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संविधान और उसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
Sep 12, 2024
पाठ 3: ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और संविधान का निर्माण
अध्याय का परिचय
यह अध्याय नई 7वीं संस्करण का है जो पहले से पढ़े गए अध्यायों के साथ जुड़ता है।
अब तक हम अध्याय 11 तक पहुँच चुके हैं।
इस कक्षा के बाद भाग 1 पूरा होगा और अगले पाठ से भाग 2 की शुरुआत होगी।
अध्याय का महत्व
अध्याय का शीर्षक है "ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, संविधान का निर्माण और संविधान का सिद्धांत"।
यह अध्याय राजनीति विज्ञान से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्नों को समझाने में सहायक है।
UPSC के प्रश्नों में राजनीतिक विचारकों की परिभाषाओं का समावेश है।
चार सिद्धांत करिश्मा प्राप्त करने के लिए
ध्यान को विभाजित न करें
: पढ़ने पर ध्यान केंद्रित करें।
निर्णय लें और उन पर कायम रहें
: निर्णय लेने की क्षमता महत्वपूर्ण है।
धीरे बोलें
: तात्कालिकता से बचें।
संपूर्ण उत्तरदायित्व लें
: अपने कार्यों के प्रति जिम्मेदार रहें।
संविधान की परिभाषा
संविधान का अर्थ है एक मूलभूत सिद्धांतों का सेट, जो सरकार की संरचना और नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों को निर्दिष्ट करता है।
संविधान के तहत सभी कानून विकस ित होते हैं।
संविधान के कार्य
सीमाओं का निर्धारण
: राजनीतिक समुदाय की सीमाएं क्या हैं।
सत्ता का व्यवहार
: सरकार की प्राधिकरण और उसका व्यवहार।
राष्ट्रीय पहचान और मूल्य
: राष्ट्र के रूप में हमारी पहचान क्या है।
अधिकार और कर्तव्य
: नागरिकों के अधिकार और कर्तव्यों का विवरण।
संस्थान का निर्माण
: राजनीतिक संस्थानों का गठन।
धार्मिक पहचान
: राज्य की आधिकारिक धार्मिक पहचान।
राज्य के लक्ष्यों
: सामाजिक, आर्थिक और विकासात्मक लक्ष्यों की दिशा में मार्गदर्शन।
संविधान की गुणवत्ता
संक्षिप्तता
: संविधान को संक्षिप्त और सटीक होना चाहिए।
स्पष्टता
: संविधान की भाषा स्पष्ट होनी चाहिए।
व्यापकता
: संविधान में सभी महत्वपूर्ण मुद्दों का समावेश होना चाहिए।
उपयुक्तता
: संविधान समाज की आवश्यकताओं के अनुसार होना चाहिए।
स्थिरता
: संविधान को राजनीतिक स्थिरता को सुनिश्चित करना चाहिए।
अनुकूलनशीलता
: संविधान को बदलती परिस्थितियों के अनुसार ढलना चाहिए।
संविधान के प्रकार
विकसित और अधिनियमित संविधान
: विकसित संविधान समय के साथ बनता है, जबकि अधिनियमित संविधान एक लिखित दस्तावेज है।
लिखित और अलेखन संविधान
: लिखित संविधान एक दस्तावेज में होता है, जबकि अलेखन संविधान प्रथाओं और दर्शनों पर आधारित होता है।
संविधान का लचीलापन
भारतीय संविधान न तो पूरी तरह से कठोर है और न ही पूरी तरह से लचीला है।
संविधान में आवश्यकतानुसार परिवर्तन किया जा सकता है।
संघीय और एकात्मक
संघीय
: राष्ट्रीय और क्षेत्रीय सरकारों के बीच शक्ति का विभाजन।
एकात्मक
: जब सभी शक्ति राष्ट्रीय सरकार के पास होती है।
संवैधानिकता और संवैधानिक सरकार
संवैधानिकता का अर्थ है कि सरकार के पास सीमित शक्ति होनी चाहिए।
संवैधानिक सरकार वह होती है जो संविधान द्वारा निर्धारित सीमाओं के भीतर कार्य करती है।
निष्कर्ष
संविधान का अध्ययन न केवल परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह राजनीतिक समझ को भी बढ़ावा देता है।
यह हमें लोकतंत्र और शासन की मूलभूत सिद्धांतों को समझने में मदद करता है।
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