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नो फॉल्ट लाइबिलिटी पर व्याख्यान

नॉट डिपेंडिंग कि आप एक लॉज्टुडेंट हैं या नहीं नॉमल लाइफ में एक ऐसा बेसिक प्रिंसिपल जो हम सब अपलाई करते हैं वो ये कि अगर किसी इंसान का कोई राइट है तो दूसरे इंसान का उस राइट को रिस्पेक्ट करने की ड्यूटी बनती है अगर ये इंसान उस राइट को रिस्पेक्ट नहीं करे जिससे इसे कोई भी नुकसान हो तो सारी लाइबिलिटी ये इंसान भरेगा अगर आपकी wrongful act या wrongful omission से किसी को कोई damage होता है, तो आप उसे remedy provide करेंगे. तो जितने भी taught है, सारे के सारे fault based liability की बात करते हैं, मतलब अगर आप fault करोगे, अगर आप गलती करोगे, तो liability भरोगे. पर क्या आपको पता है no fault liability के बारे में? हे एवरीबड़ी, मैं हूँ प्रिया और आप देख रहे हैं Philology Legal. आज की इस वीडियो में हम बात करेंगे no fault liability के बारे में. मतलब अगर आप... आपकी कोई गलती ना हो अगर आपका कोई फॉल्ट ना हो फिर भी आपकी लायबिलिटी बनेगी इसके अंदर आते हैं दो बहुत ही इंटरेस्टिंग टॉपिक्स स्ट्रिक्ट लायबिलिटी एंड एप्सलूट लायबिलिटी तो वह सारे बच्चे जो क्लाट के लिए प्र कि रिलिंज और फ्लेचर दोनों ही आसपास रहते थे रिलिंज की लैंड में थे उनकी माइंज और फ्लेचर की लैंड में था उनका मिल इस मिल को चलाने के लिए उनको बहुत सारी एनर्जी रिक्वायर थी तो उन्होंने सोचा कि क्यों ना मैं अपनी जमीन पे एक रिज़रवायर बनाओ जिसकी एनर्जी से ये मिल चल सके तो इस रिज़रवायर को बनाने के लिए फ्लेचर ने कुछ इंडिपेंडन कॉंट्राक्टर और इंजिनेर्स अपॉइंट ही है कि उस जमीन पे बहुत सारे माइंड शाफ्ट्स पड़े वे हैं जिसको नाहीं उन्होंने कवर किया नाहीं कोई ध्यान दिया इस वज़े से क्या हुआ जैसे ही रिज़वर बनके तयार हुआ और उसे पानी भरा गया माइंड शाफ्ट के थूँ सारा पानी पहुँच गया जिस वज़े से रिलेंस को भारी नुकसान हुआ अब रिलेंस ने फ्लेचर को उस नुकसान के लिए सूख गया तो इशू ये बनता है कि क्या किसी और की गलती के वज़े से जो उनकी ही लैन पे हुई थी क्या Fletcher responsible होंगे Fletcher ने भी यही defense दिया उन्होंने कहा जो भी गलती हुई वो सारी independent contractor की थी मेरी तो कोई गलती नहीं बनती पर judgment deliver करते हुए House of Lords ने कहा कि Rillins को जो भी नुकसान हुआ है उसकी सारी की liability वो सारी भरपाई Fletcher करेगा और यहीं से setup हुआ strict liability का concept Rillins vs Fletcher के case में तो strict liability का concept evolve हुआ उसके तीन basic principle है अगर कोई अपने लांड में कोई dangerous चीज लेके आता है और अगर वो escape कर जाती है और इस escape की वज़े से अगर किसी कोई damage होता है तो सामने वाली की prime of AC liability बनती है इन तीनों principle को हम इस case में apply करके देखते हैं अगर कोई इंसान अपने लांड में अपनी area में कोई dangerous चीज लेके आता है अब कौन सी चीजें dangerous होंगी कौन सी नहीं तो इसे समझने के लिए आप इसे non natural use of the land ऐसे समझिए तो अगर आप अपने लांड में कोई भी non-natural चीज लेकर आते हो मतलब ऐसी चीज जो normally वहाँ नहीं मिलती पर आप अपने special use के लिए, कोई specific use के लिए आप उसे लेकर आये है जैसे इस case में इन्होंने अपने लांड में reservoir बनाया जो कि non-natural use है तो अगर कोई इंसान अपने area में कोई non-natural चीज लेकर आता है कोई dangerous चीज लेकर आता है और अगर वो escape करती है तो reservoir को उनकी perimeter में रहना था उनकी land area में रहना था पर वो reservoir का पानी पहुँच गया Rillins के land में तो escape तो जिस area में उसे रहना होता है जिस land area में जिस जगबे अगर वो वहाँ से बाहर निकल जाता है तो हम कहते हैं escape और क्योंकि reservoir का पानी escape हुआ जिस वज़े से Rillins को नुकसान हुआ तो prima facie liability बनेगी Fletcher की भले ही इसमें उनकी कोई गलती हो या ना हो liability इनकी बनेगी एक और बात strict liability की cases में बर्डन औफ प्रूफ हमेशा डिफेंडेंट पर होता है प्लेंटिफ पर नहीं डिफेंडेंट को प्रूफ करना होता है कि क्यों इनकी लाइबिलिटी नहीं है तो अगर फर्स्ट और सेकेंड इंग्रेंट कॉलिफाइट कर रहे हैं सबसे पहला है plaintiff's fault इसका classic example है pointing vs nox का case इस case में क्या हुआ? दो पडोसी थे इनके घर में कुछ जंगली पेड थे पर वो सारे के सारे उनकी खुद की पेरिमीटर के अंदर थे इनकी पास इनकी घोड़े थे एक दिन क्या होता है कि इनका घोड़ा पहुँच जाता है इनके घर और खाने लग जाता है इनके जंगली पेड जिस वज़े से उस घोड़े की मौत हो जाती है तो ये इन्हें सूख करते हैं स्ट्रिक्ट लाइबिलिटी के अंदर वो तीन प्रिंसिपल हमने क्या डिसकस के थे डेंजरिस थिंग इफ इट एसकेव्स और देन लाइबिलिटी तो इस केस में हाँ डेंजरस चीजे थी, जंगली पेड थे, पर क्या वो डेंजरस चीज का एसकेप हुआ, क्या वो लांड एरिया को छोड़के गए, नहीं, तो इस केस में इनकी कोई लाइबिलिटी नहीं बनती, अगर ऐसा होता कि ये जो जंगली पेड है, ये इनकी पेरिमीटर से बाहर चले पहला exception ऐसा कोई भी natural event जो आप predict नहीं कर सकते हैं जिस पे आपको कोई control नहीं है जो आप prevent नहीं कर सकते हैं और अगर उसके वज़े से कोई damage cause होता है तो आप उस liability से बच सकते हैं act of god की exception से Nicholas vs Marshland के case में क्या हुआ कि unpredictable heavy rainfall के वज़े से एक इंसान की artificial lake में बाड आ गई और सारा पानी पहुँच गया जिस वज़े से उसके जितने bridges थे, जितने walls थे, सारे तूट गए। तो इन्होंने कहा कि क्योंकि artificial lake बनाना non-natural use है, dangerous चीज है और उसी वज़े से मुझे नुकसान हुआ, तो आपको मुझे damages देने पड़ेंगे। पर क्योंकि जो भी कुछ हुआ, वो unpredictable था, उसपे कोई control नहीं था, इसलिए ये use करेंगे act of God का exception। तीसरा exception है voluntary not fit injuria या mutual benefit का। आपसी सहमती से common benefit के लिए कोई ऐसी non-natural चीज लेके आते हैं जिससे दोनों को फायदा हो और अगर उस चीज से किसी को नुकसान हो जाता है तो दोनों ही एक दूशरे से कोई damages claim नहीं कर सकते हैं चौथा exception है act of stranger का तो Rillins vs Fletcher के case में अगर कोई unjain व्यक्ति Fletcher के land पे आ जाता और reservoir को damage कर देता जिस वज़े से Rillins को नुकसान हो जाता तो Fletcher की कोई responsibility नहीं होती फ्लेचर को पता हो कि कोई और इंसान उसके रिजवर को डामेज कर सकता है, जिस वज़े से रिलिंज को नुकसान हो सकता है, तो उसे प्रॉपर और रीज़नेबल केर लेनी पड़ेगी ताकि ऐसा ना हो. पांसवा एक्सेप्शन है statutory authority का, तो अगर कभी government या state कुछ ऐसा करे, जैसे road बनाना, highway बनाना, और उस वज़े से किसी को नुकसान हो, तो उसमें किसी की liability नहीं बनती. इसी सिलसले में एक और case देखते हैं, MC Mehta vs Union of India का. इस case के fact... ऐसे है कि यूनियन का बाइड नाम की एक कंपनी ने भोपाल में अपना प्लान सेटअप किया अब ये प्लान पेस्टिसाइड्स और ऐसे ही चीजें मैनुफाक्चर करता था एक टन में होते हैं 407 किलों इस प्लान से गलती से 40 टन मदब 36,000 किलों और ऐसे ही जहरिली ग्यासे लीक होने लगी धीरे धीरे फैक्टर पर प्रशान प प्राक्टरी के आसपास का सारा एरिया एक गैस चांबर बन गया। जिस वज़े से लगबख 3000 लोगों की मौत हुई और जाने कितने ही लोग बिमार हो गये। इन्वेस्टिकेशन की दोरान पता चला कि प्लांट में जो भी सेफ्टी सिस्टम्स थे सारे के सारे नौन फंक्शनल थे। इसी केस को भोपाल गैस ट्राज़डी भी कहा जाता है। जैसे जैसे दुनिया प्रोग्रेस करने लगी, जैसे जैसे साइंटिफिक डेवलप्मेंस होने लगे, अलग-अलग कंट्रीज ने अबसलूट लाइबिलिटी का प्रिंसिपल अडॉप्ट करने लगे, इसकी इंग्रीडियन्स कहते हैं कि अगर कोई भी एंटरप्राइस, मतल perimeter के बाहर जाये और तब ही नुकसान हो, अगर perimeter की अंदर, factory की अंदर भी कोई नुकसान होता है, तो वो जो workers है, वो मालिक को absolute liability में sue कर सकते हैं, तो strict liability और absolute liability की क्या-क्या differences हैं, सबसे पहले, strict liability किसी भी person की बारे में बात करता है, मही absolute liability enterprise की बारे में बात करता है, मतलब commercial objective, दूसरा, strict liability में responsible होने के लिए, जो भी dangerous चीज है, जो भी non-natural चीज है, उसका escape होना बहुत ज़रूरी है वही absolute liability में escape is not necessary और तीसरा difference strict liability में defendant को कुछ exceptions मिले हुए हैं जिससे use करके वो liability से बच सकता है पर absolute liability में defendant के पास कोई exception नहीं है अगर उसके वज़े से किसी को नुकसान होता है तो he shall be absolutely liable एक और चीज absolute liability में जब हम ये calculate करते हैं कि कितनी भरपाई करनी है जब भी हम quantum of damages calculate करते हैं, that is directly proportional to the size of enterprise. तो जिस भी organization से गलती हुई है, जिस भी enterprise से नुकसान हुआ है, वो enterprise कितनी बड़ी है, वो देख की quantum of damage decide किया जाता है. अगर आपको मेरा ये video पसंद आया हो, तो please subscribe to my channel. 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