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भारतीय आर्थिक विकास की यात्रा

Hi guys, welcome back to another video. आज से हम Indian Economic Development की शुरुवात करने वाले हैं. जब हम शुरू करेंगे, तो हम इस चीज़ का बहुत खास ज्यान रखेंगे कि आप बोर ना हो. क्योंकि Indian Economic Development हमने जहां जहां पढ़ी है, पहली क्लास के अंत आते आते हमें बहुत गहरी नीन दाती है. हम Indian Economic Development को एक कहानी के फॉर्मेट में चला रहे हुए. सारे टॉपिक इस कहानी में कवर हो रहे होंगे, और हम भी रखेंगे कि अपनी पूरियत थोड़ी तूर रहें। यानि कि अंग्रेजों के भारत पे राज करने से पहले के समय पे, यानि कि बिफोर 1757, बले 1757, फिर 1947, फिर... 1951-56 इस तरीके सम चेप्टर को आगे भड़ा रही होंगे यह पूरी की पूरी timeline को हमने design किया है हमारी इस पुस्तक से जो कि Indian Economic Development की है यह छुटा packet बड़ा धमा का यह इतनी किताब में आपको पूरी Indian Economic Development मिल जाएगी same goes with Macro Economics यह आपका Amazon में मिल जाएगी इसका link है चलिए शुरुबात करते हैं before 1757 यानि अंग्रेजों के भारत में राज करने से पहले हमारे भारत को agrarian economy कहा जाता था agrarian economy मतलब एक ऐसी economy जिसका main source of कमाई agriculture sector था अगर बात करें numbers की तो करीब 85% population directly या indirectly agriculture sector पे depend रहती थे जब हम agriculture sector की बात कर रहे हैं तो हमारा main motive यह है कि हम जो खेती करते थे वो कमाने के लिए नहीं करते थे हमारी खेती खुद के use के लिए होती थी वह उनके प्रदेश के लिए दो बात करेंगे, जो उसके बढ़ते हैं। यह अनाज, चावल, दाल, यह सबजी यह उगाता था, ताकि वह उनको खुद यूज़ करेंगे, और उनको बात करेंगे, जो उसकी मदद कर रहे हैं। जैसे किसी कलाकार ने बहुत बढ़िया खाट बनाकर देती हैं उसको, तो उस खाट के बदले में वह उसे चार किलो, छह किलो गेहू देती था। यानि कि हम एक तरीके से... पार्टर सिस्टम के ऊपर चल रहे थे तो हम लोग उनहीं क्रॉप्स को गाते थे जिनको हम खुद खा सके साथ साथ में विलेज आर्टिशन के साथ पाच सके जो की हमको छोटी मोटी चीजे देते हैं अब एगरिकल्चर सेक्टर में होनी की वज़े से हमारी जरूरते बहुत ज़ादा कम थे क्योंकि सोचो जब 85% पॉपुलेशन एगरिकल्चर में लगी हुई है तो पूरे दिन के बाद आजमी ठकार के घर जाके सोएगा ही बड़ी बड़ी गाड़ियां, बड़े बड़े घड़ के लालच नहीं करेगा, तो हमारी जरूरते कम थी, इसलिए हमारी इकनॉमी सबसे उपर थे, तो जब इकनॉमी के बात कर रहे हैं, तो भारत सिर्फ एग्रिकल्चे सेक्टर में नहीं, व्यापार या नहीं, ट्रेड के यानि हाथ से बनीवी चीजें उनके लिए भारत बहुत जादा मशूर था हम हेंडिक्राफ्ट का बहुत अच्छा कासा एक्सपोर्ट करते थे और हेंडिक्राफ्ट आज की तरह बड़ी बड़ी फैक्टरियों में नहीं बनते पहले ये सारा हेंडिक्राफ्ट महले के चौक में बनता था हर घड़ से महिलाएं पुरुशाते थे और अपनी कलाकारी दिखाते थे और उन कलाकारीयों के बदले में बाहर से लोग आके वो सामान खरीटे थे और इसलिए इंडियन इकोनॉमी को उस समय सोनी की चडिया कहा जाता था सोनी की चडिया का मतलब एक प्रॉस्परेस या फिर समरिद्ध इकोनॉमी हम लोग इंडिपेंडन थे, आजात थे, सेल्फ रिलायंड थे तो हम आज आत्मनिरभर बनने की कोशिश कर रहे हैं इसकी दो वज़े, पहला हम लोग हर व्यक्ति जो होता था ना हेंडिक्राफ्ट में लगा रहता था या एग्रिकल्चर में लगा हुआ, तो हर व्यक्ति प्रोडूसर की कैटेगरी में आता था, दूसरा हमारी जरूरते ही नहीं थी, बड़े बड़े शोक ही नहीं थे, तो खाया कमाया सोया बस पूरा जिंद� तो जब हम business की बात करते हैं, तो handicraft का business, farming का business, export-import ये वाले business के हम बात कर रहे हैं, ठीक है न, तो business हो गया, trading हो गया, हमारे आप पैसा बहुत था, पैसे का मतलब हमारे याँ गोल्ड बहुत था इसलिए सोने की चिडिया का नाम दिया गया सोने की चिडिया का नाम दो वज़े से दिया गया था भारत को पहला यहाँ खुशी खुशी थी हर जगे खुशी मतलब बहुत लोग हैपी रहा करते थे और दूसरा यहाँ पर पैसे खाने कमाने की ज्यादा दिक्कत नहीं होती थी ठीक है तो इन सभी चीजों के चलते इंडियन एकनॉमी बिफोर कोलोनियल रूड बहुत बढ़िया चल रही थी पर कहते हैं ना कोलोनियल रूड को आना था तो बाई 1608 में पहली बात सूरत में ब्रिटिश इंडिया कंपनी आ हुई 1757 Battle of Plassey से Indian Economy के chapters के अंदर Battle of Plassey का बहुत important role है यूगी इसी युद्ध के बाद से इधर बंगाल की साइड से भारत के उपर अंग्रेजों का राज कायम हो गया इन्होंने इस्ट इंडिया नामक एक कंपनी के थूँ हमारे उपर राज किया अब जब इन्होंने 190 साल यानि 1757 से 1947 ये 190 साल हमारे उपर राज किया किया इस पूरे 190 साल के अंतराल को हम colonial rule कहते हैं क्या कहते है colonial rule colonial rule यह शब्द आपके चेप्टर के अंदर कई बार आपको देखने को मिलेगा पहले इसका मतलब समझते हैं colonial rule का मतलब होता है एक ऐसा system दो देशों की बीच it refers to a system between two countries wherein one country bring the ruler एक country राज करती है और दूसरी country उसकी colony होती है गुलाम होती है जो रूलर कंट्री होती है वो ही इकनॉमिक पॉलिसी बनाती है गरूलर कंट्री विडिफाइन एकनॉमिक पॉलिसी कहांकी ऑफ वी कॉलोनी की मतलब सही कौन है गलत कौन है ये सारी चीज़े वो रूलिंग कंट्री बताती है 190 साल अंग्रेजों ने भारत के उपर राज किया इन 190 सालों में इनोंने हमारी इकनॉमिकों पूरी चरीके से पलट गिया इनका जो प्राइमर ओब्जेक्टिव था मेन ओब्जेक्टिव कहते हैं वो था कि भाई हम इंडिया को रॉ मटीरियल का एक्सपोर्टर बना दे और फिनिज गुड का इंपोर्टर बना दे। सर इससे होगा क्या? देखो जान से समझना। For example मान लो कि हमारे यहां लकडी है, तो भाई 100 किलों लकडी अगर बिखती है, रॉ मटीरियल की तरह बनेगी, जादा से जादा आज की रेट के साथ मानते हैं, दो रुपे किलो, जादा से जादा, तो अंदाजन कितना हुआ सो किलो के इसाब से, दो सो रुपे में हमारे यहां से लकडी गई, वो लकडी जब फर्नीचर बनके आई, तो उसी फर्नीचर को अगर हमें ख़रीदना है, तो ह जो सामान हमारे यहां से गया, वो ही सामान, finished होके 20,000 रुपए में हमको वापिस खरीदना पड़ रहा था, यानि कि अगर वो हमारे यहां हमारे लोगी बिनाते, तो 200 की जगे 2000 दे देते, पर बाहर से बनके आया, तो भाई यह tax tax भी लग गया, और transportation cost भी count हो गई, तो वो 20,000 का पड़ा, तो जब हम raw material का export कर रहे थे, पर जब बाहर से import होके सामान आता, यानि in short, Britishers नहीं चाहते थे, कि इंडिया आगे बढ़े और वो लोग हमें उतना ही ज्यान देते थे जितना ज्यान गुलाम बनने के लिए ज़रूरी था खेर ये सारी कहानी 190 साल चली पर 1947 के बाद हमारा देश आजाद हो गया पर जब हम आजादी के बात करते हैं तो हम देखते हैं कि इन सारे सेक्टर्स को अंग्रेजों ने कैसा बना दिया था agriculture 85% था, export हो रहा था, सब कुछ बढ़िया था, अब बात करते हैं कि जब 190 साल का colonial rule खतंग हुआ, उस समय agriculture sector कैसा था, इसको बोलते है agriculture sector at the eve of independence, अगर agriculture sector के बारे में बात कर रहे हैं, तो अंग्रेजों ने सबसे पहले जमीनदारी system को launch किया, जमीनदारी system क्या होता है, पहले language फिर अपने इंदी में समझेंगे Under this system, ownership right of land was transferred from farmer to जमीन दा जमीन का मालिकाना हक ownership right ये जमीनदार को दे दिया किया फार्मर से छीन के मतलब खेती ये कर रहा है पर मालिक ये है ठीक है who were the nominal head of the land ये भी कौन सा head है nominal head है यानि इसका भी काम क्या होता था who collects the revenue from the farmer कि इससे ये पैसा लेगा इससे ये रुपिया लेगा और ये रुपिया ले जाकर किसको दे देगा East India Company को दे देगा जिसके उपर एक पूरी पिच्चर बनी है आपने देखी होगी लगान, तो वो लगान इसी concept के उपर बना है, ठीक है, what is लगान, लगान का मतलब ये farmer ने इस जमीनदार को जो पैसा दिया, जो tax दिया, उसको लगान कहते हैं, अब बात है कि सर आज भी तो हमारी मालो सरकार farmer से अगर tax लिती है, तो वो भी इसी तरीके क 100 केजी गेहू आपको देने है किसको इस आदमी को अब इस आदमी का जो खेत है उस पे max to max 120 केजी गेहू ही बनते थे वो भी तब जब बारिश वारिश सब कुछ सॉलिड हो सब कुछ भढ़िया तरीके हो तब 120 केलो गेहू बन रहा है तो सोच के देखो majorly पास तो ये ले गया and second thing अगर बारिश 19-20 हुई तो ये कम हो के 90 हो गया ये कुछ फरक नहीं पड़ेगा इससे कि इसने कितना उगाया है। और ये सबसे बड़ा difference था। आज अगर हम tax देते हैं तो हमारी income के इसाब से tax देते हैं। जादा कमा है तो जादा tax, कम कमा है तो कम tax। पर उस समय था कि आपको fix इतना tax तो देना ही देना है, चाहे आप जादा कमाओ, कम कमाओ या बिल्कुल भी ना कमाओ। जब जादा कमाने की बात आती है तो वो पहले ही देख लेते थे कि इसकी productivity कितनी है। और उसके हिसाब से maximum productivity को ध्यान में रखते हुए वो लगान सेट कर देते थे। तो इसको कहते हैं जमीनदारी सिस्टम दे जमीनदार collect लगान from the farmer regardless to the economic condition उसको मतलब भी नहीं था कि अभी की economic condition कैसी है मतलब वो अच्छा कमा रहा है नहीं कमा रहा है उसे घर में खाना है कपड़े है यह नहीं है वो लगान चाहिए दे जमीनदार and colonial government तुक no initiative to improve the strength of the economic condition of agriculture या farm यहाँ पर एक सबसे बड़ी बात है कि जमीनदार को यह रहा है यह यह नहीं है जमीनदार भाई साब को पता ही नहीं होता था कि इसकी प्रेडक्टिविटी कैसे बढ़ानी है तो कि यह तो लिखा पड़ी करने वाला आजमी किसान ही है जिसको पता है कि जमीन को कैसे सुधार उसी प्रकार से यहाँ पर जमीनदार भी यही काम करता था कि बईया मैं आ गया अच्छा अच्छा यह है चलो ठीक है देखते देखते हैं अगला टेक्स वरो पर है हो गया था तो हमारा जमीनदार और इस्ट इंडिया कंपनी ये दोनों कोई भी इनिशियेटिव नहीं लेते दूसरा काम जो उन्होंने किया इस्ट इंडिया कंपनी ने वो था कमर्शलाइजेशन आफ एग्रिकल्चर हमने पहली स्लाइड में बढ़ा था कि कोलोनियल रूल से पहले हमारे लोग दो चीजों के लिए फसल उगाते थे पहला था खुद के यूज के लिए दूसरा था शे टर्म लॉच करी जिसको बोला गया cash crop cash crop का मतलब वो फसले जो ज़ादा कमाके देती हैं जैसे जूट, कॉटन, इंडिगो, इसको हम नील बोलते हैं इंदी में आपने पढ़ा होगा, शोषल में इंडिगो, नील की खेती, ठीक है, तो उन्होंने कहा कि अगर किसान इन चीजों का production करेगा अगर किसान इन चीजों का production एक किलो मान लो दो रुपए का बिख रहा है, तो एक किलो इंडिगो मान लो तीस रुपए का बिख रहा है, तो यह क्या होगा, बहुत बड़ा डिफरेंस हो गया, अब हमारा किसान क्या सोचता था, बोले यार गरीबी तो आ रखी है, तो एक काम करते हैं, इंडिगो ही हु� हमारे किसान जो पहले food crop की production पे निर्भर थे वो अब cash crop पे shift होने लग गए आप बोलोगे इसना अच्छी बात है अच्छी बात नहीं है दो वज़े से पहला अब हम खाने के लिए भी किसी और पर महताज हो गए और दूसरा हम इसका तो कुछ करी नहीं सकते इसका कुछ करी नहीं सकते इसका कुछ करी नहीं सकते हम इनको तब इस्तमाल में ला सकते हैं जब ये शिपों में लदके बृतेन हम ज़ादा से ज़ादा depend होने लग गए Britishers के उपर समझ गए दो काम पहला जमीनदारी system लिया है दूसरा commercialization कर दिया तीसरा हमारे यहाँ पर low level of productivity होती थी एक hectare जमीन में कितना production possible है उसको बोलते हैं उस जमीन की productivity और क्योंकि जमीनदार किसी भी तरीके से तो every single day हमारी land की productivity गिरती जा रही थी ठीक है कुछ और रीजन भी थे उसके जैसे सबसे पहला रीजन था लैक ऑफ इरिगेशन फैसिलिटी इरिगेशन का मतलब होता है पानी देना हमारा जो किसान था वो जादा तर इनार उदर के कुए से या फिर नदियों से उस पानी पर डिपेंड होता था समझ गए दूसरी वजह है लो लेवल ऑफ टेक्नोलॉजी हमारे यहाँ पर जमीन को मा माना जाता है तो इसलिए जादतर केसान सुद अपनी मेहनत का खुन पसीना वहाँ पर लगाते हैं वो टेक्नोलॉजी का इस्तमाल बहुत कम करते थे प्रडक्शन करने के लिए या फार् इस वजह से वो उसी चीजों पर निर्भर थे जो वो खुद के हाथ से कर सकते थे यानि कि organic farming through hand या फिर through man उसी पर ये लोग dependent रहा करते थे और तीसरी सबसे बड़ी वजह थी हमारी मा यानि हमारी मात्र भूमी हमारी मात्र भूमी पर हम नहीं चाहते थे किसी भी तरीके के chemical डालना इस वजह से हमारे farmers fertilizer का इस्तमाल उस समय नहीं करते थे जब फर्टिलाइजर का इस्तमाल नहीं कर रहे हैं, तो ज़्यादातर खेती को तो शायद पीड़े खा जाते थे, या फिर उतना प्रड़क्षन नहीं हो पाता था, जितना लगान देने के बाद, फुर यूज करने के बाद और बच जाए. और इसी वज़े से हमारा एग्रिकल्चर सेक्टर बहुत ज़्यादा डाउन हो गया था. अगर मैं आपको एक नंबर दूँ, तो उस समय तक हमारे भारत में 72.7% पॉपुलेशन एग्रिकल्चर पर डिपेंडेंट थी. अब आप बोलोगे सर 13% ही कम हुआ चलेगा, प ऐसे नहीं है जैसे आप सोच रहे हो, 190 सालों में population भी तो बढ़ गई, तो अगर पहले 85% में, मान लो 85 लोग आते थे, तो अब 72% में बहतर नहीं, शायद 500 लोग आएंगे, ठीक है, और बाकी बचेवे कहां चले गए, सब इदर उदर चले गए हैं, तो यहाँ population बढ़ने की और चौथा और सबसे बड़ा reason हमारे agriculture sector के गिरने का वो था high degree of uncertainty हमारा agriculture sector uncertainty में था यानि किसान को जब तक फसल कट नहीं जाती थी तब तक इस बात का अंदाजा नहीं था कि ये फसल कमा के देगी या हमारा खून भी चूस लेगी क्योंकि हम लोग ज़ादा तर बारिश पे dependent रहते थे rainfall पे dependent रहते थे for cultivation इसके ऊपर पूरी पिच्चर भी और पूरा गाना भी है, काले मेगा, पानी तो बरसाओ, वो पूरा गाना इसी टॉपिक पर बना हुआ है, क्योंकि हमारा में रोट्स आफ इग्रिगेशन फैसिलिटी था, रेइनफॉल, और जिस वज़े से हमारे खेत बहुत ल ध्यान रखना, जब हम बात कर रहे थे, तो हमने इस कक्षा के शुरुवात में 1757 से पहले की बात करी, फिर हम आए 1757 पे, अब इसकी पोकर हम आ गए हैं 1947 के आसपास के एरिया में, यानि यहां थड़े होके हम पीछे देख रहे हैं और condition का अंदाजा लगा रहे हैं, कि इंडियन इकनॉमी पिछले 190, यानि कि इस colonial rule के टाइम पर कैसी हो गई थी, ठीक है जी, एक चीज और यहां पर note down करना, एक term है जो आपके काम आती है, कहलाते हैं उसको stagnant economic स्टेगनेंट एकनॉमी एक ऐसी एकनॉमी कहाती है जो अपनी जगे रुकी हुई है यानि जिसका प्रड़क्शन ज्यादा नहीं भड़ रहा है ठीक है आप इसका अंदाज़ा लगा सकते हो कि हमारी जीडीपी ग्रोथ रेट उस समय 2% के आजपर और पर कैपिटा इंकम 0.5% आपको यह language जो यहाँ पर लिखी है वो समझ में आई हो तो बालको यह language हम अपनी पुस्तक से उठाके लाए हैं यह रही Indian Economic Development हमारा छोटा packet बड़ा धमाका इसका size कितना बड़ा है आपको अगर अंदाजा लगाना है तो let me give you a reference for it यह देख लो यह आपकी NCERT है बिजनिस की ज इस नंबर पर आप परिशानी कर सकते हैं, तो इस नंबर पर आप परिशानी कर सकते हैं, तो इस नंबर पर आप परिशानी कर 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