जब आप अपने शरीके हयात के काउंसलर बनने में कामयाब हो जाते हैं तो आप उनके दोस्त भी होते हैं और शरीके हयात भी होते हैं इस वक्त दुनिया का एक बहुत बड़ा प्रॉब्लम यह है कि लोग हुजूम में तन्हा चल रहे हैं हर एक को जानने वाले बढ़ते जा रहे हैं और समझने वाले घटते जा रहे हैं अस्सलाम वालेकुम रहमतुल्लाह बरकात आज का जो मौजू है स्पाउसेस एस काउंसलर्स इससे मुतालिक आज हम बात करेंगे थोड़ी सी मौजू की वजाहत कर लेते हैं कि एक मतलब इसका यह भी लिया जा सकता है कि यह शायद उन लोगों से मुतालिक है जो काउंसलर्स हैं और अब शादी हो गई है उनकी तो ऐसा नहीं है हर स्पाउस जो है वो एक दूसरे का पहला काउंसलर है यानी जैसे हम कहते हैं ना कि मां या बाप जो है वह अपने बच्चे का पहला उस्ताद है बिल्कुल इसी तरह इसी कॉन्टेक्स्ट में हम यह बात आज के सेशन में एस्टेब्लिश करेंगे इंशा अल्लाह कि शरीके हयात जो है वो हमारा पहला काउंसलर है और अगर वो अपनी जिम्मेदारी और अपना उसका वो जो रिलेशनशिप उस लेवल पर डेवलप हो जाए तो बड़ी आसानी हो जाएगी जिंदगी में और आज का जो मौजू है उसमें हम क्या बात करने जा रहे हैं सबसे पहले हम यह बात करेंगे कि काउंसलिंग क्या होती है और स्पाउसेस एस काउंसलर्स से क्या मुराद है दूसरी बात फिर हम यह करेंगे कि जरा सा हम सब अपने आप को जानने के लिए मैं एक सेल्फ असेसमेंट किस्म की कुछ एक एक्सरसाइज करवाऊंगी जिसमें मैं कई सारे सवालात पूछूंगा और आप अपने आप को चेक करेंगे कि आप कहां खड़े हैं और यह जो गोल है कि अगर अपनी शरीक हयात का काउंसलर बनना है तो उसके लिए हमारे अंदर वह क्वालिटीज एजिस्ट करती है या नहीं करती हमने अपने ऊपर क्या काम करना है ताकि हम यह इस जगह पर पहुंच सके तो व दूसरा काम सेल्फ असेसमेंट क्वेश्चन है तीसरा जो काम है वह यह है कि लोग अपने शरीक हयात से अपना जाती मसला क्यों नहीं बयान करते इसकी कुछ वजू हात है तो जो मोटी मोटी बड़ी अहम वजू हात है मैं उनको शेयर करूंगा और फिर चौथा जो हिस्सा है आज की गुफ्तगू का उसमें मैं एक फ्रेमवर्क शेयर करूंगा कि शरीके हयात की काउंसलिंग का मुमकिन फ्रेमवर्क क्या हो सकता है तो चार हिस्से हो गए आज की गुफ्तगू के तो मैं वहां से शुरू करता हूं काउंसलिंग क्या है और पेरेंट्स एस काउंसलर से क्या मुराद है काउंसलिंग जो है वह एक नॉन जजमेंटल लिसनिंग थेरेपी का नाम है जिसका मकसद यह है कि जब हम किसी की काउंसलिंग करते हैं तो हम कोशिश करते हैं कि वह जिस शऊर का मालिक है जो उसका एसिस्टिंग शऊर है और इल्म और समझ की जो सतह जिस पर वह है उसको वह पूरे तौर पर उसका इस्तेमाल कर सके उससे वह अपने शऊर से पूरी तरह इस्तफा करते हुए अपने मसले से बाहर निकल आए काउंसलिंग को मैं किस तरह डिफाइन कर रहा हूं यानी यह वह अप्रोच ऑफ काउंसलिंग है जो ई आरडीसी बुनियादी तौर पर फॉलो करता है और बेसिकली जो काउंसलिंग की दुनिया में एक्सरसाइज है वह भी काफी हद तक इस यह जो मैं कांसेप्ट दे रहा हूं इससे काफी हद तक मैच करती है नॉन जजमेंटल लिसनिंग थेरेपी जिसका गोल यह है कि जो फर्द जिस शऊर और जिस इल्म और जिस समझ का मालिक है उसको वह पूरे तौर पर उससे उसको यूटिलाइज करे और अपने प्रॉब्लम को वो अपने प्रॉब्लम को रिजॉल्व करने में वह अपने शऊर का भरपूर इस्तेमाल कर सके यह है काउंसलिंग और मेंटरशिप क्या है एक और लफ्ज जो मेंटरिंग का इस्तेमाल होता है मैं जब भी काउंसलिंग की बात आती है तो मुझे य जरूरत महसूस होती है कि एक आद जुमला में मेंटरिंग के लफ्ज पर भी बयान कर दूं क्योंकि मेंटरिंग और काउंसलिंग रिलेटेड भी है लेकिन बहुत मुख्तलिफ है अपने मकास और अपने अप्रोच और अपने लॉन्ग टर्म गोल्स के अंदर तो मेंटरिंग यह है कि हम इंसान का जो सताय शऊर है उसमें इजाफा करें उसका जो पैराडाइम है उसको करेक्ट करें उसके पर्सपेक्टिव को करेक्ट करें उसका जो जिंदगी को देखने का अंदाज है या लेंस है उसको यकसर बदल दे यानी इसकी इलाह करें और वह हकीकत तक पहुंच सके यानी रियलिटी को पहचा जाने हकीकत क्या है चीजों की हकीकत इंसान की हकीकत कायनात की हकीकत और इन सारी हकीक तों को पैदा करने वाला मालिक और माबूद उस तक पहुंचने में या पहुंचाने में उसके लिए उसकी मदद करें तो यह मेंटरिंग है और यह जिसको हम तरबियत या मुरब्बी मुरब्बी आना ताल्लुक की बात हम करते हैं तो काउंसलिंग क्या है वो मैंने जैसे अर्ज किया कि नॉन जजमेंटल लिसनिंग थेरेपी है और जिसका मकसद यह है कि इंसान यानी जिसकी मैं काउंसलिंग कर रहा हूं वह जिस सतह शऊर पर खड़ा है उसका वह भरपूर इस्तफा या उसका भरपूर इस्तेमाल करते हुए अपने मसले से वह बाहर निकल सके अपने मसले को वह हैंडल कर सके ठीक है तो असल में जो बुनियादी मदद है काउंसलर जो करता है अपने काउंसली की वह अपने इल्म की बुनियाद पर नहीं करता बल्कि वह अपनी बाय द वर्चू ऑफ लिसनिंग करता मतलब वह सुनने का एक ऐसा खूबसूरत तजुर्बा फराम करता है जिससे सामने वाला अपना सेल्फ कंट्रोल अपना सेल्फ कॉन्फिडेंस उसमें बेहतरी महसूस करता है यानी मैं किसी को इस तरह सुनू कि उसके नतीजे में उसे करार आने लगे उसके नतीजे में उसका उसकी नफ्स हालत कुछ बेहतर होने लगे और वह अपने मसाइल को हल करने की पोजीशन में आ जाए जो उसका शऊर जो उसकी सता इल्म है उसकी के ऊपर खड़े होकर अच्छा जनरली काउंसलिंग जो है ना वो किसी इंसान की कंसेंट के बगैर नहीं हो सकती काउंसलिंग ऐसी चीज नहीं है कि मैं किसी काउंसलर के पास किसी को भेजूं और कहूं कि जी मैं इनको आपके पास भेज रहा हूं इनकी काउंसलिंग कर दें या मैं किसी जैसे कभी मैं देखता हूं कि तालीमी इदार में बड़ी काउंसलिंग के हवाले से नादानी और नासमझी पाई जाती है जैसे वो किसी बच्चे को कहते हैं कि जाइए आप फला के पास जाइए वो आपकी काउंसलिंग करेंगे या फला को बुलाया है अपने पास कि आइए मेरे पास मैं आपकी काउंसलिंग कर दूं तो हमारे माशे में काउंसलिंग से मुराद जैसे कन्विंसिंग एक्चुअली ऐसा प्रोसेस नहीं है और काउंसलिंग किसी की कंसेंट के बगैर हम जबरदस्ती नहीं कर सकते मतलब यहां अगर कोई मैं किसी बंदे को बुलाऊं और कहूं कि आइए मेरे पास बैठिए मैं आपकी काउंसलिंग करूं तो ऐसा नहीं होगा बल्कि जनरली ऐसा होगा कि काउंसली खुद किसी के पास पास जाना चाहता है और वह यह चाहता है कि वह अपना प्रॉब्लम किसी से शेयर करें और किसी की हेल्प वह सीख करता है मदद मांगता है और फिर वह यानी अगर कोई मेरे पास आता है तो मैं उसकी काउंसलिंग कर सकता हूं लेकिन मैं खुद जबरदस्ती किसी की काउंसलिंग करूं यह ऐसा अमल नहीं है कि मैं जबरदस्ती किसी की रजामंदी के बगैर मैं उसकी काउंसलिंग नहीं कर सकता लेकिन मिया बीवी का ताल्लुक ऐसा है इसमें यह उसूल इस तरह से नहीं चलता बल्कि यह जैसे मैंने बात की कि आम हालात में तो हम किसी की काउंसलिंग उसकी रजामंदी के बगैर नहीं कर सकते लेकिन मिया बीवी का मामला बिल्कुल मुख्तलिफ है और मिया बीवी का मामला यह है कि चूंकि वह एक दूसरे से इंतहा करीब होते हैं इंतहा करीब हो सकते हैं दूसरा लज में यह भी कह दूं या इंतहा करीब होते हैं या हो सकते हैं तो तो उनके यहां यह नेचुरली मतलब यह खुद बखुदा में मुमकिन होता है मतलब उसमें यह यानी मियां बीवी का मामला ऐसा है कि उसमें अगर किसी को कोई प्रॉब्लम है और आप इनफर हैं तो यह ज्यादती है लेकिन अमली जिंदगी में मतलब आपके पड़ोसी को कोई प्रॉब्लम है आपके क्लास फेलो को कोई प्रॉब्लम है और आप वेट कर रहे हैं आप सोचते हैं कि भई ये मुझसे डिस्कस करेगा तो मैं इससे डिस्कस करूंगा तो चले ठीक है उसमें एक लिहाज और एक बैरियर मौजूद है लेकिन मियां बीवी के ताल्लुक में कोई बैरियर और कोई तकल्लुफ मौजूद नहीं होना चाहिए तो यहां पर यह जो काउंसलिंग है यह नेचुरली और एक खुद ही मुमकिन हो जानी चाहिए अब हम स्पाउसेस एस काउंसलर्स से क्या मुराद है हमारी मुझे फैज साहब का एक शेर हमेशा याद आता है जब भी मैं इस मौजू पर बात करता हूं शायद मैंने पहले भी शेयर किया हो हर चारा अगर को चारा गरी से गुरेज था और चारा गर का जो लफ्ज है ना काउंसलिंग काउंसल काउंसलर के लिए उर्दू का जो लब्ज मुझे सबसे मुनासिब मालूम होता है वह हमारी उर्दू शेरी रिवायत में वह लफ्ज है चारा गर तो चारा गर जो है वोह मेरे नजदीक काउंसलर का काफी मुनासिब तर्जुमा है फैज साहब कहते हैं कि हर चारा गर को चारा गरी से गुरेज था वरना हमें जो दुख थे बहुत ला दवाना थे वरना हमें जो दुख थे बहुत ला दवाना थे यानी हमें जो प्रॉब्लम्स थी वह ना काबिले इलाज नहीं थी प्रॉब्लम असल में यह था कि जो हमारे आसपास जो काउंसलर्स थे जो नेचुरल काउंसलर्स थे यानी उनको गुरेज था काउंसलिंग से तो काउंसलर भी दो किस्म के हो गए एक वोह जो प्रोफेशनल काउंसलर्स हैं जिन्होंने एक ट्रेनिंग ली है एक प्रोफेशनल फॉर्मल एजुकेशन हासिल की है उनकी कुछ एक्सपर्टीज हैं जिनका एक क्लिनिक है या जिनका एक काउंसलिंग अ इंस्टिट्यूशन है और उधर आप उनसे एक एक फॉर्मल प्रोफेशनल अ हेल्प हासिल करने के लिए उनके पास आप जाकर रजिस्टर करते हैं उनसे अपॉइंटमेंट लेते हैं और आपका एक काउंसलिंग सेशन होता है तो वह तो एक कैटेगरी ऑफ काउंसलर्स हैं जो प्रोफेशनल काउंसलर्स हैं लेकिन दूसरे काउंसलर्स वो है जो नेचुरल काउंसलर्स हैं और हमारी फैमिली के जो लोग होते हैं वह भी नेचुरल काउंसलर्स हैं जो दोस्त होते हैं वह भी नेचुरल काउंसलर्स होते हैं और जो मिया बीवी होते हैं वह भी एक दूसरे के नेचुरल काउंसलर्स होते हैं और यह बहुत अहम बात है और अगर स्पाउस अपने यानी अगर मिया बीवी एक दूसरे के काउंसलर ना बन सके तो क्या नुकसान होता है नुकसान यह होता है कि यह ताल्लुक अपने बड़े मकास को सर्व नहीं कर पाता और आहिस्ता आहिस्ता ऐसा होता है कि दोस्त और शरीके हयात यह दो अलग किस्म के लोग हो जाते हैं मतलब बहुत से लोग ऐसे हैं जिनसे अगर मैं पूछूं कि आपका दोस्त कौन है तो किसी और का नाम लेते हैं शरीक हयात कौन है तो किसी और का नाम लेते हैं तो जब आप अपने शरीके हयात के काउंसलर बनने में कामयाब हो जाते हैं तो आप उनके दोस्त भी होते हैं और श हयात भी होते हैं और इसका मतलब यह भी नहीं है कि आपको अगर आपका हस्बैंड या आपकी वाइफ आपकी काउंसलर है और आप दोनों एक दूसरे की म्यूचुअल काउंसलिंग कर लेते हैं जरूरत पड़ने पर तो इसका मतलब यह नहीं है कि लाइफ में कभी भी किसी प्रोफेशनल काउंसलर की जरूरत नहीं पड़ेगी पड़ भी सकती है कभी किसी प्रोफेशनल काउंसलर की जरूरत हो भी सकती है यह कोई ऐसी खराब बात नहीं है कभी जाना पड़ भी सकता है लेकिन बहुत ज्यादा आप अपनी लाइफ में अपने मिया बीवी का ताल्लुक ही एक बहुत बड़े बड़ी जरूरत को सर्व कर देता है बहुत यह इसमें बड़ी खैर है मतलब ताल्लुक और गहरा हो जाता है और आप और करीब आ जाते हैं आपकी जो बुनियादी जरूरत है नफ्स जरूरत है वह बड़ी आसानी से पूरी हो जाती है और यह ज्यादा डीप कनेक्टेड महसूस करते हैं दोनों एक दूसरे से मैंने जैसे कहा ना कि स्पाउसेस जो है व एक दूसरे के पहले काउंसलर्स है पहले काउंसलर से मुराद यह है कि शादी होने के बाद आपका पहला काउंसलर आपका स्पाउस है शादी होने से पहले आपके पहले काउंसलर्स तो आपके मां-बाप थे और इसी तरह आपके दोस्त भी आपके काउंसलर हैं लेकिन शादी होने के बाद आपके पहले काउंसलर आपके मिया बीवी मतलब एक दूसरे के होने चाहिए यह है वो सबसे बुनियादी बात जो बिल्कुल इब्तिदा में मैंने जो अभी तक बात की है व काउंसलिंग क्या है और मियां बीवी एक दूसरे के काउंसलर कैसे बन सकते हैं और अब फिर मैं इसके बाद जो दूसरा हिस्सा है मेरी गुफ्तगू का उसमें मैं कुछ सवालात रखूंगा कितनी बार ऐसा हुआ कि अपने शरीक हयात से आपने कोई बात कही और आपका दिल हल्का हो गया कोई बात कही आपने अपने स्पाउस से और लाइट फील किया अल्हम्दुलिल्लाह इसका शुक्र अदा कीजिए अल्हम्दुलिल्लाह अल्लाह का एहसान है यह अगर उस वक्त नहीं किया था तो दोबारा शेर अल्लाह का शुक्र अदा कीजिए यह बहुत बड़ी ने है जो आपको हासिल है इस वक्त दुनिया का एक बहुत बड़ा प्रॉब्लम यह है कि लोग हुजूम में तन्हा चल रहे हैं और हुजूम में तन्हा चलने की तकलीफ बहुत ही बुरी तकलीफ है मतलब ताल्लुक का क्राइसिस रिलेशनशिप क्राइसिस इस वक्त दुनिया को बहुत ज्यादा दरपेश है तो जानने वाले हर एक को जानने वाले बढ़ते जा रहे हैं और समझने वाले घटते जा रहे हैं यानी बहुत सारे लोग हैं जो आपको जानते हैं लेकिन समझता कोई नहीं है अगर ऐसा हो जाए तो इसकी जो तकलीफ होती है ना वो बहुत शदीद होती है कि मुझे इतने लोग जानते हैं और मुझे कोई भी नहीं समझता यह बहुत तकलीफ दे बात है और यह जो अल्हम्दुलिल्लाह अल्लाह ने आपको यह नेमत दी कि आपने अपने शरीक हयात से अपनी बातें की दिल की बातें की और दिल हल्का हो गया यह बहुत बड़ी बात है और इसका शुक्र अदा कीजिए और इस सहूल का की कदर कीजिए इसका भरपूर इस्तेमाल कीजिए इसका शुक्र कीजिए इसका शुक्र बंदे से भी कीजिए उसका इसका शुक्र अल्लाह से भी कीजिए तो यह तो पहली बात है अच्छा कितनी दफा ऐसा हुआ कि उसने आपकी हिम्मत बंधाई या बढ़ाई हिम्मत बढ़ाई उसने आपकी अल्हम्दुलिल्लाह या उसने आपको मुश्किल या परेशानी में देखकर आपका हाल पूछा और आपके मसले को समझने की कोशिश की आप परेशान थे उसने देखा आपके मसले को समझने की कोशिश की इसी तरह उसने अपने साथ और अपने सहारे का यकीन दिलाया अपनी सपोर्ट का उसने यकीन दिलाया आपको कितनी दफा ऐसा हुआ कि आपको गले लगाकर आपको तसल्ली दी अल्हम्दुलिल्लाह और यह जितनी भी चीजें है ना इस पर अल्लाह का शुक्र अदा कीजिए ये सब बातों पर यह बड़ी बात है कितनी दफा ऐसा हुआ कि आपकी मदद करने के लिए उसने अपना वक्त अपनी सलाहियत अपनी तवाना या अपना माल पेश किया और अपना आराम कुर्बान कर दिया अल्हम्दुलिल्लाह इसका शुक्र अदा कीजिए और इसका शुक्र अगर सिर्फ अल्लाह से नहीं बंदे से भी करना होगा कितनी दफा ऐसा हुआ कि आपके कहने पर आपने उससे कोई मशवरा चाहा और उसने आपको बहुत अच्छा मशवरा दिया आप में से कितने लोगों को अपने कोई ऐसा मशवरा याद है जो उनके शरीक हयात ने उनको दिया और उससे उन्हें बहुत फायदा हुआ बल्कि अगर मैं यह पूछूं कि आप में से कितने लोग ऐसी तीन एडवाइसेज या मशवरे रिकॉल कर सकते हैं जो उनकी लाइफ में उनके स्पाउस से उन्हें मिले थे और वह कहे कि यह वह मशवरा है जो मेरे शरीक हयात ने मुझे दिया था और मैंने अल्हम्दुलिल्लाह इस पर अमल किया और इससे मुझे बहुत फायदा हुआ बल्कि अगर मैं यह पूछूं कि जरा सा सोचिए कि कितने मशवरे आपको आपको याद आ रहे हैं ऐसे मतलब आप कह यह वह मशवरा है जो उन्होंने मुझे दिया था और मैंने इस पर अमल किया अल्हम्दुलिल्लाह मुझे बहुत फायदा हुआ यह उनका मशवरा उनके कहने पर मैंने यह काम किया और इससे बहुत फायदा हुआ [संगीत] अलुला इसका भी अल्लाह का शुक्र अदा कीजिए मशवरा भी ना यह एक रिजक की तरह होता है एक नेमत होता है अच्छा मशवरा नेमत होता है जिसके जरिया मिले उसका भी शुक्र और अल्लाह का भी शुक्र फिर इसी तरह आप में से कितने लोग हैं जिनके स्पाउस ने कभी इस तरह के जुमले बोले कोई बात नहीं सब ठीक हो जाएगा आप फिक्र ना करें अल्लाह मालिक है ऐसे जुमले आपके स्पाउस ने आपसे बोले कोई बात नहीं सब ठीक हो जाएगा आप क्यों परेशान होते हैं आप परेशान ना हो आप फिक्र ना करें अल्लाह मालिक है सब ठीक हो जाएगा इंशा अल्लाह अल्लाह मदद करेगा ऐसा जुमला आपने अपने स्पाउस से सुना अल्हम्दुलिल्लाह यह भी एक नेमत है बहुत बड़ी नेमत है इस पर अल्लाह का शुक्र अदा कीजिए कितनी दफा ऐसा हुआ कि आपने अपने स्पाउस से अपने लिए दुआ सुनी उसने आपको दुआ दी आपने वह दुआ यानी एक है दुआ करना आपके स्पाउस ने आपके लिए अल्लाह से दुआ की वह रात की तन्हाई में की नज के अंदर की नमाज के बाहर नमाज के बाद की अकेले में की यह तो उसका और अल्लाह का मामला है कि वह अल्लाह से आपके लिए क्या मांग रहा है आपके इल्म में तो नहीं है लेकिन कितनी दफा ऐसा हुआ कि उसने कोई दुआ आपको दी यानी आपने आपके आपके स्पाउस ने आपको बोला कि अल्लाह तुम्हें यह मिल तुम्हें यह दे तुम्हारे अल्लाह तुम्हारा यह प्रॉब्लम हल कर दे अल्लाह तुम्हें यह दे दे अल्लाह तुम्हारे लिए यह करे अल्लाह तुम्हें यहां पहुंचाए आपकी गलतियों और खराब हों को जानने के बावजूद आपके स्पाउस ने आपको नापसंद नहीं किया और आपसे दूर नहीं हुआ आपकी कोई खराबी आपका कोई गलती उसको मतलब एक्सपोज हो गई आपको उसे पता लगा लेकिन फिर भी उसने आपको नापसंद नहीं किया आपको डिसन नहीं किया आपसे दूर नहीं हुआ फिर इसी तरह आपकी जिस्मानी और नफ्स याती सेहत के लिए फिक्र की और इसकी बेहतरी के लिए अपना जिम्मेदाराना किरदार अदा किया उसने आपका ईमान बढ़ा दिया किसी गलत काम या बुरी चीज को छोड़ने में आपकी मदद की उसने मेरी मदद की एक गलत आदत को छुड़ाने में एक गलत काम या गलत हरकत को छोड़ने में उसने मेरी हेल्प की आपको इत्मीनान से सुनने और समझने के लिए जितना वक्त दरकार था वह दिया और ऐसा अक्सर किया जितना वक्त आपको सुनने और समझने के लिए चाहिए था उसने यानी जैसे आपको तवज्जो मिली आपको टाइम आपको टाइम दिया और वह उसने अक्सर किया इसी तरह आपको किसी दूसरे अंदाज से सोचने या किसी और जाविया से मामले को देखने के काबिल बनाया इसको से देखते हैं या यह ऐसे भी तो हो सकता है यानी आप किसी मैटर को किसी किसी इशू को किसी प्रॉब्लम को किसी खास एंगल से देख रहे थे लेकिन आपके स्पाउस ने आपकी मदद की टू लुक एट द सेम मैटर डिफरेंटली फ्रॉम एन एंटायस एंगल इसी तरह आपसे मुमकिन बहस और तकरार से बचने के लिए यानी आर्गुमेंट से बचने के लिए उसने खामोशी इख्तियार की कितनी बार ऐसा हुआ कि उसने सोचा कि मैं खामोश हो जाऊं अगर वह खामोश ना होता तो बड़ा मसला हो जाता तो कितनी बार ऐसा हुआ जवाब दे सकता था जवाब भी उसके पास था लेकिन वह खामोश हो गया कमाल है कितनी बार ऐसा हुआ कि आपसे मुमकिन बहस या तकरार जिसे आर्गुमेंट कहते हैं उससे बचने के लिए उसने खामोशी इख्तियार की इसी तरह आपको मायूसी और बद गुमानी से निकालने में आपकी मदद की ठीक है यह सवालात लिख लिए आपने मतलब सवालात ना भी लिखे लेकिन इसके ऊपर सोचा ना आपने अल्हम्दुलिल्लाह मतलब मैं पॉइंट यह था कि आप जरा सोच क्योंकि अभी मैं यह एक्सरसाइज बहुत काम की एक्सरसाइज है जो आप इंशाल्लाह ताला मदद करेगी यह 17 सवालात है जो मैंने किए तो यह सवालात अभी जो मैंने किए हैं ना आपसे 17 सवालात इसमें मैंने एक्चुअली आपसे उस तरह के सवालात किए जिसमें आपने अपने शरी के हयात के बारे में सोचा कि उसने मेरे लिए यह किया इन्हीं सवालों को अब बिल्कुल अपने ऊपर रख के देखना है कि क्या आप क्योंकि असल में जैसे मैंने यह कहा ना कि आपने अपनी बात उससे की और अपनी बात कहक दिल हल्का हो गया या उसने आपकी हिम्मत बढ़ाई अब इन सवालों को बिल्कुल रिवर्स कर ले बात समझ आ रही है अब मैं यही 17 सवालात जरा दूसरे अंदाज से करूंगा ठीक है कितनी बार ऐसा हुआ कि उसने अपनी दिल की बात आपसे कही और उसका दिल हो गया समझ आई बात अगर आपको मौका नहीं मिला तो उसे भी तो मौका नहीं मिला इस वक्त बहुत सारे मोहब्बत करने वाले ऐसे हैं जो एक दूसरे की प्यास बुझा सकते हैं लेकिन एक जैसे वह अपनी अना के हिसाब ार में ना एक दूसरे को प्यासे रखे हुए हैं एक जगह इकबाल ने जिब्राईल और इब्लीस का मुकाल पेश किया है और उसमें जिब्रील ने इब्लीस से एक सवाल किया तो इब्लीस ने जवाब दिया कर गया सरमस्त मुझको टूटकर मेरा सबू तो मुझे ऐसा लगता है कि बहुत से ताल्लुकात बिल्कुल ऐसे ही हैं मतलब अपनी अपनी जात में मगन तो यह देखने की जरूरत है कितनी बार ऐसा हुआ कि उसने अपने बात आपसे कही और उसका दिल हल्का हो गया दूसरा सवाल आपने उसकी हिम्मत बनाई आपने उसको मुश्किल या परेशानी में देखा और उसका हाल पूछा और उसका मसला समझने की कोशिश की आपने उसको अपने साथ और सहारे का यकीन दिलाया आपने उसको गले लगाकर तसल्ली दी ठीक है आपने उसके लिए अपना वक्त सलाहियत तवाना और माल या अपना आराम पेश किया कुर्बान किया उसके कहने पर आपने उसे मशवरे दिए आपने उसे कहा कि कोई बात नहीं सब ठीक हो जाएगा अल्लाह मालिक है परेशान ना हो फिक्र ना करें आपने उसको दुआ दी और तन्हाई में उसके लिए दुआ भी की आपने उसकी गलतियों और खराब हों को जानने के बावजूद उसे नापसंद नहीं किया उससे दूर नहीं हुए उसको डिसन नहीं किया आपने उसकी जिस्मानी और नफ्स सेहत के लिए फिक्र की और उसकी बेहतरी के लिए अपना जिम्मेदाराना किरदार अदा किया आपकी वजह से उसका ईमान बढ़ा आपकी वजह से किसी गलत काम या गलत आदत को छोड़ने में उसको उसको हेल्प हुई आपकी वजह से उसने कोई गलत काम छोड़ा उसको इत्मीनान से सुनने और समझने के लिए जितना वक्त और जितनी तवज्जो चाहिए थी वह आपने उसको दी और ऐसा कई दफा किया किसी मसले को किसी और अंदाज से देखने सोचने समझने के लिए यानी इसको जरा दूसरे एंगल से देखना चाहिए उसमें आपने उसकी मदद की और आपने किसी मुमकिन आर्गुमेंट से बचने के लिए यानी बहस और तकरार से बचने के लिए खामोशी इख्तियार की और आपने उसको मायूसी और बद गुमानी से निकालने में उसकी मदद की ठीक है तो यह जो सवालात थे ना यह एक सेल्फ असेसमेंट थी दोनों के ऊपर रख के देखना था सोचना था तो मैं आगे चलता हूं कुछ सवालात और हैं इसको भी जरा देखना यह भी सेल्फ असेसमेंट अभी चल रही है यानी हमारी आज की गुफ्तगू के चार हिस्से हैं पहले हिस्से में जो बहुत मुख्तसर था मैंने बात की कि काउंसलिंग क्या है और स्पाउसेस काउंसलर से क्या मुराद है वह बात कर ली दूसरा हिस्सा सेल्फ असेसमेंट के क्वेश्चन हैं वो अभी चल रहे हैं तीसरे हिस्से में मैं बात करूंगा कि लोग अपने शरीके हयात से अपना जाती मसला क्यों नहीं बयान करते यह भी एक सवाल होगा ना बहुत से लोगों के जहन में तो व उसके कुछ रीजन है और चौथा हिस्से में मैं व एक फ्रेमवर्क शेयर करूंगा ठीक है तो कुछ और सेल्फ असेसमेंट के क्वेश्चन है नौ सवालात है नाइन क्वेश्चन होंगे और यह सवालात अगर मुझसे यह पूछा जाए कि स्पाउस काउंसलर जाए उसका कोई प्री रेक्विरेमेंट का रोल इंटीग्रेटेड है मतलब यह यानी एक एक अच्छा स्पाउस असल में काउंसलर भी है तो यह एक इंटीग्रल रोल है उसका अब सवाल यह है कि मैं अपनी शरीके हयात का काउंसलर बनू या बन सकूं उसको इवेलुएट करने के लिए मैं नाइन स्पेसिफिक क्वेश्चंस अब और जरा सा वोह जैसे जूम इन कर रहे हैं और लेंस को पहले दूसरा लेंस लगाया था अब जरा ज्यादा पावर का जरा ज्यादा डीप देखेंगे और जरा अब हम देखेंगे नौ सवालात जिसमें दोबारा हम अपने आप को इवेलुएट करेंगे सेल्फ असेसमेंट करेंगे और और इनकी मदद से ये देखेंगे कि यह सवालात बताएंगे कि मैं एज अ काउंसलर अपने स्पाउस का अपना काम यानी उसकी जो एक क्वालीफाई करता हूं यानी डू आई क्वालिफाई एज अ काउंसलर ऑफ माय स्पाउस तो ये उस तरह के सवालात ठीक है पहला सवाल यह है कि आपके लिए अपनी गलती पर शर्मिंदा होना और माफी मांगना कितना आसान है आपके लिए ठीक है और ये अपने स्पाउस के साथ बात हो रही है दूसरा सवाल यह है कि आपने माफ किया और फिर उस मामले का कभी तस्करा नहीं किया तीसरा सवाल यह है कि आपने राज को राज ही रखा वह बात जो आपका स्पाउस एक्सपेक्ट नहीं कर सकता या इमेजिन नहीं कर सकता कि यह बात किसी और के पास जाएगी वह बात मतलब किसी के पास नहीं गई य दिस इ दिस मस्ट बी रिमन टू ऑफ यू मतलब अल्लाह को पता है और आपके शरीक हयात और आपको पता है किसी और को नहीं पता व सीक्रेसी और कॉन्फिडेंशियल्टी जो है ना वो मेंटेन आप शर्मिंदा नहीं करते मजाक नहीं उड़ाते बल्कि यह जो नौ सवालात है ना यह भी अगर इन सवालों को मैं जरा एक दफा उसी तरह पढ़ दूं जैसे मैंने लिखे हैं और फिर आप इस लिस्ट को अपने स्पाउस के साथ बैठ के जरा डिस्कस करें कि क्या हम दोनों यह काम करते हैं तो वो दोनों अपने अपने एंड से देख ें बहुत फायदा होगा इंशाल्लाह यानी अपनी गलती पर शर्मिंदा हुए और माफी मांगी आपको माफ किया और फिर इस मामले का कभी तस्करा नहीं किया आपके राज को राज ही रखा आपको शर्मिंदा नहीं होने दिया या आपका मजाक नहीं उड़ाया ठीक है अपने गुस्से या मिजाज से दहशत जदा नहीं किया टेरर ऑफ टेंपरामेंट होता है ना बाज लोगों का यह नहीं किया दोनों को बिल्कुल भी नहीं मिजाज का कोई खौफ नहीं अल्हम्दुलिल्लाह फिर आपसे ना उम्मीद नहीं हुए लेकिन अपनी तवक का जबर भी नहीं किया या आप उनसे ना उम्मीद नहीं हुए और अपनी तवक आत का जबर भी नहीं यह उम्मीद और तवक आत को प का जो डिफरेंस है ना जैसे जैसे शऊर बुलंद होता है जैसे जैसे हिकमत नसीब होती है होप और एक्सपेक्टेशन का फर्क वाज होने लगता है और होप एक्सपेक्टशंस में फर्क है लेकिन चूंकि जिंदगी जिस तरह की हम चीजों पर गौर किए बगैर जिंदगी गुजारे चले जा रहे हैं भागे चले जा रहे हैं तो उसमें बहुत से लफ्जों के और बहुत से तसव्वुर के दरमियान फासला खत्म मतलब है ही नहीं जैसे तो होप जो है ना वह एक ब्रॉड और जनरल एक चीज है और एक्सपेक्टेशन कुछ स्पेसिफिक होती है तो आपसे ना उम्मीद यानी आप ना उम्मीद नहीं हुए लेकिन अपनी तक्त का जबर भी नहीं किया और वह भी आपसे ना उम्मीद नहीं हुआ और अपनी तवक आत का जबर नहीं किया लेकिन आप तो अभी फिलहाल अपने आप को इ वेलवेट चाहे तो कर ले आपने उनकी इज्जत नफ्स का ख्याल किया और उसकी तकरी की ठीक है या उसने आपकी इज्जत नफ्स का ख्याल किया और आपकी तकरी की आप पर एतमाद किया आपको अहमियत दी या इसी तरह आपने उस पर तमा किया और उसे अहमियत दी और आखरी सवाल है अपने वादे पूरे किए अपनी कमिटमेंट पूरी की तो यह वह नौ पॉइंट्स है जिन पर अगर हम इन पर काम नहीं किया है तो हम अपने स्पाउस की काउंसलिंग या काउंसलर नहीं बन पाएंगे मतलब यह कुछ प्री रेक्विरेमेंट ही चल रही थी यह हेल्पफुल है आपको अपने ऊपर गौर करने का मौका मिल रहा है इन सवालात की मदद से पहले मैंने कितने सवा पहले मैंने 17 सवालात का एक सेट शेयर किया फिर मैंने नौ सवालात का एक सेट शेयर किया ठीक है अब मैं बात करूंगा के लोग अपने शरीक हयात से अपना जाती मसला क्यों नहीं बयान करते ठीक है यह हो सकता है कि यह सवाल अ बहुत से लोगों के जहन में हो ठीक है और आप जो हमारा जो ऑडियंस है आज के वेबीनार का इसमें तीन मतलब आपके साथ भी तीन तीन तरह की सिचुएशन हो सकती है एक सिचुएशन यह है कि आपका जो स्पाउस है वह आपसे अपना मसला अपना हर प्रॉब्लम अपनी हर पर्सनल बात अपनी दिल की बात अपना अपनी पर्सनल फीलिंग्लेस बहुत आसानी से शेयर करता है यह एक स्टेट है कि व अपनी बात आपसे बड़े कंफर्टेबल शेयर करता है यह एक स्टेट है दूसरी स्टेट यह है कि कभी करता है कभी नहीं करता कभी थोड़ी सी करता है कभी बिल्कुल नहीं करता कभी बस वह मुझे भी अंदाजा यानी आप कहे कि भाई हमें अंदाजा ही नहीं होता कि यह क्यों नहीं करते हमसे शेयर कभी कर लेते हैं कभी नहीं करते ये दूसरी स्टेट हो गई और तीसरी स्टेट यह कभी भी नहीं करते अपना कोई पर्सनल प्रॉब्लम अपनी कोई पर्सनल फीलिंग शेयर नहीं करते इस वक्त सिचुएशन यह है कि सोसाइटी में बहुत सारे लोग वह तीसरी कैटेगरी में फॉल कर रहे हैं जिनका शरी के हयात उनसे नहीं शेयर करता या बहुत कम शेयर करता है ठीक है तो उसकी कुछ 13 रीजंस है यह 13 वजू हात में बयान करूंगा देखि मेरे जो भी वेबिनार्स और टॉक्स है ना उनका एक इन्हेरेंट फीचर यह होगा कि आपको बहुत सारे एरियाज जैसे बहुत सारी बत्तियां जलेगी और अंदाजा होगा कि इन सब पर खुद ही काम करना है रिफ्लेक्ट करना है गौर करना है सोचना है अपने ऊपर काम करना है यह एक मुस्तकिल जैसे थीम है ना तो यह आज की भी आपको पता लगेगा कि अच्छा यह इस एंगल से सोचा नहीं तो इस पर सोचना है तो अल्लाह से दुआ मांगिए और सोचिए और इन चीजों को ठीक कीजिए इंशाल्लाह चीजें ठीक हो सकती है मतलब अगर आप अपने फर्ज की वो तीसरी कैटेगरी है कि आपका शौहर या आपकी बीवी आपसे अपना कोई प्रॉब्लम शेयर नहीं करती या नहीं करता और अपने दिल की कोई बात नहीं बताता या नहीं बताती तो फिर भी इंशा अल्लाह यह सूरते हाल पहली वाली कैटेगरी में भी पहुंच सकती है कि वह अपनी हर चीज शेयर करें इंशा अल्लाह मुझे य यकीन है कि पहुंच सकती है मैं यह समझता हूं कि पहुंच सकती है और मैंने इतनी बड़ी तब्दीली इंसानों की जिंदगियों में आते हुए देखी है मतलब यह मैं अमली तौर पर यह काम अल्हम लाह सैकड़ों फैमिलीज के अंदर इतना यानी जैसे वह बिल्कुल बंद थे दूर थे और डिस्कनेक्टेड थे और अब अल्हम्दुलिल्लाह बहुत क्लोज हैं बहुत कनेक्टेड हैं बहुत एक गहरी बॉन्डिंग है अल्हम्दुलिल्लाह यह हमने यह प्रोसेस अल्हम्दुलिल्लाह इनेबल होते हुए देखा है अल्हम्दुलिल्लाह और चूंकि मेरा यह काम है तो इस नयत में एक तवील अरसे से सैकड़ों फैमिलीज में यह काम अल्हम्दुलिल्लाह देख चुका हूं तो अब मैं 30 तीन रीजंस बयान कर रहा हूं कि क्यों व अपना प्रॉब्लम शेयर नहीं कर पाते आपने यह देखना है कि आपके केस में इन 13 में से कौन सी रीजन एजिस्ट करती है आपको और यह 13 बिल्कुल बेसिक है इसके अलावा भी है जो मतलब मेरे लिए ये एक मुश्किल काम था कि इस लिस्ट को मुख्तसर करूं तो मुख्तसर करने की कोशिश में ये 13 पर खत्म हुई है अदर वाइज तो रीजन और भी ज्यादा है लेकिन ये मोस्ट कॉमन है जो बहुत सारे केसेस में एजिस्ट करेंगी ठीक है भाई समझ गए क्या चीज आने वाली पहला रीजन है यानी लोग अपने स्पाउस के साथ अपना जाती मसला या अपनी प्रॉब्लम क्यों नहीं शेयर कर पाते उसकी पहली वजह यह है कि उनके पास इसका वक्त नहीं है यानी आपके स्पाउस के पास टाइम ही नहीं है कि वह आपसे अपनी प्रॉब्लम शेयर करें यह एक वजह वो बहुत ऑक्यूपाइड है इतना बिजी है अब अगेन यह सोचना है कि अगर इस वजह से शेयरिंग नहीं हो रही तो इसमें मैं क्या कर सकता हूं यानी इसमें आपने सोचना है कि उसकी मसरूफियत को कम कैसे किया जाए यह एक काम दूसरा पॉइंट यह है कि खुद आपके पास इसका वक्त नहीं है यह दूसरा पॉइंट है आप इतने बिजी है वह बिजी है उसके पास वक्त नहीं है शेयरिंग का आप भी बिजी है आपके पास वक्त नहीं है कि बैठ के सुने और अगर कभी बैठते हैं तो इतना जल्दी में होते हैं तो मिलते तो हैं बात भी करते हैं लेकिन जब भी बात करते हैं जल्दी-जल्दी में बातें करते हैं मतलब ऐसा नहीं होता कि हम ऐसे बैठे कि हमें कोई डर ना हो कि वक्त खत्म हो जाएगा और बातें होने से रह जाएंगी ऐसी कोई परेशानी हमें कभी नहीं होती मतलब हम यानी कभी ऐसे बैठे ना कि मतलब इत्मीनान से बैठे कि भाई बातें पूरी करके उठेंगे बहुत सा और भी गुस्से में नहीं खुशी से मतलब इत्मीनान से तो दो पॉइंट्स तो यह वक्त के हो गए उनके पास वक्त नहीं है हमारे पास वक्त नहीं है और अगर ऐसा है तो फिर इसमें इसको ठीक होने की जरूरत है अब इसको ठीक होने का काम ये अब एक अलग काम है यह मैं अभी नहीं टच कर सकता तीसरा पॉइंट यह है वह क्यों नहीं शेयर करते वोह इसलिए शेयर नहीं करते वोह यह समझते हैं कि आप परेशान हो जाएंगे वह आपको परेशान करना नहीं चाहते उनका यह ख्याल है कि अगर मैं अपना प्रॉब्लम आपसे शेयर करूंगा तो आप परेशान हो जाएंगे फिर चौथी रीजन यह है कि उनको यह डर है कि यह जो प्रॉब्लम या यह जो मैटर या यह जो पर्सनल इशू व आपसे शेयर करेंगे वह आप दूसरों से शेयर कर लेंगे यह राज नहीं रहेगा आपको बताने का मतलब है कि अब यह कहीं और पहुंच जाएगा यह मसला तो वह आपको इस खौफ से नहीं बता रहे क्योंकि आप किसी और को बता देंगे और यह अब आप सोचिए कि क्या ऐसा कभी हुआ है फिर पांचवा पॉइंट यह है कि वह आपको इसलिए नहीं बता रहे क्योंकि आप जज्बाती हो जाएंगे आप बहुत इमोशनल हो जाएंगे छठी रीजन यह है वह आपको इसलिए नहीं बता रहे क्योंकि आप सुनते ही नहीं है आप तो खुद ही बोलते रहते हैं वह कहते हैं भा मैं इनको कैसे बताऊं यह तो बोलते ही रहते हैं यह सुनते थोड़ी है खुद ही बोलते रहते हैं फिर वह क्यों नहीं शेयर करते सेवंथ पॉट यह है उनका यह ख्याल है कि आप उन्हीं को कसूरवार समझें या समझेंगे उन पर ट्रस्ट नहीं करेंगे उन्हीं को मतलब जैसे व वो कहेंगे हां भाई वह मुझे ही गलत समझेंगे समझेंगे इस वजह से कि आप उन्हें गलत समझेंगे या उन्हें कसूरवार समझेंगे या उन पर ट्रस्ट नहीं करेंगे इसलिए वह आपसे अपना प्रॉब्लम शेयर नहीं कर रहा एथ रीजन यह है कि उनका ख्याल यह है कि आप तो खुद ही बहुत मायूसी और ना उम्मीदी का शिकार हैं तो आपसे प्रॉब्लम शेयर करने का क्या फायदा आप तो खुद ही बहुत मायूसी और ना उम्मीदी का शिकार फिर एक और रीजन यह है कि उनका ख्याल यह है कि आप खुद पहले से इतने प्रॉब्लम्स में है आप तो खुद इतने कंफ्यूजन और प्रॉब्लम में उलझे हुए हैं तो आपको इसलिए नहीं बता रहे थ रीजन है वह कंफ्यूजन वाली है कि उनका ख्याल यह है कि आप खुद कन्फ्यूज्ड है और आपके पास से कोई अच्छा मशवरा नहीं मिल सकता आपसे अपना प्रॉब्लम शेयर करने का फायदा नहीं है यानी वह प्रॉब्लम सॉल्व नहीं करते आप या उसमें कोई अच्छा मशवरा नहीं मिलता तो अच्छे मशवरे की उम्मीद ही नहीं है आपसे मशवरा नहीं लेते आपसे प्रॉब्लम शेयर नहीं करते यह थ रीजन है थ रीजन यह है कि आपसे जब मशवरा मांगा जाता है तो आप मशवरा नहीं देते बल्कि आप हुकुम देते हैं यानी आप इस बात पर नाराज हो जाते हैं कि आपको मशवरा देने का क्या फायदा आपने पहले भी मेरे मशव पर अमल नहीं किया था आपको यह जुमला सुना है आपने यह जुमला बड़ा इसको समझने की बात है मतलब जैसे लोग एक दूसरे से नाराज हो रहे हैं कि भाई तुम्हें पहले भी मशवरा दिया था मशवरा देने का क्या फायदा तुमने पहले भी अमल नहीं किया तो भाई उसने मशवरा मांगा था हुकुम थोड़ी मांगा था मशवरा उस चीज को कहते हैं जिसको यानी अगर मशवरे का मतलब यह है कि चाहे तो इस पर अमल कीजिए चाहे तो ना कीजिए बेहतर लगे तो मशवरा मतलब मशवरे का परपस यह होता है कि इस मैटर को दूसरे की अकल से भी देख के जानू यानी एक मेरा प्रॉब्लम है मैंने आपसे मशवरा लिया तो मैं अपने मसले को आपकी अकल से भी समझना चाहता हूं कि आपकी अकल इस मसले को कैसे देख रही है तो वो वो इस वजह से आपसे मशवरा नहीं लेते अपनी बात नहीं बताते क्योंकि आप मशवरा ना मानने पर नाराज होते हैं और वह मशवरा नहीं बल्कि हुकुम देगा रिस्ट्रिक्शंस लगा देगा पाबंदियां लगा देगा इसलिए यानी आप इस तरह का काम करेंगे तो इस वजह से वह आपसे अपना बात अपनी शेयर नहीं कर र फिर एक और पॉइंट जो 12 रीजन है वह यह है कि उनका ख्याल यह है कि आप उनकी रिस्पेक्ट नहीं करते इसलिए वह आपसे मशवरा नहीं लेते बहुत से लोगों को यह लगता है कि मशवरा जिससे मैं लूंगा उसकी नजर में मेरी वैल्यू और मेरी रिस्पेक्ट और कम हो जाएगी वैसे ही कम है मैं मशवरा लूंगा तो और नीचे आ जाऊंगा तो बेहतर है ना लो तो यह भी एक परसेप्शन है कि वह अपने आप को आपकी नजर मतलब उनका ख्याल यह है कि आप उनकी आपकी नजर में उनकी कोई वैल्यू नहीं है आप उनकी रिस्पेक्ट नहीं करते लिहाजा वह आपसे अपना प्रॉब्लम शेयर नहीं करते और 1 जो रीजन है वह यह है कि आप बहुत जल्दी ओपिनियन फॉर्म कर लेते हैं जजमेंटल हो जाते हैं बड़ी जल्दी राय का कर लेते हैं लिहाजा वह आपसे अपना प्रॉब्लम शेयर नहीं करते तो यह 13 रीजन है वह आपसे अपना प्रॉब्लम क्यों शेयर नहीं करते अब इसमें आपको नजर आ रहा है कि आपके केस में 13 में से कितनी है यानी फ आउट ऑफ 13 है 6स आउट ऑफ 13 है 10 आउट ऑफ 13 है या 13 आउट ऑफ 13 है आपके केस में आपको समझ आ जाएगा कि आप कहां खड़े हैं आपका शरीके हयात आपसे अपना प्रॉब्लम क्यों शेयर नहीं करता उसकी 13 रीजन मैंने बयान कर द है 13 जो बहुत कॉमन रीजन है बहुत मोटी रीजन है इसके अलावा भी रीजन है जो मतलब फिर वह केस टू केस मतलब अलग होंगी लेकिन यह अभी तो यह 13 तो बहुत कॉमन यह 13 रीजन समझने से कुछ फायदा हो रहा है कुछ चीज समझ में आ रही है कि मामला क्या है अब तक जो काम हुआ है उससे कितने लोगों को कोई फ या आसानी महसूस होती है कि इससे हमें कुछ अपने मामलात में मदद मिल रही है अल्हम्दुलिल्लाह अल्हम्दुलिल्लाह तो अब तक मैंने जो आज की गुफ्तगू में चार हिस्से थे उसमें से तीन हिस्से कर लिए हमने ठीक है मैंने सबसे पहले यह बात की कि काउंसलिंग क्या है स्पाउस एस काउंसलर से क्या मुराद है दूसरे हिस्से में मैंने कुछ सेल्फ असेसमेंट की दो एक्सरसाइज करवाई तीसरे हिस्से में मैंने उन रीजंस पर बात की यानी आपका स्पाउस आपसे अपना प्रॉब्लम क्यों शेयर नहीं करता तो उसकी कोई 13 मोस्ट कॉमन रीजंस क्या है उस पर बात की और अब मैं जो मेरी गुफ्तगू का आखिरी हिस्सा है कि फ्रेमवर्क क्या हो यानी एस अ स्पाउस मैं अपने शरीक हयात की काउंसलिंग करूं उसके लिए मेरे पास क्या फ्रेमवर्क हो इसमें भी 11 पॉइंट्स है 11 पॉइंट्स है इसके अंदर ठीक है अल्लाह ताला हमें इन मामलात पर उस तरह गौर करने की तौफीक दे जैसे कि उसका हक है ठीक है और अल्लाह ताला हमें ऐसा ना बनाए कि जब इल्म आ रहा हो और चीजें खुल रही हो तो हम आंखें बंद कर ले और परेशान हो जाएं अल्लाह हमें ऐसा ना बनाए ठीक है तो अब जरा हम उस फ्रेमवर्क की तरफ जाते हैं और इससे पहले इससे भी पहले एक और सवाल है वो फ्रेमवर्क में अभी बयान करूंगा लेकिन यह बात जैसे सबसे ही मैं आप में से कितने लोग ऐसे हैं जिन्हें यह अंदाजा हो जाता है कि उनका जो शरीक हयात है अगर उसको कोई प्रॉब्लम है या वह परेशान है किसी वजह से परेशान है किसी प्रॉब्लम में है तो उन्हें इस बात का अंदाजा हो जाता है अल्हम्दुलिल्लाह चले इसका शुक्र अदा कीजिए अल्लाह का शुक्र है कि अंदाजा हो जाता अल्हम्दुलिल्लाह कुछ लोगों को नहीं होता ठीक है तो कुछ लोगों को फिर वह चौथे दिन बताना पड़ता है कि भाई यह वजह है आपको महसूस नहीं हो रहा मैं इतने दिन से आपसे बात नहीं कर रहा आपको नहीं पता लगा या यह वजह है यह हो रहा है तो वह फिर इस तरह उन्हें बताना पड़ता है तो अल्लाह मतलब असल में जो मॉडर्न अर्बन सोसाइटी है ना वह एक एनेस्थेटिक सोसाइटी एनेस्थेटिक समझते हैं जिसको एनेस्थीसिया दिया हुआ हो मतलब वह फिी तबार से बेहिस नहीं है और व एनेस्थीसिया लोकल नहीं है होलिस्टिक है मतलब पूरा का पूरा अल्लाह ताला आसान फरमाए तो अब जरा हम वह सवालात देखते हैं यानी अब काम कैसे करना है नंबर वन सबसे पहला आपको यह अंदाज हुआ कि अल्हम्दुलिल्लाह कोई यानी आपने अंदाजा किया के अल्हम्दुलिल्लाह आपको अंदाजा हो रहा है अगर कोई इशू है अगर कोई प्रॉब्लम है तो आपको भी महसूस हुआ तो प्रॉब्लम है इसकी फिक्र करनी है उसके लिए दुआ करनी है लेकिन आपको व प्रॉब्लम नजर आया महसूस हुआ तो इस पर अल्लाह का शुक्र अदा कीजिए कि अच्छा मुझे भी पता चला चले मैं भी देखता हूं मैं अपनी हेल्प क्योंकि मिया बीवी बहुत करीब है मतलब कुरान ने तो इनके लिए लिबास वाली मेटाफर यूज की है जो बहुत ही क्लोज है तो आपको अंदाजा हुआ कि उसको कोई मसला या परेशानी दरपेश है यह पहला स्टेप है आपने सेंस किया ठीक है सेंसिंग दूसरा स्टेज यह है कि इस मसले की वजह से आप उसे समझने और रियायत देने की कोशिश करते हैं और अगर वो किसी मसले की वजह से झुंझलाहट का या शॉर्ट टेंपर्ड हुआ हुआ है या झुंझलाहट का शिकार है या तहम्मूल की कमी का शिकार मुजहरा कर रहा है तो आप ऐसी सिचुएशन में आप अपने आप को संभालते हैं आप अपना टेंपर लूज नहीं करते आप अपना मिजाज खराब नहीं करते आपने यानी आपने देखा कि वह स्ट्रेस में है या वह डिस्टर्ब है यह पहला स्टेज था दूसरा स्टेज यह है कि आपने जब यह जान लिया कि किसी प्रॉब्लम में है तो आप इसको अंडरस्टैंड कर रहे हैं कि वह प्रॉब्लम में होने की वजह से थोड़ा सा औखा है अनरीजनेबल हुआ हुआ है तो मतलब यू अंडरस्टैंड इट मतलब जैसे भाई ठीक है इसको इस वक्त यह एक प्रॉब्लम में है ना आपने कहा भाई इस वक्त इस बात को फील नहीं करो बल्कि आपने बच्चों को भी थोड़ा सा तैयार किया भाई इस बात को फील नहीं करो तुम्हें अंदाजा नहीं है तुमरे अब्बू जो है वो इस वक्त बड़े इस वक्त प्रेशर है उनके ऊपर तो अच्छा उसू तो प्रेशर में भी हमें ठीक होना चाहिए लेकिन यह तो जैसे अगर हमारे ऊपर कोई परेशानी हो तो हमें उसूल तौर पर सही होना चाहिए उसमें हमें शॉर्ट टेंपर्ड नहीं होना चाहिए लेकिन दूसरी तरफ अगर किसी और को कोई परेशानी है तो हमें ऐसा होना चाहिए कि उसकी परेशानी की वजह से उसको मार्जिन दे सके तो यह जो दूसरा स्टेज है ना उसमें यह है कि आप मार्जिन देते हैं उसे गिव मार्जिन ठीक है आप कहते हैं ठीक है यह एक प्रॉब्लम का शिकार है और अगर यह इस वक्त थोड़ा सा रफ हो गया है थोड़ा सा शॉर्ट टेंपर्ड हो गया है थोड़ा सा अनरीजनेबल हो गया है तो आप इसे मार्जिन भी दे रहे हैं और आप इसे अंडरस्टैंड भी कर रहे हैं और आप इसके इसको इशू नहीं बना रहे आप इस परे खुद अपना मिजाज खराब नहीं कर रहा ठीक है तीसरा स्टेप यह है कि आप अब इस मामले को समझने इस मामले को दरयाफ्त करने के लिए मुनासिब वक्त का इंतजार करते हैं ठीक है तो ये इसको हम कहते हैं वेट फॉर द राइट टाइम आपने कहा भाई आपको अंदाजा तो हो गया कोई मसला है लेकिन अब राइट टाइम का मतलब क्या है राइट टाइम का मतलब यह है कि जब वो भी थोड़ा सा कम से कम फिजिकली एस्टेड ना हो जहनी तौर पर तो चले है परेशान लेकिन थोड़ा सा आराम कर ले अगर उसको नींद आ रही है तो नींद पूरी कर ले अगर उसकी कोई और मसरूफियत है तो वह काम कंप्लीट कर ले और राइट टाइम का एक मतलब यह भी है कि हम दोनों के पास टाइम हो बैठ के बात करने का उसमें इंटरप्शन ना हो उसमें सब लोग बैठे हुए ना हो मतलब वह एक चौराहे पर बैठक तो यह काम नहीं करेंगे तो आपको थोड़ी सी स्पेस चाहिए थोड़ा सा एक तखलिया चाहिए थोड़ा सा एक मौका चाहिए थोड़ा सा पुर सुकून टाइम चाहिए और जिसमें वह भी सहूल से अपनी बात कह सके तो वेट फॉर द राइट टाइम आपको पता लगा कि एक मसला है तो अब आप एकदम फौरन लग गए बताओ ऐसा नहीं करना चौथा स्टेप यह है के मुनासिब अंदाज में मसला दरयाफ्त करते हैं गैर जरूरी तज या तफ्तीश की कोशिश नहीं करते मतलब आप ओवर इनक्विजिटिव नहीं होते इंटेरोगेशन नहीं करते आप एक ऐसे इस तरह से क्यू नहीं होते कि दूसरा अन कंफर्टेबल हो जाए तो आपकी क्यूरियोसिटी उसको अन कंफर्टेबल नहीं कर रही आप ओवर इनक्विजिटिव नहीं हो रहे आप इंटेरोगेटर आपकी जो इंक्वायरी है ना वह एक एक डिसेंट मैनर ऑफ इंक्वायरी है ठीक है एक सूटेबल और डिसेंट अंदाज में आप चीजों को पूछते हैं कुछ लोग इस तरह से जैसे किसी के ऊपर सवालात करते हैं जितना आप इनक्विजिटिव होंगे ना दूसरा उतना कॉन्शियस होगा अपनी बात को बताने में फिर पांचवा स्टेप यह है कि आप पूरी तवज्जो से सुनने की कोशिश करते हैं सुनने और समझने की कोशिश करते हैं और अब यह जो पांचवा स्टेप है इसमें कई चीजें हैं कि आप अटेंट भी होते हैं और सुनने की कोशिश करते हैं समझने की कोशिश करते हैं और यह सुनने और समझने के अमल में आप खुद परेशान नहीं होते सबर के साथ समझते हैं अपना रिएक्शन जो है वह कंट्रोल करते हैं तो अब यह मतलब आप पूरी त यानी आप अटेंट भी है यानी मिसाल के तौर पर अब बातचीत शुरू हुई है तो अपना मोबाइल फोन भी बीच में चेक करना शुरू कर दिया बातचीत शुरू हुई है तो बीच में कॉल भी उठा ली आपने अरे भाई इसको तो रख दें कम से कम आप मोबाइल फोन से तो मतलब थोड़ी देर के लिए बर्दाश्त करना पड़ेगा मोबाइल फोन से जुदाई यह मतलब जरूरी है तो और फिर आप जैसे अटेंट वली सुनने का मतलब यह है कि आप आई कांटेक्ट मेंटेन कर रहे हैं आप सुन रहे हैं तो आप सर भी ऐसे हिला रहे हैं आप गौर से सुन रहे हैं समझ रहे हैं और उसे देखें अगर उसे वही बात दो दफा दोहरा पड़ी है तो इसका मतलब है कि आपने गौर से नहीं सुना था अगर कोई मुझसे यह पूछे कि अटेंट लिसनिंग का आइडेंटिफिकेशन क्या है तो वो यह है कि जिसने आपसे बात कही उसे दोबारा आपने कहा ये क्या कहा था दोबारा बताओ तो वो उसको जरूरत नहीं पेश आई क्योंकि आपको आपके जहन में नहीं था यह तो बात अगर उसने यह कह दिया ना यह मैंने अभी बताया था आपको तो इसका मतलब यह है कि आपने नहीं सुना यानी बात समझ आ रही है तो आप सही से गौर से समझने की कोशिश करें सुनने की कोशिश करें और जब वह अपनी बात कह रहा है तो कुछ लोग इतनी मतलब उनके फेशल एक्सप्रेश और उनकी मतलब वह जैसे आपका जो रिएक्शन है ना वर्बल और नॉन वर्बल रिएक्शन को आपने कंट्रोल करना है ताकि वह सहूल से अपनी बात बयान करें बाज औकात वो अपनी बात बयान करना शुरू कि है और अब आपने जो है ना वो आप का आप इनपेशेंट हो रहे हैं या आपको गुस्सा आ रहा है या आप बहुत ही एक डिप्रेशन में जा रहे हैं यह बात सुनते हुए तो इस तरह तो व अपनी बात नहीं सुनाएगा तो आपको अपना सेल्फ कंट्रोल और अटेंशन यह सब आपने मेंटेन करनी तो पांचवा स्टेप था अटेंट लिसनिंग विद सेल्फ कंट्रोल छठा स्टेप यह है देखि जब हम सुन रहे हैं ना तो मैंने जैसे शुरू में काउंसलिंग के बारे में यह कहा था कि यह नॉन जजमेंटल लिसनिंग थेरेपी है यह काउंसलिंग को मैंने जब बिल्कुल शुरू में डिफाइन किया था कि मैं काउंसलिंग को कैसे डिफाइन करता हूं अच्छा काउंसलिंग की बहुत सारी डेफिनेशन एजिस्ट करती हैं लेकिन ई आरडीसी की जो अप्रोच ऑफ काउंसलिंग है उसको मैंने शुरू में आज की गुफ्तगू में डिफाइन किया था कि हमारी अप्रोच ऑफ काउंसलिंग क्या है और एक और बात मैं बताऊं कि सोसाइटी का के जो असल प्रॉब्लम्स है वो काउंसलिंग से सॉल्व नहीं होंगे वो मेंटरिंग से होंगे ठीक है उसकी भी अभी इस वक्त में तफसील में नहीं जा सकता तो जो छठा पॉइंट है हमारे फ्रेमवर्क में वह यह है कि जब हम सुन रहे हैं तो नॉन जजमेंटल हो रिमन नॉन जजमेंटल उसको बुरा समझने या उसको गलत समझने से गुरेज करें उसकी नियत पर डाउट ना करें उसकी नियत पर ऐतबार करें उसको शर्मिंदा ना होने दें अभी थोड़ी देर पहले मैंने कहा कि कोई बंदा यह कहे कि सर मैं तो बहुत अटेंट लिसनिंग करता हूं तो मैंने यह कहा कि उसका प्रूफ यह है कि जिसको आप लिसन कर रहे हैं उसको य जरूरत ना पड़े कि व यह कहे कि मैंने यही तो अभी बात बताई थी आपको आप भूल गए यह उसका सबसे प्रैक्टिकल आउटकम है अगर आपका यह दावा है कि आप अटेंट लिसनिंग करते हैं लेकिन वह यह महसूस करता है कि उसने जो बताया था आपके जहन में ही नहीं है तो इसका मतलब है अटेंट लिसनिंग नहीं है बिल्कुल इसी तरह से यह जो छठा पॉइंट है नॉन जजमेंटल लिसनिंग इसका प्रूफ क्या है प्रैक्टिकली या इसका इंडिकेटर क्या है इसके इंडिकेटर यह है कि सामने वाले को शर्मिंदा ना होने दे और यह जो बात मैं कह रहा हूं इसके लिए मैं तीन चार बातें पहले दूसरी की है यानी मैं जब सुन रहा हूं तो जजमेंट नहीं कर रहा यानी उसको बुरा समझना उसको गलत समझना या उसकी नियत पर शक करना यह नहीं कर रहा उसकी नियत पर तबार कर रहा हूं और उसको शर्मिंदा नहीं कर रहा इसके नतीजे में वह शर्मिंदा महसूस नहीं हो रहा मतलब यानी बात समझ आ रही है वह रिलैक्स है वह अपना वह कंफर्टेबल है अगर वह कंफर्टेबल नहीं हो रहा और अगर वह शर्मिंदा फील कर रहा है तो उसको रिलैक्स किया जाए सातवा स्टेप यह है कि प्रॉब्लम के जाहिरी एस्पेक्ट तक महदूद ना हो बल्कि उसकी मुमकिन वजू हात पर गौर करें जो भी मसला है अब यह वजू हात आपके जहन में चल रही है आप बयान नहीं यह मैंने यह कहा कि उसकी वजू हात बयान करें यह मैंने नहीं कहा है मैंने यह कहा है कि मसले के जाहिरी पहलू तक ना रहे बल्कि मसले की जो मुमकिन वजू हात है उस पर गौर करें ठीक है मैंने यह नहीं कहा कि वह मुमकिन वजू हात बयान करें मैं यह कह रहा हूं उन पर गौर करें अब इस स्टेज पर अगर आपके पास नोटबुक भी है तो बहुत अच्छी बात है और यह भी भी आप कंसेंट से कर सकते हैं कि भाई मैं नोटबुक लेकर आप एक नोटबुक के साथ बैठे हैं और आप उन चीजों को नोट डाउन कर रहे हैं आपके स्पाउस आपकी नोट टेकिंग को माइंड नहीं कर रहा और आप अपना कुछ वर्क कर रहे हैं जिसमें आपके ख्याल में क्या मुमकिन वजू आत है आठवा स्टेप यह है कि उस मसले पर गौर करने में आप उसकी मदद करते हैं और उसकी मदद कैसे करते उसकी मदद कुछ सवालात मैं आपसे शेयर कर रहा हूं जिससे जो समझ ले कि इन सवालों को जैसे अगर मैं यह कहूं कि इनेबलिंग क्वेश्चन है मतलब यह वह सवालात हैं कि जिससे आप यानी उसके रिफ्लेक्शन रिफ्लेक्टिव प्रोसेस को इनेबल करेंगे आप या एक्टिवेट करेंगे आप इंशाल्लाह बड़े सिंपल से सवालात यानी वह मसला उसने आपको बताया है इस मसले पर वह खुद गौर करे उसमें मैं उसकी मदद कैसे करूं उसके लिए मैं कुछ क्वेश्चन ये जो एथ पॉइंट है उसमें मैं बयान कर रहा हूं इसमें सबसे काम का सवाल जो है ना जिसको मैं मिलियन डॉलर क्वेश्चन कह ले वैसे तो अच्छा नहीं लगता कि किसी इल्मी नुक्ते को पैसों में तोला जाए लेकिन वह मतलब ऑडियंस की नफ्स मजबूरियों का लिहाज करते हुए ऐसी मिसाले कभी-कभी देनी पड़ती तो अल्लाह मुझे माफ करे तो जैसे वो मिलियन डॉलर क्वेश्चन जैसे उसने अपना मसला आपको बयान किया और आपने उससे कहा कि आपके ख्याल में आपके मसले आपके ख्याल में इस मसले में क्या करना चाहिए आपने यहां से स्टार्ट किया आपके ख्याल में अच्छा आपके ख्याल में इस हवाले से क्या करना चाहिए जैसे ही आप उससे सवाल करेंगे ना इससे पहले वह सिर्फ प्रॉब्लम शेयर कर रहा था और यूजुअली बहुत सार लोग जब प्रॉब्लम का शिकार होते हैं तो प्रॉब्लम सॉल्विंग अप्रोच में नहीं होते वो प्रॉब्लम सॉल्विंग माइंडसेट में नहीं होते उस टाइम पर लेकिन जैसे ही कोई बंदा उन्हें नॉक करता है और कहता है और यह स्टेज उस वक्त आएगा जब उसे यह लगे कि मेरे प्रॉब्लम को अच्छी तरह इन्होंने सुन लिया है समझ लिया उसके बाद जब वह सामने वाला कहता है ना कि अच्छा आपके ख्याल में आपको इस मसले में क्या करना चाहिए तो जैसे ही वो सवाल करेंगे ना तो पहली दफा इस सवाल के रिस्पांस में वो उस मसले पर गौर करते हैं और यह वही चीज है जैसे मैंने कहा ना कि हम उसको उसके इल्म और शऊर में इजाफा नहीं कर रहे बल्कि उसकी जो एसिस्टिंग सतए शऊर या सता इल्म है जो उसका लेवल ऑफ शऊर और इल्म है उसको यूटिलाइज करवा रहे हैं कि भाई तुम अपने लेवल ऑफ शऊर और इल्म को यूटिलाइज करके अपने प्रॉब्लम को सॉल्व करो तो जैसे ही आपने उससे कहा आपके ख्याल में आपको इस मसले के हल के लिए क्या करना चाहिए यह कैसे हल होगा तो एकदम वो दूसरे माइंड सेट में गया और प्रॉब्लम सॉल्विंग माइंड सेट में गया और उसने कुछ सोचा और वह बताना शुरू करेगा और जब वह बताना शुरू करेगा तो अब आप दूसरे सवालात कर सकते हैं और दूसरा सवाल यह है कि जब उसने अब उसके जवाब में कुछ कहा तो आप दूसरा सवाल यह है कि हां आपको क्या लगता है क्या इस तरह मसला हल हो जाएगा आपका क्या ख्याल है और इसके अंदर कोई जैसे बायस नजर नहीं आना चाहिए इस लहजे में बिल्कुल एक खैर ये मैं शायद ज्यादा एक्सपेक्ट कर रहा हूं मैं अभी यही सोच रहा हूं कि आप बस अभी इनको नोट कर लें इन परे सोचिए अ अल्लाह आपके लिए आसानी करें जैसे उसने आपने पहला सवाल यह किया ना कि भाई आपके ख्याल में आपको क्या करना चाहिए दू अब उसने कुछ जवाब दिया तो आपने कहा कि आपका क्या ख्याल है मतलब आप क्या समझते हैं किस हद तक ये प्रॉब्लम इस तरह सॉल्व हो जाएगा या क्या इससे सॉल्व हो जाएगा तो जब आप यह सवाल करेंगे ना तो फिर वह अगर उसका रिस्पांस ठीक नहीं है तो व अपने रिस्पांस को अब उसने जो सलूशन दिया है उसको इवेलुएट करेगा इसी तरह अब अगर आपको लगता है कि वह उस प्रॉब्लम की डीप डेप्थ में नहीं गया है तो फिर आप उससे पूछ सकते हैं कि आपके ख्याल में इस मसले की कॉसेस क्या है इसकी मुमकिन वजू हात या असबाब क्या है यह आपने उससे पूछा अब व खुद ही बयान करेगा मेरे ख्याल में इसकी यह वजू हात है और बहुत सी दफा जो वजू हात वह बयान करेगा मुमकिन है व आपने ना सोची हो असल में मैं य देखता हूं कि बहुत से लोग अपने मसले को बहुत डेप्थ में समझते हैं लेकिन वह प्रॉब्लम सॉल्विंग माइंडसेट में नहीं होते ऐसा नहीं है कि व प्रॉब्लम को समझते नहीं है व प्रॉब्लम को समझते हैं लेकिन उनके ख्याल में उनके प्रॉब्लम को सॉल्व किया नहीं जा सकता और वह अपने प्रॉब्लम को सॉल्व करने की कोशिशें इनिशिएटिव प्रॉब्लम है कि वह अपने प्रॉब्लम की जो कॉसेस है अंडरलाइन कॉसेस उनको आइडेंटिफिकेशन कैसे ले सकते हैं अल्लाह से मदद कैसे हासिल की जाए इस मामले में अल्लाह की मदद हासिल करने के लिए हमें क्या करना चाहिए इस मामले में क्या अल्लाह की मदद के बगैर हम अपना कोई मसला हल कर सकते हैं अगर नहीं कर सकते तो इस मसले में अल्लाह की मदद हमें कैसे हासिल करनी होगी क्योंकि यह जो सारी बातचीत हो रही है ना मैं ये खास अपने यानी हम अपने दीन के वर्ल्ड व्यू में इस पूरे प्रॉब्लम को देख रहे हैं ना तो मतलब हम तो अपने अपने ईमान तनाज में इस मसले को सॉल्व करेंगे या यह भी एक एस्पेक्ट है तो यह ये एथ स्टेप वो था कि उस मसले पर वह खुद गौर करें उसमें उसकी मदद की जाए तो यह जैसे उसको हमने फैसिलिटेट किया ठीक है ये एथ पॉइंट था और यहां तक पहुंचते पहुंचते इंशा अल्लाह उम्मीद है कि चीजें बहुत बेहतर हो चुकी होंगी बल्कि जब आप उसको ठीक से सुनेंगे तो ही मसला हल हो चुका होगा इंशाल्लाह जैसे मैंने कहा कि काउंसलिंग जो है वो मेनली नॉन जजमेंटल लिसनिंग थेरेपी है तो वो काफी हद तक तो वहीं पर अल्हम्दुलिल्लाह सॉल्व हो चुका होगा अब नाइंथ जो स्टेप है वो एक्चुअली अब जैसे कुछ एहतियात हैं नाइंथ स्टेप यह है कि अब इस बात का किसी से जिक्र नहीं करना है राज की हिफाजत करनी है उसको यह खौफ नहीं होना चाहिए कि आपने यह मसला किसी और को भी बयान किया है बहुत से लोग ना वह मसला लोगों को बताते हैं और फिर यह कहते हैं देखो उसने मुझे मना किया था यह बात किसी से नहीं बतानी थी मैं सिर्फ तुमको बता रहा हूं तुम किसी को नहीं बताना और यह अब किसी को नहीं बताना उसने मना किया था अजीब सी हरकतें करते हैं हम देखि बाज औकात मेरे पास कोई आता है और उसने अपना प्रॉब्लम बयान करता है और वय एक्सपेक्ट करता है कि मैं उसका मसला किसी से बयान ना करूं अगर वो मेरा अगर मैं एज अ प्रोफेशनल काउंसलर देखि मेरी दो कैपेसिटीज है एक मेरी मैं अपनी पर्सनल एग्जांपल दे रहा हूं एक मैं प्रोफेशनल काउंसलर हूं कुछ लोग आते हैं जिनको मैं नहीं जानता वो मुझसे टाइम लेते हैं अपॉइंटमेंट लेते हैं और वह काउंसलिंग सेशन बुक होता है और फिर वह घंटा डेढ़ घंटे का सेशन होता है वह एक अलग मामला है वह मेरे और उनके दरमियान है जैसे बैंक अकाउंट है ना वह उनके और मेरे दरमियान रहता है वह कहीं से कहीं और नहीं जा सकता फिर कुछ वो है जो मेरी फैमिली के अंदर या मेरे दोस्तों में या मेरे बिल्कुल करीबी ताल्लुक कोई बंदा है अपना प्रॉब्लम शेयर करता है अब उसमें दो सिनेरियो है वह प्रॉब्लम जो मुझसे शेयर कर रहा है मुझे उसकी कॉन्फिडेंशियल्टी और राज को मेंटेन करना है लेकिन कभी-कभी ऐसा होता है जैसे मुझे यह लगता है कि यह यह मामला जो है मैं यानी जिस बंदे ने मुझसे कोई प्रॉब्लम शेयर किया अब मेरी फैमिली के किसी बंदे ने अपना कोई प्रॉब्लम शेयर किया और उसमें उस प्रॉब्लम में दूसरे लोग भी सपोज इवॉल्व है बिल फर्ज तो मुझे यह जरूरत महसूस होती है कि मैं इस परे लॉन्ग टर्म सलूशन पर काम करने के लिए मुझे यह लिबर्टी चाहिए और मुझे यह कॉन्फिडेंस चाहिए और मुझे यह ऑटोनोमी चाहिए कि जिस बंदे ने अपना प्रॉब्लम मुझसे शेयर किया है वह मुझ पर यह ट्रस्ट करें कि मैं इस मामले को जिस हद तक जिससे डिस्कस करना होगा वह मैं करूंगा इस प्रॉब्लम को सॉल्व करने के लिए क्योंकि अगर वो मुझे यह ऑटोनोमी नहीं देगा तो मैं प्रॉब्लम को सॉल्व नहीं कर सकूंगा और और कभी ऐसा होगा कि मैं 100% उस मामले को राज में रखूंगा तो यह चीज अगर वो बिल फर्ज मेरे पास कोई बंदा आया और मैं कहूं ठीक है आप आपका आप इस वजह से कह रहे हैं कि यह बात फला को पता ना लगे ताकि आपको आपको कोई प्रॉब्लम ना हो तो ठीक है मैं आपको यह कॉन्फिडेंस देता हूं कि आपको प्रॉब्लम नहीं होगी लेकिन आप मुझ पर ट्रस्ट करें कि मुझे अगर इस मामले को सॉल्व करने के लिए किसी से शेयर करना है तो मैं जिसे जिससे जरूरी समझूंगा बेहतर समझूंगा उससे शेयर करूंगा लेकिन आपको प्रॉब्लम नहीं होगी तो यह एक सिनेरियो है और दूसरा सिनेरियो यह है कि मैं उससे कहूं कि ठीक है आप आपका प्रॉब्लम बिल्कुल मैं कमिट करता हूं कि य दिस विल रिमन बिटवीन अस यह किसी के पास भी नहीं जाएगा तो वह मामला जिसके बारे में वह एक्सपेक्ट कर रहा है कि मामला किसी के पास नहीं जाएगा वह तो 100 पर राज में ही रहना चाहिए उसमें तो आप किसी से शेयर नहीं कर सकते यह बात समझ आ रही इसका ख्याल रखना बड़ा जरूरी है अगर आपने वो मामला कहीं और डिस्क्लोज किया तो अब आप इस पोजीशन में कभी भी नहीं रहेंगे कि आप उसकी काउंसलिंग मतलब यह बहुत फिर मुश्किल बात है फिर वह आप पर ट्रस्ट नहीं करेगा आप फिर उसकी काउंसलिंग नहीं कर सकते फिर थ स्टेप यह है कि उसको दुआ दीजिए यानी उस आपकी जबान से उसको अपने लिए कलमा खैर सुनना चाहिए हिकमत जो है ना स्पेसिफिक दुआ देने के लिए किसी को उसके मुंह पर दुआ देने के लिए और स्पेसिफिक दुआ देने के लिए हिकमत चाहिए बहुत हिकमत चाहिए देखें आप अपनी बीवी या अपने शौहर के लिए रात की तन्हाई में तहज्जुद में कहे कि या अल्लाह उसको अकल दे या अल्लाह उसे हिदायत दे आपने अल्लाह से कह दिया कोई बात नहीं उसने सुना नहीं अच्छा हुआ उसने नहीं सुना लेकिन अगर उसने सुन लिया ना कि आप अल्लाह से कह रहे हैं कि इसको अकल दे इसको हिदायत दे तो नाराज हो जाएगी या नाराज हो जाएगा कहेगा अच्छा तुम मुझे बिल्कुल बेवकूफ समझते हो अल्लाह से मेरी अकल और हिदायत के लिए दुआ मांग रहे हो मैं क्या बिल्कुल गुमराह हूं तो अब यह दुआ मुंह पर नहीं दी जा सकती अच्छा वैसे मुंह पर भी दे तो यह कोई गलत दुआ नहीं है लेकिन हिकमत का तकाजा यह है कि आप यह दुआ जैसे सुनने में उसे सुनने में ऐसा लग रहा है जैसे तुम मुझे बिल्कुल नालायक समझते हो तो अब सुनने में यह दुआ कुछ और मतलब यानी कहने का मतलब यह है किसी को मुंह पर दुआ देना और वह बहुत स्पेसिफिक किस्म की दुआ देना जिसका उस प्रॉब्लम से भी कोई यानी वह उस प्रॉब्लम के साथ भी रिलेट करती हो और स्पेसिफिक भी हो इस लिए हिकमत चाहिए अल्लाह से अपने लिए भी हिकमत मांगनी चाहिए हमें बहुत ज अपने लिए तो सबसे ज्यादा मांगनी चाहिए तोव हम उसको दुआ दे और तन्हाई में उसके लिए दुआ करें दोनों चीजें मतलब यह थ स्टेप है यानी अगर आप उसके लिए तन्हाई में दुआ नहीं करते तो सच्ची मोहब्बत जो है ना उस यानी सच्ची मोहब्बत जैसे किसी के लिए कुर्बानी से मशरू है तो जो तन्हाई में दुआ है ना मैं अपना वक्त तुम्हारी मोहब्बत में अल्लाह के साथ मतलब यानी मैं अल्लाह से दुआ कर रहा हूं तो मैं यानी तन्हाई में भी तुम्हें याद रखता हूं और अल्लाह से तुम्हारा मामला बयान करता हूं और अल्लाह से मुलाकात में तुम्हारा जिक्र करता हूं तुम्हारी मुश्किल बयान करता हूं अल्लाह से तुम्हारे लिए मदद लेता हूं यह भी एक मतलब बहुत अहम बात है ना मतलब आप अल्लाह से मुलाकात में अपनी आप किसी बादशाह से मिले हैं अपनी ही नीड्स बयान करके वापस आ जाएं लेकिन आपने कहा मैं अपने दोस्त की भी नीड्स बयान करूंगा उसके भी प्रॉब्लम्स बयान करूंगा उस थोड़ी सी मुलाकात में और अगर इसके लिए मुलाकात का दौरा निया बढ़ाना हुआ तो ज्यादा बढ़ा लूंगा यानी 10 मिनट तो मुझे अपने लिए चाहिए तुम्हारे लिए भी 5 मिनट चाहिए तो 15 मिनट लगाऊंगा तो यह एक मतलब जज्बे की बात है मोहब्बत की बात है सबसे सच्ची और सबसे खालिस मोहब्बत जो है ना अगर कोई इंसान यह चेक करना चाहे कि मुझे किसी इंसान से मोहब्बत है या नहीं है तो उसको यह देखना चाहिए कि वह इंसान मुझे अपनी दुआओं में याद रहता है इसी तरह अगर कोई यह चेक करना चाहे कि मुझे अल्लाह से मोहब्बत है या नहीं है तो उसको यह देखना चाहिए कि मुझे हर खुशी और हर गम और हर प्रॉब्लम में यानी अच्छे वक्त में भी और बुरे वक्त में भी अल्लाह आसानी से याद रहता है और याद आता है अल्लाह ताला आसान करे माल उस वक्त फित बनता है जब हम माल की प्रेजेंस में अल्लाह को भुला देते हैं तो बाज औकात अल्लाह थोड़ा-थोड़ा माल देता रहता है और फिर अपनी याद भी साथ में अता कर देता है तो बस अल्लाह उतना ही माल दे जो उसकी याद से हमें गाफिल ना होने दे तो यह थ स्टेप था दुआ उसको देनी है और तन्हाई में उसके लिए दुआ करनी है और थ स्टेप जो है ना वह एक्चुअली मेंटरशिप का दरवाजा वहां से खुलता है जो 11थ स्टेप है वो जरा सा वो काउंसलिंग के स्कोप से बियोंड है लेकिन मैं ने वो 11थ इसलिए लिखा है क्योंकि एक एक अच्छा का अगर फर्ज कीजिए कि हम मेंटर की सतह पर अल्लाह हमें ले आए तो फिर वह मेंटरशिप का दरवाजा इस थ पॉइंट से खुलेगा मतलब वह जैसे आपके साथ एक सेशन हुआ है तो अब वह कुछ चीजें समझ आएंगी तो व 11थ स्टेप यह है कि उसके शऊर और उसके तनाज और उसके ईमान की जरूरियत का अंदाजा कर लीजिए इस बात का भी अंदाजा कर लीजिए कि उसको किस उसको मतलब किन सलाहियत की जरूरत है किस इल्म की जरूरत है अपनी लाइफ में किन तब्दीलियां की जरूरत है किस इस्लाह की जरूरत है क्या कुछ सीखने की जरूरत है तो अब जैसे एक इसके लिए दुआ भी किया जाए इसके लिए फैसिलिटेट भी किया जाए इसके लिए कोशिश भी की जाए इसके लिए अपने ताल्लुक और अपनी अपने ताल्लुक से एक तरबियत और इस्लाह के अमल को इनेबल भी किया जाए तो यह जैसे एक मेंटरशिप का प्रोसेस है जो इनेबल हो सकता है लेकिन यह एक बहुत आगे की बात है मतलब मुमकिन है कि अभी आप खुद ही इस जगह पर ना हो तो अभी बहरहाल यह तो मैं इस पॉइंट को इसलिए मैंने बयान कर दिया कि जैसे लिस्ट कंप्लीट हो जाए यह एक कंप्रिहेंसिव चीज हो जाए बाकी अल्लाह बेहतर करें तो यानी आपने ये अंदाजा किया कि भाई पैराडाइम शिफ्ट होने की जरूरत है या शूर की इलाह होने की जरूरत है या ईमान कमजोर है इस वजह से यह प्रॉब्लम हो रहे हैं तो ईमान ठीक होने की जरूरत है या सलाहियत की कमी है इसको ठीक होने की जरूरत है या लाइफ की आदतें खराब है या लाइफ की लाइफ स्टाइल गलत है उसको करेक्ट होने की जरूरत है तो यह जैसे सारी चीजें काउंसलिंग के स्कोप से बहुत आगे की है मतलब ये काउंसलिंग की छड़ी से यह सारे इतनी बड़ी चीजें हाकी नहीं जा सकती तो यह तो एक बड़ी एक्सरसाइज है और एक लॉन्ग टर्म प्रोजेक्ट है एक्चुअली ये मेंटरशिप के स्कोप में है ठीक है तो अल्लाह ताला आसान करे मैं मेरी गुफ्तगू कंप्लीट हो गई आज की नशत में चार हिस्से थे सबसे पहले मैंने बात की कि काउंसलिंग क्या है और स्पाउस की काउंसलिंग से क्या मुराद है फिर मैंने कुछ सेल्फ असेसमेंट की एक्सरसाइज की जो दो स्टेजेस में थी उसके बाद फिर मैंने उन रीजंस पर बात की के और 13 रीजंस थी मोस्ट कॉमन रीजंस जिसमें स्पाउस अपना प्रॉब्लम अपने स्पाउस से क्यों शेयर नहीं करता उसकी 13 मोस्ट कॉमन रीजन मेरे ख्याल में क्या है और फिर उसके बाद स्पाउस की काउंसलिंग के लिए या यानी स्पाउस एक दूसरे के काउंसलर बने उसके लिए पॉसिबल फ्रेमवर्क क्या है उसके मैंने कुछ 11 स्टेप्स बयान किए तो यह सब आज की गुफ्तगू मेरा ख्याल है अल्हम्दुलिल्लाह मेरी तरफ से मुकम्मल हो गई अब आपके जहन में कोई सवालात है तो बहुत अच्छा होगा सवाल कीजिएगा सर मेरा एक क्वेश्चन के हमने जैसे आज जो चीज आपसे सीखी है तो इनको अंडरस्टैंड कर रहे हैं लेकिन हम दूसरे स्पाउस दूसरे पार्टनर को हम यह बात कैसे समझाए कि यह हमारी लाइफ में कमी है और इसको कंप्लीट होना चाहिए और ये उसके मेथड्स है क्योंकि वो बात सुनने को ही तैयार नहीं है और इसके अलावा यह कि मैंने अपने इर्द में एक्चुअली बहुत लोगों के ऐसे मिसाइल सुनती हूं जैसे मेरी मुलाकात में जो खवातीन है उनके ये मिसाइल बहुत ज्यादा है कि हस्बैंड हमें टाइम नहीं देते वो बात नहीं सुनते अपने प्रॉब्लम्स के साथ खुद ही लड़ रही है तो हस्बैंड को एहसास कैसे दिलाया जाए कि उनको यह सीखने की जरूरत है और यह समझने की जरूरत है पहला सवाल आपने यह कहा कि हस्बैंड को यह एहसास कैसे दिलाया जाए जब वह कुछ सुनने के लिए तैयार नहीं है दूसरा फिर आपने माश में और लोगों की परेशानी को भी आपने बयान किया कि वह माश में यह मसला है तो वह कैसे ठीक किया जाए सबसे पहली बात यह समझिए कि जो इंसान आपको सुनना नहीं चाहता उसको आप कुछ समझाना चाहती हैं पहला सवाल यह है ना कोमल साहेबा वो सुनना नहीं चाहता आप समझाना चाहती हैं तो इस कोशिश का रुख तब्दील कर ले आपकी कोशिश सिर्फ यह हो के अगर मैं यह अगर मैं उससे यह पूछूं यानी इन साहिबा से या अपनी बीवी से बातें करना तुम्हें अच्छा लगता है सिर्फ यह सवाल करूं अगर और जब तक इसका जवाब यस में नहीं आ जाए तब तक आगे नहीं बढ़ेगा यानी यह जो सवाल है ना वह हमें सुनना नहीं चाहते और हम उन्हें यह बात कैसे समझाएं इस सवाल के अंदर यह एमन मौजूद है कि जैसे कोई सुनना तो नहीं चाहता लेकिन अगर कोई सामने वाला सुनना ना भी चाहे तो भी मैं चाहूं तो उसे समझा सकता हूं उसका कोई तरीका बता दीजिए वो सुनना तो नहीं चाहते लेकिन मुझे कोई ऐसा तरीका बताइए कि मैं समझा दूं तो मैं यह बात कर रहा हूं कि ऐसा तरीका एजिस्ट नहीं करता आपको करना यह होगा कि इस मैं एक और सवाल कर रहा हूं कि उनसे अगर यह पूछा जाए कि क्या आप की बेगम आपको सुनना चाहती क्या आपकी बेगम आपको समझती हैं क्या आपकी बेगम आप पर ट्रस्ट करती हैं तो इसका जवाब पॉजिटिव में आ जाए अच्छा अब हो सकता है कि आज के सेशन में बहुत से लोग यह सोच रहे हो कि सर यह बात आप हमें कह रहे हैं यह तो उनको सुननी चाहिए अगर आज के वेबीनार में आपके दिल में यह बात बात आई कि यह बातें तो मेरे शौहर को सुननी चाहिए थी या मेरी बीवी को सुननी चाहिए थी तो आपको इस वेबीनार का फायदा नहीं होगा आपके लिए तो यही बेहतर है कि आप हर बात को अपने ऊपर रखें और अपने लिए सुने ठीक है तो इस असल में हो यह रहा है कि दूसरे को समझाने की कोशिश में कुछ भी नहीं हो पा रहा मतलब अभी तक तो यही कोशिशें हो रही थी कि वो समझ ले वो समझ ले तोव तो सुनना ही नहीं आ रहे तो समझेंगे कैसे वो उस वक्त वो उस वक्त समझेंगे जब हम उन्हें समझेंगे वो उस वक्त समझेंगे जब हम उन्हें सुनने की कोशिश करेंगे जब हम उनके प्रॉब्लम को समझेंगे जब हम अपना रिलेशनशिप बेहतर बनाने की कोशिश करेंगे यानी अगर मैं यह कहूं कि उनको समझने की कोशिशें बढ़ा दीजिए उनको समझाने की कोशिशें थोड़े अरसे के लिए छोड़ दीजिए ताल्लुक इसके नतीजे में बेहतर हो जाएगा इंशाल्लाह चीजें बेहतर हो जाएंगी अभी इस वक्त यह सूरते हाल है आपने सोसाइटी की बात की मैं सोसाइटी के बारे में आपको बताऊं कोमल साहेबा इस वक्त सूरते हाल यह है कि हमारी सोसाइटी में बहुत सारे लोग बल्कि मेरे पास लोग काउंसलिंग के लिए आते हैं और वह बताते हैं कि वह जैसे अपने शौहर का या अपनी बीवी का प्रॉब्लम यानी उनके साथ ताल्लुक नहीं है और बहुत प्रॉब्लम है और रिलेशनशिप के चैलेंज हैं और वह पूरी तफसील से मैं मतलब उनका प्रॉब्लम सुनता हूं और फिर उसकी एनालिसिस करते हैं तो फिर बात बा बातों में जब हम यह पता करते हैं कि आप खुद क्या करते हैं तो पता यह लगता है कि वह खुद रिलेशनशिप काउंसलर है या खुद वह यही काम करते हैं यानी इस वक्त सोसाइटी में यह सूरते हाल है कि बहुत से लोग हस्बैंड वाइफ रिलेशनशिप या रिलेशनशिप के ऊपर दुनिया की मदद कर रहे हैं लेकिन उन्हें खुद अपने यानी अपने शौहर या अपनी बीवी के साथ अपने ताल्लुक को ठीक करने की जरूरत है तो ये जो सोसाइटी की सूरते हाल है यह भी बिल्कुल सही आपने कहा सोसाइटी की सूरते हाल ऐसी ही है अब इसमें सोसाइटी की मदद ऐसे होगी कि हम अपनी मदद करना शुरू करें हर इंसान अपने हिस्से का काम करें और उसको यानी अगर हर इंसान अपने ताल्लुक को ठीक करने में आगाज करेगा तो यह मामला बेहतर होगा मैंने वह जो सेल्फ असेसमेंट क्वेश्चंस किए थे ना कोमल साहेबा अगर आप वो नौ सवालात जो है ना अगर फर्ज कीजिए कि यह सवालात आपके शौहर से पूछे जाए के क्या आपकी बीवी ने कभी अपनी गलती पर शर्मिंदा हुई और उन्होंने माफी [संगीत] मांगी या क्या आपके राज को राज ही रखा या आप पर एतमाद किया यानी असल में हम यह देखें कि जो चीजें हम उनसे एक्सपेक्ट कर रहे हैं हमसे अगर एक्सपेक्ट की जाए तो हम कितना उनको पूरा कर सकते हैं अभी सिचुएशन यह है कि बहुत से लोग दूसरे बंदे की उन चीजों पर नाराज है जिनमें वह खुद भी मुब्तला है यह इस वक्त का बड़ा प्रॉब्लम है और अल्लाह यह मसला हल करने में मदद करे मेरा सवाल यह है कि मेरे मिजाज के अंदर बहुत सारी खामिया है जिनका मुझे बहुत अच्छी तरह से अंदाजा है और मैं उस पर गाहे बगाहे काम करती रहती हूं लेकिन मैं उसमें फेल हो जाती हूं जैसे फॉर एग्जांपल एक शॉर्ट टपस गुस्सा बहुत जल्दी आ जाना चीजों को हर है माइक्रो मैनेजमेंट में रहना तो इसकी वजह से मैंस के साथ चीज डिस्कस करती हूं और वो मुझे इनका कोई सलूशन नहीं बताते कि इसको कैसे करना चाहिए ल व कभी कभी इसको समझ जाते हैं और मेरे साथ कंप्रोमाइज करने की एडजस्ट होने की कोशिश करते हैं लेकिन उसका फिर नतीजा अर य निकलता है कि हमारी बहुत सारी लड़ाइया हो जाती है जिसमें वो कहते हैं कि बस अब आपको समझाना बेकार हो गया आपको समझ ही नहीं आती यह सारे मसाइल आपके मतलब मुझे वही खामिया गवाते है जिसका मुझे पता है और फिर होता यह है कि मैं मजीद सेल्फ गिल्ट में चली जाती हूं और मैं अपनी उन चीजों को ठीक करने की बजाय हम बहुत डिस्टेंस प चले जाते हैं अच्छा जी ठीक है तो देखि आज का जो वेबीनार है ना व इस उसका मकसद यह नहीं है कि आपका स्पाउस आपका काउंसलर कैसे बने और अगर व नहीं बना तो यह मतलब उसको अपने स्पाउस को अपना काउंसलर कैसे बनाएं यह आज के वेबीनार का मकसद नहीं है बल्कि आज के वेबीनार का मकसद यह है कि आप अपने स्पाउस के काउंसलर कैसे बन सकते हैं और उसका प्री रेक्विरेमेंट और गुस्सा और मिजाज के मसले तो पहले तो इन पर काम करना होगा और इन कामों को जो आपने कहा कि आप यह एक्सपेक्ट कर रही हैं कि आपके शौहर आपकी मदद करें इन मसाइल के हल में आपने अपने मसले के हल में खुद काम करना है यानी हमारा तो काउंसलिंग का मॉडल भी यह है कि उसकी मदद करें कि वह अपनी मदद खुद कैसे करें तो यह तो का का मॉडल में हमने जो अपने काउंसलिंग के फ्रेमवर्क में बात रखी थी हमारी बहुत तफसील से वीडियोस है रिलेशनशिप के ऊपर देखें आज का जो मुझे अंदाजा हो रहा है कि आज का जो वेबीनार है ना यह असल में एक नेक्स्ट लेवल पर है यह रिलेशनशिप की बेसिक्स हमने काम कर लिया है अब हम काउंसलिंग के ऊपर जा रहे हैं तो यह थोड़ा सा एक नेक्स्ट लेवल पर है लेकिन अभी यह जो बात है ना आपने तो अपनी यानी जैसे आपने कहा कि मिजाज में या अपने जो भी मामलात हैं उनके ऊपर तो आपको खुद काम करना है अपनी अपनी एक सेल्फ असेसमेंट कीजिए आप यह देखिए कि आपकी टॉप थ्री कमजोरियां कौन सी हैं और उन कमजोरियों पर कैसे काम करना है उन कमजोरियों के बारे में यानी जो प्रॉब्लम आपको अपने अंदर नजर आता है उसकी रीजंस क्या है वह देखिए उन रीजंस पर कैसे काम किया जाए यह देखिए यह मसला हमारे अंदर पाया जाता है कि हम एक दूसरे से प्यार करते हैं हमें एक दूसरे का ख्याल भी है लेकिन हमारे अंदर यह मसला आता है कि हम एक दूसरे को जब हमें गुस्सा आ गया है और हम एक दूसरे को बोल देते हैं तो मुझे तो तब इतना लग रहा था कि जैसे या भी को बास बनाया गया तो मुझे इतनी उस बात पर बुरा लग रहा था कि यह हम एक दूसरे के साथ इस तरह से तब करते हैं और वही बातें वाकई जब हम अपने बचपन में थे तो तब वो अच्छी नहीं लगती थी अब ये ऑटोमेटिक मेरे अंदर कहां से आ गई यह बात मैं पहले भी सोचती हूं लेकिन आपकी बात के बाद मैंने जाना कि अगर इस तरह से आई है तो का हल तो मुझे कोई होना चाहिए तो अब यह कि इतने सालों से मसला चला आ रहा है मसाइल और भी थे जिसकी वजह से दूरियां हुई लेकिन अब यह है कि एक अहम मसला यह है कि अब अलहदा होते हुए पहले हम जॉइंट फैमिली थे तो चले और बहुत सारे इशू थे तो अब भी ये इशू आता है कि हम दो दिन अच्छे हैं और चार दिन अच्छे नहीं कोई भी बात हो गई है उसके बाद ना मैं बात कर रही हूं अब ये कंडीशन कि हम बात करते हैं उस कंडीशन से निकल आए कि पहले थे कि हम बात ही नहीं करते थे अब बात करते हैं आपस में काम चल रहा है हमारा काम चला रहे हैं लेकिन हम उस कंडीशन में ही है कि हमारी लड़ाई हो गई है ठीक देखिए अल्हम्दुलिल्लाह अनम साहिबा अच्छी बात यह है कि आपने इस पर सोचना शुरू किया कि आप यह सोच रही हैं कि मैं ऐसी बीवी कैसे बनी जैसी बनी मेरे अंदर यह या हमारे ताल्लुक में हम लिबास हैं अब यह जो यानी मियां बीवी एक दूसरे का लिबास है बिल्कुल ठीक है लेकिन अब गौर करने की बात यह है और यह सबको गौर करने की बात है कि यह लिबास अल्लाह करे कांटों वाला ना हो मतलब यह कांटों का लिबास ना हो बल्कि यह मतलब एक सॉफ्ट और एक रेशमी लिबास हो या कोई ऐसा जैसे कोई सॉफ्ट कॉटन का लिबास हो यह कांटों का लिबास ना हो यह मतलब इसकी फिक्र होनी चाहिए और दूसरी बात यह कि ये जो स्टार्टिंग पॉइंट है अल्हम्दुलिल्लाह आपको अल्लाह ने तौफीक दी कि आपने सोचना शुरू किया ये जो सोचना शुरू किया है ना यहां से ये टर्निंग पॉइंट है यहां से चीजें बेहतर होना शुरू होंगी पहले जैसे आपने कहा ना कि अब दो दिन ठीक रहते हैं चार दिन फिर गलत हो जाते हैं या चार दिन ठीक होते हैं फिर दो दिन गड़बड़ हो जाते हैं तो जब आप इस पर गौर करेंगी और इस पर सोचना शुरू करेंगी और इसके रीजंस पर गौर करेंगी तो इंशाल्लाह ताला यह फ्रीक्वेंसी यह ड्यूरेशन बेहतर हो जाएगी पहले आप दो दिन ठीक रहती थी और चार दिन फिर लड़ाई होती थी फिर यह ड्यूरेशन दो दिन की बजाय चार दिन ठीक रहेंगे और दो दिन लड़ाई होगी फिर छह दिन ठीक रहेंगे फिर आठ दिन ठीक फिर दो दिन तो वह ड्यूरेशन बेहतर होना शुरू होगा जब आप इस पर गौर करेंगी अल्लाह से दुआ मांगें और अपने अमल को ठीक करने की कोशिश करेंगी अपना इल्म इस हवाले से बेहतर बनाएंगी देखिए ई आरडीसी ने या जो हमने अब तक काम किया है हमने फैमिली बच्चों की तरबियत मियां बीवी से ताल्लुक अपनी नफ्स सेहत अपने शहर पर कैसे काम करें इसके ऊपर सैकड़ों लेक्चर मौजूद हैं बहुत तफसील से मौजूद मजूद है आप इसके ऊपर उठाइए और इस पर काम करती रहिए नोट्स बनाइए इस पर सोचिए अगले दिन इसको ट्राई कीजिए इंशाल्लाह आपको बिल्कुल अगले लमहे से आपको इंशाल्लाह फवाद महसूस होंगे इंशाल्लाह ताला एक और चीज मैं अनम साहिबा के सवाल के जवाब में कहना चाहूंगा बल्कि यह सब लोग इस सबके लिए अ है ये सिर्फ अनम साहिबा से बात नहीं हो रही सबके लिए आप सबको एक दफा यह सोचना चाहिए कि अगर मेरा शरीके हयात यानी जिस बंदे से मेरी शादी हुई है अगर यह मेरी जिंदगी में ना आता अगर यह मेरी जिंदगी में ना आया होता तो आज मैं कहां होती या कहां होता हर इंसान मर्द यह सोचे कि अगर यह औरत मेरी लाइफ में ना आई होती मुझे यह औरत ना मिली होती मेरी बीवी ना बनी होती आज मैं कहां होता इसी तरह बीवी भी यह सोचे कि अगर यह इंसान ना आया होता और फिर यह सोचे कि मेरी लाइफ में जितनी खैर इस इंसान की वजह से अल्लाह ने मुझे अता की है अगर वह सारी खैर मुझसे ले ली जाए मेरे पास एक खातून आई उन्होंने कहा सर मेरे शौहर ने मुझे यह मतलब उनकी वजह से मुझे प्रॉब्लम्स हुए या यह तकलीफें पहुंची तो मैंने उनसे यह कहा कि देखिए कुछ खैर तो वह है जो आपके शौहर से आपको मिला होगा ऐसा कोई खैर है तो उन्होंने कहा कि हां ऐसी भी कई चीजें हैं मेरे शौहर से मुझे बहुत सारी खुशियां और फायदे भी मिले हैं और यह खैर मिली है लेकिन यह तकलीफें भी मिली है तो फिर मैंने उनको यह बताया मैंने कहा आपकी जिंदगी में दो तरह के खैर आपके शौहर की वजह से आए एक तो खैर वो है जो शौहर ने डायरेक्टली आपको दिया है शौहर से मिला है आपको दूसरा वह है जो शौहर ने जहां जहां आपके साथ गड़बड़ की है ना अल्लाह ने उसको कंपनसेटर आपने उस पर सबर किया और अगर आपने उस पर अल्लाह से नाराज नहीं हुई तो अल्लाह ने आपको उसको कंपनसेटर के लिए कोई और आसानी आपकी लाइफ में की है तो इस बंदे की वजह से जितना खैर आपको मिला है दो तरह से मिला है यानी एक वह है जो तुमसे मिला है खैर और एक वह है जो तुम्हारी वजह से मुझे मिला है तुमसे नहीं मिला है यह बात समझ आ रही है अल्लाह ने तो कंपनसेटर है बंदे को अल्लाह ने तो इस दुनिया में भी कंपनसेटर है और आखिरत में भी कंपन सेटना है अगर बंदा अल्लाह से नाराज ना हो अगर बंदा अल्लाह से राजी रहे तो उसकी जिंदगी में जो मुश्किल भी आती है वो मुश्किल उसको किसी मतलब किसी बड़ी तकलीफ से बचाती है और उसको किसी खैर से जोड़ती है तो मतलब हम मतलब अल्लाह का शुक्र अदा कीजिए तो असल में होता क्या है कि बहुत से लोग अपने स्पाउस की तरफ से ना मतलब वह हमें यह देखने की जरूरत है कि अगर यह लाइफ में ना आता तो मैं कहां खड़ी होती या कहां खड़ा होता दूसरी चीज यह देखने की जरूरत है कि मेरी बीवी की वजह से क्या खैर और क्या खुशी मेरी लाइफ में आई है मिसाल के तौर पर एक साहब कहने लगे मेरी बीवी एक साहब मेरे पास आए उन्होंने कहा मेरी लाइफ में तो कोई भी खुशी कोई भी खैर मेरी बीवी की वजह से नहीं आई मैंने कहा भाई आई होगी फिर कहने लगे नहीं आई तो फिर मैंने कहा आप अब्बू बन गए हैं या नहीं बने हैं कहने लगे बन गया हूं मैंने कहा कितने बच्चों के अब्बू बने हैं कहने लगे चार बच्चों का बाप हूं मैंने कहा ये चार बच्चे आपकी जिंदगी में आए हैं ना और आप कह रहे हैं कि मेरी बीवी की वजह से मुझे किसी कोई खुशी मतलब तुम एक आम आदमी थे अब बाप हो बाप इस औरत की वजह से बने हो इस औरत को अल्लाह ने जरिया बनाया कि तुम्हें बाप बनने का शर्फ अता करे और तुम इस औरत का शुक्र अदा नहीं कर र तो अगर इस औरत ने कुछ भी ना किया होता और सिर्फ तुम्हें बाप बनने का शर्फ अता किया होता तो भी यह कोई मामूली बात नहीं है यह कोई मामूली चीज नहीं है तो यह जो नाशक का अमल है ना यह नाश सुकरी का अमल असल में जब हमें कोई राहत मिल है खुशी मिलती है कोई इनाम मिलता है कोई नेमत मिलती है तो वह थोड़ी देर याद रहती है और अगर हमें कोई तकलीफ या मुश्किल होती है तो वह सारी जिंदगी उसको लेकर बैठे रहते हैं तो मैं उनसे यह कह रहा था उन साहब से कि इस औरत की वजह से तुम्हारी जिंदगी में जो खैर आया है वह दो टाइप्स का है एक वह है जो डायरेक्टली इस औरत ने तुम्हें दिया है और एक वह है कि अगर फर्ज कीजिए तुमने इस औरत ने कोई तुम्हें तुमसे बदतमीजी की और तुमने सबर किया इस सबर के नतीजे में अल्लाह ने तुम्हारा कोई दर्जा बढ़ाया इस सबर के नतीजे में अल्लाह ने तुम्हारा रिजक खोल दिया इस सबर के नतीजे में अल्लाह ताला ने तुम्हें कोई नेमत अता की इस सबर के नतीजे में अल्लाह ताला ने तुम्हारी कोई परेशानी दूर कर दी इस सबर के नतीजे में अल्लाह ताला ने तुम्हें किसी मुश्किल से बचा लिया तो यह कोई छोटी खैर है क्या मुझे यह बता दो तो तुम्हारे स्पाउस की वजह से तुम्हारी जिंदगी में दो टाइप्स की खैर आई है एक वह है जो डायरेक्टली उनसे मिली है और एक वह है जो उनसे डायरेक्टली नहीं मिली लेकिन उनकी वजह से आपको मिली है आपको क्या पता कि आप कौन सी बीमारी से इस वजह से मैं बचा लिए गए क्योंकि आपने अपने शौहर या अपनी बीवी की गलत बात पर सबर किया था लिहाज अल्लाह ने कहा चलो ठीक है मैं इसको अपने बंदे को इधर कंपनसेटर होगा ना कोई कंपनसेशन तो हमें यह तो नहीं पता ना उस कंपनसेशन के ऊपर लिखा हुआ तो नहीं है ना कि आज जो आप ये इतनी आसानी से सांस ले रहे हैं उसकी वजह यह है कि आपने फला बंदे की यह तकलीफ बर्दाश्त कर ली थी और हम पर छोड़ दिया था कि हम आपके साथ क्या करें आपने अल्लाह पर छोड़ दिया था अल्लाह ने उसके जवाब में आपके साथ यह आसानी कर दी यह बात समझ आ रही तो पहली बात तो यह है कि हम यह देखें कि अगर यह औरत या मर्द हमारी जिंदगी में ना आता तो मैं कहां होता और मेरी जिंदगी में क्या-क्या खैर नहीं होती मैं किन किन खैरों से और खुशियों से महरूम रह जाता एक चीज तो यह देखें दूसरी चीज यह देखें कि इस पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा मार्जिन जिस इंसान को देना चाहिए यानी यानी कौन सा इंसान है जो सबसे ज्यादा मार्जिन डिजर्व करता है कौन सा वह इंसान है जिसकी बात को मतलब अगर मैं यह कहूं ना इस पूरी दुनिया में वह इंसान जिसकी बात का आपको आसानी से बुरा नहीं मानना चाहिए उसका नाम लिखें चले यह आप सब लोग अपने पास जरा उस आदमी का नाम उस औरत का या उस आदमी का उस बंदे का नाम लिखें जिसकी बात का आसानी से बुरा नहीं मानना चाहिए इस वक्त दुनिया में ए बिलियन इंसान है उनमें वह कौन सा बंदा होना चाहिए जिसकी जिसकी बात का मुझे आसानी से बुरा नहीं मानना चाहिए जिसको मुझे सबसे ज्यादा मार्जिन देना चाहिए जिसको मुझे सबसे ज्यादा अंडरस्टैंड करना चाहिए अकोमोडेटिव इंसान कौन हो इस वक्त लोगों ने इस वक्त जो दुनिया है ना इस वक्त लोगों ने उस इंसान वो जो इंसान जिसको बनाया हुआ है ना वह है जहां वह जॉब करते हैं ना वहां जो बॉस है ना उसको वह मुकाम दिया हुआ यह कुछ भी कहता रहे यह कुछ भी कहता रहे बस चूंकि यह माली और माशी फवाइव स्ता है लिहाजा इसकी सुनते रहेंगे लेकिन यह मार्जिन जो लोगों ने अपने बॉस को दिया हुआ है या क्लाइंट को दिया हुआ है य यह मार्जिन लोगों ने अपनी फैमिली को नहीं दिया तो यह मार्जिन लोगों को अपनी फैमिली को देना है अपने वालदैन को भी देना है अपनी बीवी और अपने शौहर को भी देना है और अगर हम अपनी बीवी और अपने शौहर को यह मार्जिन देते हैं तो उनके वालदैन को भी हम यह मार्जिन दे दें कि बस ठीक है हम इनकी बात को फील नहीं करेंगे बस ठीक है हम मतलब अपने अंदर अल्लाह मुझे यह हौसला अता करे कि मैं इनकी बात को फील ना करूं तो इस लेवल पर अल्लाह हमें लाए ठीक है सर आपने कहा है कि कासंग है ट नन जजमेंटल लिनिंग तो मेरा सवाल य है कि हाउ ट पॉसिबल ू स्टे नॉन जजमेंटल न प्रॉब्लम र स्पाउस शेर वि य डायरेक्टली अफेक्टिंग यू तो आप कैसे नॉन जजमेंटल रह सकते हैं अगर आपने एक बार सुना भी है उनकी प्रॉब्लम को जो आपको डायरेक्टली करने नन जजमेंटल रहे लेकिन ट रिपीटेशन होना शुरू हो जाए सेम प्रॉब्लम जो है वो रिपीट हो रही है एक दफा आपने माफ भी कर दिया जाने भी दिया है लेकिन ट इ मतलब वो रिपीटेशन आना शुरू हो जाए तो फिर आप कैसे नॉन जजमेंटल रह सकते हैं फिर वो आपको चीज कैसे इफेक्ट नहीं करती अच्छा यह अच्छा सवाल है देखि एक बात यह समझे के वो नॉन जजमेंटल मैंने यह बताया कि काउंसलिंग ये अमल है नॉन जजमेंटल लिसनिंग थेरेपी ये काउंसलिंग है और यह आसान बात नहीं है ठीक है ये इस लेवल पर आने से पहले अपने रिलेशनशिप को ठीक करना जरूरी है अगर किसी का रिलेशनशिप एजिस्ट ही नहीं करता और वह अपने शौहर का काउंसलर बनने की कोशिश करे तो यह नहीं हो सकता यह बात समझ आ रही है अभी तो अपने शौहर के साथ एक बेसिक लेवल पर अपना ताल्लुक बहाल करने की जरूरत है यह बात क्लियर हो रही है यह हस्बैंड वाइफ के रिलेशनशिप को कैसे बेहतर किया जाए कैसे बनाया जाए उसू तौर पर कैसा होना चाहि आइडियल रिलेशनशिप या जो भी एक अच्छा रिलेशनशिप हस्बैंड वाइफ का होता है वह कैसे बनता है और क्या होता है उसकी डिटेल्स मेरी दूसरी लेक्चर में है वह आज नहीं है आज मैंने उस पर बात नहीं की है यह बात क्लियर हो रही है वो हस्बैंड वाइफ रिलेशनशिप के ऊपर मेरे काफी सारे लेक्चर मौजूद है तो यहां पर जैसे अगर आपके शौहर ने या आपकी बीवी ने आपके साथ ज्यादती की है और वो एक अलग सिचुएशन है कि उसको कैसे वो ये एक अलग मौजू है तो उसमें नॉन जजमेंटल की अभी फिलहाल तो व एक अलग सिचुएशन है ना उसकी मैं अभी बात नहीं कर रहा था बहुत से लोग अपने हस्बैंड और वाइफ के जिस भी प्रॉब्लम में शिकार है ना वह मसला यह है कि मोहब्बत मौजूद होती है लेकिन मिजाज की खराबी होती है और बद मिजाजी के नतीजे में हम उसको हम उसकी उसकी मोहब्बत पर ट्रस्ट नहीं करते हम यह बहुत अगर हम इस बात में कामयाब हो जाए कि मुझे आपकी मोहब्बत में कोई शुबा नहीं है और मैं यकीन करता हूं और करती हूं कि आपको मुझसे मोहब्बत है मुझे भी आपसे मोहब्बत है लेकिन आपकी यह बात मुझे तकलीफ देती है यह बात हम उन्हें बताएं यह बात कब बतानी है कैसे बतानी है और इस बात को बताते हुए जो उनसे यानी जो जो पॉजिटिव है वह भी बताना है मतलब यह हमें सीखना है कभ य साबा के सवाल के जवाब में बता रहा हूं मतलब कभी-कभी क्या होता है के अपने शौहर से या अपनी बीवी से उसकी बद मिजाजी से जो तकलीफ पहुंची है वह हम उस तरह बताते नहीं है बस दिली में फील करते रहते हैं और फिर हम भी रिएक्ट करते हैं मतलब वह बद मिजाज है तो आप भी बद मिजाज हैं वह लड़ाई कर रहा है तो आप भी लड़ाई मतलब दोनों तरफ से एक खराब रवैए का मुजहरा हो रहा है और होना यह चाहिए कि उसके खराब रवैए पर उसको यह बताया जाए कि भाई आपका यह रवैया मुझे तक देता है यह बात उसे बतानी बताने की जरूरत है लेकिन यह बात कैसे बताई जाए यानी किस वक्त बताई जाए बा बाज लोग यह बात गलत वक्त पर बताते हैं तो असर नहीं होगा सही वक्त पर बताई जाए कैसे बताई जाए यानी यह बात गुस्से में और नाराज होकर ना बताई जाए बल्कि मोहब्बत के साथ बताई जाए और यह बात बताते हुए सामने वाले को यह बताया जाए कि मुझे आपकी मोहब्बत पर कोई शुबा नहीं है आप आप अच्छे इंसान है मैं आपको अच्छा इंसान समझता हूं या समझती हूं आप आपकी मोहब्बत पर भी मुझे यकीन है मुझे भी आपसे बड़ी मोहब्बत है लेकिन आपकी यह वाली बात मुझे तकलीफ देती है कभी-कभी जब आप यह बात ऐसे करते हैं तो मुझे तकलीफ होती है यह बात आप बता सकते हैं लेकिन यह बात कैसे बतानी है कब बतानी है किस मौके पर बतानी है और यह बात सिर्फ अपने शौहर को बतानी है और अच्छे रवैए में बतानी है यह बात बुरे अंदाज में नहीं बतानी कुछ लोगों ने क्या किया है कि यह बात अपने शौहर को बताने की बजाय दुनिया को बताइ है शौहर को यह बात बताने की बजाय अपने रवैए यानी वो बद मिजाज है तो हम भी जवाबन बदज अगर अगर शौहर से पूछा जाए या अगर बीवी से पूछा जाए कि य यानी जिस तरह से हमें अपने स्पाउस के बारे में लग रहा है कि वह बद मिजाज है अगर उनसे पूछा जाए कि बताओ क्या यह भी बद मिजाज है तो उनका क्या ख्याल होगा कि क्या अगर इनसे पूछा जाए कि क्या यह तुमसे लड़ती है या लड़ते हैं क्या यह बद मिजाज है क्या यह गुस्सा करते हैं तो उनका क्या जवाब होगा तो उनका भी जवाब ये होगा कि हां यह भी ऐसे ही करते हैं यानी बहुत से केसेस में यह मामला है या इसी तरह उनको बताया जाए मतलब बाज औकात उन्होंने बताया ही नहीं और वो कैसे बताना है कब बताना है और इस बंदे को बताने से पहले अल्लाह को बताना मतलब अल्लाह को तो पता ही है लेकिन अल्लाह को जैसे अपना केस अल्लाह के सामने रखना है कि या अल्लाह मैं अपने शौहर को यह बात बताना चाहती हूं हमारे ताल्लुक में कुछ मुश्किलात हो रही हैं या अल्लाह हमारे ताल्लुक में आपका बड़ा शु या अल्लाह आपका शुक्र है कि आपने एक अच्छे इंसान को मुझसे जोड़ा या मतलब पहले अल्लाह का शुकर अदा करें या अल्लाह इस इंसान के जरिए जो कुछ मुझे मिला है मैं उस परे शुक्र अदा करती हूं लेकिन अब इस इंसान के बारे में एक बात आपसे कहना चाहती हूं देखें अल्लाह को भी इस तरह बात ना करें कि अल्लाह यानी कि यह नाशक का केस बन जाए यानी अल्लाह को यह बताइए कि या अल्लाह इस इंसान से जो कुछ मुझे मिला उस परे आपका शुक्र अदा करता हूं आपने इस इंसान की वजह से मेरी जिंदगी में यह खैर रखा इस पर मैं आपका शुक्र अदा करता हूं लेकिन मुझे अपने इस ताल्लुक में कुछ मुश्किला हो रही है या अल्लाह इन मुश्किलात को आसान कर दीजिए मुझे अपने ताल्लुक को बहुत अच्छा हम दोनों एक दूसरे के लिए बहुत अच्छे बन जाएं एक दूसरे को समझने वाले बन जाएं हम दोनों को एक दूसरे से मोहब्बत तो बहुत है लेकिन अपने-अपने मिजाज से मजबूर हैं हमारे मिजाज की इस्लाह फरमा दीजिए हमारे अंदर तमल पैदा कर दीजिए हमें हिकमत अता कर दीजिए हमें एक दूसरे को माफ करने का हौसला अता कर दीजिए हमारे हमें एक दूस अपने ताल्लुक को खूबसूरत बनाने वाला बना दीजिए यह अल्लाह से बातें कीजिए अल्लाह से यह बात बयान कीजिए फिर अपने माल में से सदका निकालिए अपने शौहर की तरफ से या अपनी बीवी की तरफ से मतलब अपने माल से सदका निकालिए अल्लाह से दुआ भी कीजिए अल्लाह और सदका भी निकालिए और फिर इस बात का एहतमाम कीजिए और इंतजार कीजिए कि मुनासिब वक्त प अपने शौहर या अपनी बीवी को यह बात कहेंगे कि भाई आप बहुत अच्छे इंसान हैं आपकी अच्छी बात यह है कि आप हलाल कमाते हैं आप नेक आदमी हैं आप इतनी सारी अच्छी खूबियों के मालिक हैं आप की यह सोच बहुत अच्छी है लेकिन एक बात जिससे मैं बड़ी परेशान होती हूं और बड़ी डिस्टर्ब रहती हूं व आपका गुस्सा है या आपकी लफ्ज आपके जबान का यह मसला है आपके मिजाज का मसला है इससे मुझे बड़ी दहशत रहती है मैं बड़ी परेशान हो जाती हूं तो मुझे बस अगर आप और यह भी देखें वो एक आदमी था इस दुनिया में उसने बड़ा जबरदस्त काम किया उसने दुनिया को एक बात सिखाई वो अक्सर मैं सोचता हूं कि यह वो आदमी कितना समझदार था जिसने यह तरीका बताया और वो तरीका यह था कि आप अपनी बीवी या अपने शौहर के पास जाएं और उनसे कुछ भी बात कहने से पहले कह कि एक बात कहूं आप बुरा तो नहीं मानेंगे जिसने यह जुमला ईजाद किया है वो कमाल का आदमी है मतलब एक बात कहूं आप बुरा तो नहीं मानेंगे तो आप अपनी बीवी या अपने शौहर के पास जाइए और उनसे कहिए लेकिन उससे पहले अल्लाह से बातें कर चुके हो उससे पहले अपनी गलती देख चुके हो देखि यह देखने की जरूरत है कि इनके इस मसले को बढ़ाने में मेरा कोई किरदार तो नहीं है यह सवाल समझ आ रहा है यह सवाल किस-किस को समझ में आ रहा है देखें अभी अभी आप यह देखें कि आप अपने हस्बैंड या अपनी वाइफ का प्रॉब्लम जो भी है आप अपने कागज पर लिखा है आपने या सोचा है कि मेरे मेरे शौहर या मेरी बीवी का यह प्रॉब्लम है हो सकता है कोई प्रॉब्लम इंसान है ना बशर तो नहीं है बशर है मतलब कोई फरिश्ते तो नहीं है सब मतलब इंसान है खता का हैं गुनाहगार हैं सब हम कमजोर लोग हैं ठीक है तो बशर है ना हम लोग तो आपको अपने शौहर या अपनी बीवी में जो प्रॉब्लम भी नजर आ रहा है आपने ये सोचना है कि इस प्रॉब्लम को बढ़ाने में मेरा कोई रोल तो नहीं है यानी मैं इस प्रॉब्लम को ऐसे तो नहीं हैंडल कर रहा अगर इनको गुस्सा पहले ही आता है लेकिन मेरी एक हरकत ऐसी है जिससे ये और ज्यादा गुस्से में आ जाते हैं यह वैसे ही इनके अंदर जबान खराब है मेरी एक हरकत ऐसी है जिससे ये और जबान खराब हो जाती है या इनका कोई और प्रॉब्लम है मेरी य हरकत ऐसी है जिससे तो सबसे पहले यह देखें कि इनके इस मसले में मेरा हाथ तो नहीं है इस मसले को बढ़ाने में मेरा हाथ तो नहीं है सबसे पहले यह देखें फिर उसके बाद यह देखें कि मुझे अपने आप को ठीक करना है ताकि मेरा हाथ मेरा इस मसले को बढ़ाने में मेरा रोल ना हो फिर अल्लाह के साथ वक्त लगाना है कि भाई या अल्लाह यह मसला आपको बयान कर रही हूं लेकिन देखें एक वह बंदा है जो नाशरी के साथ अपने मसाइल अल्लाह को पेश करता है और एक वह बंदा है जो शुक्र गुजार होकर अपने मसाइल अल्लाह को बयान करता है तो अल्लाह हमें ऐसा ना करें कि हमारी फरियाद नाशक की फरियाद ना हो हमारी दुआएं नाशक की दुआ ना हो हमारी फरियाद और हमारी दुआ हम अल्लाह को शुक्र गुजारी के साथ पुकारने के काबिल हो तो अगर हम अपने स्पाउस के बारे में कोई बात अल्लाह से करने जा रहे हैं तो मतलब हमें यह मेंटेन करना है कि मतलब पहले शुक्र अदा करना है कि या अल्लाह इस आदमी की वजह से या इस औरत की वजह से मुझे यह फायदा हुआ और यह तो वह फायदा है जो मुझे नजर आया और पता नहीं और कितने फायदे और कितनी खैर इस इंसान की वजह से मेरी लाइफ में आई होगी उसको तो मैं जानता ही नहीं हूं मेरा यह बताइए एक सवाल है मेरा आपके स्पाउस की वजह से आपकी लाइफ में जितनी खैर आई है क्या वह सब आपके इल्म में आ सकती है क्या वो सारी आप काउंट कर सकते हैं शुमार कर सकते हैं बताइए आपके स्पाउस की वजह से जितनी खैर आपकी लाइफ में आई होगी क्या वह सब आपके शऊर में और आपकी आपने लिख सकते हैं शुमार कर आप नहीं कर सकते लिहाजा उसका शुक्र भी नहीं कर सकते तो अब आपने अल्लाह से यह कहना है कि या अल्लाह इस इंसान की वजह से जो खैर मुझे मिली है उस सब पर मैं आपका शुक्र अदा करता हूं आपने मुझे इस इंसान की वजह से बहुत कुछ अता किया है अब इस इंसान की अल्लाह कर या अल्लाह मुझे इसकी शुक्र गुजारी के काबिल बनाइए मैं इसकी नाशक नहीं करना चाहता अब फिर आगे यह बयान कीजिए कि या अल्लाह यह मुश्किल आ रही है इस मुश्किल को आप आसान कर सकते हैं आप आसान कर दीजिए सबसे पहले आपने यह देखा कि आपके शौहर का जो प्रॉब्लम है उसको या आपकी बीवी का जो प्रॉब्लम है उसको बढ़ाने में आपका हाथ तो नहीं है पहले यह देखें उसको ठीक कर ले फिर अल्लाह से यह बात बयान करें शुक्र गुजारी के साथ नाशक के साथ नहीं फिर अल्लाह से कई दिन यह बातें करने के बाद सदका निका लिया सदका बलाओ को टाल होता है अगर सदका देने के बाद भी आपकी बीवी आपकी बीवी है तो इसका मतलब यह है कि वह बला नहीं है इसलिए कि सदका बलाओ को टाल होता है मेरी बात समझ आ रही अगर सदका निकालने के बाद भी आपका शौहर आपका शौहर है तो इसका मतलब यह है कि वह बला नहीं है अब उसको बला समझना बंद कर दीजिए क्योंकि सदका तो बला को टाल देता है ना मतलब बला होती तो ली जाती अल्लाह का शुक्र है अभी तक है तो अल्हम्दुलिल्लाह बला नहीं है तो पहले यह देखना है सबसे पहले कि मेरी वजह से मेरे शौहर या मेरे हस्बैंड के प्र या मेरी बीवी का प्रॉब्लम मेरी वजह से मेरे स्पाउस का प्रॉब्लम तो नहीं बढ़ रहा वो ठीक करना है फिर अल्लाह से बात करनी है शुक्र गुजारी के साथ फिर सदका निकालना है ये तीन काम हो गए अब मुनासिब टाइम का इंतजार करना है जब हम और वोह अकेले हो हम दोनों और कोई इंटरप्शन ना हो और वह भी अच्छे माहौल में हो अच्छे मूड में हो और फिर मैं उनसे यह पूरी बात करूं और मैं उनको यह बताऊं कि देखिए आप बहुत अच्छे इंसान हैं आपकी जात से मुझे यह खैर मिली है मुझे यह फायदा हुआ है आप मेरी लाइफ में आई है तो मैं अब्बू बना हूं आप मेरी लाइफ में आए हैं तो मैं अम्मी बनी हूं यह बात उन्हें बताए कि आपसे हमें इतनी इतने फायदे हुए हैं अल्हम्दुलिल्लाह और आपकी और लेकिन मुझे और मुझे आपकी मोहब्बत का भी यकीन है आप एक अच्छे इंसान है ये सारी चीजें मुझे अच्छी लगती हैं और यह बहुत बड़ी बात हैं लेकिन मुझे इस बात से थोड़ी सी तकलीफ होती है जब आप ऐसी हरकत कर करते हैं जब यह बात करते हैं जब यह बोलते हैं जब यह जुमला कहते हैं जब यह काम करते हैं इस अमल से मुझे तकलीफ होती है यह बात बताइए अच्छे माहौल में बताइए मुस्कुरा के बताइए प्यार से बताइए मोहब्बत से बताइए सही वक्त पर बताइए सही अंदाज से बताइए इंशा अल्लाह यह मामला हल हो जाएगा तो ये चार काम हो गए पहला इसके मसले में मेरा हाथ क्या है इसको बढ़ाने में यह देख लें अल्लाह से किस तरह बयान करना है शुक्र गुजारी के साथ वो देख लें फिर सदका देना है तीसरा काम और फिर चौथा काम यह है के किस मौके पर किस अंदाज से यह पूरी बात अच्छे लहजे में बयान करनी है यह बात बयान करनी ये बात समझ आ रही है मुझे उम्मीद है कि इस चार स्टेप्स को फॉलो करके बहुत सारी चीजें अल्लाह ने चाहा तो सॉल्व हो जाएंगी ठीक है सर मेरे हस्बैंड की एज 68 है और वो चाहते हैं कि हर वक्त मैं उनकी काउंसलिंग करती रहूं मैं उनको मशवरे देती रहूं मैं उनको समझाती रहूं तो कुछ लोग मुझे कहते हैं कि तुम्हें प्रोफेशनल काउंसलिंग की तरफ जाना चाहिए उनके लिए तो कौन सा पॉइंट होता है कि जब हमें हम कैसे फैसला कर सके कि हमारे स्पाउस जो है उनको प्रोफेशनल काउंसलिंग की जरूरत है ठीक है बहुत अच्छा सवाल देखिए अपने शौहर या अपनी बीवी का काउंसलर बने इसका मतलब यह नहीं है कि आपको या उनको कभी भी प्रोफेशनल काउंसलर की जरूरत नहीं होगी यह जरूरी नहीं है हो सकता है जरूरत पड़ जाए इसका इमकान मौजूद है तो सबसे पहले तो यह देखिए कि आप अपने तौर पर वह पूरी कोशिश करते रहे हैं आपने देखा और जो मैंने अप्रोच बताई उस तरह से आपने की है देखि इसको क्रिटिकली समझना पड़ेगा और देखिए अगर आपके शौहर आपको अपनी बातें करना चाहते हैं आपसे बात करना चाहते हैं आपकी तवज्जो चाहते हैं आप आपका आपकी कुर्बत चाहते हैं आपसे मोहब्बत का इजहार चाहते हैं इसको प्रॉब्लम नहीं समझिए इसको नेमत और इस परे शुक्र अदा कीजिएगा लेकिन अगर उनका कोई प्रॉब्लम है या उनकी कोई नफ्स उलझन है जिसको आप सॉल्व नहीं कर पा रही उनकी कोई उनका एक ऐसा प्रॉब्लम है जो बीमारी की सतह पर है तो आप किसी इंसान से मशवरा कर सकती हैं और मेरा कहना मेरा मशवरा यह होगा कि जब आप अपने शौहर या अपनी बीवी की कोई बात किसी से करने जाएं मशवरा लेने जाएं तो इससे पहले इससे पहले भी आप अपने हस्बैंड या अपने शौहर अपनी अपने स्पाउस को कॉन्फिडेंस मिले आप उनको बताएं कि देखें ये प्रॉब्लम मुझे ऐसा लग रहा है कि हमें किसी एक्सपर्ट से किसी प्रोफेशनल से या किसी जरूरी नहीं है कि प्रोफेशनल काउंसलर से ही मिला जाए किसी स्कॉलर से किसी आलिम से किसी बहुत ही अच्छे हकीम से किसी बुजुर्ग से किसी से भी कोई भी अहले इल्म कोई भी अच्छा इंसान मुख्तलिफ मतलब हर एक का अप्रोच टू सॉल्व द प्रॉब्लम डिफरेंट होगी लेकिन किसी से भी मशवरा लिया जा सकता है तो इस स्टेज पर आप अपने स्पाउस को यह यह कंसेंसस डेवलप करें कि अगर आप मुनासिब समझे तो मैं किसी से मशवरा ले सकती हूं मैं किसी से पूछूं कि मतलब के क्या हमें किसी से क्या मैं यह पूछूं कि किसी से मशवरा लेना चाहिए तो इसको पूछने के लिए भी आपको कुछ चीजें डिस्क्लोज करनी पड़ेंगी तो यह जैसे मैं यह समझता हूं कि मिया बीवी एक दूसरे का पर्दा है तो अगर जैसे किसी डॉक्टर के पास जाना पड़ता है तो वो किसी रीजन होती है जिसकी वजह से जाना पड़ता है तो यह भी एक तरह से जैसे आप अपनी किसी प्रॉब्लम के सलूशन के लिए किसी मलिज के पास जाते हैं क्योर के लिए जाते हीलिंग के लिए चाहते हैं तो अब आपने कॉन्फिडेंस अपना डेवलप करना है कि भाई हम अपना एक मैटर अगर आपकी कंसेंट हो तो हम किसी से मैं फलां अगर आप चाहते हैं अब वह हो सकता है कि आपको कहे कि हां ठीक है तुम फलां से जाकर मेरे ये डिस्कस कर लो या हम दोनों जाकर डिस्कस करते हैं या तुम इनिशियली डिस्कस कर लो अगर वह कहते हैं तो फिर मैं चला जाऊंगा तो यह इस तरह कंसेंसस के साथ हो यह बात समझ आ रही तो अल्लाह ताला आसान फरमाए और अगर आपको यह लगता कि वो अपने आप को संभाल नहीं पा रहे और उनकी नफ्स सेहत और उनकी जिस्मानी सेहत गिर रही है खराब हो रही है और वह आपके आप अपनी कोशिश तो कर रही हैं लेकिन आपको समझ नहीं आ रहा कि कैसे करें आप स्टक हैं आपको बिल्कुल हेल्पलेस महसूस कर रही हैं आपको बिल्कुल आईडिया नहीं हो रहा कि इस सिचुएशन में क्या किया जाए तो उस केस को यकीनन किसी साहिबे इल्म से अब वोह कोई एक्सपर्ट हो सकता है उसमें मुख्तलिफ अब ये मुझे अंदाजा नहीं कि मसला क्या है और मसले के लिए किस तरह का आदमी ज्यादा बेहतर रहेगा ये तो अल्ला ही के इल्म है लेकिन आप इसको देख सकती हैं बात समझ आ रही है मेरा सवाल यह है कि जो आपने हमें रिफ्लेक्शन दी सारी स्पाउसेस के बीच में अल्लाह का शुक्र है अल्ला बारिक मतलब वो सारी चीजें मतलब कंपाइल हो रही थी एक दूसरे के साथ अच्छा स्पेस देते हैं सब कुछ है बट एक चीज सवाल जो है कि जो मतलब इशू होते हैं बाय डिफॉल्ट मतलब बचपन से एक चीज है जैसे फर एपल मैं सोशल हूं मेरे हस्बैंड सोशल नहीं और अक्सर हमारी इस चीज के ऊपर आकर ना वो हो जाती है और मतलब इस चीज पर मतलब कोई वर्किंग हो सकती है कि अगर म इस चीज को बेहतर किया जाए कि यह वाली लड़ाई या इसके ऊपर भी कोई बहस ना हो या कोई चीज ना हो उनका मूड ना ऑफ हो अच्छा देखि एक बात समझे मिया बीवी के दरमियान अगर इंटरेस्ट मैच नहीं करते इस पे इशू नहीं बनना चाहिए और इसी तरह वो उनका मिजाज ऐसा है मतलब यानी हर एक का अपना एक जौक होता है अपना एक मिजाज होता है अपना एक शौक होता है अगर शौक मैच नहीं करता अगर प्रेफरेंसेस मैच नहीं करती इस पर इशू नहीं बनना चाहिए मतलब इशू इंटरेस्ट्स का कंपैटिबिलिटी के साथ ताल्लुक नहीं है यह बहुत ही सतही अत है के इंसानी ताल्लुक में इंटरेस्ट को कंपैटिबिलिटी की बेसिस समझा गया है ये ये एक इल्यूजन है मतलब यानी उन्हें भी ब्लू कलर पसंद है मुझे भी ब्लू कलर पसंद है तो हम दोनों का जहन मैच करता है तो हम हमारी अच्छी चलेगी यह बहुत ही शलोनेस है यह बहुत ही मतलब मुमकिन है उन्हें ब्लू मतलब हो सकता है आपको कलर्स बहुत पसंद हो और वो मतलब ब्लैक एंड वाइट लाइफ गुजारना चाहते हो बस वाइट मतलब उस आपको हर जोड़ा दूसरे कलर का चाहिए वोह कहे भाई मुझे सारी जिंदगी सफेद सलवार कुर्ता ही पहनना है मैं वाइट शलवार सूट ही पहनूंगी तुम पहनती रहो कलरफुल ड्रेसेस मुझे कोई इशू नहीं है लेकिन आई लाइक टू रिमन इन प्लेन क्लोथ्स वाइट तो वो ये इशू नहीं बनना चाहिए इसी तरह यह जो सोशल लोगों से मिलना है सोशली आउटगोइंग होना है यह बात भी मतलब इशू नहीं होना चाहिए मतलब यह बात इस लेवल पर भी फील ना की जाए कि इसको इशू बना जाए मतलब मेरे तो बहुत से दोस्त है मैं तो दोस्तों में जाना चाहती हूं इनको दोस्ती का कोई शौक नहीं है तो मियां बीवी देखें एक बात और समझ ले कि शादी से पहले ना यह आय और यू का सीगा चलता था मैं और तुम शादी का मतलब यह है कि अब हम आय और यू वाले माइंड आय और यू की माइंडेडनेस से निकल रहे हैं और वी और अस की कॉन्शियस में जा रहे हैं बजा इसके कि यह कहे कि तुम्हारा बाहर जाने का दिल चाह रहा है हमें यह कहना चाहिए कि क्या हमारा बाहर जाने का दिल चाह रहा है बजाय इसके कि यह कहे कि तुम खा लो मैं नहीं खाऊंगा तो क्या हम अभी खाएं या हम बाद में खाएं मतलब यह वाला अंदाज मतलब तुम यह करो मैं यह करूंगा यह वाली बात नहीं यानी तुम्हारे पैसे मेरे पैसे तुम्हारा टाइम मेरा टाइम तुम्हारा काम मेरा काम तुम्हारे काम खत्म नहीं हुए मेरे काम खत्म हो गए इसकी बजाय हम यह कहे कि हमारे काम खत्म नहीं हुए हमारे कुछ काम रहते हैं तो यह तुम्हारे और मेरे काम नहीं है यह हमारे काम है यह तुम्हारा और मेरा पैसा नहीं है यह हमारा पैसा है और यह तुम्हारी मतलब तुम्हारी खुशी तुम्हारा आराम मेरा आराम मतलब हमारा हमारी खुशी तो यह जो कंसेंसस है ना यह मतलब यह हमें करने की जरूरत है अल्लाह ताला आसान करे इसकी हिकमत अता करे आज की नशत को हम यहां पर रोकना चाहेंगे अल्लाह ताला आप सबको इल्म नाफ अता करें और अपने अपने घर के हर इंसान की आंखों की ठंडक आपको बना दे आपके घर के हर इंसान को आपकी आंखों की ठंडक बना दे और जो भी गलतियां इल्म की कमी की वजह से या नफ्स के गलबे की वजह से हमसे होती रही हैं अल्लाह ताला उनकी इस्लाह की तौफीक दे उसकी सच्ची तौबा की हमें फिक्र अता करे उस परे हमें नादम होने की तौफीक दे और उनको हम ठीक कर सके उनकी अल्लाह हमें इस्लाह करे और उस परे अल्लाह ताला हमें माफ करें और इसी तरह आने वाले वक्त में अब आज की नशिया की बात है उसको हमें समझने वाला उस पर हमें गौर करने वाला उसको अमल में लाने वाला और उसको उससे फायदा उ ने वाला हमें बनाए और यह जो कुछ भी आज आपको हासिल हुआ है इसके ऊपर अल्लाह से दुआ कीजिए कि अगर इस इल्म में खैर है तो या अल्लाह इसे पूरी मुस्लिम दुनिया में आम कर दे दुआ कीजिए कि अल्लाह ताला हर मुसलमान को जो भी शादी मतलब जिनकी निकाह अभी नहीं हो सके हैं अल्लाह निकाह में उनके आसानी अता फरमाए और आसानी से और ईमान वाला ताल्लुक और उन्हें नसीब करें और मुस्लिम उम्माह को अपनी तवाना इयां और अपनी अपना ईमान जो है अल्लाह ने निकाह को ईमान बचाने का भी एक जरिया बनाया है अल्लाह ने निकाह को तवाना को सही रुख देने का भी जरिया बनाया है तो अल्लाह ताला हम सबको हमारी हिफाजत करें हमारे ईमान की हिफाजत करें और हम हमारा अपनी बीवियों अपने शौहर के साथ एक इस्लाही ताल्लुक हो हमारा यानी हमारी बीवी हमारा शौहर जो है वह एक दूसरे की इस्लाह का जरिया बने एक दूसरे को देख के ईमान और तजिया मतलब हमें मिले और उसमें अल्लाह ताला पाकीजा और पाकीजा बनाए और आपस की मोहब्बत और एतमाद को और बरकत अता करें और ताल्लुक को और एक गहराई और मानवीय नसीब करें और अल्लाह करे कि मुस्लिम उम्माह में हर औरत और हर मिया हर शौहर इतने खूबसूरत बंधन में बन जाएं के मुस्लिम उम्मा को जो तक्विटोस बना लेने से मुस्लिम उम्मा का बहुत भला होगा मतलब अगर कोई इंसान उम्मत की फिक्र करता है और बीवी की फिक्र नहीं करता या शौहर की फिक्र नहीं करता तो वह जुल्म करता है मतलब अल्लाह हमें ऐसा जुल्म करने से बचाए मतलब अगर उम्मत की उम्मत की फिक्र तो है लेकिन बीवी या शौहर की फिक्र नहीं है तो यह एक गलत मतलब यह ची इसकी इस्लाह होनी चाहिए यानी बीवी भी उम्मत का हिस्सा है शौहर भी उम्मत का हिस्सा है तो उसकी फिक्र उसी तरह नसीब करे जैसे होनी चाहिए और फिर अपनी बीवी और मतलब कुरान ने यह कहा कि यह आजमाइश है मतलब इसके जरिए तुम्हें चेक यह ट्रायल है तो अल्लाह ताला इस ट्रायल में हमें कामयाब करें जिस इंसान से भी हमें मोहब्बत होती है वह मोहब्बत एक टेस्ट होती है और वो टेस्ट ये होता है कि सबसे ज्यादा याद रखने वाली बात भूल तो नहीं गए इस मोहब्बत के चक्कर में तो सबसे ज्यादा याद रखने वाली बात भूलनी नहीं चाहिए मतलब सबसे ज्यादा याद रखने वाली बात यह है कि हम सबको जाना है एक दिन हमारे सारे मामलात खोले जाएंगे आखिरत है उसमें हमारा हिसाब किताब है अल्लाह ताला हमें चेक कर रहा है तो यह सब चीजें भूलनी नहीं चाहिए तो अल्लाह करे कि यह जो बीवी और शौहर है यह एक दूसरे को यह बात याद दिलाते रहे मतलब जिसकी वजह से भूलने का एक इमकान है उसी से हमें याद रखने का सिलसिला वहीं से बना दे अल्लाह ताला तो कैसी जबरदस्त बात होगी मतलब बीवी और शौहर एक दूसरे को यह रिमाइंडर देते रहे ना कि एक दूसरे को गाफिल कर दें तो अल्लाह हमारी इस्लाह फरमाए एक दूसरे को अपनी दुआओं में याद रखिएगा जो लोग आज शरीक हुए उनको भी अल्लाह ताला खैर अता करें और इल्म नाफ और हिकमत अता करे जो लोग आना चाहते थे नहीं आ सके उनको भी अल्लाह ताला इस इल्म की रोशनी अता करें