पूंजीवाद में गड़बड़ियाँ
अमेरिकी संदर्भ
- 70% अमेरिकी चाहते हैं कि उनके देश में कोई रेडिकल बदलाव आए।
- लोग सोशलिज़्म को कैपिटलिज़्म से पसंद कर रहे हैं।
- अमेरिका में युवाओं का झुकाव सोशलिज़्म की ओर बढ़ रहा है।
- गवर्नमेंट का रोल बढ़ता जा रहा है, जिससे लोग नाखुश हैं।
भारत का संदर्भ
- भारत में भी कोई शुद्ध आर्थिक दायरा नहीं है।
- बेल आउट कल्चर से खराब कंपनियों को सरकार द्वारा बचाया जा रहा है।
- आर्थिक असमानता बढ़ रही है और इसके समाधान में अधिक टैक्स की बातें हो रही हैं।
आर्थिक सिद्धांत
- कीनेशियन अर्थशास्त्र - सरकार का व्यापार में हस्तक्षेप होना चाहिए।
- 1980 से अमेरिका में बेल आउट कल्चर शुरू हुआ।
- जॉम्बी कंपनियाँ - जिनकी आमदनी इतनी नहीं है कि वो अपने कर्जे चुका सकें।
भारत की आर्थिक यात्रा
- इंडिपेंडेंस से 1980s तक भारत की अर्थव्यवस्था बहुत पीछे रह गई।
- 1990 के बाद भारत में कमबैक शुरू हुआ।
- प्राइवेटाइजेशन को एक गाली के रूप में देखा जाता है।
वैश्विक उदाहरण
- स्विट्ज़रलैंड, ताइवान, वियतनाम - तीनों देशों की अच्छी आर्थिक स्थिति।
- ताइवान ने सेमीकंडक्टर उद्योग के लिए विशेषज्ञों को नियुक्त किया।
- स्विट्ज़रलैंड का मॉडल - डीसेंट्रलाइजेशन और क्षेत्रीय विशेषज्ञता।
अमेरिका और यूरोप का मॉडल
- अमेरिका में सरकार का अपराध बढ़ता गया है जबकि स्विडन में सही मॉडल।
- वियतनाम में आर्थिक स्वतंत्रता और विकास।
निष्कर्ष
- भारत में अभी भी सरकारी हस्तक्षेप की समस्या है।
- अमेरिका में फ्री मनी का प्रचलन और उसके नकारात्मक प्रभाव।
- सभी देशों को अपने-अपने मॉडल के अनुसार चलने की आवश्यकता है।
- आर्थिक असमानता को खत्म करने के लिए सही नीतियों की आवश्यकता।
भविष्य की दिशा
- डॉलर का स्थान कैसे बदलेगा।
- जरूरत है कि लोग मौके और आधार पर ध्यान दें।
- आर्थिक स्वतंत्रता देने से विकास होगा।
- लोगों में आत्मविश्वास और आवश्यकता का होना जरूरी।
इन नोट्स में मुख्य विचारों और बिंदुओं को संक्षेप में प्रस्तुत किया गया है ताकि उन्हें बाद में आसानी से समझा जा सके।