स्टडी आईक्यू आईएस आपका सिलेक्शन हमारा मिशन दोस्तों पूरे भारत की 50 से 55 पर चाय आसाम से आती है जिसका टोटल अगर हम प्रोडक्शन देखें तो 650 से 700 मिलियन किलो तक पहुंचता है आसाम से हर साल लगभग 400 से 500 मिलियन यूएसडी की चाय एक्सपोर्ट भी होती है दूसरा है दोस्तों त्रिपुरा त्रिपुरा के जो क्वीन पाइनएप्पल है उनकी भारत के बाहर बहुत डिमांड है अब एस्टीमेट लगाया जाता है कि त्रिपुरा के पाइनएप्पल्स का एक्सपोर्ट पोटेंशियल लगभग 15 से 20 मिलियन यूएसडी के आसपास है लेकिन अभी तक हम सिर्फ 4 से 5 मिलियन यूएसडी के आसपास का ही अचीव कर पाए हैं मणिपुर का हैंडीक्राफ्ट सेक्टर और ऑर्गेनिक फ्रूट और वेजिटेबल मिलके 30 से 40 मिलियन यूएसडी तक एक्सपोर्ट वैल्यू जनरेट करते हैं इसके बाद मेघालय मेघालय का कोल और बाकी के स्पाइसेज जैसे कि लका डोंग टरमरिक उससे एक्सपोर्ट का अनुमान लगभग 25 से 30 मिलियन यूएसडी के आसपास का है दोस्तों नॉर्थ ईस्ट रीजन में इन्हीं के साथ-साथ बबू बेस्ड प्रोडक्ट्स फर्नीचर हैंडीक्राफ्ट्स की भी अच्छी डिमांड है और यह सेगमेंट लगभग 10 से 15 मिलियन यूएस डॉलर्स का पोटेंशियल रखता है अब अगर हम पूरे नॉर्थ ईस्ट रीजन को कंबाइन करें तो कंजरवेटिव एस्टीमेट ये कहते हैं कि यहां पे साल का टोटल एक्सपोर्ट वैल्यू लगभग 1.2 टू 1.5 बिलियन यूएसडी डॉलर्स के बीच में है लेकिन दोस्तों कनेक्टिविटी और हाई लॉजिस्टिक कॉस्ट की वजह से ये पोटेंशियल से बहुत कम अचीव हो पा रहा है कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक नॉर्थईस्ट रीजन को हर साल 200 से 300 मिलियन यूएस डॉलर का अपॉर्चुनिटी लॉस हो जाता है क्योंकि हम जितना एक्सपोर्ट कर सकते हैं उतना कनेक्टिविटी की वजह से नहीं कर पा रहे अब भारत के मैप पर आप ये लाल बिंदी देखिए सिलीगुड़ी कॉरिडोर दोस्तों भारत का नॉर्थ ईस्ट बाकी सारे भारत से दरअसल इसी 20 से 22 किमी चौड़ाई वाले कॉरिडोर से जुड़ता है जो ऊपर से नेपाल और भूटान और नीचे से बांग्लादेश को टच करता है अब दोस्तों अगर सात नॉर्थ ईस्ट सिस्टर्स यानी कि सेवन सिस्टर्स और सिक्किम को इंक्लूड करें तो इनका लगभग 99 पर बॉर्डर चाइना म्यानमार बांग्लादेश भूटान और नेपाल जैसे पड़ोसी देशों के साथ लगता है और पार्टीशन के बाद से दोस्तों ये रीजन मेनल मैड भारत से सिर्फ इसी पतले से सिलीगुड़ी कॉरिडोर के द्वारा कनेक्टेड है अब इसी ज्योग्राफी के कारण दोस्तों नॉर्थ ईस्ट का मेनल मैड से कनेक्शन बहुत ही फ्रेजा इल रहा है और छोटे से चौक पॉइंट पे पूरे रीजन की कनेक्टिविटी निर्भर है इसी वजह से इतना स्ट्रेटेजिक होने के बावजूद नॉर्थ ईस्ट इंडिया हिस्टोरिकल इंफ्रास्ट्रक्चर और कनेक्टिविटी के मामले में पिछड़ गया चैलेंजिंग ट्रेन घने जंगल और डिकेड्स लॉन्ग इंसर्जनल रेल जैसे प्रोजेक्ट्स को बहुत ज्यादा स्लो डाउन कर दिया फिर भी रीजन की स्ट्रेटेजिक वैल्यू दोस्तों अभी भी कम नहीं हुई नॉर्थ ईस्ट इंडिया भारत के लिए इतने इंपॉर्टेंट है कि ये चाइना के तिब्बत और यूनान रीजंस के पास है जिसको अरुणाचल प्रदेश का बॉर्डर टच करता है म्यानमार के थ्रू हम साउथ ईस्ट एशिया का गेटवे अचीव कर सकते हैं और बांग्लादेश भूटान जैसे साउथ एशिया के ट्रेड पार्टनर्स भी इसको सराउंड करते हैं इसीलिए दोस्तों भारत की जो एक्ट ईस्ट पॉलिसी है उसमें नॉर्थ ईस्ट एक गेटवे की तरह दिखाई देता है जो आसियान देशों से हमारी कनेक्टिविटी बढ़ाता है अब सिक्योरिटी पर्सपेक्ट परफेक्टिव से भी अगर कभी सिलीगुड़ी कॉरिडोर को रिस्क हो गया जैसे कि कॉन्फ्लेट या ब्लॉकेड की सिचुएशन तो दोस्तों नॉर्थ ईस्ट का भारत से कट जाना बहुत बड़ा खतरा होगा अब ऐसी वल्नरेबल को दूर करने के लिए भारत हमेशा से अल्टरनेट रूट्स और बेटर कनेक्टिविटी के ऑप्शंस को एक्सप्लोर करता आया है और प्रेजेंटली दोस्तों भारत सरकार और नॉर्थ ईस्टर्न स्टेट्स कुछ नए इकोनॉमिक कॉरिडोर्स प्लान कर रहे हैं जो इस ज्योग्राफिकल आइसोलेशन से भारत को प्रोटेक्शन दे सकते हैं अब ये कॉरिडोर्स बेसिकली नई हाईवे और रेल रूट्स हैं जो एसिस्टिंग बॉर्डर्स को क्रॉ कॉस करके शॉर्टकट कनेक्शंस प्रोवाइड करेंगे यानी जहां अभी ट्रक्स और गाड़ियों को लंबा चक्कर सिलीगुड़ी कॉरिडोर से लगाना पड़ता है इन कॉरिडोर से वो रास्ता उनको बिल्कुल सीधा मिलेगा और आज के अपने इस वीडियो में हम इन्हीं दो कॉरिडोर्स का डिटेल इकोनॉमिक एनालिसिस करेंगे दोस्तों पहला है ईस्ट वेस्ट कॉरिडोर जिसका ऑफिशियल नाम है हिली महेंद्रगंज ट्रांस नेशनल इकोनॉमिक कॉरिडोर ये कॉरिडोर वेस्ट बंगाल के हिली से शुरू होकर मेघालय के महेंद्रगंज तक जाता हुआ बीच में बांग्लादेश के थ्रू पास करता है अब इन पॉइंट्स में से जो हिली है वो वेस्ट बंगाल बांग्लादेश बॉर्डर पर एक पॉइंट है और महेंद्रगंज मंगलिया के गैरो हिल्स में बांग्लादेश बॉर्डर के बिल्कुल पास है दोस्तों यानी ये पूरा कॉरिडोर बांग्लादेश की टेरिटरी के थ्रू चलेगा जो डायरेक्टली बंगाल को मेघालय से कनेक्ट करेगा अब इस कॉरिडोर की एप्रोक्सीमेट लंबाई देखें तो ये लगभग 100 किमी के आसपास होगी पर इसका इंपैक्ट दोस्तों बहुत ही लंबा होने वाला है मेघालय के चीफ मिनिस्टर कॉनरे सांग मा कहते हैं कि इस प्रोजेक्ट से कोलकाता से मेघालय के की टाउंस जैसे कि तुरा बाघमारा दाल और डौकी तक पहुंचने का टाइम और कॉस्ट 25 से 60 पर तक कम हो सकता है हल्के से आईडिया के लिए दोस्तों अभी अगर कोलकाता से मेघालय जाना हो तो व्हीकल्स को सिलीगुड़ी कॉरिडोर से आसाम घूम के जाना पड़ता है जो बहुत डी टूर है अब हीली महेंद्रगंज कॉरिडोर एक शॉर्टकट प्रोवाइड करेगा जिससे सीधी बांग्लादेश के माध्यम से एंट्री हो जाएगी अब इस कॉरिडोर का फायदा दोस्तों सिर्फ मेघालय को ही नहीं बल्कि पूरे नॉर्थ ईस्ट को मिलेगा अब अगर दोस्तों हिली महेंद्रगंज रूट खुल जाता है तो आसाम की बराक वैली त्रिपुरा मिजोरम मणिपुर जैसे स्टेट्स भी बांग्लादेश के थ्रू फास्टर कोलकाता या पोर्ट्स तक कनेक्ट हो सकेंगे सांगवान ने बताया कि अगर ये कनेक्शन रियलिस्ट होता है तो सिलचर मिजोरम त्रिपुरा जैसी जगहों से कोलकाता का फासला 600 से 700 किमी तक कम हो जाएगा सोचिए 600 से 700 किमी तक का कट अब इतना मेजर डिस्टेंस रिडक्शन से फ्यूल और टाइम दोनों बचेंगे अब दोस्तों अगर इसका प्रेजेंट स्टेटस देखें तो देखिए एनएचआईडीसीएल यानी नेशनल हाईवेज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन ने प्रिलिमनरी सर्वे शुरू कर दिया है मतलब ग्राउंड वर्क ऑलरेडी स्टार्टेड है लेकिन फाइनल इंप्लीमेंटेशन दोस्तों इंडो बांग्लादेश कोऑपरेशन पर डिपेंड करेगा क्योंकि बांग्लादेश के अंदर से गुजर नहीं है तो उनकी परमिशन और पार्टनरशिप दोनों यहां पे क्रिटिकल होने वाली है अभी बांग्लादेश सरकार के साथ फीजिबिलिटी की स्टडी की बात चल रही है यदि सब प्लान के मुताबिक चला तो ईस्ट वेस्ट कॉरिडोर पूरे नॉर्थ ईस्ट के लिए एक गेम चेंजर बन सकता है क्योंकि ये डिस्टेंस कम करने के साथ-साथ सिलीगुड़ी के ट्रेडिशनल रूट का लोड भी कम कर देगा अब दोस्तों दूसरा कॉरिडोर है नॉर्थ साउथ डायरेक्शन में जिसे भूटान बोडोलैंड बे ऑफ बंगाल कॉरिडोर या b3 कॉरिडोर के नाम से जाना जा रहा है अब दोस्तों इसका एम है कि ये भूटान को भारत के आसाम मेघालय के जरिए बे ऑफ बंगाल से कनेक्ट करेगा फिलहाल भूटान एक लैंडलॉक्ड देश है जिसका ट्रेड मेनली भारत के पोर्ट जैसे कि कोलकाता इज वन ऑफ द मेन पोर्ट्स वहां से होता है और बाद में कोलकाता से वाया रोड हम भूटान तक सामान पहुंचाते हैं अब b3 कॉरिडोर के तहत भूटान से निकल के आसाम के बोडोलन टेरिटोरियल रीजन यानी कि बीटीआर के थ्रू एक नया रास्ता बनाया जाएगा जो बे ऑफ बंगाल तक यहां का सामान वहां पे पहुंचाएगा अब दोस्तों आसाम बजट 2025 26 में भी इस प्रोजेक्ट का जिक्र आया जहां इसे बीटीआर रीजन के लिए एक बहुत बड़ा गेम चेंजर बताया गया अब प्लान के मुताबिक दोस्तों b3 कॉरिडोर आसाम के जोगी घोपा और मेघालय के फूलबारी को लिंक करेगा जोगीघोपा आसाम में ब्रह्मपुत्र नदी के बिल्कुल किनारे पे है और फूलबारी आसाम के शहर धुबरी से ब्रह्मपुत्र को अगर पार करें तो डायरेक्टली पार करके मेघालय में है अब यहां पे ऑलरेडी दुबरी फूब ब्रिज अंडर कंस्ट्रक्शन है जो नॉर्थ बैंक ऑफ आसाम और साउथ बैंक ऑफ मेघालय को जोड़ता है और ऑन कंप्लीशन ये भारत का सबसे लंबा रिवर ब्रिज होगा और दोस्तों b3 कॉरिडोर शायद इसी कनेक्टिविटी का फायदा उठाकर आगे एक्सपेंड करेगा अब जोगीघोपा एक स्ट्रेटेजिक लोकेशन है क्योंकि वहां पे ऑलरेडी एक मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क बन रहा है जहां से रेल रोड और इनलैंड वॉटरवे जो कि ब्रह्मपुत्र नेशनल वॉटरवे टू है उसको भी कनेक्टिविटी मिलेगी अब आईडिया ये है दोस्तों कि सबसे पहले भूटान के बॉर्डर के पास जो आसाम का बोडोलैंड एरिया है वहां पे गुड्स आ जाएं फिर वहां से जोगी गोपा से वॉटरवेज या रेल के जरिए बे ऑफ बंगाल के पोर्ट तक इन सामान को पहुंचा दिया जाए अब आसाम गवर्नमेंट ने जोगी गोपा में स्पेशल इकोनॉमिक जन बनाने का भी प्रपोजल दिया है ताकि इंडस्ट्री और एक्सपोर्ट ओरिएंटेड यूनिट्स जो हैं वहां पे सेट अप हो सके अब दोस्तों भूटान से जोग घोपा से बे ऑफ बंगाल लेकिन दोस्तों बे ऑफ बंगाल तक पहुंचने के लिए दो रास्ते हो सकते हैं या तो वेस्ट बंगाल के हल्दिया या कोलकाता पोर्ट तक नॉर्थ ईस्ट से लैंड रूट बने या बांग्लादेश के चट्टोग्राम या मोंगला पोर्ट्स यूज़ हो अब दोस्तों इन दोनों रास्तों में से ये कॉरिडोर किसका पोटेंशियल बेहतर तरीके से यूज करेगा यह बात देखने लायक होगी लेकिन बोडोलैंड रीजन के लिए ये एक बहुत बड़ी अपॉर्चुनिटी लेके आएगा ये कॉरिडोर दोस्तों बडलैंड रीजन को सेंटर में रखता है और इसीलिए इसका नाम b3 यानी कि भूटान बोडोलैंड बे ऑफ बंगाल कॉरिडोर बोला जा रहा है अब बोडोलैंड टेरिटोरियल रीजन में यह प्रोजेक्ट आने से वहां के लोगों को भी फायदा होगा रीजन एक इंटरनेशनल ट्रेड और लॉजिस्टिक्स का हब बन सकता है भूटान को सी का एक्सेस मिल जाएगा आसाम को नए इंफ्रास्ट्रक्चर और बिजनेस मिलेंगे और नॉर्थ ईस्ट के कुछ हिस्से लाइक लोअर असाम एंड मेघालय में नए हाईवेज और ब्रिजे बनने लगेंगे अब इसके बाद दोस्तों अगर हम इंटरनेशनल कोऑपरेशन के एंगल से भी देखें तो ये कांसेप्ट बीबी आई एन यानी कि बांग्लादेश भूटान भारत नेपाल इनिशिएटिव से रिजोनेट करता है जिसका एम सिमिल क्रॉस बॉर्डर कनेक्टिविटी है फिलहाल भूटान बीबी आई एंड मोटर व्हीकल्स एग्रीमेंट में थोड़ा हेजिन है पर इकोनॉमिक कॉरिडोर अलग फ्रेमवर्क से पुश किया जा रहा है भारत ने अपनी तरफ से ऑलरेडी इंफ्रास्ट्रक्चर को पुश दिया है अब इसी इंफ्रास्ट्रक्चर में जोगी गोपा का टर्मिनल और वो जो ब्रिज है वो अगला स्टेप होगा लेकिन दोस्तों अब आगे की सारी कहानी भूटान की रोड कनेक्टिविटी और बांग्लादेश की कोऑपरेशन पर डिपेंड करेगी नाउ द बिगेस्ट क्वेश्चन कि भाई व्हाट विल बी द पॉजिटिव इंपैक्ट्स देखिए सबसे पहले ट्रेड के एंगल से देखें तो नॉर्थ ईस्ट रीजन को पूरा इंपोर्ट एक्सपोर्ट ज्यादातर सिलीगुड़ी कॉरिडोर से ही होता है एस्टीमेट ये है कि 95 पर एक्सपोर्ट्स जो आसाम मेघालय मणिपुर नागालैंड और अरुणाचल से बाहर जाते हैं वो इसी 20 से 22 किमी के चिकन नेक कॉरिडोर को क्रॉस करके जाते हैं अब अगर ये रूट कभी बंद हो जाए तो समझ लो कि 95 ट्रेड रुक जाएगा ना सिर्फ ट्राइम बर्बाद होगा बल्कि ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट भी बढ़ जाएगी अब बंद होने के पीछे भी दोस्तों दो कारण हैं सबसे पहले तो एक सिक्योरिटी रीजन है क्योंकि चाइना का थ्रेट बना रहता है दूसरा नीचे इसको बांग्लादेश भी लगता है और दूसरा दोस्तों ये जो ली गुड़ी कॉरिडोर वाला रास्ता है ये एक सीस्मिक जोन में आता है अब सीस्मिक जन में आने की वजह से यहां पे फ्रीक्वेंसी इंड्यूस हो जाती हैं और इन्हीं लैंड स्लाइड्स की वजह से वहां पे जितने हाईवेज हैं उन्हें मेजॉरिटी ऑफ द टाइम्स ब्लॉकेड का सामना करना पड़ता है और अब दोस्तों नए कॉरिडोर्स बनने के बाद नॉर्थ ईस्ट के जो ट्रक्स हैं वो सीधा बांग्लादेश के रास्ते पोर्ट्स तक पहुंच सकते हैं जिससे डिस्टेंस और ट्रेवल टाइम दोनों 30 से 40 पर तक कम हो जाएगा और इसी के साथ-साथ ये पेरिशेबल गुड्स जैसे कि फ्रूट्स और वेजिटेबल्स के लिए भी एक गेम चेंजर साबित होगा क्योंकि अब वो जल्दी से मेन लैंड इंडिया या इंटरनेशनल मार्केट तक पहुंच पाएंगे बिना ज्यादा खराब हुए दूसरा पॉजिटिव है दोस्तों लोगों के लिए आसानी और इंटीग्रेशन देखिए कॉरिडोर सिर्फ सामान ही नहीं लोगों का मूवमेंट भी आसान करेंगे आजकल नॉर्थ ईस्ट से कोलकाता दिल्ली साइड ट्रेवल करने में तीन से चार दिन का टाइम सड़क या ट्रेन में लग जाता है या महंगी फ्लाइट्स लेनी पड़ती हैं बट अब अगर बांग्लादेश के थ्रू सीधी कनेक्टिविटी मिल गई तो एक गुवाहाटी से कोलकाता रोड ट्रिप उतना ही जल्दी हो जाएगा जितना लखनऊ से दिल्ली का अब रिजल्ट देखिए इससे साइकोलॉजिकल डिस्टेंस कम हो जाएगा टूरिज्म बढ़ेगा रिलेटिव से मिलना आसान होगा और बिजनेस विजिट्स में भी बचत होगी अब ऐसे में बॉर्डर हार्ट्स यानी कि लोकल बाजर्स भी सेटअप हो सकते हैं जहां दोनों तरफ के लोग आके सामान बेच और बिक्री कर सकते हैं अब मेघालय आसाम बॉर्डर एरियाज को भी इससे बहुत फायदा हो सकता है क्योंकि लोगों की इनकम सोर्सेस वहां पे डायवर्सिफाई हो जाएंगी और ये सब ओवरऑल नेशनल इंटीग्रेशन को बूस्ट देगा क्योंकि लोग महसूस करेंगे कि वो भी देश की ग्रोथ स्टोरी का हिस्सा बन रहे हैं जिससे एंड में दूरी कम हो जाएगी और कनेक्टिविटी जो है वो रियल हो जाएगी तीसरा है दोस्तों सुरक्षा और रक्षा का एस्पेक्ट देखिए मिलिट्री और डिफेंस के लिहाज से नॉर्थ ईस्ट रीजन बहुत स्ट्रेटेजिक है हम सब जानते हैं कि अरुणाचल बॉर्डर पर टेंशन का चांस रहता है अब सिलीगुड़ी कॉरिडोर अगर नेचुरल डिजास्टर या कॉन्फ्लेट के टाइम पे ब्लॉक हो गया तो आगे वहां पे आर्मी का मूवमेंट स्लो हो सकता है या रुक सकता है अब नए कॉरिडोर्स के होने से एक बैकअप रूट मिल जाएगा पीस टाइम एग्रीमेंट्स के तहत हम हैवी इक्विपमेंट बांग्लादेश के थ्रू नॉर्थ ईस्ट में शिफ्ट कर सकते हैं मतलब हमारे लिए एक स्ट्रेटेजिक डेप्थ भी आएगी अब बांग्लादेश के अराउंड ये जो लूप ऑफ कनेक्टिविटी बन रहा है वो चिकन स्नेक की वल्नरेबल को कम करेगा सिक्योरिटी फोर्सेस को इंटीरियर एरियाज में पहुंचने में आसानी होगी इलीगल एक्टिविटीज जैसे कि स्मगलिंग और ट्रैफिकिंग अभी-अभी हो रही है अभी-अभी न्यूज़ में भी चल रही है मेथ एंफेटामाइन भी मिली तो उस पे नजर रखना इजी हो जाएगा क्योंकि ऑफिशियल ट्रेड रूट्स और मॉनिटरिंग चेक पॉइंट्स एस्टेब्लिश हो जाएंगे दोस्तों 1962 में भी जो वॉर हुई थी उसके दौरान भी पुअर इंफ्रास्ट्रक्चर की वजह से हमें नॉर्थ ईस्ट डिफेंस लाइंस में काफी दिक्कत आई थी अब वैसी सिचुएशन दोबारा ना हो उसके लिए डोर्स एक सॉलिड इंश्योरेंस भी प्रोवाइड करेंगे अगला है दोस्तों रोजगार और इंफ्रास्ट्रक्चर बूस्ट का एस्पेक्ट देखिए अब इतने बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में कंस्ट्रक्शन फेज में ही रोजगार के हजारों मौके बनेंगे रोड्स ब्रिजे लॉजिस्टिक्स एसजीज सब में लोकल यूथ को काम मिलेगा एक वर्ल्ड बैंक एस्टीमेट के मुताबिक अगर लॉजिस्टिक्स कॉस्ट 1 पर कम हो तो रीजन की जीडीपी ग्रोथ 5 टू 1 पर तक एक्सलरेट हो सकती है अब नॉर्थ ईस्ट में अगर इंडस्ट्रीज जैसे कि फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री टेक्सटाइल इंडस्ट्री बैंबू प्रोडक्ट्स की इंडस्ट्री लगने लगे तो रॉ मटेरियल साइड के पास ही प्रोडक्शन होगा और वहीं से हम इन्हें डायरेक्टली एक्सपोर्ट्स के लिए निकाल सकेंगे फॉर इंस्टेंस अगर आसाम का जोगी गोप एससीजी फंक्शनल हो जाए तो वहां से डायरेक्ट पोर्ट्स का रास्ता मिलेगा जिससे एक्सपोर्ट ओरिएंटेड मैन्युफैक्चरिंग को वहां पे जोर मिल पाएगा अब इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप होने के साथ-साथ इलेक्ट्रिसिटी लाइंस फाइबर ऑप्टिक्स और टेलीकम्युनिकेशंस भी रिमोट एरियाज तक पहुंचाए जा सकते हैं अब इससे दोस्तों जो डिजिटल गवर्नेंस और डेवलपमेंट स्कीम्स हैं वो उन एरियाज तक पहुंचाई जा सकेंगी जो एरियाज आज भी कनेक्टिविटी से कटे हुए हैं अब इससे लोगों के अंदर विश्वास बढ़ेगा और इनसरजेंसीज की स्पेस कम हो जाएगी अब दोस्तों कुल मिला के इन कॉरिडोर से नॉर्थ ईस्ट को इकोनॉमिक सोशल और स्ट्रेटेजिक तीनों एंगल से फायदा होगा ये रीजन एक कल द सक से बढ़कर एक रीजनल हब बन सकता है जहां बांग्लादेश भूटान नेपाल सब कनेक्ट होंगे आखिर में कनेक्टिविटी ही इंटीग्रेशन है जितनी बेहतर कनेक्टिविटी उतना ही लोगों की लाइफ में सुकून ट्रेडिंग कम्युनिटी को प्रॉफिट और देश को स्ट्रेटेजिक स्ट्रेंथ मिलेगा और इसी के साथ दोस्तों वो दिल्ली दूर है वाली बात नहीं रहेगी क्योंकि नए रास्ते खुलने से समाज की दिल्ली से दोस्ती और भी नजदीक हो जाए आएगी लेकिन इसी के साथ-साथ दोस्तों हमें इंप्लीमेंटेशन के कुछ चैलेंज और रुकावट को भी देखना होगा देखिए जितना बड़ा ये प्लान लग रहा है उतने ही बड़े कुछ प्रैक्टिकल चैलेंज भी हैं जिनका ख्याल रखना हमारे लिए जरूरी बन जाता है न्यूज़ में हम रोज देखते हैं कि कभी बॉर्डर पर टेंशन कभी इंफ्रास्ट्रक्चर स्लो कभी लोकल प्रोटेस्ट्स तो चलिए देखते हैं कौन-कौन से हर्डल्स हैं और इन हर्डल्स को कैसे दूर किया जा सकता है दोस्तों सबसे पहले जियोपोलिटिकल डिपेंडेंस देखिए हीली महेंद्रगंज और b3 दोनों ही लार्जली बांग्लादेश के कॉपरेशन पर डिपेंड करते हैं और भूटान के केस में भूटान वाले एंगल पे अब प्रेजेंटली अगर हम बांग्लादेश को देखें तो बांग्लादेश भारत का फ्रेंडली लेबर नहीं है तो ऐसे में बांग्लादेश गवर्नमेंट को कन्विंसिंग बी अ चैलेंजिंग वर्क फॉर द इंडियन गवर्नमेंट दूसरा दोस्तों अगर बांग्लादेश अपोजिशन या पब्लिक ओपिनियन अगर ट्रांजिट के खिलाफ हुआ तो मान लो वहां पे सोव निटी के कंसर्न जैसा कोई मुद्दा खड़ा हुआ तो परमिश वहां पे डिले भी हो सकती हैं अब इसीलिए भारत को दोस्तों डेफ्ट डिप्लोमेसी से काम लेना होगा टू इंश्योर दैट कि हर हालत में यह पार्टनरशिप्स अगर बनी भी तो फ्यूचर में चलती रहे अब नेक्स्ट एस्पेक्ट है दोस्तों बांग्लादेशी साइड का इंफ्रास्ट्रक्चर रेडीस दोस्तों कॉरिडोर का मतलब सिर्फ बॉर्डर क्रॉस करना नहीं होता बल्कि बांग्लादेश के अंदर भी हाईवेज और रोडवेज को टॉप क्लास बनाना पड़ेगा नहीं तो ट्रक जाम में फंसे रहेंगे अभी वहां के हाईवे नेटवर्क में कंजेशन बहुत ज्यादा कॉमन है सिलत रीजन के जो 2022 के फ्लड्स हैं उन्होंने कई रोड्स को डैमेज कर दिया था आप सबने न्यूज़ में देखा ही होगा एग्जांपल के लिए जो ढाका चट्टोग्राम हाईवे है वहां पर ट्रैफिक जैम का सीन बहुत नॉर्मल है और कभी-कभी तो 8 से 10 घंटे तक लोग ट्रैफिक में फंसे रहते हैं अब अगर नॉर्थईस्ट के ट्रक्स भी उसी रूट पे आ गए तो कॉरिडोर का जो फायदा हमने सोचा है कि कि ट्रैवल का टाइम कम रहेगा जो हमारी लॉजिस्टिक्स कॉस्ट है वो कम हो जाएगी वो कुल मिला के फिर वहीं पहुंच जाएगा अब इसके लिए शायद दोस्तों बांग्लादेश को मिलकर फाइनेंसिंग एडीबी और वर्ल्ड बैंक से मिलेगी जिससे उनकी जो रोड्स है उनको अपग्रेड किया जा सके नहीं तो ये कॉरिडोर जो है वो सिर्फ नाम का रह जाएगा अब इसी के साथ दोस्तों जो अगला चैलेंज आता है वो है इंडियन साइड पे टेरेन और एनवायरमेंट का देखिए हम सब जानते हैं नॉर्थ ईस्ट में रोड्स बनाना मतलब मिशन इंपॉसिबल टाइप की कोई इंजीनियरिंग काबिलियत रखनी होती है माउंटेंस नदियां जोरदार बारिश लैंड स्लाइड सब कुछ मिलेगा यहां पे मतलब अगर बार ज्यादा हुई तो रोड डैमेज ट्रैफिक ब्लॉक हो जाएगा एग्जांपल के लिए 2022 के आसपास ही आसाम फ्लड्स में गुवाहाटी शिलोंग हाईवे का एक पोर्शन दो हफ्ते तक बंद रहा था अब अगर कॉरिडोर ऐसे ही रूट पे बन रहा है तो लोकल लोगों से फीडबैक और स्ट्रांग इंजीनियरिंग सॉल्यूशंस हम वहां पे चाहिए होंगे साथ ही एनवायरनमेंट की रिस्पेक्ट भी जरूरी है काजीरंगा साइड में वाइल्डलाइफ कॉरिडोर्स कट ना हो या लोकल ट्राइब्स को लैंड एक्विजिशन के लिए परेशानी ना हो अब ऐसी चीजों को हमें इंश्योर करना होगा ताकि वहां साइट पे प्रोटेस्ट ना हो जैसे हमने मणिपुर में लोकटक लेक एरिया में प्रोजेक्ट एक्सपेंशस के टाइम पे देखा था अब इसके बाद दोस्तों सबसे मेन चीज जो है वो है पॉलिटिकल विल एंड कोआर्डिनेशन की देखिए बात सीधी है मल्टी स्टेट मल्टी कंट्री प्रोजेक्ट में सबको मिलजुलकर चलना पड़ता है सेंट्रल सरकार वेस्ट बंगाल आसाम मेघालय सबकी राय एक साथ लानी होगी भारत माला परियोजना और एक्ट ईस्ट पॉलिसी के फ्रेमवर्क्स में इन कॉरिडोर्स को अलाइन करना भी जरूरी रहेगा एग्जांपल कभी-कभी हम देखते हैं कि एक स्टेट गवर्नमेंट ने अप्रूवल ले कर दिए या फंडिंग टाइम पे रिलीज नहीं हुई तो प्रोजेक्ट वहां पे लटक जाता है 2021 में जैसे वेस्ट बंगाल में इलेक्शंस के चक्कर में कुछ ट्रांस बॉर्डर प्रोजेक्ट्स में डिले हुआ हुआ था अब यह सब अगर इन दो कॉरिडोर्स के टाइम पे भी हुआ तो यह टाइमलाइन को इंपैक्ट कर सकता है तो हमें दोस्तों सस्टेंड पॉलिटिकल विल चाहिए वरना प्रोजेक्ट भाई साहब नेक्स्ट सरकार देख लेगी वाली फाइल बन जाएगी इसी के साथ दोस्तों अगला एस्पेक्ट है रीजनल इंस्टेबिलिटी का देखिए नॉर्थ ईस्ट में बॉर्डर एरियाज के आसपास हम सब जानते हैं कि म्यानमार में कु हुआ रोहिंग्या क्राइसिस चल रहा है बांग्लादेश में कभी-कभी रेडिकल एलिमेंट्स के प्रोटेस्ट होते हैं अब अगर ऐसा कोई मेजर अनरेस्ट हुआ तो क्रॉस बॉर्डर इनिशिएटिव को आसानी से झटका लग सकता है भूटान में एनवायरनमेंट और टी पर बहुत स्ट्रांग पॉलिसी है वो ज्यादा ओपन बॉर्डर से ऑलरेडी हिचक चाते हैं तो उनके अपने कंसर्न्स होंगे लेकिन भारत के लिए उन कंसर्न्स को अड्रेस करना जरूरी है सिक्योरिटी पर्सपेक्टिव से हम सब देखते हैं कि इलीगल ट्रैफिकिंग और इंसर्जनल मेंट एक रियल इशू है जितना ज्यादा बॉर्डर्स खुलेगी उतना ही स्ट्रांग विजिलेंस और कोआर्डिनेशन चाहिए होगा और ये कोआर्डिनेशन हमें वहां की लोकल पुलिस से लेकर बीएसएफ एसएसबी और लोकल एजेंसीज के बीच चाहिए इसके बाद दोस्तों आता है फाइनेंशियल और टेक्निकल फीजिबिलिटी का एस्पेक्ट देखिए दोनों कॉरिडोर्स में हैवी इन्वेस्टमेंट लगे रोड अपग्रेडेशन रेलवे लाइंस कस्टम इंफ्रास्ट्रक्चर सब कुछ सरकार सिंगल हैंडेडली सब नहीं कर सकती शायद यहां पे हमें पीपीपी पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप या एक्सटर्नल फंडिंग की भी जरूरत हो एग्जांपल के लिए मैत्री सेतु जिसे त्रिपुरा फेनी बांग्लादेश के बीच बनाया गया था उसमें दोनों देशों ने मिलकर काम करा अब ऐसे ही बड़े लेवल पे प्रोजेक्ट्स करने पड़ेंगे पर इन सब में दोस्तों सबसे मेजर जो अहम रोल है वो निभाएंगी फीजिबिलिटी स्टडीज जो वहां पे रियलिस्टिक होनी चाहिए कि भाई कितने ट्रक्स डेली चलेंगे टोल से कितनी इनकम होगी ताकि प्रोजेक्ट फ्यूचर में वाइट एलीफेंट ना बन जाए अब यह बात न्यूज़ में आई थी कि कभी-कभी हम महंगे प्रोजेक्ट बनाते हैं पर यूसेज उनका कम रहता है जैसे कि भारत में यह कुछ एयरपोर्ट प्रोजेक्ट्स के साथ हुआ सो हमें ये इंश्योर करना होगा कि जब कॉरिडोर बन जाए तो ट्रेडर्स ट्रांसपोर्टर्स को एक्चुअली इसे चलाने का इंसेंटिव हो शायद हम लोअर टोल्स या फास्टर कस्टम क्लीयरेंसस भी ऑफर कर सकते हैं अब दोस्तों लेकिन लास्टली ये चैलेंजेबल हैं पर हमें याद रखना चाहिए कि जितना बड़ा फल उतनी लंबी चढ़ाई होती है बीबी आईन जैसे बांग्लादेश भूटान इंडिया नेपाल इनिशिएटिव और एक्टस जैसे फोरम्स में ये सब मुद्दे ऑलरेडी चल रहे हैं अगर सरकार लोकल कम्युनिटी और पड़ोसी देश सब एक डायरेक्शन में चल पड़े तो इन कॉरिडोर्स को ग्राउंड लेवल पे उतारना मुमकिन है क्योंकि आखिर में यह सिर्फ एक सड़क का प्लान नहीं बल्कि नॉर्थ ईस्ट के सपनों को पूरा करने का एक सीधा रास्ता है प्रोग्रेस का हाईवे तभी बनेगा जब हम इन हर्डल्स को एक-एक करके पार कर लेंगे अब बस पॉलिटिकल रिजॉल्व और सही कोऑर्डिनेशन की जरूरत है और फिर आप देखना नॉर्थ ईस्ट की पहचान इन दो कॉरिडोर से एकदम से बदल जाएगी अब दोस्तों इसी में अगर हम देखें कि दुनिया भर में पहले भी क्या कॉरिडोर बेस डेवलप के मस्त एग्जांपल्स हैं तो जी हां सो दोस्तों दैट वाज एनालिसिस फॉर टुडेज वीडियो अब आपके इसके बारे में क्या विचार है कि जो नॉर्थ ईस्ट के लोकल लोगस हैं वो भी अपने इनसाइट्स दीजिएगा कि इन दो प्रोजेक्ट्स को इंप्लीमेंट करते टाइम सरकार को किन बातों का ध्यान और भी रखना चाहिए और लोकल ग्राउंड लेवल के इनसाइट्स क्या है आपको क्या लगता है कि क्या नॉर्थ ईस्ट का हुलिया जो है ये दो प्रोजेक्ट्स बदल पाएंगे डू मेंशन इन द कमेंट जल्द मिलते हैं एक नई वीडियो के साथ टिल दैट टाइम थैंक यू सो मच टेक केयर ऑफ योरसेल्फ स्टडी आईक्यू आईएस आपका सिलेक्शन हमारा मिशन