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वेलेंस बॉंड थ्योरी का परिचय
Sep 19, 2024
केमिकल बॉंडिंग - लेक्चर नंबर 4
परिचय
टीचर्स दिल और दिमाग से पढ़ा ते हैं।
पिछले लेक्चर में हाईब्रिडाइजेशन और उसकी कैलकुलेशन पर चर्चा की गई थी।
हमने शेप बनाना सीखा कि कैसे विभिन्न हाईब्रिडाइजेशन के लिए शेप्स बनती हैं।
आज का टॉपिक: वेलेंस बॉंड थ्योरी (VBT)
वेलेंस बॉंड थ्योरी के पोस्टुलेट्स
1. कोवेलेंट बॉंड का निर्माण
कोवेलेंट बॉंड बनने के लिए आटम्स के आउटमोस्ट शेल्स में ओवरलैप होना आवश्यक है।
जितना अधिक ओवरलैपिंग, उतना ही मजबूत कोवेलेंट बॉंड।
2. ओवरलैपिंग का विस्तार
ओवरलैपिंग दो कारकों पर निर्भर करती है:
ओवरलैपिंग के प्रकार
:
कम ऊर्जा गैप = अधिक ओवरलैपिंग।
ओरिएंटेशन
:
हेड-ऑन ओवरलैपिंग अधिक प्रभावी होती है।
3. इलेक्ट्रॉनों की स्पिन
प्रत्येक ऑर्बिटल एक सिंगल इलेक्ट्रॉन लाता है।
ओवरलैपिंग के दौरान, एक इलेक्ट्रॉन अपनी स्पिन बदलता है ताकि स्थिरता बनी रहे।
4. हाईब्रिडाइजेशन
ऑर्बिटल्स जो ओवरलैप करते हैं, नए हाईब्रिडाइज्ड ऑर्बिटल्स बनाते हैं।
ये हाईब्रिडाइज्ड ऑर्बिटल्स नई शेप्स लेते हैं।
सिग्मा और पाइ बॉंड
सिग्मा बॉंड
सिग्मा बॉंड हेड-ऑन ओवरलै पिंग से बनता है।
यह अधिक स्थिर होता है और अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है इसे तोड़ने के लिए।
पाइ बॉंड
पाइ बॉंड साइडवाइज ओवरलैपिंग से बनता है।
यह सिग्मा से कम स्थिर है और इसे तोड़ने के लिए कम ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
बॉंड्स की गणना
CH4 में 4 सिग्मा बॉंड हैं, कोई पाइ बॉंड नहीं।
CO2 में 2 सिग्मा और 2 पाइ बॉंड हैं।
इथीन (C2H4) में 3 सिग्मा और 1 पाइ बॉंड है।
N2 में 1 सिग्मा और 2 पाइ बॉंड हैं।
निष्कर्ष
वेलेंस बॉंड थ्योरी और सिग्मा-पाइ बॉंड्स की समझ आवश्यक है।
अगले लेक्चर में विशेष पियर और एमो पर चर्चा की जाएगी।
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