Study IQ IS अब तयारी हुई Affordable The Rise and Fall of the Mongol Empire दोस्तों इस दुनिया पर राज उसी ने किया जिसने अपनी वीर्ता और शक्ती के बल पर इसे जीता यूं तो इतिहास के बन्नों में तमाम बड़े सामराज्यों ने अपनी मौजूद की दर्ज कराई लेकिन आज हम एक ऐसे सामराज्यों की बात करने जा रहे हैं जो विश्व इतिहास के सबसे शक्तिशाली सामराज्यों में से एक था इसने लगभग आधी सदी के भीतर पूर्वी यौरब के एक बड़े हिस्से और मध्य एजिया के ज्यादातर हिस्से को लेकर चीन तक को नियंत्रित कर लिया। इतिहास के सबसे बड़े सामराज्यों में से एक था, जो पूरे यूरेशिया में अनुमानित 9.27 मिलियन मील क्षित्र तक फैला था. मंगोल सामराज्य 268 तक फला फूला, जिसने विश्व इतिहास में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. सामराज्य की शुरुवात 13 वी शताब्दी की शुरुवात में चंगेज खान के नेतरित्व में मंगोल जनजातियों के एकी करण के साथ हुई.
लेकिन एक बड़े हिस्से पर राज करने के बावजूद, 1327 में कुछ ऐसी घटनाओं की शुरुवात हुई, जो अंततह सामराज्य के पतन का कारण बनी. आज मंगोल सामराज्य न केवल अपनी क्रूर युद्ध रणनीती के लिए, बलकि विभिन्न संस्कृतियों को एकजुट करने और अपने पूरे क्षेत्र में व्यापार को बढ़ावा देने में सभलता के लिए भी पहचाना जाता है. आज की इस वीडियो में हम मंगोल सामराज्य के बारे में बात करेंगे और जानेंगे मंगोल सामराज्य के उदय से लेकर पूरे के लिए बात करेंगे.
उसके विस्तार की कहानी इसके साथ ही उसके पतन के कारणों को भी संक्षेप में समझने की कोशिश करेंगे तो चलिए आईए शुरू करते हैं जैंगेस खान और मंगोल सामराज्य का संस्थाबक जैंगेस खान था जिनके जन्म के बारे में सटी कोई जानकारी नहीं है। लेकिन आधुनिक मंगोलिया यामतोर पर मानते हैं कि उनका जन्म 1162 में बैकाल जील के पास हुआ था, जो अब रूस के सुदूर पूर्व में स्थित है। जन्म के समय उनका मूल नाम तेमुजिन था। उस दोरान मं� परिवार की कमान समालने के लिए दोनों भाईयों में तनातानी हुई और तेमुजिन ने भाई को मार डाला। कहानी कहती है कि एक रोज शिकार के बाद तेमुजिन का भाई मचली लेकर भाग गया। तेमुजिन को आया गुस्सा, उसने भी भाई की पीट पर तीर चला दिया। कहानिया और भी है और होना लाजमी भी है। चुकी यहां बात हो रही है बारवी सदी की। कहा जाता है कि तेमुजिन जब पैदा हुआ उसके हाथ में मास का एक लोथ� कबीलाई परंपरा में इसका मतलब था कि ये बच्चा एक दिन दुनिया पर राज करेगा। हाला कि दुनिया पर राज करने के लिए जरूरत होती है सेना की। इसके लिए तेमुजिन ने तमाम कबीलों को एक किया। उनमें आपसी रिष्टे जोड़े। कई बार विरोध ह� मंगोलियाई सरदारों ने एक मिलिटरी काउंसिल बुलाई इस काउंसिल में तेमुजिन को तमाम मंगोलों का सरदार घोशित किया गया मंगोलों के इतिहास की किताब के अनुसार उनों नदी के किनारे सफेद जहंडे के नीचे मंगोलों ने तेमुजिन को कैगन के खिताब से नवाजा और यहीं से तेमुजिन को एक नए नाम मिला चंगेज और कैगन आगे जाकर बन गया खान इस तरह तेमुजिन चंगेज खान कहलाया जिसका मतलब था दुनिया का बादशा इस नाम को असलियत बनाने के लिए चंगेज खान ने अपनी सैन्य मुहीम की शुरुवात की। अपनी सामराज्य का विस्तार करने के लिए चंगेज खान का पहला कदम 1207 में आया। जब मंगोलों ने शी जिया के तांगुत सामराज्य पर हमला करना शुरु कर दिया। जिन राजवंश की ओर लगाया, जो उत्तर पूर्वी चीन को नियंत्रित करता था. बारासो पंधरा में बेजींग पर कबजा करने के साथ, चीनियों ने पीली नदी के उत्तर में अपने सभी क्षेत्र खो दिये थे. अन्त तह जिन राजवंश का क्षेत्र उत्तर में मंगोलों को दक्षिन में सुंग राजवंश द्वारा शासत चीनी क्षेत्र से अलग करने वाला एक बफर राज बन गया. साल 1218 में मध्य एशिया में मंगोल विस्तार की शुरुवात हुई. इस प्रकार मंगोल पश्चिम की ओर आगे बढ़े और रास्ते में कई महत्वपूर्ण शहरों को लूट लिया। बारह सो तैइज तक मंगोल वेस्ट में सदन रूस और क्राइमियन पेनिंसिला तक आगे बढ़ गए। चार साल बाद शी जिया के राज्य के साथ मंगोल सामराज्य के दूसरे युद्ध में अपनी सेना का नेतरित्व करते हुए, 25 अगस्त 1227 को पश्चिमी जिया के जिंग किंग में चंगेज खान की मृत्य हो गई। चंगेज खान के सबसे बड़े बेटे की पिछले वर्ष मृत्य हो गई थी और उनकी अपने दूसरे बेटे के साथ अन्वन हो गई थी इसलिए चंगेज का तीसरा बेटा ओगेदैई खान के रूपे चंगेज खान का उत्राधिकारी बना चौथे बेटे तोलूई को लगभग एक लाग पुरुषों की सेना और मंगोल मात्र भूमी मिली ओगेदैई खान ने अपने पिता की आक्रामक विस्तार की नीती को जारी रखा मंगोल क्रूर रणनीती के लिए जाने जाते थे लक्षित चेहरों को एक कठोर विकल्प की पिशकश की गई थी आत्मसमर्पण करें और श्रद्धान जली अरपित करें अन्यता अकेले छोड़ दिये जाएं या विरोध करें और पराजित होने पर ठोक नरसंघार का सामना करें जैसे ही 1230 में मंगोल सेना फारस में फैली शेहरों ने तुरंत विनाश का सामना करने की बजाए उसी समय एक और सेना अफगानिस्तान में घुस गई और काबल जल्द ही गिर गया 1230 के दशक के मध्य में जियोर्जिया और आर्मीनिया पर विजय प्राप्त की गई। रूस में मौसको रियासत सहित कई रूसी रियासतें मंगोल सामराज्य की जागीरदार बन गई। एक दशक बाद मंगोल पूर्वी यौरप और आनाटोलिया में चले गए। दक्षिन में कश्मीर पर हमला किया गया। 1240 में मंगोलों ने युक्रेन की वर्तमान राजधानी कीव शहर को जला दिया। इस बीच एजिया में मंगोल दक्षिन तिबत में चले गए। 1241 में मंगोलों ने सिंधु गाटी में प्रवेश किया और लाहौर की घेरा बंदी कर दिया। हलाकि वे इस क्षेत्र पर पूर्ण नियंत्रन लेने में असमर्थ रहे। 1250 के दशक तक मंगोलों ने पूरे तिबद पर नियंत्रन कर लिया और दक्षणी चीन की ओर बढ़ना शुरू कर दिया। हलाकि दक्षणी चीन की विजय में दशकों लग गए और 1289 तक पूरा नहीं हुआ। इस बीच 1269 में जब मौंके खान की मृत्य हुई, तो मंगोल सामराज्य अपने सबसे बड़े विस्तार पर था पूर्वी यौरप से लेकर जापान के सागर तक और यौरप के जमे हुए उत्तर से लेकर जो अब रूस है दक्षिन में भारत की सीमाओं की गर्मी तक पहुँच गया था चीन पर शासन करने वाले मंगोल नियंत्रित राजवंश को युवान राजवंश कहा जाता था इस राजवंश ने 1368 तक चीन पर शासन किया जब मिंग राजवंश ने उन्हें उखाड फेका मंगोल एमपायर एट इट्स पीक मोंग के का उत्तर आधिकारी उसका भाई कुबलाई खान बना। मंगोल सामराज्य कुबलाई खान के अधीन अपनी शक्ती के चरम पर था। उसने 1260 से 1294 तक शासन किया। सामराज्य के 24 मिलियन वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को नियंत्रत किया। जिससे ये मानव इतिहास में स पूर्व में एशिया के प्रशांत तट तक फैला हुआ था वास्तव में मंगोल सामराज्य एतिहास में सबसे बड़ा सामराज्य बना रहा और जब तक कि इसे ब्रिटिश सामराज्य द्वारा ग्रहन नहीं कर लिया गया जिसने 20 वी शताबदी की शुरुवात में अपने चरम पर 35.5 मिलियन वर्ग किलोमेटर को नियंत्रित किया था लेकिन सवाल यहां यह उठता है कि मंगोल सामराज्य के विस्तार के बीचे कारण क्या था उनकी सेना बहुत क्रूर थी इसमें कोई शक नहीं लेकिन फिर भी सवाल बनता है कि बंजारों की एक फोज दुनिया की बड़ी-बड़ी सभ्यताओं पर भारी कैसे पड़ गए?
इस सवाल का जवाब मंगोलों की युद्ध नीती में छुपा था. पहली बात, मंगोल ने अपनी सेना को मेरिट के आधार पर तयार किया था, जबकि उसके दुश्मन अकसर अपने खासम-खासूं और परिवार वालों को सेना में उचे ओधे पर रखते थे. उसकी सेना थी, जो अत्यधिक गतिशील और अत्यधिक कुशल थी. मंगोल सेन्य मशीन कठोर मौसम की स्थिती में भी अपने परिवार पर रखते थे.
अपने दुश्मनों के सैन्यबलों की तुलना में बहुत तेजी से आगे बढ़ने की क्षमता रखती थी। दूसरा कारण था चंगेज खान खुद एक कबिलाई धर्म मानता था, जिसमें आस्मान की पूजा की जाती थी। लेकिन उसने कभी किसी और धर्म पर रोकटोक नहीं लगाई। इसलिए सभी धर्म के लोग उसकी सेना में शामिल थे। और तीसरा कारण था उसके घोड़े, जो लंबे अभियानों के लिए सुसज्जित थे। वो अन्य सेनाओं के सेनिकों की तुलना में अधिक हलके बखतरबंद भी थे। जिससे वे तेजी से आगे बढ़ सकते थे मंगोल सैनिक घेराबंदी की कला में विशेश रूप उधारन के लिए, मंगोल सेनाओं द्वारा नियोजित इंजीनियर आसपास की पेड़ों का उपयोग करके मौके पर घेराबंदी मशीने बना सकते थे। मंगोल खुफिया जानकारी कठा करने और अपनी सेनिय गतिविदियों की सावधानी पूर्वग योजिना बनाने में भी अत्यधिक कुशल थे। कि मंगोलों की सेना कभी भारी भरकम कारवां के साथ नहीं चलती थी सेना के सरदार या खुद मंगोल शासक साधारन टेंट में रहते थे यहां तक कि मंगोल के पास राशन भी बहुत कम रहता था मुश्किल आने पर वो बूढ़े, जखमी और बीमार घोडों को मार कर खा लेते थे प्रभावी शासन ने मंगोल सामराज्य को विस्तार करने और खुद को बनाए रखने में भी मदद की मंगोल शासन का एक पहलू दूसरों की मान्यताओं को सेहन करने की नीती थी मंगोल सामराज्य की प्रजा अपनी इच्छा नुसार अपने धर्म का पालन करने के लिए स्वतंत्र थी। सामराज्य ने एक बहुत व्यापक और कुशल डाग प्रणाली का भी उपयोग किया। जिसका उपयोग चीन, मध्यपूर्व और यौरप सहित पूरे सामराज्य में कई दूतों और यात्रियों द्वारा किया जाता था। पूरे शहरों को नष्ट कर देते थे और उनके सभी निवासियों को मार डालते थे उन्होंने अपनी प्रजा पर भारी कर भी लगाया मंगोलों की जीत का एक कारण और भी था उसके सैनिकों की निष्ठा एक किस्सा है एक बार जब चंगेज खान कभीलों को एक करने के लिए एक युद्ध लड रहा था सेनापतियों ने ये बात फोज से छुपा दी कहा गया कि तीर उसकी घोड़े को लगा है युद्ध गत्म होने के बाद चंगेज खान ने तीर मारने वाले योधः को बुलाया उसने चंगेज खान से कहा मैं जानता हूँ मेरा तीर आपके गले में लगा था घोड़े को नहीं आप चाहें तो मुझे मृत्यू दंड दे सकते हैं लेकिन अगर आप मानते हैं मैं आपकी सेवा करने के लिए तयार हूँ कहानी कहती है कि चंगेज खान ने उस योधः को माफ किया चंगेज खान के बारे में एक और बात कही जाती है कि वो शहर की शहर नश्च कर डालता था इसके भी दो कारण थे। पहला, वो अपने साथ युद्ध बंदी नहीं रखना चाता था। क्योंकि उसकी सेना की स्पीड कम होती। दूसरा कारण ये था कि शेहरवासी मंगोलों को जंगली समझते थे। और इस कारण वो शेहरों से नफरत करता था। यहां तक कि उसकी शा इसमें एक बात और जोड़ने लाइक है कि दुश्मन सेना के जो लोग उसके आगे हथियाड डाल देते और यदि वो उन्हें लड़ने लाइक समझता है तो उन्हें अपनी सेना में शामिल कर लिया जाता है। अपनी मृत्यू से पहले चंगेस खान ने अपने बेटों के लिए सामराज्य के अलग-अलग हिस्सों पर शासन करने की व्यवस्था की। सत्ता के इस विभाजन के परिणाम स्वरूप अंततह पाँच अर्ध स्वतंत्र खान्टे का उदै हुआ। गोल्डन होडे जिसने सामराज्य के यूरोपिय क्षेत्र और मध्य एजिया के हिस्से को नेंत्रित किया। एलखान्ते पश्चिमी एशिया में स्थित चीन में महान खान का सामराज्य जो अंततह यूआन राजवंश के रूप में जाना जाने लगा। मंगोल मात्रभूमी की खानते और मध्य एजिया में चगताई खानते सबसे पहले ये खानते सीमित सुआयत्ता के लिए कारे करती थी अंतिम अधिकार अभी भी महान खान के पास था महान खान का पद समहलने वाला अंतिम मंगोल शासक कुबलाई खान था 1294 में कुबलाई खान की मृत्यू के बाद इस बात पर कोई सहमती नहीं थी इस परकार मंगोल सामराज्य स्थाई रूप से खंडित हो गया और खांटे एक दूसरे से पूरी तरह स्वतंत्र हो गये। चोदवी शताबदी के मद्यमे गोल्डन हार्डे का भी पदन हो गया, जो अंततह कई छोटे खानों में विभाजित हो गया, जिनमें से अंतिम 1502 में नश्ट हो गया. मंगोल मात्र भूमी को सत्रवी शताबदी के अंत में किंग राजवंश ने जीत लिया, और बीसवी शताबदी के शुरुवात तक अपनी स्वतंतरता हासिल नहीं कर सका. एक शक्तिशाली सामराज्य को टुकडों में विभाजित करना, कभी-कभी समरिध्धी का एक नया अध्याय खोल सकता है। लेकिन ये सामराज्य के पूर्व गौरव को कमजोर भी कर सकता है, या नष्ट भी कर सकता है। चारो मंगोल खानतों का धीरे-धीरे पतन हुआ। कंक्लूशन दूस्तो इस तरह मंगोल सामराज्य ने चड़ते सूरज के साथ ही ढलता सूरज भी देखा। एक व्यक्ति के द्रड़ संकल्प और क्षमता से। जिसे इतिहास चंगेश खान के रूप में याद करता है, मानव इतिहास में सबसे बड़े सामराज्य को विकसत किया. मंगोल निर्दई थे, लेकिन प्रभावी थे.
पूरे यौरप और एजिया में फैलते हुए इन्होंने अपनी सीमाएं पाईं. हना कि मंगोल सामराज्य टिकने के लिए नहीं था, मंगोल सामराज्य की विरासत मध्ययुगी नितिहास में उन सभी स्थानों पर अमिट रूप से अंके थे, जिन पर उन्होंने विजय प्राप्त की थी. और उन स्थानों पर भी जहां उनकी आगमन का डर था, भले ही उन्होंने अपनी सीमाएं पाईं.
वो कभी नहीं आया। आज मंगोलिया एक छोटा सा देश है, जिसकी लंबाई पश्चिम से पूर्व तक 1486 मील और अधिक्तम उत्तर से दक्षन तक 782 मील है। 6,3,909 वर्ग मील पर रहने वाले मात्र 3.3 मिलियन की आबादी के साथ, विशाल मंगोल सामराज्य की महिमा और शक्ती, प्राचीन इतिहास के अलाबा और कुछ नहीं है। लेकिन उत्तर में रूस और दक्षन में चीन के बीच एजिया में स्थित इस छोटे से देश में अविश्वसनी अश्शासक और योध्धा रहें, कुछ प्राचीन सामराज्य थे और आदुनिक देश कभी भी प्रतीसपर्धा कर सकते थे। आज चाहि देश कितना भी छोटा क्यों ना हो, निश्चिन्त रहें, मंगोलिया का महत्व इतिहास की किताबों से कभी नहीं मिठाया जा सकता। दुस्तों क्या आप जानते हैं, चंगेज खान के 16 मिलियन रिष्टेदार थे। ये संख्या ही इस बात की स्पष्ट तस्वीर देती है कि मॉंगोल सामराज्य एक समय में कितना शक्तिशाली और विशाल था। इसी के साथ हम अपने इस डिस्कर्शन को यहीं विराम देते हैं, मगर UPSC मेंस के रेलिवेंस को देखते हुए हम आपके लिए एक क्वेस्चन छोड़ कर जा रहे हैं, जिसे आप इस वीडियो की कॉमेंट सेक्षन में आंसर कर सकते हैं। Question. Discuss the Indo-Iranian relation followed by the Iranian invasion in the first half of the 6th century BC. Study IQ IAS अब तयारी हुई Affordable