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प्रलय और धार्मिक कथाएँ

प्रलय एक ऐसा समय जब सब कुछ नष्ट हो जाएगा धरती को चीरते हुए अंदर की ज्वाला बाहर आएगी आसमान फटकर तेजाब उगलेगा सभी पशु पक्षी पौधे इस तरह नष्ट हो जाएंगे जैसे कुछ था ही नहीं और यह धरती एक बार फिर एक आग और भाप से भरा गोला बन जाएगी हर धर्म में किसी ना किसी तरह प्रलय की बात की जाती है जब पाप अपनी सारी हदें पार कर चुका होगा तब प्रकृति किसी ना किसी तरह सब कुछ नष्ट कर अपने आप को पुनः स्थापित करेगी सनातन धर्म की माने तो इसे कलयुग का अंत बताया जाता है सतयुग त्रेता युग द्वापर युग के बाद जिस समय में हम जी रहे हैं कलयुग एक ऐसा समय जहां पाप का राज और अधर्म अपनी चरम सीमा पर पहुंच रहा है लेकिन भारत में कई ऐसी जगह कई ऐसे मंदिर हैं जो यह दिखाते हैं कि यह सिर्फ कहानियां नहीं है हमारे प्राचीन मंदिरों से जुड़े कई ऐसे अनसुने राज हैं जो यह दिखाते हैं कि शायद हमारा अंत नजदीक है यदा यदा ही धर्मस्य गला निर् भवति भारत अभ्युत्थानम धर्मस्य तमान सुजा जब जब कर्म का पासा पलट है और अधर्म अपने पैर फैलाता है मैं कृष्ण खुद इस धरती पर जन्म लेता हूं भगवत गीता का यह श्लोक हमें बचपन से भगवान कृष्ण के वचन की याद दिलाता है लेकिन भारत के जयपुर शहर में बसा कल्की मंदिर शायद इस बात का जीता जागता सबूत है माना जाता है कि कल्कि का इस धरती पर अवतरण देवदत्त नाम के सफेद घोड़े पर होगा वही देवदत्त जिसकी मूर्ति कल्की मंदिर में है और जिंदा है कल्कि पुराण के अनुसार श्री कृष्ण इस धरती पर नौ बार अवतार ले चुके हैं लेकिन उनके आखरी अवतार कलकी अवतार का जन्म होना अभी बाकी है इस जन्म का उद्देश्य होगा कली असुर का अ करना और इस समस्त संसार को उसके प्रकोप से मुक्त करना लेकिन माना जाता है कि कल्की का असर इतना भयंकर होगा कि सारी मानवता पूरी तरह भ्रष्ट हो चुकी होगी जमीन पूरी तरह सूख चुकी होगी आसमान से तेजाब बरस रहा होगा सारे पशु पक्षी नष्ट हो चुके होंगे और मानव खुद एक राक्षस का रूप ले चुका होगा वो कीड़े मकोड़ों की तरह एक दूसरे को खाना शुरू कर देगा इस संसार में संतुलन लाने का सिर्फ एक ही रास्ता बचेगा सब कुछ नष्ट कर एक नई शुरुआत करना और यह कार्य कल्की अवतार खुद करेंगे एक कहानी के अनुसार जब जयपुर के महाराज जयसिंह द सेकंड इस मंदिर का निर्माण कर रहे थे तब मंदिर के बाहर बने देवदत्त की मूर्ति पर कहीं से अनजाने में चोट का निशान आ गया इस निशान को भरने की कई कोशिशें की गई लेकिन यह वैसा का वैसा ही रहा लेकिन कुछ समय बाद यह देखा गया कि वह निशान धीरे-धीरे अपने आप ही भरता जा रहा है तब से ऐसा माना जाता है कि जिस दिन वह घाव का निशान पूरी तरह भर जाएगा उस दिन कल की भगवान इस धरती पर अवतरित होंगे समय चार चरणों में घूमता है यह तो सब जानते हैं लेकिन कभी आपने समय के स्तंभ के बारे में सुना है महाराष्ट्र में बसा केदारेश्वर मंदिर जो ऐतिहासिक कलाकृति और आर्किटेक्चर की एक शानदार छवि दिखाता है पहाड़ों को तोड़कर तराशा गया यह मंदिर हमारे पूर्वजों की आधुनिकता का बहुत बड़ा सबूत है लेकिन इसी मंदिर के पास बसी एक गुफा से कई अनसुने राज जुड़े हैं इस नेचुरली फ गुफा में पाया जाता है 5 फीट लंबा केदारेश्वर शिवलिंग और माना जाता है कि यह शिवलिंग स्वयंभू है यानी इसे किसी ने स्थापित नहीं किया यह अपने आप प्रकट हुआ है यह शिवलिंग एक ऐसी जगह पर स्थित है जहां पहुंचने के लिए आपको मौत से जूझते हुए हरिश्चंद्र गढ़ का एक खतरनाक ट्रैक कर कुछ फीट लंबे पानी को तैर कर पार करना पड़ता है और बारिश के समय में तो यह पूरी तरह पानी से भर जाता है लेकिन यह दृश्य इतना मंत्र मुग्ध कर देने वाला होता है कि आप सोच भी नहीं सकते एक नेचुरली फॉर्म गुफा के अंदर झरने के बीच बसा हुआ केदारेश्वर शिवलिंग पूरी तरह पानी से घिरा हुआ और यह पूरी गुफा सिर्फ एक स्तंभ के सहारे टिकी हुई है अगर ध्यान से देखा जाए तो इस गुफा की छत चार स्तंभों पर टिकी हुई थी लेकिन धीरे-धीरे एक-एक कर यह स्तंभ टूट गए और अब सिर्फ एक बचा है लोगों का मानना है कि यह चार स्तंभ इस संसार के चार युगों को दर्शाते हैं सतयुग त्रेता युग द्वापर युग जो तीन युग बीत गए गए और एक-एक युग के खत्म होने के साथ ही एक स्तंभ टूट गया अब जब हम आखिरी युग में पहुंच चुके हैं इस मंदिर का आखिरी स्तंभ बचा हुआ है कलयुग का प्रतीक जिस दिन यह स्तंभ टूटा उस दिन कलयुग का अंत होगा और सारा संसार नष्ट हो जाएगा एक ऐसा शिवलिंग जो शरद पूर्णिमा के दिन नरक का द्वार खोल देगा मध्य प्रदेश में बसे खजुरा और टेंपल्स जो अपने हजार साल पुराने आर्किटेक्चर के कारण पूरी दुनिया में मशहूर है माना जाता है कि यहां 85 मंदिर हुआ करते थे जिनमें से अब सिर्फ 25 बाकी रह गए हैं और इन्हीं में से एक है मतंगेश्वर महादेव मंदिर खजरा का सबसे बड़ा मंदिर और इसके पीछे का कारण है यहां बसा हुआ शिवलिंग जो हर साल बढ़ता जा रहा है ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में स्थित शिवलिंग की लंबाई हर साल शरद पूर्णिमा के दिन 1 इंच बढ़ जाती है इस मंदिर से जुड़ी कहानी के अनुसार एक बार भगवान शिव ने पांडवों के सबसे बड़े भा युधिष्ठिर से प्रसन्न होकर उन्हें एक अनमोल और जादुई मनि दी युधिष्ठिर ने यह अनमोल मनि एक संत मतंग ऋषि को दे दी आखिर में इस मनी को जमीन के अंदर गाड़ दिया गया और उसके इर्दगिर्द जादुई तौर पर एक शिवलिंग बना मतंग ऋषि के नाम पर इस मंदिर को मतंगेश्वर मंदिर बुलाया जाता है और ऐसा माना जाता है कि उस मण की शक्ति के कारण ही शिवलिंग हर साल बढ़ता जाता है मंदिर के पुजारी बाबूलाल गौतम कहते हैं कि यहां का शिवलिंग 9 फीट ऊंचा है लेकिन इतनी ही लंबाई जमीन के अंदर भी है ऐसा माना जाता है कि शिवलिंग के ऊपर का हिस्सा स्वर्ग की ओर बढ़ रहा है जबकि नीचे का हिस्सा पाताल लोक की ओर जिस तरह हर साल यह शिवलिंग लंबा होता जा रहा है उतना ही जमीन के नीचे भी बढ़ रहा है ऐसे ही बढ़ते बढ़ते एक दिन ऐसा आएगा जब यह शिवलिंग नीचे पाताल लोक का द्वार खोल देगा और उस दिन कलयुग समाप्त होगा और यह दुनिया नष्ट हो जाएगी जोशी मठ टूट रहा है उत्तराखंड में हिमालय पर्वत के पास बसा छोटा सा शहर जोशीमठ जो धीरे-धीरे जमीन में धता जा रहा है लोगों के घरों में सड़कों पर बड़े-बड़े क्रैक्स देखे जा रहे हैं यह सब एक आने वाले भयानक अंत की ओर निशाना करते हैं लेकिन इन्हीं सबके बीच एक ऐसा मंदिर है जो यह चेतावनी सदियों से दे रहा है उत्तराखंड का नरसिंह मंदिर जो भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार को समर्पित है एक पुरानी कहानी के अनुसार आठवीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य ने जोशी मठ में भगवान विष्णु के रूप में नरसिंह की प्रतिमा स्थापित की लेकिन इसके साथ ही उन्होंने एक भविष्यवाणी की कि हर साल नरसिंह की मूर्ति का एक हाथ पतला हो जाएगा और जिस दिन यह हाथ गिर कर टूटा उस दिन एक भयंकर भूकंप आएगा पास में स्थित जय और विजय नाम के दो शिखर एक साथ मिल जाएंगे हिमालय पर्वत टूटकर गिर जाएगा और बद्रीनाथ हमेशा हमेशा के लिए बंद हो जाएगा एक कहानी यह भी है कि ऐसा होने के बाद भविष्य बद्री नाम से एक नया बद्रीनाथ उजागर होगा जिसकी मूर्ति स्वयं प्रकट होगी और आज वही हो रहा है भगवान नरसिंह का एक हाथ केवल एक बाल जितना पतला बचा है और किसी भी समय टूट सकता है जियोलॉजिस्ट की भी माने तो उत्तराखंड में एक भयंकर भूकंप आना बाकी है और वही दूसरी ओर जोशी मठ के पास भविष्य बद्री में पहाड़ों पर बसा एक पत्थर हर साल धीरे-धीरे बद्री नारायण देवता का रूप ले रहा है कुछ साधु आज भी बर्फ की चादर ओढ़े स्थल पर बैठ रहते हैं इस उम्मीद में कि जल्द ही यह भविष्यवाणी सिद्ध होगी हर धर्म अपने आप में प्रलय के बारे में बात करता है क्रिश्चियनिटी में आम गडन डे ऑफ जजमेंट इस्लाम में कयामत का दिन इसी तरह बुद्धिज्म नॉर्स माइथोलॉजी ग्रीक माइथोलॉजी सभी में एक ना एक ऐसा दिन ऐसी जंग ऐसी प्रलय कुछ ना कुछ ऐसा आता है जब सब कुछ नष्ट हो जाता है और धरती अपने आप को रिसेट करती है साइंस में भी यह देखा गया है कि पृथ्वी हर 10000 सालों में कोल्ड और वार्म पीरियड साइकिल से गुजरती है हजारों सालों तक बर्फ की चादर से ढकी रहती है और फिर धीरे-धीरे पूरी तरह तपती जाती है और इसी वर्म एंड कोल्ड साइकिल की वजह से कई सारी प्रजातियां नष्ट हो चुकी है कई लोग ऐसा भी मानते हैं कि ग्लोबल वार्मिंग पृथ्वी की नेचुरल वार्म साइकिल ही है इन सभी एंड ऑफ द वर्ल्ड प्रेडिक्शन के बीच एक मसीहा की भी बात की जाती है घोड़े पर सवार हाथ में अग्नि समान तलवार लिए एक मसीहा आएगा जो सारी बुराई का अंत कर देगा और एक नई दुनिया का निर्माण करेगा एक ऐसी दुनिया जो पाप दुख दर्द बीमारी और तकलीफों से मुक्त होगी एक ऐसी दुनिया जो स्वर्ग की तरह महसूस होगी सनातन धर्म में इसे हम सतयुग कहते हैं यह सारे कांसेप्ट और कहानियां कितनी सच है यह आज भी एक गहरा राज है लेकिन यह सब कई लोगों के लिए एक उम्मीद की किरण बनते हैं आपके इस बारे में क्या थॉट्स है हमें कमेंट सेक्शन में जरूर बताएं अगर वीडियो पसंद आया तो इसे लाइक और शेयर कीजिए और ऐसे ही अनसुनी अनदेखी और अनकही कहानियों के लिए राज को सब्सक्राइब कीजिए