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मार्केटिंग का महत्व और परिभाषा

है तो मीनिंग ऑफ मार्केटिंग तो जैसा कि आपको पता है कि सभी यूमन बिंग्स की कुछ नीचे होती है कुछ वांट होती है कुछ डिमांड होती है अगर आपने नीचे वांट डिमांड क्या होता है नहीं देखा है तो हमारे उस वीडियो प्रोडक्ट टैबल होते हैं, there is a requirement of some product, it may be good, service or any other thing that fulfill the human need and wants, यानि कि कोई न कोई प्रोडक्ट होगा, या चाहे वो good हो, चाहे service हो, या फिर कोई और चीजों जिससे कि human की need, want, demand fulfill होती है, अब यह जो प्रोडक्ट हो कहां से आता है, तो that product is provided by the different manufacturing service or provider companies, तो यह human की need, want, demand को fulfill प्रोवाइड करते हैं, आइए फिगर से समझने की कोशिश करते हैं, तो देखे human है, human की कुछ need, want या demand होती है, उस need, want, demand को fulfill करने के लिए क्या होता है, product होता है, वो product कहां से आता है, manufacture organization उसको develop करता है, और manufacture organization develop करके क्या करता है, create करता है, communicate करता है, deliver करता है, किसको कि सटिस्ट करने के लिए किसको सटिस्ट करने के लिए यूमन को अब यह पूरा फिगर आप समझने की कोशिश करें यूमन जो है उसकी नीड वांडिमेंट होती है उसको प्रोडक्ट बना उसकी नीड वांडिमेंट को फुल्फिल करने के लिए प्रोडक्ट होता है प्रोडक्ट जो है मैनिफेक्ट्रीय ऑग्नाइजेशन प्रोवाइड करता है क्रिएट करता है कमिनिकेट कर marketing का काम क्या है कि वो human की need and want को identify करे उसके according product develop करे और product provide करके human को satisfy करे that is marketing तो अगर हम definition की बात करें तो आप अब easily marketing को define कर सकते हैं क्या कि identifying and satisfying human need and wants profitably आपने जैसे की पहले देखा कि क्या था कि हमने identify किया कि human की need या want या demand क्या है और उसके बाद हमने product बनाया उसको create किया उसको communicate किया और deliver किया customer को जैसे कि क्या हुआ हो satisfied हुआ human की need and want को satisfied किया और हमने profit भी earn किया और बात है अगर customer purchase करेगा हमारा product बाबा purchase करेगा तो हमें company को profit होगा तो यह basic definition है single line की कि identifying and satisfying human need and wants profitably this definition was given by Philip Kotler यह definition फिलिप कोटल है जो की पेस्ट रिनाउंड ऑर्थर है मार्केटिंग के फिलिप कोटलर उन्होंने यह रिपोर्ट देखिए आइडेंटिफाइंग एंड सटिस्फाइंग प्रोफिटिवली इस मार्केटिंग दूसरी टर्म्स में बात करें कि मार्केटिंग क्या होता है तो मार्केटिंग इज एन ऑर्गनाइजेशनल फंक्शन एंड सेट आफ प्रोसेस फॉर क्रियेटिंग कम्युनिकेटिंग एंड डिलेवरिंग वैल्यू टू कस्टमर इन वे� जिसमें कुछ process होते हैं, कौन-कौन से process होते हैं, create करना, communicate करना and delivering value, create करना यानि कि product को बनाना, communicate करना यानि product जो बनाया है उसके बारे में लोगों को बताना और delivering value बताने के बाद उस value को उस product को market तक deliver करना, market तक पहुचाना है। जिससे कि customer उसको purchase कर सके और इससे क्या होगा इससे organization को भी benefit मिलेगा customer की need wants fulfill होगी और stakeholders जो है उस company के उनको भी फायता होगा तो marketing is an organizational function and set of process for creating, communicating and delivering value to customer in ways that benefit the organization and its stakeholders. ये definition दी गई थी American Marketing Association दोरा कि मार्केटिंग की डिफिनेशन तो एक डिफिनेशन जो है आइडेंटिफाइंग सटिस्ट फाइंड नीड एंड वांट्स प्रोफिटेवली डिफिनेशन जो है आइडेंटिफाइंग सटिस्ट फाइंड एंड वांट्स प्रोफिटेवली यह डिफरेशन दे गई फिलिब कोटले वाले जैसे में कि सोसाइटी के बेस पर था कि मार्केटिंग क्या एक सोसाइटल प्रोसेस है मार्केटिंग एक सोसाइटल प्रोसेस बाय विच इंडिविजुअल एंड ग्रूप्स यानि कि इंडिविजुअल यानि कि हम लोग या ग्रूप्स मतलब कि फैमिली सोसाइटी आप टेन वाट डिनेट एंड वांट्स यानि कि वो जो चाहते हैं इंडिविजुअल एंड ग क्रिएट करके, बनाके, आफर करके और एक्स्चेंज करके क्या एक्स्चेंज करते हैं? प्रोडक्ट और सर्वेस और वैल्यू तो ये तेन important definitions हैं marketing के, जो Philip Kotledora और American Marketing Association दे गए थे, और hope कि आपको समझ में आ गया होगा, कि marketing क्या है, marketing is nothing, marketing simple सा है कि, जो human की need and wants है, उसको identify करिए, उसके according product develop करिए, और customer तक उसको deliver करिए, और profit earn करिए, that is marketing. अब हम बात करें marketing management थे, तो marketing management यानि की, मैंनेज करना मार्केटिंग को डेटिज मार्केटिंग ने आर्ट एंड साइंस आफ चूजिंग टार्गेट मार्केट एंड गेटिंग कीपिंग ग्रोइंग कस्टमर्स थोक आर्ट और साइंस है टार्गेट मार्केट को चूज करना और उसमें जो टार्गेट मार्केट है उसमें कस्टमर्स को पाना उनको थोड़ा प्रेटिंग डिलीवरिंग एंड कम्युनिकेटिंग सुपीरियर कस्टमर वैल्यू आपका सुपीरियर कस्टमर वैल्यू देंगे तो आपके आपके आपके आपके कि कस्टमर ओरियंटेड होता है मार्केटिंग यहां जैसे कि आपने पहली लाइन में डिफरेशन देखा होगा कि आइडेंटिफाइंग और सब्सक्राइब करते हैं और इनकेपेशन यानि कि सब कुछ इंट्रूट करते हैं यह सभी डिपार्टमेंट को सभी चीज कि मार्केटिंग करने के लिए क्रिएटिविटी बहुत ही ज्यादा जरूर है क्योंकि डिजाइन क्रिएटिविटी होगी आपके अंदर तभी कस्टमर को एट करेगा मार्केटिंग एकोनॉमिक फंक्शन और विश्व बात एकोनॉमिक फंक्शन क्योंकि कि प्रोसेस मार्केटिंग है ड्यूअल ऑब्जेक्टिव प्रोफट मेकिंग एंड कस्टमर सटिस्टेशन तो मार्केटिंग की दो ही मेन प्लानिंग और डेवलपमेंट करते हैं यानि कस्टमर के नीड एंड वांट को अपने स्टेडी कर लिया कस्टम की बेहेवर को इस टीविट उसके अकॉर्डिंग आपके रहते प्रोडक्ट प्लानिंग करते हो डेवलप करते प्रोडक्ट उसको ब्रैंड करते नहीं है चैनल आफ डिस्ट्रीविशन की कैसे कस्टमर तक पहुंचेगा वह से रिटेलेंड के थ्रू प्रोमोशन कैसे करना है यह सभी चीजें किसमें आती है मार्केटिंग में अब नेक्स्ट टॉपिक देखेंगे फंक्शन ऑफ मार्केटिंग यानि मार्केटिंग में क्या-क्या प्रोडक्ट की ब्रेंडिंग नेम डिसाइड किया जाता है प्रोडक्ट का प्राइसिंग की जाती है प्रोडक्ट की प्रोमोशन की जाती है और स्टोरेज एंड वेयर हॉशिंग की जाती है प्रोडक्ट की ऑफिस व्यक्ति अपने यहां कंपनी में या फिर रिटेलर के वेयर हॉशिंग पर होल्सलर के यहां स्टोर होता है वेयर हॉशिंग या थे और ट्रांसपोर्टेशन कंपनी से कस्टमर तक कि अब बात करेंगे इंपोर्टेंस यह ऑप्शन टीम ऑफ मार्केटिंग की मार्केटिंग का ऑप्शन टीम पॉजिट्स क्या है तो सबसे पहले चीज प्रोवाइड सटिस्टिफिक्शन टू द कस्टमर यह पेसिक यह ऑब्जेक्टिव होता है सभी कंपनी का कि कस्टमर कि ट्रिप्ट फॉर द ऑग्नाइजिशन ऑग्नाइजिशन के गुड़विल क्लिएट करना और जनरेट प्रॉफिटेबल सेल्स वॉल्यूम कंपनी के लिए प्रॉफिटेबल सेल्स वॉल्यूम जनरेट करना तो यह कुछ ऑब्जेक्टिव थे और जिसम कि अब बात करें कि फॉर्ट इज मार्केटिंग कि चीजों की मार्केटिंग की जाती है तो दस ऐसे चीजें हैं जिनकी मार्केटिंग की जाती है सबसे पहले चीजें गुट्स ने जैसे मशीन टीवी का ट्रैक्स जो भी आप डिवरिबल कुछ देखते बावर सो के कार्य तो जितने भी सर्विस टाइप के नेचर के फंक्शन होते हैं बिजनेस होते हैं उस सभी की मार्केटिंग की तो सबकी भी मार्केटिंग क्या की जाती है अब न्यूज में देखते होंगे टीवी में देखते होंगे एक्सप्रियंसेस यानि कि आप जहां हैं और देखते हैं अमता बच्चा सचिन तिन तरफ की इन सबका थ्रू यह मार्केटिंग की जाती है तो प्रसन्स की कि तू क्या है पर सारून की मार्केटिंग प्लेस की मार्केटिंग कर सकते हैं जैसे कोई टूरिस्ट प्लेस है हेडक्वार्टर्स है जहां पर फैक्टर है एसीज होते हैं स्पेशल एक्टोमिक जोन्स वहां के भी मार्केटिंग कर सकते हैं प्रॉब्लम इसकी मार्केटिंग कर सकते हैं रियल इस्टेट जो आप देखते हैं सहारा हो गया जिप हो कर सकते हैं जैसे कि आप देखते हैं कि डिफरेंट डिफरेंट पब्लिकेशन की बुक्स आती है वह अपनी मार्केटिंग करते हैं हमारे बुक्स बेस्ट है किसी भी एक्जाम्स के लिए तो यह 10 चीजें है जिनके आप मार्केटिंग कर सकते हैं तो मार्केटिंग करता है एक पर्सन और कंपनी डेट एडविटाइज और परमोट समझ फॉर सेलिंग ऐसा कोई पर्सन या ऐसी कोई अब तीन टर्म हैं मार्केट प्लेस मार्केट स्पेस और मेटा मार्केट यह तीन टर्म नॉमली पूछा जाता है तो मार्केट प्लेस क्या होता है मार्केट प्लेस आने कि कोई भी ऐसा प्लेस जहां पर फिजिकली वह शॉप एक्जिस्ट करते हैं वहां आपके अगर प्रोडक्ट को प्रसेज करते हैं तो मार्केट प्लेस का इस फिजिकल सच एक इस टोर मार्केट स्पेस मार्केट तो शॉप ऑन दाइंटर जैसे कि अमेज़न फ्लिप कार्ट्स स्नैप डिल आप यहां से प्रोडक्ट परशेष करते हैं यह क्या है मार्केट स्पेस और वहां पर एक थर्ड तरफ है मेटा मार्केट मेटा मार्केट मेट क्लस्टर ऑफ कंप्लीमेंटरी प्रोडक्ट देखिए ऑटो मेटा ऑटो मोबाइल मेटा मार्केट वहां पर क्या है कि आपको ऑटोमोबाइल मैनुफरेक्शन कंपनी होते हैं फिरांसिंग कंपनी होते हैं इंसुरेंस कंपनी होते हैं पार्ट्स वाले होते हैं सर्विस वाले ऑटो साइट होते हैं तो यह सारी चीजें क्या है आपको एक ही जगह जब सारी फैसलिटी मिल जाती तो उस टाइप के मार्केट को कहते हैं मेटा मार्केट अब हम बात करेंगे को कॉन्सेप्ट का मतलब होता है कि फंडामेंटल और सेंटरल कॉन्सेप्ट डेट इसेंसियल यानि कि किसी भी चीज का कोई कोर कॉन्सेप्ट उस चीज की बात हो जाती है तो इसी तरह से यहां पर हम बात करें को कॉन्सेप्ट ऑफ मार्केटिंग यानि कि मार्केटिंग का जो फंडामेंटल है जो सेंटरल कॉन्सेप्ट है उसके बारे में हम देखेंगे कि क्या सेंटरल कॉन्सेप्ट है मार्केटिंग का तो इसी डिफरेशन से हमारा जो है कोर्ड कॉन्सेप्ट निकलेगा कि जो कोर्ड कॉन्सेप्ट बेसिक या फंडामेंटल कॉन्सेप्ट है इसेंशियल पार्ट है मार्केटिंग का वह इसी डिफरेशन निकलेगा कि कौन-कौन से चीजें हैं जो सेंट्रल कॉनसेप्ट है तो आइडेंटिफाइंग सटिस्टिफाइंग यूमन नीडड वांड्स प्रॉफिटिवली यह फिलिप पोटलर ने डिफिनेशन दिए तो यहां पर डिफिनेशन में देख रहे होंगे कि हम कुछ आइडेंटिफा� और दिमांड दिजार आफ सम प्रोडक्ट बैक बैक के बिल्टी और विलिंगनेश टू पे तो need, want, demand को हमने अच्छे से डिस्कस किया हुआ है हमारे दूसरे वीडियो में जिसका लिंक आपको डिस्क्रिप्सिन मिल जाएगा तो हम आइडेंटिफाई करते हैं human की need, want, demand को और इसको आइडेंटिफाई करने के बाद हम satisfy करते हैं तो satisfy कैसे करते हैं?

satisfy करते हैं कि एक marketer होता है जो कि company organization होता है जो कि क्या करता है product को provide करता है वो क्या डेवलप करता है प्रोडक्ट डेवलप करता है प्रोडक्ट क्या है anything that satisfy customer need and wants कुछ भी कोई भी चीज हो सकती है जो किसी human की कोई भी need या amount को fulfill कर उसको product कहते हैं वो product जो है वो हम exchange करते हैं किसके साथ customers के साथ या human के साथ act of giving one thing and receiving other thing of same value that is exchange तो exchange करने पे हमें क्या मिल कि मार्केटर को वेल्यू मिलती है और वेल्यू क्या है वेल्यू इस एनी टेंजिवल इन टेंजिवल बेनफिट्स तरफ तक कस्टमर और मार्केटर रिसीव तो वेल्यू जो है वह दोनों को मिलती है एक्शेंज करने पर और सैटिस्फैक्शन एक शुरू करें और अगर जो वेल्यू रिसीव्ड है वह बराबर है उसे ज्यादा है तो उसे टिसाइड होगा और अगर जो कॉशन दिए और जो वेल्यू रिसीव्ड किया वह कम है कॉट ज्यादा है वेल्यू रिसीव्ड जो किया वह कम है तो फिर वह ज्यादा होगा तो मिनट की सटिस्ट वाइट यह चारे यह सारे जो फैक्टर्स है यह इंपोर्टेंट है मार्केटिंग में क्योंकि पूरे मार्केटिंग में आप इन ही चीजों पर डिपेंड करेंगे यही चीजें इन ही चीजों से रिलेटेड चीजें पढ़ेंगे कि आप यून की नेट डिमांड को आइटेंटिफाइड करते हैं उसके बाद मार्केटर जो है उसके कॉर्डिंग प्रोडक्ट बनाता है एक्सचेंज करता है वैल्यू देता है रिसीव करता है और सटिस्ट्रेक्शन वाली चीजें होती है चाहे वह मार्केटर के पॉइंट ऑफ पर चाहे कस्टम के पॉइंट ऑफ विश्व तो यही चीजें क्या है सेंट्रल कॉनसेप्ट यानि फंडामेंटल कॉनसेप्ट है ऑफ मार्केटिंग का एनिक इसेंसिल एल्वेंट्स मार्केटिंग के इन्हीं पर पूरा मार्केटिंग डिपेंड है नीड डिमांट प्रोडक्ट वैल्यू एक्सचेंज सटिस्ट्रैक्शन और मार्केट है तो फाइली हम ये कंक्रूट कर सकते है की कोर कॉन्सेट ओफ मार्केटिंग क्या है नीड वाउंड डिमांड है, मार्केटर है, प्रोड़क्ट है, एक्स्चेंज है, वैल्यू है, सैटिस्फैक्शन है तो ये ही फंडामेंटल कॉन्सेप्ट है, बेसिक सेंटल कॉन्सेप्ट है, जो की इसेंसिल होते हैं मार्केटिंग के लिए