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अंतरिक्ष यात्रियों की पृथ्वी वापसी की चुनौतियाँ

दोस्तो आपने सुना होगा कि अंतरिक्ष यात्रियों के अंतरिक्ष मिशन में जो सबसे बड़े अकस्मात होते हैं वो पृत्वी के वातावरण में वापस लोटने के दोरान ही होते हैं अंतरिक्ष में गया हुआ सफल से सफल मिशन भी तभी सफल माना जाता है जब वो पृत्वी पर वापस लोटाएं कोई अंतरिक्ष यान या एस्टरनोट्स का स्पेसक्राफ्ट सही सलामत बच पाएगा या नहीं इसे तय करते हैं पृत्वी के वायू मंडल में प्रवेश करने के बाद के कुछ चंद मिनिट्स तो दोस्तो ऐसा तो क्या है पृत्वी के वातावरण में जो सबसे सफल मिशन को एंटर होने के बाद फैल करने की क्षमता रखता है चले जानते हैं इस बात को दनौलेज के आज के इस वीडियो में मैं हूँ हितेशकरी कोसाई आप है हेल्टी और साइंटिफिक ज्ञान से पर एक चैनल तर नौलेज पर और अगर आप यहाँ पर नए हैं तो हमें सबस्क्राइब जरूर करें बिकोस इस दुनि जब अंतरिक्ष यात्री इंटरनेशनल स्पेश टेशन से या अंतरिक्ष से अपना मिशन परिपूर्ण करकर वापस पृत्वी पर आ रहे होते हैं, उस वक्त पृत्वी के वायू मंडल में वापस लोटने के दोरान अंतरिक्ष यात्रियों या उनके स्पेश क्राफ्ट को चले दोस्तों इसे एक बहुत ही आसान एक्जांपल से समझाता हूँ। मानो के आप अभी एक खड़े हुए बाइक के उपर बैठे हुए हो। तो क्या आपको हवा मैसुस होगी? जी नहीं। लेकिन जब आप रफतार से चलते हुए बाइक पर बैठे होगे, तब मैसुस होगी ही होगी तो दोस्तों यहां पर मार्क करने वाली बात यह है कि बाहरी वातावरण में तो अभी छोटा सा भी बदलाव नहीं आया है आप उसी रोड पर उसी एटमस्फीयर के बीच हो लेकिन जब आप बैठे थे तो आपको हवा मैसुस नहीं हुई पर जब आप बाइक पर चलने लगे तो आपको हवा मैसुस होने लगी और जब आप और ज्यादा रफ्तार से चलोगे तो आपको और ज्यादा हवा का अवरोज छेलना पड़ेगा अब ऐसा क्यूं? तो दोस्तों हवा का एक ध्रव्यमान होता है और हवा के अंदर भी कई सारे गैसिस मौजूद होते हैं और इस गैसिस के अडू यानिकी उनकी रेणू हवा में होते हैं और जब हम खड़े रहते हैं तब तो हमें हवा में मौजूद इस गैसिस के अडू मैसूस नहीं होते हैं। लेकिन जब हमारी स्पीड बढ़ती है, ये अडू हमारे शरीर से टक्राने लगते हैं। और हमारा शरीर उसे साइड में फैक देता है, इसलिए हमें हवा मैसूस होती है। अब पृत्वी पर तो हम बाइक पर या कार में बहुत ज्यादा स्पीड पर नहीं चलते हैं। ज्यादा से ज्यादा सी, सो, एकसो बीस या एकसो चालिस मान लो। या कोई बन बॉडी की बुलेट ट्रेन है तो चारसो मान लो। या हवाई जहाज है तो साथ सो किलो मी लेकिन दोस्तों समस्या तब खड़ी होती है जब हम आवास की गती के बराबर या उसके पार चले चाए यानि की प्रॉब्लेम तब खड़ी होती है जब हम सुपर सॉनिक स्पीड से चलने लगे अब ये सुपर सॉनिक स्पीड क्या होती है तो दोस्तों सुपर सॉनिक स्पीड यानि की ऐसी कोई भी स्पीड जो साउंड की स्पीड से ज़्यादा हो साउंड या आवास की गती पृत्वी के वातावरण के वेरियस फैक्टर पर डिपेंडेड रहती है लेकिन सी लेवल पर आम टेंप्रेचर में यानि की इन जनरल आम तोर पर साउन की स्पीड 1236 किलोमेटर पर अवर होती है और कोई भी चीज अगर इस स्पीड से ज्यादा तेजी से गती करें तो उसे सुपर सॉनिक स्पीड कहा जाता है अब दोस्तो अंतरिक्ष में शुन्य अवकाश में गुमने वाले स्पेसक्राफ्ट बहुत ही फाश्ट गती से यात्रा करते हैं तब वो अपनी गती घटा देता है लेकिन इस लोडाउन हुई स्पीड के बावजूद भी उस स्पेसक्राफ्ट की स्पीड क्या होती है पता है दोस्तों आपको तो वो होती है 25 मैच यानि की आवास की गती से भी 25 गुना ज्यादा जी हाँ सूपर सॉनिक स्पीड से भी 25 टाइम्स हाइर और इस स्पीड से यात्रा करने वाला कोई भी पदार्थ जब पृत्वी के वातावरन में मौझूद हवा के परमानों के साथ तकराता है तब हवा के उस अनूओ को उतना टाइम ही नहीं मिल पता कि वो धक्के से साइड में चले जाए या आसपास हो जाए इस स्पीड पर हवा के अनूओ को साइड होने का समय ही नहीं मिल पता और एवेंचुली होता ये है कि वो हायर स्पीड पे आने वाला पदार्थ हवा में मौझूद अनूओ को तोड़ देता है और ऐसे एक साथ बहुत सारे हवा के अनू जब तूटते है तब वो अनू उर्जा में बदल जाते है जी हाँ ये पार्टिकल्स तब एनर्जी का रूप ले लेते है और वो आग और चमक पैदा करते हैं जिसे प्लाज्मा कहते हैं अब दोस्तों यहाँ पर दिक्कत सिर्फ प्लाज्मा की नहीं है लेकिन अंतरिक्ष में से आने वाला वो पदार्थ या यू कहें के वो स्पेसक्राफ्ट हवा को ही कॉंप्रेस कर देता है और यहाँ पर जाकर बहुत ही ज्यादा मात्रा में गर्मी पैदा होती है और इसलिए अंतरिक्ष यात्रियों की वापसी करवाने वाले स्पेसक्राफ्ट का कैप्शूल और उसका बाहरी आवरण ऐसे बनाया जाता है जिससे वो बाहर से भले ही बसमी भूत हो जाए प्रिप्सियल के अंदर सब कुछ सही स पर दोस्तों वापस आने पर दूसरी एक दिक्कत है जिसे एंट्री आफ एंगल कहते हैं मतलब कि स्पेस क्राफ्ट के प्रवेश का अगर कौन थोड़ा बहुत भी उपर नीचे होगा तो वो पुरुथी के वातावरण में प्रवेश करते ही स्पीड के कारण उबड़ खाब ठीक वैसे ही जैसे आप बहुत स्पीड से तालाब में जब पत्थर मारोगे तो वो पानी के अंदर नहीं चला जाएगा लेकिन पानी की सतेह पर उचलता रहेगा। और अब हम entry of angle को कम रखे यानि कि इस परिस्थिति में स्पीड को बहुत ही ज्यादा रखनी पड़े और अगर एंटर होते वक्त स्पीड को बहुत ज्यादा रखेगे तो दो परिस्थिति का सर्जन होगा। पूरा स्पेसक्राफ्ट ब्लास्ट हो जाएगा और दूसरी समस्या यह होगी कि इतनी खतरलाख स्पीड पर धरती पर लेंड करने का टाइम ही नहीं मिलेगा और स्पेसक्राफ्ट स्पीड से धरती के साथ टकरा जाएगा और सब कुछ दबा हो जाएगा और इसलिए पृत्� मेन मुद्दे की बात जब स्पेसक्राफ्ट पृत्वी के वातावरण में एंटर होता है और जब हवा के रेणूओं के टकराने से घर्षन के कारण जो गर्मी पैदा होती है इस गर्मी की वज़े से कुछ मिनिटों तक स्पेसक्राफ्ट का संपर्क पृत्वी की सतही स्टे� कुछ भी नहीं कर सकता है और इस परिस्थिति में कुछ भी हो सकता है और अब ऐसी परिस्थिति में कैप्सूल में से एक पेरासूट निकलता है जो अंतरिक श्यात्रियों को ले आने वाले कैप्सूल की स्पीड को बहुत हद तक घटा देता है और एस्टेनॉर्ट्स को इस क इतना कम कर देना कि वो धर्ती की सते पर soft landing कर सके और इस soft landing के दोरान पिच्चर में आता है G-force अब दोस्तो आपका सवाल हो सकता है कि ये G-force क्या है तो दोस्तो G-force यानि की gravitational force ये एक acceleration का measurement है यानि की किसी बड़े अवकासी object का किसी छोटी चीज़ पर जो gravitational force लगता है उसे G-force कहते है कोई अंतरिक श्यात्री अगर space में है शुन्ने gravity में तो वहाँ पर जीरो जी फोर्स होगा लेकिन जब आप किसी ग्रह या लगुग्रह पे चले जाओगे तो उस ग्रह या लगुग्रह का आपको जी फोर्स लगेगा दोस्तो आप अभी इसी वक्त कहीं पर भी बैठे होगे या खड़े होगे आप पर जी फोर्स लग रहा होगा कितना लग रहा होगा तो वन जी अब मानो कि आप किसी लिफ्ट से निचे आ रहे हो तो आपको थोड़ा हलका महसूस होगा और ये एलिवेटर ये लिफ्ट जब रुकने वाली होगी तब आपको उसी वक्त भारीपन महसूस होगा बस यही है जी फोर्स ये जी फोर्स अंतर अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में जाने के दौरान भी लगता है और वापस आने के दौरान भी यानी कि यह जी फोर्स हमारे दोस्तों बड़ाकर नॉर्मल जी फोर्स वन जी से जब घटेगा तब भी हमें मैसुस होगा और बढ़ेगा तब भी और एक इंसानी एक्स्ट्रीम स्थिति में यानि कि उसकी मृत्यू हो जाए ऐसी स्थिति तक वो 12G तक जी फोर्स सहे सकता है और ये अंतरिक्ष यात्री जब पृत्वी में प्रवेश करते हैं तब उन पर 3G का जी फोर्स लगता है और अब आपको लगता होगा कि अगर इंसान 12G का जी फोर जी के जी फोर्ट सहने के दौरान आखों की रोष्णी कम हो जाती है। सुनना या देखना बंद हो जाता है। पूरे शरीर में दबाव मैसूस होता है और खुन माथे भी चला जाता है। और इस परिस्थिति में कई अंतरिक्षियातरी बेहोश भी हो जाते हैं और कोमा में भ तो वो आखरी 30 मिनिट उनके लिए सबसे ज्यादा चेलेंजिंग होते हैं और यही 30 मिनिट डाई करते हैं कि मिशन फैल गया या फिर सक्सेसफुल हो गया तो दोस्तों अंतरिक शियातरियों की वापसी का ये वीडियो आपको कैसा लगा हमें कमेंड में जरूर बताए आज के लिए इतना ही बने रहे दनौलिज के साथ और अगर आप नए हैं तो हेल्दी और साइंटिफिक ज्यान के लिए दनौलिज को सबस्क्राइब जरूर करे