हेलो एवरीवन आज के इस वीडियो में हम बात करेंगे बीए प्रोग्राम के सेमेस्टर थ्री और फोर दोनों में सब्जेक्ट होता है ठीक है जेनरिक इलेक्टिव सब्जेक्ट है आपका हिंदी ख है हिंदी गद्य विकास के विविध चरण इसके मैं इंपॉर्टेंट क्वेश्चन कराऊंगा सेम ऐसे ही पैटर्न पे आपके क्वेश्चन आते हैं प्रीवियस ईयर के क्वेश्चन ले रखे हैं और इनके रिपीट होने के चांस बहुत ज्यादा होते हैं जिस तरीके से मैं आपको क्वेश्चन बताऊंगा पेपर में उसी प्रकार के आपके क्वेश्चन देखने को मिलेंगे वन शॉर्ट वीडियो है यानी एक ही वीडियो में कंप्लीट सिलेबस के सारे इंपोर्टेंट क्वेश्चन हो जाएंगे और मोस्ट इंपोर्टेंट क्वेश्चन ही यहां पे डिस्कस कर रहा हूं इसकी पीडीएफ आपको हमारे अलग-अलग प्रकार के तत्व बताएंगे कहीं पर आपको 12 तत्व बता रखे हैं कहीं पर आठ बता रखे हैं कहीं पर छह बता रखे हैं ठीक है लेकिन आपको कम से कम छह तत्व याद रखने हैं कहानी के और पेपर में क्वेश्चन आता है तो आपको लिखने हैं अब कहानी के तत्व क्या होते हैं किन सब चीजों से कहानी मिलकर बनती है वो सारे कहानी के तत्व होते हैं देखिए कहानी में सबसे पहले एक विषय वस्तु होगी जिसको कथानक कहते हैं यानी कि कंटेंट होता है हर कहानी में एक कंटेंट होता है बिना कंटेंट के कोई कहानी हो ही नहीं सकती ठीक है फिर कहानी के अंदर क्या होते हैं पात्र होते हैं यानी किट होते हैं आप कोई भी कहानी पढ़ोगे तो उसमें आपको दो चार पाच जो भी कैरेक्टर होते हैं वो आपको देखने को मिलेंगे ठीक है फिर कहानी की हर कहानी की अपनी एक भाषा शैली होती है उसको लिखने का एक तरीका होता है जैसे कहानियों में क्या मुहावरों का इस्तेमाल है कौन से शब्द है तत्सम है तद्भव है देशज है विदेशज है किस प्रकार के शब्द है ठीक है यह सब देखा जाता है संवाद कैसे हैं डायलॉग हमेशा छोटे होने चाहिए और दृष्टिकोण वातावर वण या फिर इसको काल काल वातावरण इस तरीके से भी देखा जाता है देश काल कहा जाता है सॉरी ठीक है देश काल या वातावरण हर कहानी का एक उद्देश्य भी होता है तो ये मुख्य तत्व होते हैं किसी कहानी के अब इन तत्त्वों के बारे में आपको पता होना चाहिए क्योंकि इस पे क्वेश्चन आया हुआ है आपके पेपर में तो देखिए कथानक क्या होता है कथानक का मतलब होता है कंटेंट हर कहानी में कंटेंट होता है कहानी के प्रारंभ से लेकर कहानी के अंत तक ठीक है जो कहानी की जो समरी है वो सारी की सारी क्या है कहानी के विषय वस्तु या फिर कथानक होती है या कंटेंट होती है क्लियर है कहानी कई तरह के की हो सकती है हो सकता है कहानी में इतिहास के बारे में बातें हो ऐतिहासिक कहानी हो जैसे आपको शिवाजी की कहानी रानी लक्ष्मीबाई की कहानी होगी तो ये 1857 के विद्रोह की कहानी होगी तो ये सारी ऐतिहासिक कहानी होती है हो सकता है कोई पौराणिक कहानी हो राजनीतिक विषय पर कोई राजनीतिक कहानी हो पारिवारिक विषय पर कोई पारिवारिक कहानी हो प्रेम से संबंधित कोई लव स्टोरी हो गांव या नगर से संबंधित कोई कहानी हो तो कहानी किसी भी प्रकार की हो सकती है ठीक है तो ये सारे के सारे क्या है आपके कहानी के अ टाइप्स हो सकते हैं इन टाइप की आपकी कहानी हो सकती है तो ये कथानक कि प्रकार का हो सकता है किसी भी कहानी का जो कथानक होता है ना वो हमेशा आकर्षक होना चाहिए क्योंकि अगर कंटेंट आकर्षक नहीं है तो जो पढ़ने वाला पाठक है उसके मन में जिज्ञासा ही नहीं होगी ठीक है यानी कि कहानी का कंटेंट ऐसा होना चाहिए जो पाठक के मन में जिज्ञासा उत्पन्न कर सके जिसकी वजह से वो पूरी कहानी को पढ़े वरना क्या है कहानी पढ़ना शुरू करेगा एक पेज पढ़ेगा उसको पसंद नहीं आया वो छोड़ देगा दोती च पाच आगे के पेज में बढ़ेगा ही नहीं तो ये महत्त्वपूर्ण है कि आकर्षक होना चाहिए कहानी का अंत जो होता है वह प्रभावी और प्रेरणादाई होना चाहिए कहानी का अंत वैसे जो होता है जो निष्कर्ष होता है उसका उद्देश्य तो वैसे मनोरंजन होता है लेकिन फिर भी जो कहानी का अंत हो व मनोरंजन तो करे करे साथ में कुछ प्रेरणा दे कुछ कुछ सीखने को मिले हमें ठीक है कहानी की विषय वस्तु ऐसी हो कि पाठक जो है जब उसे पढ़ना शुरू करें तो अंत तक उसको पढ़ता ही रहे ऐसी कहानी की विषय वस्तु होनी चाहिए नेक्स्ट हमारा पात्र या चरित्र देखिए हर कहानी में कुछ चरित्र होते हैं कुछ पात्र होते हैं यह कहानी को सजीव बनाते हैं कहानी में पात्रों की संख्या जो है वह कम होनी चाहिए और क्योंकि कम पात्र क्यों होने चाहिए ताकि लोग कहानी में इंटरेस्ट ले पाए अगर पात्र ज्यादा हो जाएंगे तो एक तरह से उपन्यास बन जाएगा व ऐसा लगेगा जैसे कहानी उलझा रही है इसलिए कम पात्र की कहानी होनी चाहिए और पात्रों का जो चित्रण हो वो बिल्कुल सजीव हो आकर्षक हो तभी पाठक के मन में कहानी को पढ़ने का मतलब जिज्ञासा उत्पन्न होगी अगर कहानी में ये सारी चीजें नहीं होंगी तो वो नहीं पड़ेगा उसको फिर संवाद महत्त्वपूर्ण है किसी भी कहानी में संवाद महत्त्वपूर्ण होते हैं डायलॉग्स तो प्रत्येक कहानी में लोगों के बीच में जो बातचीत हो रही होती है व संवाद कहलाती है संवाद हमेशा क्या होनी चाहिए स्पष्ट होनी चाहिए प्रभावी होने चाहिए जिससे पाठक को कहानी में आनंद आए संवाद कहानी को गति प्रदान करते हैं ठीक है संवाद कहानी को यादगार बना देते हैं कहानी को जीवंत बना देते हैं संवाद हमेशा छोटे होने चाहिए भाषा सरल होनी चाहिए ताकि आराम से पाठक उसको समझ पाए फिर बात करते हैं कहानी की भाषा शैली देखिए कहानी की भाषा शैली में अगर सरल शब्द होंगे स्पष्ट होंगे प्रभावी होगी तो ज्यादा बेटर होगी पाठक उसको आसानी से समझ पाएगा देखिए पाठक का लेवल जो है अलग-अलग हो सकता है हो सकता है कहानी को बच्चा पढ़ रहा हो कहानी को अ जवान बच्चा पढ़ रहा हो बूढ़ा व्यक्ति पढ़ रहा हो तो सबका जो लेवल है वो अलग-अलग होता है तो कहानी की भाषा अगर सरल होगी तो वो सभी को समझ में आएगी यदि कहानी की भाषा जन भाषा में हो यानी कि जो लोकल लैंग्वेज होती है आम भाषा होती है उसमें हो तो पाठक उसको ज्यादा अच्छे से समझ पाएंगे कहानी को जीवंत बनाना के लिए भाषा शैली जो है वो विषय और पात्रों के अनुसार होनी चाहिए जैसा उसमें कंटेंट है उसी के अनुसार भाषा शैली हो जैसे उसमें कैरेक्टर है उसी के अनुसार भाषा शैली हो यानी अंग्रेज है अगर उसके अंदर तो अंग्रेजी में सारी चीजें होनी चाहिए ठीक है गांव की कहानी है तो उसमें गांव की भाषा होनी चाहिए उससे मैच करती हो ऐसे ना हो कि गांव की कहानी में शहरों की भाषा हो तो नहीं मैच कर पाएगी ना तो इसलिए वो उससे मैच करती होनी चाहिए फिर देश काल या वातावरण देश काल में क्या होता है कहानी किस समय की होती है उसको देखा जाता है मान लो कोई नी लक्ष्मी बाई की कहानी है तो वो कौन से समय की होगी उस समय की होगी जब देश अंग्रेजों का गुलाम था उस समय में देश काल क्या था वातावरण क्या था समय कैसा था यह सारी चीजें होती है ठीक है देश काल या वातावरण जिस समय की कहानी होती है उस समय के जो रीति रिवाज है उस समय जो प्रथाएं थी समाज था खानपान ता रहन सनथा वेशभूषा थी उसके बारे में हमको बताता है देशकाल या वातावरण के अनुसार कहानी का वातावरण स्वाभाविक होना चाहिए ठीक है यह नहीं कि पता लगे कि किसी पुराने समय की कहानी और उसमें ऐसी चीज ही ना हो जिसे लगे कि वो कोई पुराना समय है ठीक है तो ये उससे मैच करता होना चाहिए उद्देश्य हर कहानी का एक ही उद्देश्य होता है मेनली मनोरंजन लेकिन कहानी का उद्देश्य केवल मनोरंजन नहीं होना चाहिए बल्कि मनोरंजन के साथ-साथ कहानी से हमको कुछ संदेश मिले कुछ सीखने को मिले जिससे पाठक जो है सोचने को मजबूर हो जाए जैसे प्रेमचंद की कहानी है ना आप प्रेमचंद की कहानियां पढ़ोगे ना तो आप कहीं ना कहीं झकझोर देती है अंदर तक कहानी आप सोचने को मजबूर हो जाते हो ठीक है तो ऐसी कहानी होनी चाहिए उसके कहानी का जो उद्देश्य होता है उसका प्राण तत्व होता है उद्देश्य ही नहीं है कहानी का तो फिर कहानी को पढ़ने और बनाने का कोई फायदा ही नहीं है तो यह होती है कहानी की आप कह सकते हो इसको कहानी की तात्विक तत्व कह सकते हो ठीक है जब किसी कहानी की तात्विक समीक्षा की जाती है तो इसी आधार पर की जाती है जैसे एग्जांपल मैं आपके सामने कोई कहानी रखता हूं जैसे मान लीजिए उसने कहा था आगे मैंने इसके क्वेश्चन रखे अब उसने कहा था कहानी है इसमें एक सिख किरदार है जो कि लहना सिंह है जो कि एक सैनिक होता है अब इस कहानी की मान लो तात्विक समीक्षा हो जाए तो तात्विक समीक्षा में सबसे पहले आप क्या लिखोगे कंटेंट आप बताओगे कि भाई ये कहानी जो है ये प्रथम विश्व युद्ध की है जिसमें लहना सिंह जो है वो सिख सैनिक भारतीय सैनिक के रूप में लड़ने के लिए जाता है किस प्रकार वो अ ठीक है किस प्रकार से वह सूर वरता से लड़ता है चोटिल हो जाता है घायल हो जाता है लेकिन फिर भी अपने सूबेदार की रक्षा करता है तो इस तरीके से वो तो उसका कंटेंट हो जाएगा ठीक है उसकी भाषा शैली क्या है आप बताओगे उसमें मुहावरों का इस्तेमाल है उसमें तत्सम शब्द इस्तेमाल किए गए हैं सामान्य भाषा है सरल शब्द है जैसी भाष शैली है वो बताओगे डायलॉग्स आप बताओगे किस प्रकार के संवाद है सरल है स्पष्ट है प्रभाव मय है ठीक है इस तरीके के फिर उसमें आपसे अगर उद्देश्य पूछे तो उस कहानी का क्या उद्देश्य है क्या उससे सीखने को मिलता है वो सारी बातें आ जाती है उसमें ठीक है देश काल वातावरण की बात करें तो वो ये प्रथम विश्वयुद्ध की समय की कहानी है तो उस समय में कैसा माहौल था वो बताओगे तो यह सब इसी तरीके से पूछा जाता है तो कहानी के तत्व आपको पता लग गया अब किसी भी कहानी की तात्विक समीक्षा पता करें तो आप उसकी समरी पढ़ के जाओ बस तात्विक समीक्षा आप आराम से लिख पाओगे तो यह था हमारा पहला क्वेश्चन अगला क्वेश्चन है कि कहानी जो विधा है उसका सामान्य परिचय देखिए जो गद्य है ना गद्य की बहुत सारी विधाए होती है उसमें से कहानी एक है ठीक है गद्दे की विधा कौन-कौन सी होती है कहानी हो गई आपका निबंध हो गया ठीक है इसमें आपका नाटक हो गया एकांकी हो जाएगा आपका ठीक है रेखाचित्र हो जाएगा उपन्यास हो जाएगा आलोचना हो जाएगी सब गद्य की विधाए है तो गद्य की विधा में जो कहानी है उसके बारे में आपको डिटेल में बताना है तो देखिए समझते हैं कहानी की अगर हम बात करें तो थोड़ा सा हमें बैकग्राउंड में जाके देखना पड़ेगा हिंदी साहित्य का आधुनिक काल जो है 1850 ईसवी के लगभग से शुरू होता है और विश्व साहित्य और संस्कृति में पाश्चात्य प्रभाव बढ़ रहा था देखिए क्या था कि कहानी पहले भारतीय हिंदी कहानी नहीं आई पहले बाहर की कहानी थी अंग्रेजी कहानियां यह सब आती थी बाद में क्या हुआ धीरे-धीरे उन कहानियों का ट्रांसलेशन होता गया फिर उसके बाद हिंदी कहानियां भी आने लगी थी ठीक है तो यह सब था अब कहानी की परिभाषा समझिए अमेरिकी लेखक एडलर जो हैं इन्होंने कहा है कि छोटी का कनी एक ऐसा आख्यान होती है इतना छोटा है कि एक बैठक में पढ़ा जा सके और पाठक एक ही प्रभाव को उत्पन्न करने के उद्देश्य से लिखा हो यानी यह जो एडलर है इन्होंने कहा है कि कहानी ऐसा आख्यान होती है जो एक ही बैठक में यानी आप मान लो आप 20 मिनट है आपके पास आप 20 मिनट के लिए बैठे और 20 मिनट में आपने कोई कहानी की किताब खोली और आपने कहानी पढ़नी शुरू कर दी और 20 मिनट में आपने उसको पढ़ लिया तो इस तरीके की जो चीजें हैं यह कहानी कहलाती है ठीक है इसका एक ही उद्देश्य होता है और इसकी परिभाषा में आपको दो चीज दिखाई दी होगी एक तो कि क्या क्या है कि कहानी संक्षिप्त है आप 20 मिनट में भी पढ़ पा रहे हो यानी कि कहानी संक्षिप्त होती है शॉर्ट में होती है फिर दूसरा क्या है वह प्रभावशाली होनी चाहिए ठीक है अब कहानी के और भी परिभाषाएं हैं तो आपको जब कहानी की विधा के बारे में बताना है तो आपको इसी फॉर्मेट में लिखना है आपकी किताब में कंटेंट कम दे रखा है ठीक है मैंने थोड़ा सा बढ़ा के दे रखा है कंटेंट तो यहां से आप अपने हिसाब से ले लो क्योंकि आपकी कहानी में शायद एक परिभाषा हो इसमें आपको मैं दो-तीन परिभाषा बताऊंगा एचजी वेल्स क्या कहते हैं कि कहानी ऐसी गद्य कथा है है जो 20 मिनट में पढ़ी जा सकती है और कहानी को समय सीमा में बांधना वैसे व्यवहारिक नहीं है अब कहानी के परिभाषा के आधार पर अगर हम कहानी के लक्षण देखें तो कहानी के लक्षण होते हैं कहानी का संक्षिप्त होना देखिए कहानी हमेशा शॉर्ट में होती है संक्षिप्त होती है यह हमारे अंदर नाटकीय कुतूहल पैदा करती है यानी कि हमको झकझोर देती है कुछ कहानी तो ऐसी होती है जो हमको अंदर तक झकझोर देती है कहानी प्रभावशाली होती है ठीक है उसका कुछ ना कुछ हमारे ऊपर प्रभाव पड़ता है आप कोई भी कहानी पढ़ो कुछ ना कुछ उसका प्रभाव पड़ेगा कहानी के विकास को समझ कि कहानी का विकास कैसे होता है तो देखिए आपकी किताब में अलग-अलग समय में कहानी को बांटा हुआ है तो हम इसको कई तरीके से बांट सकते हैं तो कोई भी तरीका आप अपना लो अलग-अलग किताब में पढ़ोगे तो अलग-अलग तरीके से बताया सारा ही सही है गलत कुछ भी नहीं है तो सबसे पहले जैसे इसको हम प्रारंभिक युग में बांटे तो अनुवाद युग हो जाएगा फिर प्रसाद युग प्रेमचंद युग आ जाएगा वर्तमान युग तीन पीढ़ियों का आ जाएगा तो देखिए अनुवाद युग क्या था पहले अंग्रेजी में या अन्य भाषाओं में कहानियां होती थी उसका अनुवाद हिंदी में बंगला भाषा में या अन भाषा में कर दिया जाता था हम बाहर की कहा को पढ़ते थे ठीक है ये होता था कहानी लेकिन बाद में हिंदी की कहानी आने लगी प्रसादी प्रेमचंद ठीक है इन सब के टाइम प बहुत अच्छी-अच्छी कहानी हिंदी में लिख ने लगी अब यहां पे एक क्वेश्चन आता है कि हिंदी की पहली कहानी कौन सी है तो इसको लेकर विवाद है कुछ लोग कहते हैं कि रानी कितकी की कहानी जो है जो इंशा अल्लाह खान ने लिखी थी ये हिंदी की पहली कहानी है कुछ लोग कहते हैं कि राजा भोज का सपना जो है जो शिव प्रसाद सितारे हिंद ने लिखी थी ये पहली कहानी है लेकिन ज्यादातर ने इन दोनों कहानियों को नहीं माना इन्होंने कहा है कि इंदुमती पहली कहानी है कुछ दुलाई वाली को पहली कहानी नहीं मानते हैं ठीक है तो ये महत्त्वपूर्ण है पहली दो कहानी को कहानी क्यों नहीं मानते क्योंकि इसमें कहानी के तत्व ही नहीं है कहानी के तत्व होते हैं ना वो भी इसके अंदर नहीं है इसलिए इसको कहानी नहीं माना गया है ठीक है अब हिंदी कहानी के विकास के बारे में हमको अगर अध्ययन करना है तो हमें अगर हम प्रेमचंद को केंद्र बिंदु मानकर चले तो इसको हम चार भाग में बांट सकते हैं ठीक है अभी हमने इस इस तरीके से भी बांटा था आप इस इस तरीके से भी लिख सकते हो या फिर अगर हम मान के चले कि प्रेमचंद को मेन मान लेते हैं ठीक है तो प्रेमचंद से पहले की कहानी और प्रेमचंद के बाद की कहानी और प्रेमचंद के समय की कहानी इस तरीके से बांट सकते हैं देखिए प्रेमचंद पूर्व हिंदी कहानी यानी प्रेमचंद के पहले जो भी कहानी लिखे गई है 1800 से लेके 1916 तक की यह कहानी आ जाएगी फिर प्रेमचंद युग की कहानी यानी प्रेमचंद के समय में जो भी कहानी लिखी गई 1916 से 1936 तक वो कहानी फिर प्रेमचंद के बाद की जो कहानी आई है 1936 से 1950 तक और लास्ट में जो कहानी बिल्कुल बदल गई है नई कहानी इसको हम चार कैटेगरी में बांट के पढ़ सकते हैं ठीक है अब देखो प्रेमचंद से पहले की कहानी की बात करें तो इसमें देखो हिंदी कथा यात्रा में जो पहला चरण था यह बाल्यावस्था थी इस समय कहानी जो थी बहुत जबरदस्त नहीं होती थी ठीक है प्रेमचंद के आने से पहले जो कहानियां थी वो अच्छे तरीके से उभर नहीं पाई थी किंतु अपवाद में गुलेरी जी की कहानियां जो है वो बहुत मैच्योर कहानी है गुलेरी जी ने जो उसने कहा था लिखा था वो हिंदी की सर्वश्रेष्ठ कहानी मानी जाती है तो गुलेरी जी एक अपवाद है होता है ना कि कभी-कभी हम सोचते हैं ऐसा नहीं लेकिन ये ऐसा है यानी प्रेमचंद से पहले कहानी इतनी अच्छी नहीं थी लेकिन गुलेरी जी की कहानी सबसे बेस्ट थी ये आप कह सकते हो और ऐसा कहा जाता है कि हिंदी कहानी का विकास जो है वो 1900 के आसपास से शुरू होता है उसने कहा था यह जो कहानी है इसको हिंदी की बेस्ट कहानी माना जाता है ठीक है प्रेमचंद युग की कहानी देखते हैं यानी प्रेमचंद के पहले की कहानी कोई इतनी मैच्योर कहानियां नहीं थी इसलिए उसको हमने इतना ही समझा है अब प्रेमचंद के समय की कहानी देखते हैं हिंदी के युग प्रवर्तक कहानीकार माने जाते हैं प्रेमचंद ये नवाब राय के नाम से उर्दू में लिखते थे पहले बाद में इन्होंने ठीक है उर्दू में इन्होंने सोजे वतन लिखा था बाद में इन्होंने हिंदी में प्रेमचंद के नाम से लिखना शुरू कर दिया था और इनकी कहानियां जो है साहित्य में अमर हो गई है प्रेमचंद को मुंसी अ मुंसी प्रेमचंद के नाम से भी जाना जाता है कलम का सिपाही भी कहा जाता है ठीक है प्रेमचंद ने 300 के करीब कहानियां लिखी हैं इनकी प्रारंभिक कहानियों में आदर्श दिखाई देता है आदर्शवाद की बातें हैं बाद की कहानी में जीवन का यथार्थ यानी जीवन की जो सच्चाई है वह दिखती है और इनकी कहानियों में शो ण का विरोध दिखा दिखाई दिया है ठीक है शोषण होता था लोगों का उसका विरोध है चाहे आप सवा शेर गेहूं पढ़ लो या कोई भी इनकी कहानी पढ़ लो आपको कहीं ना कहीं ये चीजें दिख जाएंगी फिर प्रेमचंद की महत्त्वपूर्ण कहानी कौन सी है पंच परमेश्वर हो गई कफन हो गई ईदगाह हो गई नशा पूस की रात सवा शेर गेहूं बूढ़ी काख आत्माराम लॉटरी यह सब इनकी महत्त्वपूर्ण कहानी है इनके बाद समय आता है जयशंकर प्रसाद का पांच कहानी संग्रह थे इनकी छाया प्रतिध्वनि आकाश दीप आंदी और इंद्रजाल इन्होंने बहुत सारी कहानी लिखी अब इनका का कहानी लिखने का स्टाइल जो था वो बहुत अलग था प्रसाद की कहानी जो है वो भी जबरदस्त कहानियां होती हैं और इनकी कहानियों में ना जो सबसे बेहतरीन चीज है वो ज्यादातर इनकी नायक नायिका वाली कहानी है ठीक है और प्रेम वाली कहानियां काफी ज्यादा है इनकी कहानी में कल्पना बहुत ज्यादा देखने को मिलती है इमेजिनेशन बहुत ज्यादा इनकी कहानी में आपको प्रेम करुणा त्याग बलिदान ये सारी चीजें देखने को मिलता है निश्छल प्रेम बलिदान यह सब देखने को मिलेगा ठीक है हालांकि इनकी कहानियों में बहुत ज्यादा कल्पनाएं होती हैं प्रसाद जी की मुख्य कहानी कौन सी है आप यहां पे देखो स्क्रीन पे आपके सामने है इसके बाद आता है प्रेमचंद के बाद की कहानियां यानी प्रेमचंद और प्रसाद के बाद की जो कहानी आती है इस समय में जो कहानी थी वह किसी एक दिशा की तरफ नहीं थी बल्कि अलग-अलग दिशाओं में कहानी का विकास हो रहा था अब जो कहानीकार आए वो अलग-अलग तरीके से कहानी लिख रहे थे इस समय में प्रगतिवादी जो कथाकार आ गए थे जैसे अे आ गए थे इलाचंद्र जोशी जैनेंद्र ये मनोविश्लेषण वादी हैं इन्होंने बिल्कुल अलग टाइप की कहानियां लिखी है यशपाल जो गए थे इन्होंने वर्ग संघर्ष के बारे में शोषण के बारे में समाज में जो जो रूढ़ीवादी चीजें थी उसके बारे में जो गुस्सा इनके मन में था उसको इन्होंने लिखा है फिर यशपाल की कहानी जो है मेन कहानियां ये हैं वो दुनिया पिंजड़े की उड़ान फूलों का कुर्ता तर्क का तूफान यह सब इनकी महत्त्वपूर्ण कहानियां है फिर रागे राघव नागार्जुन अमृत राय ठीक है बहुत सारे कहानीकार आए उन्होंने अलग दिशा में कहानी को ले गए अलग-अलग तरीके से कहानी लिखी उसके बाद आता है कहानी का सबसे लास्ट टाइम आज के समय की कहानी इसको नई कहानी कहा जाता है 1950 के बाद की जो कहानी है ये सब नई कहानी की कैटेगरी में आती है पुरानी कहानी में पूर्वाग्रह होता था नई कहानी में कोई पूर्वाग्रह नहीं है बिल्कुल जो यथार्थ है जीवन का उसके बारे में लिखा जाता है नई-नई चीजों के बारे में लिखा जाने लगा जैसे गांव के बारे में कहानियां है नगर के बारे में कहानियां है जीवन की सच्चाई के बारे में कहानियां है यौन समस्याओं के बारे में कहानियां है व्यंग प्रधान कहानियां है तो ये बिल्कुल अलग टॉपिक पे कहानियां लिखी जाने लगी थी तो कहानी के विकास के बारे में बता सकते हो कि पहले कैसे कहानी होती थी फिर कैसी कहानी आई फिर कैसी कहानी आई और आज के समय में कैसी कहानी है ठीक है तो चारों समय को बांट के आप बता सकते हो अगला क्वेश्चन है कि हिंदी कहानी सॉरी हिंदी में जो एकांकी विधा है इसके बारे में बताइए देखिए एकांकी क्या होता है ये एक प्रकार का नाटक का लघु रूप माना जाता है ठीक है यानी जिस प्रकार से नाटक होता है नाटक का मंचन किया जाता है कहां पे रंग मंच पे यानी रंग मंच प स्टेज प जाके नाटक को किया जाता है ठीक है जैसे आप रामलीला देखते हो रामलीला में भी एक नाटक ही किया जाता है उसमें कैरेक्टर होते हैं ठीक है नाटक की तरह रंग मंच प जाते हैं जैसे भगवान राम जी स्टेज प जाएंगे ठीक है लक्ष्मण जी और जो भी दृश्य है रामायण का वो सब दिखाया जाएगा उसको रंग मंच यानी स्टेज को रंग मंच कहा जाता है इसी प्रकार से जो एकांकी होती है ना ये भी एक तरह से नाटक जैसा ही होता है इसका भी मंचन किया जाता है रंग मंच पे लेकिन एकांकी जो होती है वो छोटी होती है नाटक से एक ही अंक होता है यानी जीवन के किसी एक ही अंक पे इसमें बात होती है क्लियर हो गया अब आगे चलते हैं समझते हैं देखिए एकांकी साहित्य की ऐसी विधा है जो नाटक के समान अभिनय से संबंधित है यानी इसमें एक्टिंग करी जाती जा है इसमें किसी घटना या किसी विषय को एक अंक को प्रस्तुत किया जाता है एक अंक से इसका नाम एकांक पड़ गया कुछ आलोचक जो है वो कहते हैं कि यह नाटक का लघु रूप है यानी नाटक का छोटा रूप है लेकिन सभी इसको छोटा रूप नहीं मानते बल्कि इसको एक अलग विधा मानते यानी नाटक से इसका कनेक्शन नहीं मानते कहते नाटक अलग चीज है एकांकी अलग चीज है ठीक है दोनों विधाए अपना स्वतंत्र शिल्प रक्ती यानी दोनों अलग-अलग विधाएं है एकांकी को अंग्रेजी में वन एक्ट प्ले कहते हैं ठीक है एक ही एक्ट होता है इसके अंदर और पश्चिम में पश्चिम देशों में इसको अभिनीत किए जाने वाले उन नाटकों को कहा जाता था एकांकी यानी वन एक्ट प्ले जो पश्चिमी देश है वहां पर जो नाटक करे जाते थे स्टेज प ठीक है जो एक ही अंक में समाप्त हो जाते थे उसको वन एक्ट प्ले कहा जाता था इसी से एकांकी बना है इसका प्रारंभिक रूप जो था वो लघु नाटक जैसा ही था लेकिन बाद में इसको एक अलग स्वतंत्र विधा के नाम से जानने लगे हैं ठीक है एकांकी ने नाटक के अलग नाटक से बिल्कुल अलग अपना एक स्वतंत्र स्वरूप प्रतिष्ठित किया है यानी एकांकी को नाटक से जोड़ के नहीं देखना है क्लियर ये समझ लो बिल्कुल एकांकी बड़े नाटक की अपेक्षा छोटा जरूर है लेकिन संक्षिप्त रूप नहीं है उसका नाटक का संक्षिप्त रूप नहीं है बिल्कुल भी अब एकांकी को देखो अलग-अलग काल खंडों में बांट के देखो भारतेंदु जी हो गए प्रसाद जी हो गए प्रसाद के बाद की और स्वतंत्रता के बाद की चार कैटेगरी में बांट के हम पढ़ लेते हैं ठीक है तो सबसे पहले बात करते हैं भारत हिंदू काल की हिंदी में सबसे पहला एकांकी भी भारतेंदु ने ही लिखा था इस संबंध में विद्वानों में काफी मतभेद है फिर भी भारतेंदु के द्वारा लिखा हुआ प्रेम योगिनी हिंदी की एकांकी का प्रारंभ माना जाता है ऐसा माना जाता है कि इनकी प्रेम योगिनी जो है यह पहली एकांकी थी यहीं से एकांकी की शुरुआत हुई है अलग-अलग एकांकी कारों ने समाज की जो कुरीति थी जो समाज में जो गलत नीतियां थी उस पर प्रहार कराए एकांकी के रूप में फिर भारतेंदु के द्वारा रचित भारत दुर्दशा हो गई या प्रताप नारायण के द्वारा रचित कली कौतुक रूपक श्री शरण के द्वारा रचित बाल विवाह किशोरी लाल गोस्वामी ने लिखा है चौपट चपेट राधाचरण गोस्वामी ने लिखा है भारत में यवन लोक ठीक है बूढ़े मुह मुहा से तो इस तरीके से कई जो रचनाकार हैं उन्होंने समाज में जो जो कुरीति चल रही थी उस परे व्यंग करते हुए कई सारी एकांक लिखी है ठीक है इसके बाद आता है प्रसाद योग इसमें क्या होता है हिंदी एकांकी विकास की दृष्टि से अगर हम देखें तो यह एक महत्त्वपूर्ण युग माना जाता है द्वितीय युग है आधुनिक एकांकी साहित्य की जो पहली मौलिक कृति के रूप में अगर हम देखें तो प्रसाद का एक घूंट का उल्लेख है यानी प्रसाद जी ने एक घूंट एकांकी लिखे है जो मौलिक उनकी ओरिजिनल कृति के रूप में देखा जाता है और एकांकी के शिल्प में सबसे महत्त्वपूर्ण परिवर्तन यहीं से होता है इनके समय से ठीक है अब क्या है नया-नया नए-नए प्रयोग किए जा रहे थे एकांकी में पहले की एकांकी अलग थी अब बिल्कुल अलग थी नई टेक्निकल चीजों को उसमें जाने जाने लगा ठीक है बाहरी जो बाहर से जो एकांकी थी उसको भी कहीं ना कहीं यहां पे लाया गया ये कुछ यहां पे बदलाव आए हैं और यथार्थ और जीवन की सच्चाई से जुड़े हुए एकांकी लिखी जाने लगी थी अब जो एकांकी आ रही थी उसके जो डायलॉग होते थे उसमें सजीव संक्षिप्त मार्मिकता यह सारी चीजें देखने को मिलती थी ठीक है रंग मंच पर इसको प्रस्तुत किया जाता था अब एक चीज और याद रखना है जब एकांकी लिखी जाती है तो उसको यह सोच के नहीं लिखी जाती कि जनता उसको पढ़े गी उसको यह सोच के लिखा जाता है कि इसका इसपे एक्ट होगा यानी कि इसको प्रदर्शन किया जाएगा स्टेज लगाई जाएगी कैरेक्टर बनाए जाएंगे वो आपस में इसको स्क्रिप्ट को पढ़ेंगे और उसको एकांकी को ठीक है एक्ट के रूप में करेंगे यानी कि इसका मंचन करेंगे इसके बाद आता है प्रसाद उत्तर युग यानी प्रसाद के बाद का युग इसमें अ इस युग में हिंदी एकांकी के विकास की तीसरी अवस्था मानते हैं 1938 40 ईसवी तक फिर 1941 से 1947 ईसवी तक क्या है अलग-अलग प्रकार की एकांक जो है वो साम आती है इस समय में क्या है अलग-अलग प्रकार की जो समस्या थी जो परिस्थिति थी उस परे तर्क वितर्क देखने को मिलता है कुछ विचित्र और कुछ क्रांतिकारी परिस्थितियों ने इस समय में जो विषय शैली दृष्टिकोण जो था उस परे एक नया मोड ला दिया था अब क्या था जो ज्यादातर हिंदी के जो एकांकी का थे वो इस समय में पाश्चात्य नाट्य शैलियों एवं विकसित प्रवृत्तियों से प्रभावित होकर उसका अनुकरण कर रहे थे यानी पश्चिमी देशों में जो उनका नाटक करने का और वन एक्ट प्ले करने का तरीका था उसको कॉपी कर रहे थे उसको अनुकरण कर रहे थे यानी कि बिल्कुल बदलाव आ रहा था इप्सन हो गया विलियम अर्चर हो गया बर्नार्ड सो हो गया यह बहुत ज्यादा फेमस है यह पाश्चात्य मतलब उधर पश्चिमी देशों के फेमस एकांकी का हैं सब हिंदी एकांकी का इनको पढ़ रहे थे ठीक है इनको समझ रहे थे एकांकी इस समय में केवल मनोरंजन की वस्तु नहीं थी बल्कि मानव जीवन में जो समस्या है उस समस्या को दिखाने का एक महत्त्वपूर्ण तरीका एकांकी हो चुकी थी ठीक है इसमें युद्ध की विभीषिका बंगाल में आया अकाल आजादी की हुंकार विदेशी शासकों का जो अत्याचार था चोर बाजारी जो थी यह सारी की सारी चीजों को एकांकी के जरिए दिखाया जाने लगा था यानी एकांकी बिल्कुल अलग हो गई थी अब इसमें अलग-अलग तरह के विषय आने लगे थे फिर है स्वतंत्रता के बाद ठीक है 1947 में देश आजाद होता है उसके बाद से 198 से लेकर अभी तक की जो भी एकांकी लिखी गई है वह आती है स्वतंत्र योग जो स्वतंत्रता के बाद के युग की कहानी है इसको इस समय में यह विकास की इसकी चौथी अवस्था थी आजादी के बाद ये शुरू होती है और और इस अवस्था में हिंदी एकांकी जो है उसको रेडियो का गहरा प्रभाव पड़ा था ठीक है अब रेडियो नाटकों के रूप में नाटक का नवीन रूप समक्ष में आया रेडियो माध्यम होने के कारण श्रोता इसमें इंटरेस्ट लेने लगे अब एक चीज समझिए अब रेडियो आ चुका था लोग रेडियो सुनने लगे थे तो रेडियो में भी एकांकी को सुनाया जाता था आप रेडियो में देख तो सकते नहीं है सुन ही सकते हैं तो रेडियो में एकांकी सुनते थे यानी जो एकांकी का थे वो इस तरीके से एकांकी को लिखने लगे कि अब उसका स्टेज में मंचन नहीं होगा अब उसको रेडियो प भी सुनाया जाएगा तो रेडियो को ध्यान में रखकर भी अपनी एकांकी को लिखने लगे थे ठीक है तो यहां पर हमारा यह जो टॉपिक है ये खत्म हो जाता है अगला क्वेश्चन है निबंध के बारे में देखिए निबंध जो है गद्य की सबसे सर्वोत्तम विधा मानी जाती है इसमें क्या होता है निबंध में किसी भी टॉपिक प बहुत डिटेल में लिखा जा सकता है ठीक है निबंध में कोई जरूरी नहीं होता छोटे में लिखो बड़ा से बड़ा लिखा जा सकता है तो गद्दे को कवियों की कसौटी कहते हैं आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने कहा है कि गदे यदि यो की कसौटी है तो निबंध गद्य की कसौटी है यानी निबंध को गद्य का सबसे महत्त्वपूर्ण रूप किसने माना है आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने ठीक है गद्य का की जो लेखन प्रतिभा है यानी गद्य का का जो लिखने का जो टैलेंट है उसकी अच्छी परक जो होती है ना वो निबंध की रचना से ही हो पाती है जिसने जैसा अच्छा निबंध लिखा है वह उतना ही अच्छा लेखक माना जाता है ठीक है निबंध के अंतर्गत लेखक को किसी एक निर्धारित विषय पर बड़े सुनिश्चित होकर अपने विचार प्रस्तुत करने पड़ते हैं और इसमें बहुत क्योंकि निबंध में ब डिटेल में लिखा जाता है तो सूक्ष्म एक छोटे से छोटे टॉपिक प बहुत चतुराई से बहुत सोच समझकर बहुत इंटरेस्टिंग बनाकर उसको लिखना होता है क्योंकि निबंध अगर बड़ा है और वो इंटरेस्टिंग नहीं है तो लोग पढ़ेंगे ही नहीं उसको तो इस चीज का भी ध्यान रखना पड़ता है कि वो इंटरेस्टिंग हो निबंध की परिभाषा अंग्रेजी में निबंध को एसे कहते हैं ठीक है हर्षद रीड ने क्या कहा है उन्होंने कहा है कि निबंध 3500 शब्दों से लेकर 5000 शब्द तक होना चाहिए इससे कम शब्दों में लिखा हुआ निबंध जो है वह रेखाचित्र कहलाएगा ठीक है तो यह समझिए हर्स ड रीड ने ये दी है परिभाषा ऑस बर्न ने क्या कहा है निबंध किसी सामाजिक विषय पर लिखी गई रचना होती है ठीक है पृष्ठ ले क्या कहते हैं निबंध मौलिक व्यक्तित्व की समुचित अभिव्यक्ति अब आपको एक चीज समझनी है देखिए आपका चाहे कहानी का क्वेश्चन आए चाहे निबंध का आए जो भी आए आपको ना परिभाषा जरूर लिखनी है पेपर में एक दो तीन परिभाषा लिख के आओगे ना तो आपके नंबर आपको एक्स्ट्रा मिलेंगे अच्छे नंबर मिलेंगे ठीक है क्योंकि आप इस फॉर्मेट में लिखो पहले निबंध का परिचय लिखा आपने फिर निबंध की परिभाषा लिखी फिर निबंध के विकास के बारे में लिखा और उसके बाद उसके समय काल प लिखा ठीक है तो देखिए निबंध के विकास की बात करते हैं हिंदी निबंध का विकास जो है वो भारतेंदु के समय से हुआ था शुरू हुआ था इस काल में भारतीय समाज में एक नई चेतना का विकास होता है इस समय तक हिंदी के बहुत सारे पत्र पत्रिकाएं जो थे वो प्रकाशित होने लगे थे हरीश चंद्र चंद्र हरीश चंद्र चंद्रिका उद्दंड मारद ब्राह्मण प्रदीप बनारस अखबार ठीक है और सार सुदा निधि यह सारी पत्र पत्रिकाएं इसमें बहुत सारे निबंध वगैरह छापे जाते थे निबंध इन पत्र-पत्रिकाओं से सीधे जुड़े हुए थे लेखक जो थे वो डायरेक्ट क्या करते थे बहुत सारे टॉपिक पे चाहे वो समसाम हो राजनीतिक हो सामाजिक हो धार्मिक हो इन सभी टॉपिक पे निबंध लिखा करते थे तो इस समय में निबंध जो था सीधा-सीधा पत्रकारिता से जुड़ चुका था अब हिंदी निबंध के विकास को देखें तो इसको भी चार कैटेगरी में बांटेंगे भारत हिंदू का समय 18735 तक है ठीक है इसके बाद द्विवेदी का काल आता है 1903 से लेकर 1920 तक शुक्ल का काल आता है 1920 से 40 तक और शुक्ल के बाद का आलता 1940 से अभी तक अब इसको भी चार कैटेगरी में पढ़ सकते हैं भारती हिंदू के समय में निबंध की यात्रा शुरू हुई थी सबसे पहला चरण था ठीक है तो भारतेंदु जी जो थे इन्होंने सबसे प्राथमिक निबंध लिखे थे इस समय में निबंध जो थी उसकी उसके विषय और उसकी शैली जो थी उसमें काफी विविधता पूर्ण दृष्टि से लिखा जाता था उसको इसमें इतिहास के बारे में समाज के बारे में धर्म राजनीतिक यात्रा किसी भी टॉपिक पर निबंध मिलने मिल जाते थे फिर इसके बाद द्विवेदी युग आता है यह दूसरा चरण है महावीर प्रसाद द्विवेदी के युग के नाम से जानते हैं सरस्व सरस्वती पत्रिका आ गई थी इस समय में बहुत सारे निबंध इसमें लिखे जाते थे ठीक है और इस समय में भाषा का संस्कार और व्याकरण पर ज्यादा ध्यान दिया गया था ठीक है तो इस समय के जो निबंधकार थे उन्होंने भाषा पर बहुत ज्यादा ध्यान दिया और इसके बाद क्या होता है इसके बाद आता है द्विवेदी जी के निबंध देख लो ठीक है इनके निबंध की अगर बात करें तो कवि और कविता कवि कर्तव्य प्रतिभा साहित्य महता लोभ मेघदूत ये कुछ इनके निबंध है जो कि काफी ज्यादा गंभीर निबंध थे ठीक है भारती हिंदू युग के जो निबंध थे उसमें हास्य व्यंग शैली होती थी का अभाव था का यहां अभाव है ठीक है तो यानी कि भारती हिंदु के समय में हास्य व्यंग शैली होती थी लेकिन इसका अभाव देखने को मिलता है आपको द्विवेदी के समय में द्विवेदी के समय में जो निबंध थे वो बहुत ज्यादा क्या हो जाते थे बहुत ज्यादा गंभीर और सीरियस मुद्दों पे होते थे अब यहां पे व्यंग और ये चीजें नहीं देखने को मिल रही है निबंध में कहीं ना कहीं परिवर्तन आ रहा है द्विवेदी युग के निबंधकार कौन कनकन थे आप इनके नाम लिख सकते हो पढ़ सकते हो मैं बहुत ज्यादा डिटेल में बता रहा हूं आप अपने हिसाब से शॉर्ट करके इसको लिख सकते हो पेपर में फिर प्रसाद युग आता है इस समय में बहुत सारे मतलब निबंध लिखे गए थे ठीक है इस समय में भी निबंध का विकास होता है बहुत सारे जो राइटर है इस समय में आते हैं और लिखते हैं फिर शुक्ल का युग है हिंदी निबंध का जो तीसरा चरण माना जाता है ठीक है चिंतामणि नामक पत्रिका जो होती है इसमें कई सारे निबंध लिखे गए थे और बहुत सारे निबंधों का संकलन था शुक्ल जी ने भाव और विचार नाम का निबंध लिखा है हृदय और बुद्धि नाम के जो जो इनके निबंध है उसके बारे में उसका समन्वय देखने को मिलता है इसके बाद आता है शुक्ल के बाद का काल ठीक है शुक्ल जी ने हिंदी निबंध का जो नए आयाम दिए थे उसके बाद कुछ यहां पर परिवर्तन देखने को मिलेंगे यहां पर विभिन्न विषय क्षेत्र वैचारिक और अलग-अलग चीजों पर निबंध जो थे वह लिखे जाने लगे थे यानी निबंध को नई दिशा मिल रही थी इस काल में ना केवल समीक्षात्मक निबंध की रचना हुई बल्कि ललित निबंध भी लिखे गए थे ठीक है और इस समय में शुक्ल के बाद के जो निबंधकार हैं हजारी प्रसाद द्विवेदी नंद दुलारे वाजपेई डॉक्टर नागेंद्र रामधारी सिंह दिनकर जयशंकर प्रसाद भी आ जाएंगे ठीक है प्रसाद के बारे में मैंने आपको पहले भी बताया इलाचंद्र जोशी जैनेंद्र प्रभाकर यह सारे के सारे क्या थे इस समय के महत्त्वपूर्ण निबंधकार थे और देखिए काफी बड़ा है इसलिए मैं आपको शॉर्ट में समझा रहा हूं कुछ चीजें मैं छोड़ रहा हूं क्योंकि स्क्रीन प आपके सामने आप उसको रोक के पढ़ सकते हो क्योंकि वीडियो बहुत ज्यादा लंबी हो जाएगी इसलिए मैं थोड़ा शॉर्ट में मैं पढ़ाने की कोशिश कर रहा हूं आगे देखो आचार्य नंद दुलारे वाजपेई जो थे इन्होंने शुक्ल जी की परंपरा को आगे बढ़ाने वाले ये महत्वपूर्ण निबंधकार हैं इन्होंने क्या करा उनके निबंध जो है आधुनिक साहित्य और नया साहित्य नए प्रश्न इसमें इनके निबंध को लाया गया था संकलित किया गया था हजारी प्रसाद द्विवेदी जो है वो शुक्ल के बाद के सबसे बेस्ट निबंधकार माने जाते हैं ठीक है इनके जो निबंध है उसमें कल्पक ता अशोक के फूल कुटज विचार प्रवाह यह सारे के सारे इनके महत्त्वपूर्ण निबंध माने जाते हैं तो यहां पे हमारा वाला टॉपिक हो जाता है एक क्वेश्चन है आपका कि सरदार जो पूरण सिंह है इन्होंने लिखा है मजदूरी और प्रेम इस निबंध की समीक्षा करनी है देखिए सरदार पूण सिंह ने लिखा है निबंध मजदूरी और प्रेम इसमें लेखक जो है उसने मनुष्य के जीवन में जो श्रम होता है श्रम का मतलब जो मजदूरी होती है या हमारा जो मेहनत वाला काम होता है इसको बहुत ज्यादा महत्त्वपूर्ण माना है मजदूरी को उन्होंने आदर्श स्वरूप में निष्ठा व्यक्त की है ठीक है मजदूरी आज के समय में मजदूरी को किस नजर से देखते है मजदूरी करता है या मजदूरी हम ज्यादा उसको वैल्यू नहीं देते लेकिन उन्होंने उस श्रम को उस मजदूरी को बहुत ज्यादा महत्व दिया है इन्होंने स्पष्ट किया है कि लोग अपनी मेहनत और मजदूरी के बल पर हैं अगर आज हम व्यक्ति हैं और हम कुछ कर पा रहे हैं समाज में हम हैं तो अपने काम और अपनी मेहनत की वजह से हैं ठीक है मनुष्य की जो वास्तविक पहचान है कहते हैं कि मनुष्य की जो असली पहचान है उसके ईमानदार और विवेक पूर्ण काम से होती है भौतिक धन दौलत से नहीं होती उसके धन दौलत से उसको नहीं जाना जाता किसी को वो व्यक्ति कितना ईमानदार है कितना समझदार है कैसा वह काम करता है कैसे उसके कर्म हैं उससे उसको आंका जाता है जीवन के विभिन्न क्षेत्र में कर्मशील जो मजदूर है जो गडरिया है जो लोहार है जो मोची है जो कलाकार है जो किसान है यह सभी अपने कर्म से पहचाने जाते हैं ठीक है जो संवेदन हीन है उन्हें ऊंचा और महान नहीं माना जा सकता जो लोग संवेदनहीन है उनको ऊंचा और महान नहीं माना जाता ऐसा किसने कहा है हमारे लेखक ने कहा है उन्होंने यहां पे मजदूर की कहानी गड़रिया की कहानी इन सब की कहानी से यह समझाया भी है लेखक कहते हैं कि ईश्वर के संदर्भ में संसार में जो प्रचलित ऊंच नीच है उसका कोई महत्व नहीं है ठीक है संसार में जो ऊंच नीच बना दिया हमने उसका महत्व कुछ भी नहीं है यह केवल यह देखते हैं कि व्यक्ति कितना सज्जन है व्यक्ति कितना सच्चा है कितना ईमानदार है उसके कर्म से नापा जाता है ठीक है व आंका जाता है कि कौन व्यक्ति अच्छे से बात करता है अच्छे से कार्य करता है कितना ईमानदार है इससे देखा जाता है ना कि समाज में उसकी ऊंच नीच से उसको मापा जाता है मनुष्य अपने हाथ की कारीगरी और मेहनत के बल पर पदार्थों को बदलने में समर्थ है यानी मनुष्य अपने हाथ की कारीगरी से किसी भी चीज को चेंज कर सकता है बदल सकता है अगर वह पूरी निष्ठा के साथ पूरी ईमानदारी से मेहनत करता है ठीक है उसे कितना ही आर्थिक अभाव मान लो कोई व्यक्ति है बहुत मेहनत करता है लेकिन उसके पास पैसा नहीं है ठीक है लेकिन वह उसे कितना भी आर्थिक अभाव लेकिन वह कष्ट का अनुभव नहीं होता ठीक है वह सुखी रहता है उसे अपनी ईमानदारी और विवेक एक पूर्ण जो कर्म है और परिणाम के दर्शन होते हैं किसान अपनी मेहनत से कमाता है ठीक है अपनी मेहनत का फल उसको फसल के रूप में मिलता है जिससे वह अपने परिवार की जरूरतों को पूरा करता है और अपने पशुओं की सेवा और पालन करता है यानी यहां पर किसान का गड़िए का हर किसी का बताया है किसान क्या श्रम करता है खेतों में मेहनत करता है गड़रिया क्या करता है अपने जानवरों को चराने में मेहनत करता है मजदूर क्या करता है ठीक है वो अलग तरह से मेहनत करता है तो सारे सबका काम क्या है मेहनत का काम है और उस मेहनत को ही इन्होंने सम्मान दिया पूण सिंह ने अपनी शैली में वर्णन करते हुए कहा है कि नंगे पांव नंगे बदन दिन रात खेतों में मेहनत करने वाला जो किसान है उसकी उपमा यानी उन्होंने उसकी तुलना फकीर से की है फकीर जो होता है वह सेवा में ही अपना परम संतोष का अनुभव करता है ठीक है तो वही यह बताते हैं इसी प्रकार गडरियन कलाकार का उदाहरण भी इन्होंने दिया है एक सफल जो चित्रकार है वह अपने चित्र को ज्यादा प्रभावशाली बनाने के लिए हर तरह से पूरी तरीके से मतलब हर कोण में पूरी तन्मयता के साथ च चित्र बनाता है उसमें रंग भर के उसको संवार होता है उसको इतनी मेहनत से बनाता है कि लोग उसकी कला से क्या होते हैं प्रभावित हो जाते हैं इसी तरीके से लेखक के अनुसार अपनी ईमानदारी से जीना और गहरी कर्तव्य निष्ठा के साथ अपना श्रम करना मजदूरी करना भी एक कला है ऐसा लेखक कहता है ठीक है जिस प्रकार कलाकार अपनी कला में निपुण और समर्पित होता है दिन रात मेहनत करता है उसी प्रकार से मजदूर कामगार जो हैं वो अपना काम करते हैं लेकिन अब यहां पर देखो पूर्ण सिंह ने मजदूरी को सम्मान दिया है लेकिन लास्ट में वो क्या कहते हैं यह भी समझिए कहते हैं कि आज के समाज में जो शहरी मजदूर हैं जो कामगार हैं वह काफी हद तक भ्रष्ट हो चुके हैं अब वोह पहले जैसे मजदूर नहीं है आज के विघटन शल दौर में सब अर्थ जो है वो निरर्थक हो चुका है ठीक है मजदूर अब वो आदर्श नहीं रहे अब वो भी भ्रष्ट हो चुके हैं तो यह बताया है इन्होंने तो इस तरीके से इस कहानी में क्या इस निबंध में क्या पता लगेगा कि मनुष्य की ईमानदारी उसके श्रम का महत्व ठीक है यह चीज बताई गई है तो आपको इस तरीके से बताना था अब यहां पर इन्होंने एग्जांपल देके तीन चार कहानी के रूप में बता रखा है इन्होंने एक किसान का एग्जांपल दे रखा है एक मजदूर का एग्जांपल दे रखा है एक गड़िए का एग्जांपल दे रखा है ठीक है तो आप सभी क्या काम करते हैं सब मजदूरी करते हैं ठीक है सब मेहनत करते हैं श्रम करते हैं तो यही सारी चीजें थी अगर पूछे पेपर में तो आप ये चीजें लिख सकते हो प्रश्न है हमारा उसने कहा था जो कहानी है उसमें से लहना सिंह का च चरित्र चित्रण बताना है लहना सिंह क्या है यह जो उसने कहा था कहानी का मुख्य किरदार है ठीक है मेन जो कैरेक्टर है वह यही है तो इसके बारे में आपको बताना है देखिए यह जो उसने कहा था कहानी है इसको लेकर आलोचकों ने अलग-अलग तरह की प्रतिक्रिया दी है कुछ आलोचक कहते हैं कि यह प्रेम कहानी है ठीक है कुछ लोगों ने इसको लव स्टोरी कहा है यानी प्रेम कहानी कहा है तो कुछ आलोचक इसको प्रेम की कहानी नाम मानकर युद्ध में शूर वरता की कहानी के रूप में देखते हैं ठीक है कहते हैं कि यह एक युद्ध की कहानी है तो यह क्या कहानी है आपको पता लगना चाहिए ध्यान से देखो एक बार इसे देखिए लहना सिंह कौन है यह एक सिख है अंग्रेजों की तरफ से फ्रांस की धरती पर भारतीय सैनिक के रूप में गया है लड़ने किससे लड़ने गया है जर्मन सेना से अब देखो बात है फर्स्ट वर्ल्ड वॉर की यानी जो प्रथम विश्व युद्ध हुआ था 1914 से 18 के बीच में ये उस दौर की है एक सिख लहना सिंह नाम का एक सैनिक है जो कि फ्रांस में जाता है लड़ने के लिए सैनिक कहां का है भारत का सैनिक है अंग्रेजों ने उसको भेजा है किससे लड़ने के लिए जर्म जर्मनी की सेना से क्लियर है अब देखो होता क्या है कि लहना सिंह जो है उसने कहा था इस कहानी में जो गुलेरी जी है इनके द्वारा रचित इस कहानी का मुख्य पात्र है यानी मेन जो कहानी है वह लहना सिंह के आसपास ही घूम रही है इस कहानी में लहना सिंह जो है इसकी वीरता पूर्ण युद्ध का जीव चित्रण किया गया है ठीक है प्रथम विश्व युद्ध में किस प्रकार से यह वीरता पूर्व लड़ता है ठीक है अपनी जान पर खेल जाता है गोली तक लग जाती है लेकिन यह अपने सूबेदार और उसके बेटे की रक्षा करता है यह इसमें दिखाया गया है यानी कि इसके साहस का ये एक साहसी व्यक्ति और इसके साहस का परिचय जो है हमको इसमें देखने को मिलता है ठीक है अब थोड़ा सा ना प्रेम कहानी कैसे है भाई अब आपके दिमाग में आएगा कि आप तो कह रहे थे प्रेम कहानी है तो इसको कुछ जो आलोचक है उसको प्रेम कहानी भी कहते हैं प्रेम कहानी कैसे समझिए शुरुआत जो कहानी की होती है वो कैसे होती है देखिए लहना सिंह जो है लहना सिंह बचपन में 11 साल का है लहना सिंह कितने साल का है 11 साल का और लड़की जो है वह कितने साल की है 8 साल की अब लहना सिंह कहीं गया हुआ है वहां पर वोह किसी दुकान पर जाता है कुछ सामान खरीदने के लिए तो वहां पे एक लड़की होती है 8 साल की जो कि सूबेदार नहीं है सूबेदार नी 8 साल की उम्र में नहीं बनती उस टाइम तो वो बच्ची है और लहना सिंह भी उस समय में सैनिक थोड़ी होता है 11 साल का वो बच्चा है अब इनके बचपन की स्टोरी फ्लैशबैक में जाते हैं ठीक है लहना सिंह क्या करता है दुकान पर जाता है कुछ सामान खरीदने दही वगैरह जो भी खरीदने जा रहा होता है तो वहां पर एक घोड़ा बिगड़ जाता है घोड़ा बिगड़ने का मतलब है घोड़ा जब बिगड़ जाता है ना तो इधर-उधर भगता है और जो रास्ते में आता है उसको कूटते हुए चलता है तो वो घोड़ा बिगड़ जाता है और इधर लड़की खड़ी होती है तो उस लड़की की तरफ घोड़ा भगते हुआ आता है अब वो लड़की पर हमला कर सकता था घोड़ा लेकिन लहना सिंह जो होता है बेशक से 11 साल का छोटा सा बच्चा है लेकिन वो अपनी जान पल खेलकर उस लड़की को बचाता है और और घोड़ा जो है उस लड़के के ऊपर कूद जाता है थोड़ी चोट भी लगती होगी उसको लेकिन चोट खा लेता है पर उस लड़की को बचा लेता है ठीक है अब उस लड़की को बचा लेता है तो वो लड़की से कहता है कि तेरी सगाई हो रखी है क्या तो वो कहती है नहीं और भाग जाती है वहां से फिर एक दो बार और मिलता है उस लड़की से वहीं पे तो ऐसे ही कुछ हल्की फुल्की बात होती है बस इसके बाद वो दोनों वहां से चले जाते हैं और फिर सीधा मिलते हैं 25 साल के बाद अब सोचो यह बात है 11 साल की उम्र और 8 साल की उम्र में अब दोनों में 25 साल जोड़ दो तो 25 साल बाद इसकी उम्र कितनी हो जाएगी ठीक है लहना सिंह 36 साल का हो गया है और यह 33 साल की हो गई होगी तो इस उम्र में यह दोनों दोबारा मिलते हैं अब दोबारा कैसे मिलते हैं तो ऐसा कहते हैं कि बचपन में इन दोनों को प्यार हो गया था ठीक है लेकिन प्यार कैसे होगा कि कुछ आलोचक ये कहते हैं कि क्या 11 साल और 8 साल की उम्र प्यार करने की उम्र है क्या उस समय में बच्चा यह समझता है ये चीजें ठीक है जिस समय की कहानी है उस समय में ऐसा नहीं होता होगा तो ये चीजें यहां पर बताई गई है इसीलिए आलो इसको प्रेम कहानी कहते हैं कुछ और कुछ आलोचक इसको प्रेम कहानी नहीं मानते अब देखो लहना सिंह जो है वो सूबेदार नहीं से प्रेम करता था सूबेदार वही वही लड़की है जो अब देखो लहना सिंह बड़ा होकर सैनिक बन गया ठीक है सैनिक बन गया अब जिस सेना में है उसमें एक सूबेदार है सूबेदार के साथ वह रहता है काम करने जाता है और सूबेदार की जो वाइफ है सूबेदार नहीं जिसको हम कह रहे हैं ये वही लड़की है जिसकी जान उसने बचपन में बचाई होती है अब आपको समझ में आया आगे देखो लहना सिंह सूबेदार नहीं से प्रेम करता है ऐसा माना जाता है कि इसको इसमें बचपन से प्रेम हो गया था वह बचपन में जब 11 वर्ष की उम्र में सूबेदार नी से मिला था तब उसको उससे प्रेम हो गया था लेकिन आलोचक कहते हैं कि प्रेम की आयु थोड़ी है यह उस वक्त तो मात्र 8 साल की लड़की थी वह लहना सिंह ने सूबेदार नी की जान बचाकर उसको सुरक्षित किया था खुद को चोटिल कर लिया था मैंने बताया ना कि घोड़े से खुद चोट खा गया लेकिन लड़की बचा ली उसने उसके बाद वे दोनों सीधा 25 साल के बाद मिलते हैं लड़की का विवाह हो चुका है लड़के का भी विवाह हो चुका होगा ठीक है सूबेदार लड़की का विवाह सूबेदार से हो गया इसलिए वो सूबेदार नहीं बन गई है लहना सिंह को पहचान जाती है वो कि और अब आप सोचो कि 11 साल की उम्र में मिली है उससे 25 साल के बाद वह कैसा होगा कोई पहचान सकता है नहीं पहचान सकता लेकिन ये कहानी कुछ भी बना देते हैं तो ऐसे इन्होंने बना दिया भाई की पहचान जाती है लड़की की य तो वही लड़का जिसने मेरी जान बचाई थी तो फिर वह उसे बुलाती है सूबेदार कहते हैं मेरी पत्नी तुम्हें जानती है एक बार जाकर उससे मिल लो तो वो उससे मिलने जाता है तो वो उसे कहती है मैं तुम्हें जान और बताती है कि ऐसे ऐसे हुआ था तुम बचपन में व सार वो एक दूसरे को पहचान जाते हैं वो दोनों एक दूसरे को पहचान जाते हैं ठीक है तब वो कहती है कि जिस प्रकार से तुमने 25 साल पहले मेरी जान बचाई थी इसी प्रकार से मैं तुम्हें जिम्मेदारी दे रही हूं ठीक है कि तुम युद्ध में जा रहे हो तुम्हें मेरे पति यानी सूबेदार और मेरा जो बेटा है वो भी उसका बेटा भी फौज में नया-नया भर्ती हुआ होता है कहते मेरे पति और मेरे बेटे मेरे पति और मेरे बेटे यानी मेरे पुत्र की तुमको रक्षा करनी है जिस प्रकार से तुमने मेरी रक्षा करी थी उसी प्रकार से तुम्हें इनकी भी रक्षा करनी है समझ गए यहीं से कहानी का टाइटल है उसने कहा था उसने कहा था किसने कहा था सूबेदार नी ने कहा था क्या कहा था लहना सिंह से कहा था क्या कहा था कि तुम्हें मेरे पति और मेरे बेटे की रक्षा करनी है कैसे जैसे तुमने पहले मुझे बचाया था ऐसे इनको भी बचाना है तो वो पूरी जी जान से लग जाता है ठीक है लहना सिंह जो है एक बहुत चतुर सिपाही था एक बार क्या होता है भेस बदलकर एक अंग्रेज अधिकारी आता है उसके पास लेकिन वो उसको पहचान लेता है उसकी हत्या कर देता है लहना सिंह भी घायल हो जाता है लेकिन अपना वचन पूरा करने के लिए ठीक है एक प्रेमी और एक सैनिक दोनों का कर्तव्य निभाता है सूबेदारी से वह प्रेम करता है ऐसा कहा जाता है और सैनिक का कर्तव्य निभाता है और उसके बेटे की रक्षा करता है ठीक है उसके पति और उसके बेटे को बचा लेता है हालांकि उसके पैर में गोली लग जाती है चोट लग जाती है चोटे हो जाता है लेकिन अपने वचन पर कायम रहता है और उनकी जान बचाता है तो यहां पर यह जो स्टोरी थी खत्म हो जाती है अब देखो यहां पर लहना सिंह का कैरेक्टर पूछा हुआ है बता देना भाई स्वाभिमानी व्यक्ति है सॉरी साहसी व्यक्ति है सिपाही है सेना ठीक है या फिर प्रेम भी करता है उससे यह भी बता सकते हो अपने वचन के लिए वह अपनी जान पर खेल जाता है उनकी रक्षा करता है ठीक है चतुर सिपाही है यह सारी चीजें आप यहां पर उसके चरित्र चित्रण में बता सकते थे लेकिन अगर मान लो चरित्र चित्रण ना पूछकर कुछ क्वेश्चन ऐसा आ जाए कि बताइए उसने कहा था कहानी जो है इसका प्रतिपाद्य बताइए तो प्रतिपाद्य में फिर आपको समरी के रूप में लिखना पड़ेगा ठीक है अगर उसकी समीक्षा पूछे तो भी आपको यही सारी चीजें बतानी है कि उसमें कैसी भाषा है क्या है सारी चीजें क् है य बहुत ज्यादा पेपर में पूछा जाता है चीफ की दावत ठीक है यह स्टोरी है चीफ की दावत यह जो स्टोरी है इसके माध्यम से इसमें जो मध्यम वर्ग का जो चरित्र है उसके बारे में बताया गया है भीष्म सहानी ने इसको लिखा है और चीफ की दावत की कहानी का प्रतिपाद्य लिखिए ये दोनों क्वेश्चन आपके पेपर में आए हुए हैं या तो प्रतिपाद्य पूछ लेंगे या समीक्षा पूछ लेंगे या फिर आपसे इसके बारे में पूछ लेंगे ठीक है जो भी पूछे आपको पूरी स्टोरी बता होनी चाहिए आप आराम से बता दो बहुत ही अच्छी स्टोरी है वैसे इंटरेस्टिंग कहानी है आपको समझ में आएगी देखिए क्या होता है इस कहानी में इस कहानी में मध्य मध्यम वर्गीय परिवार की जो सामाजिक और पारिवारिक मूल्य हैं उसमें जो हास हो रहा है यानी परिवार में क्या होता था हमें अपने माता-पिता का सम्मान करना होता है और हमारे मन में सम्मान होना चाहिए लेकिन यहां पर वो सम्मान जो है खत्म हो गया है किस प्रकार से समाज में और पारिवारिक मूल्य जो है उसका हास हो रहा है यह इस कहानी में बहुत अच्छे तरीके से दिखाया गया है इस कहानी में जो मध्यम वर्गीय परिवार है उसके बारे में बताया गया है कि मध्यम वर्गीय जो परिवार होता है इसमें जीवन में आगे निकलने की होल लगी हुई है हर कोई चाहता है कि वो आगे बढ़ जाए ठीक है आगे बढ़ने के चक्कर में जो सामाजिक मूल्य हैं वह खत्म होते जा रहे हैं अब यह कैसे आप कहोगे पूरी स्टोरी समझनी पड़ेगी एक बेटा है बेटा मतलब एक महिला है बूढ़ी महिला ठीक है बूढ़ी मां उसका एक बेटा है जिसका नाम है मिस्टर सामनाथ इसकी यह स्टोरी है सामनाथ जो है स्वयं को समाज में प्रतिष्ठित दिखाना चाहता है और उसके लिए वह अपनी मां का अनादर करता है यानी अपनी मां की इंसल्ट करने में ठीक है मां की बेइज्जती करने में जरा भी नहीं चूकता है ऐसा वह व्यक्ति होता है तो मिस्टर जो सामनाथ है वो पढ़े लिखकर एक बड़ा अवसर बन चुका है पैसे कमाने लगा है और उसे अपनी ग्रामीण अनपढ़ मां क्योंकि उसकी मां जो है गांव की है और अनपढ़ है पढ़ी लिखी नहीं है तो उसे अपनी प्रतिष्ठा में धब्बे की तरह नजर आ रही है कि उसकी मां जो है पढ़ी लिखी नहीं है समाज में वो किसी को अपनी मां से मिला नहीं सकता समाज में किसी को मां को दिखा नहीं सकता उसको ऐसा फील होता है जिस बूढ़ी मां ने अपने बेटे को पढ़ाने लिखाने में अपने गहने तक बेच दिया अपना सब कुछ बेचकर उसको अवसर बनाया वही बेटा बुढ़ापे में अपनी मां का मां को बोझ समझने लगा है ठीक है बोझ समझने लगता है यह कहानी जो है यह मध्यम वर्ग की विसंगतियों को दिखाता है मध्यम वर्ग जो है इसमें क्या कमियां है इसको यह दिखा रहे है इसमें रिश्ते नाते केवल स्वार्थ पूर्ति के माध्यम रह गए हैं ठीक है रिश्ते नाते क्या है केवल और केवल स्वार्थ है रिश्ते नाते में और इसके अलावा कुछ नहीं बचा है श्यामनाथ क्या है वो एक बार क्या होता है श्यामनाथ अपने अफसर को ठीक है जो उसका चीफ है अपना बॉस जो है उसको दावत के लिए घर पर बुलाता है घर पर इसलिए बुलाता है ताकि बॉस आएंगे अच्छा खिलाएगा पिलाए तो उसका प्रमोशन कर देंगे हो के लेकिन वह नहीं चाहता कि उसकी बूढ़ी मां को चीफ देखे यानी चीफ के सामने उसकी मां आए क्यों क्योंकि उसको लगता है उसकी मां ग्रामीण है पढ़ी लिखी नहीं है अगर वो चीफ के सामने आएगी चीफ तो अमेरिकन है अंग्रेज है पढ़ा लिखा है तो वो कैसे उसकी मां को पसंद करेगा या उसके मन में जो भी है अपनी मां को लेकर उसे शर्मिंदगी महसूस होती है क्योंकि उसकी मां की जो वेशभूषा है वोह ग्रामीण है शर्मिंदगी महसूस कर रहा है उसे लगता है कि चीफ के सामने यदि उसकी मां आ गई तो उसकी बेइज्जती हो जाएगी ठीक है वो अपनी मां को चीफ के सामने ना आने के लिए कहता है कहता चीफ के सामने नहीं आना लेकिन कुछ ऐसी सिचुएशन हो जाती है कि उसकी मां चीफ के सामने आ जाती है या उस चीफ उसकी मां को देख लेता है चीफ मां की बनी फुलकारी से प्रभावित होता है और अपने लिए ऐसी फुलकारी बनाने को कहता है अब अफसर बेटे को अपनी माता अच्छे लगने लगती है क्योंकि उसकी मां जो है उसके लिए फुलकारी बनाएगी जो कि उसके अ चीफ को पसंद आएगी तो यह है स्टोरी तो इसमें दिखाया गया कि कितना मतलब व्यक्ति नीचता पर गिर गया है ठीक है यानी अपनी मां को भी वह सम्मान नहीं दे पा रहा है अब देखो चीफ को दावत प बुलाया मां को बोल दिया कि तुम छुप जाना शाम को बाहर मत निकलना एक जगह बैठे रहना सोना नहीं सोओगे तो खर्राटे लोगी खर्राटे से चीफ को पता लग जाएगा 10 11 बजे तक ड्रिंक वगैरह करते हैं भाई रात में खा फिर खाने के लिए जा रहे होते हैं एकदम से वो जिधर से जा रहे होते हैं वहीं पर उनकी मां बैठी होती है चेयर पे वो चीफ उसको देख लेते हैं उसके पास आते हैं उससे बातें करने लगते हैं हालांकि उसे शर्म आ रही होती है कि मेरी मां को देखेंगे ये वो जो भी है उसके मन में क्योंकि उसकी मां ग्रामीण है पढ़ी लिखी नहीं है लेकिन चीफ उससे बहुत अच्छे से बातें करते हैं बहुत अच्छे से बातें करते हैं चीफ उसकी मां से खुश हो जाते हैं और इस चीज को देखकर फिर उसको अपनी मां की खुशामद करने लग जाता है वो अरे मां तू तो बहुत अच्छी है यह बना दो फुलकारी बना दो बॉस को फुलकारी पसंद है फुलकारी क्या है कपड़े प बनने वाली कोई डिजाइन वगैरह है ठीक है तो इस तरीके से तो उसमें दिखाया गया कि किस तरीके से उसका अपनी मां के प्रति उसका निरादर वाला व्यवहार है तो यह था प्रतिपाद्य पूछे तो स्टोरी लिख देनी है ठीक है अगर इसमें चरित्र के बारे में पूछे मान लो श्यामनाथ का जो चरित्र है उसके बारे में आप बता सकते हो कि व एक नंबर का अच्छा व्यक्ति नहीं है आप ऐसे बता दो अब मैं क्या ही बोलूं क्योंकि वह अपनी मां का सम्मान नहीं करता है ठीक है उसकी मां ने उसको पढ़ाया लिखाया बनाया लेकिन व उसका सम्मान नहीं कर रहा है तो ये गलत है तो ये चीज आपको यहां पे बतानी क्वेश्चन है कि बिबिया जो है उसकी सामाजिक स्थिति के बारे में बताना है देखिए बिबिया जो है महादेवी वर्मा के द्वारा लिखा गया है इसको रेखाचित्र या फिर आप संस्मरण के रूप में देख सकते हो तो बिबिया क्या है बिबिया एक धोबन होती है जो कपड़े धोने का काम करती है ठीक है जो महादेवी वर्मा यानी लेखिका के घर में आती है उनके कपड़े ले जाती है वह निम्न जाति से है और समाज में उसका क्या स्थान है क्या रुतबा है किस प्रकार से उसके साथ कोई भेदभाव होता है इन सारी बातों को इसके अंदर बता रखा है तो इसमें से दो तरह के क्वेश्चन आएंगे या तो बिबिया की सामाजिक स्थिति पूछ लेंगे या फिर इसका प्रतिपाद्य पूछ लेंगे तो प्रतिपाद्य जानने के लिए भी आपको यह बिबिया संस्मरण की पूरी समरी पता होनी चाहिए सामाजिक स्थिति बतानी है तो भी आपको समरी पता होनी चाहिए समरी नहीं पता तो आप दोनों ही क्वेश्चन नहीं कर पाओगे तो चलिए समरी बता देता हूं देखिए बिबिया जो है एक लड़की है जो कि धोबिन है ठीक है कपड़े धोने का वह काम करती है परिवार में रहती है अपने यह बहुत अभिमानी लड़की है और बहुत ही मेहनती है अपने घर में सभी की मदद करती है कोई कुछ काम कर रहा होता है तो उससे वोह काम छीनकर खुद करने लग जाती है बिना किसी लालच के ठीक है अपने काम में लगी रहती है पूरे डेडिकेशन के साथ बहुत ही अभिमानी लड़की है जिसके लिए इसे अपनों की सेवा ही उसका धर्म है ठीक है अपने परिवार का अपने घर का जहां पर भी जाती है सबकी सेवा करती है यह निम्न वर्ग की खोखली अन वृति के कारण आत्महत्या करने के लिए मजबूर हो जाती है होता क्या है कि जो इसके जिस वर्ग में यह रह रही है यहां पर इसका बहुत ज्यादा तिरस्कार होता है इस पर कलंक लग जाता है ठीक है इसको बदनाम कर दिया जाता है इसकी वजह से मजबूर हो जाती है आत्महत्या करने के लिए तो यह पूरी स्टोरी आपको पता होनी चाहिए कैसे कैसे क्या होता है देखिए इसका क्या होता है इसकी इच्छा के बिना इसका जो विवाह है वह अधेड़ उम्र के व्यक्ति के साथ कर दिया जाता है जिससे नाराज होती है इसके दो तीन विवाह कराए जाते हैं दो ठीक है देखिए पहले क्या होता है बिबिया के चरित्र को जानने की इच्छा किसी में नहीं है बस समाज जो है उसको उस परे अपना निर्णय थोपना चाहता है इसके परिणाम स्वरूप उसके चरित्र पर जो कलंक लगाए वो उसको धोने के लिए यमुना नदी में कूद जाती है आप समझिए क्या होता है बिबिया का एक अ एक इसी की जाति वगैरह में इसकी शादी करा दी जाती है ठीक है तो देखिए बिबिया के माध्यम से लेखिका समाज में जो महिला की स्थिति है उसके बारे में बताना चाहती है कि जो निम्न वर्ग होता है उसमें महिला के साथ कैसे बुरा बर्ताव होता है इसको बताया जा रहा है बिबिया जो थी स्वाभिमानी थी सबका काम में हाथ पटाती थी लेकिन उसको कभी सम्मान नहीं मिलता है ठीक है उसे उसके पति के द्वारा जुए में दांव पर लगा दिया जाता है होता क्या है बिबिया का विवाह हो जाता है जब उसका पहला विवाह होता है तब उसकी जो पहली रात होती है ठीक है तो पहले विवाह में पहली रात में व खाना वगैरह बनाकर अपने पति के लिए वेट कर रही होती है उसका पति आता है आते उसको मारना पीटना गाली गलोज करना शुरू कर देता है दारू बहुत पीता है वो पी के आता है उसे गाली गलोज करता है उसके साथ तो उसका उसको बहुत अपमानित फील होता है ठीक है अपमानित फील होता है उसे बहुत गंदा लगता है तो कुछ दिनों तक लड़ाई चलती रहती है फिर बाद में वो वहां से वहां से नाराज रहती है तो उसका पति जो है वो डेली क्या करता है अपने दोस्तों के साथ जुआ खेलता है तो एक बार वो जुए में अपनी बीवी को यानी बिबिया को ही दांव पे लगा देता है और हार जाता है तो जिससे हारता है वो व्यक्ति उसके पास आता है तो वह समझ जाती है वो चाकू दिखाती है उसे कहती है दोनों को काट दूंगी अगर इधर बढ़ने की कोशिश करी तो तो वो डर जाता है उसका पति भी डर जाता है और वो भी डर जाता है तो ऐसे में वो आपस में बातें करते हैं जुआ खेलते वक्त कि तेरी बीवी तो ऐसी है वैसी है तो वो कहता है उसको भगा दे घर से तो इस प्रकार से उसको घर से भगा दिया जाता है वो अपने घर चली जाती है घर पे आती है दुखी रहती है घर पे उसके जो लोग हैं वो उसका मजाक बनाते हैं उसको बोझ की तरह देखते हैं लेकिन वो रोती रहती है दुखी रहती है ऐसे होता है थोड़े समय के बाद क्या होता है अपनी दादी के आसपास रहती है उसका उसका विवाह करा दिया जाता है दूसरा विवाह करा दिया जाता है अब जिससे दूसरा विवाह होता है वो व्यक्ति जो है एज में बहुत बड़ा है अधेड़ उम्र का व्यक्ति है उसके पहले से बच्चे हैं अब उसने शादी इसलिए करी है ताकि वो उसके बच्चों का लालन पालन कर दे अब वो आती है उसके बच्चों को पालती है रखती है तो उसको टेंशन फ्री हो जाता है क्योंकि उसके बच्चों का पालन हो रहा है जिस लिए उसने शादी करी वो हो रहा है लेकिन वो उसका अ कहीं ना कहीं सम्मान नहीं करता ठीक है तो दूसरा पति भी उसका अपमान करता है समाज में उसपे कलंक के अलावा उसको कुछ मिलता ही नहीं है इसके बाद देखो क्या होता है आप समझिए अब जब वह दूसरे पति से भी नाराज हो जाती है यह सब होता है तो उसको भगा दिया जाता है तो गुस्से में जाके क्या करती है शराब खरीदती है और दारू पीती है और जाके यमुना नदी में नदी में जाके डूबने की कोशिश करती है और सब कहते हैं कि उसने आत्महत्या कर ली तो इस तरीके से उसकी शुरू से से लेकर एंड तक की जो कहानी है वो बताए गए अब इसके माध्यम से आपसे पूछे कि उसकी सामाजिक स्थिति क्या है तो आप बता सकते हो कि बिबिया एक मध्यम वर्गीय परिवार से एक गरीब परिवार से कह लो एक निम्न वर्ग की लड़की है जो कि जाति से धोबिन है ठीक है उसके साथ परिवार वो एक स्वाभिमानी लड़की है लेकिन परिवार में उसके साथ कैसा होता है ये आप बता सकते हो उसका विवाह उसकी मर्जी के खिलाफ करा दिया जाता है ठीक है एक शराबी व्यक्ति से विवाह हो जाता है समाज में उसका तिरस्कार होता है उसपे कलंक लगाया जाता है उसको जुए में हार जाता है ये पूरी की पूरी चीजें आप बता सकते प्रतिपाद्य पूछे तो भी आ जाएगा यही आंसर और सामाजिक स्थिति पूछे तो तो भी यही आंसर आ जाएगा ठीक है देखिए इस वीडियो का लास्ट क्वेश्चन है कि सूखी डाली एकांकी जो है इसकी मूल संवेदना आपको बतानी है ठीक है तो उसके लिए आपको सूखी डाली जो एकांकी है उसका पूरा उसकी पूरी समरी पता होनी चाहिए ठीक है तो देखिए सूखी डाली एकांकी है एकांकी क्या होता है एक अंक वाला इसे आप नाटक ही मान लो ठीक है ये नाटक जैसा ही होता है और इसका अ अभिनय किया जाता है इस पे कहां पे रंग मंच पे यानी कि स्टेज प जाके एकांकी को निभाया जाता है एकांकी छोटा होता है नाटक के मुकाबले इसमें एक ही अंक जीवन के किसी एक ही अंक पर वर्णन होता है ठीक है ये सारी चीजें आपको पहले ही बता रखी है तो ये इंपॉर्टेंट है तो चलिए एकांकी को थोड़ा सा समझेंगे देखिए इस एकांकी में मेन जो है वो तीन कैरेक्टर हैं छोटी बहू मझली बहू और बड़ी बहू और एक इसमें दादाजी हैं ठीक है और इनके पति भी होंगे क्योंकि छोटी बहू है तो जाहिर सी बात है छोटी बहू का नाम बेला था तो उसके पति का नाम है परेश ठीक है फिर मजली बहू का भी एक पति होगा और बड़ी बहू का भी एक पति होगा और दादाजी है घर में एक नौक नौकरानी है रजवा नाम है उसका ठीक है तो ये सारी चीजें हैं अब इस एकांकी में जो सबसे मुख्य किरदार है वो किसका है वो है बेला का ठीक है पूरी की पूरी एकांकी में सबसे लीड पे जो है वो बेला है फिर दूसरा रोल है उसमें दादाजी का इन दोनों के बीच की कहानी है बाकी के रोल जो हैं वो कम है हमें पूरी समरी समझनी है ठीक है तभी आपको यह समझ में आएगा कुछ भी क्वेश्चन बनेगा आप कर पाओगे मैं आपको समरी समझा देता हूं देखिए यह जो एकांकी है इसकी शुरुआत जो होती है वोह होती है एक दृश्य से दृश्य क्या है इसको हम चार सीन में कन्वर्ट करके देखेंगे सीन वन सीन टू सीन थ्री सीन फोर ठीक है सीन वन को समझ लेते हैं पहले देखिए सीन वन में क्या होता है शुरुआत होती है जो बड़ी बह होती है वो बहुत गुस्से में होती है बड़ी बहू के जो डायलॉग है संवाद है उससे इसकी शुरुआत हो रही है बड़ी बहू बहुत गुस्से में है अब आपके मन में क्वेश्चन आएगा कि भाई गुस्से में क्यों है तो वह गुस्से में इसलिए है क्योंकि जो छोटी बहू बेला है वह अपने आपको बहुत ज्यादा अ समझदार समझती है मतलब उसे लगता है कि वही है दुनिया में बाकी उसके अलावा कोई है ही नहीं यानी खुद को और अपने माइके को सब कुछ समझती है अपने माइके के आगे किसी को कुछ समझती ही नहीं है आज उसने घर में क्या करा कई साल से काम कर रही एक नौकरानी थी जिसका नाम था रजवा उसने क्या करा रजवा को काम से निकाल दिया अब इनको यह लग रहा है कि रजवा बहुत साल से काम कर रही है उनके घर में इसने उसको आते ही निकाल दिया ऐसा क्यों किया इसलिए वह गुस्से में थी फिर जब उन्होंने बड़ी बहू ने समझाने की कोशिश की तो वह बड़ी बहू से ही नाराज हो गई वो छोटी इतने में क्या होता है छोटी भाभी आ जाती है उसके साथ रोती हुई रजवा भी आ जाती है रजवा गुस्से में होती है ठीक है रोती रहती है कहती भाभी से कहती है मां जी आप मुझे अपने पास रखना आज से मैं उनका कार्य करने नहीं जाऊंगी क्योंकि उसने उसको काम से निकाल दिया था वो उससे नाराज थी तो छोटी भाभी जो थी वो रजवा को शांत कराने की कोशिश करती है अब यहां पर आपको क्या समझना था एक छोटी बहू है जिसका नाम है बेला वो अपने आप को और माइके को सब कुछ समझती है उसके अलावा अपने ससुराल वाले परिवार में किसी को कुछ नहीं समझती आते ही उसने नौकरानी को निकाल दिया बस इतना आपको समझ में आया इतना ही समझना है आगे देखो उसी समय फिर मजली बहू आ जाती है ठीक है मझली बहू हंसते हुए आती है और कहती है कि छोटी बहू ने अपने कमरे से जितना भी फर्नीचर था सारा निकाल के बाहर फेंक दिया बाहर रख दिया उसका पति जो है परेश उसने उसको समझाने की कोशिश करी ठीक है उसने कोशिश की समझाने की लेकिन वो नहीं मानी कह रही है टूटी-फूटी कुर्सियां जो है यह कमरे में नहीं रहने दूंगी इसको बाहर ले जाओ उसको फेंक दो यहां से ठीक है परेस ने बहुत समझाया नहीं मानी तो बा में परेश दादा जी के पास चला गया मछली बहू ने आगे कहा कि छोटी बहू की जबान जो है वो बहुत चलती है इसकी जवाब में वोह कहती है कि उसकी जबान ही चलती है दादा ने चार कपड़े धोने के लिए दिए थे वो अभी तक पड़े हुए हैं ठीक है अभी तक उसको धोया नहीं है तो यहीं पर पहला सीन जो है वो खत्म हो जाता है पहले सीन में आपको बस इतना समझना है छोटी बहू बेला का जिक्र है बेला जो है ठीक है वो घर अपने ससुराल में किसी को कुछ नहीं समझती है अपने माइके वालों को ही सब कुछ समझती है अपने आप को ज्यादा पढ़ी लिखी समझदार समझती है आते ही उसने नौकरानी को निकाल दिया है किसी की वह बात नहीं मानती है घर से सारा जो फर्नीचर था निकाल के बाहर रख दिया है उसका पति उसे अंदर रखने को कह रहा है वो मान ही नहीं रही कह रही इसको बाहर ले जाओ ये टूटे फूटे सामान को मैं कमरे में नहीं रखूंगी इतना आपको समझ में आया यहां पर सीन वन खत्म दूसरे सीन में क्या होता है उनका जो मजरा लड़का है करमचंद वह दादा के पैर दबा रहा है ठीक है इतने में बच्चे वगैरह नल वगैरह चलाने लग जाते हैं आवाज आती है तो व थोड़ा उनको डांट देता है बच्चों को तो दादा जी उसको समझाते हैं कहते हैं देखो बच्चों ने बरगद की पूरी डाल आंगन में लगा दी यानी बरगद की एक डाल लगाई अब इसका मतलब समझना पूरी जो एकांकी है उसका मतलब यही है यानी बरगद की एक डाल आंगन में लगाई उसमें बार-बार वो पानी देते हैं लाख बार पानी दे दिया लेकिन फिर भी वो डाल जो है लग नहीं पा रही है ठीक है सरस नहीं हो पा रही है तो उसने बताया हमारा परिवार भी बर्गत के पेड़ की तरह है जैसे बरगद का पेड़ है ऐसे ही हमारा परिवार है करमचंद पर परेस के अलग होने की आशंका बताते हैं ठीक है करमचंद बताता है कि लग रहा है हमें कि परेज जो है वो अलग हो जाएगा परेज कौन बेला का पति क्यों उसको ऐसा लग रहा है क्योंकि बेला जो है रोज-रोज ड्रामे कर रही है घर के अंदर और ऐसे ही ड्रामे चलते रहे तो एक दिन ऐसा हो जाएगा कि वो दोनों अलग हो जाएंगे ऐसा कर्मचंद को लगता है कि परेश अलग हो सकता है ठीक है दादा के पूछने पर वह छोटी बहू के अहंकार के बारे में बताता है यानी दादा जी पूछते हैं भाई तुझे ऐसा क्यों लग रहा है कि परेस अलग हो जाएगा वो बताता है कि छोटी बहू जो है बहुत ही अहंकारी है किसी की सुनती नहीं है अपने आगे किसी को मानती ही नहीं है तो दादाजी समझ जाते हैं तो दादा जी क्या करते हैं परेश को बुलाते हैं कहते हैं उसकी पत्नी की समस्या के बारे में उससे बात करते हैं बता भाई क्या चल रहा है क्यों क्या समस्या चल रही है ठीक है और उसको समझाते हैं कि वह अपनी पत्नी को बाजार ले जाए और फैशन के नए-नए सामान खरीद वा दे क्योंकि दादाजी समझते हैं कि उसकी पत्नी जो है पढ़ी लिखी है मॉडर्न है और उसको उस परिवार में शायद अच्छा नहीं लग रहा होगा परिवार के लोग उसको मॉडर्न नहीं लग रहे होंगे तो कोई नहीं उसको उसका फैशन का सामान दिलवा दे भाई जैसा वोह रहना चाहती है उसको रहने दे परेश दादा को बताता है कि बेला जो है घर में किसी को पसंद नहीं मतलब इस घर में कोई बेला को पसंद नहीं करता सब उसकी बुराई करते हैं और वो अपनी अलग गृहस्ती बसाना चाहती है यानी हम अलग होना वो अलग होना चाहती है परेश नहीं उसकी बीवी अलग होना चाहती है तो दादा कहते हैं देखिए अलग हो जाना तो समस्या का आसान सा हल है लेकिन मेरे जीते जी तो संभव नहीं है यानी जब तक मैं जिंदा हूं तब तक तो तुम अलग हो नहीं सकते तो कहते हैं कि मैं सबको समझा दूंगा अब कोई तुम्हारी पत्नी का तिरस्कार नहीं करेगा तो परेश वहां से चला जाता है दादाजी रजवा को बुलाते हैं रजवा कौन नौकरानी है ठीक है उसको बुलाते हैं कहते हैं छोटी बह को छोड़कर बाकी सबको जाओ बुला के ले आओ तो सबको दादाजी अपने पास बुलाते हैं ठीक है और छोटी बह बड़े वह बताते हैं सबको यानी परिवार में अब देखो दादा जीी ने क्या करा दादाजी ने मजली बहू को बड़ी बहू को लड़कों को सबको बुलाया ठीक है एक साथ बुला लिया और दादा जीी समझा रहे हैं छोटी बह को नहीं बुलाया ठीक है क्या समझा रहे उनको यह समझिए सबको अपने पास दादा जीी बुलाते हैं और कहते हैं कहते हैं कि छोटी को सॉरी यहां से है दादा जी सबको समझाते हैं कि छोटी बहू जो है वह बड़े घर की लड़की है ठीक है अच्छे घर से है बड़े घर से और बहुत ही ज्यादा पढ़ी लिखी लड़की है वो बुद्धि में भी हम सबसे बड़ी है बेशक से वो छोटी बहू है छोटे बेटे की पत्नी है पद में या उम्र में कम हो लेकिन बुद्धि के मामले में वो हम सबसे बड़ी है क्योंकि सबसे ज्यादा पढ़ी लिखी है तो हम सबको उसका आदर करना चाहिए हम सबको क्या करना चाहिए उसका सम्मान करना चाहिए ठीक है अगर तुम में से किसी ने अब तक उसका का निरादर किया है तो इस घर में मेरा नाता उसके लिए टूट जाएगा ठीक है मझली बहू को अलग से समझाते हैं कि ऐसा नहीं होना चाहिए यानी यहां पे क्या कर रहे हैं दादा जी समझ गए हैं घर क्योंकि छोटी बहू के सिस्टम को वो समझ चुके हैं कि ये बाहर हो जाएगी अलग हो जाएगी छोटे लड़के को ले जाएगी तो ऐसे में वो क्या करते हैं परिवार को टूटने से बचाना चाह रहे हैं ठीक है अपने परिवार को टूटने से बचाना चाह रहे हैं इसलिए वो सबको समझा देते हैं कि छोटी बहू का कोई अनादर नहीं करेगा वो पढ़ी लिखी लड़की है बड़े घर की लड़की है यह सारी बात सीन टू खत्म क्लियर हो गया होगा आपको यहां तक अब सीन थ्री में देखिए और ज्यादा इंटरेस्टिंग हो जाएगा देखिए बेला बरामदे में किताब पढ़ रही होती है यहां पर देखना थोड़ी ये पार्ट ज्यादा इंटरेस्टिंग है अब बेला अकेले बैठी है बरामदे में किताब पढ़ रही है वो अपने आप से कहती है कि पता नहीं कैसे लोग हैं इस घर के कभी गुस्से में गर्म हो जाते हैं तो कभी मोम की तरह बिल्कुल पिघल जाते हैं ठीक है तभी उसकी सास आ जाती है वहां पर कहती है बेला तुम सही थी ठीक है तुम परेज के साथ बाजार जाओ और यह जो फर्नीचर खराब सा पड़ा है इसको दो और नया फर्नीचर जाकर ले आओ ठीक है बेला के निवेदन करने पर भी व फिर बेला कहती है अच्छा मां जी आप बैठिए लेकिन वो बैठती नहीं है बस उसको बोल के चली जाती है कहती तुम बैठो बेटी मुझे घर जाना है मुझे घर पर बहुत सारे काम है तुम्हारा समय नष्ट नहीं करूंगी तुम किताब वगैरह पढ़ पढ़ो ठीक है तो इसलिए फिर क्या होता है फिर एक बार रजवा को झाड़ना और बुहाना मतलब घर का साफ सफाई का सिखा देती हूं वो गलती नहीं करेगी फिर छोटी भाभी के चले जाने पर मजली भाभी और बड़ी बहू आते हैं वहां पे वोह आकर रजवा की सिफारिश करते हैं कि मजली भाभी कहती है कि मैंने एक अनुभवी नौकरानी खोजने के लिए कह दिया है बेला बैठने के लिए कहती है उनको लेकिन वो भी वहां पर नहीं बैठती बेला शिकायत करती है कि आप मेरे साथ पराए जैसा व्यवहार कर रहे हो सभी लोग ठीक है बड़ी बहू भी चली जाती है तभी मजली बहू और पारो यहां पे आते हैं और वह हंसने लगते हैं पड़ोस की किसी घटना के बारे में जिक्र कर रहे होते हैं तो वो हंस रहे होते हैं तभी बेला बेला को आते देखते हैं तो एकदम चुप हो जाते हैं पहले हंस रहे होते हैं बेला को देख के चुप हो जाते बेला आकर पूछती है क्यों हंस रहे हो भाई तुम तो वह जवाब नहीं देते चुपचाप से चली जाती है तो बड़ी और मझली बहू के आपस में बात करने और दादा जी ने हम दोनों को विशेष रूप से सतर्क करने को कहा था ठीक है यानी कि बड़ी और मजली बहू जो है आपस में बात कर रही हैं कि दादा जी ने हम दोनों को विशेष रूप से सतर्क रहने को कहा है नहीं तो तुम्हें भी घर से निकाल दूंगा इस तरीके से तो ये चीजें थी तो तीसरे पार्ट में आपने क्या देखा कि बेला के प्रति लोगों का बहुओं का जो बर्ताव था परिवार का सबका बदल गया क्यों क्योंकि दादाजी ने वार्निंग दी है सबको कि ऐसा नहीं होना चाहिए कोई उसका तिरस्कार नहीं करेगा इसीलिए सब उसके साथ अलग तरह का व्यवहार कर रहे हैं अब ये अलग तरह का जो व्यवहार है वो बेला को पसंद नहीं आ रहा उसे लग रहा है कि भाई सब उसको इग्नोर कर रहे हैं या उसके पास कोई बैठना नहीं चाहता है तो सीन थ्री हो गया सीन फोर छोटा सा इसको समझ लो देखो बेला परेश से यानी अपने पति से कहती है कि मुझे मेरे माइके में भेज दो यहां कोई मुझे समझता नहीं है मैं किसी को नहीं समझती ठीक है सब मुझसे ऐसे डरती है जैसे मुर्गी के बच्चे बाज जी से डरते हैं मुझे कोई कार्य नहीं करने देते परेश उसे कहता है कि मुझे समझ में नहीं आता कि तुम क्या चाहती हो अगर तुम्हें कोई कुछ कहे तो भी तुम्हें दिक्कत है तुम्हें अगर कोई कुछ नहीं करने को कहता तो भी दिक्कत है तुम क्या चाहती हो परेश चला जाता है वहां से कमरे में बेला का प्रवेश होता है बेला कमरे में आती है और पूछती है कि भाभी आप क्यों रो रही हो बेला को उससे पता लगता है कि दादा ने सबको बेला से विशेष आदर करने के आदेश दिए हैं कि आप स्पेशल ट्रीटमेंट करो उनका थोड़ा ठीक है बेला का तो बड़ी बहू कपड़े धोने जा रही थी बेला भी उसके साथ आ जाती है कहती है मैं भी कपड़े धो देती हूं दोनों मिलक कपड़े धोने लग जाते हैं दादाजी देखते हैं बेला को कपड़े धोते हुए तो बहुत हैरान हो जाते हैं क्यों क्योंकि दादा जी ने पहले भी कपड़े धोने को बोला था बेला को चार दिन से कपड़े ना धोए पड़े हुए थे कपड़े लेकिन आज तो वो कपड़े धो रही है तो उसको देखकर दादा जी थोड़े हैरान होते हैं बेला दादा से कहती है अब यहां पे आप लाइन का मतलब समझो बेला दादा से कहती है कि आप पेड़ से किसी डाली का टूटकर अलग होना पसंद नहीं करते यानी कि उ उनका जो परिवार था वो बर्गत के पेड़ की तरह था अगर एक भी डाली अलग हो जाती यानी एक बहू या बेटा अलग हो जाते हैं तो परिवार टूट जाएगा आप इस चीज को पसंद नहीं करते पर क्या आप यह चाहेंगे कि पेड़ से लगी लगी डाली सूख जाए यानी कि पेड़ में यानी परिवार में से कोई एक व्यक्ति सूख जाए सूखने का मतलब यहां पे परेशान हो जाए दुखी हो जाए उस तरीके से है ठीक है खफा हो जाए तो ये था आई होप आपको समझ में आया होगा तो यहां से देखो अब आपके पेपर में क्वेश्चन क्या आएगा आपके पेपर में इसका सार आ सकता है ठीक है यानी ये जो ये जो हमने पढ़ा है इसकी कि समरी पूछ सकते हैं समरी पूछेंगे तो आप इस तरीके से बता दोगे पूरी स्टोरी आपको पता लग गई या फिर आपसे समीक्षा पूछ सकते हैं तो समीक्षा में आप बता दोगे कि ये एक सामाजिक मुद्दे पर बनी एकांकी है जिसमें घर परिवार के मुद्दे हैं हर घर परिवार में इस तरीके की चीजें होती ही है ठीक है बहू की साथ से नहीं बनती या देवरानी जिठानी जो होती है इनकी आपस में नहीं बनती है कोई ना कोई घर के परिवार में एक बहू ऐसी मॉडर्न टाइप की आ ही जाती है ठीक है जो अपने आप को ही सब कुछ समझती है और दूसरों को कुछ नहीं समझती तो इस तरीके की चीजें घर परिवार का एक बेसिक सा मुद्दा है तो यही आपको इस मतलब सामाजिक मुद्दे प बनी हुई ये एकांकी है फिर इसमें परिवार को साथ रहने के लिए दादाज का क्या रोल है उसमें वो बताया गया है इसमें फिर ये भी बताया गया है कि संयुक्त परिवार यानी जो जॉइंट फैमिली है उसके क्या फायदे हैं ठीक है जॉइंट फैमिली में रह के किस तरीके से वो एक साथ रह सकते हैं बर्गत के पेड़ का उदाहरण दे रखा है तो ये सब बता सकते हो दादाजी किस प्रकार से अपने परिवार को टूटने से बचाते हैं ये बता सकते हो ठीक है किस प्रकार से छोटी बहू बेला जो कि कभी कपड़े भी नहीं धोती थी उसको स्पेशल ट्रीटमेंट दिलाकर वो भी ठीक होने लग जाती है तो यही सारी चीजें आपको यहां पर बतानी थी समीक्षा आ जाए तो भी आप बता सकते हो ठीक है