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बायोमॉलिक्यूल्स की जानकारी और वर्गीकरण

अलग-अलग molecules हैं लेकिन सब के सब super important for life Life बोले तो Bio और ये Molecules हैं, Bio Molecules Hello everyone, मुझे उम्मीद है कि आप सभी अच्छे हैं और आज मैं लेकर आए हूँ Class 12 Chemistry, Bio Molecules का One Shot Video हमेशा की तरह ख़तम करेंगे इस पूरे lesson को सिर्फ एक वीडियो में और हमेशा की तरह इस पूरे वीडियो को देखने के बाद आपके concepts होंगे crystal clear तो मैं हूँ रोश्टी from LearnOhub, the free learning platform जहांपर आप Physics, Chemistry, Maths, Biology सब कुछ पढ़ सकते हो absolutely for free at learnohub.com लोग लेट्स केट स्टार्टेड बायो मतलब लाइफ बायो मॉलेक्यूल एक ऐसा केमिकल कंपाउंड होता है जो लिविंग ऑर्गेनिजम में पाया जाता है इन फैक्ट हम ऐसा कह सकते हैं कि बायो मॉलेक्यूल जो है एक लिविंग ऑर्गेनिजम का बिल्डिंग ब्लॉक है यह समझ लो एक बिल्डिंग बनने के लिए हम इत का इत्समाल करते हैं तो जो ब्रिक्स होते हैं इत जो होती है उनको एक के बाद एक एक के बाद एक ऐसे ऐसे ऐसे ऐसे एरेंज किया जाता है और बहुत सारे ऐसे इत मिल करके एक बिल्डिंग बनाती है टिक उसे तरीके से एक लिविंग और गानसम चा वी आर आल लिविंग औरगानिजम तो एक human being के body के अंदर भी कौन होते हैं? बायो मॉलिक्यूल्स होते हैं अगला सबाल यह आता है कि यह क्या करते हैं? तो बायो मॉलिक्यूल्स जो है एक लिविंग औरगानिजम के अंदर बहुत सारे important functions perform करते हैं तो इस lesson के अंदर, इस वीडियो के अंदर हम बहुत तरह के different different बायो मॉलिक्यूल्स किसके बने होते हैं?

तो यह जो chemical compounds होते हैं यह बने होते हैं carbon hydrogen, oxygen, nitrogen, sulfur, phosphorus जैसे elements से बच्चों पता है living system के बारे में एक सबसे amazing बात यह है कि वो system खुद तो living होता है बट उसे बनाने वाले जो atoms and molecules होते हैं वो सारे non-living होते हैं अब आप human beings की बात कर लो हम खुद तो living organism है right हम चल सकते हैं, बोल सकते हैं, खा सकते हैं लेकिन हमारे body के अंदर जो molecules या जो atoms हैं वो सारे non-living हैं in fact, अगर living organism और उन चेमिकल रिएक्शंस की वजह से ही वो लिविंग और गांजम लिविंग होता है इन फैक्ट एक साइंस का पूरा ब्रांच डेडिकेट कर दिया गया है इन केमिकल रिएक्शंस की स्टेडी पर और उसे हम कहते हैं बायो केमिस्ट्री बायो मतलब इसलिए नाम पड़ा बायो केमिस्ट्री इन फैक्ट यह जो बायो मॉलेक्यूल का हमारा लेसन है इसके अंदर भी आप देखोगे कि हम केमिस्ट्री पढ़ रहे हैं पर इसमें बायो का बहुत गहरा नाता है केमिस्ट्री के साथ है तो कौन-कौन से बायो मॉलेक्यूल आप पढ़ने वाले हैं आज इस वीडियो के अंदर सबसे पहले पढ़ेंगे कार्बोहाइड्रेट्स प्रोटीन फिर एंजाइम फिर विटामिंट फिर तो चलो देखेंगे तो बायो मॉलिक्यूल के क्लासिफिकेशन को एक बार दोबारा देख लेते हैं कौन-कौन से कैटेगरीस को डिसकस करेंगे सबसे पहला कार्बोहाइड्रेट्स जिनने साकराइट्स भी कहा जाता है कार्बोहाइड्रेट्स के अंदर थोड़ा और डिटे करेंगे न्यूक्लिक आसिड्स न्यूक्लिक आसिड्स के अंदर हम आरेने और डीएने इन दोनों को डिस्कस करेंगे और साथ में हम ऑल कवर करेंगे विटामिंट तो चलो कहाने के शुरुआत करते हैं कार्बोहाइड्रेट्स के साथ कार्बोहाइड्रेट्स को साकराइड्स भी कहा जाता है साकराइड्स एक ग्रीक वर्ड से आया है साकर और जिसका मतलब होता है शुगर ऐसा देखा इसके अलावा अगर हम इसके डेफिनेशन को देखें, इन फैक्ट इसके कॉंपोजिशन को देखें, तो हम देखते हैं कि कार्बोहाइड्रेट्स कुछ ऐसे ओर्ग्यानिक कमपाउंट्स होते हैं, जिसके अंदर पाये जाते हैं कार्बन, हाइड्रोजन और ओक्सीजन. तो बात करते हैं कार्बोहाइड्रेट्स के मॉलिकुलर फॉर्मुला की, तो अगर इनके फॉर्मुले को हम देखें, तो most of the carbohydrates have a general formula, which is CXH2OY. मतलब अगर इस फॉर्मूले को ध्यान से देखे तो हम क्या देख रहे हैं कि यह सारे हाइड्रेट्स ऑफ कार्बन है मतलब किसी भी चीज के साथ पानी मिला दो तो वह क्या बन जाता है हाइड्रेट तो यहां पर भी देखो कार्बन के साथ हम H2O लगा दे रहे हैं एक्सेंपल के तौर पर ग्लुकोज ले लो अब इस फॉर्मुले को भी हम इस जेनरल फॉर्मुले के फॉर्म में लिख सकते हैं बिल्कुल लिख सकते हैं आगे ना उसी जेनरल formula में, but ध्यान देने वाली बात यह है कि यहाँ पर मैंने साफ-साफ बोला कि most of the carbohydrates have this general formula सवाल उठता है why not all? क्या सब लोग सारे carbohydrates इस formula को follow नहीं करते हैं? not really अगर हम example के तौर पे बात करें acetic acid की which is CH3COOH ठीक है?

इसको अगर ध्यान से देखो, इसके formula को CH3COOH या यानि कि carbon कितने है? 2, that is C2. ठीक है अब एच की बात करते हैं सी एच थ्री सी ओ ओ एच है फोर अगर ओ की बात करें तो ओ कितना है ओ है टू तो इसके फॉर्मुले को भी हम कैसे लिख सकते हैं सी टू एच टू ओ होल टू ऐसे लिख सकते हैं बिल्कुल लिख सकते हैं यानि कि ये फॉर्मुले में तो फि तो इसका formula होता है C6H12O5, जिसका formula हमारे carbohydrate के general formula में fit नहीं होता है, लेकिन Rhamnos is a carbohydrate, तो मैं तब इस तरह के कुछ exceptions है, कुछ carbohydrates हैं, बट उनके formula fit नहीं होते हैं, कुछ के formula fit हो जाते हैं, बट वो carbohydrate नहीं है, इसलिए मैंने कहा था कि most of the carbohydrates have the general formula, that is CXH2OY, तो चलो बच्चों अब देखते हैं कार्बोहाइड्रेट्स का रियल डेफिनेशन वह बोलेगा कि मैं इतनी देर से आप कार्बोहाइड्रेट्स के बारे में जो भी बता रहे हो वह क्या फेक था फेक तो नहीं था बट वह सब कुछ ऊपर ऊपर वाला डेफिनेशन था कि ऐसे होते हैं carbohydrates, carbohydrates organic compounds होते हैं, जो भी चीज़ें ये सच हैं इनके बारे में, but जो real definition है based on their structure and their property, वो ये है, कि carbohydrates को हम define कर सकते हैं as optically active polyhydroxy aldehydes or ketones. है ना भारी भरकम डेफिनेशन लग रहा है ना कि ये रियल वाला डेफिनेशन है ना पर इसको समझते हैं क्या क्या बाते बोली मैंने Optically Active, Optically Active मतलब कोई भी ऐसा सब्स्टेंस जो Optical Activity शो करता है यानि कि जो Plane प्लेन पोलराइज लाइट के प्लेन को रोटेट करने के केपबल होता है वह ऑप्टिकली एक्टिव कंपाउंड होते हैं अब ऑप्टिकल एक्टिविटी के डिटेल में नहीं गुशों की जब हमने आईसोमर्स पढ़ा था पहले उसके अंदर हमने इन चीजों को डिट उसके बादे polyhydroxy, यानि कि carbohydrates के अंदर poly मतलब many hydroxy मतलब OH group, बहुत सारे OH groups होंगे, तीसरा aldehyde या ketone, यानि कि इनके structure को अगर आप देखोगे तो उसमें या तो aldehyde या फिर ketone group जरूर होता है, ठीक है, तो ऐसे होते हैं हमारे carbohydrates, optically active, polyhydroxy, aldehyde और ketones, या फिर आप इसको दूसरे ढंग से ये भी कह सकते हो कि ये ऐसे compounds होते हैं जिनको अगर आप hydrolyze करते हैं, कर दो मतलब जिनको अगर आप तोड़ दो तो आपको क्या मिलेगा आपको पॉली हाइड्रॉक्सी एल्डीहाइड और कीटोन्स मिलेंगे ठीक है तो अब यहां पर कुछ एग्जांपल्स देखते हैं जैसे कि ग्लूकोस फ्रॉक्टोस एरिथ्रोस राइबोस ग्लीसर एल्ड क्या इन सब के अंदर polyhydroxy है मतलब multiple OH groups है है क्या ये सारे optically active है है तो इसलिए ये सारे क्या है ये सारे के सारे carbohydrates है अब देखते हैं carbohydrates के classification को अब based on the fact कि एक carbohydrates को hydrolyze करने पे हमें कितने units मिल रहे हैं मतलब उस carbohydrates को अगर आप hydrolyze करोगे तो आपको क्या मिलेगा polyhydroxy aldehyde या ketone तो अगर लेकिन यह पॉली हाइड्रॉक्सी और आल्डिहाइड या कीटोन मिल रहे हैं उस बेसिस पर हम इन्हें तीन काटेगरी में क्लासिफाई करते हैं। मोनो साकराइड्स, ओलीगो साकराइड्स और पॉली साकराइड्स। मोनो साकराइड्स, मोनो मतलब वान, मतलब ये जो कार्बोहाइड्रेट्स होते हैं इनको अगर तुम हाइड्रोलाइज भी कर दोगे तभी ये तूट के तुम्हें कुछ और एलडिहाइड या कीटो नहीं देंगे यानि कि इसके अंदर एक सिंगल यूनिट ही होता है ये फर्दर तूट नहीं सकते हैं ओलिकोसाकराइड की अगर हम बात करें तो इसके अंदर हमें 2 से 10 यूनिट मिल सकते हैं जो है दो से लेकर के दस यूनिट्स ऑफ साकराइड से बने होते हैं ठीक है तो जैसे अगर मालों दो यूनिट्स हैं तो उसे हम कहेंगे डाइस आफ राइट तीन है तो ट्राइट फॉर है तो टेटरा साकराइड फाइव तो पेंटर साकराइड सिक्स है है तो हेक्सा साकराइड इसी तरीके से टेन है तो डेका साकराइड तो यह सारे ऑलीगो साकराइड के अंदर फॉल करेंगे ठीक है मतलब समझ रहा है मतलब अगर एक ऑलीगो साकराइड को लोगे और उसे हाइड्रोलाइज कर दोगे तो वह टूट करके तुम्हें बहुत सारे पॉली बहुत सारे तो नहीं दो से लेकर के दस के बीच में वह नंबर होगा उतने सारे यानि कि इस तरह के carbohydrates को जब तुम hydrolyze करोगे, तो इसमें तुम्हें multiple, 10 से भी ज्यादा units of पॉली, हाइड्रोक्सी, आल्डिहाइडिया, कि तो चलो एक-एक करके सबको discuss करेंगे सबसे पहले बारी है monosaccharides की जैसा कि मैंने पहले भी बताया mono मतलब one मतलब इनको आप hydrolyze करोगे तो ये further कोई simpler unit of polyhydroxy aldehyde या ketone नहीं देंगे क्योंकि भाई ये खुदी बड़े simple है अब तोड़ के और कितना simple होंगे इसर आल्डिहाइड ये कुछ मोनो साकराइड्स हैं, अब बारी है ओलीगो साकराइड्स की, ओलीगो जैसा कि मैंने बताया था इस कैटेगरी में फॉल करेंगे वैसे वाले कार्बोहाइड्रेट्स जिनको हाइड्रोलाइज करने पे आपको 2 से 10 यूनिट्स आफ मोनो साकरा� जैसे कि अगर दो monosaccharides बनते हैं तो disaccharides, अगर तीन तो tri, अगर चार तो tetra, पांच तो penta and so on.

और इन सारे oligosaccharides में सबसे ज्यादा common होता है disaccharides. Example के तोर पर हम ले सकते हैं lactose जो की एक disaccharide है. जब हम lactose का hydrolysis करते हैं तो हमें मिलता है glucose और galactose.

तीसरे नंबर पर है पॉली सैकराइड्स, पॉली बोले तो many, मतलब ये वैसे कार्बोहाइड्रेट्स हैं जिनको जब आप हाइड्रोलाइज करोगे तो आपको दस से भी ज्यादा मोनो सैकराइड यूनिट्स मिलेंगे, एक्सांपल्स के तौर पर आप ले सकते हो स्टार्च मैंने पहले भी बोला था रही है कि कार्बोहाइड्रेट्स को सैकराइड्स बोलने के पीछे का कारण ही यही था कि अधिकतर कार्बोहाइड्रेट् बट polysaccharides जो हैं ये sweet नहीं होते हैं इसलिए कई बार इन्हें non-sugars भी कहा जाता है तो बच्चो अब हम देखेंगे कि monosaccharides को हम further classify कैसे करते हैं सबसे पहले तो ये देखना होगा कि इनको हम classify किस basis पे करते हैं तो दो basis पे इनको हम classify करते हैं पहला basis होता है number of carbon atoms उसमें कितने carbon है जैसे अगर 2 carbon है तो 2.5, 3 carbon है तो 3, 4 carbon है तो tetra and so on इस तरीके से हम term यूज़ करते हैं दूसरा जो basis है classification application का वह यह है कि उस monosaccharide में aldehyde group present है या फिर ketone group present है क्योंकि मैंने पहले ही बताया था कि carbohydrates क्या होते हैं जिसके अंदर aldehyde या ketone group present हो पॉली हाइड्रोक्सी aldehyde और ketone तो अगर aldehyde group present हो तो वैसे monosaccharide को हम aldose कहते हैं अगर ketone group present हो तो वैसे monosaccharide को हम ketones कहते हैं ठीक है तो यह दो हमारा criteria है आपको दो चीजों पर ध्यान देना है देना होगा कि कितने कार्बन आटम्स है और कौन सा वाला ग्रूप है एलडिहाइड या कीटोन एग्जांपल के तौर पर मान लो आपके पास एक ऐसा मोनोसाकराइड है जिसके अंदर तीन कार्बन आटम्स है ठीक है तो उसके लिए हम यूज करेंगे ट्राइड और मान लो अगर उसमें एलडिहाइड ग्रूप है तो उसका नाम क्या हो जाएगा एलडो ट्राइओस और अगर तीन कार्बन वाले मोनोसाकराइड में कीटोन ग्रूप हो तो उसका नाम हो जाएगा कीटो ट्राइओस उसे तरीके से अगर चार कार्बन वाला मोनोसाकराइड हो तो aldehyde अगर उसमें है तो उसका नाम हो जाएगा aldo tetros अगर ketone है तो हो जाएगा keto tetros और ठीक इसी तरीके से आप pentose, hexose, heptose ये सारे नाम डाल सकते हो ऐसे तो monosaccharides बहुत सारे हैं बट हम यहाँ पर देखेंगे जो famous वाले monosaccharides हैं उनको जैसे कि glucose, fructose, glyceraldehyde बात अगर glucose की करें तो glucose के बारे में सबसे interesting बात तो यह है कि it is the most abundant organic compound on अर्थ पूरे अर्थ में सबसे ज्यादा पाए जाने वाला और गानिक कंपाउंड जो है वह ग्लूकोज है ग्लूकोज आमतौर पर स्वीट फ्रूट्स और हनी में पाया जाता है इसके अलावा यह फ्री फॉर्म में भी एक्सिस्ट करता है एज ग्लूकोज और यह कंबाइंड exist करता है किसी और चीजों में तो देखते हैं कि glucose को हम बनाते कैसे है preparation of glucose इसमें सबसे पहला method जो हम देखेंगे वो है preparation from cane sugar cane sugar सबको पता है cane sugar का नाम है sucrose इसका chemical formula होता है C12H22O11 तो इससे हम कैसे ग्लूकोज बनाते हैं? तो जब हम केन शुगर को यानि कि सुक्रोज को डालियूट हसील या फिर डालियूट ह2सो4 के साथ रियाक्ट करवाते हैं एक अलकोहॉलिक सोलूशन में तो हमें ग्लूकोज और फ्रॉक्टोज मिल जाता है इन इक्वल अमाउंट त 2O11, राइट, मतलब carbon इसमें 12 है, glucose में carbon 6 ही होते हैं, राइट, तो उस तरह से भी दिमाग में आएगा, कि सिरफ glucose तो नहीं बनेगा, उसके साथ भी कुछ बनेगा, तो साथ में कौन बनता है, glucose का दोस्त, यानि कि fructose, glucose preparation का दूसरा method है, hydrolysis of starch, तो commercial level पे जब हम एक glucose बनाना ह whole N, ये N का मतलब क्या है starch एक polysaccharide है right, तो starch जो है multiple monosaccharide units से बने होते हैं तो N number of monosaccharide units मिल करके बनाते हैं starch, ठीक है तो अब स्टार्च को जब हम हाइड्रोलाइज करते हैं, हाइड्रोलिसिस का मतलब क्या होता है, इसके साथ water add करके उसका break down कर दो, lysis मतलब break down, तो जब स्टार्च को तुम break down कर दोगे तो क्या मिलेगा, स्टार्च किस सीच से बना है, monosaccharide unit से बना हुआ है, तो उसको तोड ठीक है? अब इस hydrolysis को करते हैं हम in presence of dilute H2SO4 at a temperature of 393 Kelvin under pressure. तो बच्चे अब हम बात करने वाले हैं glucose के structure के बारे में. तो अगर आप screen पर देखो तो आपको बहुत सारे अलग-अलग structures दिखाए दे रहे हैं and let me tell you कि ये सारे के सारे structure glucose के ही हैं.

इन सारे structure के अलग-अलग नाम हैं इन सब structures के पीछे कुछ ना कुछ कहानी भी है. In fact, एक बहुत इंट्रेस्टिंग सा ये थॉट है कि यार ग्लुकोस कैसे अलग-अ पैटर्न के स्ट्रक्चर्स आएं बट कहां से आए ये स्ट्रक्चर कहां से ये थॉट आए किस लॉजिक से हम ग्लूकोस के इन स्ट्रक्चर तक आ पहुँचे तो इसलिए अब हम सुनेंगे कहानी ग्लूकोस के स्ट्रक्चर की क्या क्या चीज़ें थी कि भाई ग्लूकोस में ना ये होता होगा ग्लूकोस में ना वो होता होगा और वैसे ही रियाक्शन्स के इससे वहले कि हम स्ट्रक्चर की कहानी सुने कि ग्लूकोस एक अल्डो हेक्सो है यानि कि ग्लूकोस के अंदर क्या है आल्डीहाइड ग्रूप है एबसॉल्यूटली करेक्ट और ग्लूकोस के अंदर छह कार्बन आटम है वाइट इस हेक्सोज रेट तो ग्लूकोस का केमिकल फॉरमूला हम सबको पता है सी सिक्स हेच ट्वेल्फ ओ सिक्स ग्लूकोस को डेक्स्ट्रोस भी कहा जाता है क्यों क्योंकि ये प्लेन पोलराइज लाइट को राइट की तरफ रोटेट करता है यानि डेक्स्ट्रो डेक्स्ट्रो और लेवो की बात करते थे हम Dextro Rotatory, Levo Rotatory तो ग्लूकोस का एक दूसरा नाम Dextrose भी है तो चलो अब सुनते हैं कहानी ग्लूकोस के Structure की तो चलो बच्चों सुनें ग्लूकोस के Structure की कहानी ग्लूकोस जो की है C6H12O6 ऐसा देखा गया कि ग्लूकोस को जब हम Prolonged Heat करते रहते हैं With Hydrogen Iodide यानि की HI Prolonged heating मतलब जब काफी देर तक हम इसे hydrogen iodide के साथ heat करते रहते हैं तो हमें मिलता है N-hexane, बोले तो normal chain, straight chain hexane अब इस reaction से हमें किस बात का सबूत मिला? क्योंकि यहाँ पर हम evidences की बात कर रहे हैं हम यह देखेंगे कि glucose के अलग-अलग reactions से हमें अलग-अलग evidence मिले कुछ-कुछ facts के और वहीं से हमें glucose का structure मिला तो इस reaction से हमें क्या सबूत मिला, क्या evidence मिला हमें यह पता चला कि hydrogen iodide यानि कि HI जो है यह reducing agent होता है reducing agent का काम क्या होता है दूसरों को reduce कर देना reduce कर देने का मतलब क्या होता है बताओ या तो उसमें से ओक्सीजन हटा देना या फिर उसमें हाइड्रोजन जोड़ देना इतना ही काम होता है रेडूसिंग एजेंट का आमतौर पर तो इसका मतलब जहां तक हमें समझ में आ रहा है कि रेडूसिंग एजेंट जो है ग्लूकोस के स्ट्रक्चरल अरेंजमेंट के चेचा नहीं करेगा वो सिरफ उसे reduce करेगा तो अगर हमें output में product के तौर पे अगर हमें normal chain hexane मिल रहा है इसका तो यही मतलब है कि जो glucose का structure है वो भी straight chain structure है तो ऐसा ही कुछ सोचा गया तो इस reaction से हमें ये पता चला कि glucose के अंदर जो 6 carbon atoms हैं वो सारे के सारे 6 carbon एक straight chain में जुड� देखा ये गया कि ग्लूकोस जो है ये हाइड्रोक्सिल अमीन यानि की हाइड्रोक्सी बोले तो ओह अमीन बोले तो एनेज़ टू एनेज़ टू ओह के साथ रियाक्ट करके बनाता है ओक्जाइम्स और दूसरी तरफ जब ये हाइड्रोजन सायानाइड यानि की एच्छेन के अब इस तरह के reaction से हमें ये पता चला, क्या पता चला?

सोचो, सोचो, सोचो, क्या पता चला? इस तरह के oxymes और cyanohydrines किन के बनते थे? वैसे compounds के साथ react होने से बनते थे, जिनके अंदर carbonyl group हो, यानि कि C double bond O, ये वाला group हो, जो की glucose के अंदर था, right, ऐसा सोचा गया, जो की glucose ये reactions कर रहा था, तो इससे हमें ये idea आया है, कि यार इसका मतलब glucose में जो है न, ये carbonyl group present है, ठीक है, तो ये था, यह था इविडेंस नंबर टू इविडेंस नंबर थ्री देखा यह गया कि ग्लूकोस को जब हम एक माइल्ड ऑक्सडाइजिंग एजेंट जैसे कि ब्रोमिन वाटर के साथ ऑक्सडाइज करते हैं तो यह दे देता है छह कार्बन वाला कार्बोक्सिलिक आसिड जिसका नाम है ग्लूकोनिक आसिड ठीक है ओके अच्छा तो सवाल होता है कि इस रिएक्शन से हमें किस बात का एविडेंस विज्ञानिक केमिस्ट्री में पढ़ रखा है कि अगर आपके पास एक आलकोहॉल है उस आलकोहॉल को अगर माइल्ड ऑक्सिडाइजिंग एजेंट से ऑक्सिडाइज करवा होगे तो क्या मिलेगा एलडीहाइड उस एलडीहाइड को फिर से अगर ऑक्सिडाइज करोगे विद ट्रॉन ऑक्सिडाइजिंग एजेंट ठीक है यह हमारा बेसिक कॉनसेप्ट है जो हमने पहले पढ़ रखा है अब इसको यूज करके देखते हैं कि भी यहां पर क्या हो रहा है यहां पर हमने यूज किया है माइल्ड ऑक्सिडाइजिंग एजेंट और यहां पर हमें मिला क्या है ग्लूकोअनिक आसेड जो कि एक कार्बोक्सिलिक आसेड है इसका मतलब जो ग्लूकोज है वह किस तरह बिहेव कर रहा है वह एक एलडी हाइट की तरह बिहेव कर रहा है राइट विच एक्शनली सजेस्टेड किसका मतलब एविडेंस नंबर टू से जो हमें पता चला था कि यार ग्लूकोस के अंदर एक कार्बोनिल ग्रूप है अब हमें यह पता चल रहा है कि यार वो कार्बोनिल ग्रूप जो है ना वो कीटोन नहीं है वो एल्डीहाइडी है राइक तो इस रियाक्शन से हमने यह प्रूव किया कि ग्लूकोस के अंदर जो कार्बो असिटाइल ग्रूप, COCH3 ग्रूप को आड़ करना, ठीक है, तो असिटाइल ग्रूप जब हमने ग्लुकोज में आड़ करवाया, कैसे, असिटिक अनहिड्राइट से रियाक्ट करवाके, तो हमें मिला ग्लुकोज पेंटा असिटेट इससे क्या प्रूव हुआ, किस बात का एविडेंस था ये, वेल इस रियाक्शन से हमें ये पता चला कि यार, दिखो, इतना तो हमें पता था एक्सेटिलेशन कहां पर होता है असेटिलेशन जो है ना यह वैसे जगह पर होता है जहां पर एक हाइड्रोजन हो जो ऑक्सीजन से टैच हो ठीक है तो उस आइड्रोजन को हटाकर वहीं पर एसेटिल ग्रुप हमारा टैच होता है ठीक है तो अगर पांच जगह एसेटिल ग्रुप आड हुआ है ग्लुकोस के स्ट्रक्चर में इसका मतलब ग्लुकोस के अंदर पांच ओएच बॉंड्स थे राइट पांच ओएच बॉंड्स ऑक्सीजन हाइड्रोजन वाले बॉंड्स थे वहीं वाले हाइड्रोजन सारे हटके उसी जगह पर यह एसेटिल ग्रूप एड हुआ है एंड थैंक्स हॉट एसिटिलेशन हैस हैपएंड ठीक है तो यहां से यह पता चला कि भाई ग्लूकोज के अंदर जो है ना पांच वह ग्रूप होते हैं एविडेंस नंबर फाइव देखा यह गया कि ग्लूकोज को जब इसने बनाया एक कार्बॉक्सिलिक ऐसेड इन फैक्ट इसने बनाया एक डाई कार्बॉक्सिलिक ऐसेड कॉल्ड सेकेरिक ऐसेड इन फैक्ट जरूर ग्लूकोज नहीं ग्लुकोनिक आसिड ग्लुकोनिक आसिड याद भी थोड़ी देर पहले डिस्कस किया था कि जब ग्लुकोस को माइल्ड ऑक्सिडाइजिंग हैं एक स्ट्रॉंग ऑक्सिडाइजिंग एजेंट के साथ तब भी हमें मिलता है सेकारिक आसिड ठीक है अच्छा इससे क्या पता वो असिड बनाएगा लेकिन अगर आल्कोहॉल को डायरेक्ट ली एक स्ट्रॉफ ऑक्सिडिजिंग एजेंट के साथ ऑक्सिडिजिंग कराओगे तो वह सीधा जाकर कर बॉक्स लिख असिड बना देगा ना तो यहां पर देखो कुछ वैसा ही हो रहा है बना दे रहा है इसका मतलब ग्लूकोस के स्ट्रक्चर के अंदर कहीं न कहीं एक आलकोहॉलिक ग्रूप भी है देट इस भी� रिएक्शन से हमें काफी चीजें जानने को मिली। जैसे कि कुछ-कुछ बातें ऐसे सामने आई। कि यार ग्लुकोज जो है ना उसका एक स्ट्रेट चेन में 6 के 6 कार्बन जुड़े हुए हैं। ये भी पता चला कि यार ग्लुकोज के अंदर जो है एक कार्बोनिल ग्रूप है। ये भी पता चला कि वो कार्बोनिल ग्रूप अल्डिहाइड ग्रूप है। ये भी पता चला कि ग्लूकोस के अंदर पांच OOH ग्रूप से जो पांच अलग-अलग कार्बन पे लगे हुए हैं। साथ ही साथ ये भी पता चला कि ग्लूकोस के अंदर एक प्राइमरी अल्कोहॉलिक ग्रूप भी है। तो इतनी सारी चीज़ों के पता चलने के बाद ग्लूकोस का स्ट्रॉक्चर्स बनाया गया। इन फैक्ट structure भी एक नहीं था glucose का time के साथ साथ glucose के अलग-अलग structures आए तो यहाँ पर हमें दिख रहे हैं glucose के structures यह सारे glucose के structures है अगर structure number 1 और 2 पे focus करो तो यह open chain structures है right जैसे यह ओपन चेन के फॉर्म में है और वहीं 345 को अगर देखो तो यह साइट लिक स्ट्रक्चर्स है है ना तो इन सारे जो इसके अलग-अलग नाम है जैसे कि फिशर प्रोजेक्शन जैसे कि साइट लिक स्ट्रक्चर ऑफ ग्लुकोज जैसे कि हाव और स्ट्रक्चर जैसे कि chair structure तो ये सारे different different नाम वाले glucose के ही structures हैं तो चलो एक एक करके इन structures को समझते हैं तो सबसे पहले देखते हैं Fischer projection तो Fischer ने glucose की काफी सारी properties को study करते हुए उसके structure को दिया जो की एक open chain structure था और Fischer ने बताया कि बई H और O H hydrogen और hydroxyl groups की spatial arrangements कैसे होंगे तो कैसे याद रखना है एक glucose का structure कैसा होता है very simple सबसे पहले क्या करो जितने काफी carbon है ना उनको एक line में draw कर लो actually हर जगह carbon लिखने की जरूरत भी नहीं है एक straight vertical line बना दो ठीक है top पे लगा दो aldehyde group that is CHO और नीचे लगा दो CH2OH क्योंकि बोला था ना एक alcohol group भी होता है अब क्या करो अब जो hydrogen और hydroxyl बाकी groups हैं वो कैसे लगेंगे HOH, HOH ऐसे लगेंगे only difference is that कि जो second row है उसमें देखो H और OH का position है वो reverse हो गया है and that's it यही बन जाता है glucose का fissure projection तो अब जैसे ही हमने fissure projection को discuss किया यहाँ पर हम discuss करेंगे एक important topic which is D and L configuration अब यह D and L क्या होते हैं बहुतों के दिमाग में आ रहा होगा, अच्छा, Dextro Rotatory, Levo Rotatory, वही ना, नहीं, वो नहीं है, Dextro Levo Rotatory को हम denote करते थे, small letter D और small letter L से, लेकिन capital D और capital L जो है, ये completely बताता है, the configuration of the molecule, ठीक है, इसका किसी compound के optical activity से कोई लेना देना नहीं है, ठीक है, तो please understand कि capital D, capital L और small d, small l, these are two different things, ठीक है, ओके, अच्छा, तो यहाँ पर ये क्या configuration बताता है?

तो देखो capital D, capital L configuration बताने के लिए हम क्या करते हैं? हम ढूंढते हैं asymmetric carbon जो भी structure आपके बास दिया हुआ है उसमें आप सबसे lowest asymmetric carbon को ढूंढो एक्साम्पल के साथ समझते हैं लेटर सपोस हम एक्साम्पल लेते हैं glyceraldehyde का glyceraldehyde में बीचो बीच जो carbon है वो एक asymmetric carbon है asymmetric carbon का मतलब क्या है? इस carbon के चारों तरफ जो चार groups लगे हुए हैं वो चारों अलग है एक तरफ OH है तो एक तरफ H है एक तरफ CHO है तो एक तरफ CH2 OH है मतलब चारों अलग अलग groups लगे हुए हैं इसलिए ये asymmetric carbon है अब जो OH hydroxyl group जो attached है वो अगर इस asymmetric carbon के right side पे है तो हम कहेंगे इसे deconfiguration और अगर ये OH group asymmetric carbon के left hand side पे पर है तो हम इसे कहेंगे एल कॉन्फिगरेशन तो इसके मुताबिक यह हो जाएगा डी ग्लीसर आल्डीहाइड और यह हो जाएगा एल ग्लीसर आल्डीहाइड तो दोनों का फर्क दिख रहा है ओवेज ग्रुप के प्लेसमेंट में फर्क है इस वजह से दो स्ट्रक्चर्स और आपको बताना है कि इसमें से कौन सा है डी ग्लूकोस और कौन सा है एल ग्लूकोस ठीक है कैसे बताएंगे हम हमारा पहला स्टेप क्या है लोवेस्ट एसिमेट्रिक कार्य कार्बन को ढूंढना मतलब नीचे से कार्बन नूढ़ना शुरू करो सबसे नीचे कौन सा एसिमेट्री कार्बन है यह वाला ग्रूप है ना तो मतलब चारों ग्रूप से एक दूसरे से अलग है तो ओके दिस द एसिमेट्री कार्बन अब देखते हैं इस कार्बन के राइट हेंड साइड पर ओवेच है यानि कि यह डी ग्लूकोस है इस कार्बन के लेफ्ट हेंड साइड पर ओवेच है यानि कि यह एल ग्लूकोस है मुश्किल है क्या आप बिल्कुल भी नहीं, तो इस तरीके से आपको निकालना है D configuration और L configuration, लेकिन बच्चों एक दिक्कत आ गई, ग्लुकोस का यह ओपन चेन स्ट्रक्चर था, यह कुछ-कुछ facts और कुछ-कुछ reactions को explain नहीं कर पाया.

जैसे कि, नॉर्मल तोर पे क्या होता था कि जितने भी carbonyl compounds वाले group होते थे, जैसे aldehyde और ketones जो होते थे, यह normally shifts test देता था. यह नॉर्मली सोडियम हाइड्रोजन सलफाइट के साथ रियाक्ट करके हाइड्रोजन सलफाइट एडिशन प्रोडक्ट देता था तो कुछ इस तरीके से रियाक्शन्स होते थे जैसे अगर आप देखो पहला रियाक्शन जिसमें हम देख रहे हैं कि कार्बोनिल ग्रूप कंटेन करने वाला एलडिहाइड या कीटोन जो है यह अलकाइल एमीन्स के साथ रियाक्ट करके शिफ्स बेस बनाता था ठीक है लेकिन अनफॉर्चुनेटली ग्लूकोज का जो करे अगर हम बात करें, अगर हम बात करें, अगर हम बात करें, अगर हम बात करें, अगर हम बात करें, अगर हम बात करें, अगर हम बात करें, अगर हम बात करें, अगर हम बात करें, अगर हम बात करें, अगर हम बात करें, अगर हम बात करें, अगर हम बात करें, अगर हम बात करें कुछ तो दिक्कत है कुछ तो अलग हो रहा है ग्लूकोस के स्ट्रक्चर के साथ इसके अलावा दूसरा फैक्ट जो यह एक्सप्लेट नहीं कर पाया वो यह था कि पेंटा एसिटेट ऑफ ग्लूकोस जो है यह हाइड्रॉक्सिल एमीन के साथ रियाक्ट नहीं कर रहा था टू तो है बट देखा यह गया कि ग्लुकोस का जो पेंटा एसिटेट है मतलब ग्लुकोस का एसिटाइलेशन कर देने के बाद जो ग्लुकोस पेंटा एसिटेट बनता है वह जो है एनेश टू ओवेज यानि कि हाइड्रॉक्सिल अमीन के साथ रियाट नहीं कर रहा यह चुक ग्रुप है वह शायद फ्री नहीं है यानि कि जब ओपन चेन स्ट्रक्चर बना रहे हैं उस ओपन चेन स्ट्रक्चर के वो किसी और के साथ react कर सकता है, लेकिन शायद असलियत में वो जो CHO वाला जो end है ना, वो free नहीं है, right, तो ये भी हमें suggest कर रहा था कि काफी chance है, कि glucose का जो ये structure है, ये structure हम सही नहीं बना रहे हैं, तीसरा reason, ऐसा पाया गया कि glucose जो है, ये दो crystalline forms में exist करता है, alpha form of glucose and beta form of glucose, alpha form of glucose जिसका melting point है around 419 Kelvin, by crystalline, crystallization from concentrated solution of glucose at around 303 केल्विन दूसरी तरफ है बीटा फॉर्म ऑफ ग्लूकोस जिसका मेल्टिंग पॉइंट है 423 केल्विन और इसे हम पाते कैसे हैं बाई क्रिस्टलाइजेशन फ्रॉम हॉट एंड सैट्यूरेटेड एक्वस सॉल्यूशन ऑफ ग्लूकोस आट अरांट 371 केल्विन अब यह जो मिलाकर इसका रिजल्ट यह हुआ कि यह मान इसका मतलब ग्लूकोस के बारे में हमने जो भी चीज़े निकाली थी कि भाई इसमें आल्डिहाइट ग्रूप है इसमें पांच ओवेश ग्रूप है वगरा वगरा वो सब सही है लेकिन शायद ग्लूकोस जो है ये ओपन चेन स्ट्रक्चर में एक्जिस्ट ही नहीं करता है औ कि एक one of the OH groups जो है ये जाके जुड़ जाता है CHO group के साथ, CHO जो top पे है, aldehyde group, उसके साथ जुड़ के एक cyclic hemiacetal structure बनाता है, hemiacetal किसे कहते हैं हम, COHOR जहां पे हो उसे हम hemiacetal कहते हैं, ठीक है, सवाल ये था कि यार कौन सा वाला OH group जाके, जुड़ेगा CHO के साथ तो देखा ये गया कि जो हमारा glucose का open chain structure था अभी तक का उसमें अगर carbon को उपर से number करना शुरू करो 1,2,3,4,5 तो जो पाँचवा carbon है उसके साथ जो OH लगावा था वो OH जाके CHO के साथ जुड़ जाएगा तो इससे क्या हो गया अब एक cyclic structure बन गया ब क्या हुआ मतलब थोड़ी देर पहले आपने बोला था कि भाई ओपन चेन स्ट्रक्चर सही नहीं है क्योंकि इसके कुछ-कुछ लिमिटेशन से यह कुछ चीजों को एक्सप्लेन नहीं कर पा रहा था क्या उन चीजों को यह साइट लिक्स्टर एक्सप्लेन कर पाएगा वेल कर पाएगा देखते हैं कैसे कर पाएगा हमने बोला था जो भी चीजें ओपन चेन स्ट्रक्चर की शो करते हैं हमारा ग्लुकोस जो है वह रिएक्शन शो नहीं कर रहा है कर रहा था क्यों नहीं कर रहा था क्योंकि ग्लूको जो CHO है वो free नहीं है, वो किसी और के साथ घुलने मिलने के लिए free नहीं है, ये चीज हमारा open chain structure explain नहीं कर पा रहा था, क्योंकि open chain structure में तो CHO एक तरफ end में free बैठा हुआ था, but अब जब हमने cyclic structure बना दिया तो हम आपको दिखा रहा है कि भाई चीजों अब हमारे पास फ्री नहीं है उन सारे रिएक्शंस को दिखाने के लिए तो इस तरह से एक लिमिटेशन तो दूर हुआ दूसरा लिमिटेशन था कि हम वह जो हमारा ओपन स्ट्रक्चर था वह यह प्रूव कर पा रहा था कि कैसे ग्लूकोस जो है यह दो डिफरेंट फॉर्म में एक्सिस्ट करता है आलफा फॉर्म और बीटा फॉर्म है लेकिन अब जो हमारा प्लोज ट्रक्चर था यह इसके दोनों फॉर्म के एक्सिस्टेंस को भी बता पा रहा है तो देखो यहाँ पर हमें अल्फा फॉर्म और बीटा फॉर्म औफ ग्लूकोस दोनों ही दिख रहा है, दोनों में फरक क्या है? हलका सा फरक है, और इसलिए अल्फा और बीटा फॉर्म औफ ग्लूकोस को हम एक दूसरे का अनोमर्स भी कहते हैं, तो बच्चों अगर हम ग् यानि कि alpha form of glucose and beta form of glucose, तो इन दोनों में सिर्फ एक फर्क है, और वो फर्क कहां पे दिखता है, पहले carbon पे, यानि कि C1 पे, C1 के उपर अगर हम OH के position को देखें, तो alpha carbon में OH C1 के right में है, बीटा कारबन में OH जो है वो C1 के left में है, तो दोनों structure में सिरफ इतना ही फरक है configuration का, ठीक है, इसलिए ये जो पहला वाला carbon है, इसे हम Anomeric carbon भी कहते हैं, क्योंकि इसी carbon के किस तरह के पर पर तरफ ओवेज है उसके बेसिस पर हम बताते हैं कि ये कौन सा वाला अनोमेरिक फॉर्म है तो देखो इस तरीके से ग्लुकोस का जो साइक्लिक स्ट्रक्चर था इसने जितने भी ओपन चेन स्ट्रक्चर के लिमिटेशन से उनको दूर कर दिये अब ग्लुकोस के साइक्लिक structures में भी काफी modifications आते गए जैसे कि अब हम discuss करने वाले हैं Havot structure, Havot structure कैसा दिखता था, well Havot structure में जो glucose का cyclic structure होता था यह बहुत जादा resemble करता था Pyran, Pyran क्या होता है, Pyran एक cyclic organic compound होता है जिसमें एक oxygen होता है और पांच carbon होते हैं उसके ring में, ठीक है, तो इस Pyran से similar दिखता हुआ जो glucose का cyclic structure होता था उसे हम Pyranose structure भी कहते हैं, pyranose क्यों? क्योंकि ये pyran से similar होता है, अब सवाल होता है कि ये pyranose structures हम बनाएंगे कैसे, तो इसके लिए मैं share करूँगी आपके साथ एक मस्त वाला trick, ठीक है, सबसे पहले क्या करेंगे, सबसे पहले हम alpha glucose और beta glucose दोनों का cyclic structure बना लेंगे, जो कि ऐसे है, ठीक है रूप के साथ एंड बैट्स हमें साइट्रिक्स ट्रक्चर मिल गया एल��ा बीटा दोनों फॉर्म मिल गया ओके अब इन्हीं को देखते हुए हम एलफा डी ग्लूकोपाइरानोस एलफा बीटा डी ग्लूकोपाइरानोस यह दोनों स्ट्रक्चर्स बनाएंगे ठीक हैं आपको सिर्फ यहां पर एक ही बात का ध्यान रखना है जो भी चीजें राइट साइड पर लिखी हुई है उसको आपको नीचे लिखना है मतलब राइट लोवर साइड में जो राइट साइड में है उसको नीचे लिखना है जो लेफ्ट साइड में है उसको उपर ऊपर लिखना है यह याद रहेगा राइट लो मतलब राइट लो नहीं राइट लो मतलब जो राइट साइड में हैं उसको लोवर साइड में लिखो ठीक है राइट साइड में कहां पर है साइट्लिक स्ट्रक्चर में लोवर साइड में कहां पर लिखोगे एक सिक्स मेंबर ड्रिंग बना लिया हमने सबसे पहले बना लिया बहुत बढ़िया सब जगह एक डंडी बना दो ऐसे करके बना दिया अब इस डंडी के नीचे लोवर साइड में क्या लिखा लिखोगे जो आपके cyclic structure के right side में है ठीक है cyclic structure के right side में क्या है OH OH HOH यह है ठीक है इसी sequence में इसको lower side में लिखते चले जाओ OH OH HOH लिख दिया बहुत बढ़िया अब जो left side में है आपके cyclic structure में क्या है H H OH H इनको लिखते चले जाओ upper side में ठीक है तो अपर साइड में लिख दिया H, H, O, H, H बस बन गया हमारा alpha D-glucopyranase ठीक इसी तरीके से चलो ट्राइ करते हैं बनाने का beta D-glucopyranose कैसे बनाएंगे? जो right low, याद रखना है हमारा memory tip right low जो right side में है उसको lower side में लिखेंगे तो यहाँ पर beta glucose के case में right side में क्या क्या है?

right side में है H, O, H, H, O, H तो H, O, H, H, O, H को हम lower side में लिख देंगे चारों डंडी के, लिख डाला, अब देखते हैं कि left side में क्या है, O, H, H, O, H, H, अब इनको लिख डालेंगे, हम upper side में ये भी लिख डाला, लिख डाला तो बस हो गया, लिख डाला तो इसका मतलब हमारा beta D-glucopyranose का structure भी बन चुका तो चलो बच्चा पाटी अब हम डिस्कस करते हैं अगले मोनो साकराइड के बारे में विचिस फ्रुक्टोस फ्रुक्टोस एक नैचरल मोनो साकराइड है जो कि पाया जाता है हनी फ्रूट्स और वेजिटेबल्स में फ्रुक्टोस का मॉलिकुलर फॉर्मुला बिल्कुल H12O6, लेकिन फ्रुक्टोस ग्लुकोस से अलग कैसे है, क्योंकि फ्रुक्टोस जो है ये एक कीटो हेकसोज है, कीटो हेकसोज मतलब इसमें 6 कार्बन तो है, that is why it is hex, लेकिन इसमें कीटोन ग्रुप है, ग्लुकोस के केस में अलजिवित है, अलडीबाइट ग्रुप था ठीक है ग्लुकोस के केस में जो हमारा पहला कार्बन था सीवन उसी में ही अलडीबाइट ग्रुप था बट कि टोन के केस में जो हमारा कार्बन टू होता है वहां पर कि टोन ग्रुप होता है ऐसा क्यों आप पूछ सकते का फॉरमाट सी डबल बॉंड ओ एक तरफ एक आर दूसरा तरफ एक और हर मतलब कार्बन के दोनों तरफ एक-एक कार्बन होना चाहिए राइट तो ऐसा तो तभी पॉसिबल है जब यह कार्बन एक कॉर्नर पर ना हो सो देख से रीजन कीटो ग्रुप इसके अलावा बात करें अगर हम इसके प्रेपरेशन की तो भी फ्रुक्टोस तो ग्लूकोस के साथ साथ ही प्रिपेर हो जाता है जब हम सुक्रोज का हाइड्रोलिसिस करते हैं या दे केन शुगर C12H22O11 जब उसका हम हाइड्रोलिसिस करते हैं तो हमें क्या मिलता है ग्लूकोस प्लस फ्रुक्टोस अब बात करेंगे फ्रुक्टोस के स्ट्रक्चर की तो सबसे पहले देखते हैं ओपन चेन स्ट्रक्चर तो फ्रुक्टोस का ओपन चेन स्ट्रक्चर कैसे बनाओगे सबसे पहले तो एक वर्टिकल लंबा लाइन खीच दोगे जिसमें उपर क्या लग चीज नहीं नहीं नहीं नहीं ऊपर अगर आईडीट ग्रुप लगा दिया तो बन जाएगा ग्लूकोस बच मुझे क्या बनाना है फ्रॉक्टोस तो इसी लिए ऊपर लगाएंगे सीएच टू ओ लेकिन दूसरे नंबर कार्बन पर लगाएंगे सी ओ सी डबल बॉंड ओ देट इस द कीटोन ग्रुप उसके बाद सबसे नीचे वाले कार्बन पर लगाएंगे फिर से सीएच टू ओ एच तो मतलब ऊपर नीचे दोनों तरफ सीएच टू ओ एच दूसरे वाले कार्बन पर सी तो अब आप मुझे बताओ कि क्या ये D configuration है या L configuration है। कैसे बताते हैं हम? हम lowest asymmetric carbon को ढूंढते हैं, ढूंढ लिया? ढूंढ लिया, अब इस carbon पे देखो OH right side की तरफ है, बिल्कुल है, यानि कि ये D configuration है, ये D fructose है, दूसरी बात, यहाँ पर आपने notice क्या होगा, जब हम glucose के structures discuss कर रहे थे, तो वहाँ पर ना D के बगल में एक plus sign रह रोटेटरी नेचर के बारे में, मतलब ये सारे ओप्टिकली अक्टिव कमपाउंड्स हैं तो जो भी प्लेन पोलराइज राइट के प्लेन को राइट की तरफ घुमाता है वो डेक्स्टो रोटेटरी ह और जो उसे left की तरफ गुमाता है वो level rotatory होता है जिसे हम minus से denote करते हैं plus minus का use इसलिए करते हैं ताकि वो D और L में confusion ना हो जाए तो कुल मिला कि ये जो open strain structure fructose का हमें दिख रहा है ये कैसा है ये D है ये minus है और ये fructose है fructose cyclic structure में भी exist करता है कैसे बनाते हैं हम इसका cyclic structure जो 5 नमर वाला carbon है C5 उसके साथ जो OH group लगा हुआ है वो OH जाके जुड़ जाता है डबल वांड ओ के साथ और वहाँ हमें साइकलिक स्ट्रॉक्चर मिलता है साइकलिक स्ट्रॉक्चर के भी दो फॉर्म होते हैं एक अलफा फॉर्म और एक बीटा फॉ जिसमें जो सबसे उपर वाला carbon है, मतलब cyclic structure बनने के बाद जो सबसे उपर carbon है, उसके साथ जो OH group लगा हुआ है, अगर वो right side पे है, तो वो हो जाता है alpha form, अगर OH group left side में है, तो वो हो जाता है beta form.

In fact, फ्रॉक्टोस के अगर हम cyclic structure की बात करें, अगर हम इसके havert structure की बात करें, तो यहाँ पर हम इने नाम देते हैं furanose, furanose structure क्यों कहते हैं, क्योंकि ये एक furan नाम के cyclic organic compound से काफी similar होता है furan एक ऐसा cyclic compound है जिसमें एक oxygen होता है और चार carbon मतलब five membered ring structure होता है जिसे हम furan कहते हैं और जब हम fructose के cyclic structure को बनाते हैं they resemble furan that's why they are called furanos तो बच्चा पाटी अब discuss करेंगे हम हमारा अगला biomolecule जो कि किसी भी living system का most abundant biomolecule है can you guess what is it? प्रोटीन एक्जाटली प्रोटीन जो है यह हमारे बॉडी के लिए बहुत ज्यादा इंपोर्टेंट होता है इसीलिए कई बार आपने देखा होगा कि हमारे पैरेंट्स डॉक्टर्स वगैरह हमें हमेशा कहते रहते हैं कि अच्छे से दूध पीओ अच्छे से पल्स खाओ यानि कि दाल पीओ क्यों क्योंकि इनमें होता है हाई प्रोटीन इसके अलावा जैसे फिश मीट एग इनमें भी होता है हाई प्रोटीन प्रोटीन जरूरी क्यों होता है क्योंकि हमारे बॉडी के ग्रोथ एंड मेंटेनेंस के लिए प्रोटीन प्रोटीन जो word है यह आया है एक Greek word प्रोटियोस से जिसका मतलब होता है प्राइम इंपोर्टेंस मतलब कोई ऐसी जीज जो बहुत इंपोर्टेंट हो जिसका इंपोर्टेंस is very significant उसे हम कहते हैं प्रोटीन तो बच्चों अगर प्रोटीन के structure की बात करें तो all proteins are polymers of alpha amino acid polymer का मतलब समझ में आता है कोई भी ऐसा compound जो बहुत सारे repeating units of monomers से बने होते हैं जैसे एक ही unit है वही और और और और और बहुत सारे वैसे यूनिट जुड़कर एक पॉलिमर बनाते हैं अब आप पूछोगे कि लेकिन यह एलफा एमिनो आसिड क्या होता है एमिनो आसिड नाम पर फोकस करना है जैसा कि मैंने पहले भी बोला है फिजिक्स केमिस्ट्री पढ़ते हैं तो नाम पर जरूर फोकस करना है क्योंकि नाम ही काफी क� यानि कि NH2 acid यानि कि इसमें carboxylic acid group भी होगा which is COOH तो यानि कि amino acid एक ऐसा compound है जिसके अंदर NH2 और COOH ये दोनों groups present होते हैं अब alpha amino acid ये क्या होता है अब देखो amino acid को कई categories में classify किया जाता है based on कि NH2 group का position कहां पे है with respect to the carboxyl group यानि कि COOH group के respect में NH2 group का position कहां पे है तो इस basis पर हम amino acids को alpha amino acid, beta amino acid, gamma amino acid and the same thing और अलग-अलग categories में classify करते हैं तो चलो सबसे पहले देखते हैं कि alpha, beta, gamma amino acids होते क्या हैं तो जिस carbon पे carboxyl group है यानि कि जिस carbon पे COOH group है अगर उसी carbon पे NH2 group भी लगा हुआ है तो उसे हम कहेंगे alpha amino acid अगर जिस carbon पे COOH group है उसके पड़ोसी carbon पे NH2 group लगा हुआ है तो उसे हम कहेंगे beta amino acid जिस carbon पे COOH लगा हुआ है उसके पड़ोसी carbon पे COOH group लगा हुआ है पडोसी के पडोसी कारवन पे अगर NH2 ग्रूप लगा हुआ है, तो उसे हम कहेंगे गामा एमाइनो आसिड. तो अब समझ में आ गया, कैसे जैसे जैसे NH2 ग्रूप कारबोक्सिलिक ग्रूप से जादा दूर होता जाएगा, वैसे वैसे हम अलफा से बीटा, बीटा से गामा, गामा से डेल्टा ऐसे जाते जाएगे. तो फिलाल यहाँ पर मुद्धा है सिर्फ अलफा एमाइनो आसिड का, क्योंकि प्रोटीन को तुम हाइडरोलाइज करोगे, से मिलता है अब यह जो अल्फा अमाइनो ऐसेड्स होते हैं इनके नेमिंग का कोई स्पेसिफिक कन्वेंशन होता नहीं है तो इनके इसका taste sweet होता है और Greek में glycose मतलब होता है sugar अगर बात करें tyrosine की तो tyrosine को पहली बार obtain किया गया था cheese से और Greek में tyros का मतलब होता है cheese तो इसलिए इसका नाम पढ़ गया tyrosine अब generally amino acids को अगर हमें short में represent करना हो तो हम three letter word का use करते हैं जैसे माल लो अगर हमें glycine को शॉट फॉर्म में दिखाना है तो हम ग्लाइसिन को लिखते हैं जी एल वाइड अगर टाइरोसिन का शॉट फॉर्म में लिखना है तो हम लिखते हैं टी वाइड काई बार एक सिंगल एलफाबेट का यूज भी किया जाता है जैसा कि मैंने पहले भी बताया था कि अगर अल्फा अमाइनो आसिड्स की बात करें तो टोटल 20 अल्फा अ तो बच्चा पार्टी यह है हमारे 20 अलफा अमिनो आसिड्स तो देखो यहाँ पर अलफा अमिनो आसिड्स के नाम दिये हुए हैं उनका 3 लेटर सिम्बल भी दिया हुआ है और उनका 1 लेटर सिम्बल भी दिया हुआ है तो एक्साम्पल के तौर पर अगर आप ध्यान दो कई बार ऐसे अमिनो आसिड्स होते हैं जो सारे सेम लेटर से शुरू होते हैं पर एक्साम्पल जैसे अलनिन आर्जिनिन, एस्पेराजिन, ये सारे लेटर ए से शुरू होते हैं, लेकिन सब का जो सिंगल लेटर सिम्बल है, वो ए तो नहीं है, क्योंकि सब को ए से डिनोट करने लग गया, तो पदा कैसे चलेगा कि हम किसको डिनोट कर रहे हैं, तो इसलिए हमने क्या क्या, आलनिन के ल प्रेजेंट है और उसी तरह से जो उनका थ्री लेटर सिंबल होता है उसमें कंफ्यूजन के चांसेस कम होते हैं क्योंकि जैसे अगर अगर और इस तरह को चलो बच्चों देखते हैं कि अमिनो आसिड को हम क्लासिफाई कैसे कर सकते हैं तो अमिनो आसिड को हम तीन कैटेगरी में क्लासिफाई कर सकते हैं एसिडिक बेसिक एंड न्यूट्रल अमिनो आसिड किसके बेसिस पर हम यह क्लासिफिकेशन करेंगे बेस्ट ऑन द नंबर ऑफ कार्बॉक्सिल ग्रुप एंड नंबर ऑफ एमाइनो ग्रूप मतलब क्योंसा बहुत सिंपल है, बहुत लॉजिकल है, आप खुद सोचो, अगर कोई amino acid acidic है, इसका मतलब उसमें जो number of carboxyl group है, वो जादा है compared to NH2, right, क्योंकि COOH जो है, ये acid है, तो जादा COOH groups होंगे, तो मतलब वो acidic होगा, simple. उसी तरीके से अगर number of amino group ज़्यादा है, NH2 group अगर ज़्यादा है compared to COOH तब हम उसे कहेंगे basic amino acid और अगर दोनों बराबर हुए, अगर 2 amino group, 2 carboxylic group है या फिर 1 amino, 1 carboxyl group है, तो वो हो जाएगा neutral amino acid तो example के तौर पे देख सकते हैं alanine alanine एक neutral amino acid है, क्योंकि इसमें एक carboxyl group है और एक ही amino group है अगर बात करें, aspartic acid का, नाम से ही पता चल रहा है कि ये acidic amino acid है क्यों?

क्योंकि इसमें 2 carboxyl group है लेकिन सिर्फ 1 amino group है अगर बात करें arginine की तो यहाँ पे देखो more than 1 amino group है लेकिन carboxyl group कम है तो इसलिए ये कैसा है? ये है basic amino acid amino acid को हम दो और categories में classify कर सकते हैं that is non-essential amino acid and essential amino acid ये क्या होते है non-essential मतलब ऐसे amino acid जो हमारे body के अंदर ही बना है बन जाते हैं इसीलिए इन्हें हमें डाइट के थ्रू लेने की जरूरत नहीं है इसीलिए इनका नाम है नॉन एसेंशियल नॉन एसेंशियल मतलब बाहर से इनको खाना बाहर से इसको किसी डाइट के थ्रू या खाने के थ्रू आपके लिए लेना एसेंशियल नहीं है देट इस नॉन एसेंशियल दूसरी तरफ एसेंशियल एमिनो ऐसेज वह होते हैं जिनकी सिंथेसिस खाने के तुरू, डाइट के तुरू, अभी-अभी मैंने बोला था, there are so many protein rich food, जैसे कि fish, जैसे कि milk, जैसे कि egg, जैसे कि pulses, इन सारे चीजों में होता है protein, बोले तो इन सारे चीजों में यही वाले essential amino acids होते हैं, histidine, tryptophan, methionine, valine, leucine, यह कुछ examples हैं essential amino acids के, तो अभी अभी जो हमने 20 alpha amino acids देखे थे, उनमें से ये सारे है essential amino acids और ये सारे है non-essential amino acids. तो चलो अब देखते हैं amino acid के properties को, ये usually colorless होते हैं, crystalline solids होते हैं, high melting solids होते हैं, water soluble होते हैं.

इनके खास बात यो होती है कि वैसे तो इनमें amino group है, इनमें carboxylic acid का group है, लेकिन जब हम इनके behavior को देखते हैं, तब ये... अमीन जैसा भी कम बिहेव करते हैं, असिड जैसा भी कम बिहेव करते हैं, ये ज्यादा बिहेव करते हैं सॉल्ट की तरह, ऐसा बिहेवियर इसलिए होता है क्योंकि इसमें चुकी अमीनो और असिड, मतलब अमीनो क्या है, अमीन जो है तो इस बेसिक इन नेचर, तो एक बेस ह एमिनो आसिड्स का एक और बहुत ही खासम खास प्रॉपर्टी है और वो यह है कि यह एमफोटेरिक बिहेवियर भी शो करते हैं इन द फॉर्म आफ जूटर आयन एक वर्ष सोल्यूशन में जब हम इसको पानी में ले कर जाते हैं तब यह एमफोटेरिक बिहेवियर शो करता है एमफोटेरिक का मतलब होता है आसिड की तरह भी बिहेव करता है और बेस की तरह भी बिहेव करता है ऐसा कैसे होता है इंटरेस्टिंग राइट तो होता कुछ कि ये amino acid जब aqua solution में जाता है तो इसका जो carboxyl group है that is COOH वो क्या करता है वो उसका खुद का nature है वो acid है तो इसलिए वो H plus donate करता है तो वो अपना H plus दे देता है तो खुद क्या बन जाता है COO minus अब यह जो H+, उसने दे दिया, इस H+, को पिक कौन करेगा, जो बेस होगा, अब दिक्कत यहाँ पर यह है, कि जो NH2 है, जो अमीनो ग्रूप है, वो भी तो इसी amino acid में है, तो NH2 मौके का फायदा उठाता है, और वो उस H+, को गेन कर लेता है, तो वो बन जाता है NH3+. तो अब देखो मज़ेदार बात क्या हो गई कि इसी amino acid का एक कोने में है minus charge दूसरे कोने में है plus charge वैसे देखा जाए तो overall ये molecule neutral है क्योंकि neutral positive charge भी negative charge भी है लेकिन ऐसा है तो सही कि एक तरफ negative charge है दूसरे तरफ positive charge है तो यानि कि जरूरत पढ़ने पे ये acid की तरह भी behave कर सकता ह तो वह व्यापस है इस विशेष ने तो मतलब कहानी कुछ यू है कि दान देने वाला जैसे एक अमीर आदमी है जिसके पास बहुत पैसे है तो वह दान दे रहा है दूसरी तरफ गरीब आदमी है जिसके पास कम पैसे है तो वह उस दान ��ो ले रहा है यहां कुछ ऐसा फंडा है कि एक ही मॉलिक्यूल के अंदर देने वाला भी है और लेने वाला भी है भी है इट एक ही फैमिली के अंदर देने वाला बंदा भी है और लेने वाला बंदा भी है राइट तो यानी कि वह जो फैमिली है जरूरत पड़ने पर वह दानी की तरह भी बिहेव कर सकते हैं वह जो बंदा पैसा दे सकता है वह पैसा दे सकता है राइट जरूरत प वो पैसे लेने वाले की तरह भी behave कर सकते हैं तो कुछ वैसी कहा नहीं है यहाँ पर यह जो zwitterion है जो zwitterion का एक end positive दूसरा तरफ negative तो दोनों चीज़ों के होने के वाज़े से हमें देखने को मिलता है amino acid का amphoteric behavior अगर हम optical activity की बात करें तो glycine एक लोटा exception है glycine के अलावा बाकि जितने भी alpha amino acids हैं वो सारे के सारे optically active है optically active कौन होता है जिसके अंदर एक asymmetry है कार्बन हो राइट एसिमेट्रिक कार्बन सब में होता है सिवाई ग्लाइसीन के लाइसिन का स्ट्रक्चर देख लो जो कार्बन है इसमें एक तरफ हाइड्रोजन है दूसरी तरफ भी हाइड्रोजन है इसका मतलब इस कार्बन से जुड़े वे जो चारों ग्रूप से वह चारों अलग नहीं है दो तो सेमिय दो हाइड्रोजन है राइट तो इसलिए यहां पर है एसिमेट्रिक कार्बन है इसमें इसलिए यह ऑप्टिकली एक्टिव है तो जैसा कि मैंने बताया था कि प्रोटीन जो होते हैं यह पॉलिमर्स होते हैं एलफा एमाइनो एसेड्स के इसका मतलब बहुत सारे एलफा एमाइनो एसेड्स जो है वह साथ में कनेक्ट हो जाते हैं साथ में जुड़ जाते हैं एंड विगेट प्रोटीन टेक्ट सवाल यह जोड़ता कौन है तो let us suppose आपके पास 2 amino acid हैं हमने 2 simple वाले amino acid लिये अब दोनों amino acid पर focus करो दोनों में amino group है दोनों में carboxyl group है अब यह जो peptide bond बनता है यह पहले amino acid के carboxyl group के साथ दूसरे amino acid के amino group के बीच में बनता है तो एक का carboxyl group है COOH दूसरे का amino group है NH2 अब इसमें से H2O निकल जाता है ठीक है तो ऐसे समझो कि COOH में से OH निकल गया NH2 में से एक H निकल गया तो H2O निकल गया बचा क्या?

CO NH ये CO NH आपस में जुड़ गये और ये पेप्टाइड बॉंड है इसी तरीके से ऐसे ही bond से जो है सारे alpha amino acid साथ में जुड़ जाते हैं and we get a protein तो peptide भी कई type के होते हैं right इन बिल्कुल rhyme हो गया न peptide भी कई type के होते हैं based on कि भाई कितने amino acid जुड़ हैं हम इनके अलग-अलग नाम दे देते हैं जैसे कि dipeptide दो अमाइन आसिड जुड़ते हैं दो अमाइन आसिड जुड़ेगा तो दोनों के बीच में एक पेप्टाइड लिंकेज होगा ठीक है ट्राइपेप्टाइड मतलब तीन अमाइन जूड़ेंगे तीन अमिनो असिट को जूड़ने के लिए कितने पेप्टाइड लिंकेजेस होंगे दो टेट्रा पेप्टाइड जब चार अमिनो असिट जूड़ेंगे चार अमिनो असिट जूड़ेंगे तो बीच में कितने होंगे लिंकेजेस तीन और सो और इसी तरीके स तो अब सवाल ही उठता है कि इन में से हम किसे protein कहेंगे, क्योंकि protein में क्या होता है, उसमें भी तो amino acids होते हैं बहुत सारे, तो exactly हम dipeptide को protein कहेंगे क्या, tripeptide को protein कहेंगे क्या, not really, तो हम किसे protein, हम वैसे polypeptides को protein कहेंगे जिसके अंदर लगबग 100 से ज़्यादा amino acids हों, उसे हम ideally उसे ही हम protein कहते हैं, तो जिसके अंदर 100 से ज़्यादा amino acids हों और जिसका atomic mass 10,000 atomic mass units से अधिक हो, उसे हम protein कहते हैं, लेकिन अब आप पूछोगे कि क्या इसका मतलब है कि जिन polypeptides में lesser number of amino acids हैं, उन्हें क्या हम protein नहीं कह सकते हैं, बिल्कुल लेकिन प्रोटीन हैं, कह सकते हैं? Well, कह सकते हैं, जैसे कि एक example है insulin का, insulin एक protein है, लेकिन insulin के अंदर सिरफ 51 amino acids है, but still उसे हम protein कहते हैं, क्यों कहते हैं? क्योंकि उनका एक well defined confirmation है, एक well defined arrangement है, इसकी वज़े से उन्हें हम protein की तरह categorize करते हैं. Proteins को भी हम कई types में classify कर सकते हैं, जैसे कि fibrous protein, globular protein, कि ये जो classification हमने किया है, यह किसके बेसिस पर किया होगा इनके स्ट्रक्चरल अरेंजमेंट के बेसिस पर फाइब्रस ग्लोबूलर कुछ globule shaped होगा Fibrous कुछ Fiber की तरह होगा, right? क्या होगा वो अभी देखने को मिलेगा Fibrous protein होता क्या है?

Fiber से आया होगा word Fibrous मतलब Fiber की तरह दिखता होगा Fiber से क्या याद आता है? जैसे कि एक रसी टाइप की चीज़ याद आती है ऐसा कुछ दिमाग में आता है तो Fibrous protein में क्या होता है? कि जो Polypeptide के चेंस होती हैं ऐसे चेंस परलल रन करते हैं एक Polypeptide का चेंस, एक और Polypeptide का चेंस और इन दोनों चेंस को जॉइन करके कौन रखता है? Hydrogen Borne बॉंड्स एंड डाइसलफाइड बॉंड्स तो जब ऐसे पतली-पतली ऐसे सोचो पतली-पतली जो धागे है ना वह एक के परलेल में एक एरेंज्ड है और उनके बीच में कोई चीज है जो उनको साथ में रख रही है तो वह कैसा दिखेगा एक फाइबर के जैनरली पानी में इन सॉल्यूबल होते हैं इन सॉल्यूबल इन वाटर एग्जांपल के तौर पर केराटिन मायोसिन यह कुछ एग्जांपल मिलता है बाल में पाया जाता है मायोसिन कहां मिलता है मसल्स में पाया जाता है ग्लोब्यूलर प्रोटीन क्या लगता है आपको यह कैसा सा दिखने में होगा ग्लोब्यूलर वर्ड किससे सिमिला लग रहा है ग्लोब से ग्लोब कैसा होता प्रोटीन जो है यह पानी में सॉल्यूबल होते हैं एग्जांपल अगर बात करें तो इंसुलिन एल्बूमिन यह कुछ कुछ हैं globular proteins. तो पच्चों, हमें यह दिख रहा है कि protein का जो categorization है, that is based on the shape, मतलब उसका structure कैसा होगा, shape कैसा होगा, so it is important to learn about the structure of proteins, तो protein का structure को हम 4 levels में पढ़ते हैं, primary structure, secondary structure, tertiary structure और quaternary structure, जैसे जैसे हम higher level पे जाएंगे, primary से secondary, secondary से tertiary जैसे जैसे जाएंगे, तो हम देखेंगे कि यह structure उतन चारों stages तो सबसे पहले बात करेंगे primary structure की तो primary structure में जो सबसे ज़ादा important होता है वो होता है sequence of amino acid कोई भी polypeptide में क्या होता है amino acids एक दूसरे के साथ linked होते हैं right तो इन amino acid का जो sequence है वो sequence बनाता है हमारा primary structure तो मतलब अगर किसी protein का primary structure ही change कर दिया, इसका मतलब वो protein ही change हो गया, बात को समझो, एक protein है, let's say, उस protein में एक particular sequence of amino acid है, ठीक है, पहले ये, फिर ये, अब मैं तो मैंने क्या किया लेट्स से 123 यह तीन है मैनो ऐसेज मैंने क्या किया भाई थ्री को बीच में डाल दिया टू को पीछे लेकर जैसे ही वह बेसिक सीक्वेंसी चेंज कर दिया तो अब मेरा यह प्रोटीन ही कोई दूसरा हो गया समझ रहे हो प्राइमरी स्ट्रक्चर इ इसको समझने के लिए सबसे आसान तरीका बताती हूं, ऐसे समझो, जैसे मान लो मैंने आपको तीन अल्फाबेट्स दिये, R, A और T, ठीक है, ये तीन अल्फाबेट्स मैंने आपको दिये, अब इन तीनों अल्फाबेट्स मैंने बोला आपको वर्ड बनाना है, ठीक है, अग एक ही जगह आर कर दिया तो क्या बन गया ए आर टी आर्ट क्या आर्ट का मतलब भी चूहा होता है नहीं आर्ट मतलब आर्ट यह उसका आर्ट है अगर मैंने इसको फिर से घुमा के इसको बना दिया टी ए आर टार क्या टार मतलब चूहा है नहीं टार मतलब आर्ट है नहीं कोल टार तो यहाँ पर जिस तरह से यह एलफ़बिट्स हैं उसी तरीके से हमारे अमाइनो एसिड्स हैं तो अमाइनो एसिड्स का जो सीक्विन्स है ना पर्टिकुलर सीक्विन्स वन अमाइनो एसिड्स तुम सीक्विन्स का हेर फेर कर दोगे तो तुम्हारा अमाइनो एसिड्स का प्रोटीम भी चेंज हो जाएगा सो दिस एग्जाटली द प्राइमरी स्ट्रक्चर तो चलो देखते हैं कि सेकेंडरी स्ट्रक्चर में क्या होता है सेकेंडरी स्ट्रक्चर में हम नोटिस करते हैं कि जो हमारे पॉलीपेप्टाइड से ना उनकी फोल्डिंग जाती ह रहते हैं क्योंकि यहां पर हम सिर्फ sequence की बात नहीं कर रहे हैं हम कह रहे हैं कि वो जो polypeptides हैं उनके अंदर CO और NH2 के बीच में bonding हो जाने की वज़े से वो क्या हो जाते हैं वो kind of folded हो जाते हैं और जिससे यह secondary structure arise होता है ठीक है तो secondary structure में भी दो forms हो सकते हैं एक हो सकता है alpha helix form दूसरा हो सकता है beta pleated structure तो अगर हम बात करें alpha helix structure की तो यहां पर एक helical structure बनता है, helical structure कैसा बनता है जैसे देखों कि आपके textbook में अक्सर यह word लिखा होता है right handed screw, helix structure right handed screw क्यों, screw देखा है कभी screw को जब हम घुमाते हैं, यू यू यू यू यू घुमाते हैं, right, तो वो एक इस तरीके का helical structure बनता है तो कुछ वैसा ही structure बनता है यहाँ पर भी, secondary structure में तो यह जो helical structure बनता है, इसकी खास बात यह होती है, जैसे helix का पहला turn है पहले turn के co के साथ दूसरे turn के nh के बीच में bond आ जाता है उसी तरह से हर जगा तो ऐसी होता है जिसके वजह से इस तरह की टर्निंग होती है क्योंकि यह टर्निंग कैसे होगी हवा में तो नहीं होगी पैट यह स्ट्रक्चर ऐसे हेलिकल फॉर्म में ऐसे स्टेबल क्यों है क्योंकि बॉंड बने हुए किसके किसके बीच में सीओ और एनेज के बीच में बॉंड इसी ओनेज के बीच में बॉंड है तो इस तरीके से यह ऐसा एलफा हेलिक प्लीट से क्या यादाता है स्कॉट की प्लीट या फिर सारी की प्लीट तो उसमें आप देखोगे कि ऐसे parallelly plates arranged होती हैं और वो एक दूसरे के parallel run करते हैं बिल्कुल एक के बगल में एक तो कुछ ऐसा ही structure यहाँ पर भी होता है यहाँ पर क्या होगा जितने peptides हैं वो बिल्कुल एक के बगल में एक ऐसे ऐसे arrange हो जाते हैं और उनके बीच में रहता है intermolecular hydrogen bonding तो उसके वज़े से इस तरह का एक sheet like structure मिलता है जिसमें हमें ऐसे अलग अलग pleats दिखते हैं तो इसलिए इस pleated structure की वज़े से ही इसका नाम पढ़ गया beta pleated sheet structure अब बारी है tertiary structure की tertiary में थोड़ा और complex हो जाएगा जो हमारा secondary structure था उसी structure में further folding होगी secondary structure में जैसे या तो helix बन रहा था या फिर beta pleated structure बन रहा था अब assume करो कि वही structure में और further folding अगर होती है तो कैसा होगा तो हमें थोड़े और complex type के structures मिलेंगे which are tertiary structures यहां से in fact we get two major molecular shapes एक तो globular और दूसरा फाइब्रस तो इसमें आप देखोगे कि इनकी फोल्डिंग की वजह से हमें इस तरह के शेप के प्रोटीन्स मिलते हैं अब एक सवाल आता है दिमाग में कि यह फोल्डिंग से जो स्ट्रक्चर्स बन रहे हैं जाए सेकेंडरी स्ट्रक्चर हो या फर्शरी स्ट्रक्चर सो यह स्टेबल रह कैसे रहे हैं इसके पीछे हाथ है बॉंड्स का हाइड्रोजन बॉंड्स डाइस इस तरह के जो bonds इनके बीच में हैं, इस तरह के जो intermolecular, van der waals forces हैं इनके बीच में, इनके होने की वज़े से ही इस तरह के structures जो further folding से बन रहे हैं, वो भी stable रह रहे हैं.

अब आ रही है हमारे चौथे stage की, यानि की quaternary structure, देखो अभी तो क्या हो रहा था, पहले तो हमने बोला सिर्फ sequence है, primary में, उसके बाद हमने बोला उसमें हलकी सी folding है, तो secondary आ गया, उसमें further folding है, तो tertiary आ गया, क्वाटरनरी में क्या होगा, we are not at all talking about just one polypeptide unit, हम कह रहे हैं कि ऐसे एक से अधिक polypeptide chains, जब साथ में इनके special arrangement को हम देखते हैं, that leads to quaternary structure, मतलब यहाँ पर हम सिर्फ एक chain की बात ही नहीं कर रहे हैं, यहाँ पर एक से अधिक polypeptides हैं, and that's how we get the quaternary structure, तो इसके अंदर जो यह multiple polypeptides हैं, उनके लिए हम एक term use करते हैं, which is subunits, तो protein के ये सारे structures को समझने का एक बहुत आसान visualization primary structure की बात की मतलब एक sequence of amino acids, that's it secondary structure की बात की मतलब primary structure में further folding tertiary की बात की तो secondary structure में और further folding और जहां quaternary की बात की तो वहाँ पर ऐसे folded structures जो है एक नहीं है दो तीन ऐसे polypeptides हैं, दो तीन ऐसे sub units हैं जो मिल करके बना रहे हैं quaternary structure तो देखो जैसे जैसे हम primary से secondary, secondary से tertiary की तरफ जा रहे हैं, वैसे वैसे एक protein के structure की complexity भी बढ़ रही है. तो बच्चों जहां हम protein के बारे में इतनी बातें discuss करते हैं, तो वहाँ पे protein का एक बहुत important concept होता है denaturation of protein. तो क्या होता है?

ये concept चलो समझते हैं तो बच्चो एक बात दिमाग में सेट कर लो कि प्रोटीन जो है ना हर एक प्रोटीन का अपना एक unique structure होता है उसका अपना एक specific biological activity होता है उसका एक अपना function है एक अपना structure है और जब कोई प्रोटीन एक living system के अंदर होता है है तो वह अपने उस यूनिक थ्री डिमेंशनल स्ट्रक्चर के साथ होता है वह अपना बायोलॉजिकल एक्टिविटी परफर्म कर रहा होता है और तब हम उसे कहते हैं नेटिव प्रोटीन ठीक है मतलब प्रोटीन पर फैक्टली फाइन फाइन या नॉट फाइन की बा प्रोटीन जो है वह अपने यूनिक स्ट्रक्चर में है अपना फंक्शन परफॉर्म कर रहा है ठीक है अब मान लो इसी प्रोटीन को हम कुछ चेंजेस के बीच ले आते हैं जैसे मान लो टेंपरेचर बढ़ा दिया या फिर पीएच चेंज कर दिया कुछ भी तरह के फिजिकल चेंजेस अगर अंडरगो करना पड़ता है इस प्रोटीन को तो क्या होता है इनके जो हाइड्रोजन बॉंड बना है किस वजह से बना है फोल्डिंग की वजह से फोल्डिंग किस वजह से हुई है बॉंडिंग की वजह से राइट तो अगर यह एग्रोजन बॉंड से तूट जाएं तो क्या होगा जो ग्लोब् निकल के आ जाएगा, मतलब वो unfold हो जाएगा, जो helix बना था, वो helix uncoil हो जाएगा, right, जो तार ऐसे ऐसे लपेटा गया था, क्यों लपेटा था, क्योंकि hydrogen bonds थे, intermolecular bonds थे, vanderwalls forces थे, बहुत सारे linkages थे, right, अब अगर वो bonds ही तूटने लगे तो क्या होगा, वो helix uncoil हो जाएगा, तो जब ऐसा होता है, तो protein जो है, वो अपनी biological activity को lose कर देता है, मतलब protein का जो property था, protein का जो nature था, वो खतम होने लग जाता है, और इसे ही हम कहते हैं denaturation of proteins, denature, मतलब protein का जो nature है वो खो जाना, that is denaturation of protein, तो during this denaturation क्या होता है, किसी भी protein का secondary tertiary structure जो है वो, खतम हो जाता है राइट क्यों क्योंकि वह बॉंट टू जाते हैं हाइड्रोजन बॉंट टू जाते हैं तो फोल्डिंग अनफोल्ड हो जाती है जो हेलिक्स था वह अनकॉयल हो जाता है तो इसकी सेकेंडरी टर्शियरी स्ट्रक्चर्स जो है वह खतम हो जाती है लेकिन उसका प्राइमरी स्ट्रक् प्राइमरी स्ट्रक्चर होता क्या है? सिर्फ the sequence of amino acids. अगर primary structure disturbed हो जाए, तब तो वो protein ही कुछ और बन जाएगा, right?

तो इसलिए वो protein वही protein रहता है, लेकिन उसका biological activity जो है, वो खतम हो जाता है, मतलब the protein doesn't really have that unique three-dimensional structure, हलाकि उसका sequence of amino acid अभी भी same है, ठीक है? और उसी वज़े से इसका जो activity है, उसमें भी फरक आ जाता है. तो इसे हम कहते है denaturation of proteins.

Renaturation of protein का एक बहुत अच्छे example है coagulation of egg white, कभी आपने देखा है कि जो egg होता है, जैसे जो raw egg होता है, उसको जब आप boil करते हो, तो क्या होता है? जो raw egg होता है, उसके अंदर आपको एक liquid वाला material दिखता है, लेकिन जैसे आप उसको boil कर लेते हो, तो क्या हो जाता है? वो thick तो हो जो चेंज होता है इसके दौरान क्या होता है तो होता कुछ यू है कि पहले जो इसमें बॉयल करने से पहले जो इसके अंदर प्रोटीन होता है देट इस एल्गूमिन प्रोटीन जो कि वाटर सोल्यूबल ग्लोबूलर प्रोटीन होता है ठीक है जैसे हम इसे बॉयल करते हैं हैं तो हम काफी हाई टेंपरेचर में इसको हीट करते हैं तो टेंपरेचर के इस चेंज की वजह से प्रोटीन का क्या होता है सेकेंडरी टर्शरी स्ट्रक्चर डेस्ट्रॉय हो जाता है जैसा कि मैंने बोला था जिसकी वजह से प्रोटीन का बायोलॉजिकल एक्टि� और हमें जो मिलता है वो क्या होता है, वो मिलता है insoluble fibrous protein, तो पहले soluble globular form में था, अब insoluble fibrous form में है, ठीक है, लेकिन जो इसका primary structure है protein का, that still remains the same, मतलब protein का, जो sequence of amino acids था, that is still the same, तो यह है एक example denaturation of protein का, तो चलो अब पढ़ते हैं हम अगले biomolecules के बारे में, जो की है enzymes, तो enzymes क्या होते हैं, enzymes, एक बड़ा सा टर्म आ गया, बायो कैटलिस्ट, वो वो वो अगली क्लास में जा रहे हो सब कुछ आपके साथ हो रहा है लेकिन आपको अच्छा स्कोर करने में पढ़ाई को अच्छे और समझने में जो मदद कर रह एक टेलिस्ट है कि नहीं तो इन्जाइम्स जो है देया बायो कैटेलिस्ट क्यों क्योंकि लिविंग सिस्टम के अंदर जो रिएक्शंस हो रहे होते हैं उन रिएक्शंस में जो कैटेलिस्ट की तरह काम करते हैं उन्हें हम कहते हैं एंजाइम्स तो अब हम बात कर लेते हैं हम भी लिविंग ऑर्गानिजम है एक लिविंग सिस्टम है हमारे बॉडी के अंदर डाइजेशन होता है खाना हम खाते हैं वह खाना अंदर जाकर डाइजेस्ट होता है तो डाइजेशन का जो पूरा प्रोसेस है थे एक केमिकल रिएक्शन एब्स� जो सिंपलर मॉलेक्यूल्स है वह बॉडी में एब्जॉर्ब होते हैं सेल्स के अंदर उससे एनर्जी प्रोड्यूज होती है तो प्रोडक्शन ऑफ एनर्जी यह सारे केमिकल रिएक्शंस है राइट जो हमारे बॉडी के अंदर हो रहे होते हैं और इन सारे रिएक्शंस के दौरान हम बहुत सारे इनजाइम का हेल्प लेते हैं राइट जैसे आपने बहुत सारे इनजाइम के नाम सुने होंगे राइट जैसे खाना डाइजेस्ट होता है स्टमक में जो डाइजेस्टिंग का प्रोसेस होता है उसमें बहुत सारे इनजाइम का रोल होता है राइट तो यह सब और अब है इन्जाइंस इन फैक्ट अगर हम स्ट्रक्चर वाइस बात करें तो आलमोस्ट सारे इन्जाइंस जो है देवार ग्लॉबूलर प्रोटीन इन्जाइंस की एक और specific for a specific reaction एक particular reaction के लिए एक particular enzyme होता है in fact एक particular substrate के लिए जिसके उपर enzyme act करेगा तो एक specific substrate का specific enzyme होगा तो ऐसा नहीं है कि एक enzyme है तो वो जहां तहां जाके किसी भी reaction में मदद करेगा नहीं उसका एक वो choosy है काफी तो उसका specific substrate है उसका specific reaction है enzymes के नामकरन की अगर हम बात करें तो generally enzymes के नाम खतम होते हैं with the suffix एस एस इ इन फाक्ट इनके नेमिंग का एक और इंटरेस्टिंग चीज है कि एंजाइम जिस कंपाउंड के ऊपर आक्ट करता है या फिर जिस तरह के कंपाउंड के ऊपर आक्ट करता है कई बार उसी के ऊपर उनका नाम रख दिया जाता है जैसे कि माल्टोज का हाइड्रोलिसिस हो करके हमें मिलता है ग्लूकोज और इस रियाक्शन में मदद करता है एक एंजाइम जो माल्टोज के ऊपर आक्ट करता है चुकि ये माल्टोज के ऊपर आक्ट करता है इसलिए इस एंजाइम का नाम रख दिया गया माल्टेज लास्ट में देखो एसी से एंड हो रहा है कई बार ऐसा भी होता है कि इंजाइम के नाम इस बेसिस पर रख दिये जाते हैं कि वो किस तरह के reaction में मदद कर रहे हैं जैसे for example कुछ enzymes ऐसे होते हैं जो ऐसे reactions में मदद करते हैं जहाँ पर एक substrate का oxidation हो रहा होता है और दूसरे substrate का reduction हो रहा होता है हमने redox reactions पढ़ा है right एक जन का oxidation होता है तो दूसरे जन का reduction होता है तो ऐसे reactions में जो enzymes इन reactions को होने में मदद करते हैं उन्हें हम कहते हैं oxido reduct रिडक्टेज एंजाइम्स तो देखो इनका नाम क्या रख दिया हमने ऑक्सीडो रिडक्टेज क्योंकि यह ऑक्सीडेशन रिडक्टेज वाले रिएक्शन पर पाए जाते हैं इसलिए ऑक्सीडो रिडक्टेज लास्ट में लेकिन यहां भी एसए है तो बच्चा पार्टी अब बारी है अगले बायो पॉलिक्यूल की विच वाइटमिन जिसे कई लोग विटामिन भी कहते हैं तो सबसे पहले देखते हैं कि यह नाम कहां से आया तो नाम को हम दो हिस्से में तोड़ देंगे वाइटा एमीन वाइटा आया वाइटल से because it is vital to life living organisms के लिए ये बहुत important है so that's why the term vita amine क्योंकि earlier पहले ऐसा सोचा जाता था कि vitamins के structure के अंदर amine group है अमाइनो आसिड है बट बाद में देखा गया कि नहीं ऐसा कुछ है नहीं तो इसलिए सोचा गया अब क्या करे नाम तो रख दिया है तो vitamin का last वाला नाम हो गया vitamin या फिर vitamin तो vitamins जो है ये कुछ ऐसे organic compounds होते हैं जो बहुत कम मात्रा में चाहिए होती हैं, मतलब जैसे हमें हमारे day to day डाइट में हमें बहुत जादा amount में vitamins नहीं चाहिए होता है, हमें कम quantities में चाहिए होता है लेकिन catch यह है कि अगर इनकी deficiency हो जाए body में तो उससे specific diseases हो सकते हैं ठीक है जैसे for example let's talk about vitamin D जो कि sunlight में है जो कि egg yolk में होता है जो कि fish में होता है ठीक है तो अगर आपके body में adequate मातरा में vitamin D है तब तो बहुत deficiency हो जाए तो बच्चों में rickets हो जाता है बड़ों में rickets में क्या होता है bones इसमें अब नॉर्मिटीज आ जाती है डिफॉर्मिटीज आ जाती है एडल्ट्स में उस ट्यूम अलेशिया हो जाता है जिसमें जॉइंट पेन बोन्स में भी पेन इस तरह की चीजें लोग एक्सपीरियंस करते हैं उसी तरह एग्जांपल ले लो लेट्स बाइटमिन सी जो कि सिट्रस फ्रूट्स में जैसे ओरेंज लेमन्स इनमें बहुत ज्यादा मात्रा में पाया जाता है यह भी कम क्वांटिटी में चाहिए होता है बट चाहिए होता है अगर इसकी डेफिशियंसी हो जाए तो कई बार एक डिजीज हो स्कर्वी में क्या हो जाते हैं? bleeding gums जो मसूडे होते हैं वो bleed करने लगते हैं vitamins को जाते हैं Generally हम Alphabet से denote करते हैं जैसे कि Vitamin A, Vitamin B, Vitamin D, Vitamin C and so on. कई बार हम इनके sub groups भी करते हैं जैसे कि Vitamin B12, Vitamin B6 and so on.

इन फैक्ट जिस तरह से वाइटमिन की कमी से हमें डिजीज़ेस हो सकते हैं उसी तरीके से अगर बॉडी में एकसिस में वाइटमिन सो जाए तो वो भी हमारे बॉडी के लिए हामफूल है इसलिए जो वाइटमिन की जो टैबलेट्स होती हैं जो दवाईयां होती हैं वो कभी भी आपको अपने खुद मन से नहीं लेना चाहिए यह हमेशा आपको किसी डॉक्टर के कंसल्टेशन पे ही लेना चाहिए इसलिए आपने नोटिस के होगा कि जब कभी भी कोई डॉक् उससे पहले वो आपका blood test करवा के ये पता लगाते हैं कि कौन से vitamin की आपको कमी है तो बच्चा लोग क्या आपने कभी ये notice किया है कि हम थोड़ा बहुत ही सही पर हम अपने मम्मी पापा जैसे दिखते हैं हमारे मम्मी पापा जो हैं वो कुछ-कुछ दादा दादी के जैसे दिखते हैं नहीं कहते हैं कि हम बिल्कुल अपने पैरेंट्स की तरह दिखते हैं हमारे बहुत सारे फीचर्स बहुत अलग होते हैं बट तो कभी-कभी कुछ-कुछ फीचर्स हमारे पैरेंट्स रिजेंबल करते हैं ऐसा क्यों होता है इन फैक्ट यह जो यह फेनोमिनल होता है जिस जो है वो transmit होती है एक generation से दूसरे generation में इसी को ही हम कहते है heredity और इसके लिए responsible कौन होता है? अगर आप अपने basic bio के knowledge में चले जाओ तो हमने cell के बारे में पढ़ा हुआ है right? तो cell के अंदर एक चीज होती है nucleus तो nucleus responsible होता है for transmission of characters from parents to offspring अगर हम nucleus के भी अंदर चले जाएं तो इसके अंदर होता है chromosomes जो इस इस चीज के लिए रेस्पॉंसिबल होता है जो कैरेक्टर को ट्रांसमीट करता है एक जेनेरेशन से दूसरे जेनेरेशन पर और अगर हम क्रोमोजोम के भी अंदर चले जाए तो क्रोमोजोम किससे बने होते हैं क्रोमोजोम बने होते हैं बायो मॉलिक्यूल से कौन से बायो मॉलिक्यूल से यह बने होते हैं प्रोटीन और न्यूक्लिक आसेड से एंड डाइज आवर नेक्स्ट बायो न्यूक्लिक आसेड तो न्यूक्लिक आसेड होते क्या है न्यूक्लिक आसेड आप लोग चेन ऑफ पॉलिमर्स ऑफ न्यूक्लियोटाइड्स जैसे हमने प्रोटीन के बारे में पढ़ा कि वह पॉलिमर होते हैं किसके अमाइनो आसेड्स के रेट इसलिए पॉली पेप्टाइड्स विद एक स्पेसिफिक कैटेगरी ऑफ पॉली पेप्टाइड्स वही हम प्रोटीन कहते हैं यहां पर न्यूक्लिक आसेड्स जो है तो कि उसी तरीके से यह पॉलिमर होते हैं न्यूक्लियोटाइड्स के इसलिए इन्हें हम पॉली न्यूक्लियोटाइड्स भी कहते हैं क्या होता है न्यूक्लियोटाइड्स कैसे बनते हैं इनके देखेंगे अभी के लिए इतना जानों कि न्यूक्लिक आसिड दो टाइप के होते हैं डीएने डेटिस डी ऑक्सी राइबो न्यूक्लिक आसिड एंड आरेने डेटिस राइबो न्यूक्लिक आसिड तो चलो देखते हैं न्यूक्लिक आसिड का कॉमपोजीशन में होता क्या है तो जब हम न्यूक्लिक आसिड का हाइड्रोलिसिस करते हैं तो हमें तीन मेजर चीजें मिलती हैं पहला पेंटोज शुगर दूसरा फॉसफोरिक आसिड तीसरा बेसिस तो एक कर के तीनों को समझते हैं तो सबसे पहले पेंटोज शुगर पेंटोज का तो इसका मतलब क्या है पेंट इस पांच इसका मतलब फाइव मेंबर ड्रिंग विथ ऑक्सीजन देट इस पेंटोज तो पेंटोज शुगर हमें मिलता है ठीक है जब हम डिएने के स्ट्रक्चर को देखेंगे तो वहां पर जो हमारा शुगर मॉयटी होगा शुगर वाला पार्ट होगा देट इस बीटा डी टू डियोक्सी राइबोस और जब हम आरेनी की बात करेंगे तो उसका जो शुगर होगा देट इस बीटा डी राइबोस तो दोनों का स्ट्रक्चर देखो कंप्यूर करो फर्क क्या है एक में सिर्फ राइबोस है दूसरा इस डी दिओक्सी राइब्बोस क्योंकि देखो उसमें ओवेच जो है ओवेच का फरक है जो हाइड्रॉक्सी ग्रूप से उसका फरक है इन दोनों स्ट्रक्चर में ठीक है एंड ऐसे ही इन चीजों के फरक से ही डीएने और आरेने के ओवर और स्ट्रक्चर में फरक फोर उसके बाद जो तीसरा पार्ट है देट इज बेस इस बेस हम किसे कहते हैं तो बेसिस होते हैं नाइट्रोजन कंटेनिंग एट्रो साइट क्लिक कंपाउंड प् इसके अंदर nitrogen होता है, heterocyclic compounds होते हैं, ठीक है, जब हम DNA की बात करते हैं, तो DNA में 4 basis होते हैं, adenine, guanine, cytosine और thymine, ठीक है, इनको हम abbreviated form में कैसे लिखते हैं, A, G, T, C, ठीक है, ओके, अब अगर हम RNA की बात करते हैं, तो वहाँ पर भी हमें 4 nitrogenous basis देखने को मिलते हैं, तीन तो उसमें से same होते हैं, adenine, guanine, cytosine, thymine के बदले में, में यहां होता है यूरेसिल, which is denoted by capital U, ठीक है, तो देखो ये basic चीज़े हैं, but these are very very very important, let me tell you, ठीक है, तो इसलिए इनको बिल्कुल ध्यान में रखना है, and anyways, जब आप bio में ये सारी चीज़े पढ़ते हो, तो वहाँ पर, आप जो है इनको काफी डिटेल में पड़ते हो डीएने आरेने वगरा को काफी डिटेल में हम वह डिस्कस करते हैं तो अब हम देखेंगे कि न्यूक्लिक आसिड का स्ट्रक्चर कैसे बनता है अभी-अभी जब हमने कंपोजीशन देखा तो हमने देखा कि इसके तीन पेंटो शुगर, फॉस्फोरिक आसिड और नाइट्रोजीनस बेस तो ये तीनों चीज़े साथ में मिल करके नूकलिक आसिड का स्ट्रॉक्चर बनाती है तो इसको स्टेप बाई स्टेप देखते हैं तो सबसे पहले जो शुगर है यानि कि जो पेंटो पेंटोज शुगर है उसके साथ बेस का मिलन होता है और यह दोनों मिल करके बनाते हैं न्यूक्लियोसाइड ठीक है यह पहला स्टिप है न्यूक्लियोसाइड में क्या होगा जो पेंटोज शुगर है उसके साथ बेस मिल जाएगा मतलब दो चीजें ऑलरेडी मिल चुकी है अब सवाल यह उठाए कि बेस कहां पर मिलेगा ठीक है इसके लिए हम क्या करते हैं जो पेंटोस शुगर का जो रिंग था ना फाइव मेंबर ड्रिंग जिसमें ऑक्सीजन भी था उस रिंग में लाइक करने वाले कार्रबन को हम नंबर कर देते हैं वन डाश टू डाश ट्री डाश ऐसे करके नंबर कर देते हैं ठीक है तो जो वन डाश पोजीशन वाला कार्रबन होता है उस कार् ठीक, तो ये जो structure बना, this is nucleoside, clear, अब second step, अब ये जो nucleoside बन गया, इस nucleoside के साथ जुड़ जाएगा क्या, phosphoric acid, ये तीनी तो part थे, right, तो अब nucleoside के साथ जब phosphoric acid जुड़ जाएगा, तब मुझे जो मिलेगा, that is called nucleotide, अब यहाँ पर भी वही सेम सवाल कि फॉस्फोरिक आसिड कहाँ पर जुड़ेगा तो 5 डाश पोजीशन वाले कारबन के साथ जुड़ जाएगा फॉस्फोरिक आसिड तो अब जो स्ट्रक्चर बना ये क्या है नूकलियो टाइड तो देखो नूकलियो टाइड के अंदर क्या क्या आ गया बेस भी आ गया शुगर भी आ गया फॉस्फोरिक आसिड भी आ गया जाएंगे पॉली न्यूट्लियोटाइड सवाल यह उठता है कि यह जुड़ेंगे कैसे जैसे याद है जब हम प्रोटीन की बात करते थे तो हम कहते थे कि भाई दो अमाइनो आसिड जुड़ जाते हैं बाई पेप्टाइड लिंकेज इस उसी तरह यहां पर जो न्यूट्लियोटाइड है वह जुड़ जाते हैं बाई फॉसफो डाइस्टर लिंकेज ठीक है नाम थोड़ा लंबा है बट मैनेज कर लो फॉ आफ फॉसफो डाइस्टर होता कैसा है फॉसफो मतलब एक फॉसफोरस रहेगा पी रहता है डाइ मतलब दो इस्टर इस्टर का लिंकेज कैसा होता है डबल बॉंड ओ तो मतलब दो डबल बॉंड ओ रहेंगे मतलब डबल बॉंड ओ डबल बॉंड ओ इधर डबल बॉंड ओ डबल बॉंड ओ तो इसको हम कहते हैं फॉसफो डाइस्टर लिंकेज किसके किसके बीच में ये linkage होगा? तो उसका जवाब है कि एक nucleotide का 5 dash position वाला carbon, दूसरे nucleotide का 3 dash position वाला carbon, इन दोनों के बीच में होगा phosphodiester linkage.

और इस तरह से बनेगा हमारा dinucleotide. ठीक है? जब ऐसे ही धेर सारे nucleotides एक chain में arrange हो जाएंगे, तो हमें क्या मिलेगा?

Polynucleotide या फिर जिसे हम कहते हैं Nucleic Acid. अब Nucleic Acid में ये जो sequence होता है nucleotides का, जैसे वहाँ पर protein के case में बताया था ना, RAT कर दिया तो RAT हो गया, ART कर दिया तो RAT हो गया, right? तो sequence is important.

उसी तरह यहाँ पर भी nucleic acid में, जो sequence of nucleotides है वो sequence बनाता है primary structure of nucleic acids nucleic acids के secondary structures भी होते हैं तो एक secondary structure चलो discuss करते है which is the famous very well known Watson-Crick double stranded structure of DNA टीक है वाटसन और क्रिक ने दिया था डीएने का ये डबल स्ट्रैंडेड स्ट्रक्चर तो ये स्ट्रक्चर ये कहता है कि दो नूक्लियोटाइड्स हैं दो चेन हैं और वो दोनों चेनों को एक दूसरे के उपर इस तरीके से लपेट दिया गया एक लपेट दिया गया जिससे डीएने का डबल स्ट्रैंड स्ट्रक्चर आया ठीक है अब मैंने तो बोल दिया कि भाई ऐसे लपेट दिया गया बट ये लपेटे हुए रहे क्यों क्योंकि ये वाला स्ट्रैंड ये वाला जो पॉली नूक्लियोटाइट था और ये वाला जो पॉली न्यूक्लियोटाइड था इन दोनों के बीच में था हाइड्रोजन बॉंड्स अब यह बॉंड्स किसके किसके बीच में था एक जो पॉली न्यूक्लियोटाइड है इसमें बहुत सारे बेसिस है नाइट्रोजिनस बेसिस है जो दूसरा पॉली न्यूक्लियोटाइड है उस चेन में भी बहुत सारे बेसिस है अब इन बेसिस के बीच में बॉंडिंग है बात समझ में इन बेसिस के बीच में बॉंडिं ऐसे-ऐसे करके एक सीक्वेंस है। उसी तरह जो दूसरा चेन है उसमें भी एक सीक्वेंस है। अब इनके बीच में बॉंडिंग होती है। अब इंट्रेस्टिंग बात यह है कि यह जो बेसिस होते हैं ना यह स्पेसिफिक बेसिस के साथ ही बॉंड बनाते हैं। जैसे कि अ� तो इसका मतलब adenine कभी भी cytosine के साथ bond नहीं बनाएगा, adenine कभी भी guanine के साथ bond नहीं बनाएगा, right? Similarly, cytosine जो है, ये कभी adenine के साथ bond नहीं बनाएगा, thymine के साथ bond नहीं बनाएगा. तो इसका मतलब, अगर इस वाले strand में A है, तो इसके सामने वाले strand में वहाँ पर T ही होना चाहिए. अगर इस वाले स्ट्रांड पे C है, तो इस वाले स्ट्रांड पे वहाँ पे G ही होना चाहिए, क्योंकि A और T पेर अप करेंगे, G और C पेर अप करेंगे, तो इसका मतलब जो दो स्ट्रांड्स हैं, ये दोनों स्ट्रांड्स को कॉंप्लिमेंटरी होना पड़ेगा, मतलब ए बात समझ में आई तो इसे लिए इट इज वेरी इंपोर्टेंट कि यह जो डबल स्ट्रैंडेड स्ट्रक्चर था डीएने का जो प्रोपोज किया था वाट्सन एंड क्रिक ने इस स्ट्रक्चर में हमें यह चेंस हैं, दो पॉली नूक्लियोटाइड हैं, जो एक दूसरे को इस तरीके से लपेटे हुए हैं, क्यों लपेटे हुए हैं, क्योंकि जो नाइट्रोजिनस बेसिस हैं, दोनों स्ट्रांट्स में, उनके बीच में बॉंडिंग हैं, तो नूक्लिक आसिड के जो ये दो चेंस है तो चलो अब बात करते हैं आरेने के सेकेंडरी स्ट्रक्चर की आरेने के स्ट्रक्चर को अगर हम देखें तो यह सिंगल स्ट्रैंड स्ट्रक्चर होता है जैसे डिएने में दो स्ट्रैंड्स होते हैं यहां पर एक सिंगल स्ट्रैंड ही होता है ठीक है आरेने जो है यह तीन टाइप के होते हैं और यह तीनों टाइप बहुत सूपर डूपर इंपोर्टेंट होत जैसे body के requirement के हिसाब से protein synthesis होता है, proteins बनते हैं, तो protein synthesis में यह तीनों RNA बहुत useful होते हैं, हाला कि यह तीनों type के RNA के functions अलग होते हैं, तो कौन से होते हैं यह तीन type के RNA?

इनके बारे में आप बहुत ही डिटेल में अपने बायो में पढ़ोगे, बट यहाँ पर जितना जरूरी है उत्तर पर आप पर पर पर पर उतना मैं बता देती हूं, messenger RNA, नाम से पता चल रहा है, ये messenger है, postman की तरह ये message carry करता है, एक बंदे से दूसरे बंदे तक, तो ये DNA से message carry करता है, कि भई कैसा protein synthesize होना है, ये message चाहिए, इसके बारे में information चाहिए, तो messenger RNA वही करता है, ये DNA से message carry करता है, और एक basic template बनाता है, कि भई कैसे कैसे protein synthesize करना है, ठीक है, transfer RNA क्या करता है, नाम से पता चल रहा है, ये चीजों को transfer करता है, तो ये amino acid को transfer करता है, amino acid को लेकर आता है protein synthesis के site पे, जहाँ पर protein synthesis होना है, वहाँ तक amino acid को लेकर आता है. जो rRNA होता है, यानिकि ribosomal RNA, ये protein synthesis के दोरान, जब protein synthesis हो रहा होता है, क्योंकि वो जो amino acid है, उसका आप sequence बनाओगे, amino acid का sequence बनता जाएगा, आपका protein बनता जाएगा, तो amino acid का sequence कैसा होगा, ये कौन decide करता है? जो टेंपलेट बनाया है MRNA वो डिसाइड करता है तो MRNA ने टेंपलेट बना दिया DNA से मैसेज कैरी करके ठीक है ट्रांसफर आरेने वहाँ पर उस साइट पर अमिनो असिड को लेकर आ गया अब अमिनो असिड जो है उस टेंपलेट के बेट पर अपना sequence बनाएगा और जैसे जैसे amino acid का sequence बनता जाएगा मेरा protein बनता जाएगा तो यहाँ पर ribosomal RNA का काम यह होता है कि यह protein synthesis के दौरान यह एक catalyst की तरह काम करता है मतलब उस reaction को को होने में मदद करता है तो इस तरीके से जो तीनों टाइप के आरेने है तीनों टाइप के आरेने मिल करके प्रोटीन सिंथेसिस होने में मदद करता है तो बच्चा बाटी अभी तक हमने जो भी पढ़ा उसके बेसिस पर आरेने और डीएने के स्ट्रक्चर का यह है एक क्विक कंपरिजन डीएने में होता है डबल स्ट्रैंड स्ट्रक्चर आरेने में होता है सिंगल स् DNA में जो basis होते हैं वो होते हैं, adenine, guanine, cytosine, thymine, जैसा कि मैंने पहले भी बताया था, adenine हमेशा pair up करते हैं thymine के साथ, guanine हमेशा pair up करते हैं cytosine के साथ, दूसरी तरफ जब RNA की बात करते हैं, तो RNA के अंदर भी होते हैं 4 nitrogenous basis कौन-कौन से, adenine, guanine, cytosine and uracil, uracil RNA में होत पेरिंग होती है वह कुछ इसी तरीके से होती है कि आदिन पेर अप करता है यूरेस और गुवेनन पेर अप करता है साइटोसन के साथ न्यूक्लिक आसिड के फंक्शंस की अगर हम बात करें तो नीडलेस टू से आरेने कितना इंपोर्टेंट है क्योंकि आरेने मदद करता है प्रोटीन सिंथेसिस में डीएने की अगर हम बात करें तो डीएने है रिजर्व ऑ� कि DNA fingerprinting इसका एक बहुत important application है आपने movies वगरा में तो जरूर देखा होगा कि किसी के घर में चोरी होती है तो कहते हैं कि fingerprints match करो right तो उसमें करते क्या है basically तो जो भी जहां पे भी चोरी हुई होती है या फिर जिस भी सामान को उस criminal ने चूआ होता है उसके fingerprints को लिया जाता है जो suspect होता है उसके fingerprints के साथ क्या same fingerprint दो लोगों के नहीं हो सकते हैं सकते हैं राइट क्योंकि इसका रिलेशन किससे होता है इस जेनेटिक इनफॉरमेशन से होता है जो इतने बॉडी के लिविंग सेल का पार्ट होता है तो जो फिंगर प्रेंट से दिया रेवेरी यूनिक टू अ पर्टिकुलर इंडिविजुअल तो इस तरह से डी एन ए फिंगर प्रेंट एक इंपोर्टेंट एप्लीकेशन है और इस तरीके से न्यूक्लिक आसेड्स आर वेरी उम्मीद है कि इस पूरे वीडियो को देखने के बाद बायो मॉलिक्यूल के कॉंसिप्ट हुए होंगे क्रिस्टल क्लियर और अगर ऐसा हुआ है तो कॉमेंट्स पर जरूर लिखके बताना कॉंसिप्ट हुआ क्रिस्टल क्लियर मैं आपको जल्दी मिलती हूँ एक नए वीडियो क