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सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग की जानकारी

Sep 16, 2024

सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग की परिभाषा और विकास

सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग की परिभाषा

  • सिस्टमेटिक और डिसिप्लिनेड एप्रोच:
    • सॉफ्टवेयर विकास के लिए एक चरणबद्ध और नियमों का पालन करते हुए कार्य करना।
    • काम में नियमितता और नियमों का पालन महत्वपूर्ण है।
  • कोस्ट इफेक्टिव:
    • तकनीक का चुनाव इस तरह से किया जाना चाहिए कि बजट के भीतर काम हो सके।
  • टाइम कंस्ट्रेंट:
    • समय भी एक महत्वपूर्ण पहलू है।
  • एप्रोच:
    • सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग केवल कोडिंग नहीं है, बल्कि इसमें डिजाइन, कार्यान्वयन, परीक्षण, रखरखाव और उत्पाद की डिलीवरी शामिल है।

इंजीनियरिंग एप्रोच

  • इंजीनियरिंग एप्रोच का मतलब है कि आप हर चरण को एक-एक करके पूरा करते हैं।
  • उदाहरण:
    • ब्रांडेड बनाम नॉन-ब्रांडेड उत्पादों के बीच का अंतर।
    • ब्रांडेड कंपनियां सभी चरणों का पालन करती हैं, जबकि नॉन-ब्रांडेड कंपनियां आमतौर पर केवल निर्माण और डिलीवरी पर ध्यान देती हैं।

सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग का विकास

  • 1945-1965:
    • सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग की अवधारणा का उद्भव।
    • द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सॉफ्टवेयर विकास की शुरुआत।
  • 1965-1985:
    • सॉफ्टवेयर संकट की अवधि।
    • 2% से कम सॉफ्टवेयर सफल रहे, क्योंकि केवल निर्माण और डिलीवरी का पालन किया गया।
  • उदाहरण:
    • IBM का OS 360, जो कि एक विफल परियोजना थी क्योंकि कोई संरचित डिज़ाइन नहीं था।

सॉफ्टवेयर संकट

  • सॉफ्टवेयर संकट का कारण:
    • बजट और समय की बाधाएँ।
    • कई परियोजनाएँ समाप्त हो गईं या विफल रहीं।
  • तथ्य:
    • 100 में से केवल 2 सॉफ्टवेयर उपयोग में आए।

इंटरनेट और समकालीन विकास (1990 के बाद)

  • मोबाइल सॉफ्टवेयर का विकास:
    • सॉफ्टवेयर अधिकतर मुफ्त हो गए हैं।
  • एआई और मशीन लर्निंग:
    • सॉफ्टवेयर में आत्म-सीखने की क्षमता।

निष्कर्ष

  • सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग के विभिन्न पहलुओं को समझने के लिए यह जानकारी महत्वपूर्ण है।
  • कॉलेज और यूनिवर्सिटी के परीक्षाओं में इस पर चर्चा की जा सकती है।

धन्यवाद!