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राजस्थान के एकीकरण की कहानी

कि सभी साथियों को प्यार भरा नवशकार जय हिंद कैसे हो आप सभी लोग उम्मीद करता हूं कि आप अच्छे हैं मस्त हैं श्वस्थ अपने पढ़ाई को नेरंत्र आप लोग जारे रख पा रहे हैं आइएगा आज के सेशन को प्रार्ट करते हैं बिना किसी देरी के सीधी बात नो बकवास काम के अपनी क्लास यह पढ़ रहे हैं सर अब अपने पढ़ रहे हैं राजस्तान का एकी करण और राजस्तान के एकी करण का भाग नंबर तीन यह प्राज के सेशन में करने वाले हैं आप आपना सेशन प्रार्ट करते हैं बिना किसी देरी के सीधी बात नो बखवास और काम के अपनी क्लास क्लास नंबर इससे पहले 40 हो चुकी है 41 नंबर की क्लास है और संभवत है रास्तान का इतियास आज ऐसा लग अपना रास्तान का एकीकरण चल रहा था और राजस्तान के एकी करण में कुछ बातें हो चुकी थी और कुछ बातें भी हैं बाकि जो पन कर लेंगे एकी करण करते करते पर लोगों ने कि करने की सामाने जानकारियां लिए रियास्तें लिए सासक लिए और संग बनाने के प्रियास हुए वह लिए अब आज का जो सेशन है उसमें अपन एकी करण से समंधित जो अपना तीसरा चरण हो उसको लेकर के बातचीत करने वाले हैं दो चरण इससे पहले अपन पढ़ चुके हैं और यह जो बात होने वाली यह कौन से चरण को लेकर के होगी तो आपका उत्तर बनेगा सर यह अपन तीसरे चरण को लेकर के और एकी करण का तीसरा चरण कब संपन हुआ था 18 अप्रेल 1948 को याद रखेगा एकी करण का तीसरा चरण कब संपन हुआ था आप कहेंगे सर 18 अप्रेल 1948 को पहला चरण अपने देखा दूसरा चरण अपने देखा मर्च के अंदर वे थे वो और ये एकी करण का तीसरा चरण तीसरे चरण के दोरान नाम क्या रखा जाता है तो आप कहेंगे सैयूक्त राजस्तान नाम रखा जाता है और सैयूक्त राजस्तान में कौन-कौन था तो आप कहेंगे पूर्वे राजस्तान संग नंबर एक पे आपने क्या कहा कि पूर्वे राजस्तान संग जो पने पड़ तो कौन से चरण में हुआ आपका उत्तर क्या बनेगा उदेपुर का एक ही करण राजस्थान के अंदर यह तीसरी चरण में होता है और तीसरी चरण में क्योंकि दूसरे चरण में पहले पूर्व राजस्थान संघ बन चुका था और संघ में कौन मिल जाता है तो आप कहेंगे उदेपुर मिल जाता है या फिर आपके मेवाड मिल जाता है और एक नया आपके हैं नाम मिल जाता है वह क्या मिलता है संयुक्त राजस्थान अब संयुक्त राजस्थान का विले हुआ तो प्रशन बनेगा पूर्व पुर्वे राजस्थान संग में उदेपुर का विले करके सैयूक्त राजस्थान का निर्मान किया गया यानि आपसे यह पूछा जाए कि संयुक्त राजस्थान का निर्मान कब किया गया तो आपका उत्तर क्या बनेगा संयुक्त राजस्थान का जो निर्मान है यह किया जाता है तीसरे चरण में और तीसरे चरण में एक बात और याद रखनी उदेपुर में लेकिन एक सर्ट तै की गई कि विदान सभा का एक अदिवेशन परतिवर्ष कोटा में होगा क्योंकि कोटा वाला भी भाई साब स्पेशल आदमी था ना आगे सुनियेगा तो लिखेगा नोट लगा के इसकी राजधानी किसे बनाया गया आप कहेंगे सर रा� यह तै किया गया कि कोटा में परतेक वर्ष विधान सभा का एक अधिवेशन करवाया जाएगा जाएगा अब प्रशन बना कि चलो सर उदेपुर को मिला तू लिया गया उदेपुर को मिलाया गया तो फिर प्रधानमंत्री भी वहीं का बंदा बनेगा कहीं ने कहीं का यहीं का बनेगा सर तीसरे चरण में एक बात जो आपको याद रखनी है वो यह रखनी है कि प्रधानम और राजपरमुक किसे बनाया जाता है यह बड़ा अच्छा प्रसन है वेरी इंपोर्टेंट और यह आजनम राजपरमुक रहे थे राजपरमुक की बात की जाती है तो आप कहेंगे राजपरमुक बनाया जाता है महराना भूपाल सिंह और आप जानते हैं महराना भू कोटा वालों को क्या बनाएंगे यह भी बड़ा स्पेशल आदमी था तो वरिष्ट उपराज परमुख बनाया गया कोटा वाले को कोटा के कौन थे भीम सिंह थे तो लिखेगा अब राज परमुख इन्हें बना दिया वरिष्ट उपराज परमुख यह किसे बनाय अब बात आई कनिष्ट उपराज परमुख बनाने की तो लिखेगा वरिष्ट उपराज परमुख बनाने के बाद में कनिष्ट उपराज परमुख और कनिष्ट उपराज परमुख की अगर बात आती है तो आप कहेंगे वोई वेक्ति तैयार बेटे थे बहादूर सिंग ब� कि बूंदी और लक्षमण सिंह यह कहां के ताप कहेंगे शर्व दूंगरपुर के तो चीजें याद रखनी है भाधूर सिंह कहां के थे ताप कहेंगे बूंदी के और लक्षमण सिंह कहां के थे ताप का उत्तर आ जाएगा दूंगरपुर के इसके बाद कि उद्घाटन करने के लिए व्यक्ति आए कौन था किसने किया था उद्घाटन पहले दो चरण में अपने कहा था कि उद्घाटन तो आप कहेंगे एनवी गोडगिल और यहां पर उद्घाटन करने वाला व्यक्ति कौन था तो आप कहेंगे ज्वाहर लाल नेरू यहां उद्घाटन करने वाला व्यक्ति कौन था तो याद रखेगा ज्वाहर लाल नेरू अब मैं आपसे यह पूछ रहा हूं कि उद्घाट वार्षी का है बोलो कितनी थी तीन करोड सोला तीन पॉइंट में सोला करोड और छेत्रफल की बात करते हैं पन तो छेत्रफल याद रखेगा छेत्रफल लगबग अगर बात करें पन तो ये था अठाईस हजार वरग मील याद रखेगा छेत्रफल लगबग लगब कि जनसंघ्या थी 42 लाख और 60,000 लिखेगा जनसंघ्या इसी वाले पेज पर लिख लो जनसंघ्या कितनी थी तो आप कहेंगे 42 लाख हो रहे 60,000 यह क्या थी लगभग जनसंघ्या देखिए इसके बाद में सर इसके बाद में आपको याद रखना है कि सामिल किया जाता है उदेपुर को और मेवाड के महराना भूपाल सिंग् कुछ सर्तों पे सामिल हुए थे कि वह सरतें कौन से तो लिखेगा नोट लगाकर लिखेगा मेवाड महाराणा भूपाल सिंह कुछ सरतों के साथ तामिले हुए एक बात तो इन्होंने कही की बीस लाख वार्षिक शाही भत्ता और शाही भत्ता जिसे कहा जाता था प्रीवी पर्श ये प्रीवी पर्श शाही भत्ते को आप क्या कहते थे पर्श कहते थे इन्होंने का एक तो यह वाली बात मेरी माननी पड़ेगी आपको और दूसरी इन्होंने बात रखी की राज परमुख का पद वनसानुगत करना पड़ेगा वो एक अलग बात है बिनकी मांगों को किस तरीके से माना जाता है राज परमुख का पद वनसानु� कि वह रखी कि उदेपुर को राजधाने बनाया जाएगा उदेपुर को क्या बनाया जाएगा राजधाने अब ऐसा यह वाली मांग भी स्वीकार कर ली इस वाली मांग में जो स्वीकार किया गया अब वह यह किया गया इस वाली मांग में कि महाराजा को आ जन्म यानि जब तक जिंदा है कि आज जान में राज प्रमुख रखा जाएगा पद पर रखा जाएगा यानी जब तक यह जिंदा है तब तक इनको पद पर रखा जाएगा यह सी मांग बात मान ली और इस वाली बात में क्या स्वीकार किया अब चुकी पहले से तेथा की 10 लाग से अधिक प्रीवी परश किसी को नहीं देना, कोई भी रियासत आये हमें उसको 10 लाग से अधिक प्रीवी परश नहीं देना, अब नहीं देना तो माराना को कैसे दिया जाए, इसलिए माराना को 10 लाग रुपे वारसिक, ये तो दिया गया प्रीवी परश उसके बाद में पांच लाख वारसिक ये दिया गया राज परमुख पद का बत्ता यानि ने बीस लाख भी दे दी लेकिन अलग तरीके से दिये और पांच लाख दिया नेवार के धार्मिक कारियों के लिए यानि सांप भी मर गयो और लाठी भी कौन तूटी इनके मांग भी माल ली और अपना नियम भी बरकरा रखा अगर इनको 20 लाख दे दिया जाता तो फिर बाकी जो साइसक थे वो भी मांग करते इसलिए इने दिया गया 10 लाख तो वारसिक प्रिवी परस दे दिया गया और 5 ल कि इन्हें जो राजसाही भट्ता दिया गया वह दस लाख रुपए दिया गया और राजप्रमुख का जो पद था इसे वंसानुगत नहीं किया गया इस वाले पद को क्या बना दिया कि भाई आप जब तक जिंदा हो तब तक आपको राजप्रमुख बनाएंगे आपके बने के बाद में किसी को बनाएं उससे आपका को लेना देना नहीं ठीक है चले अगे चलता है आज कठे गया रहा गया कि अधिक बताओ दे नहीं गया कि ठीक है अधिक बताओ दे अ कि अगर इसके बाद में सुनिएगा नेक्स्ट एक बात और आती है और वही आती है सर एक चीज और बताओ आप जब तीसरे चरण में मंत्री मंडल बनाया गया तो लुखेगा मानिक्यलाल वर्मा के अ मंत्री मंडल में सामिल कि मानेकेलाल वर्मा के मंत्री मंडल में कौन-कौन सामिल थे एक नंबर भी बात करते हैं प्रेम नारायन मातुर नाम लिखते जाना कौन-कौन सामिल थे प्रेम नारायन मातुर कहां से थे सर ये उदेपुर से एक तो इस वेक्ति को सामिल किया गया एक है तो लिखें भूरे लाल भाईयां इन्हें सामिल किया गया एक व्यक्ति थे मोहनलाल सुखाड़िया तो लिखें यह लगभग पर्जामंडल के कार्यकर्ता थे मोहनलाल सुखाड़िया यह भी कहां के थे उदेखपुर के थे एक व्यक्ति का नाम आता है भोगी लाल पंड्या तो आप लिखें भोगी लाल पंड्या कि यह कहां से थे तो आप कहेंगे सर यह दूंगरपुर से थे एक व्यक्ति आगे भोगीलाल पांड्या एक व्यक्ति का नाम आता है अभिन्हरी यह कहां से थे कोटा से थे इन्हें भी मंत्री मंडल में जगह दीगी और याद रखना एक बात अपन पढ़कर थे दूसरे चरण में मंत्री मंडल का गठन इस्तगित रखा गया था एक व्यक्ति गोकुलाल सावा यह सापुरा के थे इनको जगह दे दीगी गोकुल लाल कि असावा बोकुल आला सावा कहां से थे तो आपका उत्तर आएगा साहपूरा और इसके बाद में एक व्यक्ति और थे ब्रज्य सुंदर शर्मा यह कहां से थे बूंदी से पुल मिलाकर आप कहेंगे यह मंत्री मंडल बना इसका यह बना मानिक्यलाल वर्मा और मानिक्यलाल वर्मा के मंत्री मंडल में यह इतने लोग सामिल होते हैं अब साथ ही साथ आपको कुछ एक इस तीसरे चरण से समझ दी चीजें और हैं जो आपको याद रखने की पहली बात तो आपको यह याद रखना है कि मानिकेलाल वर्मा का कथन आता है कि मेवाड के माराना भूपाल सिंग और मंत्री राम मूर्ती मेवाड के 20 लाख लोगों के भागे का निर्धारन अकेले नहीं कर सकते हम भी साथ हैं यहने का मतलब लट रोपने वाला बंदा था मा मेवाड के महराणा भूपाल सिंग और भूपाल सिंग के साथ में एक मंत्री था रामा मूर्ती वै मंत्री रामा मूर्ती मेवाड के 20 लाख लोगों मेवाड के 20 लाख लोगों के भाग्य का निर्धारन अकेले नहीं कर सकते, ऐसा किसने का, तो याद रखेगा ऐसा कहने वाला जो बंदा था, उस बंदे का नाम आपका आता है, क्या मानिकेलाल वर्मा एक बात और सुनना मानिक्केलाल वर्मा ने ऐसा कहा ठीक बात है मान गया आपकी बात की मानिक्केलाल वर्मा ने ऐसा कहा लेकिन तीसरे चरण से समझ दित एक कथन और आता है यानि भूपाल सिंह जी को अनुवन सिंह जी पाकिस्तान में मिलाना चाहते थे भूपाल सिंह की ब लुखेगा भारतीय उप महाद्वीप में मेवाड का क्या स्थान होगा यह है मेरे पुरुवच अ कर दो कर दो कर दो कर दो कर चुके हैं यह ऐसा कथन किसने कहा था आपका उत्तर आएगा भूपाल सिंह और भूपाल सिंह ने ऐसी बात किसको कि अनुवंत सिंह को लोके अनुवंत सिंह का मिलना चाहते थे यह मिलना चाहते थे भाई सा पाकिस्तान में तो उनको जवाब देखे ठंडा कर दिया कि चुपचाप बेठा रहे अब आज च ये लो जी चोथा चरण, आप से पूछा जा रहे हैं, ये आपका चोथा चरण, ये चतुर्थ चरण, और चतुर्थ चरण में अगर डेट आप से पूछ ली जाती है, आप क्या बताएंगे, 30 मार्च 1949, तो चरण को नाम क्या दिया गया व्रत राजस्तान बड़ा राजस्तान बना लगेगा व्रत राजस्तान यानि बड़ा राजस्तान बनाएं और जब बड़ा राजस्तान बनाईए तो ऐसा भी याद रखना ये 30 मार्च 1949 को बड़ा राजस्तान बना व्रत राजस्त यानि अभी बात किये पन्ने सैयूक्त राजस्तान पहले से था और सैयूक्त राजस्तान में क्या मिलाया गया सैयूक्त राजस्तान में बड़ी रियास्त मिलाई जाती है कौन सी जेपूर मिलाया गया जोधपूर मिलाया गया बड़ी रियास्त विकानेर म याने कुल मिला के आपने देखा स्थायुक्त राजस्थान जो की तीसरे चरण तक बन चुका था पलस में जेपुर, जोदपुर, बिकानेर और जेसल में ये सारे के सारे मिल कर के क्या बना देते हैं अब ये व्रत राजस्थान बना देते हैं और इस बात की गोशना उदेप कि यह किसके द्वारा की गी थी याद रखेंगे किसके द्वारा यह वल्लब भाई पटेल और वल्लब भाई पटेल ने गोशना पहले कर दी थी यह काम तो कब वह था 30 मार्च को और इन्होंने गोशना 14 जनवरी उन्हें सो नंचास को इकर दी कहां की सभा में उदेपुर 14 जनवरी उन्हें सो नंचास कहां की सभा की बात कर रहे हैं पर लिखेगा उदेपुर और उदेपुर की सभा के अंदर इन्होंने गोशना कर दी क्या गोशना कर दी तो याद रखेगा उदेपुर की सभा में गोशना कर दी 14 जनवरी 1949 को कि भाई साथ वरत रास्तान बनाया जाएगा और फिर वरत रास्तान बन गया और वरत रास्तान बना तो आपसे फिर पूच वल्लभाई पटेल और सरदार वल्लभाई पटेल ने अगर आपसे ये पूछा जाता है कि इसका उदघाटन कहां किया तो याद रखेगा सीटी पलेस जेपूर के अंदर इसका उदघाटन किया जाता है उदघाटन कर दिया अब बारी वो मुख्य मंत्री कर दिया गया तो आप चाहें तो प्रदान मंत्री लिख दें और चाहें आप मुख्य मंत्री लिख दें यानि आप चोथे चरण से क्या हुआ जो प्रदान मंत्री था ना अब वो प्रदान मंत्री धिरे भाई साब क्या बन गया तो आप कहेंगे मु अब बात करते हैं इन्होंने मंत्री बना दिये मुखे मंत्री बना दिया तो राजपरमुख किसे बनाया गया अब राजपरमुख तो ओलेडी भूपाल सिंह बने वे थे चलो अब आएगा मजब तो लिखेगा राजपरमुख बनाया जाता है महाराजा मान सिंह अब आप कहे इन्होंने पहले ही सर्थ रखी थी कि राजपरमुक ऐसा मैं बनेंगा और मैं बनूंगा तो अब इनको क्या बना दिया इनको एक नया पद सरजित कर दिया और वो पद था महाराज परमुक का यानि महाराज परमुक के उपर बना दिया जाता है महराणा भूपाल सिंग ये ए कि उपाल सिंह उदेबुर के थे इन्हें बना दिया गया महाराज परमुख और वरिष्ट राज उपराज परमुख इसे अगर उपराज परमुख भी बन उपराज परमुख और अगर उपराज परमुख की बात आए तो इसमें वो ही दो केटेगरियां बनाएगी एक तो बनाएगे वरिष्ट उपराज परमुख में कोटा वाले भाई साब थे कौन भीम सिंग अब भीम सिंग कोटा ये भी थे और साथ में एक वेक तो हनवन सिंह कहा के आप कहेंगे सर जोतपुर के पुल मिला के आप कहें कि ये बना दियेगे वरिष्ट आप उपराज परमुक वरिष्ट बनाये तो फिर कनिष्ट भी बनाना था किसी को कनिष्ट के लिए तैयार थे बादूर सिंग जी बूंदी को वाले बादूर सिंग बूंदी और एक व्यक्ति और था ये व्यक्ति कौन था कनिष्ट के अंदर लक्ष्मन सिंग और लक्ष्मन सिंग कहां से थे तो य याने सीधी सीख बात यही है कि वरिष्ट, कनिष्ट, राज परमुक बनाया गया है मान सिंग को, उपराज परमुक की बात करते हैं लग-लग बनाये, नयापद महराज परमुक बनाया गया है, वो किसे बनाया गया है, भूपाल सिंग को, भूपाल सिंग उदेपूर के, उद आप सिटी पेलाई जेपुर में किया राजधानी किसे बनाया जाता है तो याद रखिएगा राजधानी रखी जाती जेपुर को तो नोट लगा के लिखेगा अगर आपसे पूछ लिया जाता है सर राजधानी किसे बनाया गया तो आप कहेंगे सर राजधानी बनाया जाता ह अगर आप से कहें सर सिक्षा विभाग का मुख्याले यह बिकानेर बनाया जाता है और तब से लेकर आज तक सिक्षा विभाग का मुख्याले बिकानेरी है प्रारंभिक सिक्षाने देशाले माध्यम सिक्षाने देशाले बिकानेरी है अगर बात करें करसी विभाग करसी वि� एक विभाग बना वन विभाग यह कोटा में बना दिये यानि सब कोई राजी रखना था वन विभाग किसे बनाया गया तो आप कहेंगे सर कोटा को कोटा में वन विभाग बनाने के बाद में आपसे पूछे कि खनेज विभाग किसे बनाया गया तो याद रखेगा खनेज ज और राजस्व विभाग के एक बात करते हैं यह बनाया जाता है अजमेर में राजस्व विभाग कहां पर बनाया गया तो आप कहेंगे सर अजमेर में तो आप लिखेगा राजस्व विभाग यह बनाया जाता है अजमेर में और इन सब की सिफारिश करने वाली एक समिती थी य पी सत्य नारायन राव समिती और इस पी सत्य नारायन राव समिती की सिफारिश के आदार पर क्या किया जाता है तो आप कहेंगे समिती की सिफारिश के आदार पर सिख्षा विभाग विकानेर में, करसी विभाग भरतपूर में, वन विभाग कोटा में, अब एक बात में बता देता हूँ पहले राजस्थान में, ये तो नयाले आई कोट कहां बनाया गया लेकिन जोधपूर से पहले जेपूर, जोधपूर, उदेपूर, बिकानेर, अलवर इनके अंदर नयाले चलते थे इन सब को क्या कर दिया 1949 के अध्यादेश के द्वारा सब को समाप्त कर दिया और फिर मैं जो आई कोट अपना बनाया गया वो कहां बनाया गया उदेपूर मे कहां की बात कर रहे हैं पर जेपुर जोधपुर उदेपुर विकानेर दिखेगा जेपुर जोधपुर उदेपुर विकानेर अलवर इन सब में नयायाले संचाली थे कि बाद में क्या किया 1949 के अध्यादेश द्वारा शमापत इसी प्रकार एक प्रशन और बन सकता है कि यह पूर्व जोधपुर विकानेर में लोकसेवायोग भी कार्यरत्य तो लिखिएगा यह पूर्व जोधपुर और विकानेर यहां पर लोकसेवायोग भी कार्यरत्य यहां पर कौन कार्यरत्य तो आप कहेंगे लोकसेवायोग भी कार्यरत्य थे अब नेक्स्ट प्रसन फिर यानि जेपुर, जोधपुर, बिकानेर इन सब में आपको मेंने बात याद रखनी है, कौन सा आयोग कारेरत था, तो आप कहेंगे सर लोक सेव आयोग कारेरत था, जेपुर में भी, जोधपुर में भी और बिकानेर में भी, और इनको भी क्या कर दिया जाता है, तो आप कहें ये राजधानी कौन सी बनाये गयी थी तो आपका उत्तर आएगा जेपूर राजधानी किसे बनाया गया था तो आप कहेंगे सर राजधानी बनाया गया था जेपूर में और राजधानी जेपूर को बनाने के लिए एक अपन कहें समीती ने संगर्ष किया था और समीती का ना कि राजधानी बनाने के लिए एक समिति ने संघर्ष किया था और वह कौन सी थी राजस्थान आंदोलन समिति राजस्थान आंदोलन समिति और इसके जो मेन व्यक्ति थे ना झाल वो थे राम मनोहर लोईया समिती ने संघर्ष किया इसने कहा कि भाई जेपूर को बनाओ राजधानी पौन से चरण में चोथे चरण में समिती का नाम याद रखेगा कौन सी तो आप कहेंगे राजधान आंदूलन समिती ये चाहती थी कि इसको एक बड़े इस तरपे नाम मि जैपुर को राजधानी बनाई जाए और किस का गठन किया जाए तो आप कहेंगे व्रत्त राजस्थान का गठन जो है ये किया जाए और इसी आधार पर क्या किया जाता है तो आप कहेंगे फिर राजधान की राजधानी पी सत्य नारायन समिती जो आपकी थी इसकी सिफारिस कि मन को लागे कि क्यों को लागे के विव एक दिक्कत ह शेयर करो रहे हैं एक कम दिखो ना जी को नगर पड़ा बाव तो जो उसको नहीं है जो रूप फी इंडिया वर्ल्ड में कुछ डिसकाउंट मिल सकता है क्या ओपर के बाद भी रेट कम नहीं हुआ ओपर चल रहा है भी और इंडिया वर्ल्ड जो रूप फी फोर्समें तो शेयर करो यार वह जिस रोशना फिर मन टूटेड़ो जाते शेयर नहीं करो कम साक लाइव है ने मजोग ना यह थ्योरी तो डिए फर्स्ट गेड के फर्स्ट पेपर के प्रसन बैंक निकलेंगे भी वर्ड दिन अब एकी करण का तो साथ चरण पूरा करा तेशरों चोथों तो कर लिया हां अब भरतपुर पांचवे चरण में सामिल हुआ था लेकिन विभाग बना दिया था आगे देखो अब प्रशन बनेगा सर पांचवा चरण और पांचवे चरण की एगर बात की जाए पांचवा च तो आप कहेंगे 15 माई 1949 और पांचवे चरण का नाम क्या रखा गया सैयूक्त व्रत राजस्थान यानि पांचवे चरण का नाम क्या रखा जाता है तो आप कहेंगे सैयूक्त व्रत राजस्थान तो लखेगा सैयूक्त भी था साथ में व्रत भी था और राजस्थान इसमें क कि इसमें पहले से वृत्तराजस्तान था और सुभरत्तराजस्तान में क्या मिलाया जाता है तो आप कहेंगे मतस्य संघ और मतस्य संघ जो कि अलग से अलग ही पड़ा था यह वाला बड़ा अच्छा प्रसना काफी बार पेपर में आ जाता है कि मतस्य संघ का विलाय यह कौन से चरण में किया गया तो आपका उत्तर आएगा पांच चरण और यह तो 10 महीं की बात है आप कहेंगे सुरू 15 महीं क 10 मैई 1949 अलवर भरतपुर धौलपुर पलस में करोली चारों ने सहमती दी और इन में एक विक्ति ऐसा था दोलपुरुवाला यानि इन्होंने जनता के बहुमत के आधार पर जनता के मन और बहुमत के आधार पर राजस्तान में विले की बात स्विकारी ये वाला प्रसन आया हुआ है और फिर आ जाएगा कि पांचवे चरण में ऐसा कौन सासक था तो आप कहेंगे दोलपूर था और दोलपूर ने जनता के मन या बहुमत के आदार पर आजस्तान में विले की बात है स्विकारी की जनता अगर कहेंगी तो मैं सामिल हो जाओंगा एक समिति बनाई जाती तो बनाई जाती क्योंकि भरतपुर और धोलपुर यह भाषा के आदार पर संस्कृति के आदार पर उत्तर प्रदेश में मिलना चाहते थे तो नोट लगा कर लिखेगा भरतपुर वह धोलपुर भाषा वह संस्कृति के आदार पर कि आधार पर उत्तर प्रदेश में मिलना चाहते थे और उत्तर प्रदेश में मिलना चाहते थे ठीक बात है इसके लिए फिर क्या किया गया यानि आप कहें जनता का मन जानने हितुओं कि एक समिति बनाई है और यह जो समिति बनी इस समिति का नाम था संकर देवराय समिति इसमें कुल मिलाकर तीन सदस्य कि अध्यक्ष सहीत कि अलग से तीन नहीं थे देख सीधे अब आप कहेंगे सर अध्यक्ष कौन थे संकर देवराय यह समिति के ध्यक्ष थे और जो दो सदस्य और थे पर सदस्य कितने थे इसमें अध्यक्ष ही तो टोटल तीन ही थे एक सदस्य का नाम आता है आर के धवा तो लिखेगा आर के शिद्धावा और एक सदस्य का नाम आया प्रभुदयाल इस समिति ने सिफारिश की लिखेगा इस समिति की सिफारिश पर मतस्य संग को रद्ध राजस्तान में मिलाक क्या किया गया संयुक्त व्रद्ध राजस्थान का निर्मान किया गया यानि इसको मिलाने के बाद मिला लिया और क्या होना था और मंत्री मंदल कौन सा था हिरालाल सास्त्री के मंत्री मंदल था और सोबाराम कुमावत को हिरालाल सास्त्री के मंत्री मंदल में जगह दे दी तो फिर आप कहेंगे एक जगह और लिख लो पिछे वाले पेज में जगह है गया सोबाराम कु कि हीरालाल मंत्री मंडल में जगह दी था पांच वाचर पांच वे चरण से इतने परसन आपके बने आवाज चटा चरण चटे चरण में क्या हुआ पहली बात तो चटा चरण हुआ कब चब्बी जनवर 1950 तो लिखेगा नेक्स्ट चटा चरण है और अब राजस्तान एक विधिवत रूप से आपके हैं यह राजस्तान जो नाम था यह विधिवत रूप से आपका नाम आपके सकते हैं कि सम्विधानिक दर्जा जो था वह आपका राष्टान को मिला अब जनवर 1950 विधिवत रूप से राजस्तान नाम सामने आ गए ताप लिखें विधिवत है और इसमें कौन-कौन सामिल है आप कहेंगे संयुक्त रद्ध राजस्थान और पलस के अंदर शिरोही अब याद रखना शिरोही के अंदर जो आपका छित्र था उसमें से आबुदेलवाड़ा को नहीं जोड़ा गया शिरोही में लिखना कि आबुदेलवाड़ा को नहीं जोड़ा गया तो नहीं जोड़ा गया यह इसलिए नहीं जोड़ा गया क्योंकि सरदार बल्ला भाई पटेल यह आबुदेलवाड़ा को ले जाना चाहते थे तत्काले बंबई वर्तमान का गुजरात वहां पर क्योंकि गुजरात कि यह मेन बात आपको याद रखने कि इस समय यहां का प्रशासन किसी दिया गया वह दिया जाता है सिरोही का प्रशासन बंबई को नोट लगाकर लेना उन्नीस सो उन्हें चाहिए इस विषय में सिरोही क कि यह आबुदेलवाड़ा वाला भाग छटे चरण में सामिल नहीं हुआ यह सामिल होगा साथ चरण में और साथ चरण में होगा तो प्रशन फिर बनेगा एक मात्र ऐसा छेत्र जिसका राजस्तान के एकी करण के दोरान दो चरणों में मिले हुआ वह कौन सा था तो आप कहेंगे सर शिरुआई वाला छेत्र था छटे चरण में शिरुआई मिला और आबुदेलवाड़ा आप कहेंगे इसे उधर मिला दिया, मिला दिया तो आप कहेंगे बलवंत महता वै, कोकुल भाई भट के प्रियासों से, सिरोही कि राजस्तान का हिस्सा बना यानि यदि यह नहीं करते ना तो ऐसा मैं कहता हूं लोग बड़े तेज होते हैं और गोकुल भाई बटको क्या कहा जाता है राजस्तान का गांधी और इनका जनम गाउं हातल ये सिरोई में ये छटे चरण में मिल गया था तब एक वेक्ति ने कहा था और वो वेक्ति थे अपने कि गोकुल भाई बटका मतलब ही राजस्तान है इरलाल सास्त्रे ने कहा सरदा और कहा कि शिरोही का अर्थ गोकुल भाई भट है और इनके बिना हम राजस्तान नहीं चला सकते इसलिए शिरोही वाला चेत्र तो हमें चाहिए ही चाहिए तो हिरालाल सास्त्री ने क्या कहा था शिरोही का मतलब गोकुल भाई ऐसा कहने वाला व्यक्ति कौन था लाल शास्त्री और हीरालाल शास्त्री ने ऐसा कहा था और ऐसा कहने के पीछे कारण था कि सरदार वल्ला भाई पटेल को कहा था इस व्याग वाले चेत्र को हम अपने राष्टान में मिलाएंगे और मिलाएंगे तो फिर मिलाएंगे क्या है तो आपके समयधानिक दर्जा राष्टान को कब मिलता है आपके विधिवत रूप से समयधानिक नाम और समयधानिक दर्जा यह राष्टान को मिलता है 26 जनवरी 1950 को और लास्ट में फिर अ एक नवंबर और 1956 को आप कहते हैं कि वर्तमान जो आपका सवरूप है वो सामने आ जाता है तो आप लिखेगा सप्तम चरण और सप्तम चरण की जब बात आती है तो आप कहें सप्तम चरण में राजस्थानी था और राजस्थान था तो इसका डेट आपसे पूछी जाए तो कि वर्तमान राजस्थान का सवरूप सामने आया वर्तमान राजस्थान का सवरूप सामने कब आया आपका उत्तर बनेगा वर्तमान राजस्थान का जो सवरूप है वह एक नमबर 1956 को सामने आया पर संफिर बनेगा इस दोरान क्या लिया गया था इस दोरान एक बना था आयोग जिसका नाम था राज्य पुनरघठन आयोग तो लिखेगा नोट लगाकर राज्य पुनर गठन आयोग की सिफारिश पर राज्य पुनर गठन आयोग की सिफारिश पर देखो अजमेर मेरवाड़ा पुरा का पुरा टोड़गड के साथ में आप कहेंगे आबु देलवाड़ा अजमेर मेरवाड़ा भी था साथ में आबुदेलवाड़ा भी था एक MP से सुनेल टप्पा उच्छड के उपर आया तो लिखेगा MP का सुनेल टप्पा ये सारे के सारे इस्थान ये कहां मिलाई जाते हैं तो आप कहेंगे ये राजस्थान में मिलाएगे राजस्थान में मिलाए गए और इसके साथ अगर मैं आपसे एक बात और पूछ लूं कि कोटा का सिरोंज छेत्र यह वैसे रियासत तो टॉक्ट उसका भाग था पोटा का सिरोंज छेत्र MP में मिलाया गया पोटा का सिरोंज छेत्र का मिलाएगा MP में कि यह तेनों के तीनों कहां मिलाएगे रास्तान में यह वाला भी महत्तवपूर्ण है प्रशन आ सकता है यह वाला भी महत्तवपूर्ण प्रशन आ सकता है यानि यहां आप यह कह सकते हैं शिरोही जो था यह शिरोही दो चरणों में एक तो छटे चरण में पूरा का पूरा शिरोही और उसके बाद में साथ चरण में आबुदेलवाड़ा वाला छत्र आबुदेलवाड़ा अब नया प्रदेश बनता है वर्तमान रास्तान बनता है आधुनिक रास्तान बनता है और इस समय अगर बात करें आप एक नवंबर 1956 अब यहां मुख्य मंत्री कौन थे अगर मैं आपसे पूछूं एक नवंबर 1956 आधुनिक राजस्तान के अगर बात कर यहां मुख्य मंत्री थे मोहनलाल सुखाडिया, मोहनलाल सुखाडिया को इसलिए क्या कहा जाता है, मोहनलाल सुखाडिया यहने कहा जाता है आधुनिक राजस्थान का निर्माता, आधुनिक राजस्थान बोले तो 1 नवंबर 1956, और 1 नवंबर 1956 को क्या बनता है, तो आप कहे मोहनलाल सुकाडिया को कहा जाता है और याद रखना नोट लगा के एक बात लिख लेना नोट लगा के सातवें संसोधन द्वारा 1956 में राज परमुक पद समाप्त किया गया आप कहेंगे सर राजप्रमुक पद समाप्त कर दिया तो कौन सा पद सरजित किया गया राज्यपाल का पद सरजित किया पहले राज्यपाल कौन थे गुरुमुक निहाल सिंह ये भारत के पहले राज्यपाल थे आपसे प्रशन बन सकता है भारत के पर्थम राज्यपाल कौन थे आपका उत्तर बनेगा भारत के पहले जो राज्यपाल थे गुरुमुक निहाल सिंग थे अब गुरुमिक निहाल सिंग तो थे साथ में एक बात और याद रखेगा कि राज्यों की ABC स्रेनिया कि इसका मतलब राजस्तान पहले कौन सिस्रेणी में था आपका उत्तराएगा राजस्तान पहले 20 रेनी में था राजस्तान पहले कौन सिस्रेणी में था याद रखिएगा राजस्तान पहले 20 रेनी में था और अजमेर मेरवाड़ा की मैंने आपको आपका रियासती सेनाई थी इनका एकीकरण कब हुआ था ये एक अपरेल 1951 को हुआ था तो नेक्स्ट एक बात और अक्ष्टा मैं आपसे पूछ लेता हूँ रियासती सेनाओं का एकीकरण यानि रियासतों के दोरान जो अलग-लग सेनाई होती थी तीन प्रकार की सेनाई होती थी इन तीनों सेनाओं का कि एक अप्रेल 1951 को किया गया था तीन प्रकार की सेना ही होती थी एक अप्रेल 1951 को किया गया था और इन सब का जो परमुख बनाया गया था वह बनाया गया था जेपुर के जो आपके मांशिंग दृद्धि थे उन्हें इन सबका परमुख बनाया गया था तो रियास्ति सेनाओं का जो आपका एकी करण किया गया यह कब किया गया 1951 में इनमें फिल्ड सर्विस एक सर्विस यूनिट एक यूनिट होती थी जिसे कहते थे स्टेट सर्विस यूनिट तो लिखिएगा स्टेट सर्विस यूनिट एक होती थी जनरल सर्विस यूनिट इन सब का क्या कर दिया एकी करण कर दिया और एकी करण करने के बाद में आपका इसका तो आप कहेंगे जैपुर के महाराजा को आपके लिए क्वेश्चन है आपके लिए क्वेश्चन क्या है यह बता देता हूं शेलूट रियास्तें या ठिक रियास्तें या ठीकाने यह कौन से थे अर्थ में बता देता हूं अर्थ सीधा सा की है सेलूट का मतलब जिन्हें तोपों की सलामी का अधिकार था तेलूट जैसे उदेवपुर को 19 तोपों की सलामी दी जाती थी यह सेलूट और नोन सेलूट यह आपको याद रखना है तो बोलो आज के आनंद की यह आपको कमेंट करके बताने बाद में और राजस्तान का इतिहास यह सर्श्वति कृपा से कि उराववा और कि जो मैंने कहा था तो कि बहने के बाद में क्या है कि वह काम करना पड़ता है व्यक्ति अपने अब बोलते हैं अपने खुद के पहले वह नियमों में बंद जाता है और जो आपसे वादा किया था उस वादे को पूरा निभाए और वह मरजी लाइव कम रहे हों ज्यादा रहे हों लेकिन जो कहा था वह पूरा कि अब आगे वाली क्लास में सोच समझ कर शुरू करूंगा क्योंकि कहने के बाद में फिर क्लास शुरू करनी पड़ती है देखो और फिर मैं ऐसे वह किया नहीं जाता यह एक बार मैं कर दूं जो उसमें आकर फिर में बीच में छोड़ दूं और बीच में चला जाऊं वह नहीं होता है अलाकि बीच में बीमार हुआ थोड़ा सा प्लास अपने 11 जुलाई से स्टार्ट थी बीच में फिर थोड़ा सा कमने ऑपरेशन करवा है इसलिए थोड़ा सा क्टाइम लग गया अपने को अन्य था यह काम अपना महीने पहले ही हो जाता ठीक है अ है तो यह रास्तान का इतियास था जो आपके पाठेकरम में आता है जिसको पर ने टू दे पॉइंट एक टोपिक को अपने पूरा किया है और एक जन जागरती का टोपिक है वह टोपिक अलग से तो कोई टोपिक नहीं है कि जब पर्जामंडल करते हैं जब अपन अडूति प्रजामंडल की बात की अपने मारवाड की बात की थोती पोती की बात की चिड़ावा सेवा आपको चिंता करने की आवसाकता नहीं है तो यह पाठ्यकरम था अब एक सेशन में रखूंगा अलग से लाइव सेशन होगा उसमें पर वापस करेंगे इतिहास अपना पूरा हो गया तो आगे अब क्या निर्णय लिया जाए और निर्णय लेने के लिए आप सभी से विचार यूमर्स किया जाएगा उसके बाद में सोचा जाएगा कि आगे कौन सा सब्जेक्ट आए से बुला-बुला के सारे करवा लो मेरे से ना पहले का सर सिर्फ बार्थ का इतियास करवा दो बार्थ का इतियास करवाने के बाद फिर का सर एक काम करो आपने राष्टान का इतियास और करवा दो राष्टान का इतियास करवाने का बाद में आप कह रहे हो कि सर ना राष्टान की कला संस्कृति और करवा दो और कला संस्कृति के बाद कह देना कि सर ना राष्टान की पॉलिटी और करवा दो थ्योरी में प्लीज पॉलिटी के बाद कहते हैं सब इंडिया की पॉलिटी और करवा दो प्लीज सर है तो मैं फिर ऐसा हूं मैं पिगड़ जाता हूं आपकी बातों के सामने देखेंगे क्या करते हैं विचार उमर्श करेंगे उसके देखेंगे एसंजे परमार अलवे तंतु देखें पीडीएफ तेरा कुणो जद कि वह कुणों संजय प्रमार हो गई पेड़द दूंगे अलवा पर संबलोक कर दिया है चालो पसू परिशद का सिलेवस करवाओंगे पसू परिशद नहीं आगे कि कोई डंगो अरे पसू परिशद तो है ठीक है तो यह सेशन आपको कैसा लगा और बदाइए कमेंट करके व्यास्तान का इतियास पूरा किया बाकी एक सेशन लाऊंगा मैं कल ही साम को 9.15 बागे आप क्या करना चाहते हो उसी साथ से प्रपण निर्णय ले लेंगे और फिर अपना कंटिन्यू करेंगे और गए तो संजय परमार गलत को नहीं बदला जय हिंद जय भारत ऑल दे वेस्ट