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Working Principle of DM Water Plant

हेलो नमस्कार दोस्तों आज के इस वीडियो में हम लोग डिएम वर्टर प्लांट के बारे में बात करेंगे हम बात करेंगे कि डिएम वर्टर प्लांट कैसे काम करता है इसका क्या पर्पस होता है इसके क्या स्टेट्स होते हैं पूरा इसके प्रोसेस को समझेंगे इसके पहले हम बनाए थे जहां पर बॉयल वाटर कीमिस्टी के बारे में बताया था और बताया था कि वाटर में इंप्यूटीज रहने की वजह से क्या प्रॉब्लम्स आते हैं और जहां पर हमने बताया था जब हम जो उसका फर्स्ट पार्ट में ही बताया था कि वा� होते हैं वह कई तरह के हो सकते हैं वह सॉलिट इंप्यूटीज भी हो सकती है लिक्विड भी हो सकती है और गैसेस भी हो सकती है तीन तरह के इंप्यूटीज हो सकती है और सॉलिट में भी हमने बताया था कि सॉलिट में भी कुछ इंप्यूटीज ऐसे और कुछ ऐसे रहते हैं जो कोलाइडर फॉर्म में रहते हैं ठीक है तो यहां पर जो डिएम वाटर प्लांट के बारे में बात आता है वह पहले वाटर का पहले प्री ट्रीटमेंट किया जाता है वाटर का प्री ट्रीटमेंट करने के दौरान सस्पेंडेड सॉलिड वहां से निकल जाता है और कोलाइडल सॉलिड भी मोस्टली निकल जाता है तो जब और इसके अलावा लिक्विड इंप्यूटीज निकाल दिया जाता है तो यह सॉलिड इंप्यूटीज का जो डिजॉल्ट इंप्यूटीज रह जाता है उसको निकालने के लिए विडियो में बताएंगे कि वाटर का प्री ट्रिप्टमेंट कैसे किया जाता है और उसकी मदद से हम वाटर में से सब्सक्राइब सॉलिट और लिपिट कैसे निकालते हैं लिपिट इंप्रेस कैसे निकालते हैं और वह निकलने के बाद जो वाटर में बच जाता पर गैसेस निगालने के लिए हमारे पर इस पर डिएरेटर या फिर कुछ केमिकल डोजिंग करते हैं वह उसके बारे में हम लोग अल्रेडी बात किए हैं डिएरेटर के बारे में एक वीडियो अल्रेडी बना हुए तो इस वीडियो में हम लोग प्रोटेक्टर प्लांट कैसे काम जो कि आईन एक्सेंज टेक्निक जो कि आईन एक्सेंज प्रोसेस है उसके बारे में इस वीडियो में हम पर्टिकलर लीजिए इसी मेथड पर को फोकस करेंगे यह मोस्ट वाइडली यूज मेथड सबसे ज्यादा यही होता है इसके बारे में आरो में ब्रेंड की मदद से भी डिजॉल्ड सॉलिड को निकाला जाता है इंप्रेस को निकाला जाता है उसके बारे में किसी और पार्ट बात करेंगे यह थर्मल डिसलेशन यह जैनली सी वाटर के लिए यूज में आता है इसके बारे में अभी नहीं बात करें बात करेंगे आज के पार्ट में हम लोग आयन ही से निकाला जाता है उस मेथड के बारे में हम बात करेंगे और उसी की प्रेसिस पर यह लेक्शन है ठीक है अब देखिए जब हमने वहाँ पर बात किया था इंप्यूटिज के बारे में तो हमने बताया था कि जो इंप्यूटिज होते हैं टिजॉल्व इंप्यूटिज होते हैं वो कितने तरह के जो आयंस हैं उसके बारे में हमने बात किया था जहांस वाटर क्मेस्टिक बारे में बात किया था कि स जब हमने इस तरह से लिखा था तो यहां पर बताया था कि जो स्ट्रेंथ है वह इस रेड मैंने स्ट्रेंथ जो है इंक्रीजिंग ऑर्डर में मतलब सबसे ज्यादा स्ट्रेंथ बोला जाएगा तो कैसे टू प्लस का और सबसे कम स्ट्रेंथ एनेम प्लस का यानि अगर कोई रेजिन की मदद से अगर हम इस इंप्यूटिज को निकालने की कोशिश करेंगे तो कैसे प्लस सबसे आसानी से निकलेगा और सोडियम प्लस सबसे मुश्किल से निकलेगा उसी तरह ना किले भी है यह ना किले तरह से यह देखिए पाइकार्बिनेट जो है वह सबसे पहले निकल जाएगा कार्पुलेट बाई कर्मिनेट सल्फोट य जबकि सिलिका जो है सिलिका फास्पेटी बहुत बीच है तो यह एक कंसेप्ट आप याद में रखे तो इसको याद में रखने से हम लोग आगे का प्रोसेस समझेंगे तो इस प्रोसेस होता क्या है यह देखिए यह सारे जो इस इंप्यूटिज के बाद की वजह से जो प्रोसेस में जो प्रीटीटमेंट वाटर मतलब जब सब्सक्राइब और लिक्विट निकाल देने के बाद जो प्रोसेस होता है वह ऐसे होता है उसमें डिफरेंट प्रेसराइज्ड एक्सचेंजर वेसिड रहते हैं बेट रहते हैं जिससे पहला जो वेट है यहां पर कटाइन एक्सचेंजर वेट की मदद से यह जो वाटर में चुके प्रेसराइज्ड एक्सचेंजर वेट है यह जो वाटर में चुके दिगैसर में और दिगैसर में से वह मेंली कार्बोनेट और बाइकार्बोनेट को एज़ एस यू टू फॉर्म में निकाला देता है और फिर फर्दर वह पानी जाता है एनायन एक्सेंचर में जहां से एनायन इंप्यूटी निकाल देता है और फर्ड और टिमिटली हमारे पा और फर्थ हम लोग आगे इसको अंडर्स्टेंड डेवलप करता है तो अभी हम समझते हैं कि कैसे जो एक टाइन एक्सेंजर और एन एक्सेंजर में कैसे हम लोग यह जो आयों से को निकाल पाते हैं उसको समझने के लिए पहले समझना पड़ेगा रेजिन के बारे में बैसिकली क्या है यह कैट आइन एक्सेंजर जो है इसमें जो बेड है इस बेड में रेजिन से लगा रहता है आयों एक्सेंज रेजिन रहता है और यह जो आयों एक्सेंज जो रेजिन रहता है ना उसकी मदद से अ हम लोग केटाइन और एलाइन इंप्यूटीज को निकाल पाते हैं तो अब देखिए रेजिन जो होता है ना देखिए रेजिन कैसा दिखता है एकदम इसका सर्फेस एरिया बहुत ज्यादा रहता है इवेन इतना ज्यादा रहता है कि इसको एज़ेल लीटर में बेचा जाता आर माइनस से दिखाए जिसके सरफेस पर देखिए बहुत सारे नेगेटिव चार्ज है उसी तरह पोजिटिवली चार्ज रेजिन भी हो सकता है जिसके सरफेस पर बहुत सारे पोजिटिवली चार्ज है अब बहुत सारे पोजिटिवली चार्ज है और अगर इस रेजिन को अ गया तो कैटाइन रेजिन के पास बहुत सारे प्लस आयन हो गया अच्छा उसी तरह अगर यह निकेटिवली चार्ज रेजिन को अगर हम मालिज कोई सोडियम की सॉलूशन से करते हैं और एनेट प्लस आकर बैठ जाता तो उसको जियो लाइट रेजिन भी बोलते हैं जो कि आपका डिंकिंग वाटर जब ट्रेटमेंट होता है वहां पर बहुत ज्यादा यूज होता है जैनली इसको पर जीवर लाइट रेजिन में कह रहे हैं कि एच प्लस की जगह पर एनेप्लस आ जाएगा ठीक है एन एच रेजिन में कहा रहा है कि जो पॉजिटिबली चार्ज वो सरफेस पर है उस पर अगर कोई हम बेस के साथ ट्रीट कर दें तो बेस के साथ ट्रीट करने के बारे में पॉजिटिबली चार्ज सरफेस जो है ओह माइनस को एट्रैक्ट कर लेता है और इस तरह से जो ये रेजिन ब इन रेजिन की मदद से हम बहुत आसानी से वाटर में के जो आयन से उसको निकाल पाते हैं कैसे निकाल पाते हैं देखिए आयन एक्शेंज प्रोसेस में अगर केटायन रेजिन है जो कि पहला एक्शेंज है वहां पर क्या होता है कि बहुत सारे केटायन रेजिन रहते हैं और वह आर माइनस एड प्लस है और जब पानी में के जो भी का केटायन है यानि कोई भी यह जो केटायन है वह तो रेजिन रेजिन के ऊपर एटेच हो जाता है और एट प्लस एन बाहर आ जाता है तो मतलब इसी रेजिन पर अगर केटाइन के साथ इंटरेक्ट करोगा तो यह एट प्लस एन बाहर चला जाएगा और केटाइन यहां पर एटरेक्ट होकर इस पर अबजॉब हो जाएगा रेजिन और इस तरह से क्या होगा कि पानी में एट प्लस एन ज्यादा होने से पानी का पानी का पीएज घट जाएगा और पानी का पीएज घट जाएगा और पानी का पीएज घट जाएगा और पानी में से जो केटायन से वो हट जाएगे जस्माल दिजे कि सोडियम को रहेगा बने पानी में एने प्लस आयन था तो ये यह जब आप कैटायन एक्सचेंजर के थ्रू जाएगा तो आरेड बन जाएगा और एडिटिट इस तरह से पीज घर जाएगा और उसी तरह एंड यह सोफ़ोर और कैलसियम बार कमेंट एंड कैलसियम के कोई भी कंपांस और मैंने अभी जो बात किया था इसके बारे में बात किया था तो क्या बात किया था कि कैलसियम जो है वह कैलसियम का सबसे ज्यादा स्ट्रेंट है और उसके बाद मैंग्निसियम का उसके बाद शोरी यानि सबसे बेट का जो भी कैटायन एक्सचेंजर का जो बेट होगा इसके ऊपर वाले फिर नीचे वाला पार्ट में मैंने से में जॉब हो जाएगा और फिर फाइली जो लास्ट वाला पार्ट में सोडियम अजर्जाब होगा कि उसके अस्ट्रंथ कम सबसे ज्यादा अट्रैक्ट होकर यह रेजिन पर कैसी प्लस जाने के टेंडेसी है है तो इसलिए क्या होता है कि ऊपर वाले बेड में तो आसानी से जो एस्ट्रोम के टाइम है वह आसानी से जॉब रहते हैं और सोडियम प्लस आते-आते ना विद्ध अलरेडी जो है बेड जो है एग्जॉस्टेड रहता है तो आप सोचिए कि जो इसके अब निगेटिवली एच प्लस आइन है एच प्लस आइन जैसे-जैसे ऊपर प्लस कैलसियम टू प्लस एडजॉब होते जाए इस पर वैसे-वैसे एच प्लस आइन कैटाइन रेजिन के कम होते जाते हैं तो कम होते होने की बजा से नीचे आते-आते बहुत और एने प्लस का स्टेंट करो तो इसलिए जो कैटाइन एक्सेंजर रेजिन से चांसे थे कि सोडियम स्लिप हो जाए मतलब सोडियम कुछ ऐसा रह सकता है कि जो एडजॉब नहीं है और जब सोडियम एडजॉब नहीं होता है तब वह आप लेट में हमने सोडियम मेजर करते रहते हैं और सोडियम जब मेजर नहीं होता है तब हमको पता चलता है कि स्टार्टिंग तो बहुत सारे एच प्लस आयन रहते हैं ना रेजिन में तो बहुत सारे एच प्लस आयन रहते हैं तो पर निजर करते हैं उससे पता चलता है कि अब यह जो कैटाइन एक्शंजर बेट है यह एक्जॉस्ट हो सकता है उसको रीजेनरेट करना पड़ेगा सुनाओ अब देखेंगे, यहाँ पे एक और तरीका होता है जिससे पता चलता है, होता क्या है कि जो केटायन एक्सेंजर के आउटलेट में पानी का पी एच बहुत कम हो जाता है, क्योंकि पानी में ह प्लस आयन बहुत जादा आ जाते हैं, बट जब बेड एक्जॉस्ट होने लगता ह रेजिन रहते हैं उस पर वह मानेसाइन रहता है और उसके साथ एनायन जो है जब वाटर में के जो एनायन है वह इंट्रैक्ट करते हैं तो एनायन ओएच माइनस वाटर डिस्प्लेस कर देते हैं और खुद जाकर एड्रॉब हो जाते हैं और इस तरह से बढ़ जाता है तो पीएच मोटा-मोटा फिर से 6.87 के आसपास न्यूट्रल वाटर के आसपास पहुंच जाता है ठीक है तो यह चीज यहां पर क्लियर हो गए तो यह एनियर एक्सएंस को यहां पर वापस रिपीटली लिखा गया है है ठीक है तो अब पॉइंट यह आता है कि जब एक बार ए जो आपका ए रेजिन जो है एक्जॉस्ट हो गया है अब मतलब हुआ कि उसके एड प्लस आयों बहुत सारे निकल गए हैं इसकी बज़े से जो एनेड प्लस आयों है वह बहुत एड जो नहीं तो उसको रीजेनरेट करना पड़े तो रीजेनरेट करने के लिए क्या करते हैं यह जो के टाइम रेजिन था जिसके ऊपर कैट प्लस जो है जो हो गया था उसको हम लोग फिर से कुछ एसिड सॉलूशन एडिटल सॉलूशन के साथ ट्रीट करते हैं और वेस्ट वाटर चला जाता है जिसको इटीपी में भेज दिया जाता है ठीक है तो इस तरह से रिजनरेशन होता है उस तरह इन रेजिन का रिजनरेशन कैसे करते हैं तो यह एनियुएस की मदद से और इन दोनों की मदद से जब हम रिजन करते हैं तो अलटमिटली क्या होता है कि वह मानस वह फिर से पॉजिटिवली पर टैच हो जाता है और इस तरह से यह एनायंट रेजिन जो है मैं फिर से वह मानस आयन आ जाता है है और इस तरह से यह और यह तो वापस वेस्टवाटर चला जाता है इस तरह से रिजेनरेशन किया जाता है है ठीक है अब यहां पर पॉइंट यह आ रहा है कि जब यह तो मैं समझ में आ गया कि भाई केटाइन को कैसे अवश्यकता कर रहा है और इन आइएड को कैसे जो एकदम basic circuit बनाया था, वहाँ पे ये दिखाया था, कि पहले तो cation exchanger में सारे cation को absorb करा लिया, उसके बाद फिर ये degasser का क्या काम है, ठीक है, दो question आ रहा है, एक degasser का क्या काम है, number one, दूसरा कि पहले ही cation exchanger क्यों है, पहले anion exchanger क्यों नहीं, ये दो points, ठीक है, ये दो points को समझना है, कि पहले cation exchanger क्यों है, और दूसरा degasser, cation exchanger और anion exchanger की बीच में degasser क्यों है, इसको समझते है, ठीक है. देखिए जो हमारे कैटाइन एक्सचेंजर के बाद से हमारे कैटाइन तो एडजॉब हो गए अब बारी आई एनाइन एक्शेंजर के एनाइन स्किल जो करने में देखिए कार्बनेट बाइकार्बन बहुत स्ट्रांग न ठीक है और अगर हम यह सारे चीजों को प्रेडिटली एनियन एक्सचेंजर में ले जाए तो इसको एब्जॉर्ब होने में हमारा बहुत सारा रेजिन का खर्चा आ जाएगा मतलब एक तरह से बोलो कि वह रेजिन का बहुत सारा पार्ट यह कार्बोनेट और बाई कार्बोनेट नहीं है जो करने बहुत अच्छा तरीका है अच्छा तरीका क्यों हो जा रहा है वह समझिए केटाइन एक्सेंजर के आउटलेट में आप एक चीज समझे केटाइन एक्सेंजर के आउटलेट में पीएज कम है और पीएज कम है इसका मतलब कार्बोनेट और बाई कार्बोनेट दोनों का इक्लीपिडियम जो है ना सीओटी की तरफ सिफ्टेड है कैसे समझते हैं देखिए जो कार्बो है वह एच प्लस आयंड चुकिया पानी में आ गया तो वह रिएक्ट करके एच सीओ थ्री माइनस बना सकते हैं और यह फर्थ एच प्लस आयंड के साथ रिएक्ट करके एच टू सीओ थ्री बना सकते हैं और यह आर्टिमेटली क्या है एच टू प्लस एच टू तो इसका मतलब क्या हो रहा है कि चुकि एच प्लस आयंड का कंसेंट्रेशन बढ़ गया है बढ़ गया इसलिए यह reaction forward reaction में जाएगा, यह CO3 2 plus 2 minus iron भी HCO3 minus के form में बना रहेगा, और इसमें यहाँ पे भी H plus iron concentration जादा है, तो ultimately यह CO2 के form में आसानी से निकाला जा सकता है, क्यों निकाला जा सकता है, क्योंकि यहाँ पे cation exchanger के outlet में pH बहुत कम है, तो अगर ऐसे ही निकाला जा सकता है CO2 form में तो आसानी से हम इसको फिर anion exchanger में anion region की मदद से क्यों निकालें उस तरह से हमारा bed बार-���ार regenerate करना पड़ेगा bed का mostly part carbonate और bicarbonate को ही absorb करने में लग जाएगा तो इसलिए क्या किया जाता है कि ketane exchanger के downstream में ना degasser रहते हैं खटा देता है कर दे क्या है कि कैटाइन एक्सेंजर के आउटलेट से जो पानी आता है उसमें हम लोग एक पैक बेट रहते हैं और नीचे से एयर देते हैं एयर क्यों देते हैं कि जो भी CO2 जो इस एक्लिबिडियम में आप देखे लीच एटिलियर प्रिंस्पल जो है ये जो इस इक्लीविडियम को फॉरवर्ड डिरेक्शन में बढ़ाना है तो एक तो यह है कि एच प्लस साइन का कंसेंसेट्रेशन बढ़ाओ और दूसरा तो यह रिजन हुआ जिसकी बजा से हमें ये clearly समझ में आ रहा है कि पहले हमको पानी को cation exchanger में ले जाना चाहिए ताकि pH जो है वो H plus ion concentration बढ़े और carbonate और bicarbonate निकालने के लिए आपको दूसरा कोई झंज़ित लेना ही नहीं पड़े इस तरह से anion exchanger का load बहुत खम हो जाता है एक बार दूसरा बार एक और चीज़ समझिए अगर माली ये कि हम anion exchanger को पहले रखते anion exchanger को पहले रखते तो क्या होता कि हमारा पानी का pH बढ़ता है यानि OH minus concentration पहले बढ़ता है तो अगर माली ये प्री ट्रेटमेंट के बाद जो पानी सबसे पहले एनाइन एक्सेंजर में जाता है तो एनाइन एक्सेंजर के आउटलेट में जो है ना ओएच माइनस कंसर्टेशन बहुत बढ़ ज्यादा होता है यानि पीएच जो है आपका बहुत बढ़ जाता है और अगर एमजी टू प्लस हाई पीएच में क्या होता है एमजी ओएच दो होल टू बना करके प्रेसिप्टेट आउट हो जाता है कि इसका मतलब क्या है कि जैसे यह पानी में तो अभी केटाइन है कि टाइम तो यह जॉब हुआ नहीं है और ऊपर से पानी में वह मैंने स्कूल सेटेशन बहुत बढ़ गया तो क्या होगा जो केटाइन एक्सेंजर रेजिंग बेड होगा वहां पर जीवर तो वह टू प्रेसिपिटेट आउट होने लगे हैं और प्रे यह चीज न हो इसी के लिए केटाइन एक्सचेंजर को पहले रखा देता है और फिर डाउनस्ट्रिम में एनायन एक्सचेंजर को रखा देता है ठीक है क्योंकि पहले ही हमने Mg2 Plus को निकाल दिया अब उसके बाद OH-का कंसेंट्रेशन बढ़े भी तो कोई दिक्कत नहीं है कि sequence कैसे है तो उसी बात को ले करके यहाँ पर देखें यहाँ पर देखें इसके अलावा यहाँ पर देखें सबसे पहले क्या हुआ है पानी कहाँ पर है weak acid ketan region के बाद strong acid ketan region के बाद और उसके बाद degasser इसके बाद विशेष ने रेजिन उसके बाद स्ट्रॉंग बेस एनाइन रेजिन और इसके बाद मिक्सबेट क्यों है उसके बारे में अब बात करें ठीक है तो यह सिक्वेल्स आपको पूरा समझ में आ गया कि ऐसा क्यों कर रहे हैं ठीक है अब यहां पर देखिए जो हम बात किये थे कि सीलिका जो है सबसे विकेस्ट एनाइन ठीक है सीलिका सबसे विकेस्ट एनाइन है और आपको देखा जाता है तो सब उसके स्ट्रॉंग इन आइन स्कूल कर सकते हैं इस स्ट्रॉंग एनियन जो है वह देखिए सल्फेट है कोलोराइड है यह सारे जो स्ट्रॉंग एनियन है वह पहले पर एडजॉब हो जाएगी ठीक है और सिलिका जो है उसका एडजॉब होने की चांस सबसे कम है क्योंकि वीकेस्ट एनियन है तो इसलिए हम लोग जो एनियन एक्सचेंजर भी यूज करते हैं उसमें पहले वीक बेस एनियन बेट को पहले रखते हैं एस्ट्रॉंग बेस एनियन को हो तो इसको स्ट्रॉम रेजिन बोलेंगे वह मैंने से कंसर्ट्रेशन थोड़ा कम होते हैं विक पर एनाइन रेजिन बोलेंगे उसी तरह कैटाइन रेजिन के लिए एड प्लस आइन का कंसर्ट्रेशन बहुत हाई होते हैं स्ट्रॉम एसिड कैटाइन रेजिन बोलेंगे और एड प्लस आइन का कंसर्ट्रेशन थोड़ा कम होते हैं विक एसिड कैटाइन बोलेंगे तो यहां पर क्या हो रहा है कि हमारा जो स्ट्रॉम एनाइन है वह तो आपको विक एसिड रेजिन में भी आपका एडजॉब हो जाए इसलिए पहले क्या करते हैं डिगैंसर के आउटेट में पहले वीक बेस एनायन के वाला जुबेड है उसमें ले जाते हैं पानी को तो वो तो स्ट्रॉंग वाले एनायन को एडजब कर लेता है और वीक वाले एनायन को एडजब नहीं कर पाता है इसलिए वीक वाले एनायन को कि समझ में आ जाएगा कि यह सिक्वेंस कैसे है यह देखिए इसलिए पहले विग बेस एनाइन को पहले लिया फिर स्ट्रॉंग बेस एनाइन वाला जो पेट है उसको बार मिले ठीक है तो इस तरह से हमारा केटायन और एनाइन दोनों निकल गया और पानी का पीएज भ यहां पर यहां बहुत चांसे जाता है कि सिलिका स्लिप कर जाए तो जैसे हमने बताया था कि इसको कब रिजेनरेट करना है यह कैसे पता चलता है जब यहां का पीएज जतना घटना चीज उतना नहीं घट रहा है यह आपका सोडियम प्लस आयन स्लिप करना है तो उससे पता चलता है उसी तरह स्ट्रांड बेस एनाइन यानि एनाइन एक्सचेंजर को कब रिजेनरेट करना है कैसे पता चलता है जब यहां पर सिलिका स्लिप करने लगे हैं और सिलिका स्लिप होना बहुत प्रॉब्लमेटिक जाता है तो वह चीज नहीं होता इसके लिए कुछ भी बचा कुछ अगर कोई चीज स्लिप हो रहा है तो वह चीज नहीं हो उसके लिए आधार अंत में एक मिक्स बेड रहता है और मिक्स बेड में क्या रहता है मिक्स बेड में एनायन एक्ट रेजिन और केटाइन रेजिन दोनों को मिक्स कर दिया जाता है तो दोनों को केटाइन एनायन रेजिन और एनायन रेजिन तो इसलिए whatever left cations या anions जो है वो totally absorb हो जाता है और remove हो जाता है और ये generally silica removal के लिए काम किया जाता है क्योंकि silica जो है वो even strong base anion के पार भी जाने के चांसे जाता है generally नहीं जाता है लेकिन थोड़ा बहुत भी कुछ गड़बर हुआ तो एक हमारे पास mixed bed रहना चाहिए जहाँ नहीं रहता है ठीक है इससे ज्यादा अगर होने लगे तो हमको मतलब रेड को आपको रिजनेट करना है तो मतलब अल्टिमेटली क्या होता है कि जो भी बचा कुछ एनाइन है ना वह यहां पर एंड्रॉब्स हो जाता है तो इसीलिए अगर पर कंडक्टिविटी जो हमारा करीकर आता है 40 के असपास फोटी माइक्रोसीमन यहां पर आ जाता है टेन या फाइड के असपास और यहां पर आता है आते-ाते एकदम पॉइंट फाइप माइक्रोसीमन पर सेकेंट पर सेंटीमेटर हो जाता है तो यह जो है इसका मतलब जो भी बच्चा को चाहिए ना था वह एंड केटाइन था वह पूरे यहां पर एडिटाउन हो गया ठीक है और इस तरह से यह एक्जॉस्ट हो रहा था तो कुछ नहीं हम उसमें एसिड के साथ ट्रिप कर दे रहे हैं और जब हमारे एनाइन एक्जॉस्ट एनाइन ही हो रहा था उसको हम लोग क्या कर रहे थे कि बेस के साथ ट्रिप कर दे रहे थे यहां पर तो के टाइम ए एक्जॉस्ट हो गया तो एक्जॉस्ट होने के बाद इसको हम लोग क्या करते हैं बैकवास करने के के लिए और एनाइन को सेपरेट कर पर है तभी तो हम एक जगह पर बिस के साथ ट्रिट करेंगे एक स्पेशिट के एक एक एसिड से ट्रिप करेंगे तो क्या होता है जब वाटर के साथ जब हम बैकबस करते हैं तो केटाइन का जो एक डेंसिटी थोड़ा हाई है तो केटाइन नीचे आ जाता है एनाइन ऊपर च दोनों सेपरेट हो जाते हैं सेपरेट होने के बाद नीचे से ऐसी रहने दे दिया ऊपर से बेस दे दिया और इस तरह से दोनों रिजनरेट हो गया और यहां से बेस निकल गया और एक बार रिजनरेट हो गया तो उसके बाद फिर से आप इसको क्या करना पड़ेगा इसको वापस मिक्स करना पड़ेगा तो मिक्स करने के लिए हम लोग कंप्रेस्ट एयर देते हैं और एयर के मदद से मिक्सिंग हो जाता है और मिक्स करने के बाद और फिर से वापस इसको एक तरह से हम लोग अधिक ड्राइवी कर लिए और मिक्सिंग कहां पर कौन सा बेट का क्या पर्पस है तो आशा करता हूं कि आपको यह पूरा कंसेप्स समझ में आए होगा अ वीडियो को यहीं स्टॉप करते हैं और लंबा नहीं करते हैं वीडियो दे�