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कहानी: सूखी डाली

अजय को हेलो हेलो फ्रेंड्स अगर से आपने मेरा चैनल अभी तक सबस्क्राइब नहीं किया है तो सब्सक्राइब कीजिए शेयर कीजिए और लाइक कीजिए हेलो हेलो फ्रेंड्स वेलकम टू माय चैनल स्टोरी स्टोरी आज हम कहानी पढ़ने वाला है उस कहानी का नाम सूखी डाली है इसके लेखक है उपेंद्रनाथ अशक्त कहानी आगे बढ़ने से पहले हम कहानियां रेफ्रेंस हो जाएंगे तो कैरेक्टर्स को दो केटेगरी में डिवाइड किए गए हैं पूर्व पुरुष मित्र और महिला मात्र पुरुष पात्रों में पहले हैं दादाजी जिनका नाम ब्रांच है घर के मुखिया थे वे अपने परिवार से बहुत प्रेम करते थे और परिवार के सब सदस्य उनका बड़ा आदर सम्मान करते थे आगे कर्म चंद जी का मंझला लड़का आगे परे परे दादा जी का सबसे छोटा अभी सब्सक्राइब कुछ और कुछ दिन पहले उसका विवाह हुआ था कि भाषी मल्लू जिनका इन कहानी में कोई ना कोई में करेक्शन नहीं आगे महिला पात्र सबसे पहले उप-राष्ट्रपति घर की छोटी बहू थी एक बड़े घर की बेटी थी अधिक पढ़ी लिखी थी चिट्ठी छोटे और मंझले भैया जी कि आगे मझली बहू जो सदा दूसरों की हंसी उड़ाने में आनंद लेती थी बात बात पर हंसते रहती थी आगे बढ़ी है कि आगे इंदू इंदू दादा जी की पोती छोटे भाई की बेटी के घर में आने से पहले हिंदू महिलाओं में सबसे अधिक पढ़ी-लिखी समझी जाती थी प्राइमरी स्कूल तक पढ़ी लिखी थी आम आदमी कैरेक्टर रजवा अ कि घर की नौकरानी जो 10 वर्षों से दादा मूलराज के घर काम कर रही थी दूसरी कैरेक्टर पारो जिसका इस कहानी में कोई मेन रोल नहीं है तो चलिए शुरू करते हैं यह कहानी यह कहानी एक संयुक्त परिवार के बारे में संयुक्त परिवार का मतलब है दादाजी भरा-पूरा परिवार है कई कई बच्चे बड़े हो चुके हैं एक-एक करके और लड़कियां कुछ अभियुक्त सब्सक्राइब बहुत अच्छी तरह जानती थी सब छोटे बड़ों का आदर करते थे एक-दूसरे की सहायता करते थे एक दूसरे से प्रेम करते थे अपने परिवार को चाहिए बरगद का पेड़ थे और घर के सदस्यों को उस वटवृक्ष कि अ हैं इसलिए वे एक भी डाली को टूटने नहीं देना चाहते थे दादाजी पेड़ के पेड़ की डालियां के टूटने के बारे में सोचकर सिहर उठते थे शहर का मतलब है शेयरिंग दिन के बाद फैट यह छोटी बहू के घर की नौकरानी थी उसे काम से निकाल देते कारण यह था कि अनुसार को साफ करने तक पता नहीं है है अजवाइन बैठक के बाहर खड़ी रो रही थी हिंदू ने कारण पूछा और सारी बातें जानने के बाद वह अपनी छोटी भाभी यानि के अबेला के पास जाती है ताकि वह बिल्कुल समझा सकें लेकिन इंदौर के बीच बहस हो जाते भव्य नियुक्त होने चाहिए कर लेने से आता है जैसे कि सिर्फ सब्सक्राइब नहीं होता उसकी बनावट सजावट कोई चीज होती न जाने तुम लोग किस तरह पहाड़ अनुकरण से गुजारा कर लेते हो तो ऐसी गौरव मिश्रा ने दो दिन छोड़ दो घड़ी बीच इस बात को लेकर इंदौर में झगड़ा हुआ इन बातों को भी पर क्रोध आया थोड़ी देर बाद जब बड़ी बहू के पूछने पर इन दो बड़ी बहू को सारी बात बता दी तब छोटी भाभी यानि कि सब्सक्राइब और से पूछते क्यों क्या बात हुई कोई भी बात कहते कहते कहते हैं तभी वहां आते हैं और छोटी भाभी कहने लगी छोटी बहू ने उसे काम से हटा दिया इतने बरस हो गए की सेवा करते थे तभी किसी ने इस प्रकार का अनादर अपमान नहीं किया तो अपने पास ही रखे हैं आज से उनका कोई काम नहीं करूंगी फिर भी नियुक्त और किसी को कुछ समझते ही नहीं छोटी भाभी चिंता से कहते हैं कि कैसे चलेगा तभी मछली बहु मार सहते हुए प्रवेश करते हैं और बड़ी भाभी प्रवेश करते हैं सब लोग के कारण बताने लगती है कि वे कहते हैं कि वह ऊपर सामान्य आदमी गई थी और उन्होंने परेश और छोटी बहू यानि की बेला के बीच हो रही बहस और झगड़े के बारे में सुना झगड़े का कारण यह था कि छोटी बहू ने अपने कमरे का सारा फर्नीचर निकालकर बाहर रख दिया कि वह अपने पति पर स्थित कहते हैं कि मैं इन टुडे फॉर मिर्च अपने कमरे में नहीं रहने दूंगी परेश के बहुत कहने पर भी वह उसकी बात को नहीं मानती है और प्रेशर कहते हैं कि इस मॉडल फर्नीचर से तो नीचे धरती पर चटाई बिछाकर बैठ नाले इतना अच्छा है और अपने माइके के बड़े-बड़े कमरों और उनके फर्नीचर की तारीफ करने लगती है बेचारे भीगी बिल्ली बने दादाजी के पास चले गए मछली बहु यह सारी बातें बताकर फिर हंसने लगती है और आगे कहते हैं जवान है छोटी बहू की या कतर में गन्ने का मतलब है कि चैसिस आज अब अंग्रेजी बोलने लगती है तो कुछ समझ में ही नहीं आता पर एक बेचारा अपना सा मुंह लेकर रह जाता है जाने तहसीलदार कैसे बन गया कचहरी में होंगे तहसीलदार घर में तो अपराधियों से भी गए बीते हो जाते हैं हंसते हैं हिंदू और बड़ी बहू भी हंसते हैं कहानी में राशि बरामदे में बैठ कर आराम कर रहे थे और हुक्का पी रहे थे उनका लड़का कर्म पास बैठा रहा है उन्होंने कहा कि अब स्किन अधिक कि छोटी बहू आप नियुक्त होना चाहते हैं उसके मन में दर्द की मात्रा कुछ ज्यादा अघ्ययन मैंने जो कमल धुन और गायकी के अभियुक्त थे वह उसे पसंद नहीं अपने क्वेश्चसं घराने से बड़ा समझते हैं और सुनाओ श्रीनगर से देखती है तो कर्मचंद वहां से चला जाता है पर एक लाल मिर्च नजर के प्रवेश करता है दादाजी को अपने पास बुलाकर पर अपने दादा से कहता है कि इस घर में मन नहीं लगता उसे कोई पसंद नहीं करता सब्सक्राइब और शिकायतकर्ता सब्सक्राइब कहते हैं कि मेरा अपमान करते हैं सब मेरी हंसी उड़ाते हैं मेरा समय नष्ट करता है करते हैं तो ऐसा महसूस होता है कि युव्वराज में आ गई है शीघ्र ही अपनी अलग रहते हैं उसे कोई रोकने वाला ना हो आप चाहते हैं कि यह वाला मकान मिल जाए तो वह सुख और शांति पर इसकी कि सुनने के बाद दादा की परीक्षित से कहते हैं कि उनके जीते जी यह संभव है क्योंकि दादाजी अपने परिवार को बरगद का पेड़ मानते थे और परिवार के सदस्यों को पेड़ की डालियां वो कभी बर्दाश्त नहीं कर सकते कि एक पेड़ टूट कर अलग हो और सब्सक्राइब करें सब्सक्राइब कोई तुम्हारे पति का तिरस्कार और समय नष्ट न करें मैं कोई ना कोई को विश्वास दिलाते हैं कि अपने आपको प्रयोग में गहरा अनुभव ना करेगी और वहीं जब स्कूटर और नियुक्त अपने घर पर आप था मान कर चला जाता है बहुत सोच-विचारकर नियुक्त छोटी को छोड़कर परिवार के सभी सदस्यों को बुलाया और सबसे कहते हैं कि छोटी बहू को वहीं आदर सम्मान मिले तो उसे अपने घर में पीठ घर से आई है और अत्यधिक बड़ी इच्छा है कि सब्सक्राइब भी उसे पढने-लिखने सब्सक्राइब सब्सक्राइब करें और उसकी हंसी उड़ाने सब्सक्राइब लेकिन इन दो और नींबू को कुछ और कहते हैं दोनों को थोड़ा और सब्सक्राइब करने का आदेश करते हैं और कहते हैं कि उनकी चाहिए सब साथ साथ को प्ले पूरे जीवन की सुगंध शीतल वायु के परिसरों में और संस्थाएं पेड़ से अलग होने वाले डाली की कल्पना ही मुझे फ्राइडे दाना और समझाने के बाद घर के सदस्यों के प्रति व्यवहार बदल जाता छोटी जो थोड़ी देर पहले बेल्ट स्थिति युसूफ मिर्च अपने कमरे से निकाल दिया था और रविवार को काम से हटा दिया था अब ज़िले के पास आकर उसे कहते हैं कि तुमने जो किया अच्छा किया और सब्सक्राइब अपने-अपने पसंद आ सामान खरीद ले खरीद में को कहते हैं सब्सक्राइब और सब्सक्राइब करें कर दो कि आगे कहानी में मंझली बहू घर के पास घटी एक घटना के बारे में हिंदू पारो बड़े बहू और मछली भाभी से जोर-जोर से हंसते हुए कहते हैं कि किस तरह मालवीय ने रसोई की सारी की सारी छत पावड़े से खोद डाली दरअसल मालवीय को लगा कि इस घर में कोई आने वाला है इसलिए उसका विरोध जताने के लिए सिर्फ दो-दो ही घंटे पहले मजदूरों तथा राज्य में जो छत डाली थी मालवीर वित्त मंत्री महमूद देखते रह गए उनके आने तक अंतिम भी उखड़ चुकी थी तभी वहां आते हैं उसे देखकर सब एकदम चुप हो जाते हैं बंद कर देते हैं सन्नाटा छा जाता है सबको यह लगा कि उनके अपने से छोटी बहू के पढ़ने लिखने में सब वहां से उठकर अपने काम करने से घर के सदस्यों भी बदला हुआ व्यवहार अच्छा नहीं लगता उसे ऐसे लगता है जैसे कि वह अजनबी लोगों में आ गई है बेला में पति परमेश्वर से उसे मायके भेज देने को कहते हैं जब परेशानी का कारण पूछा तो परिवार वालों के बदले हुए व्यवहार के बारे में कहते हैं चाहते हो तो सब खड़ी हो जाते हैं और चेतक मेरे सामने कोई हंसता है कोई मुझसे अधिक समय तक बात नहीं करना चाहता सब्सक्राइब और मुझे को हाथ नहीं लगाने में काम करने लगे तो सब सब्सक्राइब तो करते हैं जैसे मैं इस घर में सबसे बड़ी हूं पर सब्सक्राइब नहीं हुआ था कि महिला को क्या चाहिए पहले फैला कहते थे कि कोई उसका आदर नहीं करता उसे सब्सक्राइब करना पड़ता है लेकिन आप सब उसका आदर करते हैं और संभोग करते हैं पर इस गुस्से में आकर वहां से चला जाता है बहुत दुखी हो जाते हैं और रोने लगी रोते हुए हिंदू हिंदू विश्वविद्यालय बात कहते हैं कि चीन में सारे परिवार को कहा और समझाया कि सब दूर करें और सब्सक्राइब करें अब स्कूल ना आश्चर्य से कहते हैं कि उन्होंने यह सब क्यों कहा मैंने कभी से इस बात की शिकायत नहीं कहते छोटे दादाजी को अफसर यह बात समझ में आती हैं उसे अपनी गलती का एहसास होता है और कहते हैं कि वह आदर नहीं चाहते हैं वह तो सबके साथ मिलकर काम करना चाहते हैं और कहते हैं कि तुम लोगों ने मुझे गलत समझा और मैंने आप लोगों को अब मैं तुम्हारे साथ सब्सक्राइब करना ना भूलें और सब्सक्राइब दूध को देख कर घबरा जाती है और कहने लगे कि सब्सक्राइब था कपड़े धोने को प्रभावी नहीं दादा को अपने पास बुलाकर कहते हैं कपड़े धोने तुम्हारा काम नहीं कर फिर घबराहट से कहने लगी कि उसने कहा था कपड़े धोने को पता भी नहीं चला अपने आवास में डाला जिसे कहते हैं आप अपने से किसी डाली काटकर अलग होना पसंद नहीं करते पर क्या आप यह चाहेंगे कि पेड़ से लगी लगी वह डालनी शुरू कर मुरझा जाए और यह कहानी समाप्त होते हैं अ [संगीत]