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लॉ ऑफ अट्रैक्शन: कॉन्शियस माइंड, सबकॉन्शियस माइंड और थर का कनेक्शन

Jul 1, 2024

लॉ ऑफ अट्रैक्शन: कॉन्शियस माइंड, सबकॉन्शियस माइंड और थर का कनेक्शन

इंट्रोडक्शन

  • पिछली एपिसोड में थर के बारे में चर्चा की थी।
  • थर एक स्पेस है जहां सारी सम्भावनाएँ (probabilities) वाइब्रेशनल फॉर्म में विद्यमान होती हैं।
  • आज का टॉपिक: कॉन्शियस माइंड, सबकॉन्शियस माइंड और थर का कनेक्शन।

कॉन्शियस माइंड (Conscious Mind)

  • कॉन्शियस माइंड फिल्टर की तरह काम करता है।
  • प्रेजेंट में काम करने वाला माइंड, जहां हम बात करते हैं, चीजें देखते हैं, इत्यादि।
  • कॉन्शियस थॉट्स सबकॉन्शियस माइंड में प्रवेश करते हैं।

सबकॉन्शियस माइंड (Subconscious Mind)

  • हैबिट माइंड है।
  • एक बार कॉन्शियस माइंड से फिल्टर होकर कॉन्सिस्टेंट थॉट्स इसमें प्रवेश करते हैं।
  • थॉट्स जो यहाँ लंबे समय तक रहते हैं, वे थर (Ether) में जाते हैं।

थर (Ether)

  • थर में थॉट्स वाइब्रेशनल स्टेट में होते हैं।
  • जब थर में फ्रीक्वेंसी बनती है, तो वही फिजिकल फॉर्म में हमारे सामने प्रकट होती है।

कनेक्शन के प्रोसेस

  • कॉन्शियस माइंड → सबकॉन्शियस माइंड → थर → वाइब्रेशनल फ्रीक्वेंसी → फिजिकल फॉर्म
  • उदाहरण: अगर 10 थॉट्स में से एक थॉट लगातार सोचा जाए, तो वह सबकॉन्शियस माइंड में प्रवेश करता है और फिर थर में जाकर फिजिकल रूप में प्रकट होता है।

कॉन्शियस माइंड का फिल्टर

  • कॉन्शियस माइंड हमें अनचाहे थॉट्स से बचाता है।
  • केवल वही थॉट्स हमारे सबकॉन्शियस माइंड में जाते हैं, जो रेगुलर और शक्तिशाली होते हैं।
  • हमें केवल पॉजिटिव थॉट्स को ही सबकॉन्शियस माइंड के लिए चुनना चाहिए।

टेकअवे

  • अपने माइंड और थॉट्स को हमेशा पॉजिटिव रखना महत्वपूर्ण है।
  • जैसा थॉट्स होंगे, वैसी ही फिजिकल रियलिटी बनेगी (नेगेटिव या पॉजिटिव)।

निष्कर्ष

  • पॉजिटिव थॉट्स को एन्करेज करें और नेगेटिव थॉट्स को अवॉइड करें।
  • वीडियो को लाइक, शेयर और चैनल को सब्सक्राइब करें।