भोपाल गैस त्रासदी (1984) - एक पर्यावरण संघर्ष
परिचय
- वीडियो का विषय: Issue in 20th Century World History - यूनिट 3 के अंदर भोपाल गैस त्रासदी
- स्पीकर: सचिन
- पीडीएफ टेलीग्राम चैनल पर उपलब्ध है
- इंस्टाग्राम और टेलीग्राम पर कनेक्ट रहने की सलाह
पृष्ठभूमि
- तिथि: 2-3 दिसंबर, 1984
- स्थान: भोपाल, मध्य प्रदेश
- प्रमुख घटना: यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड पेस्टीसाइड प्लांट से गैस लीक
- गैस: मिक (Methyl Isocyanate)
घटना का विवरण
- सामान्य जीवन में अचानक बदलाव
- हज़ारों लोग मारे गए; 3000-16000 लोगों की मौत का अनुमान
- जीवित बचे लोग लंबी अवधि तक स्वास्थ्य समस्याएं सहते रहे
- बहुत अधिक पर्यावरणीय क्षति
कानूनी कार्यवाही
- सरकारी प्रतिक्रिया: इंडियन गवर्नमेंट द्वारा कानूनी मामला दायर
- कंपनी की प्रतिक्रिया: 1989 में 470 मिलियन डॉलर का मुआवजा देने पर सहमति
- आलोचना: कई लोगों ने कहा कि पैसे से जान की भरपाई नहीं हो सकती
मुख्य कारण
- सेफ्टी मैथर्ड की कमी: योजना और सुरक्षा उपायों का अभाव
- मालफंक्शन: कंपनी द्वारा मेंटेनेंस और ऑपरेटर की ट्रेनिंग में लापरवाही
- इमरजेंसी प्रिपेरेडनेस का अभाव: एम्पलाइज को जरूरी प्रशिक्षण नहीं दिया गया
- रेगुलेटरी फेलियर: इंडियन गवर्नमेंट और नियामक एजेंसियों की लापरवाही
प्रभाव
जीवन पर प्रभाव
- 3500 लोगों की तात्कालिक मृत्यु; हज़ारों को लॉन्ग-टर्म हेल्थ समस्याएं
- रेस्पिरेटरी प्रॉब्लम, ब्लाइंडनेस, कैंसर और जन्मजात दोष
पर्यावरण पर प्रभाव
- भूमि, जल और हवा का गंभीर प्रदूषण
आर्थिक प्रभाव
- लाइवलीहुड का नुकसान: जीविका के साधनों का नष्ट होना
- प्रॉपर्टी वैल्यू: संपत्ति की कीमतें कम हुईं
अन्य प्रभाव
- न्याय की मांग: 32 साल बाद भी न्याय की मांग
- आंदोलन और विरोध: इंडस्ट्रियल सेफ्टी हेतु जागरूकता
- इंडस्ट्रीयल सेफ्टी कानूनी संरचनाएं: कड़े नियम और कर्मचारियों की बेहतर ट्रेनिंग की आवश्यकता
निष्कर्ष
- इंडस्ट्रियल डिजास्टर और पर्यावरणीय सुरक्षा की आवश्यकता को प्रदर्शित करता है
- सरकार और कॉरपोरेट्स दोनों को सुरक्षा मानकों का पालन करना चाहिए
- वर्कर्स को इमरजेंसी सिचुएशंस से निपटने की ट्रेनिंग ज़रूरी
अंतिम शब्द
- वीडियो को पसंद आए तो कमेंट और शेयर करें
- जय हिंद, जय भारत
प्रमुख संदेश: इंडस्ट्रियल सेफ्टी और पर्यावरणीय न्याय के महत्वपूर्ण पहलुओं पर विचार करना अनिवार्य है।