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कैदी की व्यथा और कोकिला का संदेश

हेलो स्टूटेंस वेलकम टू मैगनेट प्रिंस आगे हम अपना नया चैप्टर लेकर कैदी और कोकिला कैदी और कोकिला जो है यह माखरलाल चतुरवेदी चतुरवेदी ज्वारा रचित है तो यह चैप्टर हम आपको पहले इसका बैकग्राउन बता दें कि इसमें रहे हैं क्या माखरलाल चतुरवेदी जो है वह जेल में बंद है क्यों बंद है क्योंकि वह स्वतंत्रता स्थिन आनी है उन्होंने और वो जेल में बंद है तो तभी रात में एक कोयल आकर उनके जो है दिवार पर बैठ जाती है और खूब जोड़ जोड़ से चिलाने लगती है अब पक्षी कभी भी रात में नहीं चिलाते पक्षी तो रात में आराम करते हैं कभी नहीं चिलाते मगर इतनी आधी रात को पक्षी का चिलाना उन्हें बहुत अखरता है तब उस पर ये कविता लिखते हैं जो कविता लिख रहे हैं ये कोयल पर लिखी गई कविता है और कैदी कौन है खुद माखललाल चतुरविदी है है तो क्या दिया है मांखनलाल चतुरवेदी का कैदी और कोकिला क्या गाती हो क्यों रह जाती हो कोकिला बोलो तो क्या लाती हो संदेश किसका है कोकिला बोलो तो हमने क्या बोला आधी रात है और कोयल आकर दिवार पर बैठकर खुब जोर-जोर से चिल आ रही है तो क्या बोल रहे क्या गाती हो मतलब तुम आधी रात में क्या गा रही होती जोर-जोर से क्यों रह जाती हो और बीच-बीच में क्यों चुप चुप हो रही हो रह जाती मतलब चुप हो जा रही हो कोकिला बोलो कोकिला बताओ अर्थात कोयल बताओ क्या लाती हो क्या लाई हो तुम संदेश किसका है तुम किसी का संदेश लेकर क्या यहां पर आई हो कोकिला बताओ आखिर बोलो तुम क्या लाई हो झाल उची काली दिवारों के घेरे में उची काली दिवारें क्यों बोली है यहाँ पर क्योंकि चारो तरफ दिवारें हैं वो जेल में बंद है तो चारो तरफ उची उची काली काली दिवारें तो वही बोलते हैं उची काली दिवारों के घेरे में चारों तरफ डाकू चोरे चोरों बटमारों के डेरे में यानि कि यहां पर डाकू चोर और बटमार जो है वह चारों तरफ बंद है वहीं पर जहां पर माखरलाल चतुरवेदी जिने को देते नहीं पेट भर खाना यानि कि यहां पर हम जी सके ऐसा पेट भर भी खाना हमको नहीं मिलता है अब वो अपनी व्यथा बता रहे कि इतनी उची उची काली काली दिवारे हैं और मैं कहाँ पर रह रहा हूँ चोरों डाकूं और बटमारों के साथ में रह रहा हूँ जीने को पेट भर के लिए खाना भी मुझे नहीं पेट भर खाना है नहीं मिलता है जीवन पर अब दिन-रात कड़ा पहरा है यानि कि हमारे चारों तरफ पहरा रहता है ना कि मतलब कैदी कहीं कुछ करना लें यह कहीं भाग ना जाएं तो उनके ऊपर हमेशा निगरानी रखी जाती है तो क्या कहते है जो है हमारे जीवन पर हर समय कड़ा पहरा है कि कोई ना कोई हमारे जीवन पर पहरा यानि हमारे आसपास पहरा देता रहता है शासन है या तम का प्रभाव गहरा है अंग्रेजी शासन के लिए क्या कहते यह शासन क्या है यह तो अंधकार का शाषन तम मतलब अंधकार अंधकार मतलब बुरा शाषन तो कहते हैं यह शाषन कैसा है यह तो अंधकार रूपी बुरा शाषन है जैसे अंधकार में बुराईयां पनपती है तो यह शाषन को यह अंधकार का प्रतिक जाते हैं कि यह एक बुरा शाषन है अर्थात अंग्रेजों के शाषन को इस प्रति निराश कर चला रात भी काली और हिमकर मतलब पहाड़ के पीछे सूरत जो है वह डूप गया और उसने इस रात को भी काला और कर दिया है यानि कि जब सूरज डूब जाएगा तो राज चारो तरफ अंधेरा चा जाता है रात काली हो जाती है तो हिमकर यानि हिमकर यानि पहाड के पीछे जो है वो सूरज डूब गया है और खुब घंगोर काली रात चा गई है इस समय काली मा मैई क्यूं आली यानि कहत इस रात के समय पर तुम यहाँ पर क्यूं आई हो? क्यों हूख पड़ी वेदना बोजवाली सी और तुम जो इतनी जोर से चिला रही हो तुम्हारी आवाज में जरूर कोई वेदना, कोई तकलीफ है वेदना बोजवाली सी, जो जो तुम्हारी चिलाहट है तुम क्यों ऐसा चिला रही हो और तुम्हारे चिलाने में बहुत अत्यधिक वेदना यानि की पीड़ा है कोकिला बोलो, कोकिला बताओ क्या लुटा, क्या तुम्हारा किसी ने कुछ लूट लिया है वैभव की रखवाली सी कोकिला बोलो और कोकिला क्या हमेशा क्या है बहुत अच्छे उसमें करी जाती है बहुत सुन्दर गाना गाती है, सुन्दर पक्षी होती है और म्रदुल वैभव म्रदुल मतलब बहुत अच्छी जगह पर पाई जाती है तो तुम जहां पर अच्छी हरियाली अच्छी प्रकति होती है तुम हमेशा वहीं पर रहती हो रखवाली करती हो तो क्या सबने तुम्हारा वह लूट लिया है यानि कि तुम्हारा वह जो मृदू वैभव ता यानि कि तुम्हारा हरियाली भरा जो संसार था तुम्हारी अ� क्या हुई बावली अर्धरात्री को चीखी कोकिला बोलो तो क्या बोलते हैं तुम क्यों ऐसा पागल हो गई हो आधी रात को अर्धरात्री को चीखी कोकिला बोलो तो तुम इतनी आधी रात को आधी रात को आकर तुम यहां चीख रही हो चिला रही हो क्या तुम पागल हो गई हो बावली मतलब पागल क्या तुम पागल हो गई हो जो आधी रात को तुम यहां पर आकर चिला रही हो किस दानावल की की ज्वालाएं हैं तीखी को किला बोलो तो दानावल मतलब जब जंगल में आग लग जाती है और आग जब बहुत भयंकर रूप धारण कर लेती है तो उसको दानावल कहते हैं तो क्या बोलते हैं क्या तुमने किसी जंगल की भयंकर आग की ज्वालाएं देख ली हैं जो तुम इतना जोर से चिल आ रही हो को किला बताओ अ क्या देखना सकती जनजीरों का गहना अब यहाँ पर क्या है वो कोकिला से बोलते हैं यानि कि कोयल से बोलते हैं माखनलाल चतुरती क्या तुमने ये बेडियां पड़ी हैं ये गहने और उपी बेडियां यानि इन जनजीरों को वो गहना मान रहे हैं रहे हैं ना हम इसके बीचे का कारण बताते हैं आपको कि जो चोर बदमास और बटमार है उन्होंने को जंजीरे पहनाई गई हैं मगर साथ में जो माखनल चतुरेदी है वह स्वतंत्रता संग्राम करने के कारण अपने देश को आजाद कराने अच्छे काम के लिए वह जेल में बंद है मगर उनको भी जंजीरे पहनाई गई हैं तो उन्होंने क्या समझा कि यह जेवर है यह गहने हैं गहने सुंदरता के लिए पहनते तो अच्छा काम किया तो उनको एवार्ट के रूप में तो वो अब समझ रहे हैं कि ये गहने है तो क्या दिया है क्या देख नहीं सकती जनजीरों का गहना हतकडिया क्यों ये बृतिश राज का गहना क्या कहती है क्या तुम देख नहीं सकती पहना पहनाया उन्होंने जंजीरे पहना पहना पहना है लेकिन हम इनको क्या समझ रहे हैं हम इनको गहना समझकर हमने धारण किया हुआ है कोलू का चरकचू जीवन की तान अब क्या होता है कैदियों से काम कराया जाता वैसे थोड़ी आप बैठाए रखोगे खाना खिलाओगे ऐसे नहीं होता तो क्या होता है एक इतना बड़ा सा वह होता है वहां पर कोलू चलता है यानि कि एक डंडा होता है और उसके अंदर सरसो डाली जाती है और वहाँ पर बैल बांधी जाते हैं बैल ऐसे चलते रहेंगे और उन सरसो से तेल निकलता है धीरे धीरे गिस गिस के तेल निकलता है तो उसको कोलू बोलते हैं वहाँ पर बैल जुताये जाते हैं लेकिन जेल में में उन बैलों की जगह क्या किया जाता है कैदियों को बांधा जाता है वहां पर कैदियों को बांध के उस कोलू के आसपास घुमाया जाता है ताकि जो है वह मेनत करें और यहां पर काम भी हो तो वह क्या बोलते हैं कोलू का चरकचू जीवन की ताल अब क्या है पूरा दिन तो बोलों जो उत्तर है मांखनल चत्र देखिए बैलों की जगह कोलू लगा दी गए तो अब जो कोलू चलता है तो चर चूँ चर्चू करके वाल लकड़ी चलने की आवाज आती है तो वही आवाज आ रही है लिए तो कहते हैं अब मेरे जीवन की तान क्या बन गई कोलू का चरकचू क्योंकि पूरा दिन में वहीं सुनता रहता हूं तो मैंने उसको क्या बना लिया है अपने जीवन का संगीत बना लिया है गिट्टियों पर उंगलियों से में वह उंगलियों से जो है वह लिखते रहते हैं काने गाने क्या करते रहते हैं वह गाने जो है अपनी मुलियों से गुटियों में लिखते रहते हैं हूं मोट खीचता लगा पेट पर जूआ जो ऊपर लगाया जाता है ना उसको जूआ बोलते तो वह आदमियों के जो है पेट पर बांध दिया जाता है तो क्या कहते हैं मैं मोट खीचता अर्थात जो बैलों को एक साथ इक्वल चल सके उसको बोलते हैं जूआ तो क्या बोलते हैं पेट पर जो है मैं मोट को खींच रहा हूं को खीच रहा हूँ और मेरे पेट पर जुआ लगा हुआ है खाली करता हूँ ब्रिटिश अकड का कुआ और ब्रिटिश लोगों ने हमसे दुस्मनी दिखाने के लिए बैल की जगा हमको लगाया है अपनी अकड को दिखाने के लिए तो जो ब्रिटिश राज है उसकी अकड का कुआ मैं इतनी मेहनत कर दूँ करके खाली कर रहा हूं मतलब बैल जैसे काम करके मैं क्या कर रहा हूं ब्रिटिश की जो अकड़ है उसका कुआ खाली कर रहा हूं दिन में करुणा क्यों जगे रुलाने वाली इसलिए रात में गजब डाला गजब ढा रही आगी तुम दिन में जब गाती हो तो सबके दिलों में करुणा जाग जाती है कोईल से बोलते हैं कि जब तुम दिन में गाती हो तो सबके हिदय में करुणा जाग जाती मतलब सबके हिदय जो है मन प्रसन हो जाते हैं और और गजब ढाने के लिए यहां पर आई हो इसीलिए तुमको मतलब तुम यहां पर आई हो ताकि तुम मुझे रुलाने जा सको इन तकलीव भरी परिस्थितियों में इस शांत समय में अंधकार को बेद रो रही क्यों मतलब अंधकार है चारों तरफ राज छाई हुई है और एकदम सननाटा है तो कह रहे तुम सननाटे को भेद रही हो मतलब सननाटे में तुम चिला रही हो तो सनाटा भिद गया यानि कि तूट गया अब चारों तरह तुम्हारी चिल्लाहट है तो क्या करें इस शांत समय में अंदकार को वेद तुम क्यों रो रही हो यानि कि तुम इतना जादा वेदना में क्यों चिल्ला रही हो कोकिला बोलो तो, कोकिला बताओ कि तुम क्यों रो रही हो, चुपचाप मधुर विद्रोहो बीज, इस भाती वो रही हो क्यों कोकिला बोलो तो, और तुम इस रात्री में चिला कर जितने भी शांत कैदी हैं, मतलब चुपचाप सो रहे हैं, जब हम लोग सो रहे हैं, जती द या तो काम में बिजी रखो या तो सुला दो आप क्या दिन भर तो वो काम कर चुके हैं ठक चुके हैं और सो चुके हैं लेकिन जो तुम चिला रही हो इससे क्या होगा सारे कैदी जागेंगे और और चारों तरफ विद्रो चा जाएगा विद्रो के बीज क्या करोगी तुम उनके मन में उनको जगा जाओगी और फिर जब वो जाग जाएगे तो जेल से भागने जैसे विद्रो को अंजाम देने के बारे में सोचने लो तो तुम ऐसा क्यों कर रही हो कोईल बतलाओ तुम ऐसा क्यों कर रही हो अब काली तू रजनी भी काली अब यहाँ पर क्या क्या काला है क्योंकि जो माखनलाल चित्रवेदी है वो जेल में बंद है और चारों तरफ उनके निर्दाओं पर जाएगा और जाएगा जाएगा जा निराशा छाई हुई है तो अब वह हर एक चीज में काली मान निराशा की निशानी क्या होते है काला रंग तो अब वह क्या कह रहे चारों तरफ काली-काली चीजों को चुन रहे हैं और उसको सिमिलर किसे कर रहे कोईल के साथ क्या बोल रहे हैं काली तू रजनी भी काली कहते कोईल कि तुम भी काली हो और यह रजनी अर्थात यह रात भी काली है शासन की करनी भी काली और शासन जो इतना अर्थ जो इतना अत्याचार कर रही है हम सब पर पर उसकी करनी भी काली है क्योंकि वह गलत काम कर रहे हैं इसलिए वह काली है काली लहर कल्पना काली अर्थात इस ब्रिटेन शार्षण की जो कल्पना है वह भी काली है क्योंकि वह हमारे देश पर शार्षण करना चाहती है तो जो उसने लहर दड़ा रखी है हमारे देश पर शार्षण करने की वह लहर वह सोच भी काली है मेरी काल कोठरी भी काली मतलब जिस कोठरी में वह बंद है अब अधेरा है वहां पर तो काली दिखेगी तो तेरी अ तो यह कोठड़ी चोटी सी यह भी काली ही काली है टोपी काली कमली काली मेरी टोपी जो है वह काली है कमली मतलब जो मुझे कमल मिला है वह भी काला है मेरी लह श्रंखला काली अर्थात जेल में जो सलाखे लगी होती हैं उसको बोल रहे हैं कि यहां पर लगी हुई सलाखे भी काली हैं पहरे की हुंक रती भी व्याली अ तिस पर गाली ए आली और ये जो पहरा देते हैं हुंकार भरते हैं ना जागते रहो जागते रहो तो वो इस कालिमा पे जब वो जो बोलते हैं जो पहरे की हुंकार होती है वो मुझे बहुत बेचैन करती है और उस पर भी तुम ये जागते रहो जागते रहो ज कि इतना ज्यादा चो चिल आ रही हो या चिलाने को आई हो वह मुझे और ज्यादा अधिक परेशान कर रही है कि इस काले संकट सागर पर इस काले संकट सागर इन्होंने बहुत सारी चीजों के सिमिलारिटी किस से करी है काले से करिए तो चारों तरफ यह जो काले का सागर मेरे ऊपर व्याप्त है यानि जो काला सागर सागर जो संकट मुझे पे जो आया हुआ है मरने की मदमाती यानि कि ये मुझे मरने के लिए उकसाती है ये जो चारो तरफ काली मा छाई हुई है काला संकट जो छाया आया हुआ इसका सागर जो फैला हुआ है यह मुझे मरने के लिए उच्छुक करता है कोल को किला बोलो तो अर्थात यह चारों तरफ जो कालिमा में सागर फैला हुआ है उस पर तुम्हारी यह मदमाती आवाज जो है वह मरने जैसी प्रतीत हो रही है अपने चमकीले गीतों को क्यों करो तैराती को किला बोलो तुम तो इतना सुंदर गाती हो इतने चमकीले गीतों को गाती हो आती हो तो तुम उसको कहां भूलकर आ गई हो तैराती मतलब तुम तैराके आनी कि उसको कहीं छोड़कर आ गई हो क्यों तुम उसको कहीं छोड़कर आ गई हो कोकिला बोलो तो कि आधी रात में तुम्हें चिला रही है गाना थोड़ी नहीं रहा रही है तो बोलते क्या है कि तुम आधी रात में क्यों कहीं पर उसको छोड़कर आ गई हो कोकिला बोलो तो तुझे मिली हरियाली डाली, मुझे मिली कोठरी काली अब बताते हैं कि मुझे इतनी तकलीफ है तुम्हें नहीं है तब भी तुम चिला रही हो तो क्या सिमलाइक्शी बता रहे हैं कि तुमको तो हरियाली डाली मिली है तुम आजाद हो कि तुम डाली डाली हरी आली डाली ओं पर तुम फिर सकती हो और मुझे यह काली छोटी सी कोठड़ी मिली हुई है रहने के लिए कि तेरा नब भर में संचार तुम क्या पूरे नब पूरे आकाश में कहीं पर भी उड़ सकती हो कियो मेरा दस फुट का संसार अर्थात मुझे दस बाई दस की यह छोटी सी कोटरी में ही मेरा पूरा संसार है तुम आजाद हूं तेरे गीत कहावे वह मतलब तुम जब गीत गाती हो तो सब लोग वह बोलते हैं रोना भी है मुझे गुना और अगर मैं यहां पर रोने की कोशिश करूं तो कोई मुझे रोने भी नहीं देता है क्योंकि ब्रिटिश शासन उस पर भी आवंधि लगाकर रखता है देख विशंता तेरी तुम इतनी हम दोनों के बीच में इतनी भिन्नताएं सारी अच्छी चीजें तुमको प्राप्त है और सारी गलत चीजें खराब चीजें मुझे प्राप्त है उसके बावजूद भी इतनी रात गए तुम रणभेरी जैसी चिला रणभेरी मतलब युद्ध से पहले बजने वाले बुगल विगल को जो है वह रणभेरी कहते थे कहें उतनी विश्रमताएं मतलब सारी चीजें तुमको युद्ध की रणभेरी की तरह चिल आ रही हो इस हुं क्रती पर अपनी क्रती से और कहो क्या कह दू तुम इतनी तेज जो चिल आ रही हो मैंने पूरी एक क्रती लिख दी अब बताओ कि मैं क्या करूं कर दो कोकिला बोलो मैं क्या करूँ अर्थात तुम जो इतनी जोड़ जोड़ चिला रही थी मैंने इस पर पूरी कविता लिख दी है अब बताओ मैं क्या करूँ कोकिला मुझे बताओ मोहन के व्रत पर प्राणों का आसव किसमे भर दू मोहन का व्रत मतलब अर्थात मोहन दास करमचंद गांधी जी ने देश को स्वतंत कराने का जो व्रत लिया था अहिंसा का जो व्रत लिया था उस व्रत के लिए मैं किसके प्राणों में सारी जो है जो फूरती है वो भर दू भर दूं तिग दिया ना जो आजात कराने का जो ब्रत लिया है कोईल मैं कहो तो तुम्हारे माध्यम से सारे लोगों में यह जो ब्रत का जो संचार है वह भर दूं कोकिला बोलो तो तो इस तरीके से यहां पर मैंने यह पार्ट आपको पूरी अच्छी तरीके से समझाया यहां पर मां खुला चत्रवेदी ने कोईल को देखकर पूरी कविता लिखिए और अपने मन के भावों को बताया है आयो पीए चैप्टर आपको बहुत अच्छे से समझ में आया हूं अ होगा और आगे भी इसके प्रश्नुत्तर हम आपके लिए लेकर उपस्तित होंगे थैंक यू बाबाई