हेलो हेलो हेलो हेलो हेलो हेलो हां भाई हेलो बच्चों बाबा नमस्कार स्वागत है सभी लोग आज के लेक्चर में क्या मेरी आवाज आ रही है क्या मैं दिखाई दे रहा हूं जल्दी फटाफट से बता दीजिए भारी मात्रा में लोग जुड़ चुके हैं आज हमारे साथ 20 करोड़ लोग जुड़े हुए हैं। स्वीटी करन आकांक्षा वंदना राहुल अभिषेक सलमान क्रिकेट गेमिंग क्या बात है। ग्रेस प्रियांशी तारा विवेक सिद्धार्थ शांतिप्रिया राजू आकाश बहुत-बहुत नमस्कार। तो स्टार्ट किया जाए। बहुत ही ज्यादा इंपॉर्टेंट चैप्टर है आज आपका जीओसी और जीओसी एक बार आपको क्लियर हो गया तो आगे रिएक्शन का पोर्शन भी आपका बहुत स्मूथ जाएगा फिर। ठीक है? तो चलिए जीओसी यानी कि जनरल ऑर्गेनिक केमिस्ट्री को बहुत अच्छे से बिल्कुल बेसिक से कवर करेंगे। है ना? क्योंकि ये चैप्टर है जो थोड़ा बेसिक से पढ़ना होता है और आप यह बात फील करेंगे कि जब चैप्टर खत्म हो जाएगा तो आपसे जीूओसी के सवाल बनने लगेंगे। है ना? और बिल्कुल भी अभी इस समय घबराने की जरूरत नहीं है। आपको थोड़ा सा लोड फील हो रहा होगा। लेकिन ये आप ही के लिए है। ठीक है? और ये ट्राई करें कि क्लास में ही चीजें क्लियर कर लें। ठीक है? क्लास में ही पूरा का पूरा कंटेंट अच्छे से आपको कंज्यूम करना है। अच्छे से उसको पढ़ना है। क्लियर है? एकदम करें स्टार्ट। चलिए लगभग ये मान के चलिए कि 6 घंटे लगेंगे इसमें। है ना? करें स्टार्ट। फिर कह रहा है मेरा नाम ले लीजिए। आइए बेटा पूरा बेसिक से पढ़ेंगे। डोंट वरी बिल्कुल रिवीजन करें। रिवीजन के लिए तो है ये भैया। उम्मीद सीरीज रिवीजन के लिए तो होती है कि अच्छे से आप रिवाइज करके जाएं। ठीक है? चलिए तो स्टार्ट करते हैं। कुछ-कुछ टॉपिक्स हैं इसमें। ठीक है? इंडक्टिव इफ़ेक्ट, रेजोनेंस इफ़ेक्ट, मेज़ोमेरिक इफ़ेक्ट जिसको बोलते हैं अपन। है ना? हाइपर कंजुगेशन। इसके पहले थोड़ा सा बेसिक भी बता दूंगा आपको। है ना? एरोमेटिसिटी, स्टेबिलिटी ऑफ़ इंटरमीडिएट के बारे में पढ़ेंगे। एसिडिक बेसिक स्ट्रेंथ इन ऑल कंटेंट कवर करेंगे। रेजोनेंस एनर्जी, हीट ऑफ कंबस्शन, हीट ऑफ हाइड्रोजेनेशन, इलेक्ट्रोफाइल, न्यूक्लियोफाइल टाइप ऑफ रिएक्शन और एनसीईआरटी एग्ेंपलर के सवाल होंगे, नीट के सवाल होंगे, एम्स के सवाल होंगे, जेईई मेन के सवाल होंगे। ठीक? चलिए, स्टार्ट करते हैं। पहले थोड़ा जनरल इंट्रोडक्शन देख लेते हैं। जीओसी में क्या होता है? जीओसी में बेटा सारा खेल इलेक्ट्रॉन डेंसिटी का होता है। जीओसी हम इसलिए पढ़ते हैं ताकि आपको रिएक्शंस की क्लेरिटी हो पाए। और रिएक्शंस की क्लेरिटी में आपको बस इतना ध्यान रखना होता है कि जिसके पास इलेक्ट्रॉन होते हैं वो अपने इलेक्ट्रॉन उसको देता है जिसके पास इलेक्ट्रॉन की कमी होती है। ठीक है? मतलब इलेक्ट्रॉन रिच स्पीशी अपने इलेक्ट्रॉन किसको देती है? इलेक्ट्रॉन डेफिशिएंट स्पीशीज को देती है। यूजुअली ऐसा होता है। ठीक है? तो इसका मतलब ये है कि सारा खेल इलेक्ट्रॉन डेंसिटी का होने वाला है। भाई सर आपने बोला कि जिसके पास ज्यादा इलेक्ट्रॉन डेंसिटी है वो कम इलेक्ट्रॉन डेंसिटी वाले को अपने इलेक्ट्रॉन देगा। इसका मतलब इलेक्ट्रॉन डेंसिटी का खेल पता होना चाहिए। तो मुझे बताइए इलेक्ट्रॉन डेंसिटी से क्या तात्पर्य है? कोई बता सकता है क्या? इलेक्ट्रॉन डेंसिटी का मतलब क्या है? किसी के दिमाग में कुछ आ रहा हो? बताइए जरा। हां बेटा बेसिक ही चल रहा है। इलेक्ट्रॉन डेंसिटी पढ़ा रहा हूं तुमको। तो इससे ज्यादा बेसिक क्या होगा? बताइए। बताइए जल्दी बताइए। इलेक्ट्रॉन डेंसिटी से क्या मतलब है? इलेक्ट्रॉन डेंसिटी से मतलब है इलेक्ट्रॉन का मतलब होता है नेगेटिव चार्ज। तो नेगेटिव चार्ज ज्यादा से ज्यादा हो तो मैं यह बोल सकता हूं कि इलेक्ट्रॉन डेंसिटी ज्यादा है। साइज कम हो और चार्ज ज्यादा हो तो डेंसिटी ज्यादा होती है। ये बात सही है ना? जैसे अगर मैं इलेक्ट्रॉन डेंसिटी को चार्ज डेंसिटी बोलना चाहूं कौन सी वाली? नेगेटिव चार्ज डेंसिटी यानी कि इलेक्ट्रॉन नेगेटिवली चार्ज होता है। तो चार्ज डेंसिटी किस बात पे डिपेंड करेगी? ये डिपेंड करेगी चार्ज ज्यादा होना चाहिए। और साइज कम होना चाहिए। ये सही बात है। और अगर हम बात कर रहे हैं इलेक्ट्रॉन डेंसिटी की तो चार्ज की जगह आप इलेक्ट्रॉन डेंसिटी बोल दो। और यहां चार्ज कौन सा बोल दो? नेगेटिव चार्ज। चार्ज कौन सा बोल दो? नेगेटिव चार्ज। यानी कि साइज कम हो और चार्ज ज्यादा हो तो डेंसिटी ज्यादा। जैसे मान लीजिए अगर मैं आपको एक एग्जांपल से समझाऊं। आप मुझे बताना। आप मुझे बताना। एक छोटा वाला पिज़्ज़ा मैंने रख दिया। एक बड़ा पिज़्ज़ा रख दिया। तो, मुझे बताइए, मुझे ऑर्गेनो का एक पाउच डालना है। ठीक है? एक पाउच मैंने इसके अंदर डाल दिया। और एक पाउच मैंने इसके अंदर वही सेम। तो बताइए कहां डेंसिटी ज्यादा होगी? कहां डेंसिटी ज्यादा होगी? बोलिए इन दोनों में। ऑब्वियसली इलेक्ट्रॉन डेंसिटी इसकी ज्यादा होगी। सही बात है। इलेक्ट्रॉन डेंसिटी इसकी ज्यादा होगी। है ना? भाई। साइज अगर कम होगा तो इलेक्ट्रॉन डेंसिटी ज्यादा होगी। बिल्कुल सही बात है। एकदम सही कह रहे हैं आप। है ना? तो यह खेल इलेक्ट्रॉन डेंसिटी का है। ठीक है? यह खेल इलेक्ट्रॉन डेंसिटी का है। भाई साइज कम होना चाहिए, चार्ज ज्यादा होना चाहिए। साइज कम होना चाहिए, चार्ज ज्यादा होना चाहिए। तो इलेक्ट्रॉन डेंसिटी का खेल है। ठीक है? चलिए बहुत बढ़िया। अब अगर कोई बेसिक रिएक्शन की बात करूं कि कोई ऑर्गेनिक रिएक्शन कैसे चलती है? ऑर्गेनिक रिएक्शन ऐसे चलती है कि भाई साहब आपके पास रिएक्टेंट हुआ करता है। रिएक्टेंट में हम क्या मिला देते हैं? रिएजेंट मिला देते हैं। ठीक है? रिएक्टेंट में हम क्या मिला देते हैं? रिएजेंट मिला देते हैं। और रिएक्टेंट का रिएजेंट के साथ इंटरेक्शन होता है। और वो कौन कराता है? वो सॉल्वेंट कराता है। रिएक्टेंट किसके साथ रिएक्ट करता है? रिएजेंट के साथ करता है। सही बात है? सही बात है। रिएक्टेंट किसके साथ रिएक्ट करता है? रिएजेंट के साथ। किसके प्रेजेंस में करता है? सॉल्वेंट के प्रेजेंस में। कई बार ऐसा भी होता है कि सॉल्वेंट नहीं भी हो तो भी रिएक्शन होती है। है ना? काफी रिएक्शनंस ऐसी आपको देखने को मिलती हैं आगे। ठीक है? तो रिएक्टेंट रिएजेंट के साथ रिएक्ट करता है। दो तरीके से रिएक्शन आगे बढ़ती है। सुनिएगा ध्यान से। दो तरीके से रिएक्शन आगे बढ़ती है मालिक। दो तरीके से रिएक्शन आगे बढ़ती है। या तो ट्रांजिशन स्टेट बन रही होगी या तो ट्रांजिशन स्टेट बन रही होगी। मतलब रिएक्टेंट के पुराने बॉन्ड टूट रहे होंगे। मतलब रिएक्टेंट का ब्रेकअप हो रहा होगा और रिएजेंट के साथ इसका पैचअप हो रहा होगा। पुराने बॉन्ड टूट रहे होंगे, नए बॉन्ड बन रहे होंगे साइमलटेनियसली। मतलब जैसे-जैसे बॉन्ड टूट रहे होंगे वैसे-वैसे बॉन्ड बन रहे होंगे तो वह ट्रांजिशन स्टेट होती है। और ऐसा भी हो सकता है कि रिएक्शन का पाथ ऐसा हो कि भाई साहब रिएक्टिव इंटरमीडिएट के थ्रू हो। सर ये रिएक्टिव इंटरमीडिएट क्या होते हैं? रिएक्टिव इंटरमीडिएट का मतलब होता है कार्बोटायन, कार्बनायन फ्री रेडिकल। बेसिकली ये होते हैं। बाकी कार्बन, नाइट्रिन, बेंज़ाइन भी हुआ करते हैं। वो आगे चैप्टर्स के अंदर तुम्हें पता चलेंगे। बाकी जीओसी में हम इन तीनों के बारे में बात करेंगे। ठीक है? इन तीनों के बारे में बात करेंगे। तो भैया रिएक्टेंट क्या करता है? रिएजेंट के साथ इंटरेक्ट करता है। ये काम कौन कराता है? भैया दो लोगों को मिलना है तो मिलने का काम कोई तो कराएगा ना। तो वो सॉल्वेंट होता है जो इन दोनों का इंटरेक्शन करवा रहा होता है। मोस्ट ऑफ द रिएक्शन में ऐसा होता है। ट्रांजिशनर स्टेट के थ्रू भी रिएक्शन आगे बढ़ सकती है और रिएक्टिव इंटरमीडिएट के थ्रू भी आंसर रिएक्शन आगे बढ़ सकती है। अब क्या होगा सर? अब इसके बाद प्रोडक्ट बनते हैं। अब इसके बाद बनता है प्रोडक्ट और प्रोडक्ट के साथ निकलते हैं बाय प्रोडक्ट। मेन पूरा खेल इसी का है। पूरी ऑर्गेनिक केमिस्ट्री की जितनी रिएक्शन आप उठा के देख लीजिए मालिक। पूरी ऑर्गेनिक केमिस्ट्री की जितनी भी रिएक्शन आप उठा के देख लीजिए, आपको यही सीक्वेंस मिलने वाली है। या तो पाथ आपका ऐसे जा रहा होगा या पाथ आपका ऐसे जा रहा होगा। समझे बात को? क्या आप मेरी बात को समझ पाए? जी हां, बताइए जरा। बताइए। प्रोडक्ट बनते हैं और बाय प्रोडक्ट बनते हैं। सबको पता है। प्रोडक्ट बनते हैं और बायप्रडक्ट बनते हैं। सबको पता है। ठीक है? कह रहे हैं सर इस बार पेपर टफ आएगा। बिल्कुल नहीं आएगा। जैसा पिछले साल पेपर आया था। जहां तक मैं ऑर्गेनिक केमिस्ट्री की बात कह रहा हूं। अगर आपने पूरा का पूरा कंप्लीट अच्छे से रिवाइज करके चले गए। उम्मीद सीरीज को करके चले गए। हिसाब से सवाल बन जाएगा। ये आप खुद फील करेंगे। ठीक है? क्लियर है? एकदम डन डन डन डन। चलिए तो ये कोई बेसिक ऑर्गेनिक की रिएक्शन होती है। ठीक है? अगर हम बोले कि कौन सी पांच चीजें हैं जिससे मिलकर के पूरी ऑर्गेनिक केमिस्ट्री बनी हुई है। तो ऑर्गेनिक का पंजा इसको मैं कह रहा हूं। और ये पांच चीजें क्या-क्या हैं आपके लिए? यह पांच चीजें आपके लिए क्या-क्या हैं? एक है रिएक्टेंट। इसी को समराइज कर रहा हूं मैं। दूसरा है रिएजेंट। भाई, किसी भी ऑर्गेनिक रिएक्शन में क्या-क्या इन्वॉल्व होता है? आप खुद सोचो। किसी भी ऑर्गेनिक रिएक्शन में क्या-क्या इनवॉल्व होता है? बताइए। किसी भी ऑर्गेनिक रिएक्शन में क्या-क्या इनवॉल्व होता है? रिएक्टेंट इनवॉल्व होता है, रिएजेंट इनवॉल्व होता है, सॉल्वेंट इनवॉल्व होता है, ट्रांजिशन स्टेट या रिएक्टिव इंटरमीडिएट बनते हैं और प्रोडक्ट बनते हैं और प्रोडक्ट के साथ-साथ में बाय प्रोडक्ट भी बना करता है। तो, यह वो चीजें हैं जिससे मिलकर के कोई भी ऑर्गेनिक रिएक्शन बनी होती है। पीछे वाली चीज को अपन ने पांच पॉइंट में समराइज कर लिया है। क्लियर बात है। क्लियर बात है। एकदम ठीक। एक कह रहा है सर चैट ऑफ कर रहा हूं। बिल्कुल कर दीजिए। चैट ऑफ करके अगर आप पढ़ेंगे तो आपकी क्लेरिटी ज्यादा बढ़ेगी। क्योंकि चैट से आपको बहुत फायदा नहीं होने वाला। ठीक है? जब मैं कुछ पूछूं तो भले ही आप ऑन कर सकते हो। लेकिन जब मैं पढ़ा रहा हूं तो चैट बंद करके ही पढ़ो तो ज्यादा क्लेरिटी से आपको समझ में आएंगी चीजें। है ना? नहीं तो चैट में तो क्या कुछ भी चलता है आप कितना ही वो करोगे है ना चलिए आइए इधर आइए अगला पॉइंट मैं आपको बताने जा रहा हूं इलेक्ट्रोनेगेटिविटी एंड इलेक्ट्रोडेंसिटी है ना इसमें मैं कंपैरिजन करा दूंगा अभी इलेक्ट्रोड डेंसिटी का बेसिक पीछे बता दिया था इलेक्ट्रोनेगेटिविटी की डेफिनेशन क्या होती है आप खुद से सोचिए जरा आपने पीरियडिक टेबल में इलेक्ट्रोनेगेटिविटी पढ़ रखी थी इलेक्ट्रोनेगेटिविटी एक क्वालिटेटिव प्रॉपर्टी होती है मान लो दो लोग हैं एक ताकतवर है तो दूसरे से वो इलेक्ट्रॉन खींच लेगा तो उसकी इलेक्ट्रोनेगेटिविटी ज्यादा ज्यादा है जो ताकतवर है। है ना? तो यही कहानी है। द टेंडेंसी टू अट्रैक्ट इलेक्ट्रॉन पेयर टुवर्ड्स इटसेल्फ इन अ कोवेलेंटली बॉन्डेड बॉन्ड। जैसे अगर मैं आपसे कहूं A के साथ B ने बॉन्ड बना रखा है। और अगर A ये दोनों इलेक्ट्रॉन अपनी साइड खींचना चाहता है तो क्या मैं ऐसा कह सकता हूं कि इलेक्ट्रोनेगेटिविटी A की ज्यादा है B से? क्या ये बात सही है? क्या ये बात सही है? क्या ये बात सही है? क्या ये बात सही है? बिल्कुल सही है सर। अगर मान लो मैं ऐसा कहता हूं कि भाई साहब यह दोनों इलेक्ट्रॉन खींचने की टेंडेंसी B की ज्यादा है तो इलेक्ट्रोनेगेटिविटी A की कम और B की ज्यादा बोल सकता हूं। बिल्कुल सही बात है। बिल्कुल सही बात है। और अगर मैं ऐसा कह दूं कि भाई साहब दो एटम है और ये कहीं नहीं जा रहे इलेक्ट्रॉन ना तो A खींच रहा है ना B खींच रहा है तो मैं कह सकता हूं इलेक्ट्रोनेगेटिविटी A और B के बराबर है। बिल्कुल सही बात है। बिल्कुल सही बात है। तो यह बात हो गई इलेक्ट्रोनेगेटिविटी की। क्लियर है एकदम यह बात हो गई इलेक्ट्रोनेगेटिविटी की एनtए कह रहा है कि चैट से क्वेश्चन आएगा इस साल भाई चैट से सवाल नहीं आता कभी सवाल इससे आता है जो मास्टर पढ़ा रहा है भाई चलिए इलेक्ट्रॉन डेंसिटी के बारे में देख लीजिए एक एग्जांपल मैंने लिखा है गौर से देखिए मैंने एक ले लिया s नेगेटिव s और s+ तो क्या मैं इलेक्ट्रॉन डेंसिटी ये बोल सकता हूं कि s पर नेगेटिव चार्ज है तो इलेक्ट्रॉन इलेक्ट्रॉन एसटी ज्यादा होगी। फिर न्यूट्रल वाला फिर पॉजिटिव वाला। सही बात है। इलेक्ट्रॉन का मतलब वैसे भी नेगेटिव चार्ज होता है। है ना? चलिए एक एग्जांपल मैं आपसे पूछता हूं। मान लीजिए कोई एटम है a। आप मुझे बताइए इसका ऑर्डर इलेक्ट्रॉन डेंसिटी का क्या होना चाहिए? इलेक्ट्रॉन डेंसिटी का ऑर्डर बता दीजिए आप मुझे। चलिए अगर आपने ये कर दिया तो खेल हो गया। इलेक्ट्रॉन डेंसिटी का ऑर्डर बताइए। इलेक्ट्रॉन डेंसिटी का ऑर्डर क्या लिख दूं मैं? एरो कैसे लगा दूं मैं? साइन कैसे लगा दूं मैं? बताओ। साइन कैसे लगा दूं मैं? बताओ। क्या आपने भी यही सोचा? जी हां, अगर आपने यही सोचा तो आप समझ चुके हैं इलेक्ट्रॉन डेंसिटी की बातें। बिल्कुल सही सोचा आपने। वाह वाह। माइनस चार्ज वाले का ज्यादा होगा। फिर घटाते जाओ फिर न्यूट्रल और फिर पॉजिटिव चार्ज वाला। एकदम सही है। सिंधु शाह जी बहुत बढ़िया। नंदिनी जी वेरी नाइस। मामला चल रहा है एकदम मस्त। एकदम सही जवाब है आपका। क्लियर है? एकदम। चलिए तो अब मैं सिलसिले को आगे बढ़ाता हूं। ये थोड़ा बेसिक आपको पता होना चाहिए था कि इलेक्ट्रोनेगेटिविटी क्या है? इलेक्ट्रोडेंसिटी क्या है? आगे चैप्टर में काम आएगा ये। ठीक है? चलिए, अब मैं चलता हूं इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्लेसमेंट इफेक्ट की तरफ। ठीक है? इफेक्ट कितने टाइप के होते हैं बेटा? दो टाइप के होते हैं। एक होता है परमानेंट इफेक्ट और एक होता है टेंपरेरी इफेक्ट। ठीक है? एक होता है परमानेंट इफेक्ट और एक होता है टेंपरेरी इफेक्ट। परमानेंट मतलब हमेशा लगता है। परमानेंट कब लगता है? हमेशा लगता है। परमानेंट हमेशा लगता है। परमानेंट इफेक्ट मालिक हमेशा लगता है। और टेंपरेरी इफेक्ट कब लगता है? जब रिएजेंट जब रिएजेंट डालोगे जब रिएजेंट डालोगे तभी लगेगा। तभी लगेगा। आपको एक एग्जांपल से बताता हूं। आपको एक बहुत बेहतरीन एग्जांपल से बताता हूं। लड़कों के अंदर दो प्रॉपर्टी होती हैं। एक होती है परमानेंट। उनका खुद का नेचर कि वह कैसे हैं, कैसे बिहेव करते हैं। ठीक है? वो होता है परमानेंट। हर एक लड़के में अपनी परमानेंट कुछ ना कुछ क्वालिटी होती है। और टेंपरेरी क्वालिटी हर लड़के में होती है। मान लो उसके पास से अगर कोई लड़की निकल के चली जाए तो भाई साहब ऐसे बाल बनाने लगता है। एकदम ऐसे बिहेव करता है कि मतलब हीरो है वो। है ना? ऐसे ही होता है ना? एक्शन बाजी देने लगता है कुछ। ठीक है? अपने बाल-बाल सेट करने लगता है। थोड़ा ऐसे खड़ा हो जाता है। तो ये टेंपरेरी है कि जब कोई पास से गुजरेगा तो अपने आप ही वो प्रॉपर्टी आ जाएगी उसके अंदर। यही होता है कि नहीं? देखो देखो कितनी हंसी आ रही है उनको। तो ये है वो क्वालिटी है ना? तो ये टेंपरेरी इफेक्ट होता है कि जब रिएजेंट आ जाएगा ना तो अपने आप ही जीवन में ऐसा लगेगा कि पता नहीं क्या हो गया। कहता है भैया देख रही है हमको। है ना? तो ये है आपका इलेक्ट्रोमेरिक इफ़ेक्ट। तो जब रिएजेंट डालते हैं तभी ऑपरेट होता है यह। ठीक है? टेंपरेरी इफेक्ट होता है यह। ठीक? अगर कभी तुमसे पूछ ले कि भाई साहब पॉइंट कुछ लिख देता हूं। इलेक्ट्रोमेरिक इफेक्ट जो है वो डोमिनेट माना जाता है इंडक्टिव इफेक्ट से। ठीक है? एनसीआरटी की एक लाइन है। उसी से लेकर आया हूं मैं ये। इलेक्ट्रोमेरिक इफेक्ट इंडक्टिव इफ़ेक्ट से डोमिनेट माना जाता है। ठीक है? दूसरा दो प्रकार के होते हैं। एक +e होता है, एक -e होता है। ठीक? +e इफ़ेक्ट को मैं कुछ इस तरीके से दिखा रहा हूं कि जब एल्कीन में H+ डालते हो, तो +e इफ़ेक्ट। रिएक्शन पूरी कंप्लीट एल्कीन चैप्टर में करेंगे। बस यह समझ लो कि एल्कीन में H+ डलता है तो प्लस इफेक्ट बोलते हैं। और कार्बोनाइल आ जाए उसमें CN- आ जाए तो इसको - इफेक्ट बोलते हैं। ठीक है? मतलब CN- के प्रेजेंस में - इफ़ेक्ट होता है। ये सोच लीजिए आप। H+ के प्रेजेंस में +e इफ़ेक्ट होता है। मतलब आगे मैं आपको बताऊंगा इसके पूरी डिटेल के बारे में कि भैया H+ एक इलेक्ट्रोफ़ाइल होता है। उसके थ्रू रिएक्शन आगे बढ़ती है तो +e बोलते हैं। Cl- एक न्यूक्लियोफाइल होता है। उसके थ्रू आगे बढ़ती है तो माइनस ही बोलते हैं। ठीक है? यह कहानी है। तो इलेक्ट्रोमेरिक इफेक्ट जो है वह डोमिनेट करता है इंडक्टिव पर। +e और -e दो टाइप से आप इसको क्लासिफाई कर सकते हो। ठीक है? टेंपरेरी इफेक्ट होता है। जब रिएजेंट डालते हो तभी ऑपरेट होता है। ठीक है? जब रिएजेंट डालते हो तभी ऑपरेट होता है। ठीक? अब मैं आपको एक-एक करके इन इफेक्ट के बारे में समझाता हूं। ठीक है? इसके बारे में बस इतनी जानकारी अभी पता होनी चाहिए। फुल डिटेल में आपको ये मिलेगा। एल्कीन चैप्टर में इसकी खूब सारी रिएक्शन मिलेंगी और कार्बोनाइल में इसकी खूब सारी रिएक्शन मिलेंगी। न्यूक्लियोफिलिक एडिशन रिएक्शन। ये वाली इलेक्ट्रोफिलिक एडिशन रिएक्शन। ठीक है? आइए ये कहानी है। अब आ जाइए जरा इंडक्टिव इफ़ेक्ट, मेज़ोमेरिक इफ़ेक्ट और हाइपर कंजुगेशन। ये तीनों इफ़ेक्ट अगर आपने डिटेल में समझ लिए तो आप एक बात तय है कि इन तीनों से सवाल आने के चांसेस 80% से भी ज्यादा हैं। आप पीवाईक्यू उठा के देखोगे। या तो सवाल आपको इंडक्टिव से रिलेटेड मिल रहा होगा या इसके एप्लीकेशन से या मेजोमेरिक एस के एप्लीकेशन से या हाइपर कंजुगेशन या इसके एप्लीकेशन से। बहुत आसान है। एक-एक करके आपको समझना है। तसल्ली से समझना है। ठीक है? एक-एक करके समझना है। तसल्ली से समझना है। ठीक है? एक-एक करके समझना है। तसल्ली समझना है। वर्क बुक में यहां पर इलेक्ट्रोमैरिक की जगह शायद इलेक्ट्रॉनिक लिख के चला गया है। तो इसको करेक्ट कर लेना। वर्क बुक में। इलेक्ट्रोमेरिक कर लीजिएगा इसको। ठीक है? इलेक्ट्रॉनिक लिख के चला गया है। ठीक है? क्लियर है बात? चलिए भाई, एक सवाल आपके सामने आ रहा है। आप मुझे इस सवाल का आंसर बता दीजिए फटाफट से क्या कह रहा है सवाल? आपका फोकस ज्यादा सवाल पे होना चाहिए। ठीक है? थ्योरी एक बार रिवाइज करके सवाल। ठीक है? बोलिए। क्या लग रहा है आपको? ईमानदारी से सवाल सॉल्व करेंगे और आंसर करेंगे। है ना? अब आप जरूर चैट चला सकते हो। सवाल आए तो चैट चलाकर आंसर दे दो और जब मैं पढ़ा रहा हूं चैट बंद ही कर दो भाई। चलिए फटाफट से चारों ऑप्शन पढ़िए और आंसर कर दीजिए। मजा पड़ने वाला है। चारों ऑप्शन पढ़िए और आंसर कर दीजिए। चारों ऑप्शन पढ़िए और आंसर कर दीजिए। बोलिए। क्या कहती है जनता? बोलो बोलो। टेंशन नको। टेंशन नहीं लेनी किसी बात की। हां। चलिए, पहला ऑप्शन पढ़ेंगे। इलेक्ट्रोमरिक इफ़ेक्ट डोमिनेट ओवर इंडक्टिव। करेक्ट है। आपको इनकरेक्ट चाहिए था। ये करेक्ट है। द इलेक्ट्रोमेरिक इफ़ेक्ट इज़ टेंपरेरी सही है। जब रिएजेंट डालते हैं तभी लगता है। द ऑर्गेनिक कंपाउंड शोज़ इलेक्ट्रोमैरिक इफ़ेक्ट इन द प्रेज़ेंस ऑफ़ रिएजेंट ओनली। बिल्कुल सही बात है। H+ शोज़ नेगेटिव इलेक्ट्रोमेरिक नहीं। CN- नेगेटिव इलेक्ट्रोमैरिक दिखाता है। H+ वगैरह पॉजिटिव इलेक्ट्रोमैरिक दिखाते हैं। डी इज़ द राइट आंसर। आप लोग एकदम सही कह रहे हो। चलिए, आगे बढ़ते हैं। इंडक्टिव इफ़ेक्ट की बात कर लेते हैं। क्या है? है ना? टेंपरेरी इफ़ेक्ट आपका इलेक्ट्रोमेरिक में बस उतनी जानकारी होनी चाहिए। अब चलते हैं परमानेंट इफ़ेक्ट के अंदर। ठीक है? परमानेंट इफ़ेक्ट की बात करें भैया? इंडक्टिव ऑपरेट होता है सिग्मा बॉन्ड में। कहां लगता है? सिग्मा बॉन्ड में लगता है। पार्शियल चार्ज का यहां डेवलपमेंट होता है। डिस्टेंस पर डिपेंड करता है। और थर्ड कार्बन एटम के बाद आप नेगलेक्ट कर सकते हो इसको। ये इंडक्टिव इफ़ेक्ट है। ठीक है? यह इंडक्टर इफेक्ट है। सिग्मा बॉन्ड में लगता है, पाई बॉन्ड में नहीं लगता है। ठीक है? अब आप ध्यान से सुनिएगा मेरी बात को। मैं आपको इस चीजों को समझा रहा हूं। मान लो मेरे पास कार्बन की चेन है। बताओ कार्बन की ऐसी एक चेन मैंने बोल दी। इथेन बोल दिया। मुझे बताओ ये वाला बॉन्ड पोलर है कि नॉन पोलर है ये वाला बॉन्ड। ये वाला बॉन्ड का डपोल मूमेंट क्या है? आप बोलोगे सर डपोल मूवमेंट ज़ीरो है। क्योंकि दोनों ही कार्बन है। लगभग सेम इलेक्ट्रोनेगेटिविटी है। मतलब लगभग सेम ही इलेक्ट्रोनेगेटिविटी है। तो इसका डपोल मूमेंट क्या हो जाएगा? ज़ीरो। और डायपोल मूमेंट अगर जीरो हो गया तो मैं यह कह दूंगा कि भाई साहब ये एक नॉन पोलर बॉन्ड है। सही बात है? ये एक नॉन पोलर बॉन्ड है। अब कुछ ऐसा कमाल हो जाए। है ना? ये मैं CH3CH3 बोल सकता हूं ना। ये क्या है? इथेन का मॉलिक्यूल है। नॉन पोलर बॉन्ड है। अब कुछ ऐसा कमाल हो जाए कि भाई साहब मैं यहां पर एक काम कर दूं। यहां से H हटा के Cl लगा दिया मैंने अपने मन से। ठीक है? मैंने H हटा के Cl लगा दिया। तो अब मुझे कोई बता सकता है क्या कि क्लोरीन और कार्बन ये वाला बॉन्ड तो पोलर है ना? क्यों अंकल? ये वाला बॉन्ड तो पोलर है ना। देखो ना ये वाला बॉन्ड तो पोलर है कि नहीं? जी हां। क्यों? कार्बन और क्लोरीन में इलेक्ट्रोनेगेटिविटी का अंतर है। जी। अंतर है। यानी कि ये बॉन्ड पोलर हो गया। अब ये क्लोरीन क्या कहेगा? हमको इलेक्ट्रॉन दे ही दो मालिक। क्लोरीन बोलेगा इस कार्बन से मुझको इलेक्ट्रॉन चाहिए। क्यों चाहिए? क्योंकि मैं तुमसे ज्यादा ताकतवर हूं। मेरी इलेक्ट्रोनेगेटिविटी तुमसे ज्यादा है कार्बन। तो ये क्या बोलेगा क्लोरीन? क्लोरीन बोलेगा भैया मैं इलेक्ट्रॉन खींचूंगा। ठीक है? मैं इलेक्ट्रॉन खींचूंगा। किससे खींचूंगा? कार्बन से इलेक्ट्रॉन खींचूंगा। कार्बन बोलेगा ले लो। लेकिन ये कार्बन इस कार्बन से बोलेगा अरे यार तुम मेरे भाई हो। तुम मेरे जुड़वा भाई हो। यह क्लोरीन जब से आया है तब से जीवन में समस्याएं आ गई हैं। मेरे अंदर इलेक्ट्रॉन की कमी महसूस हो रही है। तो यह बोलेगा कोई बात नहीं भैया तुमको हम इलेक्ट्रॉन देंगे। तो यहां मैं डेल्टा 2+ लिख रहा हूं। और इतना कंफर्म है कि क्लोरीन जिससे डायरेक्टली जुड़ा है उससे ज्यादा खींचेगा। ये वाला तो इसकी मदद करने के लिए ये खींच रहा है। सही है? यानी कि मैं ऐसा कह सकता हूं कि डेल्टा1 प्लस ज्यादा होगा डेल्टा2+ से। और चार्ज का अंतर आ गया भाई। ये ज्यादा है, ये कम है। चार्ज डिफरेंस आ गया। तो इस बॉन्ड को अब मैं क्या कह सकता हूं? पोलर कह सकता हूं ना? चार्ज का अंतर आ गया। इसको बोल सकता हूं पोलर बॉन्ड। देखो चार्ज का अंतर आ गया इसलिए कह रहा हूं पोलर बॉन्ड। और मुझको एक बात बता दो। मुझको इतना बता दे कोई क्लोरीन इलेक्ट्रॉन खींच रहा था। सुनिए। क्लोरीन अपनी तरफ इलेक्ट्रॉन खींच रहा था। तो ये बॉन्ड क्या कर दिया? पोलर। तो मैं यह कह सकता हूं कि क्लोरीन ने अपना इफेक्ट इंड्यूस कर दिया। किस पर? कार्बन की चेन पर। किस पर कर दिया? कार्बन की चेन पर इफेक्ट इंड्यूस कर दिया। कार्बन की चेन पर इफेक्ट इंड्यूस कर दिया। इसलिए इसको बोलते हैं इंडक्टिव इफेक्ट। क्लियर बात है? कार्बन की चेन पर इफेक्ट को इंड्यूस कर दिया। किसने? क्लोरीन ने। इसलिए कहते हैं इसको इंडक्टिव या इंड्यूस। इंड्यूस इफ़ेक्ट होना ना? जैसे तुम्हारा दोस्त है और तुम हो। तुम्हारी कुछ क्वालिटी तुम्हारे दोस्त के अंदर आ चुकी होंगी अब तक। अगर तुम्हारी दोस्ती थोड़ी गहरी हो चुकी होगी और उसकी कुछ क्वालिटी तुम्हारे अंदर आ गई होंगी। तुमको पता भी नहीं चला होगा। है ना? ऐसा होता है। क्लियर है? तो ये चीजें इंड्यूस हो जाती हैं। जब दो लोग आपस में काफी समय तक रहते हैं तो चीजें इंड्यूस हो जाती हैं। ठीक? क्लियर है? एकदम बात। तो ये बहुत ही बेसिक है। अब आप देखें जरा सिग्मा बॉन्ड में ऑपरेट होता है। सही बात है। पार्शियल चार्ज डेवलप हो रहे हैं। एक्चुअल तो बॉन्ड टूट नहीं रहा ना। बॉन्ड टूटता, तो एक्चुअल चार्ज आता। बॉन्ड टूट नहीं रहा है। यह तो सिर्फ इलेक्ट्रॉन खींचने की टेंडेंसी है। इसलिए यह पार्शियल चार्ज डेवलप कर रहा है। डिस्टेंस पे तो डिपेंड होना ही चाहिए। क्योंकि क्लोरीन डायरेक्टली जिससे जुड़ा होगा उस पर ज्यादा चार्ज डेवलप करेगा कंपैरिजन टू दूसरे वाले कार्बन। है ना? और थर्ड कार्बन एटम तक इसलिए नेगलेक्ट हो जाएगा क्योंकि जैसे-जैसे आगे बढ़ते जाओगे चार्ज जो है वो इस तरफ शिफ्ट हो रहा था। इसको जितनी कमी थी वो ये वाले ये वाला और इससे अगला वाला उसको सेटिस्फाई कर देगा। तो ऐसा माना जाता है कि फोर्थ कार्बन एटम तक तो बात पहुंचती नहीं है। ठीक है? ठीक है? चलिए भाई। तो फोर्थ कार्बन एटम तक तो बात आती नहीं है। फंक्शनल ग्रुप जो भी तुमने लगाया लगाया, OH लगाया, COH लगाया, कोई भी फंक्शनल ग्रुप लगाया, फोर्थ कार्बन एटम तक तो बात पहुंचती नहीं है। कि भैया कोई इंडक्टिव नहीं है। और इंडक्टिव इफ़ेक्ट परमानेंट है। तो, यह बोलता है परमानेंट हूं सर। ठीक। अब बात आती है कि भाई साहब जैसे मैंने आपके सामने यह बोला है ना मैंने एक एग्जांपल यह वाला लिया खींचने वाला ठीक है मैंने ये एग्जांपल खींचने वाला लिया तो आपके दिमाग में एक ख्याल आ रहा होगा सर ऐसा भी कुछ हो सकता है क्या कि मैं यहां कुछ ऐसा ग्रुप लगा दूं जैसे मान लो मैंने यहां लगा दिया O नेगेटिव ठीक है तो सर सर ऐसा भी हो सकता है कि कोई ऐसा ग्रुप लगा दो जो इलेक्ट्रॉन देता हो बिल्कुल भैया O नेगेटिव है एक्सेस नेगेटिव चार्ज है तो ये अपना इतना चार्ज कम करना चाहेगा तो ये बोलेगा इस कार्बन से संभालिए भाई ये अगले वाले से बोलेगा संभालना भैया तो ये इलेक्ट्रॉन देगा तो इसका जस्ट उल्टा होगा यहां कौन सा इफेक्ट दिख रहा है खींचने वाला यहां कौन सा इफेक्ट दिख रहा है देने वाला तो ये खींचने वाला और देने वाले इफेक्ट को हम इस वाले को हम बोल सकते हैं -i इफेक्ट और इस वाले को बोल सकते हैं हम +i इफेक्ट भाई ये दे रहा है इलेक्ट्रॉन तो चार्ज डेवलप हो रहा है डेल्टा1 नेगेटिव ज्यादा होगा डेल्टा2 नेगेटिव से तो बॉन्ड पोलर हो जाएगा समझे? तो इस टाइप के ग्रुप को बोलते हैं अपन इलेक्ट्रॉन विड्रंग ग्रुप। इसको बोलते हैं इलेक्ट्रॉन डोनेटिंग ग्रुप। ठीक? अब हाइड्रोजन के रेस्पेक्ट में ग्रुप्स के बारे में पता कर लिया गया कि कौन इलेक्ट्रॉन देता है, कौन इलेक्ट्रॉन खींचता है। इलेक्ट्रॉन देने वालों को इलेक्ट्रॉन डोनेटिंग बोल दिए। इलेक्ट्रॉन विथड्रॉइंग वाले जो खींचने वाले हैं उसको इलेक्ट्रॉन विथड्रॉइंग बोल दिए। क्लियर है? तो आपको फिर ये भी पता होना चाहिए कौन ज्यादा देता है, कौन कम देता है। सही बात है? कौन ज्यादा देता है, कौन कम देता है, यह भी पता होना चाहिए। ठीक? तो आइए फिर मैं आपको बता देता हूं कि क्या पावर होती है। अगर आप मुझसे पावर की बात कहते हो कि भाई साहब +i पावर क्या होती है? मतलब देने वाली पावर क्या होती है? तो भाई साहब CH2 नेगेटिव, NH नेगेटिव, O नेगेटिव इनकी ज्यादा होगी। देखो आप गौर से देखो। नेगेटिव चार्ज वाले पहले आएंगे। देख लो आप। यह जो नेगेटिव चार्ज वाले हैं मालिक, यह पहले आएंगे। नेगेटिव चार्ज वाले पहले आएंगे क्योंकि एक्सेस नेगेटिव चार्ज वाले इनको तो इलेक्ट्रॉन देने ही हैं क्योंकि अपना चार्ज कम करना है। ठीक है? फिर आएंगे अल्काइल वाले 3° 2° 1° फिर मिथाइल आएगा। आप 3° में कुछ इस तरीके से सोच सकते हो कि भैया Me3C 2° हो गया Me2CH 1° हो गया Me CH2. यह इलेक्ट्रॉन देते हैं। हाइड्रोजन के रेस्पेक्ट में निकाला गया विद रिस्पेक्ट टू हाइड्रोजन। ठीक है? आइसोटोप अगर आ जाएगा तो ट्रिटियम ड्यूटेरियम मास नंबर ज्यादा +i पावर ज्यादा और ये हाइड्रोजन के रेस्पेक्ट में निकाला गया। आप ये मत समझना कि हाइड्रोजन +i है। हाइड्रोजन का होता है जीरो इंडक्टिव। वो तो आपने इसके रेस्पेक्ट में निकाला है। जीरो इंडक्टिव होता है। ठीक है? और ये वाला थर्ड पॉइंट उतना इंपॉर्टेंट नहीं है। आप इसको छोड़ भी सकते हो। इतना इंपॉर्टेंट नहीं है। टॉप टू बॉटम अगर आप आओगे तो कार्बन वाली सीरीज में जैसे CH3 +i होता है तो ये भी +i और ये भी +i। तो जैसे-जैसे आप नीचे की तरफ आओगे एटॉमिक नंबर बढ़ता है। +i पावर बढ़ती है। ठीक है? थर्ड वाले को आप चाहो तो छोड़ भी सकते हो। ठीक है? क्लियर है? लेकिन ये दोनों चीजें तो इंपॉर्टेंट हैं। ये दोनों एकदम अच्छे से तैयार रखना। नेगेटिव चार्ज वाले फिर अल्काइल ग्रुप आ गए। नेगेटिव चार्ज यानी कि एक्सेस नेगेटिव चार्ज। अब आप मेरे से पूछोगे सर ये वाला ज्यादा क्यों है इससे? बहुत आसान है। भैया कार्बन और नाइट्रोजन में कौन इलेक्ट्रॉन आसानी से दे देगा? बताओ। कार्बन और नाइट्रोजन में कौन इलेक्ट्रॉन आसानी से दे देगा? कार्बन दे देगा। इसलिए यह ज़्यादा है। सर, यह वाला ज़्यादा इससे क्यों है? भैया, नाइट्रोजन ऑक्सीजन में कौन इलेक्ट्रॉन ज़्यादा आसानी से दे देगा? बताओ। बोलो। नाइट्रोजन ऑक्सीजन में इलेक्ट्रॉन आसानी से कौन दे देगा? भैया नाइट्रोजन दे देगा। सही बात है। सर ये तो दोनों सेम है। O नेगेटिव और CO नेगेटिव। बेटा CO नेगेटिव में यहां रेजोनेंस होता है। CO नेगेटिव में एक्चुअल में यहां पर ऐसा होता है। रेजोनेंस होता है इसमें। तो ये रेजोनेंस की वजह से थोड़ा कम डोनेट करता है। तो O नेगेटिव और CO नेगेटिव में O नेगेटिव ज्यादा होगा। ठीक है? फिर इसके बाद तो नेगेटिव चार्ज है ही नहीं। जितने ज्यादा कार्बन होंगे उतना ज्यादा डोनेशन होगा। उसी के हिसाब से लिख दिया ये और आइसोटोप में मास नंबर ज्यादा तो +i पावर ज्यादा विद रिस्पेक्ट टू हाइड्रोजन ये निकाला गया है। ठीक है? विद रिस्पेक्ट टू हाइड्रोजन ये निकाला गया है। ये कहानी है। क्लियर है एकदम? बेटा +i का मतलब जो इलेक्ट्रॉन देते हैं किसको? कार्बन की चेन को। जैसे कोई कार्बन की चेन है तो कार्बन की चेन को इलेक्ट्रॉन देने वाले ग्रुप ये +i ग्रुप कहलाएंगे अगर इलेक्ट्रॉन दे रहे हैं तो और कार्बन की चेन अगर है कोई ग्रुप लगाया मैंने जो खींच रहा है उसको -i बोलेंगे पीछे समझाया तो आपको ये वाला देखो कहां गया जो खींच रहा है वो -i जो दे रहा है वो +i ठीक तो ये है आपकी +i पावर की सीरीज ये है आपकी +i पावर की सीरीज नेगेटिव बहुत आसान है। कोई बड़ी बात थोड़ी है। नेगेटिव चार्ज वाले पहले कर दो। फिर आप अल्काइल ग्रुप कर लो। उसके बाद में आइसोटोप लगा दो। ठीक है? और वन वालों का ज्यादा होगा टू वालों से। वन वालों का टू वालों से ज्यादा होगा। ठीक है? चलिए बहुत बढ़िया। इसी तरीके से -i वाली सीरीज होती है। ये भी हाइड्रोजन के रेस्पेक्ट में निकाली गई है। -i वाली सीरीज। भैया। NF3+ सबसे पहले आता है। फिर NR3+ आता है। इसको आप याद भी कर चुके हैं अब तक। अगर नहीं किया तो कर लेना। ना फरहान ना रितिक शाहरुख ना हिमेश ना ओमपुरी सलमान साइना अली की कार में फादर कलेक्टर बेटा इंस्पेक्टर ठीक है कुछ इस तरीके से होता है ये और अल्कोहल की मम्मी अल्काइन नहीं है बेंजीन है। ठीक है? और हाइड्रोजन के रेस्पेक्ट में आपने लिखा है। अब आप गौर से देखो कोई भी आप पकड़ लो। जैसे मान लो आप मेरे से पूछो कि सर NO2 का ज्यादा क्यों होता है CN से? कोई भी आप सोच लो कि सर NO2 का ज्यादा क्यों होता है CN से? तो भैया NO2 में नाइट्रोजन होता है sp2। कार्बन में नाइट्रोजन होता है sp सॉरी नाइट्रोजन कार्बन में कार्बन होता है sp है ना क्योंकि यहां से जुड़ा हुआ है ना तो यह एन नाइट्रोजन sp2 है कार्बन sp है और नाइट्रोजन sp2 इज़ मोर इलेक्ट्रोनेगेटिव देन कार्बन sp और जो ज्यादा इलेक्ट्रोनेगेटिव है वो ज्यादा खींचेगा सीधी सी बात है फादर कलेक्टर बेटा स्पेक्ट्रम में टेंशन ही नहीं है आपको भाई हैलोजन से इलेक्ट्रोनेगेटिव एलिमेंट से ज्यादा खींचते हैं ठीक इसी तरीके से आप बाकी कंपेयर करा सकते हो मान लो आप पूछो मेरे से कि भैया C ट्रिपल बॉन्ड CH और NH2 में आपने इसका ज्यादा कैसे कर दिया भैया? यह कार्बन SP है और यह नाइट्रोजन sp3 है। तो कार्बन SP की ज्यादा इलेक्ट्रोनेगेटिविटी होती है नाइट्रोजन sp से। ये कुछ लॉजिक्स होते हैं। है ना? तो अभी तो खैर हम रिवीजन कर रहे हैं। तो रिवीजन में तो देखो ऐसा है कि आपको ये ध्यान होनी चाहिए। ठीक है? इसलिए मैंने बता दिया। ठीक है? क्लियर है? तो आप यह चीज याद अगर एक बार हो गई आपको तो इसके बाद कीजिए। अब आप सोचो सर यह पॉजिटिव चार्ज वाले आगे क्यों कर दिया? अरे भाई पॉजिटिव चार्ज वालों के पास तो डेफिशिएंसी है ना इलेक्ट्रॉन की भरपूर। ये तो बोलेगा कि भाई मेरे को इलेक्ट्रॉन दो दो। इसलिए आप देखो जब हमने +i सीरीज पढ़ी थी तो वहां पर एक्सेस नेगेटिव चार्ज वाले आगे थे। CH2 नेगेटिव, NH नेगेटिव, वो नेगेटिव। जब आप -i सीरीज पढ़ रहे हो, तो पॉजिटिव वाले आगे आ रहे हैं। देखो। समझे? तो इनको तो वैसे भी इलेक्ट्रॉन चाहिए। ठीक है? ये कहानी है। तो आपको ये याद हो जाएगा तो खेल हो जाएगा। अगर आपको ये एक बार याद हो गई तो पता है इसके एप्लीकेशन महा आसान है। पेपर में सवाल आता है। बच्चे सही करके आ जाते हैं। मतलब सवाल आते ही सही हो जाता है। आइए जरा। आइए जरा। आइए जरा। ठीक है? चलें आगे। याद है तो बहुत अच्छी बात है। याद है तो बहुत अच्छी बात है। चला जाए। इसके आगे एप्लीकेशन पर आप फोकस कीजिएगा। ठीक है? इसके आगे एप्लीकेशन पे फोकस कीजिएगा। चलिए, पहले मैं एक काम करता हूं। पहले आपसे कुछ सवाल पूछ लेता हूं। उसके बाद हम एप्लीकेशन पे चलते हैं। अभी आपने थोड़ी देर पहले ही सीखा। अब आपको क्या करना है? ड्रॉ डायरेक्शन ऑफ द इफेक्ट। एरो बनाइए। इलेक्ट्रॉन कौन खींच रहा है? कौन दे रहा है? बताइए जरा। इलेक्ट्रोनेगेटिविटी के बेसिस पर आप कर लो। कोई दिक्कत नहीं। इलेक्ट्रोनेगेटिविटी के बेसिस पर कर लो। बताओ मैं इस वाले में एरो किधर बना दूं? मुझे बताओ। ये कार्बन क्या है? sp2 है। और ये कार्बन क्या है? sp3 है। तो कार्बन sp2 इलेक्ट्रॉन खींचेगा कंपैरिजन टू कार्बन sp3। दो इलेक्ट्रॉन इधर जाएंगे। इस तरफ फ्लो होगा तो मैं ऐसे बना दूं। है ना? इस तरीके से। गौर से देखो जरा फिर से। sp2 की तरफ इलेक्ट्रॉन जाएंगे तो मैं ऐसे बना रहा हूं इस तरीके से। और सिग्मा बॉन्ड में ये एरो दिखाते हैं। पाई बॉन्ड में एरो मत दिखाना क्योंकि सिग्मा बॉन्ड में ऑपरेट होता है ये। सही है ना? तो इस तरफ जाएगा फ्लो। इधर बताओ सेकंड वाले में। सेकंड वाले में बताओ किस तरफ जाएगा? ऑक्सीजन की ज्यादा इलेक्ट्रोनेगेटिविटी है भैया। ऑक्सीजन है ना? sp3 है। इसकी कार्बन sp3 से ज्यादा इलेक्ट्रोनेगेटिविटी है। तो ये इलेक्ट्रॉन इस तरफ ले जाएगा। देखिए देखिए। इलेक्ट्रॉन का फ्लो इस तरफ होगा। इधर आ जाओ। नाइट्रोजन ज्यादा इलेक्ट्रोनेगेटिव होता है कार्बन से। नाइट्रोजन sp3 और यह कार्बन sp3 है। इधर भी और इधर भी। बताइए ज़रा इलेक्ट्रॉन का फ्लो इस तरफ होगा। तो मैं ऐसे एरो बना सकता हूं इस तरीके से। तो एरो की डायरेक्शन बस बना के दिखानी थी आपको। क्लियर है? एकदम। तो जो इलेक्ट्रॉन खींच रहा है अपनी साइड उस तरफ एरो की डायरेक्शन बना दो। क्या यह बात क्लियर है? हां जी भाई। अरे बहुत आसान है। चलिए अगला सवाल करके बताइए फिर इसी बात पर। व्हिच ऑफ द फॉलोइंग इज करेक्ट विद रिस्पेक्ट टू -i इफेक्ट? बोलिए। -i इफ़ेक्ट की ऑर्डर पूछी है आपसे। -i इफ़ेक्ट की ऑर्डर पूछी है। थोड़ा ध्यान से करिएगा। -i इफ़ेक्ट की ऑर्डर। -i इफ़ेक्ट की ऑर्डर पूछी है। क्या लग रहा है आपको? A, B या C? थोड़ा ध्यान से फैल मत जाना बेटा। यह NR2 है। यह NR3+ नहीं है। ध्यान से भावना मत बह जाना। यह NR2 है। NR2 मतलब NH2 का भाई बोल दो आप। और सीरीज में NH2 कहां आता है? देखो सीरीज में NH2 कहां आता है? इधर। तो NH2 का ही भाई कह सकते हो तुम। NR2 इसी का भाई है NR2। है ना? बताइए। यह NR3+ नहीं है मालिक? ध्यान से। तो मुझे बताओ फादर कलेक्टर बेटा इंस्पेक्टर और अल्कोहल की मम्मी अल्काइन नहीं है और NH2 NR2 यहां पर NH2 भी होता ना तब भी सही था। ठीक है? उसी का भाई है ये। NR3+ नहीं है। ठीक है? NR3+ नहीं है ये। तो बी आंसर आएगा। चलिए आइए इसका एप्लीकेशन देख लेते हैं। बहुत आसान एप्लीकेशन है। ठीक है? एप्लीकेशन के लिए हमें सिंपल सी बात समझनी है कि भैया हमें कंपेयर कराना है एसिडिक स्ट्रेंथ किसका? एलीिफेटिक कार्बोक्सिलिक एसिड। मतलब कार्बन की चेन वगैरह होगी और कार्बोक्सिलिक एसिड होगा। मुझे बता दो कोई भी एसिड एसिड क्यों होता है? बोलो कोई भी एसिड एसिड क्यों होता है? समझ लीजिए बेसिक। बताइए कोई भी एसिड एसिड क्यों होता है? क्यों तुम उसको एसिड कहते हो? बताइए। तुम इसको एसिड क्यों कहते हो? क्योंकि ये H+ रिलीज़ करता है। जी हां। क्या करता है? H+ डोनेट करता है। तो मुझे बताइए कौन आसानी से अपना H+ डोनेट कर देगा जिसका एनायन स्टेबल होगा? तो ये वाला एनायन अगर मोर स्टेबल होगा। अगर ये एनायन मोर स्टेबल होगा तो मैं कह सकता हूं क्या कि भाई साहब ये एक अच्छा एसिड है। ये बात सही है। एनायन स्टेबल होगा तो ये अच्छा एसिड है। यानी कि मैं इस एनायन को स्टेबल बनाना चाहता हूं विद द हेल्प ऑफ इंडक्टिव। तो मुझको बता दो मैं यहां पर +i लगाऊं या -i लगाऊं? इन दोनों में से क्या लगाऊं? बताओ। सोचो जरा। मुझे एनायन को स्टेबल करना है। इस एनायन को बोलते हैं क्जुगेट बेस। अगर यह तुम्हारा एसिड है तो एसिड का यह होता है क्जुगेट बेस। तो क्जुगेट बेस मुझे बताओ स्टेबल करना है मालिक। तो बताओ क्या करना चाहिए? एकदम सही जवाब है सबका। -i लगा दो मालिक। -i लगाने से क्या होगा बताओ? -i लगाने से ये इलेक्ट्रॉन खींचेगा। तो ये कार्बन इससे खींचेगा और इधर से भी खींचेगा। हालांकि सिग्मा बॉन्ड से लेकिन हमें इस पर फोकस करना है। जब इलेक्ट्रॉन इधर जाएंगे तो नेगेटिव चार्ज कम ही होगा ना। और नेगेटिव चार्ज कम होना अच्छी बात है। नेगेटिव चार्ज क्या है? अरे भाई दुनिया का कोई भी चार्ज हो उसको कम कर दो स्टेबिलिटी चली जाएगी। है ना? स्टेबिलिटी की तरफ चला जाएगा। है ना? तो नेगेटिव चार्ज जितना कम होता जाए, चार्ज जितना कम होता जाए, स्टेबिलिटी आती जाएंगी यानी कि स्टेबल होता जाएगा। सही बात है। तो जितना ज्यादा स्टेबल एनायन होगा उतना बढ़िया खेला हो जाएगा। तो मैं ऐसा लिख सकता हूं क्या कि यहां पर तुमने क्या लगाया? -i यानी कि एसिडिक स्ट्रेंथ इज डायरेक्टली प्रोपोर्शनल टू क्या? -i इफेक्ट और इन्वर्सली प्रोपोर्शनल टू +i इफेक्ट। क्या आपको ये बात समझ आई? एकदम क्लियर चमकना चाहिए आपको। एसिडिक स्ट्रेंथ ऑफ़ कार्बोक्सिलिक एसिड इज़ डायरेक्टली प्रोपोर्शनल टू -i और इन्वर्सली प्रोपोर्शनल टू +i। ठीक बात है यह। चलिए, आगे बढ़ते हैं। अब इस सवाल को पूछने के अलग-अलग तरीके होते हैं। क्या? अगर मैं KA वैल्यू लिखूं, केमिकल इक्विलिब्रियम आपने पढ़ रखा है। मैं लिखूंगा कंजूगेट बेस की कंसंट्रेशन। कंजूगेट बेस की कंसंट्रेशन। सही बात है। कंसंट्रेशन ऑफ़ H+ डिवाइडेड बाय डिवाइडेड बाय डिवाइडेड बाय कंसंट्रेशन ऑफ़ एसिड। सही बात है। यही लिख सकता हूं मैं। तो मुझे बताओ आपने बोला कि कंजूगेट बेस स्टेबल हो रहा है। स्टेबल हो रहा है यानी कि बनना चाहेगा। भाई अगर कोई चीज़ स्टेबल है तो बनना चाहेगी ना? प्रोडक्ट है ये। बनना चाहेगा। और अगर यह बनना चाहेगा तो इसकी कंसंट्रेशन ज्यादा होगी। यानी कि इसकी कंसंट्रेशन अगर ज्यादा है तो K वैल्यू ज्यादा होगी। तो मैं इस चीज को ऐसे कनेक्ट करूंगा कि एसिडिक स्ट्रेंथ इज़ डायरेक्टली प्रोपोर्शनल टू K और एक बात बताओ अगर रिएक्शन फॉरवर्ड जाएगी तो H+ कंसंट्रेशन भी बढ़ेगी। ये बिल्कुल सही बात है। डायरेक्टली प्रोपोर्शनल टू H+ कंसंट्रेशन। सही बात है। अगर KA ज्यादा तो PK कम और H+ ज्यादा तो पीएच कम। सही बात है। एकदम सही मामला चल रहा है। तो आपको सवाल कभी-कभी ऐसे एसिडिक स्ट्रेंथ ना पूछ करके आपसे पूछ लेगा कंपेयर K वैल्यू कंपेयर H+ कंसंट्रेशन कंपेयर PK कंपेयर पीए तो बात बराबर है। करना एसिडिक स्ट्रेंथ है। उसको पूछने के तरीके अलग-अलग होंगे सवाल एग्जाम में। है ना? ठीक है? ठीक है। क्लियर है? एकदम। तो भाई सवाल पूछने के तरीके अलग-अलग हो सकते हैं। आपसे पूछ कभी K पूछ लेगा, कभी PK पूछ लेगा। तो थोड़ा ध्यान से बस ऑर्डर पलट जाएगा। थोड़ा ध्यान से करना सवाल करना वही है। एसिडेंस कंपेयर करना इस तरीके से। सर हम सवाल करेंगे तो क्या ध्यान रखेंगे? सवाल में ध्यान रखेंगे d एन p dnp डू नॉट प्ले। से याद रखोगे। d मतलब डिस्टेंस। आपको देखनी होगी डिस्टेंस। सबसे पहले प्रायोरिटी देनी होगी सवाल करते समय। फिर आपको नंबर ऑफ i ग्रुप्स +i या -i और फिर लास्ट में आती है पावर। कौन सा स्ट्रांग कौन सा वीक? डिस्टेंस बराबर नंबर बराबर तो पावर से करेंगे। ठीक है? तो ये कहानी है। तो ये इसका बिल्कुल बेसिक है कि आप किस तरीके से करोगे। आइए जरा सवाल में इसको अप्लाई कर लेते हैं। है ना? सवाल में अप्लाई कर लेते हैं। सीख जाओगे। आपके सामने एक सवाल दिया हुआ है। आपको बताना है कार्बोक्सिलिक एसिड की एसिडिक स्ट्रेंथ। आप मुझे देख करके एक बार खुद से ट्राई करो फिर तो मैं बताऊंगा ही। बोलो सवाल कर लो जरा एक दो तो आपको क्लेरिटी आ जाएगी। बोलिए बताइए क्या आंसर लग रहा है आपको? क्या आंसर लग रहा है आपको? बोलिए जवाब दीजिए। बोलिए बोलिए जवाब दीजिए दीजिए जल्दी से क्या लग रहा है अगर आप गौर से देखें तो मुझे कंपेयर क्या कराना है देखो मुझे कार्बोक्सिलिक एसिड के लिए कंपेयर कराना है इनके लिए देखो कार्बोक्सिलिक एसिड के लिए कंपेयर कराना है ना एक-एक ऑप्शन करके देखते जाएंगे कार्बोक्सिलिक के लिए कंपेयर कराना है तो इसके बारे में तो सोचना नहीं है अब तुम देखो एडिशनली क्या लगा है यहां H लगा है यहां CH3 लगा है यहां लगा है इथाइल यहां लगा है प्रोपाइल। तो मुझे एक बात बताओ एसिडिक स्ट्रेंथ इन्वर्सली प्रोपोर्शनल टू +i ग्रुप लगे हैं। ये है ना? डिस्टेंस बराबर बोल दो। क्यों? COH से जुड़ा प्रोपाइल ग्रुप, COH से जुड़ा इथाइल ग्रुप, COH से जुड़ा मिथाइल ग्रुप और CH से जुड़ा H। तो मुझे बताओ +I पावर ज्यादा तो ऐसे डिस्टेंस कम होगी ना। तो साफ-साफ दिख रहा है +I पावर उस तरफ जा रही है। मतलब इसकी +i पावर ज्यादा है तो कम होगा। क्यों? क्योंकि डिस्टेंस बराबर नंबर बराबर। नंबर यानी कि इस पूरे ग्रुप को एक ही ग्रुप बोलो ना। इस पूरे ग्रुप को एक ग्रुप बोलो। इसको एक ग्रुप बोलो। एक ही ग्रुप लगा है। है ना? तो ए आंसर आ जाएगा। ए आंसर आ जाएगा। +i पावर अगर ज्यादा हुई तो एसिडिक स्ट्रेंथ तो कम होएंगी ना। सिंपल सी बात है। +i पावर ज्यादा तो एसिडिक स्ट्रेंथ कम ही होंगी। अंकल एक सवाल आपके सामने। द करेक्ट डिक्रीजिंग ऑर्डर फॉर एसिडिक स्ट्रेंथ। बोलो। dnबी लगाना। पहले डिस्टेंस सोचेंगे फिर नंबर सोचेंगे फिर पावर सोचेंगे। चलिए बताइए। ट्राई करें। पहले आप ट्राई करें। पहले डिस्टेंस फिर नंबर फिर पावर डिस्टेंस नंबर पावर। सोचो जरा। मान लो पहला वाला ऑप्शन आप सोचते हो। ठीक है? तो मुझे COH के लिए कंपेयर कराना है। तो इसके बारे में तो सोचने का नहीं। इसी के लिए तो कंपेयर कराना है। अब मुझे बताओ क्या लगा है आगे? CH2 लगा है। यहां भी लगा है। यहां भी लगा है। OMG यहां भी लगा है। यानी कि डिस्टेंस से तो ना होने वाला। हैं? देखो CH2 ग्रुप लगा हुआ है। और ग्रुप देखो। यहां CN ठीक है? यहां NO2, यहां F, यहां CL तो गौर से देख लो। तो CH2 पे डिस्टेंस बराबर। अब आप एक बात बताओ Cl F NO2 CN ये जो लगे हैं तो नंबर से भी तो नहीं हो पाएगा। क्यों? एक फ्लोरीन लगा है, एक क्लोरीन लगा है, एक Cl लगा है, एक NO2 लगा है। तो नंबर से भी नहीं हो पाएगा। तो भैया G1 में क्या आता है? जब डिस्टेंस नहीं, नंबर नहीं। तो दिखा दो अपनी पावर और पावर भैया NO2 की सबसे ज्यादा होती है। हां। NO2 की पावर इन सभी में सबसे ज्यादा CN, NO2, F और Cl में NO2 की पावर सबसे ज्यादा होती है। तो NO2 वाला पहले आएगा। उसके बाद CN वाला आएगा। फिर उसके बाद F और फिर Cl यानी कि चेन्नई इज द राइट आंसर। आप सभी लोगों ने भी आंसर एकदम सही दिया है। निखिल कह रहे हैं, "सर, ऑक्सीजन तो दो हैं।" बेटा, ऑक्सीजन को थोड़ी देखना है। कह रहे हैं, ऑक्सीजन दो हैं। देखना क्या है? D मतलब डिस्टेंस, N मतलब नंबर और नंबर किसका? ग्रुप का नंबर। है ना? जैसे NO2 NO2 एक ग्रुप है। इसका मतलब ये थोड़ी है कि ऑक्सीजन दो है। ये पागलपने मत करके आना पेपर में मालिक। मालिक ऐसे पागलपने नहीं चलेंगे। अच्छा थोड़ी लगेगा। सुबह-सुबह 12:00 बजने वाला है भाई। घड़ी उल्टी चलने लगेगी अगर तुम ऐसे बोलने लगोगे कि ऑक्सीजन तो दो आ रहे हैं। अरे नंबर मतलब नंबर ऑफ ग्रुप की बात चल रही है। ठीक है? नंबर में ना नंबर ऑफ ग्रुप की बात चल रही है भैया। इस तरीके से करोगे तो भैया एंटी वाले नीट कैंसिल कर देंगे। कहेंगे एक साल और लगेगा अभी। चलिए आइए टू कंपेयर एसिडिक स्ट्रेंथ ऑफ़ अल्कोहल ये है सेम एज सेम एज कार्बोक्सिलिक एसिड। वैसा ही है पूरा। सेम एज कार्बोक्सिलिक एसिड। सेम सेम सेम सेम। सेम वही कहानी है पूरी। मैं एक बार लिख के दिखा देता हूं। जैसे ROH है। H+ निकाल ROH नहीं होता। OH लिख देता हूं क्योंकि R तो ग्रुप आप चेंज करोगे। मान लो अल्कोहल है। अल्कोहल मतलब OH ग्रुप। तो मैं यहां लिख रहा हूं O नेगेटिव और क्या निकाल दूं मैं? H पॉजिटिव। इसका कुछ KA बोल दूं। तो वही वाली कहानी है कि मुझे नेगेटिव चार्ज को कम करना है। कैसे कम करूंगा? -i ग्रुप लगा दो। खींचेगा नेगेटिव चार्ज कम हो जाएगा। यानी कि एसिडिक स्ट्रेंथ इज़ डायरेक्टली प्रोपोर्शनल टू -i इनवर्स। सेम वही है। कोई नई बात नहीं है। ठीक? और अगर KA के रेस्पेक्ट में बोलूंगा तो डायरेक्टली प्रोपोर्शनल टू K, इन्वर्सली प्रपोर्शनल टू PK, डायरेक्टली प्रपोर्शनल टू H+ और इन्वर्सली प्रोपोर्शनल टू PH। बस एक बात जो मुझे यहां लिखनी है वो ये लिखनी है कि अगर तुम्हें अल्कोहल और कार्बोक्सिलिक में कंपेयर कराना है, तो एसिडिक स्ट्रेंथ ऑफ़ COOH ग्रुप इज़ ग्रेटर दैन OH ग्रुप। ठीक है? CH से ज्यादा OH की होती है। क्यों होता है? क्योंकि H+ निकलने के बाद इसका जो एनायन है उसमें रेजोनेंस होता है। इसके एनायन में रेजोनेंस नहीं दिख रहा है मेरे को। है ना? अल्कोहल वाले में रेजोनेंस नहीं होता। एसिड में रेजोनेंस होता है। तो कार्बोक्सिलिक एसिड इज़ मोर एसिडिक देन अल्कोहल। ठीक है? बस ये अंतर है। बाकी अगर अल्कोहल की फैमिली में चले जाओ तो जैसे तुमने कार्बोक्सिलिक एसिड में किया था वैसे ही करना है। आइए एक सवाल से समझ लेते हैं खेल। है ना? आइए एक सवाल से खेल समझ लेते हैं। चलिए भाई। इन व्हिच ऑफ द फॉलोइंग कंपाउंड द हाइड्रोक्सिल प्रोटॉन इज़ मोस्ट एसिडिक। प्रोटॉन इज़ मोस्ट एसिडिक का मतलब H+ निकलना। है ना? मतलब एसिडिक स्ट्रेंथ ही पूछ रहे हैं आपसे। चारों ऑप्शन आपके सामने। रूल वही लगाना है। डीएनपी। रूल वही लगाना है। डिस्टेंस देन नंबर फिर पावर। चलिए ट्राई करिए जरा एक बार। डिस्टेंस फिर नंबर फिर पावर। रूल आपको वही लगाना है। डीएनपी डी एपी डिस्टेंस नंबर देन पावर बोलिए जी dnp डिस्टेंस नंबर पावर आप जरा OH ग्रुप को देखिए जरा बताइए जरा OH ग्रुप को देखिए। और इसके रेस्पेक्ट में हमें चेक करना होता है। आइए डिस्टेंस देखते हैं। OH से यह कार्बन है। ये कार्बन है। ये कार्बन और ये कार्बन है। ठीक है? अब आप गौर से देखो। यहां कोई ग्रुप लगा है क्या? नहीं। यहां नहीं। यहां नहीं। यहां हां। तो देखिए जरा डिस्टेंस से ही काम हो जाएगा। यहां लगा है फ्लोरीन और फ्लोरीन होता है -i। बल्लेबल्ले। क्यों? एसिडिक स्ट्रेंथ ज्यादा पूछी थी आपसे। देखो, यही पूछा था ना कि भाई साहब कंपाउंड द हाइड्रोक्सिल प्रोटॉन इज़ मोस्ट एसिडिक। तो भैया सबसे ज्यादा एसिडिक डी वाला हो जाएगा। देख लीजिए। सबसे ज्यादा एसिडिक डी वाला हो जाएगा। अच्छा एक बात बताओ। अगर मुझसे पूरा आर्डर पूछते तो क्या लिखते? चलो। आओ पूरा करते हैं। आओ पूरा करते हैं। d सबसे ज्यादा हो गया। और बताइए। अब चलते हैं थोड़ा आगे। अगले कार्बन पे चलो। अगले कार्बन पे चलो। अगले कार्बन पे चलो। तो अगले कार्बन पर यहां -i दिख रहा है। तो भाई साहब d के बाद a आ जाएगा। डिस्टेंस लगेगी अभी भी। ठीक? आगे चले। उसके अगले कार्बन पे चले I लगा है। उसके अगले कार्बन पे चले एफ लगा है। देखिए। अगले कार्बन पे चले आई लगा है। अगले कार्बन पे चले एफ लगा है। और अब आप गौर से देखिए। गौर से देखिए। यहां लगा है आई और यहां लगा है एफ। यानी कि फ्लोरीन ज्यादा खींचता है कंपैरिजन टू आयोडीन। तो डी एसीबी ये आंसर आ जाएगा। डी एसीबी एकदम सही जवाब दिया आप लोगों ने। बड़ा मजा आया। चलिए आगे चलते हैं। टू कंपेयर स्टेबिलिटी ऑफ़ कार्बोटायन। तीसरा एप्लीकेशन है इंडक्टिव का। ठीक है? इंडक्टिव का तीसरा एप्लीकेशन है। टू कंपेयर स्टेबिलिटी ऑफ़ कार्बोटायन। मुझे बताइए। कार्बोटायन की बात मैं कर रहा हूं। कार्बोटायन मतलब कार्बन पर कौन सा चार्ज? प्लस चार्ज। इसको बोलते हैं कार्बोटायन। अब इस कार्बोटायन को मुझे स्टेबल करना है। दुनिया का कोई भी चार्ज सुनिए जरा। दुनिया का कोई भी चार्ज आ जाए उसको स्टेबल करने का मतलब क्या होता है? बता दीजिए जरा। क्या होता है? जल्दी बताइए। बोलो बोलो बोलो बोलो बोलो। दुनिया का कोई भी चार्ज कम करने का मतलब है कि स्टेबिलिटी लाना और मुझको इतना बता दे कोई कि भाई साहब प्लस चार्ज को कम करने का मतलब है कि मैं यहां क्या कर दूं मैं यहां क्या कर दूं मैं यहां क्या कर दूं मैं यहां +i ग्रुप लगा दूं तो +i क्या करता है इलेक्ट्रॉन देता है सही बात है +i क्या करता है इलेक्ट्रॉन देता है और इलेक्ट्रॉन देने वाला इलेक्ट्रॉन देने वाला एसिडिक स्ट्रेंथ इस डायरेक्टली प्रोपोर्शनल टू +i I और इन्वर्सली प्रोपोर्शनल टू -i क्या ये बातें मैं अच्छी कर रहा हूं? अच्छी-अच्छी बातें कर रहा हूं। आज से मैं बताइए क्या ये बात सही है? देने वाला +I मान लीजिए मैं आपके सामने एक सवाल लिख दूं। ऐसा ऐसा और ऐसा बताइए। इसमें मैं बोल रहा हूं A, इसको B और इसको C। बताइए इन तीनों में सबसे ज्यादा स्टेबिलिटी बोलिए बोलिए बताइए बोलिए बोलिए बोलिए बोलिए अच्छा एसिड अरे यार एसिडिक स्ट्रेंथ थोड़ी लिखेंगे कैसी गंदी गंदी बातें कर रहा है मास्टर स्टेबिलिटी ऑफ़ कार्बोटायन बताइए एसिडिक स्ट्रेंथ अभी दिमाग से निकला नहीं है। स्टेबिलिटी ऑफ़ कार्बोटायन इज़ डायरेक्टली प्रोपोर्शनल टू +i इनवर्स प्रोपोर्शनल टू -i। ठीक है? चलिए बताइए इन तीनों में क्या होगा? मुझे बताइए। यहां तीन-तीन +i लगे हैं। सही बात है? +i +i +i यहां दो लगे हैं। +i +i यहां एक लगा है। +i यानी कि मुझको बता दो भाई साहब। A ज्यादा होगा फिर B होगा फिर C होगा। ठीक है? सही है ना? अब मेरी बात ध्यान से सुनना। मैंने यह सवाल आपको इंडक्टिव इफेक्ट पढ़ा रहा था। तो इंडक्टिव से एक्सप्लेन किया है। इंडक्टिव से भी एक्सप्लेन करोगे सही है। लेकिन इसका एक बेटर एक्सप्लेनेशन होता है। है ना? बेटर एक्सप्लेनेशन इज़ हाइपर कंजुगेशन। तो ये सवाल हम हाइपर कंजुगेशन में भी देखेंगे। है ना? क्योंकि हाइपर कंजुगेशन डोमिनेट करता है। अभी तो मुझे इंडक्टिव का एप्लीकेशन आपको बताना था इसलिए मैंने इंडक्टिव से सॉल्व करा दिया। एकदम सही है। कोई गलत नहीं है। एकदम सही है। बट बेटर एक्सप्लेनेशन इज़ हाइपर कंजुगेशन। क्योंकि हाइपर कंजगेशन डोमिनेट करता है इंडक्टिव पर। अभी आगे आएगा। अभी आगे आएगा हाइपर कंजुगेशन। ठीक है? आप उससे एक्सप्लेन करोगे। है ना? कभी असरशन रीजन में आता है तो हाइपर कंजुगेशन आपका रीजन होता है। बाकी इंडक्टिव से भी आप एक्सप्लेन कर सकते हो। ऐसी कोई दिक्कत नहीं है। +i ज्यादा स्टेबिलिटी ज्यादा कर सकते हो। ठीक है? ठीक आए। बेटर क्या है? बेटर है भाई साहब हाइपर कंजुगेशन। इसीलिए अगला वाला ये सवाल हम हाइपर कंजुगेशन की बात करेंगे। है ना? आफ्टर हाइपर कंजुगेशन। क्योंकि हाइपर के बाद इंडक्टिव सोचना होता है। ठीक है? तो इसको अभी थोड़ा होल्ड करेंगे। हाइपर कंजुगेशन के बाद यह सवाल करेंगे। चलिए भाई आइए। कार्बनायन की बात कर लेते हैं। तो मुझको बताइए कार्ब एनायन में अगर मैं आपसे बात पूछूं कोई भी चार्ज को मुझे स्टेबल करना है। बता दीजिए मुझको कोई किसी भी चार्ज को मुझे स्टेबल करना है। बोल दीजिए जरा। बहुत आसान है यार। कोई मुश्किल बात नहीं है। इतना आसान-आसान चल रहा है। कैसी बातें कर रहे हो? देखो। मैं यहां -i लगा दूं क्या? बोलो। अगर मैंने -i ग्रुप लगा दिए तो ये खींचेंगे और नेगेटिव चार्ज कम हो जाएगा। तो स्टेबिलिटी की तरफ जाएगा। यानी कि स्टेबिलिटी ऑफ़ कार्बनायन इज़ डायरेक्टली प्रोपोर्शनल टू -i और इन्वर्सली प्रपोर्शनल टू +i। क्या मैं ये बात सही कह रहा हूं? बोले? अबकी बार -i ज्यादा तो स्टेबिलिटी ज्यादा। सही है? अब -i पे डिपेंड करेंगी चीजें। अब किस पे डिपेंड करेंगी? नेगेटिव पर। आय हाय क्या बात है। मतलब गजब कर रहे हो आज तो। सही है सबका। वेरी गुड। तो एक सवाल कर लो फिर इसी बात पे। लो कार्बनायन में हाइपर कंजुगेशन होता नहीं है। तो यहां हाइपर कंजुगेशन की तो बात ही नहीं आएगी। तो इसलिए इंडक्टिव से हो जाएगा। बताओ द ऑर्डर ऑफ़ डिक्रीजिंग स्टेबिलिटी ऑफ़ कार्बे एनायन। बताओ 1 2 3 आंसर कर दीजिए एकदम फ्री। बोलिए। कह रहा है अबकी बार 700 पार। बिल्कुल हो सकता है 700 पार। तैयारी एकदम जोरदार रिवीजन एकदम जोरदार करके जाइए। 700 पार क्या? 710 15 पार भी हो जाएगा। बस 20 के आगे मत निकल जाना। 20 के आगे निकलने थोड़ी दिक्कत आ जाएगी। है ना? फिर क्या आप बहुत आगे निकल जाओगे। आपको रोक नहीं पाएगा कोई। 20 तक रुक जाना बस। चलिए बताइए। ऑर्डर ऑफ़ डिक्रीज स्टेबिलिटी ऑफ़ एनायन। मुझे बताइए। यहां तीन ठो +i लगा है। जी। यहां दो ठो +i। यहां a का ही +i लगा है। जी। बस। तो तीन दो का आंसर आ जाएगा। +i ज्यादा सर्टेबिलिटी कम। +i ज्यादा होगा तो सर्टेबिलिटी कम हो जाएगा ना। ठीक है? यह कहानी है। तो 3 2 1 चलिए टू कंपेयर स्टेबिलिटी ऑफ़ फ्री रेडिकल? आइए जरा। फ्री रेडिकल की स्टेबिलिटी की अगर मैं बात करूं तो मुझे एक बात बताओ। फ्री रेडिकल इलेक्ट्रॉन डेफिशिएंट होता है ना? अरे यार फ्री रेडिकल में कितने इलेक्ट्रॉन होते हैं? देखो। 1 2 3 4 5 6 सात इलेक्ट्रॉन हैं। यानी कि इलेक्ट्रॉन की कमी है। तो इलेक्ट्रॉन की कमी को पूरा कौन करेगा? जीवन में जिस चीज की कमी है उसको पूरा कैसे किया जाए वह चीज मिल जाए तो भाई साहब भाई साहब +i वाले इसकी स्टेबिलिटी को बढ़ा देंगे क्यों इलेक्ट्रॉन की कमी है तो सेम एज कार्बोटायन ठीक है फ्री रेडिकल यानी कि सेम एज कार्बोटायन जैसा ही चलता है ये क्योंकि ये भी डेफिशिएंट है कार्बोटायन छह इलेक्ट्रॉन होते हैं फ्री रेडिकल में सात होते हैं होने आठ चाहिए थे तो स्टेबिलिटी ऑफ़ कार्बन फ्री रेडिकल इज डायरेक्टली प्रोपोर्शनल टू +i इन्वर्सली प्रोपोर्शनल टू नेगेटिव भाई समझे समझे समझे कि नहीं ठीक है तो एक सवाल मैं आपके सामने लिख रहा हूं रेडिकल रेडिकल और रेडिकल चलिए बताइए क्या आएगा आंसर ये लिखा मैंने ए ये लिखा मैंने बी ये लिखा मैंने सी बोल दीजिए बोल दीजिए दीजिए। कह रहा आईयूपीएसी कब कराएंगे? बेटा आईयूपीएसी अब अगले साल ही कराएंगे। एक साल में एक चैप्टर एक ही बार कराते हैं। दो बार कराएंगे तो दिक्कत में पड़ जाओगे। तो अब अगले साल ही आएगा आईयूपीएससी। इंतजार करते रहिए तब तक। चलिए ये +i ये +i ये +i क्या सही है मेरे भाई? ये +i ये +i और यहां ये +i अब मुझे एक बात बताओ +i ज्यादा स्टेबिलिटी ज्यादा तो आंसर आ जाएगा ABC जैसे आपने कार्बोटायन में किया था और एक बात ये भी है कि बेटर एक्सप्लेनेशन क्या है इसका हाइपर कंजुगेशन क्योंकि हाइपर डोमिनेट करता है इंडक्टिव पर ठीक है तो हाइपर में भी आएगा अभी ठीक कहा है। ठीक। चलिए वेरी नाइस। वेरी गुड। वेरी गुड। वेरी गुड। आप ये वाला सवाल इंडक्टिव से भी एक्सप्लेन कर सकते हो। हाइपर से भी कर सकते हो। है ना? आप मुझे इंडक्टिव लगा करके बता दो। हाइपर से भी कर सकते हो आप इसको। ठीक है? बताओ जरा। इंडक्टिव से कर दो आप। तो सीधा-सीधा। 3 +i 2 +i 1 +i कोई भी +i नहीं तो 3 2 1 4 3 2 1 4 डी आंसर आ जाएगा। ठीक है? डी आंसर आ जाएगा। वेरी नाइस। वेरी नाइस। आइए आगे बढ़ते हैं। लास्ट एप्लीकेशन है बेसिक स्ट्रेंथ। ध्यान से समझिएगा बात को। बेसिक स्ट्रेंथ मुझे कंपेयर करानी है तो मुझे बताना। मुझे कौन सी वाली बेसिक स्ट्रेंथ कंपेयर करानी है? लुईस बेसिक। और किसकी? नाइट्रोजन की। है ना? मुझे नाइट्रोजन की लुईस बेसिक स्ट्रेंथ कंपेयर करानी है। लुईस बेस क्या होता है? जिसके पास लोन पेयर होता है। ठीक है? लुईस बेस क्या होता है? जिसके पास लोन पेयर होता है। तो मुझे बताओ बेस क्या होता है? जो अपना लोन पेयर डोनेट कर दे। तो लोन पेयर मैंने डोनेट करा दिया। किसको? H+ को करा दिया। ध्यान से सुनिएगा। इसने अपना लोन पेयर इसको डोनेट कर दिया। करा दो डोनेट। कैसा दिखेगा? ऐसा दिखेगा। ठीक? और इसका कुछ अपना इक्विलिब्रियम कांस्टेंट होगा। सही बात है। सही बात है। सही बात है। और हमारे सिलेबस में बेसिक स्ट्रेंथ अमीनस की है। है ना? तो वही मैं बता रहा हूं नाइट्रोजन वाली। मुझे बताओ ये अपना लोन पेयर इसको डोनेट क्यों करें? ये अपना लोन पेयर इसको डोनेट क्यों करें? क्योंकि ये लुईस बेस है। अच्छा कितना अच्छे से करे? वो किस बात पे डिपेंड करेगा कि भाई साहब अगर मैं यहां पर +i वाले ग्रुप लगा दूं। तो ये क्या करेगा बताओ? अगर मैंने +i वाले ग्रुप लगा दिए तो यह इलेक्ट्रॉन देकर के नाइट्रोजन को उकसाएगा। बोलेगा जाओ जाओ जाओ हम तो हैं तुम्हारे सपोर्ट में। हम तो तुम्हें इलेक्ट्रॉन दे रहे हैं ना तो तुम जाओ H+ को अपना लोन पेयर दो। क्यों रुके हुए हो? नाइट्रोजन बोलेगा अच्छा ऐसी बात है। मेरे समर्थन में तीन-तीन +I जा रहा हूं मैं। रोकना मत मुझे कोई तो नाइट्रोजन अपना लोन पेयर इसको दे देगा। यानी कि बेसिक स्ट्रेंथ इज़ डायरेक्टली प्रोपोर्शनल टू +I और इन्वर्सली प्रोपोर्शनल टू -i सही बात है। और अगर तुम KB वैल्यू से करना चाहो तो बेसिक स्ट्रेंथ इज़ डायरेक्टली प्रोपोर्शनल टू KB डायरेक्टली प्रोपोर्शनल टू KB मतलब रिलेट कर सकते हो OH- से और ये आ जाएगा PKB और ये आ जाएगा POH इस तरीके से आप रिलेट कर सकते हो इसको। KB का उल्टा PKB है। है ना? तो कभी-कभी अगर आपसे ये भी पूछ लें तो भी आप कर सकते हो। है ना? ये आयनिक इक्विलिब्रियम से लिखे हैं फॉर्मूले। तो नाइट्रोजन अपना लोन पेयर दे। यह किस बात पर डिपेंड करता है? यह डिपेंड करता है। इंडक्टिव में +i तुमने लगा दिए। झमाझम +i लगा दो। मजा आ गया। झमाझम +i लगा दो। मजा आ गया। ठीक है? अब यहां बात आती है किस चीज की? वो ध्यान से सुनिएगा। ठीक है? अब यहां बात आती है किस चीज की? अगर मैं आपसे पूछूं पहले नंबर पर अगर मैं आपसे बोलूं इन गैस फज़ गैस फज़ का मतलब ओनली इंडक्टिव इफ़ेक्ट है ना? ओनली आई इफ़ेक्ट बोल देता हूं। सिर्फ आई इफ़ेक्ट से करना है आपको। ओनली आई इफ़ेक्ट। गैस फज़ का मतलब क्या होता है? गैस फज़ का मतलब है कि बिना पानी का। बिना पानी का। सिर्फ गैस फज़ यानी कि सिर्फ अमीन है। तो गैस फज़ में बेसिक स्ट्रेंथ इंडक्टिव पर ही डिपेंड करती है। और जो कि आप पहले अभी पीछे पढ़ चुके हो। ठीक? सेकंड पॉइंट आता है इन एक्वस मीडियम। अगर एक्वस मीडियम की बात करें तो एक्वस मीडियम में आपका इंडक्टिव नहीं लगता। बेटा आई इफ़ेक्ट तो लगता ही है। साथ ही साथ यहां लगता है सॉल्वेशन या हाइड्रेशन। क्यों? क्योंकि जब कभी भी एक्वस मीडियम आता है तो पानी है और अमीनस हैं। अमीनस पानी के साथ हाइड्रोजन बॉन्डिंग करती हैं। है ना? तो आप ध्यान से सुनिएगा ये बात को। ध्यान से सुनिएगा इस बात को। अगर मैं गैस फेस की बात करूं तो सिर्फ इंडक्टिव इफेक्ट लगता है। अगर मैं एक्वस मीडियम की बात करूं तो इंडक्टिव के साथ क्या लगता है? सॉल्वेशन लगता है। इसी बात को मैं आपको अगले पेज पर समझाना चाहता हूं। ठीक है? ठीक है? इसी बात को मैं समझाना चाहता हूं। तो गैस फेस का मतलब क्या है? बिना पानी का विदाउट वाटर सिर्फ इंडक्टिव लगेगा और एक्वस मीडियम आपको सॉल्वेशन सोचना पड़ेगा। सर एग्जाम में कैसा सवाल होगा? एग्जाम में अगर कभी सवाल पूछना होगा उनको तो वो एक्वस मीडियम लिख देंगे। अदरवाइज गैस फेस से ही आंसर करते हैं। ठीक है? अदरवाइज गैस फेस से ही आंसर करते हैं। ठीक है? आइए जरा। मैं आपको एक्वस मीडियम की बातें समझाना चाहता हूं। इसमें ध्यान से देखिए जरा। बहुत ध्यान से सुनिएगा। मान लीजिए मेरे पास एक अमीन लिखी हुई है RNH2 ठीक है RNH2 है। मैंने नाइट्रोजन का लोन पेयर H+ को दिलवा दिया तो मुझे कैसा दिखेगा? R NH3+ ऐसा दिखेगा। मेरे पास लिखा है R2NH ठीक। मैंने H+ को दिलवा दिया तो ये दिखेगा ऐसा। दो H हो गए। अच्छा दो R थे। ठीक। अगर मैंने 3° वाले को दिलवा दिया तो मुझे ऐसा दिखेगा। देखना क्या मैं ऐसे ही दिखा सकता हूं? अब अगर मेरे पास पानी है। सुनिएगा ध्यान से। अगर मेरे पास पानी है तो पानी क्या करेगा? हाइड्रोजन बॉन्डिंग करेगा। किन के साथ करेगा? नाइट्रोजन से जुड़े हुए H के साथ। तो ये हो गई भाई साहब पानी की हाइड्रोजन बॉन्डिंग। सही बात है? क्लियर है? एकदम। क्लियर है? एकदम क्लियर। ठीक। तो ये क्या है? 1 डिग्री अमीन। ये क्या है? 2° अमीन। ये क्या है? 3 डिग्री अमीन। तो, अब आप गौर से देखें। 1 डिग्री अमीन में जब इसका नाइट्रोजन अपना लोन पेयर दे रहा था H+ को उसके बाद जो कैटायन बन रहा है वो हाइड्रोजन बॉन्डिंग तीन-तीन कर रहा है। यहां दो हाइड्रोजन बॉन्डिंग कर रहा है। यहां एक हाइड्रोजन बॉन्डिंग कर रहा है। सही बात है? तो अगर मैं हाइड्रोजन बॉन्डिंग को क्राइटेरिया मान के चलूं तो ये ज्यादा स्टेबल आ रहा है। हाइड्रोजन बॉन्डिंग से स्टेबिलिटी आती है। तो अकॉर्डिंग टू अकॉर्डिंग टू हाइड्रोजन बॉन्ड। हाइड्रोजन बॉन्ड यानी कि सॉल्वेशन। तो तीन हाइड्रोजन बॉन्ड आ रहे हैं। यानी कि ज्यादा स्टेबल है और जिसका प्रोडक्ट ज्यादा स्टेबल है तो हम ऐसा मान सकते हैं कि वो अपना लोन पेयर आसानी से दे रहा है। जिसका प्रोडक्ट स्टेबल है वो अपना लोन पेयर आसानी से दे रहा है। तो हाइड्रोजन बॉन्डिंग के अकॉर्डिंग 1° वाला ज्यादा बेसिक आना चाहिए था। फिर 2° फिर 3° ऐसे ही होना चाहिए था। लेकिन अकॉर्डिंग टू +i देखूं मैं। आप बोलोगे सर यहां पर 1 +i लगा हुआ है। यहां 2 +i लगे हुए हैं। यहां 3-3 +i लगे हुए हैं। तो नाइट्रोजन की यहां पर लोन पेयर की डेंसिटी ज्यादा होगी क्योंकि डोनेशन वाले ग्रुप लगे हैं। और लोन पेयर डेंसिटी अगर ज्यादा होगी तो डोनेशन ज्यादा होगा। यानी कि बेसिसिटी ज्यादा होगी। बेसिक स्ट्रेंथ ज्यादा होगी। तो +i के अकॉर्डिंग 3° 2° 1° अब मामला फंस गया। कि भैया हाइड्रोजन बॉन्डिंग की वजह से ही आंसर आ रहा है। +i की वजह से ही आंसर आ रहा है। तो जब मामला फंसता है तो साइंटिस्ट लोग कहां जाते हैं? एक्सपेरिमेंटल वैल्यू पर। तो इस पर्टिकुलर रिएक्शन का KB वैल्यू निकाला। इसका KB वैल्यू निकाला। एक्सपेरिमेंटल इसका KB वैल्यू निकाला। और ऐसा पता चला कि KB वैल्यू 2° वाले का ज्यादा आया। तो हमें फाइनल आंसर क्या देना है? अकॉर्डिंग टू हाइड्रोजन बॉन्डिंग इंडक्टिव से फाइनल आंसर क्या बनता है? साइंटिस्ट लोगों ने न्यूमेरिकल वैल्यू निकाल करके बता दिया। भाई साहब कि ऐसा है कि 2° 1° 3° ये बेसिक स्ट्रेंथ का आर्डर KV वैल्यू आ रही है किसमे? जब R तुम्हारा मिथाइल आ रहा है और बेसिक स्ट्रेंथ का आर्डर 2° 3° और 1° आ रहा है। जब R तुम्हारा इथाइल आ रहा है। इसके बाद तुम कुछ भी कर लो। सबका आंसर 3° 2° 1° आ रहा है। फिर वहां पर सॉल्वेशन नहीं आ रहा है। ठीक है? तो मिथाइल के केस में 213 इथाइल के केस में 231। अब आप यह एक्सप्लेन कर सकते हो कि सर मिथाइल से इथाइल में आंसर क्यों पलट रहा है। देखो 2° तो ज्यादा आ ही रहा है। दो इंडक्टिव दो सॉल्वेशन वाला। 1° वाला 3° से ज्यादा इसमें है। 3° वाला 1° ज्यादा इसमें है। आप ये बोल सकते हो कि मिथाइल से इथाइल गए तो कार्बन बढ़ा। कार्बन बढ़ा तो +i की पावर बढ़ गई। तो आप इंडक्टिव डोमिनेट करने लगा होगा इन दोनों केस में इनमें 1° और 3° में। ठीक है? तो आपको करना क्या है? आपको फाइनली फाइनल आंसर ही ध्यान रखना। पेपर में अगर आएगा तो यह आएगा। है ना? और क्वेश्चन में लिखा होगा इन एक्वस मीडियम नहीं लिखा है गैस फज़ में सॉल्व कर दो। इंडक्टिव से सॉल्व कर दो। ठीक है? क्लियर है एकदम बात? गैस फज़ यानी कि इंडक्टिव से सॉल्व हो जाएगा। चलिए तो आप मुझे अब बता दीजिए जरा इस सवाल का आंसर। कुछ लिखा है? नहीं लिखा। गैस फज़ मान के सॉल्व कर दीजिए। मोस्ट बेसिक। मोस्ट बेसिक बता दीजिए। मोस्ट बेसिक बता दीजिए। मोस्ट बेसिक बता दीजिए। बोलिए जी क्या कहती है जनता? बोलिए जी। बोलिए। बाकी कुछ भी आ जाए टू वन। प्रोपाइल आ जाए, ब्यूटाइल आ जाए, 3 टू वन है। चाहे एक्वस हो चाहे गैस हो। क्या लग रहा है आंसर? देखिए। CH3CH2NH2 गौर से देखिए आप NH2 के लिए कंपेयर कराएंगे। आपको इसके लिए कंपेयर कराना है ना। तो इसके अलावा आप देख लीजिए क्या-क्या लगा हुआ है। वही डीएनपी रूल लगेगा जैसे आपने एसिडिक में लगाया। डिस्टेंस नंबर पावर लगाइए। डीएनपी रूल। बोलिए जरा। यहां देखिए जरा। इधर कार्बन दो कार्बन लगे हुए हैं ना। यहां देखें दो कार्बन यहां भी हैं। दो कार्बन यहां भी हैं और दो कार्बन यहां भी है। अब देखिए क्या लगा है? ClO नेगेटिव NO2 -i है। ये भी -i है और ये +I तो बेसिक स्ट्रेंथ कौन बढ़ाता है? +I बढ़ाता है। पूरा ऑर्डर लिखना होगा तो क्या होगा? d उसके बाद बताओ। न्यूट्रल वाला A है ना? भाई +i के बाद न्यूट्रल आएगा। अब बताओ। Cl और NO2 में डिस्टेंस बराबर नंबर बराबर पावर से हो जाएगा। तो Cl की -i पावर कम है तो बेसिक स्ट्रेंथ ज्यादा होगी। और NO2 की -i पावर ज्यादा है तो बेसिक स्ट्रेंथ कम होगी। इन्वर्सली प्रोपोर्शनल होता है। ठीक है? तो daba bc आ जाएगा। चेक कर लें जरा सभी लोग। ठीक है बेटा? O नेगेटिव तो +i होता है। क्या बात कर रहा है यार तुम यार? कैसी बात कर रहे हो? आ कह रहा है व्हाई नॉट? A पगले ए पगले तुम इसको ऐसे लिख लो ना। लो H लगा दिया और H का तो जीरो इंडक्टिव होता है। ऐसे लिख लो इसको। जनता फैल गई क्या? A क्यों नहीं? अरे मालिक O नेगेटिव +i है। A में थोड़ी कोई +i लगा हुआ है। दो कार्बन तो कॉमन है। दो कार्बन दो कार्बन दो कार्बन दो कार्बन ये तो कॉमन ही है। ठीक है? चलिए तो इंडक्टिव की ये कहानी कंप्लीट। अब चलते हैं रेजोनेंस पर। रेजोनेंस में क्या सीखते हो आप? आइए जरा। ठीक है? इंडक्टिव के एप्लीकेशन सारे कवर कर लिए। रेजोनेंस पर चलते हैं। पहले हम इंडक्टिव पढ़ लें, रेजोनेंस पढ़ लें, हाइपर पढ़ लें, एरोमेटिसिटी पढ़ लें। उसके बाद फिर स्टेबिलिटी ऑफ इंटरमीडिएट के टाइम पर आपको मिक्स सवाल आते हैं। हर इफेक्ट से रिलेटेड सवाल होंगे। तो वो इकट्ठे सवाल कैसे सॉल्व करने हैं वो आपको सारे पढ़ लोगे तभी क्लियरली समझ में आएगा। ठीक है? आइए जरा रेजोनेंस के बारे में समझ लें। इसमें तो एरो घुमाना सीख जाते हो कि भाई एरो किधर जा रहा है। है ना? आपको पता नहीं चलता ना कि कौन सा एरो कहां जा रहा है। तो वो सब सीख जाओगे आप यहां पर। ठीक है? पुरानी डेफिनेशन ऐसी मानी जाती पुरानी डेफिनेशन ऐसी मानी जाती थी कि कोई सिंगल लुईस स्ट्रक्चर कोई सिंगल लुईस स्ट्रक्चर कैन नॉट एक्सप्लेन ऑल द प्रॉपर्टीज ऑफ़ अ मॉलिक्यूल। सर ये प्रॉपर्टीज से मतलब क्या है? प्रॉपर्टीज से मतलब है बॉन्ड ऑर्डर बॉन्ड लेंथ वगैरह। बॉन्ड ऑर्डर या बॉन्ड लेंथ वगैरह एक सिंगल स्ट्रक्चर एक्सप्लेन नहीं कर सकता। जैसे मैं आपको एग्जांपल से समझाते जाता हूं। ये लाइंस मान लो अगर मैं आपसे पूछूं बताओ। बताओ मालिक मालिक बताओ इसका बॉन्ड लेंथ x है इसका y है बोलो बॉन्ड लेंथ बोलो बॉन्ड लेंथ कौन सा ज्यादा कौन सा कम बोलो बोलो बॉन्ड लेंथ कौन सा ज्यादा कौन सा कम बताइए जरा इन दोनों में बॉन्ड लेंथ कौन सा ज्यादा कौन सा कम आप बोलोगे सर x कम है y ज्यादा है क्यों सिंगल बॉन्ड की बॉन्ड लेंथ ज्यादा होती है डबल बॉन्ड से ऐसा ही बोलोगे ना आप अगर आपको रेजोनेंस नहीं पता है ना अब तो खैर आपको पता है रिवीजन कर रहे हो तो रिवीजन के टाइम पे तो पता है लेकिन अगर जब रेजोनेंस नहीं पढ़ा होता जब पहली बार जीवन में देखते हो तो आपको ऐसा लगता है कि y ज्यादा है x कम है ये गलत बात है यही तो बोला है इससे कि व्हेन अ सिंगल लुइस स्ट्रक्चर कैन नॉट एक्सप्लेन ऑल द प्रॉपर्टीज भाई इस स्ट्रक्चर से एक्सप्लेन थोड़ी हो पा रहा है ना ठीक है देन वी नीड मोर देन वन सच स्ट्रक्चर दी स्ट्रक्चर्स आर कॉल्ड रेजोनेटिंग स्ट्रक्चर हमें इससे ज्यादा स्ट्रक्चर की जरूरत है जिनको हम कैनोनिकल फॉर्म बोलते हैं। ठीक? रेजोनेटिंग स्ट्रक्चर्स जो है वो हाइपोथेटिकल। आर एस मतलब रेजोनेटिंग स्ट्रक्चर। इसका शॉर्ट फॉर्म है आर एस। तो ये हाइपोथेटिकल होते हैं। हम अपने मन से बनाते हैं एक्सप्लेन करने के लिए। एक्सप्लेन करने के लिए। ठीक है? रेजोनेंस हाइब्रिड इज द रियल स्ट्रक्चर। रेजोनेंस हाइब्रिड रियल स्ट्रक्चर होता है। उसकी मदद से तुम बता पाते हो। जैसे आइए जरा। आइए जरा मैं आपको एक्सप्लेन करता हूं। जैसे मान लीजिए मान लीजिए मेरे पास यह लिखा हुआ था मॉलिक्यूल आप इस सिंगल स्ट्रक्चर से एक्सप्लेन नहीं कर पा रहे थे तो आपको और स्ट्रक्चर चाहिए और वो और स्ट्रक्चर ऐसे मानते हैं हम कि भाई साहब ये जो पाई इलेक्ट्रॉन्स है ना इसको मूव करा दो एटम मूव मत कराओ एटम को मत छेड़ो है ना सिग्मा बॉन्ड मूव मत कराओ पाई बॉन्ड यहां से उठा के यहां रख दो तो कैसा दिखेगा पाई बॉन्ड मैं ऐसा इधर उठाके इस वाले पाई बॉन्ड को उठा के यहां कर देता हूं शिफ्ट कर देता हूं तो मेरे को ऐसा दिखेगा। तो मैं इसका एक स्ट्रक्चर यह भी मान सकता हूं। और यह दोनों आपस में कहलाएंगे कैनोनिकल फॉर्म या रेजोनेटिंग स्ट्रक्चर। अब अगर मैं इन दोनों से मिलाकर के हाइब्रिड बनाता हूं तो सिग्मा बॉन्ड को मत छेड़ना। एटम कैन नॉट मूव इन रेजोनेंस। एटम मूव नहीं करता। पाई बॉन्ड को शिफ्ट कर दीजिए। तो पाई बॉन्ड शिफ्ट किया तो मुझे बताओ अगर मैं किसी एक बच्चे से पूछूं कि इसमें पाई बॉन्ड कहां है? वो बोलेगा इन दोनों के बीच में। और किसी दूसरे बच्चे से पूछूं इसमें पाई बॉन्ड कहां है? तो बोलेगा इन दोनों के बीच में। तो दोनों को बराबर-बराबर तवज्जो देंगे और बोल देंगे कि भाई साहब भाई साहब देखो पाई बॉन्ड यहां भी है। पाई बॉन्ड यहां भी है। देखो इस स्ट्रक्चर में पाई बॉन्ड यहां है। इस स्ट्रक्चर में पाई बॉन्ड यहां है। तो दोनों जगह पाई बॉन्ड है ना। किसी से मैं पूछूं एक बच्चे से कि बताओ नेगेटिव चार्ज कहां वो बोलेगा सर यहां है। दूसरे बच्चे जो वो बोलेगा यहां है। तो मैं दोनों को सेटिस्फाई करने के लिए बोलूंगा कि भाई साहब - 1/2 क्यों? एक नेगेटिव चार्ज दो ऑक्सीजन में डिस्ट्रीब्यूट हो रहा है। एक नेगेटिव चार्ज दो ऑक्सीजन में डिस्ट्रीब्यूट हो रहा है। देखो एक नेगेटिव चार्ज दो ऑक्सीजन में डिस्ट्रीब्यूट हो रहा है। तो माइनस माइनस अब आएगा। अब देखो यहां प्लस है। यहां प्लस है तो यहां भी प्लस होगा। बेटा गणित मत लगा देना कि सर प्लस प्लस 2 प्लस कर दिया। गणित नहीं लगाना। यहां प्लस है, दूसरे स्ट्रक्चर में भी प्लस है तो हाइब्रिड में भी प्लस होगा। ठीक है? यानी कि ओवरऑल क्या हुआ? ओवरऑल क्या हुआ कि पाई बॉन्ड यहां से हटा के मैंने यहां लगा दिया। यानी कि पाई बॉन्ड का मूवमेंट हुआ। तो इंडक्टिव इफेक्ट जो आपने पीछे पढ़ा है वो सिग्मा बॉन्ड के लिए होता है। और पाई बॉन्ड के लिए रेजोनेंस होता है। ठीक है? तो ये कहानी है। अब अगर मैं आपसे पूछूं कि ये A है ये B है और ये C है। ठीक? तो मैं यह कहूंगा क्या कि a एंड b आर रेजोनेटिंग स्ट्रक्चर्स या कैनोनिकल फॉर्म रेजोनेटिंग स्ट्रक्चर्स जिसको आर एस बोलूंगा या कैनोनिकल फॉर्म बोलूंगा सी बोलूंगा मैं क्या रेजोनेंस हाइब्रिड ठीक है? C क्या है? रेजोनेंस हाइब्रिड। ये हाइपोथेटिकल है। रियल है। तो मुझे बताओ अगर मैं रियल स्ट्रक्चर इसको मान के चलूं और मैं ये बोलूं कि अब बताना जरा बॉन्ड लेंथ क्या आएगी? बोलो। रेजोनेंस हाइब्रिड की मदद से तुम बॉन्ड लेंथ एक्सप्लेन कर पा रहे हो कि नहीं? बताओ। जो कि तुम पीछे नहीं कर पा रहे थे। पीछे तुम नहीं कर पा रहे थे। एक स्ट्रक्चर से नहीं कर पा रहे थे। एक स्ट्रक्चर से नहीं कर पा रहे थे। यहां बता पाओगे तुम? क्योंकि आपको मल्टीपल स्ट्रक्चर चाहिए। फिर उन स्ट्रक्चर से मिलाकर के हाइब्रिड बनाओगे। और ये रेजोनेंस हाइब्रिड जो बना तुम्हारा ये RH है ना? ये RH तो अब आप बताओ बॉन्ड लेंथ क्या है? आप बोलोगे सर X और Y की बराबर है। अब आपका आंसर एकदम सही है। है ना? X और Y की बॉन्ड लेंथ बराबर होती है। एक्सपेरिमेंटली पता है तुमको ये। लेकिन तुम रेजोनेंस की मदद से बता रहे हो। है ना? रेजोनेंस की मदद से तुम बता रहे हो। क्लियर है? रेजोनेंस की मदद से तुमने समझा दिया कि ओजोन में बॉन्ड लेंथ सेम है। ठीक है? क्लियर है? इसी तरीके से और भी एग्जांपल्स हुआ करते हैं। जैसे CO32- यहां भी सारी बॉन्ड लेंथ बराबर होंगी। है ना? ऑल बॉन्ड लेंथ्स आर इक्वल। या आप बता सकते हो किसकी मदद से रेजोनेंस की मदद से? ठीक है? क्लियर है बात यह? तो यह यह बेसिक कांसेप्ट होता है रेजोनेंस का। ठीक है? अब इस कांसेप्ट को मॉडिफाई कर दिया गया। है ना? इस कांसेप्ट को थोड़ा सा मॉडिफाई कर दिया गया। क्या मॉडिफाई बोला गया? कि हम बोलेंगे डीलोकलाइजेशन। बोलने का तरीका बदल दिया बस। है ना? है वही चीज बोलने का तरीका बदल दिया गया है। तो जो आजकल डेफिनेशन हम बोला करते हैं हम ये बोलते हैं कि भाई साहब डीलोकलाइजेशन ऑफ़ पाई इलेक्ट्रॉन्स इन कंजुगेटेड सिस्टम। है ना? डीलोकलाइजेशन। डीलोकलाइजेशन का मतलब क्या है? यहां से वहां जाना, वहां से यहां आना। है ना? जैसे मैं यहां खड़ा हूं। यहां से मैं इधर आ गया तो क्या हो गया? डीलोकलाइज़ हो गया हूं मैं। यहां से अगर यहां आ गया तो क्या हो गया? डीलोकलाइज़ हो गया हूं मैं। है ना? तो डीलोकलाइजेशन ऑफ़ पाई इलेक्ट्रॉन्स। डीलोकलाइज़ेशन ऑफ़ पाई इलेक्ट्रॉन्स। लेकिन कहां पर? कंजुगेटेड सिस्टम। तो अब आपको यह समझना होगा कि यह कंजुगेटेड सिस्टम क्या होते हैं? कजगेटेड सिस्टम में चलता है ट्रिपल पी कांसेप्ट। यहां चलता है ट्रिपल पी का कांसेप्ट। ट्रिपल पी का मतलब होता है पैरेलल पोजीशन ऑफ़ पैरेलल पोजीशन ऑफ़ p ऑर्बिटल्स। और होना भी चाहिए। कोई नई बात थोड़ी है ये। होना भी चाहिए। क्यों? क्योंकि बात चल रही है किसकी? पाई बॉन्ड या पाई इलेक्ट्रॉन्स की। बात किसकी चल रही है? पाई बॉन्ड या पाई इलेक्ट्रॉन्स की। और पाई बॉन्ड्स या पाई इलेक्ट्रॉन कैसे होते हैं? मतलब पाई बॉन्ड कैसे बनता है? साइड वाइज ओवरलैपिंग से बनता है ना? तो ये पैरेलल होने चाहिए ना। भाई अगर मैं बोलूं इसकी इसके साथ ओवरलैपिंग कराओ तो ऐसे ही दिखेगी ना। ये तो इसी को तो हम पाई बॉन्ड बोलते हैं। बताओ क्या तुम इसको पाई बॉन्ड कह सकते हो क्या? नहीं कह सकते हैं ना? तो इसीलिए ये पैरेलल तो होना ही चाहिए। p ऑर्बिटल तो ऐसे बनते हैं। पाई बॉन्ड ऐसे बता p ऑर्बिटल से। साइड वाइज ओवरलैपिंग से बनता है। है ना? तो इसलिए बोला गया है कि पैरेलल पोजीशन होनी चाहिए किसकी? P ऑर्बिटल की। अरे यही तो है। ट्रिपल पी कांसेप्ट कुछ नहीं है। ये पाई बॉन्ड ही है। पैरेलल पोजीशन ऑफ़ P ऑर्बिटल से क्या बनते हैं? पाई बॉन्ड ही तो बनते हैं। तो बस आपके सामने क्या होना चाहिए? पैरेलल पोजीशन होना चाहिए। अब ये पैरेलल पोजीशन ऑफ़ P ऑर्बिटल। कितने P ऑर्बिटल सर? सर कितने P ऑर्बिटल? सर सर सर सर कितने P ऑर्बिटल? दो p ऑर्बिटल भी पैरेलल मिल जाए तो भी काम हो जाएगा। 3 p ऑर्बिटल भी मिल जाए, चार p ऑर्बिटल भी मिल जाए। दो वाला भी चलेगा, तीन वाला भी चलेगा, चार वाला भी चलेगा। आइए कुछ एग्जांपल से आपको समझा देता हूं। कुछ एग्जांपल से आप समझो तो समझ जाओगे खेल पूरा है ना? 2 पी चलेंगे, तीन पी चल, चार पी चलें। है ना? आइए एक-एक करके कुछ एग्जांपल देख लेते हैं। 2 पी के, तीन पी के, 4 पी के। ठीक है? चलिए भाई आइए तो मैं टाइप ऑफ कंजगेशन आपको बता देता हूं। है ना? एक-एक करके देख लेते हैं। दो p ऑर्बिटल का देख लेते हैं। है ना? दो p ऑर्बिटल का। जैसे मान लीजिए मेरे पास दो एटम है। ठीक? जैसे एक A लिखा है। एक B लिखा है। A ने B के साथ सिग्मा बॉन्ड तो पहले से बना रखा होगा। क्योंकि किसी भी मॉलिक्यूल में सिग्मा पहले बनता है। पाई बाद में बनता है। यानी कि पाई बॉन्ड अगर है तो सिग्मा ऑलरेडी होगा अकॉर्डिंग टू vbt है ना? VBt के अकॉर्डिंग चल रहे हैं अब अपन। तो A और B के बीच में सिग्मा ऑलरेडी होगा। है ना? सिग्मा ऑलरेडी होगा। अब मैं यहां पर दो p ऑर्बिटल का पाई बॉन्ड बनाना चाहता हूं। तो मैं क्या बोलूंगा? A और B दोनों के पास P ऑर्बिटल होने चाहिए। सही बात है। दो P ऑर्बिटल होने चाहिए। तो ये दोनों आपस में ओवरलैप कर लें। गुलूगुलू खेल लें। यह दोनों आपस में गुलगुलू खेल रहे हैं तो क्या बन जाएगा? बॉन्ड बन जाएगा। सीधी सी बात है। यह दोनों आपस में गुलगुल खेल रहे हैं तो बॉन्ड बन जाएगा। तो इसी को तो बोलते हैं दो p ऑर्बिटल पैरेलल है। सर ऐसा कहां दिखेगा? अरे बहुत सारे एग्जांपल आपको पता हैं। देखिए देखिए जरा मैं आपके सामने बोल दूं CH2 + NH2 क्या इसमें दो P ऑर्बिटल वाली रेजोनेंस दिख रही है? CH2+OH CH2+ F C++ की जगह बोरॉन कर सकता हूं मैं भाई कार्बन प्लस को मैं बोरोन बोल सकता हूं ना इलेक्ट्रॉन के मामले में कार्बन के पास छह इलेक्ट्रॉन होते थे यूजुअली है ना मतलब छह होते हैं तो प्लस एक लगा दिया तो मतलब छह इलेक्ट्रॉन थे प्लस लगा दिया तो पांच बचे तो बोरोन के बराबर आ गया ये है ना या आप वैलेंस इलेक्ट्रॉन से सोचोगे तो आप वैलेंस इलेक्ट्रॉन सोच लो चार की जगह तीन हो जाएंगे है ना तो मैं कार्बन प्लस की जगह बोरोन लगा सकता हूं ये सारे दो p ऑर्बिटल वाले आप खुद देख लो। कार्बन प्लस में कितने इलेक्ट्रॉन हैं? देखो। कार्बन प्लस में इलेक्ट्रॉन आ रहे हैं। 1 2 3 4 5 6 यानी कि दो इलेक्ट्रॉन की कमी है। और यहां लोन पेयर है। लोन पेयर मतलब भरा हुआ ऑर्बिटल। तो, यह हो गया देखो। यहां भी देखो। वेकेंट ऑर्बिटल, भरा ऑर्बिटल। वेकेंट ऑर्बिटल भरा ऑर्बिटल वेकेंट ऑर्बिटल भरा ऑर्बिटल वेकेंट ऑर्बिटल भरा हुआ ऑर्बिटल भरा ऑर्बिटल मतलब लोन पेयर और लोन पेयर तो होते ही हैं इनके पास नाइट्रोजन ऑक्सीजन फ्लोरी के पास लोन पेयर होते हैं। तो आप देखो दो p ऑर्बिटल वाले खूब सारे एग्जांपल आपको ऐसे देखने को मिलेंगे। ठीक है? क्लियर है बात? तो यह कहानी है। तो 2 p ऑर्बिटल वाले में यूजली क्या होगा? एक खाली और एक भरा ऐसा बोल दूं मैं। है ना? अब आप क्लिटी समझ जाओगे। एक खाली होगा, एक भरा होगा। और दो पी ऑर्बिटल का एक खाली एक भरे का ही नाम बैक बॉन्डिंग है। इसी को ही तुम बैक बॉन्डिंग कहते हो। अगर आपने केमिकल बॉन्डिंग में ये पढ़ा हो तो कोई बात नहीं। आप इसका नाम लिख लीजिए। बैक बॉन्डिंग। दो p ऑर्बिटल वाला ही बैक बॉन्डिंग है। इसी को ही हम बैक बॉन्डिंग बोलते हैं। ठीक? इसी को ही हम बैक बॉन्डिंग बोलते हैं। अच्छा आपके दिमाग में ख्याल आ रहा होगा सर P और D वाली नहीं हो सकती बैक बॉन्डिंग होती है। होती है। लेकिन हम अभी P वाले कवर कर रहे हैं। 2P 3P 4p मतलब 2p हो जाएं, 3p हो जाएं, 4p हो जाएं। बाकी P और D वाली भी होती है। है ना? यहां साइड में मैं लिख देता हूं। आपके सामने ऐसा भी हो सकता है जीवन में कि भरा हुआ ऑर्बिटल A के पास मिले और B के पास आपको वेकेंट ऑर्बिटल मिल जाए। लेकिन, अब कौन सा मिले? यह P है, तो यह d मिल जाए। जैसे फॉर एग्जांपल CH2- मिल जाए। यहां क्लोरीन मिल जाए। तो क्लोरीन के पास क्या है? वेकेंट D है। और इसके पास क्या है? भरा हुआ P है। तो ये साइड वाइज़ ओवरलैपिंग कर लेगा। तो इसको क्या बोलोगे? भरा P और ये खाली D। तो ये भी एक टाइप ऑफ बैक बॉन्डिंग है। इसको बोलते हैं P पाई D पाई बैक बॉन्डिंग। ये भी एक रेजोनेंस का ही टाइप है। है ना? सर ये d ऑर्बिटल कहां पता चलते हैं? d ऑर्बिटल आपको मिलेंगे जो आपको देखने को मिलेंगे। फास्फोरस, क्लोरीन, सल्फर इनमें देखने को मिलते हैं। क्लोरीन के साथ-साथ ब्रोमीन, आयोडीन में भी होता है। इनमें देखने को मिलते हैं। मतलब अगर मैं इन शॉर्ट बताना चाहूं तो आप इस तरीके से पूछ बोल सकते हो कि भाई साहब एटॉमिक नंबर 13 से 19 और इनके नीचे वाले। इनके पास होता है वेकेंटिटी। और ज्यादातर कौन से देखने को मिलते हैं? फास्फोरस। है ना? यूजुअली कौन से देखने को मिले वो बता रहा हूं। यूजली तुम्हें मिलेगा फास्फोरस क्लोरीन। ठीक है? फास्फोरस सल्फर क्लोरीन और क्लोरीन के अलावा ब्रोमीन आयोडीन की भी बातें होंगी। ये वेकेंट है डी वाले हैं। ठीक है? ये वेकेंट डी वाले। तो भाई साहब ये क्या है? दो p ऑर्बिटल का बैक बॉन्डिंग है। यानी कि रेजोनेंस है। ये pi dpi साइड में मैंने बता दिया आपको। ठीक? अब चलता हूं मैं। 3p ऑर्बिटल का रेजोनेंस समझा रहा हूं। तो ये 2 p ऑर्बिटल का है। क्लियर बात है? ये 2 p ऑर्बिटल का है। आइए जरा आप 3p ऑर्बिटल का देख लेते हैं। अगर तीन p ऑर्बिटल पैरेलल आएं तो ये कैसा सिस्टम आपको दिखता है? ज्यादातर सवाल आपको केमिस्ट्री में इसी के दिखे हैं। मतलब ऑर्गेनिक में जीओसी में इसी के दिखेंगे। तीन p ऑर्बिटल। यहां मैं लगा दूं आपके सामने इस जगह पर इस जगह कोई मैंने एटम लगा दिया A सॉरी इधर मैंने लगा दिया A और इस A पर मैं बोल रहा हूं क्या-क्या हो सकता है इस A पर हो सकता है माइनस चार्ज ठीक है प्लस चार्ज ने अ लोन पेयर विद माइनस चार्ज है ना या ऐसा बोल दो सिर्फ लोन पेयर बोल दो माइनस चार्ज तो लोन पेयर के साथ ही आ जाएगा। ऐसा लोन पेयर विद माइनस चार्ज, पॉजिटिव चार्ज, लोन पेयर, आपको मिल जाए वेकेंट ऑर्बिटल। ठीक है? आपको मिल जाए फ्री रेडिकल। आइए जरा एक-एक करके समझते हैं। ध्यान से सुनिएगा। मेरे पास ऐसा केस हो सकता है क्या? देखिए, मुझे क्या चाहिए? पैरेलल पोजीशन चाहिए। है ना? लोन पेयर चाहिए नेगेटिव चार्ज के साथ यानी कि कार्बनायन। ठीक? दूसरा देखें जरा प्लस चार्ज भी हो सकता है। बिल्कुल हो सकता है। मुझे चाहिए कार्बोटायन। प्लस चार्ज यानी कि कार्बोटायन। मुझे चाहिए सिर्फ लोन पेयर। और अगर सिर्फ लोन पेयर की बात करूं तो मुझे मिलेगा NH2। ठीक है? लोन पेयर वाला NH2 हो सकता है। OH हो सकता है। F हो सकता है। मतलब न्यूट्रल वाले मिल सकते हैं आपको। है ना? मैं एक एग्जांपल NH2 से समझा रहा हूं। वेकेंट ऑर्बिटल वाला आपको क्या दिख सकता है? बिना चार्ज का वेकेंट ऑर्बिटल बोरॉन। ठीक? और फ्री रेडिकल दिख सकता है आपको। तो यह यूजली आपको देखने को मिला करते हैं ऐसे। ठीक है? मैं एक काम करता हूं। इन दो को उधर लिख लेता हूं। तो अब आप जरा ध्यान से देखें। पैरेलल पोजीशन कैसे है? आइए समझते हैं। ठीक है? पैरेलल पोजीशन कैसे? इसको समझना जरा। ध्यान से समझना बात को। है ना? पैरेलल पोजीशन कैसे? मुझे बताइए। सिग्मा मैं एक काम करता हूं। कार्बन, सिग्मा कार्बन, सिग्मा कार्बन लिख लेता हूं। हाइड्रोजन से वैसे भी कोई मतलब नहीं क्योंकि एटम कैन नॉट मूव इन रेजोनेंस। है ना? हाइड्रोजन से मतलब नहीं है। एटम मूव नहीं करता। अब मुझे बताओ ये पाई बॉन्ड कैसे बना होगा? बोलो। ये वाला पाई बॉन्ड बना होगा साइड वाइज़ ओवरलैपिंग से। समझना बात? ये पाई बॉन्ड बना है साइड वाइज़ ओवरलैपिंग से। मतलब ये यहां गुलूग्लू खेल रहा है। और इस कार्बन के पास लोन पेयर यानी कि भरा ऑर्बिटल है। अब मुझे एक बात बताओ, बहुत आसान है। कोई मुश्किल भरी बात नहीं है। रेजोनेंस में पैरेलल p ऑर्बिटल आ गए। कितने आ गए? तीन। पीछे क्या था? पीछे दो ही लोग थे। एक को इलेक्ट्रॉन की जरूरत थी। दूसरे के पास लोन पेयर था। लोन पेयर ने अपने इलेक्ट्रॉन दे दिए। सीधी सी बात है। ये बैक बॉन्डिंग हो गई। है ना? दो पी हैं। दो ही लोग हैं। अब यहां तीन लोग हैं भाई साहब। जिसका पहले बॉन्ड बना था उसको तोड़ना है। पुराने बॉन्ड टूटेंगे, नए बॉन्ड बनेंगे। पहले ब्रेकअप होगा, फिर पैचअप होगा मामला। देखो तो पहले यह गुलगुलू खेल रहे थे बढ़िया से। इनकी जिंदगी में तीसरा कोई आया और तीसरा कोई आया तो अब वो इसके साथ गुलगुलू खेलेगा। देखो तीसरा कोई आया तो वो अब इसके साथ गुलगुलू खेलेगा। क्यों? क्योंकि ये भी तो पैरेलल है। तो होगा क्या यहां पर मामला? मामला कुछ ऐसा होने वाला है। इसको थोड़ा सा छोटा कर रहा हूं मैं। है ना? मामला कुछ ऐसा होने वाला है यहां पर कि इनका पुराना बॉन्ड टूटेगा। और रेजोनेंस को अपन डबल हेडेड एरो से दिखाते हैं। देखना देखना इनका क्या होगा? पुराना बॉन्ड टूटेगा। कौन सा? ये वाला टूट गया और इसने इसके साथ बॉन्ड बना लिया। देखो तो जब ये बॉन्ड टूटा टूट गया। ये बॉन्ड बन गया यहां पर बन गया। तो इसके इलेक्ट्रॉन इसके पास आ जाएंगे तो ये लोन पेयर हो जाएगा। देखो तो पुराने बॉन्ड टूट कर के नए बॉन्ड बनते हैं। देखो आप जरा। तो जब तीन लोग होते हैं ना तो जो बीच में होता है ना उसका बड़ा फायदा होता है। देख लो आप। तीन लोगों में से जो बीच में है ना देखो बीच वाले को देखो गौर से बीच वाले को गौर से देखो यह इसको भी जानता है यह इसको भी जानता है तो ये तो बोलेगा मेरा बॉन्ड यहां बने चाहे मेरा बॉन्ड यहां बने बन तो रहा है ना तो इसी को तो रेजोनेंस बोलते हैं देखो आप ठीक है आइए जरा यहां देखिए अगर मैं यहां आपको बोलूं कि मेरे पास क्या है देखिए ये तीन कार्बन है एक दो और तीन पाई बॉन्ड बनाना है बना दीजिए आप देखिए गौर से समझिए जरा पाई बॉन्ड मेरा बन चुका है। यह यह पाई बॉन्ड है। और यहां कार्बोटायन यानी कि वेकेंट ऑर्बिटल है। कार्बोटायन यानी कि वेकेंट ऑर्बिटल है। अब देखो पुराना बॉन्ड टूटेगा नया बॉन्ड बनेगा। गुलगुलू खेलेंगे। देखो पुराना वाला गुलगुलू हट जाएगा। देखिए जरा। पुराना वाला हट जाएगा। नया बन जाएगा। बन गया नया। पुराना हटा दो लो। तो इसका खाली ऑर्बिटल था वह खाली ऑर्बिटल इसके पास चला जाएगा। सिंपल है। देखो अगला देखो जरा यह वाला सेम टू सेम यही है। यह वाला सेम टू सेम यही है। देखो आप बस अब यहां कार्बन नहीं है। नाइट्रोजन आ गया। क्या टेंशन है? देखो यहां नाइट्रोजन आ गया। तो पहले यहां पर ग्लू ग्लू चल रहा था। यह भरा ऑर्बिटल था। यह बोलेगा हमसे बॉन्ड बना लो। ये इससे बॉन्ड तोड़ देगा। सिंपल सी बात है। तो कार्बन, कार्बन, नाइट्रोजन। गौर से देखिए जरा। कार्बन का नाइट्रोजन से बॉन्ड बन जाएगा। और इस कार्बन पर ये वाले इलेक्ट्रॉन भरा हुआ ऑर्बिटल इस पे आ जाएगा। ये कहानी है। सिंपल है एकदम। आइए जरा। यह वाला इस जैसा है। देखिए गौर से देख लीजिए जरा इसको। भैया यह वाला इस जैसा है। बोरोन देखो कार्बन कार्बन बोरॉन पहले इनका बॉन्ड बना हुआ था यह खाली था अब क्या होगा इनका बन जाएगा ये खाली हो जाएगा पुराना बॉन्ड तोड़ के नया बना दीजिए लीजिए हो गया काम पुराना बॉन्ड तोड़ के नया बना दीजिए बस ऐसे ही स्विच होता रहता है ये चलिए इसको देखिए जरा प्री रेडिकल वाला c ये बॉन्ड बना हुआ था। यहां एक इलेक्ट्रॉन था। अब ये बॉन्ड बना लेंगे। यहां इलेक्ट्रॉन आ जाएगा। तो पाई बॉन्ड की शिफ्टिंग हो रही है। बस और कुछ नहीं हो रहा। है ना? देखो तो तीन लोगों में यही होता है। पुराना बॉन्ड टूटता है। नया बॉन्ड बनता है। ठीक है? क्लियर है? एकदम। तो तीन लोगों में यही खेल है। पुराना जिनका देखो यहां पुराना बॉन्ड बना हुआ है। देखो आप गौर से सभी में देखो पुराना बॉन्ड यहां बना हुआ है और बीच में जो है उसको कोई नुकसान नहीं है। बीच वाला हमेशा फायदे में रहता है। देखो बीच वाले को कोई नुकसान नहीं है। बीच वाले का इधर बना था बॉन्ड। अब इधर बन जाएगा। उसमें क्या है? दिक्कत में तो आसपोस वाले हैं। दो लोग हैं। है ना? ठीक है? यहां पे मान लो तीन लोग हैं। एक दो और तीन। तो दो वाले का कभी नुकसान नहीं। वह एक के साथ बॉन्ड बना रहा था। वो तीन के साथ बनाएगा और तीन की चीजें एक में आंगी। एक की चीजें तीन में आ जाएंगी। ठीक है? ठीक आए? समझ गए? हम चलिए बहुत बढ़िया। आइए 4 p ऑर्बिटल वाला देख लीजिए भाई साहब। चार p ऑर्बिटल कैसे-कैसे ओवरलैप कर सकते हैं। 4p में क्या होगा? देखो CC सिंगल यहां लगा देता हूं मैं इस तरीके से। तो यहां पहले ही बॉन्ड बना हुआ है कार्बन कार्बन के बीच में। यहां कोई ग्रुप लगा दिया जिसमें डबल बॉन्ड है। ठीक है? देखिए इसका कुछ एग्जांपल मेरे से ले लीजिए। मान लो CH2 डबल ब्ड CH2 और ये जो CH2 डबल ब्ड CH ये दोनों भी अगर कार्बन हो जाएं बिल्कुल कोई दिक्कत नहीं हो सकते हैं। या ऐसा भी हो सकता है कि ये कुछ और भी हो सकते हैं। है ना? जैसे CH डबल बंड O भी हो सकते हैं। यह वाला ग्रुप। ठीक? कोई मेरे से बोले सर क्या ट्रिपल बॉन्ड हो सकता है? बिल्कुल हो सकता है। ट्रिपल बॉन्ड ने क्या बिगाड़ा है आपका? कोई दिक्कत नहीं। यहां डबल भी हो सकता है या यहां पर आपको ट्रिपल भी मिल सकता है इस जगह पर। है ना? तो ऐसा एग्जांपल भी है एक। तो देखिए जरा ध्यान से। इसका मैं बता रहा हूं बना के। गौर से देखिए। अब चार लोग हैं भाई। अब चार लोग हैं। इनका और इनका आपस में खेल चल रहा है। देखो अब चार लोग हैं। इनका इनका दो-द के पेयर हैं। है ना? दो पेयर हैं। दो कपल हैं ये। इनका आपस में चल रहा है प्रोग्राम। ठीक है? अब बताओ क्या होगा? पुराने बॉन्ड टूटेंगे नए बनेंगे। तो ये तोड़ दो। ये तोड़ दो नया बना दो। देखो ऐसा दिखेगा आपको। जिसको ऑर्बिटल के फॉर्म में आप ऐसे लिखोगे। सिग्मा बॉन्ड तो वैसे ही रहता है। यह तोड़ दो। ये तोड़ दो। बीच में बना दो। तो बीच में आपने बना दिया और ये सब तोड़ दिया। सिंपल है। बीच में बना दो बस। आइए इसमें बताइए जरा। देखिए इनका पुराना बॉन्ड यहां O है ना। इनका पुराना बॉन्ड बना हुआ है। तो टर्मिनल वाले तोड़ करके बीच वाले का बना दीजिए। देखिए बीच में बन जाएगा और यहां टूट जाएगा। इस तरीके से अब यह पता करना है किसके पास भरा ऑर्बिटल होगा। किसके पास खाली होगा। देखो अगर इलेक्ट्रॉन का फ्लो तुम इसमें इस तरफ मानते हो। है ना? क्योंकि इसमें कहीं मान सकते हो। इस तरफ मानते हो तो यहां पर इलेक्ट्रॉन डेंसिटी ज्यादा। यहां कम होगी तो ये खाली है भरा। इस वाले में तो ऑक्सीजन अपनी तरफ इलेक्ट्रॉन लेगा ही। ही तो इसमें तो इस तरफ ही होगी। है ना? तो ऑक्सीजन के पास नेगेटिव चार्ज आएगा। ठीक है? इस वाले में भी इलेक्ट्रॉन डेंसिटी इस तरफ ही जाएगी क्योंकि नाइट्रोजन ज़्यादा इलेक्ट्रॉन खींचेगा। और इसका बना के बता रहा हूं मैं। देखो देखिए ध्यान से। यहां मैंने इस तरीके से बनाया। मैंने यहां C डबल ब्ड N इसलिए बनाया क्योंकि तीसरा पाई बॉन्ड है यहां पे। है ना? ये देखो ये बॉन्ड बना रहे हैं और ये बॉन्ड बना रहे हैं। ठीक? अब आप इसको तोड़ के देख लो। टर्मिनल वाले तोड़ देना। और बीच में ओवरलैपिंग हो जाएगी। टर्मिनल पे नाइट्रोजन लोन पेयर रखता है। इलेक्ट्रोनेगेटिव है तो उस तरफ जाएंगे। यह खाली होगा। तो आप जरा ध्यान से समझ लो कि पैरेलल P ऑर्बिटल किस तरीके से हो सकते हैं। 2 p ऑर्बिटल भी हो सकते हैं, 3p भी हो सकते हैं, 4 p भी हो सकते हैं। अब सर इससे रिलेटेड सवाल क्या हो सकता है? बेटा सवाल ऐसा मिल सकता है कि आपसे पूछ लेंगे बताओ कौन रेजोनेंस दिखाता है? कौन नहीं दिखाता है? तो आपको ये चीजें पकड़नी है। 2p, 3p, 4p पैरेलल पकड़ लोगे? पकड़ लोगे ये? पकड़ लोगे? जल्दी बताओ। पकड़ लोगे ना? चलो अभी सवाल कराता हूं। पहले आप कंडीशन देख लीजिए रेजोनेंस की क्या है जो अभी तक अपन ने पढ़ा 2p 3p 4p ऑर्बिटल से क्या पता चला मॉलिक्यूल प्लेनर होना चाहिए और कजुगेटेड सिस्टम होना चाहिए तो रेजोनेंस दिखाएगा एटम मूव नहीं करता रेजोनेंस में पाई इलेक्ट्रॉन मूव करते हैं ध्यान रखिएगा पाई इलेक्ट्रॉन मूव करते हैं सिग्मा इलेक्ट्रॉन मूव नहीं करते ठीक है सिग्मा इलेक्ट्रॉन मूव नहीं करते मतलब एटम मूव नहीं करता फिर पाई इलेक्ट्रॉन मूव करते हैं क्लियर है कंजुगेटेड सिस्टम आपको पता चल ही गया। पैरेलल पोजीशन ऑफ़ p ऑर्बिटल, दो p ऑर्बिटल, तीन p ऑर्बिटल, चार p ऑर्बिटल। ठीक है? चलिए, अब आप मुझे एक सवाल बता दीजिएगा। मैं समझ जाऊं कि आप सीख गए कंजुगेशन? आइए। क्या कहना है? व्हिच ऑफ़ द फॉलोइंग कंपाउंड हैव नॉट डीलोकलाइज़ इलेक्ट्रॉन? डीलोकलाइज़ इलेक्ट्रॉन किसमें नहीं है? नॉट पूछा है आपसे। पैरेलल P ऑर्बिटल होना चाहिए पैरेलल। बताइए जरा। पैरेलल P ऑर्बिटल होना चाहिए। 2 P हो सकते हैं, 3 P हो सकते हैं, 4 P हो सकते हैं। ध्यान से करना थोड़ा सा। पैरेलल चाहिए भैया। पैरेलल प्यारेलाल चाहिए। प्यारेलाल? बताओ। प्यारेलाल P ऑर्बिटल। गौर से देखो जरा। क्या मैं इन P ऑर्बिटल को ऐसे बना सकता हूं इनको? बोलिए ऐसे बना सकता हूं मैं इनको। बिल्कुल बना सकता हूं। अगर मैं यहां देखूं गौर से देखो ये दोनों p ऑर्बिटल तो ऐसे होंगे और इसके वाले अगले वाले के अगले वाले के ऐसे होंगे। मान लीजिए ऐसे होंगे। पैरेलल नहीं होंगे। क्यों? लगातार डबल बॉन्ड है। जी हां। इस वाले का तो देखो इसका आपको पैरेलल ऐसा मिल ही जाएगा। यह इस तरीके से है ना? ये तीनों पैरेलल ही हैं। वो तो रिंग में बना रखा है। पैरेलल है ये तो। ठीक? और इस वाले का अगर आप दिखाना चाहो CH3 C बO OH तो भी आपको ये मिलेंगे। ये पैरेलल मिलेंगे ये तीनों। क्योंकि डबल बॉन्ड है ना ये तो। समझे? आप देखो इधर आपको लोन पेयर मिल रहा है। यहां डबल बॉन्ड मिल रहा है। तो लोन पेयर में ही भरा ऑर्बिटल होगा। और ये पाई बॉन्ड बना रहे हैं तो पैरेलल होंगे ही। है ना? बी आंसर सबका आया। एकदम सही। लगातार डबल बॉन्ड है ये। लगातार डबल ब्ड पैरेलल थोड़ी हो सकते हैं। सुनो जरा ध्यान से। सर ऐसा क्यों कहा आपने? मैं आपको समझाता हूं। इस वाले कार्बन का हाइब्रिडाइजेशन sp2 था। ऐसा था ना ये? और इस वाले का sp2 था। सही है? बीच वाले का sp था। अब मुझे एक बात बताओ। मुझे एक बताओ। अगर इस कार्बन का sp2 हाइब्रिडाइजेशन है तो यह पाई बॉन्ड बनाने के लिए मान लो इसमें अपना pz दिया तो यह कार्बन भी अपना pz देगा और मैं ये बोल रहा हूं कि p2 में px और py यूज़ हो चुके हैं यहां पर तो तभी तो ये pz दे रहा है। अब यहां ये pz दे रहा है ये पाई बनाने के लिए और px से ही सिग्मा बॉन्ड बनता है। तो अब इसके पास py बचा तो अगला वाला बॉन्ड बनाने के लिए ये अपना py देगा। तो इसको भी अपना py देना पड़ेगा। तो यहां जो sp2 है उसमें px और pz यूज़ हो रहे होंगे। है ना? क्योंकि इसके पास तो चॉइस नहीं ना। इस बीच वाले कार्बन के पास चॉइस नहीं है। क्या? spx बोला मैंने। मतलब सिग्मा बॉन्ड इससे बन रहा है x से। तो इधर वाला पाई बॉन्ड किससे बनेगा? pz से। तो इधर वाला बनेगा py से। तीन ही तो ऑर्बिटल होते हैं p। p ऑर्बिटल तीन ही तो होते हैं। px py pz। ठीक है ना? तो ये ये वाला पाई बॉन्ड z प्लेन का है। ये वाला पाई बॉन्ड y प्लेन का है। पैरेलल कैसे हो सकते हैं? भाई अगर आपने बचपन से यह पढ़ा हो कि यह x एक्सिस होती है, यह y होती है, z होती है। तो एक y एक्सिस में बन रहा है पाई। एक z में बन रहा है तो पैरेलल कैसे हो सकती हैं? ये है ना? ठीक है? चलिए तो अब रेजोनेटिंग स्ट्रक्चर के कुछ इंपॉर्टेंट पॉइंट्स हैं। जैसे हाइपोथेटिकल कांसेप्ट होता है ये। इंट्रा मॉलिक्यूलर प्रोसेस है। मॉलिक्यूल के अंदर ही पुराने बॉन्ड टूट रहे हैं। नए बॉन्ड बन रहे हैं। है ना? पाई बॉन्ड में शिफ्टिंग हो रही है। डीलोकलाइज़ेशन ऑफ़ पाई इलेक्ट्रॉन हो रहा है। इमिनरी कॉन्सप्ट है। रेजोनेंस हाइब्रिड जो है वो रियल है। जिससे तुम बताते हो कि हां बॉन्ड लेंथ बराबर हैं। एटम मूव नहीं करता। टोटल नंबर ऑफ़ पेयर्ड अनपेयर्ड इलेक्ट्रॉन सेम रहते हैं। मतलब जितने आपके यहां मिलेंगे इलेक्ट्रॉन्स उतने ही आपके किसी और रेजोनेटिंग स्ट्रक्चर में मिलेंगे। टोटल नंबर ऑफ़ इलेक्ट्रॉन सेम रहते हैं। एनी स्ट्रक्चर वायलेटिंग द फंडामेंटल रूल नॉट एक्सेप्टेड एज़ RS। फंडामेंटल रूल का मतलब है कि लुईस का रूल है ना? लुईस का रूल अगर बोला जाए जैसे ऐसा ना हो कि नाइट्रोजन पांच बॉन्ड बना रहा है कैसे बना सकता नहीं बना सकता कार्बन पांच बॉन्ड बना रहा है नहीं बना सकता तो कभी अगर तुम्हें ऐसा दिख जाए कि नाइट्रोजन पांच बॉन्ड बना रहा है और सवाल ऐसा लिख दे कि कौन सा रेजोनेटिंग स्ट्रक्चर एक्सेप्टेबल नहीं है तो पांच बॉन्ड वाला एक्सेप्टेबल नहीं है ठीक है ठीक है क्लियर है पांच बॉन्ड वाला एक्सेप्टेबल नहीं है आइए अब मैं आगे लेके चलता हूं अब आपने पैरेलल पी पी पैरेलल ल पोजीशन ऑफ़ P ऑर्बिटल देख ली, रेजोनेटिंग स्ट्रक्चर देख लिए। अब अगर आपको सवाल एग्जाम में ऐसा आ जाए आपको स्ट्रक्चर बना के देंगे। है ना? आपको टेंशन नहीं लेना बना कैसे है? आपको स्ट्रक्चर बना के देंगे और पूछेंगे बताओ स्टेबिलिटी कंपेयर कराओ। स्टेबिलिटी कंपेयर कराओ तो आपको अपना कुछ तरीका है। ये लगाना है क्या? आपको रेजोनेटिंग स्ट्रक्चर खूब सारे दे देंगे। 2 3 4 5 जितने भी दे दें। आपको क्या करना है? सबसे पहले ढूंढना है न्यूट्रल कौन सा है? न्यूट्रल रेजोनेटिंग स्ट्रक्चर चार्ज वाले से ज्यादा होता है। न्यूट्रल रेजोनेटिंग स्ट्रक्चर चार्ज वाले से ज्यादा स्टेबल होता है। जैसे माना मैंने एक स्ट्रक्चर ऐसा बना दिया। आपको टेंशन नहीं लेनी कैसे बना? बना के देंगे। बना के देंगे। आपको क्या करना है? पूछेंगे बताओ A और B में कौन ज्यादा स्टेबल है? मालिक यह न्यूट्रल है। यह चार्ज्ड है। तो न्यूट्रल वाला ज्यादा स्टेबल होगा चार्ज से और होना भी चाहिए। हर स्पीशी न्यूट्रल होना चाहता है। अब आप बोलोगे सर यह भी न्यूट्रल है। यह भी न्यूट्रल है। बेटा इंडिविजुअल चार्ज देखो। ऐसा नहीं कि सर प्लस माइनस तो न्यूट्रल हो गया। वो बात तो सबको ही पता है कि न्यूट्रल हो गया। हम बात किसकी कर रहे हैं? न्यूट्रल और चार्ज वाले में चार्ज इंडिविजुअल एटम पर कहीं है क्या? है तो उसको चार्ज मानेंगे। ठीक है? तो न्यूट्रल यानी कि हर एक एटम पर चार्ज देखो। नहीं है तो न्यूट्रल है। यहां हर एक एटम पे चार्ज देखो कुछ ना कुछ आ रहा है। यानी कि चार्ज है। ठीक है? तो न्यूट्रल वाला ज्यादा होगा चार्ज से। दूसरा अगर कभी तुम्हारे जीवन में अगर कभी तुम्हारे जीवन में ऐसा हो जाए अगर कभी तुम्हारे जीवन में ऐसा हो जाए कि आपको न्यूट्रल और चार्ज से नहीं हो पा रहा। मान लो दोनों ही चार्ज आ गए तुम्हारे सामने। है ना? दोनों ही चार्ज आ गए, तो आपको फिर नंबर ऑफ़ पाई बॉन्ड से देखना होगा। ठीक? या दोनों ही न्यूट्रल आ गए। दोनों ही चार्ज आ गए। तो आपको नंबर ऑफ़ पाई बॉन्ड से देखना होगा कि किसके पास पाई बॉन्ड ज्यादा हैं। ठीक है? समझे? नंबर ऑफ पाई बॉन्ड से देखना होगा कि किसके पास पाई बॉन्ड ज्यादा है। जैसे मान लो मैं आपके सामने एक सवाल लिख के बता रहा हूं कि CH2 प्लस सिंगल ब्ड OH और CH2 डबल ब्ड OH+ मान लो ये लिखा है। अब आप बोलोगे सर ये दोनों ही चार्ज्ड हैं। आप बोलोगे सर ये दोनों ही चार्ज्ड हैं। देखो यहां भी चार्ज आ रहा है। यहां भी चार्ज आ रहा है। तो आपको पाई बॉन्ड देखने हैं। यहां कितने पाई बॉन्ड हैं? ज़ीरो पाई। एक भी पाई नहीं है। यहां कितने पाई हैं? एक पाई। तो, यह ज़्यादा स्टेबल। अब यह मत देखना कि सर, कार्बन पर प्लस और ऑक्सीजन पर प्लस। बेटा ये रूल तो आगे आता है। ये जो प्लस चार्ज वाला तुमने दिमाग में बैठा रखा है ना कि इलेक्ट्रोनेगेटिव एलिमेंट पे पॉजिटिव चार्ज कम स्टेबल। सही बैठा रखा है। लेकिन गलत जगह। हमेशा ऊपर थोड़ी होता है वो चीज। आपकी बात सही है। लेकिन प्रायोरिटी तो देखो। सबसे पहले न्यूट्रल चार्ज। उसके बाद स्टेबिलिटी ऑफ़ RS पाई बॉन्ड वाला। अब इसके बाद अगला रूल आएगा। ठीक है? इसको ऐसे मत करने लगना कि सर यहां कार्बन प्लस है ऑक्सीजन बेटा पाई बॉन्ड पहले यहां 0 पाई यहां एक पाई ये जीत गया ठीक है तो पहले सीक्वेंस में चलना है और ये तुम्हें दिए जाएंगे स्ट्रक्चर तो टेंशन भी नहीं लेनी है ना टेंशन भी नहीं लेनी अब आता है तुम्हारा वो वाला रूल जो तुमने याद कर रखा है ये तीसरे नंबर पे आता है कि स्टेबिलिटी ऑफ़ आर इज़ डायरेक्टली प्रोपोर्शनल टू स्टेबिलिटी ऑफ़ चार्ज। ठीक है? अब चार्ज में भी अगर कभी प्रायोरिटी डिसाइड करनी हो, प्रायोरिटी डिसाइड करनी हो तो भाई साहब नेगेटिव चार्ज वाला ज्यादा होता है किससे? पॉजिटिव चार्ज वाले से। नेगेटिव चार्ज वाला ज्यादा होता है किससे? पॉजिटिव चार्ज वाले से। ठीक है? नेगेटिव चार्ज वाला ज्यादा होता है किससे? पॉजिटिव चार्ज वाले से। तो गौर से देखिए। मान लो मेरे पास ऐसा लिखा है C नेगेटिव। किसी भी स्ट्रक्चर में C नेगेटिव, N नेगेटिव, O नेगेटिव, F नेगेटिव। तो बताओ कौन ज्यादा स्टेबल बेटा ये लेफ्ट टू राइट। पीरियडिक टेबल में लेफ्ट टू राइट नेगेटिव चार्ज नेगेटिव चार्ज स्टेबिलिटी इनक्रीसेस। लेफ्ट टू राइट नेगेटिव चार्ज की स्टेबिलिटी बढ़ती है। क्यों? क्राइटेरिया होता है इलेक्ट्रो नेगेटिविटी। समझे बात? इलेक्ट्रोनेगेटिविटी क्राइटेरिया होता है मालिक। है ना? अगर मैं टॉप टू बॉटम की बात कर लूं टॉप टू बॉटम टॉप टू बॉटम की बात कर लूं तो मुझे बताइए मान लीजिए F- Cl- Br- और I- तो चलिए बता दीजिए मुझको टॉप टू बॉटम अगर मामला चलेगा तो भैया टॉप टू बॉटम क्राइटेरिया साइज होता है। बड़े साइज पर नेगेटिव चार्ज स्टेबल होता है। तो नेगेटिव चार्ज स्टेबिलिटी नेगेटिव चार्ज स्टेबिलिटी इंक्रीजसेस। समझे बात को? तो चाहे तुम लेफ्ट टू राइट चले जाओ, चाहे तुम टॉप टू बॉटम चले जाओ, नेगेटिव चार्ज स्टेबिलिटी बढ़ती ही है। है ना? चाहे तुम लेफ्ट टू राइट चले जाओ, चाहे तुम टॉप टू बॉटम नेगेटिव चार्ज स्टेबिलिटी बढ़ती है। लेफ्ट टू राइट क्राइटेरिया इलेक्ट्रोनेगेटिव, टॉप टू बॉटम साइज। ठीक है? क्लियर है? एकदम क्या यह बात क्लियर है? समझे समझे यो कहानी है और प्रायोरिटी नेगेटिव चार्ज को पहले देंगे पॉजिटिव के कंपैरिजन में। मान लीजिए मैं सवाल लिख रहा हूं। मान लीजिए एक सवाल लिखा है। CH3CO नेगेटिव प्लस और CH3CO+ और C- चलिए बताइए जरा। कौन ज्यादा स्टेबल है? सबसे पहले सोचो न्यूट्रल चार्ज। सर दोनों ही चार्ज्ड हैं नहीं हो पाएगा। अब सोचो पाई बॉन्ड। सर दोनों में ही ज़ीरो ज़ीरो पाई हैं। नहीं हो पाएगा। अब चलो तीसरे रूल पर। नेगेटिव चार्ज कहां पर आ रहा है? नेगेटिव चार्ज आ रहा है ऑक्सीजन पर। यहां किस पे? कार्बन पे। तो O नेगेटिव इज ज्यादा स्टेबल देन C नेगेटिव। इतना आसान है भाई। इतना आसान है। समझे? इतना आसान है। तो O नेगेटिव इज़ मोर स्टेबल देन C नेगेटिव। ऐसे करना है। चलिए अगला देखिए जरा। नेक्स्ट। चार्ज सेपरेटिंग रेजोनेटिंग स्ट्रक्चर्स आर लेस स्टेबल। मतलब मतलब क्या है? मतलब ये है कि प्लस एंड माइनस दूर-दूर प्लस माइनस दूर-दूर तो कम स्टेबल। प्लस माइनस दूर-दूर तो कम स्टेबल होता है। ठीक है? प्लस माइनस दूर-दूर तो कम स्टेबल होता है। जैसे मान लीजिए मैंने आपके सामने एक सवाल लिखने जा रहा हूं। एक लिखा हुआ है ऐसा ऐसा। देखो और दूसरा लिखा है ऐसा। ऐसा देखिए अब बताइए इन दोनों में ज्यादा स्टेबल कौन सा है? बोलिए। इन दोनों में ज्यादा स्टेबल कौन सा है? बोल दीजिए। बोलो इन दोनों में ज्यादा स्टेबल कौन सा है? शुरू से सोचेंगे। पहला नियम न्यूट्रल और चार्ज। बताइए न्यूट्रल चार्ज लग रहा है क्या? सर नहीं लग रहा। दोनों ही चार्ज्ड हैं। पाई बॉन्ड वाला रूल लगाओ। सर यहां भी एक पाई दिख रहा है और यहां भी एक पाई दिख रहा है। पाई बॉन्ड से भी नहीं हो पाएगा। सर नेगेटिव चार्ज ऑक्सीजन पर आ रहा है। यहां भी नेगेटिव चार्ज ऑक्सीजन पर आ रहा है। नहीं हो पाएगा। पॉजिटिव चार्ज कार्बन पे आ रहा है। यहां भी पॉजिटिव चार्ज कार्बन पे आ रहा है। नहीं हो पाएगा। कभी नेगेटिव चार्ज के अलावा पॉजिटिव सोचना हो ना तो नेगेटिव का उल्टा कर देना। तो पॉजिटिव का होता है। ठीक है? इससे भी नहीं हो पा रहा। अब आप देखो प्लस माइनस पासपास देखो प्लस माइनस पासपास तो ज्यादा स्टेबल प्लस माइनस ये कहां है दूर-दूर दूर-दूर तो क्या हो गए ये कम स्टेबल यानी कि अगर मैं इसको a कह दूं इसको b कह दूं तो बताइए प्लस माइनस पासपास होने भी चाहिए ना क्योंकि प्लस को माइनस पसंद है और माइनस को प्लस पसंद है। सही बात है ना? प्लस को माइनस पसंद है। माइनस को प्लस अट्रैक्शन अट्रैक्शन अट्रैक्शन। ठीक है? ठीक कहा है? डन डन डन डन। ये कहानी है। चलिए अगला एक नियम और देख लेते हैं। लाइक चार्जेस ऑन एडजेसेंट पोजीशंस आर लीस्ट स्टेबल। लाइक चार्जेस मतलब प्लस प्लस माइनस माइनस लोन पेयर माइनस यह अगर पासपास तो कम सटेबल अगर ये पासपास है तो कम स्टेबल होंगे। ठीक है? अगर ये पासपास है तो कम स्टेबल होंगे। जैसे आई से आई से गौर से देखिए। गौर से देखिए। गौर से एक स्ट्रक्चर ये है और एक स्ट्रक्चर ये समझने की कोशिश करेंगे सभी लोग आइए जरा मुझे बताइए मुझे बताइए यहां नेगेटिव चार्ज यहां लोन पेयर नेगेटिव चार्ज का मतलब भी तो इधर लोन पेयर ही तो था तो ये क्या है पासपास और लाइक चार्जेस मतलब सेम टाइप के चार्ज रिपेल करते हैं। रिपेल। क्या करते हैं? रिपेल करते हैं। और यहां माइनस और लोन पेयर क्या है? पास दूर-दूर। तो मुझे एक बात बताओ माइनस लोन पेयर तो दूर होने चाहिए ना। नहीं तो पास होंगे तो रिपेल करेंगे। यानी कि यानी कि A कम होंगा, B ज्यादा होंगा। खत्म। स्टेबिलिटी ऑफ रेजोनेटिंग स्ट्रक्चर में जिसमें आप इतना परेशान रहते हो वह कुछ भी नहीं है। आपने खुद देखा। आइए जरा। आइए जरा कुछ सवाल आपके सामने प्रस्तुत करना चाहता हूं। आपकी इजाजत हो मालिक तो एक दो सवाल कर लो। खेल खत्म। बताइए। द करेक्ट स्टेबिलिटी ऑर्डर ऑफ द फॉलोइंग रेजोनेंट स्ट्रक्चर ऑफ़ दिस कंपाउंड। बोलो। तीन स्ट्रक्चर दिए हुए हैं। जेई मेन 24 में आया हुआ है। आपके यहां बिल्कुल आ सकता है सवाल। नीट 2025 नीट 2000 25 बताइए जरा क्या कहते हो? अरे रे रे रे रे बोलो ना। कह दो ना बोलिए। तीनों को गौर से देखो। चार्ज चार्ज न्यूट्रल तीन वाला सबसे आगे आएगा आंसर आ जाओ देखो बी आंसर तीन सबसे ज्यादा आएगा ना बस हो गया आइए इसके बाद क्या कह रहे थे आपसे अगला रूल इन दोनों में देख लेते हैं एक पाई एक पाई इससे ना हो पाए भाई आइए जरा o नेगेटिव o पॉजिटिव इससे हो गया ओ नेगेटिव ज्यादा होगा o पॉजिटिव से भाई नेगेटिव चार्ज देख लो ना आप यहां ओ नेगेटिव सॉरी ओ नेगेटिव और c नेगेटिव नेगेटिव सॉरी O नेगेटिव और C नेगेटिव में O नेगेटिव ज्यादा स्टेबल आंसर आंसर आंसर आंसर बी अगला सवाल ये मॉर्निंग शिफ्ट में आया था। ये इवनिंग शिफ्ट में आया था। देख रहे हो? सेम डे मॉर्निंग इवनिंग शिफ्ट है सर। तुम्हारे यहां तो खैर एक ही शिफ्ट होती है। उसी में ही आ जाएगा। बोलिए रिलेटिव स्टेबिलिटी गौर से देखिए इन तीनों को तीनों गौर से देखिए न्यूट्रल चार्ज चार्ज वन ज्यादा आएगा वन ज्यादा आएगा वन ज्यादा आएगा अब इनमें कंपेयर करा लो यहां एक पाई यहां एक पाई इससे ना हो पाए मेरे भाई o नेगेटिव c नेगेटिव o नेगेटिव जीत जाएगा c नेगेटिव सेकंड पीरियड में आते हैं लेफ्ट टू राइट इलेक्ट्रोनेगेटिविटी क्राइटेरिया होता है o नेगेटिव ज्यादा स्टेबल है c नेगेटिव से 1 2 3 बी आंसर आएगा। चलिए आगे चलते हैं। लोकलाइज और डीलोकलाइज लोन पेयर क्या होते हैं? लोकलाइज का मतलब होता है लोन पेयर। लोन पेयर डज नॉट पार्टिसिपेट डज नॉट पार्टी। पार्टी नहीं करता है ये इन रेजोनेंस। रेजोनेंस में पार्टी ना करने वाला लोन पेयर क्या होता है? लोकलाइज़ और डीलोकलाइज़ मतलब पार्टी करता है। लोन पेयर की पार्टी इन रेजोनेंस। रेजोनेंस में पार्टी हो जाए। जैसे अगर मैं आपके सामने ये लिख दूं लिख दूं लिख दूं तुम्हें ऐसा। ऐसा बताइए जरा। ये वाला लोन पेयर और ये वाला लोन पेयर क्या-क्या बोलोगे? बताओ। क्या यह लोन पेयर रेजोनेंस में पार्टी कर रहा है? अरे रेजोनेंस ही नहीं है रे। रेजोनेंस ही नहीं है रे। तो यह लोन पेयर क्या है? लोका। ये लो का है। और ये लोन पेयर रेजोनेंस में पार्टिसिपेट करेगा। क्यों? ये तीन p ऑर्बिटल वाला खेला हो जाएगा। यहां 3p ऑर्बिटल वाला खेला तो ये डी लोका। समझ गए? तो लोकलाइज़ और डीलोकलाइज़ पता चल जाएगा रे। ठीक है? तो लोन पेयर पार्टिसिपेट ना करें। लोन पेयर पार्टिसिपेट कर ले। ना करने वाला लोकलाइज वही है। कहीं जा नहीं रहा। डीऑकलाइज मतलब रेजोनेंस में जा रहा है। आगे चलता हूं मैं। इक्विवेलेंट रेजोनेंस क्या होता है? छोटे-छोटे टॉपिक्स हैं। रेजोनेंस से रिलेटेड है ना? इक्विवेलेंट का मतलब क्या होता है? सेम शकल के। सेम शकल के। जिनका चेहरा सेम टू सेम हो। देखने में एकदम सेम जुड़वा के भी एकदम जुड़वा जुड़वा से भी जुड़वा तो पोटेंशियल एनर्जी ऑफ ऑल आरs आर इक्वल देन RS आर कॉल्ड इक्विवेलेंट RS इक्विवेलेंट RS उनको बोलते हैं ना और कॉन्ट्रिब्यूशन ऑफ़ ऑल RS आर सेम जैसे जैसे माना माना कुछ इस तरीके से ठीक अगर मुझे इसका रेजोनेटिक स्ट्रक्चर बनाना है तो मैं क्या करूंगा बताओ मैं क्या करूंगा बताओ ये तीनों P ऑर्बिटल पैरेलल होंगे और पुराना बॉन्ड तोड़ के नया बना देंगे। तो मैं क्या करूंगा? पाई बॉन्ड को यहां शिफ्ट कर दूं। है ना? पॉजिटिव हो गया। ये सिंगल बॉन्ड हो गया। यहां डबल बॉन्ड हो गया। यानी कि ये पाई बॉन्ड शिफ्ट कर दो। तो मेरे को इसका रेजोनेटिंग स्ट्रक्चर कुछ इस प्रकार नजर आने वाला है। अब मैं बोलूंगा भाई साहब यहां फिर से कंजुगेशन है। ये प्लस ये दोनों p ऑर्बिटल और ये तीनों p ऑर्बिटल पैरेलल। पाई बॉन्ड शिफ्ट कर दो तो प्लस चार्ज कहां आ जाएगा? इधर। अब आप गौर से देख लो जरा। यह तीनों सेम सल के दिख रहे हैं। अगर मैं आपसे कहूं स्ट्रक्चर ए, स्ट्रक्चर बी और स्ट्रक्चर सी। क्या ये तीनों सेम सर्कल के दिख रहे हैं? आप बोलोगे यस सर। और अगर मैं इसका हाइब्रिड बना दूं स्ट्रक्चर डी। हाइब्रिड तो हाइब्रिड कुछ ऐसा बना सकते हो आप। अलग-अलग तरीके होते हैं हाइब्रिड बनाने के। आप ऐसा भी बना सकते हो या आप ऐसा बना सकते हो कि एक प्लस चार्ज तीन कार्बन में डिस्ट्रीब्यूट हो रहा है। +1 /3 +1 /3 + 1 /3 तो हाइब्रिड मल्टीपल स्ट्रक्चर्स आप मान सकते हो। है ना? ऐसा बना सकते हो। ठीक है? तो मुझे एक बात बताओ अगर मैं पूछूं आपसे एनर्जी का ऑर्डर तो एनर्जी किसकी कम होगी? बताओ। हाइब्रिड की एनर्जी कम होगी क्योंकि वह क्या है? स्टेबल स्ट्रक्चर है। एक्चुअल स्ट्रक्चर है और A, B और C की ज्यादा होगी। लेकिन अगर A, B, C में कंपेयर कराओ तो A, B, C की बराबर होगी। हां, D से ज्यादा होगी। D से ज्यादा होगी। लेकिन A, B और C तीनों बराबर हैं। सेम एनर्जी के हैं। बराबर कॉन्ट्रीब्यूशन है। ठीक है? बराबर कॉन्ट्रिब्यूशन है। बात समझे कि नहीं आई? क्यों भाई? D की एनर्जी कम होगी। एनर्जी की बात कर रहा हूं मैं एनर्जी की है ना एनर्जी मतलब पोटेंशियल एनर्जी है ना पोटेंशियल यानी कि अपनी इनकी खुद की एनर्जी पोटेंशियल एनर्जी अपनी खुद की एनर्जी पोटेंशियल एनर्जी बोलते हैं उसको है ना ठीक है तो हाइब्रिड क्या है ज्यादा स्टेबल है ये मोर स्टेबल स्ट्रक्चर क्योंकि एक्चुअल स्ट्रक्चर यही होता है क्योंकि चार्ज डिस्ट्रीब्यूशन हो रखा है यहां पर चलिए एक्सटेंडेड और क्रॉस कंजगेशन एक दो टॉपिक खत्म करते हैं फिर ब्रेक देंगे ब्रेक के बाद फिर हम मिलेंगे है है ना? चलिए एक्सटेंडेड और क्रॉस कंजगेशन क्या होता है? एक्सटेंडेड मतलब एक सांस में। एक ही सांस में चलने वाला। लगातार मतलब लगातार p ऑर्बिटल पैरेलल मिले। और क्रॉस दो अलग-अलग सांसों में। अभी p ऑर्बिटल पैरेलल तो मिलें। लेकिन अलग-अलग जगह पर जैसे मैं आपके सामने यह लिख रहा हूं। देखो। तो आप गौर से देखो। तो अगर मैं इसमें सारे P ऑर्बिटल को बनाऊं तो ये पैरेलल हैं। एक ही सांस में चल रहे हैं। है ना? लगातार पैरेलल बने हुए हैं। ये लगातार पैरेलल बने हुए हैं। ये पहले इन दोनों का बॉन्ड था। इन दोनों का था। इन दोनों तो लगातार p ऑर्बिटल हैं। है ना? ये एक्सटेंडेड है। अगर मैं क्रॉस की बात करूं आपसे तो क्रॉस कुछ ऐसा हो गया। अगर मैं इसमें आपको दिखाऊं तो ये लगातार नहीं आ रहे हैं। गौर से देखें जरा। यहां यह और यह पैरेलल है। अब देखो यहां यह वाला इसके साथ यहां पैरेलल आ रहा है और यह वाला इसके साथ। तो अगर तुम गौर से देखोगे तो तुम क्या करोगे? तुम ये बोलोगे कि ये या तो ऐसे जाएगा कंजुगेशन। ये वाला या ऐसे जाएगा तो दो अलग-अलग कंजगेशन चल। देखो ना अल्टरनेट डबल का यहां मिल रहा है और यहां मिल रहा है। तो या तो ये कंजुगेशन ऐसे चलेगा मान लो या फिर ये ऐसे चलेगा। इस तरीके से मतलब दो अलग-अलग कंजगेशन चलेंगे। एक ये वाला और एक ये वाला। जबकि यहां गौर से देखो लगातार एक साथ चल रहा है कंजगेशन और एक्सटेंडेड कंजगेशन ज्यादा स्टेबल होता है क्रॉस से ध्यान रखिएगा कभी अगर तुम्हें स्टेबिलिटी की बातें पूछ ले तो क्योंकि चार्ज डिस्पर्शन पाई इलेक्ट्रॉन का डिस्पर्शन एक्सटेंडेड में ज्यादा होगा क्योंकि लगातार चल रहा है वो ठीक है तो एक्सटेंडेड ज्यादा होगा क्रॉस से आइए बॉन्ड लेंथ वगैरह कंपेयर करा लेते हैं। जैसे मान लो आपसे पूछा गया है कि C डबल बंड O ऐसे कुछ सवाल हो सकते हैं रेजोनेंस से रिलेटेड। इसकी बॉन्ड लेंथ X है और मैं यहां कुछ ऐसा कर दूं और अब आपसे बोल दूं इसकी बॉन्ड लेंथ Y है। तो बताओ कौन सी बॉन्ड लेंथ ज्यादा कौन सी कम? कौन सी ज्यादा कौन सी कम? आप देखो यहां C डबल बॉन्ड O है। एडिशनल कंजुगेशन कहीं नहीं है। एक्स्ट्रा कंजगेशन है ही नहीं है। जबकि यहां देखो इस C डबल बॉन्ड O का यहां कंजगेशन आ रहा है। और क्जुगेशन आ रहा है। यानी कि ये वाला पार्शियल डबल बॉन्ड की तरफ जाएगा। क्यों? क्योंकि ये एक्चुअल डबल है। भाई रेजोनेंस अगर होगा कंजुगेशन होगा तो पार्शियल डबल की तरफ जाएगा। तो बताओ बॉन्ड लेंथ किसकी ज्यादा? आप बोलोगे x की कम y की ज्यादा। क्यों? बॉन्ड लेंथ का अगर मैं आपको ऑर्डर बताऊं तो मान लीजिए मेरे पास ट्रिपल बॉन्ड है, डबल बॉन्ड है, पार्शियल डबल बॉन्ड है और सिंगल है। तो ऑर्डर ये होना चाहिए। तो यहां क्या आ रहा है? रेजोनेंस की वजह से पार्शियल डबल बॉन्ड कैरेक्टर। है ना? पार्शियल डबल बॉन्ड कररेक्टर आ रहा है। तो ये बॉन्ड लेंथ कम कर देगा इसके मुकाबले में। है ना? तो ऐसे रेजोनेंस से रिलेटेड बॉन्ड लेंथ आप इससे कंपेयर करा सकते हो। अगला है फ्राइ रूल। नाम से भले ही ना पढ़ो। है ना? आप इसका नाम काट भी सकते हो। फ्राइज़ रूल भले ही नाम है इसका। आप मत नाम से पढ़ो। आपको बिना नाम के भी पता ही है। है ना? बिना नाम के भी पता ही है। आपको ये पता है कि भाई मान लो अगर मैं तुमसे पूछूं एक बेंजीन रिंग है और दो बेंजीन रिंग है। बताओ। कौन ज्यादा स्टेबल है? आप बता सकते हो। बताओ जिसमें रेजोनेंस ज्यादा होगा। सीधी सी बात। नाम से मत पढ़ो। तो फ्राइज़ ब्लू ऐसा कुछ नहीं है। अगर मैं आपसे पूछ लूं बेंजीन नेफ्थलीन कौन ज्यादा स्टेबल है? आप बोलोगे भाई रेजोनेंस ज्यादा होता जाएगा। पाई इलेक्ट्रॉन डेंसिटी का डिस्पर्शन होता जाएगा। स्टेबिलिटी आती जाएगी। सीधी सी बात है। भले ही तुम्हें नाम ना पता हो। है ना? तो नंबर ऑफ बेंजीनोइड रिंग ज्यादा तो ऑब्वियसली पाई इलेक्ट्रॉन डेंसिटी का डिस्पर्शन ज्यादा। रेजोनेंस ज्यादा। लेकिन अगर दो सेपरेट बेंजीनोइड रिंग आएंगी। जैसे मान लो ये तो इनमें इंडिविजुअल इंडिविजुअल इंडिविजुअल रेजोनेंस का में पाई इलेक्ट्रॉन डिस्पर्शन ज्यादा होगा। अलग-अलग है। ये ये अलग है। ये अलग रिंग है। ठीक है? जबकि अगर मैं इसी के साथ में नेफ्थलीन लगा दूं तो एक रिंग दूसरे पे डिपेंडेंट है। तो एक की पाई इलेक्ट्रॉन डेंसिटी का डिस्पर्शन दूसरे पे डिपेंड कर रहा है। जबकि ये दोनों अलग-अलग है। तो इसमें डिस्पर्शन ज्यादा होगा। इसमें कम होगा। तो इसमें कोई नाम की जरूरत नहीं है कि सर फ्राइज़ रूल। हो सकता है क्लास में नाम से हेडिंग से ना लिखा हो कि फ्राइज़ रूल है। लेकिन अगर मैं आपसे स्टेबिलिटी पूछ लूं तो आप बता सकते हो ना इनमें। सिंपल सी बात है। ठीक है? कि स्टेबिलिटी किसकी ज्यादा जहां पर इलेक्ट्रॉन का डिस्पर्शन ज्यादा आएगा। चलिए रेजोनेंस और मेजोमेरिक इफेक्ट को ब्रेक के बाद हम समझेंगे। कितने मिनट का ब्रेक दे दूं आपको? बताइए जितना आप बोले जल्दी से फटाफट से बताइए। ब्रेक कितने मिनट का चाहिए? तो बस यहां से अपन मेजोमेरिक इफ़ेक्ट करेंगे। रेजोनेंस अपना कंप्लीट हो गया। बस रेजोनेंस और मेजोमेरिक इफ़ेक्ट से स्टार्ट कर देंगे। 20 मिनट का चाहिए। 15 मिनट 15 मिनट मेरे ख्याल से सफिशिएंट है। 1:30 बजे चालू कर देंगे। ठीक है? 15 मिनट ले लीजिए। ओके लेट्स गो। चलिए बाय-ब मिलते हैं 15 मिनट में। हेलो हेलो हेलो हेलो हेलो हां भाई नमस्कार नमस्कार नमस्कार आ गए भैया क्या पनीर पराठे बन रहे थे? मैंने कहा एक पराठा बनवा लेते हैं। बीच में ही खा लेंगे। चलिए आइए शुरू करते हैं। सलाम साहब रेजोनेंस और मेजोमेरिक इफेक्ट में आप अंतर समझ लीजिए पहले। फिर उसके बाद हम मेजोमेरिक इफेक्ट स्टार्ट करेंगे। रेजोनेंस और मेजोमेरिक इफेक्ट में क्या अंतर है? पहले ये सुन लो। पहले ये सुन लो। अगर मैं आपसे कहूं सुनिएगा ध्यान से। अगर मैं आपसे कहूं क्या इस मॉलिक्यूल में रेजोनेंस है? हां या ना? बोलिए। क्या इस मॉलिक्यूल में रेजोनेंस है? यस और नो। बोलिए। क्या इस मॉलिक्यूल में रेजोनेंस है? सुनिएगा जरा ध्यान से। क्या इस मॉलिक्यूल में रेजोनेंस है? रेजोनेंस बता। मैं आपको क्या समझा रहा हूं? ध्यान से सुनना। रेजोनेंस वर्सेस मेजोमेरिक इफेक्ट और मेजोमेरिक इफेक्ट को दबे शब्दों में रेजोनेंस इफेक्ट नाम दे देते हैं। अगर मैं आपसे बोलूं क्या इसमें रेजोनेंस है? रेजोनेंस है? यस सर। क्या इसमें मेजोमेरिक इफेक्ट है? मेजोमेरिक इफेक्ट को रेजोनेंस इफेक्ट। इफेक्ट की बात कर रहा हूं मैं। इफेक्ट की। तो इसमें इफेक्ट नहीं है। इफेक्ट कब आता है? जब ग्रुप लगा हो। इफेक्ट का मतलब क्या होता है? इफेक्ट तब लगता है जब कोई ग्रुप लगा हो। कोई ग्रुप लगा हो कंजुगेशन में इसको कंजुगेशन कहते हैं ना। जब कोई ग्रुप हो। ठीक है? इफेक्ट तब कहते हैं जब कोई ग्रुप हो। है ना? जैसे अगर मैं ऐसा लिख दूं सुनिएगा ध्यान से। मान लीजिए मैंने यहां पर कोई ग्रुप लगा दिया सपोज NH2 तो मुझे बताओ क्या इसमें रेजोनेंस है? आप बोलोगे यस है। कौन मना कर रहा है भाई? रेजोनेंस है इसमें। रेजोनेंस है। और इसमें मेजोमेरिक इफेक्ट भी है। क्यों? नाइट्रोजन का जो लोन पेयर है यह कंजगेशन के साथ इसके साथ रेजोनेंस में इनवॉल्व है। इनवॉल्व है यानी कि मेजोमेरिक है। तो बताओ क्या सारे रेजोनेंस इफेक्ट मेजोमेरिक इफेक्ट होते हैं? हां या ना? बोलिए। क्या सारे रेजोनेंस को मैं मेजोमेरिक कह सकता हूं? फॉल्स। लेकिन सारे मेजोमेरिक इफेक्ट के अंदर रेजोनेंस तो होता ही है। ट्रू। सोच लीजिए जरा ध्यान से। सोच लीजिए जरा ध्यान से। कभी कोई मॉलिक्यूल अगर रेजोनेंस कर रहा है तो ये जरूरी नहीं कि वो मेजोमेरिक मेजोमेरिक का मतलब क्या होता है? ग्रुप। फिर सुन लो। मेजोमेरिक का मतलब क्या होता है? ग्रुप। मेजोमेरिक मतलब ग्रुप। ग्रुप मतलब NH2OH, हैलोजन, CHO, COOH, NO2, SO3H जब ग्रुप हो जाए। सुन ले ध्यान से। जब ग्रुप आ जाए ध्यान से सुन ले भाई जब ग्रुप आ जाए तो ग्रुप के वजह से अगर रेजोनेंस हो रहा है तो वो मेजोमेरिक कहलाएगा। क्या ये थोड़ा सा अंतर है बस समझ गए? लेकिन आप बोलोगे सर किताबों में या बहुत सारी जगह पर मेजोमेरिक इफेक्ट को रेजोनेंस इफेक्ट भी बोला गया है। कहने को कह सकते हो। यह अंदर की बात बता दी मैंने। कहने को कह सकते हो कि हां चलो मेजोमेरिक इफेक्ट को हम रेजोनेंस इफ़ेक्ट भी बोल दिया करेंगे। है ना? कहने की बात है कह दो कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन बारीक अंतर अंदर का पता होना चाहिए। क्या अंतर है यह? कि भैया रेजोनेंस दिखा रहा है। मेजोमेरिज्म नहीं है। यहां पर फिनोमिना क्या है? मेजोमेरिज्म। मेजोमेरिक इफेक्ट। समझे बात? तो इसमें मेजोमेरिक इफेक्ट नहीं है। क्यों? कोई ग्रुप नहीं है। तो ग्रुप होता है तो मेजोमेरिक इफेक्ट आता है। ये अंदर की बात है। लेकिन हां, अगर कभी तुम्हारे जीवन में मेजोमेरिक इफ़ेक्ट को रेजोनेंस इफ़ेक्ट नाम से भी लिखा हो, तो डरने की बात नहीं है। मान लेना चलो, ठीक है। है ना? इतनी आजादी है। क्लियर है? एकदम बात। चलिए तो मैं आपको मेजोमेरिक इफेक्ट या रेजोनेंस इफेक्ट बोल दो। कोई दिक्कत नहीं है। बताता हूं क्या होता है। बहुत आसान सी बात है। क्या है? पहली बात तो ये परमानेंट इफ़ेक्ट होता है। ठीक? पाई बॉन्ड में ऑपरेट होता है। डिस्टेंस इंडिपेंडेंट होता है। परमानेंट होता है। पाई बॉन्ड में ऑपरेट होता है। डिस्टेंस इंडिपेंडेंट होता है। और एक्चुअल चार्ज डेवलप होता है। डिस्टेंस इंडिपेंडेंट है मतलब जब तक कंजुगेशन चलता रहेगा तब तक ये इफ़ेक्ट चलता रहेगा। जब तक कंजुगेशन चलता रहेगा तब तक ये इफेक्ट चलता रहेगा। ठीक? अब +m इफेक्ट क्या होता है? ध्यान से सुन लो। अगर कोई एटम या ग्रुप p ऑर्बिटल के इलेक्ट्रॉन डोनेट करता है। सर ये p ऑर्बिटल इलेक्ट्रॉन का मतलब क्या होता है? लोन पेयर। लोन पेयर को डोनेट करता है कंजुगेटेड सिस्टम यानी कि डबल बॉन्ड या फिर बेंजीन रिंग को। तो हम उसको कहते हैं क्या? + m इफेक्ट। फॉर एग्जांपल मान लीजिए मेरे पास कंजुगेशन यानी कि डबल बॉन्ड के साथ मैंने जोड़ दिया n2 जोड़ दिया। NH2 अब मुझे बताइए नाइट्रोजन का लोन पेयर रेजोनेंस करेगा। तीन P ऑर्बिटल पैरेलल हैं और इसको हम ऐसे दिखाते हैं कि भाई साहब ये लोन पेयर यहां पर पाई बॉन्ड बनाएगा और ये बॉन्ड टूट जाएगा। तो हम उसको इस तरीके से दिखाते हैं और दिखाओगे तो ऐसा दिखेगा कि ये दोनों इलेक्ट्रॉन इस कार्बन पे शिफ्ट हो जाएंगे तो नेगेटिव चार्ज आ जाएगा और यहां पर नाइट्रोजन चार बॉन्ड बना लेगा तो पॉजिटिव चार्ज आ जाएगा। क्या ये बात सही है? तो यहां पर हुआ क्या? सुनिए सुनिए सुनिए। यहां पर हुआ क्या बताइए? यहां क्या हुआ? नाइट्रोजन ने अपना लोन पेयर दे दिया। किसको दे दिया? कंजगेशन को दे दिया। तो इस पर कौन सा चार्ज डेवलप हो गया? नेगेटिव चार्ज। तो अगर इलेक्ट्रॉन का फ्लो कंजुगेशन की साइड होता है। सुनिएगा। अगर इलेक्ट्रॉन का फ्लो कंजुगेशन की साइड इस तरफ एल्कीन हो या बेंजीन हो इसके ऊपर होता है। यानी कि नेगेटिव चार्ज डेवलप होता है। तो इसको हम बोलते हैं +m इफेक्ट। और ग्रुप का नाम होता है +m ग्रुप। तो मुझे बताओ +m ग्रुप क्या होंगे? बताओ जरा। +m ग्रुप क्या होंगे? ऐसे ग्रुप जिनके पास लोन पेयर होगा। ऐसे ग्रुप जिनके पास लोन पेयर होगा तो ग्रुप की वजह से रेजोनेंस होना यानी कि मेजोमेरिक इफेक्ट। क्लियर बात है? यहां आइए आइए आइए आइए। अरे आइए अंकल। अगर कोई एटम या ग्रुप विथड्रॉ करता है p ऑर्बिटल इलेक्ट्रॉन। सर यहां p ऑर्बिटल इलेक्ट्रॉन विथड्रॉ का मतलब पाई इलेक्ट्रॉन्स। p ऑर्बिटल इलेक्ट्रॉन विथड्रॉ करना यानी कि पाई इलेक्ट्रॉन्स। है ना? किससे विथड्रॉ करना? डबल बॉन्ड से या बेंजीन से। जैसे मान लीजिए मैं आपके सामने एक एग्जांपल लिखता हूं। जैसे मैंने लिख दिया ये अब मुझे बताइए इस एल्कीन पर यहां पर बेंजीन भी हो सकती थी। इसने क्या करा? इस CHO ग्रुप के साथ कंजुगेशन दिखाया। तो मैं इसको ऐसे दिखा सकता हूं कि भाई चार p ऑर्बिटल पैरेलल हैं। बीच में डबल बॉन्ड आएगा। ये बॉन्ड टूट जाएंगे। तो मैं उसको ऐसे दिखाऊंगा कि भाई साहब CH2 पर तो प्लस आ गया क्योंकि इलेक्ट्रॉन बचे नहीं। बीच वालों का कुछ नहीं बिगड़ता और टर्मिनल वाले पे माइनस आ गया। तो मुझे बताओ इस ग्रुप ने क्या करा? इस ग्रुप ने कार्बन की चेन पर देखो प्लस चार्ज डेवलप कर दिया। इस ग्रुप ने क्या किया था? कार्बन की चेन पर माइनस डेवलप कर दिया था। इस ग्रुप ने क्या करा? कार्बन की चेन पर प्लस डेवलप कर लिया। कार्बन की चेन यानी कि कंजुगेटेड सिस्टम से इलेक्ट्रॉन विथड्रॉ कर लिए। विथड्रॉ यानी कि खींच लिए। इसका मतलब क्या है? कि इलेक्ट्रॉन अपनी तरफ खींच लिए इसने और इलेक्ट्रॉन अपनी तरफ खींच लिए यानी कि इसने कैसा इफेक्ट दिखाया? -m इफेक्ट दिखाया। तो मुझे एक बात बताओ ऐसे ग्रुप कौन से होंगे जिनके पास पाई बॉन्ड होगा और वो इलेक्ट्रॉन खींच रहे होंगे। ऐसे ग्रुप कहलाएंगे -n ग्रुप। दोनों में अंतर समझे और ग्रुप की वजह से रेजोनेंस हो रहा है। इसका मतलब ये मेजोमेरिक इफेक्ट है। क्लियर है बात? क्या आप ये दोनों में अंतर समझ गए? +m का मतलब इलेक्ट्रॉन देना। कौन से इलेक्ट्रॉन देना? लोन पेयर वाले। किसको? कंजुगेशन को। -m का मतलब इलेक्ट्रॉन खींचना। कौन से वाले? पाई बॉन्ड वाले। किसके? कंजुगेशन के। तो इलेक्ट्रॉन खींचेगा तो चेन पर प्लस डेवलप होगा। इलेक्ट्रॉन देगा तो चेन पर माइनस डेवलप होगा। सीधी बात नो बकवास। समझे बात? समझे बात? तो ये अंतर है दोनों इफेक्ट में। अब मैंने आपको अभी थोड़ी देर पहले ही बताया कि +m और -m ग्रुप को आइडेंटिफाई करना हो तो कैसे आइडेंटिफाई करोगे? +m और -m को ऐसे आइडेंटिफाई करो। क्या? फर्स्ट एटम के पास सुन लीजिए जरा। फर्स्ट एटम के पास लोन पेयर तो +m फर्स्ट एटम कहां से देखना है? कंजुगेशन से। मतलब एल्कीन से जुड़ा हुआ कोई भी ऐसा एटम देख लो। मान लो मैंने ये देख लिया। NH2 देख लिया। यह बॉन्ड छोड़ना यानी कि एल्कीन या कंजुगेशन से जुड़ा है। बताइए जरा। देखिए जरा यह सब फर्स्ट एटम के पास लोन पेयर होगा। तो यह क्या कहलाएगा? +m कहलाएगा। देखिए इस तरीके के ग्रुप पहले एटम के पास लोन पेयर तो ये +m कहलाएंगे। और फर्स्ट एटम के पास फर्स्ट एटम के पास फर्स्ट एटम के पास पाई बॉन्ड अगर हुआ मालिक तो -m पाई बॉन्ड पाई बॉन्ड हुआ तो -m जैसे ये हो गया पाई बॉन्ड है। जैसे CN हो गया पाई बॉन्ड है। पहले एटम ये बॉन्ड छोड़ा यानी कि कंजुगेशन से जुड़ा है। ठीक? जैसे C बO CH3 जैसे C बOH देखो जैसे S बO OH जैसे NO2 NO2 ऐसा होता है लोन पेयर नहीं होता नाइट्रोजन पे है ना पाई बॉन्ड होता है ये पहले एटम के पास चेक करना फर्स्ट एटम के पास तो फर्स्ट एटम के पास अगर पाई बॉन्ड हुआ तो -m लोन पेयर हुआ तो +m क्लियर बात है क्लियर बात है एकदम यह समझ गए खेल जल्दी बताओ फटाफट से बता दो जल्दी से पराठा एकदम गरम गरम है। खाओगे क्या? हम जल्दी बताओ। क्लियर है? एकदम थम्स अप। फर्स्ट एटम के पास लोन पेयर तो +m, पाई बॉन्ड तो -nm आइए। अब आपके दिमाग में एक बात आती है कि सर एक बात बताओ। +m पावर किस बात पर डिपेंड करेगी? है ना? +m पावर किस बात पर डिपेंड करेगी? है ना? आपके दिमाग में एक बात आती है। है ना? +m पावर किस बात पे डिपेंड करेगी? आपके दिमाग में ये बात आती है। बहुत आसान सी बात है। एक्सटेंट ऑफ ओवरलैपिंग। किससे? कार्बन एंड कोई एटम होगा। A बोल दिया मैंने। कार्बन और A एटम के बीच का एक्सटेंट सर यह कैसे पता चलेगा? मैं आपको बताता हूं। बहुत सिंपल सी बात है। क्या अगर साइज डिफरेंस साइज डिफरेंस कम तो ओवरलैपिंग ज्यादा। और अगर ओवरलैपिंग ज्यादा तो + m की पावर ज्यादा। सिंपल सी बात है। और साइज डिफरेंस किसका कंपेयर कराना है? साइज़ डिफरेंस ऑफ़ कार्बन एंड एटम A आइए जैसे मान लीजिए मेरे पास ये लिखा है मेरे पास लिखा है NH2 मेरे पास लिखा है OH मेरे पास लिखा है F बताइए जरा ये जो NH2 ग्रुप है इसका A एटम कौन सा है ये? इसका A एटम यह है। इसका A एटम यह है। मतलब NH2 में अगर A बोलो तो नाइट्रोजन हो गया। OH का A बोलो तो ऑक्सीजन हो गया। और फ्लोरीन तो बेचारा एक ही है। इसको किससे कंपेयर कराना है? कार्बन से। तो ये जो एटम है ना ये इसको थोड़ा सा अलग कलर कर दो। ये है A एटम। तो मुझे बताओ कार्बन और इस एटम में साइज़ डिफरेंस कहां कम है? ये कैसे पता चलेगा? अकॉर्डिंग टू सेकंड पीरियड पीरियोडिक टेबल में। सेकंड पीरियड में साइज़ होता है कार्बन ज्यादा। फिर नाइट्रोजन फिर ऑक्सीजन फिर क्लोरीन। तो मुझे बताओ यह वाला साइज डिफरेंस कम है। यहां साइज डिफरेंस ज्यादा है। यहां और ज्यादा है। साइज डिफरेंस की बात कर रहा हूं मैं। साइज डिफरेंस की बात कर रहा हूं। मुझे बताओ कार्बन का पड़ोसी है नाइट्रोजन। ऑक्सीजन तो थोड़ा दूर घर में रहता है। क्लोरीन तो और दूर घर में रहता है। ठीक है? तो मुझे बताइए क्या मैं + पावर ये लिख सकता हूं? बताओ। NH2OH और F सही बात है? तो एक्सटेंट ऑफ ओवरलैपिंग साइज डिफरेंस पर डिपेंड करता है। लेकिन कभी-कभी ऐसा भी जीवन में होगा कि चार्ज आ जाएगा। तो चार्ज बेटा सबसे डोमिनेट क्राइटेरिया होता है ना। साइज डिफरेंस से ऊपर चार्ज आता है। है ना? मैं यहां लिख देता हूं कि अगर चार्ज ज्यादा तो +m पावर ज्यादा और अगर चार्ज पहले चार्ज सोचो फिर स डिफरेंस सोचो। ऐसा लिख लो आप। है ना? मान लो मैं यहां पर ऐसा लिख देता हूं। CH2- लिख दूं, NH- लिख दूं और O- लिख दूं तो नेगेटिव वाले पहले आएंगे, न्यूट्रल वाले बाद में आएंगे। है ना? तो CH2- पहले आएगा, फिर NH- फिर O- फिर NH2 है ना? फिर NH2 फिर OH फिर F ठीक? ओवरऑल ऑर्डर कुछ इस तरीके से बनेगा आपका कि अगर मैं चार्ज को भी इंट्रोड्यूस कर दूं तो बेटा चार्ज डोमिनेट करेगा। तो +m पावर CH2- का लिख दूं। फिर नेगेटिव चार्ज वाले पहले कर लो। और नेगेटिव चार्ज में साइज डिफरेंस सोच लो और न्यूट्रल में साइज डिफरेंस सोच लो। जैसे NH2 OH और M ये देखो ऐसे ये आगे आएंगे। ये पीछे आएंगे। इनके अंदर साइज डिफरेंस इनके अंदर साइज डिफरेंस। समझे बात? अंदर कंपेयर कराना है तो साइज डिफरेंस से कराओगे आप। चार्ज पहले आएगा। क्लियर है बात? चलिए। अगला है +m ड्यू टू लोन पेयर इज़ > + mm ड्यू टू इंटरनल कंजगेशन। कैसे मान लो मेरे पास लिखा है NH2 इसके पास लोन पेयर है। यहां इंटरनल कंजगेशन अगर तुम सोचो तो एक्चुअल में इंटरनल कंजगेशन का मतलब ये होता है। देखिए अब मुझे बताइए इस वाले लोन पेयर को अपना लोन पेयर इधर देना है। कंजुगेशन इधर चल रहा है। कंजुगेशन यहां चल रहा है। इसको भी अपना लोन पेयर इधर देना है। कंजुगेशन यहां चल रहा है। लेकिन इसके साथ दिक्कत ये है कि इसके घर में भी कंजुगेशन है। और घर में कंजुगेशन है तो इफेक्टिवली बाहर वाले कंजुगेशन को लोन पेयर नहीं दे पाएगा। हमें क्या करना है? बाहर वाला कंजुगेशन स्ट्रांग होना चाहिए। बाहर वाला कंजुगेशन स्ट्रांग होना चाहिए। यानी कि इधर जो डबल बॉन्ड लगा होगा या रिंग लगी होगी उसको इलेक्ट्रॉन देना हमें चेक करना है। तो ये नाइट्रोजन बोलेगा मेरे घर में तो कोई रेजोनेंस नहीं है। मैं तो तुम्हारे साथ गुलगुलू खेलूंगा। यह बोलेगा मेरे को घर में भी गुलगुल खेलना है, बाहर भी खेलना है। तो कम खेल पाएगा। क्लियर है? क्लियर बात है। ठीक आया? और एग्जांपल इसके लिख सकते हो। जैसे OH का ज्यादा होगा OCOCH3 से। ये भी वही खेल है कि इसका कंजुगेशन इंटरनल भी है। इसको बाहर भी इलेक्ट्रॉन देने हैं। है ना? बाहर वाले कंजुगेशन को इलेक्ट्रॉन देना। अच्छी बात है। ठीक? तो यह है +m ड्यू टू इंटरनल कंजगेशन। समझ गए? तो अगर मान लो तुम इसको और इसको एक साथ कंपेयर कराना चाहते हो तो ये वाले तो एक इधर लिखे ही हुए हैं। इसके बाद अगर तुम्हें ऐड करना है इसको भी कि इंटरनल कंजुगेशन वाले ले लो। तो इसके आगे मैं ऐड कर देता हूं कि NHCOCH3 ज्यादा होगा और फिर आएगा OCOCH3 समझे? क्योंकि इन दोनों के अंदर फिर साइज डिफरेंस से चल लो कि भैया नाइट्रोजन दे रहा है यहां ऑक्सीजन दे रहा है। नाइट्रोजन अच्छे से डोनेट कर देगा। समझे खेल? तो वन वाला ज्यादा होगा इफेक्टिव कंपैरिजन टू टू। वन वालों की +m पावर ज्यादा टू वालों से। है ना? आइए -m पावर की बात कर लेते हैं। -m पावर -m पावर की बात करूं तो तुमको ये चेक करना है कि कौन इलेक्ट्रॉन ज्यादा अच्छे से खींच सकता है। है ना? तो मैं ये बोल रहा हूं कि -m पावर जो होगी वो होगी इलेक्ट्रॉन विथड्रॉइंग पावर ऑफ़ फर्स्ट एटम। इलेक्ट्रॉन विड्रंग पावर ऑफ फर्स्ट एटम पहले एटम की इलेक्ट्रॉन विथड्रॉइंग पावर की बात कर रहा हूं मैं। पहले एटम की देखना जैसे मान लो मुझे कंपेयर कराना है NO2 ठीक है? CN को कंपेयर कराना है। CHO को कंपेयर कराना है। है ना? अब इसके साथ में तुम यहां पर इसके अलावा कोई और ग्रुप लगा सकते हो। जैसे मान लो COCH3 को कंपेयर कराना है। COOH को कंपेयर कराना है। यहां आप अलग-अलग टाइप के ग्रुप लगा सकते हो। है ना? आपको क्या चेक करना है? पहली बात तो ये सारे -m ग्रुप है। क्यों? पहले एटम के पास पाई बॉन्ड है। आप चेक कर लो सभी में। फर्स्ट एटम के पास पाई बॉन्ड, पाई बॉन्ड, पाई बॉन्ड। यहां भी पाई बॉन्ड होता है। यहां भी पाई बॉन्ड होता है। सबके पास पाई बॉन्ड है। तो मुझे बताओ यहां नाइट्रोजन sp2 है। यहां कार्बन sp है। और इधर कार्बन sp2 है। इधर कार्बन sp2 है और इधर कार्बन sp2 है। सुनना ध्यान से। नाइट्रोजन sp2 ज्यादा इलेक्ट्रोनेगेटिव होता है तो खींचेगा विथड्रॉइंग पावर ज्यादा होगी। इलेक्ट्रॉन विथड्रॉइंग पावर यानी कि खींचने की पावर इलेक्ट्रोनेगेटिव ज्यादा खींचने की पावर ज्यादा। सॉरी यहां नाइट्रोजन sp है। है ना? नाइट्रोजन sp2 से कार्बन sp ज्यादा होगा। सही बात है। नाइट्रोजन sp2 से कार्बन sp ज्यादा होगा। अब ये तीनों sp2 हैं। तो मुझे एक बात बताओ। यह कार्बन की इलेक्ट्रॉन विड्र पावर इन साइड एटम पर डिपेंड करेगी। साइड ग्रुप पर डिपेंड करेगी। देखो इन पर डिपेंड करेगी। अब मुझे बताओ H इलेक्ट्रॉन देता है क्या? नहीं देता। मिथाइल देता है और OH भी देता है। अब मुझे बताओ जो नहीं देता ये नहीं दे रहा है। इलेक्ट्रॉन इसको नहीं दे रहा है। तो ये दूसरे से मांगेगा तो इसकी ज्यादा होगी। अब इन दोनों में देखना CH3 और OH में OH ज्यादा अच्छा डोनर है क्योंकि लोन पेयर वाला है। तो ये इसको इलेक्ट्रॉन डोनेट करेगा क्योंकि लोन पेयर सिंगल डबल कंजुगेशन है। तो ये इसको डोनेट करेगा तो ये बोलेगा मेरे को तो मस्त यहीं पे इलेक्ट्रॉन मिल रहे हैं तो मैं दूसरे से क्यों लूं? तो ये कम हो जाएगा। यानी कि साइड एटम में डोनेशन पावर ज्यादा तो इस पर्टिकुलर फर्स्ट एटम की विथड्रॉइंग पावर कम। फिर सुन लो मैं क्या बोल रहा हूं। फिर सुन लो। साइड एटम इन वाले केस में कार्बोनाइल वाले केस में है ना साइड एटम की डोनेशन पावर ज्यादा तो फर्स्ट एटम क्योंकि आपको -m पहले एटम से ही पता चलता है। फर्स्ट एटम की -m पावर कम ये वाली बात समझ लो आप अच्छे से। साइड एटम या ग्रुप हो सकता है। साइड एटम भी हो या कोई ग्रुप भी चलेगा। कोई दिक्कत नहीं। टाइड एटम या ग्रुप की डोनेशन अगर ज्यादा तो वह जो कार्बन है जो -n दिखा रहा है वह बोलेगा मेरे को तो ग्रुप में ही मिल रहा है मस्त मजा तो बोलेगा मैं बाहर से क्यों खींचूं मेरे को तो ग्रुप में ही आ गया मामला ठीक है क्लियर है ठीक है चेक कर लो जरा एक बार और बताओ फिर मैं आपको सवाल दे रहा हूं चेक कर लीजिए और बताइए। मैम YouTube पे क्लास चल रही है जीओसी की। इसमें कुछ जबरदस्त स्पैमिंग हो रही है। जरा संभालना। चलिए भाई साइड एटम की डोनेशन साइड एटम या ग्रुप की डोनेशन अगर ज्यादा होगी ठीक तो फर्स्ट एटम की -m पावर कम होगी। ठीक आइए अब यही चीज आप मुझे यहां अप्लाई करके बताइए। पहले वाले में दूसरे वाले में ये दो सवाल में करके बताइए। NO2 ठीक? NO2 में नाइट्रोजन sp होता है। ठीक है? यह अभी थोड़ी देर पहले भी देखा है। NO2 हो गया। उसके बाद क्या आएगा? NO2 के बाद आएगा CN क्योंकि कार्बन SP है। देखिए संभाल लेंगे डोंट वरी। टीम बहुत खतरनाक है भाई। चलो इधर आओ। NO2CN अगला CHO नेक्स्ट C डबल ब्ड OR अगला बताओ जरा। फिर आएगा C बOR देखो अभी मैंने आपको R की जगह CH3 लगाया था और मैंने यहां OH दिया हुआ था तो OR आ गया OH दिया था तो OR आ गया है ना क्लियर है ठीक है चलिए NO2 हो गया CNO हो गया CHO हो गया COOR हो गया और COR हो अब मुझे बताओ F, NH2 और O नेगेटिव। यह वाला तो क्लियर है ना? क्योंकि यहां R की जगह मैंने CH3 दिया था। Or की जगह बच दिया था। सेम कांसेप्ट है। इसमें बताना जरा मुझे ये चेक करना है कि ये कार्बन कितना ज्यादा खींचे। तो साइड एटम पे डिपेंड करेगा। तो मुझे बताओ साइड एटम का डोनेशन ज्यादा किसका होगा? डोनेशन। डोनेशन ऑफ़ साइड एटम। मतलब लोन पेयर का डोनेशन है ना? डोनेशन ऑफ़ यह साइड ग्रुप। साइड एटम या ग्रुप बताओ किसका डोनेशन ज्यादा होता है? O नेगेटिव क्योंकि नेगेटिव चार्ज अच्छे से देगा। O नेगेटिव देगा फिर कौन देगा? NH2 देगा। फिर कौन देगा? F देगा। ये साइड एटम का डोनेशन है। मतलब O नेगेटिव इसको ज्यादा देगा तो ये कम खींचेगा। है ना? इसका मतलब C डबल ब्ड OF इसका विथड्रॉइंग पावर ज्यादा हो जाएगा। है ना? फिर आएगा C बO NH2 और फिर आ जाएगा C बO नेगेटिव। चेक कर लीजिए जरा। तो डोनेशन ऑफ़ साइड एटम अगर ज्यादा है तो विथड्रॉइंग पावर ऑफ़ ग्रुप विथड्रॉइंग पावर ऑफ़ फर्स्ट एटम। क्या ये बात क्लियर? इस तरीके से चेक कर लोगे। ठीक है? ठीक है। कह रहा है कि सर कचरा साफ कर दीजिए। अभी करवाते रुको। फोन करना पड़ेगा। मैम जो YouTube वाली अभी क्लास चल रही है ना जीओसी की इसमें कुछ जबरदस्त स्पैमिंग हो रही है। एक बार जरा साफ कर देना मामला। ठीक। हां। आप देख लो एक बार। अभी आपको बदल जाएगा। ठीक। चलिए भाई क्लियर है मामला ठीक है समझे खेल ये कहानी फिर सुन लीजिए ये जो साइड एटम है साइड एटम या साइड ग्रुप है ये जितना ज्यादा इलेक्ट्रॉन इस कार्बन को देंगे ये कार्बन कंजुगेशन से कम खींचेगा ना हमें किससे चेक करना है? कंजुगेशन से। क्यों? यह जो ग्रुप है, यह कहां लगा होगा? सुनो ध्यान से। यह ग्रुप कहां लगा होगा? यह ऐसे लगा होगा ना। तो ये कार्बन इस कंजुगेशन से इलेक्ट्रॉन खींचे। ये किस बात पे डिपेंड करेगा? साइड वाले पे। अब साइड वाला ये कह रहा है कि हम तुमको इलेक्ट्रॉन देंगे। उससे मत खींचो। तो O नेगेटिव बोलेगा हम तुमको इलेक्ट्रॉन दे रहे हैं। क्यों खींच रहे हो उससे? तो भाई खींचने वाली पावर कम हो जाएगी ना। समझे? भाई अगर खुद के ग्रुप में ही डोनेशन हो रहा है तो खींचने की पावर कब? घर में ही इलेक्ट्रॉन मिल रहे हैं उसको। ठीक? वेरी गुड। चलिए आइए कुछ ओपी पॉइंट हम देख लेते हैं। है ना? OP पॉइंट देख लेते हैं अपन कुछ। आइए जरा। इनका कहना है कि एम इफेक्ट डज़ नॉट ऑपरेट ऑन मेटा पोजीशन। ये मतलब क्या है इसका? आइए जरा। कुछ इंपॉर्टेंट पॉइंट्स देखिए जरा। अगर मैं यहां पर आपके सामने लिख दूं OH ठीक है? अगर मैं आपके सामने लिख दूं OH ठीक? तो ध्यान से देखिए जरा। अगर मैं इसका रेजोनेंस करवाना चाहूं तो मुझे बताओ क्या होगा? ये लोन पेयर बॉन्ड पेयर में बॉन्ड पेयर। लोन पेयर में यहां नेगेटिव आएगा। देख लो। देख लो जरा ऐसा। ठीक? यह लोन पेयर बॉन्ड पेयर में बॉन्ड पेयर लोन पेयर में यही तो कन्वर्ट करोगे पैरेलल P ऑर्बिटल पुराने बॉन्ड तोड़ करके नहीं बना दोगे ऐसा दिखेगा अब आप गौर से देख लो गौर से देखिए जरा गौर से ये लोन पेयर बॉन्ड पेयर में बॉन्ड पेयर लोन पेयर में देखिए जरा ध्यान से देखिए ये लोन पेयर बॉन्ड पेयर में बॉन्ड पे लोन पेयर में अब मुझे भाई साहब ये बता दो क्या नेगेटिव चार्ज मेटा पर आया। बोलो क्या नेगेटिव चार्ज मेटा पर आया? हां या ना? जल्दी बताइए। बोलो क्या नेगेटिव चार्ज मेटा पर आया? हां या ना? बोलिए। बोलो। नेगेटिव चार्ज मेटा पर आया ही नहीं। देखो ऑर्थो पोजीशन पैरा पोजीशन ऑर्थो पोजीशन मेटा तो कहीं है ही नहीं। मेटा तो बाईपास हो गया रेजोनेंस के चक्कर में। तो इसीलिए ऐसा बोला गया कि m इफेक्ट ऑपरेट नहीं करता। पहला एग्जांपल मैंने आपको बताया +m का। अब मैं एक -m भी दिखा देता हूं। देख लोगे तो समझ जाओगे। -m का अगर मैं आपको एग्जांपल दिखा दूं तो आपको यकीन हो जाएगा कि भाई साहब चाहे प्लस हो चाहे माइनस हो मेटा पर ऑपरेट ना होता। देखो ना। अगर मैं इसका रेजोनेंस कराऊंगा तो पुराने बॉन्ड तोड़ करके नए बॉन्ड बना दूंगा। ये देखिए जरा। ऐसा चलेगा। यह कॉन्जुगेशन उस तरफ जाएगा क्योंकि इलेक्ट्रॉन विथड्रॉइंग ग्रुप खींचता है यह। अगर मैं इसके बाद रेजोनेंस कराऊंगा तो मेरे को कुछ ऐसा दिखेगा। अब आप मुझे ध्यान से देख कर के बताओ कैसा आपको नजर आ रहा है? देखिए कैसा आपको नजर आ रहा है? देखिए बोलिए। मुझे बताइए -m ग्रुप ने क्या करा और +m ग्रुप ने क्या करा था? सुनिएगा ध्यान से। -m ग्रुप ने क्या करा यहां पर? गौर से देखो। -m ग्रुप ने यहां पर ऑर्थो पोजीशन पर यहां पर पैरा पोजीशन पर यहां पर ऑर्थो पोजीशन पर क्या लगा दिया? देखो प्लस चार्ज लगा दिया। गौर से देख लो आप। चेक कर लो। तो प्लस चार्ज यहां आया ऑर्थो पर। पर प्लस चार्ज यहां आया पैरा पर। प्लस चार्ज यहां आया ऑर्थो पर। गौर से देख लो आप। गौर से देख लो आप। चेक कर लो। देखो तो +m वाले ग्रुप ने क्या करा? +m वालों ने ऑर्थो और पैरा पर माइनस क्रिएट करा। ध्यान से सुनना। +m वालों ने ऑर्थो पर और पैरा पर माइनस क्रिएट करा। और -m वालों ने ऑर्थो और पैरा पोजीशन पर प्लस क्रिएट करा। सोच लो अब जरा ध्यान से। कहीं भी मेटा पर कोई बात ही नहीं है। इसलिए ऑर्थोपरा एक साथ है। मेटा अलग घूम रहा है बेचारा। है ना? ये कहानी है। ठीक है? अब आप एक बात ध्यान से सुनना। इतने वाले हिस्से से आपको एक चीज और बताता हूं मैं। एक चीज और बताता हूं मैं। अगर मान लो मैं किसी भी बेंजीन रिंग पर किसी बेंजीन रिंग पर कोई ग्रुप लगा है। मान लो g। अब यह जी ग्रुप क्या हो सकता है? बोलो। यह group क्या हो सकता है? यह group हो सकता है +m या ये g ग्रुप हो सकता है -m इन दोनों में से कोई ना कोई ग्रुप होगा ये। तो +m वाले ग्रुप क्या करते हैं? बताइए जरा। +m वाले इलेक्ट्रॉन देते हैं। और -m वाले इलेक्ट्रॉन खींचते हैं। क्या ये बात सही है? तो हम +m वाले जो ग्रुप होते हैं ना +m इलेक्ट्रॉन दे रहे हैं। दे रहे हैं तो ये क्या करते हैं? ऑर्थो पर और पैरा पर नेगेटिव क्रिएट करते हैं और -m वाले पॉजिटिव क्रिएट करते हैं। सही बात है। तो अगर मैं किसी इलेक्ट्रोफाइल को इसके पास लाता हूं किसी भी इलेक्ट्रोफाइल को इलेक्ट्रोफाइल क्या होता है? जो इलेक्ट्रॉन लविंग स्पीशी होती है। मतलब इलेक्ट्रॉन चाहिए होते हैं जिनको। है ना? जिनको इलेक्ट्रॉन चाहिए होते हैं। तो अगर मैं इलेक्ट्रो फाइल को इसके पास लाता हूं तो मुझे एक बात बताओ इलेक्ट्रोफाइल कहां जाना पसंद करेगा? माइनस के पास जाना पसंद करेगा और यहां इलेक्ट्रोफ़ाइल किसके पास जाना पसंद करेगा? इधर तो जाएगा नहीं। तो वो यहां जाना पसंद करेगा। तो कभी भी अगर तुम इलेक्ट्रोफ़ाइल को यहां लाते हो और यहां लाते हो तो अगर +m वाला ग्रुप है तो इलेक्ट्रोफ़ाइल कहां जाना पसंद करेगा? ऑर्थो और पैरा पर जाना पसंद करेगा। सही बात है? तो हम +m वाले ग्रुप को ऑर्थो पैरा डायरेक्टिंग ग्रुप भी कह देते हैं। है ना? मैंने यहां इसलिए बता दिया क्योंकि m इफ़ेक्ट का आप समझ ही गए थे खेल। है ना? और अगर मैं आपसे यह वाली बात बोलूं कि भाई साहब -m तो यह आ जाएगा आपका मेटा पोजीशन पर। देखिए जरा क्योंकि इन दोनों में से कहीं भी जाएगा। इन दोनों में से कहीं भी जाएगा। क्लियर है? तो इलेक्ट्रोफाइल कहां जाना है वो किस बात पर डिपेंड करेगा? वो डिपेंड करेगा +m और -m पर। है ना? यह एक पहला पॉइंट इसी से रिलेटेड था तो मैंने यही बता दिया। ठीक? तो +m वाले ग्रुप को क्या कहोगे? इसको बोलोगे op डायरेक्टिंग। और -m वाले को क्या बोलोगे? मेटा डायरेक्टिंग। ठीक है? ऑर्थो पैरा डायरेक्टिंग और मेटा डायरेक्टिंग। क्लियर है? ठीक है? अब सुनिएगा ध्यान से। सेकंड पॉइंट। ये तो बात हो गई। ग्रुप कहां जाएगा? इलेक्ट्रोफाइल कहां जाएगा? अगर आपसे बात पूछ ली रेट ऑफ रिएक्शन की। कि भाई कौन सा ज्यादा रेट से रिएक्ट करेगा? कौन सा ज्यादा रेट से रिएक्ट करेगा? ये बात डिपेंड करेगी। डोमिनेटिंग इफेक्ट। चेक डोमिनेटिंग इफ़ेक्ट। डोमिनेटिंग इफ़ेक्ट। आपको क्या चेक करना है? डोमिनेटिंग इफ़ेक्ट चेक करना है। क्या चेक करना है आपको? डोमिनेटिंग इफ़ेक्ट। सर ये डोमिनेटिंग इफ़ेक्ट कैसे चेक करेंगे? यूजुअली मेज़ोमेरिक इंडक्टिव पर डोमिनेट करता है। आपने दोनों पढ़ लिए। तो, मैं दोनों के बारे में बता रहा हूं। मेज़ोमेरिक इंडक्टिव पे डोमिनेट करता है। यूजुअली ऐसा होता है। सही बात है। आपने डोमिनेटिंग इफ़ेक्ट देखा। मेज़ोमेरिक इंडक्टिव पे डोमिनेट करता है। लेकिन बट बट इन पहला नाइट्रोजन ऑक्सीजन इन वाले ग्रुप में +m डोमिनेट करता है -I पर। ये +m -i दोनों होते हैं। और सेकंड इन हैलोजंस -i डोमिनेट करता है +m पर। तो कभी भी रेट ऑफ रिएक्शन कंपेयर कराते हो तो +m वाले ग्रुप डोमिनेट करते हैं -i पर या नाइट्रोजन ऑक्सीजन वाले जैसे NH2OH CH3 NHCOCH3 OCOCH3 ये वाले होते हैं। और हैलोजंस में -i डोमिनेट करता है + M पर क्योंकि इलेक्ट्रॉन विथड्रॉइंग नेचर के होते हैं ये। ठीक है? तो कभी रेट ऑफ रिएक्शन कंपेयर करा रहा हूं। जैसे मान लो मैं आपसे बोलूं कि भाई साहब इसकी इसकी और इसकी रेट ऑफ रिएक्शन बता दो जरा। तो आप कैसे आंसर करोगे? सिखा देता हूं आपको। सीख लो। मुझे बताओ। OH क्या होता है? +m > -i डोमिनेटिंग इफ़ेक्ट पकड़ो। क्या है? +m और Cl क्या है? -i > +m डोमिनेटिंग इफ़ेक्ट पकड़ो। -i तो +m वाला आगे आएगा। फिर न्यूट्रल फिर -i। सर ये ऐसा कैसे कर दिया? तुमको इलेक्ट्रोफ़ाइल भेजना है। इलेक्ट्रोफ़ाइल भेजना है तो जहां इलेक्ट्रॉन डेंसिटी ज्यादा होगी वहीं भेजोगे ना। +m डोमिनेट कर रहा है। इसका मतलब इलेक्ट्रॉन डेंसिटी यहां ज्यादा है। यह -i कर रहा है। यानी कि ये खींच रहा है। तो रेट ऑफ रिएक्शन को हमने इन शॉर्ट कैसे कनेक्ट करा? इलेक्ट्रॉन डेंसिटी से। अगर इलेक्ट्रॉन डेंसिटी ज्यादा तो रेट ऑफ रिएक्शन ज्यादा। यानी कि +m एंड +i वाले होंगे तो ज्यादा होगी और -m -i वाले होंगे तो कम होगी। सीधी सी बात है। और इलेक्ट्रोफाइल कहां आना पसंद करेगा? इलेक्ट्रोफाइल के पास बेचारे के पास वैसे ही इलेक्ट्रॉन की कमी है। तो वो बोलेगा ना कि भाई जहां इलेक्ट्रॉन डेंसिटी है वहां जाऊंगा मैं। समझे खेल? समझे खेल यह कहानी है। क्लियर है? खुशबू कह रही है सर इंडक्टिव तो अभी बताया ही नहीं। बेटा इंडक्टिव इफ़ेक्ट अगले साल बताएंगे। शुरू मेजोमेरिक से ही करेंगे। इंडक्टिव इफ़ेक्ट अब अगले साल क्योंकि एक साल में एक बार एक ही सीरीज में एक ही बार बताता हूं मैं। और सभी टीचर एक ही बार पढ़ाते हैं। क्या तुमने ऐसा कभी देखा है कि जीओसी दो बार आ रही है एक ही सीरीज में। तो बेटा, अगले साल आएगा इंडक्टिव इफ़ेक्ट। ठीक है? चलिए वेरी नाइस। अब आप मुझे कुछ बातें बता दीजिए तो अच्छा लगेगा। चलिए इसी से रिलेटेड कुछ सवाल हैं। द सेट ऑफ मेटा डायरेक्टिंग फंक्शनल ग्रुप। मेटा डायरेक्टिंग क्या? कौन सा डायरेक्टिंग है? ये कैसे पता चलता है? एम इफेक्ट से। है ना? कौन सा डायरेक्टिंग है? कौन सा डायरेक्टिंग है? यह m इफेक्ट से पता चलता है। तो, आप सिर्फ m इफेक्ट सोचिए इनके। है ना? बताइए कौन सा डायरेक्टिंग है? यह किससे पता चलेगा मालिक? एम इफेक्ट से। बोलिए। फटाफट से मुझे इसका आंसर कर दीजिए। तुरंत से पहले। ज्यादा समय ना लीजिए। मेरे ख्याल से 30 से 45 सेकंड के अंदर आप कर पाएंगे इसको। सारे ऑप्शन चेक करो। बोलो क्या लग रहा है? पाई बॉन्ड है तो -m लोन पेयर है तो +m लोन पेयर तो +m लोन पेयर तो +m तो ये ऑर्थो पैरा डायरेक्टिंग है। ये मेटा डायरेक्टिंग है। ये तो नहीं होगा। सारे मेटा डायरेक्टिंग चाहिए। -m +m -m -m पहले एटम के पास पाई बॉन्ड है ना? -m, -m, -m और -m ये आ जाएगा मेटा डायरेक्ट -m, -m, +m लोन पेयर है ना + m और ये -m ठीक है? सी आंसर लगा दूं? चलिए। अगला सवाल। अमंग द फॉलोइंग कंपाउंड द करेक्ट ऑर्डर ऑफ रिएक्टिविटी। रिएक्टिविटी कैसे पता चलती है? डोमिनेटिंग इफेक्ट से। डायरेक्टिंग पता चलता है सिर्फ m इफेक्ट से। ये डोमिनेटिंग इफेक्ट तुरंत से पहले कह दो ना तीनों को देखो और बता दो यार सीधी सी बात है डोमिनेटिंग इफेक्ट +m > -i सही है क्योंकि लोन पेयर है ना -m > -i डोमिनेटिंग से कर लो सीधा आंसर 1 2 3 + वाला रेट ऑफ रिएक्शन बढ़ाता है। -m वाला कम करता है। सीधी सी बात। अगला व्हिच ऑफ द फॉलोइंग डिक्रीज इलेक्ट्रॉन डेंसिटी इन बेंजीन थ्रू -m -m कौन सा है इनमें से -m फर्स्ट एटम के पास पाई बॉन्ड बोलो फर्स्ट एटम के पास पाई बॉन्ड ऐसा कौन सा कंपाउंड ऐसा कौन सा ग्रुप आपको दिख रहा है जिसमें फर्स्ट एटम के पास पाई बॉन्ड हो अगर मैं इसको ओपन करके लिखूं तो ऐसा दिखेगा है ना? इसके पास तो पाई बॉन्ड है नहीं। इधर भी नहीं है। आ गया ए आंसर है। ए इज़ द आंसर। बहुत बढ़िया। वेरी नाइस। तो ये पहला पॉइंट था। चलिए अब मैं आपको बता रहा हूं दूसरा पॉइंट। सेकंड पॉइंट देखिए इंपॉर्टेंट पॉइंट में। हाइड्रोजन बॉन्डिंग की अगर कहानी आ जाए तो एसिडिक स्ट्रेंथ बढ़ भी सकती है और कम भी हो सकती है। अगर हाइड्रोजन बॉन्डिंग इसको समझना ध्यान से। इंपॉर्टेंट पॉइंट नंबर टू है ये। कि अगर हाइड्रोजन बॉन्डिंग की मैं बात करना चालू करूं कहां पर? मतलब इंक्रीज़ और डिक्रीज़ दोनों होती हैं। पहले मैं इंक्रीज़ वाला बताता हूं। मान लीजिए मेरे पास कोई कार्बोक्सिलिक एसिड है यह। अच्छा हाइड्रोजन बॉन्डिंग कहां होती है? ऑर्थो पोजीशन पे होती है। मेटा और पैरा पर। इंट्रा मॉलिक्यूलर नहीं होती। है ना? एंटर होती है मेटापैरा पे। ऑर्थो पर होती है आपकी कौन सी वाली? इंट्रा मॉलिक्यूलर। मान लो मैंने एक ऐसा एग्जांपल ले लिया जिसमें इसमें हाइड्रोजन बॉन्डिंग नहीं हो रही है और इसमें हो रही है। तो मुझे एक बात बताओ बहुत आसान सी बात है। इसका H+ निकाल के बताना जरा। बताओ जरा इसका H+ निकालेंगे तो मालिक नेगेटिव चार्ज आएगा ना सही बात है इसका H+ निकालो तो मुझे बताओ निकलेगा कहां से बताओ इससे निकलेगा कि इससे निकलेगा ये देखना होगा कौन ज्यादा एसिडिक है तो कार्बोक्सिलिक एसिड ज्यादा एसिडिक होता है फिनोलिक ग्रुप से क्योंकि यहां नेगेटिव चार्ज का डीलोकलाइजेशन हो रहा है ना और इक्विवेलेंट रेजोनेंस वाला हो रहा है ज्यादा स्टेबल होता है तो H+ निकलेगा तो यह दिखेगा ऐसा कार्बोक्सिलिक ग्रुप से निकलेगा और जो यहां OH लगा हुआ है ना यह सपोर्ट कर देगा इसको। ये जो OH लगा है ना वो सपोर्ट कर देगा। तो मुझे एक बात बताओ इन दोनों में मैं इसको मोर स्टेबल कह सकता हूं। किस वजह से? ड्यू टू इंट्रा H बॉन्ड। इंट्रा H बॉन्ड की वजह से ज्यादा स्टेबल कह सकता हूं। यस सर। यह वाला रिलेटिव टू ये वाला। इसके इसके कंपैरिजन में ये लेस स्टेबल कह सकता हूं। अगर मोर स्टेबल है तो क्या मैं इसको मोर एसिडिक कह सकता हूं? प्रोडक्ट स्टेबल है। सुनना ध्यान से। प्रोडक्ट स्टेबल है। यानी कि आसानी से H+ दे रहा होगा। यानी कि मोर एसिडिक। यह लेस एसिडिक। क्या यह बात सही है? क्या यह बात सही है? सुन लीजिए यहां इंट्रा बॉन्डिंग हो रही है तो ये ज्यादा एसिड ज्यादा स्टेबल है। ज्यादा स्टेबल वाला ज्यादा एसिडिक कम स्टेबल वाला कम एसिडिक तो आप ध्यान से देख लें अगर हाइड्रोजन बॉन्डिंग तुम्हारी प्रोडक्ट में हो रही है यानी कि रिएक्टेंट ने H+ निकाल दिया होगा ना यानी कि H+ तेजी से निकल रहा होगा तभी तो स्टेबल बन रहा है। बात सही है ना? स्टेबल बन रहा है। हाइड्रोजन बॉन्डिंग आ रही है। चिलेशन हो रहा है। अच्छी बात होती है। स्टेबिलिटी प्रदान करता है ये। समझे? यह खेल है। तो हाइड्रोजन बॉन्डिंग से एसिडिक स्ट्रेंथ बढ़ गई। इस वाले एग्जांपल में। अब सुनना जरा डिक्रीज कहां होती है? अगला एग्जांपल। अगला एग्जांपल देखो। अगर मान लो मैं यहां पर ऑर्थो पे NO2 लगा दूं। और इसी का मान लो एक मैं आइसोमर ले लूं। पोजीशन आइसोमर पैरा पे NO2 लगा दूं। मुझे बताओ यहां से H+ निकाल के और यहां से H+ निकाल के यहां से H+ निकलेगा तो ऐसा दिखेगा और यहां से H+ निकलेगा तो ऐसा दिखेगा। अब जरा ध्यान से सुनिएगा। यहां पर रिएक्टेंट में ही हाइड्रोजन बॉन्डिंग है। रिएक्टेंट में ही हाइड्रोजन बॉन्डिंग है तो यह आसानी से नहीं निकलेगा। थोड़ा मुश्किल रहेगा। ऐसा भी नहीं है कि निकलेगा नहीं। हाइड्रोजन बॉन्डिंग उतना स्टंग भी नहीं होता। लेकिन हां इसके कंपैरिजन में इसको देखोगे तो ये हाइड्रोजन बॉन्डिंग में इन्वॉल्व हो रहा है। देखो अगर मैं इन दोनों को कंपेयर कराऊं तो यहां हाइड्रोजन बॉन्डिंग आ रही है और हाइड्रोजन बॉन्डिंग रिएक्टेंट में हो रही है तो आसानी से नहीं निकलेगा। यानी कि ये लेस एसिडिक हो गया। क्योंकि हाइड्रोजन बॉन्डिंग में कुछ ना कुछ हद तक ये ट्रैप है। फंसा हुआ है और यह मोर एसिडिक है। समझे? समझे? तो पैरा वाला ज्यादा है कंपैरिजन टू ऑर्थो। और अगर मान लो कभी मेटा तुम्हें कंपेयर कराना है तो मेटा पीछे आ जाएगा। क्यों? क्योंकि मेटा पे तो m इफेक्ट भी नहीं लगता ना i लगता है। है ना? मेटा पे ना m लगता है ना i लगता है। तो ये इंपॉर्टेंट पॉइंट नंबर टू था कि हाइड्रोजन बॉन्डिंग से यहां क्या हो रहा है? देखो यह मैंने कौन सा वाला बताया कि जहां पर इनक्रीज होती है। है ना? ये इनक्रीज वाला है और ये हाइड्रोजन बॉन्डिंग से डिक्रीज वाला है। आप दोनों में अंतर बता दो मेरे को क्या अंतर है? सोचो। कोई बता सकता है क्या अंतर था? कार्बोक्सिलिक एसिड में और फिनोल में क्या अंतर था? बताओ। कार्बोक्सिलिक एसिड में हाइड्रोजन बॉन्डिंग प्रोडक्ट में हो रही थी और प्रोडक्ट में हाइड्रोजन बॉन्डिंग होना अच्छी बात है क्योंकि H+ निकलने के बाद हो रही है। जबकि फिनोलिक वाले केस में क्या हो रहा है? हाइड्रोजन बॉन्डिंग रिएक्टेंट में हो रही है जो कि गंदी बात है। H निकलना था लेकिन वही ट्रैप हो गया। ठीक है? समझे बात को? चलिए तो ये हो गया आपका पॉइंट नंबर टू। तीसरा पॉइंट देखिए। इंपॉर्टेंट पॉइंट ऑर्थो इफेक्ट। ठीक है? ध्यान से सुनिएगा। अगर मैं ऑर्थो इफेक्ट की आपसे बात करूं। ठीक? तो, ऑर्थो इफेक्ट क्या कहता है? यह कहता है कि एसिडिक स्ट्रेंथ ऑफ ऑर्थो सब्स्टट्यूटेड एरोमेटिक कार्बोक्सिलिक एसिड इंक्रीसेस। इनका ये कहना है कि ऑर्थो सब्स्टिट्यूटेड की वजह से इंक्रीज हो जाती है एसिडिक स्ट्रेंथ। एरोमेटिक कार्बोक्सिलिक एसिड में। आइए जरा ध्यान से देखिए। क्या कहानी है यहां पर? सुनिएगा जरा ध्यान से। मेरे पास यह कार्बोक्सिलिक एसिड है जिसमें मैंने ऑर्थो पे कुछ नहीं लगाया। तभी तो मैं कंपेयर करा पाऊंगा। मैंने यहां कुछ नहीं लगाया। कुछ नहीं लगाया। कुछ नहीं लगाया। H+ निकाल सकते हो आप? बिल्कुल निकाल लो। H+ निकाल सकते हो? बिल्कुल निकाल लो। ठीक? और मैंने यहां पर मैंने यहां पर कोई ऐसा ग्रुप लगा दिया जिसके अंदर स्टेरिक हिंडरेंस है। जिसके अंदर स्टेरिक हिंडरेंस है। यहां मैंने कोई ग्रुप ऐसा लगा दिया जिसके अंदर स्टेरिक हिंडरेंस है। बलकीनेस है। बड़ा ग्रुप है ये जो COH को रिपेल कर सकता है। बड़ा ग्रुप है। ये G वाला। इस COH को रिपेल कर सकता है। H निकलेगा। हालांकि H ऐसा थोड़ी कि H नहीं H निकलेगा। लेकिन यह g इसको रिपेल कर देगा और रिपेल कर देगा तो इसका प्लेन चेंज कर देगा। तो सर ये जी ग्रुप कौन से हो सकते हैं जो रिपेल करते हैं? बेटा रिपेल करने वाले बहुत हैं ना करने वाले कम है वो ध्यान रख लो। G क्या नहीं हो सकता? HD टी FOH, NH2CN ठीक है? ये वाले ग्रुप आपको दिखेंगे। तो ये G नहीं हो सकते। इसके अलावा सब बलकी हैं। ये नॉन बलकी ग्रुप हैं। तो नॉन बलकी कम ध्यान रखने हैं तो नॉन बलकी कम ध्यान रख लो। तो इसके अलावा सब बलकी हैं। बलकी में कौन-कौन से हो सकते हैं? G में आपको क्या-क्या दिख सकता है? आपको NO2 दिख सकता है, अल्काइल दिख सकता है, COH दिख सकता है, CHO दिख सकता है। इस टाइप के बलकी ग्रुप दिख सकते हैं आपको, है ना? अब जरा कहानी समझिएगा ध्यान से। जी ग्रुप क्या है? बलकी ग्रुप है। बलकी ग्रुप रिपेल करता है। तो, ऐसा क्या हुआ? आइए, समझना जरा। इधर से समझते हैं शुरू से। इसने अपना एच प्लस दिया। ठीक है? तो बताओ ये एनायन हमें चेक करना स्टेबल है कि नहीं है? तो ये एनायन रेजोनेंस करने जा रहा है। कहां जा रहा है? C डबल ब्ड O के साथ। लेकिन जैसे ही ये एनायन ऑक्सीजन रेजोनेंस करने जाएगा बेंजीन बोलेगी हम भी तो हैं। बेंजीन बोलेगी हम भी तो हैं। हम भी करेंगे। तो ये रेजोनेंस करने जब जा रहा है तो बीच-बीच में बेंजीन टांग अड़ा रहा है। तो ये O नेगेटिव की जीवन में समस्या है और इसका जीवन का समस्या बेंजीन। इसको बेंजीन से बदला लेना है। इसको बेंजीन से बदला लेना है। क्यों? क्योंकि इसके रेजोनेंस को बेंजीन डिस्टर्ब कर रही है। क्रॉस कर रही है। इसको देखो यह जब रेजोनेंस करने जा रहा है तो यह बोलेगा हम भी करेंगे। तो बेंजीन के साथ ऑक्सीजन नेगेटिव की दुश्मनी है। तो इसको अपनी दुश्मनी निभानी है। मतलब बदला लेना है। कैसे बदला लेना है? O नेगेटिव जो है वो G को ढूंढ के लाता है। बड़ी दूर-दूर यात्राएं करके। तो इसको बलकी ग्रुप मिलते हैं और बलकी ग्रुप के बारे में ये जानता है कि अगर यह जी ग्रुप आ जाए, जी ग्रुप आ जाए तो यह हमारे ग्रुप को रिपेल करके हमको अलग प्लेन में कर देगा। हमारा मस्त रेजोनेंस होगा। बेंजीन रेजोनेंस नहीं करेगी। क्यों? क्योंकि रेजोनेंस के लिए प्लेनरिटी जरूरी है। प्लेनर होने चाहिए ना। पैरेलल p ऑर्बिटल होने चाहिए। तो हमारे पी ऑर्बिटल की पोजीशन चेंज कर दें। कौन? जी ग्रुप। तो क्या होगा? g ग्रुप इसको रिपेल करेगा। और जी ग्रुप इसको रिपेल कर रहा है और रिपेल करके इसने अलग वाले उसमें प्लेन में ले आया। जैसे अगर मैं आपसे बोलूं इधर इन इनका प्लेन सेम है। मतलब इस वाले ग्रुप का और इसका प्लेन सेम है। ठीक है? इसका प्लेन सेम है। तो ये सेम प्लेन में है। जबकि यहां क्या है? मान लो इसका प्लेन ये है बेंजीन का। ठीक? तो इनका प्लेन बदल गया। इसने इसको परपेंडिकुलर प्लेन में कर दिया। तो अब क्या होगा? अब क्या होगा? ये पूरा ग्रुप तो सेम ही प्लेन में है ना? पलट गया तब भी सेम प्लेन रहेगा इसका। तो यह मस्त रेजोनेंस करेगा। लेकिन बेंजीन का प्लेन और इस ग्रुप का प्लेन चेंज हो गया है। तो अब बेंजीन का इसके साथ रेजोनेंस नहीं हो पाएगा। तो बेंजीन बोलेगी जी तुम बेवफा हो। जी तुम बेवफा हो। क्यों? क्योंकि बेंजीन बोलेगी जिस थाली में खाया उसी में ही छेद कर दिया तुमने। मैंने तुम्हें अपने घर में पनाह दी। मैंने तुम्हें अपने घर में पनाह दी। देखो बेंजीन के ऑर्थो पोजीशन पे जी ग्रुप लगा है तो बेंजीन के घर में ही बैठा हुआ है ये और तुमने मेरा ही रेजोनेंस बंद कर दिया बहुत बेकार हो तुम ओ नेगेटिव बोलेगा हो गई तेरी बल्लेबले हो जाएगी बल्लेबले देखो ओ नेगेटिव की तो बल्लेबले हो गई ना क्यों अब मस्त रेजोनेंस कर रहा है कह रहा और कोई बीच में नहीं आएगा और कोई बीच में नहीं आएगा समझे बात इसका मतलब क्या हुआ इसकी बल्लेबले हो गई और बल्लेबले ही तो करानी थी ओ नेगेटिव का ही तो रेजोनेंस स्टेबल कराना था। इसको भी तो स्टेबल कराना था। यानी कि ये O नेगेटिव है मोर स्टेबल और ये वाला O नेगेटिव लेस स्टेबल। अब मुझे एक बात बताओ क्या इस बात से फर्क पड़ेगा कि g ग्रुप + mm है या -m है? नहीं। इस बात से फर्क पड़ेगा कि g ग्रुप बलकी है कि नहीं। चाहे तुम्हारा कैसा भी ग्रुप हो। चाहे वो +m हो, चाहे वो -m हो। कैसा भी ग्रुप हो। है ना? आपका ग्रुप कैसा भी हो। आपका ग्रुप कैसा भी हो, कैसा भी ग्रुप हो, उससे फर्क नहीं पड़ेगा। बस ग्रुप बल्कि होना चाहिए। समझे बात? समझे बात? ये कहानी है। तो ऑर्थो इफेक्ट क्या कहलाता है? एसिडिक स्ट्रेंथ ऑफ ऑर्थो सब्स्टट्यूटेड एरोमेटिक कार्बोक्सिलिक एसिड इंक्रीसेस। इस वजह से बढ़ती है। और ऑर्थो इफेक्ट इज़ अ टाइप ऑफ एसआईआर इफेक्ट। यह एसआईआर इफेक्ट का ही एक टाइप है। कार्बोक्सिलिक एसिड में इसका नाम ऑर्थो इफेक्ट बोलते हैं। एसआईआर क्या होता है? स्टेरिक। इनहबिशन इन रेजोनेंस मतलब स्टेरिक फैक्टर की वजह से बलकी ग्रुप की वजह से रेजोनेंस में रुकावट ठीक है ठीक आए समझे खेला तो ऑर्थोफेट के आ जाने से बेंजीन का रेजोनेंस बंद हो जाता है जो कि अच्छी बात है क्योंकि इस ओ नेगेटिव को स्टेबल करना था हमें ठीक चलिए आगे आगे बढ़ते हैं। ये वाला पॉइंट मैंने पीछे कवर करा दिया। अब यहां लिखा हुआ है तो लिख लेते हैं। m > i होता है। +m > -i नाइट्रोजन एंड ऑक्सीजन वाले ग्रुप्स के लिए और -i > +m हैलोजंस के लिए। है ना? ये होता है। ये पीछे लिख चुके हैं। वैसे हैलोजंस का -i डोमिनेट करता है। चलिए इनमें से कौन-कौन से स्टेटमेंट करेक्ट हैं? करेक्ट स्टेटमेंट बताइए जरा। यह अभी थोड़ी देर पहले मैंने आपको बताया हुआ है। जो रिंग में इलेक्ट्रॉन डेंसिटी बढ़ा रहे हैं। देखो इलेक्ट्रॉन डेंसिटी अगर बढ़ाएं बेंजीन की रिंग में सोचना है। है ना? इलेक्ट्रॉन डेंसिटी बढ़ाएं तो एक्टिवेटिंग मतलब रिंग को एक्टिवेट करना है। मतलब रिंग पर नेगेटिव चार्ज लाना है ताकि इलेक्ट्रोफाइल आ पाए। इलेक्ट्रॉन डेंसिटी बढ़ाने वाले एक्टिवेटिंग और इलेक्ट्रॉन डेंसिटी कम करने वाले डीएक्टिवेटिंग। ठीक बताइए और +m वाले तो पता ही है +m वाले ऑर्थो पैरा है और माइनस वाले मेटा डायरेक्टिंग ये तो जानते ही हो बोलिए बोलिए बेटा यही बेसिक है इससे ज्यादा बेसिक नहीं है फिर ज्यादा बेसिक एसिडिक हो जाएगा तुम्हारे लिए चलिए OC3 NHCOCH3 थ्री आर एक्टिवेटिंग ग्रुप्स। हां या ना? बताइए। एक्टिवेटिंग ग्रुप क्या होते हैं? जो इलेक्ट्रॉन डेंसिटी बढ़ाएं। बताइए जरा। इलेक्ट्रॉन डेंसिटी बढ़ाने वाले कौन से होते हैं? +m वाले। है ना? +m +i इलेक्ट्रॉन डेंसिटी बढ़ाते हैं। -m -i इलेक्ट्रॉन डेंसिटी कम करते हैं। सीधी सी बात है। बोलो। तो ये +m है। ये +m है। आर एक्टिवेटिंग ग्रुप। पहला स्टेटमेंट सही है। करेक्ट है। CN एंड OH आर मेटा डायरेक्टिंग। गलत बात है। CN मेटा डायरेक्टिंग है। क्यों? -m है तो मेटा डायरेक्टर है। m डायरेक्टर और ये +m है तो OP डायरेक्टर है। ये तो ये गलत हो गया। CNSO3HR मेटा डायरेक्टिंग बिल्कुल सही है। ये भी -m ये भी -m सी वाला सही है। एक्टिवेटिंग ग्रुप एक्ट एज ऑर्थो पैराडायरेक्टिंग। बिल्कुल सही बात है। क्यों? क्योंकि ये एक्टिवेटिंग वाले कौन से कहलाएंगे? +m +i वाले कहलाएंगे। ऑर्थो पैराडायरेक्टिंग कहलाएंगे। ठीक है? और बताओ। हैलाइड्स आर एक्टिवेटिंग। गलत बात। हैलाइड्स में हैलोजन में अभी बताया मैंने। -i > + m होता है। तो जब रेट ऑफ रिएक्शन सोचोगे तो -i सोचोगे तो ये डीएक्टिवेटिंग होते हैं। है ना? मतलब ये खींच लेते हैं। एक्टिवेटिंग नहीं कहलाते। ई हटा दो आप। तो ए सी डी आंसर आ जाएगा। ए सी डी ओनली ए आ जाएगा आंसर। ठीक है? चलिए आगे चलते हैं। अब आपने इंपॉर्टेंट पॉइंट्स पढ़ लिए। सारे ओपी पॉइंट्स कवर हो गए। अब तुम एप्लीकेशन पढ़ोगे तो एकदम क्लेरिटी से सवाल बनेंगे। अब एकदम फटाफट सवाल बनना चालू हो जाएंगे। सिंपल सी बात है। आपको एसिडिक स्ट्रेंथ कंपेयर करानी है। तो मुझे एक बात बताओ। एसिडिक स्ट्रेंथ इज डायरेक्टली प्रोशनल टू -m -i +m और +i सही बात है। अब आप मेज़ोमेरिक का एप्लीकेशन पढ़ रहे हो। आपने इंडक्टिव में भी पढ़ लिया था। लेकिन मेज़ोमेरिक पढ़ने के लिए इंडक्टिव भी आना चाहिए क्योंकि इंडक्टिव का भी यूज़ होता है यहां। और इंडक्टिव तुम पहले ही पढ़ चुके हो एप्लीकेशन है ना? तो अब आपके लिए बहुत आसान हो गया। अब सवाल जल्दी-जल्दी बनेंगे। है ना? तो एसिडिक स्ट्रेंथ -i +i वाला तो पढ़ ही लिया था। अब -m +m आ गया तो वही है सेम टू सेम। -m वाला एसिडिक स्ट्रेंथ बढ़ाएगा +m वाला कम करेगा। अब आप ध्यान से सुनिएगा। सवालों को तुम कैसे करोगे? देखो मैं आपको कुछ सवाल करके बता रहा हूं। मान लो एग्जाम में ये सवाल आया। ठीक है? सवाल ये आया। ठीक है? रोहित जी हाइपर कंजुगेशन अभी आएगा। पहले रेजोनेंस खत्म कर दें। द डिक्रीजिंग ऑर्डर ऑफ एसिडिटी बतानी है। अब मुझे एक बात बताओ ग्रुप कहां लगे? पैरा पर। और कभी भी यह सवाल करो डोमिनेटिंग इफेक्ट से करना है। कभी भी एसिडिक स्ट्रेंथ के सवाल डोमिनेटिंग इफेक्ट डोमिनेटिंग इफेक्ट लगाएंगे। है ना? डोमिनेटिंग इफेक्ट कौन सा है? पैरा पोजीशन पर। चलिए बताइए। NO2 का क्या होता है सर? -m होता है और -i होता है। और जब दोनों साइन सेम है तो भैया - ज्यादा होगा। सही बात है। साइनाइड क्या होता है? -m होता है और -i होता है। तो -m ज्यादा है। CH3 ग्रुप अभी मैं थोड़ी देर के लिए बता देता हूं। ये +h होता है। ठीक है? अभी हाइपर कंजगेशन आएगा। अभी मैं बता देता हूं ये +h होता है। ठीक है? ये CH3 जो है वो +H होता है। या एक काम करूं मैं थोड़ा सवाल चेंज कर देता हूं ताकि आपको दिक्कत O CH3 वैसे होना चाहिए यहां पर। क्योंकि अभी हाइपर पढ़ा नहीं ना। मैं O CH3 कर देता हूं यहां। इससे थोड़ा ज्यादा क्लेरिटी रहेगी क्योंकि फिर हाइपर कंजुगेशन अभी पढ़ा नहीं है तो वो पढ़ोगे तब कर पाओगे। चलिए भाई OCH3 कर दिया मैंने। अब बताओ जरा OC3 क्या है? +m > -i ठीक है? और NH2 क्या है? NH2 है आपका + M > -i। क्या ये बात सही है? ठीक है? क्या ये बात सही है? अब मुझे एक बात बताना। अब मुझे एक बात बताना एसिडिक स्ट्रेंथ किसके डायरेक्टली प्रोपोर्शनल होती है? -m वालों के। तो इतना कंफर्म है कि P और Q का ज्यादा होगा। अब मुझे बताओ NO2 और CN में -m पावर किसकी ज्यादा है? ऑब्वियसली NO2 की -M पावर ज्यादा है। यानी कि P ज्यादा होगा Q से। क्या ये बात सही है? इतना P ज्यादा होगा Q से। ये बात सही है? है ना? P ज्यादा होगा Q से। ये बात सही है। अब मुझे R और S में चेक करना है तो R और S में + M पावर चेक कर लो। + M पावर किसकी ज्यादा बताइए? OCH3 में और NH2 में +M पावर किसकी ज्यादा है? इसकी ज्यादा है। नाइट्रोजन की ज्यादा होती है ऑक्सीजन से + MM पावर। तो +m पावर अगर NH2 की ज्यादा है तो इसकी एसिडिक स्ट्रेंथ कम हो जाएगी। तो PQRS आ जाएगा। देखिए जरा। PQRS आ जाएगा। ए आंसर चेक कर लें। NH2 की +nm पावर ज्यादा। एसिडिक स्ट्रेंथ तो इन्वर्सली प्रोपोर्शनल होता है प्लस वाले ग्रुप्स के। है ना? ठीक है? क्लियर है? एकदम ठीक है। तो यह कहानी है। तो PQRS आपका आंसर आ जाएगा। ये ठीक। तो NO2 की -m पावर ज्यादा है तो सबसे ज्यादा एसिडिक होगा और NH2 की +m पावर ज्यादा है तो पीछे आ जाएगा। हां बेटा, डिक्रीजिंग ही तो लिखा है। और क्या लिखा है? चलिए, अगला सवाल करेंगे एक और। द थ्री एसिड आर गिवन बिलो द ऑर्डर ऑफ देयर एसिडिक नेचर। अब ध्यान से सुनिएगा मेरी बात। अभी आपने ऑर्थो इफेक्ट पढ़ा तो ऑर्थो इफेक्ट से एसिडिक स्ट्रेंथ बढ़ जाती है। ऑर्थो इफेक्ट से एसिडिक स्ट्रेंथ बढ़ जाती है। हां या ना? ऑर्थो इफेक्ट से एसिडिक स्ट्रेंथ क्या होती है? बढ़ती है। अब आप चेक करो। यहां देखो आप एक ऑर्थो इफेक्ट लग रहा है। एक बार लग रहा है। यहां दो बार लग रहा है। यहां दो बार लग रहा है। तो भैया रिपल्शन ज्यादा कहां लग रहा है? इधर कंपैरिजन टू दिस। यहां एक बार लग रहा है। यहां तो लग ही नहीं रहा। तो 3 1 2 आ जाएगा आंसर। सी आंसर। जितना ज्यादा ऑर्थो इफेक्ट लगेगा जल्दी प्लेन चेंज होगा। और जितना जल्दी प्लेन चेंज होगा O नेगेटिव की बल्लेबले हो जाएगी। समझे? O नेगेटिव की बल्लेबले हो जाएगी। इस तरीके से आप करते हो सवाल। अगला देखो जरा टू कंपेयर एसिडिक स्ट्रेंथ ऑफ फिनोल। अगर मुझे फिनोल की एसिडिक स्ट्रेंथ कंपेयर करानी है तो मुझे क्या करना होगा? बहुत आसान सी बात है। मान लो मैं आपको एक ऐसे ही सवाल देता हूं। मैंने 3 NO2 लगा दिए। तो भैया -m जैसे आपका वो होता है कार्बोक्सिलिक में वही है कि भैया डायरेक्टली प्रोपोर्शनल टू -m -i और इन्वर्सली टू +m +i एसिडिक स्ट्रेंथ है ना? तो मुझे बताओ क्या मैं यह सही लिख रहा हूं? और फिनोल की एसिडिक स्ट्रेंथ अल्कोहल से तो ज्यादा ही होगी ना। क्योंकि फिनोल में वो नेगेटिव रेजोनेंस कर रहा है। अल्कोहल में नहीं करता। क्या ये बात एकदम क्लियर है? 3 NO2 लगे होंगे तो ज्यादा एसिडिक करेंगे। फिर दो NO2 और एक NO2 में पमपम पैरा ऑर्थोमेटा सिंपल है एकदम। ये तो पमपम हो गया पैरा और तो मेटा और दो NO2 फिर सबसे ज्यादा 3 NO2 इसमें कोई दिक्कत है क्या जितने ज्यादा इलेक्ट्रॉन विड्रॉइंग ग्रुप लगा दोगे उतना मजा है बल्ले बल्ले ठीक सर अगर इलेक्ट्रॉन विथड्रॉइंग ग्रुप नहीं आए कुछ और आ गया तो सिंपल सी बात है कंपेयर करा लेंगे जैसे मान लो मान लीजिए एक सवाल मैं ऐसे दे रहा हूं यहां मैंने OC3 लगा दिया और यहां NO2 लगा दिया। बताओ कौन ज्यादा एसिडिक है? बोलिए। कौन ज्यादा एसिडिक है सर? ये वाला। क्यों? क्योंकि ये +m है। > -i और ये -m है। > -i -m > -i -m वाला आगे आ गया +m से। डोमिनेटिंग इफेक्ट से कर लोगे। ठीक है? समझे खेल? सिंपल है एकदम। चलिए अब कुछ सवाल करके बताइए आप मुझे। यह कुछ सवाल हैं। करके बताएं। और यहां ऑप्शन वैसे अगले पेज पर है लेकिन आप कर दो। इंक्रीजिंग ऑर्डर सेट करना है। इंक्रीजिंग ऑर्डर सेट करना है। अच्छा पहला वाला अल्कोहल है। अल्कोहल पीछे आता है कंपैरिजन टू फिनोल। फिनोल ज्यादा एसिडिक होता है अल्कोहल से क्योंकि यहां रेजोनेंस नहीं होता O नेगेटिव का। कम से कम यहां सभी में O नेगेटिव रेजोनेंस तो कर रहा है ना। चलिए इंक्रीजिंग ऑर्डर सेट करिए। कम से ज्यादा की ओर बढ़ते हुए क्रम में इनको जमाइए। हो गया। सबसे कम ये वाला क्यों अल्कोहल है भाई ये वाला अल्कोहल है ना बाकी सारे फिनोल है फिनोल में कम से O नेगेटिव रेजोनेंस तो कर रहा है H+ निकालने के बाद यहां तो रेजोनेंस ही नहीं है। अब इन सब में देखो जरा। अब देखो जरा यह क्या लगा? -m > -i +m > -i आय हाय दो-दो जगह e वाला तो सबसे आगे कर दूं? दो-दो जगह मिल गया मुझे -m ये भी -m, ये भी -m ठीक? A के बाद मैं c कर दूं क्या? क्योंकि +m वाला है। फिर न्यूट्रल वाला कर दूं d वाला। और फिर b कर दूं? चेक करना जरा। B में कम से कम एक NO2 तो है। देखो ए सी डी बी ई ए सी डी बी ई डी आंसर चेक कर लें। आया आपका वेरी गुड वेरी नाइस। अगला सवाल आपके सामने इथेनॉल फिनोल मेटा नाइट्रोफिनोलॉल पैरा नाइट्रो फिफिनोल। पीके वैल्यू ध्यान से सुनना। पीके वैल्यू यानी कि एसिडिक स्ट्रेंथ डायरेक्टली प्रोपोर्शनल टू K इन्वर्सली प्रोपोर्शनल टू PK मतलब जिसकी पीके वैल्यू ज्यादा है वो कम एसिडिक होगा। ठीक है? करें ट्राई मैच करा दें जरा। अल्कोहल तो बेटा वैसे ही कम होगा फिनोल से। अल्कोहल की एसिडेंस फिनोल से कम होगी। बताओ कह दो ना बोलो महाराज का आंसर सही होने में बहुत खुशी होती है। बहुत बढ़िया। खुशी होनी चाहिए। सबसे कम एसिडिक इथेनॉल होगा पता है क्योंकि ये ज्यादा एसिडिक होंगे। फिनोलॉल तो ज्यादा एसिडिक होगा तो 15.9 इसी का मैच करा दो। इनमें से सबसे ज्यादा एसिडिक कौन सा है? पमपम। उसकी पीके वैल्यू कम होगी। तीन आ जाएगा। तीन के बाद आ जाएगा 8.3 इसका चार का क्योंकि नाइट्रो वाले तो आगे होंगे ना फिनोल से। 2 1 4 3 2 1 4 3 डी आंसर क्या बात कर रहे हो गजब गजब गजब गजब चलिए एक असरशन रीजन और हो जावे चलिए असरसन रीजन और हो जावे एक थोड़ा ध्यान से करिएगा फैल मत जाइएगा फैल ना जाइए अंकल जल्दी बताइए। सोचो क्या लग रहा है? द एसिडिक स्ट्रेंथ ऑफ़ मोनोसिट नाइट्रोफिनोल इज़ हायर देन फिनोल बिकॉज़ ऑफ़ इलेक्ट्रॉन विथड्रॉइंग नाइट्रो ग्रुप। सही बात है। पहला सही है। क्योंकि ये -m ग्रुप है और -m ग्रुप के आने से इलेक्ट्रॉन विथड्रॉइंग पावर बढ़ गई तो एसिड स्ट्रेंथ बढ़ जाएगी। ठीक है? ऑर्थोमेटा पैरा सेम एसिडिक स्ट्रेंथ थोड़ी होती है। पमपम होता है। चेन्नई इज द राइट आंसर। ठीक है? आइए अगला चलते हैं एप्लीकेशन। अब मेजोमेरिक में बेसिक स्ट्रेंथ। ठीक है? फिर उसके बाद हाइपर कंजगेशन आएगा। लास्ट बेसिक स्ट्रेंथ और कर लो। आओ जरा इधर आओ। इधर देखो। बेसिक स्ट्रेंथ से क्या तात्पर्य है? तुमने इंडक्टिव में भी अभी पढ़ा अभी थोड़ी देर पहले है ना? बेसिक स्ट्रेंथ से यह तात्पर्य है कि नाइट्रोजन को अपना लोन पेयर किसे देना है? H+ को देना है। यही कराते हो तुम। यही कराते हो तुम? तो मैं ये कहूंगा कि नाइट्रोजन के लोन पेयर की अवेलेबिलिटी मतलब इसकी अवेलेबिलिटी ज्यादा होगी तो बेसिक स्ट्रेंथ ज्यादा होगी। यही बात है ना? मतलब नाइट्रोजन को तुम इलेक्ट्रॉन देने वाले ग्रुप लगा दो। इलेक्ट्रॉन देने वाले लगा दोगे तो नाइट्रोजन एकदम उछल जाएगा। कहेगा अरे मेरे सपोर्ट में बहुत है। मेरे सपोर्ट में इतने सारे लोग हैं। इतने सारे स्ट्रांग इफेक्ट है जो इलेक्ट्रॉन दे रहे हैं। आओ H+ हम तुमको अपना लोन पेयर देते हैं। ठीक है? ये कहानी है। तो आप कैसे चेक करोगे? उसके लिए कुछ इंपॉर्टेंट पॉइंट्स देख लीजिए। आपको कैसे चेक करना है? अवेलेबिलिटी ऑफ़ लोन पेयर ऑन नाइट्रोजन अगर होगा तो मोर विल बी द बेसिसिटी। जितनी ज्यादा अवेलेबिलिटी होगी उतनी ज्यादा बेसिसिटी होगी। और मैं इसको इस तरीके से कनेक्ट कर सकता हूं कि अवेलेबिलिटी कौन बढ़ाएगा भैया? इलेक्ट्रॉन देने वाले ग्रुप बढ़ाएंगे। सही बात है। इलेक्ट्रॉन देने वाले ग्रुप बढ़ाएंगे। खींचने वाले कम करेंगे। क्या आप मेरी बात से इत्तेफाक रखते हैं? इलेक्ट्रॉन अगर तुम देने वाले ग्रुप लगाओगे तो नाइट्रोजन के लोन पेयर की अवेलेबिलिटी बढ़ेगी ना। भाई नाइट्रोजन का लोन पेयर खुश हो जाएगा एकदम कि मेरे पास ऐसे ग्रुप लगे हैं जो मेरी इलेक्ट्रॉन डेंसिटी को बढ़ा के रखते हैं। मैं H+ को अपने इलेक्ट्रॉन दे दूंगा। सही है? सेकंड पॉइंट देखिए। लोकलाइज़ लोन पेयर की बेसिसिटी ज्यादा होगी। डीलोकलाइज से क्या ये बात सही है? एकदम 100% सही है। मान लो मेरे पास ऐसा लिखा है और मेरे पास ऐसा लिखा है। बताओ। बताओ लोका और डीलोका कौन-कौन से हैं? यह लोन पेयर लोकलाइज है। यह लोन पेयर डीलोकलाइज है। तो, यह बोलेगा H+ से। H+ इसके दरवाजे पर खड़ा होगा। कहेगा मालिक मेरी मदद करो। बोलेगा मैं खुद यहां पर रेजोनेंस कर रहा हूं। तुम्हारी मदद करूंगा लेकिन बहुत देर बाद। यह बोलेगा जब H+ इसके दरवाजे पे खड़ा होगा। कहेगा मालिक यह कहेगा आइए। हम कौन सा कहीं जा रहे हैं? हम तुम्हें ही देंगे अपना लोन पेयर। है ना? सही बात है ना? तो लोकलाइज़ वाला कुछ नहीं है। जीवन में कुछ भी नहीं है। इसके कोई काम नहीं है। लोकलाइज़ वाला बैठा हुआ है आराम से। और भाई क्या समस्या है जीवन की लोन पर चाहिए ले लीजिए डीलोकलाइज वाला कहेगा मैं बहुत बिजी हूं भाई अपने जीवन में ही अपनी जिंदगी में बिजी हूं मैं तुम्हें कहां से अपना लोन पर दूंगा है ना तो आसानी से नहीं दे पाएगा समझे खेल ठीक कहा है अगला देखिए कुछ ऐसे ग्रुप होते हैं जिनको नाम से तो नहीं पूछते लेकिन सवालों में डाल सकते हैं यह लोग है ना जैसे ग्वानिडीन ग्रुप होता है। आपको कभी सवाल में ऐसे बना के दे सकते हैं। ग्वानिडीन ग्रुप ऐसा कहलाता है। ठीक है? ये सबसे ज्यादा बेसिक ग्रुप होता है। ठीक? अमाइडीन क्यों होता है ऐसा? इन तीनों में लोकलाइज़ लोन पेयर कहां पर है? इधर। तो ये अपना लोन पेयर H+ को जब देता है तो जो कंजुगेट एसिड बनता है उसको ये अपने लोन पेयर से स्टेबलाइज कर देते हैं। फिर अमाइडीन आता है। अमाइडीन में भी कुछ ऐसा ही है। बस यहां पर रेजोनेंस ज्यादा है। यहां रेजोनेंस कम है। तो लोन पेयर यही देता है अपना। लेकिन जब यह प्रोटोनेट हो जाएगा ना H+ को दे के तो ये रेजोनेंस एक बार करेगा। यहां प्रोटोनेट हो जाएगा तो ये रेजोनेंस दो बार करेगा। तो इसलिए ये ज्यादा स्टेबल हो जाएगा। तो ज्यादा बेसिक हो जाएगा। अमीनस की बात करें तो RNH2 ठीक? अमीनस आगे आएंगे। फिर इमीन की बात करें तो RCHNH ये आएगा। अमाइड की बात करें तो यह आएगा और साइनाइड की बात करें तो यह आएगा। सर बाकियों के रीज़न क्या है? इसका रीज़न तो ये है कि जो इसका क्जुगेट एसिड होगा वो रेजोनेंस स्टेबलाइज़ रहेगा। सुन लो ध्यान से। इसका क्जुगेट एसिड रेजोनेंस स्टेबलाइज़ रहेगा दोनों तरफ से। और सर क्जुगेट एसिड क्या होगा? इसका कॉन्जुगेट एसिड ये होगा। H+ को ही तो इलेक्ट्रॉन देना है। तो ये दोनों जगह से स्टेबल रहेगा। इधर से भी इधर से भी। इसका कॉन्जुगेट एसिड ये बनेगा। ये एक जगह से स्टेबल रहेगा। सही बात है? इन दोनों में रीज़न समझ गए? अब अमीनस और अमाइड वगैरह और एमाइड वगैरह में क्या होता है? ध्यान से देखो। यहां हाइब्रिडाइजेशन sp3 है। नाइट्रोजन का। यहां sp2 है। यहां sp2 है और यहां sp है। तो sp3 वाला आसानी से अपना लोन पेयर देगा। कंपैरिजन टू sp2 फिर sp क्योंकि s करैक्टर बढ़ेगा। इलेक्ट्रोनेगेटिव बढ़ेगी। डोनेशन आसान नहीं होगा। ठीक है? क्योंकि स्टेबल रहेगा ना। अब इन्होंने sp2 में कैसे चेक करा? इसका लोन पेयर रेजोनेंस करके O पर चला जाएगा और O पर नेगेटिव आने का मतलब ज्यादा स्टेबल है इसके मुकाबले में। ठीक है? तो इसलिए ऑर्डर लिखा गया पूरा। सारे रीज़न आपको समझ में आ गए ये। ठीक? और अगर मान लो एलीिफेटिक एरोमेटिक अमीन की बात कर लें तो वो तुम लोकलाइज़ डीलोकलाइज से ही कर लोगे इससे। देखो इस वाले से ही हो जाएगा। मान लो यहां मैं एक सवाल आपको ऐसा दे दूं कि ये एक एलीफैटिक अमीन है। और ये एरोमेटिक अमीन है। बताओ कौन ज्यादा बेसिक है? ये तो लोकलाइज़ डीलोकलाइज सही हो जाएगा। ये लोकलाइज़्ड है। इसका लोन पेयर रेजोनेंस में डीलोकलाइज़्ड है। तो लोकलाइज़ वाला ज्यादा होगा डीलोकलाइज़ से। ठीक है? क्लियर है? डन छह। बहुत आसान। आगे चलते हैं आगे। इसमें एक एसआईआर इफ़ेक्ट भी होता है। अमीनस की बेसिटी में एसआईआर इफ़ेक्ट। स्टेरिक एनवेशन रेजोनेंस। ये कहां लगता है? 2° एंड 3° एरोमेटिक अमीन में लगता है। यह 2° हो या 3° हो और 3° में ज्यादा लगता है कंपैरिजन टू 2° तो 3° की बेसिक स्ट्रेंथ 2° से ज्यादा होती है। है ना? आइए जरा। अगर मैं एरोमेटिक की बात कर रहा हूं। तो जैसे मान लो मेरे पास ऐसा लिखा हुआ है। NH me ये क्या कर दिया मैंने? 2° तो अगर मैं इसका H+ को अपना डोनेशन कराऊं। सुनना ध्यान से। SIR इफ़ेक्ट इसमें क्या होता है? अमीन में तो अगर मैं H+ का डोनेशन कराऊं तो यह दिखेगा ऐसा। सही बात है। अब अगर कुछ ऐसा हो ध्यान से सुनिएगा। अब अगर कुछ ऐसा हो कि NHME के पास मैं कोई G और अब H+ का डोनेशन कराऊं तो बनेगा। तो लेकिन एक फायदा क्या हुआ? ध्यान से सुनिएगा। G आपके कौन से वाले? वही वाले। जो आपने एसिडिक स्ट्रेंथ में ऑर्थो इफेक्ट में लिखे थे। है ना? बलकी नॉन बलकी वाले। है ना? सुनिएगा ध्यान से। अब मुझे एक बात बताओ। यह g इसको रिपेल करेगा। रिपेल करके क्या करेगा? इसका प्लेन चेंज कर देगा। ठीक है? ध्यान से सुनिएगा। पहले इसका और इसका दोनों का प्लेन सेम था। मतलब NHE ग्रुप का और बेंजीन का प्लेन सेम था और प्लेनर स्ट्रक्चर की वजह से रेजोनेंस झमाझम होगा। नाइट्रोजन का लोन पेयर यहां रेजोनेंस करेगा। क्यों करेगा? क्योंकि इनका प्लेन सेम है और रेजोनेंस की कंडीशन है कि प्लेनरिटी होनी चाहिए। सही बात है। यहां क्या होगा? देखिए यहां बेंजीन का जो प्लेन है और इस ग्रुप का जो प्लेन है वो अलग हो जाएगा। तो इससे क्या होगा बताइए? इससे इसका जो लोन पेयर है वो रेजोनेंस नहीं कर पाएगा। और लोन पेयर का रिंग के साथ रेजोनेंस ना होना बेसिसिटी के लिए बल्लेबले होना है। बल्लेबले हो गई यहां पर। क्यों? क्योंकि ये लोन पेयर लोकलाइज़ बन चुका है क्योंकि G ग्रुप ने प्लेन चेंज कर दिया था तो रेजोनेंस नहीं कर पा रहा है और ये लोन पेयर डीलोकलाइज़ है। तो ये लोकलाइज़ लोन पेयर की तरह बिहेव करेगा। यानी कि मैं ये कहूंगा कि इसकी बेसिक स्ट्रेंथ इससे ज्यादा है। तो एसआईआर इफ़ेक्ट से क्या होता है? बेसिक स्ट्रेंथ इंक्रीसेस ड्यू टू ऑर्थो सब्स्टट्यूटेड एरोमेटिक अमीनस। ठीक है? और कौन सी वाली? 2° 3° वाली। क्लियर है? एकदम बात। तो अगर कभी आपसे कोई पूछे कि एसआईआर इफेक्ट से एसिडिक स्ट्रेंथ क्या होती है? आपका आंसर होगा बढ़ती है। बेसिक स्ट्रेंथ क्या होती है? तब भी बढ़ती है। तो एसआईआर से एसिडिक स्ट्रेंथ भी बढ़ती है और एसआईआर से बेसिक स्ट्रेंथ भी बढ़ती है। एसआईआर का नाम ऑर्थो इफेक्ट कार्बोक्सिलिक एसिड में अलग से रखा गया है। यहां पर कोई अलग नाम नहीं रखा गया। यहां एसआईआर इफेक्ट नाम से ही जानते हैं इसको। ठीक है? तो 2° और 3° में एसआईआर लगता है। 3° में ज्यादा लगेगा 2° के मुकाबले। मैंने आपको 2° से समझा दिया है कि यहां जी ग्रुप के आने से प्लेन चेंज हो गया। प्लेन चेंज हो जाने से रेजोनेंस नहीं हो पाएगा। तो नाइट्रोजन के लोन पेयर की बल्लेबले क्यों अवेलेबिलिटी बढ़ गई? क्यों वो लोकलाइज़ की तरह बिहेव करने लगेगा? तो वो H+ को अपना लोन पेयर आसानी से दे देगा। तो बेसिक स्ट्रेंथ बढ़ जाएगी। सही बात है। चलिए, एक इफेक्ट और इसमें होता है एसआईपी। एसआईपी सुनिएगा ध्यान से। यह कहां लगता है? यह लगता है 1° एरोमेटिक अमीन में। और बेसिक स्ट्रेंथ यहां डिक्रीज हो जाती है। डिक्रीजसेस इन ऑर्थो सब्स्टट्यूटेड 1° एरोमेटिक अमीन। देखिए जरा ध्यान से। यहां क्या खेल होता है? यहां खेल थोड़ा अलग है। क्या अलग है? सुनिएगा। यहां NH2 लगा हुआ है। H+ के साथ लोन पेयर है। इसका लोन पेयर H+ को दे देगा। तो क्या तुमको ऐसा दिखेगा? देखिए। सही बात है। अब अगर मैं यहां G तो क्या होगा? देखिएगा मालिक। अगर मैंने यहां G तो क्या G इसको रिपेल करेगा? नहीं करेगा। क्यों? NH2 में तो रिपल्शन होता ही नहीं है। तो सर ये क्या होगा? सुनिएगा ध्यान से। सुनिएगा ध्यान से। G रिपेल नहीं करेगा। इसको थोड़ी रिपेल करता है। NH2 ग्रुप रिपल्शन में नहीं आता। लेकिन यहां दिक्कत होगी प्रोडक्ट में। देखिए जरा। जब यह NH2 बन चुका होगा। NH3+ आफ्टर डोनेशन ऑफ लोन पेयर ऑफ नाइट्रोजन। देखो। जब यह अपना लोन पेयर इसको दे देगा तो यह बनेगा। अब G इसको रिपेल करेगा। यहां कोई रिपल्शन नहीं। यहां रिपल्शन है। रिपल्शन से स्टेबिलिटी कम हो जाती है। तो ये लेस स्टेबल बनेगा। ये रिलेटिवली मोर स्टेबल बनेगा। और अगर लेस स्टेबल है तो लेस बेसिक होगा। क्यों? क्योंकि अगर यह लोन पेयर दे के इसकी स्टेबिलिटी कम कर रहा है तो ये पसंद नहीं आएगा इसको। कहेगा तुम अपना लोन पेयर दे के स्टेबिलिटी कम कर रहे हो यार बड़ा थोड़ी रहे हो कम कर रहे हो तो लेस बेसिक हो जाएगा ये रिलेटिवली मोर बेसिक हो जाएगा तो जी ग्रुप आ जाने से एक्चुअल में 1° अमीन में प्रोडक्ट अनस्टेबल हो जाता है ना प्रोडक्ट अनस्टेबल हो जाता है ध्यान से सुन लो दिमाग खोल के 2° और 3° में जी ग्रुप उनको रिपेल कर देते हैं। क्यों? क्योंकि NHR और NR2 यानी कि 2° और 3° अमीन के जो ग्रुप्स होते हैं वो बलकी होते हैं। है ना? देखो जरा। NHR और NR2 ये बलकी ग्रुप होते हैं। NH2 नॉन बलकी में आता है। नॉन बलकी में। लेकिन इस वाले केस में जो प्रोडक्ट होता है तो प्रोडक्ट में जो NH3+ बनता है तो अब ये NH3+ बनने की वजह से बलकी हो चुका है। तो अब ये रिपल्शन में आ गया। रिपल्शन के दायरे में के बाहर ये है। बाकी ये तीनों रिपल्शन में ये ये और ये। तो अगर ये रिपल्शन करेगा तो कम स्टेबल। रिपल्शन से स्टेबिलिटी कम होती है। ठीक है? तो एसआईपी में क्या होता है? एसआईपी का मतलब है स्टेरिक इनहिबिशन इन प्रोटोनेशन। अब आप नाम सुनो इसका। इसका नाम है स्टेरिक इनहबिशन इन प्रोटोनेशन मतलब प्रोटोनेशन में रुकावट किस वजह से स्टेरिक फैक्टर की वजह से लेकिन प्रोडक्ट में यहां रिएक्टेंट में एसआईआर नहीं लगता मतलब रिएक्टेंट में रिपल्शन नहीं लगता ठीक है रिएक्टेंट में रिपल्शन नहीं लगता देखो एसआईआर से क्या होता है प्लेन चेंज होता है ना आप इसके पहले ये समझो इनमें तो प्लेन चेंज का खेल है कार्बोक्सिलिक एसिड में प्लेन चेंज हो रहा होता तो O नेगेटिव ज्यादा स्टेबल हो रहा था तो अच्छी बात थी। यहां इसका प्लेन चेंज हो रहा है तो लोन पेयर रेजोनेंस नहीं कर रहा। ये अच्छी बात है क्यों H+ को अपना लोन पेयर देना है। तो SIR से एसिडिक और बेसिक दोनों स्ट्रेंथ बढ़ती है। एसआईपी की कहानी थोड़ी अलग इसलिए है क्योंकि यहां तो रिपल्शन नहीं है ना। इन दोनों में रिपल्शन नहीं है। लेकिन जब ये H+ ले लेगा तो बलकी हो जाएगा। अब ये तो अब इसमें और इसमें रिपल्शन है। और रिपल्शन की वजह से ये लेस स्टेबल है। यह मोर स्टेबल है। सॉरी यह लेस स्टेबल है तो लेस बेसिक है। ठीक है? यह कहानी है। चलिए जरा सवाल करते हैं कुछ। करेक्ट ऑर्डर ऑफ़ बेसिक स्ट्रेंथ ऑफ़ पायरोल पर पाइरडीन एंड पाईपाइडीन। बताइए बेसिक स्ट्रेंथ बताना है। मतलब नाइट्रोजन के लोन पेयर की अवेलेबिलिटी। नाइट्रोजन के लोन पेयर की अवेलेबिलिटी। क्या यहां लोन पेयर अवेलेबल है? यस सर। है। क्या यहां लोन पेयर अवेलेबल है? नहीं मालिक रेजोनेंस कर रहा है। क्या यहां ये रेजोनेंस कर रहा है? नहीं कर रहा। क्यों? डबल बॉन्डेड नाइट्रोजन है। रेजोनेंस नहीं करता। सिंगल बॉन्डेड करेगा। क्योंकि तुम रेजोनेंस करा दोगे तो नाइट्रोजन का हाइब्रिडाइजेशन sp हो जाएगा। बॉन्ड एंगल 180 रिंग टूट जाएगी। है ना? तो सबसे ज्यादा पाईपरडीन होगा। पाई पिरिडीन ज्यादा होगा। बस हो गया ये आंसर। लो। पाई पिरिडीन हो गया। उसके बाद पिरडीन हो गया। क्यों? क्योंकि ये लोकलाइज़ देखो ये लोकलाइज़्ड है और ये भी लोकलाइज़्ड है। और ये क्या क्या है? डीलोकलाइज़ है। तो भाई साहब पर पाइरेडीन तो पीछे ही आएगा। सॉरी पायरोल तो पीछे ही आएगा। डीलोकलाइज़ है। अब इन दोनों लोकलाइज़ में कैसे करा? यहां नाइट्रोजन यहां नाइट्रोजन sp2 है इस जगह पर और यहां नाइट्रोजन sp3 है। तो sp3 नाइट्रोजन अपना लोन पेयर आसानी से देगा। ठीक है? क्लियर है? एकदम। चलिए अगला देखिए जरा। द करेक्ट इंक्रीजिंग ऑर्डर ऑफ बेसिक स्ट्रेंथ ऑफ दी फॉलोइंग कंपाउंड बताओ जरा कैसे करोगे बेसिक स्ट्रेंथ वही डोमिनेटिंग इफेक्ट से कर लो पैरा पोजीशन पे ग्रुप लगे डोमिनेटिंग इफेक्ट बताइए बताइए बताइए इसको मैं OCH3 कर लेता हूं क्योंकि CH3 वाला अभी होना नहीं चाहिए ये इसको OCH3 करेंगे CH3 तो हाइपर कंजुगेशन में आएगा। चलिए ट्राई करें जरा सभी बच्चे। ट्राई करें भैया बनना चाहिए बनना चाहिए बनना चाहिए डोमिनेटिंग इफेक्ट से सोचते हैं यार -m > -i और OCH3 का +m > -i बताइए +m लगा है तो तीन ज्यादा न्यूट्रल वाला वन फिर टू 3 1 2 आगरा इज द आंसर आगरा इज द आंसर। ठीक है? चलिए अब चलते हैं हम हाइपर कंजुगेशन पर। ठीक है? हाइपर कंजगेशन क्या कहता है? अभी इसके सवाल जो है ना पीछे जितना पढ़ा उसके सवाल अभी आगे भी आएंगे हैं ना। आगे खूब सारे सवाल आपको देखने को मिलेंगे। आइए, हाइपर कंजुगेशन क्या कहता है? बहुत आसान है। कोई बड़ी बात नहीं है। हाइपर कंजुगेशन में होता है डीलोकलाइजेशन ऑफ़ सिग्मा इलेक्ट्रॉन ऑफ़ CH बॉन्ड। CH बॉन्ड का सिग्मा इलेक्ट्रॉन का डीलोकलाइजेशन होता है किसी अल्काइल ग्रुप को जो कि डायरेक्टली अटैच होता है अनसैचुरेटेड सिस्टम से है ना या अनशेयर्ड P ऑर्बिटल से। अब सर ये अनसैचुरेटेड सिस्टम का मतलब क्या है? सिंपल सी बात है। अल्कीन। आपके सिलेबस में जो हाइपर कंजुगेशन है वो एल्कीन और यहां अनशयर्ड में मिलेगा कार्बोटायन और फ्री रेडिकल। कार्बो एनायन में हाइपर कंजुगेशन नहीं होता। कार्बोनायन में नहीं होता। परमानेंट इफेक्ट कहलाता है। बिल्कुल सही बात है। और इसको नो बॉन्ड रेजोनेंस या बेकरनाथन इफेक्ट भी कहते हैं। अब एक-एक करके इनको समझ लेते हैं कि कार्बोटायन, कार्बनायन और एल्कीन में किस तरीके से होता है। सॉरी कार्बोटायन फ्री रेडिको एल्कीन में। कार्बेनायन में हाइपर कंजुगेशन ना होता। ठीक है? यहां एल्कीन भी मिल सकता है और तुम्हें बेंजीन भी मिल सकता है। एल्कीन में भी और बेंजीन। मतलब अनसैचुरेटेड सिस्टम में मिलेगा। ठीक है? ठीक आए? चलिए आइए एक-एक करके स्टार्ट करते हैं कार्बोटाइपिंग। सबसे पहली बात कंडीशन क्या होती है? कंडीशन ये है कि पहला अल्फा कार्बन होना चाहिए sp3 हाइब्रिडाइज्ड और एटलीस्ट वन अल्फा होना चाहिए। अल्फा कार्बन, sp3 और एटलीस्ट वन अल्फा होना चाहिए मालिक। यह कंडीशन है किसी भी कंपाउंड के हाइपर कंजुगेशन दिखाने की। ठीक है? जैसे एक एग्जांपल मैं लेके चलता हूं। मान लो मेरे पास यह लिखा हुआ है। ठीक है? तो क्या ये हाइपर कंजुगेशन दिखाएगा? चेक करेंगे। कैसे? इस कार्बो केटायन का अल्फा कार्बन ये है। तो अल्फा कार्बन क्या sp3 है? बिल्कुल है। क्या ये H दिख रहे हैं चमकते हुए। तीन अल्फा H दिख रहे हैं आपको। एट लीस्ट वन भी होता तो भी काम हो जाता। एटलीस्ट 1 अल्फा होता तो भी काम हो जाता। ठीक है? तो यह जो कहानी है यह किसकी है? हाइपर कंजगेशन एग्बिशन की। मान लो कोई सवाल आया और आपसे पूछा बताओ हाइपर कंजगेशन एग्बिट करेगा कि नहीं? तो आप बोल दोगे यस करेगा। क्यों? क्योंकि ये वाली कंडीशन फुलफिल है। अब सर करेगा तो क्या बनेगा वो देखो। इसको कैसे बनाते हैं? देखना जरा ध्यान से। इसको कैसे बनाते हैं? देखना जरा ध्यान से। ध्यान से देखना। इसका अल्फा कार्बन जो है इसका CH बॉन्ड इसका डीलोकलाइजेशन कैसे दिखाते हैं हम ऐसे दिखाते हैं कि यह बॉन्ड यहां शिफ्ट करा दो तो मुझको कैसा दिखेगा H+ दिखेगा यहां आ जाएगा बॉन्ड CH2 कोई बोलेगा नहीं सर हम इस वाले को करेंगे इसको कर लो कौन मना कर रहा है आपको अगर इसको करना चाहते हैं तो बिल्कुल कर लें और कोई बोले सर इसको कर लो बिल्कुल कर लें कौन मना कर रहा है तो आपको कैसा दिखेगा लगेगा ऐसा। तो अब आप मुझे एक बात बताइए कि कितने हाइपर कंजुगेटिव स्ट्रक्चर बनेंगे? CH बॉन्ड ब्रेक करने के बाद है ना? CH बॉन्ड ब्रेक करने के बाद कितने हाइपर कंजुगेटिव स्ट्रक्चर बनेंगे? तो आपका आंसर होना चाहिए एक, दो और तीन। देखो यानी कि जितने अल्फा H हैं, तीनों अल्फा H टूट सकते हैं और अलग-अलग स्ट्रक्चर बना सकते हैं। ठीक है? तो इसी को बोलते हैं नो बॉन्ड रेजोनेंस और इंटरकन्वर्टेबल है ये। मतलब यह इसके साथ इनवॉल्व हो करके वापस ही बना सकता है। ठीक है? तो तीन अल्फा हैं तो तीन हाइपर कंजुगेटिव स्ट्रक्चर होने वाले हैं। समझे आप बात को? अब आप मुझे बस एक बात बता दीजिए। यहीं पर अपन इसका वो भी लिख लेते हैं कि बॉन्डिंग पैटर्न क्या होगा? यहां कार्बन कौन सा यूज़ हुआ? sp3 कार्बन sp3 और यह कार्बन यह हाइड्रोजन कौन सा यूज़ हुआ? s तो कार्बन sp3 और हाइड्रोजन का s यूज़ हुआ। ठीक? यानी कि sp3s की ओवरलैपिंग हुई किसके साथ? वेकेंट P के साथ। क्या ये बात सही है? देखो भाई बॉन्ड बनने का मतलब ओवरलैपिंग ही तो है। जिसको तुम ऐसे दिखा सकते हो। चलो एक काम करता हूं। मैं बना के भी दिखा देता हूं एक बार। देखना जरा HCH इसका sp3 ss और इस कार्बन का वेकेंट ऑर्बिटल ये ओवरलैपिंग होती है। ठीक? तो कौन सी ओवरलैपिंग हुई? ये ओवरलैपिंग हुई sp3s सिग्मा बॉन्ड की। ये सिग्मा बॉन्ड कौन सा है? sp3s सिग्मा बॉन्ड है। एंड वेकेंट p ओवरलैपिंग। कभी अगर तुमसे ओवरलैप पूछ ले तो यह पता होना चाहिए। तो कार्बोटायन का कौन सा ऑर्बिटल था? वेकेंट P और यह सिग्मा कौन सा है? sp3s सिग्मा है। ठीक है? और किसका है ये? अल्फा वाले का। ठीक है? अल्फा कार्बन का sp3s सिग्मा बॉन्ड। क्लियर है बात? क्लियर है बात? ठीक है। चलिए आगे चलता हूं। आइए फ्री रेडिकल को समझते हैं। सेम वही क्या कंडीशन है मालिक? फ्री रेडिकल के लिए भी वही है। क्या अल्फा कार्बन शुड बी sp3 हाइब्रिडाइज्ड और अल्फा होना चाहिए एट लीस्ट वन। खेल खत्म। एटलीस्ट वन अल्फा होना चाहिए। और इसमें बस ये होगा कि बॉन्ड ब्रेकिंग तुम्हारी फ्री रेडिकल ही होगी। बाकी तुमने जो पीछे किया है वही करना है। भाई अगर मैं यह वाला बॉन्ड तोड़ दूं तो मुझे ऐसा दिखेगा। और कैसे तोड़ो? होमोलिटिक तोड़ो बीच से कोई बोले नहीं सर हम ये वाला बॉन्ड तोड़ेंगे तो ये तोड़ लो CH बॉन्ड तो तुमको ऐसा दिखेगा कोई बोले नहीं सर हम तो ये वाला तोड़ेंगे जी तोड़ लीजिए ना ऐसा दिखेगा जी देखिए तो मुझे बताइए जितने अल्फा H है उतने ही हाइपर कंजगेटिव स्ट्रक्चर बनेंगे CH बॉन्ड ब्रेकिंग के बाद अच्छा ओवरलैपिंग की बात करूं अभी आपने थोड़ी देर पहले ऐसा लिखा था। ठीक? और ये है आपका sp3s तो ये ओवरलैपिंग है। तो sp3s सिग्मा sp3s एंड हाफ फिल्ड p हाफ फिल्ड p वहां क्या था? वेकेंट p था। यहां हाफ फिल्ड p और ये कौन सा वाला? अल्फा कार्बन वाला है ना यहां हाफ P है। कार्बोटायन में वेकेंट P होता है। ठीक है? ठीक आए? ये कहानी है। तो ये फ्री रेडिकल की कहानी हो गई। एल्कीन या बेंजीन की कहानी देखो। एल्कीन समझा देता हूं। सिमिलर बेंजीन भी होगा। है ना? एल्कीन या बेंजीन की सेम होती है। एल्कीन देख लोगे तो सेम वैसी बेंजीन की कहानी है। देखिए जरा कंडीशन क्या है मालिक? वही है यार। एक ही तो कंडीशन चल रही है। क्या? अल्फा कार्बन sp3 होना चाहिए और अल्फा होना चाहिए एटलीस्ट वन। आइए देखिए जरा। अगर मैं एल्कीन की बात करूं। मान लीजिए मैंने यहां एल्कीन लगा दिया। तो इसमें भी हाइपर कंजुगेशन होता है। दिखा सकते हो आप। कैसे देखिएगा? यह वाला बॉन्ड शिफ्ट करा के यह पाई बॉन्ड शिफ्ट करवा दो। तो पहला स्ट्रक्चर दिखेगा ऐसा। H+ H यहां डबल आ जाएगा। CH सिंगल CH2- ऐसा दिखेगा। सही है? कोई बोले नहीं सर हम ये वाला करेंगे। फिर ये वाला अलग-अलग कर लो। मान लो आप ये वाला करते तो आपको ऐसा मिलता H+ CH आपको ऐसा दिखता। अगर आप यह वाला करते तो आपको ऐसा दिखता। इसमें क्या दिक्कत है? देखिए तो जितने अल्फा उतने ही हाइपर कंजगेटिव स्ट्रक्चर और अगर तुम इसका ऑर्बिटल पिक्चर डायग्राम देखना चाहते हो तो अभी आपने थोड़ी देर पहले इन सबका देखा है तो इसका भी देख ही लो अब मालिक। अब देखना जरा यह जो पाई बॉन्ड है ना तो जब कभी भी बॉन्डिंग ऑर्बिटल होता है तो एंटी बॉन्डिंग खाली होता है। तो इसके साथ में एंटी बॉन्डिंग पाई स्टार खाली है इसका। तो ये पाई बॉन्ड का पाई स्टार खाली होता है। उसके साथ ये ओवरलैप करता है। तो यहां सिग्मा sp3s जो कि अल्फा कार्बन का है। एंड वेकेंट पाई स्टार ऑर्बिटल ये ओवरलैपिंग हो रही है। वेकेंट पाई स्टार के साथ सिग्मा की ओवरलैपिंग हो रही है। यह एल्कीन में होता है और बेंजीन में होता है। ठीक है? क्लियर है? ठीक है? यह कहानी है। अब अगर आपसे कोई ये पूछ ले कि टोटल नंबर ऑफ़ हाइपर कंजुगेटिव स्ट्रक्चर आप बता दो। तो, आप सिंपल से निकाल लो। नंबर ऑफ़ अल्फा H। ठीक है? नंबर ऑफ़ अल्फा H आप निकाल सकते हो। हाइपर कंजुगेट स्ट्रक्चर। लेकिन उसका भी डिटेल जो है वो आगे अगले पेज पे है। इसमें दो तरीके के सवाल हो सकते हैं। इनवॉल्विंग CH बॉन्ड ब्रेकिंग और बिना लिखे हुए। अगर यह लिखा है और यह नहीं लिखा है। अगर यह लिखा हुआ है तो हम बोलेंगे नंबर ऑफ़ अल्फाH। और अगर नहीं लिखा है तो नंबर ऑफ़ अल्फाH + ओरिजिनल स्ट्रक्चर प्लस वन कर देंगे। क्यों? ओरिजिनल स्ट्रक्चर को भी काउंट करेंगे। तो ध्यान रखना सवाल में मैक्सिमम वैसे यही लिखा होगा। तो आपको नंबर ऑफ अल्फा सही करना है इनवॉल्विंग CH बॉन्ड ब्रेक वाले। ठीक? अच्छा एक पहला पॉइंट ऐसा था कि COCN कैन नॉट शो हाइपर कंजुगेशन ड्यू टू हाई एनर्जी ऑफ़ पाई स्टार। क्योंकि सिग्मा का पाई स्टार के साथ ओवरलैपिंग होने का मतलब ये है कि सिग्मा इलेक्ट्रॉन पाई स्टार ऑर्बिटल में जाएं। लेकिन पाई स्टार की एनर्जी अगर बहुत ज्यादा हुई तो वो कूदते रहेंगे लेकिन जा नहीं पाएंगे। है ना? कूदते रहेंगे लेकिन जा नहीं पाएंगे। ठीक है? कूदते रहेंगे लेकिन जा नहीं पाएंगे। तो CO हो गया, CN हो गया। इनका पाई स्टार की एनर्जी ज्यादा होती है और हाई एनर्जी होती है पाई स्टार की। इसी वजह से कूद के जा नहीं पाते इलेक्ट्रॉन। है ना? कूद के इलेक्ट्रॉन जा नहीं पाते हैं। क्लियर है? समझे आप? अब आप कुछ सवाल करके मुझे बताइए। कुछ सवाल आपके लिए है। फटाफट से कर दीजिए। फाइंड टोटल नंबर ऑफ हाइपर कंजगेटिव स्ट्रक्चर इनवॉल्विंग CH बॉन्ड ब्रेक। बस आप अल्फा H चेक कर लो। अल्फा H आप चेक कर लीजिए। अल्फा H चेक कर लीजिए। अल्फा H बोलिए कितने-कितने हैं? आराम से कर सकते हैं। बोलिए अल्फा चेक करना है बस क्योंकि क्वेश्चन में लिखा है इनवॉल्विंग CH बॉन्ड। ठीक है। बोलो ये जो प्लस है इसका ये वाला अल्फा कार्बन है और इस पर कितने H है? 2 H है। तो दो अल्फा H यानी कि दो ही आंसर है। जितने अल्फाH वही आंसर है क्योंकि इनवॉल्विंग CH बॉन्ड ब्रेकिंग है। इस वाले प्लस के लिए sp2 है और इस एल्कीन के लिए कार्बोटायन sp2 है तो यह नहीं करेगा। इसके लिए सिर्फ एक आएगा। यहां पर इस जगह पर इसके लिए 3 2 5 2 7 अल्फा चाहिए। देखो चेक करते जाओ। है ना? इसके लिए 2 2 4 और 2 6 3 6 और 1 7 इसके लिए कितने आएंगे? तीन एक चार और दो छ इसके लिए आएंगे दो और दो चार मालिक बताइए जरा 70 17 686 4 हैं 20 17 20 17 676 3 इसका चार आएगा ना दो और दो चार ठीक है? क्लियर है? एकदम। तो इस तरीके से आप निकाल सकते हैं। सेकंड वाले में तो ज़ीरो आएगा ना। भाई इस कार्बोटायन के लिए sp2 है। और तुम अगर एल्कीन पकड़ोगे तो ये कार्बोटायन sp2 है। sp2 वाला थोड़ी चाहिए आपको। ठीक है? चलिए वेरी नाइस। वेरी गुड। अब चलते हैं एप्लीकेशन ऑफ हाइपर कंजगेशन पर टू कंपेयर स्टेबिलिटी ऑफ कार्बोटायन फ्री रेडिकल और एल्कीन। सीधी सी बात है। स्टेबिलिटी इज डायरेक्टली प्रोपोर्शनल टू नंबर ऑफ अल्फा। क्यों? जितना ज्यादा अल्फा उतना ज्यादा। नो बॉन्ड रेजोनेंस रेजोनेंस का ही पार्ट है एक तरीके से। तो स्टेबिलिटी इज़ डायरेक्टली प्रोपोर्शनल टू नंबर ऑफ़ अल्फा। ज्यादा डीलोकलाइजेशन बोल दो आप। ठीक है? अल्फाH के डायरेक्टली प्रपोर्शनल। जितना ज्यादा अल्फाH उतनी ज्यादा स्टेबिलिटी होने वाली है। है ना? जैसे एक आध सवाल आप देख लीजिए। अच्छा वो एक सवाल था उसको यहां उठा के ले आते हैं ना वही वाला जो पीछे इंडक्टिव में था अपना 89 इंडक्टिव के एप्लीकेशन में अपन ने छोड़ दिया था ना उसको ये रहा आफ्टर हाइपर कंजुगेशन करना था चलिए इसको कर लीजिए अब अरेंज द फॉलोइंग एंड इंक्रीजिंग ऑर्डर ऑफ स्टेबिलिटी बताओ नंबर ऑफ अल्फा ज्यादा स्टेबिलिटी ज्यादा बोलिए बोल दो बोल दो सिंपल है नंबर ऑफ़ अल्फा ज्यादा स्टेबिलिटी ज्यादा तो यहां देखें 3 6 2 8 अल्फा आ रहे हैं इसके देखो इसके आ रहे हैं 6 अल्फा इसके 0 अल्फा इसके 3 अल्फा और इसके मालिक 9 अल्फा अब बता दीजिए आप आंसर तो अल्फा ज्यादा स्टेबिलिटी ज्यादा तो बी ए सी डी ई बी ए सी डी ई बदलापुरा आंसर आ रहा है क्या आपका हैं तो अल्फा है ज्यादा स्टेबिलिटी ज्यादा कोई सवाल आए तो कर लेना और क्या अल्फा है ज्यादा तो स्टेबिलिटी ज्यादा होगी चलिए अगला देखिए बॉन्ड लेंथ वाला देख लीजिए जरा बॉन्ड लेंथ क्या चीज है जैसे मान लो मेरे को चेक चेक करानी है बॉन्ड लेंथ। इसकी x है और इसकी y है। सही बात है? अब मुझे बताओ x और y में कौन ज्यादा कौन कम? बोलो। बॉन्ड लेंथ कंपेयर करानी हैानी हाइपर कंजुगेशन की हेल्प से। तो सीधी सी बात है। अगर तुम्हें CC बॉन्ड लेंथ कंपेयर करानी है। CC बॉन्ड लेंथ इज़ डायरेक्टली प्रोपोर्शनल टू नंबर ऑफ़ अल्फा H। क्यों? भैया जितना ज्यादा अल्फा H होंगे, उतना ज्यादा हाइपर कंजुगेशन होगा। और हाइपर कंजुगेशन में होता क्या है? हाइपर कजगेशन में डबल बॉन्ड ही तो चेंज होता है। आप देखो अल्कीन का जब हाइपर कंजगेशन कराया था तो इसका CH बॉन्ड टूटता है और ये बॉन्ड ब्रेक होता है। तो जितने ज्यादा अल्फा H होंगे उतना ज्यादा हाइपर कंजुगेशन उतना ज्यादा यहां सिंगल बॉन्ड कररेक्टर आएगा। ठीक है? तो बॉन्ड लेंथ बढ़ जाएगी। एक तो यहां बताओ तीन और तीन छह अल्फा H छह अल्फा H होंगे तो हाइपर कंजुगेशन छह स्ट्रक्चर बनेंगे तो ये सिंगल बॉन्ड कररेक्टर ज्यादा होगा। और यहां सिर्फ और सिर्फ तीन अल्फा H है। तो यहां सिंगल बॉन्ड कैरेक्टर इसके मुकाबले में थोड़ा कम रहेगा। तो X की बॉन्ड लेंथ ज्यादा है Y से। है ना? बॉन्ड लेंथ X ज्यादा है Y से। बात समझ में आई? ठीक है? ठीक है? X ज्यादा होगा Y से। आइए रिवर्स हाइपर कंजुगेशन समझ लीजिए। डीलोकेशन ऑफ़ पाई इलेक्ट्रॉन टू वेकेंट ऑर्बिटल। उल्टा चल रहा है यहां मामला। तो मैं एक काम करता हूं आपको यहीं पे रिवर्स के और दोनों के कंपैरिजन बता देता हूं। +h और -h ये देख लीजिए जरा। +H कब लगता है इफेक्ट? जब एल्कीन के साथ में अल्काइल ग्रुप लगा हो। तो इसका मैं अगर एक बना के दिखाऊं। वैसे तो इसके तीन स्ट्रक्चर बनेंगे। मैं आपको एक बना के दिखाऊं तो मेरे को ऐसा दिखेगा। देखो ठीक है? यह +h इफेक्ट होता है कि भैया एल्कीन पर या बेंजीन पर नेगेटिव डेवलप कर दिया और -h कैसा होता है? अगर मैं H की जगह X लगा दूं तो अब उल्टा होने लगेगा। तो ये पाई इलेक्ट्रॉन का डीलोकलाइजेशन इस तरीके से हो जाएगा। तो बताओ चेन पर क्या डेवलप हुआ? पॉजिटिव डेवलप हुआ। तो चेन पर जब नेगेटिव डेवलप होगा तो +H इफेक्ट कहलाएगा। यानी कि अल्काइल ग्रुप्स जो हैं वो +H दिखाते हैं। ठीक? और CH3 ग्रुप। है ना? CH3 ग्रुप, है ना? जैसे CF3, CCL3 ग्रुप ये क्या दिखाते हैं? - H ठीक है? और इसको रिवर्स हाइपर बोलते हैं इस वाले को। ठीक है? ठीक आए? यह कहानी है। ठीक है। +H - H में अंतर समझ गए? +H वाले क्या करते हैं? +H वाले क्या करते हैं? कार्बन की चेन पर मतलब अल्कीन या बेंजीन पर नेगेटिव डेवलप करते हैं अल्काइल ग्रुप की वजह से। तो ये +H है और -H मतलब CH3 ये कार्बन की चेन पर प्लस डेवलप करते हैं। डन। चलिए बहुत बढ़िया। वेरी नाइस। चलिए कुछ सवाल हो जाए आपसे। बोलिए फिर हाउ मेनी कंपाउंड्स अमंग द फॉलोइंग कंपाउंड्स सो इंडक्टिव मेजोमेरिक एज वेल एज हाइपर इंडक्टिव भी दिखा रहा हो मेजोमेरिक भी दिखा रहा हो और हाइपर भी दिखा रहा हो हाइपर कंजुगेशन भी दिखा रहा हो तीनों इफेक्ट दिखा रहा हो ऐसा कंपाउंड बताइए बोलिए तीनों इफेक्ट दिखा रहा हूं देखो इंडक्टिव दिखाना मतलब ग्रुप्स पता कर लो जैसे OCH3 -I होता है। पहले मैं इंडक्टिव बता रहा हूं। -i है। यहां देखो C डबल ब्ड O -I है। अल्काइल ग्रुप यहां से +i भी दिख रहा है आपको। है ना? यहां पर यहां पर देखें जरा कोई ग्रुप आपको नहीं दिख रहा अलग से। यहां देखें ये ग्रुप दिख रहा है। यहां देखें ये ग्रुप दिख रहा है। इस तरीके से चेक करते हो जाओ। यहां ये ग्रुप दिख रहा है। -i ये +i ये +i ये -i ऐसे है ना? इस तरीके से आप सोच लो। है ना? दूसरा मेज़ोमेरिक चेक करने के लिए कंजगेशन चेक कर लो। सर यहां कंजगेशन दिख रहा है। यहां दिख रहा है। यहां दिख रहा है। यहां दिख रहा है। यहां नहीं दिख रहा। यहां दिख रहा है। यहां दिख रहा है। यहां दिख रहा है। तो ये कंजुगेशन हो गया। हाइपर कंजुगेशन के लिए अल्फा चेक कर लो। यहां अल्फाH हैं क्या नहीं है। किसके अल्फा H? अल्कीन या बेंजीन के। यहां अल्फा H है? बिल्कुल हैं। यहां नहीं है। यहां नहीं है। यहां है। यहां है। यहां है। यहां है। इस तरीके से सोचते जाओ। सोचो जरा। देखो जैसे मैं पहले बता देता हूं। इस वाले में +m भी है। इसमें -i भी है। इसमें हाइपर कंजुगेशन नहीं है। तो ये हटा देता हूं। क्यों? बेंजीन से डायरेक्टली कनेक्टेड अल्फा H नहीं है क्योंकि ऑक्सीजन कनेक्टेड है। हाइपर कंजगेशन के अल्फा H होना चाहिए अल्कीन या बेंजीन से। यहां देखें मुझे ये -i दिख रहा है। देखो C डबल ब्ड O में यहां रेजोनेंस भी हो रहा है। तो M इफ़ेक्ट भी दिख रहा है। I इफ़ेक्ट भी दिख रहा है ना? I इफ़ेक्ट भी दिख रहा है। M भी दिख रहा है। और मुझे एक बात बताओ। ये एल्कीन के लिए यहां अल्फा H दिख रहा है। यस। तो H भी दिख रहा है। ऐसे चेक करना है। इधर देखो। यहां मुझे कोई भी एडिशनल अल्फा H नहीं दिख रहा तो ये हटा दो। यहां पाई बॉन्ड ही नहीं है तो रेजोनेंस ही नहीं दिख रहा। यहां देखो इस बेंजीन के लिए यहां एटलीस्ट 1H है तो यहां हाइपर कंजुगेशन भी दिख रहा है। NO2 वगैरह मेजोमेरिक भी दिखाएंगे और इंडक्टिव तो होता ही है NO2 का। अगर ये वाला है तो ये वाला भी उसी टाइप का ही है। बेंजीन से ये सेम सेम यही है। तो यहां भी पूरा का पूरा आएगा। तो एक यह भी हो गया। ठीक है? एक यह हो गया। IMH इसमें आ रहा है। इधर देखो। यहां मेज़ोमेरिक नहीं दिख रहा। क्यों? लोन पेयर है। पाई बॉन्ड नहीं है। हाइपर कंजगेशन इंडक्टिव दिख रहा है। यहां देखो C डबल बॉन्ड है तो मेज़ोमेरिक दिख रहा है। अल्कीन का अल्फा H है तो हाइपर दिख रहा है। और ये -i भी दिखा रहा है। ठीक है? तो ये भी IMH दिखा रहा है। इस तरीके से सोचना है। तो 1 2 3 4 और आंसर है। अल्फा H है तो आपको हाइपर कंजुगेशन है ना? ये वाला देखो। तो अगर आप ये वाले में दिक्कत आ रही है तो बेटा यहां ना तो लोन पेयर है ना ही पाई बॉन्ड है तो m इफेक्ट नहीं दिखा सकता ये। ठीक है? मिथाइल ग्रुप H इफ़ेक्ट दिखाएगा। ठीक है? लास्ट वाले में देखो इस एल्कीन के लिए अल्फा H है तो हाइपर दिखा देगा। और ये +i या -i है तो इंडक्टिव तो दिखाएगा ही। और यह पाई बॉन्ड इस C डबल ब्ड O के साथ रेजोनेंस करेगा। ठीक है? चलिए अगला सवाल। हाइपर कंजगेशन इज परमानेंट इफेक्ट। हां या ना? क्या हाइपर कंजगेशन परमानेंट इफेक्ट है? यस और नो। हाइपर कंजगेशन एक परमानेंट इफ़ेक्ट है। एकदम सही है। हाइपर कंजुगेशन इन इथाइल कैटायन। इथाइल कैटायन मतलब यहां प्लस लगा लो। इनवॉल्व द ओवरलैपिंग ऑफ़ कार्बन, sp2 हाइड्रोजन 1s। ये गलत है। कार्बन sp3 होता है। विद एंप्टी 2p ऑर्बिटल ऑफ़ अदर कार्बन। यह गलत है। स्टेटमेंट टू। वन सही है, टू गलत है। बी आ जाएगा आंसर। दोनों ट्रू थोड़ी हैं पगलों। डी क्यों लगा रहे हो? डी वाले भैया। अरे डी वाले भैया एक बात बताओ। ये कार्बन sp2 है। अरे कार्बन sp3 होना चाहिए ना। अल्फा कार्बन शुड बी sp3 हाइब्रिडाइज्ड। चलिए अगला सवाल। नेक्स्ट क्वेश्चन। 23 डाईथाइल ब्यूटन इज मोर स्टेबल देन ब्यूटन बताओ 23 डाईथाइल ब्यूटन है ना 23 डाईथाइल ब्यूटन ये हो गया और स्टेबल देन टू ब्यूटीन मान लो ये ले लो ऐसे बताओ जरा कौन सा ज्यादा स्टेबल है इसके पास है 3 6 3 9 3 12 अल्फा देखिए और इसके पास हैं तीन और तीन 6 अल्फाH तो मुझे बता दीजिए 12 अल्फाH वाला ज्यादा स्टेबल होगा 6 अल्फा H से है ना अब ये कह रहे हैं रीज़ तो ये तो सही है असरशन तो सही है 6 अल्फाH सिक्स हाइपर कंज्यूटिव स्ट्रक्चर कैन बी रिटन फॉर 2 डाईथाइल एंड 12 फॉर ब्यूट हां ब्यूट इन में 12 कैसे हो जाएंगे उल्टा लिखा हुआ है असरशन आपका सही है और रीज़ गलत है सी आंसर आएगा ठीक है चलिए अगला सवाल बताइए कंसीडरिंग द फॉलोइंग एल्कीन टू करेक्ट डिक्रीजिंग ऑर्डर ऑफ स्टेबिलिटी। बोलो बोल दीजिए जरा से फटाफट से तुरंत से पहले। बोलिए भाई फटाफट से मैं ये देख रहा था कि ब्रेक कब देना चाहिए आपको। चलो कंसीडरिंग द फॉलोइंग एल्कीन दैट करेक्ट डिक्रीजिंग ऑर्डर। लो इस वाली एल्कीन के लिए दो अल्फा H दिख रहे हैं आपको। देखो इस एल्कीन को पकड़ोगे ये अल्फा। इस एल्कीन को पकड़ोगे ये अल्फा और यहां पर ये दोनों ही अल्फा है। तो 6 और 3 9 ठीक है? 3 6 और 3 9 अल्फा H 3 6 अल्फा अल्फा अल्फा अल्फा 3 6 3 9 3 12 अल्फा H देख रहे हो आप देख रहे हो आप? 12 अल्फा H ठीक है। ठीक है? इधर देखिए इस एल्कीन के लिए तीन तीन छ अल्फा H चलिए 12 वाला आ गया यानी कि दो फिर आएगा तीन दो के बाद तीन मेरे को दिख रहा है बी दो के बाद तीन तीन के बाद चार चार के बाद एक दो तीन चार एक आंसर आएगा बोलिए बोलिए अगला सवाल व्हिच ऑफ द फॉलोइंग कैन नॉट एग्बिट हाइपर कंजुगेशन? कौन नहीं दिखाता है? ए बी सी डी बताइए। कौन नहीं दिखाता है? बोलिए। क्या कहते हो बच्चों? जल्दी बताओ। देखिए इस रेडिकल के 3 अल्फा दिख रहे हैं। इस एल्कीन के अल्फा ये है तो 3 अल्फा यहां दिख रहे हैं। इसके तीन और तीन 6 अल्फा दिख रहे हैं। और इसके 0 अल्फा दिख रहे हैं। जी हां। तो ये हाइपर कंजुगेशन नहीं दिखाया डी वाला। ठीक है? चलिए एरोमेटिसिटी से हम स्टार्ट करेंगे फिर। है ना? ब्रेक के बाद। 15 मिनट का ब्रेक ले लेते हैं अपन। है ना? एरोमेटिसिटी स्टेबिलिटी इंटरमीडिएट बचा है। और आपके छोटे-छोटे टॉपिक्स जो होते हैं ना हीट ऑफ हाइड्रोजनेशन, हीट ऑफ कंबस्शन। ठीक है? ये सब इनॉल कंटेंट टाइप ऑफ रिएक्शन इलेक्ट्रोफाइल न्यूक्लियोफाइल। ठीक? 15 मिनट का ब्रेक लेते हैं अपन। मस्त आइए जरा खा पी के हो जाएगा आराम से शाम तक हेलो हेलो हेलो हेलो हेलो हेलो तो कैसे हैं आप? करें स्टार्ट। चलिए तो एरोमेटिसिटी शुरू करते हैं। ठीक है? क्या कहता है एरोमेटिसिटी? हेलो हेलो हेलो। आइए जरा। हम एरोमेटिसिटी को इसलिए चेक करते हैं ताकि हम कंपाउंड में स्टेबिलिटी वगैरह बता सकें। ठीक है? कंपाउंड में स्टेबिलिटी बताने के लिए एरोमेटिसिटी चेक करते हैं और ऐसा माना जाता है कि एरोमेटिसिटी हम बेंजीन के मॉलिक्यूल में चेक करते हैं। ऐसा नहीं है। बेंजीन के अलावा कई सारे ऐसे मॉलिक्यूल होते हैं जो अलग दिखते हैं लेकिन फिर भी एरोमेटिक होते हैं। तो इन सब मॉलिक्यूल को भी आप चेक कर सकते हो। चेक करने का तरीका यह है कि भैया साइक्लिक होना चाहिए। ये कैसे पता चलेगा? आंखों से देखकर। आंखों से देखकर पता चलेगा आपको साइक्लिक है या नहीं है? अगर साइक्लिक है तो ही आगे बढ़ना। अगर एसाइक्लिक है तो आगे क्यों बढ़ना है? नॉन एरोमेटिक बोल देना। इसके बाद प्लेनर पता चलना चाहिए। आपको यह पता होना चाहिए कि ईच एटम का हाइब्रिडाइजेशन जो है रिंग में इन्वॉल्व sp2 होना चाहिए। मतलब रिंग जितने एटम से मिलकर के बनी है उनका हाइब्रिडाइजेशन sp2 होना चाहिए। जी सर। कंजुगेशन होना चाहिए। पैरेलल पोजीशन ऑफ़ p ऑर्बिटल। ट्रिपल p है ना? इसमें आपको पता है 2p 3p 4p आप पूरा पीछे पढ़ चुके हो। ठीक है? चलिए। हकल्स रूल क्या होता है? 4n + 2pi इलेक्ट्रॉन्स होने चाहिए। n अपनी तरफ से रख लीजिए। 0 1 2 3 एंड सो ऑन और दो पाई इलेक्ट्रॉन ज़ीरो रखोगे तो है ना? 6 पाई इलेक्ट्रॉन्स 10 और 14 पाई इलेक्ट्रॉन्स ऐसे पाई इलेक्ट्रॉन्स होने चाहिए। ठीक है? तो अगर ये रूल फॉलो हो रहा है। सुनना ध्यान से। यह तीनों रील रूल कॉमन है। चौथा रूल अगर यह हो रहा है तो सिस्टम एरोमेटिक है। और यहां चौथा रूल इसका नाम नहीं है। मैंने अपने नाम पे रखा है। आप अपने नाम पे रख लो या अपनी मैडम के नाम पे रख लो। सिज़िस रूल हो गया तो 4 n पाई इलेक्ट्रॉन्स। तो सीज़िस रूल है। n की वैल्यू ज़ीरो तो नहीं हो सकती ना यहां पर। तो 4 8 12 पाई इलेक्ट्रॉन्स अगर होंगे। मतलब चार की टेबल होगी, तो मालिक ये एंटी एरोमेटिक होगा। चार की टेबल होगी तो एंटी एरोमेटिक होगा। ठीक है? चार की टेबल होगी तो एंटी एरोमेटिक होगा। और अगर इन तीनों में से कोई भी कंडीशन फेल हो गई 1 2 3 में कोई भी एक कोई भी एक फेल हो गई तो मुंह पे बोलो नॉन एरोमेटिक। मुंह पे बोलो नॉन एरोमेटिक। ठीक है? तो आइए चेक करते हैं हम एक-एक करके। कुछ कंपाउंड्स आपके सामने लाया हूं मैं। है ना? जैसे यह कुछ कंपाउंड है। इनमें चेक करना। आइए पहले वाले को देखिए जरा। इसमें मुझे एरोमेटिसिटी चेक करना है। कार्बन पर नेगेटिव चार्ज यानी कि लोन पेयर होता है। ठीक है? तो मुझे बताओ क्या ये साइक्लिक है? क्या ये साइक्लिक है? बताओ जरा। क्या ये साइक्लिक है? यस। प्लेनर है क्या? हर एक का एटम का हाइब्रिडाइजेशन sp2 होना चाहिए। देखो डबल बॉन्डेड वाले कार्बन sp2 होते हैं। और ये जो कार्बन आयन है, इसका लोन पेयर रेजोनेंस में अगर जा रहा है, तो ये लोन पेयर हाइब्रिडाइजेशन में काउंट नहीं होगा। लेकिन इस पर एक H भी तो होगा। तो 1, 2 और तीन सिग्मा होंगे तो sp2 हो जाएगा। सिमिलरली अगर ये है तो ये भी sp2 हो जाएगा और ये भी sp2 हो जाएगा। ठीक? कंजुगेशन देखिए। जरूरी नहीं कि एक ही सांस में कंजुगेशन मिले। अगर तुम इस नेगेटिव का कंजुगेशन देखोगे तो यहां तक दिखेगा आपको और इस नेगेटिव का देखोगे तो यहां तक दिखेगा। यानी कि हर एक एटम कंजुगेशन में आ चुका है। अच्छा एक पाई बॉन्ड है तो दो पाई इलेक्ट्रॉन इस लोन पेयर के भी इलेक्ट्रॉन रेजोनेंस में इन्वॉल्व हो रहे हैं। यानी कि रिंग में घूम रहे हैं और इस लोन पेयर के भी घूम रहे हैं। यानी कि 2 दो 2 4 और 2 6 पाई इलेक्ट्रॉन आ गए। यानी कि सिस्टम एरोमेटिक हो गया। बताइए जरा हां या ना? बताइए जरा। सिस्टम एरोमेटिक हो चुका है। चलिए अगला अगला देखिए। इसके पास नाइट्रोजन के पास लोन पेयर है। क्या यह साइक्लिक है? सर बिल्कुल दिख रहा है। क्या यह प्लेनर है? हर एक एटम का हाइब्रिडाइजेशन देखेंगे। यह डबल बॉन्डेड वाले sp2 होते ही हैं। यहां नाइट्रोजन अपना लोन पेयर दिख रहा है। तो अब हाइब्रिडाइजेशन में काउंट नहीं होगा। तो 1 2 3 सिग्मा यानी कि ये भी sp2 यानी कि हर एटम sp2 हो गया। प्लेनर हो गया। और कंजुगेशन देखिए जरा। ध्यान से देखिए जरा। ये लोन पेयर दिख रहा है। ये सिंगल दिख रहा है। ये डबल दिख रहा है। ये सिंगल दिख रहा है। ये डबल दिख रहा है। यानी कि पूरा का पूरा कंजुगेशन पैरेलल पोजीशन ऑफ p ऑर्बिटल ये हो रहे हैं। और दो पाई इलेक्ट्रॉन 2 पाई इलेक्ट्रॉन और दो पाई इलेक्ट्रॉन यानी कि छह पाई इलेक्ट्रॉन हो चुके हैं। देखो चार पाई इलेक्ट्रॉन तो पाई बॉन्ड के हो गए। चार पाई इलेक्ट्रॉन तो पाई बॉन्ड के हो गए। और इसके दो पाई इलेक्ट्रॉन यानी कि छह पाई इलेक्ट्रॉन यानी कि एरोमेटिक। क्या ये बात सही है? एरोमेटिक। अगला देखिए। इधर गौर से देखें तो इस वाले नाइट्रोजन का लोन पेयर रेजोनेंस में नहीं जाता है। क्योंकि अगर चला गया तो ये नाइट्रोजन sp हाइब्रिडाइज हो जाएगा। बॉन्ड एंगल 180 रिंग टूट जाएगी। ऐसा करने का नहीं। ठीक है? यानी कि ये इसके अंदर नहीं जाएगा। हर एक एटम का हाइब्रिडाइजेशन sp2 दिख रहा है। साइक्लिक दिख रहा है। और कंजुगेशन कौन सा वाला दिख रहा है भैया? लोन पेयर वाला नहीं है। पाई बॉन्ड वाला कंजुगेशन है। जी हां। और 2 2 4 2 6 पाई इलेक्ट्रॉन झमाझम घूम रहे हैं। इसका लोन पेयर हाइब्रिडाइजेशन में काउंट होगा। sp2 2 सिग्मा एक लोन पेयर तो एरोमेटिक हो जाएगा। ठीक है? ठीक है? एरोमेटिक हो जाएगा ये। अगला देखें जरा। यहां गौर से देखें। ये वाले sp3 हो चुके हैं। और अगर sp3 हो चुके हैं तो ये भैया मुंह पे बोलो नॉन एरोमेटिक। कोई चेक ही नहीं करना फिर। यहां देखिए जरा अगर मेरे पास दो लोन पेयर हैं तो एक लोन पेयर रेजोनेंस में जाएगा और दूसरा हाइब्रिडाइजेशन में काउंट होगा 2 सिग्मा एक लोन पेयर तो सम तीन हो गया sp2 आ गया दो सिग्मा प्लस एक लोन पेयर बाकी सारे sp2 थे ही साइक्लिक थे 2 2 4 2 6 पाई इलेक्ट्रॉन और छह पाई इलेक्ट्रॉन यानी कि एरोमेटिक हो चुका है क्लियर बात है क्लियर बात है एरोमेटिक हो चुका है डन छह ठीक है समझ गए खेल आप? समझ गए? अब यहां पर कुछ दो तीन कंपाउंड ऐसे हैं जो आपको अलग से ध्यान रखने पड़ते हैं। वो अलग से लिख लो आप। जैसे एट एनुलिन की बात मैं कर रहा हूं। ठीक है? ये वाला होता है नॉन एरोमेटिक ड्यू टू टब लाइक स्ट्रक्चर। ड्यू टू टब लाइक स्ट्रक्चर। टब लाइक स्ट्रक्चर की वजह से ऐसा होता है। एक्चुअल में इसका स्ट्रक्चर कुछ इस प्रकार होता है। इस तरीके से यह ऐसे ऊपर उठा हुआ है। टब जैसा होता है ना टब ऊपर उठा हुआ है। ये ठीक है? ये टब लाइक स्ट्रक्चर इस तरीके से। ठीक? तो ये ऊपर उठा हुआ है। नॉन प्लेनरिटी की वजह से टब लाइक स्ट्रक्चर यानी कि नॉन प्लेनर। ठीक है? तो ये एट एनुलिन इसको कहते हैं। ठीक है? एट एनुलिन। एनुलिंस क्या होती है? साइक्लिक रिंग होती है। ऐसे अल्टरनेट डबल ब्ड वाली। एक एट एनुलिन है और एक 10 एनुलिन है। यह दो ध्यान रखनी है आपको। ये होता है नॉन एरोमेटिक ड्यू टू नॉन प्लेनरिटी। ठीक है? नॉन प्लेनरिटी की वजह से ये नॉन एरोमेटिक होती है। है ना? क्योंकि इसका स्ट्रक्चर कुछ इस प्रकार से दिखता है। अल्टरनेट डबल बॉन्ड ऐसे लगा दीजिए। और इसका H डार्क में और इसका H ड में तो ये नॉन प्लेनर होते हैं। ठीक है? हाइड्रोजन हाइड्रोजन में के बॉन्ड पेयर में रिपल्शन होता है। तो आठ और 10 को अलग से ध्यान रखना है। बाकी सारे एरोमेटिसिटी जैसे सिखाया वैसे ही चेक करना है। साइक्लिक प्लेनरिटी कंजुगेशन और 4n + 2 पाई इलेक्ट्रॉन्स। आठ और 10 को ध्यान रखिएगा अलग से। चलिए बताइए। क्या कहते हो? कंसीडर द फॉलोइंग स्पीशीज। द नंबर ऑफ कंपाउंड व्हिच ओबे हकल्स रूल। यानी कि आपको एरोमेटिक बताना है। चलिए ट्राई करिए इनको। सोचिए जरा। करो ट्राई करो। सवाल आते ही आपके दिमाग और कान खड़े हो जाने चाहिए। है ना? बताइए। कर सकते हो आप यार। बताइए। क्या लगा दूं आंसर? जल्दी बोलो। क्या लगा दूं आंसर? क्या ये एरोमेटिक है? देखिए अगर इंडिविजुअल रिंग एरोमेटिक है तो पूरा सिस्टम एरोमेटिक माना जाता है। बिल्कुल ये भी एरोमेटिक है। ये भी एरोमेटिक है। क्यों? तीन रिंग अल्टरनेट डबल बॉन्ड के साथ आ रही हैं। ये वाला देखिए जरा। 2 दो 2 4 2 6 पाई इलेक्ट्रॉन बाकी सारी कंडीशन फुलफिल। तो ये भी एरोमेटिक है। दो और दो चार पाई इलेक्ट्रॉन एंटी एरोमेटिक है। दो और दो चार पाई इलेक्ट्रॉन एंटी एरोमेटिक है। दो पाई इलेक्ट्रॉन एरोमेटिक है। और ये टब लाइक स्ट्रक्चर नॉन एरोमेटिक है। है ना? तो हगल्स रूल वाला चाहिए था। तो एक दो तीन चार आंसर आएगा। बदलापुर चार आंसर आएगा बदलापुर चेक कर लें क्या बात है काफी लोगों का आंसर आ गया वेरी गुड बहुत बढ़िया वेरी नाइस एकदम झमाझम आ रहा है आंसर गजब गजब गजब गजब गजब और गजब है ना चार आ रहा है कोई दिक्कत चलिए अगला देखिए जरा अगर आपसे पूछा जाए स्टेबिलिटी ऑफ इंटरमीडिएट तो एरोमेटिक कंपाउंड ज्यादा स्टेबल होते हैं। फिर नॉन एरोमेटिक कंपाउंड और फिर आते हैं एंटी एरोमेटिक कंपाउंड। ठीक है? अन्ना से ध्यान रखिएगा। एरोमेटिक कंपाउंड की स्टेबिलिटी ज्यादा होती है क्योंकि इलेक्ट्रॉन्स बॉन्डिंग मॉलिक्यूलर ऑर्बिटल में होते हैं और लूप बनता है। नॉन एरोमेटिक में लूप नहीं बनता और एंटी एरोमेटिक में एंटी बॉन्डिंग में होते हैं। इसी वजह से स्टेबिलिटी आप बता सकते हो। एरोमेटिक नॉन एरोमेटिक एंटी एरोमेटिक। ठीक है? ठीक है? सिंपल सी बात है। तो आप इसी बात पे मेरे को इनकी स्टेबिलिटी का ऑर्डर बता दीजिए। द करेक्ट स्टेबिलिटी ऑर्डर ऑफ द फॉलोइंग स्पीशीज। बोलिए। तो आप एरोमेटिसिटी चेक कर लो। बता दो जरा। एरोमेटिसिटी चेक कर लो। बता दो जरा फटाफट से। क्या कहते हो? बोलो। कह दो जल्दी से मेरे को। बोलो 2 और दो 4 पाई इलेक्ट्रॉन मालिक एंटी एरोमेटिक 2 दो 2 4 और 2 6 पाई इलेक्ट्रॉन नेगेटिव चार की दो एरोमेटिक है ना ये एंटी एरोमेटिक और टब लाइक स्ट्रक्चर नॉन एरोमेटिक बताइए जरा तो एरोमेटिक वाला आ गया आएगा q देन आर देन p क्यू आर पी q आर पी क्यू आर पी क्यू आर पी क्या बात कर रहा है यार एकदम मतलब चैट में एकदम धमाधम ढोलकपुर चल रहा है आंसर वेरी गुड गुड वेरी नाइस। चलिए आगे चलते हैं। अगला सवाल क्या कह रहे हैं? डपोल मूमेंट, बॉन्ड लेंथ और रेट ऑफ प्रोटोनेशन की बात कर रहे हैं आपसे। तो कुछ सवाल मैं ले रहा हूं। जैसे मान लो एक सवाल ये ले लेता हूं। इससे समझाता हूं। ठीक है? और एक सवाल मैं ये ले लेता हूं। ध्यान से सुनना। यहां डपोल मूमेंट की बात चल रही है इस वाले बॉन्ड की। ठीक है? डपोल मूमेंट CO बॉन्ड का। बॉन्ड लेंथ CO बॉन्ड की। रेट ऑफ प्रोटोनेशन CO पर। ठीक है? तो मुझे एक बात बताओ अगर मैं CO बॉन्ड से ही समझा दूं तुम्हें तो मुझे एक बात बताओ इसका डपोल मूमेंट कब ज्यादा होगा? जब मैं इसको तोड़ लूं और पोलरिटी डेवलप हो जाए। पोलरिटी डेवलप हो जाए तो डपोल मोमेंट बढ़ जाएगा। ठीक है भाई साहब? तो अगर ये बॉन्ड टूट जाए, कैटायन बन जाए। यानी कि मैं एक काम करता हूं। इस बॉन्ड को तोड़ करके कैटायन बना लूं। अब ये कैटायन जितना ज्यादा स्टेबल हो जाएगा उतना बढ़िया मतलब उतना जल्दी बॉन्ड टूट जाएगा। भाई अगर यह बॉन्ड तोड़ना है तो कैटायन स्टेबल हो जाएगा। कार्बोटायन जितना ज्यादा स्टेबल हो जाएगा उतना जल्दी बॉन्ड टूट जाएगा। और बॉन्ड टूटने का मतलब क्या है? डपोल मोमेंट बढ़ चुका है क्योंकि पोलरिटी आ गई और डबल से सिंगल की तरफ जा रहे हो तो बॉन्ड लेंथ बढ़ चुकी है। और चार्ज डेवलप हो गया तो अगर मैं इसके पास में H+ लाऊंगा तो O नेगेटिव तुरंत उसको ले लेगा। यानी कि रेट ऑफ प्रोटोनेशन भी बढ़ गई। यानी कि ये तीनों का आंसर सेम है। इन तीनों का आंसर सेम है। इन तीनों का आंसर सेम है। अब ध्यान से देखो। ये वाली रिंग क्या हो चुकी है? एरोमेटिक। और ये वाली रिंग क्या हो चुकी है? चार पाई इलेक्ट्रॉन एंटी एरोमेटिक। यानी कि सारी चीजें इसकी ज्यादा। ये भी ज्यादा, ये भी ज्यादा और ये भी ज्यादा। सही बात है। सही बात है। सही बात है। सारी चीजें किसकी ज्यादा? जो स्टेबल कैटायन बना ले। क्यों? कार्बोटायन बनना यानी कि बॉन्ड टूटना, पोलरिटी डेवलप होना, डपोल बढ़ना। और अगर मैं आपसे बोलूं बॉन्ड लेंथ तो भाई सिंगल बॉन्ड की तरफ जा रहे हो। बॉन्ड टूटेगा तो सिंगल बनेगा ना डबल से COO वाला। और अगर मैं पूछूं रेट ऑफ प्रोटोनेशन तो भाई साहब O नेगेटिव को H+ जल्दी मिल जाएगा। नेगेटिव चार्ज आ रहा है उस पे। है ना? चलिए। अगला सवाल देखिए जरा। अमंग द फॉलोइंग कंपाउंड द वन वि शो हाईएस्ट डपोल मूमेंट। अब ध्यान से देखना हाईएस्ट डपोल मूमेंट इनमें से कौन दिखाएगा? मैंने C डबल ब्ड O के साथ ये वाला भी एक क्लब कर दिया। तो अब आप ध्यान से सुनना। रिंग अगर दोनों एरोमेटिक हो रही है तो वो ज्यादा डपोल मूमेंट दिखा सकती हैं। अगर दोनों जगह एरोमेटिसिटी आ रही है तो। ठीक है? बोलिए। तो एक काम करते हैं। इनमें सब में चेक कर लेते हैं। ठीक? मुझे बताओ अगर मैं इस वाले बीच वाले बॉन्ड को तोड़ दूं। जैसे तुम COO को तोड़ते हो ना मान लो इसको तोड़ दिया तो ये माइनस ये प्लस तो यहां पर ये रिंग एरोमेटिक हो चुकी है। ये बात आप जानते हो दो पाई इलेक्ट्रॉन से। गौर से देखो अगर मैं इसको ऐसे तोड़ दूं ये प्लस और ये माइनस तो भाई साहब यहां पर दो-दो जगह एरोमेटिसिटी आ रही है। अगर मैं इस बॉन्ड को तोड़ दूं कैसे भी तोड़ लो क्योंकि सिमिट्रिकल है ये तो ये प्लस ये माइनस ये एरोमेटिक और ये एंटी एरोमेटिक बन जाएगी चार पाई इलेक्ट्रॉन ये 6 पाई इलेक्ट्रॉन से। और तुम इसको कैसे भी तोड़ लो ये माइनस ये प्लस। तो यह बेटा sp3 की वजह से ये sp3 की वजह से यह भी नॉन एरोमेटिक है और यह भी नॉन एरोमेटिक है। और डपोल मोमेंट तो उसका ज्यादा होगा ना जो पोलरिटी क्रिएट करे मतलब प्लस माइनस में टूटे। तो अब तुम्हारा आंसर या तो ए आएगा या बी आएगा। अब गौर से देखो। यहां एक रिंग एरोमेटिक है। यहां दोनों रिंग एरोमेटिक है। तो डपोल मोमेंट किसका ज्यादा होगा? कौन जल्दी बॉन्ड टूटेगा? इन दोनों में इसका। तो बी वाला नहीं आएगा। ए वाला आएगा। क्योंकि दोनों रिंग एरोमेटिक हो रही है मालिक। दोनों रिंग एरोमेटिक हो रही है तो बॉन्ड जल्दी टूट जाएगा। ठीक? दोनों रिंग एरोमेटिक बॉन्ड जल्दी टूट जाएगा। अच्छा इसी से रिलेटेड रोटेशनल एनर्जी बैरियर है। उतना इंपॉर्टेंट नहीं है। आप चाहो तो इसको छोड़ सकते हो। लेकिन मैं एक एग्जांपल से जस्ट आपको बता दूं क्योंकि अभी मैंने डपोल मोमेंट समझा दिया तो ये उसी से ही कनेक्टेड है। है ना? उतना इंपॉर्टेंट नहीं है। बस एक बार देख लो 2 मिनट के अंदर। मान लो मेरे पास एक सवाल यह है। अभी थोड़ी देर पहले आपने यह पीछे कर रखा है। बस इसलिए बता रहा हूं मैं। और एक सवाल मान लो मैंने आपको यह दे दिया और मुझे ये बॉन्ड तोड़ना है। इस बॉन्ड को तोड़ना है। तो बताइए इस बॉन्ड को तोड़ने में कितनी एनर्जी लगेगी। किस में ज्यादा लगेगी? किस में कम लगेगी। मान लो इस बॉन्ड को तोड़ने में x किलो कैलोरी लगी और यहां y किलो कैलोरी लगी। तो बस यह बताना है कौन ज्यादा कौन कम। मुझे बताओ इसको ऐसे तोड़ो कि एरोमेटिसिटी बने। तो मैं एक काम करता हूं। इस बॉन्ड को नीचे की तरफ तोड़ देता हूं। ठीक है? ताकि मेरा क्या काम बन जाए? यहां नेगेटिव यह एरोमेटिक बन जाए और यहां पॉजिटिव से यह एरोमेटिक बन जाए। तो ये दोनों ही एरोमेटिक बन गई। यहां तुम सोचो तुम कैसे भी तोड़ लो सिमिट्रिकल है। तुम कैसे भी तोड़ लो सिमिट्रिकल है मामला है ना? तो तुम ऐसे तोड़ो इसको। यहां प्लस यहां माइनस या ऊपर प्लस नीचे माइनस। यह एंटी एरोमेटिक और ये एरोमेटिक बन जाएगी। अब मुझे बताओ कौन सा बॉन्ड जल्दी टूटेगा जिसमें स्टेबिलिटी आ रही हो। यानी कि x की एनर्जी कम हो जाएगी किससे? y से। x की एनर्जी कम हो जाएगी y से। है ना? क्योंकि x वाले में आप बॉन्ड तोड़ोगे तो दोनों रिंग एरोमेटिक बन जाएंगी। और यहां पर तुम कुछ भी कर लो एक ना एक रिंग एंटी एरोमेटिक रहेगी ही रहेगी। ठीक है? अगर आपकी इच्छा है कि सर हम इसको छोड़ सकते हैं क्या? बहुत कम चांसेस हैं आने के। बहुत कम। ठीक है? बहुत कम चांसेस हैं आने के। ठीक? अगला देखिए। रिएक्टिविटी विद H एंड H2SO4। यह मैं आपको यहां इसलिए बता रहा हूं क्योंकि यह वाले सवाल आपके रिएक्शंस में होते हैं। है ना? तो, वहां तो आएंगे ही। यहां एरोमेटिसिटी से रिलेटेड सवाल भी आ सकता है। इसलिए यहां बता रहा हूं। कभी-कभी मैं यहां नहीं भी बताता हूं। रिएक्शंस में भी पढ़ लेते हैं अपन HX और H2SO4 की रेट ऑफ रिएक्शन। कार्बो केटायन से होता है। है ना? लेकिन, चलो मैं यहां भी बता देता हूं। HX क्या करता है? H+ देता है। H2SO4 भी H+ देता है। और तुम्हें सवाल दिया जाएगा अल्कोहल का। तो अल्कोहल H+ के साथ प्रोटोनेट हो जाता है और प्रोटोनेट होने के बाद यह पानी निकाल देता है और कार्बोटायन बना लेता है। अब जितना ज्यादा स्टेबल कार्बोटायन ठीक है? स्टेबिलिटी ऑफ़ R+ अगर ज्यादा तो रेट ऑफ रिएक्शन ज्यादा। और यहां तुम्हें एरोमेटिसिटी वाला फंडा लगाना है। कैसे? ध्यान से देखिए। मान लीजिए मेरे पास एक यह लिखा हुआ है और एक यह लिखा हुआ है। बताइए किसकी रेट ऑफ रिएक्शन ज्यादा होगी? क्या करो? कार्बोटायन बना लो। प्रोटोनेट करके पानी निकाल के प्लस और प्रोटोनेट करके पानी निकाल के प्लस। बताओ जरा। ये क्या हो रहा है? एरोमेटिक। ये क्या हो रहा है? एंटी एरोमेटिक। तो एरोमेटिक की स्टेबिलिटी ज्यादा। तो उसकी रेट ऑफ रिएक्शन ज्यादा। सिंपल बात है। कोई बड़ी बात नहीं है। है ना? क्लियर है? एकदम एरोमेटिक की रेट ऑफ रिएक्शन ज्यादा होगी किससे? एंटी एरोमेटिक से। और ये सवाल आपके वहां भी आते हैं। क्या कहते हैं? हैलोएके वगैरह में। अल्कोहल वगैरह वाले चैप्टर में भी आते हैं। AgNO3 SBCl5 भी आपको वहीं मिलता है। है ना? लेकिन यहां देख लो। ये जो AgNO3 है वो Ag+ देता है। तो कोई भी अल्काइल क्लोराइड आपको दिया जाएगा और उसकी रिएक्शन तुम्हारे AgNO3 के सिल्वर प्लस आयन से कराई जाएगी। और सिल्वर प्लस आयन क्या करेगा? यहां से Cl- खींच लेगा। तो ये बना लेगा R+ और AgCl का पीपीटी बन जाएगा वाइट। और अगर मान लो RCL में तुम्हें SBCL5 भी दे दिया ना SBCL5 भी दे दिया ना तो भी ये R+ बना लेगा और ये बना लेगा SBCl6 नेगेटिव। अब मुझे बताओ कि R+ की स्टेबिलिटी ज्यादा तो रेट ऑफ रिएक्शन ज्यादा होगी ना। जितना ज्यादा स्टेबल इंटरमीडिएट बनेगा उतनी ज्यादा रेट होगी। तो अभी अगर मैंने वो सवाल कराया। अब मैं आपको फिर से वही सवाल कराऊं। लेकिन यहां Cl लगा दूं तो क्या तुम नहीं कर पाओगे? बताओ जरा। क्या तुम नहीं कर पाओगे? अरे अभी अल्कोहल में तुमने किया है ये सवाल सेम टू सेम। अल्कोहल में करके आए हो ये सवाल। अब अल्काइल हैलाइड दे दिया। मान लो ये माइनस ये प्लस बताओ। एरोमेटिक हो गई। सात की रिंग में 6 पाई इलेक्ट्रॉन और ये माइनस ये प्लस ये एंटी एरोमेटिक हो गया। तो एरोमेटिक वाला ज्यादा रेट से रिएक्ट करेगा कंपैरिजन टू एंटी एरोमेटिक। सिंपल है। है ना? सिंपल है ना? तो कोई बड़ी बात नहीं है इसमें। सिंपल है। आप तो हैलोजन हटा के प्लस लगा लो ना। चेक कर लेना रेट ऑफ रिएक्शन। चलो ये सवाल करके बताओ। चलो अमोंग द फॉलोइंग व्हिच इज़ मोर रिएक्टिव टुवर्ड AgNO3। बताओ Ag+ क्या करेगा? हैलोजन हटा लो इनके। अब Cl हो, Br हो, I हो, कोई दिक्कत नहीं। बताओ। एक काम कर देता हूं मैं आपके लिए। यह हटा के यहां प्लस बता देता हूं। अब बताओ मुझे कौन सा कार्बोटायन ज़्यादा स्टेबल आ रहा है? बोलिए भाई कौन सा कार्बोटायन ज्यादा स्टेबल आ रहा है? यह तो नॉन एरोमेटिक हो जाएगा क्योंकि sp3 है। यह भी नॉन एरोमेटिक हो जाएगा क्योंकि ये sp3 दिख रहे हैं आपको। ठीक? ये एंटी एरोमेटिक हो जाएगा। और ये वाला गौर से देखें। गौर से देखें। दो चार और दो 6 पाई इलेक्ट्रॉन। एरोमेटिक हो जाएगा। बी आ जाएगा आंसर। बी आ जाएगा बेटा। सी वाला तो एंटी एरोमेटिक है यार। सी वाला तो चार पाई इलेक्ट्रॉन से एंटी एरोमेटिक है। B आ जाएगा। 2 2 4 और 2 6 पाई इलेक्ट्रॉन। कार्बोटायन में तो इलेक्ट्रॉन होते नहीं है। अच्छा आप सोचो सर यहां तो दो लोन पेयर हैं। बेटा एक बार में एक ही जाता है ना। एक बार में एक ही लोन पेयर जाएगा। दूसरा लोन पेयर तो हाइब्रिडाइजेशन में इन्वॉल्व होगा इसके sp2। दो सिग्मा और एक लोन पेयर। बोलो। बोलो आंसर आपका। बी आया। एक बच्चा कह रहा है सर A में बैक बॉन्डिंग है। अरे भाई साहब है तो B में भी देखो अगर मैं रेजोनेंस करा दूं तो इसमें भी तो बैक बॉन्डिंग है। वो नॉन एरोमेटिक है। एरोमेटिक है। देखो अगर मैं इस कैटायन का इस वाले कैटायन का यहां रेजोनेंस करा दूं तो ऐसा दिखेगा। तो इसमें भी बैक बॉन्डिंग है ये तो। ठीक है? क्लियर है? एकदम। अच्छा, एक दो छोटी-छोटी चीज़ें हैं। आप चाहो तो इनको छोड़ सकते हो। बस जस्ट 1-1 मिनट के अंदर बता देता हूं। सोडियम, पोटेशियम, एलुमिनियम क्या करते हैं? ये कैटायन बनाते हैं। मान लो सोडियम है या कोई भी है। तो ये कैटायन बना के इलेक्ट्रॉन देते हैं। क्या देते हैं? इलेक्ट्रॉन। तो कभी-कभी इस टाइप के कंपाउंड में अगर कोई रिएक्शन तुम्हें देखने को मिल जाए कि मैंने सोडियम के साथ रिएक्शन कराई और यहां दिया जाएगा दो बार। तो ये क्या करेगा? ये बनाएगा 2 Na+ और क्या दे देगा तुमको? दो इलेक्ट्रॉन। ठीक है? अब ये बॉन्ड ब्रेक करेगा रेडिकल रेडिकल। एक इलेक्ट्रॉन यहां दे दो। दूसरा इलेक्ट्रॉन यहां दे दो। तो ये क्या बना लेगा? ऐसा एनायन। अब बताओ ये क्या है एरोमेट? ये पूछ लेंगे आपसे कि बताओ एरोमेटिक बन रहा है कि नहीं? इस तरीके से। तो एरोमेटिक हो गया क्योंकि छह पाई इलेक्ट्रॉन हो गए। तो कभी भी मेटल के साथ रिएक्शन कराई जाए तो मेटल का काम मेटल का काम क्या होता है? बेसिक है एकदम। मेटल क्या करता है? इलेक्ट्रॉन रिलीज़ करता है ना। तो इलेक्ट्रॉन रिलीज़ करके क्या करेगा? बॉन्ड तोड़ेगा रेडिकल रेडिकल और इलेक्ट्रॉन दे देगा इसको। तो यह पूछ लेगा कि प्रोडक्ट क्या बनेगा? एरोमेटिक प्रोडक्ट बन रहा है इसमें। ठीक है? कोई और सवाल होगा तो बस इलेक्ट्रॉन दे के चेक करना होगा कि क्या बनेगा? इसी तरीके से एक यह है Fe+3 वाला। अगर मैं Fe+3 को इलेक्ट्रॉन दिलवा दूं भाई एक इलेक्ट्रॉन निकालता था एक इलेक्ट्रॉन ले रहा है। तो ये Fe+2 में चला जाएगा। तो Fe+3 इलेक्ट्रॉन लेकर के Fe+2 में जाना चाहता है। तो अगर मान लो मेरे पास ऐसा लिखा हुआ है। और मैं इसकी रिएक्शन Fe+3 से करा करूं। तो क्या करेगा? ये रेडिकल रेडिकल बनाएगा। और ये इलेक्ट्रॉन अपना इसको और ये इलेक्ट्रॉन अपना इसको दे देगा। और इलेक्ट्रॉन निकलने के बाद क्या बचेगा? कैटायन बचेगा बस तो ये क्या बना लेगा? एरोमेटिक बना लेगा। ठीक है? क्योंकि दो पाई इलेक्ट्रॉन आ रहे हैं अब। ये कहानी है। ठीक? क्लियर है? और आपकी इच्छा है आप चाहो तो इसको छोड़ भी सकते हो। कोई दिक्कत नहीं। चलिए, अब हम चलते हैं स्टेबिलिटी ऑफ़ इंटरमीडिएट पर। स्टेबिलिटी ऑफ़ इंटरमीडिएट पर चलते हैं। अब अपन ने सारे इफ़ेक्ट पढ़ लिए। ठीक है? सारे इफ़ेक्ट पढ़ लिए। सारे इफ़ेक्ट पढ़ लिए आपने। आपने इंडक्टिव पढ़ लिया, रेजोनेंस पढ़ लिया, हाइपर पढ़ लिया, सब तरीके के इफेक्ट पढ़ लिए। अब मैं आपको क्लब कर देता हूं सारे। ठीक है? आपको क्लब कर देता हूं। क्या सोचना है? आपको सबसे पहले बैक बॉन्डिंग सोचनी है। सुनिएगा ध्यान से। बैक बॉन्डिंग। बैक बॉन्डिंग का मतलब 2p वाली कंजुगेशन। कौन सा वाला? 2p वाला कंजुगेशन। याद करो। 2p वाला कंजुगेशन। ये सबसे डोमिनेट करता है। बैक बॉन्डिंग के बाद आपको सोचना है एरोमेटिसिटी। एरोमेटिसिटी के बाद आपको सोचना है मेजोमेरिक। है ना? उसके बाद सोचना है हाइपर। है ना? उसके बाद सोचना है इंडक्टिव। तो ये आपका ओवरऑल सवाल करने का तरीका बन जाएगा क्योंकि आपने लगभग सभी जगह इनको कर लिया है। ठीक है? तो ये आपको ओवरऑल चलना है। टू पी कंजुगेशन सोचो, एरोमेटिसिटी सोचो। ये सब पढ़ रखा है। मेजोमेरिक या रेजोनेंस फिर हाइपर फिर इंडक्टिव सोचना है आपको। ठीक है? अब स्टेबिलिटी ऑफ़ इंटरमीडिएट में अलग-अलग हो सकते हैं। आपके पास कार्बोटायन भी हो सकता है। आपके पास कार्बनायन भी हो सकता है। आपके साथ फ्री रेडिकल भी होता है। ठीक है? ठीक है? तो ये कहानी है। तो अगर मैं एक-एक करके चलूं। अगर मैं कार्बोटायन की बात करूं आपसे है ना स्टेबिलिटी ऑफ़ कार्बोटायन तो कैसे बनता है ये कार्बोटायन कैसे बनता है कभी भी कोई भी हेटेरोलिटिक बॉन्ड ब्रेकिंग अगर होती है तो हेटेरोलिटिक बॉन्ड ब्रेकिंग में कोई ऐसा एटम लगा हो जो कार्बन से ज्यादा इलेक्ट्रोनेगेटिव लगा हो तो वो इलेक्ट्रॉन ले के भाग जाएगा और एक इंटरमीडिएट का जन्म होगा जिसको बोलते हैं अपन कार्बोटायन ठीक है कार्बो केटायन की कुछ प्रॉपर्टी की बात कर लेता हूं जैसे ये छह इलेक्ट्रॉन रखता है कार्बो केटायन एक वेकेंट ऑर्बिटल इसमें होता है कार्बोटायन में है ना वेकेंट एंड P ऑर्बिटल होता है कार्बोटायन में। ठीक? डायमैग्नेटिक होता है। मैग्नेटिक मूवमेंट ज़ीरो होता है। ठीक? इस तरीके से मैं बोल सकता हूं कुछ प्रॉपर्टी। ये तो आपको वैसे ही पता है। नहीं भी लिखूंगा तो भी पता है। है ना? तो हेट्रोलिटिक बॉन्ड ब्रेकिंग से बनता है। चलिए तो अपन सवाल में अप्लाई कर लेते हैं। मजा पड़ जाएगा आपको। आइए जरा। एक-एक करके सोचना है। बैक बॉन्डिंग सोचो। 2p वाली ओवरलैपिंग है क्या? बैक बॉन्डिंग सोचो। बैक बनने के बाद एरोमेटिसिटी सोचो फिर मेजोमेरिक सोचो फिर हाइपर इंडक्टिव बोलिए द मोस्ट स्टेबल कार्बोटायन चलिए आइए एक-एक करके चलें मुझे एक बात बताओ अगर मुझे बेंजीन से रिलेटेड सवाल दिया हुआ है तो मैं इफेक्ट से चलूंगा। बेंजीन से रिलेटेड दिया है तो इफेक्ट से चलूंगा। जैसे ये क्या है? इसके रेस्पेक्ट में मेटा पे लगा है तो ओनली -i सॉरी ओनली -i देखो इसके रेस्पेक्ट में मेटा पोजीशन पर मेटा पे सिर्फ इंडक्टिव -i पैरा पे लगा है तो +m > -i ठीक है यहां कुछ नहीं लगा यहां CH3 पैरा पर लगा है तो +h > +i CH3 का +H होता है तो मुझे बताओ सबसे ज्यादा स्टेबल कौन सा होगा? +m वाला C आएगा। अच्छा अगर मैं पूछूं पूरा ऑर्डर बताना जरा तो C के बाद मालिक क्या आना चाहिए? सोचो। +m वाला तो चलो आंसर तो मुझे पता है आ गया तुम्हारा तुमने चैट में भी कर दिया पूरा बताओ पूरा आ गया भाई आंसर हम मना नहीं कर आ गया आंसर आपका पूरा बताओ सी के बाद क्या लिख दूं b लिख दूं क्या क्यों क्योंकि + h लग रहा है फिर न्यूट्रल वाला कर दूं डी वाला और लास्ट में इसके रेस्पेक्ट में मेटा पे लगा था तो -i वाला पीछे आएगा सी बी डी आएगा क्या आय हाय क्या बात है बहुत बढ़िया सीबीडी -i वाला तो पीछे आएगा ना। कार्बोटायन है भैया। कार्बोटायन की स्टेबिलिटी स्टेबिलिटी ऑफ़ कार्बोटायन इज़ डायरेक्टली प्रोपोर्शनल टू +m +h +i और इन्वर्सली प्रोपोर्शनल टू -m -h और -i ये हो जाएगा। है ना? और आपने सब कुछ पढ़ लिया है। मैजोमेरिक हाइपर कंजगेशन पर डोमिनेट करता है। फिर इंडक्टिव आता है। यह भी आप जानते हो। ठीक है? चलिए, अगला सवाल बताइएगा। व्हिच वन ऑफ द फॉलोइंग कार्बोटायन मोस्ट स्टेबल कौन सा बताओ? मोस्ट स्टेबल कार्बोटायन बताना है। मोस्ट स्टेबल बोलो। मोस्ट स्टेबल बोलिए क्या इसमें बीवी है बी आप सोचो बी है क्या बी नहीं है क्यों इस वाले प्लस में तो दिख ही नहीं रही क्योंकि 2p वाली नहीं है और कभी इसका रेजोनेंस करा कर भी आए कभी-कभी ऐसा भी होता है कि बीवी होती है लेकिन बताता नहीं है कोई जैसे इसमें देखो इसमें बीवी है लेकिन बता नहीं रहा कैसे पता चलेगा एक रेजोनेटिंग स्ट्रक्चर बना करके चेक करो इसका ऐसा कर सकते हो आप बिल्कुल तो अब आपको पता चलेगा कि हां इसकी बीवी है। देखो कार्बोटायन के पास में फ्लोरीन लगा है। बीवी है। इसकी भी बीवी है। बता नहीं रहा ये। हमें पता करना पड़ेगा। देखिए ऐसा देखो इसकी भी बीवी है ऑक्सीजन की। इसकी भी बीवी है। देखो तो कभी-कभी आपको आंखों से बीवी ना दिखे। तो आपको एकदम मन की आंखों से पता करना पड़ेगा। मतलब रेजोनेंस करा करके भी देखो। अब मुझे बताओ अब मुझे बताओ इसकी भी बीवी है। इसकी भी और इसकी भी है। इसमें तो बीवी नहीं थी। तो ए वाला तो पीछे कर दो। अब देखना जरा किसकी बीवी अच्छी? इसकी इसकी या इसकी देखना। अब वो कैसे पता चलेगा? एक्सटेंड ऑफ़ ओवरलैपिंग से। कार्बन है। कार्बन के साथ क्या कंपेयर कराना है? ऑक्सीजन क्लोरीन। और एक कराना है OCOCH3। अब मुझे एक बात बताओ। इसका तो लोन पेयर अपने ही ग्रुप में इन्वॉल्व है। यह तो हटा दो पीछे। अब यह बचा और यह बचा। है ना? अब बताओ कौन अच्छा होगा? यह वाला या ये वाला? ऑब्वियसली ऑक्सीजन वाला है ना? उससे ये आंसर आ जाएगा। कार्बन ऑक्सीजन का साइज डिफरेंस कम है कंपैरिजन टू कार्बन फ्लोरीन। ठीक है? ठीक है? कार्बन ऑक्सीजन की बीवी अच्छी है कंपेरिजन टू कार्बन फ्लोरीन। ठीक है? यह कहानी है। तो, कभी भी सवाल तुम करो ना, सीक्वेंस में करो, बैक बॉन्डिंग सोचो, एरोमेटिसिटी सोचो, रेजोनेंस हाइपर इंडक्टिव ऐसे बताओ। इन सभी को गौर से देखो। क्या बीवी है? हां या ना? क्या इनमें बी है? नहीं है। बीवी नहीं है तो अगला फैक्टर क्या होता है? एरोमेटिसिटी। बताओ। एरोमेटिसिटी सी वाले में है। एरोमेटिसिटी फैक्टर का मतलब है कि कार्बोटायन की वजह से एरोमेटिसिटी। से यहां ये पीए यानी कि बेंजीनिक एरोमेटिक तो है लेकिन कार्बोटायन की वजह से नहीं है। हमें कार्बोटायन की वजह से चाहिए। तो सी वाले में एरोमेटिसिटी दिख रही है 6 पाई इलेक्ट्रॉन। तो एरोमेटिसिटी वाले फैक्टर से C सबसे आगे आ गया। C सबसे आगे आ गया। अब एरोमेटिसिटी के बाद चेक करो। क्या चेक करते हो? मेज़ोमेरिक या रेजोनेंस? ठीक है? बताओ। यहां तीन-तीन रिंग में रेजोनेंस है। देखो तीन-तीन रिंग में है। यहां दो रिंग में है। यहां तो है ही नहीं। ठीक है? तो आ गया आंसर। सी के बाद आएगा ए क्योंकि तीन रिंग का रेजोनेंस है। आ गया आंसर ये भाई यहां तीन रिंग का रेजोनेंस आ रहा है। यहां दो रिंग का आ रहा है। यहां तो रेजोनेंस ही नहीं है। तो एरोमेटिसिटी लगाया, मेजोमेरिक लगाया यानी कि रेजोनेंस लगाया आंसर आ गया। बहुत इंपॉर्टेंट बात है सीक्वेंस में चलना। सीक्वेंस में चलोगे तो आंसर सही आएगा। चलिए अगला सवाल बताइए। मोस्ट स्टेबल कार्बन अमंग द फॉलोइंग। बोलो चेक करो। किसी की बीवी है क्या बी? सीक्वेंस बदलना। बीवी है क्या? नहीं है। एरोमेटिसिटी है क्या? कहीं नहीं दिख रही। मेज़ोमेरिक कहीं पाई बॉन्ड नहीं दिख रहा। हाइपर कंजुगेशन चेक कर लेंगे। हाइपर कंजुगेशन चेक कर लेंगे। बताइए। इसका एक अल्फा है। तीन सॉरी तीन नहीं इसका यह अल्फा है ना दो और एक 3 अल्फा। इधर आ जाओ। 2 4 और 3 7 अल्फा। तीन और दो 5 अल्फा। आ गया आंसर। बी आ जाएगा। बी के बाद आएगा डी। BDCA समझे आप खेल कितना आसान है सवाल करना बस तरीका पता होना चाहिए। ठीक है? कह रहे हैं पर A में नंबर ज्यादा है। अरे मालिक A में एक ही अल्फा H है इधर। चलिए कार्बनायन को देख लीजिए एक बार कार्बनाइन कार्बोनायन कर लिए। कार्बनायन में क्या करोगे? हाइट्रोलिटिक बॉन्ड ब्रेकिंग से बनता है। जैसे मान लो कोई एटम लगा दिया A और A वाला कम इलेक्ट्रोनेगेटिव है तो कार्बन अपनी तरफ इलेक्ट्रॉन खींच लेगा और मामला कुछ ऐसा कर देगा। एक कुछ प्रॉपर्टी की बात कर लो। तो यहां आठ इलेक्ट्रॉन होते हैं। ठीक है? अह फुल्ली फिल्ड p ऑर्बिटल होता है यहां। फुल्ली फिल्ड P ऑर्बिटल होता है। ठीक है? डायमग्नेटिक है यह क्योंकि फुली फील्ड है। मैग्नेटिक मूवमेंट जीरो है। ठीक है? इस तरीके से। तो कार्बनायन कैसे बनता है? जब इससे कम इलेक्ट्रोनेगेटिव का एलिमेंट जुड़ा हो और वो इलेक्ट्रॉन खींच रहा हो। ठीक है? और जैसा सीक्वेंस आपने वहां किया था, सेम वैसा ही सीक्वेंस है। कार्बोटायन जैसा ही सोचना है आपको। है ना? चलिए ए बी सी डी। सोचिए जरा। बताइए बैक बॉन्डिंग बीवी है क्या? नहीं है। बीवी नहीं है ना? चलिए अगला सोचिए जरा। एरोमेटिसिटी है क्या? चेक कर लेते हैं। यह एंटी एरोमेटिक, नॉन एरोमेटिक नॉन एरोमेटिक क्योंकि बहुत सारे sp3 दिख रहे हैं। और ये एरोमेटिक तो डी ज्यादा आएगा और ए कम आएगा। बाकी बी और सी सोच लेंगे। डी ज्यादा ये कम हो गया काम। सर सी और बी में क्या आया? सी और बी वाले में कैसे कराई? बेटा ये पांच की रिंग है। है ना? तो यहां पर एक चीज यहां लिख देता हूं मैं। स्टेबिलिटी ऑफ रिंग की अगर बात करें तो छह मेंबर ज्यादा स्टेबल है। फिर पांच फिर चार फिर तीन। ठीक है? ये कहानी होती है। तो पांच मेंबर की रिंग ज्यादा स्टेबल है कंपैरिजन टू चार वाली क्योंकि नेगेटिव चार्ज बराबर-बराबर ही दिख रहा है। तो डीसी भी है। वैसे डी और ए हो जाएगा आपका। है ना? तो पांच की रिंग पर नेगेटिव लगाओ चार पर। तो पांच की रिंग ज्यादा स्टेबल है चार से। ढोलकपुर आंसर। अगला चलिए एक सवाल और करिए। अगर बेंजीन वाला मामला दिख रहा है तो डोमिनेटिंग इफेक्ट से चल लो क्योंकि यहां पर आपको डोमिनेटिंग इफेक्ट से आंसर आ जाएगा। बेंजीन का मामला चल रहा है ना बेंजीन का? बेंजीन का बताओ। बेंजीन का मामला चल रहा है तो आप डोमिनेटिंग इफ़ेक्ट से कर लो। + h > +i - > -i + m > -i बताइए सबसे ज्यादा स्टेबल कौन सा है? अब ये कार्बनायन है तो भैया स्टेबिलिटी ऑफ़ कार्बनायन किस बात पे डिपेंड करेगा? नेगेटिव वालों पर। -m -h-i और +m +h +i। चलिए बताइए जरा। बोलिए। सबसे ज्यादा स्टेबल कौन सा आएगा? कार्बन आयन अगर लगा है मालिक कार्बनायन लगा है तो NO2 वाला इलेक्ट्रॉन विड्रंग है। इलेक्ट्रॉन खींचता है। तीन सबसे ज्यादा होगा। ये हटा दूं तीन सबसे ज्यादा। ठीक? तीन सबसे ज्यादा। उसके बाद एक आएगा। क्यों? प्लस वाले बाद में आएंगे। तीन के बाद एक आएगा। तीन के बाद एक आएगा। ये हटा दो। ये हटा दो। हो गया काम लो। तीन के बाद एक क्योंकि न्यूट्रल वाला आएगा। फिर उसके बाद दो आएगा फिर चार आएगा क्योंकि +h + m में +m पावर ज्यादा तो स्टेबिलिटी कम। ठीक है? चलिए फ्री रेडिकल का खेल खेल लेते हैं कुछ। ये होमोलेटिक बॉन्ड ब्रेकिंग से बनता है। जैसे मान लो C और A दोनों में बराबर इलेक्ट्रोनेगेटिविटी है। तो ये बॉन्ड ब्रेकिंग रेडिकली होगी। है ना? रेडिकली होगी तो ऐसा दिखेगा। ठीक? जैसे इसमें कितने इलेक्ट्रॉन हैं? सात इलेक्ट्रॉन हैं। ठीक है? और यह हाफ फील्ड P ऑर्बिटल है। फ्री रेडिकल में हाफ फील्ड P ऑर्बिटल और पैरामैग्नेटिक है। और पैरामैग्नेटिक का मैग्नेटिक मोमेंट नॉन ज़ीरो होता है। है ना? निकाल सकते हो 1 * 1 + 2 3 आ जाएगा। ठीक है? चलिए आइए। फ्री रेडिकल। अच्छा फ्री रेडिकल में मैं आपको कुछ चीजों से बचा सकता हूं। कैसे? यहां बैक बॉन्डिंग जैसी कोई बात नहीं होगी क्योंकि बैक बॉन्डिंग में लोन पेयर्स की बातें होती हैं। इलेक्ट्रॉन पेयर की बात होती है। यहां पेयर की तो बात है नहीं। हाफ फील्ड है। एरोमेटिसिटी होती नहीं फ्री रेडिकल में। तो ये दोनों तो हटा ही दो। आप सोचो मेज़ोमेरिक देन हाइपर देन इंडक्टिव खेल खत्म। बहुत आसान है। रेजोनेंस सोचो सीधे। आपको ये सोचने की जरूरत ही नहीं है। चलिए सोचिए जरा। आपको बाकी टेंशन नहीं लेनी किसी चीज की। रेजोनेंस हाइपर इंडक्टिव सोच लो। बताओ। बोलिए गौर से देखिए जरा क्या लग रहा है आंसर करो ट्राई करो बोलो बोलो बताओ क्या लग रहा है? सबसे पहले देखो मेजोमेरिक फ्री रेडिकल में मेजोमेरिक चल रहा है। मेजोमेरिक बताओ मेजोमेरिक कहां दिख रहा है? मतलब रेजोनेंस कहां दिख रहा है? ये देख लो सर यहां तीन रिंग का रेजोनेंस है। मुझे तो साफ-साफ दिख गया। तीन रिंग फिर यहां दो रिंग का रेजोनेंस है। फिर इन दोनों में रेजोनेंस नहीं है। लेकिन 9 अल्फा हैं और यहां पर छह अल्फा है। हो गया काम। बी आंसर आ गया। देखो बी आंसर आ गया। क्या बात है? बहुत बढ़िया। अच्छा ये दोनों ऑप्शन सेम दिख रहे हैं। यहां तीन कर देता हूं और यहां दो कर देता हूं। ठीक है? ठीक है। वो दोनों ऑप्शन सेम दिख रहे थे। बी कर दिया मैंने। चलिए अगला। व्हिच ऑफ द फॉलोइंग स्टेटमेंट इज रोंग? रॉन्ग रॉन्ग। बोलो कौन सा स्टेटमेंट रॉन्ग है? अ टर्शरी फ्री रेडिकल इज मोर स्टेबल देन सेकेंडरी फ्री रेडिकल। ये करेक्ट है। है ना? आपको रॉन्ग चाहिए ये बेटा एग्जाम में पढ़ लेना ये सवाल। हम अ सेकेंडरी फ्री रेडिकल इज़ मोर स्टेबल देन प्राइमरी फ्री रेडिकल। हां या ना? बिल्कुल सही है। अ टर्शरी कार्बोटायन इज़ मोर स्टेबल देन सेकेंडरी कार्बोटायन। आय हाय ये भी सही है। अ प्राइमरी कार्बोटायन इज़ मोर स्टेबल ऑप्शन पढ़ के ही दिखता है कि तुम गलत हो। है ना? ऑप्शन चिल्ला चिल्ला के कह देता है कि अरे तुम कैसे हो सकते हो? है ना? और बेटा एग्जाम में ऐसा होगा। देख लेना तुमको अगर कभी ऐसा लगे कि पूरा पेपर तुम देख रहे हो और कुछ सवाल किसी भी सेगमेंट का ना बने। तुरंत कूद के ऑर्गेनिक में आ जाओ। दो-चार सवाल बने कॉन्फिडेंस बढ़ जाएगा। ठीक है? चलिए, अगला सवाल। कोवेलेंट बॉन्ड कैन अंडरगो फज़न इन टू डिफरेंट वेज़। द करेक्ट रिप्रेजेंटेशन इनवॉल्व अ हाइट्रोलिटिक फज़ ऑफ़ CH3Br बताओ क्या बनेगा CH3Br से बताओ बोलो क्या बनेगा बोलो कितना आसान है अरे भाई कार्बन और ब्रोमीन का बॉन्ड ऐसे ही ना टूटेगा CH3+ और Br- हैं क्या बात कर रहे हो तुम हेट्रोलिटिक कह रहे हैं ना होमो थोड़ी कह रहे हैं डी क्यों लगा रहे हो पगलों भाई सत्यानाश कर दोगे पेपर में तुम तो ऐसे सवाल क्या कह रहा है? हेटेरोलिटिक फज़ कह रहा है? होमोलिटिक थोड़ी कह रहा है। बताओ इतने आसान सवाल गलत करके आओगे। जनता माफ़ करेगी क्या तुम्हें? चलिए कुछ बातें लिख रहा हूं। मैं इसमें ओपी पॉइंट ऐड कर लो आप। स्टेबिलिटी ऑफ़ इंटरमीडिएट से रिलेटेड पहला। कभी अगर जीवन में कार्बोटायन या यहां पर फ्री रेडिकल आ जाए। ठीक है? तो स्टेबिलिटी का ऑर्डर ये होगा। क्योंकि इलेक्ट्रॉन डेफिशिएंट एलिमेंट सॉरी इलेक्ट्रोनेगेटिव एलिमेंट पर डेफिशिएंसी मजा नहीं आता है। है ना? इलेक्ट्रॉन डेफिशिएंट एलिमेंट पे डेफिशिएंसी बने अच्छा थोड़ी लगेगा। तो कार्बोटायन हो या फ्री रेडिकल हो। sp पर बने तो गंदी बात है। है ना? sp पे नहीं बनना चाहिए। और अगर मैं आपको कार्बोनायन की बात बता दूं तो भैया s करैक्टर ज्यादा इलेक्ट्रोनेगेटिव ज्यादा और इलेक्ट्रोनेगेटिव एलिमेंट पे नेगेटिव चार्ज स्टेबल होता है। दूसरा पॉइंट यह ऐड करें। तीसरा पॉइंट Me3C+ 9 अल्फाH की वजह से 9 अल्फाH और तीन मिथाइल का +I होता है। इस वजह से ज्यादा स्टेबल माना जाता है एक रिंग के रेजोनेंस से। ठीक है? एक रिंग के रेजोनेंस से ज्यादा स्टेबल माना जाता है। चौथा डांसिंग रेजोनेंस की वजह से स्टेबिलिटी बढ़ जाती है। और डांसिंग रेजोनेंस होता है तीन की रिंग में। ठीक है? तीन की रिंग में डांसिंग रेजोनेंस होता है और स्टेबिलिटी बढ़ जाती है। ठीक है? इसमें क्या होता है? बेंट पी ओवरलैपिंग कुछ इस प्रकार होती है। समझ लो। इसका जो p ऑर्बिटल है, है ना? इसका जो P ऑर्बिटल है वो इसके इसके बेंट ऑर्बिटल्स के साथ देखो ऐसे ऑर्बिटल होते हैं। इतनी छोटी रिंग होती है ना कि यहां इलेक्ट्रॉन डेंसिटी बहुत ज्यादा होती है। इतनी छोटी रिंग है कि इसके p ऑर्बिटल मुड़े हुए हैं और इसकी इलेक्ट्रॉन डेंसिटी यहां पर इतनी ज्यादा होती है कि ये अपनी इलेक्ट्रॉन डेंसिटी की वजह से इसको स्टेबल कर देता है। बेंट है भाई तीन की रिंग है। इतनी छोटी रिंग है। क्या बताएं? है ना? इतनी छोटी रिंग है कि क्या बताएं? तो बेंट P ओवरलैपिंग की वजह से ऐसा होता है क्योंकि इसके ऑर्बिटल बहुत छोटे-छोटे होते हैं। मतलब बहुत कम जगह पर होते हैं। चार्ज डेंसिटी बहुत ज्यादा होती है। तो इसको स्टेबल कर सकते हैं। तो डांसिंग रेजोनेंस की वजह से स्टेबिलिटी बढ़ जाती है। पांचवा पॉइंट बॉन्ड एनर्जी ऑफ़ CH बॉन्ड। कभी भी CH बॉन्ड की बॉन्ड एनर्जी की बात करें ये होता है इन्वर्सली प्रपोर्शनल टू स्टेबिलिटी ऑफ़ फ्री रेडिकल। स्टेबिलिटी ऑफ फ्री रेडिकल। जैसे आपसे अगर मैं कहूं कि इस बॉन्ड की एनर्जी x है और इस बॉन्ड की एनर्जी y है। तो किसकी एनर्जी ज्यादा, किसकी कम? आप इस बॉन्ड को फ्री रेडिकली तोड़ लो। ये दिखेगा और इसको फ्री रेडिकली तोड़ लो। ये दिखेगा। इसकी स्टेबिलिटी ज्यादा है। तो बॉन्ड तोड़ने के बाद स्टेबिलिटी ज्यादा है तो एनर्जी कम हो जाएगी। है ना? मतलब x एनर्जी कम लगेगी। y ज्यादा भाई कम एनर्जी में ही काम हो गया ना। अरे भैया अगर प्रोडक्ट स्टेबल आ रहा है तो कम एनर्जी में ही तो काम हो गया। ठीक है? यह कहानी है। अच्छा फोर्थ वाले में ये तीन रिंग ज्यादा लग गई क्या? हां। तीन रिंग दो रिंग देखिए क्लियर है एकदम अगर एनर्जी तुमने कम दी कम एनर्जी देने पर ही ज्यादा स्टेबल बन गया यानी कि सही है ना एनर्जी इन्वर्सली नॉट बी स्टेबिलिटी बेटा फर्स्ट और टू पॉइंट देखो वन और टू पॉइंट में तो s करैक्टर ज्यादा देखो परसेंटेज s करैक्टर ज्यादा इलेक्ट्रोनेगेटिविटी ज्यादा और इलेक्ट्रोनेगेटिव एलिमेंट पे नेगेटिव स्टेबल है और डेफिशिएंसी अनस्टेबल है और कार्बोटायन फ्री रेडिकल दोनों ही डेफिशिएंट होते हैं। कोऑर्डिनेशन की क्लास नहीं है आज। ठीक है? यो कहानी छह। तो कुछ ये इंपॉर्टेंट पॉइंट्स मैंने लिखवा दिए आपको। आइए हीट ऑफ हाइड्रोजनेशन के बारे में समझ लेते हैं। क्या कह रहे हैं? द अमाउंट ऑफ एनर्जी रिलीज ड्यूरिंग हाइड्रोजेनेशन रिएक्शन। ये क्या होता है भाई साहब? ये बात क्या है? बहुत आसान सी बात है कि भैया हाइड्रोजेनेशन रिएक्शन करानी है कैटलिस्ट के प्रेजेंस में H2 की तो क्या बन जाएगा? एल्केन बन जाएगा इसमें। है ना? लेकिन इस रिएक्शन में कुछ एनर्जी निकलती है और इसी को बोलते हैं डेल्टाHOH या हीट ऑफ़ हाइड्रोजनेशन। अब आप मुझे एक बात बताइए इसको कंपेयर कैसे कराओगे आप? भाई एल्कीन की रिएक्शन या अल्काइन की रिएक्शन आपने कराई। H2 के साथ कराई। एल्केन बन गया और इसमें जो एनर्जी निकली डेल्टाH नेगेटिव होता है तो उसको हीट ऑफ हाइड्रोजेशन बोलते हैं। है ना? अब मुझे एक बात बताओ इसको कंपेयर कैसे कराओगे? लॉजिकली सोचो भाई अगर एक बॉन्ड होगा पाई बॉन्ड तो जितनी एनर्जी निकलेगी तो मान लो दो बॉन्ड कर दिए तो ज्यादा निकलेगी। तीन पाई बॉन्ड कर दिए और ज्यादा निकलेगी। चार पाई बॉन्ड कर दिए और ज्यादा निकलेगी। यानी कि मैं कंपेयर कैसे कराऊंगा कि भैया HOH इज़ डायरेक्टली प्रोपोर्शनल टू नंबर ऑफ़ पाई बॉन्ड्स। सही बात है। पाई बॉन्ड ज्यादा, HOH ज्यादा। जैसे अल्काइन की HOH ज्यादा होगी किससे? एल्कीन से। सही बात है ना? एक आध सवाल और देख लो। जैसे अगर मान लो दो पाई बॉन्ड हुए उसकी HOH ज्यादा होगी किससे? एक पाई बॉन्ड से। क्यों? पाई बॉन्ड ज्यादा तो HOH ज्यादा। क्यों? रिएक्शन ज्यादा बार होगी ना। ज्यादा टाइम ज्यादा एनर्जी निकलेगी। लेकिन अगर मान लो ऐसा हुआ इफ नंबर ऑफ पाई बॉन्ड्स आर सेम। इफ नंबर ऑफ़ पाई बॉन्ड्स आर सेम। अगर पाई बॉन्ड तुम्हारे सेम हो गए तो HOH इज़ इन्वर्सली प्रोपोर्शनल टू स्टेबिलिटी। जितनी ज्यादा स्टेबिलिटी उतनी कम HOH हो जाएगी। क्यों? स्टेबिलिटी अगर सुनना ध्यान से। अगर स्टेबिलिटी किसी कंपाउंड की ज्यादा है मतलब रिएक्टेंट की स्टेबिलिटी ज्यादा है तो वो आसानी से रिएक्ट नहीं कर पाएगा। स्टेबल है ना? वो आसानी से नहीं कर पाएगा तो कम एनर्जी निकलेगी। ठीक है? जैसे मान लीजिए मुझे इन दोनों में कंपेयर कराना है। ठीक है? इसमें H कंपेयर कराना है। इन दोनों में तो बताइए किसकी स्टेबिलिटी ज्यादा है? इसकी स्टेबिलिटी ज्यादा है ना? अल्फा ज्यादा है। इसके मुकाबले में स्टेबिलिटी ज्यादा तो h कम। क्योंकि दोनों में एक-एक पाई बॉन्ड था। यहां भी एक पाई था। यहां भी एक पाई था। पाई सेम रहेंगे तो स्टेबिलिटी से खेल लेना। ठीक है? अगर पाई बॉन्ड सेम रहेंगे तो स्टेबिलिटी से खेल लेना। चलिए आइए अगला सवाल एक करके बताइए मेरे को। द ऑर्डर ऑफ़ हीट ऑफ़ हाइड्रोजनेशन। मुझे बताओ पाई बॉन्ड कितने? सबसे पहले पाई बॉन्ड चेक करो। बोलो। एक और एक दो पाई। 2 पाई। 2 पाई। 2 पाई तो पाई बॉन्ड से नहीं होगा तो स्टेबिलिटी से होगा। बताओ एल्कीन की स्टेबिलिटी बता दो। अल्फा से चेक कर लो। इसके कितने अल्फा बोलोगे? 2 और एक 3 और इसके भी बोल दो और एक 3 ठीक है? इसके बोलोगे 3 2 5 2 7 इसके बोलोगे 2 और 2 4 इसके बोलो 3 2 5 इसके बोलो 3 2 5 इसके बोलो 3 2 5 1 6 और इसके बोलो 2 और एक तीन। बताइए सबसे ज्यादा स्टेबल मेरे को दिख रहा है यह 3 2 5 3 2 5 10 दिख रहा है। है ना? ठीक है? और रेजोनेंस भी आ रहा है इसमें। वैसे भी सबसे ज्यादा स्टेबल ही है। रेजोनेंस है इसमें। इनमें तो रेजोनेंस नहीं है। तो तीन वाला सबसे ज्यादा स्टेबल है। यानी कि तीन की HOH सबसे कम होगी। यानी कि मेरा आंसर बी आ चुका है। एक ही ऑप्शन दिख रहा है। देखो बोलो। सही है। बोलो क्या बी आंसर आ रहा है? चेक कर लो। चलिए सभी लोगों का आंसर एकदम चमकता हुआ मुझे दिखाई दे रहा है। अगला सवाल हीट ऑफ हाइड्रोजनेशन ऑफ इथीन इज ग्रेटर देन प्रोपीन। बोलो। का कहत हो मालिक जी? कह रहे कितना टाइम लेगल मालिक मालिक टाइम लेगल थोड़ा सा ऑल बोलो हीट ऑफ़ हाइड्रोजनेशन ऑफ़ दिस इज़ ग्रेटर देन दिस। बताइए जरा एक पाई एक पाई। ठीक है? इसकी स्टेबिलिटी ज्यादा तो HOH कम तो एकदम सही है। इसकी ग्रेटर है। पहला वाला सही है। CH3 गिव एडिशनल इफ़ेक्ट टू डबल बॉन्ड। बिल्कुल सही बात है। CH3 इसको + H इफ़ेक्ट दे रहा है। एडिशनल इफ़ेक्ट दे रहा है। एकदम सही है। तो असलशन भी सही है। रीज़न भी सही है। CH3 + H इफ़ेक्ट दे रहा है ना मालिक? डन छह। चलिए हीट ऑफ़ कंबस्शन की बात कर लें। बात ना आइए जरा बहुत आसान है। द अमाउंट ऑफ एनर्जी रिलीज़्ड ड्यूरिंग कंबस्शन रिएक्शन। ओए होए होए होए होए कंबस्शन रिएक्शन की अगर मैं बात करूं कोई भी जनरल कंबस्शन रिएक्शन CXHY X + Y / 4O2 क्या देता है ये? यो देता है मालिक XCO2 + Y / 2H2O और इसका जो डेल्टाH है वो नेगेटिव आता है। और ये है HOC हीट ऑफ़ कंबस्शन। अब मुझे एक बात सोच के बताओ। जितना ज्यादा कार्बन होगा उतनी ज़्यादा बर्निंग होगी और जितनी ज़्यादा बर्निंग होगी या कंबस्शन होगा उतनी ज्यादा एनर्जी निकलेगी मालिक। है ना? जितना ज्यादा कार्बन उतनी ज्यादा एनर्जी निकलेगी। क्या मेरी बात एकदम समझ में आ रही है? ठीक है? तो जितना ज्यादा कार्बन उतनी ज्यादा एनर्जी निकलने वाली। पहला पॉइंट HOC इज़ डायरेक्टली प्रोपोर्शनल टू नंबर ऑफ कार्बन एटम्स। जितने ज्यादा कार्बन होंगे उतनी ज्यादा हीट। जैसे मान लो चार को बर्न कराना है, पांच को कराना है, छह को कराना है। बाय आंसर बाय आंसर। जितना ज्यादा कार्बन उतनी ज्यादा HOC सही है। पॉइंट नंबर टू इफ नंबर ऑफ़ कार्बन एटम्स आर सेम। अगर कार्बन एटम्स सेम हैं तो क्या करोगे? सिंपल सी बात है। जितना ज्यादा स्टेबल रिएक्टेंट होगा। सुनना ध्यान से। रिएक्टेंट की बात चल रही है। स्टेबिलिटी ऑफ़ रिएक्टेंट। जितना ज्यादा स्टेबल रिएक्टेंट होगा वो आसानी से नहीं जलेगा। और आसानी से नहीं जलेगा तो कम एनर्जी निकलेगी। ठीक है? तो HOC कम हो जाएगी। जैसे स्टेबिलिटी की बातें कर रहे हैं हम। मान लीजिए पहला सवाल। फर्स्ट क्वेश्चन है आपके सामने। एक यह लिखा है, एक यह लिखा है। चलिए बताइए जरा। बोलिए HOC बता दीजिए इसकी पहले वाले की। इसकी स्टेबिलिटी ज्यादा है। छह अल्फा H है। इसके दो अल्फा H इसकी अगर स्टेबिलिटी ज्यादा है तो इसकी HOC कम हो जाएगी। सिंपल है। कभी-कभी साइक्लो कंपाउंड में आपसे पूछ लेंगे। तीन कार्बन, चार कार्बन, पांच कार्बन, छह कार्बन। चलिए जरा एक सवाल ये करके बताइए मुझे बोलिए जरा इस सवाल में एच ओ सी बता दीजिए 3 4 5 6 कार्बन बताइए एचओ सी का ऑर्डर क्या होगा हीट ऑफ कंबस्शन बेटा जितना ज्यादा कार्बन उतनी ज्यादा बर्निंग तो ये आ जाएगा लेकिन अगर मैं इसी सवाल में मान लो ऐसा कर दूं पांच की रिंग लगा के एक कार्बन कर दूं और छह की रिंग ले लूं तो अब बेटा ये दूसरा केस बन गया देखो ये वाला तो पहले वाले पॉइंट से हो जाएगा नंबर ऑफ़ कार्बन ज्यादा HOC ज्यादा अब ध्यान से सुनना अब यहां भी छह छह कार्बन, यहां भी छह कार्बन। क्यों? मैंने पांच के ऊपर एक और कार्बन लगा दिया। तो दोनों में छह-छह कार्बन है। और अगर छह-छह कार्बन है, तो नंबर ऑफ़ कार्बन सेम हो गए। अब चलना स्टेबिलिटी पर। और साइक्लोकेन में स्टेबिलिटी अभी थोड़ी देर पहले आपने लिखा था। छह वाले की स्टेबिलिटी ज्यादा है। सुनना। छह वाले की स्टेबिलिटी ज्यादा है और स्टेबिलिटी ज्यादा है तो HOC कम हो जाएगी। बात समझ में आई है? यहां देखो यहां तीन कार्बन, चार कार्बन, पांच कार्बन, छह कार्बन। यहां दोनों में ही छह कार्बन। तो अब तुम्हें स्टेबिलिटी से चलना पड़ेगा। समझे? समझे? समझे? अरे अंकल यहां तीन कार्बन यहां स्टेबिलिटी मत लगा देना। ये तो कार्बन से होगा। तीन कार्बन, चार कार्बन, पांच कार्बन, छह कार्बन। यहां देखो छह कार्बन, छह कार्बन। तो अब यहां स्टेबिलिटी चलोगे। स्टेबिलिटी ज्यादा है। HOC कम। ठीक है? डन से। चलिए सवाल बता दीजिए जरा फटाक से द करेक्ट ऑर्डर अच्छा यह तो अभी मैंने करवा भी दिया साइक्लो प्रोपेन साइक्लो ब्यूटेन साइक्लो बेंडेन तीन 2 एक नंबर ऑफ कार्बन पांच कार्बन चार कार्बन तीन ठो कार्बन तीन दो एक सी आंसर चलिए रेजोनेंस एनर्जी को एक बार देखिए जरा क्या कहता है रेजोनेंस एनर्जी क्या कहता है सुनिएगा ध्यान से द पोटेंशियल एनर्जी डिफरेंस बिटवीन रेजोनेंस हाइब्रिड एंड मोस्ट स्टेबल रेजोनेटिंग स्ट्रक्चर और रेजोनेंस एनर्जी नेगेटिव होती है और रेजोनेंस एनर्जी कैलकुलेट भी होती है H के डेटा से जो कि तुम थर्मोकेमिस्ट्री में क्वेश्चंस करते हो इसके है ना तो यहां कोई न्यूमेरिकल नहीं है बस जानकारी के लिए बता रहा हूं कि H डेटा से कैलकुलेट होती है। बस ये समझिएगा क्या होता है ये कहानी आइए मैं आपको बताता हूं। जैसे मान लीजिए ये क्या कह रहे हैं? द पोटेंशियल एनर्जी डिफरेंस बिटवीन रेजोनेंस हाइब्रिड एंड मोस्ट स्टेबल रेजोनेटिंग स्ट्रक्चर। मान लो मेरे को दो स्ट्रक्चर दे रखे हैं। ये दोनों आपस में RS हैं। ठीक है? तीसरा स्ट्रक्चर दे रखा है। ये है आपका रेजोनेंस हाइब्रिड। तो इनका कहना है कि रेजोनेंस एनर्जी इज़ द एनर्जी डिफरेंस बिटवीन कौन सा वाला? एनर्जी ऑफ़ थर्ड स्ट्रक्चर यानी कि हाइब्रिड का माइनस मान लो एक और दो में से एक की स्टेबिलिटी ज्यादा है। तो पहले वाले की एनर्जी क्या? डिफरेंस ले लो। देखो, न्यूमेरिकल नहीं है। बस ऐसे ही समझाने के लिए बता रहा हूं कि रेजोनेंस हाइब्रिड की एनर्जी माइनस एनर्जी ऑफ़ मोस्ट स्टेबल स्ट्रक्चर। दो स्ट्रक्चर हैं मान लो रेजोनेंस स्ट्रक्टर है ना? तो ये कहानी है। तो E3 - E1 ऐसा बोल सकते हो। थ्री मतलब ये हो गई आपकी किसकी एनर्जी? ये है एनर्जी ऑफ़ पोटेंशियल एनर्जी ऑफ़ रेजोनेंस हाइब्रिड। और यह है एनर्जी ऑफ़ मोस्ट स्टेबल स्ट्रक्चर। मोस्ट स्टेबल स्ट्रक्चर को मोस्ट कंट्रीब्यूटिंग स्ट्रक्चर भी कहते हैं ना। है ना? सर कंपेयर कैसे कराना है? है ना? कंपेयर कैसे कराना है वो बता देता हूं मैं आपको। कंपेयर कैसे कराना है? रेजोनेंस एनर्जी को सीधे-सीधे कंपेयर कराते हैं। क्या? डायरेक्टली प्रोपोर्शनल टू एक्सटेंट ऑफ रेजोनेंस। एक्सटेंट ऑफ रेजोनेंस। जितना बढ़िया रेजोनेंस होगा उतनी ज्यादा रेजोनेंस एनर्जी होने वाली है। जैसे मान लो मैं आपसे पूछूं कि इसका बताओ और इसका बताओ किसकी रेजोनेंस एनर्जी ज्यादा है? तो एक्सटेंट ऑफ रेजोनेंस इसमें ज्यादा है। ठीक? अगर मान लो आपसे बोलूं मैं इसकी इसकी और इसकी इन तीनों की रेजोनेंस एनर्जी कंपेयर कराओ तो किस में एक्सटेंट ज्यादा है यानी कि कौन सा ज्यादा अच्छा रेजोनेंस कर रहा है इसका रेजोनेंस कराओगे कार्बन पर नेगेटिव इसका रेजोनेंस कराओगे नाइट्रोजन पर नेगेटिव इसका रेजोनेंस कराओगे ऑक्सीजन पर नेगेटिव बताओ कौन सा वाला ज्यादा अच्छा रेजोनेंस माना जाएगा नेगेटिव चार्ज की स्टेबिलिटी चेक कर लो। O नेगेटिव ज्यादा स्टेबल होता है। फिर N नेगेटिव फिर C नेगेटिव। है ना? ये कहानी है। अगर तुमसे कभी पूछ ले एक्सटेंडेड और क्रॉस में किसकी ज्यादा? ऑब्वियसली एक्सटेंडेड की ज्यादा होगी क्रॉस से। एक्सटेंडेड वाला कंजुगेशन अच्छा माना जाता है। ठीक है? तो जितनी ज्यादा एक्सटेंट या जितनी ज्यादा स्टेबिलिटी आ जाए उतना ज्यादा रेजोनेंस एनर्जी होगी। ठीक है। चलिए आइए जरा एक ये बता दीजिए सवाल। एनर्जी ऑफ़ रेजोनेंस हाइब्रिड इज़ इक्वल टू एवरेज एनर्जी ऑफ़ ऑल कैनोनिकल फॉर्म। बोलिए। रेजोनेंस हाइब्रिड की एनर्जी क्या होती है? बताइए। रेजोनेंस हाइब्रिड इक्वल टू एवरेज ऑफ़ एनर्जी ऑफ़ ऑल कैन। एवरेज थोड़ी होता है। रेजोनेंस हाइब्रिड की अपनी एनर्जी होती है और हर एक कैनिकल फॉर्म की अपनी एनर्जी होती है। तो ये इक्वल कह रहे हैं, एवरेज कह रहे हैं, गलत बात है। असरशन गलत है। रेजोनेंस हाइब्रिड कैन नॉट बी रिप्रेजेंटेड बाय सिंगल स्ट्रक्चर। एकदम सही है। अलग-अलग टाइप से आप बनाते हो। कभी आप +1 /3 लिख देते हो, कभी आप रिंग के अंदर प्लस लगा देते हो। अलग-अलग टाइप से आप स्ट्रक्चर लगा देते हो। तो आपका डी आंसर आ जाएगा। ठीक है भाई? अलग अलग वैरायटी ऑफ़ स्ट्रक्चर बनाते हो ना। कभी तुम लिखते थे माइनस चार्ज के हिसाब से। मतलब चार्ज डिस्ट्रीब्यूशन के हिसाब से -1 /3 -1 /3 -1 /3 कभी आप गोला लगा के ऐसा लिख देते हो। डेल्टा प्लस लिख देते हो। कभी आप ऐसा लिख देते हो। तो बहुत अलग-अलग टाइप के स्ट्रक्चर से आप इसको रिप्रेजेंट कर सकते हो। -1 /3 लिख दो आप यहां पर। ठीक है? इस तरीके से। अगला सवाल। व्हिच ऑफ द फॉलोइंग हैज़ हाईएस्ट रेजोनेंस एनर्जी? बताइए। एक्सटेंट ऑफ रेजोनेंस लिख लो। किसमें मस्त हो रहा है? बताओ। एक्सटेंट ऑफ रेजोनेंस लिख लो। एक्सटेंट ऑफ रेजोनेंस से आपको पता चल जाएगा। बोलो बताओ जरा। बहुत आसान है। गौर से देखो। इसमें रेजोनेंस नहीं है। इसमें आपको मिल रहा है यहां पर। इसमें गौर से देखो। एक्सटेंडेड कंजगेशन मिल रहा है। देखो एक ही सांस में सारे P ऑर्बिटल अलाइंड हैं। जबकि यहां क्या है? क्रॉस कंजगेशन है। देखो देखिए यहां क्रॉस आ रहा है। यहां पर ऐसा जा रहा है कंजगेशन। यहां एक ही सांस में हो रहा है। एक्सटेंडेड कंजगेशन है। है ना? ये एक्सटेंडेड है। ये क्रॉस है। ठीक। चलिए अगला एसिडिक स्ट्रेंथ इन डिफरेंट फैमिली। कभी-कभी ऐसा भी होता है जीवन में कि बहुत सारे कंपाउंड में तुम्हें चेक करना होता है। ठीक है? बहुत सारे कंपाउंड में चेक करना होता है। तो मैं आपको एक ऑर्डर बता देता हूं। मिनरल एसिड सबसे पहले आते हैं। और ये पीके वैल्यू के हिसाब से लिखे गए हैं। है ना? मिनरल एसिड सबसे पहले आते हैं। H+ देने वाले। जैसे H2SO4, HNO3, HX वगैरह, HCL, HBr ये सब। इसके बाद आता है सल्फोनिक एसिड। फिर आता है पिकिक एसिड। फिर आता है स्क्वेरिक एसिड। फिर आता है डाई नाइट्रोफिनोल। कार्बोक्सिलिक एसिड कार्बोनिक एसिड मोनो नाइट्रोफिनोल फिनोल अमोनियम आयन मीथेनॉल ये सब पीके वैल्यू के हिसाब से लिखा गया है। ठीक है? ये सब पीके वैल्यू के हिसाब से लिखा गया है। ठीक है? मिनरल एसिड सबसे पहले आते हैं जो H+ देते हैं। जैसे HNO3, HCl, H2SO4 इस टाइप के। फिर सल्फोनिक एसिड आता है। सल्फोनिक एसिड में एरोमेटिक सल्फोनिक एसिड जो है वो एिफेटिक सल्फोनिक एसिड से ज्यादा अच्छा होगा क्योंकि रेजोनेंस होता है इसमें। और सल्फोनिक वाले ज्यादा होते हैं क्योंकि सल्फोनिक में रेजोनेंस का एक्सटेंट ज्यादा होता है। H+ हटाकर SO3 नेगेटिव के अंदर रेजोनेंस बहुत अच्छा होता है। पिकरिक एसिड जो है वो ऐसा दिखता है। पिकिक एसिड इसलिए सबसे खतरनाक होता है क्योंकि तीन-ती NO2 लगे होते हैं इसमें। NO2 वाले जबरदस्त विड्रइंग होते हैं। ठीक है? तो इसलिए यह आता है। स्क्वायरिक एसिड ऐसा दिखता है आपको। स्क्वायरिक एसिड जो है वो H+ निकालने के बाद H+ निकालने के बाद हाइड्रोजन बॉन्डिंग कर सकता है। डाई नाइट्रोफिनोल ऐसा होता है। दोद NO2 कार्बोक्सिलिक एसिड में होता है H PH R ठीक है? कार्बोनिक एसिड होता है H2CO3 है ना H2CO3 होता है कार्बोनिक एसिड और मोनो नाइट्रो में पमपम पैरा ऑर्थोमेटा नाइट्रोफिनोल फिर उसके बाद आता है फिनोल अमोनियम आयन आता है RNH3+ ये होता है फिर ये मीथेनॉल हो गया पानी हो गया ये अल्कोहल हो गया मीथेनॉल इकलौता ऐसा एसिड अल्कोहल है जो वाटर से ज्यादा एसिडिक है ना मीथेनॉल वाटर से ज्यादा एसिडिक है फिर आता अल्काइन और अल्काइन में भी अगर दो-दो एसिडिक H हैं लेफ्ट और राइट साइड तो ये ज्यादा एसिडिक होंगे कंपैरिजन टू एक वाला। फिर आएगा आपका अमोनिया। अमोनिया के साथ अमीनस भी यहां हो सकती हैं। फिर आएगा आपका एल्कीन। फिर आएगा आपका एल्केन। और सबसे बेकार एसिड होता है H2। महा बेकार एसिड। ठीक है? यह कहानी है। ठीक है? यह कहानी है। तो, यह ओवरऑल पीके वैल्यू के हिसाब से लिखा गया है। ठीक है? ओवरऑल पीके वैल्यू के हिसाब से लिखा गया है। इसका एक याद करने का जिंगल भी होता था। मियां सलमान ने पिक किया सकीरा को दिन में और कार ही कार में। मोना को फिर खिलाई आम की मिठाई पानी और अल्कोहल के साथ और पीछे वाली सीट पर अलका बैठी तो अलका बोलती है आ मतलब अमोनिया, अल्कीन और अल्केन। ठीक है? तो इस तरीके से आप याद रख सकते हो। अब अगर यह सीरीज आपको याद है तो इससे रिलेटेड फिर सवाल आते हैं। दो टाइप के सवाल होते हैं। एक तो डिफरेंट फैमिलीज में एसिडिक स्ट्रेंथ का ऑर्डर आता है एग्जाम में। ये आ सकता है। और दूसरा कुछ टाइप ऑफ टेस्ट होते हैं। जैसे मेटल टेस्ट हो गया, Nahco3 टेस्ट हो गया। वो सब बता सकते हो आप। है ना? व्हिच वन इज़ द करेक्ट ऑर्डर ऑफ़ एसिडिक स्ट्रेंथ? बताना है आपको। तो गौर से देख लो आप। अल्काइन ज्यादा एसिडिक होता है। एल्कीन से फिर अल्केन आता है। है ना? और इसमें तुम कंपेयर भी ऐसा नहीं कि आप पूरा याद रखना। कंपेयर करा सकते हो। तो H+ निकाल के चेक कर लो। भाई अल्काइन में जब तुम H+ निकाल लोगे तो परसेंटेज S करैक्टर ज्यादा, इलेक्ट्रोनेगेटिविटी ज्यादा और कार्बनायन ज्यादा स्टेबल होगा। तो तुम अल्काइन एल्कीन एल्केन में तो कार्बनाइन की स्टेबिलिटी से ही कर लोगे आप। है ना? अब अल्काइन में देखोगे तो तुम यहां पर मिथाइल लगा रहे हो तो +i बढ़ा रहे हो तो एसिडिक स्ट्रेंथ कम हो जाएगी। तो ए आंसर आ जाएगा। भाई तुम खुद सोचो। यहां नेगेटिव चार्ज की स्टेबिलिटी सोचो। यहां नेगेटिव चार्ज की स्टेबिलिटी सोचो। यहां नेगेटिव चार्ज सोचो। यहां नेगेटिव चार्ज सोचो। भाई ये चीजें तो कंपेयर करा ही सकते हो ना कि भाई साहब यहां sp हाइब्रिडाइजेशन है। यहां sp है। यहां sp2 है। यहां sp3 है। है ना? तो h+ निकाल के एनायन की स्टेबिलिटी के हिसाब से भी तुम कर सकते हो। ठीक है? चलिए अगला बताइए जरा। व्हिच ऑफ़ द फॉलोइंग इज़ करेक्ट ऑर्डर ऑफ़ एसिडिक स्ट्रेंथ? बताओ। कार्बोक्सिलिक एसिड ज्यादा अच्छे एसिड होते हैं। पानी और अल्कोहल को देखें तो यहां मिथेनॉल तो नहीं है यानी कि नॉर्मल अल्कोहल की बात चल रही है। तो कार्बोक्सिलिक एसिड के बाद वाटर आएगा। उसके बाद अल्कोहल और फिर अल्काइन आएगा। आप चाहो तो इसमें एनायन की स्टेबिलिटीज़ चेक कर लो। एनायन एनायन और एनायन लो। ये एनायन रेजोनेंस कर रहा है। यहां रेजोनेंस नहीं है। यहां R +i लगा हुआ है। तो इसके मुकाबले में भी पीछे और यहां C नेगेटिव है। वह O नेगेटिव से भी पीछे आएगा। ठीक है? तो स्टेबिलिटी ऑफ एनायन से ही लिखा गया है। चलिए दूसरे टाइप के सवाल देखिए। इसमें क्या करते हैं? इसमें रिएक्शन की फिजिबिलिटी चेक करनी होती है। एक लाइन लिखाऊंगा सारे सवाल उसी से बन जाएंगे। एक लाइन से सारे सवाल बनते हैं। क्या? द रिएक्शन विल प्रोसीड। द रिएक्शन विल प्रोसीड इन द प्रोडक्शन ऑफ इन द प्रोडक्शन ऑफ वीकर एसिड। बस कहानी खत्म। आपको अगर टेबल याद है, सवाल दिया जाए, बस एसिड बना लो। वीक एसिड बन रहा है तो रिएक्शन होती है। वीकर एसिड बनाने की तरफ जाती है। जैसे जैसे मान लो मैं आपसे बोलूं RCOH है। इसकी रिएक्शन मुझे करानी है NaHCO3 के साथ। तो बताइए क्या ये रिएक्शन होगी? तो आप क्या करो? पहले तो इसको प्लस माइनस करके एक्सचेंज कर दो इनको। है ना? रिएक्शन तो करा ही लोगे प्लस माइनस करके। तो ये बना लेगा सॉल्ट। क्या बनाएगा? RCO नेगेटिव Na+ और HCO3 नेगेटिव को H+ मिल जाएगा। तो ये H2CO3 बना लेगा। अब मुझको एक बात बता दो। ये जो H2CO3 तुमको दिख रहा है ये कैसा है? ये वीक एसिड है क्या? यस है। क्यों? तुम्हें टेबल पता थी। कार्बोक्सिलिक एसिड स्टंग एसिड है। ये वीक एसिड है। तो हम बोलेंगे यस दिस रिएक्शन इज़ फिजिबल। है ना? मतलब ये रिएक्शन होने वाली है। पॉसिबल है या फिजिबल है? क्लियर है एकदम? तो यह रिएक्शन आपकी होने वाली है। ठीक? यह रिएक्शन आपकी होने वाली है। अब इसी तरीके से ये सारी रिएक्शंस आपको चेक करनी है। कौन-कौन सी होगी? कौन-कौन सी नहीं होगी? तो Na, Nah और Nah2 चेक करें जरा। मान लो मुझे कोई एसिड दिया गया है Ha. इसकी रिएक्शन मैं Na से कराऊं। इसकी रिएक्शन मैं NaH से कराऊं। और इसकी रिएक्शन मैं NH2 से कराऊं। क्या बना सकते हो तुम? बताओ। क्या बनाना आप पसंद करेंगे? यह प्लस, यह माइनस बताइए। बोलिए। यहां बनेगा सॉल्ट + H2 बनेगा। यहां बनेगा सॉल्ट + H2 बनेगा और यहां बनेगा सॉल्ट प्लस अमोनिया बनेगा। अब मुझे एक बात बताओ। ये रिएक्शन तो हमेशा होगी। ऑलवेज होगी। चाहे कोई भी एसिड ले लो। क्यों? क्योंकि H2 तो जो है वो महा बेकार एसिड होता है। सही बात है? यह रिएक्शन भी ऑलवेज होगी। इसमें तो कोई टेंशन ही नहीं। आपका जो पीछे मैंने सीक्वेंस लिखाई है उसमें H2 तो सबसे पीछे आता है। तो ये तो हमेशा ही होनी है। ये वाली कब होगी बताओ? अमोनिया वाली कब होगी? जब ये अमोनिया वीक एसिड होगा। यानी कि एसिडिक स्ट्रेंथ ऑफ HA ज्यादा होगा किससे? अमोनिया से। है ना? एसिडिक स्ट्रेंथ ऑफ Ha ज्यादा होगी अमोनिया के एसिडिक स्ट्रेंथ से तब यह रिएक्शन होगी। क्यों? क्योंकि तुम्हें तो वीकर एसिड बनाना है ना। समझे बात? तुम्हें तो वीकर एसिड बनाना है मालिक? तो अमोनिया की एसिडिक स्ट्रेंथ कम होनी चाहिए और Ha जो भी तुम लो यहां HA वो ज्यादा अच्छा एसिड होना चाहिए। ठीक है? चलिए NaOH वाला देख लेते हैं। एक NaOH वाली कैसे रिएक्शन होगी? आइए Ha की रिएक्शन अगर मैं करवाना चाहूं NaOH के साथ तो मुझको बताइए क्या होगा? Na बनेगा और पानी निकलेगा। अब बताओ पानी क्या होना चाहिए? वीक एसिड। सही बात है? तो मुझे एक बात बता दो। ये रिएक्शन कब होगी? एसिडिक स्ट्रेंथ ऑफ़ HA मस्ट बी ग्रेटर देन क्या? एसिडिक स्ट्रेंथ ऑफ वाटर। सही बात है। यानी कि वाटर के आगे आने वाले सब यह रिएक्शन देंगे। वाटर से पीछे वाले नहीं देंगे। यानी कि अल्कोहल ये टेस्ट नहीं देगा। अल्कोहल में इकलौता मेथेनॉल है जो ये टेस्ट देगा। क्योंकि पानी से ऊपर मेथेनॉल आता है। ठीक है? क्लियर है? क्लियर है? चलिए, अगला देखिए जरा। सवाल करिए। चलिए व्हिच ऑफ द फॉलोइंग आर सॉलीबल इन एक्वस NaOH सॉलीबल इन एक्वस यानी कि रिएक्शन होगी कि नहीं? है ना? तो मुझे बताओ NaOH वाली रिएक्शन में एसिडिक स्ट्रेंथ तुम्हें कंपाउंड की चेक करना है। वो पानी से ज्यादा होना चाहिए। है ना? बताइए। पानी से ज्यादा एसिडिक होना चाहिए। पानी से ज्यादा एसिडिक। बताओ। पानी से ज्यादा एसिडिक होना चाहिए। बोलिए। व्हिच ऑफ द फॉलोइंग आर सॉलीबल इन एक्वस NaOH बताओ तो एसिडिक स्ट्रेंथ ऑफ HA जो भी एसिड ले रहे हो ग्रेटर दैन एसिडिक स्ट्रेंथ ऑफ़ वाटर वाटर से ज्यादा एसिडिक होना चाहिए। बोलिए बोलिए वाटर से ज्यादा एसिडिक होना चाहिए। मुझे बताइए ये अमीनस आ गए। अमींस वाले तो पानी से पीछे आते हैं। तो यह तो रिएक्शन नहीं देंगे। है ना? सॉलीबल पूछा ना यह तो नहीं देंगे। ठीक? इसके बारे में बताइए। CH2CH3 लिखा हुआ है और यहां पर लिखा हुआ है आपका CH2OH। तो ये तो अल्कोहल की कैटेगरी आ गई। भाई ये डायरेक्ट OH रिंग से थोड़ी जुड़ा है। अल्कोहल जुड़ा है। तो अल्कोहल तो पानी से पीछे आते तो यह भी नहीं देगा। यह भी नहीं देगा। अल्कोहल तो पानी से पीछे आते हैं। यह क्या कह रहा है? फिनोल। ठीक। यह क्या कह रहा फिनोल और यह लगा हुआ है फिनोल पर CH3 ठीक है मेरे ख्याल से डी ऑप्शन में फिनोल पे CH3 नहीं होगा यह मेरे ख्याल से OH होगा यहां पर क्योंकि फिनोल देगा ना ये टेस्ट फिनोल पानी से आगे आता है ठीक है इसको सही कर लेंगे अपन यहां पर क्योंकि मामला क्या है नहीं तो गड़बड़ हो जाएगा ये हटा ये गोला हट जाएगा यहां से तो ये कहलाएगा अल्कोहल ठीक है क्योंकि OH के फिर दोनों हो जाएंगे ना COD दोनों हो जाएंगे फिर तो ये हो जाएगा आपका मामला क्या है अल्कोहल और अल्कोहल जो है वो पानी से पीछे होता है। है ना? तो आपका फिनोल जो है वो पानी से आगे है। वाटर से आगे वाला होना चाहिए ना? ठीक? वाटर से आगे वाला होना चाहिए और वाटर से आगे फिनोल होता है ना। पानी से ज्यादा एसिडिक। तभी तो ये रिएक्शन देगा। पानी वीक एसिड होना चाहिए। तो सॉलीबल पूछा है आपसे। अगला है NaHCO3 टेस्ट। ध्यान से देखिए जरा। मुझे बताइए Ha के साथ मैं रिएक्शन करा दूं किसकी? Nahco3 की और यहां प्लस यहां माइनस यहां प्लस यहां माइनस। अब मुझे आप एक बात बता दो। यहां मैं लिखूंगा Na और यहां लिखूंगा H2CO3। अब मुझे क्या चेक करना होगा? ये वीक एसिड होना चाहिए। सही बात है? और वीक एसिड होने के लिए ये वाला स्ट्रांग होना चाहिए। ठीक है? देखो ये स्ट्रॉन्ग एसिड होना चाहिए। तो मुझे बताओ एसिडिक स्ट्रेंथ ऑफ HA मस्ट बी ग्रेटर देन एसिडिक स्ट्रेंथ ऑफ H2CO3 तो H2CO3 से ज्यादा होना चाहिए। ठीक? लेकिन एक ऐसा कंपाउंड है जो H2CO3 से लगभग बराबर एसिडिक स्ट्रेंथ रखता है। पी के वैल्यू 7.1 होती है पैरा नाइट्रोफिनोल की। तो पमपम में पमपम में ओम नहीं होता। ओम नहीं देता पी देता है। ठीक है? यानी कि पैरान नाइट्रोफिनोल। पैरा नाइट्रोफिनोल लगभग बराबर स्ट्रेंथ रखता है। तो ये टेस्ट देने लगता है। NaHCO3 वाला। यहां OH और यहां NO2 ये देता है। तो एसिडिक स्ट्रेंथ ऑफ़ Ha > एसिड स्ट्रेंथ ऑफ़ H2CO3 ठीक है? पैरा देता है। चलिए ये सवाल करके बताइए। द कंपाउंड दैट प्रोड्यूस CO2 विद एक्वस NaHCO3 बेटा CO2 कहां से आता है? ध्यान से सुनना जरा। CO2 कहां से आता है? एक्चुअल में यह जो H2CO3 बनता है ना, यह CO2 वाटर में टूट जाता है। यह इतना अच्छा स्टेबल नहीं रहता। और CO2 के बनने की वजह से बुदबुदाहट आती है। ब्रिस्क एफबसेंस ब्रिस्क एफबसेंस निकलती है बुदबुदाहट CO2 की। इसलिए बोलते हैं कि CO2 निकल रही है। तो चलिए बताइए। द कंपाउंड प्रोड्यूस CO2 यानी कि कोई H2CO3 बन रहा है विद एक्वस NaHCO3 कौन-कौन ये टेस्ट देगा? मतलब H2CO3 से H2CO3 से आगे आना चाहिए। बताओ जरा H2CO3 से आगे आना चाहिए। बताओ बोलो बोलो बोलो। क्या कार्बोक्सिलिक एसिड होगा? बिल्कुल होगा। क्या पिकिक एसिड होगा? बिल्कुल होगा। OH के पैरा पर OCH3 नहीं होगा। कार्बोक्सिलिक एसिड बिल्कुल होगा। फिनोल नहीं होगा। देख लो आप चेक कर लो। तो ए सी डी आंसर आ जाएगा। ए सी डी देख लो चेक कर लो। ए सी डी ओनली चेन्नई इज द राइट आंसर। ठीक है? ए सी डी आ रहा है आपका बस। इस तरीके से आप सवाल कर लेंगे और क्या? चलिए अगला सवाल क्या कह रहा है आपसे? बोलिए। कंपाउंड व्हिच इज सॉलीबल इन NaOH एंड NaHCO3 बोलो। दोनों में ही चाहिए। अच्छा! NaOH वाला करना है तो ये चेक कर लो कि पानी से ऊपर। सुनो। NaOH चेक करना है ना? तो पानी से ऊपर वाले देख लो आप। है ना? और ये देखोगे तो आप ये चेक कर लो। H2CO3 से ऊपर। ठीक है? पानी से और दोनों से। H2CO3 पानी दोनों से ऊपर होना चाहिए। बताइए। फिनोल वाला तो H2CO3 के से ऊपर तो हो नहीं पाएगा। ठीक। पैरा नाइट्रोफिनोल होगा क्या? पैरा नाइट्रोफिनोल पैरा नाइट्रोफिनोल H2CO3 देता है टेस्ट ये वाला और पानी से ऊपर भी आता है तो सी हो जाएगा। अगला देखो जरा कार्बोक्सिलिक एसिड ये भी टेस्ट देगा। यह भी टेस्ट देगा। बी हो जाएगा। और पिकिक एसिड तो इतना ऊपर आता है कि दोनों टेस्ट देगा। है ना? तो आंसर ए बी सी आएगा। मेरे ख्याल से आंसर में थोड़ा सा सवाल में ऐसा होना चाहिए। व्हिच ऑफ द फॉलोइंग सॉरी कंपाउंड वि इज इनसॉलीबल सॉलीबल की जगह लिखेंगे इनसॉलीबल है ना क्योंकि ये वाला पिकरिक एसिड इसके साथ भी देगा इसके साथ भी देगा है ना ये वाला इसके साथ भी देगा इसके साथ भी देगा ये तो ऊपर आता है ना दोनों से यह वाला इन दोनों को ही देता है तो डी आएगा आंसर इसका है ना इनसॉलीबल कर लो वहां पर ठीक है इनसॉलीबल कर लो। वर्क बुक में करेक्ट कर लेना। यह कर लेना। इनसॉलीबल कर लेना। चलिए आइए टोटोमेरिज्म में इनॉल कंटेंट को कवर करते हैं। है ना? इनॉल कंटेंट को देखते हैं। पहली बात टोटोमेरिज्म को देखें क्या होता है। है ना? मैं आपको एक बार फिर से रिवाइज़ करा रहा हूं। कीटो इनॉल। कीटोइनॉल टोटोमेरिज्म में क्या होता है? मेरे पास कोई सपोज़ एनॉल कीटो दिया हुआ है। ठीक है? तो कीटो फॉर्म में क्या होता है? इसका जो अल्फा H है बेसिक मीडियम में अगर मैं देखूं तो OH- क्या करता है? यहां से H+ निकालता है। ये दोनों इलेक्ट्रॉन इस पे जाएंगे तो ये बनाता है कार्बनायन। अब ये जो कार्बनायन है ये रेजोनाइज़ कर लेता है। तो ये बनाता है इनोलेट ऐसा। ठीक? और पानी से इसको H+ मिल जाता है। तो यह इनॉल बना लेता है। ये इस तरीके से इसकी एक छोटी सी मैकेनिज्म चला करती है। तो अब जो कीटो और इनॉल फॉर्म है सुनना ध्यान से। ये जो कीटो फॉर्म है इसका इनॉल फॉर्म के साथ इक्विलिब्रियम इसी को टोटोमेरिज्म कहते हैं। इंट्रा मॉलिक्यूलर प्रोटॉन का ट्रांसफर। अब इसका जो K इक्विलिब्रियम है वो क्या होगा? K इक्विलिब्रियम होगा कंसंट्रेशन ऑफ इनॉल डिवाइडेड बाय कंसंट्रेशन ऑफ कीटो। और इसी को ही हम कहते हैं इनॉल कंटेंट। इनॉल कंटेंट ही इसी का नाम है। मतलब इनॉल की कंसंट्रेशन ज्यादा और कीटो की कम यानी कि के इक्विलिब्रियम ज्यादा। अब मुझे बताओ ये ज्यादा स्टेबल कैसे हो? ये ज्यादा स्टेबल कैसे होगा? ये जब इसमें कुछ एक्सटर्नल इफेक्ट तुम लगाओगे। एक्सटर्नल इफ़ेक्ट जब लगाओगे। यूजुअली ऐसा देखा गया कि मोनो कीटो में और मोनोइनॉल में कीटो ज्यादा स्टेबल है क्योंकि C डबल ब्डों की बॉन्ड एनर्जी COC से ज्यादा होती है। तो अगर तुम सिंपल शब्दों में बोलो मतलब सिंपल कीटो इनॉल कंपेयर कराओ तो सिंपल कीटो इनॉल में कीटो की स्टेबिलिटी इनॉल से ज्यादा होती है। ठीक है? यहां मैं लिख देता हूं। नंबर वन इन मोनोकीटो इन मोनो कीटो। अगर आपको मोनो कीटो दिया हुआ है तो इसमें कीटो की स्टेबिलिटी ज्यादा होती है इनॉल से। ठीक है? ज्यादा होती है इनॉल से। क्यों? क्योंकि C डबल ब्ड O की बॉन्ड एनर्जी जो है वो ज्यादा होती है COC बॉन्ड एनर्जी से। तो बॉन्ड एनर्जी COO ज्यादा होती है तो ज्यादा स्टेबल होता है। तो अब इनॉल कंटेंट ज्यादा कैसे हो? तो भैया इनॉल कंटेंट ज्यादा तभी हो सकता है जब एक्स्ट्रा एडिशनल फैक्टर लगे। जैसे एरोमेटिसिटी आ रही हो, जैसे हाइड्रोजन बॉन्डिंग आ रही हो, जैसे रेजोनेंस आ रहा हो। मतलब स्टेबिलिटी बढ़ रही हो। ठीक है? स्टेबिलिटी बढ़ रही हो। क्या हो रही हो? स्टेबिलिटी बढ़ रही हो। जैसे एक एग्जांपल के तौर पे मैं आपको बताना चाहता हूं। ठीक है? एक एग्जांपल के तौर पे बताना चाहता हूं। जैसे इनॉल कंटेंट के ऑर्डर की मैं बात कर रहा हूं। है ना? मान लो पहला सवाल मैंने लिया। एक यह दे दिया मैंने आपको और एक यह दे दिया मैंने आपको। इन दोनों में मुझे इनॉल कंटेंट कंपेयर कराना है। समझना बात को। इन दोनों में इनॉल कंटेंट कवर कंपेयर कराना है। तो मुझे बताओ इसका अगर मैं टोटोमर बनाऊंगा तो कैसा दिखेगा? ऐसा। और इसका अगर मैं टोटोमर बनाऊंगा तो कैसा दिखेगा? ऐसा। अब आप मुझे बताओ यह नॉन एरोमेटिक है। यह एरोमेटिक बन गया। इसका मतलब इसका एनॉल कंटेंट ज्यादा होगा इस वाले से। तो स्टेबिलिटी से ही तुम्हें चलना पड़ेगा इसकी। है ना? सेकंड वाले का ज्यादा होगा पहले से। समझे? अब कभी-कभी ऐसा होता है कि कुछ आपको सेट ऑफ प्रॉब्लम्स दी जाती हैं। जैसे सेकंड पॉइंट बीटा डाई कीटोंस। बीटा डाई कीटोनस इसका एनॉल कंटेंट ज्यादा होता है कीटो एस्टर से फिर आता है डाईएस्टर ये क्या बात है ध्यान से देखना बीटा डाई कीटोन ऐसा दिखता है इसके रेस्पेक्ट में ये अल्फा ये बीटा इसके रेस्पेक्ट में ये अल्फा बीटा बीटा डाई कीटोन ये होता है कीटोन एस्टर भाई यहां कीटोन हो गया यहां एस्टर टाइप का हो गया देखो ऐसा और डाईस्टर हो गया दोनों दोनों तरफ आपने ये लगा दिया। ऐसा तो ध्यान से सुनिएगा। जब इसका टोटोमेरिज्म स्टार्ट होता है तो सबसे ज्यादा एसिडिक H निकलेगा। टोटोमेरिज्म में अभी मैंने मैकेनिज्म आपको दिखाई। OH- क्या करता है? H+ निकालता है। कार्बनायन बनता है। तो इसका जो कार्बनायन बनेगा, इसका जो कार्बनायन बनेगा, वो यहां बनेगा। अब ये कार्बनायन स्टेबल है कि नहीं? अगर कार्बनायन स्टेबल है तो इनॉल कंटेंट की तरफ जाएगा। है ना? अब इसका कार्बनायन इन दोनों तरफ रेजोनेंस कर रहा था। देखो इधर भी इधर भी इसका कार्बनायन भी दोनों तरफ रेजोनेंस कर रहा था। लेकिन यह ऑक्सीजन बीच में टांग अड़ा रहा है। कहेगा हम भी करेंगे। तो इसके मुकाबले इसका रेजोनेंस कम हो गया। यहां पर ये दोनों जगह जब रेजोनेंस कर रहा था तो ये दोनों जगह से टांग अड़ा रहा है। देखो ये कहेगा हम तो भी करेंगे रेजोनेंस। ठीक है? तो इसका मतलब ये एनायन ज्यादा स्टेबल है फिर ये। और जिसका एनायन ज्यादा स्टेबल है उसका इनॉल भी तो जल्दी बनेगा। इसलिए डाई कीटोन वालों में डाई कीटोन कीटोन एस्टर और डाई एस्टर में इसका ज्यादा होता है क्योंकि इसकी स्टेबिलिटी ऑफ़ एनायन ज्यादा होती है। ठीक है? तो ये बड़ा एक इंपॉर्टेंट है। तीसरा एक एग्जांपल होता है अल्फा डाई कीटोन का। अगर अल्फा डाई कीटोन की बात करें एसाइक्लिक की। एसाइक्लिक की तो एसाइक्लिक वाला अल्फा डाई कीटोन जो है उसका इनॉल एक्सिस्ट नहीं करता। इस एंटी फॉर्म में एग्िस्ट करता है क्योंकि ऑक्सीजन के लोन पेयर में रिपल्शन होता है। तो इस सिग्मा बॉन्ड के अराउंड फ्री रोटेशन होकर घूम जाता है। ये है ना? तो एंटी फॉर्म में एग्जिस्ट करता है। अगर मैं इसके साइक्लिक की बात करूं तो साइक्लिक में रोटेशन फ्री तो होता नहीं है। है ना? और रोटेशन फ्री नहीं होता तो इसका बनाना पड़ता है फिर आपको। तो इसका बनाओगे तो ये 1 ये 2 3 और थ्री से H1 पे 1 2 का 1 2 3 पे शिफ्ट करवा दो। और ये बढ़िया मस्त हाइड्रोजन बॉन्डिंग भी कर लेता है यहां पर। ये ठीक है? तो इसमें इनॉल फॉर्म एग्ज़िस्ट करता है। ठीक? तो इसका एंटी फॉर्म एग्िस्ट करता है। एंटी मतलब कीटो वाला फॉर्म और उसमें इनॉल फॉर्म एक्सिस्ट करता है। ठीक है? तो कुछ ये सेट ऑफ एग्जांपल्स हैं जो आपको दिख सकते हैं। और बाकी कोई भी सवाल आ जाए आपको स्टेबिलिटी से ही करना है। बताइए हाईएस्ट इनॉल कंटेंट बता दीजिए। आप यह चेक कर लीजिए। इनॉल बनाने के बाद स्टेबिलिटी किसमें अचीव हो रही है? बोलिए। इनॉल बनाने के बाद स्टेबिलिटी कहां अचीव हो रही है? बताओ। बोलो इनॉल बनाने के बाद स्टेबिलिटी कहां अचीव हो रही है? बोलो। साफ-साफ आपको दिख जाएगा। इधर तुम इनॉल बनाओगे तो यहां एरोमेटिसिटी नहीं आ पाएगी। इधर भी नहीं आ पाएगी। इधर भी नहीं आ पाएगी। यहां इनॉल बनाओगे जब तीनों साइड से तो बढ़िया मस्त एरोमेटिसिटी अचीव हो जाएगी। देखो। भाई अगर तुम इसको यहां से बनाते हो तो इसका यहां से बना लेना। 1 2 3 इसका यहां से बना लेना। तो एरोमेटिक बन जाएगा यह। है ना? और एरोमेटिक बनने की वजह से मामला एकदम क्लियर है कि भैया इसका इनॉल कंटेंट ज्यादा होगा। अगला सवाल एक बता दीजिए। व्हिच अमंग द फॉलोइंग कंपाउंड विल गिव मैक्सिमम इनॉल कंटेंट? बोलो। बोलो मैक्सिमम इनॉल कंटेंट किसका है? देखो यह है आपका बीटा डाई कीटोन बीटा डाई कीटोन ये मोनो कीटोन है। मोनो कीटोन से तो डाई कीटोन का ज्यादा होगा। इतना कंफर्म है। मोनो कीटोन से डाई कीटोन का ज्यादा होगा। है ना? डाई कीटोन कभी भी दिखे तुम्हें। मोनो कीटोन से तो ज्यादा ही होगा। है ना? क्योंकि डाई कीटोन में एनायन की स्टेबिलिटी ज्यादा होगी। ठीक है? यह भी डाई कीटोन और यह है कीटो एस्टर। अब देख लीजिए जरा यहां पर पीए लगा है। रेजोनेंस आ रहा है। रेजोनेंस की वजह से स्टेबिलिटी आ जाएगी। ए आ जाएगा आंसर। है ना? ए एकदम सही है। रेजोनेंस आ गया ना? उधर स्टेबिलिटी आ जाएगी। चलिए आगे चलते हैं। लास्ट पोर्शन पे हम आ गए। लास्ट एंड एंड पे आ गए हैं अपन। क्वालिटेटिव क्वांटिटेटिव और प्यूरिफिकेशन तो एंड में होगा वो। है ना? वो अलग चैप्टर बना के पढ़ाया जाएगा आपको। इलेक्ट्रोफाइल क्या कहता है भैया? इलेक्ट्रॉन लविंग स्पीशी होगी। हैविंग और नॉट हैविंग वेकेंट ऑर्बिटल। मतलब इलेक्ट्रॉन लविंग स्पीशी यानी कि इलेक्ट्रॉन की कमी। है ना? इलेक्ट्रॉन लविंग का मतलब इलेक्ट्रॉन डेफिशिएंट होना चाहिए। इलेक्ट्रॉन लविंग यानी कि इलेक्ट्रॉन डेफिशिएंट होगा। और वेकेंट ऑर्बिटल हो भी सकता है, नहीं भी हो सकता है। जैसे मान लो मैं H+ लिख दूं, R+ लिख दूं, BH3 लिख दूं। ये सब वेकेंट ऑर्बिटल वाले हैं। मैं H+ लिख दूं। ये सब वेकेंट ऑर्बिटल वाले हैं। लेकिन हो सकता है कि वेकेंट ऑर्बिटल ना हो। जैसे SO3 देखो आप। SO3 के पास वेकेंट ऑर्बिटल वो वाले नहीं है। मतलब क्या कहते हैं? वेकेंट P नहीं है। वेकेंट D हो सकता है। है ना? तो मैं ये बोल रहा हूं ये वेकेंट ऑर्बिटल हैं। जैसे वेकेंट S है, वेकेंट P है, वेकेंट P है, वेकेंट P है। यहां वेकेंट D ऑर्बिटल की वजह से। ठीक है? ये वेकेंट D है। ठीक है? तो ये मैंने कौन से बताए? हैविंग वेकेंट ऑर्बिटल। है ना? अभी ये नॉट हैविंग वाला नहीं है। ये सब हैविंग वाले हैं। नॉट हैविंग वाले कौन से? जैसे CO2 एक इलेक्ट्रोफ़ाइल कहलाता है। इसके पास वेकेंट ऑर्बिटल नहीं है लेकिन ये क्रिएट करेगा। तो CO2 एक वीक इलेक्ट्रोफ़ाइल होता है। NO2+ की अगर मैं बात करूं तो ये भी एक इलेक्ट्रोफ़ाइल होता है। देखो NO2+ भी इलेक्ट्रोफ़ाइल होता है। CO2 भी इलेक्ट्रोफ़ाइल होता है। आपने सुना होगा कोल्वेज इलेक्ट्रोलिसिस में जब सॉरी कोल्वेज रिएक्शन में जब करवाते हो तो CO2 इलेक्ट्रोफाइल की तरह काम करता है। और इलेक्ट्रोफिलिक सब्स्टट्यूशन रिएक्शन में नाइट्रेशन कराते हो तो NO2+ भले ही इनके पास वेकेंट ऑर्बिटल नहीं है। है ना? तो नॉट हैविंग वाले ये हो गए। कुछ एक दो एग्जांपल और हैविंग वाले ये हो गए। हैविंग में भी वेकेंट D वाले ये हो गए। इसमें वेकेंट S है। ये सब में वेकेंट P है। तो वेकेंट S भी हो सकता है। वेकेंट P भी हो सकता है, नहीं भी हो सकता है। ठीक है? क्लियर है? तो ये कुछ ऐसे ऐसे मैंने एग्जांपल लिख दिए कि जिनके पास वेकेंट ऑर्बिटल नहीं होता लेकिन जरूरत के समय पे ये क्रिएट कर लेते हैं। कोई न्यूक्लियोफाइल इलेक्ट्रॉन देने आता है तो ये अपना बॉन्ड तोड़ लेते हैं। है ना? जैसे मान लो कोई न्यूक्लियोफाइल आएगा अपना इलेक्ट्रॉन का पेयर देने इसको तो ये बॉन्ड तुड़वा लेंगे। ठीक है? चलिए बताइए सवाल। द करेक्ट स्टेटमेंट रिगार्डिंग इलेक्ट्रोफाइल इज इलेक्ट्रोफाइल कैन बी इदर न्यूट्रल और पॉजिटिवली चार्ज स्पीशी एंड कैन फॉर्म अ बॉन्ड बाय एक्सेप्टिंग अ पेअर ऑफ़ इलेक्ट्रॉन फ्रॉम न्यूक्लियोफाइल। बिल्कुल सही है। इदर न्यूट्रल और पॉजिटिवली चार्ज। नेगेटिवली चार्ज तो इलेक्ट्रोफ़ाइल नहीं हो पाएगा। इलेक्ट्रोफ़ाइल आर जनरली न्यूट्रल स्पीशी? पॉजिटिव चार्ज भी तो होता है इलेक्ट्रोफ़ाइल के साथ। ठीक है? तो या तो न्यूट्रल होंगे या पॉजिटिवली चार्ज होंगे। अगला व्हिच ऑफ़ द फॉलोइंग स्पीशी इज़ नॉट इलेक्ट्रोफिलिक इन नेचर? देखो, Cl+ है। क्लोरीन के पास सेवन इलेक्ट्रॉन थे। प्लस लगाया तो छह ही बचे। 1 2 3 4 5 6 यानी कि एक वेकेंट P ऑर्बिटल है। BH3 के पास छह इलेक्ट्रॉन है। वेकेंट P ऑर्बिटल है। अभी NO2+ बताया वेकेंट ऑर्बिटल नहीं है। लेकिन पाई बॉन्ड तोड़ के इलेक्ट्रोफाइल की तरह काम करता है। H3O+ में तो वेकेंट ऑर्बिटल होते ही नहीं हैं। ठीक है? वेकेंट ऑर्बिटल होते ही नहीं हैं। ठीक है? सी आंसर आ जाएगा। आइए न्यूक्लियोफाइल के बारे में देख लीजिए। इलेक्ट्रॉन रिच स्पीशी भी हो सकती है और प्रिसाइस भी हो सकती है। है ना? मतलब रिच का मतलब लोन पेयर हो जाए। ठीक है? और प्रिसाइस का मतलब पाई इलेक्ट्रॉन्स वगैरह हो। ठीक है? कोई लोन पेयर ना हो। ठीक है? हैविंग और नॉट हैविंग लोन पेयर। बिल्कुल सही बात है। है ना? जैसे लोन पेयर वाले H- X- ठीक है? CN- हो जाए। ठीक? OH- हो जाए, पानी हो जाए, अमोनिया हो जाए, बहुत सारे हो सकते हैं। इनके पास सबके पास लोन पेयर है, न्यूट्रल है। NH2- नेगेटिवली चार्ज वाला है। ठीक? बेंजीन, एल्कीन ये पाई इलेक्ट्रॉन की वजह से न्यूक्लियोफाइल होते हैं। अल्काइन। ठीक है? तो इनके पास नेगेटिव चार्ज भी हो सकता है, न्यूट्रल भी हो सकते हैं और पाई बॉन्ड भी हो सकता है। ठीक है? चलिए सवाल कर लीजिए जरा। व्हिच ऑफ द फॉलोइंग स्टेटमेंट इज नॉट करेक्ट फॉर न्यूक्लियोफाइल? न्यूक्लियोफाइल्स आर नॉट इलेक्ट्रॉन सीकिंग। न्यूक्लियोफाइल इज़ लुईस एसिड। देखो न्यूक्लियोफाइल इज़ अ लुईस एसिड। भाई साहब न्यूक्लियोफाइल तो लुईस होगा तो लुईस बेस होगा। लुईस एसिड क्यों होगा? अगर होना ही है न्यूक्लियोफाइल को तो लुईस बेस होगा ना लोन पेयर की वजह से। ठीक है? अमोनिया न्यूक्लियोफाइल है सही है। न्यूक्लियोफाइल अटैक लो इलेक्ट्रॉन डेंसिटी साइड बिल्कुल सही है। लो इलेक्ट्रॉन डेस्टिसाइड कौन सी साइड होती है? इलेक्ट्रोफिलिक साइड। ठीक है? न्यूक्लियोफाइल इज़ अ स्पीशी दैट शुड हैव अ पेयर ऑफ़ इलेक्ट्रॉन टू डोनेट पॉजिटिव चार्ज। नेगेटिव चार्ज बोथ A एंड C. नेगेटिव चार्ज हो सकता है और पेयर ऑफ़ इलेक्ट्रॉन टू डोनेट हो सकता। पॉजिटिव चार्ज न्यूक्लियोफाइल के पास नहीं होगा। चलिए अगला बताइए। आइडेंटिफाई द रिएजेंट शोन इन बोल्ड। अच्छा इलेक्ट्रोफाइल है कि न्यूक्लियोफाइल बताओ। OH नेगेटिव बोलिए। OH नेगेटिव क्या है? न्यूक्लियोफाइल है। CN नेगेटिव क्या है? न्यूक्लियोफाइल है। और CH3CO+ का इलेक्ट्रोफ़ाइल है। अच्छा न्यूक्लियोफाइल मैं इसके बारे में बताता हूं। ये जो CN नेगेटिव है ना इसमें अगर आप गौर से देखो तो दोनों के पास लोन पेयर है। इसको बोलते हैं ए्बिडेंट न्यूक्लियोफाइल। ऐसी स्पीशी को कहते हैं ए्बिडेंट न्यूक्लियोफाइल। मतलब टू डोनर साइट हैं। टू डोनर साइट है इसमें। देखो कार्बन से भी डोनेट हो सकता है, नाइट्रोजन से भी डोनेट हो सकता है। है ना? तो दो डोनर साइट हैं। बट ओनली वन कैन डोनेट एट अ टाइम। ओनली वन कैन डोनेट एट अ टाइम। ठीक है? तो ये इलेक्ट्रोफ़ाइल ये सब न्यूक्लियोफाइल हो गए। ठीक? आसान है। एकदम इलेक्ट्रोफाइल, न्यूक्लियोफाइल वाला पार्ट। कोई बहुत मुश्किल तो है नहीं। चलिए टाइप ऑफ रिएक्शनंस की अगर मैं बात कर लूं तो कुछ-कुछ टाइप की रिएक्शनंस होती हैं। जैसे एडिशन रिएक्शन की बात करूं मैं। एडिशन रिएक्शन। ठीक? सब्सीट्यूशन रिएक्शन। और एलिमिनेशन। बेसिकली जो कॉमन रिएक्शंस है वह बताना। एलिमिनेशन। एडिशन रिएक्शन में क्या-क्या होता है? एडिशन रिएक्शन की अगर मैं बात करूं तो इसमें इलेक्ट्रोफिलिक एडिशन रिएक्शन न्यूक्लियोफिलिक एडिशन रिएक्शन और फ्री रेडिकल एडिशन रिएक्शन ये हो सकती है। कुछ-कुछ एग्जांपल लिख रहा हूं। ठीक है? जैसे इलेक्ट्रोफिलिक एडिशन रिएक्शन में मान लो अल्कीन है। ठीक है? इसकी रिएक्शन मैंने करा दी सपोज hx के साथ। तो ये इलेक्ट्रोफ़ाइल H+ से स्टार्ट होती है। क्योंकि अल्कीन न्यूक्लियोफाइल है। H+ इलेक्ट्रोफ़ाइल है। स्टार्ट H+ से होगी। एल्कीन तो न्यूक्लियोफाइल है ना। H+ अटैकिंग रिएजेंट इलेक्ट्रोफ़ाइल होता है। तो H+ से स्टार्ट हो रही है इसलिए इलेक्ट्रोफिलिक एडिशन रिएक्शन। न्यूक्लियोफिलिक एडिशन रिएक्शन जैसे कार्बोनाइल की रिएक्शन मैं करवा दूं। सपोज HCN के साथ एक एग्जांपल लिख रहा हूं बस। है ना? तो यहां CN- अटैक करता है। लो इलेक्ट्रॉन डेंसिटी साइड पर है ना तो OH और यहां CN आ जाएगा। तो यहां CN अटैक करेगा। फ्री रेडिकल एडिशन रिएक्शन की बात करूं तो HBr परऑक्साइड इसका एक बहुत बेहतरीन एग्जांपल है। एक ही एग्जांपल है आपके यहां। HBr परऑक्साइड लगाते क्या हो? एंटीआर से लगा देते हो आप इसको। है ना? तो Br रेडिकल यहां पर अटैक करता है। तो फ्री रेडिकल से एडिशन होता है इसमें। है ना? Br रेडिकल इसमें अटैकिंग रिएजेंट होता है। है ना? यहां CN नेगेटिव होता है। यहां H+ होता है। तो H+ से जा रहा है इसलिए इलेक्ट्रोफिलिक CN- से जा रहा है। स्टार्ट हो रहा है। इसलिए न्यूक्लियोफिलिक बी आर रेडिकल जरूरत है तो फ्री रेडिकल। ठीक है? अगर मैं सब्सीट्यूशन रिएक्शन की बात करूं तो यहां होता है इलेक्ट्रोफिलिक सब्स्टट्यूशन रिएक्शन। न्यूक्लियोफिलिक सब्स्टट्यूशन रिएक्शन और फ्री रेडिकल सब्स्टट्यूशन रिएक्शन एफआरएसआर देखो इलेक्ट्रोफाइल न्यूक्लियोफाइल और फ्री रेडिकल यही तीन तो खेल रहे हैं। है ना? यही तीन तो खेल रहे हैं अपन। इलेक्ट्रोफिलिक सब्स्टट्यूशन रिएक्शन आती है। बेंजीन की रिएक्शन आप इलेक्ट्रोफाइल से करवा लो। है ना? बेंजीन और उसके डेरिवेटिव एरोमेटिक कंपाउंड की। तो इलेक्ट्रोफाइल क्या करता है? बेंजीन से H+ को सब्स्टट्यूट कर देता है। है ना? NSR की बात कर दूं तो RX की रिएक्शन आप करवा रहे हो NaOH के साथ एक्वस NaOH वगैरह के साथ तो क्या बना रहा है ये? ROH बना रहा है। ठीक है? और NaX निकल रहा है। या आप कभी अल्कोहल की रिएक्शन HBr से करा रहे हो। है ना? तो ये भी NSR के एग्जांपल है। अल्कोहल की रिएक्शन आप करा रहे हो। मान लो HBr से तो RBr बन रहा है और पानी निकल रहा है। तो कुछ ना कुछ सब्स्टट्यूट हो रहा है यहां पर। है ना? तो न्यूक्लियोफिलिक सब्स्टट्यूशन रिएक्शन होगी। फ्री रेडिकल सब्स्टिट्यूशन रिएक्शन में एल्केन की रिएक्शन आप कराते हो x2 इन प्रेजेंस ऑफ़ सनलाइट में तो RX बनता है + HX फ्री रेडिकल के माध्यम से सब्सीट्यूशन होता है। है ना? एलिमिनेशन रिएक्शन भी वैरायटी बहुत सारी होती हैं। है ना? एलिमिनेशन की भी अलग-अलग वैरायटी होती हैं। लेकिन मोस्ट कॉमन मैं एलिमिनेशन रिएक्शन एक लिख रहा हूं। R CH2 CH2Br है ना? है ना? जैसे मान लो इसकी रिएक्शन आप करा रहे हो अल्कोहलिक KOH से तो RCH डबल ब्ड CH2 तो ये एलिमिनेशन रिएक्शन एक है। ठीक है? प्लस यहां KBr निकल जाएगा। प्लस पानी निकल जाएगा। तो ये अलग-अलग टाइप की रिएक्शंस होती हैं जो तुम पूरी ऑर्गेनिक केमिस्ट्री में आगे पढ़ते हो। ठीक है? आइए जरा। कुछ सवाल हैं इसके करके बता दीजिए। दो-तीन। चलिए। सब्स्टट्यूशन रिएक्शन, एडिशन रिएक्शन, एलिमिनेशन रिएक्शन, होमोलेटिक फज़, हाइट्रोलिटिक फज़, इलेक्ट्रोफाइल, न्यूक्लियोफाइल मैच द कॉलम करना है आपको एक तरीके से। बोलो भाई। मैच द कॉलम टाइप से खेलना है आपको। बोलिए। एक कह रहा है सर अर्जुन जेई में मेरा भाई भी है। डांट डाट के पढ़ाइएगा। अच्छा पहले से ही कंप्लेन करना चालू कर दिए। सब्सीट्यूशन रिएक्शन की बात करो। बताओ कौन सी है? A वाले का क्या लगा रहे हो तुम? थ्री। बिल्कुल सही बात है। A वाले का थ्री सब्स्टट्यूशन रिएक्शन। देखो KOH ने इसको सब्स्टट्यूट कर दिया। ठीक है? अगला बताओ। एडिशन रिएक्शन कौन सी कह रहे हो आप? एल्कीन पर HBr ऐड हो रहा है। पांच कर दूं। ठीक है? और बताओ एलिमिनेशन रिएक्शन कौन सी दिख रही है? पानी ने H2SO4 को एलिमिनेट करवा दिया। H2SO4 ने पानी निकाल दिया यहां से। है ना? एल्कीन बना दी। छह। होमोलिटिक फज़ कौन सा दिख रहा है? सेकंड। हेटोलिटिक कौन सा दिख रहा है? फर्स्ट। इलेक्ट्रोफ़ाइल क्या है? BF3 चार। और न्यूक्लियोफाइल क्या है? सात। अमोनिया। सही है? डन। अगला सवाल। क्लासिफाई द फॉलोइंग रिएक्शन इन वन ऑफ़ द रिएक्शन टाइप स्टेड इन दिस यूनिट। बोलो। टाइप ऑफ रिएक्शन बताना है आपको। बोलो HS- और इसने क्या करा बताओ? HS- ने Br हटा दिया। देखो ये आया ये चला गया। तो सब्सीट्यूशन रिएक्शन है ये। NSR ठीक है? न्यूक्लियोफिलिक सब्स्टट्यूशन रिएक्शन। एल्कीन पर HCL ऐड हुआ तो इलेक्ट्रोफिलिक एडिशन रिएक्शन। ठीक है? OH- ने यहां एलिमिनेशन कर दिया। भाई साहब एलिमिनेशन रिएक्शन। अगला HBr ने पानी के साथ रिएक्शन करके सब्स्टट्यूशन कर दिया। पानी निकाल के BR आ गया तो यह भी NSR हो गई। न्यूक्लियोफिलिक सब्स्टट्यूशन रिएक्शन। देख लो जरा। क्लियर है मामले? ठीक आए? चलिए अगला सवाल। RX की रिएक्शन NaOH से हुई। ROH + NaX बन गया। क्या हुआ बताओ? OH- ने X को रिप्लेस कर दिया। रिप्लेस कर दिया। यानी कि न्यूक्लियोफिलिक सब्स्टट्यूशन रिएक्शन है। ठीक है? एनएसआर चलिए कुछ सवाल करते हैं। मैंने आपको इसी में ही वर्क बुक में प्रैक्टिस शीट दी थी। 50 क्वेश्चन में से 20 में करूंगा। 30 आप करेंगे। ठीक है? चलिए पहला सवाल क्या कह रहे हैं? दिस इज़ लेस बेसिक दैन दिस। है ना? यह कह रहे हैं दिस इज़ लेस बेसिक दैन दिस। क्या कहानी है इसमें? बेटा यहां जो CH3 लगा है एरोमेटिक एरोमेटिक 1 डिग्री अमीन है। एरोमेटिक 1 डिग्री अमीन है। SIP लगता है इसमें तभी बेसिसिटी कम होती है। स्टेरिक इनबिशन इन प्रोटोनेशन बाय CH3 ढोलकपुर आंसर आएगा इसका। ठीक है? अगला देखिए जरा। अरेंज द फॉलोइंग इन करेक्ट डिक्रीजिंग ऑर्डर ऑफ़ एसिडिक स्टन। 246 ट्राई नाइट्रोफिनोल पिकिक एसिड है। फिर डाई नाइट्रो आएगा और ऑर्थो पैरा में पमपम लगाओगे तो पैरा आएगा। फिर और आएगा 1 2 4 3 आएगा 1 2 4 3 देखो पहला वाला पिकिक एसिड तीन-तीन नाइट्रो लगे हैं फिर डाई नाइट्रो फिर मोनो नाइट्रो में पैरा ज्यादा आएगा और ऑर्थो पीछे आएगा तीसरा सवाल व्हिच ऑफ द फॉलोइंग हैज़ लोएस्ट पीके वैल्यू पीके लोएस्ट का मतलब हो गया हाईएस्ट के और हाईएस्ट के का मतलब हो गया एसिडिक स्ट्रेंथ ज्यादा किसकी है ज्यादा एसिडिक स्ट्रेंथ किसकी है डीएनपी रूल लगाएंगे इसमें एलीफैटिक दिख रहा है मेरे को तो इसके रेस्पेक्ट में एक कार्बन यहां Cl लगा है। एक कार्बन तीन-तीन Cl लगे हैं। एक कार्बन और दो-दो Cl लगे हैं। और यहां पर एक ही कार्बन है। कोई Cl नहीं है। तो तीन-तीन Cl वाला डिस्टेंस के बाद नंबर फिर पावर आता है। डीएनपी रूल लगाओगे। डिस्टेंस बराबर थी। एक ही कार्बन छोड़ा था आपने इस फंक्शनल ग्रुप से। देखो एक ही कार्बन छोड़ा था आपने। उसके बाद आपका नंबर से ही खेल हो जाएगा। तो डिस्टेंस बराबर थी। नंबर से खेल हो जाएगा। ठीक? अगला। व्हिच ऑफ़ द फॉलोइंग हाइड्रोकार्बन इज़ मोस्ट एसिडिक? ध्यान से देखना। मुझे इनमें से मोस्ट एसिडिक बताना है। तो H+ निकालूंगा। कहां से निकालूंगा? मैं सोचूंगा कि एरोमेटिसिटी बन जाए कहीं से। तो H+ यहां से निकालो। यहां एनायन बनेगा। H+ यहां से निकालो। यहां एनायन बनेगा। ये एंटी एरोमेटिक बन गया। ये एरोमेटिक बन गया। इधर देखो आप यहां से H+ निकालो। स्टेबिलिटी दिलवानी है ना। आप बोलोगे रेजोनेंस हो रहा है। ठीक है? आप इसमें से कहीं से भी H+ निकाल लो। तो एनायन यहां बनेगा। तो मुझे एक बात बताओ। एरोमेटिक वन तो ये रहा ना? एनायन A आ जाएगा ना? एरोमेटिक तो ए वाला बन रहा है ना। आप बोलोगे सर डी वाला भी एरोमेटिक है। बेटा कार्बनायन की वजह से एरोमेटिक नहीं है। अगर चार्ज की वजह से एरोमेटिसिटी आती है तो वो ज्यादा स्टेबल होता है। जैसे मान लो कभी जीवन में अगर तुम्हारे साथ ये हो जाए। ध्यान से देखिएगा। कभी जीवन में अगर तुम्हारे साथ ये हो जाए कि तुमसे पूछे बताओ ये ज्यादा स्टेबल है या ये ज्यादा स्टेबल है। मान लो यहां तीन-तीन भी लगा दिए तो भी ये ज्यादा स्टेबल है। सुन लो ध्यान से। एरोमेटिसिटी की वजह कार्बोटायन इनवॉल्व होना है। यहां भले ही तुम तीन-तीन रिंग लगा दो। उससे भी ज्यादा स्टेबल यह है। कभी अगर जीवन में फंस जाओ तो। ठीक है? एरोमेटिसिटी अगर चार्ज इनवॉल्व हो के एरोमेटिसिटी दे रहा है तो वो ज्यादा स्टेबल होता है कंपैरिजन टू दूसरा वाला पार्ट। यानी कि कार्बोटायन नहीं है इनवॉल्व। फिर भी एरोमेटिक है। हमें तो कार्बोटायन को इन्वॉल्व करा के एरोमेटिसिटी लानी है। या कार्बोनायन को इन्वॉल्व करा के एरोमेटिसिटी लानी है। तो वो ज्यादा स्टेबल होते हैं। अगला देखो। क्या कह रहे हैं? टर्शरी ब्यूटाइल कार्ब एनायन इज़ लेस स्टेबल देन मिथाइल कार्बनायन। ठीक है? टर्शरी ब्यूटाइल टर्शरी ब्यूटाइल कार्बेनायन Me3C नेगेटिव है ना? ये कह रहे हैं कम स्टेबल है मिथाइल कार्बेनायन से। ठीक है? टर्शरी ब्यूटाइल वाला कम स्टेबल। सही है। प्लस आई इफ़ेक्ट ऑफ दी थ्री मिथाइल ग्रुप इज़ टर्शरी ब्यूटाइल कार्बेनायन टेंड टू मेक इट लेस स्टेबल देन मिथाइल। बिल्कुल सही है क्योंकि कार्बनायन में रेजोनेंस तो है नहीं और हाइपर कंजुगेशन होता नहीं है तो इंडक्टिव से ही हो पाएगा। ठीक है? इंडक्टिव से ही हो पाएगा। इंडक्टिव से तो एकदम सही है। असरशन भी ट्रू, रीज़ भी ट्रू और करेक्ट एक्सप्लेनेशन भी। द रिएक्शन इंटरमीडिएट प्रोड्यूस बाय होमोलिटिक क्लीवेज। बताओ। होमोलिटिक बॉन्ड ब्रेकिंग से क्या बनता है? मालिक? फ्री रेडिकल बनते हैं। होमोलिटिक से फ्री रेडिकल, हेटोलिटिक से कार्बोटायन या कार्बेनायन। ठीक है? अगला देखिए जरा। डिक्रीजिंग ऑर्डर ऑफ द स्टेबिलिटी ऑफ़ दी फॉलोइंग कार्बोटायन। देखो यहां एरोमेटिसिटी है। आप बोलोगे सर ये भी बेंजीनिक एरोमेटिक है। बेटा ये कार्बोटायन इनवॉल्व होने के बाद एरोमेटिसिटी नहीं आई है। ये पहले से ही एरोमेटिक था। जबकि ये कार्बोटायन इनवॉल्व होगा तो एरोमेटिसिटी आएगी। तो ये कार्बो केटायन ज्यादा स्टेबल हो जाएगा। तो वन वाला सबसे ज्यादा स्टेबल होएगा। हां उसके बाद तीन आएगा। वन के बाद तीन आएगा क्योंकि रिंग है रेजोनेंस है। फिर तीन अल्फा H वाला आएगा और फिर नौ अल्फा H तो 1 3 2 4 1 3 2 4 आ जाएगा। सी आंसर आ जाएगा। ठीक है? सी आंसर आ जाएगा। अगला देखें जरा। व्हिच वन ऑफ़ द फॉलोइंग कार्बनायन इज़ लीस्ट स्टेबल कार्बनायन कौन सा है? लीस्ट स्टेबल। ठीक है? देखो यहां परसेंटेज S करैक्टर है तो इलेक्ट्रोनेगेटिविटी ज्यादा स्टेबिलिटी है। यहां देखो 1 +i लगा हुआ है। अच्छा ये कार्बनायन तो रेजोनेंस में इन्वॉल्व हो रहा है। तीनों जगह। ठीक? यहां पर तीन-ती +i लगे हुए हैं। तीन-ती +i लगे हैं और लीस्ट स्टेबल यही हो जाएगा ना। 33 +i लगे हैं मालिक। 33 +i लगे लीस्ट स्टेबल हो जाएगा। अगला व्हिच ऑफ द फॉलोइंग इज मैक्सिमम स्टेबल कार्बोटायन? ध्यान से देखो जरा। यह ब्रेड रूल की वजह से कम स्टेबल होगा। ये वाला ब्रेड रूल की वजह से कम स्टेबल होगा। इस कार्बोटायन के यहां पर सिर्फ एक H माना जाएगा। ध्यान से सुनो। ये वाला H हाइपर कंजुगेशन में काउंट नहीं होगा। क्योंकि अगर हाइपर कंजुगेशन में काउंट कर लोगे तो एल्कीन यहां बनेगी हाइपर कंजुगेटिव स्ट्रक्चर जो कि पॉसिबल नहीं है। है ना? तो ब्रिज हेडेड वाले H काउंट नहीं होते हाइपर कंजुगेशन में। तो एक अल्फा H काउंट होगा इसका। और इस वाले के लिए यहां के दो अल्फा H काउंट होंगे। ये वाले ये काउंट नहीं होगा। ये ब्रिज हेडेड वाले H हाइपर कंजुगेशन में काउंट नहीं होंगे। ये वाले काउंट होंगे। तो दो अल्फा H आ रहे हैं इसके। ठीक है? मैक्सिमम स्टेबल चाहिए था। तो चेन्नई आंसर आपका आ जाएगा। ठीक है? ठीक है? अगला सवाल। व्हिच ऑफ़ द फॉलोइंग इज द मोस्ट स्टेबल कार्ब एनायन? बताना है। यह जो डिब्बे बने हैं इन्हीं में ही कार्बनायन है। इसमें छपे नहीं है ये। ठीक है? क्या चाहिए आपको? मोस्ट स्टेबल कार्ब एनायन चाहिए। चलिए ठीक चेक करते हैं। बताइए जरा बैक बॉन्डिंग बताइए। बैक बॉन्डिंग कार्बन बीवी है क्या? नहीं है? एरोमेटिसिटी नहीं है। रेजोनेंस नहीं है। हाइपर होता नहीं है। इंडक्टिव से मामला जम जाएगा। NO2 Br यहां पर मैं ऐसे लिख सकता हूं क्या? H और CN बताइए सबसे ज्यादा स्टेबल कौन सा कहलाएगा? NO2 का -i पावर ज्यादा होता है। पूरा आंसर लिखना। ए बी सी डी आएगा। पूरा आंसर ए बी सी डी आएगा। ठीक है? अगला देखिए। इन व्हिच ऑफ द फॉलोइंग पेयर ऑफ़ कार्बोटायन द फर्स्ट कार्बोटायन इज़ मोर स्टेबल देन सेकंड? आइए। ध्यान से देखिए। फर्स्ट कार्बोटायन इज़ मोर स्टेबल दैन सेकंड। बोलो। पहले वाले में इसमें रेजोनेंस है। इसमें नो रेजोनेंस। देखो। बताओ। इस वाले में भी बीवी है। इसमें भी बीवी है। किसकी बीवी अच्छी? देखिए जरा। किसकी बीवी अच्छी? ये वाली देखो नाइट्रोजन के लोन पेयर की बीवी है यहां ऑक्सीजन के लोन पेयर की तो ये वाली अच्छी तो ये ज्यादा अच्छा ठीक है इसमें भी फर्स्ट वाला ज्यादा ही है अगला इसमें नो बीवी देखो कार्बोटायन के पास में होना चाहिए तो इसके पास के पास में ये देखो ये डायरेक्टली कनेक्टेड होना चाहिए तो इसका आंसर ये आएगा अगला इसमें कोई बीवी नहीं है इसमें बीवी नहीं है तीन और दो 5 अल्फा दो और दो 4 अल्फा तो ये आ जाएगा जाएगा तो फर्स्ट सेकंड फोर्थ फर्स्ट सेकंड और फोर्थ बी आ जाएगा आंसर चेक कर लो चेक कर लो फर्स्ट सेकंड और फोर्थ आएगा देखो फर्स्ट ये वाला ज्यादा स्टेबल है पहला वाला दूसरे से यहां देखो ये ज्यादा स्टेबल है इससे यहां देखो ये ज्यादा स्टेबल है इससे तो थर्ड वाला नहीं आएगा फोर्थ वाले में अल्फा ज्यादा है फर्स्ट वाले में ठीक है टर्शरी कार्बोटायन आर जनरली फॉर्म्ड मोर ईजीली देन प्राइमरी। सही बात है। सही बात है। सही बात है। हाइपर कंजुगेशन एज़ वेल ऐज़ इंडक्टिव ड्यू टू एडिशनल अल्काइल स्टेबलाइज़ द टर्शरी। बिल्कुल सही है। कार्बोटायन में हाइपर कंजुगेशन इंडक्टिव दोनों ही होते हैं। है ना? हाइपर कंजगेशन बेटर इफ़ेक्ट माना जाता है वैसे। लेकिन रीजन की बात करो तो एकदम सही है। ठीक है? अगला देखो। व्हिच ऑफ़ द फॉलोइंग इज़ नॉट एन इलेक्ट्रोफ़ाइल? बताओ। नॉट एन इलेक्ट्रोफ़ाइल? कौन इलेक्ट्रोफ़ाइल नहीं है? अरे मालिक CN - न्यूक्लियोफाइल है। ठीक है? CN- न्यूक्लियोफाइल है मालिक BF3 इलेक्ट्रोफाइल वेकेंट ऑर्बिटल वेकेंट ऑर्बिटल उसमें वेकेंट ऑर्बिटल नहीं है लेकिन फिर भी वो इलेक्ट्रोफाइल होता है पाई बॉन्ड तोड़ लेता है द डिक्रीजिंग ऑर्डर ऑफ़ स्टेबिलिटी द फॉलोइंग कैटायन बोलो कार्बोटायन की स्टेबिलिटी चाहिए ठीक है और बेंजीन लगे हैं तो डोमिनेटिंग इफेक्ट से चलोगे +m > -i +m > -i + h > +i और -i > +m ठीक है। चलिए अब मुझे बताइए सबसे ज्यादा स्टेबल कौन होगा? इन दोनों में +m किसका ज्यादा अच्छा? NH2 का अच्छा। तो q वाला ज्यादा आएगा। क्यू के बाद पी आएगा। q के बाद पी आएगा। q के बाद पी आएगा। उसके बाद देखो आर आएगा। आर आ गया। बस आ गया आंसर डी। एस वाला तो लास्ट में आया क्योंकि cl-i होता है। ठीक है? अगला देखो। व्हिच ऑफ़ द फॉलोइंग हैव ऑल द रेजोनेटिंग स्ट्रक्चर आइडेंटिकल? मतलब इक्विवेलेंट रेजोनेंस चाहिए। इक्विवेलेंट रेजोनेंस कहां मिलेगा? B वाले में। देखो, आप इसमें कुछ भी कर लो, पांच की रिंग पर ही प्लस आने वाला है। आप इसमें कुछ भी घुमाते जाओ, पांच की रिंग पर ही प्लस आएगा। ठीक? तो सेम सर्कल के आपको B में ही दिखेंगे। ठीक है? इक्विवेलेंट आपको B में दिखेंगे। सेम सर्कल के द मोस्ट स्टेबल कैनोनिकल स्ट्रक्चर। बताओ। कैनोनिकल स्ट्रक्चर मतलब रेजोनेटिंग स्ट्रक्चर। मैंने क्या सिखाया था आपको? सबसे पहले न्यूट्रल ऑफ़ चार्ज। बताओ। सबसे पहले न्यूट्रल चार्ज सर सारे चार्ज हैं। सेकंड बताओ पाई बॉन्ड। 2 पाई 1 पाई 1 पाई 2 पाई जीत गया। थर्ड आंसर है। ए आ जाएगा। ठीक है? अगला व्हिच ऑफ़ द फॉलोइंग स्पीशी कैन शो कंजुगेशन? बताओ। कंजुगेशन कौन दिखा सकता है? आइए। कंजुगेशन यानी कि पैरेलल पोजीशन ऑफ़ p ऑर्बिटल। चार p ऑर्बिटल पैरेलल दिख रहे हैं। यहां भी इसका लोन पेयर रेजोनेंस में इन्वॉल्व हो रहा है। p ऑर्बिटल। यहां इसका लोन पेयर रेजोनेंस में इन्वॉल्व हो रहा है। ऑल ऑफ दी आ जाएगा। है ना? ऑल ऑफ दी आ जाएगा। क्लियर है? कुछ कॉन्फिडेंस बढ़ा आप लोगों का? व्हिच ऑफ द फॉलोइंग कंपाउंड विल शो द मैक्सिमम इनॉल कंटेंट? बताइए। मैक्सिमम इनॉल कंटेंट किसका होगा? देखो ये मोनो कीटो है। मोनो वाले का तो नहीं होगा मैक्सिमम। क्योंकि ये डाई ये कीटो एस्टर है। देखो ये कीटो एस्टर आ गया। ठीक? ये वाला डाई कीटोन आ गया। हो गया काम लो। है ना? ये वाला कीटो अमाइड आ गया। अरे जैसा एस्टर होता है उसी टाइप से मान के चलो ना इसको एस्टर जैसे टाइप से तो ये डाई कीटोन वाला ही आएगा ना बी वाला ऊपर क्योंकि क्रॉस कंजुगेशन नहीं मिल रहा है हाउ मेनी पाई इलेक्ट्रॉन आर देयर इन द स्पीशी बताइए कितने पाई इलेक्ट्रॉन इन्वॉल्व होंगे ध्यान से देखो इसका लोन पेयर रेजोनेंस में इन्वॉल्व होगा एरोमेटिसिटी आ जाएगी 2 4 2 6 पाई इलेक्ट्रॉन आएंगे सी आ जाएगा आंसर छह पाई इलेक्ट्रॉन आएंगे सी आएगा आंसर अगला देखो अंतिम क्वेश्चन अमोंग द फॉलोइंग द एरोमेटिक कंपाउंड इज़ 4i इलेक्ट्रॉन एंटी एरोमेटिक दो रिंग अलग-अलग एरोमेटिक हैं। बिल्कुल सही बात। ओवरऑल ओवरऑल एरोमेटिक है ना? ये एरोमेटिक ये एरोमेटिक ओवरऑल एरोमेटिक। ठीक है? इसको एंटी मत मान लेना भाई। एक ही लिख देता हूं। नेप्सलीन है ना एरोमेटिक। दो 2 4 पाई इलेक्ट्रॉन एंटी एरोमेटिक और दो 2 4 पाई इलेक्ट्रॉन एंटी एरोमेटिक। तो आपका आंसर आएगा मालिक चेन्नई। ठीक है? बाकी 30 सवाल आप लोग कर लेना। थैंक यू। थैंक यू। थैंक यू। थैंक यू सो मच। 30 क्वेश्चन जो बचे हुए हैं आपकी वर्क बुक में भी मिल जाएंगे। ठीक है? और प्रैक्टिस शीट के फॉर्म में अपलोड हो जाता है। उसमें भी मिल जाएंगे। एक बार रिवाइज करके जरूर कर लीजिएगा। ओवरऑल कॉन्फिडेंस आपका बिल्कुल बढ़ेगा। आपको भी अच्छा लगेगा। ठीक है? बहुत-बहुत धन्यवाद भैया। और बताओ कैसे हो? कैसा लगा आज का लेक्चर? बताइए। हैं? मजा आया? सब कुछ रिकॉल हो गया कि नहीं? सब कुछ रिकॉल हो गया कि नहीं? और अब बढ़िया चीज ये हो गई आपके सामने कि अभी आपका कोऑर्डिनेशन का लेक्चर नहीं है। तो आप रिवाइज कर सकते हो इसको। है ना? आप इसको रिवाइज कर सकते हो बढ़िया से मजे से। और बताइए। कह रहे दो लाइनें सुना दो। अच्छा अभी भी तुम्हें दो लाइनें सुननी है। हैं? सुबह 11:00 बजे से तुम्हें समझ नहीं आया कुछ कि क्या चल रहा है यहां पे। चलो अब तुम कह रहे हो तो जाते-जाते सुनाई देते हैं। 2 मिनट बचे हैं। 5:30 बजने में। है ना? तुम भी याद रखोगे। यह मत समझ कि तेरे काबिल नहीं है हम। यह मत समझ कि तेरे काबिल नहीं है हम। तड़प रहे हैं वो जिसे हासिल नहीं है हम। ठीक है? एक और सुन लो फिर इसी बात पे। लाख तलवारें बड़ी आती हो गर्दन की तरफ। लाख तलवारें बड़ी आती हो गर्दन की तरफ। सर झुकाना नहीं आता तो झुकाएं कैसे? ठीक है? चलिए तो अब हम मुलाकात करते हैं आपसे अगले लेक्चर में। यानी कि यानी कि यानी कि शायद 29th को अपना हाइड्रोकार्बन का है ना? इसका जो पोर्शन जो होता है ना क्वालिटेटिव एनालिसिस प्यूरिफिकेशन वो लास्ट में एक अलग चैप्टर है। प्रैक्टिकल और केमिस्ट्री के अंदर ही आ जाएगा वो। है ना? तो वो ऑटोमेटिकली आपका वहां पे कवर हो जाएगा। ठीक है? चलिए तो आप बिल्कुल भी टेंशन ना लें। अच्छे से पढ़ाई करते रहें। रिवीजन करते रहें। अभी आपके पास समय है। ठीक? इस समय को आप यूज करें। ठीक। 26 मार्च है। अभी आपका पेपर मई में है तो आपके पास इतना टाइम है कि आप अच्छे से रिवाइज कर सकते हो। घबराने की कोई बात नहीं है। अच्छे से रिवीजन करके जाओगे बढ़िया पेपर जाएगा। ठीक है? अपने ऊपर भरोसा रखें। अपनी मेहनत पर भरोसा रखें और बस बाकी तो ऊपर वाला सवाल लेता है। ठीक है? मिलते हैं बेटा फिर। तब तक के लिए ओके बाय।