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SN1 रिएक्शन के नोट्स
Jul 30, 2024
न्यूक्लियोफिलिक सब्स्टिट्यूशन: SN1 रिएक्शन
परिचय
न्यूक्लियोफिलिक सब्स्टिट्यूशन (Nucleophilic Substitution) दो प्रकार का होता है: SN1 और SN2।
इस लेक्चर में SN1 रिएक्शन पर विस्तृत चर्चा की जाएगी।
पिछले लेक्चर में 'लीविंग ग्रुप' पर चर्चा की गई थी।
SN1 रिएक्शन का आधार
SN1 का मतलब है "Substitution Nucleophilic Unimolecular"।
इसमें रिएक्शन की दर (Rate-Determining Step) में केवल एक अणु शामिल होता है।
ये पहले ऑर्डर रिएक्शन कहलाता है।
रिएक्शन मेकानिज्म
उदाहरण:
हाइड्रोलिसिस ऑफ आल्काइल हैलाइड: [ R-X + H_2O \rightarrow R-OH + X^- ]
दो मुख्य चरण:
कार्बोकेटाइन का निर्माण:
[ R-X \rightarrow R^+ + X^- ]
न्यूक्लियोफाइल का अटैक:
[ R^+ + OH^- \rightarrow R-OH ]
कार्बोकेटाइन की स्थिरता रिएक्शन की दर को प्रभावित करती है।
कार्बोकेटाइन की स्थिरता
सबसे स्थिर कार्बोकेटाइन:
3 डिग्री (3-Degree) सबसे स्थिर।
फिर 2 डिग्री (2-Degree)।
फिर 1 डिग्री (1-Degree) और फिर मिथाइल।
स्थिरता का कारण: हाइपरकंजुगेशन और रेज़ोनेंस।
रिएक्शन की दर में प्रभाव
लीविंग ग्रुप की क्षमता:
सबसे बेहतर लीविंग ग्रुप: I<sup>-</sup>, फिर Br<sup>-</sup>, फिर Cl<sup>-</sup>।
सॉल्वेंट का प्रभाव:
SN1 रिएक्शन के लिए सॉल्वेंट पोलर प्रोटिक होना चाहिए।
उदाहरण: H2O, C2H5OH, CH3COOH।
स्टीरियोकेमिस्ट्री
SN1 में रिएक्शन के परिणामस्वरूप रेसमिक मिश्रण उत्पन्न होता है।
रेटेंशन और इनवर्जन हो सकते हैं।
आमतौर पर, इनवर्जन उत्पाद की मात्रा आधिक होती है।
निष्कर्ष
SN1 रिएक्शन एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें स्थिरता और सॉल्वेंट के प्रभाव महत्वपूर्ण है।
रिएक्शन की दर लीविंग ग्रुप और कार्बोकेटाइन की स्थिरता पर निर्भर करती है।
होमवर्क
SN1 रिएक्शन पर एक प्रश्न दिया गया था, जिसमें रि-एरेन्जमेंट और रेसमिक मिश्रण के क्षेत्रों को समझना है।
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