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भारत में खाद्य सुरक्षा की स्थिति

क्लास 9th Rapid Revision चैप्टर है हमारे पास में Food Security in India Food Security बेसिकली ऐसा कुछ नहीं है कि खाने के आजुबाजु बॉडिगार्ट लगाना है Simple concept है कि खाना sufficient quantity में available हो, affordable हो लोग एक्सेसिबल हो हर व्यक्ति तक खाना पहुंच सके क्योंकि बहुत सारे ऐसे सेक्शन इन तक खाना नहीं पहुंच सकता है दो वक्त का खाना अफॉर्ड नहीं कर सकते ले नहीं सकते हैं वह सेक्शन कौन से है उन्हें खाना देने गवर्नमेंट में क्या इन प् डिस्ट्रिविशन सिस्टम बफर स्टॉक और रैशनिंग सिस्टम जो पब्लिक डिस्ट्रिविशन सिस्टम के अंदर में आता है तो इंडिया रैशनिंग सिस्टम कैसे इवाल हुआ उसमें क्या चैलेंजेंग है करेंट स्टेटस क्या है कॉपरेटिव का फूट सेक्यॉरिटी इस दिग्राश सिंह राजपूत वेलकम टॉप चैनल अगर हम बात करें तो तीन डाइमेंशन से फूट सेक्यॉरिटी के पहला वो हो सकता है आप इंपोर्ट करके अवेलेबल करवाओ या फिर आपके पास कोई previous year का stocks आपकी granaries में आपने भरके रखाओ दूसरा dimension होता है accessibility of food यानि कि food जो है हर व्यक्ति की पहुँच तक रहे अवेलेबिलिटी ना होने के कारण भी खाना होना या ना होना एक समानी है तो अवेलेबिलिटी, एकसेसिबिलिटी और अफ़ॉर्डबिलिटी तीन डाइमेंशन्स होते हैं अगला टॉपिक आता है वाइ फूट सिक्योरिटी पर जाते हैं, लोग अफ़ॉर्ड नहीं कर सकते हैं, और इस कारण लोगों की भूक के कारण मित्ती होती है, इसी स्थिती को बैंगॉल फेमाइन कहा जाता है, जब लार्ज स्केल डेथ होती है, डूटू स्टार विशन, बैंगॉल फेमाइन ऑफ नाइन टीन फोर्टी थी, वर्ल्ड वार के टाइम परिड में ब्रिटिश पूरा लूट ले गए थे, तब ऐसी स्थिती डेवलप हुई थी, कि करोड़ रिमोट एरियास में भूख के कारण आज भी लोग मर रहे हैं। कौन है देखो वैसे तो एक large section जो है हमारी population का food insecure है लेकिन शहरों में और गाओं में अगर दिखा जाए तो गाओं में जो landless workers होते हैं poor होते हैं beggars होते हैं destitutes होते हैं वो लोग food insecure होते हैं शहर में जो casual workers हो गए हैं जो ill paid होते हैं जिनके पास में बहुत ज़ादा skills नहीं होती है कभी social composition भी food insecurity की तरफ लोगों को धखेल देता है जैसे गरीब भी है साथ ही साथ schedule का schedule tribe या फिर other backward category को belong करता है तो क्या हो रहा है कि लोटे मच्चे हो गए अगर मान लोग गरीब परिवार है तो जो बच्चा पेट में पल रहा है वो माल मेनेश्मेंट का सिकार हो सकता है साथ ही साथ आपको देखने मिल रहा है कि प्रेगनेंट विमेन हो गई ओल्ड पीपल, एज़ पीपल हो गई, विडोज हो गई फुड इंसिक्यॉर लोग अगर आप देखेंगे तो रीजन वाइस भी आपको देखने को मिल सकते हैं insecurity में hunger भी एक important part होता है, hunger सिर्फ गरीबी को दर्शाता नहीं है, in fact कभी गरीबी का कारण भी बनता है, hunger यानि कि sufficient quantity और quality में food का ना होना, अब अगर आप देखेंगे तो दो तरह का hunger होता है seasonal hunger, मतलब एक season तक खाना मिल रहा है, दूसरे season में खाना नहीं है, agricultural areas में इस तरह की food insecurity देखने को मिलती है, seasonal hunger देखने को मिलता है, क्यों sufficient quantity में और quality में afford कर सकता है, और available होता है, वैसे ये chronic hunger भूख को मिटा नहीं पाए पॉइंट बिंग की मल्टिपल डामेंशन से लेकिन सरकार ने प्रयास किया जैसे ग्रीन रेवोलूशन इंट्रीडूस किया गया 1960 में और उसके चलते वीड का प्रोडक्शन बहुत बड़ा फोकस राइस पे लाया गया, राइस का भी प्रोडक्शन बढ़ाया गया और इस तरह से हमने सफिशिंट क्वांटिटी में फूड अपने लिए अवेलेबल करवाया तो जिसे अगर आप देखेंगे तो दो डामेंशन्स है बफर स्टॉक क्या इसको समझते हैं कैसे किये जाएंगे FCI जो है वो फार्मर्स से फूट ग्रेइन्स पर्चेस करती है और MSP, Minimum Support Price, यानि कि एक Pre-Announced Price फार्मर्स को दे दी जाती है, कि देखो भीया, गेहूं प्रड्यूस करोगे तो हम आपसे गेहूं 2700 रुपए क्विंटल में खरी देंगे, तो ये MSP सेट की कर दी जाती है, फार्मर्स से फ फूड डेफिसिट एरियाज में कंट्री के रिमोट पार्ट में गरीब लोगों तक और उन्हें कम दामों पर फूड ग्रेन दिये जाते हैं जिन्हें इशू प्राइस कहा जाता है ये पूरा एक डामेंशन हो गया दूसरा डामेंशन है पब्लिक डिस्ट्रिबूशन सिस्ट बूकर करके स्टोर कर लिया अब इसे रेशन शॉप्स के थ्रू जिन्हें फेयर प्राइस शॉप्स भी कहा जाता है उनके थ्रू गरीबों तक पहुंचाया जाता है एक फैमिली जिसके पास में रेशन कार्ड है रेशन का अलग-अलग प्रकार के हो सकते हैं अंतोदया कार्ड अब पवर्टी लाइन कार्ड बिलो पवर्टी ला पांच किलो तक के शकर और पांच लिटर तक का कैरोसिन ये सारा समान एक गरीब परिवार हर महने के हिसाब से हर व्यक्ति के हिसाब से ले सकता है अपने रैशन कार्ट के हिसाब से और ये दुकाने जो रहती गवर्मेंट रेगुलेटिड रहती ने रैशन शॉप्स कहा जात पाकिस्तान और चाइना के साथ हमारी लड़ाई चल रही थी फिर 1970s में जो बढ़ते पौवर्टी के इंसिडेंट्स थे उसके चलते NSSO ने तीन नाइमेशन सज़ेस्ट करे जो था एक PDS अलरेडी एक्जिस्ट करता था उसको स्ट्रेंदन करने की बात करी की काम दो जिससे लोग कमाएंगे और खाएंगे आत्मा निर्भर आराज इसके अलावा भी बहुत सारे पॉवर्टी लेविशन प्रोग्राम चलाये गए चल रहे थे बात में लेडर ओन भी आप क्या देखेंगे तो जैसे मिड्या मिल स्कीम जैसे स्कीम्स इंटरड्यूस की गए जो फूट सिक्यॉरिटी इंशॉर कर सके इसके अलावा एंप्लॉयमेंट जनरेशन प्रोग्राम जो थे जिससे लोगों को रोजगार चैनल आगे बढ़ता है अगला टॉपिक आता है करेंट स्टेटस ऑफ पब्लिक डिस्ट्रीबिशन सिस्टम पब्लिक डिस्ट्रीबिशन बनाया जा सके यह जो चार्ट देख रहे हो आप इस चार्ट में आपको हर चीज समझ में आईगी जैसे पब्लिक डिस्ट्रिबिशन सिस्टम की 1992 तक कवरेज जो थी वो यूनिवर्सल थी 2.34 रुपीज में वीट और 2.89 रुपीज में राइस सबको मिलता था 1992 में रिवैंट पब्लिक डिस्ट्रिबिशन सिस्टम इंटरिडूस किया गया जहाँ पे कंट्री के 1700 बैकवर्ड ब्लॉक्स को डिसाइड किया गया 20 केजी आफ ग्रेंस फूट ग्रेंस हर इंडिविजियल को दिया जाएगा जहाँ पे वीट 2.80 रुपीज केजी मिलेगा और पीज में टीपीडीएस टार्गेटेड पब्लिक डिस्ट्रिब्यूशन सिस्टम इंट्रीड्यूस किया जाता है 1997 में यह जो स्किन लांच की गई थी इस स्किन में कैटेग्राइज कर दिया गया पूर और नॉन पूर को मतलब बीपीएल कार्ड और एपीएल अन्नपुर्णा स्कीम यह दो मेजर स्कीम यह 2002 में इंट्रीड्यूस की गई जहां पर आप अंतोदया अन्योजना में पूरेस्ट ओफ दी पूर को फूट ग्रेंज देंगे और अन्य पूर्णा स्किम में इंडिजेंट सीनियर सिडिजन्स को फूट ग्रेंज दिये जाएंगे फ्री इसके अलावा एक जो मेजर स्टेप लिया गया वो 2013 में लिया गया जब नाशनल फूड सिक्यॉरिटी एक्ट लाया गया जहां पे ये रिकगनाइज किया गया कि 75% जो जनसंक्या है गाओं की और 50% जो जनसंक्या है शहर की वहाँ पे प्रायोरिटी हाउसोल्ड स्टाइ किये जो चावल होता है वो प्रोवाइड किया जाएगा हर एक गरीब को यह पूरा पब्लिक डिस्ट्रिप्शन सिस्टम का जो नेटवर्क था इसके अडवांटिजेस अगर देखोगे तो फूड अवेलेबिलिटी और अफॉर्डिबिलिटी एक्सेसिबिलिटी इंशॉर कर प बंगर और फेमाई जैसी सिच्वेशन नार बने इन कंट्री में और साथ ही साथ जब एमएसपी दिया गया और फूट प्रोक्यूर किया गया तो उससे फार्मर्स ने फूट ग्रेंस का प्रोडक्शन भी बढ़ाया उनकी इंकम भी स्टेबल हुई है इन सारी चीजों पेश करता है जैसे सबसे पहला और बड़ा क्रिटिसिजम है कि ग्रेनरी फुल है ओवरफ्लो कर रहा है फुट ग्रेंस बफर स्टॉक्स में लेकिन फिर भी ���ोग भूके मर जा रहे हैं कारण कि प्रॉब्लम टारगेटिंग नहीं हो पारी है बफर स्टॉक्स बहुत ज्यादा मिंटेनेंट उसका कॉस्ट बह� अनाक पड़े सड़ जाता है और एक तरफ हम यही नहीं देख पा रहे कि कुछ लोग भूके मर जा रहे क्योंकि सिस्टम एफिशिंट नहीं है। दूसरी मीजर समस्या यह देखने को मिलती है कि क्रॉपिंग पैटर्न बदल गया है। रेशन शॉप्स होते हैं, वहाँ पे बहुत सारी माल प्रक्टिसेस होती हैं, फूट ग्रेंस को ओपन मार्केट में सप्लाई कर दिया जाता है, खराब ग्रेंस बेच दिया जाते हैं, दुकाने बंद कर दिया जाती है, लोगों को बेवकूग बनाया जाता है, इसके अला� पैसा तेरे पाप का नहीं है कॉपरेटिव एडिंट रोट ले कर रहे हैं फूट सेक्यॉरिटी इंशायर करने में जैसे मदर मदर डेली में अमूल इन थी वह ऑल कंट्री एडिस अकैडमी ऑफ डेवलपमेंट साइंस जो ग्रेड बैंक डेवलप करवाता आपको मिल जाएगा थैंक यू बेरी मच अ