हेलो स्टूडेंट्स, कैसे हैं आप सब लोग? आई होप आप लोगों ने डिमांड और इलास्टिसिटी ऑफ डिमांड जो कि हाई वेटेज चैप्टर है उनको अच्छे से कवर कर लिया होगा। आज मैं आपको जो पढ़ाने जा रहा हूं ना ये 11th के टॉपिक में भी इसका आधा पार्ट नहीं था। यानी कि बिल्कुल नया टॉपिक है। आज मैं क्लास आपको रिटर्न टू स्केल भी कराऊंगा और रिटर्न्स टू अ फैक्टर भी कराऊंगा। तो स्टार्ट करते हैं। प्रोडक्शन फंक्शन माइक्रोइकोनॉमिक्स बिल्कुल मिड स्टेज पे आ गया है। कोशिश करेंगे नेक्स्ट टू डज़ के अंदर पूरी माइक्रो अच्छे से खत्म कर दें। एक-एक करके इसके एमसीक्यू की प्रैक्टिस भी कराऊंगा आपको। और एसपीसीसी ऐप पे 21 प्रीमियम मॉक टेस्ट है हर सब्जेक्ट के। जिनमें से पूरा का पूरा सीबीटी का पेपर कवर होने वाला है। डेफिनेटली आप उनको जरूर बना रहे होंगे। मजा आ रहा है बच्चों को। आप मुझे बताना आपका स्कोर कितना आ रहा है। कहीं भी कोई प्रॉब्लम मुझे कमेंट सेक्शन में मेंशन करना। तो स्टार्ट करते हैं। प्रोडक्शन फंक्शन। प्रोडक्शन होता क्या है? इनपुट्स को आउटपुट में कन्वर्ट करना। इसका जो प्रोसेस है, इनपुट को कैसे आउटपुट में कन्वर्ट करते हैं? जैसे मान लो शुगर कैन लेते हैं हम लोग। इसके अलावा मशीन लेते हैं, लेबर लेते हैं। इन सबको मिलाकर लास्ट में क्या बन जाता है? शुगर बन जाता है। सो प्रोडक्शन होता क्या है? ट्रांसफॉर्मेशन ऑफ इनपुट्स इनू आउटपुट। इनपुट में आउटपुट को कन्वर्ट करना, ट्रांसफॉर्म करना ही प्रोडक्शन कहलाता है। इन ऑर्डर टू एक्वायर इनपुट, अ फर्म हैज़ टू पे फॉर देम। ऑब्वियसली इनपुट के लिए पे करना पड़ेगा। दिस इज़ कॉल्ड कॉस्ट ऑफ़ प्रोडक्शन। भाई प्रोडक्शन के लिए जो भी खर्चा आ रहा है लैंड लेबर कैपिटल इन सबको जो आप पेमेंट कर रहे हो दिस इज कॉल्ड कॉस्ट ऑफ कैपिटल वंस आउटपुट हैज़ बीन प्रोड्यूस्ड द आउटपुट जब बन जाता है फर्म सेल दीज़ इंटू मार्केट एंड अर्न रेवेन्यू तो जो भी आउटपुट बनेगा पहले आया कॉस्ट फिर आउटपुट आपने जो भी बनाया उसको मार्केट में बेचेंगे उससे क्या मिलेगा रेवेन्यू मिलेगा द डिफरेंस बिटवीन द रेवेन्यू एंड कॉस्ट इज़ कॉल्ड फर्म प्रॉफिट रेवेन्यू और कॉस्ट का जो डिफरेंस होता है उसको हम लोग क्या कहते हैं प्रॉफिट बोलते हैं। वी अस्यूम दैट द ऑब्जेक्टिव ऑफ़ फर्म इज़ टू अर्न द मैक्सिमम प्रॉफिट दैट इट कैन। तो किसी भी कंपनी का जो ऑब्जेक्टिव होता है ना फर्म का जो ऑब्जेक्टिव होता है वो होता है मैक्सिमम प्रॉफिट कमाना। जितना ज्यादा प्रॉफिट वो कमा सकते हैं उतना कमाने की सोचते हैं। प्रोडक्शन फंक्शन क्या है? एक फंक्शनल रिलेशनशिप है। किस-किस के बीच में? फिजिकल इनपुट और फिजिकल आउटपुट। यानी इनपुट और आउटपुट के बीच में जो रिलेशनशिप बताता है, उसे बोलते हैं प्रोडक्शन। फंक्शन आउटपुट इज़ इक्वल टू फंक्शन ऑफ़ एल फॉर होता है लेबर। और के फॉर क्या होता है? कैपिटल। तो लेबर और कैपिटल दोनों को मिलाकर जो आउटपुट बनता है इस इनका जो रिलेशनशिप है लेबर कैपिटल का आउटपुट के साथ जो रिलेशनशिप है इसी रिलेशनशिप को हम लोग क्या बोलते हैं? प्रोडक्शन फंक्शन। अब प्रोडक्शन फंक्शन दो टाइप के होते हैं। समझना ध्यान से। शॉर्ट रन प्रोडक्शन फंक्शन और लॉन्ग रन प्रोडक्शन फंक्शन। शॉर्ट रन प्रोडक्शन फंक्शन क्या होता है? एक शॉर्ट रन बेसिकली एक टाइम पीरियड होता है। छोटा समय। लॉन्ग रन मतलब बहुत लंबा समय। तो शॉर्ट रन क्या है? इट रेफर्स टू अ पीरियड। ये वो पीरियड है इन व्हिच सम फैक्टर्स आर फिक्स्ड एंड अदर्स आर वेरिएबल। शॉर्ट रन वो टाइम पीरियड होता है जहां पे कुछ फैक्टर्स आपके फिक्स्ड होते हैं और कुछ फैक्टर्स आपके वेरिएबल होते हैं। सर फिक्स्ड फैक्टर क्या होते हैं? इट रेफर्स टू दोज़ फैक्टर्स व्हिच कैन नॉट बी चेंज इन शॉर्ट रन। फिक्स्ड फैक्टर का मतलब बिल्डिंग, मशीनरी, लैंड इनको छोटे समय में आप बदल नहीं सकते। फिक्स का मतलब ही क्या है? जो शॉर्ट रन में फिक्स है। अगर आप छोटे समय के लिए स्माल रन के लिए आप बिजनेस कर रहे हो तो फिक्स फैक्टर को आप चेंज नहीं कर सकते। लैंड बिल्डिंग मशीनरी को आप चेंज नहीं कर सकते। उनको बोलते हैं फिक्स फैक्टर। जैसे लैंड बिल्डिंग, प्लांट मशीनरी एसेट्रा। जबकि वेरिएबल फैक्टर्स कौन-कौन से होते हैं? वेरिएबल यानी चेंजिएबल। ये वो फैक्टर्स हैं जिनको बदल दिया जाता है। चेंज कर दिया जाता है शॉर्ट रन में। मतलब आपके पास छोटे समय का भी बिजनेस कर रहे हो ना तो वेरिएबल फैक्टर को आप क्या कर सकते हो? चेंज कर सकते हो। लाइक लेबर एक की जगह दो लेबर तीन लेबर चार लेबर लगा सकते हो रॉ मटेरियल को आप बढ़ा सकते हो तो जो रॉ मटेरियल है और जो लेबर है बेसिकली ये आपके वेरिएबल फैक्टर्स हैं। जबकि लैंड बिल्डिंग प्लांट और मशीनरी क्या है आपके फिक्स्ड फैक्टर। अब समझते हैं शॉर्ट रन क्या होता है? शॉर्ट रन प्रोडक्शन फंक्शन वो प्रोडक्शन फंक्शन है जहां पे कुछ फैक्टर क्या होते हैं? फिक्स्ड। जैसे लैंड, मशीनरी, बिल्डिंग ये सब फिक्स्ड हैं। जबकि कुछ क्या होते हैं? वेरिएबल। जैसे रॉ मटेरियल क्या होता है? वेरिएबल होता है। लेबर क्या होता है? वेरिएबल होता है। तो शॉर्ट रन प्रोडक्शन फंक्शन वो प्रोडक्शन फंक्शन है जहां पे कुछ फैक्टर होते हैं फिक्स्ड और कुछ फैक्टर क्या होते हैं? वेरिएबल। जबकि लॉन्ग रन प्रोडक्शन फंक्शन वो प्रोडक्शन फंक्शन है जहां पे सारे के सारे फैक्टर्स क्या होते हैं? वेरिएबल। यानी कि ये जो बिल्डिंग, प्लांट, मशीनरी ये भी वेरिएबल होते हैं। यार सिंपल सी बात बताऊं। अगर छोटे समय का बिजनेस है, शॉर्ट रन है तो आप इनको चेंज नहीं कर सकते। इतना पैसा कहां आता है कि भ छोटे समय में ये सब चेंज कर सको। इनको चेंज कर सकते हो। लेकिन अगर लॉन्ग रन का पीरियड है लंबे समय तक का अगर आप बिजनेस कर रहे हो तो आप इनको भी चेंज कर सकते हो फिक्स्ड फैक्टर को और वेरिएबल फैक्टर इनको भी चेंज कर सकते हो। तो लॉन्ग रन में दोनों फैक्टर्स वेरिएबल होते हैं। शॉर्ट रन में एक फिक्स होता है। एक वेरिएबल होता है। इन लॉन्ग रन ऑल द फैक्टर ऑफ़ प्रोडक्शन कैन बी वेरिड यानी कि चेंज किया जा सकता है। अ फर्म इन ऑर्डर टू प्रोड्यूस डिफरेंट लेवल ऑफ़ आउटपुट इन लॉन्ग रन मे वेरीरी बोथ द इनपुट्स साइमलटेनियसली। इसको भी बढ़ाता है, इसको भी बढ़ाता है। और शॉर्ट रन में दिक्कत क्या है? शॉर्ट रन में यह तो फिक्स है। जी जमीन तो इतनी है। लेबर भरे जा रहे हो इसके अंदर। शॉर्ट रन में यह दिक्कत है। लॉन्ग रन में जमीन इतनी है तो जमीन भी बढ़ा रहे हो साथ-साथ में लेबर भी बढ़ा रहे हो। यही है लॉन्ग रन। दोनों को चेंज करते हैं। शॉर्ट रन में थोड़ी चीजें चेंज होती हैं। इट इज़ नॉट एडवाइसेबल टू डिफाइन शॉर्ट रन लॉन्ग रन टर्म्स ऑफ डेज, मंथ, ईयर। तो शॉर्ट रन और लॉन्ग रन को कभी भी ना यह इतने टाइम पीरियड टाइम पीरियड से नहीं दिखा डिसाइड करते। फिक्स्ड और वेल फैक्टर से डिसाइड करते हैं। तो ये नहीं कि एक साल का है तो शॉर्ट रन, एक साल से ज्यादा लॉन्ग रन ऐसा कुछ नहीं है। वी डिफाइन अ पीरियड ऑफ़ लॉन्ग रन, शॉर्ट रन सिंपली बाय लुकिंग वेदर देयर आर इनपुट आर विराइड ऑ नॉट। इनपुट चेंज होता है नहीं। अगर सारे इनपुट चेंज होते हैं तो लॉन्ग रन है। सिर्फ फिक्स्ड फैक्टर चेंज होते हैं तो शॉर्ट रन है। तो ये क्वेश्चन एनसीईआरटी से लाइन उठाई गई है। तो आपको एनसीईआरटी में देखने को मिल सकता है। मैं प्रॉपर चीजें जो बना रहा हूं जो मेरे मॉक्स बने हुए हैं सब कुछ प्रॉपर एनसीईआरटी से ही है। तो आप बिल्कुल भी क्लास इस बात को इग्नोर मत करना। हर चीज प्रॉपर तरीके से करा रहा हूं आपको और तुम देख भी रहे हो डेली बेसिस पे बहुत मेहनत चल रही है और ये वन शॉट में हम पूरा अभी खत्म कर देंगे। टर्म्स यूज़ इन प्रोडक्शन। प्रोडक्शन के अंदर क्या-क्या टर्म्स यूज़ होते हैं? सबसे पहला टोटल प्रोडक्ट है। टीपी टोटल प्रोडक्ट इट रेफर्स टू टोटल क्वांटिटी ऑफ़ गुड्स प्रोड्यूस बाय अ फर्म ड्यूरिंग अ गिवन पीरियड ऑफ़ टाइम एंड इनपुट। तो टीपी का मतलब क्या होता है क्लास? टोटल प्रोडक्ट। आपने सारे के सारे लेबर को लगा दिया। सारे के सारे फैक्टर्स को लगा दिया। उससे जो आपको आउटपुट मिला उसको बोलते हैं टीपी। टोटल प्रोडक्ट और मार्जिनल प्रोडक्ट क्या होता है? एक एडिशनल लेबर को लगाने से इट रेफर्स टू चेंज इन टोटल प्रोडक्ट। टोटल प्रोडक्ट में जो चेंज आया है ड्यू टू एंप्लॉयड एन एडिशनल यूनिट ऑफ़ वेरिएबल फैक्टर। एक लेबर को एक्स्ट्रा लगाने से एक वेरिएबल फैक्टर को एक्स्ट्रा लगाने से जो चेंज आया है टोटल प्रोडक्ट में उसको बोलते हैं मार्जिनल प्रोडक्ट। ठीक है? एवरेज प्रोडक्ट क्या होता है? इट रेफर्स टू आउटपुट पर यूनिट ऑफ़ वेरिएबल फैक्टर। हर एक लेबर ने या पर यूनिट ऑफ लेबर बोल दो। हर एक लेबर ने जो आउटपुट दिया हुआ है उसको क्या बोलते हैं क्लास हम लोग? एवरेज प्रोडक्ट। अब टीपी का जो फार्मूला है वो तो टोटल प्रोडक्ट है। समेशन ऑफ़ MP मार्जिनल प्रोडक्ट को जोड़ेंगे तो क्या आएगा? टोटल प्रोडक्ट आएगा। लिख लेना। समेशन ऑफ़ MP इज़ TP और दूसरी बात MP का फार्मूला क्या होता है? MP का फार्मूला होता है NPN = TPN - TPN - 1 वो नीचे से ऊपर वाले को माइनस करते हैं। जैसा आपने पढ़ा ना TU से नीचे से माइनस करते चले जाते हैं। MU आता है। उसी तरीके से TP से MP आता है। ओके? और MP को ऐड करते चले जाएंगे तो TP आएगा और TPN - TPN - 1 MP आएगा। अगर आपको MP निकालना हो तो एक और तरीका भी है। चेंज इन टोटल प्रोडक्ट और चेंज इन क्वांटिटी ऑफ़ लेबर। क्वांटिटी ऑफ़ लेबर बोलो या क्वांटिटी ऑफ़ वेरिएबल फैक्टर बोलो। बिकॉज़ इसमें फिक्स्ड फैक्टर को चेंज नहीं कर सकते। सब कुछ वेरिएबल फैक्टर के बेसिस पे निकलता है। और अगर आपको एवरेज प्रोडक्ट निकालना हो एवरेज प्रोडक्ट तो टोटल प्रोडक्ट को क्वांटिटी ऑफ़ लेबर से डिवाइड दे दोगे तो आपको क्या मिल जाएगा? एवरेज प्रोडक्ट। तो देखो ये रहा यहां पे कंप्लीट करना है एक टेबल को। बहुत सिंपल है। एवरेज प्रोडक्ट दे रखा है। क्वांटिटी से मल्टीप्लाई करो। क्या आएगा आपके पास? टोटल प्रोडक्ट। ठीक है? ये देखो एवरेज प्रोडक्ट है। क्वांटिटी से करो मल्टीप्लाई। आएगा टोटल प्रोडक्ट। तो 16 * 1 क्या हो गया? 16 हो गया। 20 * 2 क्या हो गया? 40 हो गया। ये हमें नहीं पता। चलो 18 * 4 कितना हो गया? 72। 14 * 6 कितना बनेगा? 14 * 6 ठीक है? 14 * 6 बन गया आपका 84 ये हो गया सारा का सारा TP निकल गया। AP से TP निकल गया। अब TP और MP कैसे निकालोगे? 16 की जगह 16 कर दो। 40 में से 16 जाएगा तो कितना बचेगा? 40 - 16 ये आएगा 24. और 40 + 20 कितना आ गया? 60. 72 में से 16 जाएगा तो कितना बचेगा? 12. 72 + 8 कितना आएगा? 80. 84 में से 80 गया तो यह कितना आएगा? फोर। तो आप देख रहे हो MP को जोड़ते चले जाओगे TP आएगा। TP को माइनस करते चले जाओगे। MP आएगा। मैं फिर से दिखा देता हूं कैलकुलेट करके एक बार। जैसे ये सिक्स ये 16 है। 16 है। 40 में से 16 गया तो कितना आया? 24। 60 में से 40 गया 20। 72 में से 60 गया 12। 80 में से 72 84 में से 80 ये फोर आ गया। अब एमपी को जोड़ो। TP आएगा। ये आ गया 16। 16 + 24 कितना आएगा? MP को जोड़ो। 16 + 24 40 40 + 20 60 60 + 12 72 72 + 80 80 + 4 84 अब जो एवरेज प्रोडक्ट है वो TP को क्वांटिटी से डिवाइड दे के आएगा। 16 को एक से डिवाइड दो 16 40 को दो से डिवाइड दो 20 60 को तीन से डिवाइड दो 20 72 को 4 से 18 80 को फाइव से डिवाइड दो तो कितना आएगा? 16। ठीक है? तो ये पूरा का पूरा टेबल भी कंप्लीट हो गया और सबका मतलब भी आपको समझ आ गया। अब हम शॉर्ट रन भी पढ़ेंगे और लॉन्ग रन भी। शॉर्ट रन में एक लॉ होता है जो बहुत इंपॉर्टेंट है। जहां से क्वेश्चन पक्का बनेगा ही बनेगा। और उस लॉ का नाम है लॉ ऑफ़ वेरिएबल प्रपोर्शन या लॉ ऑफ़ रिटर्न्स टू अ फैक्टर। यह लॉ क्या कहता है? ध्यान रखना। और ये शॉर्ट रन का लॉ है। यह लॉ कहता है एज़ वी इंक्रीस दी अमाउंट ऑफ वेरिएबल फैक्टर कीपिंग कॉन्स्टेंट द अमाउंट ऑफ़ फिक्स्ड फैक्टर। जैसे-जैसे हम वेरिएबल फैक्टर को बढ़ाते चले जाते हैं फिक्स्ड फैक्टर को कांस्टेंट रखकर। देन द मार्जिनल प्रोडक्ट डिराइव्स फ्रॉम ईच एंड एडिशनल यूनिट ऑफ़ वेरिएबल फैक्टर इंक्रीस इन द बिगिनिंग बट आफ्टर अ स्टेज इट स्टार्ट्स फॉलिंग देन बिकम्स ज़ीरो एंड नेगेटिव। क्वेश्चन कह रहा है फिक्स फैक्टर को तो कांस्टेंट रखना है भाई। उसको तो आप इनक्रीस नहीं कर सकते क्योंकि ये लॉ शॉर्ट रन का है। उसको कांस्टेंट रखकर वेरिएबल फैक्टर को जैसे-जैसे आप बढ़ाते चले जाते हो तो जो मार्जिनल प्रोडक्ट है यानी कि एक्स्ट्रा लेबर को लगाने से जो आउटपुट मिल रहा है वो शुरू में तो बढ़ेगा लेकिन क्योंकि जमीन उतनी है तो एक स्टेज के बाद वो घटना स्टार्ट हो जाएगा। फिर ज़ीरो और माइनस चला जाएगा। तो ये कहते हैं कि एज वी इंक्रीस द अमाउंट ऑफ विरल फैक्टर कीपिंग कांस्टेंट द फिक्स्ड फैक्टर देन जो मार्जिनल प्रोडक्ट है जो ईच एंड एडिशनल यूनिट ऑफ़ वेर फैक्टर से मिल रहा है इंक्रीस इन द बिगिनिंग बट आफ्टर अ स्टेज इट स्टार्ट्स फॉलिंग देन बिकम ज़ीरो और नेगेटिव। तो एक स्टेज के बाद वो घटना चालू हो जाएगा। ज़ीरो और माइनस हो जाएगा। अजंप्शन क्या है? ये शॉर्ट रन में आता है। कुछ फैक्टर फिक्स्ड होंगे। ऑब्वियसली कुछ फैक्टर वेरिएबल होंगे और वेरिएबल फैक्टर होमोजनियस होंगे। जो लेबर है, जो रॉ मटेरियल है वो एक जैसा होना चाहिए। कोई लेबर बहुत हाईली क्वालिफाइड है। हाईली स्किल्स हैं उसके पास और किसी के पास नहीं है। ऐसा नहीं होना चाहिए। और टेक्नोलॉजी भी क्या होनी चाहिए? कांस्टेंट होनी चाहिए। तभी ये लॉ काम करेगा कि शुरू में मार्जिनल प्रोडक्ट बढ़ेगा और फिर मार्जिनल प्रोडक्ट धीरे-धीरे घटना स्टार्ट हो जाएगा। ओके? ये रहा देखो पूरा स्ेड्यूल डायग्राम। सारी चीजें देखो। एक एकड़ जमीन है। मान लो फिक्स्ड फैक्टर विल फैक्टर ज़ीरो है। 1 2 3 4 5 तो जो टोटल जो एमपी है वो शुरू में इंक्रीस होगा। 10 20 फिर घटना 15 7 फिर ज़ीरो फिर -4 अब तुम्हारी मर्जी है तुम कैसे भी देख लो यह शुरू में बढ़ रहा है देखो फिर ये घट रहा है ज़ीरो हो रहा है माइनस हो रहा है तुम कैसे भी बढ़ा देना तुम कोई भी नंबर ले सकते हो लाइक पांच उसके बाद है आठ फिर क्या 12 फिर हो गया 14 ठीक है और ये हो गया मान लो 14 मैक्सिमम हो गया फिर घट गया 12 7 5 0 -2 किसी भी तरीके से एमपी निकाल दो शुरू में बढ़ाओ और फिर घटा के ज़ीरो और माइनस कर दो खत्म बात अब MP को जोड़ो टीपी आएगा 10 10 + 20 30 + 15 45 45 + 7 52 50 + 0 52 52 - 48 अब एवरेज प्रकट क्या आएगा? टीपी को क्वांटिटी ऑफ़ लेबर से डिवाइड देना है। फिक्स से नहीं तो 10 को वन से 10 30 को टू से 15 55 को थ्री से 15 52 को 4 से 13 52 को 5 से 10.48 को सिक्स से 8 तो ये बन गया आपका क्लास पूरा का पूरा। ये हो गया देखो टीp टोटल प्रोडक्ट। और यह हो गया आपका एमपी। और जैसा एमपी है वैसे ही क्या होगा? एp होगा। एमपी एp दोनों भाई-भाई हैं। यह बढ़ के घटेगा तो वह भी बढ़ के घटेगा। दिस इज कॉल्ड लॉ ऑफ रिटर्न्स टू फैक्टर और लॉ ऑफ वेरिएबल प्रपोर्शन। अब यहां पे एक बात सीखने की है क्लास कि जब तक टीपी देखो ये शुरू में जो टीपी इनक्रीज हो रहा है ना यहां तक वो तेजी से इनक्रीज हो रहा है। फिर यहां से धीरे-धीरे इनक्रीज हो रहा है। और ये मैक्सिमम पॉइंट पे ना कांस्टेंट हो जाता है। मैंने आपको यूटिलिटी के अंदर ही बताया था। अगर आप देखोगे ना देखो TP कांस्टेंट हो गया। और TP तब कांस्टेंट होता है जब MP क्या हो जाता है? ज़ीरो। तो हमेशा लास्ट वाला लेते हैं। तो जब मैक्सिमम पॉइंट पे पहुंचता है ना ये लाइन मेरे इन दोनों दोनों पाम के बीच की लाइन देखो ना एक सीधी लाइन मिल जाएगी आपको यहां स्ट्रेट लाइन। तो वो कांस्टेंट हो गया। उस पॉइंट पे MP क्या होगा? ज़ीरो। तो TP इंक्रीसेस MP पॉजिटिव। TP मैक्सिमम MP ज़ीरो। TP फॉल्स MP नेगेटिव। तो TP MP का ये रिलेशनशिप है। जैसे TU MU का रिलेशनशिप था ना बिल्कुल सेम TP MP का। ये इंक्रीस करेगा। ये पॉजिटिव है MP। TP मैक्सिमम MP ज़ीरो। जैसे ही TP घटेगा MP कहां चला जाएगा? माइनस में चला जाएगा। ठीक है? और MP का भाई AP ये भी बढ़ के घट रहा है। देखो MP AP भी देखो बढ़ रहा है और फिर जाके घट रहा है। AP माइनस में कभी नहीं जाएगा। ज़ीरो माइनस कभी नहीं होगा। घटेगा जरूर। तो ये हो गया पूरा का पूरा स्केेड्यूल। अब यहां पे एक छोटी सी बात देखना। देखो पहले TP तेजी से बढ़ता है यहां तक। ठीक है? तो जहां पे वो तेजी से बढ़ना बंद करके धीरे-धीरे बढ़ना स्टार्ट करता है, उसको पॉइंट ऑफ इनफ्लेक्शन बोलते हैं। ठीक है? पॉइंट ऑफ इनफ्लेक्शन। ध्यान रखना। जब टीपी तेजी से बढ़ना बंद करके धीरे-धीरे बढ़ना स्टार्ट करता है। उस पॉइंट को पॉइंट ऑफ इनफ्लेक्शन बोलते हैं। और उस पॉइंट पे जो मार्जिनल प्रोडक्ट है ना वो मैक्सिमम होगा। MP इज़ मैक्सिमम। ध्यान रखना उस पॉइंट ऑफ टाइम पे MP मैक्सिमम है। तो पॉइंट ऑफ इनफ्लेक्शन कैसे समझोगे? जहां पे MP मैक्सिमम होता है। उस पॉइंट पे जो TP टी देखो पॉइंट ऑफ इनफ्लेक्शन बनता है TP के ऊपर है। पर कॉस्पोंडिंग क्या जहां पे MP मैक्सिमम है। तो इस पॉइंट को बेसिकली इस पॉइंट को जो मैं ब्लैक से यहां पे हाईलाइट कर देता हूं। इस पॉइंट को हम लोग क्या कहते हैं? पॉइंट ऑफ इनफ्लेक्शन। ओके? समझ आ गया? तो रिलेशनशिप बिटवीन TP और MP TP इंक्रीसेस MP पॉजिटिव। TP मैक्सिमम, MP ज़ीरो, TP फॉल्स, MP नेगेटिव। अच्छा, AP और MP का रिलेशनशिप भी देखो कैसे बनेगा। यहां मैं फिर से एक डायग्राम बना के बेहतर तरीके से समझाता हूं। क्वांटिटी ऑफ़ लेबर है। ये हो गया AP और MP देखो तो ये जो AP MP है देखो बढ़ रहा है और फिर ये MP ऐसा हो गया है ना बढ़ रहा है बढ़ के फिर क्या हो गया? ज़ीरो एपी भी ऐसा ही है। पहले बढ़ेगा टच होते ही घट जाएगा। तो देखो टच होते ही घट जाएगा। तो रिलेशनशिप क्या है? ध्यान से समझना। जैसे-जैसे MP बढ़ रहा है। AP भी बढ़ रहा है। एज MP राइज़ेज़ AP ऑल्सो राइज़। बट बढ़ा कौन है शुरू में? एमपी। एज AP फॉल्स, MP आल्सो फॉल्स। गिर भी रहे हैं, दोनों साथ-साथ गिर रहे हैं। बट बड़ा कौन है क्लास? AP। तो जब दोनों इंक्रीज होते हैं, सवाल ऐसे ही पूछेगा। दोनों इनक्रीज होंगे तो कौन बड़ा है? एमपी। दोनों डिक्रीज होंगे तो कौन बड़ा है? AP और एक बात अच्छे से समझना। AP अपने मैक्सिमम पॉइंट पे जब आता है ना, तो वो MP को कट करता है। AP कट्स MP एट इट्स मैक्सिमम पॉइंट। AP कट्स MP एट इट्स मैक्सिमम पॉइंट। और उस पॉइंट ऑफ़ टाइम पे दोनों भाई आपस में बराबर होते हैं एक जगह पे। लेकिन ये जो बीच वाला पोर्शन है देखो यहां पे एमपी हाई है। यहां पे एपी हाई है। ये जो बीच वाला पोर्शन है ये एक ऐसा पोर्शन है जहां दोनों भाइयों में लड़ाई हो जाती है। क्योंकि एक जो है वो बढ़ रहा होता है और दूसरा जो है घट रहा होता है। आमतौर पे यहां देखोगे इस पोर्शन में दोनों बढ़ रहे हैं। एमपी बढ़ा है। इस पोर्शन में दोनों घट रहे हैं। एपी बढ़ा है। और एp अपने मैक्सिमम पॉइंट पे आके एमपी को कट करता है। और साथ में ये जो बीच वाला पोर्शन है, बीच वाले पोर्शन में क्या हो रहा है? MP घट रहा है और AP बढ़ रहा है। यह बीच वाला पोर्शन जो है। तो जब कभी भी आपको रिलेशनशिप का पूछेगा ना ऐसा डायग्राम बना लोगे ना कभी भी गलत नहीं जाएगा आपको। और चैनल को सब्सक्राइब करना। मैं आपको एग्जामिनेशन से पहले भी एक बार सारा डायग्राम रिवीजन करा के भेजूंगा। मैं चाहता हूं आप दूसरों से एज लो। पूरी इंडिया से कॉम्पटीशन हो रहा है। और जितने भी लोग देख रहे हो ना मैं चाहता हूं कि यार आप लोग तो कम से कम सबसे एक कदम आगे रहो। इस टाइप के क्वेश्चन में ना बहुत कंफ्यूजन होती है और बच्चे गलती कर बैठते हैं। सारे ऑप्शन सेम लगते हैं आपको। तो यहां पर आप आगे निकल जाओगे बाकी सबसे। अब देखो जरा देयर आर थ्री स्टेजेस ऑफ प्रोडक्शन। प्रोडक्शन के तीन स्टेजेस होते हैं। ध्यान से समझना। तीन स्टेजेस होते हैं। पहला स्टेज वन स्टेज ऑफ स्टेज या फसेस बोल लो। स्टेज ऑफ इंक्रीजिंग रिटर्न। दूसरा स्टेज होता है स्टेज ऑफ डिमिनिशिंग रिटर्न। तीसरा स्टेज होता है स्टेज ऑफ नेगेटिव रिटर्न। देयर आर थ्री स्टेजेस ऑफ प्रोडक्शन। अगर मैं तुम्हें यहां पे दिखाऊं डायग्राम के अंदर जहां पे एमपी मैक्सिमम है। पॉइंट ऑफ इनफ्लेक्शन। ये पूरा का पूरा हो गया स्टेज वन। ठीक है? ये पूरा का पूरा क्या हो गया? स्टेज वन। फिर जहां पे एमपी जीरो है, ये पहचानने का तरीका है। एमपी जहां पे मैक्सिमम है, वो स्टेज वन है। एमपी जहां पे ज़ीरो है, वो स्टेज टू है। और एमपी जहां से नेगेटिव हो गया उसके बाद का सारा का सारा एरिया स्टेज थ्री है। तो स्टेज वन का यहां पे इसी डायग्राम सारा समझा दूंगा। बहुत सिंपल है। स्टेज वन को बोलते हैं स्टेज ऑफ इंक्रीज इंक्रीजिंग रिटर्न। क्यों? क्योंकि इस स्टेज पे टीपी तेजी से बढ़ रहा है और एमपी भी बढ़ रहा है। एपी को भूल जाओ। टीपी इंक्रीजसेस एट एन इंक्रीजिंग रेट। इंक्रीजिंग रेट पता है क्या होता है? 4 8 16 32 और 32 के बाद हो गया मान लो 55, 55 के बाद 200। ये जो गैप है ना ये बढ़ता चला जा रहा है। ये गैप चार का है। फिर आठ का है। फिर 16 का है। ये गैप बढ़ता चला जा रहा है। इसको बोलते हैं तेजी से बढ़ना। और धीरे-धीरे बढ़ना क्या होता है? 20 30 38 और फिर हो गया 40 41 ये भी बढ़ रहा है लेकिन इसका गैप धीरे-धीरे कम हो रहा है। 10 का गैप है। आठ का गैप है। दो का गैप है। एक का गैप है। गैप कम होता चला जा रहा है। ये भी इंक्रीज है। ये भी इनक्रीज है। लेकिन ये हो रहा है इंक्रीजिंग एट इंक्रीजिंग रेट। इंक्रीजिंग एट डिक्रीजिंग रेट या डिमिनिशिंग रेट। तो स्टेज वन में टीपी तेजी से बढ़ता है और एमपी भी बढ़ता है। लेकिन स्टेज टू जिसको बोलते हैं स्टेज ऑफ डिमिनिशिंग रिटर्न वहां पे एमपी घटता है लेकिन टीपी अभी भी बढ़ रहा है बट धीरे-धीरे बढ़ रहा है। मेजर ना दिक्कत कहां पे आती है? बच्चों को लगता है डिमिनिशिंग रिटर्न में टीपी घटता है। नो डिमिनिशिंग रिटर्न में भी टीपी बढ़ता है डिक्रीजिंग रेट से और एमपी घटता है और टीपी मैक्सिमम एमपी जीरो। जैसे ही टीपी घटता है स्टेज थर्ड के अंदर एमपी चला जाता है आपका माइनस में। तो ध्यान रखना इन तीन स्टेजेस का बहुत इंपॉर्टेंट है। सवाल ये है रीज़न क्या है? शुरू में ऐसा क्या होता है? टीपी इंक्रीजिंग एट इंक्रीजिंग रेट और एमपी आल्सो इंक्रीजसेस बेटर रिलेशन ऑफ़ फिक्स्ड फैक्टर। जो फिक्स फैक्टर है, मशीन है, वह नई है। पूरी तरीके से इस्तेमाल होता है। जो विरल फैक्टर है, वह भी नए हैं। उनकी एफिशिएंसी बढ़ती है। और तालमेल जो है ना दोनों के बीच में अच्छा रहता है। भाई नई मशीन पे काम करता है। नया लेबर है तो जोश रहता है, तालमेल रहता है। शुरू में प्रोडक्शन तेजी से बढ़ता है। अब जमीन तो उतनी ही है और आप दबादब लेबर भरे जा रहे हो, भरे जा रहे हो, भरे जा रहे हो। बस के अंदर जो पैसेंजर है, ठीक है? तो बस अच्छी चल रही है। फिर और पैसेंजर भरते चले जा रहे हो। बस तो उतनी है ना? तो जो बस की जो परफॉर्मेंस है वो डाउन होगी। इसीलिए डिमिनिशिंग रिटर्न में टीपी फिर धीरे-धीरे बढ़ने लग जाता है और एमपी फॉल हो जाता है। बट स्टिल पॉजिटिव है। अ इसका मेन रीजन क्या है? फिक्सिटी ऑफ़ फैक्टर। भाई अगर आप कंटिन्यू जो है फिक्स्ड फैक्टर के ऊपर वेल फैक्टर लगाते चले जाओगे। लगाते चले जाओगे तो क्या होगा भाई? धीरे-धीरे मशीनरी क्या होंगी? डेप्रिसिएशन लगेगा। यू मतलब कि ग्रेटर वियर एंड टियर होगा तो अपनी एफिशिएंसी लूज़ कर देगा और वो पहले जितना अच्छा परफॉर्म नहीं करेगा। कर रहा है अभी बट पहले जितना अच्छा नहीं। इनपरफेक्ट फैक्टर सब्स्टट्यूट भैया आपको मशीन को भी ऐड करना आप सिर्फ लेबर ऐड करे जा रहे हो आपको मशीन को भी ऐड करना पड़ेगा तो आप लेबर को एज अ सब्स्टिट्यूट मशीन के यूज़ नहीं कर सकते वो इमपरफेक्ट सब्स्टट्यूट है वो दोनों बिल्कुल अलग है लेबर भी चाहिए मशीन भी चाहिए समझ रहे हो बात को सो फैक्टर प्रोडक्शंस आर इंपपरफेक्ट सब्स्टिट्यूट टू ईच अदर मोर एंड मोर लेबर कैन नॉट बी कंटीन्यूअसली यूज्ड इन प्लेस ऑफ़ कैपिटल आप ज्यादा ज्यादा लेबर को यूज़ नहीं कर सकते कैपिटल की जगह पे समझ रहे हो अगला है पुअर कोऑर्डिनेशन बिटवीन द फैक्टर्स कंटीन्यूअसली इंक्रीज इन वेल फैक्टर लीड्स टू पुअर कोआर्डिनेशन बिटवीन द फिक्स्ड और वेल फैक्टर। दोनों के बीच में तालमेल बिगड़ने लग जाता है। जिसकी वजह से एमपी डिक्लाइन होता है और टीपी धीरे-धीरे बढ़ने लग जाता है। लास्ट है टीपी घटेगा और एमपी माइनस में चला जाएगा। स्टेज ऑफ़ नेगेटिव नेगेटिव रिटर्न। इसके दो रीज़न हैं। पहला यूटिलाइजेशन ऑफ़ एक्सेसिव यूज़ेशन ऑफ़ फिक्स्ड फैक्टर। फिक्स्ड फैक्टर का बहुत ज्यादा यूटिलाइज़ कर लिया। और जो विल फैक्टर है ना वो भी थक गए। भाई तू कर ले, तू कर ले। इतने सारे लोग हैं। जिस काम को चार लोग कर सकते हैं। उसको अगर 10 लोग करने जाएंगे ना तो कोई भी उस काम को कर नहीं पाएगा। है ना? स्कूल में नहीं होता कि भ कोई काम के लिए बुलाया जाता है। चार लोगों को पहुंच गए 10 लोग मस्ती करते हैं और कोई भी काम नहीं करता। ज्यादा लोग होंगे तो भी बेकार है। तो ये दोनों रीज़न है क्या? स्टेज ऑफ नेगेटिव रिटर्न के। तो शेप ऑफ TP टीपी का शेप एमपी पे डिपेंड करता है। MP इनक्रीस कर रहा है तो TP देखो बढ़ेगा तेजी से। MP कांस्टेंट है तो TP कांस्टेंट रेट से बढ़ेगा। MP घटेगा तो TP क्या है? क्लास डिक्रीजिंग रेट में। ऐसे घटना स्टार्ट हो जाएगा। तो ये शेप जो है याद रखना। MP इंक्रीज तो TP तेजी से बढ़ेगा। एमपी डिक्रीज टीपी धीरे-धीरे बढ़ेगा और टीपी जो है अगर एमपी कांस्टेंट है टीपी कांस्टेंट रेट से बढ़ेगा। बताइए क्या बोलते हैं इसको? कांस्टेंट रेट से बढ़ना। 10 20 30 40 50 60 70 80 100 200 300 इसको बोलते हैं कांस्टेंट रेट से बढ़ना। ठीक है? अब है लॉन्ग रन। जैसे आपने शॉर्ट रन के अंदर पढ़ा रिटर्न्स टू अ फैक्टर। उसी तरीके से लॉन्ग रन में भी एक लॉ है रिटर्न टू अ स्केल। सबसे पहली चीज वो शॉर्ट रन का था और ये किसका है? लॉन्ग रन का है। सो, द वेरिएबल प्रोपोर्शनंस अराइज़ज़ बिकॉज़ फ़ैक्टर प्रोपोर्शन चेंज ऐज़ लॉन्ग ऐज़ फ़ैक्टर इज़ हेल्ड कॉन्स्टेंट। एक फ़ैक्टर कॉन्स्टेंट है एंड अदर इज़ इंक्रीज़। व्हाट इफ बोथ फ़ैक्टर्स कैन चेंज? अगर दोनों फैक्टर्स चेंज हो सकते हैं, तो क्या होगा? रिमेंबर दिस कैन बी हैपन ओनली इन लॉन्ग रन। दोनों फैक्टर कहां पे चेंज होंगे? लॉन्ग रन के अंदर चेंज होंगे। और वन स्पेशल केस इन द लॉन्ग रन अकर्स ऑन बोथ फैक्टर इंक्रीस बाय सेम प्रपोर्शन और फैक्टर्स आर स्केल्ड अप। अब मेरी बात ध्यान से अच्छे से समझना। में तुम्हें एक बात बताता हूं। अब यहां पे आपके पास फिक्स फैक्टर भी है और वेल फैक्टर भी है। दोनों को अगर आप बढ़ाते हो 20% से और आपका जो आउटपुट है वो भी बढ़ जाता है 20% से। तो इस सिचुएशन के अंदर जैसे-जैसे आपने फिक्स्ड और वेल फैक्टर को बढ़ाया, आपका आउटपुट भी सेम प्रपोर्शन में बढ़ा है। तो इस चीज को हम लोग क्या बोलते हैं? कांस्टेंट रिटर्न टू स्केल। ध्यान से सुनना बेटा। यहां से क्वेश्चन आएगा। अगर जिस प्रपोशन में आपने दोनों फैक्टर को बढ़ाया उसी प्रपोर्शन में आपका आउटपुट भी बढ़ा तो इसको क्या बोलते हैं? कांस्टेंट रिटर्न्स टू स्केल। लेकिन अगर आपका फिक्स फैक्टर और वेल फैक्टर बढ़ा 20% से। ठीक है? लेकिन जो आपका आउटपुट है वो बढ़ गया 30% से। तो इस चीज को बोलते हैं इंक्रीजिंग रिटर्न्स टू स्केल। क्या बोलते हैं? इंक्रीजिंग रिटर्न टू स्केल। अच्छा ऐसा भी तो हो सकता है ना कि फिक्स फैक्टर और विरल फैक्टर दोनों जो है इनक्रीज हो रहा है 20% से। लेकिन आउटपुट इनक्रीज हो रहा है ओनली 15% से। इसको यानी कि जो आउटपुट मिल रहा है वो कम मिल रहा है। यहां आउटपुट ज्यादा मिल रहा है। इंक्रीजिंग रिटर्न टू स्केल बराबर मिल रहा है कांस्टेंट रिटर्न टू स्केल। यहां पे कम मिल रहा है डिक्रीजिंग रिटर्न टू स्केल। डिक्रीजिंग रिटर्न्स टू स्केल। तो बस आप यहां ये ध्यान रखना कि दोनों ही फैक्टर्स को आप इंक्रीस कर रहे हो फिक्स्ड फैक्टर और वेरिएबल फैक्टर लिख लो इसको या इसका स्क्रीनशॉट ले लो। अब यही चीज यहां पे पढ़ लेते हैं एनसीआरटी की लाइन से। व्हेन प्रपोर्शनल इंक्रीस इन ऑल इनपुट तो जहां पे ऑल इनपुट होगा समझ जाना वो लॉन्ग रन में रिटर्न टू स्केल है। रिजल्ट इन इंक्रीस इन आउटपुट एज़ द सेम प्रोपोर्शन क्योंकि एनसीआरटी की लाइन यही है तो यही लाइन उठ के आएगी आपके पेपर में। द प्रोडक्शन फंक्शन इज़ सेट टू बी डिस्प्ले कॉन्स्टेंट रिटर्न टू स्केल। सीआरएस व्हेन द प्रोपोर्शनल इंक्रीस इन ऑल इनपुट रिजल्ट इंक्रीज इन आउटपुट लार्जर प्रोपोर्शन तेजी से बढ़ रहा है तो उसको क्या बोलते हैं? इंक्रीजिंग रिटर्न टू स्केल आईआरएस और डिक्रीजिंग रिटर्न टू स्केल होल्ड व्हेन प्रपोर्शनल इंक्रीज इन ऑल इनपुट रिजल्ट इंक्रीज इन आउटपुट बाय अ स्मॉलर प्रोपोर्शन। आउटपुट धीरे बढ़ रहा है। तो उसको क्या बोलते हैं? डिक्रीजिंग रिटर्न टू स्केल। ये एनसीआरटी का है। कैन से दैट द प्रोडक्शन फंक्शन एग्िबिट द कॉन्स्टेंट रिटर्न टू स्केल। इफ वी हैव ये क्लास दोनों देखो सेम है। ये जो x1 x2 आपको दे रखा है ना f x1 x2 ये हो गया आपका देखो द न्यू आउटपुट ये न्यू आउटपुट है ना tx1 ये न्यू आउटपुट है ये न्यू है न्यू आउटपुट है एग्जैक्टली t टाइम्स द प्रीवियस आउटपुट लेवल प्रीवियस आउटपुट लेवल ये है ये न्यू आउटपुट है तो भैया अगर दोनों बराबर है तो ये हो गया कांस्टेंट रिटर्न टू स्केल सिमिलरली अगर आपका न्यू आउटपुट ज्यादा है तेजी से बढ़ रहा है क्लास आपका पहले से ज्यादा बढ़ रहा है तो इंक्रीजिंग रिटर्न टू स्केल है और अगर कम है तो इसको बोलते हैं डिक्रीजिंग रिटर्न टू स्केल तो ये न्यू आउटपुट है ये है न्यू और और ये हो क्लास आपका ओल्ड। तो न्यू वाला तेजी से बढ़ रहा है पहले से तो इंक्रीजिंग रिटर्न स्केल धीरे बढ़ रहा है तो डिमिनिशिंग रिटर्न टू स्केल बराबर-बराबर इंक्रीज हो रहा है तो कांस्टेंट रिटर्न टू स्केल। अब रिटर्न टू स्केल में आप लेबर भी बढ़ा रहे हो साथ-साथ में लैंड बढ़ा रहे हो मशीन सब कुछ बढ़ा सकते हो। आपके पास बहुत पैसा और बहुत समय है। तो अगर जिस प्रोपोर्शन से आप इनपुट बढ़ा रहे हो उससे ज्यादा आउटपुट बढ़ गया तो इंक्रीजिंग रिटर्न टू स्केल बराबर-बराबर इनपुट आउटपुट बढ़ा तो कॉन्स्टेंट रिटर्न टू स्केल। इनपुट से धीरे बढ़ता है अगर आउटपुट तो डिमिनिशिंग या डिक्रीजिंग रिटर्न टू स्केल। यह हो गया लॉन्ग रन में लॉ ऑफ रिटर्न टू स्किल जो पहले नहीं था आपके पास 11th में नहीं पढ़ा होगा आपने बट यह सीओईटी के अंदर है। ओके तो ये वाला हमने खत्म कर लिया। आई होप आपको यह प्रोडक्शन चैप्टर अच्छे से समझ आ गया होगा। आप इसकी प्रैक्टिस करना एसपीसीसी ऐप पे मॉक्स बनाना मेहनत कर लो। एग्जाम बहुत क्लोज है। मिलते हैं नेक्स्ट वीडियो में। टिल देन टेक केयर। बाय बाय।