इंडक्टिव इफेक्ट
इंडक्टिव इफेक्ट क्या है?
- यह एक डिस्टेंस डिपेंडेंट प्रभाव है।
- इलेक्ट्रोन विड्रोइंग और इलेक्ट्रोन डोनेटिंग ग्रुप्स का प्रभाव।
इलेक्ट्रोनिगेटिविटी
- इलेक्ट्रोनिगेटिविटी का मतलब:
- किसी तत्व की इलेक्ट्रोन को अपनी ओर खींचने की प्रवृत्ति।
- फ्लोरीन: ~4
- क्लोरीन: ~3.16
- कार्बन: ~2.5
इलेक्ट्रोन विड्रोइंग ग्रुप्स
- फ्लोरीन और क्लोरीन जैसे तत्व, जो इलेक्ट्रोन को अपनी ओर खींचते हैं।
- उन्हें "पार्शल नेगेटिव" चार्ज मिलता है।
- फ्लोरीन पर ज़्यादा नेगेटिव चार्ज।
- का र्बन पर "पार्शल पॉजिटिव" चार्ज।
- यह कार्बन चेन पर प्रभाव फैलाते हैं।
इलेक्ट्रोन डोनेटिंग ग्रुप्स
- जिनकी इलेक्ट्रोनिगेटिविटी कार्बन से कम होती है।
- ये कार्बन को "पार्शल नेगेटिव" चार्ज देते हैं।
- उदाहरण: -CH3, -OH,
इंडक्टिव इफेक्ट का प्रदर्शन
- इलेक्ट्रोन विड्रोइंग ग्रुप्स के कारण प्रभाव चेन की शुरुआत में सबसे अधिक होता है।
- प्रभाव चार्ट में
- पहला कार्बन: प्रभाव अधिक।
- दूसरा कार्बन: थोड़ा कम।
- तीसरा और चौथा कार्बन: प्रभाव लगभग नगण्य।
इंडक्टिव इफेक्ट की विशेषताएँ
- स्थायी प्रभाव।
- यह केवल सिग्मा बॉन्ड्स के माध्यम से फैलता है।
- दूरी पर निर्भर होता है।
रिएक्टिव इंटरमीडिएट्स
- तीन प्रकार के होते हैं: कार्बोकेटाइन्स, कार्बोआनियन, और कार्बन फ्री रेडिकल।
- होमोलिसिस और हेटेरोलिसिस के माध्यम से बनते हैं।
स्थिरता के कारक
- पॉजिटिव चार्ज को स्थिर करने के लिए इलेक्ट्रोन डोनेटिंग ग्रुप्स ज़रूरी।
- नकारात्मक चार्ज को स्थिर करने के लिए इलेक्ट्रोन विड्रोइंग ग्रुप्स ज़रूरी।
एसिडिटी और बेसिसिटी
- इलेक्ट्रोन विड्रोइंग ग्रुप्स एसिडिटी बढ़ाते हैं।
- इलेक्ट्रोन डोनेटिंग ग्रुप्स एसिडिटी घटाते हैं।
निष्कर्ष
- इंडक्टिव इफेक्ट का अध्ययन करने से हमें इन प्रभावों को समझने और समाधान करने में मदद मिलती है।
- रिएक्टिव इंटरमीडिएट्स की स्थिरता का ज्ञान महत्वपूर्ण है।
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