मुस्लिम लॉ और इस्लामिक समाज का अध्ययन

Aug 27, 2024

ह्वाईजी लॉ - मुस्लिम लॉ का परिचय

मुस्लिम लॉ की मूल बातें

  • मुस्लिम लॉ को डिवाइन लॉ माना जाता है।
  • यह मानव निर्मित कानूनों से भिन्न है।
  • प्रॉफिट मुहम्मद (570-632 AD) को मुस्लिम धर्म में अंतिम प्रॉफिट माना जाता है।
  • कुरान अल्लाह द्वारा प्रकट की गई एकमात्र पुस्तक है।

इस्लामिक समाज की संरचना

  • इस्लामिक समाज में कभी भी जाति आधारित विभाजन नहीं था।
  • शिया और सुन्नी का विभाजन वैचारिक और राजनीतिक दृष्टिकोण पर आधारित था।
  • समाज में कई समस्याएँ थीं जैसे कि:
    • महिला का स्थिति लगभग शून्य।
    • अनियंत्रित बहुविवाह की अनुमति।
    • जुआ का प्रचलन।
    • भ्रष्टाचार।

प्रॉफिट मुहम्मद का जीवन

  • जन्म: 571 AD, दादा अब्दुल मत्तालिब द्वारा पालन-पोषण।
  • पहली पत्नी का नाम: ख़दीजा।
  • तीसरी पत्नी का नाम: आइशा।
  • पहला revelation: 40 वर्ष की आयु में, हइरा की गुफा में।
  • हिजरा: 622 AD में मदीना की ओर पलायन।

इस्लाम के राजनीतिक विकास

  • प्रॉफिट मुहम्मद की मृत्यु के बाद, कोई वंशज नहीं छोड़ा।
  • शिया और सुन्नी के बीच विवाद बढ़ा।
    • शिया चाहते थे कि अली को उत्तराधिकारी बनाया जाए।
    • सुन्नी चुनाव के द्वारा नेतृत्व की मांग करते थे।
  • पहले चार खलीफों की हत्या:
    • अबू बक्र (2 वर्ष), उमर (10 वर्ष), उस्मान (12 वर्ष), अली (5 वर्ष)
    • इन हत्याओं ने खूनखराबे को बढ़ावा दिया।

शिया और सुन्नी के बीच मतभेद

  • हुसैन की हत्या की याद में मुहर्रम मनाया जाता है।
  • प्रमुख सुन्नी स्कूल:
    • हनफी, शफई, मालीकी, हनबली।
  • शिया के प्रमुख स्कूल:
    • इमामिया।

मुस्लिम लॉ के स्रोत

  1. कुरान:
    • यह सबसे महत्वपूर्ण स्रोत है।
    • 23 वर्षों में प्रकट हुआ।
    • इसमें लगभग 6000 वर्सेज हैं।
    • कानूनी सिद्धांतों पर आधारित है।
  2. सुन्नत:
    • प्रॉफिट मुहम्मद के कार्य और वाणी।
    • हदीस का संग्रह।
  3. इजमा:
    • समुदाय के विद्वानों का आम सहमति।
  4. कियास:
    • कानून को लागू करने के लिए व्याख्या।
    • शिया इसे मान्यता नहीं देते।

निष्कर्ष

  • मुस्लिम लॉ का विकास इस्लामिक समाज में सुधार लाने के लिए किया गया।
  • विभिन्न स्रोतों की पहचान और अध्ययन आवश्यक है।
  • शिया और सुन्नी के बीच के मतभेदों को समझना महत्वपूर्ण है।

नोट: यह नोट्स एक संक्षिप्त रूप में हैं। आगे की पढ़ाई के लिए स्रोतों का गहराई से अध्ययन करें।