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Understanding Positivism in Sociology

वेलकम टू सोशियोलॉजी क्लासेस मैं हूं आपका दोस्त शिबू आज हम डिस्कस करने वाले हैं पॉजिटिविज्म के बारे में हम जब रिसर्च मेथोड एंड मेथड्स सोशियोलॉजी में स्टडी करने की कोशिश करते हैं तो यहां पर हम अलग-अलग तरीके का एप्रोचे यूज करके नॉलेज के बेस को समझने की कोशिश करते हैं कि किस तरीके का नॉलेज हमें बताया गया है किस तरीके का नॉलेज को हम स्टडी करने वाले हैं इसी तरीके का एक अप्रोच है पॉजिटिविज्म पॉजिटिविज्म में हम बेसिकली देखते हैं कि हमारा साइंटिफिक नॉलेज को यूज करके हमारा सोसाइटी को किस तरीके से हम समझ सकते हैं इसके बारे में पॉजिटिविज्म में बात की जाती है तो आज के क्लास में हम पॉजिटिविज्म को समझने वाले हैं यहां पर क्या-क्या चीजें देखेंगे पहले वो जान लेते हैं हम पहले देखेंगे कि पॉजिटिविज्म क्या है इसको हम किस तरीके से डिफाइन कर सकते हैं पॉजिटिविज्म का अलग-अलग फीचर्स क्या है क्योंकि हमें जो ज्यादातर पॉजिटिविज्म को लेकर दिक्कत आती है वोह है उसके फीचर्स को लेकर इसके फीचर्स को अच्छी तरीके से जानेंगे फिर देखेंगे पॉजिटिविज्म के जो मेन थिंकर्स है जो प्रोमिन थिंकर है सेंट साइमन और ऑस्ट कॉम इन दोनों ने पॉजिटिविज्म के बारे में क्या बताया है इनके पॉजिटिविज्म के थॉट में क्या-क्या कैरेक्टरिस्टिक है यह जानेंगे और आखिर में देखेंगे कि यह पॉजिटिविज्म जो है इसको हम कौन सेकन से ग्राउंड में क्रिटिसाइज कर सकते हैं यानी कि यह कौन सी चीजों को समझाने में हमें नाकामयाब होती है तो चलिए आज का यह जो क्लास है यह हम शुरू करते हैं हम पहले देखते हैं कि पॉजिटिविज्म बेसिकली है क्या पॉजिटिविज्म एक ऐसा सोशियोलॉजिकल थ्योरी है जहां पर साइंटिफिक एविडेंसेस के द्वारा यानी कि साइंटिफिक नॉलेज को यूज करते हुए सोसाइटी को समझने की कोशिश की जाती है यहां पर साइंटिफिक नॉलेज के ऊपर ज्यादा ध्यान दिया जाता है और कहा जाता है कि जो हमें सोसाइटी को अगर अच्छी तरीके से समझना है तो साइंटिफिकली समझना होगा हमें रीजनिंग कैपेसिटी को कॉग्निटिव कैपेसिटी को यूज करते हुए सोसाइटी को समझना होगा य जो पॉजिटिविज्म है यह हमें सोशियोलॉजी को एक ऐसा डिसिप्लिन बनाने में मदद करता है जिससे हम बाकी जो साइंसेस है नॉर्मल साइंसेस फिजिक्स केमिस्ट्री मैथमेटिक्स यह जो साइंसेस है इन साइंसेस के जैसे ही एक साइंस की तरह डिसिप्लिन को एस्टेब्लिश करने में हमें मदद करता है अब यह जो साइंटिफिक मेथोडोलोग्य कि साइंटिफिक मेथोडोलोग्य प्रिंसिपल्स है यहां पर हम एमपिर कल ऑब्जर्वेशन देखते हैं यहां पर हम डिडक्टिव रीजनिंग यूज करके लॉस को फॉर्मुले करके यूनिवर्सल जनरलाइजेशन को यूज करते हुए चीजों को समझने की कोशिश करते हैं यानी कि हमारी सोसाइटी को समझने के लिए हम कुछ लॉज तैयार करते हैं जिसके द्वारा यह लॉज यूनिवर्सल होंगे और इसको एक सोसाइटी से दूसरी सोसाइटी तक हम जनरलाइज कर सकेंगे यही बेसिकली हमारा पॉजिटिविज्म का फंडा है अब पॉजिटिविज्म को बेहतर तरीके से समझने के लिए हमें इसके फीचर्स को जानना होगा पॉजिटिविज्म का जो फीचर्स है वो है इट बिलीव्स इन द यूनिटी ऑफ मेथड यानी कि यहां पर सिर्फ एक मेथड यूज करते हुए हमें चीजों को नहीं समझना है यहां पर जो अलग-अलग तरीके का मेथड है वो यूज करना है यहां पर बहुत सारे मेथड डिफरेंट मेथड्स जो है नेचुरल साइंसेस के उसको हमें यूज करते हुए सोसाइटी को समझना है यहां पर ऑब्जेक्टिविटी बा की बात की जाती है और वैल्यू न्यूट्रलिज्म तरीके से हमें चीजों को समझना होगा और साथ-साथ जो भी चीजें हम समझेंगे वहां पर हमें न्यूट्रल रहना होगा वैल्यूज के रिगार्डिंग यानी कि यहां पर फैक्ट और वैल्यू को डिवाइड किया गया है फैक्ट हमारा जो सोसाइटी में हम अलग-अलग तरीके का चीजें देखते हैं वह है हमारा सोसाल फैक्ट और जो वैल्यूज है किसी भी एक इंसान का अपना वैल्यूज इसको न्यूट्रल रखने की बात की गई है यानी कि यहां पर वलूस के ऊपर फोकस नहीं किया जाएगा वैलू को न्यूट्रल रखते हुए हमें सोसाइटी को समझना होगा फिर है सोसाइटी इज नॉट कॉमन सेंस बहुत बार ऐसा सोचा जाता है कि जो हमारा सोशियोलॉजी है यह एक कॉमन सेंसिकल नॉलेज है लेकिन ऐसा नहीं है सोशियोलॉजी एक साइंटिफिक नॉलेज है जहां पर हम साइंटिफिक एविडेंसेस को यूज करते हुए सोसाइटी को समझेंगे सोसाइटी को एक्सप्लेन करेंगे सोशियोलॉजी इज अ फॉर्मल एंड ऑर्गेनाइज्ड बॉडी ऑफ नॉलेज सोशियोलॉजी एक फॉर्मल नॉलेज है जहां पर हमें ऑर्गेनाइज चीजों को समझते हैं जो नॉलेज है किस तरीके से क्रिएट हुए हैं इसको हम ऑर्गेनाइज तरीके से समझते हैं यहां पर कुछ स्पेशल स्किल्स टेक्नो साइंटिफिक वोकेबल खासकर सोशियोलॉजी के लिए यूज करते हुए हम चीजों को साइंटिफिकली डिस्क्राइब करते हैं यहां पर जनरलाइजेशन की बात की जाती है यानी कि यहां पर हम जब भी कोई लॉ तैयार करेंगे जब भी कोई लॉ क्रिएट करेंगे तब उसको जनरलाइज करेंगे यानी कि एक सोसाइटी को हम इन्वेस्टिगेट करते हुए जब कोई लॉ क्रिएट करेंगे यह बाकी सारे सोसाइटीज के लिए एप्लीकेबल होंगे और यहां पर हम यह सारे साइंटिफिक नॉलेजेस को हमारा सोशल इंजीनियरिंग के लिए यूज कर सकते हैं यानी कि सोसाइटी के बेहतरी के लिए सोसाइटी में बदलाव के लिए यह सारे साइंटिफिक नॉलेजेस को हम यूज कर सकते हैं बेसिकली यही है हमारा पॉजिटिविज्म का फीचर्स इसके अलावा भी और भी फीचर्स है लेकिन यह सबसे इंपॉर्टेंट है और इसको ध्यान रखना कि एग्जाम में जब पूछा जाए आएगा इसको थोड़ा डिस्कस करके बताना अब देखते हैं अर्ली पॉजिटिविज्म अर्ली पॉजिटिविज्म यानी कि हमारा पॉजिटिविज्म किस तरीके से एस्टाब्लिशड हुआ है पॉजिटिविज्म का जो एस्टेब्लिशमेंट है वह सिचुएशन के हिसाब से हुआ था हमारा हम अगर हमारी सोसाइटी का ग्रोथ की बात करें तो पहले हमारा रेनेसा से पहले जो डार्क एज था उस टाइम पीरियड प लोग अंधविश्वासी थे सारी चीजें जजन के द्वारा ही गाइडेड होती थी लेकिन धीरे-धीरे सिचुएशन चेंज हुआ साइंटिफिक नॉलेज जो है वो ज्यादा यूज होने लगा हमारा सोसाइटी में इसी तरीके से हमारा जब साइंस का इमरजेंस होने लगा इस साइंटिफिक नॉलेज को के द्वारा हम सोसाइटी के जो भी चीजें हैं वह घटनाएं को डिस्क्राइब करने लगे पहले जो नेचुरल साइंसेस है जो फिजिक्स केमिस्ट्री मैथमेटिक्स यह सारे जो साइंटिफिक नॉलेजेस है ये हमारे सोसाइटी को को बेहतर तरीके से समझा रही थी फिर हमारा आया सोशियोलॉजी जो हमें सोसाइटी को समझने के में मदद करती है कि सोसाइटी में जो सोशल रिलेशंस है इसको समझने में मदद करती है यह सारी चीजें हम किस तरीके से करते हैं हम बेसिकली हमारा कॉग्निटिव पावर यूज करके ही समझते हैं अब जब हम मॉडर्न सोशियोलॉजी की इमरजेंस की बात करते हैं तो यहां पर हम हिस्टोरिक ली बहुत सारी चीजों को देखते हैं जैसे साइंटिफिक रिवोल्यूशन है एनला टेनमेंट है फ्रेंच रिवोल्यूशन है इंडस्ट्रियल रेवोल्यूशन है यहां पर बहुत सारे फेजेस हम इमरजेंस ऑफ सोशियोलॉजी के देखते हैं यह सारे कंट्रीब्यूट करते हैं हमारा इस पॉजिटिविज्म में यानी कि पॉजिटिव इज्म जो हमारा साइंटिफिक नॉलेज ऑफ सोसाइटी है इसको एस्टेब्लिश करने में बहुत ज्यादा इनका योगदान है यहां पर यह सारे इवेंट्स के द्वारा हमारे सोशियोलॉजी के जो थिंकर्स है वो बहुत ज्यादा इन्फ्लुएंस हुए थे यहां पर दो मेजर थ्योरी है जिन्होंने हमारे पॉजिटिविज्म को रिगार्डिंग पॉजिटिविज्म के रिगार्डिंग बहुत ज्यादा कंट्रीब्यूट किया था एक है सेंट साइमन दूसरा है ऑस्ट कम्ट इन दोनों ने मिलकर एक साथ भी काम किया था पॉजिटिविज्म के एस्टेब्लिशमेंट के लिए अब देखते हैं सेंट साइमन ने पॉजिटिविज्म में किस तरीके का कंट्रीब्यूशन दिया है उनका पॉजिटिविज्म का आईडिया क्या है सेंट साइमन बेसिकली एक फ्रेंच सोशल साइंटिस्ट मैथमेटिशियन और फिलोसोफर है जिन्होंने पॉजिटिविज्म को एस्टेब्लिश करने में सबसे ज्यादा योगदान दिया था इन्होंने ही पहली बार पॉजिटिविज्म के बारे में बात की थी यहां पर सेंट साइमंस का पॉजिटिविज्म का क्या-क्या आईडिया रहा है उन्होंने कहा था कि साइंसेस शुड बी यूनिफाइड टू क्रिएट ए न्यू वर्ल्ड व्यू यानी कि जो अलग-अलग तरीके का साइंसेस है मैथ फिजिक्स केमिस्ट्री सोशियोलॉजी यह सारे अलग-अलग साइंसेस को एक साथ आना होगा एक साथ आकर एक ऐसा वर्ल्ड व्यू क्रिएट करना होगा ताकि हम सोसाइटी को और बेहतर तरीके से समझ सके हमारा जो साइंस ऑफ सोसाइटी है यह बाकी जो नेचुरल साइंसेस है उसके साथ सिमिलर है यानी कि यहां पर भी हम लॉ तैयार कर सकते हैं और एक लॉ क्रिएट करके बाकी जगहों पर इसको जनरलाइज कर सकते हैं उन्होंने सेंट साइमन ने रिलीजन को रिप्लेस करने की बात की थी साइंसेस के द्वारा यहां पर जब भी हम मोरल ऑर्डर की बात करते हैं मोरल प्रिंसिपल की बात करते हैं तो रिलीजन यहां पर रिलीजन के द्वारा सारी चीजें गाइडेड होती है लेकिन यहां पर सेंट साइमन ने बताया है कि हमें रिलीजन को रिप्लेस करना है साइंस के साथ यहां पर जब भी मोरल ऑर्डर की बात की जाएगी लोगों के बीच में कोऑर्डिनेशन की बात की जाएगी तो साइंसेस के द्वारा यानी कि साइंटिफिक नॉलेजेस के द्वारा ही होना चाहिए उनके हिसाब से हमारा जो स्पिरिचुअल गाइडेंस ऑफ सोसाइटी है पहले चर्च के द्वारा चलता था लेकिन हमें चर्च को फॉलो नहीं करना है हमें नॉर्मल जो साइंस है साइंटिफिक नॉलेज को फॉलो करना है अब देखते हैं ऑस्ट कम्ट का कंट्रीब्यूशन क्या रहा है पॉजिटिविज्म ऑस्ट कम्ट यानी कि हमारे फादर ऑफ सोशियोलॉजी जिन्होंने सोशियोलॉजी डिसिप्लिन को एस्टेब्लिश करने में सबसे ज्यादा योगदान दिया था इन्होंने इनका जो अप्रोच है इसका इनका जो मेथड है इस मेथोडोलोग्य किए हैं वह सारे कंट्रीब्यूशन पॉजिटिविज्म के अंडर में ही आएगा इस वजह से जब आंसर लिखने की बात आएगी तो ऑस्ट कम्ट का जो मेजर कंट्रीब्यूशन है वह आप लोग लिख सकते हो अब यह जो अगस्ट कम्ट का कंट्रीब्यूशन है पॉजिटिविज्म में इसको हम पांच भाग में डिवाइड कर सकते हैं यानी कि फाइव पार्ट्स में इस कंट्रीब्यूशन को हम देख सकते हैं पहला है रिगोर अस एडॉप्शन ऑफ द साइंटिफिक मेथड यानी कि हमें जब भी सोसाइटी को समझना है सोसाइटी को स्टडी करेंगे तो साइंटिफिक मेथड्स यूज करेंगे जो नेचुरल साइंसेस में जिस तरीके का मेथड्स यूज होते हैं उसी तरीके का हमें साइंटिफिक मेथड यूज करके करते हुए सोसाइटी को समझना है उन्होंने इसके रिगार्डिंग थ्री लॉस की बात की थी कि हमारा जो इंटेलेक्चुअल डेवलपमेंट है सोसाइटी का इसका थ्री स्टेजेस है थेलॉथुक्की जहां पर साइंटिफिक नॉलेज की बात की जाती है और साइंटिफिक नॉलेज के द्वारा ही सोसाइटी गाइडेड होती है उन्होंने क्लासिफिकेशन ऑफ द साइंसेस की बात की थी यानी कि हमारा जो सोसाइटी है वहां पर हम जो भी साइंसेस है उसको हम दो हिस्सों में बांट सकते हैं उन्होंने बेसिकली छह साइंसेस की बात की थी मैथमेटिक्स एस्ट्रोनॉमी फिजिक्स केमिस्ट्री बायोलॉजी और सोशियोलॉजी जो चीजें हैं यह जो साइंसेस है यह हायर की में है इनमें से जो सोशियोलॉजी है इसको हम कहते हैं क्राउडी एडिफाई ऑफ साइंसेस यानी कि यह एक क्राउन की तरह है हमारे साइंसेस की और इन्होंने इस सारे साइंसेस को दो हिस्सों में बांटा था एनालिटिकल साइंसेस और सिंथेसिस साइंसेस एनालिटिकल साइंसेस यानी कि जो साइंसेस के द्वारा हम चीजों को एनालाइज कर पाएंगे और सिंथेटिक साइंसेस यानी कि जिसके द्वारा हम सोसाइटी के अलग-अलग चीजों को इकट्ठा करके समझने की कोशिश कर [संगीत] पाएंगे फिर है कांसेप्शन ऑफ द इनकंप्लीट फिलोसोफी ऑफ ईच ऑफ दिस साइंसेस इंटीरियर टू सोशियोलॉजी यानी कि जो भी फिलोसोफी इनकंप्लीट है जो भी कांसेप्शन इनकंप्लीट है यह सारे चीजों को हम साइंटिफिकली सोशियोलॉजी में स्टडी कर सकते हैं क्योंकि सोशल जो है वो हमें सोसाइटी को बेहतर तरीके से समझने में मदद करता है और जो भी इनकंप्लीट फिलोसोफी है वह हम सोशियोलॉजी में कंप्लीट कर सकते हैं फिर है सिंथेसिस ऑफ पॉजिटिविस्टिक सोशल फिलोसोफी इन ए यूनिफाइड फॉर्म यानी कि हमें एक यूनिफाइड फॉर्म में पॉजिटिविस्ट अप्रोच को देखना है इसको हमें सिंथेसाइज करना है अब यहां पर जो पांच चीजें हैं जो अगस्ट कम्ट ने कहा है पॉजिटिविज्म के बारे में यहां पर सारे चीजों को आप लोगों को थोड़ा बहुत डिटेल में जानना होगा अगर आप लोगों ने अगस्ट कम्ट का क्लास नहीं देखा है तो जरूर वो क्लास देख लेना क्योंकि उनका जो मेथोडोलोग्य तो आप लोग वहां से अगस्ट कॉम के जो भी कंट्रीब्यूशन है वह बेहतर तरीके से समझ पाओगे अब देखते हैं क्रिटिसिज्म ऑफ पॉजिटिविज्म यह जो पॉजिटिविस्टिक अप्रोच है साइंटिफिक अप्रोच है यह जब हम सोसाइटी को समझने की कोशिश करते हैं इस पॉजिटिविज्म के द्वारा तो यहां पर हमें कुछ क्रिटिसिजम भी देखने को मिलते हैं यानी कि कुछ चीजें हैं जो यह पॉजिटिविज्म डिस्क्राइब नहीं करती है यहां पर इग्नोर वैल्यू कॉन्फ्लेट्स यानी कि सोसाइटी में जो अलग-अलग लोगों के बीच में वैल्यूज है यहां पर उस वैल्यू को इग्नोर किया जाता है लोगों के बीच में जो वैल्यू के लिए जो कॉन्फ्लेट है जो प्रॉब्लम्स है यह सारे चीजों को इस पॉजिटिविज्म में इग्नोर किया जाता है पॉजिटिविज्म में बेसिकली वैल्यू न्यूट्रलिज्म कंसीडर ही नहीं करता है ये बेसिकली सिर्फ नॉर्मल साइंटिफिक नॉलेज की बात करती है लेकिन हम जब सोसाइटी को समझेंगे तो यहां पर बहुत सारे सोशल इश्यूज भी है इसको पॉजिटिविज्म कंसीडर नहीं करता है यहां पर जब पॉजिटिविज्म है यह बहुत ही सिंपल है यानी कि सिंपल तरीके से हमें साइंटिफिकली सोसाइटी को समझने की बात करता है लेकिन हमारा जो यह सोशल वर्ल्ड है यह एक कॉम्प्लेक्शन वर्ल्ड ऑफ रिलेशनशिप है हम जहां पर अलग-अलग लोगों से मिलते हैं और कॉम्प्लेक्टेड मम हमें बताता है कि हमें सोसाइटी को सिंपल तरीके से समझना है सिर्फ साइंटिफिक नॉलेजेस के द्वारा समझना है यहां पर जो पॉजिटिविज्म है वह ऑब्जर्वर को समझने में फेल कर जाता है यानी कि जो भी ऑब्जर्वर है उसका कुछ वैल्यूज होंगे वह किसी चीज से बायड होगा इस तरीके का जो चीजें हैं यह पॉजिटिविज्म कंसीडर नहीं करता है इस वजह से जो भी इंसान जाके चीजों को ऑब्जर्व करेगा उसको समझने में यह फेल कर जाता है यानी कि फेलिंग टू कंसीडर द ऑब्जर्वर फिर यह जो पॉजिटिविस्टिक अप्रोच है यह बेसिकली एक आइडियलिस्टिक अप्रोच है यानी कि यह एक यूरोपियन अप्रोच है जहां पर कुछ बेहतर चीजों के बारे में सिर्फ बताया जाता है लेकिन यह जो चीजें है यह प्रैक्टिकल है रियल है यह सारी चीजें है कि नहीं है यह चीजें देखी नहीं जाती है बेसिकली पॉजिटिविस्टिक अप्रोच में एक ऐसा थॉट प्रोसेस की बात की जाती है कि हमारा सोसाइटी में सब कुछ सही है हम सोसाइटी को समझने के लिए सिर्फ साइंटिफिक एविडेंसेस का यूज करेंगे लेकिन प्रैक्टिकली यह कितना ज्यादा रिलायबल है प्रैक्टिकली इसका क्या रिलेवेंट है ये सारी चीजें देखी नहीं जाती है इस वजह से पॉजिटिविज्म जो है ये एक बेहतर तरीके से हमारे सोसाइटी को साइंटिफिकली समझने में तो मदद करती है लेकिन सोसाइटी में जो कॉन्फ्लेट्स हो रही है सोशल इश्यूज है यहां पर जो कॉम्प्लेक्शन शिप है यहां पर जो भी लोग सोसाइटी को उसका क्या थॉट प्रोसेस है यह सारी चीजों को डिस्क्राइब करने में नाकामयाब रहती है लेकिन फिर भी पॉजिटिविज्म एक बेहतर अप्रोच है हमारे सोसाइटी को समझने के लिए और इसके द्वारा हमारा सोसाइटी का जो नॉलेज है साइंस ऑफ सोसाइटी है यह बहुत ज्यादा एस्टाब्लिशड हुआ था तो आज का क्लास यहां पर ही खत्म करते हैं अगर क्लास अच्छा लगा है तो कमेंट करके जरूर बताना और वीडियो को लाइक और शेयर जरूर करना क्योंकि शेयरिंग इज केयरिंग तो मिलते हैं अगली क्लास में तब तक अच्छे रहिए रहिए और लोगों में प्यार बांटते रहिए जय हिंद