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नो फॉल्ट लाइबिलिटी पर व्याख्यान

Sep 14, 2024

नो फॉल्ट लाइबिलिटी पर व्याख्यान

परिचय

  • इस व्याख्यान में नो फॉल्ट लाइबिलिटी पर चर्चा की गई है।
  • नो फॉल्ट लाइबिलिटी में किसी गलती के बिना भी जिम्मेदारी बनती है।
  • दो महत्वपूर्ण विषय: स्ट्रिक्ट लाइबिलिटी और एप्सलूट लाइबिलिटी।

स्ट्रिक्ट लाइबिलिटी

  • केस स्टडी: Rillins vs Fletcher
    • फ्लेचर ने अपनी जमीन पर एक रिज़रवायर बनाया जिससे रिलिंज की जमीन में पानी चला गया और नुकसान हुआ।
    • हाउस ऑफ लॉर्ड्स ने निर्णय दिया कि फ्लेचर जिम्मेदार हैं।
  • तीन प्राथमिक सिद्धांत:
    • खतरनाक चीज का जमीन में होना।
    • उसका बचना (escape)।
    • इसके परिणामस्वरूप नुकसान होना।
  • बर्डन ऑफ प्रूफ:
    • हमेशा प्रतिवादी पर होता है।

अपवाद (Exceptions)

  • एक्ट ऑफ गॉड: प्राकृतिक घटनाएँ जिन्हें रोका नहीं जा सकता।
    • उदहारण: Nicholas vs Marshland केस।
  • वोलंटरी नॉन फिट इंजूरिया: आपसी सहमति से लाया गया नुकसान।
  • एक्ट ऑफ स्ट्रेंजर: किसी तीसरे व्यक्ति की वजह से हुआ नुकसान।
  • स्टैच्युटरी अथॉरिटी: सरकारी कामों से हुआ नुकसान।

एप्सलूट लाइबिलिटी

  • उदाहरण: MC Mehta vs Union of India केस (भोपाल गैस त्रासदी)।
    • कंपनी की लापरवाही के कारण गैस लीक हुई और हजारों की मौत हुई।
  • मुख्य अंतर:
    • एप्सलूट लाइबिलिटी में बचाव के लिए कोई अपवाद नहीं है।
    • एंटरप्राइज की परिमाण के आधार पर नुकसान की गणना।

स्ट्रिक्ट और एप्सलूट लाइबिलिटी के बीच अंतर

  • स्ट्रिक्ट लाइबिलिटी व्यक्तिगत पर लागू होती है, जबकि एप्सलूट एंटरप्राइज पर।
  • स्ट्रिक्ट में बचाव के अपवाद हैं, एप्सलूट में नहीं।
  • नुकसान की गणना एंटरप्राइज के आकार पर निर्भर करती है।

निष्कर्ष

  • नो फॉल्ट लाइबिलिटी के सिद्धांत आधुनिक समय में वैज्ञानिक विकास के साथ और अधिक महत्वपूर्ण हो गए हैं।

नोट: वीडियो में उल्लिखित जानकारी को ध्यान में रखते हुए अगली बार और भी विषयों पर चर्चा की जा सकती है।