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संविधान और उसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

Hello everyone, स्वागत है PwOnlyIS में आज है हमारा bonus chapter, chapter number 3 of the 7th edition ये नई 7th edition में chapter number 3 है इसका नाम और last class तक हम chapter number 11 तक cover कर चुके हैं आज इस class के बाद हमारा part 1 पूरा हो जाएगा और next class से हम part 2 की शुरुवात करेंगे तो इस book में जब इस chapter का index आता है तो ये तीसरे level पे आता है historical background, making of the constitution or concept of the constitution तो हमें ये जानना है कि सर ये important क्यों बना, पहली बात तो हमें ये बताओ ये ad क्यों हुआ, क्योंकि भाईया हमने देखा कि कुछ ऐसे questions आए हैं जो political science से related भी हैं जो थोड़े से, ऐसे political scientist या political thinkers ने कुछ ऐसे जो definition दे रखी थी उनको उनोंने, UPSC ने ऐसे चुना और उसको भाईया question के form में exam में दे दिया, अब हम देख रहे हैं question आए हैं इन questions को हम class के last में देखेंगे जरूर, यह यहीं के ही solve भी हो जाएंगे, बहुत आसान question है, पर chapter पूरा इसके लिए dedicate हुआ, that is a very important thing, तो हमें इस chapter को पहले तो समझ लें एक बार में, कि सर यह हो क्या रहा है यहाँ पर, यह क्या है कि जब आप fundamental duty, fundamental right सब पढ़ा दिये, उसके और Constitution से क्या-क्या हमें ऐसी और definition मिल रही हैं, जो important बन रही हैं, एक आपको मैं और एक चीज़ बता दूं, क्योंकि ये important है जानना, ये जो chapter है, ये prelims, mains में तो useful है ही है, क्योंकि GS2, GS4, optional में आएगा ही आएगा, इसके अलावा इस chapter का आपको help मिलेगी, जब आप अपने interview मे जिसका नाम है charismatic, क्या आप charismatic हो या नहीं, तो भले ही आप charismatic ना हो, पर उसकी तरफ बनने का प्रयास करना शुरू कर दो, charismatic दिखने के लिए चार आपको कदम चलने पड़ेंगे, मैं आपको बताता हूँ, पहला कदम है, do not divide your attention, अगर पढ़ रहे हो, तो पढ़ो, अगर सुन र आप पहले सुनो और बोलो बाद में अगर आप charismatic person हो तो आप definitely अच्छे speaker हो पर आप उससे भी अच्छे listener हो तीसरा, अगर आपको charismatic दिखना है make decisions and stick to them and also take full responsibility चौथा, charismatic होने के लिए एक important factor है do not move fast आप तेजी में बोलो मत खडबड़ाहट में नहीं, if you have charisma, you have that piece of God, और मैं बता रहा हूँ, that piece is pure power, interviewer देखते समझ जाता है कि I want this candidate, ये चाहिए, आप जितने भी बड़े बड़े, जितने महान व्यक्तित्व को देखते हो, उनमें सब में एक चीज़ common है, वो है कि यार ये लोग बहुत ही शांत होते ऐसा हमें लगता है कि हमें इनके जैसे हम कैसे बने हैं, क्या करें, क्या पढ़लें कि हम इनके जैसे इतने विद्वान दिखें, इतने ऐसे हिम्मत वाले दिखें, तो इसका एक सीधा सिद्धानत है, कैरिजमा के लिए हमको ये चारों सिद्धानत पूरे करने है, ठीक है, अ� कोंसिट्यूशन का एक वर्ड होता है कॉन्सिट्यूअर अब इसका क्या मतलब है सर यह इसका मतलब है बनाना किसी चीज को किसी चीज को सेट अप करना कॉन्सिट्यूशन वर्ड का और भी इंग्लिश लैंग्वेज में अलग मतलब भी होते हैं जैसे किसी एक एसोसिशन की कॉन्सिट्यूशन क्या है इसमें कौन-कौन लोग कॉन्सिट्यूट करते हैं क्या एक चेयरमैन है दोस्त वह एसोसिटेंट चेयरमैन है तो इसका भी एक प्रवाइटल होता है कौन से जगह कि कितने लोग हैं क्या कंपोजिशन है किस तरीके से यह बनाया गया है तो लेकिन हमारे पर political sense में हम political dimension में देखते हैं, contribution का मतलब होता है, एक ऐसे basic set of principles, एक ऐसे basic set of सिधान्त, ऐसे guidelines, जो specify करती हैं, कि हमारा organization और working कैसी होगी सरकार की, और साथ ही, उसका रिष्टा कैसा होगा सरकार के साथ और लोगों के साथ in terms of their rights and duties, कुल मिला के यही है, कि सम्विधान की definition ही यही है, कि एक basic set of principles होने चाहिए जो सरकार की working बता दे, सरकार की organization, सरकार की composition, सरकार का structure बता दे, साथ ही ये बता दे कि सरकार का लोगों के साथ तालमेल कैसा होगा उनके अधिकारों के लिए और उनके duties के लिए. ठीक है यह बात समझ में आ गई कई ऐसे पॉलिटिकल साइंटिस्ट रहे हैं जिन्होंने कॉंस्टीशन की अपनी-अपनी मन से बहुत डिफरेशन दी है पर कुलमिलाकर जैसे सारे धर्म कुलमिलाकर एक ही बात सिखाते हैं ऐसे ही कई सारे पॉलिटिकल साइंटिस्ट ने जो कप्तान ऑस्ट्रेलिया के यह है आर एन गिलकृष्ट एक होंगे आर जी गेटल साहब तो इन लोगों ने भी अपनी अपनी डिफरेशन दी है कि साहब क्या है यह संविधान संविधान एक बेसिक सेट ऑफ गाइडलाइन्स है एक प्रिंसिपल एक बेसिक पर्नामेंटल सेट इन्होंने अपनी-अपनी किताबे लिखी हुई है इन सबने, जो-जो मैं नाम लिख रहा हूँ, तो इन लोगोंने अपनी किताबों में ऐसे Constitution का मतलब डिफाइन किया हुआ है, कि क्या-क्या है, पर कुल मिलाके अगर हम देखें, तो सम्विधान का और क्या-क्या मतलब निक इसके बाद ही सारे laws निकलेंगे, जितने भी हमारे contract law, labor law, industries law, companies law, जितने भी आपके law हैं, वो सारे सम्विधान के नीचे से निकलेंगे, अगर सम्विधान में ये सारे कोई छोटे मोटे जो act होंगे, अगर ये सम्विधान के खिलाब जा रहे होंगे, तो ये नहीं चल पाए जो मैंने आपको पहले कहीं अगर बताया हो, आपको याद आ रहा हो, और ये चलती है जर्मनी में, ये क्या हुआ सर, ये क्या मतलब है दोनों में, तो इसका मतलब है कि ये Constitution उपर है, इसमें से सारे Acts निकले हैं, सारे और जो बाकी Law, Statute, Regulation, Guidelines, Principles, जो निकले हैं, वो इसमें तो हमारे यहां जो इंडिया का कॉंसीटेशन है उसको बोलते सुप्रीम लॉज और जर्मनी का जो वेरमार कॉंसीटेशन होता है उसको हम गएते वहां का वह बेसिक लॉज कम से कम इतना मान कर चलो इसके ऊपर बढ़ाते चलो ऐसा होता है यह सरकार कि स्टेट में क्या रूल चलने हैं हमारे पॉलिटी का जो बेसिक स्ट्रक्चर है वह डिफाइन करता है कि सेंटर पर यह होगा स्टेट में यह सारे एक तो यह यह सारे सरकार होंगी जुड़ीशरी ऐसी होगी हमारी और इसके अलावा लोकल होंगी ग्राम नॉर्म ऑफ द कंट्री इंपोर्टेंट वर्ड मुझे इसका मतलब बताना जरा कोगल करके आपको समझ हल्का नॉर्म होगा, नॉर्म मने, नॉर्म, जो बेडेगुलेशन, गाइडलाइन्स, वही सारी, नाओ, एक चीज और देखो, कि जब भी हम किसी Constitution को पढ़ना चाहेंगे, चाहे किसी भी देश का हो, तो उस देश का जो Constitution होगा, वो कुछ ऐसे function या purpose फुलफिल कर रहा होगा, जो उ वह क्या-क्या फंक्शन और परपर्स फुल्फिल कर रहा है तो भाईया ऐसे आठ चीजें हैं पहली हो गई कि वह यह डिफाइन करता है हमारी बाउंडरीज हो क्या क्या है पॉलिटिकल कम्यूनिटी की सर पहले बताओ इसका मतलब क्या है है तो पॉलिटिकल कम्यूनिटी माने पूरा पॉलिटिकल सिस्टम पार्लेमेंट एग्जेकेटिव जुडिशरी मीडिया बाकी ऐसे लोकल लेवल पर लोग जो जनता के ऐसे लोग हैं जो प्रशासन के साथ तालमेल बिठा रहे हैं या जैसे हम बोलें अगर तो वह भी हमारे वह भी हमारे एक पॉलिटिकल कम्यूनिटी का हिस्सा है तो इन लोगों की सब की क्या बाउंडरियां है इन सारे संस्थानों की इन सारे डिपार्टमेंटों की उनकी उनकी सब की बाउंडरियां बताता है कि साब आप क्या नहीं कर सकते हो क्या कर सकते हो दूसरी चीज यह बताता है यह बताता है कि हमारा नेचर हमारा बिहेवियर ऑथोरिटी की कि उसका बिहेवियर कैसा होगा उसका बर्ताव कैसा होगा और उसकी ऑथोरिटी क्या है वह किस प्राधिकारण के तहत वो किस अधिकार के तहट आपसे कोई काम न करवाने को बोल रहा है और कोई काम करवाने को बोल रहा है तो तीसरी चीज होगी हमारी कि ये बताएगा कि हमारी पहचान हमारी values क्या क्या है as a national community हम एजर नेशन एजर पूरा कंट्री हमारी क्या-क्या हमारी पहचान है क्या हम भारतियां है तो हमारे भारतियां होने की पहचान क्या है हम किस चीज से मानते खुद को कि हां साहब हमारे अंदर यह वैल्यू हो तब हम एक तब हम एक बिल्कुल अच्छे देश के भारत देश के नागरिक हम माने जाएं कहलाएं तो वह सारी बातें बताता है यह सब बातें हर विधान में अपने देश की अपने अपने अपने अपने कल्चर होगा वहां के लोगों का उनका अलग सिस्टम पॉलिटी का तो वह भी बताएगा उनका संवेदान उन देशों का हमारा कैसा बताता है हमारा यह बताता है यह चौथी चीज यह बताएगा कि हमारे यहां अधिकार और कर्तव्य क्या है नागरिकों के साथ बात है बताए रहा है पार्ट थ्री पार्ट फोर इसके अलावा इसके अलावा यह बताएगा कि हमारे यह पॉलिटिकल इंस्ट्रीशन जो है जितने भी है पूरे देश में पूरे कम्यूनिटी में पहले तो ये कैसे बनेगी, कोई एक्ट के तहट बन रही है, सम्विधान में पहले से इसको protection दी हुई है कि नहीं, constitutional protection, कई ऐसे commission है, committee है, जैसे election commission, तो election commission को हमारे सम्विधान नहीं mention कर दिया है, election commission किसी एक्ट के तहट बना नहीं है, जैसे IIT है, तो IIT किसी एक्ट के तहट य आजादी की समय से नहीं था अजय कि बाद में बनाना तो यह एक आईएटी एक्ट के तहत पास हुआ था फिर आईएटी एक्ट के तहत एक तो यह कुछ चीजें होती हैं जो सम्मिधान में पहले से मेंशन होती है एलेक्शन कमिशन जैसे संगलोग सेवा आयोग तो यह सारे ऐसे कमिशन है जो जो कंस्टिट्यूशनल बॉडीज हैं जो पहले से ही वहां मौजूद हैं जो आजादी के साथ ही इनको बताता है कि इनके पास क्या क्या इनके पावर है, अच्छा इनको रेगुलेशन भी बताता है कि साहब आप ऐसे काम करो, ये ना करो, और आपको ये तो करना ही करना, ये बिल्कुल नहीं करना है, ये वाली बात है, एक चीज ये बताता है कि जितनी हमारी सरकारे हैं, च कि कितनी पावर किसके पास है कितनी पावर दूसरे के पास है कौन उसकी पावर में इंटरफीयर ना करें यह सारी बात है एक और चीज जो बताता है हर देश का संविधान कि उस देश का ऑफिशियल रिलीजियस आइरेंटिटी क्या है उनकी धार्मिक पहचान क्या होनी चाहिए किसी भी देश का अगर कोई संविधान है तो जैसे इन सहाब के पहले बात बताना कौन सी गंट्री है और इन सहाब देश में क्या क्या भाईया उनकी कोई इस देश के अपनी रिलीजियस आइरेंटिटी है क्या और अगर है तो वह क्या होगी यह बताएगा बलेंगे संविधान रिटेन हो वन रिटेन हो कैसा भी हो फर्क नहीं पड़ता पर संविधान जो होगा जो बेसिक स्टेट ऑफ प्रिंसिपल्स होगा बेसिक गाइडलाइन का एक इकटा पूरा पोथी होगी वो यह जरूर इशारा कर देगी कि एक देश का रि कि हम किसके धर्म को तवज्जो ज्यादा दें किसी के धर्म को तवज्जो न मिले हमारे यहां हर धर्म को समान रूप से सम्मान मिलता है हमारे मजबूत सोसाइटी है हर तरह के लोग है हमारे अपना अपना फेद अपना अपना विश्वास चाहिए हमारे समयदान ने बोला कि सब होकर सब अपना धर्म फॉलो करो ऐसा कोई पब्लिक मॉरालिटी के ऊपर अगर इसके बाद एक चीज और बताता है हमारा संविधान, यह आठवा है, कि हमारे स्टेट, यह स्टेट को कमिट करवा देता है तो वह particular social, economic and developmental goals की तरफ, कि कोई भी जो स्टेट होंगे, उनके कुछ ना कुछ ऐसे कुछ इरादे होंगे, उनके कुछ ऐसे goal होंगे, कुछ aim होंगे सामाजिक रूप से आर्थिक रूप से या विकास की रहा पर कैसे आगे बढ़ रहा है किस तरफ आगे बढ़ रहा है कैसे बढ़ रहा है और किस तरफ आगे बढ़ रहा है दोनों चीज जाना जरूरी है यह हमारा संविधान को एक कमेट कर यह हमारा संविधान कमेट करवाता है स्टेट को कि तुम करोगी करोगे तुम डीपीएसपी का पालन करवाओं की करवाओं बाकियों में नहीं है यह सारे जो एग्जाम्पल्स है इनमें से कई हम पढ़ चुके हैं और सारे हम पढ़ चुके हैं पर्णामेंटल राइट हम पढ़ चुके हैं यह बताता है कि भी यह कैसे हम 15, 16, 17, लाइन से याद है ना एक एक करके तीनों, फिर उसके बाद यह बताता है DPSP, के हमारे राज्य का जो directives हैं, वो कैसे होने चाहिए, directives माने किस तरफ वो बड़े राज्य हमारा, क्या सोचते हुए अपने नए कानून बनाए, क्या सोचते हुए कोई नए action ले, या सारे workers के लिए एक living wage, एक रोजगार, एक जिन्दा रहने का, एक ऐसा minimum ऐसा wage मिले कि भाई वो सलामत रह सके, हर किसी वो रोजगार की guarantee मिल सके, और एक decent standard of life मिल सके उसको उसके article 21 का उलंगन ना हो एक dignified life की तरफ हर state को अपने citizens को आगे लेके जाना है ठीक है, raise the level of nutrition and the standard of living of people and to improve public health ये हमारे सम्विधान कहता है हमारे state को इशारा करता है कि तुम्हें ऐसे चलना है कि तुम लोगों का पोशन का चिंता करो लोगों को nutrition मिल रहा है कि नहीं लोगों को एक decent standard of living पब्लिक हेल्थ इन कलेक्टिव पब्लिक हेल्थ एट लार्ज इंप्रूव हो रही है कि नहीं इसकी तरफ भी ध्यान देना है इक्वल पेफ और इक्वल वर्क मतलब ऐसा नहीं कि अगर मैं आदमी हूं तो मुझे सेम काम करने के जाता पैसे मिलेंगे कोई अगर लेडी है कोई फीमेल है तो उसको सेम काम करने के कम पैसे मिलेंगे ऐसा नहीं होना चाहिए या तो काम अलग-अलग हो अगर काम सेम है तो पैसे सेम होने चाहिए यह हमारा सम्मिधान कह रहा है कि आपको सेट क तो यह देख रहा है पार्ट थी पार्ट फॉर दोनों मिलकर हमारे स्टेट को कितना गाइडलाइन दे चुके हैं कि पार्ट थी में तो ऐसा-�सा लिख दिया है कि स्टेट चैल नॉट स्टेट चैल नॉट यह नहीं करेगा वह नहीं करेगा यह नहीं लाएगा किसी को किसी से जो भी हमारा तंत्र होगा वह ऐसी चीजें ना भूल जाए यह तो करना ही करनी है ठीक है नेक्स्ट कमिंग टू हमारे ऐसे एक अच्छे संविधान की अच्छी क्वालिटी क्या हो सकती है हमारे नहीं किसी और देश के भी तो यह सारे जो ऐसे उन सारी बातों का छोटा-छोटा निचोड़ निकाल कर रखा हुआ है चोटा है थोड़ा सा ड्राइल लग सकता है तो लेकिन सब में एक एक point का फरक है और हमें एक एक करके सारे point देखने है, पहली बात तो, brevity, brevity का मतलब होता है, in brief, brief, छोटे में बताओ, शांती से बताओ, कम में बताओ, कुछ शब्दों में बताओ, तो ये बताओ, अब हमारे, अगर कोई ऐसा सम्मिदान होगा, तो वो precise होगा, एकदम particular होगा, वो इधर उधर की बात ना कर, तो ये बताओ कि ये कैसे हुआ, ऐसा वाला, ऐसा वाला dialogue, तो, प्रिसाइज होना चाहिए, एकदम in brief होना चाहिए, to the point होना चाहिए, और कोई उसमें unwanted provision ना हो, ये भी है, अब आप एक सीज सोचो, हमारा सम्विधान क्या brief है, हमारा सम्विधान क्या छोटा है, एकदम to the point बातें करता है, हाँ और ना, दोनों, हमारा सम्विधान छोटा न तो, Lendy Constitution जहां होगा, यहां पे बहुत सारी details होंगी, वो create करता confusion और interpretation of its clauses, यह क्या हुआ सर? तो इसका मतलब यह हुआ, कि मान लो article 19 है, अब article 19 में इतनी सारी freedom दी हुई है, freedom 1, A, B, C, D, E, F, फिर उसके बाद उनके reasonable restriction भी लिखे हुए हैं, अब article 368, not withstanding anything contained in any other clause of this provision, तो ऐसी हम क्लॉज को इंटरप्रेट करने में कभी गफलत कर जाते हैं, कभी गलती हो जाती है, तो वो सम्विदान अच्छा माना जाता है, जो एकदम to the point बात करता है, सीधे मशली की आख में निशाना मारता है, और वही सम्विदान अच्छा माना जाता है, पर इसका मतलब यह नहीं पार्ट 20th में भी उसका कहीं ना कहीं mention है मतलब छोटी बात नहीं है एक जगे तो नहीं है वहाँ भी है सर उसके पीछे भी है सर एक पार्ट 4 में कुछ लिखा हुआ है सर इसको कैसे देख रहे हो आप अच्छा अब मैं समझा क्या कहना चाह रहा है तो clarity देखो क्या सम्विधान clear होना चाहिए अगर सम्विधान clear नहीं होगा complicated language की हमारा सम्विधान है ही ऐसी language का, कि दो lawyers को बैठ के बहस करनी पड़ती है, कि line का मतलब क्या है? तो हमारा जब बिनाम तो एकदम लीगली लैंग्वेज इसको लीगली बोलते हैं कि जो जूडीशरी की जो लैंग्वेज है जो बहुत ज्यादा हेवी वर्ड्स यूज करती है इस आप वह एकदम ऐसी लैंग्वेज है लीगल लोगों की एकदम बड़ी सी नथिंग इन दिस्क्लॉस शेल शेल डू देशल है इन इंपैक्ट ऑन इफेक्ट ऑन द अधर पार्ट थ्री तो मतलब बहुत डिफिकल्ट क्या कहना चाहता है फिर इसको समझो तो क्लारिटी में हमारा संविधान थोड़ा सा पीछे रह जाता है क्योंकि हम इतने ज्यादा उसको डिटेल में कर दिए हैं कि वह क्लियर नहीं समझ में आ रहा है किसी आम इंसान को अगर उसके प्रोवीजन यह प्रॉब्लम आती है कि फिर हमारा एक आएगा डेफिनेट नेस क्या हमारा संविधान एक डेफिनिट बात कह रहा है कि नहीं, कुछ ऐसी तो नहीं है कि कुछ इधर उधर की बात हो रही है और कुछ मुद्दे की बात पर नहीं है, जिसका मतलब है ambiguity तो नहीं है, अगर ambiguity होगी तो discretion of the judges in their interpretation बढ़ जाएगा, यह क्या हो रहा है सर, कई बार आप जब देखते हो कोई भ जो किसी जज के लिए कुछ है किसी जज के लिए कुछ है और हेल्थ तो इसका एक्जांपल दो सर इसका एक्जांपल यह है अब कोई बच्ची है वह चौराय पर खड़े हो गए अगर टिक टॉक बना रही है कोई वीडियो बना रही है तो हो सकता है किसी वह अपने वह अपना इंजॉय कर रही है अपने वह टिक टॉक के लिए इंस्टाग्राम के लिए अपना काम कर रही है तो इसका क्या मतलब हुआ कि हमारा संविधान ने ऐसे कुछ एमबीग्यूअस वर्ड दे दिए हैं यह एमबीग्यूअस वर्ड ने नॉट क्रिस्टल क्लियर नॉट बिल्कुल पर्टिकुलर तो एमबीग्यूअस वर्ड दे दिया है मतलब कंफीशन हो रहा है और हर कोई जज का इंटरप्रेडेशन अलग हो सकता है जैसे हाल में आपको याद हो पिछले साल या एक उससे दो साल पहले एक जज साहिबा थी Bombay High Court की उन्होंने POXO case में एक ऐसा judgment दिया था जो बहुत ही ज़्यादा controversial था और उनका elevation होना था additional judge से उनको permanent judge बनना था High Court का फिर collegium ने उनका नाम दे दिया था लेकिन वापस ले लिया उनके इस judgment के बाद और judgment और फिर Supreme Court ने फिर बोला कि वो judgment गलत था, flawed है, उसमें error है ठीक है, case का नाम साथ ही वह महिला जज उनका नाम भी अगर आपको पता होगा तो ठीक है एनिवे तो खेर वो रेटायर भी हो गई है और वो हट गई है तो ऐसा अच्छा इससे क्या हुआ सर तो मतलब जज ने अपना इंटरपेटेशन लिया अपने विवेक से अपने डिस्क्रेशन से उन्होंने सोचा कि हो सकता है यह आज सही है दे दिया फैसला अब ambiguity में यही होगा कोई जज बोलेगा नहीं नहीं public morality का गेंस्ट नहीं है कोई बोलेगा हाँ सर morality का गेंस्ट है है तो है अब दोनों में ambiguity हो रही है तो ऐसा constitution नहीं होना चाहिए जिसमें ambiguity हो कॉम्प्रीहेंसिव नेस मतलब कंप्लीट होना चाहिए पूरा-पूरा होना चाहिए कॉम्प्रीहेंसिव होना चाहिए एकदम फर्स्ट से लेके लास्ट पेज तक पूरी चीज कवर करो अच्छे से पढ़ाओ सर तब मानेंगे कहां टीचर हो ऐसी वारी बात कॉम्प्रीहेंसिव इन लेइंग डाउन द पावर्स ऑफ द गवर्मेंट एस वेल आज राइट्स एंड ड्यूटीज ऑफ द सिटिजन के पूरी बात कर इससे लिटिकेशन कम होगा, लिटिकेशन मानें कोर्ड की प्रक्रिया है, कोर्ड की जो प्रोसेस होती है, कभी कोई याचिका डालना, किसी के बनाम कोई केस करना, तो उसको बोलते हैं कि हम लिटिकेशन में फस गए, हम कोर्ड कचेरी की चक्कर में फस गए, तो अगर वो comprehensive हो नेक्स्ट आएगा हमारा यह कितने पॉइंट हो गए यह पॉइंट हो गए चार तो यह पांचवा पॉइंट है हमारा सूटेबिलिटी कि क्या हमारा संविधान सूटेबल है हमारे देश के लोगों के लिए हमारी नीड्स हमारी एस्पिरेशन के लिए हमारी हिस्टोरिकल हमा हमारे देश के लोगों, हमारे देश के बहुत बड़े गरीब तबके का उठान करना, तो हमारे सम्विधान ने ये चीज पहले ही मेंशन करी, कि हम राइट टू इक्कॉलि� हम untouchability को abolish कर रहे हैं, हम article 21, article 21 में right to life and personal liberty लिखा हुआ है, वो छीना जा सकता है if the procedure established by law is followed, ऐसा करके लिखा हुआ है न, अब आप समझ गए कि अच्छा हमारे देश के सम्विधान तब ऐसे लोगों ने बनाया, जिनोंने उस समय देश की ऐसी ज़रूरतें देखी हैं, अब डाल देंगे सम्विधान में, कि साब, every person shall have a laptop, उसमें सब i5, i3, i9 सब लगा होगा, प्रोसेसर बढ़िया बढ़ा होगा, पर ये अभी हमारे सम्विधान में ऐसी कोई जरूरत दिख रही है, नहीं दिख रही है, तो जब ही जरूरत कोई ऐसी आएगी, मान लो, कल को पानी म है तो जब सूटेबल होना चाहिए जब भी कभी सब कभी कोई आगे नेट कोई आगे एस्पिरेशन कोई आगे हमारी क्या-क्या हमारी एस्पायर करते हैं यह हम हमारी जरूरत है हमारी ऐसा सोसाइटी कि हमें यह चीज मिले तो उस समयदान क्या इसलिए हमारे का सिस्टम हमारे कोलोनियल रूल था तो हमारे वह सब को देखते हुए हमारे उसमें सोशियो-कल्चरल हमारा बैकग्राउंड सोशियो-कल्चरल हमारा जो अ समाज है उसको ध्यान में रखते हुए हमारी आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए हमारी पॉलिटिकल हमारा कंडीशन को ध्यान में रखते हुए संविधान हमारा तैयार हुआ इसके बाद क्या संविधान स्टेबल होना चाहिए एब्सलूटली शुड फैसिलिटेट पॉलिटिकल स्टेबिलिटी एंड शुड नॉट एलाउ इजी टैंपरिंग बस यह न हो कि पहली रहना चाहिए और संविधान रहेगा अ सरकारे किसी की भी आए, कोई भी आए जाए, सब लोग DPSP को तो follow करते ही करते हैं, हर सरकार कोई भी हो, वो fundamental rights को violate बहुत नहीं करती है, कभी कभी कर देती है, ठीक है, यह एक बात हो गई, एक और बात, adaptability, कि जो चीज हमारी, जब need हमारी change होंगी, जब हमारी कोई नई जरू अप्टिव हो रेडी हो कि बताओ कोई नई जरूरत है तो मैं बताओ लाव ला देंगे तो इतना भी एकदम ऐसा भी ना हो कि कभी भी खिलवाड़ हो जाएगा उसके साथ के रेड सुबह उठे बदल दिया शाम तक कुछ और बदल दिया उसको नहीं ठहरा हुआ सब्जेक्ट है जितना है उतना ही है हिस्ट्री तो नहीं बदल सकती है जो हो गई सो हो गई अब वही है वही पढ़नी है हर बार तो हिस्ट्री एक स्ट्रैटिक सब्जेक्ट है पॉलिटी एक डाइनेमिक सब्जेक्ट है हर दिन पॉलिटी देश की चेंज होती है और static नहीं होना चाहिए अगर एक living document है living, breathing document मतलब जो खड़ा है, जो सांस ले रहा है हर दिन समाज को देख रहा है भले ऐसा actual नहीं है पर हम इसको virtual living body कहते हैं कि हाँ साब, ये सांस लेता है ये रोज सुबा जागता है रोज रात को ये सोता है should be able to adapt itself to changing situations and requirements जब भी situation की demand होगी कोई नई requirement आईगी लोगों की, जनता की, किसी political structure की, तो उसके इसाब से सम्विधान को amend होने के लिए ready रहना चाहिए, ये भी इसका एक अपना important feature है, अब classification देखते हैं, classification कि सम्विधान कैसे कैसे हो सकते हैं, तो हो तो बहुत तरीके के सकते हैं, अब कैसे कैसे हमने बाटे हैं, कैसे कैसे हमें दिखे हैं, तो पहले दिखें evolved और enacted constitution, evolved माने एक cumulative constitution, मतलब, जो एक ऐसा product है जो कई सदियों बाद, कई समय के, कई दशकों के, कई centuries के बाद evolve होके आज खड़ा हुआ है, उसको हम बोलते हैं कि ये evolve हुआ है, जिसे आपका Pokemon बच्चवन में cartoon आता था, तो Pokemon में जो पहले एक छोटा सा Pokemon होता है, वो बहुत लड़ाईया लड़ता है, फिर कि वॉल्ड होते क्यों मुलेटिव क्यों मुलेटिव मने जो कंपाउंडिंग जो आप बढ़ते रहते एक के पीछे बढ़ता रहता रह और एक होता है enacted जो conventional है, proper जिसके convention है, rule set है, सब कुछ जो हर काफी तेशों में written, enacted constitution समझा माना जाता है, वो चीज.

तो British जो constitution है, यह British constitution यहां लिखा भी हुआ है, यह जब राजा ने दस्तिकत किये थे Magna Carta पे, तो इन barons ने, जो बाकिये साहुकार खड़े हैं, यहां के बड़े जो knights खड़े हैं, इन्होंने क्या करा था, उन्हें राजा से बोला के बैठ जाओ यहां पे, और हम लाएंगे ह ठीक है तुम दस्तखत करना जैसे आज कर रहे हो तो वह जो एक्ट आते गए वह जो यह लोग कन्वेंशन प्रैक्टिस प्रिंसिपल जुडीशल डिसीजन जो लोग फॉलो करते गए उसको इन्होंने एकट्टा किया और उस पौति को बोल दिया कि यह हमारा संविधान अब हमने वॉल्ड किया संबादा सो 15 से लेकर टो एल 15 से लेकर दो हजार तेज तक उनका रिटेंड और उनका अनरेटेंड जो नए होंगे जो इंपोर्टेंट होगा जरूरत हो जिनकी है वह पर आते जाएंगे तो वहां की पार्लेमेंट जो है वहीं एक्ट बना रही है वहीं सब कुछ कर रही है उन्हीं हमारे ने कोई वहां ऐसा तो है नहीं कि लिखे बर रख दिया तो यह सम्मिदान हमारे उल्टा हमारे लिखकर रख दिया एक बार और जहां लिखकर रखा है वह चेंबर है वह यह जानबूच के बनाये जाते हैं by any Council और Constituent Assembly जैसे US में Constituent Council होता है जो सम्विधान में जब भी छेड़चाड़ करनी होगी तो इस Council को जगाया जाएगा कि जागो और सम्विधान में छेड़चाड़ होने जा रही है बताओ क्या कहते हो तो कई ऐसे Council होते हैं कई ऐसी सभ यह प्रोमोलगेट किए जाते हैं मतलब यह पारित किए जाते हैं यह हर उस दिन जब हमारे 280 लोगों ने बैठ के साइन किये थे उस पे तो इन लोगों ने उस पे दस्तकत करके उस सम्विधान को बोल दिया कि आज से यह इनैक्ट हो गया है आज से यह लागू हो गया है 26 नवंबर 1949 को हमने अडॉप्ट किया और 26 नवंबर 1950 से यह एंफोर्स हो गया ठीक है तो यह जो देश की सम्मिदान सबा थी तो यहां पर क्या हो रहा है प्रोवीजन जितने है वह सारे एक बुक या एक डॉक्यूमेंट के फॉर्म में रखे हुए जैसे यूएस इंडिया का दोनों का संविधान रिटेन है सामने है जो है इतना है पर इसके ऊपर नीचे संविधान में नहीं है कुछ और इतना हमारे संविदान written है, लिखा हुआ है, सारे जितने provisions हैं, वो एक book के form में, एक document के form में, हमने वहाँ पर लाके रख दिये हैं, किसाब यह है, next आते हैं, written और unwritten पे, अब इसमें एक difference है, यह हम कई बार देख भी चुके हैं, जैसे British में, जब बई इनके Britain Parliament में, यहाँ पर तो Parliament और यूएस वालों का जो है वह डॉक्यूमेंट्री कि क्या हुआ था डॉक्यूमेंट्री का जाए गया तो डॉक्यूमेंट्री क्या होती है किसी की जब आप पहनत करिए कैसे इन्होंने आज कब खिताब पाया है जहां आज इस मुकाम पर है तो क्या किया गया मतलब हमने उनके अब ने बोला कि अच्छा सर आपने 16 साल की उपने प्रिवेशन शुरू किया था ठीक है हम आपके कोई अगर फोटो मिल जाए तो कोई आपके उसमें की वीडियो मिल जाए तो कोई आपके पेरेंट्स का उस समय का कोई एक दो इंटरव्यू के मिल जाए तो हमने बनाने का मतलब होता है कि कोडिफाई करना अब यहां पर नोन डॉक्यूमेंट्री कोंस्ट्रीजन है तो इनके आँ un-codified है हमारे यहाँ और US में अगर documentary constitution है मतलब वो एक codified constitution है वहाँ हर चीज को line to line line to line एक के पीछे एक सारे provision लिखते चले गए हैं जैसे IPC है तो IPC क्या है भारतीय दंड संगिता Indian Penal Code अब यह बनाई गई थी 1860 में तो हम इसको बोलते हैं कि 1860 में codified करी गई है codified word से आया है codify है तो तब मैं का उल्ले आए उन्होंने साहब इसको कोडिफाई कर दिया हमारे आईपीस तो इन्होंने क्यों किया क्योंकि उस समय कई ऐसे परसनल लॉ चल रहे थे कई ऐसे क्रिमिनल लॉ थे जिनकी सजाएं अलग-अलग है अलग-अलग धर्म के हिसाब से कोई मॉलाना कह देते हैं सब चोरी करी तो हाथ काट दो कोई हिंदू पंडित रहते हैं कि सब चोरी करी तो कान में गर्म तेल लाल दो यह क्या हुआ था यह तो उस समय के वाइसरोय हिल गए गवर्नर पर अठाराशाठ में अठाराशाठ में हमारे पहले वाइसरोय कौन थे तो यह अपना क्राउन रूल तो जब वाइसराय हमारे यहां तो बड़ा नाटक चल रहा है तो इन्हें पर बिलाया कि यहां आओ इनके सारे संविधान इनके सारे अपने अपने जो पर्सनल लॉज चल रहा है इनको सबको पहले सुनो और एक जगह कोडिफाई करके लिखो एक इसको सब्सक्राइब करें तब एक हमारा कोडिफाई किया गया कि हजाब चोरी की सजा यह ठीक है 302 की सजा यह होगी 306 की सजा यह होगी ऐसा कुछ भी ठीक है तो उसको कहते कोडिफाई करना है अब यहीं पे codify जब होता है, तो क्या होता है, provisions सारे incorporate होते हैं, किसी एक form of book, वही सेम बात, कुल मिला के काफी ज़ादा written, unwritten, or enacted, evolved, काफी ज़ादा similar लगते हैं सुनने में, कि एक ही तो बात कह रहे हो सर, बार बार एक ही बात repeat कर रहे हो आप, तो provisions incorporate हुए in the form of a book, और a set of documents, तो यह बनाया था तो किसी कंप्लीनिस को बनाया था एक और एक कंस्टिट्यूशन कांसिल ने कंस्टिट्यूशन कंवेंशन ने नाम दे लो कुछ भी नाम देने में क्या है तो नाम दिया गया कांसिल बनाया है संविधान सभा ने बनाया है बहुत बड़ी नाम सभा इन्होंने बनाया फिर कहां-कहां यूएस कैनेडा जपान फ्रांस और इंडिया ऐसे देशों में रिटन कंस्टिट्यूशन है जो इन एक्ट किया गया है बाय एक ऑन सिट्रीट असेंबली और कंस्टिट्यूशन कंवेंशन पर एक्सांपल और इसमें एक हमारे यह सारे इन provision जो है वो incorporate करके codify करके हम उसको documentary constitution बोलते हैं और हमारे यहां वो शामिल है इनके हाँ कहानी इनके हाँ कोई कहानी नहीं है इनके हाँ जो है वो parliament है इनका जो house of commons है और जो इनका house of lord है upper house lower house ऐसे लिखा हुआ है मैंने ठीक है यह lower house है यह upper house है तो इनके हाँ यही सब कुछ है इनका जो मन करेगा वो सब कर देंगे तो इनके आँ कुछ नहीं है recorded, not incorporated in the form of book or document, नहीं, कुछ नहीं, जो है हम बताते चलेंगे, रोज सब बोट के मान लेना उसी हो, ऐसे चल रहा है इनके आँ, यहाँ पे कोई found in the form of conventions, practices, principles, या जो जो वहाँ charter हैं, जो जो statutes हैं, या कोई judicial decision आया है, कोई बहुत important, तो ये product of historical evolution ह कि इसको जिसने दिया है वह दिया है बाय प्रैक्टिस नॉर्मल कंवेंशन जलते आ रहे हैं नॉर्मल सदियों से एक प्रथा है तो प्रथा ही है अब रहेगी तो रहेगी वह भी तो उससे ही चलकर आएं कैसे-कैसे प्रैक्टिस क्या है क्या प्रिंसिपल नियुक्ति नेचर चाहिए वह समय ना निमेंशन है तो हमारे कोड़िफाई कर दिया उस चीज को पर इनकी माना किया कि हाँ जब राजा ने पहला साइन किया है तो बाद में करता रहेगा राजा करने तो ठीक है लोग मानते हैं राजा को तो मानो यहाँ पे ऐसी चीज़ें चलती हैं स्टैट्यूट्स जो एक बार आ गया है चार्टर कभी कोई कोई रेगुलेशन आ गई तो आ गई कोई प्रैक्टिस कंवेंशन कस्टम कुछ भी ऐसा चीज़ आ गई तो है यहाँ पे खाली अनरेटन कॉंसिटूशन जो उनका पालिमेंट चलाता है कि अगर आप अमेंडमेंट देखोगे ना संविधान का कैसे अमेंडमेंट हो रहा है तो आपको समझ में आ जाएगा कि संविधान दो तरीके की हैं या तो रिजिड होंगे या फ्लेक्सिबल होंगे अच्छा साब रिजिड कैसे होते हैं कि ये तो आदित सरम को पहले पढ़ तीन चौथाई स्टेट्स की हाँ चाहिए इंडिया में 50% स्टेट्स की हाँ चाहिए और ऑस्ट्रेलिया हुआ इंडिया हुआ स्विच्जलेंड हुआ तो हमारे यहां आप देखोगे तो रिजिड भी है फ्लेक्सिबल भी है हमारे यहां मतलब दोनों चीज़ें हैं तो यू तब ये हाँ बोल पाएंगे अच्छा हो पाएगा चेंज हो जाएगा नहीं हो पाएंगे तो औस्ट्रेलिया स्विट्जिलेंड इन देशों में क्या हो रहा है क्योंकि ये बहुत ज़्यादा विक्सित हो चुके हैं बहुत ज़्यादा इनके पास स्टेट्स जो हैं जो लो� जैसा में दान है ही नहीं तो वहां पर आप तो वहां पर आशा तो आप आशा नहीं है कुछ भी अदलो कुछ भी रोजटा कि सुबह उठो नया बदल ला लो कुछ भी लिख दो तो यह बोलते हैं एलास्टिक कंस्टिट्यूशन क्योंकि एलास्टिक यह तो बड़ा काम है यह तो यह तो बन गया तो बन गया ऐसा है यहां पर कभी चेंज आएगा तो चार फिर में एक बार चेंज आ गया आ गया तो नहीं आया क्या पता तो कंस्टिट्यूशन ऑफ इंडिया हमारा neither rigid nor flexible but a synthesis of both समझ में आ रही है बात पर rigid flexible दोनों नहीं है तो कुछ तो होगा तो नेरू जी ने बोला इसके लिए कि देखो अगर आप rigid कर दोगे ना तो nation की growth रुख जाएगी हम चाहते हैं कि सम्विधान ऐसा हो जो अमर रहे अजे रहे सबसे उपर रहे पर अगर हम इसको rigid बना देंगे ना सम्विधान को ऐसा रखो कि आने वाले समय के हिसाप से धलना धलने लगे सम्मेधान में जगह हो ऐसी खाली जगह हो जो कभी आगे चलकर जो लोग आगे वाले आने वाले जो MPs होंगे मिनिस्टर्स होंगे वह जगह को भर सके यह इन्होंने मुझे जी का यह कोट था जब भी रिजेट फ्लेक्सिबल का क्वेश्चन आए नेहरू जी का स्टेटमेंट जरूर मेंशन कर देना क्योंकि यह पहले वारे प्राइमरेशन थे इन इन्होंने ही इसको यह पास करवाने में बहुत-बहुत मेहनत करिए बहुत काम किया है तो इनके कोट को हम बूलेंगे ठीक है नेक्स्ट कम्स टू फेडरल या यूनिटरी, यह क्या हुआ सर, यह भी आप पढ़ा चुके हो सर, बताओ क्या होता है, तो फेडरल माने जहां पे तो सरकारों की पावर की डिविजन की बात होती है, क्या क्या, डिविजन आफ पावर between the national government and the regional government, दोनों, सेंटर पे भी और regional, जो प्रांतों में जो है, जो regions में है, states में है उनके उपर, और इन दोनों को सम्विधान enable करता है to operate in the respective jurisdiction independently, जैसे, यूएस में स्विट्स लेंड में ऑस्ट्रेलिया कैनेडा रशिया में भी ब्राजील में तो इन देशों में क्या है कि एक तो सेंटर में सरकार है वॉशिंगडर में सरकार है ऑस्ट्रेलिया में सरकार है अपने कैनबरा में ठीक है कैनेडा में रीजन है उनमें भी अपने-अपने ऐसी सरकार है जो इंडिपेंडेंटली अपने जुरिस्टेशन में अपना-अपना काम कर रही है थोड़ा सा federal और unitary में हमारे unitary पे ज़्यादा focus है, तो unitary क्या होता है, unitary होता है जहां पे power का concentration होता है national government के पास, जो center में जो सरकार है, उसके पास power ज़्यादा है, और regional जो governments हैं, वो operate करती हैं as subordinates, as junior, junior agencies of the national government, regional governments exercise only such powers which may be delegated to them by the national government, जो national government उनको power दे दी, कि तुम छोटे बाई हो ना तो एक काम करो तुम छोटे बल्ले से खेलो तो आप अगर छोटे बल्ले दे दिया तो स्टेट गवर्नमेंट का जुम्मेदारी के छोटे बल्ले से खेलेगी ठीक है वह यह नहीं कर सकती कि साहब तुम्हारे पर बड़ा बल्ला चाहिए मैं तो भी छोटा हूं तो नहीं हो सकता तुम छोटे छोटे रहा भी अभी हम यूएस कैनेडा जैसे हम विकास विकसित कि हमारा सेंटर हमारा हमारा जो यूनियन है जो सेंटर गवर्नमेंट है दिल्ली की सरकार जो है वह थोड़ी दिल्ली में जो बैठती है नॉट दिल्ली की सरकार बट दिल्ली में जो सरकार बैठी हुई है मेन सेंटर की वह थोड़ी हावी रहेगी वह थोड़ी स्ट्रॉंग रहेगी ताकि कोई भी स्टेट कोई भी नए छुटपुट स्टेट आगे कुछ ना कुछ बवा जैसा एवार जनिंग्स कहते हैं कि हम एक फेडरेशन हैं विद ए सेंट्रलाइजिंग टेंडेंसी एवार जनिंग्स साहब के कोट हमने कई बार देखे हैं कई बार हमने पढ़े हैं हमारा संविधान जो है वह लार्ज नंबर ऑफ यूनिटरी और नोन फेडरल फीचर्स लिए बैठा है जैसे क्या-क्या अभी देखें करके एक करके यह हमारे यूनिटरी यह सारे के सारे फेडरल फीचर से कम है न यह ज्यादा है न तो यूनिटरी जो फीचर है वह पहली बात तो स्ट्रांग भी दिख रहे हैं कि बड़े-बड़े फीचर है जो ज्यादा मतलब एहमियत रख रहे हैं इंपोर्टेंट है कि दो गवर्नमेंट के बीच में डिवीजन पावर कैसी होगी वह संविधान रिटन तो है दोनों के लिए सेंटर के लिए स्टेट के लिए सुप्रमेज ऑफ टो कंस्ट्रिवेशन के सेंटर हावी ना हो जाए एकदम ही या स्टेट उपद्रब ना कर दें तो दो आउसर है लोग आउस भी है जहां में जहां हमारे लोकसभा के हमारे एंपी जाकर बैठते हैं अपर हाउस है जहां पर कांसिल ऑफ स्टेट्स यहां पर हमारे स्टेट्स के एमपी बेजा जाकर बैठते हैं तो हमारा संविधान जो है कि इसी वेरे साहब ने बोला है कि क्वासी फेडरल है क्वासी मने सूडो सूडो यह ओके ठीक है सर समझ में आ गया आगे बताओ प्रोसीजरल एंड प्रिस्क्रिप्टिव यह भी एक क्लासिफिकेशन है हमारे संविधान का क्या है सर क्या होता है तो प्रोसीजरल क्या होता प्रोसीजर मने जो procedure follow करें, which follows procedure, कि तरीका क्या है, process, procedure, क्या क्या होना चाहिए, कैसे होना चाहिए, ठीक है, ओके सर, समझ में आ गया, कैसे होना चाहिए, आप definition बताओ पहले, तो ये define करता है, legal and political structures of the public institutions, कि जो, पॉलिटिक जो हमारे जितने सरकारी संस्थान है उनका कितना उनके पास कानूनी और उनका पॉलिटिकल स्ट्रक्चर कैसा होगा कौन उस पर चेयरमैन बैठेगा कौन चीफ जस्टेज बैठेगा कितने जज़ेंस के साथ होंगे कितने असिस्टेंट चेयरमैन उनके साथ हों� और लीगल लिमिट सेट करता है ऑफ द गवर्नमेंट पावर टू प्रोटेक्ट डेमोक्राटिक प्रोसेसेस एंड फंडामेटल यूमन राइट सब बात है कि अगर सरकारों के ऊपर लिमिट ना लगा है अगर सरकारों पर लीगल लिमिट ना लगा है तो भाईया फिर तो procedural constitution हमारा तै कर देता है कि सरकार की legal limit क्या है, सरकार क्या नहीं कर सकती, part 3, ठीक है, prescriptive constitution क्या होता है, which tells what it is, which tells, इसको अच्छे लग देते हैं, tells, tells what, what it is, अच्छा, it assumes, ब्रॉड कंसेंसस ओन कॉमन सोसाइटल गोल द पब्लिक ऑथोरिटीज मस्ट राइफ टू अचीव के क्या देना है तुम्हें लोगों को नागरिकों को हमारे स्टेटिजन हमारी जेंट्री को इंडियन सिटिजन्स को कि आपको क्या मुहया कराने की जब्मेदारी दी गई है कि हमारा प्रेस्क्रिप्टिव को यह बताएगा कि हमारे जितने भी हमारे जितने यह सरकारी तंत्र है इतने प्लेट ऑफोरिटी है जितनी हमारे यह जो अ प्रादिकरण है डेविलपमेंट बोर्ड है काउंसिल है इन सब के पास सरकारों के पास क्या ऐसे कुछ गोल तै है कि नहीं इनके पास कुछ ऐसे एम इनके सामने है कि नहीं कि क्या करना है करना क्या है इपीएसपी करने पार्ट फॉलो करना है साथ ही हमें यह करना है कि साथ लोगों का उठान हो लोग भूखे ना सोए लोग हमारे वनस्पति हमारे जितने हमारे बन संपदा है उसका हमें पहली हमें उसको बचाकर रखना है तो यह सारी चीजें हमारा संविधान कहता है कि आपको यह करनी करनी है तो यह यह बताता कैसे करनी है यह बताता कि क्या करनी है दोनों में डिफरेंस हो गया यह भी हो गया हमारा संविधान में दोनों फीचर है नाउ कम्स कंस्टिट्यूशनलिजम एंड कंस्टिट्यूशनल गवर्नमेंट इसका मैं आपको एक बहुत सरल भाषा में मतलब बताऊंगी क्या होता है जैसे मान लो आप यूमानिटी यूमानिटी है और यूमन यूमन, तो अगर मैं बोलूं कि मैं एक मानव हूँ, हाँ ठीक है सर आप मानव हो, पर क्या मैं मानवता हूँ, नहीं, मैं मानवता को फॉलो कर सकता हूँ, ठीक है, मैं एक मानव होके, एक इंसान होके, मैं इंसानियत को फॉलो कर सकता हूँ न, तो constitutionalism का मतलब हुआ, वो feature, व humanity and constitutional government is simultaneous to human आया समझ मैं ठीक है इंसान इंसानियत कि मानव मानवता फर्क समझ में आ गया क्या होता है कि क्या फॉलो करना है और कौन फॉलो कर रहा है बस यह समझ यह समझना है तो यह क्या कहना चाहिए सर हम यह कहना चाहिए कि देखो दोनों में फर्क यह होना यह दिखता है कि यहां पर दिखता है कि कहीं कहीं ऐसे देश हो सकते हैं देख रहा दोनों की फोटो समझ आगे कौन से देशों की रही है तो ऐसे देश हो सकते हैं जहां पर भले ही संविधान तो है कॉन्सिल्यूशन तो है पर वहां पर संविधानिकता नहीं है वहाँ constitutionalism है ही नहीं, वहाँ इन लोगों ने कौन से ऐसे fundamental right लोगों के violate नहीं की हैं, बताओ, सब तो कर दिये इन्होंने, तो इसका मतलब है कि ऐसे देश हो सकते हैं, जहां भले ही सम्विदान हो, वो सम्विदान भले ही लोगों के मन मरजी से नहीं बन रहा हो, वो सम्विद एक तानाशाही जहां पर डिक्टेटर्स का वर्ड इस द लॉ जहां डिक्टेटर जो बोलते हैं वही कानून है यह कैन बी सेट टू हैव एक सब्सक्राइब लगा दिया था लोगों को इतने चेहरों जूस को मार दिया था इन्होंने तो क्या यह इनके पास और Constitution में, next पे आते हैं हम जब Constitutionalism recognizes the need for government with power but, but at the same time insists that limitation should be placed on those powers, कि Constitutionalism सम्वधानिकता ये बता देती है कि हाँ हम मान रहे हैं कि एक सरकार की जरूरत है जिसके पास power हो, पर साथ ही साथ हम उस power पे थोड़ी सी limitation लगाएंगे, ताकि unlimited power ना हो जाए, जिसकी वज़े से authoritarian, oppressive government पैदा ना हो कि जैसे पिछली फोटो आई थी पीछे जहां पर एक नीचे फोटो आई थी जहां पर मैंने बताया था एक मौलाना जी की फोटो लगी हुई है तो उनके देश में क्या हो रहा है उनके देश में अनलिमिटेड तानाशाही चल रही है वह जो साहब है पर पैदा हो गई है एक तानाशाही सरकार एक ऐसी सरकार जो आप जो ऑपरेशन कर रही है लोगों का वहां की जनता है वहां के लोगों का तो वह चीज कभी ना हो पाए कंस्टिटुशनलिजम यही रखना इसका रहा है कि हां एक सरकार होने की जरूबत है, yes, सरकार होनी चाहिए, with powers, but powers का एक limit होनी चाहिए, unlimited power नहीं होनी चाहिए, तो constitution of a country imposes limitation upon the governmental power only when a country have not only constitution but also constitutionalism, एकी meaning की दो बाते हैं, हमारे सम्विधान जो भी होगा किसी भी country का, वो limitation लगाता है सरकार पे और तब लगाता है जब देश में, सम्विधान भी ना हो सम्विधान हो साथ ही सब्सक्राइब तो यह फर्क तीसरा देखो पॉलिटी गवर्न बाय ऑफिस ट्यूशन डाइट एंशॉर्स लिमिटेड गवर्नमेंट एंड रूल ऑफ लॉ पहले बार तो मैं समझ में आ चुका है कि लिमिटेड गवर्नमेंट सरकार सुपरवाइस करे और सरकार गाइडलाइन दे पर सरकार बीच में उसके सिस्टम चलाए नहीं हर समय तो लिमिटेड गवर्मेंट होनी चाहिए और रूल आफ लॉ यह आपको पता ही है एवी डाइसी सहाब का कोट है यह एवी डाइसी सहाब का जिकर कर देना जब भी क� यह सारे तानाशाही वर्ड के मतलब हैं अलग-अलग आर्बिटरी ने कैसा भी कभी भी कुछ भी लगा दिया किसी ने सजा करी यह भी किसी ने चोरी करी उसको सजा ऐसी दे दी किसी ने चोरी करी सजा उसको अलग दे दी तो यह व्लोग अलग अनुसार डिस्पोर्टिक वर्लव एकदम बावलेपन की कानून मन रहा है कुछ भी बन रहा है और थोरिटेरियन एकदम तानाशाही हो रही है और थोरिटी चल रही है कि आदमी की और टोटालिटेरियन मतलब टोटल पावर जो नेसेसरीली बीट डेमोक्राटिक गवर्मेंट डेमोक्राटिक माने वह लोकतांत्रिक सरकार होगी भले ही सरकार कितनी भी स्ट्रांग हो सरकार के बाद मेजॉरिटी बहुत हो पर वह सरकार लोकतांत्रिक होगी पांच साल में गद्दी से तो यह है Constitutional Government फॉलो करती है और जो real justification of the constitution finds place in having a limited government, question जो PYQs आए हैं, वो इसी phrase के उपर आए हैं, limited government के उपर, and of requiring those who govern and conform to the rules and laws, कि constitution का real justification वही मिलता है, जब government limited हो, और require करे, those who govern and conform to the laws and rules, कि वो Constitution उसी की सुनेगा जो confirm करता है, जो मतलब बात मानता है, rules की, laws की, guidelines की, proper कानून की जो बात मानेगा, उसको हम बोलेंगे कि हाँ, यह government है भी, इसको हम recognize करते भी हैं, और यही government rules and laws को follow भी करेंगे, limited भी रहेगी. अब constitutional government की कुछ definitions दी गई हैं, Casey Varey साहब ने दी है, Rusek साहब ने दी है, इसके अलावा Carl Frederick ने दी है, और SP Ibema ने दी है, आगे देखेंगे उनको. तीनों चारों ने जैसी जैसी definition दी है इस किताब में, इनोंने अपने पहले तो अपने अपने किताबों में लिखी हुई definition, हमारी इस किताब में इन definitions को उठा के डाल दिया गया है, कुल मिला के सारी definitions का मतलब एक ही ले, बले ही आप एक definition लिख दो, आप नाम extra लिख देना, कि और साथ ही S P इबेमा ये इंडियन वर्ड नहीं है बाहर के वर्ड है ये सारे के सारे ये सारे जितने भी हैं तीनों चारों पाँचों ये सब के सब एलियट साब को भी जोड लो इसमें और सर इवार्जनिंग्स को भी जोड लो इसमें लीगल स्कॉलर्स हैं इनके पास बहुत जादा लीगल ज्यान है तो इन लोगों की बातों को हम मानते हैं तो ये सब भी कहते हैं कि सहब यह एक है सेट ऑफ सेट ऑफ कॉन्स्ट्रेंट्स कॉन्स्ट्रेंट्स हमारे एक सरकार के ऊपर कॉन्स्ट्रेंट्स ऑन गवर्नमेंट ऑन रूलिंग ऑन रूलिंग पार्टी ठीक है सर ओके इन्होंने क्या बोला इन्होंने बोला कि जो कॉन्स्ट्रेंट्स इस एंटी थेसिस थेसिस टू आर्बिट्रेडी पावर सर क्या लिख रहा है वह समझ में आ नहीं रहा है तो इसका मतलब क्या है कि जो कॉन्टीशन सरकार होगी जो सम्मेधानिक सरकार होगी वह एंटी थेड वह एंटी थेड होती है तो उसके एंटी थेड कौन सी होगी जो है जो है वह आर्बिटरी सरकार के अगेंस्ट होती है, आर्बिटरी रूल के अगेंस्ट होती है, रूल, गवर्मेंट, कुछ भी लिख लो, अब पीछे चलो एक बार, केसी वेरे साहब ने क्या बोला, इन्होंने बोला, जो कॉंसिट्यूटल गवर्मेंट है, इस मीन्स सम्थिंग मो तो तीनों चारों ने मिल-मिला के एक ही जैसी बात बोली है पर अपने शब्दों बोली है इसलिए लगता कि ओह तीर अच्छी बाता है तो इट मींस गवर्नमेंट लिमिटेड बाय थे टर्म्स ऑफ ऑन्सट्यूशन नॉट गवर्नमेंट लिमिटेड ओनली वाइड डिजाय जो संविधान ने जो टर्म्स दिये हुए हैं वो उनसे लिमिट हो जाएगी वो उनकी वजह से थोड़ी सी लिमिट में रहेगी और इसके अलावा वो ऐसी नहीं होगी कि जो लोग रूल कर रहे हैं वो कुछ भी अपने मन मर्ची से कुछ भी कर लें उनके उनके डिजायर है क limited government ही होती, constitutionalism now, it is the antithesis of government by the unrestrained will of rulers regardless of the actual form of effectiveness of restraints, it assumes limitations on government as opposed to arbitrary government, same बात same to same बात वही बोल रहे हैं कि सहब, जब भी limited government की बात होगी वो better है, वो opposite है to the arbitrary rule, to जो भी मतलब एकदम बेखौब, बेलगाम एकदम कि किसी भी मनमर्जी की सरकार से ज्यादा अच्छी होती है लिमिट गवर्नमेंट कंस्टिट्यूशन ठीक है, यह दोनों चीज, तीनों चीज हम समझ गए, नाउ कम्स, ऐसे elements क्या क्या हैं, जो constitutionalism का part बनाते हैं, तो Louis Henkin साहब ने हमें कुछ ऐसे point दिये, आठ point है, क्या दिया इनोंने, कि popular sovereignty होनी चाहिए, popular महने public की, तो public supreme है, जनता supreme है, we the people, हमने बना के भेजी है, जो source of authority है constitution क आफ गवर्नमेंट इस क्रिएटेड एंड सस्टेंड बाय द कंसेंट ऑफ इट्स पीपल जब हमने वोट देकर हमने अंगूठा लगाया हमने अपनी उंगली पर स्याही लगाई तब हमने उस सरकार को वहां भेजा और हमने कहा कि पांच साल के लिए हम तुम्हें रहे हैं हमारी कंसेंट है आपके साथ आप जाओ और हमारे रेप्रेसेंटेटिव बनकर चुनकर भेजेगा यह प्रेटिव बनकर हमारे लिए काम करो ठीक है हमारे ऊपर राज मत करो हमारे लिए जाकर काम करो और हम ही है जो सोर्स ऑफ ऑल पॉलिटिकल पावर है हमीं से है वी द पीपल बस यह जान लो रूल ऑफ लॉग क्या है रूल ऑफ लॉग क्या होता इसमें तीन फंडामेंटल प्रिंसिपल फिर आगे वही सारे तो एविड आईसी साहब का जो कोड था यह रहा यह बेसिक फीचर होता है कंस्टिटूशन का और इक्वालिटी आपको एक पूर्व सबको इक्वल इक्वल है लोग बिन कानून की नजर में कानून बले अंदा है इसलिए अंदा है ताकि सब बराबर है उसके लिए कोई ज्यादा गोरा-काला कुछ नहीं उसके लिए कोई अमीर-गरीब नहीं उसके लिए कानून के लिए सब इक्वल है सब बराबर है तीसरा जो हमारे यह नहीं है तो पर एविड आईटी साहब क्योंकि वहां के जो individual rights हैं, fundamental rights हैं, इनको बोला गया है कि साब ये primacy है, अगर आप इसको सर्वोपरी मान रहे हो, तो आपको मिल जाएगा कुछ rule of law, मिली जाएगा, देखना आप, तो हमारे यहां क्या हुआ, हमारे यहां जो सम्विधान है, that is the source of individual rights, हमारे यहां तीसरा part not in India लगता है, not in India, पांच चल बाद लग जाए कोई बड़ी बात नहीं है तो लेकिन हमारे यहां ऊपर के दोनों पार्ट लगते हैं तीसरा वाला नहीं लगता तीसरा वाला लेकिन रूल ऑफ लॉग का पार्ट बनता है क्या है इस पर फिर से बताऊं इंडिविजुअल बात कर रहे हैं हम रूल ऑफ लॉग की बात कर रहे हैं तो यह चीज हमारे इंडिविजुअल राइट्स जो है वह सोर्स अब बनते हैं कॉंस्टिट्यूशन इन यूज के हमारे यहां जो कॉंस्टिट्यूशन है वह सोर्स बनता है इंडिविजुअल चीज कर ठीक है हमारे संविधान को एमिफ दी गई है संविधान को वापस बोला है कि सर्वोपरी है बेस्ट है सबसे गवर्नमेंट जब सरकार डेमोक्राटिक होगी लोकतांत्रिक होगी तो वह सरकार रिस्पॉंसिबल होगी किसको पार्लेमेंट को किसको जनता को कोड आफ पीपल में अ कोट ऑफ पब्लिक में जनता की भाई जनता की भले ही उसके पास कोई आवाज ना हो पांच साल तक पर पांच साल बाद जब सरकार गिरेगी और सरकार में जब लोग सभा भंग होगी तो उसके बाद यह तो उसके बाद यह सारे MPs वापस चढ़क पर नहीं है हमारे सामने रैली करेंगे और हम से वोट मांगेंगे तो हम एक कोट ऑफ पब्लिक उपीनियन में तो इनकी एहमियत है कोट ऑफ पब्लिक उपीनियन मतलब क्या हुआ यह कि जनता देखती सब है अ बल्ली भूल भी जाती है बल्ली याद नहीं रखती है जो भी है पर जनता देखती सब है उसको सब दिख रहा है कि क्या हो रहा है क्या नहीं हो रहा है तो जनता की नजर में एक सरकार जो डेमोक्राटिक है जो सरकार लोकतांतरिक है वो रिस्पॉंसिबल है टू बोथ टू प तो हम यह कर रहे हैं एक अपनी उपीरियंट फॉर्म कर रहे हैं एक अपनी कंस्टेसन बना रहे हैं हम लोग आपके जर्ज करने नहीं सरकार को इसने नहीं करना चाहिए यह सरकार को यह करना चाहिए था यह नहीं करना यह ऐसा और तो अच्छा रहता तो मतलब हमने गोबिन मना ली तो सरकार अकाउंटेबल होगा हमारी नजरों में बल्ली हम उसको उसके पर अगले पांच लेंगे और पावर पावर लगाता है तीनों पर अपनी सपरे पावर है ठीक है यह यूएस के पब्लिक स्ट्रक्चर की फोटो है पॉलिटी स्ट्रक्चर की फोटो है इसमें वाइट हाउस भी है इसमें कैपिटल हिल भी है इसमें हमारे यह जुड़ीशरी भी है तो एक सेपरेशन ऑफ पावर लगी हुई है जब हम जब हम एक एलिमेंट देखते ह वह दोनों को चेक कर रहा है और जो एग्जेक्टिव है जो कार्यपालिका है वह चेक की जाती है थूं पार्लेमेंट पार्लेमेंट के कोई काम जुड़ीशरी चेक करती है जुड़ीशरी का कोई भी गलत फैसला होगा पालिमेंट पर पलट देगा तो मतलब तीनों के परलेमेंट की गुलाम बन गई तो फिर तो गेम ओवर तो काम ग़तम फिर तो कोई नहीं होने की जब कोड में कि सजा मिलेगी नहीं कातिल को तो कोड जाएगा कौन यह बात सिविलियन कंट्रोल ऑफ मिलिटरी समझना है हमारी जो मिलिटरी होनी चाहिए वह सिविलियन कंट्रोल में होनी चाहिए हमारे जो मिलिटरी का सबसे बड़ा कमांडर होता है वह कौन होता है जो होता है वह सिविलियन होता वह ऐसा नहीं है कि हमारे मिलिटरी कंट्रोल है ऑफ सिविलियन उस देश ने वह आज तक बुखती रहा है अभी तक आगे भी बुखते गा वो तो ह���ारे यहां मिलिटरी के ऊपर जो सुपीम कमांडर बैठता है वो एक सिविलियन है है ना समझ में आ गया ना कौन है वो सिविलियन बताना मुझे अगर पता जा गया तो पुलिस गवर्ण बाय द लॉ एंड जुडिशल कंट्रोल अगर पुलिस लॉ से नहीं चलेगी तो भाई पुलिस कर क्या रही है फिर तानाशाही करेगी पुलिस फिर पुलिस जगड़ा क लॉ को implement करवाने के लिए जो लॉ तोड़ेगा उसको सजा देने के लिए है और judicial control में रहेगी यह नहीं कि third degree torture दे दिया थाने में मार दिया पुलिस कशड़ी में मर गया नहीं ऐसे नहीं होना चाहिए पुलिस एक governed होनी चाहिए through law, through CRPC, through CPC through IPC यह चीज फिर respect for individual rights कि आप अपने अधिकारों से कभी बंचत ना हो मैं आपके अधिकारों का भी सम्मान करूंगा और मैं उम्मीद करूंगा जैसे मैं सम्मान करा हूं आपके अधिकारों का आप मेरे सम्मान आप मेरे अधिकारों का भी सम्मान करोंगे जब हम एक दूसरे के अधिकारों का सम्मान करेंगे तो हम एक अपना constitutional government constitutionalism का हम पूरा प� आप देखते हैं इनको एक एक करके, तो क्या बोला गया, 2014 का question, क्या बोला गया, कि पहले तो ये दो statement लिखी हुई है, a constitutional government is one which, कौन सी, which places effective restrictions on individual liberty in the interest of state authority, या places effective restrictions on the authority of the state in the interest of individual liberty, बताओ क्या मतलब हुआ इसका, तो इसका मतलब ये हुआ, कि एक सम्मयधानिक सरकार कौन सी होग क्या ऐसी होगी जो restriction place करती है on individual liberty in the interest of state, जो state के हित में लोगों के उपर, लोगों के individual liberty के उपर थोड़ा सा restriction बानती है, या उल्टा, जो place करती effective restriction on authority of the state, on state के authority पे जो restriction लाती है for the interest of individual liberty, समझ में आ गया होगा answer क्या होना चाहिए, क्या होना चाहिए answer इसका, इसका answer होना चाहिए, to. कि पहली सेटमेंट गलत है क्योंकि जो लिमिटेड गवर्नमेंट होगी जो कंस्टिटूशनल गवर्नमेंट होगी वह इफेक्टिव रिस्ट्रेंट प्लेस करती है अपने स्टेट के ऑथोरिटी के ऊपर काकि लोगों की लिबर्टी बनी रहे उल्टा हो सकता है उल्टा नहीं होगा इंडिविजुअल लिबर्टी के इंट्रेस्ट में स्टेट अपने ऊपर ऑथोरिटी के ऊपर एक प्रिशन प्लेस करता है अपने ऊपर कुछ ऐसे बंदन बांध कर रखता है कि मैं पूरे लोगों के अधिकारों को एकदम उड़ाना दूं तो अ करेट आंसर है ऑप्शन टू नेट इस स्टेटमेंट टू ओनली एक कॉंस्टिटूशनल गवर्नमेंट क्या डेफिनेशन क्या होनी चाहिए क्या है बाई डेफिनेशन दोस्तों इसका कॉशन है अभी आया है तो इसका करेट आंसर है या तो गवर्नमेंट वह आपको दिख गया होगा यह साफ सीधा चैप्टर बिनाई इसमें अ कि एक समय सरकार कौन सी होगी जो लिमिटेड गवर्नमें� कितने तो political scientists कहे गए कि चले गए, Casey Behrer कहे गए, और हमारे जितने Frederick कहे गए, हमारे Ibema कहे गए, हमारे Eurosec थे वो भी कहे गए, तो constitutional government means, एक और question आया आगले साल, एक back to back question, a representative government of a nation with federal structure, a government whose head enjoys nominal powers, a government whose head enjoys real powers, a government limited by the terms of the constitution, दिख गया आंसर, चमक गया आंसर, साफ आंसर है सामने, एक सम्मेधानिक सरकार वो होगी जो limited होगी by the terms of the constitution straight statement उठा ली इन्होंने एक political scientist की सीधा सीधा दो नमर ये pre के question है ये policy के question सोचो इतने आसान question है अगर आपको click कर गया concept कह रहे यार constitutional government माने सम्मेधान से लिपटी हुई सरकार सम्मेधान के बंधन में बंधी हुई सरकार बस answer आ गया सामने बाकी देखना ही नहीं है whose head enjoys real powers तो वो सम्मेधानिक होगी जो real power enjoy कर रही है बैठके बैठके पूरे अपने सारी चर्चाएं कर रही है और अपने सारे पूरे गुल मिला दी है सारे पूरे सम्विधान को वो नहीं होगी वो नहीं होगी Council Government तो यहां हमारा चैप्टर हमारा ओवर हो रहा है और इसके बाद हम next chapter पे आएंगे अगले अफते तब तक के लि