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फ़ायन्स के नियम और रासायनिक बंधन

आज हम केमिस्ट्री के कुछ बहुत ही इंटरेस्टिंग और इंपोर्टेंट रूल्स के बारे में बात करेंगे जिन्हें की फायांसेज रूल्स कहा जाता है देखिए केमिस्ट्री मेरा सब्जेक्ट नहीं है केमिस्ट्री में मैं बहुत ही वीख हूँ आप कह सकते हैं लेकिन एक फिजिसिस्ट होने के नाते मैं कोशिश करूँगा कि ये रूल्स जो है ये आप आसान से आसान तरीके से समझ सके तो ये जो rules है ये basically हमें ये बताता है कि जो chemical bond बनता है उसमें कहां ionic character ज्यादा होगा और कहां covalent character ज्यादा होगा इसे introduce किया था एक Polish scientist Kasimir Fajans ने देखिए उन्होंने क्या कहा था और उनके दिये गए rules क्या है इन्हें समझने से पहले हमें समझना होगा कि एक एडियल को वेलेंट बॉंड और एक आईडियल आयोनिक बॉंड में डिफरेंस क्या है हम बात करें आईडियल सो आईडियल आईडियल अगर को वेलेंट बॉंड हो तो यह कैसा बॉंड होना चाहिए जब यह आईडियल बॉंड होगा पिलकुल आईडियल बॉंड इसका मतलब यह होगा कि जो दो एटम्स एलेक्ट्रान पेर को शेयर कर रहा है वो कुछ ऐसे electron pair को share करेगा कि जो shared electron pair है, जो shared electron pairs होगा, वो equally distributed होगा दोनो atoms के electronic cloud में, so ये equally distributed होगा, equally distributed कौन, जो electron pair इन दोनों ने share किया है, इक्वेली दूनों के एलेक्ट्रॉन क्लाउड में इक्वेली शेयर्ड होगा लास्ट वीडियो में हमने ये देखा था जब दू आटम्स एक बॉंड बनाता है कोवेलिंट बॉंड और एक का एलेक्ट्रो नेगेटिविटी सपोज इसका एलेक्ट्रो नेगेटिविटी इससे ज्यादा हो तो वो एलेक्ट्रॉन पेर को अपने तरफ खीच लेता है और इस प्रोसेस में इसमें कुछ आयोनिक कैरेक्टर आ जाता है इलेक्ट्रो निगेटिविटी अलग-अलग हो और यह इक्वेली डिस्ट्रिब्यूटेड ना हो उस केस में यह इलेक्ट्रोन पेयर को ज्यादा इलेक्ट्रो निगेटिव एटम खींच लेता है और थोड़ा आयोनिक कैरेक्टर इसमें आ जाता है लेकिन अगर आईडियल कोवेलेंट बॉंड बने तो यह इलेक्ट्रोन पेयर जो है इक्वेली डिस्ट्रिब्यूटेड होगा तो यह एक आईडियल कोवेलेंट बॉंड होगा अब एक आईडियल आयोनिक बॉंड कैसा होगा तो एक आईडियल आयोनिक बॉंड या Electrovalent Bond यह कैसा होना चाहिए इस केस में क्या होगा सपोज यह जो है यह कैटायन है जो एलेक्ट्रॉन को डोनेट करेगा और यह जो है यह एनायन है जो कि एलेक्ट्रॉन को एक्सेप्ट करेगा इसके कारण यह पॉजिटिव आयन में कन्वर्ट होगा कैटायन में और ये negative ion में convert होगा, anion में, तो ये जो electron का transfer हुआ यहां से यहां, अगर ये ideal, ideal ionic bond हो, तो वो electron जो है, वो इस anion के electronic cloud में रहेगा, ठीक है, तो ये बिलकुल ideal ionic bond होगा, यहाँ पर अगर आप देखें, तो पिछले case में, इस ideal covalent bond में equally distributed हुआ था, pair of electrons, shared pair of electrons, यहाँ पर electrons का complete transfer होता है, complete transfer, so यह तब होगा कि ideal ionic bond हो, लेकिन ऐसा ideal cases हमें normally मिलते नहीं हैं, हमें कैसे cases मिलते हैं इसके लिए, हमें कुछ example consider करना होगा, और वहाँ जाके clear होगा, कैसे एक ionic bond में भी कुछ covalent character होता है, जैसे कि last video में हमने देखा था, कि covalent bond में भी कुछ ionic character होता है, तो यहाँ पर हम देखेंगे, कि ionic bond में covalent character होता है, अब देखें, जिस example की हम बात कर रहे थे, दो examples हम consider करेंगे, कि ionic bond में कैसे covalent character आ सकता है, उसके बाद जाके आप अपने आप समझ जाएंगे कि फयांस रूल्स का मतलब क्या है और वो ऐसा क्यूं है तो चले पहला एक्सांपल हम कंसिडर करते हैं तो फर्स्ट एक्सांपल इस एल एल I3, Aluminium Iodide दूसरा एक्जांपल Al, F3, Aluminium Fluoride दोनों ही केस में ये Aluminium जो है तीन Electrons तीन Electrons, तीन Iodine आटम्स को ट्रांसफर कर रहा पहले केस में और दूसरे केस में भी यही हो रहा तीन Electrons जो है ये ट्रांसफर कर रहा तीन Fluorine आटम्स को अब अलुमिनियम जो है ये आयोडीन से इसका जो साइज होगा ये काफी चोटा होगा, सो अलुमिनियम को मैं रिलेटिवली चोटा ड्रॉआ कर रहा हूँ और आयोडीन को मैं थोड़ा बड़ा ड्रॉआ कर रहा हूँ, ये आयोडीन का एक आटम, ये आयोडीन का दूसरा आटम और ये आयोडीन का तीसरा आटम, तीनों नेगेटिवली चर्ज्ट, तीनों के पास एक एक एलेक्ट्रॉन आ चुका है और ये जो है अलुमिनियम इसमें प्लस तरी चार्ज है अब इसे एक बाद ड्रॉप करते हैं एल एफ थ्री एल एफ थ्री में रिलेटिवली एल्यूमिनियम का साइज जो है फ्लूरीन से बड़ा होगा सो मैं इसे बड़ा ड्रॉप कर रहा हूं अब आप यह कंप्यूट मत कीजिए कि पिछले केस में जो है एल्यूमिनियम से छोटा है फ्लूरीन को छोटा ड्रॉप किया है अब पिछले case की तरह यहां भी negative charges होंगे, और यहां aluminum में plus 3 charge होगा, minus 1, minus 1, minus 1, plus 3, यहां भी minus 1, minus 1, minus 1, plus 3, दूनों में basic difference क्या होगा देखें, अब यह जो cation है, इस cation का tendency क्या होगा, इसमें तो positive charge है, और यहां पर है electron cloud, तो ये क्या कोशिश करेगा? इलेक्ट्रॉन देने के कारण इसमें जो positive charge है और बगल वाले में जो negative charge है, तो इस positive charge के पास tendency होगा negative charge को attract करने का. तो चब ये negative charge को attract करेगा, ये electron cloud को attract करेगा. चुकी ध्यान दे ये iodine बहुत बड़ा है, ये जो atom है, ये ion है, ये बहुत बड़ा है, बहुत बड़ा होने के कारण जो है, ये electron को इसका जो nucleus है electron को उतना strongly अपने साथ bound नहीं कर पा रहा है तो कुछ electron का cloud जो है वो aluminum के तरफ आ जाएगा electron cloud को aluminum जो है ये attract कर लेगा इस process को कहा जाता है polarization तो इस case में polarization होगा यहां S भी पा सकते हैं अब Z के जगा वो matter नहीं है, so polarization होगा यहां पर, polarization of electrons, electron cloud कह सकते हैं, चलिए, polarization of electron cloud, यह positive ion जो है, यह electron cloud को बगल वाले जो anion है, उसके electron cloud को अपने तरफ attract कर रहा है, देखें, अगर यह attract नहीं करता, तो यह ideal ionic bond होता, लेकिन ये एलेक्ट्रॉन को अपने तरफ खीच रहा है, कौन positive charge, मतलब ये कोशिश कर रहा है, इसका tendency है, कि जो एलेक्ट्रॉन यहाँ पर extra है, वो कुछ positive ion की तरफ भी आ जाए, मैं सिर्फ इस part को draw कर रहा हूँ, ये और ये, एलेक्ट्रॉन का complete transfer हुआ था, लेकिन अब ये कोशिश कर रहा है, transferred electron जो है, ये share करे, share जैसा situation create करे, ये भी कुछ हद तक उसे खीच लिया, मतलब ये कोशिश कर रहा आयोनिक से covalent bond की तरफ इसे ले जाने का, तो इसका tendency यही है, जो ideal ionic bond बनना चाहिए था, अगर complete transfer होता तभी आयोनिक bond बनता, ideal ionic bond, लेकिन अब अगर खीच के वो बीच में ले आता है उसी electron को, कुछ हद तक अपने तरफ ले आता है, मतलब वो ideal coval ionic bond जो है इसमें more covalent character आ गया है, more covalent character, क्योंकि इसने positive charge ने जो electron completely donate करना था उसे अपने तरब कुछ अथ तक खीच के ले आया है, लेकिन अगर इस case को आप देखे, तो यहां ऐसा situation नहीं होगा, क्योंकि relatively aluminium जो है यह काफी बड़ा है, relatively बात कर रहे हैं, मतलब इसमें एलेक्ट्रान को अपने तरफ खीचने का जो टेंडन्सी है उससे ज्यादा चूकी फ्लूरीन छोटा है तो ये एलेक्ट्रान को अपने साथ electron cloud को इसका nucleus अपने साथ ज्यादा बांधे रखेगा, ये electron cloud को aluminum की तरफ जाने नहीं देगा, क्यों? क्योंकि fluorine बहुत छोटा है, तो इस case में हम पाएंगे कि situation वैसा ही है, aluminum ही है दोनों case में, एक में बड़ा है anion और दूसरे में छोटा है anion, तो यहाँ पर हमें more, more, ज्यादा, हमें Ionic character मिलेगा, more Ionic character तो आप समझ गया क्या हो रहा है यहां पर कि भले ही यह Electrovalent या Ionic bond बनना था लेकिन इसमें कुछ Covalent character आ गया हमें यह देखना है कि वो सारे cases क्या क्या है जहांपर कि Ionic bond Covalent character को शो करेगा जैसे कि यहाँ पर यह शो कर रहा, लेकिन यहाँ पर यह शो नहीं कर रहा, तो वो कौन-कौन से properties या situation ऐसा होगा, कि वो ionic bond जो है covalent character को ज्यादा शो करेगा, लेकिन उससे पहले मैं यहाँ पर लिख दू, कि polarization के कारण ऐसा होता है, polarization in ionic bond, जब ionic bond में, polarization होता है polarization of electron cloud obviously polarization of electron cloud in ionic bond that leads to more covalent character covalent character ठीक है अब देखते हैं वो situations क्या क्या है जहाँ पर कि ionic bond में covalent character स्यादा दिखेगा तो पहला मेरा आप से सवाल है कि जो कैटायन है, ये जो कैटायन है, कैटायन अगर छोटा हो, तो वो जो एनायन के साथ बॉंड बना रहा है, इस केस में पोलराइजेशन ज्यादा होगा, ये कैटायन, ये एनायन, या फिर कैटायन अगर बड़ा हो, और वो एक एनायन के साथ बॉंड बना रहा है, तो किस के चोटा है मतलब ये एलेक्ट्रॉन को ज्यादा अट्रैक्ट कर पाएगा इसमें तो एलेक्ट्रॉन का डेफिसियन्सी हो गया तो इसे एलेक्ट्रॉन को अट्रैक्ट करना है तो चुकी ये चोटा है नुकलियस बहुत करीब है इस रीजन से बहुत करीब है नुकलियस तो वो पोलराइज ज्यादा करेगा लेकिन यहाँ पर चुकी ये बहुत बड़ा है कैटायन तो ये नुकलियस जो है इस रीजन से तो यह इसे पोलराइज नहीं कर पाएगा मतलब यह बना पहला केस कि अगर कैटाइन छोटा हो कैटाइन स्माल स्माल कैटाइन स्माल कैटाइन एंड लार्ज चार्ज बहुत ज्यादा चार्ज और यहां पर जितना ज्यादा चार्ज होगा पॉजिटिव चार्ज उतना ज्यादा यह पोलराइज करेगा तो कैटाइन अगर स्माल हो और स्माल कैटाइन एंड वेरी हाई चार्ज, बहुत ज्यादा चार्ज हो, तो उस केस में आयन में बहुत ज्यादा चार्ज हो, कैट आयन में बहुत ज्यादा चार्ज हो, तो इस केस में पोलराइजेशन ज्यादा होगा, तो ऐसे स्थिती में more covalent character ये शो करेगा, more, more covalent character ये शो करेगा, अब दूसरा case, anion के case पे देखते हैं कि माल ले कि ये एक cation है, ये एक छोटे anion के साथ bond बना रहा है और ये एक cation है, ये एक बहुत बड़े anion के साथ bond बना रहा है किस case में polarization ज्यादा होगा, polarization मतलब cation जो है electron cloud को अपने तरफ खीचेगा, तो किस case में ये ज्यादा खीच पाएगा, पहले वाले case को अगर देखें देखें, कैटायन से Relatively Anion बहुत चोटा है तो कैटायन भले ही कोशिश करें एलेक्ट्राउन क्लाउड को अपने तरफ खीचने का लेकिन Anion चुकी बहुत चोटा है, तो ये एलेक्ट्राउन क्लाउड को Shift होने नहीं देगा देगा भी तो बहुत कम देगा लेकिन दूसरे केस में अगर देखें, Anion बहुत बड़ा है और ये कुछ हद तक कैटायन के तरफ चला जाएगा जैसा है कि ये बहुत आसानी से electron cloud जो है उसका shape बिगड़ सकता है क्यों क्योंकि बहुत बड़ा है और इसका nucleus उस cloud को अपने साथ बांधे नहीं रख पा रहा है, तो इसका मतलब अगर anion का size relatively बड़ा हो और charge बहुत ज्यादा हो, so large, relatively large मैं लिख देता हूँ, so relatively, यहाँ भी मुझे relatively लिखना चाहिए था, so relatively large anion, large anion, इस case में, इस case में भी जो है, यह more, कोवेलेंट कैरेक्टर शो करेगा समोर कोवेलेंट कोवेलेंट कैरेक्टर अब तीसरा के इस यह भी बहुत इंट्रेस्टिंग है तीसरा केस हम कंप्यूट करेंगे थर्ड के इसमें हम कंप्यूट करेंगे किन है डी ब्लॉक एलिमेंट सो डी ब्लॉक डी ब्लॉक एलिमेंट डी ब्लॉक एलिमेंट जिसे कि ट्रांजेशन एलिमेंट्स कहा जाता है टी ब्लॉक एलिमेंट्स के साथ एलकली, एलकली मेटल्स और एलकलाइन अर्थ मेटल्स, एलकली या एलकलाइन इस तरह के मेटिरियल को हम कमपेर करेंगे, दूनों में डिफरेंस क्या है देखें, दूनों में बेसिक डिफरेंस यह है कि जब ये आयन बनता है, जब ये आयन जब ये positive ion बनता है, electron donate कर देता है, तो ये जो है, ये noble gas configuration ले लेता है, so ये noble gas stable configuration, noble gas electronic configuration ये attain कर लेता है, लेकिन ये d block elements, अगर कुछ electrons donate कर भी दे, तो भी ज्यादा तर cases में, इन्हें noble gas configuration नहीं मिलता है, तो ये incomplete valence shell होता है, incomplete valence shell, क्योंकि ये इतने सारे electrons को donate नहीं कर पाता है कि ये noble gas configuration ले ले, मतलब इसका जो valence shell है, ये incomplete रहता है, ये completely noble gas configuration नहीं ले पाता है, मतलब क्या बना? मतलब कि ये बहुत ज्यादा stable हो जाता है, इसमें बहुत ज्यादा stability होता है, electron donate करने के बाद भी stability relatively, मैं फिर कह रहा हूँ relatively, इसके साथ compare करें तो, relatively ये ज्यादा stable होता है, so this is more stable and this is less stable, less stable, जब ये more stable है, alkaline, for example, sodium, for example, calcium, so इस तरह के elements जो हैं, ये electron donate करके, noble gas configuration लेके, ज़्यादा stable हो जाता है, जब ये ज्यादा stable होता है, तो इसमें, बगल वाले anion से, electron को attract करके, अपने तरफ लाने का tendency कम हो जाता है, obviously, ये तो stable configuration ले लिया न, तो इसमें वो tendency कम होता है, relatively कम होता है, मैं फिर से कह रहा हूँ, relatively कम होता है, So, वो tendency relatively कम होता है, तो इसलिए यहाँ पर less, less covalent character होता है, less covalent character होता है, क्योंकि इसका electron को attract करने का, polarize करने का tendency बहुत कम होता है, इसलिए यह ज्यादा ionic character show करता है, in comparison to d-block elements, मैं फिर से कह रहा हूँ, in comparison to d-block elements, तो d-block elements में more, more covalent covalent character होता है तो तीन बहुत important point कि अगर cation छोटा हो और इसमें बहुत ज्यादा charge हो उस case में जो ionic bond है वो ज्यादा से ज्यादा covalent character को show करेगा अगर anion relatively बहुत बड़ा हो तो उस case में भी ये covalent character show करेगा और अगर d-block element और alkali alkaline elements या metals को compare करें तो उस case में आप यह पाएंगे कि इसमें ज्यादा covalent character होगा, क्योंकि यह ज्यादा polarize करेगा, जो electron यह donate कर चुका है, उसे ज्यादा polarize करेगा, या फिर कहें, जो anion है, उसके साथ सटा हुआ, उसके साथ bond बनाया हुआ, उसके electron cloud को ज्यादा polarize करेगा, इसलिए इसमें ज्यादा covalent character होगा, और इसमें less covalent character होगा, तो यह थे तीन finances rules, अब अगले वीडियो में हम शुरू करेंगे VSEPR थियोरी, उस वीडियो का लिंक आपको यहाँ पर स्क्रीन में दिख जाएगा, वहाँ क्लिक करके आप उस वीडियो को जरूर से देख लें, अब चाते जाते मैं आपको बता दू, कि इस पूरे चैप्टर का जो प्लेइलिस्