन्होंने गठन किया था 1828 में 1828 में और एक तरह से इन्हीं को हम फादर ऑफ इंडियन रिफॉर्म मूवमेंट या फिर फादर ऑफ इंडियन रेनेसांस के नाम से भी जानते हैं फादर ऑफ इंडियन रेनेसांस राजा राम मोहन राय और ये जो राजा का टाइटल है इनको ये अकबर सेकंड ने दिया था अकबर द्वितीय ने इनको य टाइटल दिया था ठीक राजा राम मोहन राय ने कुछ इंपॉर्टेंट आपके यहां पर जो बुक्स है वो लिखी थी जैसे आपको पता होना चाहिए गिफ्ट टू मोनोथेज्म ठीक है गिफ्ट टू मोनोथेज्म परसेप्ट्स ऑफ जीसस परसेप्ट्स ऑफ जीसस संबद कामदी और मेराल अखबार ठीक है मेरात उल अखबार ज सती प्रथा है हमारे इंडिया से वह जो खत्म हुई उसमें इनका मेन रोल था राजा राम मोहन राय जी का यह सती प्रथा जब खत्म हुई तो उस समय गवर्नर जनरल कौन था इंडिया का यह था विलियम बेंटिक जो इंडिया का पहला गवर्नर जनरल था वास फर्स्ट गवर्नर जनरल ऑफ [संगीत] इंडिया क्लियर अभी जो ब्रह्मो समाज है इसमें भी बाद में हम देखते हैं स्टार्ट हो जाता है क्योंकि जो देवेंद्रनाथ टैगोर हैं ठीक है देवेंद्र नाथ टैगोर उन्होंने अपनी बनाई होती है तत्व बोधिनी सभा वह बनाते हैं तत्व बोधिनी सभा इन द ईयर 1839 1839 में इसके बाद और तत्व बोधनी पत्रिका भी निकालते हैं बंगाली लैंग्वेज में फिर इसको इसके साथ मर्ज कर देते हैं मर्ज करने के साथ-साथ केशव चंद्र सेन की इसमें एंट्री करवाते हैं यही देवेंद्रनाथ टैगोर जी और बाद में इन्हीं से झगड़ा हो जाता है केशव चंद्र सेन के साथ ही ठीक है फिर बाद में यह देवेंद्रनाथ टैगोर अपना आदि ब्रह्मो समाज लेके निकल जाते हैं आदि ब्रह्मो समाज और केशव चंद्र सेन ब्रह्मो समाज ऑफ इंडिया लेके निकल जाते हैं ठीक आते हैं आर्य समाज में आर्य समाज का गठन होता है 18753 5 में बाय दी स्वामी दयानंद सरस्वती जी ठीक है स्वामी दयानंद सरस्वती जी इसका गठन करते हैं इसकी जो मेन फिलॉसफी थी वह वेदास पर बेस्ड थी इसीलिए दन सरस्वती जी ने बोला था गो बैक टू वेदास यानी वेदों की ओर लौटो इंडिया फॉर इंडियंस इंडिया फॉर इंडियंस यानी कि भारत भारतीयों के लिए और इसके साथ-साथ इन्होंने सत्यार्थ प्रकाश नामक एक पत्रिका भी निकाली सत्यार्थ प्रकाश इस आर्य समाज ने शुद्धि मूवमेंट जिसको कि हम प्यूरीफाइड किया और वेदों की ओर लौटने के लिए बोला और बाद में हम देखते हैं कि आर्य समाज में फिर फर्द जो है डिवीजन हो जाता है बट हमें पढ़ने की जरूरत नहीं है ठीक है स्वामी दयानंद सरस्वति के बारे में पता होना चाहिए कि उन्होंने 18753 इंडिया फॉर इंडियन सत्यार्थ प्रकाशन की एक राइटिंग हम बोल सकते हैं और शुद्धि मूवमेंट या फिर [संगीत] एम जी रानाडे भी इसमें आपके इवॉल्व थे यह भी आपका एक रिफॉर्म मूवमेंट था जैसे कि जो ब्रह्मो समाज था उसका जो मेन जो कोर फिलॉसफी था वो यह था कि मोनोथेज्म यानी कि सिर्फ एक गॉड की वशिप करनी है आइडल वशिप के खिलाफ थे यानी कि जो मूर्ति पूजन होता उसके खिलाफ थे ठीक है यह चीजों पर प्रार्थना समाज भी बिलीव करता था जो 186 में बनता है भाई आत्माराम पांडुरंग परमहंस मंडली बनती है 1849 में 1849 में बा दादो बा पांडुरंग कब बनता है किसने कौन बनाता है यह चीज आपको पता होना चाहिए दादो बा पांडुरंग ने बनवाया किसको परमहंस मंडली को फिर आते हैं रामकृष्ण मूवमेंट यह बनता है 18974 में इसके जो फाउंडर थे व व थे स्वामी विवेकानंद जी ठीक है स्वामी विवेकानंद जी जो है इसके फाउंडर थे अपने गुरु रामकृष्ण परम हस जी के नाम पर इन्होंने राम कृष्ण परमहंस जी के नाम पर की स्थापना करी राम कृष्ण परमहंस जी का बचपन का नाम क्या था जरा बताइए और स्वामी विवेकानंद जी के बचपन का नाम क्या था तो स्वामी विवेकानंद जी के बचपन का नाम था नरेंद्रनाथ दत्ता ठीक है नरेंद्रनाथ दत्ता इनका मूल नाम था एक ओरिजिनल नेम था और परमहंस रामकृष्ण परमहंस जी का था गगा सॉरी गंगाधर चटो गदाधर गदाधर सॉरी गदाधर चटो पाध्ए इसी तरह जो हमारे आर्य समाज के संस्थापक थे जिनका नाम था दनन सरस्वती इनका जो मूल नाम था जो ओरिजिनल नेम था वो था मूल शंकर ठीक है मूल शंकर इनका मूल नाम था ध्यान रखिएगा ठीक स्वामी विवेकानंद जी रॉक इनका एक रॉक मेमोरियल है वो कहां पे यह बताइए इनका जो बर्थ जिसको हम 12थ जनवरी को किस रूप में मनाते हैं और इनकी डेथ कब हुई थी इनकी डेथ कब हुई थी यह आपको बताना है और आप यह बताना कि शिकागो ठीक है शिकागो में जो कॉन्फ्रेंस हुई थी वो कब हुई थी जो शिकागो में कॉन्फ्रेंस हुई थी जिसको इन्होंने एड्रेस किया था टू ऑल दी सिस्टर्स एंड ब्रदर्स ऑफ अमेरिका वो कब हुआ था तो अगर हम बात करें 12 जनवरी 12 जनवरी में सेलिब्रेट करते हैं राष्ट्रीय युवा दिवस डेथ इनकी हुई थी 4 जुलाई 1902 को 4थ जुलाई 1902 को रॉक जो मेमोरियल इनके नाम पे तमिलनाडु बिकॉज वहां प इन्होंने उस रॉक में बैठ के मेडिटेटर शिकागो में जो कॉन्फ्रेंस हुई थी वो 1893 में हुई थी और इनका 39 की एज में इनका देहांत हुआ था स्वामी विवेकानंद जी का ठीक है और इन्होंने इनके कुछ बुक्स हैं राजयोग और कर्मयोग ठीक है राजयोग कर्मयोग इनके कुछ बुक्स का नाम है लोकहितवादी यह कोई संस्था का नाम नहीं है यह एक पेन नेम है एक शॉर्ट नेम है किसका शॉर्ट नेम है गोपाल गणेश आगरकर नाम याद रखिए गोपाल गणेश आगरकर जी का यह पेन नेम है देव समाज इसकी स्थापना किसने करी तो देव समाज की स्थापना करी शिव नारायण अग्निहोत्री जी ने ठीक है शिव नारायण अग्निहोत्री जी ने देव समाज की स्थापना करी अग्नि होत्री बस आपको इसमें इतना याद रखना है कब करी वो जरूरी नहीं है वैसे करी तो इन्होने 1887x क्वार्टर था ध्यान रखना और आप में से काफी लोग होंगे जो आर्य समाज से जुड़े भी होंगे है ना तो देव समाज हो गया सेवा सदन सेवा सदन नॉट दैट मच इंपॉर्टेंट बट इसमें यह पता होना चाहिए कौन इसके फाउंडर तो सेवा सदन बीएम मालाबारी ठीक है किसने बी एम मालाबारी इनका नाम था ठीक है बी एम मालाबारी बहराम जी मालाबारी जो बीएम मालाबारी थे बहराम जी माला सॉरी बहराम जी एम मालाबारी थे इन्होंने चाइल्ड मैरिज के लिए काफी काम किया ध्यान रखना ठीक है चाइल्ड मैरिज जैसे हमारा विडो री मैरिज के लिए ईश्वर चंद्र विद्यासागर को जाना जाता है विडो रिमर्ज के लिए ईश्वर चंद्र विद्यासागर ने जो विडो री मैरिज एक्ट पास हुआ था एक एक्ट पास हुआ था डल हाउजी के टाइम पे [संगीत] डरी मैरिज एक्ट 184 में पास हुआ लजी के टाइम प बट मेन इसमें किसका रोल था ईश्वर चंद्र विद्यासागर का जो कि ईश्वर चंद्र विद्यासागर आपके ब्लेंड ऑफ मतलब देखो दो तरह के मूवमेंट हुए रिफॉर्मिंग का मतलब है कि जो चीज कुरीतिया है सिस्टम में हमारे सोसाइटी में उनको खत्म करना रिवाइवलिस्ट का मतलब है जो पहले से चीज हमारी चलती चली आ रही है उनको फिर से रिवाइव करना जैसे गो बैक टू वेदास तो यह ईश्वरचंद्र विद्यासागर दोनों बिलीव करते थे ब्लेंड ऑफ इंडिया मतलब ब ब्लेंड ऑफ बोल सकते हैं कि जो हमारी नेटिव चीजें थी और वेस्टर्नाइजेशन दोनों के ब्लेंड बिलीव करते थे ये ठीक है और चाइल्ड मैरिज जो है बीएम माला बारी जी के जो है कर कमलो से हम बोल सकते हैं खत्म हुई फिर अगर आगे अगर हम बढ़े टेंपल एंट्री मूवमेंट तो जैसे अभी हमने पढ़ा था सेल्फ रिस्पेक्ट मूवमेंट स्टार्ट हुआ था ईवी रामा स्वामी नायकर हमने कब पढ़ा था जब नॉन कोऑपरेशन मूवमेंट पढ़ रहे थे यानी कि 1920 के टाइम पे ईवी रामा स्वामी नायकर जिनको कि पेरियार के नाम से जाना जाता है केरल में उन्होंने वो स्टार्ट किया था ऐसे ही टेंपल एंट्री मूवमेंट चला चलाया गया टी के माधवन जी के द्वारा ठीक है टी के माधवन और भी थे जैसे श्री नारायण गुरु यह नाम भी आपको पता होना चाहिए ठीक है श्री नारायण गुरु और एक और थे एन कुमारसन लेकिन वो पता जरूरी नहीं बस आप दो नाम याद रखो श्री नारायण गुरु ठीक है और टी के माधवन अब टेंपल एंट्री मूवमेंट का मतलब क्या है कि टेंपल में एंट्री नहीं दी जाती थी जो अ दलित वर्ग होता था उसको तो उसके लिए यह था जो टीके माधवन और श्री नारायण गुरु ने चलाया था और इसी के टाइम पर 1924 के टाइम पर ही वैकम सत्याग्रह भी चलाया था केपी केशव ने ठीक है वैकम सत्याग्रह चलाया था किसने केपी केशव ने क्लियर आगे बढ़े और है हमारा अगला इंडियन सोशल कॉन्फ्रेंस इंडियन सोशल कॉन्फ्रेंस ये बनी थी 1887x इसके फाउंडर थे एमजी रानाडे एंड रघुनाथ राव इन्होंने प्लेज मूवमेंट चलाया था प्लेज मूवमेंट कि सभी लोग प्लेज लेंगे किसके खिलाफ अगेंस्ट चाइल्ड मैरिज प्लेज मूवमेंट अगेंस्ट चाइल्ड मैरिज ठीक और आखरी तो नहीं है पता नहीं देखते हैं आगे है कि नहीं थियोसोफिकल मूवमेंट एच प मैडम एच पी बलाव की ठीक है एच प ब्लावास की और एम एस ओलकॉट ठीक है एंड एम एस ऑल कट ने चलाया था आपका थियोसॉफिकल मूवमेंट और एक और याद रखना यंग बंगाल मूवमेंट ठीक है यंग बंगाल मूवमेंट यह जरा बताइए किसने चलाया था यंग बंगाल मूवमेंट और इसमें याद रखना थियोसॉफिकल मूवमेंट में एचपी ब्लाकी और एम एस लकड जी ने पहले तो इसका जो हेड क्वार्टर था वो लॉस एंजलिस में था ठीक है बट बाद में इसको इंडिया में शिफ्ट किया गया और इसका हेड क्वार्टर बनाया गया मद्रास का जो अडर था ठीक है वहां पर इसका हेड क्वार्टर शिफ्ट किया गया और देन इसको लीड किया था एनी बेस जी ने ठीक है मडर अडर मद्रास में ठीक है अडर मद्रास यानी पहले तो इसको बनाया गया कहां पर विदेश में जो कि पूरी तरह से हिंदू फिलोसोफी पर बेस था ये जो आपका थियोसोफिकल मूवमेंट था बट बाद में इसको शिफ्ट किया गया इसके हेड क्वार्टर को कहां पर इसको हेड क्वार्टर को शिफ्ट किया गया आपका मद्रास में और यहां पे हेड क्वार्टर नोट कर लेना जरा कहां पे हम इसमें इस यहां पे इसका हेड क्वार्टर क्या था बेलूर मट था ध्यान रखना ठीक है बैलूर मट हेड क्वार्टर था किसका जो हमारा राम कृष्ण मूवमेंट था उसका क्लियर और अगर बात करें यहां पर मैंने पूछा था यंग बंगाल मूवमेंट तो यह हेनरी विवियन डरोज ने चलाया था बस इतना इसमें पता होना चाहिए लीडर कौन थे बात खत्म ठीक और कुछ और कुछ और कुछ नहीं अभी हम कुछ और एक्स्ट्रा चीजें देख लेते हैं जैसे कि कुछ आपके एजुकेशन कमीशन आए थे उनको देख लेते थोड़ा सा य व भी इंपोर्टेंट है आप एग्जाम पर्सपेक्टिव से सबसे पहले तो आया था मैकुले मिनट ठीक है मैकुले बस य आपका लास्ट ही है मैलेज मिनट आया था 1813 में 1813 में यह जो मैकुले मिनट था इसमें यह था कि प्रमोट किया जाएगा प्रमोट इंग्लिश लैंग्वेज टू प्रमोट इंग्लिश लैंग्वेज सिर्फ इंग्लिश को प्रेफर किया जाएगा हायर लेवल में पढ़ाने के लिए ठीक है और सिर्फ हायर लेवल के जो लोग हैं उन्हीं को पढ़ाया जाएगा जो रिज क्लास है और इसमें डाउन वर्ड फिल्ट्रेशन थ्योरी थी कि वो जो हम उन लोगों को पढ़ाएंगे वो धीरे-धीरे धीरे धीरे धीरे धीरे परकलेट कर जाएगा नीचे की तरफ भी यानी कि जैसे कि फॉर एग्जांपल अगर आप ये ऊपर वाला तबका ऑफ सोसाइटी ये नीचे वाला येय और नीचे वाला है तो आप इसको पढ़ा दो धीरे-धीरे धीरे धीरे-धीरे यह लोग बाकी लोगों को भी एजुकेट कर देंगे ट्यूशन पढ़ा पढ़ा है ना तो डाउन वर्ड फिल्ट्रेशन थ्योरी का यहां पे कांसेप्ट दिया गया था किसके द्वारा मैलेज मिनट और यह एक तरह से पूरी तरह से इंग्लिश लैंग्वेज को प्रमोट करने की बात कह रहा था कौन मैकुले ज मिनट बट इसके अपोजिशन में आया वुड्स डिस्पैच वुड्स डिस्पैच इन दी ईयर 18544 वुड्स डिस्पैच आता है डाउन वर्ड फिल्ट्रेशन थ्योरी इसने यह बोला कि वर्नाकुलर को प्रमोट करो लोअर लेवल में ठीक है आप अपर लेवल में कर लो इंग्लिश को लेकिन वर्नाकुलर यानी कि जो लोकल लैंग्वेज है उसको प्रमोट करो और इसी से वुड्स डिस्पैच को मैग्ना काटा ऑफ इंडियन एजुकेशन सिस्टम कहा जाता है ठीक है मैगना कार्ट ऑफ इंडियन एजुकेशन सिस्टम कहा जाता है य पर मैं दो और स्लाइड क्रिएट करना चाहूंगा ठीक है कुछ और चीज आपको बतानी है मैगना काटा हो गया वनकल हो गया ट्स डिस्पैच हो गया और एक ध्यान रखना जैसे अभी हम लोगों ने एक पढ़ा था कि जब खिलाफत मूवमेंट हुआ था यह सेक जब जलिया वाला बाग मेंसर हुआ था उसके बाद एक कमेटी का गठन हुआ था वह कमेटी का नाम था हंटर कमेटी है ना जो जलिया वाला बाग र जलिया वाला बाग रंगस को देखने के लिए बनी थी एक ऐसे हंटर कमीशन आया था लॉर्ड रिपन के टाइम पर ठीक है एक सेकंड रिपन के टाइम पर ही एक हंटर कमीशन आया था ध्यान रखना रिपन जी के टाइम पर ही एक आपका हंटर का हंटर कमीशन आया था वोह भी एजुकेशन से संबंधित था और इसने वुड्स डिस्पैच में जो चीजें कही गई थी उसको पूरी तरह से सहमति उसमें दर्ज कराई थी अपनी और एक सैडलर कमीशन भी था जो यूनिवर्सिटी कमीशन जिसको बोलते हैं यूनिवर्सिटी एजुकेशन को लेकर बना था रिपन को हम फादर ऑफ लोकल सेल्फ गवर्नमेंट के नाम से जानते हैं फादर ऑफ लोकल सेल्फ गवर्नमेंट रिपन ने वर्नाकुलर प्रेस एक्ट को रिपील किया था 18828 अधिनियम था इसको लेके आया था 1798 में सॉरी 1798 बोल रहा हूं 18 78 में ठीक है 18788 के टाइम पे हंटर एजुकेशन भी आ था और फादर ऑफ लोकल सेल्फ गवर्नमेंट बोलते हैं बिकॉज हुआ था वो रिपन जी के टाइम पर ही हुआ था ठीक अच्छा यह बताइए कि जो हिंदू कॉलेज है हिंदू कॉलेज हिंदू कॉलेज इन बनारस कब सेटअप हुआ था हिंदू कॉलेज एट बनारस आपको बताना है कब सेटअप हुआ था तो यह सेट अप हुआ था 1791 में 1791 में बनारस में और किसने सेटअप किया था इसको मीन फाउंडर कौन था बनारस की अगर हम बात करें तो जोनाथन डंकन ठीक है इसने इसको एस्टेब्लिश किया था संस्कृत कॉलेज के साथ-साथ और यहां पर एक और क्वेश्चन बनता रुको जरा हिंदू कॉलेज एट बनारस हो गया यह बताओ कि हां वही मैं सोच रहा था ू कॉलेज एट कोलकाता किसने सेट अप किया था हु स्टब्ड हिंदू कॉलेज एट कोलकाता हिंदू कॉलेज एट और इसमें ध्यान रखना बनारस वाले में आपकी एनी बेसन जी भी थी इवॉल्व ठीक है एनी बसंत ठीक है मदन मोहन मालवीय यह लोग भी इसमें इवॉल्व थे ठीक है जोनाथन डंकन इसमें प्लस जो आपका संस्कृत कॉलेज एस्टेब्लिश हुआ था उसमें भी इवॉल्व था ठीक है संस्कृत कॉलेज में हिंदू कॉलेज अगर कोलका बात करें तो इसमें राजा राम मोहन रॉय जी मेन फाउंडर थे ठीक है राजा राम मोहन रॉय यह चीज ध्यान रखिएगा ठीक है और यह कब बना था 1817 में 1817 में यह बना था जो हिंदू कॉलेज हैट कलका ठीक राजा राम मोहन राय इसके मेन फाउंडर थे जिनको कि हम फादर ऑफ मॉडर्न इंडिया या फिर फादर ऑफ इंडियन रेनेसांस के नाम से भी जानते हैं ठीक और कुछ क्वेश्चन और कुछ तो नहीं छूट रहा है सारी चीजें हो गई चलिए किसी कोई डाउट हो तो पूछ सकता है यहां पर हम लोग का सेशन होता है खत्म पोर्टफोलियो 186 य हम लोग पॉलिटी में देख चुके हैं ना इसी यहां मैंने एक्ट नहीं करवाया जैसे 186 का जो पो बिल्कुल पोर्टफोलियो सिस्टम इंट्रोड्यूस हुआ था ऑर्डिनेंस जो मेकिंग पावर है गवर्नर जनरल को दिया गया था ठीक है और यहां पर जो डिसेंट्रलाइजेशन है वो स्टार्ट हुआ था क्या चीज अच्छा यहां पर मैंने वो 1791 लिख दिया क्या एक सेकंड सेकंड 91 उसका है जोनाथन डंकन का संस्कृत कॉलेज का यहां पर को करेक्ट कर लो ठीक है हिंदू कॉलेज बनारस इसको यहां पर कर लो ठीक यहां पर इसको अलग से से यहां पर आप नोट कर लो यह तकरीबन 18 98 के टाइम पर इन्होंने इसकी स्थापना करी थी हिंदू कॉलेज बनारस की ठीक है विद अलोंग विद पंडित मदन मोहन मालवी डाउट इल्बर्ट बिल बिल्कुल इल्बर्ट बिल यह रिपन के टाइम पर हुई थी अल्बर्ट बिल कंट्रोवर्सी और अल्बर्ट बिल जो कंट्रोवर्सी थी वह एक्चुअल में अगर हम देखें तो इमीडिएट रीजन था यह फॉर्मेशन ऑफ कांग्रेस का ठीक है अच्छा ज्योति बा फूल वही मैं सोच रहा हूं इतनी देर से कुछ एक तो छूट रहा है ठीक है इसको यहां से मैं हटा देता हूं ठीक है और ज्योतिबा फूले का एक सेकंड सत्यशोधक समाज की हम लोग ने चर्चा नहीं करी ठीक है सत्य शोधक समाज इसके फाउंडर थे ज्योतिबा फूले कौन थे ज्योतिबा फूले इसके फाउंडर थे इनकी वाइफ थी सावित्रीबाई फूले जिनको और यह गार्डनर कम्युनिटी या फिर माली कम्युनिटी से बिलोंग करते थे पूछा जा सकता है एक बार पूछा गया था आपसे एसएससी में और इनकी सावित्रीबाई फुले जो इनकी वाइफ थी वो पहली इनको पहली मेमन टीचर के नाम से जानी जाती हैं इन्होंने गुलामगिरी और गुलामगिरी और सार्वजनिक सत्य धर्म नामक दो पुस्तकें लिखी सार्वजनिक सत्य धर्म और इससे मुझे एक चीज और याद आई दैट इज कि एक चीज मैं आपको बताना भूल गया था कि व 1890 के टाइम पर ही 1890 के टाइम पर ही बाल गंगाधर तिलक जी ने दो न्यूजपेपर्स निकाले थे आपके एक था आपका मराठा ठीक है मराठा और दूसरा था मराठा एंड केसरी जो मराठा था व आपका इंग्लिश लैंग्वेज में था और जो केसरी था व आपका मराठी लैंग्वेज में था ठीक है और किसी का कुछ डाउट देख लेते हैं कार्नेटिक वस कार्नेटिक वस इंपोर्टेंट है नहीं उतना इसलिए पढ़ाया नहीं उसको ठीक है पढ़ाने की तो बहुत सारी चीजें हैं लेकिन जिससे जो क्वेश्चन आते हैं वही मैंने सिर्फ लास्ट के टाइम में बताई है लेकिन क्योंकि एंट भी है मिडिवल भी है सारी चीजें आपके लिए ठीक है तो चलो बता देता हूं अगर आपको जानना है कार्नेटिक वर्स के बारे में तो जो कार्नेटिक वर्स है ना एंगलो कार्नेटिक व जो कार्नेटिक रीजन है वहां पर हुआ था जो फर्स्ट कार्नेटिक वॉर है ठीक है फर्स्ट जो कार्नेटिक वॉर है दैट वो 1700 40 से लेकर 48 के बीच में हुआ ठीक है यह चीज आपको ध्यान रखनी है और यह नवाब ऑफ जो कार्नेटिक उस समय थे उनके और यहां पर पता है था क्या कि फ्रेंच का थोड़ा सा इवॉल्वमेंट था और जो ऑस्ट्रिया में जो वॉर ऑफ सेक्शन सक्सेशन चल रहा था सेवन इयर्स वॉर उसके वो भी एक हम बोल सकते हैं प्रीलूड था इन बैटल्स के लिए ठीक है वह भी जो बैटल यहां पर हो रहे थे वह एंग्लो फ्रेंच राइ वेलरी उसका मेन रीजन था जो सेकंड वाला आपका हुआ ना कार्नेटिक वॉर यह हुआ 1740 से 48 के बीच में पहला हो गया और 1749 से लेकर 54 के बीच में हुआ दूसरा वाला ठीक है और यह एक तरह से जो एंग्लो फ्रेंच रेवलरी थी वो उस जो वहां पर हो रही थी यूरोप में उसका एक एक्सटेंडेड वर्जन था य यहां पर ठीक है सेकंड सॉरी सेकंड एंग्लो कार्नेटिक वॉर ठीक है थर्ड में अगर हम बात करें थर्ड वाला हुआ था आपका ये 1754 के बाद चार साल बाद हुआ था 58 से लेके 1 63 के बीच में ठीक और अगर आपसे पूछ ले इन तीनों वर्स में व्हिच ऑफ द फॉलोइंग वर्स वाज एन एक्सटेंशन ऑफ द सेवन ईयर वॉर्स तो आपका आंसर होगा ये थर्ड वाला था ठीक है जो यूरोप में जो सेवन सात सालों से जो युद्ध चल रहे थे उनको सेवन इयर्स वॉर बोलते हैं तो वो उसका एक्सटेंशन था ठीक है और यहां पे जो ब्रिटिश फोर्सेस थी उसको लीड किया था आयर कूट ने और कूट ने कूट दिया था ठीक है फ्रांसी सियों को ऐसे याद रखना यानी इसमें जीत हुई थी ब्रिटिशर्स की और फ्रांसीसी फोर्स को लीड कर रहा था एक लैली करके कोई था लली आर्थर डी लली करके था वह इनको लीड कर रहा था ठीक है तो तीन आपको ये वर्स पता होने चाहिए फर्स्ट सेकंड थर्ड कब हुए और इनमें से कौन सा सेवन इयर्स वर का एक्सटेंशन था तो थर्ड वाला था इसमें ठीक है सर खाना भी खाना है जल्दी खत्म करो अच्छा खाना भी खाना है जल्दी खत्म करो खा लो जाके खाना भी खत्म हो चुका है अभी बाकी तो जो किसी के डाउट उट और वो है तो वही चल रही है बस बिल्कुल बैटल ऑफ जो वडी वच था वो 1760 में हुआ था और इसी का ही पार्ट था वो ठीक है जो वडी वॉश का युद्ध था इसी का ही पार्ट था बैटल ऑफ वडी वॉश बैटल ऑफ वडी वॉश जो हुआ था 1760 में 1760 में चलिए भाई थैंक यू सभी को बाकी मिलते हैं कल सुबह 9:30 बजे विद द फिजिक्स का जो वन शॉर्ट हमारा लेक्चर होगा उसके साथ ठीक है कल हम लोग का आखिरी वन शॉर्ट लेक्चर होगा जिसमें हम लोग पूरा फिजिक्स कंप्लीट करने वाले हैं ऑलराइट बाकी अच्छा ये बताओ तुम में से काफी लोग ये बोल रहे थे कि व सर जो सफर वाला जो बैच उसमें दिखा रहा है उसमें एनरोल नहीं हो रहा अभी तो हो गया ना वो सारी चीजें अ एक बार यह कंफर्म कर दो कि मिडिवल हिस्ट्री भी ले लो सर मिडिवल हिस्ट्री का एंट केर पॉसिबल हो नहीं पाएगा रीजन यह है कि थोड़ा भी ना मतलब मैं पुश तो कर देता क्योंकि अभी देखो कल फिजिक्स का लेना है फिर मुझे वो सराइज करना है और उसके बाद थोड़ा सा मुझे काम है मैं काफी टाइम से अपने भी जो मेरे पर्सनल काम थे उनको अवॉइड कर रहा था ठीक है कल भी पूरा दिन मेरा उसी में गया इसी वह से कल मैं कोई क्लास नहीं ले पाया आखिरी में शाम को आके मैंने जल्दी से वो वीडियो बनाया जिसमें ताकि वो मैंने उस सफर इनिशिएटिव के बारे में बताया ठीक है तो थोड़ा सा पर्सनली भी मुझे थोड़ा सा कुछ काम के लिए टाइम चाहिए और तब तक वो टाइम हो नहीं पाएगा क्योंकि कल है हम लोग की तारीख 20 ठीक है 20 तारीख को यानी कि वो पूरा करेंगे फिर 21 तक मुझे वो आपको 21 या 22 तक वो वीडियो देना पड़ेगा जिसमें की सारी ट्रिक्स को सराइज करना पड़ेगा फिर दो दिन बा बाकी रहेंगे तो मैं नहीं चाहता हूं कि आखिरी के टाइम पर मैं आपको कुछ नई चीज बताऊं एंट में डाइवल से पढ़ने का फिर टाइम नहीं रहेगा मेरे अकॉर्डिंग तो फिर आपको बस रिवीजन ही करना है जहां से आपने पढ़ रखा है उसको बस ठीक है बस उसको आप रिवाइज करो सफर बैच कौन सा पिछला वीडियो देख लेना नैतिक ठीक है कोई बैच बैच नहीं है रंजीत जी जो लोग मेंस के लिए प्रिपरेशन कर रहे हैं उनके लिए है ठीक है वहां पर मैं कुछ मतलब ऐसा नॉर्मल सा बैच है बैच क्या है है वो पुराना पिछला वाला वीडियो देख लेना तो आपको पता चल जाएगा वो एक्चुअल में एक हम लोग का इंटरेक्शन सेशन रहेगा जहां पर मैं कुछ इंसाइट्स आपके साथ शेयर करूंगा ताकि जो आप लोग एंजाइटी जो होती रहती है एंजाइटी इशू सबके साथ होता है आपके साथ मेरे साथ भी ठीक है तो उसको कैसे मैनेज किया जाता जो मेरा एक्सपीरियंस है विद दैट तो वो मैं आपके साथ शेयर करने वाला हूं वहां पे कुछ हो सकता है मेडिटेशन सेशन भी होंगे और उसकी जो कीमत है वो ₹1 मैंने रखी थी लेकिन अनफॉर्चूनेटली बाद में मुझे पता चला कि एक त एक रप कीमत हो ही नहीं सकती है क्योंकि पेमेंट गेटवे अलाउ नहीं करता उस चीज को तो इस वजह से मिनिमम जो पेमेंट गेटवे अलाउ करता है वो र 10 है तो फिर मैंने बढ़ा के उसको ₹ 10 कर दिया तो वो ₹ 10 का है ठीक है वहां पे आपको परमार अकैडमी आप में दिख जाएगा मैं youtube2 या फिर किसी और एग्जाम की प्रिपरेशन कर रहे हैं तो चिंता ना करिए मैं आपको स्टैटिक जीके का भी करवाऊंगी वन शॉट लेकिन कंसीडरिंग कि स्टैटिक जीके का मेंस में उतना ज्यादा पीछे पिछली बार वेटेज नहीं रहा था तो वोह मैं नहीं करवाने वाला हूं इस बार के आपके वन शॉट में आप कर लीजिए जो भी आपने किया था उसको करके जाइएगा ताकि अगर आ जाए तो आप रेडी रहे उसको करने के लिए लेकिन मैं नहीं अलग से करवाने वाला हूं जो भी आपने जो मैंने आपको करवाया था टियर वन के टाइम पर जो भी आपके नोट्स हैं उससे आप कर लीजिएगा बाकी अगर आपने और कहीं से किया हो तो वहां से कर लीजिएगा लेकिन यहां पर मैं नहीं करवाने वाला हूं और बहुत ज्यादा आप ओवर फोकस भी मत करिएगा उस चीज पे है ना ल राइट थैंक यू सभी को ऐ में नहीं मिल सर कोर्स सेक्शन में जाइए तीसरे नंबर पर आपको दिख जाएगा सफर को करके और वहीं पर है ठीक है ली कोटा 15 नॉट अच्छा स तो क्या 1556 लिख दिया था क्या शुरू में मैंने बताया होगा कहीं पर ओके ओके ठीक ठीक 1565 होगा ठीक है 65 चलिए भाई थैंक यू सभी को और फॉर बी सफाई करेगा हैंडसम डेविल वो सफाई करेगा है ना जो भी हम लोगों ने यहां पे वन शॉर्ट लेक्चर किए हैं वो सफाई करेगा आपके बिहार एसएससी एग्जाम में भी थैंक यू फादर ऑफ इंडियन एजुकेशन यह बोलते हैं इनको बिंटी बेंटी को दिल्ली पुलिस के लिए भी जल्दी से प्लीज टाइम टेबल दे दीजिएगा बिल्कुल ऋषभ