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मातृभूमि कविता का महत्व और व्याख्या
Apr 19, 2025
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मातृभूमि कविता के शब्दार्थ और व्याख्या
कवि परिचय
सोहन लाल द्विवेदी
: जन्म 100 साल पहले, अंग्रेजों के समय।
लेखनी में देशभक्ति, भारत के गौरव का गान।
अन्य चर्चित रचनाएं: 'बढ़े चलो', 'कोशिश करने वालों की हार नहीं होती'।
कविता का उद्देश्य
मातृभूमि की प्राकृतिक सुंदरता और अंग्रेजों के प्रति विरोध।
देश की समृद्धि और स्वतंत्रता के महत्व को दर्शाना।
कविता के मुख्य बिंदु
ऊंचा खड़ा हिमालय
हिमालय
: पर्वत की ऊंचाई जो आकाश को चूमता है।
सिंधु महासागर
: ह िमालय के चरणों में झूमता है।
गंगा यमुना त्रिवेणी
त्रिवेणी
: तीन नदियों का संगम (गंगा, यमुना, सरस्वती)।
नदियों की शोभा, सुंदरता और देश की निराली छटा।
पवित्र और गौरवशाली भूमि
पुण्य भूमि
: पवित्र भूमि।
स्वर्ण भूमि
: सोने जैसी भूमि।
जन्म भूमि
: जन्म स्थान।
मातृभूमि
: पूर्वजों की भूमि।
प्राकृतिक सुन्दरता
पहाड़ियों पर झरने और चिड़ियों की चहचहाहट।
आम के पेड़ और मलय पवन
अराया
: आम के पेड़ों का झुंड।
मलय पवन
: मलय पर्वत से आने वाली हवा जो तन मन को संवारती है।
धर्म भूमि और कर्म भूमि
धार्मिकता और कर्म की भूमि।
ऐतिहासिक महत्व
श्री राम, सीता, श्री कृष्ण का जन्म स्थान।
बुद्ध की भूमि
गौतम बुद्ध
: दया और ज्ञान का प्रसार।
युद्ध और बुद्ध की भूमि
युद्ध भूमि का साहस और बुद्ध की भूमि का ज्ञान।
निष्कर्ष
कवि ने अपने देशप्रेम को गहरे प्रेम और सम्मान के साथ व्यक्त किया।
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