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गोलकोंडा किले का ध्वनिकी विज्ञान
Jan 30, 2025
गोलकोंडा किले का ध्वनिकी अलार्म सिस्टम
परिचय
स्थान
: हैदराबाद के पास
इतिहास
: 7वीं सदी AD में मिट्टी का किला, 16वीं सदी में सुल्तान कुली कुतुब शाह के शासन में विस्तृत किला
महत्व
: व्यापार और दक्षिन भारत की राजनीति में महत ्वपूर्ण
ध्वनि विज्ञान का प्रयोग
अकूस्टिक अलार्म सिस्टम
: 3 स्क्वेर किलोमीटर तक सुनाई देने की क्षमता
तकनीकी उपयोग
:
किले की सुरक्षा के लिए ध्वनि का उपयोग
ध्वनि रिफ्लेक्शन के लिए मिट्टी के बर्तन
छत में डाइमन शेप इंडेंटेशन
अलार्म सिस्टम ध्वनि से सुरक्षा को सिग्नल देता था
गोलकोंडा का वास्तुकला
विस्तार
: 11 किलोमीटर दायरे में फैला
संरचना
:
चार जिले, कई दरवाजे, महल, मस्जिद, शव स्नान घाट
प्रमुख वास्तुकला में ध्वनि विज्ञान का समावेश
ध्वनि की दिशा
: दीवारों और दरवाजों की सही दूरी, दावाजों के बीच की सटीकता
विशेष
: ध्वनि रीडाइरेक्ट होती है बिना तीव्रता कम किए
अन्य ध्वनिकी आश्चर्य
गोलगुम्बस
:
बीजापुर में स्थित, विश्व के सबसे बड़े सिंगल चेंबर स्ट्रक्चर्स में से एक
आर्किटेक्चर
: इंडो-इस्लामिक मिश्रण
विस्परिंग गैलरी
: ध्वनि को गूंज में बदलने वाली
अद्वितीय गूंज
: एक ही आवाज 26 सेकंड तक गूंजती
ध्वनि विज्ञान का महत्त्व
प्राचीन तकनीक
: बिना आधुनिक तकनीकी के अद्भुत संरचनाएँ
ध्वनि का विज्ञान
: ध्वनि के कर्व लीनियर प्रॉपगेशन का उपयोग
आर्किटेक्चरल अकूस्टिक्स
: ध्वनि को एक करवट पाथ पर सफर करने की क्षमता
निष्कर्ष
प्राचीन भारत की संरचनाएँ विज्ञान और ज्ञान की अद्वितीय मिसाल
ध्वनि विज्ञान का उपयोग सुरक्षा और प्रेम दोनों के प्रतीक के रूप में
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