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मीरा बाई का जीवन और पद

Sep 11, 2025

Overview

इस पाठ में मीरा बाई के जीवन, उनके कृष्ण भक्ति के दो पदों और उनकी काव्यगत विशेषताओं का संक्षिप्त अध्ययन किया गया।

मीरा बाई का जीवन परिचय

  • मीरा बाई का जन्म 1498 ई. के आसपास राजस्थान के चौकड़ी गाँव में हुआ।
  • उनके पिता का नाम रत्नसिंह था; वे जोधपुर संस्थापक राव जोधा की प्रपौत्री थीं।
  • बचपन में ही माता का देहांत हो गया, पितामह धार्मिक प्रवृत्ति के थे।
  • मीरा बचपन से श्रीकृष्ण को अपना आराध्य मानती थीं।
  • उनका विवाह उदयपुर के राजा सांगा के पुत्र भोजराज से हुआ।
  • पति की मृत्यु के बाद मीरा की कृष्ण भक्ति और प्रगाढ़ हो गई।
  • राजपरिवार द्वारा विरोध के बावजूद मीरा ने श्रीकृष्ण भक्ति नहीं छोड़ी, अंततः वृंदावन और द्वारका में भक्ति-जीवन बिताया।

मीरा के पद: भाव और आशय

  • पहले पद में मीरा, श्रीकृष्ण से उनकी पीड़ा दूर करने की प्रार्थना करती हैं।
  • पद में द्रौपदी, प्रह्लाद, और गजराज की कथा का उदाहरण दिया गया है।
  • मीरा श्रीकृष्ण को अपना स्वामी मानती हैं, वे अपने दुखों से मुक्ति चाहती हैं।
  • दूसरे पद में मीरा, श्रीकृष्ण की दासी बनने की इच्छा व्यक्त करती हैं।
  • वे वृंदावन में बाग लगाकर, महल बनाकर श्रीकृष्ण के दर्शन की अभिलाषा करती हैं।
  • मीरा का हृदय श्रीकृष्ण मिलन के लिए व्याकुल है—वो किसी भी परिस्थिति में उनसे मिलना चाहती हैं।

काव्य-सौंदर्य: भाव पक्ष एवं कला पक्ष

  • भाव पक्ष में भक्ति और श्रीकृष्ण मिलन की भावना प्रमुख है।
  • कला पक्ष में ब्रज और राजस्थानी भाषा के मिश्रित शब्दों का प्रयोग है।
  • दृष्टान्त अलंकार, अनुप्रास, पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार का प्रयोग हुआ है।
  • शैली गायन योग्य, सरस और प्रभावशाली है।
  • पदों में श्रीकृष्ण के रूप, लीला व भक्तों की रक्षा का निरूपण किया गया है।

Key Terms & Definitions

  • दासी — सेविका (नौकरानी), यहाँ भक्त का प्रतीक।
  • चीरहरण — द्रौपदी के वस्त्र उतारने की पौराणिक घटना।
  • नरसिंह अवतार — विष्णु का आधा सिंह आधा मानव रूप।
  • गजराज — हाथी, जिसकी रक्षा विष्णु ने मगरमच्छ से की।
  • दृष्टान्त अलंकार — उदाहरण देकर भाव स्पष्ट करना।

Action Items / Next Steps

  • इस पाठ्यांश के NCERT प्रश्नों के हल अगली कक्षा में तैयार करें।
  • मीरा बाई के दो पदों को दोबारा पढ़ें।