डायरी का एक पन्ना - लेखक सीताराम सेकसरिया
मुख्य विषय:
लेखक सीताराम सेकसरिया द्वारा लिखी गई संस्मरण का नाम 'डायरी का एक पन्ना' है। इसमें 26 जनवरी 1971 को कोलकाता में मनाए गए स्वतंत्रता दिवस का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया गया है।
स्वतंत्रता दिवस का इतिहास:
- भारत में पहली बार स्वतंत्रता दिवस 26 जनवरी 1930 को मनाया गया था।
- 1971 में कोलकाता में स्वतंत्रता दिवस को मनाने के लिए पूर्ण तैयारी की गई थी।
- सिर्फ प्रचार में ₹2000 खर्च किए गए थे और लोगों के घर-घर जाकर जागरूकता फैलाई गई।
स्वतंत्रता दिवस 1971 की तैयारियाँ और आयोजन:
- बड़े बाजार के बीच-बीच में मकानों और घरों पर तिरंगे फहराए गए।
- पूरे कलकत्ता में झंडे लगाए गए जिससे ऐसा लगा जैसे पहले कभी ऐसी सजावट नहीं हुई।
- पुलिस ने अपनी पूरी ताकत से पहरा दिया, और घुड़सवारों का भी प्रबंध था।
- सुबह 6 बजे से पुलिस ने स्मारक के नीचे जहाँ सभा होने वाली थी, उस जगह को घेर लिया था।
महत्वपूर्ण घटनाएँ और गिरफ्त ारियाँ:
- श्रद्धानंद में क्रांति विद्यार्थी संगठन मंत्री को गिरफ्तार किया गया, मंत्री हरिश्चंद्र को झंडा फहराने से पहले गिरफ्तार किया गया।
- मारपीट में 24 लोगों के सिर फट गए।
- गुजरात विकास संघ के जुलूस में कई लड़कियों को गिरफ्तार किया गया।
- मारवाड़ी बालिका विद्यालय की लड़कियों ने 11 बजे झंडा फहराया।
- जगह-जगह उत्सव और जुलूस के फोटो खींचे गए।
- पूर्ण दास और पुरुषोत्तम राय को गिरफ्तार किया गया।
- इस्त्री समाज ने भी अपना जुलूस निकाला।
पुलिस कार्रवाई और संघर्ष:
- दोपहर 3 बजे से मैदान में भीड़ जमा होने लगी।
- सुभाष चंद्र बोस के आगमन के बाद पुलिस ने जुलूस निकालने वालों पर लाठियां चलाई जिससे कई लोग घायल हुए।
- सुभाष बाबू पर भी लाठियां चली और वह जोर से वंदे मातरम बोल रहे थे।
- स्त्रियों ने स्मारक की सीढ़ियां चढ़कर झंडा फहराया जिससे पुलिस ने बहुत मारा।
- स ुभाष बाबू को हिरासत में ले लिया गया।
- स्त्रियों का जुलूस पुलिस द्वारा तोड़ दिया गया और उन्हें लाल बाजार भेज दिया गया।
परिणाम और निष्कर्ष:
- कुल 15 स्त्रियों को गिरफ्तार किया गया जिन्हें बाद में छोड़ दिया गया।
- कोलकाता वासियों के लिए यह दिन अनोखा और ऐतिहासिक था।
- अनुमानतः 200 लोग घायल हुए और कई गिरफ्तारियाँ हुई।
- कोलकातावासियों ने यह संदेश दिया कि उनके यहाँ अन्याय नहीं हो सकता।
निष्कर्ष:
लेखक ने इस संस्मरण में 26 जनवरी 1971 को कोलकाता में हुई घटनाओं का विस्तृत वर्णन किया है और कैसे वहाँ के नागरिकों ने पुलिस और अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाई।