ह्यूमन आई और कलरफुल वर्ल्ड (कक्षा 10)

Jun 4, 2024

ह्यूमन आई और कलरफुल वर्ल्ड (कक्षा 10)

परिचय

  • आज का लेक्चर ह्यूमन आई और कलरफुल वर्ल्ड पर है।
  • यह कक्षा 10 का भौतिक विज्ञान का चैप्टर है।
  • इसे बेसिक्स से कवर करेंगे और इसमें NCERT बेस्ड व प्रीवियस एर क्वेश्चन्स पर भी चर्चा करेंगे।
  • इसमें मुख्यत: दो पार्ट्स हैं:
    • ह्यूमन आई
    • कलरफुल वर्ल्ड

ह्यूमन आई

ह्यूमन आई के पार्ट्स

  • कॉर्निया: बाहरी हिस्सा, लाइट को मोड़ता है और प्रोटेक्शन देता है।
  • एक्वा ह्यूमर: पाणी जैसा लिक्विड, प्रेशर बैलेंस करता है।
  • इरिस: पीपल की साइज को कंट्रोल करता है।
  • पीपल: लाइट एंट्री को रेगुलेट करता है।
  • क्रिस्टलाइन लेंस: फ्लेक्सिबल कन्वैक्स लेंस, रियल और इनवर्टेड इमेज बनाता है।
  • सिलरी मसल्स: लेंस की फोकल लैंथ एडजस्ट करते हैं।
  • विट्रियस ह्यूमर: आँख की स्फेरिकल शेप को मेंटेन करता है।
  • रेटिना: फोटो सेंसेटिव स्क्रीन, रोड और कोन सेल्स होते हैं।
  • ऑप्टिक नर्व: सिग्नल्स को ब्रेन तक ले जाती है।

पावर ऑफ अकोमोडेशन

  • लेंस की फोकल लेंथ को एडजस्ट करने की क्षमता।
  • सिलरी मसल्स द्वारा किया जाता है।
  • दूर देखने पर मसल्स रिलैक्स रहती है और पास में कंट्रैक्ट होती है।
  • फोकल लेंथ कम-ज्यादा होती है तथा पावर चेंज होती है।

दृष्टि दोष और सुधार

  • मायोपिया (नियर साइटेडनेस): दूर का धुंधला दिखता है।
    • कारण: लेंस का अधिक कर्व हो जाना, एक्सेसिव कर्वेचर।
    • सुधार: कॉनकेव लेंस।
  • हाइपरमेट्रोपिया (फार साइटेडनेस): पास का धुंधला दिखता है।
    • कारण: लेंस की पावर कम हो जाना, शॉर्टिंग ऑफ आईबॉल।
    • सुधार: कन्वैक्स लेंस।
  • प्रेस्बोपिया: दोनों मायोपिया और हाइपरमेट्रोपिया की समस्या।
    • कारण: उम्र के कारण सिलरी मसल्स की फ्लेक्सिबिलिटी कम हो जाना।
    • सुधार: बायफोकल लेंस।
  • अस्टिग्मैटिज्म: एकसाथ वर्टिकल और होरिज़ॉन्टल लाइंस पर फोकस न बना पाना।
    • कारण: अनियमित कॉर्निया या लेंस।
    • सुधार: सिलिंड्रिकल लेंस।
  • कैटरैक्ट: लेंस का ओपेक हो जाना।
    • कारण: प्रोटीन जमा हो जाना।
    • सुधार: सर्जरी।

कलरफुल वर्ल्ड

डिप्रेशन

  • प्रक्रिया: व्हाइट लाइट का सेवन रंगों में विभाजन होना।
  • प्रिज्म के माध्यम से सात रंगों में बँटती है:
    • वायलेट
    • इंडिगो
    • ब्लू
    • ग्रीन
    • येलो
    • ऑरेंज
    • रेड
  • कारण: हर रंग की अलग-अलग वेवलेंथ होती है।

रिकम्बिनेशन

  • प्रिज्म में सेवन रंगों का वापस सफेद बन जाना।
  • दूसरा प्रिज्म लगाने से होता है।

रेनबो फॉर्मेशन

  • कब बनता है: बारिश के बाद सनलाइट के गिरने पर
  • प्रक्रिया:
    • डिस्पर्शन
    • इंटरनल रिफ्लेक्शन
    • रेफ्रेक्शन
  • सूरज की दिशा के अपोजिट में बनता है।
  • कारण: जल की बूँदें छोटे प्रिज्म की तरह काम करती हैं।

एटमॉस्फेरिक रेफ्रेक्शन

  • तारों का टिमटिमाना: एटमॉस्फेरिक कंडीशन्स के बदलने से तारे की पोजीशन बदलती रहती है।
  • एडवांस सनराइज और डिलेड सनसेट:
    • सूर्य के वास्तविक उदय/अस्त से पहले/बाद में दिखाई देना।

स्कैटरिंग ऑफ लाइट

  • प्रक्रिया: एटमॉस्फेरिक पार्टिकल्स लाइट को स्कैटर करते हैं।
  • स्काई का नीला रंग: वायलेट और ब्लू लाइट की वेवलेंथ छोटी होती है, इसलिए ज्यादा स्कैटरिंग होती है।
  • एस्ट्रॉनॉट के लिए स्काई डार्क क्यों दिखती है: स्पेस में पार्टिकल्स नहीं होते।

अध्याय का समापन

  • यह चैप्टर 2014 के सिलेबस के हिसाब से पूरा हो गया है।
  • अगले लेक्चर में इलेक्ट्रिसिटी कवर करेंगे।