गरीबी: एक चुनौती
परिचय
- गरीबी का असली अर्थ: जहां सर्वाइवल तक की मुश्किलें हों
- गरीबी हमारी बेसिक नेसेसिटीज पूरी न कर पाना
- भारत में गरीबी का महत्वपूर्ण स्थान
गरीबी: एक चुनौती
- आजादी के बावजूद गरीबी से आजादी नहीं
- विकास में बाधा: गरीबी का vicious cycle
- गरीबी के कई कारण और परिणाम
गरीबी की कहानियाँ
अर्बन केस: राम सरण
- वेज लेबरर, 33 वर्ष, झारखंड के पास
- 6 लोगों का परिवार, मासिक आय 1500 रुपये
- अस्थायी घर, भोजन की कमी, स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव
रूरल केस: लाखा सिंह
- मेरठ के पास, बड़े किसानों के लिए काम
- आय अस्थिर, कभी-कभी केवल गेहूं, दाल, सब्जियाँ मिलती है
- बच्चे स्कूल नहीं जा पाते, बेसिक सुविधाओं की कमी
गरीबी का विश्लेषण
आर्थिक दृष्टिकोण
- इनकम और कंजंप्शन लेवल दृष्टिकोण
- गरीबी रेखा का निर्धारण
सामाजिक दृष्टिकोण
- सामाजिक बहिष्कार और जोखिम का प्रभाव
- शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार की कमी
गरीबी रेखा का निर्धारण
- कैलोरी की आवश्यकता: ग्रामीण 2400, शहरी 2100 कैलोरी
- आय स्तर: ग्रामीण 816, शहरी 1000 रुपये
- विश्व बैंक की गरीबी रेखा: 2.15 डॉलर प्रति दिन
गरीबी के कारण
- ऐतिहासिक कारण: औपनिवेशिक शासन
- कृषि का कम उत्पादन
- आय असमानता, सामाजिक और आर्थिक कारण
गरीबी उन्मूलन की रणनीतियाँ
- आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देना
- महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम
- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन
- स्वर्ण जयन्ती ग्राम स्वरोजगार योजना
निष्कर्ष
- गरीबी उन्मूलन के लिए सरकारी उपाय
- ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार
- शिक्षा और आर्थिक अवसरों का विस्तार
यह नोट्स गरीबी पर एक विस्तृत दृष्टिकोण प्रदान करते हैं और भारत में इसके सामाजिक और आर्थिक प्रभावों पर ध्यान केंद्रित करते हैं। ये नोट्स आपकी समझ को गहरा करेंगे और प्रभावी ढंग से अध्ययन में सहायक होंगे।