Overview
इस पाठ में मीरा बाई के जीवन, उनके कृष्ण भक्ति के दो पदों और उनकी काव्यगत विशेषताओं का संक्षिप्त अध्ययन किया गया।
मीरा बाई का जीवन परिचय
- मीरा बाई का जन्म 1498 ई. के आसपास राजस्थान के चौकड़ी गाँव में हुआ।
- उनके पिता का नाम रत्नसिंह था; वे जोधपुर संस्थापक राव जोधा की प्रपौत्री थीं।
- बचपन में ही माता का देहांत हो गया, पितामह धार्मिक प्रवृत्ति के थे।
- मीरा बचपन से श्रीकृष्ण को अपना आराध्य मानती थीं।
- उनका विवाह उदयपुर के राजा सांगा के पुत्र भोजराज से हुआ।
- पति की मृत्यु के बाद मीरा की कृष्ण भक्ति और प्रगाढ़ हो गई।
- राजपरिवार द्वारा विरोध के बावजूद मीरा ने श्रीकृष्ण भक्ति नहीं छोड़ी, अंततः वृंदावन और द्वारका में भक्ति-जीवन बिताया।
मीरा के पद: भाव और आशय
- पहले पद में मीरा, श्रीकृष्ण से उनकी पीड़ा दूर करने की प्रार्थना करती हैं।
- पद में द्रौपदी, प्रह्लाद, और गजराज की कथा का उदाहरण दिया गया है।
- मीरा श्रीकृष्ण को अपना स्वामी मानती हैं, वे अपने दुखों से मुक्ति चाहती हैं।
- दूसरे पद में मीरा, श्रीकृष्ण की दासी बनने की इच्छा व्यक्त करती हैं।
- वे वृंदावन में बाग लगाकर, महल बनाकर श्रीकृष्ण के दर्शन की अभिलाषा करती हैं।
- मीरा का हृदय श्रीकृ ष्ण मिलन के लिए व्याकुल है—वो किसी भी परिस्थिति में उनसे मिलना चाहती हैं।
काव्य-सौंदर्य: भाव पक्ष एवं कला पक्ष
- भाव पक्ष में भक्ति और श्रीकृष्ण मिलन की भावना प्रमुख है।
- कला पक्ष में ब्रज और राजस्थानी भाषा के मिश्रित शब्दों का प्रयोग है।
- दृष्टान्त अलंकार, अनुप्रास, पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार का प्रयोग हुआ है।
- शैली गायन योग्य, सरस और प्रभावशाली है।
- पदों में श्रीकृष्ण के रूप, लीला व भक्तों की रक्षा का निरूपण किया गया है।
Key Terms & Definitions
- दासी — सेविका (नौकरानी), यहाँ भक्त का प्रतीक।
- चीरहरण — द्रौपदी के वस्त्र उतारने की पौराणिक घटना।
- नरसिंह अवतार — विष्णु का आधा सिंह आधा मानव रूप।
- गजराज — हाथी, जिसकी रक्षा विष्णु ने मगरमच्छ से की।
- दृष्टान्त अलंकार — उदाहरण देकर भाव स्पष्ट करना।
Action Items / Next Steps
- इस पाठ्या ंश के NCERT प्रश्नों के हल अगली कक्षा में तैयार करें।
- मीरा बाई के दो पदों को दोबारा पढ़ें।