इस वीडियो में हम डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम यूनिट पढ़ेंगे सीबीएससी की ऑफिशियल बुक के बेसिस पे सारी चीजें कवर करेंगे और सिर्फ इस एक वीडियो को देखने के बाद तुम्हें यूनिट 100% क्लियर हो जाएगी और तुम्हारा एग्जाम बहुत बढ़िया जाएगा इस यूनिट में टोटल हमें पांच चैप्टर्स पढ़ने हैं जिसमें से इंट्रोडक्शन टू डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम यह चैप्टर आज हम कवर करेंगे और बाकी के चैप्टर्स का लिंक तुम्हें डिस्क्रिप्शन में मिल जाएगा फिलहाल चैप्टर नंबर एट इंट्रोडक्शन टू डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम बढ़ना स्टार्ट करते हैं लेट्स बिगिन सबसे बेसिक से स्टार्ट करते हैं कि डेटा और इंफॉर्मेशन इन दो वर्ड्स का मीनिंग क्या होता है डाटा यानी रॉ फैक्ट्स और फिगर्स जिनका अपने आप में कोई मीनिंग नहीं होता जैसे 25 45 आयुष जनवरी 85 ये रॉ फिगर्स हैं जिनका खुद में कोई मीनिंग नहीं है जैसे इनसे तुम कुछ मीनिंग नहीं निकाल सकते इनको देख के तुम्हें कुछ समझ नहीं आ रहा है राइट वहीं प्रोसेस डाटा को हम इंफॉर्मेशन कहते हैं और इंफॉर्मेशन मीनिंगफुल होती है उससे हम कोई डिसीजन बना पाते हैं जैसे आयुष स्कोर्ड 85 पर इन जनवरी एंड हिज एवरेज स्कोर इज 45 अब इसका कुछ मीनिंग है इसको पढ़ के तुम कुछ समझ पा रहे हो राइट कि जनवरी में आयुष के 85 पर आए और अभी तक का उसका स्कोर का एवरेज 45 चल रहा है तो ये पढ़कर अब तुम डिसीजन बना सकते हो मान लो ऐसे ही तुम्हें बाकी स्टूडेंट की इंफॉर्मेशन मिल जाए तो तुम ये डिसाइड कर पाओगे कि टॉपर कौन है किसके सबसे ज्यादा मार्क्स हैं किसके सबसे कम मार्क्स हैं है ना तो उसे हम इंफॉर्मेशन कहते हैं अब नेक्स्ट देखते हैं डेटाबेस और डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम क्या होता है डेटाबेस यानी डेटा का ऑर्गेनाइज्ड कलेक्शन जिसे हम इलेक्ट्रॉनिकली स्टोर और मैनेज करते हैं डेटा बेसस में यूजर्स डेटा को इजली स्टोर रिट्रीव या मॉडिफाई कर सकते हैं फॉर एग्जांपल तुम्हारी स्कूल लाइब्रेरी का डेटाबेस होगा पूरे स्कूल का एक डेटाबेस होगा है ना और डीबीएमएस यानी डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम जिससे डेटा बेसेस को मैनेज करते हैं इससे हम डेटाबेस क्रिएट करते हैं उसमें डटा एंटर करते हैं उसको मॉडिफाई करते हैं या डिलीट करते हैं बेसिकली डेटाबेस की प्लानिंग और मेंटेनेंस में य काम आता है फॉर एग्जांपल माय सीक्वल और लिबरी ऑफिस बेस अब देखते हैं कि डीबीएमएस के और क्या एडवांटेजेस होते हैं अब डेटाबेस में क्योंकि डेटा ऑर्गेनाइज रहता है तो उसमें कोई भी डेटा सर्च करना है या रिट्रीव करना है वो काफी फास्ट हो जाता है और हम उस ऑर्गेनाइज डटा को इजली एनालाइज भी कर पाते हैं जैसे उसमें मैक्सिमम या मिनिमम वैल्यू फाइंड आउट करना हो या मीन या एवरेज कैलकुलेट करना हो तो वो भी हम इजली कर पाते हैं और अगर वही डेटा सेट हमें किसी दूसरी एप्लीकेशन में भी चाहिए है तो उस सेम डेटाबेस को हम मल्टीपल एप्लीकेशन के साथ शेयर भी कर सकते हैं और डेटाबेस में क्योंकि एक डेटा पीस को एक ही बार हम स्टोर कर सकते हैं तो उससे अननेसेसरी डटा का डुप्लीकेशन नहीं होता है और हमारी मेमोरी सेव होती है और डेटाबेस में डेटा कंसिस्टेंट रहता है यानी पूरे सिस्टम में एक जैसा डटा रहता है फॉर एग्जांपल तुम्हारे स्कूल के रिकॉर्ड में अगर अंश का नेम अपडेट होकर अंशिका हो गया है तो वो चेंज पूरे डेटाबेस में होगा जहां-जहां भी उस पर्सन अंस का नेम होगा वो चेंज होकर अंशिका हो जाएगा यानी डटा कंसिस्टेंट हो जाएगा थ्रू आउट द डेटाबेस ऐसा नहीं कि एडमिशन वाले टेबल में अंश है और क्लास वाली टेबल में अंशिका ऐसा नहीं होता है और क्योंकि डेटा की रिडंडेंसी यानी डुप्लीकेशन कम हो गया है और कंसिस्टेंसी बढ़ गई है तो इससे डेटाबेस में डेटा और ज्यादा एक्यूरेट हो जाता है यानी डेटा की एक्यूरेसी बढ़ जाती है जब भी डेटाबेस को डिजाइन किया जाता है तो हम टेबल्स की जो फील्ड्स होती हैं उसमें कुछ रूल्स सेट कर देते हैं कि इस फील्ड में केवल यही डेटा स्टोर होगा फॉर एग्जांपल एज वाले कॉलम में हम रूल लगा सकते हैं कि एज हमेशा जीरो से ज्यादा ही एंटर करी जाएगी वरना यूजर को एरर शो होगा इससे डेटाबेस की वैलिडिटी इंश्योर होती है और इनवैलिड डेटा एंट्री के टाइम पर ही रिजेक्ट हो जाता है और डेटाबेस में हम ये भी डिसाइड कर सकते हैं कि किस यूजर को कितना डेटा बेस का एक्सेस देना है वो कौन सा डाटा एक्सेस कर सकता है और कौन सा नहीं तो जब भी वो पासवर्ड एंटर करेगा तभी उस डाटा को वो एक्सेस कर पाएगा इससे हम ये इंश्योर करते हैं कि डेटा को कोई भी अनऑथराइज्ड पर्सन एक्सेस ना कर पाए और डेटाबेस में डेटा इंक्रिप्शन भी किया जाता है सिंपली बोलूं तो डेटा को अनरीडेबल फॉर्मेट में कन्वर्ट कर दिया जाता है तो जब भी कोई अनऑथराइज्ड पर्सन उसे एक्सेस करना भी चाहेगा तो उसे कुछ समझ नहीं आएगा डटा डिक्रिप्ट तभी होगा जब उस पर्सन को एक्सेस ग्रांट करी जाएगी तब जाके वो डेटा रीडेबल फॉर्मेट में कन्वर्ट होगा तो इससे डेटाबेस में डेटा की सिक्योरिटी इंश्योर होती है अब नेक्स्ट हम बात करते हैं डेटा मॉडल्स के बारे में एक डेटाबेस को हम अलग-अलग तरीके से डिजाइन कर सकते हैं बेस्ड ऑन कि उसमें हम किस टाइप का डेटा स्टोर करने जा रहे हैं और इसी डेटाबेस के स्ट्रक्चर को हम डेटा मॉडल कहते हैं जो यह बताता है कि डेटाबेस में डेटा किस तरीके से स्टोर किया जाएगा और किस तरीके से रिट्रीव किया जाएगा तो ऐसे ही तीन डेटा मॉडल्स के बारे में हमें अभी पढ़ना है फर्स्ट इज हायरा किकल डेटा मॉडल हायरा किकल डेटा मॉडल में डेटा एक ट्री जैसे स्ट्रक्चर में स्टोर किया जाता है इसमें जो रिकॉर्ड्स होते हैं वो मल्टीपल लेवल्स पे एक दूसरे से कनेक्टेड होते हैं जैसे एक सिंपल एग्जांपल ले तो ये कंपनी है जिसके दो मै हैं और इसमें पहला मैनेजर तीन एंप्लॉयज को मैनेज करता है और दूसरा सिर्फ एक को मैनेज करता है तो ऐसे हम इंफॉर्मेशन रिकॉर्ड्स में स्टोर करते हैं और रिकॉर्ड्स को अलग-अलग लेवल पे लिंक करते हैं तो एक हाय आर्की बन जाती है नेक्स्ट इज नेटवर्क डेटा मॉडल इसमें हम डेटा स्टोर करते हैं एक नेटवर्क या ग्राफ लाइक स्ट्रक्चर में जिसमें ये नोड्स रिप्रेजेंट करती है एक रिकॉर्ड को और ये एजेस रिप्रेजेंट करती है उन रिकॉर्ड्स के बीच के रिलेशन को नेटवर्क डेटा मॉडल हायरर किकल डेटा मॉडल से ज्यादा फ्लेक्सिबल होता है क्योंकि इसमें हम कॉम्प्लेक्शन शिप भी शो कर सकते हैं जो कि हम हायरा किल डेटा मॉडल में नहीं कर सकते थे जैसे हार्कन में वन टू मेनी और वन टू वन रिलेशनशिप हम शो कर पा रहे थे बट मेनी टू मेनी नहीं शो कर सकते उसमें जैसे अगर ये एंप्लॉई को अगर दोनों मैनेजर मैनेज करते हैं तो ये हम डायरेक्टली नहीं शो कर पाएंगे हायिक मॉडल में बट नेटवर्क मॉडल में कर सकते हैं तो बेसिक डिफरेंस ये है कि हायिक मॉडल में एक चाइल्ड के मल्टीपल पैरेंट नहीं हो सकते बट नेटवर्क मॉडल में एक चाइल्ड के मल्टीपल पैरेंट हो सकते हैं ये जो अलग-अलग रिलेशंस की हम बात कर रहे हैं वन टू मेनी मेनी टू मेनी ये हम चैप्टर में आगे और डिटेल में पढ़ेंगे तब मैं तुम्हें और अच्छे से इन्हें समझा दूंगा अभी टेंशन मत लो और सिर्फ वीडियोस देख के मत चले जाना बोर्ड एग्जाम देने एक बार प्रीवियस ईयर क्वेश्चंस की प्रैक्टिस जरूर कर लेना पी वाई क्यूज की प्रैक्टिस के लिए तुम हमारी आईटी की पीवा क्यू वाली ईबुक फॉलो कर सकते हो जिसमें लास्ट फाइव ईयर्स के पीवा क्यू और उनके सलूशन दिए हुए हैं और जो लेटेस्ट सिलेबस में टॉपिक आ रहे हैं सिर्फ उन्हीं के क्वेश्चंस इंक्लूड करे हुए हैं और इन्हें प्रैक्टिस करके तुम्हें पता लगेगा कि बोर्ड एग्जाम में किस टाइप के क्वेश्चन पूछे जाते हैं और उन्हें कैसे आंसर करना है ताकि तुम फुल मार्क्स इंश्योर कर पाओ तो लिंक डिस्क्रिप्शन में दिया हुआ है जरूर चेक कर लेना और हां आरडीवी कोड यूज करना ताकि तुम्हें एक्स्ट्रा डिस्काउंट मिल जाए अब नेक्स्ट इज रिलेशनल डेटा मॉडल यह सबसे ज्यादा यूज किया जाने वाला मॉडल है इसमें हम डेटा को मल्टीपल टेबल्स में स्टोर करते हैं और एक कॉमन फील्ड की मदद से उन टेबल्स को आपस में लिंक कर देते हैं अब रिलेशनल डेटाबेस में कुछ टर्म्स की बात कर लेते हैं जो कि तुम्हें अभी पता होनी चाहिए वरना आगे चैप्टर में कंफ्यूजन हो जाएगा सबसे पहला है एंटिटी जिस भी रियल वर्ल्ड ऑब्जेक्ट की इंफॉर्मेशन डेटाबेस में स्टोर करी जाती है उसे हम एंटिटी कहते हैं और एक एंटिटी की कुछ प्रॉपर्टीज भी होती है जैसे एक स्टूडेंट है अंस उसकी कुछ कैरेक्टरिस्टिक भी होंगी ना जैसे उसकी एज हाइट वेट मार्क्स क्लास एक्सेट्रा तो एंटिटी के इन कैरेक्टरिस्टिक और प्रॉपर्टीज को हम एट्रिक्स कहते हैं रिलेशनल डेटा मॉडल में डेटा टेबल्स में स्टोर किया जाता है जो कि रोज और कॉलम की एक कलेक्शन होती है जैसे एक एंप्लॉई टेबल हो सकती है जिसकी फील्ड्स होंगी नेम डेजिग्नेशन डिपार्टमेंट सैलरी एक्सेट्रा और फील्ड्स क्या होती हैं जब भी हम कॉलम फील्ड या एट्रिल बोले तो इनका मतलब लगभग सेम ही है फील्ड डेटाबेस की सबसे छोटी एंटिटी कंसीडर की जाती है जिसके कलेक्शन से एक रिकॉर्ड बनता है और रिकॉर्ड के कलेक्शन से बनती है एक टेबल देन टेबल्स के कलेक्शन से बनता है एक पूरा डेटाबेस फील्ड्स में एक ही टाइप का डेटा स्टोर किया जाता है जैसे अगर नेम वाला कॉलम है या फील्ड है तो उसमें सिर्फ टेक्चुअल डटा आएगा और सैलरी वाले में सिर्फ नंबर्स आएंगे यानी एक कॉलम में एक जैसा डाटा स्टोर होता है और जो भी डटा एक सेल में हम एंटर करते हैं उसे डेटा वैल्यू कहते हैं ये न्यूमेरिक भी हो सकती है अल्फा न्यूमेरिक भी हो सकती है बुलियन भी हो सकती है ये सारी डेटा टाइप हम आगे देखेंगे डिटेल में टेंशन मत लो और आगे बात करें रिकॉर्ड रो या टपल की तो इन सब का मतलब भी सेम ही होता है टेबल में जो ये हॉरिजॉन्टल रो है इसे ही रिकॉर्ड या टपल भी कहते हैं जो कि मल्टीपल फील्ड्स के कलेक्शन से बनती है और एक रो में एक एंटिटी के सारे एटिबल की डेटा वैल्यू का कलेक्शन स्टोर्ड होता है नेक्स्ट हम बात करते हैं कीज के बारे में डीबीएमएस में मेजर्ली पांच कीज के बारे में हमें पढ़ना है कीज की जरूरत क्यों होती है पहले मैं तुम्हें वो बता देता हूं तब आगे का तुम्हें इजली समझ आ जाएगा तो मान लो तुम्हारी ये क्लास की एक टेबल है जिसमें सारे स्टूडेंट्स का नेम फोन नंबर मार्क्स एड्रेस आधार कार्ड ये सारी डिटेल्स स्टोर्ड है तो इसमें देखो ये दो बच्चों का नेम सेम है सौरभ और सौरभ पर इन दो सौरभ में से एक क्लास का टॉपर है और दूसरा जस्ट पासिंग मार्क्स लाता है तो जब हम इन सौरभ का डाटा निकालना चाहेंगे डेटाबेस में में से तो हम कैसे डिफरेंशिएबल नहीं कर पाए तो ऐसा भी तो हो सकता है जो प्राइस टॉपर के एड्रेस पे सेंड करना था वो गलती से दूसरे सौरभ के घर पे चले जाए ऐसे में दिक्कत हो जाएगी इसलिए हमें टेबल में कीज का यूज करना होता है ताकि हम हर एक रो को इजली यूनिकल आइडेंटिफिकेशन की कै कैंडिडेट की की बात करते हैं कैंडिडेट की को हम मिनिमल सुपर की कहते हैं क्योंकि इसमें सिर्फ वो एट्रिक्स होते हैं जो कि टेबल में हर एक रिकॉर्ड को यूनिक आइडेंटिफिकेशन कर सकते हैं क्योंकि आधार कार्ड नंबर तो सबका यूनिक ही होता है ना या फिर अगर पैन कार्ड डिटेल इसमें होती तो वो भी एक कैंडिडेट की बन जाती तो ऐसे मल्टीपल कैंडिडेट कीज हो सकती हैं एक टेबल में बट इन सारी कैंडिडेट कीज में से हम एक को प्राइमरी की सेट करते हैं प्राइमरी की इज अ कॉलम और सेट ऑफ कॉलम इन अ डेटाबेस दैट कैन यूनिकल आइडेंटिफिकेशन से मिलकर एक प्राइमरी की बन रही है तो उसे हम कंपोजिट की कहते हैं और जो कैंडिडेट कीज प्राइमरी की नहीं बन पाई उन्हें कहते हैं अल्टरनेट कीज और लास्ट में हमारी फॉरेन की फॉरेन की उसे कहते हैं जो कि दूसरे टेबल की प्राइमरी की को रेफर करती है और इन दो टेबल्स को आपस में लिंक करती है एंड द लास्ट टॉपिक ऑफ दिस चैप्टर इज ऑब्जेक्ट्स इन डीबीएमएस डीबीएमएस में ऑब्जेक्ट्स उन स्ट्रक्चर या कंपोनेंट्स को कहते हैं जिसकी हेल्प से हम डेटा स्टोर मैनेज या मैनिपुलेट कर पाते हैं जैसे टेबल्स में हम डेटा स्टोर करते हैं और क्वेरीज की हेल्प से हम उस डेटा को रिट्रीव कर सकते हैं अपडेट कर सकते हैं या उसमें कुछ चेंजेज कर सकते हैं या उसे डिलीट भी कर सकते हैं और फॉर्म्स एक यूजर फ्रेंडली तरीके से हमें टेबल में डेटा एंटर करने का ऑप्शन प्रोवाइड करता है और रिपोर्ट्स में से हम डेटाबेस से स्पेसिफिक डटा को रिट्रीव करके एक प्रॉपर फॉर्मेट में रिप्रेजेंट कर सकते हैं ताकि उस डाटा को समझना आसान हो और उसको करके कोई हम डिसीजन बना सक ताकि उस डाटा को समझना आसान हो और उसको एनालाइज करके कोई डिसीजन बनाना भी आसान हो जैसे तुम सिंपल अपने स्कूल के रिपोर्ट कार्ड का ही एग्जांपल ले लो उसमें एक साइड सब्जेक्ट होते हैं और दूसरे साइड उनके मार्क्स होते हैं तो तुम इजली समझ पाते हो कि कौन से सब्जेक्ट में कितने मार्क्स आए हैं किस सब्जेक्ट में सबसे ज्यादा मार्क्स आए हैं किसमें सबसे कम आए हैं तो तुम इजली उसे एनालाइज कर पाते हो डिसीजन बना पाते हो है ना तो यहां पे हमारा ये चैप्टर एंड होता है वीडियो पसंद आई होगी तो लाइक करना सब्सक्राइब कर दो इस वाले 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