Study IQ IAS अब तयारी हुई अफोर्टबल Welcome to Study IQ मेरा नाम है आदेश सिंग दोस्तो 1947 में British India का partition हुआ और उसकी जगहें दो नए Independent Nation States India और Pakistan existence में आए पर Independence के तुरंद बाद ही दोनों के बीच संखर्ष शुरू हो गया कभी वार तो कभी conflict तो कभी military stand-offs इन दोनों countries की relations global order में ऐसे ही define की जाती रही आज जमू और कश्मीर में इंडिया पाकिस्तान backed proxy war जहेल रहा है इसके अलावा दोनों countries की armies के बीच border clashes आई दिन देखने को मिलते हैं इन adverse relations का एतिहास पुराना है और इसी के चलते इंडिया और पाकिस्तान के बीच आज तक 4 full scale wars हो जुके हैं 1947 1965, 1971 और 1999 में आज की इस कहानी में हम आपको इंडिया और पाकिस्तान के बीच हुए चार मेज़र वॉर्ज के बारे में बताएंगे और जानेंगे कि ये वॉर्ज क्यूं हुए और उनके रिजल्ट्स क्या रहे दोस्तों इंडिया पाकिस्तान के बीच सबसे पहला वॉर आजादी मिलने के तुरंत बाद यानी 1947 में हुआ आईए जानते हैं इस वॉर के बारे में इंडिया पाकिस्तान वॉर 1947 दोस्तो 1947 के इस वार को फर्स्ट कश्मीर वार भी कहा जाता है क्योंकि ये वार जमू और कश्मीर के लिए हुआ था आप जानते हैं कि 1946 से 1947 के बीच मुस्लिम नैशनलिजम अपने चरम सीमा पर था All India Muslim League की लीडिशिप में मुस्लिम्स एक सेपरिट स्टेट की डिमान कर रहे थे और इस कॉंटेक्स्ट में हिंदूज और मुस्लिम्स के बीच कई रायट्स हुए नतीजतन बृतिशर्स ने इंडिया को डिवाइड करने का डिसिजिन लिया और पाकिस्तान का फॉर्मेशन हुआ। इंडिपेंडन्स के बाद प्रिंसली स्टेट्स में इंडिया या पाकिस्तान को जॉइन करने को लेकर कई डिस्प्यूट्स हुए। जम्मू और कश्मीर प्रिंसली स्टेट के महराजा हरी सिंग ने शुरुवात में दोनों ही डॉमिनियन्स को जॉइन करने से इंकार कर दिया। रीजन ये दिया गया कि ये स्टेट एक मुस्लिम मजारिटी स्टेट है जो इंडिया को जॉइन कर तो इस रीजन के हिंदूज, सीक्स और बाकी माइनॉरिटीज वल्निरबल हो जाते। पिलिटिकल सिनारियो की बात करें तो यहाँ पर दो पार्टीज डॉमिनेंट थी। पहली थी शेक अब्दुला की लीडिशिप में नैशनल कांफरेंस। यह पार्टी सेकिलर थी। इंडियन नैशनल कांग्रिस की एलाई थी और इंडियन यूनियन को जॉइन करने के फेवर में थी। और दूसरी पार्टी थी मुस्लिम कांफरेंस जो ओल इंडिया मुस्लिम लीग के पक्ष में थी और पाकिस्तान जॉइन करने के फेवर में थी। अब आया ओगस्ट 1947 जब इंडिया को आजादी मिलने वाली थी। इस दोरान जमू और कश्मीर के पूंच एरिया के मुस्लिम्स ने रिबेलियन कर दिया। रिबेलियन का कारण हाई टैक्सेशन और इंप्लॉयमेंट की कमी को बताया जाता है। पूंच में हो रही इस अपराइजिंग के चलते महराजा हरी सिंग ने जमू और कश्मीर के वेस्टर डिस्ट्रिक्ट पर अपनी पकड़ खो दी। ऐसा बताया जाता है कि इस रिबेलियन के कारण। महराजा इंडिया को जोइन करने के लिए तैयार हो गए पैनिक में मुस्लिम कॉन्फरेंस ने पाकिस्तान गवर्नमेंट को तुरंत एक्शन लेने के लिए उकसाया इस बीच पाकिस्तानी लीडिशिप को भी लगा कि महराजा जमू और कश्मीर को इंडिया में विले करना चाहते हैं और इसी के चलते 22 अक्टूबर 1947 को पाकिस्तान की पश्टून ट्राइबल मिलिशाज ने जमू और कश्मीर को इंवेड कर दिया और पाकिस्तानी फोर्सेज ने लोकल ट्राइबल मिलिशाज के साथ मिलकर श्रीनगर को कैप्चर करने का प्लान बनाया इंडियन मिलिटरी सोसेस के अनुसार इस मिशन का नाम ओपरेशन गुलमर्ग था अटैक होते ही महराजा ने इंडिया को मदद भेजने की रिक्वेस्ट की और इंडियन लीडिशिप ने हेल्प के बदले एक शर्त रखी किसी भी तरह से लॉजिकल नहीं होता इंडिया का पार्ट होने पर ही जमू और कश्मीर को डिफेंड करना इंडिया की रिस्पॉंसिबलिटी हो सकती थी ऐसे में महराजा ने शर्थ को स्वीकार कर लिया आईए अब देखते हैं पाकिस्तान सपोर्टेट पश्टून्स का ट्राइबल अटैग और कैपिटल का रास्ता खुल गया इस ट्राइबल आर्बी में पाकिस्तानी आर्बी के सोल्जर्स भी थे जो वेश बदल कर शामिल हुए थे। जैसा कि हमने बताया कि महराजा ने इंडिया का इंस्ट्रुमेंट वेक्सेशन स्व एक सेशन होते ही इंडिया ने ट्रूप्स और एक्विप्मेंट को श्रीनगर एरलिफ्ट किया और इस ओपरेशन के कमार्डिंग ओफिसर थे लिफ्टेनिन करनल दिवान रंजीत राए। इंडियन मिलिटरी ने महराजा की फोर्सेस को रीनफोर्स किया। मिलिटरी ने एक डिफेंस परामेटा बनाया और ट्राइबल फोर्सेस को श्रीनगर के बाहरी इलाके में डिफीट किया। और इसके बाद एक लंबी लड़ाई शुरू हुई, जहां इंडियन मिलिटरी और पाकिस्तानी ट्राइबल फोर्सेस के बीच एक के बाद एक अलग-अलग जगहों पर क्लैशस हुए। ओक्टोबर 1947 में जब अटाक शुरू हुआ तो वार फ्रंट था नौशेरा, राजौरी, गुलमर्ग, उरी, बरमुला, गुराईस और सकार्डू इन ही सिटीज के फ्रंट में वार चलता रहा और 31st December 1948 तक ये फ्रंट कुछ इस प्रकार था जहांगर, राजौरी, गुलमर्ग, उरी, तित्वाईल, गुराईस और कारगिल इन सभी एरियास को इंडियन आवी ने सक्सेसफुली अपने कंट्रोल में कर लिया United Nations Security Council की मदद ली जिसके बाद दोनों साइड्स के बीच नेगोशियेशन्स शुरू हुई दोनों साइड्स ने सीज़ फायर को मनजूर कर लिया और सीज़ फायर के टर्म्स और कंडिशन्स को यूएन कमिशन के रेजिलूशन 47 में लिखा गया और फाइनली 1st January 1949 को सीज़ फायर डिकलेयर किया गया उसे आज हम लाइन अफ कंट्रोल के नाम से जानते हैं दो तीहाई हिस्सा आया, जिसमें इंक्लूडिट थे कश्मीर वैली, जम्मू और लदाक. UNSC Resolution के Terms के मताबिक, पाकिस्तान को अपनी Forces को विद्रॉग करना पड़ा, और इंडियन Forces को इस रीजन में Law and Order मेंटीन करने का जिमा दिया गया. दोस्तों, इंडिया इस वार में Victorious हुआ, क्यूंकि Disputed Territory के बड़े हिस्से को डिफेंड करने में वो सफल रहा. तो दोस्तों, यहां तक हमने 1947 में हुए इंडिया-पाकिस्तान वार के बारे में देखा. अब आगे बढ़ते हैं और देखते हैं अगली वार यानी 1965 इंडिया-पाकिस्तान वार के बारे में इंडिया-पाकिस्तान वार 1965 दोस्तो इस वार को सेकंड कश्मीर वार भी कहा जाता है क्योंकि ये वार भी कश्मीर टेरिटरी के लिए ही हुआ था फर्स्ट कश्मीर वार की तरह ही इस वार को भी पाकिस्तान ने शुरू किया था बैकग्राउंड 1947 में हुए पार्टिशन के बाद से ही इंडिया और पाकिस्तान के बीच कई बॉर्डर डिस्प्यूट्स चलते रहे इन डिस्प्यूट्स में कश्मीर कॉंफ्लिक्ट में इशू था लेकिन इसके अलावा गुजराद के रण अफ कच में भी पाकिस्तान कुछ टेरिटरी क्लेम कर रहा था 1965 में बृतिश प्रामिनिस्टर हैरल विल्सन ने दोनों कंट्रीज को एक ट्राइबूनल सेट अप करके इस नेगोशियेशन को कहीं न कहीं पाकिस्तान एक सक्सेस के रूप में देखने लगा इस सक्सेस के बाद और 1962 साइनो इंडिया वार में इंडिया की डिफीट देखकर, पाकिस्तान को ऐसा लगा कि इंडियन आमी कश्मीर को डिफेंड नहीं कर पाएगी.
इस दोरान यानी 1960s में USA की तरफ से पाकिस्तानी आमी को मिलिटरी एड भी मिली, जिसने आमी को मॉडरनाइज किया. इससे पाकिस्तानी आर्मी और भी ज्यादा कॉन्फिडेंट महसूस कर रही थी. इन ही रीजन्स के चलते पाकिस्तान ने 1962 में एक बार फिर कश्मीर पर कब� और वार की शुरुवात हुई आइए देखते हैं इस वार के इंपोर्टेंट इवेंट्स के बारे में इवेंट्स औव वार दोस्तों 5th ओगस्ट 1965 को पाकिस्तानी ट्रूप्स ने कश्मीरी लोकल्स के वेश भूशा में एलोसी यानि लाइन अफ कंट्रोल को क्रॉस किया उनका मकसद था कश्मीर के लोकल लोगों को और कश्मीर पर कबजा करना पाकिस्तान के इस मिशन को Operation Gibraltar नाम दिया गया था ये Operation War का Immediate Cause बना लेकिन पाकिस्तान आर्मी का प्लान यहां असबहल रहा जी हाँ, Operation Gibraltar फेल हो गया क्योंकि कश्मीर के लोगों ने खुद ही पाकिस्तानियों के होने की जानकारी इंडियन आर्मी को दे दी और हाजी पीर पास को कैप्चर कर लिया जो पाकिस्तान Occupied Kashmir यानि POK में था इसके बाद, 1st September को पाकिस्तान ने Operation Grand Slam शुरू किया इसका मकसद था जम्मू के अखनूर को कैप्चर करना इंडियन आमी ने पाकिस्तान के इस प्लैन पर भी पानी फेड़ दिया और पाकिस्तानी फोर्सेस को बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा 6th September को इंडियन आमी ने रैट क्लिफ लाइन यानी इंडिया और पाकिस्तान के बीच के ये वार पिछले वार के कमपैरिजन में अलग था क्योंकि ये वार कई फ्रंट्स में हुआ जिसमें राजस्थान भी एक था इसके अलावा इस वॉर में पहली बार इंडिया और पाकिस्तान के बीच एरियल वॉर यानी हवाई युद्ध दे यही नहीं इस वार में नेवल बैटल भी हुई यह वार 23 सेप्टेंबर 1965 को एंड हुआ इसको खत्म करने के पीछे UNSC यानि United Nations Security Council का हाथ था UNSC ने दोनों कंट्रीज को Unconditional Cease Fire अनाउंस करने के लिए प्रेडित किया इस वार में इंडिया की विक्ट्री हुई क्योंकि पाकिस्तान का एम Liberation of Kashmir सक्सेसफुल नहीं हुआ बाद में Cease Fire नेगोशियेशन्स में यूएसे और यूएसेसार ने भी हिस्सा लिया ये निगोशियेशन्स ताशकंद में जैनियूरी 1966 में हुई जो आज के उस्बेकिस्तान में है और इसका रिजल्ट हुआ ताशकंद डेकलिरेशन इस डेकलिरेशन के सिग्निटरीज थे और पाकिस्तान प्रेजिडेंट मुहम्मद अयूब खान इस अग्रीमेंट के हिसाब से दोनों कंट्रीज को एनेक्स किये हुए रीजन्स को वापस करना था खेर, पाकिस्तान को हुए लॉसस के हिसाब से इंडिया को विक्टोरियस बोला जा सकता है। इस वार के बाद इंटेलिजन्स फेलियर का मुद्धा भी सामने आया। क्योंकि पाकिस्तानी फोर्सेज ने इंडियन टेरिटरीज में एंट्री की थी और इंटेलिजन्स एजिन्सीज को इस बात की खबर तक नहीं थी। यानि एक और वार का अंत हुआ आगे बढ़ते हैं और देखते हैं अगले इंडिया-पाकिस्तान वार के बारे में जो 1971 में हुआ इंडिया-पाकिस्तान वार 1971 दोस्तों जैसे कि हमने बताया कि इंडिया और पाकिस्तान के बीच चार मेजर वार्स हुए इन चार में सिर्फ यही एक वार बाकियों से अलग और युनीक था ऐसा इसलिए क्योंकि सिर्फ यही एक वार था जिसमें कश्मीर इशू इनवाल्वड नहीं था दरसल ये वार बांगलादेश के लिबरेशन से रिलेटेड था आईए जानते हैं इसके बैक्राउंड के बारे में दोस्तों आप सभी जानते हैं कि 1947 में जब ब्रिटिश इंडिया का पार्टिशन हुआ तो दो डॉमिनियन्स क्रियेट हुए इंडिया और पाकिस्तान पाकिस्तान की दरसल दो टेरिटरीज थी एक इस्ट पाकिस्तान जो बिंगॉल से अलग करके बनाया गया था और जिसे आज हम बांगलादेश के नाम से जानते हैं जो आज का पाकिस्तान स्टेट है पार्टिशन के समय से ही इस्ट पाकिस्तान के लोग इस बात से नाखुश थे कि उनका कल्चर और स्टेटिस वेस्ट पाकिस्तान द्वारा दबाया जा रहा है। इसी कॉंटेक्स्ट में 1948 में वहाँ एक लैंग्विज मूव्मेंट शुरू हुआ। उनकी मांग थी कि बेंगॉली को भी उर्दू के बराबर का दर्जा दिया जाए। जहां कॉमन बजट का ज्यादा शेर वेस्ट पाकिस्तान को दिया जाता था, बेंगॉलीज की इस कोशिश को पाकिस्तान की अथॉरिटीज ने हर तरह से सप्रेस करने का प्रयास किया। इसके बाद आया 1970 का जेनरल इलेक्शन। इस इलेक्शन में इस्ट पाकिस्तान के पलिटिकल लीडर मुझी बुर्रहमान की पार्टी आवामी लीग को क्लियर मज़ौरिटी मिली। लेकिन वेस्ट पाकिस्तान की मिलिटरी ने जिसमें सिर्फ 5% बिंगॉलीज थे उनको अपना सुप्रीमो मानने से इंकार कर दिया। और इसी के चलते 25th March 1971 को पाकिस्तानी आमी ने Operation Searchlight शुरू किया इस Operation के जरिये Military ने East Pakistan के Bengali Resistance को पूरी तरह खत्म करने की ठान ली Students, Intellectuals और Civilians की आवाज को Suppress किया जाने लगा इतना ही नहीं बड़े स्तर पर पाकिस्तानी Military, Bengali Intellectuals की हत्या करने लगी यानि Operation Searchlight एक नरसंगहार में तबदील हो चुका था मुझीबुर को जल्द ही ये समझ आ गया कि वेस्ट पाकिस्तान इतनी आसानी से उन्हें पावर देने वाला नहीं है और इसलिए उन्होंने 26th माज को पाकिस्तानी स्टेट से इंडिपेंडेंस अनाउंस कर दिया जैसे पाकिस्तानी लीडिशिप बॉखला गई हो और फिर पाकिस्तानी आमी और बांगलादेश लिबरेशन फोर्सस यानि मुक्ति बाहिनी के बीच एक गोरिला वार शुरू हो गया। लेकिन ये पूरा मामला तो पाकिस्तान की टेरिटरी में ही चल रहा था। फिर इंडिया के साथ वार शुरू होने का क्या कारण रहा। आईए जानते हैं। रोल अव इंडिया दोस्तों जैसा की हमने बताया की पाकिस्तानी आर्मी ने बिंगॉलीज का परसिक्यूशन शुरू कर दिया था। लेकिन ये सिलसिला ज्यादा समय तक नहीं चल सकता था, क्योंकि इंडिया की इकानमी पर दबाव बढ़ और इसी लिए इंडिया ने इस वार में इंटरवीन किया पाकिस्तान को लगा कि इंडिया मुक्ती बाहिनी की मदद आम्स और एमिनीशन दे कर कर रहा है ऐसे में पाकिस्तानी आमी ने वेस्टिन इंडिया की कई लोकेशन पर एर स्ट्राइक्स शुरू कर दिये और यहीं से दोनों कंट्रीज के बीच वार की शुरूआत हुई इंडियन आमी ने बेंगॉली फोर्सेस की तरफ से वार में हिस्सा लिया थर्ड डिसेंबर 1971 को इंडिया ने ओफिशली इस वार में पार्टिसिपेट किया और यह वार तेरा दिन चला, इंडियन आमी के जुड़ते ही पाकिस्तानी आमी धाका को डिफेंड करने में नाकाम रही और 16th December 1971 को पाकिस्तान आमी ने सिरेंडर कर दिया ये फेमस इंस्ट्रुमेंट अफ सरेंडर इंडिया की लिफ्टेनेंट जेनरल जगजीत सिंग औरोरा और पाकिस्तान के अमीर अब्दुला खान नियाजी के बीच साइन हुआ इस सरेंडर की एक फेमस तस्वीर आप देख सकते हैं इस तरह इंडिया वार्ड जीत गया और एक नई कंट्री बांगलादेश का जन्म हुआ। इस वार में इंडियन आर्मी ने अद्भुत पराक्रम का प्रदर्शन किया। जहां इंडियन आर्मी ने लगभग एक तिहाई पाकिस्तानी आर्मी को कैप्चर कर लिया था। इसके बार 1972 में इंडिया और पाकिस्तान के बीच शिमला अग्र इस वार ने सबकॉंटिनेंट में इंडिया के मिलिटरी और पिलिटिकल डॉमिनेंस को इस्टैबलिश किया और इस तरह दोस्तों इंडिया-पाकिस्तान के बीच तीसरे वार का भी अंत हुआ अब हम चलते हैं सीधे 1999 में जब इंडिया और पाकिस्तान के बीच चौथा और अभी तक का आखरी वार हुआ इंडिया-पाकिस्तान वार 1999 दोस्तों कारगिल वार के नाम से प्रसिद्ध ये वार एक लिमिटेड वार था लिमिटेड इसलिए क्योंकि ये वार मोस्ली कारगिल डिस्ट्रिक्ट में ही कनफाइन था इंडिया में इस कॉन्फ्लिक्ट को ओपरेशन विजै नाम दिया गया आईए जानते हैं इसके बैकग्राउंड के बारे में बैकग्राउंड दोस्तो 1971 वार के बाद दोनों कंट्रीज के बीच क्लैशस कुछ कम हो गये लेकिन 1990s में एक बार फिर से टेंशन्स और कॉन्फ्लिक्ट्स शुरू हुए इसका कारण था कश्मीर में बढ़ रही सेपरेटिस्ट अक्टिविटीज इसके अलावा 1998 में दोनों कंट्रीज ने नूकलियर टेस्ट्स भी किये जिसके चलते महौल और ज्यादा टेंस हो गया इस सिचुएशन को डिफ्यूस करने के लिए दोनों कंट्रीज ने मिलकर February 1999 में लहौर डेकलेरेशन साइन किया इंडियन प्राइम मिनिस्टर अटल बिहारी वाजपई और पाकिस्तान प्राइम मिनिस्टर नवाज शरीफ ने इसको साइन किया इस ट्रीटी के तहट कश्मीर कॉन्फ्लिक्ट का पीसफुल और प्राइम मिनिस्टर ने मिलकर February 1999 में लहौर डेकलेरेशन साइन किया और बाइलाटरल सिल्यूशन ढूंढा जाना था जहां एक तरफ पाकिस्तान की पलिटिकल लीडिशिप लाहौर डेकलेरेशन साइन कर रही थी वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तानी मिलिटरी के मन्सूबे कुछ और ही थे 1998 और 1999 के बीच LOC की इंडियन साइड में भेजना शुरू कर दिया था कहा जाता है कि पाकिस्तानी PM नवाज शरीव को मिलिटरी के इस पूरे प्लान की कोई जानकारी ही नहीं थी खेर एक बार फिर पाकिस्तानी आमी ने इंडिया की तरफ से की गई शांती की पहल को नामन्जूर कर दिया था इसके बाद वार होना तो स्वाभाविक था आईए अब इस वार के इंपोर्टेंट इवेंट्स के बारे में जानते हैं इवेंट्स औव वार दोस्तों कारगिल के लोकल्स ने पाकिस्तानी इंफिल्ट्रेटर्स की जानकारी थर्ड में 1999 को इंडियन ओथोरिटीज को दी जिसके बाद इंडियन आर्मी ने पट्रोल यूनिट सेट अप की लेकिन इस बात का अंदाजा किसी को नहीं था कि पाकिस्तानीज की संख्या कितनी है और वो कितना अंदर तक घुस चुके हैं। इसी वजह से बहुत से पट्रोलिंग सोल्जर्स को पाकिस्तानी फोर्सेस द्वारा कैप्चर कर लिया गया और उनका भयानक टॉचर हुआ। और ककसर सेक्टर्स में एलोसी के आर पार इंफिल्ट्रेटर्स ने एंटर किया। मेघ के बीच में इंडियन आमी ने कारगिल सेक्टर में अपने ट्रूप्स को भेजा। वहीं इंडियन एयर फोर्स ने इन घुस्पैठियों पर हमले शुरू कर दिये। फोर्थ जुलाई को इंडियन आमी ने टाइगर हिल को कैप्चर कर लिया। और अगले दिन द्रास को भी कैप्चर कर लिया। टाइगर हिल आज के लदाक के द्रास कारगल रीजन में एक माउंटिन है। इनका कैप्चर होना एक मेजर ब्रेक्ट International Front पर US President Bill Clinton ने पाकिस्तान से troops withdraw करने के लिए कहा और जल्द ही International Pressure के चलते 11th July 1999 को पाकिस्तान ने troops withdraw करना शुरू भी कर दिया 14th July 1999 को इंडिया के Prime Minister Atal Bihari Vajpayee ने Operation Vijay के सक्सेस्फुल होने का एलान किया और 26th July को इस वार का अंत हुआ दोस्तो इस वार में G8 Countries आसियान, यूएसे और ईयू सभी ने इंडिया का सपोर्ट किया, जो ये दर्शाता है कि इंटरनाशनल ओर्डर में इंडिया की इमेज एक रिस्पॉंसिबल और पीसफुल नेशन की थी.
दोस्तों, आज की इस कहानी में हमने इंडिया और पाकिस्तान के बीच हुए चार मेजर वार्ड्स के बारे में जाना. इन वार्ड्स में से तीन वार का में इशू कश्मीर था, जहां कॉन्फ्रिक्ट्स और इंसरजन्सी अभी तक कम्प्लीटली खत्म नहीं हो पाई हैं. और दोनों कंट्रीज के बीच आज भी एक टेंशन का कारण बना हुआ है 2001 के बाद इंडियन गवर्नमेंट ने एक फॉर्वर्ड एकनामिक पॉलिसी को अपनाया जिसके चलते डोमेस्टिक प्रॉस्पेरिटी, ग्लोबलाइजेशन और पाकिस्तान के साथ लगातार नेगोशियेशन का दोर शुरू हुआ लेकिन पाकिस्तानी रेजीम ने अभी तक टेररिरिस्ट को सेफ हेवन प्रोवाइड करना बंद नहीं किया है दोनों कंट्रीज के बीच क्लैशेज कुछ समय के पीस के बाद फिर से रिन्यू हो जाते हैं 14th February 2019 को हुआ पुलवामा अटैक इसका बेस्ट एक्जांपल है जिसमें हमारे 40 CRPF जवान शहीद हो गए थे इसका बदला इंडिया ने 26th February को LOC के पार टेरिरिस्ट कैम्प्स पर एर स्ट्राइक के थुरू लिया क्लैशस का ये सिलसिला आज भी जारी है आज भी पाकिस्तान एकणॉमिक डिवेलप्मेंट के बजाए एंटी इंडिया रेटरिक फैलाने में लगा हुआ है जिसके चलते वो लगातार economic collapse की तरफ बढ़ रहा है खैर समय की जरूरत तो यही है कि दोनों countries एक साथ मिलकर peacefully अपनी problems का solution निकालने की कोशिश करें ताकि world peace ensure हो सके और हम war और conflict से हट कर एक बेहतर कल की तरफ बढ़ सके Study IQ IS अब तयारी हुई affordable